जब मां-बाप करें बच्चों पर हिंसा

दिल्ली के दक्षिणपुरी इलाके में (13 सितम्बर 2019 ) को इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई. दरअसल बच्ची के रोने से परेशान हो कर सौतेले पिता ने 3 साल की मासूम बेटी को गर्म चिमटे से जला दिया. अफ़सोस की बात यह है कि इस काम में बच्ची की सगी माँ सोनिया ने भी पति का साथ दिया. पड़ोसियों ने बच्ची के रोने की आवाज सुन कर चाइल्ड हेल्पलाइन में फ़ोन कर दिया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. बच्ची के साथ इस तरह के जुल्म करीब 4 माह से हो रहे थे. जब भी वह रोती थी उस का सौतेला बाप उस के साथ ऐसे ही मारपीट करता था.

घरेलू हिंसा जो बच्ची की मौत की वजह बनी

10 सितम्बर, 2019 को दिल्ली में 21 दिन की बेटी की हत्या करने के आरोप में पिता को गिरफ्तार किया गया. दिल्ली के द्वारका के बिंदापुर क्षेत्र में एक कारोबारी व्यक्ति ने पत्नी से झगड़ा करने के बाद 21 दिन की बेटी की हत्या कर दी. आरोपी ने पहले अपनी बेटी का गला घोटा और फिर उसे पानी की टंकी में डुबो दिया. बच्ची की 23 वर्षीय मां ने पुलिस में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. युवती द्वारा दर्ज शिकायत के मुताबिक़ वह शुक्रवार को मायके जाने की योजना बना रही थी. बच्ची का जन्म 16 अगस्त को हुआ था. मुकेश इस बात को ले कर खुश नहीं था. वह बच्ची को छत पर ले कर गया और दरवाजा बंद कर इस घटना को अंजाम दिया.

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20 जुलाई, 2019 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक व्यक्ति ने शराब के नशे में अपनी डेढ़ वर्षीय मासूम बेटी की जमीन पर पटक कर हत्या कर दी. इस वारदात को आरोपी की बड़ी बेटी ने देखा. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, घटना के दिन आरोपी युवक अज्जू वर्मन ने नशे की हालत में अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी को सिर के बल पटक दिया जिस से उसकी मौत हो गई. युवक की पत्नी उस वक्त अस्पताल में भर्ती थी. रात के समय जब वह घर आया तो उसकी छोटी बेटी रो रही थी. तब उस ने मंझली बेटी को पीटा और छोटी बेटी को सिर के बल पटक दिया.

जब पिता ने किया यौन उत्पीड़न

हाल ही में(18 अगस्त, 2019 ) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रिश्तों को शर्मसार करने वाली ऐसी ही घटना सामने आई. वहां एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया गया है जिस पर पहले अपनी ही बेटी से 2 साल तक रेप करने और बाद में उस की हत्या करने का आरोप है. आरोपी की पत्नी का निधन 15 साल पहले हो गया था. पीड़िता लड़की की उम्र 19 साल है.

बेटी के यौन उत्पीड़न का यह कोई पहला मामला नहीं है. इस से पहले देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में एक युवक को अपनी आठ साल की बेटी के साथ कई महीनों तक रेप करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. लड़की पिछले कुछ दिनों से सामान्य व्यवहार नहीं कर रही थी, जब पड़ोसियों ने उससे पूछताछ की तो उसने यौन उत्पीड़न के बारे में बताया.

मार खाती बच्ची और गाली बकते बाप का वीडियो

मार्च 2019 में बिहार के कंकरबाग की एक बच्ची का वीडियो वायरल हुआ था. जिस में 5 साल की बच्ची का पिता कभी उसे थप्पड़ मारता है, कभी उस के कंधे तक के बालों को मुट्ठी में भींच कर उस का सिर पटक देता है तो कभी लात से मारता है।

बच्ची लगातार मार खा रही है लेकिन एक बार भी अपने घावों को सहला नहीं रही. उस के मुंह से एक बार भी आह सुनने को नहीं मिलता.उल्टा वह बारबार माफ़ी मांग रही है,” पापा हम से ग़लती हो गई…हम अपना क़सम खाते हैं कि कभी भी जन्मदिन मनाने के लिए नहीं कहेंगे…हम साइकिल नहीं मांगेंगे… हम को माफ़ कर दीजिए…”

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, कंकड़बाग पुलिस ने इस शख़्स को तुरंत हिरासत में ले लिया. इस बच्ची का नाम जयश्री है और पिता का नाम कृष्णा मुक्तिबोध है.

राजस्थान का वीडियो

राजस्थान के राजसमंद जिले में देवगढ़ थाना ‘फूंकिया की थड़’ गांव से एक वीडियो वायरल हुआ जिस में दो मासूम बच्चों को उन का पिता सिर्फ इसीलिए खूंटी से बांध कर पीटता है क्यों कि मना करने के बावजूद बच्चे मिट्टी खाते थे और जहांतहां गंदगी कर बैठते थे। बच्चों के चाचा ने वीडियो बनाया और वायरल कर दिया। मामला उठा तो पुलिस कार्रवाई हुई। बच्चों को पीटने वाला पिता गिरफ्तार हुआ. वीडियो बनाने वाले चाचा पर भी कार्रवाई की गई. इस वीडियो को देख कर कोई भी सिहर उठेगा.

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ऐसे मामले एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में होते रहते हैं. पूरे देश में बच्चे घरेलू हिंसा के शिकार होते रहे हैं। दीगर बात यह है कि इस का कोई ऑफिशियल आंकड़ा तब ही रिकॉर्ड होता है जब शिकायत होती है। ज्यादातर घरों में लोगों को ही अंदाजा नहीं बच्चे जानेअनजाने किस तरह ‘घरेलू हिंसा’ का शिकार हो रहे हैं। बच्चों के प्रति मारपीट, उन की उपेक्षा, उदासीनता और अनदेखी, समय न दे पाना, अपेक्षाओ का बोझ ,धमकाना जैसी बातें आम हैं. मानसिक प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के ऐसे मामले बच्चों के व्यक्तित्व को प्रभावित करती हैं. कुछ मामलों में नौबत जान से हाथ धोने की आ जाती है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में करीब 13 करोड़ बच्चे अपने आसपास बुलिंग या दादागीरी का सामना करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हर 7 मिनट में दुनिया में कहीं न कहीं एक किशोर को हिंसा के कारण अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसी मौतों की वजह झगड़ों के बाद हुई हिंसा होती है। वस्तुतः किशोरों में हिंसा की बढ़ी प्रवृति बढ़ का जवाब उन के बचपन में ही छिपा होता है।

21वीं शताब्दी के पहले सोलह सालों (वर्ष 2001 से 2016 तक) में भारत में 1,09,065 बच्चों ने आत्महत्या की है. 1,53,701 बच्चों के साथ बलात्कार हुआ है. 2,49,383 बच्चों का अपहरण हुआ है. कहने को हम विकास कर रहे हैं लेकिन हमारे इसी समाज में स्कूली परीक्षा में असफल होने के कारण 34,525 बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं. ये महज वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं. इन से कई गुना ज्यादा घरेलु हिंसा, बलात्कार और शोषण के मामले तो दर्ज ही नहीं होते हैं.

इसी कड़ी में आगे पढ़िए बच्चों का उत्पीड़न हो सकता है खतरनाक…

Serial Story: स्वदेश के परदेसी – भाग 1

आस्ट्रेलियाई शहर पर्थ के सीक्रेट गार्डन कैफे में बैठी अलाना अपने और्डर का इंतजार करती हुई न्यूजपेपर के पन्ने पलट रही थी, तभी उस के मोबाइल पर यीरंग का फोन आ गया. ‘‘हैलो डार्लिंग, क्या कल किंग्स पार्क में होने वाली कैंडिल विजिल में तुम भी चलोगी? मेरे पास एक मित्र से फेसबुक के जरिए निमंत्रण आया है.’’

‘‘कौन सी और किस की कैंडिल विजिल?’’ ‘‘वही जो मेलबौर्न के टैक्सी ड्राइवर मनमीत सिंह की याद में निकाली जा रही है.’’

‘‘वह तो इंडियन की कैंडिल विजिल है, हमें क्या लेनादेना है उस से. कोई मतलब नहीं है उस का हम से.’’ ‘‘इंडियन की कैंडिल विजिल है… क्या मतलब है तुम्हारा, क्या कहना चाहती हो तुम? क्या हम और तुम इंडियन नहीं हैं?’’

