प्यार पर पहरा क्यों?

दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में रहने वाले प्रतीक (29) ने जब अपने घर  में सिया (25) के बारे में बताया तो मानो घर पर पहाड़ टूट पड़ा हो. सिया के बारे में सुनते ही प्रतीक के घरवाले खुद को दोतरफा चोट खाया महसूस करने लगे. सिया उन के अपने राज्य उत्तराखंड से नहीं थी, वह यूपी से तअल्लुक रखती थी. बड़ी बात यह कि वह जाति से भी अलग थी.

दरअसल, प्रतीक और सिया काफी समय से एकदूसरे से प्रेम कर रहे थे. साथ समय बिताते हुए दोनों के बीच आपसी अंडरस्टैंडिंग काफी अच्छी हो गई थी. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. लेकिन उन दोनों के प्रेम संबंध और शादी के बंधन के बीच उन की जाति आड़े आ रही थी. जहां प्रतीक ऊंची जाति था वहीं सिया कथित नीची जाति की थी.

प्रतीक के घर में काफी हंगामा बरपा. शहरी रहनसहन होने के बावजूद जाति की खनक परिवार के कामों में शोर मचा रही थी. यह वही खनक थी, जिस में खुद की जातीय श्रेष्ठता का झठा गौरव ऊंचनीच के भेदभाव की नींव को सदियों से मजबूत कर रहा है. प्रतीक के घर में शादी के लिए नानुकुर हुई. ऐसे में सगेसंबंधी कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने तो खासकर ताने मारने ही थे.

बात परिवार की इज्जत पर आ गई. लेदे कर परिवार की सहमति बनी कि यह शादी हरगिज नहीं होनी चाहिए. बारबार प्रतीक के समझने के बाद भी घर वाले नहीं माने तो अंत में दोनों ने सहमति बनाई और कोर्ट मैरिज कर ली.

फिलहाल वे परिवार से अलग अच्छी जिंदगी जी रहे हैं. लेकिन उम्मीद इसी बात की करते हैं कि एक दिन प्रतीक के मातापिता जरूर सिया को बहू के रूप में स्वीकार लेंगे.

जाति ने न जाने कितने रिश्तों की भेंट चढ़ा दी

यह तो शहरी मामला रहा जहां प्रतीक और सिया ने कानून का सहारा ले कर शादी रचाई और खुद की इच्छा का जीवनसाथी चुना.

लेकिन क्या भारत में ऐसा हर जगह हो पाना आज भी संभव है? अगर बात गांवदेहातों की हो तो वहां ऐसा करना तो दूर, सोचना भी पाप माना जाता है. यदि ऐसा कोई मामला सामने आ जाए तो अगले दिन ‘ओनर किलिंग’ की खबर देश की शोभा बढ़ाने में चार चांद लगाने को तैयार रहती है.

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भारत में जाति व्यवस्था सदियों से अस्तित्व में है, जो न सिर्फ समाज में घृणा फैलाती रही है, बल्कि कई लोगों के मौत का भी कारण बनी है. ऐसे में जातीय शुद्धता के चलते अंतर्जातीय प्रेमी युगलों/विवाहितों को समाज द्वारा खास टारगेट किया जाता रहा है.

शर्मसार कर देने वाली घटनाएं

अक्तूबर, 2020 में कर्नाटका के रामनगरा जिला (मगदी तुलक) में ओनर किलिंग की घटना घटी. बकौल पुलिस, एक पिता ने अपनी बेटी को इसी के चलते मार दिया कि उस की बेटी का किसी गैरजातीय लड़के के साथ प्रेम संबंध चल रहा था और दोनों शादी करने वाले थे. हैरानी की बात यह कि गांव वाले घटना की हकीकत जानने के बावजूद पुलिस के आगे मूक बने रहे.

जाहिर है इस में उन की भी सामाजिक स्वीकृति रही. यही कारण है कि बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आ भी नहीं पातीं. बहुत बार यदि प्रेमी युगल के परिवार बच्चों की खुशी के लिए शादी करने को तैयार हो भी जाएं तो गांव का खाप उन्हें ऐसा करने से रोक देता है और दंडित करता है.

एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014-17 के बीच भारत में कुल 300 ओनर किलिंग की घटनाएं सामने आईं. देश में अधिकाधिक ओनर किलिंग की शर्मशार कर देने वाली घटनाएं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से अधिक देखने को मिलती हैं.

गोत्र एक होना भी समस्या

भारत में 2 प्रेमी जोड़ों की स्वेच्छा से शादी में रुकावट डालने का समाज के पास सिर्फ यही तंत्र नहीं है. ऐसा ही एक मामला अमित और प्रिया के साथ हुआ. यहां समस्या उन की जाति नहीं, बल्कि उन का एक गोत्र होना था. हिंदू धर्म में 3 गोत्र (खुद का, मां का और दादी व नानी का) में शादी करने को गलत माना जाता है.

आमतौर पर माना जाता है कि एक गोत्र होने पर गुणसूत्र एक से हो जाते हैं, फिर आगे समस्याएं पैदा होने जाती हैं. लेकिन अमित के लिए प्रिया से प्यार न करने की यह दलील नाकाफी थी. प्रिया, अमित के ननिहाल गांव से थी, जहां अमित का अकसर आनाजाना रहता था. जाहिर है जहां उठनाबैठना व बातचीत का सिलसिला चलता है वहां आपसी समझदारी भी बनने लगती है.

यही कारण है कि अमित और प्रिया को आपस में प्रेम हुआ. वे एकदूसरे के करीब आए और शादी का फैसला कर लिया. बात घर में पता चली तो इस रिश्ते का पुरजोर विरोध हुआ. उन के घर वालों ने एक गोत्र होने की अड़चन खड़ी कर दी और एकदूसरे से न मिलने का फरमान जारी कर दिया.

यहां बात गांव की थी, स्थानीय समाज भी उन दोनों के खिलाफ खड़ा हो गया, जिस का अंत यह हुआ कि जोरजबरन आननफानन में प्रिया की शादी ऐसे व्यक्ति से कर दी गई जो उस के लिए बिलकुल अजनबी था, जिस के प्रति उस की चाहत शून्य थी.

भाषा और संस्कृति का झमेला

भारत में ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां प्रेमी युगलों को सामाजिक दबाव के चलते अपनी इच्छाओं की आहुति देनी पड़ती है. यह न सिर्फ जाति या गोत्र के चलते होता है, बल्कि ऐसे ही कुछ मामले तब भी देखने को मिलते हैं जब 2 परिवारों के रहनसहन, भाषा और संस्कृति में अंतर होता है.

यह विडंबना है कि भारत में शादी 2 व्यक्तियों का आपसी मसला नहीं, बल्कि 2 परिवारों और उन के सगेसंबंधियों का आपसी मसला बन जाता है.

यहां राज्यों के भीतर ही भाषा और संस्कृति में कई तरह की विविधताएं देखने को मिल जाती हैं तो फिर दूसरे राज्य की विविधता की तो बात ही अलग है. यही कारण है कि जब हिमाचल प्रदेश के विक्रम ने अपनी प्रेमिका आभा के बारे में घर वालों को बताया तो परिवार सन्न रह गया. दरअसल, 8 साल पहले आभा और विक्रम की मुलाकात दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस राम लाल कालेज में साथ पढ़ते हुए हुई थी.

