अब कैंसर, अल्जाइमर और पार्किन्सन जैसी बीमारियों का जल्दी इलाज संभव

कैंसर और न्युरोलोजिकल डिसऑर्डर मसलनअल्जाइमर,पार्किन्सनजैसी बिमारियों के इलाज में सकारात्मक परिणाम के उद्देश्य से भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी-एम) और मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी (एमआईटी) अमेरिका के वैज्ञानिकों ने 3D प्रिंटेड बायोरिएक्टर की सहायता से मानव मस्तिष्क के टिश्यु को विकसित किया है, जिसे ‘ऑर्ग़ेनॉइड’ कहा जाता है. ये रिसर्च हेल्थकेयर और फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के लिए वरदान होगी,जहाँ सेल कल्चर के द्वारा किसी बीमारी को पहचान कर सही दवा देने में आसानी होगी.

इस डिवाइस का उद्देश्य मस्तिष्क के टिश्यु के विकास को ओब्जर्ब करना और एक ऐसी तकनीक का विकास करना, जो कैंसर अल्जाइमर और पार्किन्सन की जैसी न्युरोलोजिकल बीमारी की चिकित्सा और चिकित्सीय खोजो को जल्दी करने में समर्थ हो सकें. इस बारें में डिपार्टमेंट ऑफ़ इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग (आईआईटी-मद्रास ) के प्रोफेसर अनिल प्रभाकर कहते है कि यह एक 3डी प्रिंटेड माइक्रो-इनक्यूबेटर और इमेजिंग चैंबर को एक हथेली के आकार के प्लेटफॉर्म में बनाया गया है,जिसे लंबे समय तक मानव मस्तिष्क कोशिकाओं की कल्चर और रीयल-टाइम इमेजिंग के लिए सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया. इस 3D प्रिंट के द्वारा काफी दूर तक इंजिनियरिंग किया जा सकता है, क्योंकि एक डिवाइस में अलग-अलग चैनल बनाकर किसी में कम तो किसी में अधिकन्यूट्रीएंट्स, तापमान के आधार पर डालते है. इन न्यूट्रीएंट्स का सही बैलेंस ‘ऑर्ग़ेनॉइड’ ग्रोथ के लिए बहुत जरुरी होता है. इसमें फायदा यह होता है कि 30 ऐसे ऑर्ग़ेनॉइड’ ग्रो करने पर अधिक काम करने वाली न्यूट्रीएंट्स की कंडीशन के बारें में पता चलता है औरउसके अनुसार किसी में अधिक ड्रग और किसी में कम ड्रग डालने पर कोशिकाओं की स्ट्रेंथ के बारें में पता चल जाता है. इससे बीमारी जल्दी पकड़ में आने के अलावा इलाज करने में आसानी होती है. ऐसी कोशिकाओं को ग्रो करने में 3 सप्ताह लग जाते है. करीब एक सेंटीमीटर होने तक कंट्रोल करना पड़ता है, जिसे डिवाइस में डाला गया है.

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इसके आगे प्रोफेसर अनिल कहते है कि कैंसर में अलग कोशिकाए होती है. अगर ब्रैस्ट कैंसर के बारें में पता करना है तो मेमेलिया सेल को डिवाइस में डालना पड़ेगा और उसी तरीके से किसी कोशिका में कमड्रग, किसी में अधिक तो किसी में ड्रग नहीं डालने पर सेल्स की कंडीशन का पता चलता है. इस काम में मेरे साथ कैंसर सेल की स्टडी करने वाले बायोटेक्नोलोजिस्ट डॉ. शांतनु और कई रिसर्चर है. ये डिवाइस माइक्रो लेवल पर काम करेगी और इससे जांच करना, आज की तुलना में खर्चा भी कम होगा. इसमें मेडिकल कॉलेज की भी सहायता लेकर काम किया जायेगा.

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वातावरण का प्रभाव सेल्स पर अधिक होने की वजह से उसका भी ध्यान रखा गया है. अभी मैंने 6 वेल्स बनाये है, आगे 32 वेल्स बनांएगे, 32 के अच्छा काम करने पर 64 वेल्स बनायेंगे, क्योंकि जितने अधिक कोशिकाओं में न्यूट्रीएंट्स डाले जायेगे, उतने अधिक बीमारी को पकड़ने और इलाज में सहायता मिलेगी. इस तकनीक का पेटेंट भारत में कराया गया है.

