काम से वक्त निकालकर हनीमून पर पहुंचीं गौहर, वीडियो शेयर कर फैंस के साथ शेयर की खुशी

साल 2020 में शादी को लेकर सुर्खियों में रहीं बिग बौस 7 विनर  रह चुकी एक्ट्रेस गौहर खान इन दिनों हनीमून पर हैं. बीते दिनों शादी के तुरंत बाद गौहर शूटिंग के लिए लखनऊ के लिए निकली थीं, जिसके बाद अब छुट्टी मिलने पर वह पति जैद दरबार संग हनीमून पर निकल पड़ी हैं. आइए आपको दिखाते हैं गौहर खान के हनीमून की खास फोटोज…

डांस करते हुए नजर आई गौहर

इन दिनों उदयपुर में गौहर और ज़ैद दरबार हनीमून पर खूबसूरत फोटोज को फैन्स के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं. गौहर खान ने अपनी हनीमून की खुशी को फैंस के साथ शेयर किया है, जिसके चलते एक वीडियो शेयर में वह डांस करती हुए नजर आ रही हैं. वीडियो में गौहर साल 2008 में रिलीज हुई फिल्म ‘दोस्ताना’ के गाने ‘जाने क्यों’ पर शानदार स्टेप्स दिखाती नजर आ रही हैं. वहीं जैद ने भी लिखा है- फाइनली हमारा समय आ गया.

 

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जैद दरबार ने शेयर किए फोटोज

 

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जैद ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी पर भी कुछ तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं, जिसमें दोनों उदयपुर का मजा लेते दिख रहे हैं. होटल में शेयर की गई वीडियो और फोटोज में दोनों कपल बेहद खूबसूरत लग रहे हैं.

तांडव को लेकर सुर्खियों में हैं गौहर

 

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हाल ही में अमेजन पर रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव जहां सुर्खियों में हैं तो वहीं गौहर खान की दमदार एक्टिंग को लेकर सेलेब्स और फैंस उनकी तारीफ कर रहे हैं. इसी बीच सिद्धार्थ शुक्ला ने भी गौहर की तारीफ करते हुए वेब सीरीज की एक फोटो शेयर की थी, जो उनके वेब सीरीज के एक सीन की थी.

बता दें, गौहर खान के साथ तांडव वेब सीरीज ‘तांडव’ में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, जीशान अय्यूब, कृतिका कामरा और सुनिल ग्रोवर ने भी मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं.

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कपिल शर्मा से गुस्सा होने पर बोले सुनील ग्रोवर, पढ़ें खबर

कौमेडियन कपिल शर्मा अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. वहीं उनकी लड़ाइयां आज भी फैंस को याद हैं. दरअसल, ‘द कपिल शर्मा शो’ की जान रहे गुत्थी यानी सुनील ग्रोवर ने अपनी कपिल शर्मा से नाराजगी को लेकर कुछ बातें कही हैं, जिसके कारण कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर सुर्खियों में छा गए हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

नाराज होने को लेकर कही ये बात

दरअसल, तांडव फिल्म में अपनी एक्टिंग के लिए फैंस की तारीफ पा रहे सुनील ग्रोवर ने कपिल शर्मा को लेकर एक इंटरव्यू में कहा है कि वह कपिल से कभी नाराज नहीं रह सकते. सुनील ग्रोवर का कहना है कि वह इतने फनी हैं कि उनसे नाराज नहीं रहा जा सकता. इसी दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि उन्हें कपिल की कौन सी बात सबसे अधिक पसंद है, जिसपर कौमिडियन ने जवाब देते हुए कहा- उनकी हाजिरजवाबी.

 

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इस वजह से हुई थी लड़ाई

द कपिल शर्मा शो में साथ काम कर रहे सुनील ग्रोवर और कपिल शर्मा के बीच साल 2017 लड़ाई हो गई थी. वहीं खबरों की मानें तो कपिल शर्मा ने फ्लाइट में सुनील ग्रोवर के साथ बदसलूकी की थी, जिसके कारण दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. वहीं इस झगड़े का असर शो पर भी पड़ा था और सुनील ने कपिल का शो छोड़ दिया था. इसी के साथ सुनील के शो छोड़ने के बाद कपिल की पूरी टीम टूट गई थी.

बता दें, कपिल शर्मा इन दिनों सोनी टीवी पर अपना शो द कपिल शर्मा शो कर रहे हैं, जिसके कारण वह फैंस के बीच छाए हुए रहते हैं. वहीं इन दिनों खबरे हैं कि वह दोबारा पिता बनने वाले हैं. हालांकि इसे लेकर कपिल शर्मा की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नही की गई है.

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4 TIPS: फेस एसिड से पायें खूबसूरती

जब हम “एसिड” का नाम सुनते हैं तो डर लगने लगता है और सबसे पहले हमारे दिमाग में कैमिकल बर्न का ख्याल आता है क्यूंकि एसिड्स बहुत ही ख़तरनाक होते हैं. अपनी कोमल स्किन पर इनका प्रयोग करने के बारे में हम कल्पना में भी नहीं सोच सकते. लेकिन ऐसे भी कुछ एसिड्स होते हैं जो आपकी स्किन को निखारने का काम करते हैं. आज कल के मॉडल्स और एक्ट्रेसेस अपनी स्किन को पैंपर करने के लिए फेस एसिड का इस्तेमाल करती हैं. यहां तक के हमारे रोज़ाना क्रीम और मॉश्चराइजर में भी कुछ मात्रा में फेस एसिड्स पाए जाते है. यहां एसिड का मतलब तेजाब से नहीं बल्कि फल और अन्य खाद्य चीज़ों से उत्पादित होने वाले नेचरल एसिड का है.

अगर इन एसिड को मात्रा में सही ढंग से उपयोग किया जाए तो ये आपकी स्किन के लिए फायदेमंद होते हैं. आप अगर पिंपल, एक्ने, रिंकल्स, फाइन लाइन्स या फिर ऐज स्पॉट जैसी स्किन की समस्याओं से परेशान हैं तो फेस एसिड्स आपके चेहरे के लिए चमत्कारी साबित हो सकते हैं. ये सभी एसिड्स बाज़ार में सीरम के रूप में मिल जाते हैं और अपनी स्किन अनुसार आप इनका प्रयोग कर सकते हैं. किसी भी एसिड का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि आप धूप से बचाव करें और दिन में एस.पी.एफ का इस्तेमाल जरूर करें.

