रंगों से सजाएं आशियाना

जहां लोगों के मन में सर्दियों में क्रिसमस और नए साल का जोश समाया नजर आता है वहीं वे अपने घरों को रंगबिरंगे रंगों से सजाना भी नहीं भूलते. खूबसूरत रंग जहां घर के कमरों की रौनक बढ़ाने का काम करते हैं, वहीं मन को भी खुशी और शांति का एहसास दिलाते हैं, कैसे आइए जानते हैं:

दीवारों पर हों ब्राइट कलर्स

अगर आप इस उलझन में हैं कि सर्द ऋतु  में घर को पेंट करने के लिए कौन सा रंग चुनें जो घर को ब्राइट लुक दे तो परेशान न हों. प्रस्तुत हैं कुछ सुझाव:

सफेद : सफेद रंग सर्दियों में काफी पसंद किया जाता है. आप चाहें तो सफेद के साथ अलगअलग रंगों का मेल कर के भी घर को सजा सकती हैं.

क्रिमसन : जब बात लिविंगरूम को पेंट करने की आती हैं तो, बात थोड़ी चैलेंजिंग भरी लगती है. लेकिन यकीन मानिए जो लोग आप के कमरे में प्रवेश करेंगे उन्हें इस रंग को देख  कर यकीनन अलग सा एहसास होगा.

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नीला :  नीला रंग हर मौसम की शान है. यह प्यारा सा रंग दीवारों में चमक भर देता है, फिर चाहे यह ब्राइट हो या फीका, यह सर्दियों में काफी पसंद किया जाता है.

भूरा : भूरा रंग किसी भी महिला का प्रिय हो सकता है, क्योंकि इस रंग से रंगी दीवारों पर लगी गंदगी एक  तो दिखाई नहीं देती दूसरे  इन्हें साफ करना भी आसान होता है.

नारंगी : नारंगी रंग आप के घर को सुंदर लुक दे सकता है. इस के काफी अलगअलग शेड्स उपलब्ध हैं, जो काफी लुभावने होते हैं.

आइवरी : आईवरी सर्दियों के लिए बैस्ट कलर है, जो आप के घर को चमकदार दिखा सकता है. इस रंग को आप अपने लिविंगरूम और बैडरूम में करवा सकती हैं.

हरा : हरा एक ऐसा रंग है जो, आंखों को सुकून प्रदान करने में मददगार होता है. इस का हलका शेड प्रयोग करें और फिर देखें कि आप का रूम कितना बड़ा लगता है.

गुलाबी : गुलाबी रंग घर और आंगन को बड़ा और ब्राइट लुक देता है.

लाल रंग : लाल रंग घर और कमरों को उज्जवल लुक देता है. आप चाहें तो रैड के साथ कोई दूसरा रंग भी मैच करवा सकती हैं. यह एक रोमांटिक रंग भी माना जाता है, इसलिए इसे बैडरूम में कराना न भूलें.

परदे हों दीवारों के रंग जैसे

आजकल मार्केट में तरहतरह के परदे उपलब्ध हैं, लेकिन उन्हें किस तरह से, किस मौसम में लगाना है, फैब्रिक कैसा हो यह हमारी समझ पर निर्भर करता है. सर्दियों में अपने घर के परदों का रंग ऐसा होना चाहिए-

जमीनी रंग : अगर आप के कमरे बड़े हैं तो यह कमरों को बेहद खूबसूरत बना देता है और अगर कमरे छोटे हैं तो उन्हें बड़ा सा लुक देगा. सामान्य परदों से महंगे इन परदों की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. चाहें तो आप दीवार की डिजाइन से मैच करते हुए परदे भी लगा सकती हैं. सर्दियों में इस टैक्स्चर के परदे बेहद खूबसूरत लगेंगे.

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खिला लाल रंग : जहां यह सर्दियों में काफी गरमाहट दे कर मौसम के हिसाब से परफैक्ट लुक देता है, वहीं पीले परदे कमरे में जान डाल देते हैं. अगर आप को डार्क कलर के परदे पसंद नहीं हैं तो लाइट कलर में यलो चुनें. इन से रूम में बाहर से पर्याप्त रोशनी भी आएगी और लुक भी नया आएगा.

औरेंज : यह परफैक्ट सर्दियों के लिए कलर है. अगर घर को थोड़ा फनकी और ट्रैंडी लुक से हट कर दिखाना है तो औरेंज कलर के परदे लगाएं. ये घर को फ्रैश लुक देते हैं.

बोल्ड कलर के परदे :  अगर आप के घर या कमरे में हलका सा रंग है और उस पर कोई टैक्स्चर नहीं बना है तो बोल्ड कलर के परदे लगाएं.

मैरून और विंटर ब्लू : सर्दियों में मैरून रंग के परदे अच्छा ओप्शन है. ये रोशनी को अवशोषित कर के कमरे को गरमी प्रदान करते हैं. विंटर ब्लू रंग के परदों को बच्चों के कमरे या बैठक में लगाएं. ये रंग सर्दियों के लिए ही होते हैं. अपनी समझ के हिसाब से कई कौंबिनेशन भी तैयार कर सकती हैं.

पौधे भी हों रंगबिरंगे : सर्दियों का मौसम कम धूप और ठंडे तापमान के साथ कठोर होता है. कई फूल वाले पौधे सर्दियों के मौसम में सूख भी जाते हैं. लेकिन कुछ पौधे हैं, जो साल के ठंडे महीनों में यानी सर्दियों के मौसम में ही पनपते हैं. मौसमी फूलों के पौधे रंग और आकार में भिन्न होते हैं जैसे-

कैलेंडुला : ये विभिन्न रंगों में पीले से गहरे नारंगी तक पाए जा सकते हैं.

शीतकालीन चमेली : चमकीले पीले रंगों वाली शीतकालीन चमेली आप के बगीचे के लिए एक शानदार विकल्प है.

पैटूनिया : सर्दियों में बगीचे को सुंदर बनाने के लिए सफेद, पीला, गुलाबी, गहरा क्रिमसन और काला बैगनी पैटूनिया एकदम सही फूल है.

इंगलिश प्रिमोज : सफेद, पीले, नारंगी से नीले गुलाबी और बैगनी रंग के लगभग हर रंग में उगने वाले ये फूल सर्दियों में आप के बगीचे को सजाने के लिए बेहतर विकल्प हैं.

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आर्थिक तनाव सैक्स पर हावी तो नहीं

सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

पार्टनर को खुश रखने के लिए उपहार या घुमाना भी कठिन हो जाता है. जो लोग सालोंसाल से साथ होते हैं वे भी कमियां निकालने लगते हैं. कोविड 19 के समय आर्थिक तनाव का सब से बड़ा कारण मकान का किराया देना, नौकरी का चले जाना, पूरा वेतन न मिलना, समय पर वेतन न मिलना प्रमुख है.

कंपनियां तरहतरह के बहाने बना कर परेशान करती हैं ताकि कर्मचारी नौकरी छोड़ कर चला जाए. मंदी के कारण भले ही दूसरे हों पर इस का प्रभाव सैक्स पर पड़ रहा है, जिस की वजह से पतिपत्नी के बीच के स्वाभाविक रिश्ते खराग हो रहे हैं.

सामाजिक जीवन पर असर

आर्थिक तंगी में लोग बड़े शहर, बड़े घर और शहरों में रहने वाले अच्छे इलाके छोड़ कर कम खर्च वाली जगहों और शहरों में रहने के लिए मजबूर हो गए हैं. बच्चों को अच्छे स्कूलों से कम फीस वाले स्कूलों में एडमिशन कराने को मजबूर हो रहे हैं. आर्थिक तंगी का प्रभाव सामाजिक जीवन पर पड़ता है, जो तनाव का बड़ा कारण होता है.

