अनुपमा: किंजल को मिलेगी वनराज की नौकरी, क्या होगा सबका रिएक्शन

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में आए दिन नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां बीते दिनों वनराज की नौकरी चली गई है तो वहीं अनुपमा ने तलाक का फैसला ले लिया है. हालांकि अभी शो में कई नए मोड आनो बाकी हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज को मिलते हैं तलाक के कागज

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा की माफी का इंतजार कर रहे वनराज को तलाक के कागज मिलने के बाद गहरा झटका लगता है. वहीं शाह परिवार अनुपमा के तलाक के फैसले से काफी नाराज नजर आया. इसी बीच परितोष और समर के बीच झगड़ा भी देखने को मिला.

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अनुपमा लेती है घर छोड़ने का फैसला

समर जहां अपनी मां का सपोर्ट करता हुआ नजर आता है तो वहीं परितोष और पूरा परिवार अनुपमा के तलाक के फैसले को गलत ठहराता है, जिसके चलते परितोष घर छोड़ने का फैसला लेता है. इसी बीच परिवार की नाराजगी को देखते हुए अनुपमा कहती है कि अगर कोई घर छोड़कर जाएगा तो वह खुद होगी. वहीं पाखी तलाक के फैसले से नाखुश होकर घर छोड़ने का मन बनाती है. इसी बीच वनराज फैसला करता है कि वह अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ेगा और काव्या के साथ शादी करके जिंदगी बिताएगा.

किंजल को मिलेगी वनराज की नौकरी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज अपनी नौकरी जाने की बात से नाराज होकर अपने मालिक को खरी खोटी सुनाएगा और साथ ही कहेगी कि किसी भी नौसिखिया को नौकरी देने का अंजाम उन्हें भुगतना पड़ेगा. वहीं दूसरी तरफ किंजल अपनी नौकरी लगने की बात अनुपमा को बताएगी और कहेगी कि उसे नौकरी मिल गई है. हालांकि सभी इस बात से बेखबर होंगे कि वनराज की जगह किंजल को नौकरी मिली है. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि ये बात जानने के बाद अनुपमा और शाह परिवार का क्या रिएक्शन होगा.

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किचन को रखें हमेशा क्लीन और स्टाइलिश

हर किसी को अपना घर सजा कर रखना पसंद आता है और उसी सजावट का एक हिस्सा किचन होता है. किचन घर का वह हिस्सा है जहां से हमारे दिन की शुरूआत होती है, जिसके लिए हम मार्केट से कईं प्रौडक्ट खरीदता है, लेकिन आप बिना सामान खरीदें भी अगर किचन को क्लीन और सिंपल रखें तो ये उसे स्टाइलिश बना सकती हैं. जैसे-जैसे हम कुकिंग करने लगते हैं किचन को गंदा करने लगते हैं, पर किचन को व्यवस्थित रखना भी बेहद जरूरी है. अव्यवस्थित किचन न सिर्फ खाने का स्वाद खराब करती है, बल्कि खाना बनाने वाले और खाने वाले की सेहत को भी खराब कर सकती है. ऐसा आप के साथ न हो, इस के लिए पेश हैं कुछ टिप्स.

1. शैफ के चौपर का करें इस्तेमाल

चाकू के बिना किचन में काम करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है, इसलिए 7 चाकुओं वाले किसी सस्ते पैक को खरीदने के बजाय एक अच्छे स्टोर से 300 से 700 की कीमत वाले  अच्छे शैफ नाइफ खरीदें. साल में 1 बार किसी प्रोफैशनल से उसमें धार जरूर लगवाएं. भूल से भी उसे डिशवौशर या एल्यूमीनियम के स्क्रब से साफ न करें. हमेशा स्पंज से हलके से साफ करें.

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2. मीट को करें सही ढंग से साफ

जैसे हम सब्जियों और फलों को साफ करते हैं उसी तरह शैफ मीट को भी साफ करने की सलाह देते हैं. मीट में किसी तरह के कीटनाशक या फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, पर उसे काटने के तरीके से कई बार वह गंदा हो जाता है. अत: उसे धो कर पकाएं. धोने के बाद भी उस का वही स्वाद बरकरार रहता है.

3. सिंगल यूज वाले बरतन न लें

किचन का व्यवस्थित होना बहुत जरूरी है. ज्यादा भरी किचन अच्छी नहीं लगती है. इस परेशानी से बचने के लिए ऐसे बरतन खरीदें, जिन का कई चीजें बनाने के लिए प्रयोग किया जा सके. अपने अनुभव और रचनात्मकता के साथ कुछ समय बाद बड़े और बेहतर बरतन  खरीद सकती हैं. कोशिश करें कि हर बरतन का इस्तेमाल कम से कम 3 चीजों के लिए हो रहा हो.

4. मैनेज करके रखें सामान

किचन संभाल रही हैं तो इस बात को समझें कि पत्तागोभी, टमाटर, ब्रोकली हर सब्जी को स्टोर करने का तरीका अलग होता है. यह पता कर लें कि किन चीजों को फ्रिज में रखा जा सकता है और किन्हें नहीं. मसालों को स्टोर करने का तरीका भी अलग-अलग होता है. इन सब बातों को जानने समझने के लिए 1 घंटे का समय इंटरनैट रिसर्च के लिए तय करें ताकि आप का सामान खराब होने से बच सके और लंबे समय तक चले.

5. ताजा हर्ब्स का करें इस्तेमाल

किसी भी डिश का स्वाद ताजा हर्ब्स के बिना अधूरा सा लगता है. उन के इस्तेमाल से खाना ताजा और स्वादिष्ठ बनता है. हर्ब्स के साथ सब से बड़ी परेशानी होती है कि खाने में उन की मात्रा जरा सी डलती है पर उन्हें खरीदना ज्यादा मात्रा में पड़ता है. रोजमैरी, बे लीव्स और थाइम जैसे हर्ब्स को अगर ड्राई पेपर टौवेल में लपेट कर फ्रीजर में रखेंगी तो ये 7 दिनों तक ताजा रहेंगे. फ्रीजर में ताजा नीबू भी रख सकती हैं. खाने के स्वाद को थोड़ा बदलने के लिए डिश में नीबू का रस मिला सकती हैं.

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6. मौसम के अनुसार चुनें चीजें

अपने खाने को अधिक स्वादिष्ठ बनाने का सब से अच्छा तरीका यह है कि उस में मौसमी सामग्री का इस्तेमाल किया जाए. उदाहरण के तौर पर ऐस्पैरेगस एक सीमित समय तक के लिए ही उपलब्ध होता है. अत: उस के पीक सीजन में उस का भरपूर इस्तेमाल कर लें.

7. कुकिंग प्लानिंग है जरूरी

घर में खाना बना रही हों या किसी प्रोफैशनल जगह पर, एक कुकिंग प्लान होना आवश्यक है. सभी मसालों, हर्ब्स और सब्जियों की निश्चित मात्रा को बाउल्स में निकाल लें. डिशेज का जिस और्डर में इस्तेमाल करना हो, उसी हिसाब से उन्हें किचन की सीट पर व्यवस्थित कर लें. यहां तक कि अपने सौसपैन को भी पहले ही स्टोव पर रख दें. सारा सामान और सामग्री व्यवस्थित होगी तो खाना बनाना आसान हो जाएगा.

 रूठे सास-ससुर को मनाएं ऐसे

अमिता के सासससुर साथ रहते हुए भी उस से अजनबियों सा व्यवहार करते और अमिता की लाख कोशिशों के बाद भी नहीं मानते. दरअसल, होता यही है कि जब बात सासससुर के साथ बहू के रिश्ते की आती है, तो इस रिश्ते में थोड़ी मिठास तो थोड़ी खटास हो ही जाती है और परिवार की सब से मजबूत कड़ी सासससुर छोटीछोटी बात पर ही बहू से मुंह मोड़ लेते हैं.

