8 TIPS: बस एक चुटकी हींग

हींग को भारतीय रसोइयों में एक मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है. हींग किसी भी डिश में एक अलग स्वाद शामिल कर देती है. यह इसकी खुशबू और स्वाद के लिए बहुत प्रयोग की जाती है. इसके जितने लाभ आपको खाना बनाते समय मिलते हैं उतने ही इसके स्वास्थ्य लाभ भी है.

जी हां क्या आप जानते हैं कि हींग भी आपको बहुत से स्वास्थ्य लाभ दे सकती है. तो आइए जानते हैं हींग से हमें क्या क्या लाभ मिल सकते हैं और केवल एक चुटकी हींग ही हमारे शरीर में क्या क्या बदलाव कर सकती है.

1. ब्लोटिंग से राहत दिलाती है :

जब आपको कोई चीज अच्छे से नहीं पचती है या आपको गैस हो जाती है तो उसका नतीजा यह होता है कि आपका पेट फूल जाता है. यदि आपको भी अक्सर कुछ भी खाने के बाद ब्लोटिंग हो जाती है तो आप हींग का प्रयोग कर सकते हैं. इसके एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण सभी प्रकार की पाचन समस्याओं के लिए एक बढ़िया हल है. अतः आप किसी भी पाचन समस्या से राहत पाने के लिए हींग का प्रयोग कर सकते है.

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2. रेस्पिरेटरी समस्याओं के लिए लाभदायक :

यदि आप को किसी भी प्रकार की रेस्पिरेटरी समस्या है तो आपके लिए हींग बहुत बढ़िया रहने वाली है. हींग में एंटी माइक्रोबियल, एंटी फंगल, एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं जो आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम में पथोगेंस आदि बैक्टेरिया से राहत दिलाने में मदद करते है.

3. एसिडिटी से राहत दिलाती है :

हींग में एल्कलाइन प्रकृति होती है जिस कारण यह आपके पेट में एसिड रिफ्लेक्स होने से बचा सकती है. अतः यदि आपको भी हर बार एसिडिटी हो जाती है तो आप केवल एक चुटकी हींग का प्रयोग करें और इस समस्या से राहत पाएं.

4. स्ट्रेस कम करने में लाभदायक :

यह थोड़ा हैरान कर देने वाला हो सकता है परन्तु हींग आपकी स्ट्रेस को कम करने में भी लाभदायक मानी जाती है. स्ट्रेस लेने से आपको बहुत से स्वास्थ्य सम्बन्ध समस्या हो सकती है इसलिए स्ट्रेस कम करने से हींग आपको बहुत सी बीमारियों से बचा सकती है. यह आपको बांझपन से लेकर हृदय रोगों जैसी बड़ी बड़ी समस्याओं से भी बचा सकती है.

5. पीरियड्स के क्रैंप्स से छुटकारे में लाभदायक :

यदि आपको पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा क्रैंप्स होते हैं तो आप हींग का प्रयोग कर सकते है. इस मसाले के प्रयोग से आपके पेट की मसल्स को राहत मिलती है जिस कारण आपको कम दर्द महसूस होता है.

6. खांसी, जुखाम व गले दर्द को ठीक करने में सहायक :

आप हींग का प्रयोग करके स्वयं को खांसी, जुखाम व गले में होने वाले दर्द से भी बचा सकते है. हींग में पाई जाने वाली एंटी एलर्जन गुण इस लाभ के पीछे का कारण होते है. यह आपके शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकते हैं और आपको बुखार व अन्य बीमारियां होने से बचाते हैं.

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7. यह आपके स्कैल्प के लिए भी बहुत लाभदायक है :

यदि आपका स्कैल्प बहुत ड्राई है और उसे केयर की जरूरत है तो आप हींग का प्रयोग एक होम रेमेडी के रूप में कर सकते हैं. यह आपके सिर के लिए एक बहुत अच्छे एक्सफोलिएटर का काम करती है. आप इसे शहद या दही के साथ मिला कर एक मास्क के रूप में भी अप्लाई कर सकते हैं. ऐसा करने से आपके स्कैल्प को मॉइश्चर मिलता है.

8. आपकी स्किन के लिए बहुत लाभदायक :

हींग आपकी स्किन का भी एक सच्चा दोस्त होती है. हींग में एंटी ऑक्सिडेंट पाए जाते हैं और एंटी आक्सिडेंट हमारी स्किन के फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और आपकी स्किन को अच्छा बनाने में मदद करते हैं. इसलिए आप किसी भी फेस मास्क में एक चुटकी हींग मिला सकते है.

कैसे लें अपने प्रेमी की परीक्षा

विभा सूरज के प्यार में पागल थी. दोनों करीब 2 साल से रिलेशनशिप में थे जबकि विभा की मां को सूरज पसंद नहीं था. उन्होंने विभा को कई बार समझाया था कि सूरज का साथ छोड़ दे. मगर विभा हमेशा मां की बात इग्नोर कर देती. इधर सूरज विभा को अपने हिसाब से चलाता. विभा को क्या पहनना चाहिए, किस से दोस्ती करनी चाहिए, कैसे रहना चाहिए जैसी बातों का भी हिसाब वही रखता. विभा प्यार में थी इसलिए उस की हर बात विभा को अच्छी लगती. इतना ही नहीं बाहर जब भी खाने का प्रोग्राम बनता तो किसी न किसी बहाने से वह विभा के रुपए ही खर्च कराता. विभा जौब करती थी और उस के पास रुपयों की कमी नहीं थी. सो वह इन बातों की चिंता नहीं करती थी. उसे बस सूरज का साथ चाहिए होता था.

इस बीच एक दिन सूरज ने यह कह कर विभा से डेढ़ लाख रुपए उधार लिए कि उसे यह रकम किसी जरूरी काम के लिए अर्जेंटली चाहिए. विभा ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और रुपए दे दिए. उस के दोचार दिन बाद से ही सूरज ने विभा से मिलना कम कर दिया और फिर बिल्कुल ही गायब हो गया. विभा उस का फोन ट्राई करती तो कभी नौट रीचेबल और कभी स्विच ऑफ बताता. विभा समझ ही नहीं पा रही थी कि सूरज के साथ क्या हो गया. उसे डर लग रहा था कि कहीं वह किसी अनहोनी का शिकार तो नहीं हो गया. सूरज ने उसे बता रखा था कि वह किस कंपनी में और किस पद पर काम करता है. विभा सूरज के बताए उस एड्रेस पर पहुंची तो पता चला कि इस नाम का कोई भी शख्स वहां काम नहीं करता. विभा को समझ में आ गया कि उस के साथ धोखा हुआ है. सूरज उस से नहीं बल्कि उस के पैसों से प्यार करता था.

जैसा विभा के साथ हुआ वैसा किसी के भी साथ हो सकता है. ऐसे फ़्रौड लड़कों की कमी नहीं जो लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर रूपए ऐंठते हैं, शारीरिक शोषण करते हैं या फिर एक ही समय में कई लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में होते हैं.