महिलाओं पर यह असर अधिक पड़ता है. ऐसे में उस के सैक्स संबंध पति के साथ नहीं बन पाते. कई बार पति की तरफ से पहल होने पर भी पत्नी मना कर देती है.

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आर्थिक तनाव को खत्म करने के लिए लोग काम अधिक कर रहे जिस की वजह से सैक्स संबंधों के लिए समय भी नहीं मिल पा रहा है और थकान होती है वह अलग से सैक्स संबंधों की परेशानी जस की तस रह जाती है.

तनाव का प्रभाव महिलाओं पर अधिक

आर्थिक तनाव का प्रभाव महिलाओं पर पुरुषों से अधिक होता है. महिलाएं पुरुषों से ज्यादा पैसों की चिंता में उलझ रहती हैं. इन सभी बातों की चिंता के साथ उन का दिमाग सैक्स पर लग पाना और उस का मजा उठा पाना मुश्किल हो जाता है. आर्थिक तनाव सैक्स लाइफ को सब से अधिक प्रभावित करता है. इस तनाव में चाह कर भी व्यवहार पर कोई नियंत्रण नहीं होता.

तनाव के कारण कई तरह की शारीरिक परेशानियां बढ़ जाती हैं. जिन में सिरदर्द, पेट खराब होना, हाई ब्लड प्रैशर या सीने में दर्द जैसी कुछ प्रमुख हैं. ये परेशानियां बढ़ने से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. मानसिक स्वास्थ्य यानी मैंटल हैल्थ से डिप्रैशन, चिंता, पेनिक अटैक्स के साथसाथ इमोशनल प्रौब्लम्स भी काफी हद तक सैक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं.

तनाव बढ़ने के कारण बौडी के हारमोंस मैटाबौलिज्म को प्रभावित करती हैं. तनाव के कारण दिमाग में नकारात्मक विचार पैदा होते हैं. इस के चलते बौडी में नैगेटिव इमेज बनने लगती है. इस से सैक्सुअल रिलेशन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है.

बिगड़ जाती है मैंटल हैल्थ

जब मन खुश नहीं होता, मूड खराब होता है, भावनात्मक उथलपुथल अधिक होती है तो सैक्स करने की इच्छा नहीं होती. एक की सैक्स लाइफ खराब होने का प्रभाव दूसरे की सैक्स लाइफ पर भी पड़ता है. आर्थिक तनाव का प्रभाव सब से पहले मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. तनाव के कारण रिश्ते को ले कर कई तरह के खयाल मन में चलने लगते हैं. ऐसे में साथी भी परेशान होता है. वह रिश्ते पर ही सवाल करने लगता है.

कोई भी ऐसे इंसान के साथ बिस्तर पर नहीं जाना चाहेगा जो कि भावनात्मक रूप से स्थिर न हो. जब हम तनाव महसूस कर रहे होते हैं तो रिश्ते प्रभावित होते हैं.

कई बार इस तनाव के कारण आपसी बातचीत प्रभावित होती है. जो इस परेशानी को और भी बढ़ाता है.

सैक्स लाइफ को बेहतर करने के लिए तनाव को खत्म करना या अपनी सोच को बदलना जरूरी होता है. यह कहना आसान है, लेकिन शायद करना मुश्किल होता है. ऐसे में जरूरी है कि तनाव के प्रभाव को कम करने का प्रयास करें ताकि तनाव जीवन पर हावी न हो सके. ऐक्सरसाइज, काउंसलिंग के जरीए यह संभव हो सकता है.

इस से तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है ताकि यह सैक्स लाइफ को प्रभावित  न कर सके. इसी वजह से कहा जाता है कि  जब बैडरूम में हों तो बाकी बातें बाहर ही छोड़ देनी चाहिए.

परेशानियां बढ़ाता है हारमोंस का असंतुलन

तनाव में होने के कारण शरीर में स्ट्रैस हारमोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है. कोर्टिसोल और एपिनेफ्रीन का स्तर बढ़ने से हैल्दी सैक्स लाइफ नहीं रह जाती. यह महिलाओं में सैक्सुअल क्षमता को कम कर देता है. जिस के कारण सैक्स लाइफ प्रभावित होती है.

कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से सैक्स हारमोन के रिलीज होने में परेशानी हो सकती है, जिसे सैक्स की इच्छा कम हो जाती है. इसलिए खुद को शांत और रिलैक्स रखें.

तनाव महिलाओं की माहवारी चक्र को भी प्रभावित करता है, जिस से माहवारी अनियमित हो जाती है. इस के कारण शरीर में हारमोनल बदलाव होते हैं, जो मूड स्विंग्स बढ़ा सकते हैं, जिस से तनाव बढ़ जाता है.

आर्थिक तनाव केवल शरीर के हारमोनल बैलेंस को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि जब शरीर तनाव में होता है तो भावनात्मक रूप से भ लोगों पर प्रभाव पड़ता है. इस दौरान किसी से बात नहीं करने और लोगों से दूर जाने के अवसर ढूंढ़ रहे होते हैं.

इस के चलते साथी से भी भावनात्मक तौर पर अलगाव महसूस करने लगते हैं. सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि नहीं है, इस में इमोशंस भी शामिल होते हैं. इस कारण आर्थिक तनाव में खुद को इस के लिए तैयार कर पाना मुश्किल होता है. आर्थिक तनाव के कारण आपस में इंटिमेसी कम हो जाती है. यह संबंधों के लिए और अधिक खतरनाक हो जाता है.

तनाव से कैसे निबटें

आर्थिक तनाव को दूर करने के लिए जरूरी होता है कि पैसे की परेशानियों को जीवन से दूर करें. जब तक आर्थिक हालात खराब बने रहते हैं तब तक आपस में बातचीत जरूर करते रहें. मन को मजबूत करें और यह सोचें कि जल्द ही कोई न कोई उपाय होगा. जो चीजें तनाव दे रही हैं उन से भागने के बजाय उन का सामना करें और उन्हें सुलझने की कोशिश करें.

अपने साथी को समय, साथ और भरोसा दें. अपनी क्षमता के अनुसार कहीं घूमने जाएं. घूमने से तनाव कम होता है, मूड ठीक होता है. तनाव को दूर करने के लिए ऐक्सरसाइज सब से अच्छा उपाय है. रिलैक्सिंग म्यूजिक भी माहौल को सुधारने का काम करती है.

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आर्थिक तनाव की हालत में मानसिक रूप से मजबूत रहना जरूरी होता है. मूड और बिहेवियर को समझने की कोशिश करें. इस से परेशानियों का सामना करना आसान हो जाता है. अपने साथी से बातचीत कर उसे समझाएं कि हमेशा एक जैसे दिन नहीं रहते हैं. उसे इस समय सहयोग करने के लिए कहें.

वे काम करें जो आप को खुशी देते हों. अपनी रुचियों को समय दें जैसे किताबें पढ़ना, गार्डनिंग, पेंटिंग या कुकिंग करना. इस से आप को अच्छा महसूस होगा. तनाव के अत्यधिक बढ़ने पर इसे अनदेखा न कर डाक्टर से सलाह लें. मनोवैज्ञानिक से मिलें. काउंसलिंग बहुत मददगार होती है.

अंधविश्वास और बौलीवुड

अंधविश्वास हमारे समाज का एक कड़वा सच है, बौलीवुड भी इस से अछूता नहीं है. अपनी फिल्म को सफल बनाने के लिए कोई हीरो, हीरोइन, राइटर या प्रोड्यूसर कोई कसर नहीं छोड़ता, अच्छी स्क्रिप्ट, अच्छी स्टार कास्ट, अच्छी प्रमोशनल स्ट्रेटजी अपनी जगह, अपने अंधविश्वास अपनी जगह, कभी नाम से एक अक्षर हटा लिया, कभी एक ऐक्स्ट्रा अक्षर जोड़ लिया. आइए, नजर डालते हैं ऐसे कुछ फिल्म मेकर्स पर, जिन्होंने अपनी फिल्मों की सफलता के लिए कुछ अक्षरों का साथ कभी नहीं छोड़ा:

ऐक्टरडाइरैक्टर साजिद खान को विश्वास है कि एच अक्षर उन के लिए लकी है. उन्होंने पहली फिल्म ‘हे बेबी’ नाम से डाइरैक्टर की थी. फिल्म दर्शकों को पसंद आई. बस, फिर क्या था, उन्होंने सोच लिया कि अब वे अपनी फिल्म का टाइटल एच से ही रखेंगे और फिर ‘हाउसफुल,’ ‘हाउसफुल टू,’ ‘हमशकल्स’ नाम होने ही थे.