ऐसे में अगर आप को यह समझ नहीं आता है कि किस तरह अपने रिश्तों के बीच जमी बर्फ को पिघलाया जाए ताकि घर का माहौल खुशनुमा बन जाए, तो यकीन मानिए सासससुर को मनाने के लिए त्योहारों का समय सब से बेहतरीन होता है. आप को कुछ ऐसे ही ट्रिक्स बता रहे हैं जो रूठे सासससुर के गुस्से को कम करने और उन्हें मनाने के काम आएंगे और उन के साथ आप की ट्यूनिंग एकदम परफैक्ट हो जाएगी:

1. पूरा वक्त दें

इस बात का एहसास करें कि रिश्तों को बनने में समय लगता है और सासससुर के साथ समय बिताएंगी, तो रिश्तों के बीच की दूरी कुछ समय में पट जाएगी. उन के साथ समय बिताने के लिए आप उन्हें टैक्नोलौजी से रूबरू करा सकती हैं. आप उन्हें कार चलाना सिखा सकती हैं, लेटैस्ट मोबाइल चलाना सिखा सकती हैं, ताकि वे भी समय के साथ स्मार्ट बन जाएं और उन का जब मन करे वे आप से बात कर पाएं.

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अगर आप उन के साथ समय बिताएंगी, तो अपने बौंड को और स्ट्रौंग कर पाएंगी. आप उन के साथ समय बिताने के लिए साथ में टीवी देख सकती हैं, औनलाइन गेम्स खेल सकती हैं, बागवानी कर सकती हैं, उन की क्रिएटिविटी को उजागर कर सकती हैं, पार्क जा सकती हैं या अगर आप जिम जाती हैं, तो उन्हें भी जिम जौइन करा सकती हैं ताकि आप के साथ वे भी फिट रहें.

2. क्या है पसंदनापसंद

शादी के बाद हर लड़की को पति के साथसाथ सासससुर की पसंद भी जाननी चाहिए. अगर उन्हें घूमना पसंद है, तो उन्हें फैमिली ट्रिप पर ले कर जाएं. वैसे भी फैमिली डे आउट रिश्तों को करीब लाते हैं और हम अपने प्रियजनों के शौक जान पाते हैं. साथ ही मन में पड़ चुकी गांठें, नाराजगी दूर कर एकदूसरे को सुनने का बेहतर मौका देती है आउटिंग. उन की मनपंसद डिश बना सकती हैं. कुछ बना नहीं सकतीं तो बाहर लंच या डिनर पर ले जा सकती हैं. या फिर औफिस से आते हुए ही उन के लिए उन का कुछ मनपसंद खाना ला सकती हैं. आप की इन कोशिशों को देख कर वे खुश हो जाएंगे.

3. खास दिन बनाएं यादगार

जन्मदिन, शादी की सालगिरह, मदर्सडे व फादर्सडे जैसे खास मौकों पर सरप्राइज गिफ्ट या पार्टी दे कर उन्हें स्पैशल फील करवा सकती हैं. सासससुर को शौपिंग पर ले जा सकती हैं और ससुर को शर्ट की जगह टीशर्ट दिलाएं, तो वहीं सास को सूट नहीं बल्कि जींस दिलाएं, उन्हें मौर्डन बनाएं, उन के मन की अनकही ख्वाहिशों को पूरा करें. आप चाहे तो सासससुर को यूनीसैक्स सैलून भी ले कर जा सकती हैं. वहां आप उन का अच्छा सा हेयरकट या हेयर स्पा या फिर मसाज करा सकती हैं.

इस के अलावा आप उन्हें मूवी दिखाएं या फिर गेम्स सैक्शन में ले जाएं, जहां जा कर वे खूब मजे करें. आप ये सब करेंगी तो आप के सासससुर को महसूस होगा कि आप उन्हें मांबाप का दर्जा देती हैं और उतना ही प्यार भी करती हैं.

4. सलाह लें

सब से पहले उन्हें अपना दोस्त बनाएं. उन से दोस्ती करें और घर में कोई भी फैसला लेने से पहले एक दोस्त की तरह उन से राय मांगें और उन की अनुमति अवश्य लें. ऐसा करने से उन्हें अच्छा फील होगा.

5. शेयरिंग में छिपी केयरिंग

शाम की चाय सासससुर के साथ पीएं और उन्हें दिखाएं कि आप उन की कितनी परवाह करती हैं. साथ ही उन से अपने दोस्तों या औफिस के कुछ फनी किस्से शेयर करें ताकि उन्हें एहसास हो कि आप उन की गैरमौजूदगी वाले पल भी उन से साझा करती हैं.

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6. शादी से पहले

शादी से पहले हर लड़की के मन में यह डर होता है कि उस की होने वाली सास कैसी होंगी? कहीं ससुरजी गुस्से वाले तो नहीं होंगे? भारतीय समाज में तो इन दोनों का दिल जीतना एक बहू के लिए किसी टास्क से कम नहीं है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर शुरुआत अच्छी हो गई तो आधी जीत हो गई.

इसलिए जब भी शादी से पहले होने वाले सासससुर से मिलें तो उन्हें सम्मान दें और प्यार जताएं, उन की हौबी पूछें. इस तरह की बातें आप के सासससुर के सामने आप की अच्छी छवि बनाती हैं और यह दर्शाती हैं कि आप उन्हें बेहद पसंद करती हैं. अगर आप की सगाई हो गई है, तो आप उन से लंच पर मिलें. इतना ही नहीं अपने मंगेतर या बौयफ्रैंड से पूछें कि ऐसी कौन सी बातें हैं, जो उन के मातापिता को पसंद है या किन बातों से उन्हें खुशी मिलती है.

अगर आप शादी से पहले इन सब बातों पर ध्यान देंगी तो आप के सासससुर आप से कभी नहीं रूठेंगे, बल्कि वे आप के दोस्त बन जाएंगे.

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट डा. शिवानी से बातचीत पर आधारित

खुशियों का समंदर: भाग 3- क्रूर समाज ने विधवा बहू अहल्या को क्यों दी सजा

घर पहुंच कर अहल्या ने गिरीश की मदद की बातें सरला और लालचंद को भी बताईं. उन दोनों ने निर्णय लेने में समय नहीं गंवाया. तत्काल ही गिरीश को ऊंची तनख्वाह और सारी सुविधाएं दे कर अपनी फैक्टरी में नियुक्त कर लिया. शहर से बाहर जाने का सारा काम गिरीश ने बड़ी खूबी से संभाल लिया था. लालचंद हर तरह से संतुष्ट थे. समय पंख लगा कर उड़ान भरता रहा. गिरीश भी सेठ लालचंद परिवार के निकट आता गया. उस का भी तो कोई नहीं था. प्यार मिला तो उधर ही बह गया. अहल्या ने गिरीश के बारे में सभीकुछ बता दिया था सिवा उस की जाति के. गिरीश को भी मना कर दिया था कि भूल कर भी वह अपनी जाति को किसी के समक्ष प्रकट न करे. पहले तो उस ने आनाकानी की पर अहल्या के समझाने पर उस ने इसे भविष्य पर छोड़ दिया था.

अहल्या जानती थी कि जिस दिन उस के साससुर गिरीश की जाति से अवगत होंगे, उस के प्रवेश पर रोक लग जाएगी. बड़ी मुश्किल से तो घर का वातावरण थोड़ा संभाला था. आरंभ में गिरीश संकुचित रहा पर अपनी कुशलता, ईमानदारी और निष्ठा से उस ने दोनों फैक्टरियां ही नहीं संभालीं, बल्कि अपने मृदुल व्यवहार से लालचंद और सरला का हृदय भी जीत लिया था. गिरीश अब उन के कंपाउंड में बने गैस्टहाउस में ही रहने लगा था. सारी समस्याओं का हल गिरीश ही बन गया था.

लालचंद और सरला की आंखों में अहल्या और गिरीश को ले कर कुछ दूसरे ही सपने सजने लगे थे, लेकिन अहल्या की उदासीनता को देख कर वे आगे नहीं बढ़ पाते थे. उस ने एक सहकर्मी से ज्यादा गिरीश को कभी कुछ समझा ही नहीं था. उस के साथ एक दूरी तक ही नजदीकियां रखे थी वह. कई बार वह उन दोनों को समझा चुकी थी पर लालचंद और सरला दिनोंदिन गिरीश के साथ सारी दूरियां को मिटाते जा रहे थे. कभी लाड़दुलार से खाने के लिए रोक भी लिया तो अहल्या उस का खाना बाहर ही भिजवा देती थी.

