सहेलियां जब बन जाएं बेड़ियां

रंजना की आदतों से उस की बेटी अंजलि ही नहीं उस के पति रौनक भी कई सालों से परेशान हैं. रौनक तो उस दिन को कोसते हैं जब शादी के बाद वे रंजना को ले कर दिल्ली आए और एक ऐसी कालोनी में फ्लैट ले लिया, जहां हाई सोसाइटी की अमीर औरतें रहती हैं, जिन के पतियों को खूब ऊपर की कमाई होती है.

पतियों के पैसे पर ऐश करने वाली एक मुहतरमा रमा रंजना की पड़ोसिन है. उस के यहां रंजना किट्टी पार्टी के लिए जाती है. उस के साथ मौर्निंग वाक करती है, उस के गु्रप के साथ पिकनिक मनाती है, व्हाट्सऐप चैट करती है, शौपिंग करती है, फिल्में देखती है.

रौनक एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते हैं. वे किसी छोटे शहर में रहते तो जितनी सैलरी उन्हें कंपनी से मिलती है, उसे देखते हुए वे उस शहर के अमीरों में शुमार होते, लेकिन दिल्ली की पौश कालोनी में रह कर इस तनख्वाह में सबकुछ मैंटेन करना मुश्किल लगता है. उस पर रंजना की अपनी पड़ोसिन रमा से इस कदर दोस्ती ने उन की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं.

अगर रमा ने नई वाशिंग मशीन खरीदी है तो रंजना को भी उसी तरह की वाशिंग मशीन चाहिए. वह उस के लिए जिद्द पकड़ लेती है, भले ही घर में पहले से ही वाशिंग मशीन हो और अच्छी चल रही हो, लेकिन रमा ने नई खरीदी है तो उस में जरूर कुछ नए और बेहतर फीचर्स होंगे वरना वह क्यों पुरानी मशीन सिर्फ डेढ़ हजार में अपनी कामवाली को देती? उस की भी तो पुरानी मशीन काम कर ही रही थी.

रंजना के तर्क सुन कर रौनक अपना सिर थाम लेते हैं. कुछ दिन पहले ही रंजना ड्राइंगरूम के लिए नए परदे ले आई थी, जो काफी महंगे लग रहे थे. उन परदों से ड्राइंगरूम के लुक में खासा बदलाव आ गया, लेकिन नए और इतने महंगे परदों की क्या जरूरत थी, जब पुराने वाले अभी बिलकुल ठीक थे, खूबसूरत लगते थे और उन को लिए चंद महीने ही हुए थे? जब रौनक ने यह सवाल पूछा तो बेटी अंजलि तुनक कर बोली, ‘‘ऊपर रमा आंटी ने नए परदे लिए हैं, तो मम्मी कैसे पीछे रहतीं? जा कर उसी शोरूम से उसी तरह के परदे ले आईं.’’ रौनक ने यह सुना तो सिर धुन लिया.

सहेलियों की नकल

रंजना जैसी बहुत औरतें हैं, जो हर वक्त अपनी सहेलियों की नकल करती हैं. सहेली ने नई साड़ी ली है, तो मुझे भी वैसी ही साड़ी चाहिए. सहेली ने घर के लिए कोई लग्जरी आइटम ज्वैलरी, कौस्मैटिक्स की नई रेंज ली है, सैंडल लिए हैं, कोई पालतू जानवर लिया है, तो मुझे भी चाहिए. ऐसी औरतें उच्चवर्ग, मध्यवर्ग व निम्नवर्ग तीनों में ही मिल जाएंगी, जिन के लिए सहेलियां बेडि़यां बन चुकी होती हैं. वे इन बेडि़यों से खुद को मुक्त नहीं करना चाहती हैं. नकल और दिखावा उन की रगों में खून के साथ बहने लगा है. सहेलियां जब बेडि़यां बन जाएं तो उस से घर वालों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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हर वर्ग में यह दिक्कत

सहलियों की गिरफ्त में फंसी ये आरतें हर आयुवर्ग और आयवर्ग की होती हैं. अब निशा को ही देख लीजिए. इंटरमीडिएट में उस के सब से ज्यादा अंक बायलौजी में आए थे, लेकिन अपनी सहेली कोमल की देखादेखी उस ने बीएससी में एडमिशन न ले कर बीकौम करने की ठानी. उस के मातापिता समझाते रह गए कि जिस सब्जैक्ट में तुम सब से बेहतर हो, उसी में आगे की पढ़ाई करो, लेकिन सुननी तो सहेली की ही थी, लिहाजा कौमर्स की लाइन पकड़ ली और फर्स्ट ईयर में ही फेल हो कर बैठ गई. किसी तरह 4 साल में बीकौम पूरा किया और वह भी थर्ड डिविजन में. अब निशा का कौमर्स से मन हट चुका है और आगे क्या करना है, वह तय ही नहीं कर पा रही है.

शेफाली के लिए भी उस की 2 सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, पहली कक्षा से ग्रैजुऐशन तक तीनों साथ रहीं. साथ खातीपीती थीं, साथ शौपिंग करती थीं, साथ ही घूमने जाती थीं. शेफाली आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं थी, जितनी उस की दोनों सहेलियां थीं, लिहाजा शेफाली के हिस्से का खर्च भी कभीकभी वे दोनों ही उठा लेती थीं, लेकिन ग्रैजुएशन के बाद जब शेफाली की नौकरी लग गई, तो दोनों चाहने लगीं कि अब शेफाली भी उन्हें खिलाएपिलाए या फिल्म दिखाए. उन का मानना है कि स्कूल टाइम में या कालेज के दिनों में जब शेफाली के पास पैसे नहीं होते थे, तो वे दोनों उस के लिए खर्च करती थीं, अब शेफाली कमा रही है तो वह भी कभीकभी उन पर खर्च कर सकती है. दोनों आएदिन उस के सामने कोई न कोई फरमाइश रख देती हैं.

शेफाली के लिए अब यह दोस्ती महंगी पड़ रही है, क्योंकि उस के पिता रिटायर हो चुके हैं. उन की थोड़ी सी पैंशन घर खर्च में ही खत्म हो जाती है. ऐसे में शेफाली की कमाई का बड़ा हिस्सा उस के छोटे भाई की ट्रेनिंग के लिए जा रहा है. बचाखुचा ही वह अपने पर खर्च करती है. ऐसे में सहेलियों को घुमानेफिराने या पिक्चर दिखाने पर वह कहां से पैसे खर्च करे. शेफाली के लिए दोनों सहेलियां बेडि़यां बन गई हैं, जिन से वह मुक्त होना चाहती है. मगर कैसे, यह उसे समझ में नहीं आ रहा है.

दोस्ती का नाजायज फायदा

हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें हम अपना दोस्त बनाते हैं और जिन से हम अपने राज शेयर करते हैं, लेकिन जब ये लोग हमारा नाजायज फायदा उठाने लगें या जानेअनजाने में यूज करने लगें तो फिर यह रिश्ता बोझ बन जाता है. कई बार जब ऐसे रिश्ते मजबूरीवश टूटते हैं तो हमारा नुकसान भी करते हैं.