बालाजी टैलीफिल्म्स और मोशन पिक्चर्स की कोफाउंडर एकता कपूर ऐस्ट्रोलौजी और न्यूमैरोलौजी में बहुत विश्वास रखती हैं. अपने ज्योतिषी की सलाह पर उन्होंने अपने टीवी सीरियल्स के नाम ‘के’ से रखे, न सिर्फ ‘के’ से रखे, बल्कि बौक्स औफिस पर सफलता की गारंटी के लिए कई अक्षर यहां से काटे गए, वहां जोड़े गए, स्पैलिंग्स में खूब चेंज किया गया. फिल्मों के टाइटल्स भी ‘के’ से रखे गए, ‘क्योंकि मैं झठ नहीं बोलता,’ ‘कुछ तो है,’ ‘क्या कूल हैं हम’ पर कुछ सालों बाद उन्होंने ‘के’ से टाइटल रखना छोड़ दिया, वही टाइटल रखे जो फिल्म के लिए सही थे.

प्रोड्यूसरडाइरैक्टर करण जौहर जिन्हें उन के पिता यश जौहर ने ‘कुछकुछ होता है’ के डाइरैक्टर के रूप में लौंच किया था, को भी शुरूशुरू में विश्वास था कि ‘के’ अक्षर उन के लिए लकी है पर बाद में उन्होंने यह अक्षर छोड़ दिया. ‘के’ अक्षर के बिना टाइटल वाली उन की फिल्मों ने बहुत अच्छा बिजनैस किया था.

रमेश सिप्पी को भी अपनी फिल्मों के टाइटल्स को ले कर बड़ा अंधविश्वास था. उन्होंने सब से पहले 1971 में ‘अंदाज’ फिल्म डाइरैक्ट की थी पर ‘सीता और गीता’ ने उन्हें मशहूर कर दिया था. फिर तो आने वाली मूवीज के टाइटल ‘एस’ से होने ही थे और ‘शोले,’ ‘शक्ति,’ ‘सागर’. बाद में उन्होंने दूसरे अक्षरों से भी टाइटल्स रखने शुरू कर दिए, क्योंकि अब ‘एस’ उतना लकी नहीं रहा था.

प्रोड्यूसरडाइरैक्टर मोहन कुमार, जिन्होंने 1964 में अपना बैनर एमके स्थापित किया था, को अपने भाई जे ओम प्रकाश की तरह ‘ए’

अक्षर से मोह था. उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘आस की पंछी’ डाइरैक्ट की थी. उस के बाद ‘मोम की गुडि़या’ को छोड़ कर सभी फिल्में

‘ए’ से ही बनाईं. उन की मशहूर फिल्में हैं- ‘अनपढ़,’ ‘अमन,’ ‘अमीर गरीब,’ ‘अवतार,’ ‘अम्बा’ आदि.

प्रोड्यूसरडाइरैक्टर शक्ति सामंत ने लगभग 40 से ज्यादा हिंदी और बंगाली मूवीज का डाइरैक्शन किया है. ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’ सुपरहिट होते ही इन्होंने ‘ए’ से ही काफी फिल्में प्रोड्यूस और डाइरैक्ट कीं जैसे ‘आराधना,’ ‘अमर प्रेम,’ ‘अनुराग,’ ‘अमानुष,’ ‘अनुरोध’ आदि.

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असफलता से डर

आम इंसानों से अलग समझ जाता है फिल्म स्टार्स को पर एक क्षेत्र है, जिस में ये एक आम इंसान की तरह ही व्यवहार करते हैं. वह यह कि अपनी असफलता से डरते हैं. अपनी फिल्मों को सफल बनाने के लिए अंधविश्वासों के फेर में पड़ ही जाते हैं. कोई अपने नाम की स्पैलिंग बदलता रहता है, कोई धागों, नगों में उलझ रहता है.

आइए, जानते हैं कुछ ऐसी सैलिब्रिटीज के बारे में, जिन्हें अपने अंधविश्वास पर खूब विश्वास है:

आमिर खान: परफैक्शनिस्ट आमिर खान का विश्वास दूसरों से थोड़ा अलग है. आमिर अपनी मूवीज का दिसंबर और क्रिसमस पर रिलीज होना लकी मानते हैं. वे अपने फैंस को क्रिसमस गिफ्ट देना चाहते हैं. आमिर 2007 में ‘तारे जमीन पर’ की सफलता के साथ इस परंपरा को निभाते आए हैं. ‘गजनी,’ ‘थ्री इडियट्स,’ ‘धूम थ्री’, ‘पी के’ फिल्में इस की उदाहरण हैं.

दीपिका पादुकोण: दीपिका पादुकोण अपनी फिल्म के रिलीज होने से पहले सिद्धिविनायक मंदिर जरूर जाती हैं. ‘ये जवानी है दीवानी,’ ‘चेन्नई एक्सप्रेस,’ ‘गोलियों की रासलीला,’ ‘रामलीला’ से वे इस परंपरा को निभाती रही हैं.

शाहरुख खान: बौलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को नंबर्स की पावर में बहुत विश्वास है. उन की हर कार के स्पैशल डिजिट्स होते हैं-555. उन की कारों की हर प्लेट पर यह नंबर होना जरूरी है, अगर ये नंबर नहीं हो पाते हैं, तो वे कार नहीं लेते, ऐसा कहा जाता है.

कैटरीना कैफ: कैटरीना कैफ अपनी फिल्मों की सफलता का श्रेय अजमेर शरीफ को देती हैं जहां वे अपनी हर मूवी के रिलीज होने से पहले जरूर जाती हैं. एक बार वहां मिनी स्कर्ट पहनने के कारण विवादों में भी फंसी थीं, पर इस बात ने उन्हें आगे वहां जाने से नहीं रोका और वे ‘धूम थ्री,’ ‘जब तक है जान,’ ‘एक था टाइगर’ और ‘न्यूयौर्क’ के समय से जा रही हैं.

जूही चावला: कोलकाता नाइट राइडर्स की कोओनर जूही चावला मैच से पहले अपना कोई इंटरव्यू नहीं देतीं, एक बार इन्होंने मैच से पहले इंटरव्यू दे दिया था तो उन की टीम हार गई थी.

माधुरी दीक्षित, महिमा चौधरी, मीनाक्षी शेषाद्रि और मनीषा कोइराला अपने नाम के शुरुआत अक्षर ‘एम’ के अलावा भी इन सब में एक बात कौमन है कि इन सब को सुभाष घई ने डायरैक्ट दिया है. कहा जाता है कि सुभाष घई उन ऐक्ट्रैसेस को कास्ट करना पसंद करते हैं, जिन के नाम उन के लकी अक्षर ‘एम’ से शुरू होते हैं. महिमा को यह नाम सुभाष घई ने ही दिया था, उन का असली नाम ऋतु चौधरी था.

संजय दत्त: अगर आप कोई कार 4545 नंबर की देखें तो कार के अंदर एक बार झांक लें. इस कार में संजय दत्त हो सकते हैं. नंबर 9 से इन्हें खास लगाव है, इसलिए कार के नंबर में पांच और चार को जोड़ कर नौ सोचा गया है.