इसप्रकार यह जीवविज्ञानी या प्रयोगशाला टेक्निशियनों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-असिस्टेड ऑटोमेटेड सेल कल्चर प्रोटोकॉल द्वारा संचालित यूजर-फ्रेंडली सिस्टम के साथ ऑर्गेनॉइड के विकास को संचालित, नियंत्रित और मॉनिटर करने में सक्षम करेगा.

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Mother’s Day Special: नाश्ते में बनाएं जैकफ्रूट दलिया

जैकफ्रूट, जिसे आम भाषा में कटहल कहा जाता है की गणना फल और सब्जी दोनों में की जाती है. इस समय यह बाजार में भरपूर मात्रा में उपलब्ध है. इसका ऊपरी आवरण काफी सख्त और कांटे जैसा नुकीला होता है. इसमें से चिपचिपा दूध जैसा पदार्थ निकलता है इसलिए इसे काटते समय हाथों और चाकू पर सरसों का तेल अथवा नीबू का रस लगा लेना चाहिए. कटहल में विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड और थायमीन जैसे अनेंको पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं जो शरीर में खून की कमी को दूर करके पाचन तंत्र और दिल को दुरुस्त रखने के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार है. इससे सब्जी, आइसक्रीम, कोफ्ते और अचार आदि बनाये जाते हैं. आज हम आपको कटहल से एक ऐसी रेसिपी बनाना बता रहे हैं जो बनाने में काफी आसान होने के साथ साथ पौष्टिक तत्वों का खजाना है क्योंकि हम इसे दलिया और जैक फ्रूट से बना रहे हैं. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोंगों के लिए          4

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप                       वेज

सामग्री

कटहल                        250 ग्राम

गेहूं का दलिया             डेढ़ कप

प्याज                         1 बड़ा

अदरक, लहसुन पेस्ट    1 टीस्पून

हरी मिर्च                      3

लौंग                             3

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साबुत काली मिर्च           4

दालचीनी                     1/2 इंच टुकड़ा

जीरा पाउडर                1/4 टीस्पून

गरम मसाला                 1/2 चम्मच

लाल मिर्च                     1/4 टीस्पून

नीबू का रस                   1 टीस्पून

ताजा दही                        1/2 कप

नमक                              स्वादानुसार

हरा धनिया                       1 टेबलस्पून

घी                                   2 टेबलस्पून

विधि

कटहल को छीलकर मध्यम आकार के टुकड़ों में काट लें. 1टेबलस्पून घी में मंदी आंच पर सुनहरा होने तक सेंक लें. दलिये को आधा कप पानी में भिगोकर आधे घण्टे के लिए रख दें. आधे घण्टे बाद दलिया को बिना घी के सुनहरा होने तक भून लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में शेष 1 टेबलस्पून घी को गर्म करके लौंग, दालचीनी, काली मिर्च, जीरा तड़काकर प्याज और हरी मिर्च भूनकर अदरक, लहसुन का पेस्ट  डालकर भूनें, फिर  सूखे मसाले व दही डालकर चलाते हुए मंदी आंच पर घी के ऊपर आने तक भूनें. अब इसमें भीगा दलिया, कटहल, नमक और तीन कप पानी डालकर मंदी आंच पर ढककर पकाएं. 5 मिनट बाद खोलकर चलाएं और पुनः 3 मिनट पकाकर गैस बंद कर दें. नीबू का रस और हरा धनिया मिलाकर सर्व करें.

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4 टिप्स: बालों में कलर कराते समय ऐसे बरतें सावधानी

बालों में कलर करना आजकल आम बात हो गई है कुछ लोग फैशन के लिए तो कुछ लोग सफेद हो चुके बालों को छुपाने के लिए तरह-तरह के रंगों का प्रयोग करते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक करीब लगभग 75 फीसदी महिलाएं बालों को कलर करती हैं. कलर कराने से कुछ हानियां भी हैं. कलर करने में जरा सी लापरवाही आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है. इस समय बाजार में कई तरह के कलर मौजूद हैं. नेचुरल कलर, टेम्‍परेरी कलर और परमानेंट हेयर कलर. हम आपको बता रहे हैं कि बालों में कलर करने से आपको क्‍या नुकसान हो सकता है और इससे आप कैसे बच सकते हैं.

