इंडियन से लेकर वेस्टर्न, हर लुक में खूबसूरत लगती हैं ‘इमली’ की ‘मालिनी’, देखें फोटोज

स्टार प्लस का सीरियल इमली इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. जहां एक तरफ शो की कहानी में नए मोड़ आ रहे हैं तो वहीं शो के किरदार निभाने वाले एक्टर्स आने वाले एपिसोड्स के लिए कड़ी मेहनत करते नजर आ रहे हैं. वहीं रियल लाइफ में पति को खो चुकीं मयूरी देशमुख इन दिनों सुर्खियों में हैं. हालांकि आज हम आपको सीरियल की कहानी की या किसी कौंट्रवर्सी की नहीं बल्कि इमली की सौतन के रोल में नजर आने वाली मालिनी यानी मयूरी देशमुख के फैशन के बारे में बताएंगे.

मराठी लुक में जीतती हैं फैंस का दिल

मराठी लुक से फैंस का दिल जीतने वाली मयूरी देशमुख इंडियन लुक्स कैरी करना पसंद करती हैं. इसीलिए वह आए दिन साड़ी या सूट से फैंस का दिल जीतती हैं. वहीं उनके फैंस भी नए लुक्स देखने के लिए बेताब रहते हैं.

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बनारसी लुक्स की शौकीन हैं मयूरी

मयूरी के साड़ी कलेक्शन की बात की जाए तो वह बनारसी साड़ी पहनना काफी पसंद करती हैं, जिसका अंदाजा मयूरी के सोशलमीडिया पर शेयर की गई फोटोज से लगाया जा सकता है. वेडिंग हो या कोई आम फैमिली फंक्शन हर ओकेजन के लिए मयूरी के ये लुक्स परफेक्ट औप्शंस है.

कौटन साड़ी का भी है क्रेज

गरमियों में कौटन का काफी ट्रैंड होता है. हर कोई कौटन से बने कपड़े पहनना पसंद करता है. वहीं मयूरी की बात करें तो वह कौटन साड़ी भा पहनना पसंद करती हैं. मयूरी की ये कौटन साड़ियां फंक्शन में आसानी से कैरी की जा सकती हैं.

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वेस्टर्न लुक भी करती हैं ट्राय

इंडियन ही नहीं वेस्टर्न लुक की बात करें तो मयूरी हर लुक कैरी करती हैं. वहीं उनके लुक्स फैंस को काफी पसंद आते हैं.

निडर रोशनी की जगमग: भाग्यश्री को किस पुरुष के साथ देखा राधिका ने

Serial Story: निडर रोशनी की जगमग– भाग 3

शाम को अमन के आने पर राधिका ने देखा कि सरवैंट क्वार्टर का दरवाजा खुला है. सीमा और सतीश वहां से चुपचाप अपना सामान ले कर गायब हो चुके थे.सीमा की कलई खुल जाने से राधिका खुश तो थी पर फिर वही मेड की समस्या मुंह बाए खड़ी थी. ‘इस बार जल्दबाजी नहीं करूंगी. सोच-समझ कर फैसला लूंगी,’ सोचते हुए उस ने सिक्युरिटी गार्ड को फोन कर क्वार्टर के लिए इच्छुक लोगों को भेजते रहने को कहा.

रविवार के दिन राधिका को न अमन के औफिस जाने की चिंता होती और न खुद के कहीं इंटरव्यू के लिए जाने की. उस दिन भी रविवार था. सुबह की चाय पीते हुए वह अमन से गप्पें मार रही थी. तभी दरवाजे की घंटी बजी.

‘‘अरे, सुबह के 8 बजे कौन आ गया?’’ नाक चढ़ा कर राधिका अमन को देखते हुए बोली.

‘‘देखता हूं मैं,’’ कह कर अमन दरवाजा खोलने चल दिया.

‘शायद कोई सरवैंट क्वार्टर की बात करने आया होगा.’ सोच कर राधिका भी अमन के पीछेपीछे हो ली.

अमन ने दरवाजा खोला. सामने 65-70 वर्षीय वृद्ध दंपती खड़े थे. साथ ही छोटे से कद की गौरवर्णीय 21-22 वर्षीय युवती भी थी. अमन को देखते ही वृद्ध ने हाथ जोड़ करुण स्वर में कहा, ‘‘साहब, मैं रिटायर्ड सरकारी चपरासी हूं. हम लोग बहुत सालों से बसंत रोड पर एक परिवार के साथ उन के सरवैंट क्वार्टर में रहे हैं. भाग्यश्री उन के घर का सारा काम करती है. इसी महीने उन साहब का यहां से ट्रांसफर हो गया, इसलिए घर खाली करना है. मेरी पैंशन से खानापीना तो हो जाता है, पर हम किराए पर कमरा नहीं ले सकते. मकान का किराया बहुत ज्यादा है आजकल… और फिर जवान लड़की का  साथ… आप तो सब समझते ही होंगे. बहुत जरूरत है हमें सरवैंट क्वार्टर की.’’

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‘‘भाग्यश्री बेटी है तुम्हारी?’’ लड़की और दंपती के बीच उम्र के अंतराल को देख कर राधिका संदेह में थी.

‘‘मैडम न पूछो… यह भाग्यश्री नहीं, अभाग्यश्री है. पोती है हमारी. इस के पैदा होते ही इस की मां चल बसी थी. फिर कुछ साल बाद हमारा बेटा भी बीमार हो कर…’’ वृद्ध का गला रुंध गया.

‘‘अरे, आप दोनों ने अपना नाम तो बताया ही नहीं?’’ बात बदलने के इरादे से राधिका बोली.

‘‘जी मैं बनवारी और यह शारदा,’’ अपनी पत्नी की ओर इशारा करते हुए वह बोला.उन के विषय में थोड़ाबहुत और जान कर राधिका भीतर चली गई. अमन भी उस के पीछेपीछे अंदर आ गया. दोनों को ही बनवारी परिवार को कमरा देना कुछ गलत नहीं लगा. अमन बनवारी को चाबी देते हुए जल्दी आने को कहा.

रात को ही वे सामान के साथ कमरे में आ गए. कई दिन काम का बोझ उठातेउठाते राधिका भी थक गई थी, इसलिए बनवारी परिवार के आते ही उस ने भी चैन की सांस ली. भाग्यश्री के रूप में उसे एक अच्छी मेड मिलने की पूरी आशा थी.