अमिताभ बच्चन: अमिताभ बच्चन कौरपोरेशन लिमिटेड ने अमिताभ को दिवालिया कर दिया था, एक सेफायर रिंग पहनी गई और कौन बनेगा करोड़पति शुरू हो गया. शो ने कइयों को करोड़पति बना दिया, जिन में सब से बड़े करोड़पति अमिताभ ही रहे.

रणवीर कपूर: रणवीर कपूर अपनी मां की बर्थ डेट नंबर 8 को लकी समझते हैं और कोशिश करते हैं कि उन की कारों के नंबर 8 ही हों पर लकी चार्म हमेशा काम नहीं करता, ‘बेशर्म’ मूवी याद है न आप को?

शिल्पा शेट्टी: रिपोर्ट्स कहती हैं  कि शिल्पा शेट्टी अपनी कलाई पर तब  2 घडि़यां पहनती हैं जब उन की टीम राजस्थान रौयल्स खेलती है.

अक्षय कुमार: अक्षय कुमार अपनी फिल्म के रिलीज होने से पहले विदेश चले जाते हैं,  उन्हें डर रहता है कि उन के इंडिया में रहने से उन की फिल्म के बौक्स औफिस कलैक्शन पर असर पड़ेगा.

एकता कपूर: एकता कपूर की ही तरह राकेश रोशन को भी अक्षर ‘के’ से बहुत लगाव ., ‘कोयला’ से ले कर ‘कृश थ्री’ तक उन की फिल्मों के नाम ‘के’ से ही शुरू हुए हैं.

बड़े परदे पर समयसमय पर ऐसी खूब फिल्में आई हैं, जिन्होंने समाज में अंधविश्वास फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. समाज में दिनबदिन बढ़ते अंधविश्वास को खत्म करने की कोशिश में डाक्टर नरेंद्र दाभोलकर को तो अपनी जान भी गंवानी पड़ गई. हिंदी सिनेमा दिनबदिन जहां रिएलिस्टिक भी हो रहा है वहीं मनोरंजन के नाम पर ऐसी सैकड़ों फिल्में भी बनीं, जिन्होंने अंधविश्वास और झठी मान्यताओं को फैलाने में अपना योगदान दिया, तो आज डालते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों पर एक नजर:

करण अर्जुन: ‘‘मेरे करण अर्जुन आएंगे…’’ राखी के इस डायलौग के आज तक इंटरनैट पर कई मीम्स बनते हैं. इस ऐक्शन थ्रिलर में शाहरुख और सलमान के पुनर्जन्म पर कई अंधविश्वास दिखाई दिए जो काफी हिट रहे. बौलीवुड में पुनर्जन्म पर आधारित कहानियां हमेशा से लोकप्रिय रही हैं, तर्क से वैसे भी हमें कोई लेनादेना नहीं होता, फिल्मों में तो बिलकुल भी नहीं.

व्हाट्स योर राशि: ज्योतिष शास्त्र हमारे समाज में अहम भूमिका निभाता है, यह फिल्म मधु रे के नौवेल किंबौल रेवेंसवुड पर आधारित थी. विदेश से आया हीरो राशियों के हिसाब से यहां लड़की देखता है, जब फिल्म में यह दिखा दिया गया कि एक विदेशी लड़का भी इन राशि, ज्योतिष के चक्कर में पड़ सकता है, तो बेचारे यहां के लोकल लड़कों को क्या कहा जाए जो ऐसी बातों को सुनते हुए ही बड़े होते हैं. अंत अच्छा था.

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राज 3: इस हौरर थ्रिलर में विपाशा बासु एक सफल ऐक्ट्रैस की भूमिका निभाती है, तभी उस की प्रतिद्वंद्वी ईशा गुप्ता की ऐंट्री होती है. अपने कैरियर को गिरता देख वह ईर्ष्या से ब्लैक मैजिक की शरण लेती है. तर्कहीन स्टोरी के बाद भी फिल्म पसंद की गई थी. कारण वही है जिसे ध्यान में रख कर ऐसी फिल्में बनाई जाती हैं. कुछ दर्शकगण ऐसी फिल्मों को बहुत पसंद करते हैं.

जब तक है जान: काफी मैलोड्रामैटिक ट्विस्ट्स वाली मूवी थी, कैटरीना कैफ फिल्म में इतनी अंधविश्वासी हो जाती है कि भगवान के साथ ही सौदेबाजी करने लगती है. फिल्म मनोरंजक कही गई, भगवान के साथ की गई  बातों को सहज रूप में ही लिया गया. हर इंसान यही तो करता है. इस में किसी को कोई आपत्ति थी ही नहीं, बड़ी स्टारकास्ट के साथ फिल्म हिट ही रही.

एक थी डायन: कनान अय्यर के डाइरैक्शन में बनी फिल्म में कई सुपर नैचुरल इवेंट्स दिखाए गए, यह फिल्म एक भूतनी के इर्दगिर्द घूमती है. जैसे ही फिल्म रिलीज हुई, इस पर अंधविश्वास फैलाने के आरोप लगे. इस के खिलाफ मोरचे, विरोध हुए, पर मेकर्स ने ऐसा कोई कनैक्शन होना स्वीकार नहीं किया.

हमारी फिल्मों में धर्म से जुड़ी राजनीति को खूब आधार बनाया जाता है, संस्कारी फिल्में इस तरह बनाई जाती हैं जिन में दिखाया जाता है कि सब की बात मानने वाली लड़की अच्छी है, सिगरेट पीने और ड्रिंक करने वाली लड़की बुरी. अपनी इच्छाओं को घर वालों के कहने पर कुरबान करने वाली लड़की महान है, उस का फर्ज है कि वह अपनी इच्छाओं का गला घर वालों के कहने पर घोंट दे.

‘हमराज’ फिल्म में माला सिन्हा, अशोक कुमार और सुनील दत्त थे, माला सिन्हा को संस्कृति और संस्कार के नाम पर अपने प्रेमी सुनील द॔त्त की जगह अपनी मृत बहन के प्रौढ़ पति को अपना बनाना पड़ता है, अपने प्यार की कुरबानी देनी पड़ती है.

बड़जात्या की हर फिल्म में खूब मंदिर, पूजापाठ वाले सीन होते हैं, घरों में विशाल मंदिर बने होते हैं, पूजापाठ वाले गाने होते हैं, सिर्फ ब्राह्मण लेखक ही लगातार फिल्मों के माध्यम से धर्म का प्रचार नहीं कर रहे, मुसलिम लेखक भी देखादेखी धार्मिक भावनाओं का खूब सहारा लेते आए हैं.

सलीम जावेद की ‘कुली’ में 786 का  खूब प्रचार किया गया, और भी कई फिल्मों में इस जोड़ी ने धर्म का प्रचार करने का मौका  नहीं छोड़ा था, हमारे यहां हर धर्म की एक  छवि बना ली गई है, हिंदू लड़की साड़ी पहने होगी, मुसलिम लड़की ने बुरका या स्कार्फ  पहना होगा, क्रिश्चियन लड़की या तो सैक्रेटरी होगी या उस ने एक फ्रौक पहनी होगी, पात्रों का चित्रण धर्म से जोड़ कर दिया जाता है. धर्म और संस्कृति की सीख देती फिल्मों को देख कर पुरातनपंथी सोच वाले, लकीर के फकीर दर्शक खुश होते हैं.