ये कुछ चार ऐसे एसिड्स हैं जिन्हें आप अपने चेहरे पर बिना झिझक के रोज़ाना इस्तेमाल कर सकते हैं:

1) कोजिक एसिड-

कोजीक एसिड चावल को फरमेंट करने वाले बैक्टीरिया में पाया जाता है. यह इंग्रीडिएंट एशिया के लगभग सभी स्किन केयर प्रोडक्ट में पाया जाता है. कोजिक एसिड मेलानिन के उत्पादन को रोकता है जिसके कारण इसके रोज़ाना इस्तेमाल से आपकी स्किन का रंग हल्का होता जाता है. चेहरे पर निखार लाने के साथ यह एसिड आपको हाइपर पिग्मेंटेशन और झाईयों से भी मुक्त करता है. सूरज के कारण अगर आपकी स्किन टैन हो गई है तो इसके इस्तेमाल से आप अपनी रंगत साफ कर सकते हैं.

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2) हेलुरोनिक एसिड-

ये एसिड स्किन को मॉइश्चराइज़ और प्लंप रखने में मदद करता है. स्किन में नमी बनाए रखने के लिए आप हेलुरोनिक एसिड युक्त सीरम के इस्तेमाल कर सकती हैं. उम्र के साथ साथ आपके स्किन में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला हेलुरोनिक एसिड धीरे धीरे कम होता जाता है. 40 साल की उम्र तक यह एसिड 50 फीसदी तक घट जाता है. इसके कारण आपकी स्किन बेजान और रूखी नज़र आती है. ऐसे में आप हेलुरोनिक एसिड युक्त क्रीम या सीरम का इस्तेमाल करके स्किन में नमी बढ़ाकर ग्लोइंग स्किन पा सकते हैं.

3) सैलिसिलिक एसिड-

“विलो” नामक वृक्ष की छाल से बनने वाला सैलिसिलिक एसिड स्किन को साफ रखने में उपयोगी माना जाता है. यह एक प्रकार का बीटा- हाइडॉक्सी- एसिड होता है जो स्किन के रोम छिद्रों में जाकर बेजान स्किन सेल्स, सीबम और बैक्टीरिया का सफाया करता है. ऑयली स्किन वालों को एक्ने और पिंपल्स की परेशानी बनी रहती है. ऐसे में इस एसिड का उपयोग करना आपकी स्किन के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. फेसवॉश या जेल के रूप में सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल किया जा सकता है.

4) लैक्टिक एसिड –

लैक्टिक एसिड सभी एसिड्स से अधिक सौम्य होता है. ये स्किन में पानी की कमी को पूरा करता है और स्किन की कोशिकाओं को हाइड्रेट रखता है. डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दही, चीज़, दूध में लैक्टिक एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. स्किन को निखारने और ऑयल कंट्रोल करने में लैक्टिक एसिड्स उपयोगी साबित होता है. यह स्किन को एक्सफोलिएट करके चिकना एवं कोमल बना देता है और फाइन लिंक्स एवं रिंकल्स जैसी समस्याओं को दूर करने में लाभदायक होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान लैक्टिक एसिड्स के प्रयोग से बचाव करना चाहिए.

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डॉक्टरी पर्चे और दवाई के पत्तों को जानें यहां

हम सभी को कभी न कभी डॉक्टर के पास जाना ही पड़ता है. अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन लेकर हम मेडिकल स्टोर पर जाते हैं और दवा लेना प्रारम्भ कर देते हैं. कई बार कुछ दवाइयां बच भी जाती हैं और हम उन्हें उठाकर रख देते हैं. घर में परिवार के किसी अन्य सदस्य को वैसी ही बीमारी होने पर हम वही दवा उसे भी दे देते हैं. या फिर प्रिस्क्रिप्शन देखकर अक्सर मेडिकल स्टोर से बिना सोचे बिचारे दवा खरीदकर खा लेते हैं.

कई बार असर उल्टा भी हो जाता है और लेने के देने पड़ जाते हैं. कुछ दवाइयां ऐसी होतीं हैं जिन्हें विशेष बीमारियों के लिए ही दिया जाता है और इनके पत्तों पर कुछ निशान बने होते हैं जिन पर हम कभी ध्यान ही नहीं देते. जब कि इन्हें जानना अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसी कोई भी दवाई आपके घर में है तो इन्हें लेने से पूर्व डॉक्टरी सलाह अवश्य लें.

-लाल रंग की लाइन

सभी एंटीबायोटिक दवाइयों पर साइड में लाल रंग की एक धारी होती है जिसका तात्पर्य होता है कि इन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना बेचा और खरीदा नहीं जा सकता. ये दवाइयां टी. वी.,मलेरिया, यूरिनरी इन्फेक्शन और एच आई वी जैसी गम्भीर बीमारियों में दी जातीं हैं. लाल धारी बने होने का उद्देश्य ही इनकी खुली बिक्री पर रोक लगाना है.

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-Rx(आर एक्स)

कुछ दवाइयों के नाम के सबसे ऊपर साइड में Rx लिखा होता है इसका मतलब है कि ऐसी दवाइयों का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही किया जा सकता है. इसे केवल वही खरीद सकता है जिसे डॉक्टर ने अपने पर्चे पर लिखकर दिया हो.

-NRx(एन आर एक्स)

यह भी दवाई के नाम के सबसे ऊपर ही लिखा होता है चूंकि ये नशीली दवाइयां होतीं है इन्हें केवल वही डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर लिख सकते हैं जिन्हें इन्हें लिखने का लाइसेंस प्राप्त हो और लाइसेंस धारी मेडिकल स्टोर ही बेच सकते हैं. मस्तिष्क सम्बन्धी और मिर्गी जैसी बीमारियां इसी केटेगिरी में आतीं हैं.

-XRx(एक्स आर एक्स)

इन्हें मेडिकल स्टोर से नहीं खरीदा जा सकता. ये केवल उन डॉक्टरों के पास होतीं हैं जिनके पास इनका लाइसेंस है. इसे डॉक्टर सीधे मरीज को दे सकते हैं. एनेस्थीसिया में दी जाने वाली दवाइयां इसी श्रेणी में आतीं हैं.