दोनों का आपस में खास लगाव हो गया, तो उसी समय दोनों ने अंत तक साथ रहने का विचार भी मजबूत कर लिया. इस बीच दोनों ने खुद के कैरियर को मजबूत किया, जिस के चलते उन्होंने परिवार से बात करने की हिम्मत जुटाई.

भाषा और संस्कृति के नाम पर

विक्रम के घर वालों का फिलहाल यही मानना है कि दोनों परिवारों की भाषा, संस्कृति और रहनसहन में काफी  अंतर है वे आपस में मेल नहीं खा पाएंगे. ऊपर से डर है कि बंगाल के लोग चालाक होते हैं. अत: आभा विक्रम को अपने वश में कर लेगी.

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जाहिर सी बात है जब दो वयस्क लोग आपस में शादी के लिए पूरी तरह तैयार हैं तो उस स्थिति में बाकी लोगों को शादी कराने की पौसिब्लिटी की तरफ बढ़ना चाहिए न कि रोकने की. ऐसे में उचित यही होता कि विक्रम के मातापिता देखें कि विक्रम को आभा के साथ जीवन बिताना है.

ऐसे में उस की पसंद प्राथमिक होनी चाहिए. दूसरा, अगर संस्कृति आपस में मेल नहीं खा रही तो यह समस्या आभा के लिए ज्यादा होनी चाहिए, जिसे अपना घर छोड़ कर ससुराल आना है. ऐसे में अगर वह तैयार है तो उन्हें भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए. बाकी किसी के गलत और सही को ऐसे जज तो बिलकुल भी नहीं किया जा सकता.

अंतरधार्मिक विवाह बड़ा बवाल

मौजूदा समय में जिस तरह से सामाजिक और राजनीतिक हवा बह रही है वह प्रेम विवाहों पर तरहतरह से रोड़े अटकाए जाने को ले कर है, किंतु इस हवा के सीधे रडार पर वे जोड़े आ रहे हैं, जो धर्म के इतर जा कर अपने प्यार की बुनियाद मजबूत कर रहे थे.

भारत में अंतरधार्मिक विवाहों को समाज द्वारा सब से ज्यादा हिराकत भरी नजरों से देखा जाता रहा है. परिवार, रिश्तेदार और समाज द्वारा अंतरधार्मिक विवाहों का खुल कर विरोध किया जाता रहा है. ऐसे में इन प्रेम विवाहों को जहां सरकार को प्रोत्साहन देने की जरूरत थी व हर संभव मदद करने की जरूरत थी, वहां खुद भाजपा शासित सरकारें तथाकथित धर्मांतरण विरोधी कानून के नाम पर इन प्रेम विवाहों पर अड़चनें डालने में जुट गई हैं, जिस के बाद कई शादीशुदा जोड़ों को इस कानून के नाम पर उत्पीडि़त किया जा रहा है.

स्थिति यह है कि ऐसे प्रेमी व विवाहित जोड़ों को असामाजिक तत्त्वों द्वारा ढूंढ़ढूंढ़ कर पीटा जा रहा है. इस में संविधान की कसम खाने वाले पुलिस भी पीछे नहीं है. वह लाठी के बल पर इन जोड़ों को अलग व गिरफ्तार कर रही है. उन के ऊपर झठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जबरन विवाहित महिला को उस के पिता की कस्टडी में भेजा जा रहा है.

ऐसे में वयस्क प्रेमी युगलों के पास न सिर्फ घरपरिवार, सगेसंबंधी और समाज को मनाने का चैलेंज है बल्कि इस के बाद सरकार के सामने भी यह साबित करना चैलेंज हो गया है कि प्यार और शादी उन की खुद की मरजी से हुई है.

विवादित कानून की आड़ में

विवादित धर्मांतरण निषेध कानून के यूपी में पास होने के बाद से ही इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष कई अंतरधार्मिक विवाह के मामले आने लगे हैं. ऐसा ही हालिया मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में सामने आया. झठे आरोपों में फंसाए बालिग सिखा (21) और सलमान को पहले परिवार, नातेरिश्तेदारों और समाज से लड़ना पड़ा. फिर जब वे शादी करने में कामयाब हुए तो अब उन्हें सरकार से भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

गत 18 दिसंबर को जस्टिस पंकज नकवी और विवेक अग्रवाल की बैंच ने कहा, ‘‘शिखा अपने पति के साथ रहना चाहती है और वह आजाद है कि अपनी इच्छानुसार अपना जीवन जीए.’’

वहीं इस से पहले 7 दिसंबर को कोर्ट ने सिखा की जबरन पिता की कस्टडी में भेजे जाने की सिफारिश पर सीडब्ल्यूसी को कहा था कि बिना उस की इच्छा के सीडब्ल्यूसी द्वारा इसा किया गया.

ये चीजें दिखाती हैं कि किस प्रकार से विवादित कानून की आड़ में अंतरधार्मिक वैवाहिक जोड़ों को परेशान किया जा रहा है. इस से पहले कोलकाता हाई कोर्ट ने भी दोहराया, ‘‘अगर कोई वयस्क अपनी पसंद के अनुसार शादी करता है और धर्मपरिवर्तन कर अपने पिता के घर नहीं जाना चाहता है, तो मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.’’

अब स्थिति यह है कि इन सब फसादों के चलते कई प्रेमी जोड़े डर रहे हैं कि वे शादी के लिए आगे बढ़ें या नहीं.

कानून क्या कहता है

भारत में वयस्कों की शादी करने की न्यूनतम उम्र पुरुष की 21 और महिला की 18 साल है. ऐसे में दोनों स्वतंत्र हैं कि अपनी मरजी से जिस से चाहे शादी कर सकते हैं. भारत में अधिकतर शादियां अलगअलग धार्मिक कानूनों और ‘पर्सनल लौ’ बोर्ड के तहत होती हैं. इस के लिए शर्त यह कि दोनों का उसी धर्म का होना जरूरी है.

‘नैशनल कौंसिल औफ एप्लाइड इकनौमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) द्वारा 2014 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5% ही अंतरजातीय व अंतरधार्मिक विवाह होते हैं और 95% अपनी जाति/समुदाय के भीतर होते हैं.

हिंदू विवाह अधिनियम-1955, में यह प्रावधान है कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध आपस में शादी कर सकते हैं. कुछ इसी प्रकार मुसलिम पर्सनल लौ बोर्ड-1937, भारतीय इसाई विवाह अधिनियम-1872, पारसी विवाह और निषेध अधिनियम-1936 है, जहां एक ही धर्म के लोग आपस में शादी कर सकते हैं. ऐसे में अगर किसी गैरधार्मिक व्यक्ति को इन नियमकानूनों के तहत शादी करनी हो तो उसे अपना धर्म बदलना ही पड़ता है.

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ऐसे में भारत सरकार साल 1954 में विशेष विवाह अधिनियम-1954 ले कर आई ताकि किसी भी पार्टी को धर्म बदलने की जरूरत न पड़े. इस अधिनियम के तहत दोनों में से कोई भी पार्टी बिना धर्म परिवर्तन के एक वैध शादी कर सकती है. साफ है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 21 के जीवन जीने के अधिकार के तहत अपना जीवनसाथी स्वयं चुनने की स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है.

कानूनी खामियां

किंतु उस के बावजूद इस कानून की कुछ खामियां रही हैं, जिस के चलते इस प्रक्रिया से प्रेमी जोड़े को शादी करना पेचीदा महसूस होने लगता है. जाहिर है, इस में घरपरिवार की सहमति हो तब तो ठीक है (अलबता बजरंग दल या युवावाहिनी होहल्ला न करे तो), लेकिन अगर वे असहमत हैं और नोटिस लगने के 30 दिन के भीतर औब्जैक्ट करते हैं तो शादी में रुकावट पैदा की जा सकता है.