नेहा ने जब सुमन से दोस्ती तोड़ी तो नेहा के शादी से पहले के जीवन से जुड़े कुछ गहरे राज नेहा के पति को मालूम पड़ गए. किसी ने उन्हें फोन पर नेहा की तमाम बातें बता दीं. इन फोन कौल्स ने नेहा की जिंदगी बरबाद कर दी. आज वह तलाक के मुहाने पर खड़ी है. दोस्ती की बेड़ी तोड़ने की सजा भुगत रही है. उसे यकीन है कि उस की बीती जिंदगी से जुड़े प्रेमप्रसंग उस के पति को सुमन के द्वारा ही पता चले हैं, लेकिन अब वह क्या कर सकती है.

ध्यान रखें सहेलियां बनाएं, लेकिन उन्हें अपने जीवन में इतनी ज्यादा घुसपैठ न करने दें कि वे आप के और आप के परिवार के लिए मुसीबत बन जाएं. दोस्ती में इन बातों का खयाल रखना बहुत जरूरी है:

– सहेली से जीवन के राज शेयर न करें. कभी न कभी, कहीं न कहीं आप की बात उजागर हो ही जाएगी. अगर आप चाहती हैं कि आप की गुप्त बातें आप के साथ ही खत्म हों तो भूल कर भी उन्हें अपने मुंह से बाहर न आने दें, फिर चाहे आप के सामने आप की बचपन की पक्की सहेली ही क्यों न हो.

– सहेली के जीवन जीने के ढंग की नकल न करें. आप अपनी चादर देख कर ही अपने पैर फैलाएं. हर परिवार की अपनी आर्थिक स्थिति और जरूरतें होती हैं. इसलिए दूसरे की चीजों को देख कर अपनी आर्थिक स्थिति को डांवांडोल करना कोई समझदारी नहीं है.

– सहेली के विचारों को खुद पर कभी हावी न होने दें. आप सहेलियों से खूब बतियाएं, उन की सुनें, लेकिन अपनी बातों पर दृढ़ रहें. उन का कोई विचार अच्छा लगे तो अवश्य अपनाएं, लेकिन वे हमेशा ठीक बोलती हैं या उन की सारी बातें सही होती हैं, ऐसा सोचना गलत होगा. ऐसा सोच कर आप अपनी अहमियत को कम कर रही हैं, अपने कद को घटा रही हैं.

– सहेलियां टाइम पास करने के लिए होती हैं. जगह बदलते ही सहेलियां बदल जाती हैं, लेकिन परिवार जीवनभर साथ चलता है, इसलिए सहेलियों की संगत में ऐसा कोई

कदम न उठाएं, जिस से परिवार के लोगों को आघात पहुंचे.

– यदि सहेलियां अंधविश्वासी, किसी बाबा की भक्त, धार्मिक आयोजन करने वाली हैं तो उन से दूरी बना कर रखें, क्योंकि ये सहेलियां सुनसुन कर बहुत वाकपटु हो जाती हैं और आसपास सब को अपने बाबा या मंदिर का ग्राहक बनाने में लग जाती हैं. ये घरों तक को तुड़वा डालती हैं और फिर दोष भाग्य या कर्मों को देने लगती हैं.

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चरित्रहीन कौन: उमेश की गंदी हरकतों से क्यों परेशान थी आयुषी

Serial Story: चरित्रहीन कौन- भाग 1

पति उमेश की गंदी हरकतों से आयुषी तंग आ चुकी थी. आखिर कितनी मेड बदलेगी वह. उमेश की गंदी हरकतों से परेशान हो कर कितनी मेड काम छोड़ गईं तो कितनी को आयुषी ने खुद निकाल दिया.

आयुषी बैंक में नौकरी करती है और उमेश एलआईसी कार्यालय में है. उमेश तो घर से

10-11 बजे निकलता है, पर आयुषी को घर से जल्दी निकलना पड़ता है. उन के 2 बच्चे हैं- बेटी पावनी 11 साल की और बेटा सनी 7 साल का.

आयुषी दोनों बच्चों को स्कूल भेज उमेश का लंच पैक कर बाकी का काम बाई पर छोड़ तैयार हो कर बैंक निकल जाती. उसे हमेशा यही डर सताता है कि पता नहीं उस के पीछे उमेश और बाई कहीं कुछ…

कितनी बार आयुषी ने उमेश को अखबार की ओट से बाई को गंदी नजरों से घूरते देखा है. अब झाड़ूपोंछा लगाते वक्त किसी के भी कपड़े अस्तव्यस्त हो ही जाते हैं. इस का यह मतलब तो नहीं है कि कोई उसे गंदी नजरों से घूरे. ऐसे में कोई भी बाई असहज हो जाएगी. आयुषी ऐसे ही पति पर शक नहीं कर रही थी.

‘‘नंदा, मैं औफिस जा रही हूं. तुम काम खत्म कर के चली जाना… और हां फ्रिज में कुछ खाने का सामान रखा है उसे लेती जाना,’’ कह एक दिन आयुषी औफिस चली गई.

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आयुषी थोड़ी दूर ही पहुंची थी कि उसे याद आया कि वह अपनी दराज की चाबी भूल आई. उस ने तुरंत स्कूटी घर की तरफ घुमाई. घर की दूसरी चाबी आयुषी के पास रहती थी. अत: वह दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर गई उस के पैर वहीं ठिठक गए. उमेश और नंदा दोनों आयुषी के बैड पर एकदूसरे से लिपटे थे.

आयुषी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था. बाई तो भाग गई… उमेश हकलाते हुए कहने लगा, ‘‘आयुषी मैं नहीं वही जबरदस्ती करने…’’

आयुषी ने बिना उमेश की पूरी बात सुने एक जोरदार थप्पड़ उस के गाल पर दे मारा और फिर कहने लगी, ‘‘शर्म नहीं आती तुम्हें झूठ बोलते हुए… बिना तुम्हारी मरजी के वह और तुम… छि… छि:…,’’ कह आयुषी अपने आंसू पोंछते हुए आगे बोली, ‘‘उस दिन को कोसती हूं मैं, जिस दिन मेरी तुम से शादी हुई थी.’’

आयुषी औफिस तो चली गई, पर अपनी तबीयत खराब होने का बहाना कर तुरंत घर आ गई. पूरा दिन और रात वह सिसकती रही. किसी से कुछ नहीं कहा. न ही अपने बच्चों को इस बारे में कुछ पता लगने दिया. वह सोचने लगी कि कभी बच्चों को अपने पापा की इन गंदी हरकतों का पता चला, तो दोनों नफरत करेंगे उन से… उमेश की तो अब हिम्मत ही नहीं थी कि वह आयुषी के सामने जाए.

आयुषी बच्चों को सुबह स्कूल भेज कर घर का सारा काम खत्म कर औफिस चली जाती थी. कोई भी कामवाली सुबह आने को तैयार नहीं थी. सब यही कहतीं कि 9 बजे के बाद ही आ सकती हैं. आयुषी का मन तो करता कि नौकरी छोड़ दे, पर बच्चों के स्कूल और पढ़ाई पर जो मोटा पैसा खर्च होता है वह कहां से आएगा. आसमान छूती महंगाई के युग में एक की कमाई से घर चलाना संभव नहीं था.