इसी प्रकार जब हम डॉक्टर को दिखाने जाते हैं तो डॉक्टर अपने प्रिस्क्रिप्शन पर दवाइयों के नाम के आगे कुछ कोड वर्ड लिखता है जो दवाइयों को लेने का तरीका बताता है परन्तु हम उस पर भी विशेष ध्यान नहीं देते. आमतौर पर मेडिकल स्टोर वाला दवाइयों को लेने का तरीका बताता तो है परन्तु कई बार उसकी भाषा समझ में नहीं आने या इंक फैल जाने पर हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है. तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ कोड वर्ड के बारे में-

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1-क्यू ओ डी (qOD)-एक दिन छोड़कर
2-क्यू एच(qH)-प्रति एक घण्टे पर
3-एस(S)-दूध या पानी के बिना
4-सी(C)-दूध या पानी के साथ
5-एस ओ एस(SOS)-आवश्यकता पड़ने पर
6-ए सी(A C)-भोजन से पहले
7-पी सी(P C)-भोजन के बाद
8-बी आई डी(BID)-दिन में दो बार
9-टी आई डी(TID)-दिन में तीन बार
10-क्यू आई डी(QID)-दिन में चार बार
11-ओ डी(OD)-दिन में एक बार
12-बी टी(BT)-सोते समय
13-बी बी एफ(BBF)-नाश्ते से पहले
14-बी डी(BD)-रात को भोजन से पहले
15-टी डब्ल्यू(Tw)-सप्ताह में दो बार
16-क्यू ए एम(QAM)-हर सुबह
17-क्यू पी(QP)-हर रात
18-क्यू 4एच(Q4H)-हर चार घण्टे में
19-एच एस(HS)-सोते समय
20-पी आर एन(PRN)-जरूरत के अनुसार
21-आर एक्स(Rx)-उपचार
22-क्यू(q)-प्रत्येक
23-क्यू डी(qD)-प्रतिदिन

क्या नौकर के बिना घर नहीं चल सकता

लेखिका-स्नेहा सिंह

सुजल और सुनंदा हमेशा खुश रहने वाले पति-पत्नी है.. इनके दो बच्चे हैं. एक दिन हमेशा खुश रहने वाला यह युगल दुखी और परेशान हो कर आपस में झगड़ रहा था. हर्ष और ग्रीष्मा, दोनों नौकरी करते हैं. इनका दो साल का एक बच्चा है. ये दोनों हमेशा तनावग्रस्त और चिड़चिड़े दिखाई देते हैं. इनका बच्चा भी इन्हें झगड़ते देख कर डरा-सहमा रहता है. अमी घर में रह कर अपना काम करती है. पर वह भी हमेशा परेशान रहती है. इन सभी की इस परेशनी की एक ही वजह है, कामवाला या कामवाली यानी नौकर या नौकरानी. अमी के यहां काम करने वाला नौकर अचानक जब उसका मन होता है, चला जाता है. वह अब तक न जाने कितनी बार घर में काम करने वालों को बदल चुकी है.

भारत के लगभग हर आदमी को इस बात का अनुभव है. खास कर शहरों में, जहां जीवन अत्यंत दौड-भाग वाला है. जिसकी वजह से बिना कामवाला या कामवाली के काम नहीं चलता. यह समस्या मात्र अमी, सुनंदा या ग्रीष्मा की ही नहीं है. हर उस नारी की है, जिसके यहां कामवाली या कामवाला आता है. जिस दिन घर का काम करने वाली नौकरानी या नौकर नहीं आता, उस दिन उनकी हालत एकदम खराब हो जाती है. यह एक ऐसी समस्याा है, जो लगभग सभी की है. आज के समय में हर जगह कामवाली का ऐसा बोलबाला हो गया है कि वह एक दिन न आए या कहीं बाहर चली जाए तो उसके बिना मालकिन तकलीफ में पड़ जाती हैं.

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घर में अंजान व्यक्तियों का प्रवेशः

घर में कामवाली या कामवाले के आने का मतलब घर में अंजान व्यक्ति के आने से आप अपनी आत्मीयता और आजादी गंवा बैठती हैं. आप उसकी उपस्थिति में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकतीं यानी कि कामवाली आपके समय के अनुसार नहीं चलेगी, आपको उसके समय के अनुसार समय को सेट कर के चलना होगा. क्योंकि वे काम करने के लिए आने-जाने का समय अपने हिसाब से तय करती हैं. इसलिए आपको अपने समय को उनके काम करने के समय से मैच कर के शिउ्यूल बनाना होगा. अगर आपको अचानक कहीं बाहर जाना हुआ तो अपना घर उसके भरोसे छोड़ कर जाना होगा. क्योकि वह अपनी फुरसत के हिसाब से ही आपके यहां काम करने आएगी. इस तरह घर का काम कराने वाले तमाम लोगों के अनुभव बताते हैं कि कामवाली की उपस्थिति एक अरुचिकर घूसखोरी के समान घटना है.

32 साल की रवीना एक रिटेल कंसलटेंट हैं. उनकी छह साल की एक बेटी है. वह पांच साल यूएसए में रह कर आई हैं. उनका कहना है कि यूएसए में तो वह अपने पति के साथ मिल कर घर के सारे काम करती थीं. वहां सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था. उसके बाद वे भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने घर के कामों में मदद के लिए एक कामवाला यानी नौकर रख लिया. परंतु कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि नौकर रखने से उनकी जिम्मेदारी घटने के बजाय अन्य तरह की नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं. उसमें अगर चौबीस घंटे का नौकर है तो किसी भी प्रकार की गोपनीयता नहीें रह जाती. अगर पति-पत्ल्ी मिल कर काम करते हैं तो उनके बीच आत्मीयता और प्रेम बढ़ता है. रवीना और उसके पति के बीच जो प्यार था, अब वह पहले जैसा नहीं रहा, ऊपर से नौकर की उपस्थिति तनाव का कारण बन गई है. अन्य एक गृहिणी का कहना है कि नौकर की पूरे दिन की हाजिरी से ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर कैमरा नजर रख रहा है. हम स्वतंत्र मन से कुछ कर नहीं सकते. एक अन्य गृहिणी का कहना है कि हमें टीवी देखने में भी परेशनी होती है. क्योंकि जब भी टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने के लिए सोचती हूं, कामवाली पहले ही आ कर टीवी के सामने बैठ जाती है या फिर टीवी चालू होने के बाद आा कर बैठ जाती है.

तमाम घरों में छोटे बच्चे केयरगिवर की डाह की वजह बन रहे हैं. पूरे दिन केयरगिवर के पास रहने की वजह से उनके मन में केयरगिवर के बीच संबंध का त्रिकोण बन जाता है. जिससे मां और केयरगिवर के बीच ईर्ष्या का भाव पैदा होता है. बड़े बच्चों को तो कामवाली की उपस्थ्तिि हमेशा खलल लगती है.