यही कारण है कि इन पेचीदगियों से बचने के लिए प्रेमी जोड़ा धार्मिक कानूनों में सरल प्रक्रिया के चलते धर्म परिवर्तन के लिए भी तैयार हो जाता है. ऐसे में धर्म प्रेमी युगलों के लिए बहुत बड़ा मसला है भी नहीं, जितना हौआ कट्टरपंथी लगातार खड़ा कर रहे हैं.

अब मुख्य मामला यह कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है, जिस में यह स्पष्ट कहा गया है कि भारत में कानून द्वारा स्थापित किसी भी प्रक्रिया के अलावा कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उस के जीवित रहने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकता है.

इस का अर्थ वह चाहे जिस से प्रेम करे, चाहे जिसे माने यह उस की निजी स्वतंत्रता और हक है. ऐसे में इन दिनों इन्हीं वाक्यों को बारबार इलाहाबाद हाई कोर्ट सामने आ रहे फर्जी मुकदमों के खिलाफ कहते भी आ रहा है. फिर सवाल यह कि जब संविधान हामी भरता है तो ऐसी शादियों से समस्या किसे और क्यों है?

मिक्स्ड कल्चर का खौफ

दुनिया के किसी भी कोने में समाज को अगर किसी चीज का डर सताता है तो वह कल्चर के मिक्स होने का है. हजारों सालों से लोगों ने खुद को मानसिक दासता की बेडि़यों में बांध कर डब्बों में देखने की आदत डाल ली है. ये डब्बे धर्म के हैं, जाति के हैं, अमीरीगरीबी के हैं, नस्ल के हैं. यही कारण है कि थोड़े से सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव से भी यह समाज विचलित हो उठता है. ऐसे ही इस मानसिक दासता को चोट पहुंचाने का तीखा काम इसी प्रकार के प्रेम विवाह करते हैं, जहां लोगों के हजारों सालों से जमे अंधविश्वासों पर गहरी चोट पड़ती है. जाति और धर्म के बाहर जा कर शादी करना रूढि़वाद पर तीखा प्रहार करने के समान है. सिर्फ एक मामला और सबकुछ कुहरे की तरह साफ होने जैसा है. अंतरजातीय और अंतरधार्मिक शादियों के बाद होने वाले बच्चे मुसलमान, हिंदू, ब्राह्मण, हरिजन नहीं बनते बल्कि वे इंसान बनते हैं.

यही चीज समाज के अव्वल दुश्मन, रूढि़वादी और धार्मिक कट्टरपंथी नहीं होने देना चाहते. उन्हें डर होता है अपनी विरासत चले जाने का. यह डर होता है कि कहीं उन के खिलाफ बगावत न उठ खड़ी हो जाए. वे ताकत को अपने हाथों में ही केंद्रित रखना चाहते हैं. लोगों को बंटा हुआ देखना ही उन के राजपाट को मजबूत करता है. उन की तमाम राजनीतिक शुरुआत और अंत एकदूसरे की विभिन्नता को कुरेदने से होती है. यह लोग जानते हैं कि इस प्रकार की शादियों से लोग धार्मिक अंधविश्वासों के बनाए भ्रम को मानने से इनकार करेंगे. मिक्स्ड कल्चर से पैदा हुए बच्चे कभी इन के धार्मिक और जातीय उकसावे में नहीं आएंगे. यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोगों की कोशिश यही रहती है कि जितना हो सके इन की भिन्नता को और गाढ़ा किया जाए.

आमतौर पर मिक्स्ड कल्चर के लोग समानता और मानव अधिकारों के पक्ष में अधिक उदार होते हैं. ऐसे में वे धर्म के पाखंडों के फरेब में आसानी से नहीं फंसते हैं. उन का ध्येय धर्म की सिरखपाई से अधिक कर्म की कमाई होता है, जिस कारण इन कट्टरपंथियों को इस प्रकार के लोग खासा रास नहीं आते हैं, इसलिए इन की मूल कोशिश यही रहती है कि ऐसी स्थिति बनने से पहले इन पर रोक लगा दी जाए. किंतु प्रेम को कोई रोक पाया है भला. इस तरह के लोग अपने घरपरिवारों में ही इसे रोक न सके तो समाज को क्या रोकेंगे.

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इमोशनली अट्रेक्टिव होना भी है जरूरी

जो इंसान Emotionally Attractive होता है उनका व्यक्तित्व समाज में अलग रूप से निखर कर आता है. Emotionally Attractive व्यक्ति  जीवन में सकारात्मक दृष्टि से हर पहलू को देखता है. आज की हमारी पोस्ट Emotionally Attractive होने की आदतें कैसे डालें ? के बारे में हम बात करेंगे.

Emotionally Attractive होने की Practice कैसे करें ?

PSYCHOLOGIST की मानें तो उन्होंने Emotionally Attractive को चार हिस्सों में बांटा है – Health, Status, Logic Based Attraction. Emotionally Attractive देखने में छोटी चीज है पर यह एक रिश्ते के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. एक रिश्ते के लिए एक-दूसरे के प्रति Emotionally Attracted होना बहुत जरूरी है और यह निरंतर प्रयास से ही संभव होगा. एक-दूसरे से Emotionally Attached होने से रिश्ते में प्रेम और समझदारी बढ़ती है.

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ऐसा व्यक्ति बने जोनामें विश्वास रखता हो

हर रिश्ते में कुछ बंदिशें होती है पर इसका मतलब यह नहीं की आपका साथी जो कह रहा है वो सही हो. यह बहुत जरूरी है कि उन चीजों से दूर रहें जो रिश्तों में टकराव लाए और आपकी आत्मसम्मान (Self Respect) पर भी नकारात्मक प्रभाव न पड़े. अगर आपका साथी आपसे ऐसी चीजों की मांग करता है जो आपके और रिश्ते के लिए सही नहीं है तो उस चीज़ को आपको नकार देना चाहिए. इससे आपका रिश्ता भी सलामत रहेगा.

ऐसे व्यक्ति बने जो गॉसिप्स (GOSSIP) करता हो

Gossip करना सबको अच्छा लगता है पर किसी के बारे में विचार करना या उसके बारे में गलत कहना आपके व्यक्तित्व पर प्रभाव डालता है क्योंकि जब आप किसी से हो Gossip करते हो तो ऐसा लगता है कि इस तरह उसे दूसरे की बातें बता रहे हो उस तरह आप उनकी बातें भी दूसरों को बताते हैं और यह चीज आपके व्यक्तित्व के लिए बुरी है. इसलिए आप हमेशा इस से दूर रहें और कभी भी किसी की निजी जिंदगी से जुड़ी बातें औरों को ना बताएं इससे लोगों का आप पर विश्वास भी कम हो जाता है अतः आप ऐसी चीजों से दूर रहें.

ऐसा व्यक्ति बने जो छोटी छोटी बातों को याद रखे

आपको भी यह बात बहुत पसंद होगी कि कोई आपकी छोटी से छोटी बातें याद रखें आपकी छोटी छोटी चीजों और पसंद का ध्यान रखें ऐसे ही आपके साथी या दोस्तों को यह बहुत उम्मीद होगी आपसे कि आप उनकी छोटी-छोटी बातें याद रखें तथा उन्हें एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए कितने महत्वपूर्ण है और आप हमसे कितना प्रेम करते हैं, भावनात्मकता ( Emotionally Attractive) रिश्तों में बढ़ती है.