गिरीश का मेलजोल भी यह क्रूर समाज स्वीकार नहीं कर सका. कोई न कोई आक्षेप उन की ओर उड़ाता ही रहा. आजिज आ कर एक दिन सरला बड़े मानमनुहार के साथ अहल्या से पूछ ही बैठी, ‘‘गिरीश तुम्हें कैसा लगता है? हम दोनों को तो उस ने मोह ही लिया है. हम चाहते हैं कि तुम उसे अपने जीवन में स्थान दे कर हर तरह से व्यवस्थित हो जाओ. है तो तुम्हारा बचपन का साथी ही. क्या पता इसी संयोग से हम सब उस से इतने जुड़ गए हों. हम भी कितने दिनों तक तुम्हारा साथ देंगे. यह समाज बड़ा ही जालिम है, तुम्हें यों अकेले जीने नहीं देगा. नील की यादों के सहारे जीवन बिताना बड़ा कठिन है. फिर वह तुम्हें कोई बंधन में भी तो नहीं बांध गया है जिस के सहारे तुम जी लोगी. सब समय की बात है वरना एक साल कम नहीं था.’’ प्रत्युत्तर में अहल्या कुछ देर उन्हें देखती रही, फिर बड़े ही सधे स्वर में बोली, ‘‘आप गिरीश को जानती हैं पर उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि को नहीं. मुझे भी कुछ याद नहीं है. क्या पता अगर हमारी आशाओं की कसौटी पर उस का परिवेश ठीक नहीं उतरा तो कुछ और पाने की चाह में उस के इस सहारे को भी खो बैठेंगे. मुझ पर अब किसी अफवाह का असर नहीं होता, अहल्या नाम की शिला जो हूं जिसे दूसरों ने छला और लूटा. वे जिन्होंने लूटा, देवता बने रहे, पर मैं अहल्या जैसी पत्थर पड़ी किसी की ठोकर का इंतजार क्यों करूं. किसी राम के मैले पैरों की अपेक्षा भी नहीं है मुझे. जैसे जीवन गुजर रहा है, गुजरने दीजिए.’’

पर आज तो सरला अपने मन की बात किसी न किसी तरह से अहल्या से मनवा ही लेना चाहती थी. उन की जिद को टालने के ध्येय से अहल्या ने गिरीश से ही पूछ लेने को कहा. और एक दिन लालचंद व सरला ने गिरीश से उस की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे जानना चाहा तो उस ने भी छिपाना ठीक नहीं समझा और बेझिझक हो, सभीकुछ उन के समक्ष उड़ेल कर उन की जिज्ञासा को हर तरह शांत कर दिया. लालचंद तो तत्काल वहां से उठ कर अंदर चले गए. अपनी सारी आशाओं पर तुषारापात हुए देख, सरला ने घबरा कर आंखें मूंद लीं. गिरीश अपनी इस अवमानना को समझते हुए झटके से उठ कर चला गया. पहाड़ के सब से ऊंचे ब्राह्मण की मानसिकता निम्नजाति से आने वाले गिरीश को किसी तरह स्वीकार नहीं कर पा रही थी. दोनों फिर अवसाद में डूब गए, कहीं दूर तक कोई किनारा नजर नहीं आ रहा था.

हफ्ता गुजर गया पर न गिरीश उन दोनों से मिलने आया और ही इन्होंने पहले की तरह मनुहार कर के उसे बुलाया. इस संदर्भ में अहल्या ने जब सरला से पूछा तो उन की पलकें भीग गईं. आहत ुहो कर उन्होंने अहल्या से कहा, ‘‘गिरीश की जाति के बारे में क्या तुम्हें सच मालूम नहीं था? अगर था तो बताया क्यों नहीं? इतने दिनों तक क्यों अंधेरे में रखा. हमारे सारे मनसूबे पर पानी फिर गया. पलभर में एक बार फिर प्रकृति ने हमारी आंखों से सारे सपने नोच लिए.’’ कुछ देर अहल्या सोचती रही, फिर उन की आंखों में निर्भयता से देखते हुए बोली, ‘‘मैं उस की जाति से अनजान नहीं थी, लेकिन वह तो हमारी फैक्टरी के अफसर होने के सिवा कुछ नहीं था, और इस से जाति का क्या लेनादेना. भरोसे का आदमी था, इसलिए सारे कामों को उसे सौंप दिया.’’ लालचंद भी वहां पर आ गए थे.

अहल्या ने निसंकोच लालचंद से कहा, ‘‘पापा, अगर अफवाहों के चक्रव्यूह में फंस कर आप ने उसे फैक्टरी के कामों से निकाल दिया तो उस जैसे भरोसे का आदमी फिर शायद ही मिले. आप दोनों के दुखों का कारण मैं ही हूं. मैं ने सोच लिया है यहां से हमेशा के लिए चले जाने का. गिरीश आप दोनों की देखरेख कर लेगा. अगर उसे निकाला तो मैं भी उस के साथ निकल जाऊंगी. आप के साथ अपने नाम को फिर से जुड़ते देख मैं मर जाना चाहूंगी. यह जालिम दुनिया हमें जीवित ही निगल जाएगी,’’ यह कह कर अहल्या रो पड़ी.

अपने सिर पर किसी स्पर्श का अनुभव कर के अहल्या ने सिर उठाया तो लालचंद को अपने इतने निकट पा कर चौंक गई. लालचंद बोल पड़े, ‘‘गिरीश के परिवेश को भूल कर अगर हम हमेशा के लिए उसे अपना बेटा बना लें तो इस की अनुमति तुम दोगी?’’ अहल्या ने सिर झुका लिया. आज वर्षों बाद लालचंद की विशाल हवेली फिर एक बार दुलहन की तरह सजी हुई थी. मंच पर वरवधू बने गिरीश और अहल्या के साथ सेठ दंपती अपार खुशियों से छलकते सागर को समेट रहे थे. सारी कटुताओं को विस्मृत करते हुए इस खुशी के अवसर पर लालचंद ने दोस्तदुश्मन सभी को आमंत्रित किया था. कहीं भीड़ के समूह में उन की उदारता की प्रशंसा हो रही थी तो कहीं आलोचना. पर जो भी हो, अपने हृदय की विशालता से उन के जैसे कट्टर ब्राह्मण ने गिरीश की जाति को भूल उसे अपने बेटे नील का स्थान दे कर बड़ा ही क्रांतिकारी व अनोखा काम किया था.

खुशियों का समंदर: भाग 2- क्रूर समाज ने विधवा बहू अहल्या को क्यों दी सजा

अपने भाई की बात सुन कर सरला बहुत नाराज हुई तो भाई ने भी अपना गरल उगल कर उन के जले हुए तनमन पर खूब नमक रगड़ा. ‘‘हां, तो सरला, तुम्हारी बहू कितनी भी सुंदर और काबिल क्यों न हो, उस पर विधवा होने का ठप्पा तो लग ही चुका है. वह तो मैं ही था कि इस का उद्धार करने चला था वरना इस की औकात क्या है. सालभर के अंदर ही अपने खसम को खा गई. वह तो यहां है, इसलिए बच गई वरना हमारे यहां तो ऐसी डायन को पहाड़ से ढकेल देते हैं. मैं ने तो इस का भला चाहा, पर तुम्हें समझ में आए तब न. जवानी की गरमी जब जागेगी तो बाहर मुंह मारेगी, इस से तो अच्छा है कि घर की ही भोग्या रहे.’’

सरला के भाई की असभ्यता पर लालचंद चीख उठे, ‘‘अरे, कोई है जो इस जानवर को मेरे घर से निकाले. इस की इतनी हिम्मत कि मेरी बहू के बारे में ऐसी ऊलजलूल बातें करे. सरला, आप ने मुझ से पूछे बिना इसे कैसे बुला लिया. आप के चचेरे भाइयों के परिवार की काली करतूतों से पहाड़ का चप्पाचप्पा वाकिफ है.’’ लालचंद क्रोध के मारे कांप रहे थे. ‘‘न, न, बहनोई साहब, मुझे निकलवाने की जरूरत नहीं है. मैं खुद चला जाऊंगा, पर एक बात याद रखिएगा कि आज आप ने मेरी जो बेइज्जती की है उसे सूद समेत वसूल करूंगा. तुम जिस बहू के रूपगुण पर रिझे हुए हो, सरेआम उसे पहाड़ की भोग्या न बना दिया तो मैं भी ब्राह्मण नहीं.’’ यह कहता हुआ सरला का बदमिजाज भाई निकल गया पर अपनी गर्जना से उन दोनों को दहलाते हुए भयभीत कर गया. उस के जाने के बाद कई दिनों तक घर का वातावरण अशांत रहा.