अगले दिन सुबह बनवारी और शारदा उन के घर आ गए और काम करना शुरू कर दिया. भाग्यश्री के न आने का कारण पूछने पर बनवारी ने कहा कि उसे बुखार आ रहा है. काम निबटतेनिबटते दोपहर हो गई. बनवारी दंपती थक कर चूर दिख रहे थे.

अगले दिन भी वे दोनों ही काम करने आए. इसी तरह 15 दिन बीत गए. राधिका को इतने वृद्ध लोगों से काम करवा कर ग्लानि हो रही थी. इस के अतिरिक्त काम सफाई से भी नहीं हो पा रहा था.

‘कहीं ऐसा तो नहीं कि भाग्यश्री कहीं और काम करने जा रही हो और उस के बहाने इन लोगों ने मेरा सरवैंट क्वार्टर ले लिया हो?’ राधिका के मन में संदेह उत्पन्न हो रहा था.

‘इस तरह कब तक चलता रहेगा? क्या सच में बीमार है भाग्यश्री’ सोच कर एक दिन राधिका ने सरवैंट क्वार्टर का दरवाजा खटखटा दिया. बनवारव शारदा उस समय राधिका केघर के काम में व्यस्त थे. दस्तक होते ही भाग्यश्री दरवाजा आधा खोल कर प्रश्न भरी निगाहों से राधिका की ओर देखने लगी.

‘‘तुम तो भलीचंगी हो, काम पर क्यों नहीं आती?’’ राधिका ने जानना चाहा.

‘‘वह… ऐसा है… मेरे… मुझे…’’ भाग्यश्री की जबान लड़खड़ा गई.

राधिका और कुछ बोले बिना वापस चल दी. वह अभी मुड़ी ही थी कि एक 30-35 वर्षीय व्यक्ति क्वार्टर से निकल कर लिफ्ट की ओर भागा. यह दृश्य देख कर राधिका आश्चर्यचकित रह गई. भाग्यश्री की पहेली सुलझने के स्थान पर और उलझ रही थी. परेशान सी राधिका ने इस पहेली को सुलझाने का फैसला कर लिया.

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अब प्रतिदिन बनवारी और शारदा के काम पर आते ही वह घर के बाहर जा कर सरवैंटक्वार्टर के आसपास मंडराती रहती. उस ने पाया कि लगभग प्रत्येक दिन ही उस कमरे में कोई पुरुष आता है. आश्चर्य की बात यह थी कि वह कोई एक पुरुष नहीं था. अलगअलग आयु के पुरुषों को उस ने वहां आतेजाते देखा. राधिका का दिल बैठा जा रहा था. उसे डर था कि कहीं देहव्यापार जैसा घृणित कार्य तो नहीं हो रहा यहां? जब अमन से उस ने इस विषय में चर्चा की तो दोनों ने बनवारी परिवार का परदाफाश करने का निश्चय किया.

अगले दिन अमन ने औफिस से छुट्टी ले ली थी. उस ने सरवैंट क्वार्टर में किसी को घुसता देख उसी समय बनवारी से क्वार्टर में चलने को कहा. बहाना बना दिया कि वहां एक छोटी से अलमारी रखवानी है. सुनते ही बनवारी टालमटोल करने लगा. यह देख अमन ने बनवारी को डांटना शुरू कर दिया.

राधिका ने शारदा से भाग्यश्री के अब तक काम पर न आने की असली वजह जाननी चाही.

अमन के गुस्से से भरे चेहरे को देख कर बनवारी फूटफूट कर रोने लगा. शारदा हाथ जोड़ते हुए बनवारी से बोली, ‘‘इन दोनों को सच बता दो… हम से अब सहा नहीं जाता.’’

बनवारी ने अपनेआप को संभालते हुए बोलना शुरू किया, ‘‘साहब… भाग्यश्री की शादी हो चुकी है. हमारा दामाद बहुत बुरा आदमी है. खूब शराब पीने की आदत है उसे. जब शादी की थी तब चाय की दुकान थी उस की छोटी सी. शादी के बाद उस ने हमारी लड़की की सोने की अंगूठी, चेन, झुमके सब कुछ बेच दिया. फिर जब दुकान भी बिक गई तो भाग्यश्री से गलत काम करवाने लगा. हम अपनी लड़की को वापस घर ले आए. फिर भी उस ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा. वहां भी लोगों को भेजता रहता… आप ने जब कमरा देने को हां कह दी तो हम तुरंत वहां से भाग निकले, पर उस ने पता लगा लिया और यहां भी… बनवारी फिर रोने लगा.

‘‘तुम ने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की?’’ अमन ने परेशान हो कर पूछा.

‘‘हमें उस ने धमकी दी थी कि पुलिस के पास जाएंगे तो वह हमारी लड़की को मरवा देगा,’’ शारदा ने भयभीत होते हुए बताया.

‘‘अरे, वह अकेला इन सब को डराता रहा और ये उस की हर बात मानते रहे, अमन राधिका की ओर देखते हुए बोला.’’

‘‘साहब, हमारा भाग्यश्री के अलावा कोई नहीं है… बहुत प्यार करते हैं हम दोनों इसे… उस पापी आदमी ने हमारा जीवन नर्क बना दिया है, बनवारी ने करुण स्वर में कहा.’’

‘‘हम अभी पुलिस में शिकायत करने चलेंगे,’’ बनवारी को आश्वस्त कर अमन पुलिस स्टेशन जाने की तैयारी करने लगा.

अमन बनवारी परिवार को साथ ले कर थाने पहुंच गया. अगले ही दिन सूचना मिली कि भाग्यश्री के पति को गिरफ्तार कर लिया गया है. बनवारी परिवार ने यह समाचार सुन कर चैन की सांस ली. उन को मानो नया जीवन मिल गया हो.

भाग्यश्री तो पिंजरे से आजाद हुई चिडि़या की तरह चहकने लगी थी अब. वह समझ गई थी कि थोड़ी सी हिम्मत जुटाने से ही उस के जीवन में बहार आई है. राधिका से उस ने वादा कि अब कभी वह भाग्य के भरोसे रह कर, स्याह डर के साए में नहीं जीएगी. अमन और राधिका ने उस का निडर रोशनी की जगमग से परिचय जो करवा दिया था.