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं.’’ अलाना लगभग चीखती हुई बोली. आसपास बैठे लोगों के हैरानी से उसे ताकने के कारण उसे याद आया कि वह एक सार्वजनिक स्थान पर बैठी हुई है. पानी के 2 घूंट गटक कर अपनेआप पर काबू करती हुई बोली, ‘‘नहीं, मैं नहीं जाऊंगी. तुम तो ऐसे ही हो, सबकुछ जल्दी ही भूल जाते हो. याद नहीं तुम्हें कि दिल्ली में हमारे साथ क्या हुआ था? हर तरह का नर्क देख लिया था हम ने वहां. यहां आस्ट्रेलिया में आए हुए हमें तकरीबन 5 साल हो गए हैं. अभी तक सब ठीक ही चल रहा है. किसी मनमीत सिंह के साथ मेलबौर्न में क्या हुआ, हमें कोई लेनादेना नहीं. मगर दिल्ली, वहां की तो जमीन पर पहला कदम रखते ही हमारे दुर्दिन शुरू हो गए थे. दोजख बन गई थी हमारी जिंदगी. दूसरे देशों में आ कर ये लोग रेसिज्मरेसिज्म चिल्लाते हैं. खुद के गरीबान में झांक कर नहीं देखते कि खुद का असली रूप क्या है?’’

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‘‘बिलकुल दुरुस्त फरमाया तुम ने, अलाना. सब से बड़े नस्लवादी तो हमारे अपने देशवासी ही हैं,’’ अब यीरंग की आवाज भी सुस्त हो चुकी थी, ‘‘खैर, कोई जबरदस्ती नहीं है, अभी तो तुम्हारे पास सोचने के लिए समय है. कल तक तय कर लेना कि तुम्हें जाना है

या नहीं.’’ अलाना ने कौफी के घूंट भरने शुरू किए. पर्थ में सीक्रेट गार्डन कैफे की कौफी उस की मनपसंद कौफी थी. वह जबतब यहां कौफी पीने चली आया करती थी. मगर आज यीरंग से फोन पर बात होने के बाद, 5 साल पहले दिल्ली में किए गए अपमान के घूंटों की स्मृतियां कौफी के स्वाद को कड़वा व बेस्वाद कर गईं. चिंकी, मोमो, चाऊमीन, बहादुर, हाका नूडल्स जैसे तमाम शब्द फिर से कानों में गूंजते हुए उस की वैयक्तिकता को ललकारने लगे. याद आ गया वह समय जब वह मिजोरम से दिल्ली विश्वविद्यालय, इतिहास में मास्टर्स करने, आई थी.

‘पासपोर्ट निकालो,’ एयरपोर्ट अथौरिटी के एक आदमी ने कड़क आवाज में पूछा था उस से. ‘वह क्यों सर, मैं इंडियन हूं और अपने ही देश में एक प्रांत से दूसरे प्रांत में जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती, इतना तो हम भी जानते हैं.’

‘अच्छा, शक्ल से तो इंडियन नहीं लगती हो. चलो एक छोटा सा टैस्ट कर लेते हैं. जरा यह तो बताओ कि इंडिया में कुल मिला कर कितने प्रांत हैं?’ ‘सर, आप नस्लवाद फैला रहे हैं, मेरे नैननक्श मेनलैंड में रहने वालों से अलग हैं, इस का यह मतलब नहीं कि उन का अधिकार इस देश पर मुझ से अधिक हो जाता है. हमें तो गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में हर तरह की शक्लसूरत, खानपान वाले लोग रहते हैं. इंडिया मेरी मातृभूमि है और इस पर जितना हक आप का बनता है उतना ही मेरा भी है. रही बात आप के सवाल के जवाब की, तो उस के बदले में मैं भी आप से एक सवाल करती हूं, ‘कौन सी महिला स्वतंत्रता सेनानी जेल में सब से लंबे समय तक रही थी? अगर आप सच्चे हिंदुस्तानी हैं तो आप को इस का जवाब जरूर पता होना चाहिए.’

‘एयरपोर्ट अथौरिटी में मैं हूं या तुम? यहां सवाल पूछने का हक सिर्फ मुझे है.’ ‘हम लोकतंत्र में रहते हैं. हमारा संविधान हर नागरिक को सवाल पूछने व अपने विचार व्यक्त करने का हक देता है. खैर, आप की इन्फौर्मेशन के लिए उस स्वतंत्रता सेनानी महिला का नाम था- रानी गाइडिनलियु और वे मणिपुर की थीं. अब देखिए न, सर, आप अपनेआप को इंडियन कहते हैं और आप को अपने देश के इतिहास की जानकारी नहीं है. जब मिजोरम, नगालैंड, मणिपुर में रहने वाले लोगों को झांसी की रानी और भगतसिंह का इतिहास पता है तो आप को भी तो रानी गाइडिनलियु के बारे में पता होना चाहिए.’

अलाना उस औफिसर का साक्षात्कार सच से करवा चुकी थी और अब वह ‘मान गए मैडम, अब बस भी कीजिए,’ कह कर खिसियाई मुसकराहट देता हुआ अपना बचाव कर रहा था.

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दिल्ली के मर्द अलाना को चरित्रहीन समझते थे और बस या टैक्सीस्टैंड पर खड़ी देख कर सीधा मतलब निकालते थे कि वह धंधे के लिए खड़ी है. ऐसे ही एक मौके पर उस की मुलाकात यीरंग से हुई थी. यीरंग 5 साल पहले इन्फौर्मेशन टैक्नोलौजी की पढ़ाई करने के लिए अरुणाचल प्रदेश से दिल्ली आया था और एक कंपनी में डेटा साइंटिस्ट के पद पर कार्य कर रहा था. एक दिन उस ने सड़क पर गुजरते हुए देखा कि कुछ लोग बसस्टौप पर खड़ी एक मिजो गर्ल को तंग कर रहे हैं. उस ने अपनी कार वहीं रोक दी और अलाना की मदद करने आ पहुंचा. यीरंग को देख कर वे असामाजिक तत्त्व तुरंत ही भाग गए. उस दिन यीरंग ने अलाना को उस के फ्लैट तक सुरक्षित पहुंचा दिया और यहीं से उन की दोस्ती की शुरुआत भी हो गई. एक से दर्द, एक सी समस्याओं के दौर से गुजर रहे थे दोनों. यही दुविधाएं दोनों को जल्दी ही एकदूसरे के करीब ले आईं और पहली मुलाकात के एक साल बाद उन्होंने शादी कर ली. उन दोनों की शादी के बाद अलाना की छोटी बहन एंड्रिया भी दिल्ली में पढ़ने आ गई और उन के साथ रहने लगी.

शादी के बाद उन की जरूरतें बढ़ने और एंड्रिया के साथ आ कर रहने के कारण उन्हें बड़े घर की जरूरत महसूस हुई. बहुत से मकान देखे गए. कुछ मकान पसंद नहीं आते थे और जो उन्हें पसंद आते, उन के मकान मालिकों को ‘चिंकीस’ को अपना मकान देना गवारा नहीं था. मकान की तलाश के दौरान उन्हें रंगबिरंगे, सुखददुखद अनुभव हो रहे थे. कई अनुभव चुटकुले बनाने के काबिल थे तो कई दिल को लहूलुहान करते कांच की किरचों जैसे थे.

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Serial Story: स्वदेश के परदेसी – भाग 4

उन्हीं दिनों एंड्रिया का एक मित्र, जो एंड्रिया के गायब होने वाले दिन ही गुवाहाटी चला गया था, अचानक दिल्ली वापस आ गया. वापस आने पर उसे जैसे ही एंड्रिया के दूसरे मित्रों से उस की संदिग्ध मौत का समाचार मिला तो वह तत्काल ही अलाना से मिलने पहुंचा. उस ने अलाना को बताया कि उस दिन एंड्रिया कालेज आने से पहले रास्ते में कोचिंग वाले ट्यूटर के घर से कुछ नोट्स लेने जाने वाली थी, उन्होंने ही उसे अपने फ्लैट पर आ कर नोट्स ले जाने को कहा था.

एंड्रिया के मित्र के बयान के आधार पर पुलिस ने जब उस ट्यूटर के घर की तलाशी ली तो सारा सच सामने आ गया. बिल्ंिडग में लगे सीसीटीवी कैमरे के पुराने रिकौर्ड्स की जांच करने पर पाया गया कि उस दिन एंड्रिया सुबह करीब 9 बजे ट्यूटर के अपार्टमैंट में आई थी. मगर उस के वापस जाने का कहीं कोई रिकौर्ड नहीं था. हां, उसी दिन दोपहर करीब 1 बजे ट्यूटर और उस का एक साथी एक बड़ा सा ब्रीफकेस घसीटते हुए बाहर ले जा रहे थे. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के दबाव में उन्होंने जल्दी ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

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घटना वाले दिन जब एंड्रिया वहां नोट्स लेने पहुंची तो ट्यूटर के यहां उस का एक साथी भी मौजूद था. दोनों ने बारीबारी से एंड्रिया के साथ जोरजबरदस्ती की और अपने मोबाइल में उस का वीडियो भी बना लिया. उन्होंने एंड्रिया को धमकाया कि वह इस बारे में किसी से कुछ न कहे. बस, आगे भी ऐसे ही उन से मिलने आती रहे. अगर वह उन की बात नहीं मानेगी तो वे उस का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देंगे. उन के लाख समझाने पर भी एंड्रिया चिल्लाचिल्ला कर कहती रही कि वह चुप नहीं बैठेगी और उन दोनों को उन के किए की सजा दिलवा कर चैन लेगी. जब वह नहीं मानी तो उन्होंने गला दबा कर उस की हत्या कर दी और लाश के टुकड़े कर के एक ब्रीफकेस में भर कर यमुना नदी में फेंक आए. मुजरिमों की गिरफ्तारी के कुछ समय बाद ही यीरंग को आस्ट्रेलिया से एक अच्छा जौब औफर मिल गया. वह और अलाना एक नई शुरुआत करने के लिए वहां प्रवास कर गए. उन्हें आस्ट्रेलिया आए हुए अब तक करीब 5 साल हो चुके थे और मासूम एंड्रिया को दुनिया छोड़े हुए करीब 6 साल. मगर उस की मौत से मिले जख्म थे कि सूखने का नाम ही नहीं ले रहे थे. जबजब इन जख्मों में टीस उठती, दिल का दर्द शिद्दत पर पहुंच कर दिन का चैन और रातों की नींद हराम कर के रख देता.