अलस्य आ सकता हैः

अक्सर गृहिणियां शिकायत करती हैं कि घर के काम में उनकी कोई मदद नहीं करता. वास्तव में कामवाली या नौकर होने के कारण घर का कोई आदमी मदद करने की जरूरत ही नहीं महसूस करता. यूएसए से आई रवीना के अनुभव के अनुसार, जब तक घर में नौकर नहीं था, सब लोब मिलजुल कर काम कर लेते थे. घर के ही लोग काम करते थे, इसलिए सारे काम अच्छी तरह होते थे. कुछ देखने या चेक करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नौकर के काम की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती, इसलिए मन में असंतोष पैदा होता है और दिल में कचोटता रहता है. जाने-अनजाने में मन में थोड़ा तनाव पैदा होता है.

जिन घरों में पूरे दिन नौकर रहता है, उस घर की महिलाएं आलसी हो जाती हैं. उनके मन मे आता है कि हम क्यों काम करें, काम करने के लिए नौकर तो रखा ही है. इस तरह मानसिक रूप से वे कोई काम करने को तैयार नहीं होतीं. परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक प्रवृत्ति घट जाती है. इसकी वजह से वे अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं. कोई काम करना नहीं होता, इसलिए तैयार हो कर घूमती रहती हैें. इसी के साथ बाहर के खान-पान से उनमें मोटापा आ जाता है. शारीरिक प्रवृत्ति घटने इंसान में स्थूलता आ जाती है और आदमी आलसी हो जाता है.

एक विशेषज्ञ के अनुसार, घर के काम करने से कैलरी भी अच्छी जलती है. वजन नियंत्रण में रहता है और मूड भी अच्छा रहता है. घर के काम करने से हर घंटे लगभग सौ से तीन सौ कैलरी जलती है. नौकर की आदी हो जाने के कारण हम उसके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. उनकी अनुपस्थिति से हमें घबराहट होने लगती है. जो आगे चल कर तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करती है.

बच्चों पर असरः

कामवाली की घर में लंबे समय तक उपस्थिति बच्चों के विकास और प्रगति में रुकावट बन सकती है. एक व्यवसायी मां का कहना है कि नौकर कितना भी जरूरी हो, वह कभी भी माता-पिता का विकल्प नहीं बन सकता. इसलिए मां-बाप कितना भी व्यस्त रहते होें, उन्हें एक निश्चित समय अपने बच्चे के साथ जरूर बिताना चाहिए. एक गृहिणी ने अपना अनुभव बताया कि उनका चार साल का बेटा आराम से सो रहा था. अचानक आधी रात को वह उठ कर रोने लगा. पूछने पर पता चला कि उन्होंने बच्चे के लिए जो आया रखी थी, वह बच्चे को डराती, धमकाती और मारती थी. जिससे वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करता था. दूसरी एक मां ने बताया कि जब उनकी आया शादी कर के ससुराल चली गई तो उन्हें अपने बच्चे की खूब चिंता हो रही थी, क्योंकि उनका बच्चा आया से खूब हिलामिला था. पर उन्होंने देखा कि आया के जाने के बाद उनका बच्चा काफी खुश दिखाई दे रहा था. अपना काम वह खुद ही करने लगा था. दरअसल हर समय आया की उपस्थिति की वजह से वह परावलंबी बन गया था. वह खुद अपने काम करने लगा तो उसका आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा था.

आया छुट्टी पर चली जाए या काम छोड़ कर चली जाए तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे समय में उन्हें संभालना पड़ता हैै. मां-बाप को बढ़ गई इस समस्या को दूर करने में खासी मेहनत करनी पड़ती है. एक मां ने आया के बजाय डे केयर सेंटर पसंद किया, क्योंकि जब आया काम छोड़ कर चली जाए तो उनका बच्चा परेशान हो जाता था. डे केयर सेंटर थोड़ा महंगे जरूर होते हैं, पर वहां इस तरह की कोई समस्या नहीं होती. जिससे मांएं निश्चिंत हो कर अपना काम कर सकती हैं.

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इलेक्ट्रानिक्स एप्लायंसिसः

वाशिंग मशीन, डिश वाशर और माइक्रोवेव ओवंस जैसे उपकरणों ने इंसान की जरूरत काफी घटा दी है. आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मदद से काम करने से इंसान का काफी समय बचने लगा है. एक गृहिणी अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए डे केयर सेंटर में छोड़ आती है. उतनी ही देर में वह घर के सारे काम निपटा लेती है. ओवन, वाशिंग मशीन, फूड प्रोसेसर आदि के होने के कारण वह अपने सारे काम खुद ही कर लेती है. उस गृहिणी को लगता है कि कामवाली के इंतजार और उसकी देखरेख में जो समय लगेगा, उतनी ही देर में सारे काम शांति से निपटाए जा सकते हैं. उसके पति भी उसे अकेली काम करते देख उसके काम में मदद करते हैं. उनके घर में कोई कामवाली नहीं आती, इसलिए पति उसके साथ काम कराने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें यह पसंद है. ऐसी महिलाओं को कामवाली का इंतजार करना, फिर वह आएगी या नहीं आएगी, यह भी एक सवाल बना रहता है, उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है, इसलिए जब से बाजार में हर तरह के उपकरण उपलब्ध हुए हैं, तब से कामवाली की अनिवार्यता काफी कम हो गई है.

घर के काम खुद करने से घर में हर सदस्य के मन में अपनेपन की भावना जागती है. साथ मिल कर काम करने से संबंध मतबूत होते हैं और घर भी स्वच्छ तथा व्यवस्थित रहता है.

Winter Special: बची इडली से बनाएं इडली 65

आज नाश्ते में क्या बनाऊं यह हर गृहिणी की समस्या होती है और जिस घर में बच्चे हों वहां तो यह समस्या और अधिक गम्भीर हो जाती है क्योंकि बच्चों को तो हर दो घण्टे में कुछ न कुछ खाने को चाहिए ही होता है.