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ऐसा व्यक्ति बने जो समय का ध्यान रखें

समय एक रिश्ते के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और जिस रिश्ते में दोनों साथी एक दूसरे को अच्छा टाइम देते हो और वक्त साथ बिताते हो तो उस रिश्ते में प्रेम भरपूर रहता है. यदि आप उन साथी में से हैं जो समय पर नहीं आते हैं तो दूसरे साथी को ऐसा लगता है कि उनके लिए कितना महत्व रखता है जितना और काम उनके महत्व लगते हैं इसलिए ऐसा इंसान बने जो अपने साथी को वक्त दे और उससे यह महसूस करें कि वह कितना प्यार करता है आपसे.

लिम्फेटिक फाइलेरिया छूने से नहीं, क्युलेक्स मच्छरों से है फैलता  

फाइलेरिया यानि हाथी पाँव दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को अपंग बना देती है. दुनिया की 52 देशों में करीब 85.6 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित है. लिम्फेटिक फाइलेरिया को ही आम भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है. इस बारें में दिल्ली की नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. छवि पन्त जोशी कहती है कि ये बीमारी काफी गंभीर बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से होती है. इस बीमारी को सालों से इग्नोर किया गया है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के इस बीमारी को फ़ैलाने वाले मच्छर क्युलेक्स प्रजाति के होते है.

90 प्रतिशत ये बीमारी क्युलेक्स मच्छर के काटने से होती है. ये मच्छर गंदे पानी का है और गंदे पानी में ही पनपता है. गंदे पानी में पनपने के बाद जब ये मच्छर किसी मनुष्य को काटता है, तो इस बीमारी के संक्रमण, जिसे पैरासाइट कहा जाता है, मनुष्य में छोड़ देता है, ऐसे ही एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को काटने से ये रोग फैलाता जाता है. इसके अलावा इस बीमारी के कुछ कीटाणु को निमेटोड भी कहते है, ये निमेटोड धागे की तरह होते है. इसे माइक्रोफाईलेरिया कहा जाता है. मरीज के एक्युट फेज में उसके खून में ये निमेटोड आता है. संक्रमित व्यक्ति को काटने से ये निमेटोड मच्छर में आ जाता है और 10 से 15 दिनों में ये मल्टीप्लाई होने और लार्वा बनकर इंसानों को काटने से वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. ये बीमारी दो तरह की होती है, लिम्फेटिक फाइलेरियासिस और हायड्रोसिल.   

प्रारंभिक लक्षण 

कुछ मरीज में इसके लक्षण दिखते है तो कुछ में नहीं. लक्ष्ण भी दो तरह के होते है, एक्यूट में कम समय में अधिक लक्षण दिखाई पड़ते है, जबकि दूसरे में क्रोनिक लक्षण यानि लम्बी समय से ये बीमारी मनुष्य को रहता है और पता देर से होती है.

इसके आगे डॉ छवि कहती है कि इस बीमारी में जब पैरासाइट धमनियों में मल्टीप्लाई करता है और अच्छी धमनियों को नष्ट करता जाता है, ऐसे में खून के प्रवाह और लिम्फेटिक के  प्रवाह पर असर पड़ता है, जिससे कुछ लक्षण दिखाई पड़ते है,जो निम्न है,

  • बार बार तेज बुखार आने के साथ लिम्फेटिक वाहिकाओं या लासिका ग्रन्थि के पास त्वचा में सूजन होना और ये अधिक समय तक बने रहना,
  • संक्रमित जगह पर खुजली होना, जगह लाल हो जाना और दर्द का होना, जो 4 से 7 दिनों तक रहता है,
  • पुरुषों के अंडकोष में सूजन शुरू होना, जिसे हाइड्रोसिल कहते है और इसका इलाज केवल सर्जरी से होता है,  
  • संक्रमित व्यक्ति के अंगों में यानि हाथ और पांव में दर्दनाक और अत्यधिक सूजन, जो पहले कम सूजन के साथ शुरू होती है और फिर धीरे-धीरे मात्रा में बढ़ना, आदि कई है.

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पाए जाने वाले क्षेत्र 

फाइलेरिया के सबसे अधिक उत्तरप्रदेश,बिहार, झाड़खंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, गोवा, तेलंगाना, मध्यप्रदेश,आंध्रप्रदेश, आसाम, दादरा नगर हवेली, दमन एंड दिउ, पुडुचेरी आदि कई है. भारत में 40 से 45 प्रतिशत केस है, जो विश्व में सबसे अधिक है. इसके अलावा अफ्रीका, साउथ ईस्ट एशिया के कुछ देश जिसमें बांग्ला देश, मयान्मार, श्रीलंका, थाईलैंड आदि है. साल 2004 से इसे कम करने के लिए ‘राष्ट्रीय कार्यक्रम’ की शुरुआत की गयी है और इसे पूरा करने का लक्ष्य 2020 था, पर अभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसे बढाकर वर्ष 2030 कर दिया है. ये बीमारी अधिकतर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में होता है और इसे जड़ से ख़त्म करने में समय लगता है. 

इस बीमारी को ख़त्म करने के लिए मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत वर्ष में एक खुराक प्रभावित इलाके में खिलाई जाती है. साथ ही लिम्फेटिक और हाइड्रोसिल के मरीजो को इलाज का प्रबंधन भी किया जाता है. इससे 4 राज्यों में बीमारी तक़रीबन ख़त्म हो चुकी है. इन क्षेत्रों में इस बीमारी के मरीज एक प्रतिशत से कम पायी गयी है. इसके अलावा अधिकतर पाई जाने वाले जिले को सर्वे किया गया है, जहाँ भी माइक्रोफाईलेरिया को पाया गया, वहां इन दो अभियान को चालू किया गया है. फाइलेरिया की ये दवा प्रेग्नेंट महिला, दो साल से कम उम्र के बच्चे और गंभीर बीमारी वाले रोगी को नहीं दी जाती. 15 प्रतिशत जनसँख्या इस अभियान से बाहर होती है, जबकि 85 प्रतिशत को दवा खिलाई जाती है.

मच्छरों के पनपने की वजह 

 क्युलेक्स मच्छर गंदे पानी का मच्छर है और 99 प्रतिशत ट्रांसमिशन इसी मच्छर के द्वारा मनुष्यों में होता है. ये बीमारी संक्रमित व्यक्ति को छूने से नहीं, मच्छरों के काटने से ही फैलता है. इसलिए अपने आसपास गंदे पानी के जमा होने से बचना चाहिए, ताकि ये पनपे नहीं. अंगों में होने वाली फाइलेरिया महिला और पुरुषों में समान रूप से होता है, जबकि हाइड्रोसिल केवल पुरुषों में होता है. अंगों में होने वाले फाइलेरिया के मरीज लगभग 4.97 लाख है, जबकि हाइड्रोसिल के 1.6 लाख मरीज है, जो पुरुष है.