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Serial Story: निडर रोशनी की जगमग– भाग 2

राधिका को उस का व्यवहार बहुत खटक रहा था. थोड़ी देर बाद बिमला हाथ में एक पैकेट लिए आई और राधिका को थमाते हुए बोली, ‘‘लो, जल्दी पकड़ो मैडमजी… हमें भी काम खत्म करना है…सारा दिन यहीं लगा देंगे क्या?’’

राधिका को बुरा तो बहुत लगा पर गुस्से को पीते हुए उस ने पैकेट खोल कर अपनी नई चप्पलें निकालीं, जो औनलाइन मंगवाई थीं.

चप्पलें देखते ही बिमला बोली, ‘‘लो, शू रैक तो पहले ही भरा पड़ा है. एक और मंगवा ली आप ने. फालतू खर्च. पैसा तो आप लोगों के पास बहुत है पर गरीब जरा सा कुछ ले ले तो जान निकल जाती है.’’

राधिका का गुस्सा अब 7वें आसमान पर था. बिमला के बदलते व्यवहार से पहले ही परेशान राधिका ने उसे तुरंत काम छोड़ने और क्वार्टर खाली करने का आदेश सुना दिया.

बिमला गुस्सा दिखाते हुए बोली, ‘‘आज ही कमरा खाली कर हम अपनी लड़की के पास चले जाएंगे… रखना किसी और को… पता लग जाएगा आप को और फिर दनदनाती हुई घर से निकाल कर सरवैंट क्वार्टर में घुस गई. कुछ देर बाद ही उस ने अपनी बेटी और दामाद को बुला कर सामान समेटा और 2 घंटे के भीतर कमरा खाली कर दिया.

राधिका का गुस्से और परेशानी से बुरा हाल था. किसी तरह उस ने अधूरा काम निबटाया और आराम करने लेट गई. थकान के कारण जल्द ही उस की आंख लग गई. शाम को डोरबैल की आवाज से ही नींद टूटी.

दरवाजा खोला तो बाहर एक लजाती हुई 23-24 वर्षीय युवती खड़ी थी. देखने से वह नवविवाहिता लग रही थी. उस की कमसिन मुसकराहट देख कर राधिका अपनी सारी परेशानी भूल गई. उस के पास ही युवक भी खड़ा था, जो उस का पति जान पड़ता था.

‘‘मेम साहब, मेरा नाम सीमा है, ये सतीश… मेरे… हम कमरे के लिए आए हैं.’’

सीमा का वाक्य पूरा होते ही सतीश ने नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़ दिए.

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‘‘ओके. पर तुम्हें कैसे पता लगा कि मुझे काम पर रखना है किसी को? आज ही तो गई है मेरी मेड. अभी तो कमरे को ले कर मैं ने किसी से कुछ कहा ही नहीं,’’ राधिका ने दोनों को अंदर बुलाते हुए कहा.

दोनों अंदर आ कर दीवार से सट कर खड़े हो गए.

‘‘मेम साहब, वे मेरी बूआजी हैं, जो आप के यहां काम करती थीं. आज वे गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गई थीं, अब पछता रही हैं. आप तो दोबारा उन्हें रखेंगी नहीं, इसलिए मुझे भेजा है उन्होंने,’’ बिना किसी लागलपेट के सीमा ने सब सच बोल दिया.

‘‘अच्छा, बिमला ने भेजा है तुम्हें… चलो ठीक है… काम कर तो पाओगी न सब?’’ राधिका उस की साफगोई से खुश हो कर उसे सरवैंट क्वार्टर में रखने का निर्णय कर चुकी थी.

‘‘मेम साहब, अपनी जेठानी के पास रह रही हूं आजकल. वे भी इसी कालोनी के एक सरवैंट क्वार्टर में रहती है… आप को सच्ची बताऊं तो काम तो सारा वहां भी मैं ही कर रही हूं… काम की परेशानी नहीं है मुझे बस सोने

में बहुत दिक्कत हो रही है वहां हमें. कमरा एक है और जेठजेठानी, उन के 2 बच्चे और ऊपर से 2 जने हम. 1 महीना बीत गया वहीं सब के साथ सोतेसोते…’’

दोनों को प्यार के कुछ पल साथसाथ बिताने को तरसते देख कर राधिका को उन पर ही प्यार आ गया. दोनों की ओर देख मुसकराते हुए राधिका ने क्वार्टर की चाबी सीमा को थमा दी. वे दोनों एक फोल्डिंग पलंग और कुछ कपड़ों के साथ रात को क्वार्टर में आ गए.

अगले दिन सतीश सुबहसुबह अपने काम पर चला गया और सीमा राधिका के पास आ गई. आते ही गुनगुनाते हुए उस ने काम करना शुरू कर दिया. बीचबीच में वह राधिका से बातें भी करने लगती थी.

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सीमा के व्यवहार और काम से आश्वस्त राधिका लैपटौप ले कर नौकरी की नई संभावनाओं की खोज में लगी रहती. सीमा और राधिका को एकदूसरे का साथ बहुत अच्छा लग रहा था.

रविवार को सीमा अकसर आधे दिन की छुट्टी ले कर सतीश के साथ घूमने, फिल्म देखने या किसी रिश्तेदार से मिलने चली जाती थी. उस दिन वह खूब मेकअप करती. जब वह तैयार होती तो उसे देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वह बाई है. तरहतरह के शेड्स की लिपस्टिक, मसकारा, स्टोन की बिंदियां… बहुत कुछ था उस के पास. ब्लाउज भी अच्छीअच्छी डिजाइन के पहनती थी वह… उस का इतना खर्च देख कर राधिका कभीकभी अचरज में पड़ जाती थी.

सीमा इस विषय में कभी बात करती तो वह कहती, ‘‘अभी नईनई शादी हुई है. खर्चा है ही क्या हमारा… थोड़ा सजसंवर लेते हैं तो हमारे इन को भी अच्छा लगता है. यही सारा सामान खरीदने की जिद करते हैं.’’

सीमा को घर का सारा काम सौंप कर राधिका पूरी तरह निश्चिंत थी. अब जल्द ही वह नई जौब पा लेना चाहती थी.