1. हेयर डाई करते समय एलर्जी का रखें ध्यान

कुछ लोग बालों में डाई लगाते हैं. इससे कुछ लोगों को एलर्जिक रिएक्शन होता है. ये रिएक्शन मामूली असर वाला या फिर गंभीर भी हो सकता है. बालों में कलर करने के बाद यदि आपको सिर की स्किन में मामूली जलन या सनसनाहट महसूस हो तो यह एलर्जी की शुरूआत हो सकती है. अगर कलर करने के बाद आपके माथे, कान, गर्दन के पीछे सूजन और आंखों में जलन की शिकायत होती है तो यह एलर्जी का गंभीर मामला हो सकता है.

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2. हेयर कलरिंग से बचें कैसे

कुछ सावधानी बरत कर बालों में हेयर डाई से हो सकने वाले नुकसान से बच सकते हैं. ऐसा करने से आपके सिर के बाल ज्‍यादा समय तक ठीक रहेंगे. जब भी आप किसी नए ब्रांड को इस्‍तेमाल करें तो पहले उसके बारे में अच्‍छे से जानकारी कर लें. ऐसा देखा गया है कि कई बार कुछ लोग कलर बदलने से एलर्जी का शिकार हुए हैं. कोशिश करें कि आप लगातार एक ही अच्‍छा ब्रांड उपयोग करें.

3. हेयर कलरिंग का टेस्ट करके देखें

एलर्जी से बचने के लिए पैच टेस्ट करके देख लें. पैच टेस्ट, किसी प्रोडक्ट के प्रति आपकी स्किन की संवेदनशीलता के बारे में बतात है. इसके साथ ही आपको एलर्जिक रिएक्शन से भी बचाता है. इसलिए हेयर डाई का मिश्रण बनाते समय लेबल पर दिए गए निर्देशों को पढ़ लें. कान के पीछे का हिस्सा सबसे ज्‍यादा संवेदनशील होता है. यह किसी भी प्रकार के एलर्जिक रिएक्‍शन के लक्षणों को तुरंत दिखाता है. आप रुई के टुकड़े को हेयर डाई के मिश्रण में डुबाकर कान के पीछे लगा लें. इसे 24 घंटे तक लगाकर रखने से आप एलर्जी के प्रकोप से बचे रहेंगे. यदि आप हेयर डाई को निर्धारित समय से ज्‍यादा लगाकर रखते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकती है.

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4. हेयर कलरिंग

अगर आपको एलर्जिक रिएक्शन होने का खतरा लगता है तो किसी भी परेशानी से बचने के लिए पानी की धार से अपने बालों को धो लें. इससे हेयर कलर आपके बालों से साफ हो जाएगा. अगर फिर भी आपके बालों में कोई केमिकल रह गया है तो आप क्‍लेरिफाइंग शैम्‍पू से इसे हटा सकती हैं.

हेल्दी गर्ल्स के लिए है परफेक्ट लाफ्टर क्वीन भारती के ये फैशन

टीवी की लाफ्टर क्वीन भारती सिंह इन दिनों कपिल शर्मा के शो से लोगों को एंटरटेन कर रही हैं. वहीं पर्सनल लाइफ की बात करें तो भारती शादी के बाद से हमेशा प्रेग्नेंसी को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. पर आज हम भारती की प्रेग्नेंसी की नही फैशन की बात करेंगे. मोटी होने के बावजूद भारती नए-नए फैशन को ट्राय करने से नही हिचकिचाती. साथ ही हर नए आउटफिट में वे बेहद खूबसूरत नजर आती हैं. आइए आपको बताते हैं भारती सिंह के कुछ आउटफिट, जिसे आप पार्टी या फेस्टिवल में आसानी से कैरी कर सकती हैं.