इलाज के तरीके 

इलाज की पद्यति के बारें में डॉ. छवि कहती है कि सर्वजन दवा सेवन का अभियान इस बीमारी को कम करने की दिशा में काफी कारगर हो रहा है. इसमें मरीज को खोज कर दवा नहीं दी जाती, बल्कि सबको साल में एक खुराक दे दी जाती है. ये एक औपचारिक इलाज होता है और जरुरत के अनुसार दो या 3 खुराक दी जाती है. ये दवाएं एंटी पैरासाईटल ग्रुप की है और सालों से दी जा रही है, किसी प्रकार की साइड इफ़ेक्ट इनमे नहीं है. हाइड्रोसिल का इलाज सर्जिकल होता है और ये सर्जरी माइनर होती है, जो जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध होता है. एक साथ सबको दवा देने की वजह से माइक्रोफाइलेरिया पैरासाइट मर जाता है और उसका प्रभाव 1 प्रतिशत से कम हो जाता है और रोग बढ़ने का खतरा नहीं रहता. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को शारीरिक से अधिक सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है, जिससे वे सबसे अलग और अपने सूजन वाले अंग को छुपाते है. बाहर नहीं निकलते, ये एक समस्या है. अंगो के विकार की वजह से ऐसे व्यक्ति चलने में असमर्थ होते है और उनको रोजगार भी नहीं मिलता, इसलिए कुछ राज्यों ने पेंशन स्कीम की व्यवस्था की है. 

इसके अलावा राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन के तहत कुछ राज्यों को हाइड्रोसिल सर्जरी के लिए 750 रुपये उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि उनका ऑपरेशन डॉक्टर कर सकें. लिम्फोडिमा के मरीज के लिए एक किट दिया जाता है, क्योंकि इस बीमारी में अगर आपके पाँव मोटे हो गए है, तो उसे नार्मल नहीं किया जा सकता और इस मोटे पांव में इन्फेक्शन का खतरा भी अधिक रहता है. इसलिए उन्हें पैरो की देखभाल के लिए ट्रेनिग देकर एक किट दिया जाता है, जिसमे तौलिया, एंटी फंगल क्रीम, एंटीबायोटिक आदि कई चीजें होती है. इसके अलावा लिम्फ का व्यायाम करवाया जाता है, ताकि वे चल-फिर सकें. इसका इलाज सभी डॉक्टर कर सकते है और बेसिक जानकारी इस रोग के बारें में दे सकते है. 

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इसके अलावा डॉक्टर छवि का कहना है कि जिन एरिया में ऐसे मरीज है, वहां सभी लोग मिलकर अगर साल में एक खुराक 5 साल तक लें, तो इसकी एंडीमीसिटी कम हो जाएगी, जिन्हें ये बीमारी हो गयी है, वे कुछ बातों का खास ध्यान रखे,

  • सूजन वाले अंगो की हायजिन पर ध्यान दें, 
  • चप्पल पहन कर चले,
  • किसी प्रकार की चोट से उस अंग को बचाएँ,
  • नित्य व्यायाम करें,
  • अपने आसपास पानी को जमने न दें,
  • एडवांस केस में पोर्स खुल जाने पर उसकी सफाई कर एंटी बेक्टेरियल या एंटी फंगल क्रीम लगाने की जरुरत होती है. 

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ब्राइडल ज्वैलरी चुनने से पहलें जान लें ट्रैंड

शादी की शौपिंग लिस्ट में लहंगे के बाद दूसरा नंबर ब्राइडल ज्वैलरी का ही होता है और जब इंडियन ब्राइडल लुक की बात आती है, तो उस में ज्वैलरी की अलग ही शान होती है. वैसे मार्केट गहनों से भरा पड़ी है, लेकिन सही ज्वैलरी से ही परफैक्ट ब्राइडल लुक मिलता है. इसलिए गहनों की खरीदारी करने के लिए बाजार की दूरी मापने व शोरूमों के चक्कर लगाने से पहले गहनों की विभिन्न डिजाइनों और पैटर्न के बारे में जरूर जान लें. ज्वैलरी फैशन के इन बदलते ट्रैंड्स पर भी रखें नजर:

 ट्रैडिशनल लुक देगा रानी हार

अगर आप अपनी शादी में ट्रैडिशनल लुक चाहती हैं, तो रानी हार आप के लिए एकदम सही विकल्प है. यह एक हार आप के लुक को रौयल और ऐलिगैंट बनाता है. जैसा कि इस के नाम से ही प्रतीत होता है कि रानी हार. यह काफी बड़ा और भव्य होता है. इस में मोतियों की लडि़यों के बीच में सोने के टुकड़ों में डिजाइन बनी होती है. इसे पहन आप स्टनिंग दिखेंगी.

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सदाबहार है कुंदन सैट

कुंदन सदाबहार है और यह एक ऐसा ज्वैलरी ट्रैंड है जो कभी फैशन से बाहर नहीं होता है. आज भी इस ज्वैलरी का क्रेज कम नहीं हुआ है. ब्राइड का लुक ज्वैलरी के बिना अधूरा है और कुंदन ज्वैलरी इस लुक को पूरा करती है. हाल ही में अंबानी परिवार की शादियों में कुंदन ज्वैलरी का जलवा देखने को मिला.

आजकल ट्रैंड में है लेयरिंग नैकलैस

वैंडिंग ज्वैलरी में लेयरिंग नैकलैस की बात करें तो यह आजकल ट्रैंड में है. अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा शादी के लाल जोड़े के साथ लेयरिंग नैकलैस पहन बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं अगर आप ने ईशा अंबानी को लेयरिंग नैकलैस में देखा होगा तो उन पर भी यह खूब फब रहा था. यह ज्वैलरी यकीनन आप को एकदम अलग लुक देगी.

ट्रैडिशनल ड्रैस हो या वैस्टर्न दोनों में जमेगा चोकर्स

यह ज्वैलरी ट्रैंड इस साल भी खूब चलन में है. ट्रैडिशनल ड्रैस हो या वैस्टर्न दोनों के साथ यह खूब फबता है. अधिकतर दुलहनें आजकल चोकर को वरीयता दे रही हैं, क्योंकि यह बेहद हलका और देखने में स्टाइलिश लगता है. सही मानों में चोकर कंफर्ट और स्टाइल का बेजोड़ मेल है. यह कुंदन, पोलकी व गोल्ड हर वैराइयटी में बाजार में उपलब्ध है.

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खूबसूरती में चार चांद लगाती पोल्की

पोल्की ब्राइडल ज्वैलरी भी खूब ट्रैंड में है, जिसे लड़कियां अपनी शादी में पहनना खूब पसंद कर रही हैं. पोल्की ज्वैलरी पर की गई मीनाकारी इस की खूबसूरती में चार चांद लगाती है और जब आप इसे पहन कर आती हैं, तो लोगों की नजरें आप को देखे बिना रह नहीं पातीं.

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DIY टिप्स से दूर भगाएं शरीर की बदबू

आज अधिकांश महिलाएं अपने फेस की स्किन को तो खूबसूरत बनाने के लिए प्रयास करती हैं, जिसके लिए बाथरूम शेल्वस व अपनी मेकअप किट में फेसवाश, मॉइस्चराइजर, एक्सफोलिएटर्स व स्किन की केयर के विभिन ब्यूटी ट्रीटमेंट्स रखती हैं.  लेकिन शरीर से आने वाली दुर्गंध के प्रति ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं.  जिससे उन्हें अपने फ्रैंड्स व अपनों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है. खासकर अब जब गर्मियों की  शुरुवात हो गई है तो शरीर से ज्यादा पसीना आने के काऱण दुर्गंध आने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि वे स्किन के साथसाथ शरीर के आने वाली दुर्गंध पर भी ध्यान दें, ताकि उनकी ओवरआल पर्सनालिटी निखर कर आ सके.