एक बाई आई भी, पर कुछ दिन काम कर के छोड़ गई. वही बात सुबह 8 बजे नहीं आ सकती. आयुषी की तो कमर जवाब देने लगी थी. आखिर वह घरबाहर कितना करेगी.

आयुषी ने अपनी सहेली वैशाली से बाई के बारे में पूछने के लिए फोन किया, तो उस ने बताया, ‘‘हां एक बाई आती तो है मेरे घर काम करने, पर वह थोड़ी बूढ़ी है. अगर तुम कहो तो भेज देती हूं.’’

वैशाली की बात सुन कर आयुषी खुश हो गई, उसे यही तो चाहिए था. वह मन ही मन मुसकराई कि उमेश अब बूढ़ी औरत को क्या घूरेगा.

कांता बाई दूसरे दिन से ही काम पर आने लगी. अब आयुषी को कोई फिक्र नहीं थी. सब कुछ सुचारु रूप से चल रहा था.

कांता बाई 2-3 दिनों से नहीं आ रही थी, वैशाली से पता चला कि उस की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए कुछ दिनों बाद आएगी. सुन कर आयुषी के पसीने छूट गए.

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कांता बाई एक रोज किसी और को ले कर आई और कहने लगी, ‘‘मैडमजी, यह मेरी बहू है रूपा. अब से यही आप के घर काम करेगी.’’

‘‘कांता बाई जब आप की तबीयत ठीक हो जाएगी तब तो आओगी न काम पर?’’ आयुषी ने पूछा.

‘‘मैडमजी अब मुझ से काम नहीं होता है… गठिया की शिकायत है मुझे. काम करती हूं तो दर्द और बढ़ जाता है. मगर आप चिंता न करो मेरी बहू मुझ से भी अच्छा काम करेगी,’’ कांता बाई ने कहा.

आयुषी ने हां तो कह दी पर फिर वही शर्त कि सुबह 8 बजे आना पड़ेगा. रूपा मान गई.

रूपा काम तो अच्छा करती थी, पर आयुषी को डर लगा रहता था कि उमेश की गंदी नजर कहीं रूपा पर भी न पड़ जाए. रूपा थी भी बहुत खूबसूरत और फिर उम्र भी ज्यादा नहीं थी. यही कोई 22-23 साल. आयुषी के सामने ही वह काम कर के चली जाती थी.

आयुषी रविवार के दिन रूपा से खाना बनाने में भी मदद ले लिया करती थी. रूपा का व्यवहार भी अच्छा था. आयुषी हमेशा उसे कुछ न कुछ दे देती थी. जैसे पुराने सलवारसूट, चूडि़यां, बिंदी, लिपस्टिक आदि. रूपा भी बहुत खुश रहती थी. आयुषी को वह अब मैडमजी नहीं, दीदी कह कर बुलाने लगी थी.

आयुषी ने जब एक दिन रूपा से पूछा कि तुम्हारा पति क्या करता है, तो बोली, ‘‘दीदी, मेरा मर्द मजदूरी करता है. हमारी शादी के अभी 2 साल ही हुए हैं.’’

रूपा अपने मायके, ससुराल, नातेरिश्तेदारों सब के बारे में बताती रहती थी. आयुषी अब रूपा पर भरोसा करने लगी थी, परंतु उसे अपने पति पर कतई भरोसा न था.

रूपा को आयुषी के घर काम करते हुए करीब 7 महीने हो चुके थे. अब तो रूपा कभीकभार लेट भी आती, तो आयुषी कुछ नहीं कहती थी. उसे लगता था कि अगर रूपा ठीक है, तो उमेश कुछ नहीं कर सकता है.

रूपा अब बड़े सलीके से सजधज कर रहने लगी थी. आयुषी ने एक दिन पूछ ही लिया, ‘‘रूपा, आज तो तुम बहुत अच्छी लग रही हो और यह तुम्हारा सलवारसूट भी. कहां से खरीदा? बहुत ही सुंदर रंग है.’’

रूपा कहने लगी, ‘‘दीदी, मेरी मां ने दिया था.’’

रूपा का चेहरा कुछ दिनों से बड़ा ही खिलाखिला सा लगने लगा था. आयुषी ने पूछा भी, ‘‘रूपा आजकल बड़ी खुश नजर आ रही है… कोई बात है क्या?’’ तब रूपा ने मुसकरा कर कहा, ‘‘नहीं दीदी.’’

रूपा कुछ महीनों से काम करने लेट से आने लगी थी. पूछने पर कहने लगी ‘‘मेरी सास बीमार हैं, इस कारण देर हो जाती है,’’

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Serial Story: चरित्रहीन कौन- भाग 3

उमेश कहने लगा, ‘‘झूठ बोल रही है वह औरत. एक रोज मुझ से ही पैसा मांगने लगी कि मेरी सास बीमार है, डाक्टर को दिखाना है. मुझे दया आ गई तो दे दिए, फिर तो वह हमेशा पैसे की मांग करने लगी. तब मैं ने मना कर दिया. शायद इसलिए मुझ पर गंदा इलजाम लगा रही है,’’ सफाई देते हुए उमेश ने कहा, पर उस के चेहरे से झूठ साफ झलक रहा था.

‘‘कांता बाई तो अपनी बहू का गर्भपात भी कराने गई थी, लेकिन डाक्टर ने यह कह कर मना कर दिया कि समय ज्यादा हो गया है, जान को खतरा हो सकता है फिर अब तो एक जांच से पता चल जाता है कि बच्चे का बाप कौन है,’’ अपनी नजरें उमेश पर गड़ाते हुए आयुषी ने कहा.

‘‘मुझे ये सब क्यों सुना रही हो? मैं ने कहा न कि मैं ने कुछ भी नहीं किया… बारबार मुझे ये बातें न सुनाओ,’’ उमेश ने अपनी नजरें चुराते हुए कहा.

आयुषी रात भर करवटें बदलती रही. देखा तो उमेश भी नहीं सोया था. आयुषी को अपने दोनों बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे.

दोनों बच्चों को स्कूल भेज कर और उमेश के औफिस जाने के बाद आयुषी ने कांता बाई के घर का रुख किया.

‘‘कांता बाई, क्या मैं अंदर आ सकती हूं?’’ बाहर से ही आयुषी ने आवाज देते हुए कहा.

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कांता बाई आयुषी को अंदर अपनी कोठरी में ले गई.

आयुषी ने कहा, ‘‘रूपा अगर तुम सब सचसच बताओगी, तो मैं तुम्हारी मदद करने को तैयार हूं.’’

‘‘दीदी, पहले तो आप मुझे माफ कर दो.’’

आयुषी ने कहा, ‘‘हां कर दिया. अब बोलो.’’