1. रेट्रो लुक वाली फ्रिल ड्रेस है परफेक्ट

अगर आप हेल्दी हैं और कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो भारती की तरह रेट्रो लुक वाली फ्रिल ड्रेस आपके लिए परफेक्ट रहेगी आप चाहें तो इस ड्रेस के साथ हील्स की बजाय शूज ट्राय करें ये कम्फरटेबल के साथ ट्रेडी भी दिखेंगे. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सिंपल शौर्ट इयरिंग्स आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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2. भारती की ये ड्रेस है पार्टी परफेक्ट

 

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Birthdayweek #love#blessed❤️❤️????????????#pempringmyself ?

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अगर आप पार्टी के लिए कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो भारती की ये चेक आउटफिट के साथ शाइनिंग कौम्बिनेशन वाली ड्रेस ट्राय करें. वहीं इस ड्रेस के साथ मैचिंग शाइनी शूज आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. ये आपके लुक को पार्टी स्पेशल दिखाने में मदद करेगा.

3.  भारती का साड़ी लुक है परफेक्ट

लोगों को लगता है कि मोटे लोगों पर साड़ी अच्छी नही लगती, लेकिन भारती का ये साड़ी लुक आपके लिए परफेक्ट है. सिंपल बनारसी साड़ी के साथ ग्रीन ब्लाउज आपके लुक के लिए एकदम परफेक्ट रहेगा. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो सिंपल गोल्डन इयरिंग्स या झुमके इस साड़ी के साथ अच्छा कौम्बिनेशन रहेगा.

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4. रेड चेक लौंग ड्रेस है आउटिंग के लिए परफेक्ट

 

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#laughterwithqueen#missunivers❤️❤️❤️❤️ @haarshlimbachiyaa30 @indiatiktok

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आजकल मार्केट में लौंग ड्रेसेस की बहुत डिमांड है. ये हर लुक के लिए परफेक्ट है. अगर आप भी कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो भारती की तरह स्ट्रेट चैक वाली ड्रेस जरूर ट्राय करें ये आपके खूबसूरत लुक के लिए जितना परफेक्ट रहेगा उतना ही आपको पतला दिखाने में भी मदद करेगा.

भारतीय शादियां with Hyundai Creta

भारतीय शादियां उन इवेंट में एक है जिसे सही तरीके से निपटाना काफी मुश्किल है. सेफ्टी प्रोटोकोल का ध्यान रखते हुए और एन मौके पर वेंडर्स के मना करने करने पर एकलौती #Creta ही थी जिसने हर मौके पर अपनी विश्वसनीयता साबित की.. #RechargeWithCreta
यहां आपके लिए कुछ तस्वीरें हैं जिन्हें आप इंजॉय कर सकते हैं!

Hyundai Creta

लेकिन शादी का क्या? तो बता दें कि शादी शानदार रही और साफ शब्दों में कहें तो मुश्किल कामों को आसानी से निपटाने में #Creta ने हमारी काफी मदद की.
लोगों को यहां से वहां पहुंचाने के बीच न सिर्फ क्रेटा ने डीजे की भूमिका भी निभाई बल्कि दूल्हे को भी उसकी मंजिल तक पहुंचाया. कुल मिलाकर #Creta ने 10/10 परफॉर्मेंस दी. Good Job @HyundaiIndia #RechargeWithCreta

कोरोना संक्रमण से बचाव में बच्चों के लिये ‘रक्षा कवच’ बनेगा ‘पीआईसीयू’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के बच्चों को कोविड के प्रकोप से बचाने के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार कर अधिकारियों को कार्य करने के निर्देश दिए हैं. जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश मंी युद्धस्तर पर आईसीयू की तर्ज पर बच्चों के उपचार की व्यवस्था की जा रही है. प्रदेश के सभी जिलों में विशेष स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस पीडियाट्रिक वार्ड पीकू तैयार किया जा रहा है. जहां बच्चों को एक जगह पर सभी तरह का इलाज मिलेगा.