एंड्रिया की सारी भौतिक यादें दिल्ली में ही छोड़ दी गई थीं पर क्या भावनात्मक यादों की परछाइयां पीछे छूट पाई थीं? कोई न कोई बात उत्प्रेरक बन कर यादों के बवंडर ले आती. आज मनमीत सिंह की कैंडिल विजिल की खबर उत्प्रेरक बनी थी तो कल कुछ और होगा…कुल मिला कर जीवन में अमन नहीं था. दुनिया के लिए एंड्रिया 6 साल पहले मर चुकी थी पर अलाना के लिए आज तक वह उस के दिलदिमाग में रह कर उस की सभी दुनियावी खुशियों को मार रही थी. ‘‘मैडम, एनीथिंग एल्स?’’ बैरे की आवाज पर अलाना चौंकी और यादों के भंवर से बाहर आई. उस ने घड़ी पर नजर डाली. उसे कैफे में बैठेबैठे 2 घंटे से ज्यादा हो चुके थे. शुष्क मौसम की वजह से कौफी का खाली प्याला सूख चुका था. मेनलैंड के लोगों के व्यवहार की शुष्कता ने अलाना के अंदर की इंसानियत को भी सुखा दिया था. इस शुष्कता का प्रभाव इतना ज्यादा था कि आज मनमीत सिंह की हत्या की खबर भी आंखों में नमी नहीं ला पाई. खुद के साथ हुए हादसों ने मानवता के प्रति उस के दृष्टिकोण को संकुचित कर दिया था.

अब आंखें नम होती तो थीं पर केवल व्यक्तिगत दुख से. वह नफरत बांट रही थी नफरत के बदले. क्या वह समस्या का निदान कर रही थी या फिर जानेअनजाने में खुद समस्या का हिस्सा बनती जा रही थी?

अलाना ने एक और कैपीचीनो और्डर की. शायद दिमाग को थोड़ी सी ताजगी की जरूरत थी. वह सड़ीगली यादों से छुटकारा चाहती थी. वो यादें जो कि उस के वर्तमान को कैद किए बैठी थीं भूतकाल की सलाखों के पीछे. कैपीचीनो खत्म करते ही वह तेज कदमों से कैफे से बाहर निकल आई. एक निष्कर्ष पर पहुंच चुकी थी वह. एक ताजा हवा का झोंका उस के चेहरे को छूता हुआ गुजरा तो उस ने आकाश की ओर निहारा, जाने क्यों आकाश आज और दिनों की भांति ज्यादा स्वच्छ लग रहा था. उसे घर पहुंचने की जल्दी न थी, इसलिए उस ने स्वान नदी की तरफ से एक लंबा सा ड्राइव लिया. नदी, वायु, आकाश, पेड़पौधे, पक्षी सभी तो हमेशा से थे यहां. जाने क्यों कभी उस का ही ध्यान नहीं गया था अब तक इन खूबसूरत नजारों की ओर. उस ने सोचा, चलो कोई बात नहीं, जब आंख खुले उसी लमहे से एक नई सुबह मान कर एक नई शुरुआत कर देनी चाहिए.

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शाम को यीरंग के घर वापस आते ही अलाना ने उस को अपना फैसला सुनाया, ‘‘यीरंग, मैं भी कल मनमीत सिंह की कैंडिल विजिल में चलूंगी तुम्हारे साथ. तुम ठीक ही कहते हो ‘टू रौंग्स कांट सेट वन राइट’.’’ ‘‘मुझे तुम से ऐसी ही उम्मीद थी, अलाना. गलती तो हम भी करते हैं. जो थोड़े से फ्रैंड्स मैं ने और तुम ने दिल्ली में बनाए थे, क्या दिल्ली से चले आने के बाद हम ने उन से कोई संबंध रखा? दोस्ती के पौधे के दिल के आंगन में उग आने के बाद, उस की परवरिश के लिए मेलमिलाप के जिस खादपानी की जरूरत होती है क्या वह सब हम ने दिया? नहीं न, तो फिर हम पूरा दोष दूसरे पर मढ़ कर खुद का दामन क्यों बचा लेते हैं.

‘‘जब कोई परिवर्तन लाने का प्रयास करो तो यह अभिलाषा मत रखो कि परिवर्तन तुम्हें अपने जीवनकाल में देखने को मिल जाएगा. हां, अगर सच्चे मन से परिवर्तन लाने की चेष्टा करो तो बदलाव जरूर आएगा और उस का लाभ आने वाली पीढि़यों को अवश्य होगा.’’ ‘‘सही बात है, यीरंग. बहुत से वृक्ष ऐसे होते हैं जिन्हें लगाने वाले उन के फलों का आनंद कभी नहीं ले पाते. मगर फिर भी वे उन्हें लगाते हैं अपनी अगली पीढ़ी के लिए. शायद इसी तरह से कुछ इंसानी रिश्तों के फल भी देर में मिलते हैं. वक्त लगता है इन रिश्तों के अंकुरों को वृक्ष बनने में. एक न एक दिन इन वृक्षों के फल प्रेम की मिठास से जरूर पकते हैं. मगर, पहली बार किसी को तो बीज बोना ही होता है. तुम ने एक बार मुझ से कहा था कि ‘आज भी दुनिया में अच्छे लोगों की संख्या ज्यादा है, इसीलिए यह दुनिया चल भी रही है. जिस दिन यहां बुरे लोगों का प्रतिशत बढ़ेगा, यह दुनिया खत्म हो जाएगी.’ तुम सही थे, यीरंग, तुम बिलकुल सही थे.’’

और दूसरे दिन ‘स्वदेश के परदेसी’ अलाना और यीरंग आस्ट्रेलिया की भूमि पर पूर्णरूप से देसी बन कर अपने देसी भाई मनमीत सिंह की कैंडिल विजिल में शामिल होने के लिए सब से पहले पहुंच गए थे.

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Serial Story: स्वदेश के परदेसी – भाग 3

‘यह दिन तो आना ही था. तुम लोगों को समझना चाहिए कि तुम दिल्ली में रह रहे हो और तुम्हें यहां रहने वालों के तौरतरीके अपनाने चाहिए. तुम लोग यहां आते हो और न्यूसेंस क्रियेट करते हो. तुम इंडियन नहीं, बल्कि चायना से आए हुए घुसपैठिए लगते हो,’ पुलिस इंस्पैक्टर ने पान चबाते हुए सामने बैठे यीरंग से कहा. ‘क्या हैं यहां के तौरतरीके?’

‘जब आए थे तो दिल्ली पुलिस की व्यवहार नियमावली पत्रिका ले कर पढ़नीसमझनी चाहिए थी. इस में स्पष्ट किया गया है कि जब तुम्हारे जैसे चिंकी लोग दिल्ली में आएं तो उन्हें किस तरह का व्यवहार करना चाहिए और तुम्हारी औरतों को भारतीय परिधान पहन कर भारतीय नारियों की तरह रहना चाहिए.’ ‘क्या आप सिखाएंगे हमें व्यवहार करना? हम क्या सर्कस के जानवर हैं और आप वहां के रिंग लीडर जो आप हमें अपने हिसाब से प्रशिक्षित करेंगे. हम भी दिमाग रखते हैं. थोड़ीबहुत समझ तो हमें भी है. वैसे भी, हम यहां अपनी गुमशुदा बहन की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आए हैं, आप से आचार संहिता सीखने के लिए नहीं.’

