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TV की बहुओं को पीछे छोड़ हैली शाह बनी मोस्ट स्टाइलिस्ट एक्ट्रेस, देखें फोटोज

कलर्स के सीरियल ‘इश्क में मरजावां’ (Ishq Mein Marjawan 2) में डॉक्टर रिद्धिमा का किरदार निभाती नजर आ रहीं हैली शाह फैंस का दिल जीत रही हैं. इसी के चलते वह फैशन के मामले में टीवी की हसीनाओं को पीछे छोड़ चुकी हैं. दरअसल, हाल ही में एक अवौर्ड शो में हैली को मोस्ट स्टाइलिस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला है, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई हुई हैं. वहीं उनके सोशलमीडिया अकाउंट को देखकर भी उनके फैशन का जलवा देखा जा सकता है. हालांकि एक इंटरव्यू में हैली शाह ने बताया है कि उनको मेकअप और स्टाइल में खास दिलचस्पी नही है. लेकिन सीरियल में उनके रोल के चलते वह खुद को तैयार रखती हैं. इसी लिए आज हम हैली शाह के ‘इश्क में मरजावां’ 2 क्लेक्शन के कुछ लुक्स के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप पार्टी हो या शादी में आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

1. हेली का लुक है खास

साड़ी हैवी हो या हल्की हैली उसे खूबसूरती से कैरी करती नजर आती हैं. हाल ही में एक सीन के लिए सिंपल प्लेन पीले कलर की धोती स्टाइल साड़ी के साथ हैली ने एक ब्राउन कलर का मिरर वर्क वाला ब्लाउज कैरी किया था, जिसके साथ उन्होंने हैवी इयरिंग्स कैरी किए थे. वहीं ये लुक हैली को स्टाइलिश बना रहा था.

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2. ब्लैक साड़ी में छाया हैली का जलवा

 

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शिमरी ब्लैक साड़ी को कैरी करना आसान है. लेकिन उसे स्टाइलिश दिखाना काफी मुश्किल है. अगर आप भी अपने लुक को स्टाइलिश बनाना चाहती हैं तो हैली की तरह शिमरी ब्लैक साड़ी के साथ औफ शोल्डर ब्लाउज कैरी करें. साथ ही सिंपल स्टड इयरिंग्स के साथ बालों में लाल गुलाब आपके लुक को स्टाइलिश के साथ-साथ हौट बनाने में मदद करेगा.

3.  नेट की साड़ी को दें नया लुक

 

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अगर आपके पास भी कोई नेट की साड़ी है, जिसे आप पार्टी या शादी के फंक्शन में ट्राय करना चाहती हैं तो हैली की तरह इस साड़ी के साथ ट्रैंड ब्लाउज कैरी करें. जैसे फ्लफी शोल्डर वाला ब्लाउज आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

4. चेक प्रिंटेड साड़ी को बनाएं स्टाइलिश

 

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अगर आप अपने लुक को ट्रैंडी बनाना चाहती हैं तो हैली की ये चैक प्रिंटेड साड़ी ट्राय करें. इसके साथ आप औफ स्लीव्स ब्लाउज कैरी कर सकती हैं, जो आपके लुक को खास बनाने में मदद करेगा.

5. फ्लावर प्रिंट साड़ी करें ट्राय

 

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इन दिनों फ्लावर प्रिंटेड साड़ियां काफी ट्रैंड मे है. अगर आप भी फ्लावर प्रिंटेड साड़ी की शौकीन हैं तो हेैली की तरह आप इस लुक के साथ शिमरी ब्लाउज के साथ कैरी कर सकती हैं.

इन 5 फ्रूट जूस को पिएं जरूर, बनी रहेगी हेल्थ

आजकल लोग हैल्थ कौन्शियस ज्यादा हो गए हैं. हैल्दी फूड खाना पसंद करते हैं. अपने को यंग और फिट रखने के लिए जब भूख लगती है तो फ्रूट्स खाते हैं. माना जाता है कि फलों के रस के मुकाबले फल खाना ज्यादा फायदेमंद है मगर ऐसा नहीं है कि फ्रूट जूस में कुछ नहीं होता. फल के रस में भी उतना ही पोषण होता है जितना एक फल में.