उस दिन नौकरी की साइट्स देखतेदखते वह बोर हो गई तो औनलाइन शौपिंग की साइट पर चली गई. ‘कोई चीज पसंद आए इस से पहले ही क्रैडिटकार्ड ले आती हूं’, सोचती हुई राधिका ड्राइंगरूम की ओर चल दी, जहां टेबल पर कल से उस का पर्स रखा था.

ड्राइंगरूम में पहुंचते ही वह सन्न रह गई. सोफे पर बैठी सीमा उस के पर्स की छानबीन में लगी थी. उस की पीठ राधिका की ओर थी, इसलिए वह राधिका को देख नहीं पाई. जब

तक राधिका वहां पहुंचती, सीमा ने कुछ निकाल कर अपने ब्लाउज में रख लिया. राधिका दबे पांव वहां पहुंची और सीमा को पीछे से पकड़ लिया. इस प्रकार रंगे हाथों पकड़े जाने से सीमा हड़बड़ा गई.

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‘‘मेम साहब, मुझे माफ कर दो… मैं कभी चोरी नहीं करती… आज तबीयत ठीक नही थी… डाक्टर को दिखाना था, इसलिए ये पैसे… अब कभी ऐसा नही करूंगी,’’ सीमा क्व5 सौ का नोट अपने ब्लाउज से निकाल कर राधिका को देती हुई बोली.

‘‘बीमार हो तुम? फिर बताया क्यों नहीं मुझे… सुबह से तो खूब खुश लग रही थी… उफ,  अब मेरी समझ आ रहा है कि मेरे शैंपू और कंडीशनर्स इतनी जल्दी क्यों खत्म होने लगे थे? मेरी कुछ लिपस्टिक्स कुछ दिनों से क्यों नहीं मिल रहीं और काम के बीच में बहाने बना कर कुछ देर के लिए तुम क्वार्टर में क्यों चली जाती थी. मैं अब कुछ नहीं सुनूंगी, तुम बस अभी मेरे घर से चली जाओ,’’ राधिका गुस्से से आगबबूला हो रही थी, वह सोच नहीं पा रही थी कि इस गुनाह के लिए सीमा की शिकायत पुलिस में करनी चाहिए या नहीं.

आगे पढ़ें- शाम को अमन के आने पर राधिका ने…

Serial Story: निडर रोशनी की जगमग– भाग 1

धारा सोसाइटी के फ्लैट को देख कर राधिका ने वहां शिफ्ट करने के लिए तुरंत हामी भर दी. अमन को भी वह मकान पसंद आ गया था. दिल्ली आने के बाद कई दिनों से वे मकान के लिए इधरउधर भटक रहे थे. कब तक होटल के कमरे में कैद हो कर रहते. बैंगलुरु में औफिस के पास ही अच्छा सा फर्निश्ड मकान किराए पर ले रखा था उन्होंने. दिल्ली में भी ऐसे ही मकान की तलाश में थे वे दोनों. अमन को यहां एक कंपनी में अच्छा पैकेज मिल गया था. राधिका ने उस के साथ आने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी. उस का विचार दिल्ली आ कर अपने लिए भी एक नई नौकरी की तलाश करना था. होटल में 15 दिन से ज्यादा हो गए थे. घर किराए पर ले कर अब वे होटल से बाहर आने को बेचैन थे.

कई जगह मकान देख कर निराश होने के बाद इस फ्लैट को देख कर उन्हें तसल्ली हो गई. अमन को 2 बैडरूम के इस मकान का सलीके से लगा फर्नीचर और कमरों तथा बाथरूम की साजसज्जा आकर्षित कर रही थी, तो राधिका को मौडरेट किचन. पर इन सब से बढ़ कर जल्द ही नई नौकरी ढूंढ़ कर जौइन करने की इच्छुक राधिका को घर के साथ एक ‘सरवैंट क्वार्टर’ भी होना बेहद सुखद लग रहा था. यहां की सोसाइटी के सभी फ्लैट्स में यह व्यवस्था थी.

फ्लैट से सटा 1 कमरे का छोटा सा क्वार्टर, जिस में बाथरूम और रसोई भी. प्रवेशद्वार भी पूरी तरह अलग था सरवैंट क्वार्टर का. उन क्वार्टर्स में कामवालियां अपने परिवार सहित रही थीं. क्वार्टर के बदले में उन्हें उसी घर का काम कम पैसों में करना होता था. राधिका यह सोच कर बेहद खुश थी कि वह भी अपने फ्लैट के सरवैंट क्वार्टर में मेड को रख लेगी. फिर जौब लगने पर औफिस में निश्चिंत हो कर काम करने के साथसाथ औफिस से आते ही किचन में जुट जाने के झंझट से मुक्त हो जाएगी.

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जल्द ही वे उस फ्लैट में शिफ्ट हो गए. आसपड़ोस के लोग अच्छे थे. उन से पता लगा कि मेड रखने के लिए वहां के सिक्युरिटी गार्ड से संपर्क करना अच्छा होगा, क्योंकि उस के पास वे लोग अपना मोबाइल नंबर दे जाते हैं, जो सरवैंट क्वार्टर्स में रह कर घर के काम करने के इच्छुक होते हैं.

सिक्युरिटी गार्ड को मेड के लिए सूचित करते ही उन के यहां क्वार्टर लेने वालों का तांता लग गया. बाहर बस्ती में छोटे से कमरे के लिए भी इन लोगों को क्व5-6 हजार तक किराया देना पड़ता था और वह भी सुविधारहित मकान का. अत: साफसुथरी सोसाइटी में क्वार्टर और बदले में केवल एक ही घर का काम, इसलिए बहुत सी कामवालियां तैयार थीं आने को.

राधिका की कई लोगों से बात हुई. पर उसे संतुष्टि नहीं हो पा रही थी. एक महिला उसे जंची भी, पर उस का अपना बच्चा ही 2 महीने का था. अत: राधिका को लग रहा था कि न जाने वह काम में पूरा ध्यान लगा पाएगी या नहीं?

‘‘इतने लोग आ चुके हैं अब तक, पर कोई भी ढंग का नहीं… पता नहीं दिल्ली में उसे मनपसंद बाई मिल पाएगी या नहीं’ सोच कर निराश हुई राधिका रसोई में घुसी ही थी कि एक बार फिर डोरबैल बज उठी. कुछ उत्सुक, कुछ परेशान सी राधिका ने दरवाजा खोला.