वस्तुतः प्यार एक खूबसूरत एहसास है. प्रेमी का साथ पा कर इंसान अपनी हर तकलीफ़ भूल जाता है. मगर कई दफा आप सोच भी नहीं पाते कि कब आप का प्रेमी आप को धोखा दे जाए या अकेला छोड़ जाए. आप का प्रेमी किस तरह का इंसान है और कितना साथ दे पाएगा यह जानने के लिए कुछ इस तरह से उस की परीक्षा ले सकती हैं,

1. अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और देखें कि वह खंगालता तो नहीं

प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए सब से बेहतर उपाय यह है कि उस के पास अपना मोबाइल बिना पासवर्ड के छोड़ जाएं और आसपास ही या दूसरे कमरे में जा कर काम में व्यस्त होने का अभिनय करें. फिर छिप कर उस पर नजर रखें और देखें कि क्या वह मौका पा कर जल्दीजल्दी आप का मोबाइल चेक करने लगता है? क्या वह आप के कांटेक्टस, कॉल हिस्ट्री, मैसेज या फेसबुक वगैरह चेक करने लगा है और आप के आते ही जल्दी से फोन नीचे रख देता है? यदि ऐसा है तो तय मानिए कि उसे आप पर तनिक भी भरोसा नहीं. वह आप पर शक करता है. याद रखें जहां शक है वहां प्यार नहीं होता. ऐसा व्यक्ति छोटी सी बात पर भी आप को बात सुनाने या लड़ाईझगड़े करने से बाज नहीं आएगा. ऐसे प्रेमी से दूरी रखने में ही भलाई है.

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2. अकेले में घर बुलाएं और देखें कि क्या वह सेक्स ही चाहता है कुछ और नहीं

आप से प्रेम करने वाले शख्स के लिए आप और आप की खुशी महत्वपूर्ण होगी न कि सेक्स. वह आप का प्यार जीतना चाहेगा. हर तरह से करीब आना और खुशी देना चाहेगा. मगर करीब आने का मतलब केवल सेक्स ही नहीं होता. एक बार अपने प्रेमी को अकेले घर में बुला कर देखें. अकेले में उस का व्यवहार देख कर आप समझ सकेंगी कि उस के दिमाग में क्या चलता है. वह सिर्फ शरीर की भूख शांत करने पर उतारू हो जाता है या फिर आप के पास बैठ कर सुखदुख की बातें करता है, नईनई चीजें बना कर खाता है, आप का साथ एंजॉय करता है, अपना फ्यूचर डिसकस करता है और कुछ खूबसूरत रोमांस भरे हल्केफुल्के पल जीता है? जिसे इंसान प्यार करता है उस के साथ सेक्स की रजामंदी भी देता है. मगर वह प्यार की अंतिम सीमा है. शुरुआत में ही उसी मकसद को पाने की चाहत यह दिखाती है कि वह वास्तव में आप से जुड़ नहीं सका है. वह सिर्फ शारीरिक सुख के लिए ही आप को प्यार के सपने दिखा रहा है. जो लड़के अकेला घर मिलते ही प्रेमिका पर शारीरिक संबंध का दबाव डालने लगते हैं अक्सर प्यार की असली परीक्षा में फेल हो जाते हैं.

3. उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे और बढ़िया बहाना बना कर देखें कि वह नाराज़ तो नहीं

आप अपने प्रेमी का प्यार परखने के लिए एक उपाय यह आजमा सकती हैं कि उसे खाने पर रेस्टोरेंट में बुलाएं और खुद न पहुंचे. उस के द्वारा फोन करने पर कोई अच्छा सा बहाना बना दें मसलन मम्मी की तबीयत ठीक नहीं या फिर आप को कोई अर्जेंट काम से कहीं जाना पड़ा है. ऐसे में उस के रिएक्शन पर गौर करें. यदि वह गुस्सा हो जाता है और फोन पर ही आप को बातें सुनाने लगता है या फिर बाद में मिलने पर ताने देता है तो समझ जाइए कि वह आप के प्रति उदार नहीं है. उसे लगता है जैसे आप से प्यार कर वह कोई एहसान कर रहा है. आप के द्वारा थोड़ी सी भी लापरवाही से वह चिढ़ रहा है तो ऐसे में जाहिर है कि वह शख्स सही अर्थों में आप से प्यार नहीं करता. प्यार करने वाला बंदा अपनी सुविधा के बजाय आप की सुविधा का ख्याल पहले रखेगा. वह समझेगा कि यदि आप नहीं आ सकीं तो इस के पीछे आप की मजबूरी होगी न कि लापरवाही. यदि आप का प्रेमी शांति से आप की समस्या सुनता है. मदद करने और ध्यान रखने की बात कह कर बिना कोई नाराजगी जताए फोन काट देता है. बाद में भी इस घटना को ले कर कोई बात नहीं सुनाता है तो समझ जाइए कि आप का प्रेमी धैर्यवान और अंडरस्टैंडिंग नेचर का है जो दो लोगों के बीच मजबूत रिश्ते के लिए जरूरी क्वालिटीज हैं.

4. गंभीर बीमारी या गर्भ ठहरने जैसे बहाने बनाएं और देखें कि वह भागता है, टालता है या साथ चलता है.

मान लीजिए कि आप की अपने प्रेमी के साथ टयूनिंग काफी अच्छी है. मगर याद रखिए इतना ही काफी नहीं है. आप को उस की परीक्षा लेनी चाहिए कि वह मुसीबत के समय आप का साथ देता है या नहीं. आप उस से अपनी किसी गंभीर बीमारी का जिक्र करें और देखें कि उस का प्यार आप के लिए वैसा ही कायम है या नहीं? वह आप को हर संभव मदद का आश्वासन देता है या फिर इग्नोर कर देता है?

इसी तरह आप उसे झूठ कह सकती है कि आप प्रैग्नैंट हैं. यह सुन कर उस का रिएक्शन क्या होता है इस पर गौर करें. क्या वह यह बात सुनते ही भाग खड़ा होता है और आप को इग्नोर करने लगता है या फिर कुछ जरूरी काम के बहाने बना कर दूरी बना लेता है? आप साथ हॉस्पिटल चलने को कहती हैं तो क्या वह साथ चलता है या फिर टालता रहता है? उस की इन हरकतों के आधार पर आप आसानी से समझ सकती हैं कि उस का वास्तविक रूप क्या है और वह क्या इंटेंशन रखता है. वह एक जिम्मेदार प्रेमी है या फिर आप के पास केवल मजे लेने या टाइम पास करने के उद्देश्य से आता है

5. अपनी किसी खूबसूरत सहेली से उस की दोस्ती करा कर देखिए

आप अपनी किसी ऐसी सहेली से अपने प्रेमी की दोस्ती कराएं जो दिखने में खूबसूरत और स्मार्ट होने के साथ ही आप की विश्वासपात्र भी हो. सहेली से कहिए कि वह प्रेमी के करीब जाए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास करे. यदि आप के प्रेमी पर इस का कोई असर नहीं पड़ता और वह डबल गेम नहीं खेलता तो आप निश्चिंत हो सकती हैं. पर यदि उस की हरकतें कुछ और बयां करती हैं और वह चोरीछिपे उस लड़की पर भी लाइन मारने का प्रयास करता है तो समझ जाइए कि वह कभी भी आप को धोखा दे सकता है. इस परिस्थिति में यह भी संभव है कि आप की सहेली भी उस की तरफ आकर्षित हो जाए और दोनों मिल कर आप को धोखा दें. ऐसे में भी आप के लिए फैसला लेना आसान हो जाएगा कि उस प्रेमी पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं. साथ ही एक धोखेबाज सहेली का असली चेहरा भी सामने आ जाएगा.

6. यदि संबंध है तो तीनचार बार मना कर के देखें कि वह नाराज तो नहीं होता

मान लीजिए कि आप काफी समय से दूसरे को जानते हैं और थोड़े समय बाद आपसी सहमति से आप के बीच संबंध भी बन गए हैं और अब यह आप की दैनिक आदत बन चुकी है. आप दोनों ही प्यार के इस रूप को एंजॉय कर रहे हैं मगर ऐसे में एक बार यह जरूर परखने की कोशिश कीजिए कि शारीरिक रिश्ते के अलावा भी वह आप से प्यार करता है या नहीं? मन से कोई जुड़ाव है या नहीं? वह आप की खुशी या गम से सरोकार रखता है या नहीं? इस के लिए किसी बहाने से तीनचार बार सेक्स के लिए मना कर के उस का रिएक्शन देखें. क्या वह आप के इंकार करने पर नाराज हो जाता है और आप पर झल्लाने लगता है या छोड़ कर चला जाता है? यदि ऐसा है तो जाहिर है कि उसे आप से सच्चा प्यार नहीं. वह आप को यूज़ कर रहा है.