सरला के भाई की धमकियां पहाड़ के समाज के साथसाथ व्यापार में लालचंद से स्पर्धा रखने वाले व्यवसायियों के समाज में भी प्रतिध्वनित होने लगी थीं. बहू के साथ उन के नाजायज रिश्ते की बात कितनों की जबान पर चढ़ गई थी. यह समाज की नीचता की पराकाष्ठा थी. पर समाज तो समाज ही है जो कुछ भी उलटासीधा कहने और करने का अधिकार रखता है. उस ने बड़ी निर्दयता से ससुरबहू के बीच नाजायज रिश्ता कायम कर दिया. सरेआम उन

पर फब्तियां कसी जाने लगी थीं. आहिस्ताआहिस्ता ये अफवाहें पंख फैलाए लालचंद के घर में भी आ गईं. अपने अति चरित्रवान, सच्चे पति और कुलललना बहू के संबंध में ऐसी लांछनाएं सुन कर सरला मृतवत हो गई. नील की मृत्यु के आघात से उबर भी नहीं पाई थी कि पितापुत्री जैसे पावन रिश्ते पर ऐसा कलुष लांछन बिजली बन कर उन के आशियाने को ध्वंस कर गया. वह उस मनहूस दिन को कोस रही थी जब अपने उस भाई से अहल्या की दूसरी शादी की मंशा जता बैठी थी. लालचंद के कुम्हलाए चेहरे को देखते ही वह बिलख उठती थी.

अहल्या लालचंद के साथ बाहर जाने से कतराने लगी थी. उस ने इस बुरे वक्त से भी समझौता कर लिया था पर लालचंद और सरला को क्या कह कर समझाती. जीवन के एकएक पल उस के लिए पहाड़ बन कर रह गए थे, लेकिन वह करती भी क्या. समाज का मुखौटा इतना घिनौना भी हो सकता है, इस की कल्पना उस ने स्वप्न में भी नहीं की थी. इस के पीछे भी तो सत्यता ही थी. ऐसे नाजायज रिश्तों ने कहीं न कहीं पैर फैला ही रखे थे. एक तो ऐसे ही नील की मृत्यु ने उसे शिला बना दिया था. उस में न तो कोई धड़कन थी और न ही सांसें. बस, पाषाण बनी जी रही थी. उस के जेहन में आत्महत्या कर लेने के खयाल उमड़ रहे थे. कल्पना में उस ने कितनी बार खुद को मृतवत देखा पर सासससुर की दीनहीन अवस्था को स्मरण करते ही ये सारी कल्पनाएं उड़नछू हो जाती थीं.

वह नील की प्रेयसी ही बनी रही, उस के इतने छोटे सान्निध्य में उस के हृदय की साम्राज्ञी बनी रही. प्रकृति ने कितनी निर्दयता से उस के प्रिय को छीन लिया. अभी तो नील की जुदाई ही सर्पदंश बनी हुई थी, ऊपर से बिना सिरपैर की ये अफवाहें. कैसे निबटे, अहल्या को कुछ नहीं सूझ रहा था. अपने ससुर लालचंद का सामना करने से भी वह कतरा रही थी. पर लालचंद ने हिम्मत नहीं खोई. उन्होंने अहल्या को धैर्य बनाए रखने को कहा. अब बाहर भी अहल्या अकेले ही जाने लगी थी तो लालचंद ने भी जाने की जिद नहीं की. फैक्टरी के माल के निर्यात के लिए बड़े ही उखड़े मन से इस बार वह अकेली ही मुंबई गई. जिस शोरूम के लिए माल निर्यात करना था वहां एक बहुत ही परिचित चेहरे को देख कर वह चौंक उठी. वह व्यक्ति भी विगत के परिचय का सूत्र थामे उसे उत्सुकता से निहार रहा था?.

अहल्या अपने को रोक नहीं सकी और झटके से उस की ओर बढ़ गई. ‘‘तुम गिरीश ही हो न, यहां पर कैसे? ऐसे क्या देख रहे हो, मैं अहल्या हूं. क्या तुम्हें मैं याद नहीं हूं. रसोईघर से चुरा कर न जाने कितने व्यंजन तुम्हें खिलाए होंगे. पकड़े जाने पर बड़ी ताई मेरी कितनी धुनाई कर दिया करती थीं. मुझे मार खाए दो दिन भी नहीं होते थे कि मुंहउठाए तुम पहुंच जाया करते थे. दीनू काका कैसे हैं? पहाड़ी के ऊंचेनीचे रास्ते पर जब भी मेरे या मेरी सहेलियों की चप्पल टूट जाती थी, तो उन की सधी उंगलियां उस टूटी चप्पल को नया बना देती थीं. तुम्हें भी तो याद होगा?’’

अहल्या के इतने सारे प्रश्नों के उत्तर में गिरीश मुसकराता रहा, जिस से अहल्या झुंझला उठी, ‘‘अब कुछ बताओगे भी कि नहीं. काकी की असामयिक मृत्यु से संतप्त हो कर, सभी के मना करने के बावजूद वे तुम्हें ले कर कहीं चले गए थे. सभी कितने दुखी हुए थे? मुझे आज भी सबकुछ याद है.’’

‘‘बाबा मुझे ले कर मेरे मामा के पास कानपुर आ गए थे. वहीं पर जूते की दुकान में नौकरी कर ली और अंत तक करते रहे. पिछले साल ही वे गुजर गए हैं, पर उन की इच्छानुसार मैं ने मन लगा कर पढ़ाई की. एमए करने के बाद मैं ने एमबीए कर लिया और इस शोरूम का फायनांस देखने लगा. पर आप यहां पर क्या कर रही हैं?’’ एक निम्न जाति का बेटा हमउम्र और पहाड़ की एक ही बस्ती में रहने वाली अहल्या को तुम कहने की हिम्मत नहीं जुटा सका. यही क्या कम है कि कम से कम अहल्या ने उसे पहचान तो लिया. उस से बात भी कर ली, यह क्या कम खुशी की बात है उस के लिए वरना उस की औकात क्या है? ‘‘अरे, यह क्या आपआप की रट लगा रखी है. चलो, कहीं चल कर मैं भी अपनी आपबीती से तुम्हें अवगत करा दूं,’’ कहती हुई अहल्या उसे साथ लिए कुछ देर तक सड़क पर ही चहलकदमी करती रही. फिर वे दोनों एक कैफे में जा कर बैठ गए.

अश्रुपूरित आंखों और रुंधे स्वर में अहल्या ने अपनी आपबीती गिरीश से कह सुनाई, सुन कर उस की पलकें गीली हो गईर् थीं, लेकिन घरबाहर फैली हुई अफवाहों को कह कर अहल्या बिलख उठी. जब तक वह मुंबई में रही, दोनों मिलते रहे. गिरीश के कारण इस बार अहल्या के सारे काम बड़ी आसानी से हो गए. सूरत लौटने के रास्ते तक अहल्या पहाड़ पर बिताए अपने बचपन और गिरीश से जुड़े किस्से याद करती रही. बाद में पढ़ाई के लिए उसे भी तो दिल्ली आना पड़ा था.

आगे पढ़ें- घर पहुंच कर अहल्या ने गिरीश…

खुशियों का समंदर: भाग 1- क्रूर समाज ने विधवा बहू अहल्या को क्यों दी सजा

सूरत की सब से बड़ी कपड़ा मिल के मालिक सेठ लालचंद का इकलौता बेटा अचानक भड़के दंगे में मारा गया. दंगे में यों तो न जाने कितने लोगों की मौत हुई थी पर इस हाई प्रोफाइल ट्रैजडी की खबर से शहर में सनसनी सी फैल गई थी. गलियों में, चौक पर, घरघर में इसी दुर्घटना की चर्र्चा थी. फैक्टरी से घर लौटते समय दंगाइयों ने उस की गाड़ी पर बम फेंक दिया था. गाड़ी के साथ ही नील के शरीर के भी चिथड़े उड़ गए थे. कोई इसे सुनियोजित षड्यंत्र बता रहा था तो कोई कुछ और ही. जितने मुंह उतनी बातें हो रही थीं. जो भी हो, सेठजी के ऊपर नियति का बहुत बड़ा वज्रपात था. नील के साथ उस के मातापिता और नवविवाहिता पत्नी अहल्या सभी मृतवत हो गए थे. एक चिता के साथ कइयों की चिताएं जल गई थीं. घर में चारों ओर मौत का सन्नाटा फैला हुआ था. 3 प्राणियों के घर में होश किसे था कि एकदूसरे को संभालते. दुख की अग्नि में जल रहे लालचंद अपने बाल नोच रहे थे तो उन की पत्नी सरला पर रहरह कर बेहोशी के दौरे पड़ रहे थे. अहल्या की आंखों में आंसुओं का समंदर सूख गया था. जिस मनहूस दिन से घर से अच्छेखासे गए नील को मौत ने निगल लिया था, उस पल से उस ने शायद ही अपनी पलकों को झपकाया था. उसे तो यह भी नहीं मालूम कि नील के खंडित, झुलसे शरीर का कब अंतिम संस्कार कर दिया गया. सेठजी के बड़े भाई और छोटी बहन का परिवार पहाड़ से आ गए थे, जिन्होंने घर को संभाल रखा था. फैक्टरी में ताला लग गया था.