‘‘आप को याद होगा, जब मैं पहली बार आप के घर लेट आई थी… जैसे ही मेरा काम खत्म हो गया और मैं अपने घर जाने लगी, तो साहब ने कहा कि 1 कप चाय बना दो, फिर चली जाना. चाय दे कर मैं जाने लगी, तो वे बोले कि रूपा थोड़ी देर बैठो. फिर मेरी बनाई चाय की तारीफ करने लगे. फिर कहने लगे कि तुम्हारी दीदी (यानी आप) इतनी अच्छी चाय नहीं बना पाती है. चाय क्या उस के बनाए खाने में भी स्वाद नहीं होता है. फिर कहने लगे कि मैं आप को कुछ न बताऊं. वे अब रोज मेरी तारीफ करने लगे,’’  बोलतेबोलते रूपा चुप हो गई.

रूपा फिर कहने लगी, ‘‘साहब ने एक रोज मुझ से कहा कि तुम्हारा पति यहां नहीं है, तो तुम्हारा कभी मन नहीं करता है?’’

उन की नजरों और उन की कही बातों को मैं समझ गई. फिर कहने लगे, ‘‘देखा रूपा, यह कोई शर्म की बात नहीं है. यह तो शरीर की जरूरत है और सभी को चाहिए ही… तुम्हारी दीदी तो मेरे साथ बैठना भी पसंद नहीं करती है.’’

‘‘साहब रोज मुझे पैसे पकड़ा देते थे… कहते थे कि अपनी दीदी को कुछ न बताना… कभी भी किसी चीज या पैसे की जरूरत हो तो मुझ से मांग लेना. बिलकुल संकोच मत करना… तुम जरा लेट ही काम करने आया करो… इसी बहाने तुम्हारे हाथों की बनी चाय पीने को मिल जाया करेगी…

साहब की सारी बातें मुझे सच्ची लगने लगी थीं और रूपा की आंखों से आंसू बह निकले.

आयुषी ने कहा, ‘‘आगे क्या हुआ वह बताओ.’’

‘‘मैं साहब की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गई और फिर… मुझे माफ कर दो दीदी, मुझे नहीं पता था कि इस का अंजाम ये सब होगा,’’ कह कर रूपा फफकफफक कर रो पड़ी.

‘बेचारी, अभी इस की उम्र ही क्या है?’ आयुषी सोचने लगी.

‘‘मैडमजी, कल साहब भी आए थे. माफी मांग रहे थे. कहने लगे कि वह एक डाक्टर को जानते हैं और फिर मुझे वहां ले गए. मगर डाक्टर ने गर्भपात करने से यह कह कर मना कर दिया कि मेरी जान को खतरा है. साहब उसे पैसों का लालच भी देने लगे कि डाक्टर आप आराम से सोचना, हम परसों फिर आएंगे.’’

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‘‘रूपा, तुम कल जाओ, मैं भी पीछे से आती हूं… साहब को मत बताना कि तुम ने मुझे कुछ बताया है,’’ रूपा को समझा कर आयुषी अपने घर वापस आ गई.

‘‘उमेश, सुबह औफिस की कह कर घर से जल्दी निकल गया. आयुषी तो इसी ताक में थी. उस ने उमेश का पीछा किया. देखा तो उमेश ने अपनी गाड़ी एक क्लीनिक के पास रोक दी. रूपा वहां पहले से खड़ी थी. जैसे ही दोनों क्लीनिक के अंदर गए, आयुषी भी उन के पीछे चल पड़ी.

‘‘मैं ने आप को पहले भी कहा था कि यह गर्भपात अब नहीं हो सकता है… इन की जान को खतरा है,’’ डाक्टर उमेश से कह रहा था.

आयुषी दंग थी कि उमेश पहले भी रूपा को यहां ले कर आ चुका है गर्भपात करवाने और मुझे बेवकूफ बना रहा था कि उस ने कुछ नहीं किया है.

‘‘डाक्टर, आप जितना पैसा कहेंगे दूंगा, पर आप को यह गर्भपात किसी भी तरह करना ही पड़ेगा,’’ उमेश गिडगिड़ाते हुए डाक्टर से कहे जा रहा था.

पैसा है ही ऐसी चीज कि पाप भी पुण्य लगने लगता है. अत: डाक्टर रूपा का गर्भपात करने के लिए तैयार हो गया. आयुषी अब अपनेआप को नहीं रोक पाई. नर्स रोकती रही, वह दनदनाते हुए क्लीनिक के अंदर चली गई.

आयुषी को देखते ही उमेश के पसीने छूटने लगे और डाक्टर कहने लगा, ‘‘कौन हैं आप? ऐसे बिना परमिशन के अंदर कैसे आ गईं?’’

‘‘जैसे आप बिना परमिशन के एक औरत का गर्भपात करने जा रहे हैं डाक्टर. क्या आप को पता है कि इस का अंजाम क्या होगा?’’ आयुषी ने गुस्से में कहा.

डाक्टर, तुरंत गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘मुझे माफ कर दो मैडम… मैं तो कब से इस आदमी को यही समझाने की कोशिश कर रहा हूं, पर…’’

उमेश भी कहने लगा, ‘‘आयुषी, इस में मेरी कोई गलती नहीं है. यह चरित्रहीन औरत है. मैं तुम्हें बताने ही वाला था कि इस ने मुझे कैसे…?’’

उमेश की बात पूरी होने से पहले ही आयुषी ने एक जोरदार तमाचा उमेश के गाल पर जड़ दिया, ‘‘चुप एकदम चुप… अब और नहीं… छल, फरेब, धोखेबाजी सब कुछ तो तुम में भरा पड़ा है… चरित्रहीन रूपा नहीं तुम हो तुम. तुम ने इस की गरीबी का फायदा उठाया है… अब इस का अंजाम भी तुम्हीं भुगतोगे.’’

‘‘आयुषी, मुझे माफ कर दो. अब कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा… अंतिम बार मेरा भरोसा कर लो,’’ उमेश ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘भरोसा और तुम्हारा? वह तो इस जन्म में नहीं होगा… अपनी गलती को सुधारने का एक ही उपाय है कि इस बच्चे को अपना नाम दे दो वरना उम्र भर सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाओ,’’ आयुषी ने दोटूक शब्दों में कहा.

फिर वह थोड़ा रुक कर बोली, ‘‘अब मैं जो कह रही हूं वह करो. तुम इस बच्चे को अपना लो. यही एक रास्ता है तुम्हारे पास.’’

दोनों ने सहमति से तलाक लिया और उमेश रूपा को ले कर एक कमरे के मकान में रहने लगा. आयुषी को पता चला कि रूपा अब ठाट से रहती है और उमेश का सारा पैसा ऐंठ लेती है.

एक रोज सुबह दरवाजे पर खटखट हुई. देखा बढ़ी दाढ़ी, बिखरे बालों वाला एक आदमी खड़ा था.

‘‘आयुषी मैं उमेश, तुम्हारा गुनाहगार…’’

इस से पहले कि वह कुछ और कहता, आयुषी गरज उठी, ‘‘तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे दरवाजे पर आने की… चले जाओ यहां से. न मैं और न ही मेरे बच्चे तुम्हारी सूरत देखने को तैयार हैं.’’

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उमेश गिड़गिड़ाया, ‘‘आयुषी रूपा गली के एक ड्राइवर के साथ भाग गई. वह मेरा पैसा भी ले गई. अब तुम्हीं मेरा आसरा हो. प्लीज मुझे माफ कर दो.’’