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7. उस की बहन या मां से अकेले में मिलें और पता करें कि वह आप के बारे में झूठ सच क्या कहता है

आप कभी कोशिश कर के उस की मां और बहन से अकेले में मिलें, उन से बातें करें और पता लगाने का प्रयास करें कि वह उन से आप के बारे में किस तरह की बातें करता है? उस ने आप की अच्छाइयां बढ़ाचढ़ा कर बताई हैं या झूठसच बातें सुनाई हैं? उन की बहन या मां की आप के बारे में क्या राय है उस पर भी ध्यान दें क्यों कि उन की राय बेटे द्वारा बताई गई बातों के आधार पर ही बनी होगी.

8. कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और रात में 12 बजे मांगें

आप अपने प्रेमी की ईमानदारी और लगाव की परीक्षा लेने का प्रयास करें. अक्सर पैसे रिश्तों के बीच में आ जाते हैं. कुछ लोग हमेशा पैसे को सब से ऊपर रखते हैं. ऐसे लोग विश्वास के योग्य नहीं होते, आप अपने प्रेमी की परीक्षा लेने के लिए कहीं से बड़ी रकम जमा कर उसे रखने को दें और थोड़े अरसे बाद रात में 12 बजे वे रूपए माँगें. अब देखिए कि वह क्या करता है. क्या वह आप के लिए रात में भी रूपए ले कर आ जाता है या फिर उन रुपयों को हड़प जाता है, रुपयों के मामले में हेरफेर करता है और बहाने बनाता है? यदि वह आप से सही अर्थों में प्यार करता है तो एकएक पैसे को ले कर ईमानदारी बरतेगा. रकम कितनी भी हो वह किसी भी तरह का हेरफेर नहीं करेगा. आप जब कहेंगी तब रुपए ले कर पहुंच जाएगा. प्रेमी की ईमानदारी उस का आप के लिए एक बेहतरीन जीवनसाथी बनने का एक महत्वपूर्ण सबूत है.

9. प्रेमी के किसी गहरे दोस्त के साथ नाम बदल कर दोस्ती करें

आप अपने प्रेमी के किसी खास दोस्त के साथ नाम बदल कर फोन फ्रेंडशिप कर सकती हैं या फिर उसे अपने विश्वास में ले कर प्रेमी के राज जानने का का प्रयास कर सकती हैं. लड़के दोस्तों के आगे हर बात खुल कर बोलते हैं. समझदारी से काम लें तो प्रेमी के दोस्त के जरिए आप यह पता लगा सकेंगी कि वह वास्तव में आप के बारे में क्या सोचता है.

5 TIPS: कपड़ों में नहीं आएंगी सिलवटें

अक्सर सुबह औफिस जल्दी जाने के लिए हम कपड़ों तो पहले ही प्रेस यानी आयरनिंग करके रख लेते हैं, लेकिन कभी-कभी प्रैस करके बावजूद हमारे कपड़ों पर सिलवटें रह जाती हैं, जिसके कारण हमारे कपड़े अजीब लगने लगते हैं और अनकम्फर्ट का एहसास रहने लगता है, इसीलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बताएंगे, जिससे आपके कपड़ों में सिलवटें नहीं आएंगी…

1. कपड़े धोने के खास नियम का रखें ध्यान

कपड़े धोने से पहले ही कोमल-मुलायम कपड़ों को और दूसरे कपड़ों को अलग कर लें. कई घरों में ढेर सारे कपड़ों को एक साथ ही धोने के लिए डाल दिया जाता है. पर यह तरीका गलत है. ऐसा करने से कपड़े आपस में फंस जाते हैं और ज्यादा सिकुड़ जाते हैं.

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2. ड्रायर का सही इस्तेमाल करना है जरूरी

कई बार ऐसा होता है कि लोग कपड़े जल्दी सूख जाएं ये सोचकर हार्ड ड्रायर का इस्तेमाल करते हैं. पर ऐसा करना कपड़ों को कमजोर तो बनाता है ही साथ ही उनमें बहुत ज्यादा सिकुड़न भी आ जाती है. कपड़ों को हल्का ड्राई करें ताकि उनमें कुछ नमी बनी रहे. कपड़ों को बहुत अधिक सूखा लेने से उनमें ज्यादा सिकुड़न आ जाती है.

3. कपड़ों को सुखाने के दौरान रखें ध्यान

कपड़ों को ड्रायर से निकालने के बाद ज्यादातर लोग उसी तरह रस्सी पर टांग देते हैं. यह गलत तरीका है. कपड़ों को दोनों हाथों से पकड़कर झटके और फिर रस्सी पर डालें. इसके अलावा अगर शर्ट या फिर कुर्ते हैं तो उन्हें हैंगर में टांगना ज्यादा बेहतर होगा.

4. कपड़ों को उतारने के तरीके पर भी दें ध्यान

कपड़ों को रस्सी पर से उतारकर ढेर बनाकर न रखें. कपड़ों को एक-एक करके उतारें और तह लगाते जाएं. हर कपड़े को तह लगाने का अपना एक तरीका होता है, उसी तरीके से कपड़ों को सहेजें.

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5. सिकुड़न पर दें ध्यान

अगर इन सारे उपायों को करने के बावजूद आपके कपड़ों में कुछ सिलवटें आ गई है तो उन हिस्सों को हाथ से ही रगड़ दें. ऐसा करने से उन हिस्सों की सिलवटें दूर हो जाएगी. इसके बाद कपड़ों को सही से तह लगाकर अलमारी में रख दें.

Serial Story: कीमत – भाग 1

लेखक- प्रशांत जोशी

सुधा ने बाराबंकी के एक सरकारी स्कूल से इंटर की परीक्षा पास कर ली थी. उसी दिन उस का रिजल्ट आया था. उस के 78% मार्क्स आए थे और वह अपनी क्लास में सब से ज्यादा नंबर पाने वाली लड़की थी. वैसे भी यूपी बोर्ड में इतने नंबर लाना अपनेआप में किसी सम्मान से कम नहीं था. उस के नंबर सुन कर महल्ले भर में उस की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, लेकिन सुधा के मन में अपनी इस कामयाबी को ले कर जरा भी खुशी नहीं थी. होती भी कैसे, घर वालों ने रिजल्ट आने से पहले ही अपना फैसला उसे सुना दिया था कि उसे आगे की पढ़ाई बंद करनी होगी.

उस ने बाराबंकी के ब्लौक अस्पताल में पिता को मिले 2 कमरों के उस सरकारी मकान में पहली बार घर वालों के फैसले के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए थे. उस ने कैसे अपने पिता और बड़े भैया से पहली बार ऊंचे स्वर में बात करते हुए कह दिया था कि वह अपनी आगे की पढ़ाई हर हाल में जारी रखेगी.

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सब उस के आगे पढ़ने के फैसले के खिलाफ थे. वे किसी तरह शायद उस की आगे प्राइवेट पढ़ाई करने के लिए राजी भी हो जाते, लेकिन उस ने दिल्ली जा कर पढ़ाई करने की बात कह कर घर में धमाका कर दिया. अकेली लड़की को दूसरे शहर भेजने की हिम्मत और उस के लिए पैसों का इंतजाम करने की हैसियत दोनों ही उन में नहीं थी. उस ने घर वालों से कह दिया कि उसे उन से किसी तरह के रुपयों की जरूरत नहीं, वह दिल्ली में अपना खर्च खुद निकाल लेगी.

उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी, जेएनयू, लेडी श्रीराम, करोड़ीमल और दिल्ली स्कूल औफ इकोनौमिक्स के अलावा ज्यादा कालेजों के नाम भी पता नहीं थे, लेकिन खुद पर भरोसा था कि इन में से किसी न किसी में तो उस का ऐडमिशन हो ही जाएगा. 10 दिन तक घर वालों से चले झगड़े के बाद 11 जुलाई को वह घर से दिल्ली के लिए चली थी.

उसे याद है मां ने घर से जाते हुए उसे 1,200 रुपए हाथ में देते हुए कहा था कि उन के पास जो कुछ है वह यही है. वैशाली ऐक्सप्रैस की जनरल बोगी में उसे घुसने की भी जगह नहीं मिली तो हाथ में सूटकेस और कंधे पर एक बैग टांगे वह स्लीपर क्लास में जा घुसी.

सुधा का सफर शुरू हो चुका था, ट्रेन का यह सफर उसे बेहद सुखद लग रहा था. हालांकि मन में एक डर भी था कि अगर उस का ऐडमिशन कहीं नहीं हुआ तो वह किस मुंह से घर लौटेगी.

वैशाली ऐक्सप्रैस नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 9 पर खड़ी थी. लोगों को ट्रेन से उतरने की जल्दी थी, पर उसे कोई जल्दी नहीं थी, लेकिन फिर भी दरवाजे के पास होने की वजह से वह जल्दी ट्रेन से उतर गई. प्लेटफार्म पर कुलियों और यात्रियों की भीड़ थोड़ी देर बाद छंट गई, लेकिन सुधा अब भी प्लेटफार्म पर खड़ी थी. उस के हाथ में एक पता लिखा कागज का टुकड़ा था, जिस में बी-502, सैकंड फ्लोर, मुखर्जी नगर, नियर बत्रा सिनेमा, दिल्ली लिखा था.

यह पता था मनोज भैया का. मनोज भैया उसी के महल्ले में रहते थे और उस की सहेली मोहिनी के भैया थे. बचपन से उस के घर आतेजाते रहने की वजह से वह उन्हें मनोज भैया ही कहती थी. उस के पास मां के दिए 1,200 रुपए थे. 190 रुपए टिकट में खर्च हो गए. 5 रुपए की उस ने चाय पी ली थी यानी अब उस के पास सिर्फ 1,005 रुपए थे. उस ने स्टेशन से बाहर निकलने की सोची. किसी से पूछा कि मुखर्जी नगर कहां पड़ेगा तो उस ने कहा अजमेरी गेट साइड से बाहर निकल कर विश्वविद्यालय जाने वाली मैट्रो ले लेना. उसे पहली बार दिल्ली के बड़ा शहर होने का एहसास हुआ.

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उस के बाराबंकी में तो स्टेशन के अंदर और बाहर जाने का रास्ता एक ही तरफ है, लेकिन यहां तो 2 पूरे अलगअलग इलाके दिल्ली स्टेशन से जुड़े हुए हैं. सुधा ने किसी तरह अपनेआप को मैट्रो से जाने के लिए तैयार किया. सुबह के 8 बज चुके थे, उस ने मैट्रो में जाने के लिए टोकन ले लिया.

उस ने जल्दी ही समझ लिया कि उस मशीन को इस नीले टोकनसे छू भर देना है. गेट जैसे ही खुले भाग कर उस तरफ हो जाना है, नहीं तो मुश्किल हो सकती है. उस ने टोकन छुआया, मशीन का गेट खुलते ही वह इस पार से उस पार चली गई. अब उसे पता चला कि अंडरग्राउंड जाना है. नीचे से मैट्रो पकड़नी है, नीचे पहुंची तो वहां पहले से ही कई सौ लोग दोनों तरफ खड़े थे. बाराबंकी में तो ऐसे लाइन में लग कर कोई ट्रेन में नहीं चढ़ता, उसे यह तरीका अच्छा लगा. थोड़ी ही देर में मैट्रो आ गई और वह विश्वविद्यालय की तरफ चल पड़ी.

विश्वविद्यालय स्टेशन पर उतरने के बाद पहली बार उस का सामना ऐस्केलेटर से हुआ, लेकिन उस ने इस पर चढ़ने के बजाय सीढि़यों से ही चढ़ना उचित समझा. उस ने वहां से मुखर्जी नगर के लिए रिकशा ले लिया. 18 साल की सुधा अपने सपनों को सच करने दिल्ली पहुंच चुकी थी.

सुधा बी-502, सैकंड फ्लोर का पता पूछ रही थी, लेकिन 10 मिनट भटकने के बाद भी उसे घर नहीं मिला. तभी किसी ने उस पर तरस खा कर बता दिया कि गली के पीछे की तरफ बी ब्लौक है. सुधा वहां पहुंची तो थक कर चूर हो चुकी थी. सफर की थकान चेहरे पर हावी थी. रिकशे वाले को पैसे दे कर सुधा सूटकेस और बैग ले कर दरवाजे पर पहुंची. मेन गेट की घंटी बजाई, लेकिन अंदर से कोई निकला नहीं, सुधा थोड़ी देर खड़ी रही फिर अंदर चली गई.

बाहर से ही सीढि़यां थीं, सुधा ऊपर चढ़ गई. सैकंड फ्लोर पर 3 दरवाजे थे, उसे नहीं पता था कि मनोज भैया किस में रहते हैं. उस ने एक दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई आवाज नहीं हुई. काफी देर बाद उस ने दूसरा दरवाजा खटखटाया, 3-4 मिनट बाद अंदर से कुछ आहट हुई, उसे कुछ उम्मीद बंधी. दरवाजा खुला. सामने मनोज भैया बनियान और बरमूडा पहने खड़े थे. उसे देख कर वे भी चौंक गए, ‘अरे सुधा’, मनोज भैया के मुंह से इतना ही निकला, फिर उन्हें लगा कि सुधा ने शायद उन्हें पहले कभी इस तरह नहीं देखा होगा इसलिए वे भी थोड़ा शरमा गए.

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Serial Story: कीमत – भाग 2

लेखक- प्रशांत जोशी

सुधा को अंदर आने के लिए कह कर वे अंदर चले गए. उन्होंने टीशर्ट पहन ली थी. सुधा से बाराबंकी का हालचाल पूछा और फिर उस के यहां आने का कारण भी. सुधा ने उन्हें बताया कि उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी में ऐडमिशन लेना है.

मनोज भैया ने हौसला बढ़ाने के बजाय उसे बता दिया कि दिल्ली में ऐडमिशन आसान नहीं होगा. यहां मैरिटलिस्ट बहुत हाई जाती है. उसे इन नंबरों पर ऐडमिशन मिला भी तो किसी सांध्य कालेज में मिलेगा. सुधा इस के लिए भी तैयार थी. उस के सिर पर तो ऐडमिशन की धुन सवार थी. मनोज भैया ने उस से फ्रैश होने के लिए कहा और खुद चाय लेने चले गए. उस ने देखा कमरे में रसोई नहीं थी.

बाथरूम भी बाहर बालकनी में था, वह नहीं चाहती थी कि मनोज भैया के सामने उसे बाथरूम जाना पड़े. बाराबंकी वाली शर्म, संकोच का दामन उस से छूटा नहीं था. मनोज भैया के लौटने से पहले ही वह तैयार हो चुकी थी. मनोज भैया के साथ उस ने चाय पी और मुद्दे पर आ गई. वह ऐडमिशन की सारी प्रक्रिया के बारे में फौरन जानना चाहती थी. मनोज भैया ने उसे बताया कि एकएक कालेज का फार्म ही 1,000-1,200 रुपए का होता है.