4 दशक पहले लालचंद अपनी सारी जमापूंजी के साथ बिजनैस करने के सपने लिए इस शहर में आए थे. बिजनैस को जमाना हथेलियों पर पर्वत उतारना था, पर लालचंद की कर्मठता ने यह कर दिखाया. बिजनैस जमाने में समय तो लगा पर अच्छी तरह से जम भी गया. जब मिल सोना उगलने लगी तो उन्होंने एक और मिल खोल ली. शादी के 10 वर्षों बाद उन के आंगन में किलकारियां गूंजी थीं. बेटा नील के बाद दूसरी संतान की आशा में उन्होंने अपनी पत्नी का कितना डाक्टरी इलाज, झाड़फूंक, पूजापाठ करवाया, पर सरला की गोद दूसरी बार नहीं भरी. नील की परवरिश किसी राजकुमार की तरह ही हुई. और होती भी क्यों न, नील मुंह में सोने का चम्मच लिए पैदा जो हुआ था. नील भी बड़ा प्रतिभाशाली निकला. अति सुंदर व्यक्तित्व और अपनी विलक्षण प्रतिभा से सेठजी को गौरवान्वित करता. वह अहमदाबाद के बिजनैस स्कूल का टौपर बना. विदेशी कंपनियों से बड़ेबड़े औफर आए पर सेठजी का अपना बिजनैस ही इतना बड़ा था कि उसे कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी.

पिछले साल ही लालचंद ने अपने मित्र की बेटी अहल्या से नील की शादी बड़ी धूमधाम से की थी. अपार सौंदर्य और अति प्रतिभाशालिनी अहल्या के आने से उन के महल जैसे विशाल घर का कोनाकोना सज गया था. बड़े ही उत्साह व उमंगों के साथ सेठजी ने बेटेबहू को हनीमून के लिए स्विट्जरलैंड भेजा था. जहां दोनों ने महीनाभर सोने के दिन और चांदी की रातें बिताई थीं. अहल्या और नील पतिपत्नी कम, प्रेमी और प्रेमिका ज्यादा थे. उन दोनों के प्यार, मनुहार, उत्साह, उमंगों से घर सुशोभित था. हर समय लालचंद और सरलाजी की आंखों के समक्ष एक नन्हेमुन्ने की आकृति तैरती रहती थी.

दादादादी बनने की उत्कंठा चरमसीमा पर थी. वे दोनों सारी लज्जा को ताक पर रख कर अहल्या और नील से अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए गुजारिश किया करते थे. प्रत्युत्तर में दोनों अपनी सजीली मुसकान से उन्हें नहला दिया करते थे. ये कोई अपने हाथ की बात थोड़े थी. उन की भी यही इच्छा थी कि एकसाथ ही ढेर सारे बच्चों की किलकारियों से यह आंगन गूंज उठे. पर प्रकृति तो कुछ और जाल बिछाए बैठी थी. पलभर में सबकुछ समाप्त हो गया था.

कड़कती बिजली गिर कर हंसतेखेलते आशियाने को क्यों न ध्वंस कर दे, लेकिन सदियों से चली आ रही पत्थर सरीखी सामाजिक परंपराओं को निभाना तो पड़ता ही है. मृत्यु के अंतिम क्रियाकर्म की समाप्ति के दिन सरला अपने सामने अहल्या को देख कर चौंक गई. शृंगाररहित, उदासियों की परतों में लिपटे, डूबते सूर्य की लाली सरीखे सौंदर्य को उन्होंने अब तक तो नहीं देखा था. सभी की आंखें चकाचौंध थीं. कैसे और कहां रख पाएगी ऐसे मारक सौंदर्य को. इसे समाज के गिद्धों की नजर से कैसे बचा पाएगी. अपने दुखों की ज्वाला में इस सदविधवा के अंतरमन में गहराते हाहाकार को वह कैसे भूल गई थी. उस की तो गोद ही उजड़ी है पर इस का तो सबकुछ ही नील के साथ चला गया. ‘‘उठिए मां, हमारे दुखों के रथ पर चढ़ कर नील तो आ नहीं सकते. इतने बड़े विध्वंस से ही हमें अपने मृतवत जीवन के सृजन की शुरुआत करनी है,’’ कहती हुई सरला को लालचंद के पास ले जा कर बैठा दिया. दोनों की आंखों से बह रही अविरल अश्रुधारा को वह अपनी कांपती हथेलियों से मिटाने की असफल चेष्टा करती रही.

नील की जगह अब लालचंद के साथ अहल्या फैक्टरी जाने लगी थी. उस ने बड़ी सरलता से सबकुछ संभाल लिया. उस ने भले ही पहले नौकरी न की हो पर एमबीए की डिगरी तो थी ही उस के पास. सरला और लालचंद ने भी किसी तरह की रोकटोक नहीं की. अहल्या के युवा तनमन की अग्नि शांत करने का यही उपाय बच गया था. लालचंद की शारीरिक व मानसिक अवस्था इस काबिल नहीं थी कि वे कुछ कर सकें. नील ही तो सारी जिम्मेदारियों को अब तक संभाले हुए था. फैक्टरी की देखभाल में अहल्या ने दिनरात एक कर दिया. दुखद विगत को भूलने के लिए उसे कहीं तो खोना था. लालचंद और सरला भले ही अहल्या का मुंह देख कर जी रहे थे, पर उन के इस दुख का कोई किनारा दृष्टिगत नहीं हो रहा था. एक ओर उन दोनों का मृतवत जीवन और अनिद्य सुंदरी युवा विधवा अहल्या तो दूसरी तरफ उन की अकूत संपत्ति, फैला हुआ व्यापार और अहल्या पर फिसलती हुई लोगों की गिद्ध दृष्टियां. तनमन से टूटे वे दोनों कितने दिन तक जी पाएंगे. उन के बाद अकेली अहल्या किस के सहारे रहेगी.

समाज की कुत्सित नजरों के छिपे वार से उस की कौन रक्षा करेगा. इस का एक ही निदान था कि वे अहल्या की दूसरी शादी कर दें. लेकिन सच्चे मन से एक विधवा को अपनाएगा कौन? उस की सुंदरता और उन की दौलत के लोभ में बहुत सारे युवक तैयार तो हो जाएंगे पर वे कितनी खुशी उसे दे पाएंगे, यह सोचते हुए उन्होंने भविष्य पर सबकुछ छोड़ दिया. अभी जख्म हरा है, सोचते हुए अहल्या के दुखी मन को कुरेदना उन्होंने ठीक नहीं समझा. ऐसे ही समय बीत रहा था. न मिटने वाली उदासियों में जीवन का हलका रंग प्रवेश करने लगा था. फैक्टरी के काम से जब भी लालचंद बाहर जाते, अहल्या साथ हो लेती. काम की जानकारी के अलावा, वह उन्हें अकेले नहीं जाने देना चाहती थी. सरला ने भी उसे कभी रोका नहीं क्योंकि अब तो सभीकुछ अहल्या को ही देखना था. शिला बनी अहल्या के जीवन में खुशियों के रंग बिखर जाएं, इस के लिए दोनों प्रयत्नशील थे.