बता दें कि पसीना आना एक सामान्य सी स्तिथि है, जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी माना जाता  है. क्योंकि पसाने के जरिए शरीर से विषैले प्रधर्त  बाहर जो निकलते हैं और साथ ही शरीर को ठंडक भी पहुंचती है. लेकिन समस्या तब उत्पन होती है जब हमारी त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया पसीने में मौजूद प्रोटीन को तोड़ना शुरू करते हैं , जिसके कारण शरीर से बदबू आनी शुरू हो जाती है, जिसके कारण हमें दूसरों के सामने खड़े होने में शर्मिंदगी महसूस होने लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी किचन में ही कुछ ऐसी चीजें हैं , जिन्हें इस्तेमाल करके आप शरीर की दुर्गंध से निजात पा सकते हैं.  तो जानते हैं इस बारे में स्किनवर्क्स की फाउंडर नेहा जुनेजा से.

1. लेमन जूस 

लेमन जूस विटामिन सी में रिच होने के कारण न सिर्फ आपको हाइड्रेट रखने का काम करता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को ठीक रखने के साथसाथ आपके वजन को भी तेजी से कम करता है. यही नहीं बल्कि आपकी स्किन को भी ग्लोइंग बनाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लेमन जूस स्किन के पीएच लेवल को कम करके उन बैक्टीरिया को मारने का काम करता है, जो शरीर में बदबू पैदा करने का काम करते हैं. इसके लिए आप आधे नींबू को काटकर उसे अपनी अंदरआर्म्स में 2 – 3 मिनट तक रब करें , फिर ड्राई होने के साथ साफ पानी से क्लीन करें. या फिर कटे हुए नींबू पर थोड़ा सा नमक लगाकर उससे अंदरआर्म्स को 10 मिनट तक आराम से रब करें. फिर साफ पानी से क्लीन करें. ऐसा आपको हफ्ते में 4 बार करना होगा. इससे आपको पसाने की बदबू से निजात मिलेगा.

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2. टी 

चाय में मौजूद टैनिन्स स्किन को ड्राई रखकर पसीने से होने वाली दुर्गंध को कम करने का काम करते हैं. इसके लिए आप थोड़े से पानी को अच्छे से उबाल कर उसमें ग्रीन टी को डालकर थोड़ा और उबालें. फिर इसे ठंडा कर छानकर स्वेटिंग प्रोन एरिया पर अप्लाई कर 5 से 10  मिनट के बाद साफ पानी से क्लीन कर लें. या फिर आप 1 लीटर पानी को उबाल कर उसमें 2 टी बैग्स को डालकर 10 मिनट के लिए उसे रेस्ट करने के लिए छोड़ दें. फिर इस सोलूशन को  अपने नहाने के पानी में डालकर इससे नहाएं. ऐसा हफ्ते में  अगर आप  2 – 3 बार करेंगी तो इससे आपको पसीने की बदबू से निजात मिलेगा.

3. बेकिंग सोडा 

बेकिंग सोडा त्वचा के पीएच लेवल में बदलाव लाकर बैक्टीरिया ग्रोथ को होने से रोकता है.  जिससे शरीर से आने वाली दुर्गंध कंट्रोल होती है. इसके लिए आप बेकिंग सोडा को अंदरआर्म्स व अपने पैरों की उंगलियों के बीच लगाकर पूरी रात के लिए छोड़ दें. और फिर हाथों की मदद से ही क्लीन कर लें.  इससे ये मोइस्चर को ट्रैप करके आपकी अंदरआर्म्स व पैरों से आने वाली दुर्गंध को कम करने का काम करेगा. यहां तक की आप एक कप पानी में 2 बड़े चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर उसे स्प्रे बोतल में डालकर रोजाना स्वेटिंग वाली जगह पर अप्लाई कर सकते हैं . इससे आपके कपड़ों पर दाग न लगे, इसके लिए इसे लगाने के बाद पहले ड्राई होने दें. अगर आप बराबर मात्रा में बेकिंग सोडा में कॉर्नस्ट्रॉच मिलाकर इसके पाउडर को भी एफ्फेक्टेड एरिया पर अप्लाई करते हैं तो इससे भी पसीने से आने वाली दुर्गंध कंट्रोल होती है.

4. टोमेटो जूस 

टमाटर में एस्ट्रिंजेंट और एन्टिओक्सीडैंट्स प्रोपर्टीज होने के कारण ये अतिरिक्त पसीने वाली ग्रंथि के सताव के साथसाथ शरीर की सतह से बैक्टीरिया को भी हटाने में सक्षम होता है . इसके लिए आप टमाटर के रस में कपड़े को डुबोकर उसे अपने शरीर की उन जगहों पर लगाएं,  जहां से दुर्गंध आती हो. इससे पोर्स बंद होने के साथसाथ अतिरिक्त मात्रा में निकलने वाले पसीना में भी कमी आती है. इस प्रक्रिया को आपको हफ्ते में 2 बार दोहराने पर ही असर दिखाई देगा.

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5. एप्पल साइडर विनेगर 

इसमें एसिडिक प्रोपर्टीज होने के कारण ये शरीर से विषाक्त रोगाणुओं को नस्ट करने का काम करता है. इसके लिए आप एप्पल साइडर विनेगर में कॉटन बाल्स को डिब करके उसे आर्मपिट्स , पैरों व उंगलियों पर लगाकर आधा घंटे के लिए लगा छोड़ दें. इससे त्वचा पर पनपने वाले बैक्टीरिया नष्ट होने से दुर्गंध भी कम होगी. इस तरह आप घर पर ही शरीर से आने वाली दुर्गंध को दूर कर पाएंगे.

क्या तुलसी का इस्तेमाल रंगरूप निखारने के लिए किया जा सकता है?

सवाल-

क्या तुलसी का इस्तेमाल रंगरूप निखारने के लिए किया जा सकता है?

जवाब-

तुलसी एक जड़ीबूटी है, जिस का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. तुलसी में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं. इस के इस्तेमाल से किसी भी तरह के साइड इफैक्ट का खतरा नहीं होता है.

तुलसी और नीम के पत्तों को पीस कर पेस्ट तैयार कर लें. फिर इस में शहद की कुछ बूंदें मिला लें. पेस्ट को पिंपल्स पर लगा कर सूखने दें. कुछ दिन यह उपाय करने पर पिंपल्स दूर हो जाएंगे.

अगर आप के सिर में रूसी है तो तुलसी के पत्तों का पेस्ट बना लें. फिर इसे आंवले के पाउडर के साथ मिला कर स्कैल्प में लगाएं. कुछ देर बाद बालों को धो लें. इस के अलावा आप चाहें तो तुलसी की पत्तियों को पानी में उबाल कर भी प्रयोग में ला सकती हैं. दांतों में पीलापन आ जाना एक आम समस्या है. आप चाहें तो तुलसी की पत्तियों को सुखा कर पाउडर बना इस से मंजन करें. इस के अलावा संतरे के छिलकों के साथ पीस कर पेस्ट भी बना सकती हैं. इस पेस्ट के नियमित इस्तेमाल से पायरिया की शिकायत भी दूर हो जाती है.