सुधा समझ गई कि आगे का रास्ता अब बेहद मुश्किल है. इस के बाद उस ने मनोज भैया को अपनी असली स्थिति बताई. वे सुधा को कोई आश्वासन नहीं दे सके. हां, उन्होंने सुधा को फौरन जाने को भी नहीं कहा. मनोज भैया से इस बारे में वह कोई बात भी नहीं कर सकी, उस ने कुछ कहा नहीं और उन्होंने कुछ पूछा नहीं.

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मनोज भैया ने टिफिन वाले को फोन कर दिया. दोपहर में करीब साढ़े 12 बजे टिफिन वाला 2 टिफिन दे गया. उस ने किसी तरह अपना पूरा टिफिन खाली कर दिया. मनोज भैया पढ़ रहे थे. उन्होंने वही टिफिन 3 बजे खाया. सुधा ने सोचा कि जिस टिफिन का बेकार खाना वह ताजाताजा नहीं खा पाई उस टिफिन को मनोज भैया बिना कुछ कहे कैसे इतनी देर बाद खा रहे हैं.

सुधा शाम को उन के साथ नीचे गई. बत्रा सिनेमा के सामने कटिंग चाय पीने का ये उस का पहला अनुभव था. वहां पर मौजूद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे अनुभवी लड़कों की नजर ने पहली बार में ही ताड़ लिया कि इलाके में कोई नई लड़की आई है, लेकिन मनोज भैया की मौजूदगी में वे दूर ही रहे.

सुधा ने भी देख लिया कि उस के गोरे रंग और तीखे नैननक्श पर लड़के लट्टू थे. उसे लगा जैसे इन लड़कों की नजरें उसे कह रही हों, ‘वेलकम टू दिल्ली.’ हालांकि उन की नजरें सुधा के चेहरे पर कम उस के उभारों पर अधिक केंद्रित थीं. सुधा को इन लड़कों के अंदाज से थोड़ी सिहरन होने लगी. उसे समझ में आ गया कि लड़कों का बस चले तो वे आंखों से देख कर ही उसे प्रैग्नैंट कर दें.

फिलहाल उस ने अपना ध्यान चाय पर ही टिका दिया. मनोज भैया ने ही चाय के पैसे दिए. उन्होंने सुधा से पूछा, ‘‘क्या तुम घर चली जाओगी, मुझे थोड़ा काम है. दोस्त के यहां से कुछ नोट्स लाने हैं.’’ सुधा ने कहा, ‘‘हां, चली जाऊंगी और वह बत्रा से 2 गली छोड़ कर उस मकान में पहुंच गई.’’

उस ने सोचा जब तक मनोज भैया नहीं हैं, तब तक कमरे की कुछ साफसफाई कर दे. कमरे में था ही क्या, एक फोल्डिंग चारपाई, एक पढ़ने की टेबल, एक कुरसी, एक अलमारी, किताबों की 2 छोटी रैक, एक सूटकेस, लेकिन फिर भी कमरे में एक अस्तव्यस्तता थी. सुधा ने सब से पहले पलंग पर पड़ी धूल झाड़ी और फिर चादर और गद्दे झाड़ने लगी.

गद्दा जैसे ही नीचे गिरा, गद्दे के नीचे से कुछ किताबें गिरीं. सुधा ने सोचा कि जब कमरे में 2-2 अलमारियां हैं तो गद्दे के नीचे किताबें क्यों रखी हैं.

सुधा ने उन किताबों को देखा. एक किताब पर लिखा था प्राइवेट लाइफ. सुधा ने अंदर पढ़ना शुरू किया. पहला पेज पढ़ते ही सुधा के बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई. उसे अपने शरीर में कसावट महसूस हुई. उसे किताब पढ़ने में मजा आने लगा. सुधा जल्दीजल्दी किताब पढ़ने लगी. सिर्फ 40 मिनट में उस ने 35 पन्नों की किताब पूरी पढ़ ली. उसे अपनी टांगों के बीच कुछ गरम सा महसूस हुआ. उस ने किताब खत्म कर तुरंत दूसरी किताब पढ़ने के लिए उठा ली. साफसफाई की बात तो वह भूल ही गई. ये घटिया किस्म की किताबें उसे बेहद मनोरंजक लग रही थीं. उस ने दूसरी किताब भी फौरन ही पढ़ ली.

इस के बाद उस ने दोनों किताबें ठीक वैसे ही रख दीं, जैसे पहले रखी हुई थीं. मानो उस ने ये किताबें देखी ही नहीं थीं, इस के बाद उस ने पूरे कमरे की सफाई की. उसे पढ़ाई की टेबल पर किताब में दबे 100-100 के 5 नोट मिले. वह जानती थी कि ये पैसे मनोज भैया के ही होंगे. उस ने किताबों से निकाल कर पैसे मेज पर सामने रख दिए.

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मनोज भैया के पास पैसों की कमी नहीं होगी. यह वह जानती थी. बाराबंकी में भैया के पापा का सब से बड़ा मैडिकल स्टोर था. रोजाना करीब 15-20 हजार रुपए से कम की कमाई नहीं थी. मनोज भैया थे भी इकलौते. शाम के 7 बज चुके थे. सुधा को भूख लग रही थी, लेकिन खाने के लिए कुछ नहीं था. सुधा ने अपना सूटकेस खोला और अपने कपड़े ठीक करने लगी.

दरवाजे पर दस्तक हुई. सुधा ने दरवाजा खोला. सामने मनोज भैया थे. उन के हाथ में एक थैली थी. उन्होंने सुधा से कहा कि भूख लगी थी इसलिए मोमोज खाने के लिए ले आया. सुधा ने मोमोज नाम पहली बार सुना था. उस ने पूछा ये क्या होता है.

अजीब सा आकार था उन का, लेकिन मनोज भैया को खाता देख उस ने भी एक पीस उठा लिया, मिर्च की चटनी के साथ गरम मोमोज उसे पहली बार में अच्छा नहीं लगा, लेकिन भूख बहुत तेज लगी थी, इसलिए उस ने दूसरा पीस भी उठा लिया. तब तक मनोज भैया की नजर कमरे की सुधरी हुई हालत पर पड़ी तो वे थोड़े परेशान दिखे और बोले, ‘‘तुम ने कमरा साफ क्यों किया सुधा, मैं सुबह काम वाली को बोल देता.’’ ‘‘कोई बात नहीं भैया, मैं खाली ही तो बैठी थी,’’ सुधा बोली.

मनोज भैया ने उस के पास आ कर उसे थैंक्यू कहा. उन के हाथ उस के सिर से पीठ और फिर कमर तक फिसलते चले गए. इतने लंबे थैंक्यू की शायद सुधा को उम्मीद नहीं थी, लेकिन उसे इस का बुरा भी नहीं लगा. उस ने उठते हुए कहा, ‘‘मनोज भैया, आप किताब में 500 रुपए रख कर भूल गए थे. मैं ने रुपए मेज पर रखे हुए हैं.’’

मनोज ने रुपए उठा कर जेब में रख लिए. सुधा ने उस से पूछा कि क्या ऐडमिशन के लिए वे कुछ कर सकते हैं. मनोज भैया ने कहा, ‘‘सुधा, यहां बाराबंकी जैसे नहीं होता. यहां बहुत मुश्किल है ऐडमिशन होना. हां, तुम जब तक चाहो यहां रहो.’’