दक्षिण भारतीय भोजन होने के बावजूद आज इडली साम्भर पूरे देश में अपने पैर पसार चुका है. इसे मूलतया उड़द की दाल और चावल से बनाया जाता है परन्तु आजकल इसे सूजी से भी बनाया जाने लगा है. यदि आपकी रसोई में इडली बच गई है तो परेशान होने की लेशमात्र भी जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपको बची इडली से एक ऐसी रेसिपी बताएंगे जो झटपट तो बनेगी ही साथ ही बच्चे बड़े सभी को बहुत पसंद भी आएगी. तो आइए जानते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

इडली 65

कितने लोंगों के लिए 4
बनने में लगने वाला समय 25 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री (इडली के लिए)

तैयार इडली 5
कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर 1/2 टीस्पून
भुना जीरा पाउडर 1/4 टीस्पून
चावल का आटा 1 टेबलस्पून
ताजा दही 2 टेबलस्पून
तलने के लिए तेल
सामग्री (बघार के लिए)
तेल 2 टेबलस्पून
सरसों के दाने 1 टीस्पून

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सौंफ 1/2 टीस्पून
बारीक कटा अदरक 1 इंच
बारीक कटा लहसुन 4 कली
करी पत्ता 8-10
सूखी मोटी कटी लाल मिर्च 3
दही 2 टेबलस्पून
धनिया पाउडर 1/2 टीस्पून
कश्मीरी लाल मिर्च 1टीस्पून
भुना जीरा पाउडर 1/4टीस्पून
हल्दी पाउडर 1/4टीस्पून
नमक स्वादानुसार
काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
बारीक कटा हरा धनिया 1 टेबलस्पून

विधि

इडली को चार पांच छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर एक बाउल में डालें. इसमें कश्मीरी लाल मिर्च, हल्दी पाउडर, दही और चावल का आटा अच्छी तरह मिलाएं. अब इन टुकड़ों को गरम तेल में सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें.

अब एक पैन में तेल गरम करें और सरसों के दाने, सौंफ, अदरक, लहसुन, करी पत्ता और सूखी लाल मिर्च डालकर सुनहरा होने तक भूनें. अब दही डालकर चलाएं. धनिया पाउडर, लाल मिर्च, जीरा, हल्दी पाउडर और तली इडली डालकर चलाएं. काली मिर्च पाउडर और हरा धनिया डालकर सर्व करें.

नोट-इसी प्रकार आप पनीर, आलू और गोभी 65 भी बना सकतीं हैं.

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पर्सनैलिटी ग्रूमिंग सफलता के लिए जरूरी 

नेहा देखने में बहुत ही सुंदर थी. लंबा कद, छरहरा सांचे में ढला बदन, बोलती आंखें और लंबेघनेकाले बाल देख कर कोई भी उस की तारीफ  करने से खुद को रोक नहीं पाता था. एमबीए करने के बाद जब वह अपनी पहली नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही थी तो किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसे इंटरव्यू में फेल भी किया जा सकता है.

नेहा भी यह मान रही थी कि वह आज सफल हो कर ही लौटेगी. इंटरव्यू के दौरान जब नेहा से सवाल किए गए तो वह उन का सही तरह से जवाब भी दे रही थी, इंटरव्यू के दौरान ही नेहा की मुलाकात दीपा से हुई. वह भी देखने में नेहा जैसी ही थी पर पता नहीं क्यों नेहा को बारबार यह लग रहा था जैसे कि नेहा की जगह दीपा को ही इंटरव्यू में चुना जाएगा. नेहा का अंदाजा सही निकला, इंटरव्यू के बाद दीपा को ही कंपनी सैक्रेटरी के लिए चुना गया था.

नेहा के करीबी लोगों को जब इस बात का पता चला तो उन का कहना था कि इंटरव्यू के दौरान दीपा का पक्ष ले लिया गया होगा. इस के जवाब में नेहा ने कहा, ‘‘नहीं ऐसी बात नहीं है. दीपा में आत्मविश्वास साफतौर पर  झलक रहा था जबकि मैं उस का मुकाबला नहीं कर पा रही थी. मु झे उसी समय लग गया था कि दीपा मु झ से बाजी मार ले जाएगी.’’

नेहा ने इस के बाद कैरियर कांउसलर दिशा संधू से मुलाकात की और अपनी पूरी बात बताई. दिशा संधू ने नेहा को बताया कि उस की पर्सनैलिटी तो बहुत अच्छी है. बस, इस को थोड़ी सी ग्रूमिंग की जरूरत है. इस के लिए उन्होंने कुछ टिप्स नेहा को बताए. इस के बाद नेहा की पर्सनैलिटी में बहुत सुधार हुआ और नेहा का अगले इंटरव्यू में चयन हो गया. पर्सनैलिटी ग्रूमिंग के टिप्स कम आकर्षक लोगों के लिए भी बहुत काम के साबित होते हैं.

व्यक्तित्व निखारने का जरिया

हर व्यक्ति में कुछ न कुछ खासीयत जरूर होती है. जरूरत इस बात की होती है कि पर्सनैलिटी की इस खासीयत को उभार दिया जाए जिस से व्यक्ति की दूसरी कमियां छिप जाएं. बहुत सारे लोगों को यही लगता है कि अच्छा मेकअप, अच्छे कपड़े और गोराचिट्टा रंग ही अच्छी पर्सनैलिटी के लिए जरूरी होता है. बहुत सारे ऐसे लोग भी होते हैं जो बहुत ही साधरण दिखते हैं पर दूसरे मन में कहीं दूर तक अपनी पर्सनैलिटी की छाप छोड़ जाते हैं.

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उदाहरण के लिए अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोडोंलिसा राइस को देखें तो उन की पर्सनैलिटी हर किसी पर अपना रंग जमा जाती है. बहुत सारे खूबसूरत लोगों को उन की पर्सनैलिटी के सामने  झुकना पड़ जाता है. अपने देश में भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं. कई बड़ी कंपनी के सीईओ के रूप में काम कर रहे लोगों को देख कर लगता है कि उन की पर्सनैलिटी कितनी मोहक है.

पर्सनैलिटी का मोहक रूप काम के हिसाब से होता है. पर्सनैलिटी गू्रमिंग की कक्षाएं चलाने वाली दिशा संधू कहती हैं, ‘‘आप जिस प्रोफैशन में हों उस के हिसाब से ही कपडे़ पहनें और मेकअप करें. आप की बातचीत का तरीका भी इतना आकार्षक हो कि एक बार बात करने वाला आप से बारबार बात करने के लिए प्रयासरत रहे. पर्सनैलिटी का असर सब से ज्यादा पड़ता है. इसलिए सब से पहले पर्सनैलिटी को निखारने की जरूरत होती है. पर्सनैलिटी ग्रूमिंग के बढ़ते हुए महत्त्व को देखते हुए यह एक बडे़ कारोबार की तरह हो गया है. प्राइवेट और ग्लैमर से भरपूर नौकरियों के जमाने में पर्सनैलिटी ग्रूमिंग बहुत ही जरूरी हो गई है. अच्छी पर्सनैलिटी के न होने से नौकरी में तरक्की के रास्ते भी कम हो जाते हैं. ज्यादातर नौकरियों में दूसरे को अपनी बातचीत के अदांज से प्रभावित करना होता है. इसलिए यह एक जरूरत बन गई है.’’