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तुलसी एक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका इस्तेमाल रूप-रंग निखारने के लिए भी किया जा सकता है? तुलसी में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो त्‍वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- तुलसी के पत्तों से निखारें रंग-रूप

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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Winter special: स्नैक्स में बनाएं खट्टामीठा समोसा

अगर आप अपनी फैमिली के लिए नई रेसिपी ट्राय करने की सोच रही हैं तो खट्टामीठा समोसा आपके लिए बेस्ट औप्शन है.

सामग्री पेस्ट्री की

– 2 कप मैदा

– 1/4 कप घी

– नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

– 1/4 कप बीकानेरी सेव

– 1 छोटा चम्मच नारियल का बूरा

– 1 छोटा चम्मच साबूत धनिया

– 1 छोटा चम्मच सौंफ

– 1/2 छोटा चम्मच जीरा

– 1 बड़ा चम्मच काजू कटे

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– 1 बड़ा चम्मच किशमिश

– 1/2 छोटा चम्मच हलदी

– 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 कप आलू उबले

– 1 बड़ा चम्मच प्याज कटा

– थोड़ा सा कच्चा आम कटा

– थोड़ा सी धनियापत्ती

– 1/2 छोटा चम्मच चीनी

– पर्याप्त तेल

– नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

एक बाउल में मैदा, थोड़ा सा नमक और घी डाल कर कुनकुने पानी से नरम आटा गूंधें. तैयार आटे को गीले मलमल के कपड़े से ढक कर 30 मिनट के लिए रख दें. भरावन तैयार करने के लिए पैन में थोड़ा सा औयल गरम कर जीरा चटकाएं.

फिर इस में सौंफ और साबू धनिया डाल कर भूनें. अब काजू और किशमिश डाल कर 1-2 मिनट तक चलाएं. फिर इस में प्याज, नमक डाल कर थोड़ा भूनें. अब नारियल बूरा, हलदी पाउडर, लालमिर्च पाउडर, गरममसाला, कच्चा आम व आलू डाल कर 1-2 मिनट तक अच्छे से पकाएं.

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सेव, धनियापत्ती, चीनी और नमक भी मिला कर कुछ देर भूनें फिर आंच से उतार लें. आटे की लोइयां बेल कर भरवान भरें और समोसे का आकार दे कर अच्छी तरह सील करें. ग्राम तेल में सुनहरा होने तक समोसे तलें और आमपुदीने की चटनी के साथ सर्व करें.

9 टिप्स: घर में होगी मच्छरों की नो एंट्री

मच्छर को सब से खतरनाक कीट माना जाता है. यह विभिन्न प्रकार के जीवाणु लिए होता है. मच्छर गड्ढों, तालाबों, स्थिर जलाशयों, अंधेरे या नमी युक्त स्थानों पर पाए जाते हैं. सिर्फ मादा मच्छर ही मनुष्य या पशुओं का खून चूसती है, जबकि नर मच्छर पेड़पौधों का रस चूसते हैं. मच्छरों के काटने से मलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार, डेंगू आदि कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. हर साल करीब 30 करोड़ लोग इन से प्रभावित होते हैं. इन के काटने से बचना सभी के लिए बहुत जरूरी है.

इस बारे में स्किन रोग विशेषज्ञा डा. सरोज सेलार कहती हैं कि आजकल मच्छरों का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ गया है. ये गांवों और छोटे कसबों से ज्यादा शहरों में पनपने लगे हैं. इस की वजह शहरों में हो रहा निर्माणकार्य है, जिस से पानी का जमाव एक जगह पर कई दिनों तक रहता है और फिर उस में मच्छर आसानी से ग्रो कर जाते हैं. मच्छरों के काटने से बचने के उपाय निम्न हैं:

1. मच्छर भगाने वाली क्रीम और लोशन का शरीर के खुले भागों पर प्रयोग करें. कई बार ऐसी क्रीम से स्किन पर रैशेज हो जाते हैं. ऐसे में स्किन रोग विशेषज्ञ से सलाह लें.

2. कीटनाशक स्प्रे करने और अगरबत्ती जलाने से भी मच्छर भाग जाते हैं.

3. अगर घर में वयस्क या बच्चे, जिन्हें सांस की बीमारी हो, उन्हें बाजार के कैमिकल युक्त उत्पादों से तकलीफ हो सकती है. ऐसे में मच्छरों को भगाने के लिए हमेशा कैमिकल फ्री क्रीम या लोशन का ही प्रयोग अधिक अच्छा रहता है. टीट्री औयल एक अच्छा औप्शन है.

4. आजकल कई कंपनियां आयुर्वेदिक लोशन व क्रीमें बना रही हैं, जो स्किन के लिए हानिकारक नहीं होतीं. अत: उन्हें लगाया जा सकता है.

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5. नारियल का तेल, लैवेंडर का तेल, लौंग का तेल, नीलगिरी का तेल, तुलसी के पत्तों का रस, नीम का तेल, पुदीने के पत्तों का रस, लहसुन का रस आदि में से किसी को भी शरीर पर लगाने या छिड़काव करने से भी मच्छर भाग जाते हैं, साथ ही ये स्किन के लिए हानिकारक भी नहीं होते. बच्चे और वयस्क सभी इन्हें लगा सकते हैं.

6. कमरे में मच्छर न आने देने के लिए कर्पूर और नीलगिरी के तेल को जला सकते हैं. इस से धुआं नहीं निकलता. उस की स्मैल से ही मच्छर भाग जाते हैं.

7. जब बाहर निकलें, तो पूरी बाजू वाली कमीज और ढीली पैंट पहनें.

8. रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें.

9. शाम को कमरे की खिड़कियों और दरवाजे को बंद कर बाद में खोलें. इस से मच्छर अंदर नहीं आ सकेंगे.

पनपने से रोकने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान

डा. सरोज कहती हैं कि मच्छरों को अपने आसपास न पनपने दें. इस के निम्न उपाय हैं:

– अपने आसपास पानी जमा न होने दें. जमा पानी में मच्छर जल्दी ग्रो करते हैं.

– आसपास ऐसी जगह हो जहां पानी जमा होता ? हो, तो उस जगह को मिट्टी से भर दें या क्लोरीन डाल कर ढक कर रखें, नालियों में फ्यूमिगेशन करें.

– आसपास के क्षेत्र और खुद को हमेशा साफसुथरा रखने की कोशिश करें.

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कुछ पेड़पौधे भी आसपास लगाने से मच्छर कम होते हैं. मसलन, तुलसी, पुदीना, अजवाइन के पौधे. नीलगिरी और नीम के पेड़ के आसपास भी मच्छर कम होते हैं.

चाहत के वे पल: अपनी पत्नी गौरा के बारे में क्या जान गया था अनिरुद्ध

Serial Story: चाहत के वे पल- भाग 2

शेखर का मन हुआ अभी गौरा को जलील कर के हाथ पकड़ कर ले आए पर वह चुपचाप थके पैरों से औफिस न जा कर घर ही लौट आया. बच्चे हैरान हुए. वह चुपचाप बैडरूम में जा कर लेट गया. बेहद थका, व्यथित, परेशान, भीतरबाहर अनजानी आग में झुलसता, सुलगता… ये सब चीजें, यह घर, यह परिवार कितनी मेहनत, कितने संघर्ष और कितनी भागदौड़ के बाद व्यवस्थित किया था. आज अचानक जैसे सब कुछ बिखरता सा लगा. बेशर्म, धोखेबाज, बेवफा, मन ही मन पता नहीं क्याक्या वह गौरा को कहता रहा.