भारत में धर्म एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है. इस पर बहुत बार बहुत कुछ कहा जाता है. धर्म और आस्था का संबंध उस डिवाइन पावर से पर्सनल समझ जाता है, आधुनिक समय में इस पर काफी खुल कर बोलने की कोशिश भी होती रही है, समय बहुत बदला है पर आज भी सदियों पुरानी रस्में वैसी की वैसी ही हैं. कुछ धार्मिक रस्मों के खिलाफ उठी आवाज को धर्म, संस्कृति का अपमान समझ लिया जाता है, बौलीवुड ने ऐसे मुद्दों पर भी फिल्म्स बनाई हैं, जिन्हें धार्मिक, राष्ट्रवादी कहे जाने वाले लोगों ने बैन करवाने के लिए उन की रिलीज से पहले ही कई विरोध किए. ऐसी ही कुछ फिल्में हैं-

पी के: इस हिट फिल्म में आमिर खान  ने पी के की भूमिका निभाई थी जो एक एलियन है और एक रिसर्च मिशन पर हमारे प्लैनेट पर आता है. भारत में आ कर वह कई तरह की धार्मिक आस्थाओं और समाज में फैले अंधविश्वासों को देख कर बहुत हैरान होता है. फिल्म अपने समय की बड़ी हिट रही पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की इस फिल्म को बहुत आलोचना सहनी पड़ी, क्योंकि उन्हें लगा कि इस फिल्म ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

ओएमजी: ओह माई गौड- शायद ही कभी एक नास्तिक चरित्र को मुख्य चरित्र के रूप में किसी फिल्म में इस तरह बनाया गया हो. कांजी लाल मेहता (परेश रावल) के और उस के भगवान के विरुद्ध केस के चारों ओर घूमती है. फिल्म ‘गौडमैन’ और अंधविश्वास पर हमला करती है. धर्म के ठेकेदार राजनीतिज्ञों ने इस के लीड ऐक्टर्स के खिलाफ केस किए जो स्वाभाविक ही था. इस मूवी को यूएई में बैन भी कर दिया गया था.

माय नेम इज खान: करण जौहर ने माय नेम इज खान बना कर इसलामोफोबिया के खिलाफ बोलने का फैसला किया. 19/11 के बाद एक छोटा बच्चा इसलिए मार दिया जाता है, क्योंकि उस का लास्ट नेम खान है. रिजवान खान (शाहरुख खान) यूएसए के प्रैसिडैंट से मिलने के लिए निकल पड़ता है, यह बताने के लिए कि उस का नाम खान है और वह आतंकवादी नहीं है. फिल्म ने किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया पर शिव सेना ने इसे रिलीज होने से रोकने की कोशिश की.

मिस्टर ऐंड मिसेज अय्यर: फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा एक हिंदू ब्राह्मण स्त्री हैं, मीनाक्षी एस अय्यर और राहुल बोस हैं, राजा चौधरी, एक मुसलिम युवक, उसे हिंदू नैशनलिस्ट भीड़ से बचाने के लिए मीनाक्षी पतिपत्नी होने की ऐक्टिंग करती है. जब उसे पता चलता है जिसे उस ने बचाया है और जिस के साथ पानी की बोलत शेयर कर ली है, वह एक मुसलिम है, उस का रिएक्शन देखने लायक होता है. यह दृश्य आज के समाज की एक सच्ची तसवीर पेश कर देता है कि हमारे दिल में दूसरे धर्मों के लिए किस तरह की भावनाएं रहती हैं.

वाटर: दीपा मेहता की इस फिल्म में हमारे समाज में बालविवाह और विधवाओं के साथ हुए व्यवहार की झलक देखने को मिली. आज भी देश के कई भागों में विधवा विवाह की अनुमति नहीं है और उन्हें अपना बाकी का जीवन अपने अतीत से पूरी तरह कट कर किसी आश्रम में बिताना पड़ता है. फिल्म के रिलीज होने से पहले ही निर्माताओं को बड़े विवाद झेलने पड़े, फिल्म सैट्स को नष्ट किया गया, सुसाइड प्रोटैस्ट की धमकियां दी गईं.

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आंखों देखी चीजों का असर इंसान पर ज्यादा पड़ता है. आज के इस मौडर्न एवं टैक्नोलौजी भरे युग में अंधविश्वास फैलाने वाली फिल्में लोगों को पीछे धकेल देती हैं. कुछ लोग इन अंधविश्वासों और अजीबोगरीब घटनाओं को सच भी मान लेते हैं, जो उन के जीवन पर गलत असर डालती हैं.

अंधविश्वास हमारे समाज के वे विश्वास हैं जो तर्क से परे होते हैं. किसी दिन कोई काम हो गया, वह दिन लकी हो गया, किसी चीज को पहनने से कोई काम हो गया, वह चीज शुभ हो गई. कहीं जाने से कोई काम हो गया, वह जगह शुभ हो गई, हम लोग दिमाग पर कम जोर डालते हैं, अपने विश्वासों पर अधिक. पर यह बात भी स्पष्ट है कि कोई सैलिब्रिटी हो या आम इंसान, असफलता का डर सब को सताता है और फिर इंसान मुड़ जाता है कई तरह के अंधविश्दवासों की तरफ.

Winter Special: पिज्जा पौकेट

पिज्जा खाना हर किसी को पसंद होता है. लेकिन बाहर से पिज्जा खरीदना सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसीलिए आज हम आपको घर पर टेस्टी और हेल्दी पिज्जा पौकेट की रेसिपी बताएंगे, जिसे आप आसानी से कम समय में बना सकते हैं.

हमें चाहिए

–  6 ब्रैडस्लाइस

सामग्री भरावन की

–  2 आलू उबले हुए

–  1 प्याज बारीक कटा

–  1 बड़ा चम्मच मूंगफली भूनी व कुटी

–  1 बारीक हरीमिर्च कटी

–  थोड़ा सी धनियापत्ती

–  एकचौथाई छोटा चम्मच जीरा

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–  1 चुटकी लालमिर्च पाउडर

–  1 बड़ा चम्मच शेजवान सौस

–  2 बड़े चम्मच चीज कसा हुआ

–  तेल आवश्यकतानुसार

–  नमक स्वादानुसार.

विधि

ब्रैड के चारों ओर के सख्त भाग को चाकू से काट कर अलग कर दें.

विधि भरावन की

एक पैन में थोड़ा सा तेल गरम कर उस में जीरा भूनें. आलू, मूंगफली और बाकी की सारी सामग्री डाल कर अच्छी तरह भूनें और ठंडा होने दें. ब्रैडस्लाइस को चकला बेलन से थोड़ा पतला बेल लें. इन पर मेयोनीज और शेजवान सौस लगाएं. थोड़ी सी भरावन इस पर रखें. थोड़ाथोड़ा चीज लगाएं और किनारों पर पानी लगा लें. अब इन्हें मोड़ते हुए दबा कर सभी किनारों को अच्छी तरह सील कर दें. इन तैयार पिज्जा पौकेट्स पर थोड़ाथोड़ा औयल या बटर लगा कर ओवन में सुनहरा होने तक पका लें या गरम तेल में तल लें. परोसने से पहले चीज से गार्निश करें और फिर टोमैटो कैचअप और शेजवान सौस के साथ परोसें.

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Valentine Special: यह रिश्ता नहीं हो सकता

मेरे सिर के बीच से बाल उड़ गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 50 साल है. मेरे सिर के बीच से बाल उड़ गए हैं, जिस से मेरा आत्मविश्वास भी कम होता जा रहा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

अरंडी के तेल को गंजापन दूर करने की सब से ताकतवर औषधि माना जाता है. अरंडी का तेल मौइस्चराइजिंग एजेंट के रूप में काम करता है. अरंडी का तेल बालों और त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद माना जाता है. इस के लिए आप को करना यह है कि अपनी हथेली पर थोड़ा सा अरंडी का तेल ले कर उस से सिर की अच्छी तरह मालिश करें. ऐसा करने से न केवल बालों की जड़ों को पोषण मिलेगा, बल्कि जल्द ही आप के सिर पर बाल भी उगने लगेंगे.