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एक घंटे की मगजमारी के बाद आखिरकार रिपोर्ट दर्ज हो ही गई. पुलिस ने अपने स्तर पर पूछताछ और जांच शुरू कर दी थी. मगर प्रक्रिया अत्यंत ही ढीलीढाली थी. जैसेजैसे वक्त बीत रहा था, वैसेवैसे एंड्रिया के जीवित मिलने की उम्मीद धूमिल पड़ती जा रही थी. उस को गायब हुए अब तक 5 दिन हो चुके थे. और फिर एक दिन सुबहसुबह दिल्ली में अभी सूर्योदय हुआ ही था कि अलाना के मोबाइल पर थाने से फोन आ गया, ‘मैडम, यमुना नदी के एक धोबीघाट पर कल एक सूटकेस में किसी युवती की बौडी छोटेछोटे टुकड़ों में पड़ी मिली है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उस की उम्र 16 से 20 साल के बीच की होनी चाहिए. डीएनए रिपोर्ट आना अभी बाकी है. आप से निवेदन है कि आप शिनाख्त के लिए आ जाएं. हो सकता है कि ये एंड्रिया…’

इस से आगे सबकुछ शून्य हो चुका था. अलाना को इंस्पैक्टर की आवाज किसी गहरे कुएं से आती सी प्रतीत हो रही थी. वह और यीरंग जिस हालत में बैठे थे, उसी में पुलिस थाने पहुंच गए. बौडी छोटेछोटे टुकड़ों में पड़ी मिली, लाश का चेहरा तेजाब छिड़क कर बिगाड़ दिया गया था. फिर भी बाएं हाथ पर बना बिच्छू का टैटू उस मृत मानव शरीर को एंड्रिया की लाश होने की पुष्टि साफसाफ कर रहा था.

सबकुछ प्रत्यक्ष था. फिर भी अलाना का दिल इस हृदयविदारक सच को झुठलाने की असफल कोशिश कर रहा था. वह जानती थी कि यह विक्षिप्त देह खूबसूरत एंड्रिया की ही है पर मन को सच स्वीकार नहीं था. डीएनए रिपोर्ट के आने में अभी 24 घंटे बाकी थे. लमहालमहा एकएक सदी सा प्रतीत हो रहा था. आखिर वक्त गुजरा और डीएनए रिपोर्ट भी आई, वह भी एंड्रिया की हत्या की पुष्टि के साथ. जब तक एंड्रिया जीवित थी, अलाना को उस से कुछ खास मोह न था. दोनों बहनों का परस्पर लगाव औसत दर्जे का ही था. अलाना ने यीरंग के साथ नईनई दुनिया बसाई थी. वे दोनों एकांत चाहते थे. परंतु एंड्रिया के साथ आ कर रहने से एकांत मिलना काफी हद तक नामुमकिन हो गया था. उन जैसों से मकान मालिक वैसे ही डेढ़दो गुना किराया वसूल करते थे, ऊपर से एंड्रिया की वजह से उन्हें एक बैडरूम ज्यादा लेना पड़ा था. इसलिए उन के खर्चे बढ़े थे. इस कारण भी अलाना को छोटी बहन महज एक जिम्मेदारी लगती थी.

वह मन ही मन मिन्नतें करती थी कि जल्दी से जल्दी एंड्रिया की पढ़ाई पूरी हो और वह उस की जिम्मेदारी से मुक्त हो कर चैन की सांस ले. अलाना को भान नहीं था कि उसे एंड्रिया की जिम्मेदारी से इतनी जल्दी, इस रूप में मुक्ति मिलेगी. ग्लानिबोध से अलाना को अपनेआप से घृणा होती. वह घंटों एंड्रिया की तसवीर के आगे बैठी रहती, तो कभी वह एंड्रिया के वौयलिन के तारों को छूती उस की कोमल उंगलियों के स्पर्श को महसूस करने की कोशिश करती. वह बाथरूम में जा कर एंड्रिया के तौलिए से अपना चेहरा ढक कर तौलिए की खुशबू में छोटी बहन के एहसास के कतरों को ढूंढ़ने का प्रयास करती.

एंड्रिया जब तक थी तब तक अलाना के लिए कुछ खास नहीं थी, पर मरने के बाद वह उस के अंदर समा कर उस का हिस्सा बन गई. दिनरात छोटी बहन को याद कर के अलाना की आंखों से अविरल अश्रुधारा बहती रहती.

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एंड्रिया के मर्डर की गुत्थी का कोई सुराग नहीं मिल रहा था. मिजोरम सरकार केंद्र सरकार पर निरंतर दबाव डाल रही थी. जगहजगह सामूहिक प्रदर्शन और धरने हो रहे थे. मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात. अलाना को अब दिल्ली से घृणा हो चुकी थी. वह सबकुछ छोड़ कहीं दूर चली जाना चाहती थी जहां इन रंजीदा यादों का कोई भी अवशेष न हो. उसे कहीं से पता चला कि आस्ट्रेलिया में डेटा साइंटिस्ट्स के पेशे में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर हैं. इस तथ्य को केंद्र बना कर वह यीरंग पर आस्ट्रेलिया चलने के लिए दबाव डालने लगी. ‘आस्ट्रेलिया जा कर क्या करेंगे, अलाना, अपना देश, अपना देश होता है,’ यीरंग तर्क करता.

‘किस बात का अपना देश. पहले ही बहुतकुछ खो चुके हैं हम यहां. अब और क्या खोना चाहते हो तुम…सैप्टिक होता तो बौडी पार्ट भी काट देना पड़ता है. जब मेनलैंड के वासी हमें इंडियन नहीं मानते तो हम क्यों दिल जोड़ कर बैठे हैं सब से. कुछ नहीं हैं हम यहां, सिवा स्वदेश के परदेसी होने के.’ ‘लोगों की सोच बदल रही है, अलाना. धीरेधीरे और बदलेगी. अब उत्तर भारत में से प्रोफैशनल लोग मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में जाने लगे हैं और दक्षिण भारत से दिल्ली, गुड़गांव में आने लगे हैं. 30 साल पहले यह चलन इतना नहीं था. यह मेलजोल समय के साथ और मिलनेजुलने पर ही संभव हो पाया है.

नौर्थईस्ट के लोगों का दिल्ली आना अभी नई शुरुआत है. वक्त के साथ इस संबंध में भी अनुकूलन बढ़ेगा और आपसी ताल्लुकात में सुधार आएंगे. टू रौंग्स कांट सेट वन राइट. अलाना समझने की कोशिश करो,’ यीरंग अलाना को समझाने का भरसक प्रयास करता. ‘भारतीय नागरिकता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है. फिर हमें अपने ही देश में बारबार अपना पासपोर्ट क्यों दिखाना पड़ता है. क्यों हम से उम्मीद की जाती है कि हम अपने माथे पर ‘हम भारतीय ही हैं’ की पट्टी लगा कर घूमें. हम से निष्ठापूर्ण आचरण की आशा क्यों की जाती है जब हमारे इतिहास का कहीं किसी पाठ्यक्रम में जिक्र नहीं, हमारे क्षेत्र के विकास से सरकार का कोई लेनादेना नहीं. मेनलैंड में हमें छूत की बीमारी की तरह माना जाता है. कुछ नहीं मिला हमें यहां, मात्र उपेक्षा के. क्या हमारी गोरखा रेजीमैंट के जवानों का कारगिल युद्ध में योगदान किसी दूसरी रेजीमैंट्स से कम था?’ अलाना सचाई के अंगारे उगलती.

आगे पढें- एंड्रिया के मित्र के बयान के आधार पर…

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Serial Story: स्वदेश के परदेसी – भाग 2

एक मकान मालिक अपने 2 बैडरूम के फ्लैट को दिखाते हुए कुछ इस अंदाज में कमैंट्री दे रहा था जैसे कि कोई टूरिस्ट गाइड किसी टूरिस्ट को दिल्ली का लालकिला दिखा रहा हो. वापस लौटते समय उस कमैंट्री की नकल उतारतेउतारते अलाना और एंड्रिया के पेट में हंसतेहंसते बल पड़ गए थे. एक घर का किराया एजेंट ने सिर्फ 5 हजार रुपए बताया था, मगर जब वे मकान देखने पहुंचे तो मकान मालिक एकाएक 8 हजार रुपए महीने की मांग करने लगा. ‘मगर हमारे कुछ लोकल फ्रैंड्स तो केवल 5 हजार रुपए में ही ऐसा घर ले कर इस इलाके में रह रहे हैं,’ यीरंग ने डील करने की कोशिश करते हुए कहा.