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सामने एक अधेड़ उम्र की स्त्री, लंबी सी चोटी आगे किए. साफसुथरी सूती साड़ी पहने खड़ी हुई दिखाई दी. राधिका की ओर देख कर उस ने मुसकराते हुए नमस्ते की.

राधिका उस स्त्री से कुछ पूछती उस से पहले ही वह बोल उठी, ‘‘मैडम हम बिमला हैं. हमें बहुत जरूरत है कमरे की. हमारा आदमी तो इस दुनिया में नहीं. बस 2 लड़कियां हैं. दोनों की शादी हो चुकी है. हम पास ही किराए के कमरे में रहते हैं. अभी तक हम कई घरों का काम करते आए हैं, पर अब घूमघूम कर काम नहीं होता हम से. एक घर में रहेंगे और वहीं का काम करेंगे… काम को ले कर कोई शिकायत नहीं होगी हम से. हम खूब काम करते हैं.’’

राधिका को वह तौरतरीके से सरल स्वभाव की लगी. पूरी तरह आश्वस्त होने से पहले उस ने अपने मन में उठ रही शंका को शांत करने के उद्देश्य से पूछ लिया, ‘‘एक बात बताओ, तुम तो जानती हो न कि सरवैंट क्वार्टर तुम्हें मिलेगा तो उस के बदले काम के पैसे कम मिलेंगे. फिर रोज का अपना खर्चा कैसे चलाओगी तुम?’’

‘‘आप उस की चिंता न करो मैडम… हमें तो एक भी पैसा नहीं चाहिए. आप कमरा दे दो बस. हमारे गांव से हर 6 महीने बाद अनाज आता है. फिर हमारे दोनों दामाद भी बहुत अच्छे हैं, रुपयोंपैसों से वे भी मदद करते रहते हैं हमारी.’’

राधिका को बिमला काम पर रखने के लिए अनुकूल लगी. ‘सारा दिन अकेली ही होगी बिमला… अपने घर का ज्यादा काम तो होगा नहीं उसे…इसलिए मेरा घर ठीक से देख लेगी,’ सोच कर प्रसन्न होती हुई राधिका ने क्वार्टर की चाबी बिमला को थमा दी.

2 दिन बाद बिमला अपना सामान ले कर आ गई और राधिका से काम समझ कर सब काम ठीक से करने लगी. राधिका के 15 दिन बहुत चैन से बीते. इसी बीच वह 2 कंपनियों में इंटरव्यू भी दे आई. पर कुछ दिनों बाद ही बिमला की कुछ बातें उसे खटकने लगीं.

गांव से अनाज आने की बात कहने वाली बिमला ने लगभग रोज राधिका से कुछ न कुछ मांगना शुरू कर दिया. धीरेधीरे उस की हिम्मत बढ़ने लगी और वह अपनेआप ही डब्बे में से आटा, चावल, दाल और फ्रिज में से दूध और सब्जियां निकाल लेती.

एक दिन राधिका से रहा नहीं गया. उस ने विरोध किया तो बिमला तपाक से बोली, ‘‘हम कोई चोरी थोड़े ही कर रहे हैं. आप के सामने ही तो निकाला है. अब यहां काम कर रहे हैं और गांव से कोई सामान देने नहीं आया तो यहीं से लेंगे और कहां जाएंगे?’’

राधिका को गुस्सा तो बहुत आया पर वह चुप हो गई.

कुछ दिन और बीते. फिर बिमला की मांगें बढ़ने लगीं. कभी उसे आने वाले मेहमानों के सामने बिछाने के लिए नई चादर चाहिए होती तो कभी शादी में जाने के लिए साड़ी. इतना ही नहीं राधिका पर वह रोब भी गांठने लगी. प्रतिदिन किसी न किसी बात पर वह राधिका को पुराने रीतिरिवाजों का महत्त्व समझाने लगती. कभी वह उसे मांग में सिंदूर न भरने के लिए टोकती तो कभी किसी त्योहार पर पूजापाठ न करने पर. राधिका काम के विषय में कुछ कहती तो वह अनसुना कर देती. धीरेधीरे किसी न किसी बहाने वह पैसे भी मांगने लगी. मना करने पर उस की त्योरियां चढ़ जातीं. राधिका समझ नहीं पा रही थी कि क्या किया जाए?

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उस दिन राधिका ने फेसपैक लगाया हुआ था और नहाने के लिए बाथरूम में घुस ही रही थी कि डोरबैल बज उठी. बिमला के पास रसोई में जा कर राधिका ने उसे दरवाजा खोल कर देखने को कहा. बिमला ने तुरंत हाथ में ली हुई कटोरी जोर से सिंक में फेंकी और हाथ धो कर दनदनाती हुई दरवाजा खोलने चल दी.

आगे पढ़ें- राधिका को उस का व्यवहार बहुत खटक रहा था. थोड़ी देर बाद…

48 की उम्र में Mohabbatein एक्टर का शौकिंग ट्रांसफौर्मेशन, देखें फोटोज

बौलीवुड फिल्मों में काम करने वाले कई लोग आते हैं और चले जाते हैं. हालांकि कुछ ही लोग फैंस के दिल में जगह बना पाते हैं. इन्हीं नामों में एक नाम है एक्टर जुगल हंसराज का. बौलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान संग काम कर चुके एक्टर जुगल हंसराज ने एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया है. हालांकि वह आज भी फैंस के दिलों में राज करते हैं. लेकिन कई सालों से फिल्मी दुनिया से दूर एक्टर का शौकिंग ट्रांसफौर्मेशन देखने को मिला है. आइए आपको दिखाते हैं Mohabbatein एक्टर की वायरल फोटोज…

फोटोज में दिखा अलग अंदाज

छोटे से करियर में ही फिल्मी दुनिया में नाम कमा चुके एक्टर जुगल हंसराज की नई फोटोज इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. 48 साल के हो चुके हैं जुगल हंसराज और उनकी लेटेस्ट फोटोज को देखकर हर कोई हैरान रह गया है.