दूसरी बात, महज कुछ फ्रूट जूस पीने से आप की जवां दिखने की तमन्ना पूरी हो जाए तो आप क्या कहेंगे. है न डबल फायदा. तो चलिए जूस पीने के सेहत से जुड़े फायदों के साथसाथ इस से जुड़े ब्यूटी बैनिफिट्स के बारे में भी जानें.

फ्रूट जूस में मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स की मात्रा ज्यादा होती है जिस से स्किन ग्लो करती है. माना जाता है कि फ्रूट जूस को शरीर जल्दी एब्जौर्ब कर लेता है. इसलिए स्किन पर भी इस के परिणाम जल्दी दिखाई देते हैं. निम्न 5 फलों के जूस में से एक गिलास जूस का सेवन आप रोजाना करते हैं तो फायदा महसूस करेंगे.

1. मौसंबी का जूस :

मौसंबी के जूस में मौजूद एंटीऔक्सीडैंट्स और एंटीबायोटिक त्वचा को साफ रखते हैं और किसी भी तरह के संक्रमण से बचाते हैं. इस में मौजूद विटामिन सी स्किन टोन में सुधार लाने में मददगार होता है. यही नहीं, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और प्रदूषण से हो रहे नुकसान से भी बचाता है. मौसंबी जूस में एंटीहाइपरलिपिडेमिक गुण होते हैं जो शरीर में कोलैस्ट्रौल का स्तर और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं.

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2. संतरे का जूस :

संतरे का जूस रोज पिएं. यह मूड को फ्रैश करता है. स्किन टैक्सचर, कौम्प्लैक्शन और चेहरे के एक्ने को ठीक करता है. संतरे के जूस में मौजूद सिट्रिक एसिड त्वचा को हाइड्रेट कर सनबर्न से भी छुटकारा दिलाता है, साथ ही, चेहरे के रिंकल्स भी कम करता है. इस को पीने से शरीर में एनर्जी आती है क्योंकि इस में बहुत से विटामिन और मिनरल्स होते हैं. संतरे के रस का नियमित सेवन करने से बवासीर की बीमारी में लाभ मिलता है.

3. अनार का जूस :

अनार का जूस त्वचा व बालों के साथसाथ संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. अनार के छिलके में एंटीऔक्सीडैंट की अधिकतम मात्रा होती है जो कि जूस में भी आ जाती है. अनार के रस में फ्रुक्टोज होता है. यह अन्य फलों के रस के रूप में रक्त शर्करा के स्तर को नहीं बढ़ाता. अनार के रस में एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो वायरस और जीवाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं और हमारी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं. अनार के रस का सेवन झुर्रियों और फाइनलाइंस को कम कर के बढ़ती उम्र के लक्षण कम करने में मदद करता है. यह त्वचा की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में भी मदद करता है और झांइयों व काले दागधब्बों को होने से रोकता है.

4. गाजर का जूस :

शरीर को तरोताजा रखने के लिए गाजर का जूस फायदेमंद है. यह कई पोषक तत्त्वों से भरा है जो शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने का काम करते हैं. डाइट में गाजर का जूस शामिल करने से तमाम तरह के इन्फैक्शन से लड़ने में मदद मिलती है. गाजर का जूस पोटैशियम का अच्छा स्रोत है, जिस की वजह से कोलैस्ट्रौल लैवल मैंटेन रहता है. गाजर के जूस में कम कैलोरी होती है. सोडा और दूसरे ड्रिंक्स के बजाय अगर गाजर का जूस पिएंगे तो आप का वजन कभी नहीं बढ़ेगा. गाजर में मौजूद विटामिन सी त्वचा को निखारने के साथ स्किन टाइटनैस को कायम रखता है व विटामिन ई यूवी विकिरण से प्रभावित त्वचा में सूजन और त्वचा का लाल हो जाना व सूजन को ठीक करने का काम करता है. गाजर में मौजूद बीटा कैरोटीन बालों के स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व है. इस से बालों का झड़ना रुकता है और गाजर में मौजूद विटामिन ए स्कैल्प को स्वस्थ रखने का काम करता है.