एक विधवा के लिए किसी सुयोग्य पात्र को ढूंढ़ लेना आसान भी नहीं था. सरला के चचेरे भाई आए तो थे मातमपुरसी के लिए पर अहल्या के लिए अपने बेटे के लिए सहमति जताई तो दोनों ही बिदक पड़े. इन के कुविख्यात नाटे, मोटे, काले, मूर्ख बेटे की कारगुजारियों से कौन अनजान था. पिछले साल ही पहाड़ की किसी नौकरानी की नाबालिग बेटी के बलात्कार के सिलसिले में पुलिस उसे गिरफ्तार कर के ले गई थी पर साक्ष्य के अभाव में छूट गया था. इन लोगों की नजर उन की अकूत संपत्ति पर थी, इतना तो लालचंद और सरला समझ ही गए थे.

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‘उत्तर प्रदेश दिवस’ में दिखा विकास का खाका, किया प्रतिभाओ का सम्मान

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर प्रदेश के विकास का खाका जनता के सामने रखा.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बसंत पंचमी से ‘अभ्युदय योजना’ का शुभारम्भ किए जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग करने वाले प्रदेश के युवाओं के लिए इस योजना के अन्तर्गत निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी. प्रथम चरण में राज्य के सभी मण्डल मुख्यालयों पर यह कोचिंग संस्थान प्रारम्भ किये जाएंगे. इन संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागी युवाओं के लिए फिजिकल और वर्चुअल, दोनों माध्यमों से मार्गदर्शन की व्यवस्था लागू की जाएगी. इन संस्थानों के लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राजकीय विद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रयोग में लाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने अवध शिल्पग्राम परिसर में उत्तर प्रदेश राज्य के ७१ वें स्थापना दिवस पर ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के चतुर्थ संस्करण के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को इस अवसर पर सम्मानित किया. समारोह के दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये. उन्होंने ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के अवसर पर अवध शिल्पग्राम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान राजस्थान राज्य के कोटा तथा प्रदेश के जनपद प्रयागराज से प्रतियोगी विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के अभियान के दौरान उनके द्वारा प्रदेश के युवाओं को राज्य में ही कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के सम्बन्ध मंे विचार-विमर्श किया गया था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अनेक प्रतिभाशाली लोगों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. राज्य सरकार द्वारा कला, संस्कृति, खेल, विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाने वाली 03 से 05 विभूतियों को ‘यू0पी0 गौरव सम्मान’ से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा. विभूतियों को सम्मानित करने का यह कार्यक्रम इसी वर्ष प्रारम्भ किया जाएगा. सम्मान प्राप्त करने वाली विभूति को 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रतीक चिन्ह, मेडल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 जनवरी, 2018 को प्रथम ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी थी. प्रदेश के औद्योगिक विकास के निरन्तर प्रयासों की अभिनव कड़ी के रूप में राज्य सरकार द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी. इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न जनपदों के परम्परागत और विशिष्ट पहचान वाले उत्पादों को प्रोत्साहित कर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है. वर्तमान में यह योजना देश की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ की सराहना की है. इस योजना में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का सामथ्र्य है. केन्द्रीय बजट में भी इस योजना को सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में एमएसएमई विभाग के अन्तर्गत एक जनपद, एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड से सम्बन्धित उद्यमियों व हस्तशिल्पियों को सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह योजनाएं प्रधानमंत्री जी की ‘वोकल फाॅर लोकल’ की संकल्पना को आगे बढ़ा रही हैं.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि द्वितीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ प्रारम्भ की गयी. यह योजना स्थानीय दस्तकारों तथा पारम्परिक कारीगरों के कौशल विकास हेतु संचालित की जा रही है. इसके अन्तर्गत पारम्परिक कारीगरों के आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तृतीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की योजना का शुभारम्भ किया गया. इसके तहत, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की संस्कृति और परम्परा पर गर्व की अनुभूति होती है. उत्तर प्रदेश भारत का हृदय स्थल है. यह देश की संस्कृति और परम्परा का केन्द्र स्थल है. उत्तर प्रदेश की देश में अग्रणी भूमिका रही है. विगत कुछ वर्षाें में यह भूमिका प्रभावित हुई. वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश को पुनः अग्रणी बनाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि विगत 10 माह से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कर रही है. ऐसे समय में प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी के ‘जान भी, जहान भी’ मंत्र के अनुरूप कोविड प्रबन्धन के साथ ही, विकास कार्याें को पूरी गति से आगे बढ़ा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की छवि बदल रही है. प्रदेश की बेहतर कानून-व्यवस्था को अन्य राज्य माॅडल के रूप में अपनाना चाह रहे हैं. राज्य में कानून और व्यवस्था के उत्कृष्ट वातावरण से प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं. प्रदेश सरकार ने अब तक लगभग 04 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां उपलब्ध करायी हैं. निजी क्षेत्र में 15 लाख नौजवानों का नियोजन हुआ है. डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं को निवेश के माध्यम से रोजगार तथा लगभग 15 करोड़ नौजवानों को स्वतः रोजगार के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं से जोड़ने का कार्य विगत पौने चार वर्ष में हुआ है.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में जो कार्य हुए हैं, उससे एक नई कार्य संस्कृति का जन्म हुआ है. यह नई कार्य संस्कृति हर एक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की है. प्रदेश में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. कृषि, जल संसाधन के क्षेत्रों में इस दिशा मंे उल्लेखनीय कार्य हुआ है. सूखाग्रस्त माने जाने वाले बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में ‘हर घर नल’ योजना कार्य कर रही है. वर्तमान राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों को 01 लाख 15 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है. पर्यटन एवं संस्कृति क्षेत्रों के भी कार्य अत्यन्त उल्लेखनीय हंै. प्रयागराज कुम्भ-2019 के आयोजन को सुरक्षा, स्वच्छता एवं सुव्यवस्था ने विशिष्ट पहचान दी. यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर कहा. प्रयागराज कुम्भ-2019 के पश्चात प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 करोड़ जनसंख्या का राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन के क्षेत्र में उदाहरण स्थापित किया है. राज्य ने यह साबित किया है कि किसी भी आपदा का मुकाबला टीमवर्क एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के माध्यम से किया जा सकता है. लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में अन्य राज्यों से 40 लाख से अधिक श्रमिक व कामगार वापस आये. राज्य सरकार ने इनके रहने व खाने की व्यवस्था की. प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग’ का गठन किया गया है. राज्य सरकार अपने पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों को शीघ्र सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा की गारण्टी भी देगी. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के हर वृद्ध, निराश्रित महिला एवं पात्र दिव्यांगजन को प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है. हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है. इससे प्रदेश नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश में ही कोरोना का वैक्सीन तैयार किया गया है. ब्राजील के राष्ट्रपति ने यहां विकसित वैक्सीन को संजीवनी बूटी कहा है. भारत में विकसित वैक्सीन यहां के नागरिकों अलावा भूटान, नेपाल, माॅरीशस आदि दुनिया के दूसरे देशों के नागरिकों की जीवन रक्षा कर रहा है. प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण के पहले दिन 22 हजार हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया गया. दूसरी तिथि को 01 लाख 01 हजार वैक्सीनेशन किये गये. आगामी 28 व 29 जनवरी को भी हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जाएगा.

समारोह को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है. राज्य औद्योगिक रूप से समृद्ध हो रहा है. साथ ही, युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. नकल विहीन परीक्षा, मेधावी छात्राओं एवं शिक्षकों के सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालयों में शोध पीठ की स्थापना की जा रही है.

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की संकल्पना को साकार कर रही है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इसके लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ आदि योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं. इन योजनाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का ‘योगी माॅडल’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पूरी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करती है. इससे सतत विकास सम्भव होता है.

‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना की प्रगति के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. इस अवसर पर स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया के सी0जी0एम0 श्री अजय कुमार खन्ना एवं अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के सम्बन्ध में एक एमओयू का हस्तान्तरण किया गया. इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल एवं इण्डियन इंस्टीट्यूट आॅफ पैकेजिंग के डायरेक्टर श्री संजीव आनन्द के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के उत्पादों की पैकेजिंग के सम्बन्ध में एक अन्य एम0ओ0यू0 का हस्तान्तरण किया गया. ‘उद्यम सारथी’ एप के माध्यम से ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है. एप में युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था है. भविष्य में प्रदेश की सभी योजनाओं को एप से जोड़ा जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने समाज कल्याण विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का वितरण भी किया. उन्होंने बटन दबाकर 1,43,929 विद्यार्थियों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की 39 करोड़ रुपए की धनराशि का आॅनलाइन अन्तरण किया. उन्होंने 05 छात्र-छात्राओं को प्रतीकात्मक रूप से छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि प्रदान की. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 05 पारम्परिक कारीगरों तथा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के 02 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूल किट प्रदान किये. उन्होंने माटी कला बोर्ड के 02 माटी कारीगरों को भी पुरस्कृत किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले पुरुष एवं महिला खिलाड़ियों को वर्ष 2019-20 के लिए क्रमशः ‘लक्ष्मण पुरस्कार तथा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित किया. ‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से 08 महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है. इनमें 01 खिलाड़ी वेटरन वर्ग से हैं. साथ ही, 10 पुरुष खिलाड़ियों को ‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. इनमें वेटरन वर्ग के 02 खिलाड़ी सम्मिलित हैं.

‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में हैण्ड बाॅल की सुश्री स्वर्णिमा जायसवाल, एथलेटिक्स की सुश्री प्रियंका, वुशू की सुश्री साक्षी जौहरी, हाॅकी की सुश्री वन्दना कटारिया, शूटिंग की सुश्री हिमानी सिंह, तीरंदाजी की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री ज्योति, शूटिंग की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री आकांक्षा तथा वेटर्न वर्ग में एथलेटिक्स की श्रीमती विमला सिंह हैं.

‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में कबड्डी के श्री नितिन तोमर, रोइंग के श्री पुनीत कुमार, कुश्ती के श्री गौरव बालियान, वुशू के श्री सूरज यादव, बैडमिन्टन के दिव्यांग खिलाड़ी श्री अबू हुबैदा, पावरलिफ्टिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री सचिन चैधरी, शूटिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री आकाश, एथलेटिक्स के दिव्यांग खिलाड़ी श्री वरुण सिंह भाटी तथा वेटर्न वर्ग में कुश्ती के श्री राजकुमार तथा एथलेटिक्स के श्री कुलदीप कुमार हैं.

मुख्यमंत्री जी द्वारा युवा कल्याण विभाग के राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ भी प्रदान किये गये. व्यक्तिगत श्रेणी में यह अवाॅर्ड 10 युवाओं को प्रदान किए गये हैं. मुख्यमंत्री जी ने यह पुरस्कार श्री सागर कसाना (गाजियाबाद), कु0 इशिका बंसल (आगरा) को प्रदान किये. राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ श्री कृष्ण पाण्डेय (गोरखपुर), श्री कलीम अतहर (पीलीभीत), श्री केतन मोर (झांसी), श्री शुभम मिश्रा (लखनऊ), श्री प्रवीण कुमार गुप्ता (अम्बेडकरनगर), श्री अजीत कुमार (लखनऊ), श्री अंकित मौर्य (लखनऊ) तथा रविकान्त मिश्रा (फतेहपुर) को भी दिया गया है. उन्होंने सामूहिक श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवक एवं महिला मंगल दल को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गोकुल पुरस्कार’ एवं ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ वितरित किये. वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ लखीमपुर खीरी की दुग्ध समिति बेलवामोती के सदस्य श्री वरुण सिंह को प्रथम पुरस्कार तथा दुग्ध संघ गोरखपुर की दुग्ध समिति माहोपार के सदस्य श्री धीरेन्द्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार दिया. उन्होंने भारतीय गोवंश की गाय के माध्यम से सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ मथुरा की दुग्ध समिति भूड़ासानी के सदस्य श्री हरेन्द्र सिंह को ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ प्रदान किया. उन्होंने कृषि विभाग द्वारा दिये जाने वाले ‘कृषक पुरस्कार’ जनपद लखनऊ की डाॅ0 कामिनी सिंह, जनपद बाराबंकी के श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह तथा जनपद बहराइच के श्री अनिरुद्ध को प्रदान किये. मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘दृष्टि योजना’ के अन्तर्गत जनपद भदोही के एफ0पी0ओ0 हरियाली किसान समृद्धि प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड को योजना की प्रथम किस्त के रूप में 18 लाख रुपए का डमी चेक एवं स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान ‘इतिहास में महिला शक्ति’ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. यूपी गुडविल ताइक्वाण्डो फेडरेशन की प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा मार्शल आर्ट के विभिन्न करतब प्रदर्शित किए गये. इण्डियन ब्लाइण्ड जूडो फेडरेशन की बालिकाओं द्वारा आत्मरक्षार्थ जूडो का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विभाग के कलाकारों ने थारू नृत्य प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री उपेन्द्र तिवारी, महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चैहान, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, सांसद श्री कौशल किशोर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

फैशन के मामले में एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं वरुण धवन की होने वाली वाइफ, देखें फोटोज

बौलीवुड एक्टर वरुण धवन जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं, जिसके कारण वह इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं. हालांकि हर कोई जानता है कि वह अपनी लौंग टाइम गर्लफ्रेंड नताशा दलाल संग शादी करने वाले हैं. पर क्या आप जानते हैं कि रियल लाइफ में नताशा कितनी स्टाइलिश हैं. दरअसल, नताशा दलाल एक फैशन डिजाइनर हैं, जिसके चलते वह खुद को भी मेटेंन करके रखना पसंद करती हैं. इसीलिए आज हम उनके लुक्स की खास झलक आपको दिखाने वाले हैं. आइए आपको दिखाते हैं वरुण धवन की स्टाइलिश होने वाली वाइफ नताशा दलाल के लुक्स की झलक….

1. पिंक लहंगे में लगती हैं खूबसूरत

फैशन डिजाइनर नताशा दलाल लहंगे के नए-नए डिजाइन फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. वहीं अगर खुद को लहंगे से सजाना हो तो उनका ये लुक हर किसी को पसंद आएगा. दरअसल, एक वेडिंग फंक्शन में वरुण धवन के साथ पहुंची नताशा ने पिंक कलर का हैवी वर्क वाला औफ शोल्डर लहंगा पहना था, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

 

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2. लाइट कलर का लहंगा है खूबसूरत

इन दिनों लाइट कलर के लहंगे ट्रैंड में हैं. वहीं नताशा दलाल भी इस ट्रैंड को अच्छी तरह समझती हैं. इसीलिए एक फंक्शन में वह लाइट ग्रीन कलर के लहंगे में नजर आईं थीं, जो उनके लुक को चार चांद लगा रहा था.

3. वेस्टर्न लुक में भी लगती हैं कमाल

नताशा दलाल केवल इंडियन ही नही वेस्टर्न लुक को भी ट्राय करती हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. चैक पैटर्न वाली स्लिट स्कर्ट के साथ क्रौप टौप में नताशा बेहद स्टाइलिश लग रही हैं.

4. शरारा लुक हर कोई करता है कौपी

शरारा लुक इन दिनों ट्रैंड में है. लेकिन नताशा पहले ही इस ट्रैंड को ट्राय कर चुकी हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लगी थीं. पर्पल कलर का शरारा उनके लुक को चार चांद लगा रहा था.

जानें क्या हैं 2021 के हेयरस्टाइल ट्रैंड

सुंदर और आकर्षक दिखना हर महिला की चाह होती है. मेकअप के साथसाथ हेयरस्टाइल भी लुक को बदल सकता है. इस के लिए जरूरी होता है चेहरे के अनुरूप हेयरस्टाइल होना. हेयरस्टाइल अधिकतर बौलीवुड से प्रेरित होता है, जिस में हीरोइनों के लुक को महिलाएं अपने दैनिक जीवन में उतारना चाहती हैं. हेयरस्टाइलिस्ट भी इस दिशा में नएनए स्टाइल हर साल निकालते हैं, जिन में बालों के रंग से ले कर हेयरस्टाइल तक शामिल होता है.

2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से अधिकतर महिलाएं घर पर हैं या वर्क फ्रौम होम कर रही हैं और वे बेसब्री से कोरोना के कम होने का इंतजार कर रही हैं ताकि एक बार फिर से बिना डर के बाहर निकल सकें.