 

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वाइफ संग फोटोज वायरल

 

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साल 2014 में जुगल हंसराज ने जैस्मिन हंसराज संग शादी की थीं, जिसके बाद दोनों अक्सर अपनी रोमेंटिक फोटोज शेयर करते रहते हैं. वहीं फैंस भी दोनों की कैमेस्ट्री को पसंद करते हैं. वहीं जुगल हंसराज को लिखना काफी पसंद हैं, सालों पहले उन्होंने एक किताब भी लिखी थी. साथ ही फैमिली के साथ टाइम बिताने का वह एक भी मौका नहीं छोडते.

 

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सफेद बालों में नजर आए एक्टर

 

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शौकिंग ट्रांसफौर्मेशन की बात करें तो वाइट बालों के साथ जुगल हंसराज काफी हैंडसम लग रहे हैं. वहीं आज भी उनके चेहरे का ग्लो देखने को मिलता है.

लाखों करोड़ों दिलों पर राज कर चुके हैं जुगल हंसराज (Jugal Hansraj)

 

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फिल्म ‘पापा कहते हैं’ और ‘मोहब्बतें’ जैसी फिल्मों से पौपुलैरिटी हासिल करने वाले एक्टर जुगल हंसराज ने कई फिल्मों में लीड रोल अदा कर चुके हैं. हालांकि जल्द ही उन्होंने बॉलीवुड से नाता तोड़ दिया. लेकिन आज भी उनकी फिल्मों में रूचि कम नहीं हुई है.

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कार्तिक को छोड़ रणवीर के पास जाएगी सीरत, देखें वीडियो

टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है को दोबारा टीआरपी चार्ट्स में लाने के लिए मेकर्स सीरियल में कई ट्विस्ट और टर्न्स ला रहे हैं. वहीं इसी के चलते अब सीरियल में हैंडसम हंक एक्टर करण कुंद्रा की खबर ने फैंस को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था. लेकिन अब शो के मेकर्स ने नया प्रोमो रिलीज किया है, जिससे शो की कहानी में रणवीर यानी करण कुंद्रा की एंट्री से बवाल मचता हुआ नजर आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज और वीडियो…

सीरत-कार्तिक की होगी शादी

अब तक आपने देखा कि नायरा की मौत के बाद शो में सीरत ने एंट्री हुई थी, जिसकी जल्द ही कार्तिक से शादी होने वाली है. हालांकि इस शादी से कुछ घरवाले नाराज हैं, जिनमें कार्तिक के पिता मनीष भा शामिल है. लेकिन दादी के फैसले को सभी मान रहे हैं. लेकिन करण कुंद्रा की एंट्री के बाद इस शादी में कई मुश्किलें देखने को मिलने वाली हैं.

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करण कुंद्रा की एंट्री से लगेगा कहानी में तड़का

 

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कार्तिक-सीरत की शादी के बीच आने वाले एपिसोड में सीरत के पुराने प्यार की एंट्री होने वाली है, जिसके बाद शादी होगी या नही ये देखना दिलचस्प होगा. वहीं शो के मेकर्स ने करण कुंद्रा के लुक की कुछ फोटोज शेयर की है. दरअसल, पोस्ट में करण कुंद्रा का लुक दिखाया गया है, जिसके साथ ही कैप्शन में लिखा- कार्तिक और सीरत की जिंदगी में कौनसा तूफान लेकर आएगा रणवीर?

सीरत बताएगी सच

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि रिया, सीरत के अतीत का सच जानती है, जिसके कारण वह सभी के सामने उसके कैरेक्टर पर सवाल उठाने की कोशिश करती है. हालांकि कार्तिक उसे रोक देता है. इसी बीच सीरत फैसला करती है कि शादी से पहले वह कार्तिक को अपने अतीत के सच के बारे में बता देगी. वहीं अपकमिंग एपिसोड में सीरत अपने सच को कार्तिक के सामने रखेगी तो वहीं करण कुंद्रा यानी रणवीर की भी शो में एंट्री होती नजर आएगी.

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Summer Special: सलाद में दें स्वाद का तड़का

सलाद का नाम सुनते ही मन में अलग सी ताजगी आने लगती है. हम बड़े तो बड़ी ही दिलचस्पी के साथ सलाद खाते हैं. लेकिन बात जब बच्चों को खिलाने की आती है तो बड़े से बड़ा इंसान उनके आगे घुटने टेक देता है. हालांकि गर्मी के इस मौसम में सलाद हमारे लिए कितना फायदेमंद है ये बच्चे कभी नहीं समझ सकते. क्योंकि उन्हें वो बोरिंग लगता है. उन्हें खाने में हमेशा कुछ नया और इंट्रेस्टिंग ही चाहिए होता है. अगर आपका भी बच्चा सलाद खाने के मामले में आना कानी करता है तो आप सलाद की प्लेट को नये ट्विस्ट के साथ इंट्रेस्टिंग बनाने की कोशिश करें. जिसे वो चाहकर भी मना ना कर पाए. आज हम आपको सलाद को इंट्रेस्टिंग और आकर्षित बनाने की ऐसी टिप्स बताएंगे जिन्हें आजमाने के बाद आपका बच्चा तो क्या कोई बड़ा भी सलाद खाने से खुद को रोक नहीं पाएगा.

1. कैसे बनाएं सलाद

सलाद बनाने के लिए फ्रेश फ्रूट का इस्तेमाल करें. क्योंकि इसी से सलाद का एक ऐसा बेस तैयार होता है, जो टेस्ट बढ़ाता है. आप उसमें ग्रिल पनीर के साथ थोडा खट्टा-मीठा ट्विस्ट दे सकती हैं. साथ ही रंगों का आच्छा इस्तेमाल भी आपके काफी काम आएगा. आप सलाद में हरे रंग के फल सब्जियों का इस्तेमाल करेंगी तो वो और भी ज्यादा निखरकर आएगा. आप ऐसे फल चुनिए जिसे आपका बच्चा शौक से खाए. सलाद में तरबूज के इस्तेमाल के साथ दही, काली मिर्च और ऑलिव आयल का इस्तेमाल करें. अगर आप इसमें स्वाद को बढ़ाना चाहती हैं, तो तुलसी के पत्ते भी काम आ सकते हैं.