आयुषी ने बेरुखी से दरवाजा बंद कर दिया पर घंटे भर तक वह दरवाजे पर ही सिसकती रही. उमेश से कभी वह कितना प्यार करती थी. आज वह धोखेबाज गिड़गिड़ा रहा है. पुराने प्यार का हवाला दे रहा है पर वह कुछ नहीं कर सकी. बच्चों से भी नहीं कह सकती कि उन का पिता आया था. यह जहर तो उसे अकेले ही पीना होगा.

Serial Story: चरित्रहीन कौन- भाग 2

आयुषी कुछ नहीं कहती, उस पर घर छोड़ कर औफिस चली जाती थी. आयुषी को इस बात की हैरानी होती थी कि उमेश इतना कैसे सुधर गया, रूपा उसे चाय देने भी जाती, तो नजर उठा कर भी नहीं देखता है. आयुषी को लगा कि शायद उसे उस दिन का थप्पड़ याद है और फिर मुसकरा उठी.

रूपा को काम पर न आए आज हफ्ता हो गया. आयुषी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, किस से पूछे कि रूपा क्यों नहीं आ रही है. फिर याद आया कि वैशाली से पूछती हूं.

वैशाली ने कहा कि उस के घर भी रूपा कई दिनों से नहीं आ रही है. उस ने यह भी कहा कि रूपा का घर आयुषी के घर से थोड़ी दूर पर ही है. जा कर पूछ ले. आयुषी को लगा कि वैशाली सच कह रही है. उसे जा कर देखना चाहिए कि क्यों नहीं आ रही है और वह काम पर आएगी भी या नहीं.

संकरी सी गली में 1 कमरे का घर, 1 खटिया पर कांता बाई लेटी थी. बाहर से ही सब दिख रहा था.

‘‘कांता बाई,’’ आयुषी की आवाज सुनते ही कांता बाई बाहर आ गई.

‘‘रूपा कई दिनों से नहीं आ रही है, तो देखने आ गई, तबीयत तो ठीक है न उस की? आयुषी ने कांता बाई से पूछा.

कांता बाई अपना सिर पीटते हुए कहने लगी, कर्मजली मर जाए तो अच्छा है.’’

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‘‘कांता बाई ऐसा क्यों कह रही… कोईर् बात हो गई क्या?’’ आयुषी ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘मैडमजी, तो और मैं क्या बोलूं?’’ पता नहीं ये कलमुंही कहां से अपना मुंह काला करवा कर आई है… किस का पाप अपने पेट में लिए घूम रही है… यह देखने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई. अपने बेटे को क्या जवाब दूंगी. कांता बाई ने बिलखते हुए कहा.

‘‘आप को अपने बेटे को क्यों जवाब देना पड़ेगा… रूपा के पेट में तो आप के बेटे का ही बच्चा…’’

कांता बाई बीच में ही बोल पड़ी, ‘‘मेरा बेटा तो साल भर से गुजरात में है. वहां कमाने गया है, तो उस का बच्चा कैसे हो सकता है मैडमजी?’’

आयुषी को जोर का झटका लगा. वह रूपा से मिले बिना ही घर आ गई. उस ने तो रूपा को एक अच्छी और सुलझी हुई औरत समझा था, पर वह तो चरित्रहीन निकली.

आयुषी को यह भी डर सताने लगा कि पता नहीं रूपा किस के बच्चे की मां बनने वाली है. कहीं मेरे पति? फिर अपने दिमाग को झटका देती हुई अपनेआप को ही समझाने लगी कि नहींनहीं ऐसा कैसे हो सकता है. रूपा तो मेरे सामने ही रोज काम कर के चली जाती थी. हां कुछ दिन लेट आई थी, पर उमेश तो उसे देखता भी नहीं था… फिर वह तो कितने घरों में काम करती है… कोई भी हो सकता है. मगर आयुषी को अंदर ही अंदर कोई अनजाना डर सताने लगा था.

आयुषी को यह भी समझ नहीं आ रहा था कि दूसरी बाई कहां से ढूंढ़ेगी और अगर मिल भी गई तो फिर वह कैसी होगी? ये सब सोचसोच कर ही आयुषी का दिमाग चकराने लगता था. उसे अब बाई के नाम से ही डर लगने लगा था.

आयुषी ने औफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले ली, क्योंकि घर और बाहर दोनों जगह काम करना उस के लिए मुश्किल हो गया था.

आयुषी को काम करते देख कर एक दिन उमेश ने कहा, ‘‘लगता है तुम्हारी बाई भाग गई.’’

आयुषी ने कहा, ‘‘उस की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए नहीं आ रही है.’’

‘‘अरे, यह तबीयत खराब तो एक बहाना है पैसे बढ़वाने का. जानती है कि तुम औरतों का उस के बिना काम नहीं चलने वाला, इसलिए नखरे दिखाती है,’’ एक कुटिल मुसकान के साथ उमेश ने कहा.

‘‘जब तुम्हें कुछ पता नहीं है, तो बकबक क्यों करते हो?’’ आयुषी ने उमेश को झिड़कते हुए कहा, लेकिन उमेश को टटोलना भी था कि कहीं रूपा की इस हालत का जिम्मेदार उमेश तो नहीं है.

‘‘कांता बाई कह रही थी कि रूपा पेट से है, पर ताज्जुब की बात है कि उस का पति साल भर से उस से दूर है… फिर वह पेट से कैसे रह गई? खैर, जो भी हो पर कांता बाई तो रोरो कर कह रही थी कि जिस ने भी उस की बहू के साथ यह कुकर्म किया, उसे वह छोड़ेगी नहीं… यह भी कह रही थी कि पुलिस को सच बता देगी,’’ आयुषी उमेश को देख कर बोल रही थी और उस का चेहरा भी पढ़ने की कोशिश कर रही थी.

‘‘तो तुम मुझे क्यों सुना रही हो?’’ हकलाते हुए उमेश ने कहा, ‘‘और वैसे भी आज मुझे जल्दी औफिस के लिए निकलना है, तो नाश्ता लगा दो,’’ उमेश अपनेआप को ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहा था कि ये फालतू की बातों से उसे क्या लेनादेना. मगर आयुषी को उमेश पर शक होने लगा था.

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आयुषी सोचने लगी कि रूपा ही बता सकती है कि कौन है वह इंसान, जिस ने उस के साथ ये सब किया. पर मैं क्यों पूछूं. कहीं उस ने उमेश पर ही झूठा इलजाम लगा दिया तो? आयुषी मन ही मन बड़बड़ा रही थी.

कांता बाई को अचानक अपने घर आए देख कर आयुषी डर गई. बोली, ‘‘क्या बात है कांता बाई?’’

‘‘मैडमजी, मैं ने अपनी बहू को बहुत मारापीटा कि बताओ कौन है इस का जिम्मेदार वरना तुझे तेरी मां के घर भेज दूंगी.’’

आयुषी के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. बोली, ‘‘तो मुझे क्यों सुना रही हो कांता बाई?’’ फिर एक सवालिया नजरों से वह कांता बाई को देखने लगी.

‘‘मैडमजी, मुझे माफ कीजिए पर रूपा ने आप के साहब का ही नाम बताया.’’