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हर महिला की यह चाहत होती है, कि उसके बाल लंबे, घने, मजबूत, चमकदार और सुंदर हो. बालों को हेल्दी रखना एक चैलेंज होता है. यह चैलेंज हमारे लिए और अधिक मुश्किल हो जाता है जब प्रदूषण हो और खाने-पीने की आदतें अच्छी ना हो के साथ साथ हमारी लाइफ स्टाइल अव्यवस्थित होती है. लेकिन अच्छे बाल रखने का सपना साकार हो सकता है और इसके लिए आपको अपने बालों की थोड़ी देखभाल करनी होगी और नीचे दिए गए नेचुरल हेयर केयर टिप्स को अपनाना होगा.

बालों की ट्रिमिंग अवश्य कराएं

बालों के डेड किनारे उनके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं.  इसलिए बालों को हमेशा और रेगुलर इंटरवेल पर ट्रिम कराते रहना चाहिए. रेगुलर बालों की ट्रिमिंग होते रहने से दो मुंहे बालों की समस्या नहीं होती और बालों का गिरना भी कम हो जाता है. दो मुंहे बाल आपके बालों की लंबाई को ही नहीं प्रभावित करते, बल्कि यह उनकी चमक यानी और घने पन को भी कम कर देते हैं . इसलिए यह हमेशा याद रखें कि तीन माह में बालों को ट्रिम कराने से इनकी नेचुरल ग्रोथ बढ़िया होती है.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब खरीदना हो शादी का लहंगा

दुल्हन बन कर अपने सपनों के शहजादे के घर जाने का पल बड़ा ही खास होता है. इस दिन जिंदगी एक नया मोड़ ले रही होती है. हर किसी की नजर दुलहन पर टिकी होती है. ऐसे में हर दुलहन चाहती है कि वह खूबसूरत दिखने के साथ-साथ सहज भी महसूस करे और इस के लिए आउटफिट्स का आकर्षक और कम्फरटेबल होना बहुत जरुरी है. गर्मी के दिनों में कपड़े के फैब्रिक्स और कलर्स पर विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है.

टाटा स्काई ब्यूटी से जुड़ी सेलिब्रिटी डिज़ाइनर रीना ढाका के अनुसार गर्मियों में ब्राइडल आउटफिट्स खरीदते समय इन बातों का ख़याल जरूर रखें.

1. सही कलर चुनें

शादियों खास कर गर्मियों में होने वाली शादियों के कपड़ों के लिए अनेक किस्मों के कलर पैलेट मौजूद है. बेज ,न्यूड,पीचेस ,आइवरी और पिंक कलर का उपयोग मोनोटोन और ओम्बर में किया जा सकता है। लाल और मैरून  रंग पूरे साल पसंद किया जाता है और शादी वाले दिन सबसे ज्यादा पहना जाता है.

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2. सही फैब्रिक चुनें…

दुल्हनों को हमेशा से नेट्स का उपयोग बहुत पसंद आता है क्यों कि यह बहुत नाजुक होता है. लेकिन अब मोटे कपड़ों जैसे सिल्क, डमास्क और सिल्क साटिन का चलन भी बढ़ रहा है.ये पूरे आउटफिट को शाही लुक देते हैं. आज कल शादियों के कपड़ों में पारंपरिक फैब्रिक्स जैसे ब्रोकेड और चंदेरी की वापसी हो रही है।

कलरफुल फैब्रिक्स में खूबसूरती से बने गए फैब्रिक्स के कारण ब्रोकेड दुल्हनों को बहुत पसंद आ रहा है और वे अपने सब से महत्वपूर्ण दिन यानी शादी के दिन खास दिखने के लिए इसे आजमा रही हैं. चंदेरी लहंगे को लाइट वेट और शानदार अहसास देता है और यह गर्मी में होने वाली शादियों के लिए बहुत उत्तम है.

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3. एम्ब्रौयडरी के विकल्प

लहंगे पर फ्लोरल मोटिफ गर्मियों के अनुरूप सुहाना एहसास देता है। दुपट्टे पर एम्ब्रौयडर्ड टैक्सट का ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है जैसा दीपिका पादुकोण ने अपनी शादी पर पहना था. जो लड़कियां सादगी पसंद करती है वे हल्की एंब्रौयडरी या लेयरिंग के साथ प्लेन फैब्रिक्स पहन सकती हैं.

फ्रूट हेयर पैक: ऐसे बनाएं बालों को घने, मजबूत और खूबसूरत

सिर पर सिर्फ बाल होना ही काफी नहीं होता बल्‍कि उनका स्वस्‍थ होना भी जरुरी है. बालों से इंसान के व्‍यक्‍तित्‍व पर बहुत फर्क पड़ता है. सिर में रूसी हो और सिर हमेशा खुजलाता रहे तो, बालों की क्‍वालिटी भी खराब होने लगती है. लेकिन क्‍या आप जानती हैं कि केला, संतरा, एवाकाडो या फिर पपीता आदि का पेस्‍ट अगर सिर पर लगाया जाए तो बालों की सभी समस्‍याएं हल हो जाती हैं. इसलिए अगर आपको भी लंबे, काले, घने और खूबसूरत बाल चाहिये तो अपनाइए यहां दिए गए कुछ फ्रूट हेयर पैक-

1. कैमिकल से खराब हुए बालों के लिये

केले के टुकड़े में 1 चम्‍मच नींबू का रस और 1 अंडे का पीला भाग मिला कर पेस्‍ट बना कर सिर पर लगाएं.

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2. रंगहीन बालों के लिये

मान लीजिये कि आपने बालों में बहुत ज्‍यादा कलरिंग की है और बालों के अंत में उसका रंग उड़ने लगा है तो, आपको केले से बना पैक लगाना होगा. केले के साथ 2 चम्‍मच नीम पाउडर, 2 कप पपीते का गूदा और हल्‍का सा गुनगुना पानी. इस पैक को बालों में लगाने से उसकी शाइन वापस आ जाएगी.

3. औयली बालों के लिये

संतरे का रस, 1 चम्‍मच तुलसी पाउडर, 1 कप दही और आमला पाउडर एक साथ मिलाइये. इस पैक को लगाने से सिर के पोर्स बंद हो जाएंगे और बाल औयली नहीं होगें.

4. झड़ते बालों के लिये

अगर बाल झड़ने लगे तो आप मेथी को पीस कर ग्रीन टी या हल्‍के गरम पानी के साथ मिला कर सिर पर लगाएं.

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5. खुजलीदार सिर के लिये

अगर रूसी की वजह से सिर में खुजली होती रहती है तो आमले के रस के साथ नींबू का रस और 1 कप दही मिला कर पेस्‍ट बनाइये. इससे सिर की रूसी गायब हो जाएगी.

6. बेजान बालों के लिये

पैक बनाने के लिये 1 कप नारियल के दूध में, 3 चम्‍मच गुडहल पाउडर, आधा कप नींबू का रस और आधा कप बीयर मिलाइये. इस पैक से मुर्झाए हुए बाल एक दम शाइन करेगें.

Serial Story: यह रिश्ता नहीं हो सकता- भाग 2

कैथ को अपनी बेटी की कोई चिंता न रहती थी. एक दिन जब कैथ सारी रात बाहर काट कर जब घर आई तब पौ फटने को था. सैम ने डांटते हुए कहा, ‘‘अब आने की क्या जरूरत थी? दोचार दिन और मौज कर के आती.’’

कैथ ने भी गुस्से में कहा, ‘‘डौंट ट्राई टु बी लाइक रयूड इंडियन हस्बैंड. मेरे बाप का घर है, मैं ने तुम्हें पनाह दी है तभी तुम यहां रहते हो. मैं अपनी मरजी से आतीजाती रहूंगी.’’

‘‘ठीक है, तुम्हारा घर तुम्हें मुबारक. पर अगर तुम्हें मेरी वाइफ बन कर रहना है तो तुम्हें अपना ऐटीट्यूड और बिहेवियर चेंज करना होगा वरना तुम्हारे लिए मेरी जिंदगी में कोई जगह नहीं है.’’

‘‘अगर रोजरोज मुझे तुम रोकतेटोकते रहोगे तो तुम्हारे लिए भी इस घर में कोई जगह नहीं है. यू कैन गो.’’