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2. सलाद को दें नया ट्विस्ट

आप अपने बच्चे को सलाद खिलाना चाहती हैं, तो आपकी सलाद बनाने की स्टाइल में थोड़ा बदलाव भी करना होगा. आप इसे नये अतरंगी ट्विस्ट के साथ तैयार करें. आप मलाई और कुरकुरे का इस्तेमाल करें. जिसमें थोडा सा पनीर, ग्रीन योगर्ट और एवोकोडो के साथ इसे बेहतर टेस्ट दे सकती हैं. आप इसमें अगर सेब के साथ थोड़ा सा अजवाइन मिला दें तो कहने ही क्या.

3. आकर्षित हो सलाद का रंग

अगर आप सलाद के कटोरे को पोषण वाला कटोरा बनाना चाहती हैं, तो जायज सी बात है आप उसमें हर साग मिलाएं. लेकिन इसे पेश करने का तरीका बदल दें. आप सूखे सूखे क्रैनबेरी या नट्स के साथ रेड फ़ूड कलर का इस्तेमाल करें.

4. साबुत अनाज भी देगा पोषण

अगर आपका बच्चा ब्रेड खाना पसंद करता है तो उसे आप गेंहू की ब्रेड का इस्तेमाल करें. साथ ही आप सलाद को सैंडविच का रूप भी इसी तरह दे सकती हैं. आप सैंडविच के जरिये बच्चे को अपना मनपसंद सलाद खिला सकती हैं.

5. फ्राइज देंगे नया ट्विस्ट

शाद ही कोई बच्चा ऐसा हो जिसे फ्राइज खाना पसंद ना हो. आपका बच्चा भी इसे जरुर पसंद करता होगा. आप उसे ओवन में शकरकंद को बेक कर फ्राइज बनाकर खिलाएं. आप ये फ्राइज नमकीन और मीठा दोनों तरीके से बना सकती हैं. आप ठीक इसी तरह सब्जियों को भी नया ट्विस्ट देखर हेल्दी चीजें खिला सकती हैं. आप इससे सलाद भी बना सकती हैं.

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तो ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनकी मदद से आप सलाद को एक नया रूप रंग देकर तैयार कर सकती हैं. जिसे बच्चे ही क्या, बड़े भी बेहद पसंद करेंगे और आपसे बार बार खाने की डिमांड भी करेंगे. आप इसमें अपने मन मुताबिक चीजें भी ऐड कर सकती हैं. यकीन मानिये ये आपके बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को भी काफी पसंद आएगा.

जानें क्यों जरुरी है ब्रेस्टफीडिंग

दुनिया भर में केवल पांच में से दो बच्चे जन्म के दो घंटे के भीतर स्तनपान का लाभ ले पाते  हैं – वह  सुनहरे घंटे शिशु को बढ़ने और विकसित होने का सबसे अच्छा मौका देते है. ब्रेस्टफीडिंग  नई  माताओं  को  अपने शिशु  के  साथ शारीरिक और भावनात्मक  रूप से  बांड बनाने में मदद करती है. जन्म से लेकर छह महीनों तक शिशु के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान  बहुत  महत्वपूर्ण है. मां का दूध  शिशुओं में  शारीरिक  विकास को बढ़ावा देने के साथ, पोषक तत्व भी प्रदान करता है.

श्री राजेश वोहरा, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आर्ट्साना ग्रुप, इन एसोसिएशन विद कीको रिसर्च सेंटर, बताते हैं कि शिशु के साथ-साथ स्तनपान मां के लिए भी अति लाभदायी  होता है. स्तनपान के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक लाभ यह है कि स्तनपान कराने की सुविधा देने वाला मुख्य हार्मोन गर्भाशय को उसकी पूर्व स्थिति मे लाने में  मदद  करता है. नई माताओं में  यह मोटापा और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने के साथ-साथ स्तन और ओवेरियन कैंसर के खतरे को भी  कम करता है. पहले के समय में  माताएं  घर  पर  रह  कर शिशु का लालन- पोषण  करती थी और उनको छह माह से लेकर साल भर  तक स्तनपान कराती थी.

लेकिन आज की परिस्थिति कुछ अलग  है. आजकल अधिकांश माताएं   काम पर जाती  हैं और उन्हें लंबे समय तक घर  से दूर रहना पड़ता है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से बहुत सी माताएं घर से ही काम कर रही हैं , लेकिन घर के काम और ऑफिस के रूटीन के चलते वह हर समय शिशु को स्तनपान नहीं करा पाती , जिससे नई माताओं के लिए स्तनपान का अभ्यास जारी रखना मुश्किल हो जाता है. लेकिन, यह सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी है कि शिशु कम से कम छह महीने से लेकर एक साल तक के लिए विशेष रूप से स्तनपान पर निर्भर रहे.

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संक्रमण को रोकने में मदद करने के लिए कुछ सुझाव शिशु के पोषण के साथ साथ एक मां को स्तनपान कराते समय स्वच्छता का भी अधिक ध्यान देना चाहिए.

  • आपको अपने बच्चे को स्तनपान कराने से पहले एवं बाद में अपने हाथों को अच्छे से धोना चाहिए. हाथ धोने से सर्दी, फ्लू और पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं.
  • अपने निपल्स को साफ और सूखा रखें
  • अपने निपल्स को धोने के लिए अल्कोहल युक्त सुगंधित साबुन या किसी भी चीज़ का उपयोग न करें. यह सूखापन पैदा कर सकता है और आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है.
  • यदि आप ब्रेस्ट पैड्स का उपयोग करते हैं, तो नम हो जाने पर उन्हें बदलना अनिवार्य है जिससे कि बैक्टीरिया या फंगल संक्रमण का खतरा न हो
  • स्तनपान करने वाली माताओं को अपने कपड़े रोज़ बदलने चाहिए और जितना हो सके वह हवादार कॉटन के कपडे ही पहनें

नई  माताओं  को  साफ़ – सफाई के साथ-साथ अपने खान- पान का बहुत ख्याल रखना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्तनपान  कराते समय आपके शरीर को उन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जो दूध की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होते हैं. इसलिए नई माताओं को पौष्टिक आहार में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि खाना चाहिए जिससे शिशु को भी पोषण मिले.