लखनऊ समेत सभी महानगरों के अस्पतालों में बच्चों को बीमारी से बचाने के लिये आधुनिक संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड ‘रक्षा कवच’ तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है. बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद विशेषज्ञों और डॉक्टरों से बातचीत करने में जुटे हैं. कोरोना की दूसरी वेव से लड़ाई लड़ने के दौरान उन्होंने भविष्य की संभावित आंशका को देखते हुए तत्काल सभी शहरों में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने के निर्देश दिये हैं.

यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे. इनका साइज छोटा होगा और साइडों में रेलिंग लगी होगी. गंभीर संक्रमित बच्चों को इसी पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

प्रतापगढ़, प्रयागराज, जालौन व कौशांबी में पीडियाट्रिक वार्ड किए जा रहे तैयार

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता ने बताया कि प्रतापगढ़, प्रयागराज, जालौन कौशांबी में एक हफ्ते के भीतर ही पीकू बनकर तैयार हों जाएंगे. जिसमें प्रयागराज में 25, प्रतापगढ़ में 30,जालौन में 10 और कौशांबी में 20 बेड वाले पीडियाट्रिक वार्ड तैयार किए जा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि झांसी, अमेठी, मथुरा, मुरादाबाद, अयोध्या, गोरखपुर, मेरठ, चित्रकूट, लखनऊ, आजमगढ़ में तेजी से कार्य चल रहा है.

डॉक्टरों ने कहा कि बच्चों के लिये वरदान साबित होंगे पीडियाट्रिक बेड

लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है. उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिये पीआईसीयू (पेडरिएटिक इनटेन्सिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआईसीयू (नियोनेटल इनटेन्सिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यूबार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं. जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था आखिर क्यों भरभराकर ढह गई?

अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत दुनिया की टाॅप-10 अर्थव्यवस्थाओं में भले 5वें नंबर पर जद्दोजहद कर रहा हो. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने हमारे स्वास्थ्य ढांचे को इस तरह झकझोर है कि हमारी हैसियत गरीब अफ्रीकी देशों से भी गई गुजरी साबित हुई है. यह अकारण नहीं है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश तक ने भारत में कोरोना हाहाकार को खूब मजाक उड़ाया है.

लेकिन हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का कोरोना की इस दूसरी लहर के सामने इस तरह भरभराकर ढह जाना कोई हैरान करने वाला मसला नहीं है. हकीकत तो यह है कि हम अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था का यह सच जानते थे. हैरानी तो इस बात की है कि वल्र्ड बैंक ने हमें कई साल पहले ही इस संबंध में चेताया था. वल्र्ड बैंक ने साल 2017 में ही अपनी एक रिपोर्ट में हमारे स्वास्थ्य ढांचे की हकीकत को बेपर्दा कर दिया था. लेकिन हमारी इस खुलासे से आंखें नहीं खुली थीं, उल्टे हमने इस तरह की सच बयानी को विदेशी संस्थानों की साजिश करार दिया और बजाय अपने स्वास्थ्य ढांचे में कुछ सुधार करने के लोगों की राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़का दिया था.

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वल्र्ड बैंक ने कोरोना के आगमन के दो साल पहले ही कह दिया था, ‘हिंदुस्तान में हर साल 5 करोड़ से ज्यादा लोग इसलिए गरीब हो रहे हैं, क्योंकि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत ही बदहाल है. आम लोगों का रहने और खाने के बाद तीसरा सबसे ज्यादा खर्च स्वास्थ्य पर होता है. आम क्या निम्न मध्यवर्ग की भी हैसियत में यहां स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था नहीं है और सरकारी चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है.’ वल्र्ड बैंक का यह निष्कर्ष कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हिंदुस्तान के आम लोगों के सामने एक नंगे सच के रूप में आया है. हाल में कोविड के चलते लोगों में आये स्वास्थ्य खर्च का जो आंकलन है, उसके मुताबिक जिस भी घर में कोरोना ने अपनी शिकंजेबंदी की है और मरीज को हाॅस्पिटल ले जाना पड़ा है, ऐसे घरों को औसतन 1 लाख 55 हजार रुपये कोरोना के इलाज में खर्च करने पड़े हैं. जबकि करोड़ों लोगों के पास चाहकर भी कोरोना संक्रमण के इलाज करने का सामथ्र्य नहीं है. कोरोना ने किस तरह हमारी आर्थिक कमर तोड़ दी है, इसका एक नमूना गंगा और दूसरी नदियों पर बहते शव और श्मशानों से इतर फुटपाथों से लेकर कहीं भी जलती चिताओं से जाना जा सकता है.