जरूरी है ड्रैस सैंस

फैशन डिजाइनर नेहा दीप्ति का कहना है, ‘‘पर्सनैलिटी ग्रूमिंग का सब से खास हिस्सा ड्रैस सैंस का होता है. आप की ड्रैस सैंस जितनी अच्छी होगी, सामने वाले पर उस का प्रभाव ज्यादा पडे़गा. अच्छी ड्रैस के लिए यह जानना जरूरी होता है कि किस मौके पर कैसी ड्रैस पहनी जाए. पार्टी में जाने और औफिस की मीटिंग में जाने की ड्रैस कभी एकजैसी नहीं हो सकती.

‘‘यह बात केवल महिलाओं के लिए ही लागू नहीं होती. पुरुषों पर भी यह लागू होती है. पार्टी में जा रहे हैं तो यह भी देखना पड़ता है कि पार्टी किस तरह की है. अगर आयोजन आप के घर का है तो आप की ड्रैस अलग होगी और जब आयोजन किसी दूसरे के घर पर हो तो ड्रैस अलग होनी चाहिए. हर उम्र में अलगअलग ड्रैस पर्सनैलिटी पर निखार लाती है. जिन लोगों को इस बात का खयाल नहीं होता, कभीकभी ‘बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम’ जैसे खिताब भी मिल जाते हैं. इसलिए अच्छी पर्सनैलिटी के लिए अच्छी ड्रैस सैंस बहुत जरूरी होती है.’’

मेकअप हो सौम्य और सुंदर

ब्यूटी एक्सपर्ट पायल श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘पर्सनैलिटी गू्रमिंग में मेकअप का भी बड़ा महत्त्व होता है. इसलिए मेकअप करने से पहले यह जान लें कि आप किस जगह पर जा रहे हैं. अगर पार्टी में जाना है तो आप का मेकअप कलरफुल होना चाहिए. औफिस में मेकअप अलग किस्म का होता है. बहुत ज्यादा भड़काऊ मेकअप औफिस में आप को सुंदर नहीं बनाता है. औफिस में भड़काऊ मेकअप करने वालों का अच्छा असर नहीं पड़ता है. कपड़ों की ही तरह मेकअप भी उम्र के हिसाब से किया जाता है. सौम्य मेकअप आप को ज्यादा आकर्षक बनाता है. आप जिस पद पर काम कर रहे हैं, मेकअप उस के हिसाब से भी होना चाहिए.’’

बौडी लैंग्वेज निखारे पर्सनैलिटी ग्रूमिंग

पर्सनैलिटी ग्रूमिंग की जानकारी देने वाली दिशा संधू का मानना है, ‘‘हर शरीर की अपनी एक लैंग्वेज होती है जिस को बौडी लैंग्वेज कहा जाता है.’’ सुनीता को बात करतेकरते हाथ  झटकने की आदत थी. उस को अपनी इस आदत के चलते कई बार पार्टी में हास्यास्पद हालत का सामना करना पड़ जाता था. उन के पति दीपक को यह बात सम झ आई तो उन्होंने सुनीता की इस आदत को छुड़वाने में मदद की.

स्नेहा एक बडे़ बैंक में अफसर के रूप में काम करती थी. उस में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी. पर कभीकभी तनाव में आने पर वह अपने हाथ के नाखून मुंह में डाल कर कुतरना शुरू कर देती थी. बहुत मुश्किल के बाद उस की यह आदत छूट सकी.

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इस तरह की गलत बातें आप की बौडी लैंग्वेज को खराब कर देती हैं. चलनेफिरने, उठनेबैठने, खड़े होने, टैलीफोन पर बात करने का भी अपना एक तरीका होता है, जो बौडी लैंग्वेज का अहम हिस्सा होता है. इस को निखारे बिना पर्सनैलिटी ग्रूमिंग मुश्किल हो जाती है. बातचीत में शिष्टाचार भी पर्सनैलिटी ग्रूमिंग को बढ़ाता है. अच्छी तरह से बात करने वाले लोग दूसरों को ज्यादा प्रभावित कर लेते हैं.

ऑयल्स फॉर स्ट्रेच मार्क्स

स्ट्रेच मार्क्स की प्रोब्लम न सिर्फ महिलाओं को बल्कि पुरुषों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है. आमतौर पर ये समस्या तब पैदा होती है जब स्किन बहुत ज्यादा स्ट्रेच हो जाती है, जिससे बीच की लेयर यानी सैकंड लेयर , जिसे डर्मिस कहते हैं , उसमें जब मसल्स स्ट्रेच होती हैं , तो कोलेजन टूटने लगता है , जिससे स्ट्रेच मार्क्स की समस्या होती है.

बता दें कि कोलेजन प्रमुख प्रोटीन होता है, जो स्किन में संयोजी ऊतक बनाने का काम करता है. और जब इस कार्य में बाधा उत्पन होती है तब ये समस्या होती है. ये भले ही आपको कोई तकलीफ नहीं देते हैं , लेकिन ये दिखने में अच्छे नहीं लगते हैं , जिससे आपका कॉन्फिडेंस कम होता है. इसलिए अगर आप इस समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो जाने इस बारे में कोस्मोटोलोजिस्ट भारती तनेजा से कि कैसे आप स्ट्रेच मार्क्स आयल से इससे समाधान पा सकते हैं.

1. विटामिन इ आयल

स्ट्रेच मार्क्स के लिए विटामिन इ आयल बेस्ट होता है. क्योंकि ये कोलेजन को बनाने में मदद करने के साथसाथ मोइस्चर को रिटेन करने का काम करता है. आप विटामिन इ कैप्सूल्स को सीधे भी इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर और बेहतर रिजल्ट के लिए आप एरोमा थैरेपी ऑयल्स में भी इसको डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि विटामिन इ आयल में एंटी एजिंग और स्किन को रीजेनेरेट करने वाली प्रोपर्टीज होती हैं , जो धीरेधीरे स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के साथसाथ उसके निशान को भी कम करती हैं. आपको विटामिन इ आयल के कैप्सूल मार्केट से या ऑनलाइन आसानी से 100 – 300 रुपए में मिल जाएंगे.

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2. लेवेंडर आयल

लेवेंडर आयल ,जो एसेंशियल आयल है, ये टिश्यू की ग्रोथ यानि स्किन को बनाने में मदद करता है, जिससे कोलेजन का निर्माण होना शुरू हो जाता है. ये जहां स्ट्रेच मार्क्स हो गए हैं , उसके नीचे जहां कोलेजन की लेयर खत्म होने लगती है , वहां टिश्यू को बनाने में मदद करता है, इससे डेमेज लेयर भी धीरेधीरे ठीक होनी शुरू हो जाती है . 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, लेवेंडर आयल कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाकर नए सेल्स को बनाने का काम करता है, जिससे घाव व निशान को कम करने में मदद मिलती है. इस आयल की कीमत भी आपके बजट में है. ये आयल आपको आसानी से 150 – 400 रुपए के बीच मिल जाएगा.