इस बारे में बियौंड द फ्रिंज सैलून की हेयर स्टाइलिस्ट और ऐजुकेशनिस्ट आशा हरिहरन बताती हैं कि अगर इतिहास को देखें, तो पिछले सालों में कई बार महामारी, प्राकृतिक आपदा, मुद्रास्फीति आदि की घटनाएं विश्व में हुई हैं, सभी क्षेत्र इस से प्रभावित हुए हैं, पर ब्यूटी इंडस्ट्री में बहुत अधिक कुछ नहीं हुआ. अब धीरेधीरे डू इट योरसैल्फ का ट्रैंड जोर पकड़ रहा है. ऐसे में आप भी घर पर रह कर कुछ नया स्टाइल ट्राई करने की कोशिश करें.

महिलाएं किसी उत्सव या शादी में जाने के लिए ही केवल मेकअप नहीं करतीं, बल्कि खुद की ग्रूमिंग करना भी पसंद करती हैं. नए साल में हेयरस्टाइल भी काफी अलग होगा कुछ इस तरह:

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– पहले हेयर कलर लोग पार्टीशन या फुल हेयर में करते थे, लेकिन अब जिन लोगों ने फैशन कलर किया है, पैंडेमिक की वजह से वह बढ़ कर 6 से 8 इंच अलग रंग हो गया होगा, इसलिए एक नई तकनीक ‘मनी पीस’ को लगाया गया है, जिस में कलर जितना भी नीचे आ गया हो उसे ठीक करने के लिए 6 से 8 फौयल्स ही काफी प्रभावशाली होते हैं.

– इस के अलावा महिला के चेहरे के अनुसार 2 पट्टियां बालों की रंगने से और भी नया  लुक देता है. फेस कंटूरिंग तकनीक है. इस से चेहरे पर नयापन आ जाता है. इस में रैड, मैरून, ब्लू, ग्रे आदि किसी भी कलर का प्रयोग किया जा सकता है. इस के बाद बाल खुले रखें या बांध लें, जो भी करें, सुंदर दिखेगा. इस तकनीक से बालों को रंगने से पूरे बालों में रंग दिखेगा, जो फैशनेबल दिखाई पड़ेगा.

– आज की ब्राइड हेयरस्टाइल सिंपल लेकिन दुलहन के जैसा दिखने वाला पसंद करती हैं, पहले जैसे बड़ेबड़े जूड़े नए साल चलने वाले नहीं हैं. आज नैचुरल मेकअप को अधिक पसंद किया जाता है.

– हैवी मेकअप का जमाना गया. दुलहन सुंदर, साफ और ग्लैमरस लुक पसंद करती है. हेयरस्टाइल ऐलीगैंट ही वे चाहती हैं और नए साल वैसा ही दिखेगा, जिस में डिजौल्व्स बन, हाई फैशन पोनी विद फ्रंट मैसी, मैसी चोटी आदि. ये 3 सब से अधिक पौपुलर रहेंगे. बन में भी छोटा या मीडियम साइज सब को पसंद आता है.

– फिलहाल हर महीने नहीं, 2 से 3 महीने बाद हेयर कट के लिए जा रही हैं, इसलिए डेली हेयरस्टाइल में पोनी को अधिक पसंद किया जाता है, जिन में हाई पोनी अधिक ट्रैंड में है. इस में बड़े बालों और छोटे बालों सभी पर अच्छा दिखता है.

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बालों को सही रूप देने के लिए उन की ग्रोथ अच्छी होनी चाहिए, इस के लिए नियमित इन उपायों को फौलो करना जरूरी है:

– बालों को स्वस्थ रखने के लिए सप्ताह में एक दिन स्कैल्प पर तेल लगाएं, नीचे के बालों पर बहुत कम तेल लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि 1 या 2 शैंपू में औयल निकल जाए, अधिक तेल लगाने से उसे निकालने के लिए अधिक शैंपू का प्रयोग करना पड़ता है. इस से बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं.

– शैंपू और कंडीशनर के बाद 20 से 40 % बालों में पानी रहने पर सीरम उन की मिड लैंथ और एंड में लगा लें. इस के बाद बालों को स्वाइप करते हुए सिर पर रखें. एक तौलिया लपेट कर सूखने दें. सूखने के बाद बालों को खोलने पर वे शाइनी और सिल्की हो जाएंगे, जो किसी भी महिला की सुंदरता को बढ़ाएंगे. -सोमा घोष –

बढ़ता कमर का साइज

आप कई तरह के योगा और एक्सेरसाइज़ करते हैं जिससे आपका वजन कम हो जाए. लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी पेट और कमर के इर्द गिर्द मोटापा और चर्बी को हटाना बेहद मुश्किल होता है. देखा जाए तो पेट में जमा चर्बी काफी जिद्दी होती है. इसे हटने में काफी समय लगता है. अगर आपने भी अपना वजन कम कर लिया है लेकिन पेट और कमर का साइज़ जस का तस है. और कम होने के बजाय ये बढ़ता जा रहा है तो आप इसे इग्नोर ना करें. ये कई कारणों की वजह से हो सकती है. ये कारण क्या है, और उसके लिए क्या करना चाहिए. जानने के पढ़ते रहिये हमारा ये खास लेख.

1. कहीं ज्यादा तो नहीं हो रहा कार्ब्स-

कार्ब्स को अन्हेल्थी खाने की सूची में गिना जाता है. रोजमर्रा के आगार में ये किसी भी रूप में शरीर में पहुंच सकता है. जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने लगता है और कैलोरी हावी होने लगती है. जो शरीर में जाकर वसा का रूप ले लेती है. इससे निजात पाने के लिए आप क्या कहा रहे हैं उसपर ध्यान दें. कार्ब्स की कमी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है. इसके आलावा वजन घटाने के लिए आप अच्छे कार्ब्स के बारे में भी जानकारी ले लें.

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2. लो फैट भी जिम्मेदार-

जी हां जब भी खाना खाते हैं तो उस खाने से वसा यानि की फैट की मात्रा भी बढ़ जाती है. जिससे खाना बेस्वाद सा लगने लगता है. बाहर के फ़ूड में लोग अधिकतर स्वाद बढ़ाने के लिए कृतिम स्वादों को मिलाते हैं. जो शरीर में जाकर डाइजेस्ट नहीं हो पाता और पेट के इर्द गिरफ़ कमर के पास जाकर जमने लगता है. इसलिए विशेषज्ञ भी वसा की जगह ओमेगा-3 जैसे फैटी ऐसिड का चुनाव करें.

3. जंक फ़ूड-

अधिकतर लोग जंक फ़ूड को बड़े ही चाव से खाते हैं. जिसमें बाहरी हानिकारक मसाले काफी होते हैं. लोग इस बात से अनजान होते हैं कि जो जंक फ़ूड या प्रोसेस्ड फ़ूड वो खाते हैं उसमें हाई सोडियम मिला होता है. अगर आप वास्तव में अपना वजन कम करना चाहते हैं तो नमक और सोडियम को खाना कम कर दें.

4. पानी की कमी-

पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है आठ है डाइजेशन भी सही रहता है. कई लोग पानी कम पीते हैं. उन्हें काफी नुक्सान हो सकता है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से भूख कम लगती है और शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकलते हैं. बेहतरीन डाइजेशन और और फैट को हटाने के लिए एक दिन में कम से कम दो लीटर पानी जरुर पिएं.

5. नींद की कमी-

पर्याप्त नींद ना लेना आपके हार्मोन्स का संतुलन बिगाड़ देती है. जिससे वजन भी बढ़ने लगता है. अगर आप अच्छी तरह से सोते हैं, शरीर बिगड़े हुए हार्मोन्स को संतुलित रखता है और वजन भी घटाता है. कम से कम 8 घंटे की नींद जरुर लें.

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6. ठीक से खाना ना चबाना-

बचपन से ही हमें इस बात की सीख दी जाती है कि खाने को आराम से और चबा-चबाकर खाना चाहिए. इसके बाद भी कई लोग ऐसे होते हैं जो जल्दबाजी में खाना खाते हैं और उसे ठीक से चबाते नहीं हैं. जल्दी खाने के चक्कर में आप ज्यादा खाना कहा लेते हैं. जो मोटापे का कारण बन जाता है. आप चबा-चबाकर खाना खाने से आपकी भूख जल्दी मिट जाती है.

इन सबके अलावा तनाव से भी फैट बढने लगता है. जिससे कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं. अगर आपका भी वजन कम होने के बाद पेट में या कमर के आस-पास फैट जमा होने लगे तो कारणों को जानकर उनका समाधान सही समय पर कर लें.

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