आज हमारी स्वास्थ्य की स्थिति दुनिया के 70 देशों में भी पैर जमाने वाली नहीं है. हम इसके भी नीचे हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे यहां स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं. सच तो यह है कि भारत, सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान जैसे देशों से भी ज्यादा अगर हेल्थ टूरिस्ट आकर्षित करता रहा है तो इसके पीछे कारण यही है कि भारत में स्तरीय चिकित्सा सुविधा मौजूद है लेकिन भारत की जो स्वास्थ्य सुविधाएं विदेशियों के लिए सस्ती हैं, वे सुविधाएं आम भारतीयों के लिए इतनी ज्यादा महंगी हैं कि अव्वल तो करोड़ों लोग उन्नत किस्म की इन स्वास्थ्य सुविधाओं को हासिल करने की कल्पना तक नहीं कर पाते और जो मध्य और निम्न मध्यवर्ग के लोग इसके लिए जद्दोजहद करते हैं, उनमें से बड़े पैमाने पर कंगाल हो जा रहे हैं.

भारत में स्वास्थ्य सेवाएं इस कदर महंगी हैं कि विश्व बैंक के मुताबिक हर साल 5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ रहे हैं. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट ‘ट्रैकिंग यूनिवर्सिल हेल्थ कवरेज: 2017 ग्लोबल मानिटरिंग रिपोर्ट’ के मुताबिक भारत समेत दुनिया की करीब आधी आबादी उन्नत किस्म की स्वास्थ्य सेवाओं को पाने में अक्षम है और इस कारण हर साल दुनियाभर में 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा रहे हैं. इन 10 करोड़ लोगों में से 5 करोड़ लोग अकेले हिंदुस्तान के हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लगातार बढ़ते चिकित्सा खर्च की वजह से हिंदुस्तान में हर साल करीबन 23 फीसदी बीमार लोग अपना सही मायनों में इलाज करा पाने में असमर्थ होते हैं. कहने का मतलब ये लोग अपने आपको बीमारी के भरोसे छोड़ देते हैं.

जबकि करीब 70 फीसदी लोगों की इलाज कराने के चलते आर्थिक स्थिति बुरी तरह से डगमगा जाती है. करीब 20 से 25 फीसदी लोग तो इस डगमगाहट के झटके से गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते हैं. कहने को कागजों में केंद्र सरकार की कई ऐसी स्वास्थ्य चिकित्सा योजनाएं हैं, जिनमें अब करीब करीब 80 फीसदी भारतीय कवर हो रहे हैं. लेकिन ये कवरेज कागजों और किताबों में ही आमतौर पर उपलब्ध हैं. देश में छोटे बड़े करीब 70 हजार अस्पताल हैं, जिनमें करीब 42,000 अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें बिस्तरों की संख्या 30 या इससे कम है. 100 या इससे अधिक बिस्तरों वाले अस्पतालों की गिनती सिर्फ 3000 तक पहुंचती है. इस तरह देखें तो करीब 650 भारतीय नागरिकों पर अस्पताल का एक बिस्तर पड़ता है. हम आज भी अपने सकल घरेलू उत्पाद का महज 1.2 से 1.6 फीसदी ही खर्च कर रहे हैं जबकि हमसे कहीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला चीन अपनी जीडीपी का 3.2 फीसदी, अमरीका 8.5 फीसदी और जर्मनी 9.4 फीसदी खर्च कर रहा है.

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2020-21 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटित धनराशि के मुताबिक हिंदुस्तान अपने लोगों पर 516 रुपये प्रतिव्यक्ति सालाना खर्च कर रहा है. जबकि स्विटजरलैंड प्रतिव्यक्ति सालाना 4 लाख 90 हजार रुपये खर्च करता है, जापान तथा जर्मनी में यह खर्च ढाई लाख से ऊपर करीब तीन लाख रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष है और अमरीका में 3.5 लाख रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में करीब 68 फीसदी लोग स्वास्थ्य पर सारा खर्च खुद अपनी जेब से करते हैं. जबकि दुनिया के अमीर से अमीर देशों में महज 18 फीसदी लोग ही स्वास्थ्य पर अपना सारा खर्च खुद करते हैं बाकी लोगों के खर्च का जिम्मा सरकार उठाती है.