‘जरूर रह रहे होंगे. लोकल्स तो लोकल्स होते हैं, विश्वास के लायक होते हैं. तुम्हारे जैसे चिंकी लोगों को घर में रखने का मतलब है ऐक्सट्रा रिस्क लेना. अभी कल के ही अखबार में खबर पढ़ी थी हम ने. तुम्हारी तरफ की एक औरत ड्रग का धंधा करती हुई पकड़ी गई. ऊपर से पड़ोसियों को तुम्हारे गंदे खाने की दुर्गंध के साथ भी निभाना पड़ेगा. देख लो अगर 8 हजार रुपए किराया मंजूर है तो अभी एडवांस निकालो, वरना अपना रास्ता नापो. खालीपीली मेरा वक्त बरबाद तो करो मत,’ मकान मालिक अपनी मोटी तोंद पर हाथ फिराता, एक जोर की डकार मारता हुआ बोला. यह सीधासीधा नस्लवाद था. लेकिन कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं था. इस मकान की लोकेशन भी सुविधाजनक थी, इसलिए सौदा मंजूर कर लिया गया. दिल्ली में नईनई आई एंड्रिया की अपनी अलग परेशानियां थीं. क्लास में सभी उसे पार्टीगर्ल और पियक्कड़ समझते थे और मना करने पर भी बारबार नाइटक्लब में पार्टी के लिए चलने को कहते. मिजोरम की खूबसूरत फिजाओं को छोड़ कर दिल्ली के प्रदूषित, गरम मौसम में उस का मन वैसे ही उचाट रहता था, ऊपर से ऐसी बातें मानसिक तनाव को और भी ईंधन दे रही थीं.

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उस का दिल करता कि वह रोज आराम से बैठ कर वौयलिन बजाए मगर मेनलैंड का भयंकर कंपीटिशन उसे किताबों में सिर खपाने को मजबूर करता. मिजोरम की नैसर्गिक सुंदर वादियों में बिताए, नदियों की कलकल से संगीतमय, दिन अब दूर की याद बन कर रह गए थे. जरूरतें उसे प्रकृति की गोद के सुरम्य, कोमल एहसास से निकल कर महानगर की कठोरता से जूझने को मजबूर कर रही थीं. ‘क्यों आते हम यहां दिल्ली में, अगर सरकार ने वक्त रहते हमारे इलाके में भी शिक्षा के विकास पर ध्यान दिया होता. क्या जरूरत थी हमें. और आए भी हैं तो क्या हुआ, अपने देश में ही तो हैं. फिर सब को हम से इतना परहेज क्यों है? क्यों सब के सब यहां हमारे एल्कोहलिक और लूज कैरक्टर होने का पूर्वाग्रह पाल कर बैठे हैं?’ एंड्रिया अकसर अलाना से शिकायत करती.

‘एंड्रिया माई स्वीट, यह सिर्फ तुम्हारे साथ ही नहीं हो रहा बल्कि हमजैसे हरेक के साथ यही होता है. हर जगह पक्षपात है. ऐसा लगता है कि हमारे अस्तित्व की किसी के लिए कोई अहमियत ही नहीं है. फिर वह चाहे सरकार हो या मीडिया या मुख्य भूभाग के वासी, सभी खुलेआम नकारते हैं हमारे भारतीय होने को. न्यूजचैनल वाले मुख्यभूभाग के छोटे से छोटे, पिछड़े हुए गांव में पहुंच जाते हैं खबरों के लिए मगर नौर्थईस्ट इंडिया के प्रदेशों में जाने से उन्हें भी बड़ा परहेज है,’ अलाना ने कहा. ‘हम अंगरेजी अच्छे स्तर की बोलते हैं, अलग तरह के कपड़े पहनते हैं, म्यूजिक में रुचि रखते हैं और रिलैक्स्ड जिंदगी जीना चाहते हैं तो इस का मतलब यह नहीं कि हमारे चरित्र कमजोर हैं. बस, हम आधुनिकता की सीढि़यों पर मेनलैंड के लोगों से एक मंजिल ज्यादा चढ़ चुके हैं, इसलिए हमारी सोच भी प्रगतिशील है, पिछड़ी हुई नहीं. हम हिंदुस्तानियों को चाहिए कि जब पश्चिम से सूरज उगे तो हम उसे हिंदुस्तानी आसमां का सूरज मान कर प्रणाम करें. इस बात की कोई अहमियत नहीं होनी चाहिए कि हम वह सूरज दिल्ली में देख रहे हैं या मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा में,’ एंड्रिया ने अपना मत व्यक्त किया.

‘ठीक कहती हो एंड्रिया, तुम. पर ये बातें औरों की भी समझ में आएं तब न. एक बार तो हद ही हो गई थी. तुम्हारे दिल्ली आने से पहले की बात है. मैं और यीरंग चांदनी चौक घूमने गए थे. वहां कुछ मवालियों का ग्रुप यीरंग के हेयरस्टाइल का मजाक उड़ाने लगा. वे सब मोमो, मोमो कह कर चिल्लाने लगे. यीरंग ने उन से पूछा, ‘तुम मुझे मोमो क्यों बुला रहे हो, मैं भी तुम्हारे जैसा ही इंडियन हूं?’ तो उन में से एक ने उस के सिर में धौल जमा दी और दूसरा उस की गरदन पकड़ कर बोला, ‘साला, हमारी दिल्ली में आ कर हम से जवाबदारी करता है चाऊमीन कहीं का.’ इस के साथ ही भीड़ में से कुछ और लोगों ने आ कर यीरंग के चारों तरफ घेरा बना लिया और ‘चाइनीज चिनीमिनी चिंगचिंग चू, चाइनीज चिनीमिनी चिंगचिंग चू’ सुर में सुर मिला कर सब गाने लगे.’

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‘और इतना सब होने पर आप ने और जीजू ने कुछ भी विरोध नहीं किया, दीदी, मेरे खयाल से आप को पुलिस में रिपोर्ट लिखवानी चाहिए थी.’ ‘यह क्या कम है कि हमारी जान बच गई. मैं ने सुन रखा है कि पुलिस भी हमारे जैसों की नहीं सुनती और हमारे मामलों को दर्ज किए बिना रफादफा करने की कोशिश करती है. एंड्रिया माई स्वीट, हम तो ‘स्वदेश के परदेसी’ हैं. देश तो है अपना, पर हम हैं सब के लिए पराए. अपने ही देश में अपनी पहचान के मुहताज हैं हम.’

‘क्या करें अब आगे बढ़ना है तो हालात से तो जूझना ही पड़ेगा,’ कुछ रोंआसी सी एंड्रिया अपनी किताबें उठाती हुई कालेज जाने के लिए निकल गई. वह इस टौपिक में फंस कर और दिमाग खराब नहीं करना चाहती थी. अलाना अब तक अपनी डिगरी पूरी कर चुकी थी और किसी अच्छी नौकरी की तलाश करती हुई अपना घर संभाल रही थी.

उस शाम एंड्रिया समय पर घर वापस नहीं आई. पहले तो अलाना ने सोचा कि एंड्रिया अपने किसी मित्र के घर चली गई होगी पर जैसेजैसे रात गहरी होने लगी तो उस की चिंता, घबराहट से डर में बदलने लगी. एंड्रिया के सभी मित्रों को फोन किया जा चुका था. उन से पता चला कि वह आज कालेज आई ही नहीं थी. यह खबर और भी होश उड़ाने वाली थी. सारी रात अपार्टमैंट की खिड़की से बाहर झांकते हुए और यहांवहां फोन करने में बीत गई थी. लेकिन एंड्रिया का कहीं कुछ अतापता नहीं चला. हार कर यीरंग और अलाना ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाने का फैसला किया.

आगे पढ़ें- पुलिस इंस्पैक्टर ने पान चबाते हुए सामने बैठे यीरंग से कहा…

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Valentine’s Special: शादी के बाद पहला वेलेंटाइन सेलिब्रेट करेंगे ये 10 सेलेब्रिटी कपल

वैलेंटाइन डे कपल्स के लिए किसी त्यौहार से कम नही है. जहां कुछ लोग शादी से पहले वेलेंटाइन डे को खास तरीके से मनाते हैं तो वहीं शादी के बाद भी कपल्स इस खास दिन को खूबसूरती से मनाते हैं. वहीं जिन कपल्स की नई-नई शादी हुई हो उनके लिए यह अपने प्यार का इजहार करने का खास दिन बन जाता है. वहीं कुछ सेलेब्स भी इनमें इस साल शामिल होने वाले हैं. दरअसल, साल 2020 के अंत में और 2021 की शुरुआत में कुछ सेलेब्स ने अपने रिश्ते को शादी का नाम दिया है. इसीलिए आज हम आपको उन सेलेब्स के बारे में बताने वाले हैं, जो शादी के बाद पहली बार वेलेंटाइन्स डे सेलिब्रेट करने वाले हैं.

1. रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़

रोहनप्रीत सिंह और नेहा कक्कड़ की शादी साल की सबसे चर्चित शादियों में से एक है. दोनों को ‘नेहू द व्याह’ में एक दूसरे से प्यार हुआ. और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. पहले चंडीगढ़ फिर दिल्ली में शादी के कार्यक्रम किया. जिसके बाद मुम्बई में रिसेप्शन भी दिया था.

 

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2. काजल अग्रवाल और गौतम किचलू-

 

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बॉलीवुड एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने अपने बॉयफ्रेंड गौतम किचलू से 30 नवंबर को शादी कर ली थी. अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने दोस्तों और परिवार के लिए एक रिसेप्शन भी आयोजित किया.