‘‘मैं तो खुशीखुशी चला जाऊंगा पर लोलिता का क्या होगा?’’

‘‘यह तो अच्छा है कि लोलिता का रूप भले तुम से मिलता हो रंग से वह अमेरिकन दिखती है तुम्हारे जैसी एशियन नहीं वरना उसे कोई अमेरिकन लड़का मिलना संभव न होता. उस का जो भी होगा अच्छा होगा.’’

अगले ही दिन सैम 3 बड़े बक्सों में अपने कपड़े और जरूरी सामान ले कर कंपनी के गैस्ट हाउस में चला गया. 2 सप्ताह बाद वह एक अपार्टमैंट में चला गया. वहां उसे कैथ के वकील के द्वारा तलाक का नोटिस मिला. सैम ने अपनी बेटी को सारी कहानी बता दी.

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सैम और कैथ दोनों वकील के यहां बैठे थे. वकील ने कहा, ‘‘कैथ ने असमाधेय मतभेदों के चलते आप से तलाक की मांग की है. इस विषय में आप का क्या कहना है?’’

‘‘कैथ ने सही कहा है,’’ सैम बोला.

‘‘बेहतर है आप लोग संपत्ति का बंटवारा कोर्ट से बाहर आपसी सहमति से कर लें वरना बहुत टाइम लगेगा.’’

कैथ ने वकील से कहा, ‘‘यह बंगला मेरे डैड ने मेरी शादी के पहले ही मेरे नाम कर दिया था. उस पर सैम का कोई हक नहीं है.’’

सैम ने कहा, ‘‘अपना घर भी मैं ने शादी के पहले ही खरीदा था, उस पर भी कैथ का कोई हक नहीं होगा. उस की ईएमआई भी अकेले मैं ही देता आया हूं. फिलहाल उसे रेंट पर दे रखा है.’’

वकील बोला, ‘‘यह तो अच्छी बात है. बाकी चीजों का भी फैसला कर लें जैसे कोई लोन वगैरह.’’

सैम और कैथ ने तय किया कि दोनों के बैंक बैलेंस अपनेअपने पास रहेंगे. कुछ फर्नीचर सैम ने अपने कार्ड से लिया था. उसे वह अपने फ्लैट में ले जाएगा.

वकील ने कहा, ‘‘आप की बेटी अब वयस्क हो चुकी है. कोर्ट के सामने उसे बोलना होगा कि वह किस के साथ रहना चाहती है.’’

लोलिता ने कोर्ट में अपने पिता के साथ रहने की इच्छा जाहिर की और कहा कानूनन कैथ का उस पर कोई अधिकार नहीं होगा. बिना लोलिता की मरजी के कैथ उस से नहीं मिल सकती है. जल्द ही दोनों का तलाक हो गया.

कैथ के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. वह अपनी मरजी से अपने लाइफस्टाइल में जी रही थी. सैम ने अपना ट्रांसफर टेक्सास के औस्टिन शहर में करा लिया. उस ने कैलिफोर्निया का घर बेच दिया. कैलिफोर्निया में घर की कीमत बहुत ज्यादा होती है. जितना पैसा उसे मिला उतने में वह औस्टिन में 2 बड़े घर आराम से खरीद सकता था. पर उस ने 3 कमरे का एक घर खरीदा. लोलिता का ऐडमिशन टैक्सास के ह्यूस्टन शहर के राइस यूनिवर्सिटी में हुआ. ह्यूस्टन से औस्टिन मात्र ढाई घंटे में पहुंचा जा सकता था, इसलिए सैम और लोलिता का अकसर मिलना भी हो जाता था. कैथ 4-5 महीने में एक बार लोलिता से मिलने आती कुछ देर साथ रह कर रात को कैलिफोर्निया लौट जाती.

इधर कैथ अब बिलकुल आजाद थी. उस ने कंपनी का काम छोड़ कर घर से ही

अपना कुछ बिजनैस शुरू किया. अब वह रोज पीने लगी थी. वह करीब 45 साल की हो चुकी थी. एक दिन नशे की हालत में वह एक युवक से टकरा गई तब उस युवक का फोन सड़क पर गिर कर टूट गया. कैथ के सौरी बोलने पर उस ने फोन उठाते हुए कहा, ‘‘एक तो पहले से ही मुसीबत में हूं और इसे भी आज ही टूटना था.’’

कैथ ने टूटा हुआ फोन अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘आई एम वैरी सौरी. इसे मैं ठीक करा दूंगी तब तक तुम मेरा फोन रख लो. मेरा कार्ड रख लो और मेरे फोन का इंतजार करना. तुम अपना नाम तो बताओ?’’

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‘‘राजन,’’ बस इतना ही कहा. उस युवक ने कैथ का संदेश मिलने पर राजन एक होटल पहुंचा. वह एक फाइवस्टार होटल था. कैथ ने उसे वहां डिनर कराया और उस के बारे में कुछ जानकारी ली. राजन ने उसे बताया कि वह भारत से एमएस करने आया है. उसे स्कौलरशिप नहीं मिली है पर उसे उम्मीद है कि कोई पार्ट टाइम जौब कर वह पढ़ाई का खर्च निकाल लेगा. पर अभी तक उसे कोई जौब नहीं मिली है.

राजन की कहानी सुन कैथ बोली, ‘‘जितना समय तुम जौब में दोगे उस से कम समय भी अगर तुम मुझे दो तो तुम्हारे सारे खर्च का इंतजाम हो जाएगा.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘तुम देखते जाना.’’

चलते समय कैथ ने उसे लेटेस्ट मौडल का आई फोन देते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा फोन रिपेयर करना बेकार है और उस से कम खर्च में नया फोन मिलता है… यहां लेबर बहुत कौस्टली है.’’

राजन को लेने में संकोच हो रहा था. तब वह बोली, ‘‘रख लो, मेरी तरफ से गिफ्ट समझो और तुम कब मुझे समय दे सकते हो?’’

‘‘वीकैंड में ही संभव होगा.’’

‘‘नो प्रौब्लम. मेरे फोन का वेट करना.’’

एक शनिवार कैथ ने राजन को फोन कर एक स्टोर के पास बुलाया. कैथ वहां कार ले कर उस का इंतजार कर रही थी. राजन को बैठने को कहा और उसे ले कर एक प्राइवेट रिजोर्ट में गई. वहां जा कर पूछा, ‘‘तुम कितना वक्त दे सकते हो मुझे?’’

‘‘मैं समझा नहीं?’’

‘‘इस में समझने की कोई बात ही नहीं है. तुम 2 दिन फ्री हो. तुम चाहो तो सोमवार सुबह तक हम दोनों यहां रुक सकते हैं. अगर जल्दी लौटना चाहो तो पहले लौट चलेंगे. मेरे साथ कोई औपचारिकता नहीं, मुझ से फ्रीली बोल सकते हो और जो जी चाहे कर सकते हो,’’ यह सुन कर राजन उसे आश्चर्य से देखने लगा.

आगे पढ़ें- राजन और कैथ का इसी तरह मिलना होता. कभी…

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Serial Story: यह रिश्ता नहीं हो सकता- भाग 3

राज को आश्चर्यचकित देख कैथ ने कहा, ‘‘अच्छा अब बताओ यहां कब तक रुक सकते हो?’’

‘‘मैं कल शाम तक लौटना चाहूंगा. 2-3 घंटों में एक प्रोजैक्ट का बचा काम पूरा कर लूंगा. पर क्या यहां एक ही रूम में रुकना है?’’

‘‘इतना बड़ा सूट क्या 2 के लिए काफी नहीं है? ऐंजौय टिल देन.’’