परफेक्ट लुक के लिए बनारसी दुपट्टे को इन स्टाइलिश अंदाज में करें ड्रेप

सूट हो या फिर साड़ी जिसे पहनकर नारी या फिर लड़की एक अलग ही आभा बिखेरती है. बनारसी साड़ी में लिपटी सोलह सिंगार किये हुए एक भारतीय नारी की छवि दिखती है जब हम अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बात करते हैं. भारत में शायद ही ऐसी कोई औरत होगी जिसकी अलमारी में एक बनारसी साड़ी या दुपट्टा ना हो. दुल्हन की बकसिया भी एक बनारसी साड़ी और दुपट्टा ज़रूर समेटे होती है, भारतीय महिलाओं में बनारसी सिल्क का क्रेज हमेशा ही देखने को मिल जाता है. यह क्रेज अब केवल बनारसी सिल्क साड़ियों तक ही सीमित नहीं रहा है.

बाजार में अब बनारसी सिल्क के फैंसी दुपट्टे भी आने लगे हैं. इन दुपट्टों की सबसे बड़ी खासियत है कि आप इन्हें किसी भी एथनिक ड्रेस के साथ कैरी करके पार्टी लुक पा सकती हैं. बनारसी दुपट्टों को अगर आप ढंग से कैरी करें तो आपको बहुत ही अच्छा और खूबसूरत लुक मिल सकता है. आप बनारसी दुपट्टों के साथ नए-नए एक्स पेरिमेंट कर सकती है.

बनारसी दुपट्टे को सूट के साथ कैसे ड्रेप करें

यह जरूरी नहीं है कि आप बनारसी सिल्क के सूट के ऊपर ही बनारसी दुपट्टा कैरी करें. आप इसे ब्रोकेड, चंदेरी सिल्क, साटन आदि फैब्रिक के कुर्ते पर भी कैरी कर सकती है जैसे की आप गोल्ड न सिल्कर सूट पर रेड बनारसी सिल्क दुपट्टा पहन सकती है.

बनारसी दुपट्टे को आप कई तरह से सूट पर ड्रेप कर सकती हैं. जैसे आप किसी सिपंल सूट के साथ रेड बनारसी दुपट्टे को शॉल के अंदाज में कैरी कर सकती है और साथ में कानो में हेवी ईयररिंग पहने. आप इस तरह से अपने लुक को रीक्रिएट कर सकती हैं.

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वैसे बनारसी दुपट्टे में आपको बहुत सारी डिजाइन और कलर मिल जाएंगे. आप इसे अपने सलवार सूट के साथ मिक्स मैच करके पहन सकती हैं. बनारसी दुपट्टे में आपको एम्ब्रॉवयडरी और गोटा वर्क वाले दुपट्टे भी मिल जाएंगे, जिन्हेंद आप किसी भी बड़े अवसर पर पहन कर पार्टी लुक पा सकती हैं.

लहंगे के साथ कैसे पहने बनारसी दुपट्टा

ब्रोकेड के लहंगों का चलन आजकल काफी देखा जा रहा है. इस तरह से आप लहंगे के साथ भी बनारसी दुपट्टे को कैरी कर सकती हैं.

 

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अगर आप रॉव सिल्क, कॉटन सिल्क या फिर जॉर्जेट सिल्क का लहंगा पहन रही हैं तो उसके साथ भी हैवी डिजाइन वाले बनारसी दुपट्टे को कैरी करें और टीका और मैचिंग ईयररिंग पहने.

लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टे को सीधे पल्ले , साड़ी के उल्टेक पल्ले, फ्रंट काउल शेप या फिर कंधे पर फॉल स्टाथइल में ड्रेप किया जा सकता है.