शेखर अपने मातापिता की अकेली संतान था. उस के मातापिता गांव में रहते थे. गौरा के मातापिता अब दुनिया में नहीं थे. वह भी इकलौती संतान थी. शेखर की मनोदशा अजीब थी. एक बेवफा पत्नी के साथ रहना असंभव सा लग रहा था. पर ऐसा क्या हो गया… उन के संबंध तो बहुत अच्छे हैं. पर गौरा को उस के प्यार में ऐसी क्या कमी खली जो उस के कदम बहक गए… अगर वह ऐसे बहकता तो गौरा क्या करती, उस ने हालात को अच्छी तरह समझने के लिए अपना मानसिक संयम बनाए रखा.

गौरा जैसी पत्नी है, वह निश्चित रूप से अपने पति को प्यार से, संयम से संभाल लेती, वह इतने यत्नों से संवारी अपनी गृहस्थी को यों बरबाद न होने देती… तो वह क्यों नहीं गौरा की स्थिति को समझने की कोशिश कर सकता? वह क्यों न बात की तह तक पहुंचने की कोशिश करे? बहुत कुछ सोच कर कदम उठाना होगा.

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2 घंटे के बाद गौरा आई, अब तक बच्चे खेलने बाहर जा चुके थे. शेखर को अकेला लेटा देख वह चौंकी, फिर प्यार से उस का माथा सहलाते हुए उस के पास ही अधलेटी हो गई, ‘‘आप ने मुझे फोन क्यों नहीं किया? मैं फौरन आ जाती.’’

‘‘रचना को छोड़ कर?’’

‘‘कोई आप से बढ़ कर तो नहीं है न मेरे लिए,’’ कहते हुए गौरा ने शेखर के गाल पर किस किया.

शेखर गौरा का चेहरा देखता रह गया फिर बोला, ‘‘बहुत सुंदर लग रही हो.’’

‘‘अच्छा?’’

‘‘कैसी है तुम्हारी फ्रैंड?’’

‘‘ठीक है,’’ संक्षिप्त सा उत्तर दे कर गौरा खड़ी हो गई, ‘‘चाय बना कर लाती हूं, आप ने लंच किया?’’

‘‘हां.’’

गौरा गुनगुनाती हुई चाय बनाने चल दी. शेखर स्तब्ध था. इतनी फ्रैश, इतनी खुश क्यों? ऐसा क्या हो गया? बस, इस के आगे शेखर कोई कल्पना नहीं करना चाहता था. उस का दिमाग एक अनोखी प्लानिंग कर चुका था. शेखर अब सैर पर नियमित रूप से जाने लगा था. वह स्मार्ट था, मिलनसार था, उस ने धीरेधीरे सैर करते हुए ही अनिरुद्ध से दोस्ती कर ली थी. अपना नाम शेखर ने विनय बताया था ताकि गौरा तक उस का नाम न पहुंचे. शेखर बातोंबातों में अनिरुद्ध से दोस्ती बढ़ा कर, उस का विश्वास पा कर, उस से खुल कर उन के रिश्ते का सच जानना चाहता था. दोनों की दोस्ती दिनबदिन बढ़ती गई. शेखर गौरा का नाम लिए बिना अपने परिवार के बारे में अनिरुद्ध से बातें करता रहता था. अनिरुद्ध ने भी बताया था, ‘‘सीमा लखनऊ में अच्छे पद पर है. वह अपनी जौब छोड़ कर बनारस नहीं आना चाहती. मैं ही ट्रांसफर करवाने की कोशिश कर रह हूं.’’

शेखर हैरान हुआ. इस का मतलब यह तो अस्थाई रिश्ता है, इस का क्या होगा. लेकिन शेखर को इंतजार था कि अनिरुद्ध कब गौरा की बात उस से शेयर करेगा. कभी शाम को शेखर अनिरुद्ध को कौफी हाउस ले जाता, कभी बाहर लंच पर बुला लेता. कहता, ‘‘मेरी पत्नी मायके गई है, बोर हो रहा हूं.’’ उस की कोशिश अनिरुद्ध से ज्यादा से ज्यादा खुलने की थी और एक दिन उस की कोशिश रंग लाई. अनिरुद्ध ने उस के सामने अपना दिल खोल कर रख दिया, ‘‘यहां मेरी दोस्त है गौरा.’’

शेखर के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. हथेलियां पसीने से भीग उठीं. एक पराए पुरुष के मुंह से अपनी पत्नी के बारे में सुनना आसान नहीं था.

अनिरुद्ध कह रहा था, ‘‘बहुत ही अच्छी है, हम साथ पढ़ते थे. अचानक फेसबुक पर मिल गए.’’

‘‘अच्छा? उस की फैमिली?’’

‘‘पति है, 2 बच्चे हैं, उन में तो गौरा की जान बसती है.’’

‘‘फिर तुम्हारे साथ कैसे?’’

‘‘बस यों ही,’’ कह अनिरुद्ध ने बात बदल दी. शेखर ने भी ज्यादा नहीं पूछा था. अब अनिरुद्ध अकसर शेखर से गौरा की तारीफ करता हुआ उस की बातें करता रहता था. उस ने यह भी बताया था कि पढ़ते हुए एकदूसरे के अच्छे दोस्त थे बस. कोई प्रेमीप्रेमिका नहीं थे, और आज भी. अनिरुद्ध चला गया था पर शेखर बहुत देर तक बैंच पर बैठा बहुत कुछ सोचता रहा. फिर उदास सा घर की तरफ चल पड़ा. आज शनिवार था. छुट्टी थी. गौरा ने थोड़ी देर बाद ही उस की कमर में पीछे से हाथ डालते हुए पूछा, ‘‘कहां खोए हुए हो? जब से सैर से आए हो, चेहरा उतरा हुआ है, क्या हुआ?’’

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शेखर को आज गौरा की बांहें जैसे कांटे सी चुभीं. उस के हाथ दूर करते हुए बोला, ‘‘कुछ नहीं, बस जरा काम की टैंशन है.’’

‘‘उफ,’’ कह कर गौरा उस का कंधा थपथपा कर किचन की तरफ बढ़ गई. आजकल शेखर अजीब मनोदशा में जी रहा था. गौरा सामने आती तो उसे कुछ कह न पाता था. घर के बाहर होता तो उस का मन करता, जा कर गौरा को पीटपीट कर अधमरा कर दे… अनिरुद्ध को उस के सामने ला कर खड़ा करे. कभी सालों से समर्पित पत्नी का निष्कपट चेहरा याद आता, कभी अनिरुद्ध की बातें याद आतीं. आज उस ने सोच लिया, छुट्टी भी है,

वह अनिरुद्ध से उन दोनों के संबंध के बारे में कुछ और जान कर ही रहेगा. शेखर ने अनिरुद्ध को फोन किया, ‘‘क्या कर रहे हो? लंच पर चलते हैं.’’

‘‘पर तुम्हारी फैमिली भी तो है?’’

‘‘आज उन सब को बाहर जाना है किसी के घर, मैं वहां बोर हो जाऊंगा. चलो हम दोनों भी लंच करते हैं कहीं.’’

‘‘ठीक है, आता हूं.’’

दोनों मिले. शेखर ने खाने का और्डर दे कर इधरउधर की बातें करने के बाद पूछा, ‘‘और तुम्हारी दोस्त के क्या हाल हैं? कहां तक पहुंची है बात, दोस्ती ही है या…?’’

‘‘वह सब कहने की बात थोड़े ही है, दोस्त,’’ अनिरुद्ध मुसकराया.

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