सुधा का चेहरा बुझ सा गया. उस की आंखों से टपटप आंसू गिरने लगे. तभी मनोज भैया उस के पास आए और उस का चेहरा उठाया. आंसू पोंछते ही वह अचानक मनोज भैया के गले लग गई. वह सुधा के  इस अंदाज से थोड़ा संकोच में पड़ गए, लेकिन उन्होंने सुधा को हटाया नहीं.

आगे पढें- सुधा को अपनी पीठ पर मनोज भैया के…

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Serial Story: कीमत – भाग 3

लेखक- प्रशांत जोशी

सुधा को अपनी पीठ पर मनोज भैया के हाथ की कसावट महसूस होने लगी. मनोज के हाथ उस की पूरी पीठ पर रेंग रहे थे. उसे यह समझ में आ गया कि मनोज भैया का यह स्पर्श कुछ और ही खोज रहा है, लेकिन उसे यह स्पर्श अच्छा लग रहा था. धीरेधीरे मनोज भैया के हाथ उस की पीठ से उस के गालों पर आ गए. उन्होंने सुधा के आंसू पोंछे, सुधा ने कुछ नहीं कहा. मनोज भैया को डर था कि वह न जाने कैसे बरताव करेगी.

सुधा को जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. वह मनोज भैया के गले ही लगी हुई थी. करीब 5 मिनट तक दोनों गले लगे रहे. इस दौरान मनोज भैया ने उस की पीठ, सिर और गालों पर जम कर हाथ आजमाए. उन्होंने सुधा से पूछा कि उसे बुरा तो नहीं लगा. उस ने बिना कुछ बोले सिर हिला कर जवाब दिया, ‘‘नहीं.’’

मनोज भैया ने इस बार सुधा के गालों पर अपने होंठ रख दिए. सुधा उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जहां विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण अपने चरम पर होता है.

सुधा मनोज दोनों भी शायद ऐसे ही आकर्षण के वशीभूत थे. कब सुधा अपना सबकुछ मनोज भैया को सौंप बैठी, उसे पता ही नहीं लगा. मनोज भैया काफी देर तक उस के जिस्म से खेलते रहे, उस के हर अंग पर अपना अधिकार जमाते रहे. सुधा को मनोज भैया का ये अंदाज भी अच्छा लग रहा था और अंदर ही अंदर इस बात का डर भी था कि कहीं वह कुछ गलत तो नहीं कर रही है.

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हालांकि सहीगलत की सोच पर शायद उस वक्त का उन्माद ज्यादा भारी था. न जाने कब मनोज भैया इन 10 मिनटों में मनोज भैया से मनोज बन गए, उसे पता ही नहीं चला. सुधा कब सुधा से सुधी बन गई इस की जानकारी भी उसे नहीं हुई.

10 मिनट बाद जब तपती धरती कुछ बूंदों से सिंचित हो गई तो दोनों को होश आया. सुधा को समझ में नहीं आया कि कहां जा कर गड़ जाए. मनोज अब क्षणिक आवेग से बाहर निकल चुका था, लेकिन पिछले 10 मिनट में ये कमरा बदल चुका था. रात हो रही थी. मनोज और सुधा ने एकदूसरे से कोई बात नहीं की, शायद आत्मग्लानि कम, संकोच ज्यादा था.

मनोज ने टिफिन वाले को फोन कर दिया था. काफी समय पहले ही टिफिन आ चुका था. दोनों को भूख लगी थी. मनोज ने ही सुधा से कहा, ‘‘सुधा, खाना खा लो,’’ सुधा ने उन का टिफिन भी पकड़ा दिया. दोनों ने खाना खाया, लेकिन कोई बात नहीं हुई. सुधा को अब इस बात की चिंता सताने लगी कि रात हो चुकी है, वे सोएंगे कहां? एक बार जो गलती हो चुकी है सुधा उसे दोहराना नहीं चाहती थी. मनोज सुधा के मन की बात समझ गया. उस ने सुधा से कहा, ‘‘तुम पलंग पर सो जाना, मैं नीचे सो जाऊंगा.’’

सुधा रातभर की थकी हुई थी. उस ने मनोज से कहा, ‘‘वह नीचे सो जाएगी,’’ लेकिन मनोज ने अपना बिस्तर नीचे बिछा लिया. बिस्तर क्या था, दरी और उस के ऊपर चादर. गद्दा उस ने पलंग पर सुधा के लिए छोड़ दिया. सुधा पलंग पर लेटते ही नींद के आगोश में चली गई, लेकिन मनोज की आंखों से नींद कोसों दूर थी. शाम को जो कुछ हुआ उसे बारबार वही याद आ रहा था.

सुधा के जिस्म की खुशबू अब भी मनोज के दिलोदिमाग पर छाई हुई थी. उस ने सुधा की तरफ एक नजर देखा. सुधा गहरी नींद में सो रही थी. उस का कोरा सौंदर्य जैसे निमंत्रण दे रहा हो. मनोज काफी देर तक सुधा को देखता ही रहा, लेकिन हिम्मत नहीं हुई कि सुधा के पास जाए. हालांकि शाम को सुधा ने जब कुछ नहीं कहा तो मनोज को जरूर हौसला मिला था.

मनोज से रहा नहीं गया. वह ऊपर जा कर उसी फोल्डिंग पर लेट गया, जिस पर सुधा सो रही थी. सुधा बेफिक्र नींद सो रही थी. मनोज की नजरें सुधा के जिस्म पर फिसलती जा रही थीं. मनोज ने धीरे से सुधा के ऊपर अपना हाथ रखा. मनोज का हाथ कब सुधा के शरीर के अंगों की पैमाइश करने लगा पता ही नहीं चला.

अचानक सुधा को दम घुटता सा महसूस हुआ. वह हड़बड़ा कर जागी तो देखा मनोज उस पर झुका हुआ था और उस की सांसों की गरमाहट सुधा की सांसों में मिल रही थी. सुधा ने उसे हटाने की कोशिश की, लेकिन मनोज ने उस की एक न सुनी. मनोज उस के शरीर से खेल रहा था और यह भी कहता जा रहा था कि उस के यहां रहने का पूरा खर्च वह उठाएगा. उस का ऐडमिशन भी यहां हो जाएगा.

सुधा को लगा जैसे मनोज उस की मजबूरी का फायदा उठा रहा है, लेकिन वह उसे ऐसा क्यों करने दे रही है, उसे खुद भी मालूम न था. अब तक जो सुधा उसे रोक रही थी, वह भी मनोज का साथ देने लगी. रात में 1 बार, 2 बार नहीं बल्कि 3 बार दोनों एक हो गए. उस के बाद कब उसी तरह पलंग पर एक हो कर सो गए, उन्हें पता ही नहीं चला.

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सुबह सुधा की नींद पहले खुली. सुधा को समझ नहीं आया कि अपनी इस हालत पर रोए या खुश हो. उस के दिल्ली में रहने और ऐडमिशन का सपना पूरा होता दिख रहा था, लेकिन इस की कीमत क्या थी, सुधा का शरीर. तब तक मनोज भी उठ गया. सुधा ने मनोज की तरफ देखा भी नहीं, लेकिन मनोज सुधा के पास आया और बोला, ‘‘परेशान मत हो, यह बात हम दोनों के अलावा किसी को पता नहीं चलेगी. बाराबंकी में कोई इस बारे में नहीं जानेगा.’’ इस के बाद मनोज ने एक बार फिर सुधा को अपने पास खींच लिया. सुधा की आंखों में आंसू थे.