3. हार्दिक पांड्या और नतासा स्टैंकोविक-

2020 जाते जाते क्रिकेटर हार्दिक पांड्या ने फैंस को झटका दे दिया. हार्दिक ने अपनी गर्लफ्रेंड नताशा स्टैंकोविक के साथ ना सिर्फ शादी की घोषणा की, बल्कि पापा बनने की गुड न्यूज़ भी दे डाली. हालांकि उनके इस सरप्राइज का फैंस की तरफ से मिला जुला रिएक्शन सामने आया था.

4. आदित्य नारायण और श्वेता अग्रवाल-

 

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साल में रोहनप्रीत और नेहा की शादी के बाद आदित्य और श्वेता की शादी ने फैंस को खुश कर दिया. दोनों दस सालों से एक दूसरे को प्यार करते थे. दोनों की शादी की फोटोज भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं.

5. राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज-

 

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राणा दग्गुबाती और मिहिका बजाज ने 8 अगस्त, 2020 को शादी के बंधन में बंध गए. युगल की प्रेम कहानी पूरी तरह से आकर्षक है. शादी से पहले यह केवल फैमिली फ्रैंड थे.

6. कुनाल वर्मा और पूजा बनर्जी-

टीवी अभिनेत्री पूजा बनर्जी ने भी कुणाल वर्मा के साथ शादी के बंधन में बंध गयीं थीं. दोनों की शादी की पिक्स फैंस को खूब भाईं.

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7. नीति टेलर और परीक्षित बावा-

 

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टेलीविजन अभिनेत्री नीति टेलर ने अपने मंगेतर परीक्षित बावा के साथ अगस्त में शादी कर ली. इस समारोह में उनके मम्मी-पापा और करीबी परिवार के सदस्य ही सिर्फ मौजूद थे.

8. मनीष रायसिंह और संगीता चौहान-

 

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छोटे पर्दे के फेम मनीष रायसिंहन ने इस साल जून के महीने में संगीता चौहान के साथ अपनी जिन्दगी की नई पारी शुरू कर दी. दोनों की शादी मुंबई के गुरुद्वारे में सम्पन्न हुई. जहां उमके करीबी और माता-पिता ने अपना आशीर्वाद दिया.

9.  शहिर शेख और रुचिका कपूर-

टेलीविजन के मशहूर एक्टर शहिर शेख ने कुछ दिन महीने पहले ही अपनी गर्लफ्रेंड रुचिका कपूर से कोर्ट मैरिज की थी. शादी में सिर्फ परिवार के लोग ही शामिल हुए. बता दें रुचिका एकता कपूर की फिल्म डिविजन की हेड हैं.

10. गौहर खान और जैद दरबार

बिग बौस विनर रह चुकीं एक्ट्रेस गौहर खान ने भी बीते दिनों अपने बौयफ्रेंड जैद दरबार संग शादी की थीं, जिसकी फोटोज ने सोशलमीडिया पर हंगामा मचा दिया था.

Valentine’s Special: प्यार के रंग, सितारों के संग 

वैलेंटाइन डे पिछले कुछ वर्षों से लगातार मनाया जाता है, खासकर युवा पीढ़ी इसका पूरे साल बेसब्री से इंतज़ार करती है. इसे वे प्रेम दिवस भी मानते है और इस दिन वे प्रेम का इजहार अपने पार्टनर से करते है. फ़रवरी महीने की 7 तारीख से 14 तारीख को वैलेंटाइन वीक और 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. ये सही है कि कुछ लोग इसे पश्चिमी सभ्यता से आया हुआ मानते है और इसके विरोध में वे युवाओं पर डंडे बरसाने से भी नहीं कतराते, लेकिन ग्लोब्लाइजेशन के दौर में इसे मनाना गलत बात नहीं, पर इस दिन को मनाने के साथ-साथ प्यार पर विश्वास और कमिटमेंट रखना बहुत जरुरी है, ताकि रिश्ता न टूटे और प्यार हमेशा बना रहे. इस दिन के बारें में सेलेब्रिटी की कुछ खट्टी-मीठी बातें, जिसे उन्होंने खास गृहशोभा के लिए शेयर किया, आइये जाने.

मोहित डागा

mohit daga

भास्कर भारती फेम अभिनेता मोहित डागा कहते है कि वैलेंटाइन डे हमारी संस्कृति में कभी नहीं थी, लेकिन इस दिन की वजह से ग्रीटिंग्स कार्ड्स और फ्लावर्स की बिक्री बढ़ जाती है, जिससे कुछ लोगों को रोजगार मिल जाता है. मेरे हिसाब से केवल एक दिन ही इसे सेलिब्रेट करना जरुरी नहीं, अगर आप किसी से प्रेम करते है, तो अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि कभी भी और कही भी इसे किया जा सकता है.

कविता वर्मा 

kavita

अभिनेत्री कविता वर्मा कहती है कि ये अच्छी बात है कि वैलेंटाइन डे की वजह से एक दिन आपको अपनी भावनाओं को जाहिर करने का मौका मिल जाता है, लेकिन किसी भी रिश्ते को केवल एक दिन नहीं, हर दिन नर्चर करने की आवश्यकता होती है. हमारी आशाएं पार्टनर से बहुत अधिक बढ़ने और उसके न मिलने पर बोन्डिंग में बाधा उत्पन्न होती है. वैलेंटाइन डे केवल एक दिन के लिये ही होता है, जब हम साथ रहना चाहते है. इस साल मेरी वैलेंटाइन पेरेंट्स और बहन सोनिया को जाता है, क्योंकि वे सितारों के बीच भले ही हो, पर मैं दिल से उन्हें खुश रहने की दुआएं देना चाहती हूं.

सिद्धार्थ  सिपानी 

sidharth sipani

अभिनेता सिद्धार्थ कहते है कि वैलेंटाइन डे आजकल सभी मनाने लगे है. पूरा विश्व अगर इसे मना रहा है, तो आप भी इसे मनाएं, ये जरुरी नहीं. प्यार को जाहिर करने का केवल यही एक दिन नहीं होता. प्यार एक खूबसूरत एहसास है, जिसे आप किसी भी दिन अपने पार्टनर के साथ लजीज भोजन, सॉफ्ट म्यूजिक और बातचीत के साथ गुजार सकते है. वैलेंटाइन डे को अधिक रोमांटिक रूप दे दिया गया है, लेकिन इससे असली प्यार का अनुभव नहीं किया जा सकता.

अनुष्का रमेश

anushka ramesh

अभिनेत्री अनुष्का रमेश कहती है कि वैलेंटाइन डे प्यार के लिए मनाया जाने वाला एक खास दिन है, जिसमें कपल्स, दोस्त, या परिवार के कोई भी हो सकते है, जिन्हें आप प्यार करते है. मुझे वैलेंटाइन डे को सभी प्यारे लोगों के साथ मनाना पसंद है. इस बार मैं इसे मना नहीं सकती, क्योंकि मैं शूटिंग में व्यस्त हूं. इस दिन को मनाने के बावजूद आजकल डिवोर्स रेट बढ़ा है, क्योंकि सभी यूथ आज आत्मनिर्भर हो चुके है, इसलिए कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना चाहते. हर व्यक्ति अच्छी जिंदगी  की कोशिश बिताने की में लगा हुआ है, कम में किसी को भी संतुष्टि नहीं होती. पति-पत्नी में अगर अनबन हो रही है, तो उस रिश्ते को शांतिपूर्ण तरीके से छोड़कर अलग रहना ही सबसे बेहतर विकल्प है.

सृष्टि जैन 

shrishti jain

धारावाहिक मेरी दुर्गा से चर्चित हुई अभिनेत्री सृष्टि जैन का कहना है कि वैलेंटाइन डे मेरे लिए केवल एक दिन ही नहीं, बल्कि किसी भी दिन इसका इजहार किया जा सकता है. रिलेशनशिप और विवाह को टिकाये रखने के लिए हर दिन दोनों व्यक्ति को प्रयत्न करना पड़ता है, जो दोनों की मंजूरी से ही संभव होता है. शादियों के टूट जाने की वजह है, व्यक्ति कामकाज में इतने व्यस्त हो जाते है कि वे रिश्ते को टिकाये रखने के लिए कोशिश नहीं करते, जैसी उन्होंने शुरू में की थी. इससे उनके रिश्ते की डोर कमजोर होकर टूट जाती है. प्यार को सेलिब्रेट करने का यह दिन अच्छा है, लेकिन अगर आप किसी से प्यार करते है, तो हर दिन वैलेंटाइन डे होता है. इस बार मैं अपने परिवार के साथ इसे मनाना चाहती हूं, क्योंकि वे मेरे जीवन के सबसे प्यारे है.