‘‘कांता बाई, पागल हो गई हो क्या, जो ऐसी बातें कर रही हो… और आप की बहू… उसे मैं ने क्या समझा था और क्या निकली… किसी और का पाप मेरे पति के सिर मढ़ने की कोशिश कर रही है,’’ आयुषी ने तैश में आते हुए कहा.

‘‘मैडमजी, मैं झूठ नहीं बोल रही हूं. रूपा ने जो कहा वही बता रही हूं और मैं उसे डाक्टर के पास भी ले कर गई थी गर्भपात करवाने, पर डाक्टर ने कहा कि अब गर्भपात नहीं हो सकता है. टाइम ज्यादा हो गया है. आप ही कुछ करो मैडमजी, नहीं तो मुझे सब को आप के पति की करतूत बतानी पड़ेगी,’’ एक तरह से कांता बाई ने धमकी देते हुएकहा. वह भी बेचारी क्या करती. जो उसे समझ आया कह कर चली गई.

कांता बाई तो चली गई, पर आयुषी को ढेरों टैंशन दे गई. अपने पति का चरित्र तो उसे पहले से पता था. बेशर्म कहीं का… सुधरने का ढोंग कर रहा था… और मेरे पीछे छि: अपना ही सिर पकड़ कर आयुषी चीखने लगी कि अब क्या करूं.

जब शाम को उमेश घर आया तो आयुषी ने उसे कांता बाई की कही सारी बातें बता दीं.

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कुमकुम भाग्य: Death सीन के लिए प्रज्ञा के अभि ने खुद किया ये खतरनाक स्टंट

ज़ी टीवी का लोकप्रिय फिक्शन शो, कुमकुम भाग्य अपने आकर्षक कथानक और अभि (शब्बीर अहलूवालिया), प्रज्ञा (सृति झा), रिया (पूजा बनर्जी), रणबीर (कृष्णा कौल) और प्राची (मुग्धा चापेकर) जैसे कैरेक्टर्स के साथ दर्शकों का पसंदीदा रहा है. अभि और प्रज्ञा की प्रेम कहानी ने दर्शकों का छह साल तक मनोरंजन किया है और हाल ही में उनके शादी के सीक्वेन्स ने सभी को एक्साइटमेंट को बढ़ा दिया है. हालांकि, ऐसा लगता है कि शो के फैंस को एक बड़ा झटका लगनेवाला है.

दरअसल, अभि को शो में आने वाले मोड़ पर गोली मार दी जाएगी और वह एक चट्टान से गिरते हुए दिखाई देगा. इस टीवी के सुपरस्टार के प्रशंसकों को यह जानकर खुशी होगी कि उनके पसंदीदा शब्बीर ने अपनी मौत के सीक्वेन्स के लिए एक साहसी स्टंट पूरी एलान के साथ किया!

 

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अपकमिंग एपिसोड में, हम गुंडों को अभि और प्रज्ञा का पीछा करते हुए देखेंगे, वे उनसे बच तो जाएंगे लेकिन बदमाशों की गाड़ी इन दोनों की गाड़ी से टकरायेगी और ये नवदांपत्य बेहोश हो जाएंगे. होश में आने के बाद, वे भागने की कोशिश करेंगे, लेकिन अभि को गोली लग जाएगी, जिसके बाद वह एक चट्टान से गिर जाएगा. यह डेयरडेविल स्टंट शब्बीर ने खुद किया. हां, शॉट के लिए ऊंचाई से कूदने के दौरान उनके पास सुरक्षा के साधन थे, लेकिन उन्होंने स्टंट को जिस तरह से पूरा किया वह उल्लेखनीय है. ये अनुभवी अभिनेता ये स्टंट करते हुए बिलकुल शांत थे और पहले ही टेक में उन्होंने सही शॉट दिया.

 

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स्टंट के बारे मेंबात करते हुए, शब्बीर ने कहा, “जब मेकर्स ने मुझे उस सीक्वेन्स के बारे में बताया, जहां अभि को गोली मार दी जाती है और वह एक चट्टान से गिर जाता है, तो मैं वास्तव में सोच रहा था कि इस तरह का एक्शन से भरपूरसीक्वेन्स करना बहुतही मजेदार होगा. मुझे शॉट के लिए ऊंचाई से कूदना पड़ा. निर्माताओं ने मेरे शूटिंग से पहले सभी सुरक्षा उपकरणों का प्रबंध किया था. पूरा स्टंट कोरियोग्राफ करने के बाद, मैंने शॉट दिया और अब मेरे सभी प्रशंसक इस स्टंट को शो पर देखें इस के लिए मैं एक्साइटेड हूं.“

जब अभि को उसकी ऑनस्क्रीन मौत और क्या शो पर उसका ट्रैक खत्म हो गया है इस बारे में पूछा गया, तो शब्बीर ने कहा, “मैंने अभि के इस किरदार को छह साल तक जिया है और अब मैं एक सीक्वेन्स शूट कर रहा हूं, जहां उसे गोली मार दी गई है और वो मर चुका है. आगे अभि का क्या होता है यह देखने के लिए हमारे दर्शकों को इंतजार करना पड़ेगा. सबसे रोमांचक मोड़ लेकर कुमकुम भाग्य की कहानी ने हमेशा अपने दर्शकों को उत्सुक रखा है.“

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अभि को गुंडों द्वारा गोली लगने के बाद, आगे क्या होगा? क्या वे प्रज्ञा को भी मार देंगे? या कहानी में कुछ नया मोड़ है?

नैतिकता पर भारी पंडेपुजारी

पहले औरतों को इस तरह विवश कर दो कि वे समाज के तथाकथित नैतिकता के मानदंडों के खिलाफ जाने को मजबूर हो जाएं और फिर उन पीडि़ताओं को ही अपराधी मान लो कि वे तो गंदी मछलियां हैं, जो शुद्ध पानी को खराब कर रही हैं. चेन्नई में इंडोनेशियाई लड़की को 2 साल पहले गिरफ्तार कर लिया गया कि वह एक स्पा में काम कर रही है और इम्मोरल ट्रैफिकिंग ऐक्ट में बंद कर दिया. 26 दिनों की कैद के बाद इंडोनेशिया सरकार के दखल पर उसे रिहा कर दिया गया, क्योंकि वह वैलिड डौक्यूमैंटों से काम कर रही थी.

वह कमजोर भारतीय पाखंडों की मारी नारी नहीं थी. अत: उस ने पुलिस इंस्पैक्टर के. नटराजन को कोर्ट में घसीट लिया और चेन्नई उच्च न्यायालय ने इंस्पैक्टर पर क्व25 लाख का जुरमाना भी ठोंक दिया, जो उस की सैलरी से काटा जाना चाहिए.

इंस्पैक्टर एक तो पुरुष और ऊपर से खाकी वरदी वाला सरकार का प्रतिनिधि, वह भला क्यों जुरमाना भरेगा. अत: उस ने अपील की और स्टे ले लिया.