3. स्वीट आलमंड आयल

क्या आप प्रेग्रेंसी के कारण हुए स्ट्रेच मार्क्स से परेशान हैं या फिर वजन को कम करने के कारण आपके पेट या फिर हाथों पर स्ट्रेच मार्क्स की समस्या हो गई है तो आपके लिए स्वीट आलमंड आयल बेस्ट है. क्योंकि ये स्किन को रीजेनेरेट करता है, स्किन टोन को इम्प्रूव करता है. साथ ही इसमें मॉइस्चराइजिंग प्रोपर्टीज होने के साथ विटामिन इ होने के कारण ये स्किन को बेहतरिंग ढंग से रिपेयर भी करता है. बता दें कि जब स्किन मॉइस्चरिजे रहती है तो डैमेज स्किन को रिपेयर होने में काफी मदद मिलती है. ये आपको 200 रुपए से लेकर 500 रुपए तक आसानी से मिल जाएगा.

4. बायो आयल

रिसर्च में यह साबित हुआ है कि बायो आयल स्किन के मोइस्चर को रिटेन करने के साथ स्ट्रेच मार्क्स के दाग को मिटाने में सक्षम होता है. साथ ही ये हाइपरपिगमेंटेशन को भी कम करके एजिंग को कंट्रोल करने का काम करता है. इस आयल की कुछ बूंदों से खिंचाव वाली जगह पर हर रोज 15 मिनट मालिश करने से आपको काफी सुधार नजर आएगा. ये थोड़ा महंगा जरूर होता है, लेकिन ये काफी असरदार होता है.

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5. कोकोनट आयल

कोकोनट आयल में फैटी एसिड्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स होते हैं , जो स्किन को हील करने, स्किन डिसऑर्डर को ठीक करने के साथ स्किन को अंदर तक मॉइस्चरिजे करने का काम करते है. अगर आप कोकोनट आयल में सीसम आयल को मिलाकर प्रभावित जगह पर कुछ हफ्तों तक लगाते हैं तो स्किन रीजेनेरेट होने के साथसाथ दाग कम होने में मदद मिलती है. ये आपको मार्केट से काफी अफ्फोर्डबल कीमत पर मिल जाएगा. तो फिर स्ट्रेच मार्क्स ऑयल्स से अपनी इस समस्या का समाधान पाएं.

गुलमोहर: सफलता छोड़ गुमनामी के अंधेरे में क्यों चली गई सुचित्रा?

Serial Story: गुलमोहर (भाग-3)

लेखिका- डा. रंजना जायसवाल

अविनाश के मन में बारबार सवाल उठ रहे थे. इतने सालों बाद… वेदिका मेरी आंखों के सामने खड़ी थी. क्या मैं उस से सुचित्रा के बारे में पता करूं? हो सकता है उसे पता हो कि सुचित्रा कहां है, कैसी है…और किस हाल में…पर शब्द होंठों तक आतेआते रह गए. अविनाश आंख बंद कर शांति से कुरसी पर बैठ गया.

तभी एक जानीपहचानी सी खुशबू ने उसे फिर से बेचैन कर दिया. ऐसा परफ्यूम तो सुचित्रा लगाती थी. मगर उस ने आंखें नहीं खोलीं. परछाइयों के पीछे भागतेभागते वह थक गया था…

“अविनाशजी, इन से मिलिए आज के कार्यक्रम की कर्ताधर्ता मिस सुचित्रा. यह हमारे संगीत विभाग में शिक्षिका हैं.”

अविनाश को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था. यह उस का भ्रम तो नहीं, जिस को इतने वर्षों तक न जाने कहांकहां ढूंढ़ा… वह यहां ऐसे मिलेगी? कितना कुछ कहना था शायद और कितना कुछ सुनना भी था उस को…पर इतने लोगों के बीच…

सुचित्रा… कुछ भी तो नहीं बदला. वैसी ही खूबसूरत… उस की हिरनी सी चंचल आंखें, कमर तक काले लंबे बाल, जिस की लटें आज भी उस के चेहरे से अठखेलियां कर रही थीं.

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अविनाश का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. सुचित्रा ने वेदिका का हाथ कस कर पकड़ रखा था. शायद उस की भी हालत अविनाश जैसी ही थी.

“मिस सुचित्रा, इतना अच्छा इंतजाम किया है आप ने, एकदम मेरी पसंद का. आप ने काफी रिसर्च की है मेरी पसंदनापसंद पर…”

अविनाश ने कनखियों से सुचित्रा की ओर देखा. दोनों की आंखे टकरा गईं. सुचित्रा का चेहरा शर्म से लाल हो गया. दोनों की एकजैसी स्थिति थी.ऐसा लग रहा था मानों उन की चोरी पकड़ी गई हो.

अविनाश को बहुत कुछ कहना और सुनना था… पर लोगों की भीड़ के सामने… उसे समझ में नहीं आ रहा था और ना ही उसे मौका मिल पा रहा था…

“मिस सुचित्रा, अपना कालेज तो दिखाइए…”

“आइए अविनाशजी… चलिए मैं आप को अपना कालेज दिखाती हूं.”

वेदिका ने शरारती नजरों से अविनाश को देखा.

“आप यहीं बैठिए वेदिका जी, मिस सुचित्रा मुझे कालेज दिखा देंगी. क्यों सुचित्रा जी, आप को कोई दिक्कत तो नहीं?”

सुचित्रा कुछ कहती इस से पहले वेदिका ही बोल पड़ी,”दिक्कत कैसी यह तो खुशी की बात है. मिस, आप सर को अपना कालेज दिखाइए.”

जिंदगी 2 मित्रों या फिर 2 प्रेमियों को ऐसे मिलाएगी यह तो कभी उन दोनों ने भी नहीं सोचा होगा.

एक लंबे से गलियारे को पार कर वे एक तरफ मुड़ गए. वहां थोड़ा अंधेरा था. दोनों के पांव वहीं जम गए. बहुत कुछ कहना था उन्हें एकदूसरे से… पर शुरुआत कौन करे? तब अविनाश ने ही हिम्मत दिखाई.

“कैसी हो सुचित्रा? कितने साल बीत गए. कभी सोचा भी नहीं था कि तुम से इस तरह मुलाकात होगी. एक बात पुछूं?”