अभिनन्दन जिंदल 

abhinandan

अभिनेता अभिनन्दन जिन्दल का मानना है कि केवल वैलेंटाइन डे को मनाने के लिए दो लोग आपस में रिलेशनशिप में है, तो कोई भी इससे खुश नहीं रह सकता. आज लाइफ बहुत प्रैक्टिकल हो चुका है, जिसकी वजह से भावनाएं भी ख़त्म हो चुकी है, ऐसे में यही एक दिन है, जब कपल थोडा समय निकाल कर इसे सेलिब्रेट कर सकते है. वैलेंटाइन डे मना लेने के बावजूद कई असफल शादियां दिखाई पड़ रही है, क्योंकि कपल्स ने अपनी भावनाओं को एक दूसरे से शेयर करना बंद कर दिया है, जो इस रिश्ते में बहुत जरुरी होता है. मैं किसी रिलेशनशिप में अब नहीं हूं, लेकिन पहले जब मैं लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में था, तो इस दिन मैं उसे हमेशा सरप्राइज दिया करता था.

मीरा देओस्थले

meera

अभिनेत्री मीरा हंसती हुई कहती है कि मैंने वैलेंटाइन डे कभी नहीं मनाया है. न तो मुझे कोई गिफ्ट मिला और न ही मैंने अपने बॉयफ्रेंड को कुछ दिया. मैं प्यार को एक दिन मनाने में विश्वास नहीं करती. किसी भी रिलेशनशिप में दोनों की एफर्ट रोज होनी चाहिए. आप जितना अपने पार्टनर को प्यार करते है, उसे भी उतना ही आपको प्यार करना जरुरी है. मैं जिसे डेट करती हूं, उसकी सोच मेरे जैसे ही है, जिससे हम दोनों को साथ समय बिताना अच्छा लगता है. ऐसे कई कपल मैंने देखे है, जो बाहर से खुश दिखते है, पर अंदर से वे एक दूसरे से नाखुश होते है. ऐसा क्यों होता है, ये बताना संभव नहीं, पर मेरे हिसाब से उनके बीच कोम्युनिकेशन का एक बड़ा गैप होता है, जबकि दोनों के बीच एक जैसी वेव लेंथ होना जरुरी है.

वीरेन्द्र कुमेरिया 

vijendra

धारावाहिक उडान फेम अभिनेता वीरेन्द्र कुमेरिया, वैलेंटाइन डे के बारें में कहते है कि ये एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है, जिससे यूथ अधिक मात्रा में कार्ड्स, फ्लावर्स, गिफ्ट्स आदि अपने पार्टनर के लिए ख़रीदे. रियल जिंदगी में अगर लव ट्रू है, तो हर दिन, हर क्षण मनाया जा सकता है. समस्या ये है कि आज के कपल वैलेंटाइन डे के दिन अपने प्यार को सोशल मीडिया पर अधिक दिखाना पसंद करते है, जबकि उन्हें अपने रिलेशनशिप के बारें में अच्छे और ख़राब बातों की चर्चा करने की आवश्यकता है, ताकि वे रिश्ते को मजबूती दे सकें. मेरे लिए वैलेंटाइन डे कोई माइने नहीं रखती, क्योंकि मैं अपने प्यार को एक दिन सेलिब्रेट नहीं करना चाहता.

‘अनुपमा’ की कास्ट को बड़ा झटका, कोरोना की चपेट में आया ये एक्टर

सीरियल अनुपमा इन दिनों टीवी का नंबर 1 शो बन चुका है. वहीं दर्शकों को शो में आने वाले ट्विस्ट का इंतजार रहता है, जिसके लिए मेकर्स पूरी कोशिश कर रहे हैं की शो की कहानी को नया मोड़ दें. इसी बीच ‘अनुपमा’ के सेट से एक बुरी खबर सुनने को मिल रही है. दरअसल, शो का एक एक्टर कोरोना पौजीटिव हो गया है, जिसके बाद शो की शूटिंग रोक दी गई है. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

समर हुआ कोरोना पौजीटिव

खबरों की मानें तो, शो में अनुपमा यानी रुपाली गांगुली के बेटे का रोल प्ले करने वाले समर यानी एक्टर पारस कलनावत को कोरोना पौजीटिव हो गए हैं, जिसके कारण शूट को फिलहाल के लिए कैंसल कर दिया गया है. दरअसल, पारस कलनावत के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद शो से जुड़ी पूरी कास्ट और क्रू के टेस्ट किए जा रहे हैं. हालांकि अभी पारस कलनावत की हेल्थ को लेकर और जानकारी नहीं मिल पाई है. हालांकि अभी तक खबर नही है कि कोई दूसरा संक्रमित हुआ है या नही.

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सीरियल में चल रहा है ये ट्रैक

 

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सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो इन दिनों अनुपमा की जिंदगी में मुसीबतें कम होने का नाम नही ले रही हैं. जहां एक तरफ पाखी और वनराज पूरी कोशिश कर रहे हैं कि अनुपमा स्कूल में आग लगने का इल्जाम अपने उपर ले सकें. लेकिन अनुपमा अपने उसूलों से समझौता ना करते हुए मीटिंग सच सामने रख देती है.

बता दें, राजन शाही के दूसरे सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के सेट पर भी कुछ स्टार्स कोरोना की चपेट में आए थे, जिनमें स्वाति चिटनिस, सचिन त्यागी और समीर ओंकार का नाम शामिल है. वहीं इसका असर शो की कहानी और सेट पर देखने को मिला था.

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5 लिपस्टिक ब्रैंड्स जो हैं बजट फ्रैंडली 

लिपस्टिक के बिना परफेक्ट आउटफिट भी अधूराअधूरा सा लगता है. तभी तो सदियों से महिलाएं लिप्स को रंगने के लिए अलगअलग तकनीक अपनाती रही हैं. क्योंकि भले ही आपने मेकअप हलका किया हो , लेकिन अगर लिप्स पर लिपस्टिक लगा ली, तो चेहरा खिल उठता है. यहीं नहीं आज अनेक ब्रैंड्स न सिर्फ लिपस्टिक को सिर्फ लिप्स को रंगने के उद्देश्य से डिज़ाइन कर रहे हैं , बल्कि लिपस्टिक्स में ऐसे इंग्रीडिएंट्स भी डाले जा रहे हैं , जिससे लिप्स की स्किन एक्सफोलिएट होने के साथ लिप्स हाइड्रेट भी रहते हैं. और ड्राई लिप्स की प्रोब्लम भी दूर हो जाती है. आज लिपस्टिक के ढेरों विकल्प उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी चोइज के हिसाब से खरीद सकती हैं. ऐसे में हम आपको टॉप 5 लिपस्टिक के ब्रैंड्स के बारे में बताते हैं , जिससे आपके लिप्स को ग्लैमर मिलने के साथसाथ प्रोटैक्शन भी मिलेगा .

1. लैक्मे  

लैक्मे, जो एक लक्ज़री ब्रैंड हैं. ये पौकेट फ्रैंडली होने के साथसाथ स्किन फ्रैंडली भी है. साथ ही लौंग लास्टिंग होने के साथसाथ आपके लिप्स को किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है. इसमें लैक्मे एनरिच , लैक्मे अब्सोल्युट, लक्मे 9 टू 5 , लक्मे लिप पॉउट काफी रेंज हैं.  जो क्रीमी, ग्लोसी , शिमरी, मैट सभी फोर्म्स में उपलब्ध हैं. खास बात यह है कि इसमें से कुछ लिपस्टिक प्राइमर बेस्ड भी हैं , जो लिप्स को कलर करने के साथ प्रोटेक्ट करने का भी  काम करती हैं . ये आपको मार्केट में 300 रुपए से 1500 रुपए के बीच मिल जाएंगी. इसमें आपको हर शेड मिल जाएंगे. जिन्हें  आप लैक्मे स्टोर या फिर ऑनलाइन आसानी से खरीद सकती हैं.

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2. लोरियल पेरिस 

भारत में  लोरियल पेरिस का ब्यूटी प्रोडक्ट्स की दिशा में खासा नाम है. खासकर लिपस्टिक के मामले में. क्योंकि ये कस्टमर्स की डिमांड को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट्स को मार्केट में उतारती है. प्रोडक्ट क्वालिटी के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाता. इस ब्रैंड में आपको लिपस्टिक के अधिकतर शेड्स मिल जाएंगे. ये ब्रैंड लगभग हर फोर्मेट में लिपस्टिक जैसे लिक्विड, ग्लॉसी, मैट , बुलेट्स , मेल्टी बाम  में उपलब्ध करवाता है . बस जो आपकी चोइज हो, उसके अनुसार आप लिपस्टिक के टाइप व कलर शेड को चूज़ कर सकती हैं. ये आपको मार्केट से 400 से 2000 रुपए के बीच आसानी से मिल जाएंगी.