सुधा दिल्ली यूनिवर्सिटी में अपने ऐडमिशन के लिए क्या कीमत चुका रही थी. मनोज उसे अपनी बांहों में जकड़ता जा रहा था. मनोज की बांहों की कसावट उस के जिस्म पर बढ़ती जा रही थी. सुधा के आंसू उस की छाती को भिगो रहे थे, लेकिन मनोज इन सब से बेपरवा खेल रहा था.

सुधा की मां दिल्ली आई हुई थीं, इसलिए वह बी-502 से 2 गली छोड़ कर इस गर्ल्स होस्टल में कुछ दिन रहने के लिए आई थी क्योंकि मनोज में इतनी हिम्मत नहीं थी कि जिस सुधी से पिछले 2 साल से वे जिस्मानी तौर पर जुड़ा हुआ था, उस के बारे में अपने घर वालों को बता सके. अब सुधा को भी इन बातों से फर्क नहीं पड़ता था. वह अपने घर वालों से भी कईकई महीने बाद बात करती थी.

सुधा ने अपने जेबखर्च के लिए 2 ट्यूशन लेने शुरू कर दिए थे. बाकी खर्च मनोज उठाता था. मनोज उस के दिल्ली आने के पहले ही दिन मनोज भैया से मनोज बन गया था. हां, उस ने पढ़ाई से अपना ध्यान नहीं हटाया. उसे जानकी देवी कालेज में ऐडमिशन मिल गया था. ग्रैजुएशन के 2 साल पूरे हो चुके थे. अब तीसरा साल चल रहा था.

सुधा को उम्मीद थी कि उसे ग्रैजुएशन के बाद कहीं न कहीं नौकरी मिल ही जाएगी, नहीं तो वह किसी कौल सैंटर में नौकरी कर अपना खर्च उठा लेगी और आगे की पढ़ाई कर लेगी. तब शायद उसे मनोज के रुपयों की जरूरत न पड़े क्योंकि मनोज को अपना पाना उस के लिए 2 साल से चले आ रहे रिश्ते के बावजूद भारी था. वह मनोज की शारीरिक भूख मिटाती थी और मनोज उस की पढ़ाई की जरूरत को. उस ने पढ़ाई के लिए जो कीमत चुकाई वह बहुत ज्यादा थी या नहीं, यह वह आज तक नहीं समझ पाई. अगर वह ढील न देती तो क्या 2 साल बिता पाती इस अनजान सवा करोड़ लोगों के शहर में?

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Bigg Boss 14: Rubina Dilaik ने दी Nikki Tamboli के लिए बड़ी कुर्बानी, किया ये काम

‘बिग बॉस 14’ का ग्रैंड फिनाले कुछ ही दिन दूर है, जिसके चलते घर में टिकट टू फिनाले की रेस शुरु हो गई है. इस बीच शो में कई रिश्ते बन और बिगड़ रहे हैं. वहीं रुबीना दिलाइक और निक्की तम्बोली के रिश्ते भी कुछ ऐसे ही हो गए हैं. जहां शो की शुरुआत में दोनों की खूब लड़ाई हो चुकी हैं तो वहीं अब दोनों की दोस्ती इतनी बढ़ गई है कि रुबीना ने निक्की के लिए एक बड़ा कदम उठा लिया है. आइए आपको बताते हैं क्या किया रुबीना ने…

टास्क जीतीं रुबीना

‘टिकट टू फिनाले’ (Ticket To Finale) के टास्क में रुबीना दिलाइक, अली गोनी और राहुल वैद्य आखिरी पड़ाव तक टिके हुए हैं. वहीं खबर है कि संचालक पारस छाबड़ा ने रुबीना दिलाइक को विनर घोषित कर दिया. हालांकि रुबीना दिलाइक राखी के उपर पानी डालने के लिए वह पूरे सीजन के लिए नौमिनेटिड रहेंगी, जिसके चलते वह नौमिनेशन से सेफ नही हो सकतीं. इसीलिए बिग बौस ने टास्क जीतने के चलते रुबीना को एक पावर दी है, जिसे वह किसी एक सदस्य को सेफ करके फिनाले तक पहुंचाने वाली हैं.

 

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निक्की को बचाएंगी रुबीना

दरअसल, अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि बिग बौस द्वारा दी गई पावर का इस्तेमाल करके रुबीना दिलाइक अपनी जगह निक्की तम्बोली को ‘टिकट टू फिनाले’ दे देंगी, जिसके बाद निक्की तम्बोली पहली फाइनलिस्ट बन जाएंगी. हालांकि कहा जा रहा है कि निक्की तम्बोली पैसों का बैग लेकर घर से वापस आ सकती हैं, जिसका खुलासा वह बिग बौस 14 के एपिसोड में कर चुकी हैं.

 

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बता दें, वेलेंटाइन डे के मौके पर अभिनव शुक्ला दोबारा घर में एंट्री कर सकते हैं. वहीं खबरे हैं कि दिशा परमार भी शो में राहुल वैद्य का सपोर्ट करने पहुंचेंगी.

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वेलेंटाइन डे पर होगी नई अनीता भाभी की एंट्री तो शो में आएगा नया ट्विस्ट

& टीवी के सीरियल भाभी जी घर पर है (Bhabiji Ghar Par Hain) में जल्द ही नई अनीता भाभी की एंट्री होने वाली है, जिसके चलते फैंस बेताब नजर आ रहे हैं. दरअसल, टीवी एक्ट्रेस नेहा पेंडसे सीरियल ‘भाभी जी घर पर है’ में अनीता भाभी के रोल में नजर आने वाली हैं. लेकिन अब उनकी एंट्री से पहले ही शो में नया हादसा होने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में नया ट्विस्ट…

अनीता भाभी होंगी एक्सीडेंट का शिकार

सीरियल ‘भाभी जी घर पर है’ के अपकमिंग एपिसोड में अनीता भाभी का एक खतरनाक एंक्सीडेंट होने वाला है, जिसके कारण अनीता भाभी का चेहरा खराब हो जाएगा. दरअसल, एक्सीडेंट के बाद डॉक्टर्स अनीता भाभी का प्लास्टिक सर्जरी के जरिए चेहर बदल देंगे.

 

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नए चेहरे के साथ दिखेंगी अनीता भाभी

नए चेहरे के साथ अनीता भाभी कानपुर की मॉर्डन कॉलोनी में कदम रखेंगीं, जिसका खुलासा करते हुए एक इंटरव्यू में नेहा पेंडसे ने कहा, ‘अनीता भाभी के बदले अंदाज को देखकर मॉर्डन कॉलोनी के लोग हैरान रह जाएंगे. बाद में कॉलोनी के लोगों को इस बात का ऐहसास होगा कि भले ही अनीता भाभी की शक्ल बदल गई हो लेकिन सीरत अब भी वैसी ही है. अनीता भाभी वैलेंटाइन डे के मौके पर एंट्री करेंगी. अनीता भाभी के नए चेहरे को देखकर विभूति परेशान हो जाएगा. विभूति अनीता भाभी के नए चेहरे को अपनाने में विभूति को थोड़ा समय लगेगा. ऐसे में मनमोहन तिवारी और अंगूरी भाभी वैलेंटाइन डे सेलीब्रेट करते दिखेंगे.’

बत दें, हाल ही में शो के सेट पर नेहा पेंडसे का धमाकेदार वेलकम हुआ था, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर काफी वायरल हुई थी. वहीं इन फोटोज में नई अनीता भाभी का लुक भी वायरल हुआ था, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

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जानें क्या है गुलाब जल के फायदे और बनाने का तरीका

डेली लाइफ में अगर फूलों की बात करें तो गुलाब के फूलों का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि गुलाब के फूलों के साथ गुलाब का जल भी काफी उपयोगी होता है. गुलाब जल को कई प्रकार के शरबत और खाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. अगर स्किन केयर की बात करें तो गुलाब जल या रोज़ वॉटर स्किन के लिए बेनेफिशियल होता है.