कोलोस्ट्रम के लाभ

कोलोस्ट्रम मां द्वारा निर्मित पहला दूध होता है और इसमें नवजात शिशु के लिए कई फायदे हैं- यह शिशु को एक मज़बूत इम्यून सिस्टम बनाने में मदद करता है; कोलोस्ट्रम में पाए जाने वाले पदार्थ शिशु की जीवाणुजनित और विषाणुजनित संक्रमणों से रक्षा करने में मदद करते हैं. मां  के दूध में प्राकृतिक एंटीबॉडीज़ होते हैं, जो शिशुओं को गैस्ट्राइटिस, दस्त और निमोनिया जैसी बिमारियों से बचाते हैं. और शिशुओं के मानसिक विकास में भी मदद करते हैं.

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शिशु की देखभाल में  अक्सर व्यस्त  हो जाने के कारण नई  माताएं अपना  ख्याल ठीक से नहीं रख पाती है.  एक स्वस्थ  शरीर और स्वस्थ  दिमाग ही एक स्वस्थ  और खुशनुमा जीवन प्रदान कर सकता है इसलिए अपने शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए नई माताओं को  दिन में कुछ समय अपने लिए रखना चाहिए.जिससे वह खुश  रहे , स्वस्थ  रहे  और  अपने शिशु व  परिवार  की देखभाल भी अच्छे से कर  पाएं.

औरतों को गुलाम मानना धर्म की देन

भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने एक मजेदार सर्वे  किया कि घरों में कौन कितना समय किस कार्य में लगाता है. 2019 के इस सर्वे में 1,38,799 घरों के डेटा से पता चलता है कि जहां औरतें 299 मिनट प्रतिदिन घर के कामों में लगाती हैं, जिस का उन्हें सीधे कोई भुगतान नहीं होता, वहीं आदमी 97 मिनट ही लगाते हैं. इन कार्यों में खाना पकाना, सफाई करना और कपड़े धोना शामिल है.

इसी तरह जहां औरतें 134 मिनट घर के दूसरे सदस्यों की देखभाल के लिए लगाती हैं, वहीं आदमी 76 मिनट लगाते हैं.

टाइम यूज इन इंडिया 2019 नाम से जारी की गई रिपोर्ट का अब अदालतें इंश्योरैंस क्लेमों में भी इस्तेमाल करने लगी हैं और ऐक्सीडैंट में मां या पत्नी के मरने पर इंश्योरैंस कंपनी के थर्ड पार्टी इंश्योरैंस क्लेम न देने की आदत पर कंट्रोल कर रही हैं.

असल में औरतों को गुलाम मानना सिर्फ धर्म की देन है. जब तक लोग जंगलों में रहते थे, आदमी और औरत दोनों बराबर का काम कर के न केवल खाना जमा करते थे, अपना खाना, अपनी देखभाल भी खुद करते थे जैसे आम पशु करते हैं, दोनों बराबर होते थे. सभ्यता ने साथ रहना सिखाया है, कामों को बांटा है पर जैसे पुरुषों के कामों में बंटवारे में ऊंचनीच नहीं है, स्त्रीपुरुष अगर साथ रह रहे हैं तो मालिक गुलाम क्यों बना दिए गए हैं?

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सदियों से औरतों को इस का दंश भुगतना पड़ रहा है. मांएं अपनी बेटियों को विरासत में आत्मसम्मान नहीं गुलामी दे कर जाती हैं कि पति की सेवा करना, उस के घर वालों के काम करना, अपने हक न मांगना, यह पाठ धर्मग्रंथों ने भी पढ़ाया है.

हिंदू धर्म में औरतोे को पाप योनि का बताया है और माहवारी जैसी प्राकृतिक प्रक्रिया के लिए भी ब्राह्मण हत्या का दोषी बताया गया है. पति की मृत्यु के लिए पत्नी को दोषी माना गया है और उसे जिंदा जला देने से ले कर गुलाम या भिखारी तक बना दिया जाता है, जबकि जीतेजी वह पुरुष से ज्यादा घर का काम करती है.

यह तर्क गलत है कि पुरुष बाहर जा कर कमा कर लाता है. यदि यह सर्वे सही है तो दिन के 1440 मिनटों में से 433 मिनट ही घर का काम देखने में लगते हैं. कोई कारण नहीं कि बाकी समय का उपयोग वह भी पुरुष की तरह कमा कर लाने में लगा सकती हो. पर उसे ऐसा करने से रोका गया.

परपुरुषों से न मिल सके इसलिए उसे घर से ही निकलने नहीं दिया गया. बुरके और परदे में बंद कर दिया गया. उसे पढ़ने नहीं दिया गया, हुनर नहीं सीखने दिया.

आरतों के पास पर्याप्त समय होता है कि वे कुछ भी सीख सकती हैं. आजकल हर परीक्षा में अच्छे अंक लाने वालों में लड़कियां ज्यादा होती हैं, क्योंकि उन्हें अवसर मिल रहे हैं. यह षड्यंत्र है कि उन्हें अब धार्मिक कामों में लगाया जा रहा है.

भारत में हिंदू औरतों को पूजापाठ, प्रवचनों, आरतियों, घर और मंदिरों की मूर्तियों की पूजा पर लगाया जा रहा है. ऐसा उन्हें व्यस्त रखने के लिए किया जा रहा है.

भारत की 36 करोड़ औरतों को जनगणना में बेकार मान लिया गया है और उन्हें भिखारियों, वेश्याओं, कैदियों की गिनती में डाल दिया गया है. ?जनगणना पार्लियामैंट के अनुसार होती है और ये 36 करोड़ औरतें अगर (2001 की जनगणना के अनुसार) निकम्मी हैं तो इसलिए कि इस पर पुरुषों से भरी संसद की मुहर है.

औरतें घर से बाहर किसी दफ्तर या फैक्टरी में काम करती हैं और कमाती हैं तो घर में बच्चों, बूढ़ों या पति की देखभाल करती हैं तो भी कमाती हैं. उन्हें पति से उस मेहनत का मेहनताना लेने का हक है. उन्हें छत या खाना दे देना काफी नहीं है. बात रुपयों की गिनती की नहीं, मानसिकता की है.

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अफसोस यह है कि हिंदू राष्ट्र की कल्पना में स्त्रियों का कोई स्थान नहीं होता. वे सिर पर कांबर या क्लश ढोते नंगे पैर जाती दिखेंगी, व्रत रखती दिखेंगी, पंडितों को खाना खिलाती दिखेंगी और विधवा या तलाकशुदा होने पर समाज से बहिष्कृत होती भी दिखेंगी.

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