3. नायका 

भले ही ये ब्रैंड ज्यादा पुराना नहीं है, लेकिन इस ब्रैंड ने कम समय में अपने कस्टमर्स के दिलों पर ऐसी छाप छोड़ दी है, कि ये अब लोगों का पसंदीदा ब्रैंड बनता जा रहा है. ये आपको लिपस्टिक क्रीमी मैट , मैट, अल्ट्रा मैट ,  लिप क्रेयॉन, लिप प्लैट, लिक्विड, मिनी लिपस्टिक सभी में उपलब्ध करवाता है. इस ब्रैंड की खास बात यह है कि 100 पर्सेंट क्रुएल्टी और पैरेबिन फ्री है. साथ ही ये एसेंशियल आयल व एन्टिओक्सीडैंट्स में रिच होने के कारण आपके लिप्स को सोफ्ट , हाइड्रेट रखने के कारण उनकी ड्राईनेस को दूर करने का काम करता है. इनकी लिपस्टिक्स इतनी लाइटवेट होती हैं  कि लगाने के बाद आपको एहसास भी नहीं होगा कि आपने कुछ लगाया हुआ है. ये आपको 200 – 1000 रुपए के बीच आसानी से  मिल जाएंगी.

4. मैक 

कोस्मेटिक लेने की बात हो और मैक ब्रैंड का ध्यान न आए , ऐसा हो ही नहीं सकता. क्योंकि ये ब्रैंड है ही इतना विश्वसनीय.  डर्माटोलॉजिस्ट टेस्टेड होने के साथ इस ब्रैंड की लिपस्टिक्स आपके लिप्स को पूरे दिन मॉइस्चरिजे रखने का काम करती हैं . इसलिए अगर आप लिप्स की ड्राईनेस की समस्या से परेशान हैं और लिप्स को खूबसूरत भी दिखाना चाहती हैं तो आप इसे जरूर टाई करें. ये आपको साटिन , फ्रोस्ट , लस्टर , मैट, रेट्रो मैट , लिक्विड फोर्म सब में मिल जाएंगी. साथ ही ये बजट फ्रैंडली भी हैं , क्योंकि ये लंबे समय तक स्टे रहने के साथसाथ लंबे समय तक चलती जो हैं.

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5. बोडी शौप 

इसके प्रोडक्ट्स अपने काम के कारण नाम कमा रहे हैं. फिर चाहे इस ब्रैंड्स की लिपस्टिक की बात हो या फिर अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स की, काफी डिमांड में रहते हैं. इसकी लिपस्टिक में  मैट लिपस्टिक, ग्लोसी लिपस्टिक, लिक्विड फॉर्म,  ग्लोसेस , लिप स्टैन आदि उपलब्ध हैं. ये पूरी तरह से क्रुएल्टी फ्री व नेचुरल हैं , जिससे लिप्स को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. तो फिर अपने लिप्स को खूबसूरत बनाने के लिए इन्हें टाई करना न भूलें.

कदम बढ़ाइए जिंदगी छूटने न पाए

‘‘सुबह की सैर के बारे में आप का क्या खयाल है?’’

‘‘सैर, वह भी सुबह की… अरे, समय ही नहीं मिलता…’’

किसी भी महिला से पूछ कर देखिए, यही जवाब मिलेगा. अगर आप का भी यही जवाब है तो यह लेख आप के ही लिए है.

‘जीवन चलने का नाम… चलते रहो सुबहोशाम…’ 70 के दशक की हिंदी फिल्म ‘शोर’ के इस लोकप्रिय गीत में जैसे जीने का सार छिपा है. जी हां, चलना ही जीवन की निशानी है. जब तक कदम चलेंगे तब तक जिंदगी चलेगी.

आज की इस अतिव्यस्त जीवनशैली में हम जैसे चलना भूल ही गए हैं. हमें खुद से ज्यादा मशीनों पर भरोसा होने लगा है. मशीनें हमारी मजबूती नहीं, बल्कि मजबूरी बन गई हैं. इन पर हमारी निर्भरता इतनी अधिक हो गई है कि हम ने अपनी निजी मशीन यानी शरीर की साजसंभाल लगभग बंद ही कर दी है. नतीजा, इस कुदरती मशीन को जंग लगने लगा है, इस के पार्ट्स खराब होने लगे हैं.

बस इतना ध्यान रखें

आज के इस दौर में लगभग हर वह व्यक्ति जो 40 पार जाने लगा है, किसी न किसी शारीरिक परेशानी से जूझ रहा है. कई बीमारियां जैसे मानसिक तनाव, दिल की बीमारियां आदि तो 40 की उम्र का भी इंतजार नहीं करतीं. बस, जरा सी लापरवाही की नहीं की व्यक्ति को तुरंत अपनी गिरफ्त में ले लेती है.

डायबिटीज, रक्तचाप, थायराइड, मानसिक तनाव हो या गर्भावस्था, डाक्टर सब से पहले मरीज को सुबहशाम घूमने की सलाह देते हैं. यह सब से सस्ता और आसान व्यायाम है, जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है. कहते हैं कि सुबह की सैर व्यक्ति को दिनभर ऊर्जावान रखती है, मगर यदि किसी कारणवश सुबह सैर का वक्त न मिले तो शाम को भी की जा सकती है. बस, इतना ध्यान रखें कि दोपहर के भोजन और सैर के बीच कम से कम 3-4 घंटे का अंतराल अवश्य रखें.

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नियमित सैर के शारीरिक फायदे

– सैर करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. जोड़ों और मांसपेशियों को नई ऊर्जा मिलती है.

– रक्त प्रवाह सही रहता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है.

– पाचनतंत्र मजबूत होता है.

– रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य रखने में भी सैर बहुत लाभदायक है.

– मोटापा कम होता है. शरीर स्वस्थ और आकर्षक रहने से आत्मविश्वास बढ़ता है.

– दिमाग तरोताजा और क्रियाशील रहता है.

– आसपास दिखने वाली हरियाली आंखों को सुकून और ठंडक देती है.

नियमित सैर के सामाजिक फायदे

सैर करने के कई सामाजिक फायदे भी हैं, मगर इस का अर्थ यह कदापि नहीं है कि आप अपनी सैर भूल कर गप्पबाजी करने लगें. इस के लिए सैर करने के बाद कुछ समय पार्क में शांति से बैठें, प्रकृति को नजदीक से महसूस करें और अपने आसपास के माहौल में घुलनेमिलने का प्रयास करें.

– यदि आप नियमित सैर पर जाती हैं तो बहुत से नए लोगों से आप की जानपहचान बनती है और आप का सामाजिक दायरा विस्तृत होता है.

– आसपास की वे ताजा खबरें मिल जाती हैं, जो सामान्यता अखबार में नहीं होतीं.

– विचारों का आदानप्रदान होने से नए विचार जगह बनाते हैं और आप की क्रियाशीलता बढ़ती है.

– जानेअनजाने कई सामाजिक समस्याओं के समाधान मिल जाते हैं.

– कई बार आपसी जानपहचान रिश्तेदारी में भी बदल जाती है.

– यदि आप क्रियाशील व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं तो नियमित सैर करना आप के लिए किसी वरदान से कम नहीं. सैर करते समय दिमाग बहुत क्रियाशील रहता है

और आप को बहुत से नए आइडियाज आ सकते हैं जो आप की क्रियाशीलता को बढ़ाएंगे.

हालांकि सैर करना सब से आसान व्यायाम कहलाता है मगर फिर भी ये सावधानियां रखना अतिआवश्यक है:

सैर के दौरान क्या करें

– सैर करने का समय निश्चित रखें और इस का पालन करें.

– सैर चाहे सुबह हो या शाम, हमेशा आरामदायक जूते पहन कर ही करें.

– इस दौरान पहने जाने वाले कपड़े भी आरामदायक होने चाहिए.

– सैर के लिए किसी हरियाली वाली जगह को ही चुनें. हरेभरे पार्क आप को अपनी सैर नियमित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

– सैर करते समय थोड़ी गहरी सांसें लें.

– यदि लंबी सैर करनी हो तो अपने साथ पानी की बोतल अवश्य रखें.

– सैर के समय पेट खाली रखें.

– सर्दियां हों तो आवश्यक गरम कपड़े पहन कर सैर पर जाएं.

– अतिआवश्यक कार्य निबटा कर सैर पर निकलें ताकि दिमाग व्यर्थ में उल?ो नहीं.

सैर के दौरान क्या न करें

– पहले ही दिन ज्यादा सैर करने की न सोचें अन्यथा अधिक थकान होने से आगे के लिए उत्साह मंद पड़ सकता है.

– सैर न करने के बहाने न खोजें

– सैर करते समय बातें न करें.

– सैर करते समय पहने जाने वाले कपड़े न तो अधिक ढीले हों और न ही ज्यादा कसे हुए.

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– सैर करने के लिए ऐसी जगह न चुनें, जिस  में घुमाव या मोड़ अधिक हों. जगह समतल और एकसार होनी चाहिए ताकि गति में लय बनी रहे.

– सैर करते समय मुंह से सांस न लें.

– इयरफोन लगा कर गाने सुनें, मगर आवाज तेज न रखें.

– शारीरिक चोट के दौरान सैर करने से बचें.

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