अपनी खूबसूरती को निखारने के लिए महिलाएं गुलाब जल को सालों से इस्तेमाल कर रहीं हैं. गुलाब जल स्किन के लिए हर तरह से उपयोगी माना गया है. चलिए जानते हैं स्किन और बालों पर गुलाब जल के क्या फायदे हैं-

1) स्किन का पी.एच लेवल 4.5 से लेकर 6.2 के बीच होता है. स्किन पर कैमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स लगाने से हमारी स्किन में पी.एच का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण स्किन पर बैक्टीरिया की ग्रोथ होने लगती है और पिंपल्स हो जाते हैं. गुलाब जल का पी.एच 5.5 होता है. इसके रोज़ाना इस्तेमाल से स्किन में पी.एच का संतुलन बना रहता है और चेहरा खिला हुआ लगता है. गुलाब जल हमारी स्किन में बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकने में फायदेमंद होता है. इसको टोनर की तरह रोज़ाना क्लींजिंग के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है.

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2) अगर आपकी स्किन रूखी और बेजान है तो आप अपने स्किन केयर रुटीन में गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकते हैं. गुलाब जल स्किन को हाइड्रेट करने में मदद करता है और स्किन में नमी बनाए रखता है. अगर आपकी ड्राय स्किन है तो गुलाब जल को स्प्रे बॉटल में स्टोर कर लें और दिन में बार बार इसको अपने चेहरे पर छिड़कें. ऐसा करने से स्किन में नमी बनी रहेगी. स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने के लिए रोज़ वॉटर लाभदायक होता है.

3) चेहरे पर दाग धब्बे होने से इंसान में सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी हो जाती है क्यूंकि स्पॉट्स के कारण चेहरा आकर्षक नहीं लगता. अगर आप के चेहरे पर दाग धब्बे हैं या फिर आप ब्लैकहेड्स जैसी स्किन प्रॉब्लम से परेशान हैं तो नियमित रूप से गुलाब जल को चेहरे पर लगाए. आप इसको किसी भी फेसपैक में मिला कर इस्तेमाल भी कर सकते हैं. कुछ ही दिनों में आपकी स्किन पर फर्क दिखने लगेगा और आपके स्पॉट्स फेड होते नज़र आयेंगे.

4) क्या आपको मालूम है गुलाब जल बालों के लिए भी काफी लाभदायक होता है. यह एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी बैक्टेरियल होता है. अगर आपको डैंड्रफ की समस्या है तो बालों में गुलाब जल लगा कर डैंड्रफ को ठीक किया जा सकता है. गुलाब जल एक नेचरल कंडीशनर का काम करता है. यह बालों की चमक बढ़ाने और उनको हेल्दी रखने में लाभदायक होता है.

गुलाब जल एक ऐसा मिरेकल वॉटर है जिसके अन गिनत फायदे हैं. बाज़ार में मिलने वाला गुलाब जल कितना भी महंगा और अच्छी ब्रांड का क्यों ना हो लेकिन उसमें कुछ ना कुछ मिलावट तो होती ही है. आप चाहें तो घर में प्योर गुलाब जल बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं. घर में बना हुआ गुलाब जल शुद्ध होता है और इसलिए ज़्यादा लाभदायक होता है. चलिए जानते हैं गुलाब जल बनाने का सबसे आसान और सही तरीका –

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गुलाब जल को बनाने के लिए आपको चाहिए 2-3 गुलाब के फूल, 2 कप पानी और बर्फ (4-5 क्यूब)

 विधि – गुलाब जल बनाने के लिए सबसे पहले गुलाब के फूल से पंखुड़ियों को अलग कर लें. इनको अच्छे से धो कर एक बड़े बर्तन में रख दें जिसमें आपको गुलाब जल बनाना है. इस बर्तन के बीच में एक छोटा बर्तन कुछ इस तरह रख दें कि गुलाब के फूल छोटे बर्तन के किनारे आ जाएं. छोटे बर्तन के किनारे गुलाब के फूलों पर २ कप पानी डाल दें. अब इस गुलाब से भरे बर्तन को गैस पर गर्म होने के लिए रख दें और किसी ढक्कन से ढक दें. जब बर्तन में भरे पानी में उबाल आने लगे तो ढक्कन के ऊपर बर्फ के टुकड़ों को रख दें. इससे भाप ठंडी होकर पानी बन जाएगी और छोटे बर्तन में यह पानी इकठ्ठा होता जाएगा. जब सारा पानी भाप बनकर छोटे बर्तन में इकठ्ठा हो जाए तो समझ लीजिए आपका गुलाब जल बन कर तैयार हो गया है. छोटे बर्तन में बने गुलाब जल को किसी बॉटल में स्टोर कर फ्रिज में रख दें.

उम्मीदों के बोझ तले रिश्ते

रिश्ता कोई भी हो उसमें उम्मीदें अपने आप पनपने लगती हैं. उम्मीदों पर खरा उतर गए तो रिश्ता गहराने लगता है वरना दरारों में देर नहीं लगती. कुछ रिश्ते जन्म से जुड़े होते हैं जहां कई दफा लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता. लेकिन उनका क्या जो बीच सफर में जुड़े वो भी जीवन भर के लिए. जब बात हो पति पत्नि के रिश्ते की तो उम्मीदें कई बार सामान्य से ज्यादा हो जाती हैं. उम्मीदें स्वाभाविक हैं लेकिन यही दुख का बड़ा कारण भी. यानि जितनी ज्यादा उम्मीद उतना बड़ा दुख. रिश्तों की कामयाबी के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है. इनमें ये भी शामिल है कि आप अपने साथी के लिए क्या करते हैं और बदले में क्या उम्मीद रखते हैं. लेकिन ये किस हद तक ठीक है जिससे रिश्ता खूबसूरती से आगे बढ़ता चले ये बात भी मायने रखती है. इसका एक आसान फॉर्मुला है 80/20.

क्या है 80/20?

रिश्ते की डोर दोनों साथी थामें हैं. यानि उम्मीदें दोनो ओर से हैं. ऐसे में तकरार से बचने के लिए 80/20 का फॉर्मुला आपके काम आ सकता है. यहां आपको खुद की उम्मीदों से अपने साथी को 20 प्रतिशत की रिहायत देने की जरूरत है. बचा 80 प्रतिशत उनको आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने का मौका देगा और आपको रिश्ते में संतुष्टी का अहसास होगा. एक बात आपको समझने की जरूरत है सौ प्रतिशत कुछ भी संभव नहीं, फिर इंसानी गलतियां कुछ हद्द तक नजरअंदाज किए बिना कैसे निभाया जा सकता है? इसलिए ये बीस प्रतिशत की रियायत आपके साथी को भी खुलेपन का अनुभव होने देगी और आपको शिकायत का कम मौका मिलेगा.

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जानकारों की मानें तो

80/20 का फॉर्मुला जानकारों का सुझाया हुआ है. शोध बताते हैं कि ज्यादा उम्मीद रखने वाले साथियों में तकरार की स्थिति अधिक बनी रहती है. इसलिए जानकारों का मानना है कि रिश्ते की मिठास को बनाए रखने के लिए उम्मीदों के बोझ को कम करना बेहद जरूरी है. जानकार ही नहीं बड़े बुजुर्गों से भी अक्सर यही नसीहत मिलती है कि जितनी उम्मीदें कम उतनी खुशियां ज्यादा. इसलिए इस फॉर्मुला को लागू करने के लिए जरूरी है कि आप खुद को और अपने साथी को स्पेस दें.

डॉ अमूल्य सेठ, साइकैटरिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

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