जब आप लहंगे के साथ बनारसी दुपट्टे को ड्रेप करें तो उसकी प्लेट्स सलीके से बनाएं और उसे अच्छे से पिनअप करें. बनारसी दुपट्टे को दें पैंट साड़ी लुक आजकल पैंट साड़ी लुक काफी ट्रेंड में है. अगर आपके पास हैवी बनारसी दुपट्टा है तो आप इससे भी यह लुक पा सकती है.

सबसे पहले आप दुपट्टे और ब्लाउज से मैच करता पैंट पहने और एक डिजाइनर और दुपट्टे से मैच करता हुआ ब्लाउज पहनें.

अब आप दुपट्टे की प्लेट्स बना लें. दुपट्टे के एक साइड को छोर से पकड़ें और पैंट में टकइन करके पिनअप कर लें.
अब आप दुपट्टे की प्लेंट्स को अच्छेह से पकड़ते हुए कंधे पर पिनअप कर दें.

बनारसी दुपट्टे को शरारा के साथ पहने

शरारा हो या अनारकली सूट आप इन दोनों ही ड्रेसेज के साथ बनारसी दुपट्टा पहन सकती हैं. जो की काफी खूबसूरत दिखता है.

आप ब्रोकेड फैब्रिक के बने शरारा कुर्ता के साथ ही बनारसी सिल्का दुपट्टा पहने क्यों कि यह आपको परफेक्टर पार्टी लुक देगा.

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4 टिप्स: गरमी में हेल्दी स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

घर में ऐसी कई सब्जियां होता है जिन्हें हम रोजाना खाने में खाते है, लेकिन अगर हम कहें कि आप उसे स्किन के लिए भी इस्तेमाल कर सकती हैं. टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसे हम हर सब्जी में डालते हैं, पर अगर हम उसे अपनी स्किन के लिए इस्तेमाल करते हैं. तो हमें एक सुंदर और बेदाग स्किन मिलेगी. टमाटर स्किन में ग्लो लाने के साथ मुंहासे, दाग हटाने के साथ औयली स्किन को भी ड्राई करने का काम करते हैं. आज हम आपको टमाटर के कुछ टिप्स बताएंगे जिससे आप स्किन को और भी ब्यूटिफुल बना सकती हैं…

1. औयली स्किन के लिए टमाटर है बेस्ट औप्शन

टमाटर को धोकर एक मिनट के लिए उसे हल्क गर्म पानी में डालिए. इसके बाद जूस निकालकर इसमें नींबू के रस की 4-5 बूंद मिला लें. इसके बाद इस तैयार पेस्ट को अपने चेहरे पर 5 मिनट तक लगाएं. इसके बाद हल्के गर्म पानी से इसे धो लें. महीने में इस प्रौसेस को 6-7 बार करें. औयली स्किन की प्रौब्लम दूर हो जाएगी.

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2. गरमी में सन टैनिंग से बचाएगा टमाटर

इसके लिए कुछ टमाटर को लेकर पीस लें. अब इसमें थोड़ा सा ओटमील और एक चम्मच दही मिलाएं. इस पेस्ट को अपनी गर्दन और चेहरे पर अच्‍छी तरह से लगा लें. 5 मिनट के बाद इसे ठंडे पानी से साफ कर लें. आपको चेहरे में फर्क नजर आएगा.

3. स्किन को चमकाए

यदि आपका चेहरा डल है तब इसके लिए टमाटर का जूस बनाकर उसमें चंदन पाउडर, गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें. अब इसे चेहरे पर 5 मिनट के लिए लगाएं और उसके बाद धो लें. हर दूसरे दिन इस प्रौसेस को दोहराएं. स्किन में फर्क महसूस दिखने लगेगा.

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4. मुंहासे के लिए टमाटर है इफेक्टिव 

टमाटर में नेचुरल विटामिन होते हैं जो मुंहासे कम करने में मदद करते हैं. इसके लिए सबसे पहले टमाटर का जूस निकालें और चेहरे पर लगाएं. अब इसे 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाए रखें. इसके बाद ठंडे पानी से धो लें. महीने में ऐसा 6-7 बार करें, मुंहासे में काफी फर्क आ जाएगा.

edited by- rosy

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