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अब यह इंडोनेशियाई लड़की सुप्रीम कोर्ट में है कि हाई कोर्ट की डबल बैंच का स्टे गलत है. सुप्रीम कोर्ट तक आने में उस ने कितना पैसा खर्च कर दिया होगा, यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. विशुद्ध पाखंडों की मारी भारतीय नारी तो इस अत्याचार को पिछले जन्मों का पाप समझ लेती पर यह बहादुर लड़की, जो इंडोनेशिया से भारत कुछ कमाने आई है, अभी हार मानने को तैयार नहीं है.

यहां के धर्म के दुकानदारों ने जनमानस के मन में यह बैठा रखा है कि चीनी जैसी दिखने वाली सभी लड़कियों का कैरेक्टर ढीला होता है. मणिपुर, मिजोरम, नेपाल, अरुणाचल प्रदेश आदि की भारतीय लड़कियों को भी छोड़ा नहीं जाता और उन्हें दलितों की तरह बिकाऊ मान कर चलना आम बात है. ये लड़कियां वास्तव में अपने अधिकार आम भीरु, डरपोक औरत, चाहे वह धन्ना सेठ की बेटी या बीवी ही क्यों न हो, से ज्यादा अपने अधिकारों को जानती हैं.

इंडोनेशिया जैसे मुसलिम देश में पाकिस्तानी और पश्चिमी एशिया जैसा इसलाम नहीं है. वहां काफी छूट है पर धर्म के दुकानदार औरतों को बंद कर के आदमियों को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं.

औरतों पर इस तरह का लूज कैरेक्टर का आरोप लगा कर असल में मर्दों को छूट दी जाती है कि वे उन से जब चाहें सैक्स कर लें, पत्नी बना कर खाना बनवा लें, बच्चे पैदा करने की मशीन बना लें, घर की लीपापोती की चौकीदारी करवा लें. बदले में धर्म आदमी की आय का मोटा हिस्सा लेता है और उन्हें धर्म के नाम पर मरनेमारने को तैयार करता है. शासक धर्म को समर्थन देते हैं, क्योंकि तभी उन्हें वे सैनिक मिलते हैं, जो बिना कारण किसी को भी शासक के कहने पर दुश्मन मान कर उस की हत्या करने को तैयार हो जाते हैं और इस चक्कर में खुद भी चाहे मर जाते हैं.

नैतिकता का जितना ढोल पीटा जाता है वह धर्मों के दुकानदारों द्वारा पीटा जाता है, जबकि वाराणसी, उज्जैन जैसी धर्म की बड़ी मंडियां औरतों के बाजारों की मंडियां भी हैं. धर्म को औरतों की रक्षा और नैतिकता की चिंता कभी होती तो न चुड़ैलें, डायनें होतीं, न विधवाओं को सिर मुंडवा कर व सफेद कपड़ों में रहना होता, न सतीप्रथा होती और न औरतें संपत्तिविहीन होतीं. नैतिकता का हनन करने का दोषी अगर कोई है तो वह औरत नहीं जो 4 पैसों के लिए कपड़े उतारती है, वह मर्द है जो 4 पैसे देता है कि औरत कपड़े उतारे.

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इम्मोरल ट्रैफिकिंग ऐक्ट में वैसे यह बात कुछ हद तक मापी गई पर जमीनी हकीकत यही है कि औरतों के अपहरण, रेप, वेश्यावृत्ति, अश्लील फिल्मों सब के लिए दोषी पुलिस औरतों को भी मानती है.

सुप्रीम कोर्ट ने यदि कोई अच्छा निर्णय दे भी दिया तो उसे कभी लागू नहीं किया जाएगा. लागू करने की ताकत तो शासकों की पोशाक पहने धर्म के दुकानदारों और उन के रक्षकों के हाथ में ही है. 33 जजों का सुप्रीम कोर्ट चाहे जो कहता रहे 3 करोड़ पंडेपुजारी उन पर भारी पड़ेंगे. वे भी औरतों से खानापीना और शारीरिक सुख पाते हैं न, बिना नैतिकता खोए, बिना कोई कीमत चुकाए.

काव्या से शादी करेगा वनराज तो अनुपमा लेगी ये फैसला

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ बच्चों के लिए अनुपमा और वनराज साथ आ गए हैं. तो वहीं काव्या नई चाल चलने के लिए तैयार बैठी है. वहीं इन सब ट्विस्ट के चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. लेकिन अब शो की कहानी में नया मोड़ आने वाला है जहां वनराज और अनुपमा की राहें जुदा हो जाएंगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

 पाखी के कारण आएंगे साथ

अब तक आपने देखा कि वनराज और अनुपमा तलाक लेने के लिए अपना कदम आगे बढ़ा चुके हैं. लेकिन इन सब के बीच पाखी डिप्रेशन का शिकार होती नजर आ रही है, जिसके कारण अनुपमा और वनराज परेशान दिख रहे हैं. वहीं माता-पिता होने के नाते  दोनों अपने बच्चों के लिए साथ होते दिखेंगे. इसी दौरान वनराज अपने परिवार के साथ अपना जन्मदिन मनाएगा. वहीं काव्या (Madalasa Sarma) को ये बात परेशान करेगी कि वह उसे बार-बार इग्नोर कर रहा है.

 

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वनराज का बर्थडे खराब करेगी काव्या

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज को अपने परिवार और अनुपमा के साथ बर्थडे सेलिब्रेट करते देख काव्या का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा, जिसके कारण वह वनराज को लाइन पर लाने के लिए उसके जन्मदिन को बर्बाद करने की प्लानिंग करती दिखेगी. हालांकि वनराज, काव्या को पसंद करता है लेकिन वह अपने घरवालों का दिल तोड़कर उससे शादी नहीं करना चाहता है. इसी के चलते काव्या एक नया कदम उठाती दिखेगी और वनराज के घरवालों को अपनी शादी के बारे में बताएगी, जिसे सुनकर सभी हैरान हो जाएंगे.

 

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अनुपमा कहेगी ये बात

 

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वनराज और काव्या की शादी की बात सुनने का बाद जहां पूरा परिवार नाराज नजर आएगा तो वहीं अनुपमा, बा से काव्या को अपनाने की बात कहेगी. साथ ही यह भी कहेगी कि जैसे उसे शाह परिवार ने अपनाया है वैसे ही काव्या को भी उसका हक देदें. अब इस फैसले के बाद काव्या का रिएक्शन क्या होगा. जानना दिलचस्प होगा.

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ये 5 गलतियां करती हैं रिश्तों को कमजोर

रिश्ते बनाना तो बहुत आसान होता है लेकिन उन्हें संभालना मुश्किल होता है. एक अच्छे रिश्ते का मतलब केवल फूल देना और अच्छी जगह पर डिनर करना नहीं होता है. वैसे तो बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें करने से आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं लेकिन ऐसी कुछ गलतियां है जो आपको एक सीरियस रिलेशनशिप में भूल कर भी नहीं करनी चाहिए. अगर आप अपने रिश्ते के बौन्ड को और मजबूत बनाना चाहते हैं तो इन 5 गलतियों से जरूर बचे.