सुचित्रा के चेहरे पर एक मासूम सी मुसकान खिल गई. बिलकुल नहीं बदला अविनाश. आज भी वैसा ही शरमीला और संकोची. कुछ भी कहने से पहले 10 बार सोचता है.

“सुचित्रा, तुम यों अचानक बिना कुछ कहेसुने कहां गायब हो गई थीं?कितना ढूढ़ा मैं ने… पर किसी को भी तुम्हारे बारे में कुछ भी पता नहीं था. तुम्हारा फोन नंबर तक नहीं था किसी के पास. कम से कम तुम एक बार… सिर्फ एक बार तो बात कर सकती थीं.

“एक बात बताओ, यह तो तुम भी जानती थीं कि तुम मुझ से बेहतर गाती थी… तुम चाहती तो तुम आसानी से प्रतियोगिता जीत जाती.तुम्हारी सहेलियों ने बाद में मुझे बताया कि तुम ने प्रतियोगिता से पहले बहुत सारी आइसक्रीम खाई थी जबकि तुम्हें पता था कि तुम्हें आइसक्रीम से ऐलर्जी है. फिर भी तुम ने ऐसा क्यों किया?”

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अविनाश का चेहरा क्रोध और हताशा से लाल हो गया. गलियारे में सन्नाटा पसर गया. अविनाश और सुचित्रा के सांसों के अलावा कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी. सुचित्रा चुपचाप अविनाश की बातों को सुनती रही.

“माफ कीजिएगा अविनाशजी, मैं अपनेआप को रोक नहीं पाई…” तभी अचानक वहां वेदिका आ गई थी.

“तुम सच जानना चाहते हो तो सुनो एक ऐसा सच जिसे तुम्हें छोड़ कर पूरा कालेज जानता था. एक ऐसा सच जो न तुम कभी कह सके और न ही सुचित्रा. सुचित्रा तुम्हें हारता हुआ नहीं देख सकती थी.

“याद है तुम्हें प्रतियोगिता से पहले जब सुचित्रा तुम से मिलने आई थी… बहुत कुछ कहना था उसे पर… सुचित्रा तुम्हारी प्रतिभा को पहचानती थी… लेकिन जब तुम ने कहा कि अगर तुम यह प्रतियोगिता नहीं जीत पाए तो संगीत छोड़ दोगे, तब उसी पल सुचित्रा ने यह निर्णय ले लिया कि तुम्हारे सपनो को यों टूटने नहीं देगी.एक दोस्त की उम्मीदों और सपनों को कुचल कर सफलता का महल खड़ा करना सुचित्रा को मंजूर नहीं था, इसलिए सुचित्रा…

“अविनाश, वह सुचित्रा की हार नहीं उस की जीत थी. आज तुम्हें इस जगह पर देख कर मैं और सुचित्रा बहुत खुश हूं. सुचित्रा हार कर भी जीत गई. अविनाश तुम सोच रहे होगे कि मैं सबकुछ जानती थी तब मैं ने तुम्हें सच क्यों नहीं बताया?

“अविनाश, सुचित्रा तुम से… सच में बहुत प्यार करती थी और वह तुम्हें टूटते हुए नहीं देख सकती थी. उस ने मुझे कुछ भी बताने को मना किया था… मैं मजबूर थी पर आज नहीं. मैं जानती थी कि आज भी सुचित्रा तुम से कुछ नहीं कह पाएगी,”वेदिका एक ही सांस में बोलती चली गई.

कितना कुछ भरा था उस के मन में.सबकुछ, हां सबकुछ कह देना चाहती थी वह. पर सुचित्रा आज भी चुप थी.वर्षों से भरा दिल का गुबार आंखों से छलकने लगा थि. कितना हलका महसूस कर रही थी वह.

सुचित्रा का चेहरा गर्व से चमक रहा था. अविनाश को बहुत कुछ कहना था… शायद. वह अल्हड़ और चंचल सी लड़की अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए थी.

“सुचित्रा….सुचित्रा जो बात मैं इतने वर्षों में न कह सका आज…”

“अविनाशजी… प्रिंसिपल साहब आप को ढूंढ़ रहे हैं. जनता बेकाबू हो रही है.”

अविनाश ने सुचित्रा की तरफ हाथ बढ़ाया .

“सुचित्रा इन बीते दिनों में सब कुछ तो पा लिया था मैं ने. रुपयापैसा, गाड़ी, बंगला… पर फिर भी… कहीं कुछ छूटा और अधूरा सा लगता था.

“सुचित्रा….तुम्हें याद है, तुम ने मुझे एक किताब भेंट की थी और उस के पहले पन्ने पर तुम ने कुछ लिखा भी था. आज मैं तुम्हारी उस बात का जवाब देना चाहता हूं.

“एक मशहूर शायर ने कहा है, ‘जिएं तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले, मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए…'”

सुचित्रा को मानों इतने वर्षों से दिल में दफन सवालों का जवाब मिल गया.अविनाश ने धीरे से उस के चेहरे पर लटकती लटों को संवारा और उस की नाजुक हथेलियों को अपने हाथ में ले कर बड़ी उम्मीद भरी निगाहों से उसे देखा.

सुचित्रा अविनाश की आंखों की तपिश को झेल न पाई और उस ने अपनी पलकें झुका ली.

सुचित्रा की झुकी पलकों ने अविनाश के सवालों का जवाब दे दिया. सुचित्रा की मौन स्वीकृति ने अविनाश को मानों नया जीवन दे दिया. उस ने सुचित्रा के हाथों को कस कर पकड़ा और सभागार की ओर चल पड़ा.

सुचित्रा भी अविनाश के मोहपाश में बंधी बिना किसी नानुकुर के पीछेपीछे चलती चली गई. यही अधिकार हां बस यही अधिकार तो उसे अविनाश की आंखों में चाहिए था.

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अविनाश ने मंच पर माइक हाथ में ले कर कहा,”दोस्तो, यह शहर सिर्फ एक शहर नहीं…मेरे सपनों की जमीन है जिस ने मुझे फर्श से अर्श तक पहुंचाया. आप सभी के प्यार का मैं सदा आभारी रहूंगा.

“दोस्तो, आप ने अब तक मुझे सुना और मेरी आवाज को सराहा. आज मेरी आवाज को एक नया मुकाम देने के लिए, मेरे साथ देने के लिए मैं आमंत्रित करता हूं मिस सुचित्रा को…”

आसमान एक बार फिर बादलों से घिर रहा था…आज एक बार फिर प्रकृति अविनाश और सुचित्रा के प्रेम की साक्षी बन रही थी. सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. आज वर्षों से बिछुड़े प्यार को मंजिल जो मिल गई थी.

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