‘‘राजन और कैथ करीब 2 दिन वहां रहे. राजन ने फ्री लंच डिनर, ड्रिंक और वाटर पार्क सब का आनंद लिया. संडे शाम को राजन को ड्रौप करते हुए कैथ ने उसे 1000 डौलर कैश दिए. यही तुम्हारी जौब रहेगी और इसी तरह तुम्हें नियमित पेमैंट मिलती रहेगी. कम लगे तो बताना.’’

राजन और कैथ का इसी तरह मिलना होता. कभी वे आसपास शौर्ट वैकेशन पर एक दिन के लिए जाते. इसी दौरान जब दोनों ने पी रखी थी बल्कि कैथ ने तो बहुत ज्यादा पी ली थी उस की कुछ हरकतों से दोनों के धैर्य की सीमा टूट गई और जब एक बार यह टूटी तो आगे भी परहेज न रहा. राजन को कैश के अतिरिक्त अच्छेअच्छे गिफ्ट्स लैपटौप, कैमरा, ऐप्पल वाच आदि मिलते रहे. राजन का करीबकरीब पूरा खर्च कैथ उठाती रही, दोनों की जरूरतें पूरी होतीं. देखतेदेखते राजन की पढ़ाई भी पूरी हो गई और उसे टैक्सास में जौब भी मिल गई.

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जाते समय कैथ बोली, ‘‘अगर तुम चाहो तो बीचबीच में आ सकते हो मैं रिटर्न एयर टिकट भेज दूंगी.’’

ह्यूस्टन के राइस यूनिवर्सिटी कैफेटेरिया के एक कोने में एक दिन लोलिता कौफी पी रही थी. जिस टेबल पर वह कौफी पी रही थी वह एक छोटा सा टेबल था जिस पर सिर्फ 2 कुरसियां थीं. उस टेबल पर आमतौर पर लोलिता ही बैठा करती थी. बाकी टेबल पर स्टूडैंट्स गु्रप में बैठते. लोलिता को भीड़ या शोर पसंद नहीं था. उसी टेबल पर एक आदमी हाथ में कौफी का मग लिए आया और उस से पूछा, ‘‘क्या आप किसी और का इंतजार कर रही हैं?’’

लोलिता कुछ पल उसे देखती रही, फिर मुसकरा कर बोली, ‘‘जी, मैं किसी का इंतजार कर रही थी.’’

सौरी बोल कर वह जाने लगा तो लोलिता ने कहा, ‘‘हैलो, आप ने मेरी पूरी बात नहीं

सुनी है.’’

‘‘जी, कहिए.’’

‘‘दरअसल, मैं आप का ही वेट कर रही थी.’’ बोल कर लोलिता मुसकरा उठी, फिर बोली, ‘‘आप यहां बेतकल्लुफ हो कर बैठ सकते हैं.’’

‘‘थैंक्स,’’ बोल कर वह बैठ गया.

‘‘इस कैफेटेरिया में आप को पहली बार देख रही हूं.’’

‘‘जी, मैं राजन हूं. आज ही कंप्यूटर साइंस में टीचिंग असिस्टैंट के पद पर जौइन किया है.’’

‘‘ग्रेट, तब मैं आप की छात्रा लोलिता हूं. बी टैक फाइनल में हूं. खुशी हुई आप से मिल कर. अगर मैं गलत नहीं तो आप एशियन लगते हैं.’’

‘‘यस मैं इंडियन हूं और अगर मैं गलत नहीं तो आप रंग से अमेरिकन और रूप से इंडियन लगती हैं.’’

‘‘बिलकुल सही पकड़ा है आप ने… मेरे डैड भारतीय हैं और मौम अमेरिकन पर अब वे अलग हो चुके हैं और मैं डैड के साथ रहती हूं.’’

कुछ देर खामोश रहने के बाद राजन बोला, ‘‘आप एकांत में इस कोने में बैठीं किसी का इंतजार कर रही होंगी, इसलिए मैं आप से पूछ बैठा था.’’

‘‘मैं अकसर यहीं अकेली बैठना पसंद करती हूं. शायद कल से यह सीट खाली नहीं रहेगी.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘क्योंकि इस पर आप बैठे होंगे.’’

‘‘आप मजाक अच्छा कर लेती हैं.’’

‘‘वैसे मजाक करने का मौका बहुत कम मिलता है. पर मैं आप की स्टूडैंट हूं. आप मुझे तुम कहें तो बेहतर होगा.’’

लोलिता और राजन में नजदीकियां बढ़ती गईं, दोनों एकदूसरे को चाहने लगे थे. लोलिता के डैड सैम को भी राजन पसंद था. 6 महीनों में लोलिता ने बी टैक पूरा किया. तब राजन ने उस से कहा, ‘‘अब हम दोनों शादी कर सकते हैं.’’

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‘‘मैं और डैड भी यही सोच रहे हैं.’’

‘‘तब शुभ काम में देरी नहीं होनी चाहिए, इसे भी जल्दी निबटा लेते हैं दोनों मिल कर.’’

शादी की तैयारियां हो रही थीं, शादी के कार्ड भी छप चुके थे. सैम, लोलिता

और राजन एकसाथ वैडिंग की प्लानिंग कर रहे थे. सैम और लोलिता गैस्ट लिस्ट बना रहे थे जहां कार्ड भेजने थे. राजन ने अपने भी कुछ गैस्ट के नाम लिखवा दिए थे.

राजन लोलिता का फोटो अलबम देख रहा था, उस में अचानक उस की नजर कैथरीन की फोटो पर पड़ी. उस ने लोलिता से पूछा, ‘‘यह लेडी कौन हैं?’’

‘‘ये मेरी मां हैं. हालांकि अब उन से हमारा संपर्क न के बराबर है फिर भी औपचारिकतावश एक कार्ड उन्हें भी भेज रहे हैं हम लोग. अगर

वे आना चाहें तो आ सकती हैं,’’ बोल कर लोलिता ने कैथ का कार्ड राजन को देखने के लिए बढ़ा दिया.

कैथ के बारे में जानने के बाद राजन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. हालांकि वह उसे छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा था. कुछ देर बाद वह जब जाने लगा तो लोलिता उसे छोड़ने के लिए बाहर उस की कार तक आई. तब राजन ने साहस करते हुए कहा, ‘‘तुम लोग अभी शादी के कार्ड पोस्ट मत करना.’’

‘‘क्यों? शादी की तैयारियां हो रही हैं, शादी के कार्ड भी छप चुके हैं.’’

‘‘इसीलिए तो कह रहा हूं, अभी सिर्फ छपे ही हैं न, उन्हें रोक दो, किसी को नहीं भेजना है. मेरा कहा मानो  इसी में सब की भलाई है.’’

‘‘यह अचानक क्या हो गया तुम्हें? शादी क्यों पोस्टपोन करना चाहते हो?’’

‘‘मैं पोस्टपोन नहीं इस रिश्ते को पूरी तरह से खारिज करना चाहता हूं. यह रिश्ता किसी कीमत पर नहीं हो सकता है. आई एम डीपली सौरी बट हैल्पलैस.’’

‘‘पर यह शादी क्यों नहीं हो सकती है?’’

‘‘मैं इस से आगे कोई सफाई नहीं दे सकता हूं. बेहतर है हम दोस्त बने रहें तो यही काफी होगा. ओके, बाय.’’

राजन ने कार स्टार्ट की और वह तेजी से चल गया. वह मन में सोच रहा था कि अच्छा हुआ उस ने कैथ का फोटो भर ही देखा था. कहीं अचानक शादी के मौके पर वह मिल जाती तो कितना बुरा होता. मेरी भलाई इसी में है कि अब यह शहर जल्द से जल्द छोड़ दूं.

लोलिता और सैम सोचते रह गए कि आखिर शादी न करने की वजह क्या रही होगी. लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें आज तक पता न चल सका और यह पहेली बनी रही, क्योंकि राजन शहर छोड़ कर कहीं और चला गया था. शायद अमेरिका से भी दूर किसी अन्य देश में.

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