1. रोमांस में कमी

एक समय पर आप संतुष्ट हो जाते हैं और भूल जाते है कि रिश्ते में प्यार और रोमांस भी जरुरी है. ऐसा माना जाता है की प्यार दिखाया नहीं समझा जाता है. अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो वो इंसान खुद ही आपके प्यार को समझेगा मगर कभी-कभी अगर अपने प्यार को जाहिर कर देंगे तो इससे आपके साथी को एक अलग खुशी मिलेगी. आपके लिए जरुरी है कि रिश्ते में रोमांस को बनाएं रखें और इसे बरकरार रखने के लिये एफर्ट डालें. कभी-कभी प्यार जताकर अपने साथी को खास महसूस कराया जा सकता है.

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2. परफेक्ट पार्टनर की उम्मीद…

इस दुनिया में कोई इंसान बिल्कुल परफेक्ट नहीं होता है इसलिए इसकी उम्मीद करना बेवजह है. हर चीज में अपने साथी को टोकते रहना और उसकी गलतियां निकालना सही नहीं है. अगर उनसे कोई गलती हो जाए तो उन्हें डांटने के बजाय समझाये. बार-बार उनकी गलती को गिनवाने से उनका आत्म-विश्वास कम होगा. बेहतर होगा कि आप अपनी उम्मीदें जरुरत से ज्यादा ना रखें. अगर कोई गलती भी हो जाए तो उसे दूसरों के सामने ना गिनाएं बल्कि उन्हें आपस में निपटा लें, उन्हें सुधारने का तरीका बताएं ताकि दोबारा उनसे वही गलती न हो जाए.

3. आमना-सामना करने से बचना…

बहुत बार हम सोचते हैं कि किसी भी झगड़े को खत्म करने के लिए उसके बारे में बात ही ना की जाए. बिना बात किए आपके सारे झगड़े खत्म नहीं होंगे बल्कि और ज्यादा बढ़ जाएंगे. अगर आप-दोनों के बीच लड़ाई हो तो उसका सामना करें. आमना-सामना करने से आप अपने बीच की प्रॉब्लेम को दूर कर पाएंगे. इन झगड़ों को अपने साथी को बताने के बजाय दूसरों को बताने की गलती ना करें. ऐसा करने से लोगों के सामने आपका ही मजाक बनेगा. कोई आपके प्रोब्लेम का हल नहीं निकालेगा बल्कि आपको और निराश ही करेगा. कोशिश करें कि आप एक-दूसरे से आराम से बैठकर बात करें और अपने प्रोब्लम का हल खुद निकाले.

4. ज्यादा बांधकर न रखें…

अपने रिश्ते को थोड़ा स्पेस दें. ज्यादा दखल देना भी अच्छा नहीं होता है. जब आप प्यार में होते हैं तो आप चाहते हैं कि सभी चीजें साथ में करें लेकिन रिश्ते की शुरुआत में ही ऐसा ठीक लगता है. जैसे आप आगे बढ़ते हैं तो ज्यादा साथ रहना भी आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है. हर इंसान की अपनी एक लाइफ होती है और थोड़ा निजीं समय आपके रिश्ते को बेहतर बना सकता है.

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5. खुद को या साथी को बदलने की कोशिश…

कभी भी अपने पार्टनर को खुश करने के लिए खुद को नहीं बदले या फिर अपनी खुशी के लिये साथी को बदलने की कोशिश ना करें. अगर आप प्यार में हैं तो आप जैसे हैं उन्हें वैसे ही अच्छे लगेंगे और आपको भी उन्हें ऐसे ही पसंद करना चाहिए. अगर कोई आपको बदलना चाहता है तो उन्हें आपसे ज्यादा दिखावे से प्यार है. प्यार करने का मतलब एक-दूसरे की हर छोटी-बड़ी चीजों से प्यार करना होता है. हर तरह से एक-दूसरे को समझना होता है.

घर को सजाने के लिए सही सोफा चुनना है जरूरी

घर को सजाने के लिए हम नए-नए सामान खरीदते हैं, जिनमें सबसे पहले सोफा आता है. कोई भी मेहमान या गेस्ट जब घर पर आता है तो वह सबसे पहले सोफा ढूंढता है. सोफा घर का डेकोरेशन भी बढ़ाते हैं, जिसके लिए सही सोफा चुनना बहुत जरूरी है. हमेशा जरूरत के हिसाब से ही फैब्रिक का चयन करना चाहिए. सफाई के लिहाज से भी उनका रंग, टेक्सचर, मजबूती आपके लिए काफी मायने रखती है. इसलिए आज हम आपको सोफा के कुछ औप्शन बताएंगे, जिसे आप घर को सजाने के लिए खरीद सकते हैं.

1. लेदर है महंगा लेकिन किफायती

लेदर सजावट का काफी महंगा विकल्प है, लेकिन मजबूती के मामले में इसके अलावा दूसरा कोई औप्शन नहीं है. इसमें दाग-धब्बे आसानी से नहीं पड़ते और थोड़ी सी सफाई से ही इसकी खूबसूरती हमेशा बरकरार रहती है. घर के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले हिस्से के लिए यह एक बेहतरीन औप्शन है.

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2. कौटन ब्लेंड्स है मजबूत

कौटन अपहोलस्ट्री में नेचुरल कौटन और कौटन ब्लेंड्स दोनों तरह के फैब्रिक्स मिलते हैं. कौटन ब्लेंड्स नेचुरल कौटन की अपेक्षा अधिक मजबूत और टिकाऊ होता है. स्टेन रेसिस्टेंट फिनिश वाले ब्लेंड्स बच्चों के बीच अधिक उपयोगी होते हैं. हालांकि इनमें दाग-धब्बे और सिकुड़न आने की संभावना रहती है.

3. सिल्क है काफी नाजुक

यह काफी नाजुक होता है और इसमें दाग-धब्बे लगने की संभावना भी बहुत ज्यादा रहती है, इसलिए इन्हें घर के उन स्थानों पर जगह दें, जिनका इस्तेमाल कम ही होता है. इसके अलावा बच्चों तथा जानवरों से तो इन्हें दूर ही रखें. इनमें रंगों के बहुत सारे औप्शन मौजूद हैं.

4. सिंथेटिक फैब्रिक है एक्रिलिक

एक्रिलिक एक सिंथेटिक फैब्रिक है. मजबूत और टिकाऊ होने के साथ ही इसमें सिकुड़न और सिलवटें आने की संभावना कम रहती है. इसे साफ करना भी काफी आसान है. मनपसंद रंगों में मिलने वाले अच्छी क्वालिटी के इस उत्पाद का मजा आप सारे परिवार के साथ बैठकर ले सकती हैं, वह भी बिना किसी टेंशन के. जिन लोगों को एलर्जी की शिकायत रहती है वह अपने फर्नीचर के लिए हाइपोएलर्जेनिक एक्रिलिक फैब्रिक के बारे में विचार कर सकती हैं.

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5. लिनेन के कलर के कईं औप्शन है मौजूद

कई सारे रंगों और पैटर्न में मिलने वाला लिनेन काफी मजबूत और टिकाऊ विकल्प है. हालांकि लिनेन में भी सिल्क की तरह सिलवटें और दाग-धब्बे आसानी से पड़ जाते हैं और इसे ड्राईक्लीन करवाना पड़ता है. रोजमर्रा में भी इनकी सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है.

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