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5. चुकंदर का जूस :

कई स्टडी में साबित हो चुका है कि चुकंदर का जूस सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है. इस में भरपूर मात्रा में विटामिन, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है. चुकंदर का जूस शरीर में प्लाज्मा नाइट्रेट के स्तर को बढ़ाने का काम करता है, जिस से शरीर में एनर्जी बनी रहती है. इस में मौजूद आयरन शरीर में खून की कमी को दूर करने में बेहद मददगार साबित होता है. इस में मौजूद बीटा लेन नामक तत्त्व में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर से सूजन को कम करने में मदद करते हैं. चुकंदर का अर्क त्वचा की ऊपरी परत को सुरक्षित बनाए रखने में मदद करता है.

बिना किसी खर्चे के इन 4 एप्स के साथ रखें फिटनेस का ख्याल

भागती दौड़ती जिंदगी में अपनी हेल्थ और फिटनेस के लिए समय निकाल पाना मुश्किल काम है. रनिंग के लिए सुबह जल्दी ना उठ पाना या औफिस और घर के कामों के बीच एक्सरसाइज के बारे में सोच भी ना पाना हर किसी के लिए आज आम बात है. ऐसे में क्या स्लिम बौडी, फुर्तीले शरीर और अच्छी डाइट का ख्याल मन से निकाल देना चाहिए? बिलकुल नहीं! हम आज आपके साथ शेयर कर रहे हैं कुछ ऐसे ऐप्स जो आपके पर्सनल फिटनेस ट्रेनर की तरह काम करेंगे. जो आपको बताएंगी घर में ही की जाने लायक कुछ आसान एक्सरसाइज के बारे में और देंगी आपको बेहतरीन डाइट टिप्स भी. तो गूगल प्ले स्टोर औन कर लें और एक एक कर इन एप्स को ट्राय कर फिटनेस की ओर कदम बढ़ाना शुरु करें.

1. Women Workout(Home Gym Cardio)

ये ऐप खास महिलाओं के लिए है और महिलाओं में भी उनके लिए हैं जिनके पास घर से निकल पाने का समय नहीं है. तो अगर आप घर पर ही रहते हुए बिना जिम ट्रेनर पर खर्च किए फिट रहना चाहती हैं तो इस ऐप को जरूर ट्राय कर सकती हैं. इस ऐप में आपको 180 से भी ज्यादा एक्सरसाइज  वीडियो देखने को मिल जाएंगे. इन वीडियो की क्वालिटी बेहतरीन है और इनसे आप अच्छे से समझ सकती हैं कि कौन सी एक्सरसाइज कैसे करनी है? इसमें वेट लॉस के लिए रेजिस्टेंस, फ्लैक्सिबिलिटी और एरोबिक कॉर्डियो से जुड़ी एक्सरसाइज दी गई हैं. साथ ही, अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज भी इसमें आपको मिल जाएंगी, जैसे- लंग्स ऐंड वन लेग लंग्स, जंपिंग, एक ही जगह पर जॉग, नी-रन, विंडमिल, लेग स्विंग, चेस्ट चेयर डिप्स आदि.

App Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=air.com.KalromSystems.WomenWorkout

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2. (Google Fit)

ये ऐप उनके लिए मददगार साबित होगी जो सुबह या शाम के समय घर के बाहर किसी ग्राउंड या पार्क में टहलने या दौड़ने का समय तो निकाल लेते हैं लेकिन अपनी फिटनेस को ट्रैक करने के लिए फिटनेस ट्रैकर को अफोर्ड नहीं कर सकते. ऐसे में ये ऐप उनका काम कर देगा. ये ऐप गूगल ने बनाया है इसलिए इसके फीचर्स भी लाजवाब हैं. इसमें आप अपने स्टेप्स काउंट और हार्ट बीट्स को माप सकते हैं. इसके लिए आपको अपने वजन और लंबाई से जुड़ी कुछ जानकारी ऐप पर अपलोड करनी होगी. जिसकी मदद से आपको एक्सरसाइज का एक गोल सेट करके देगा. इसे आप कम या ज्यादा भी कर सकते हैं. इस ऐप को इस्तेमाल करने के लिए वॉकिंग, जॉगिंग या रनिंग के वक्त फोन को पास ही रखना जरूरी है.

App Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=com.google.android.apps.fitness

3. Female Fitness – Women Workout

ये महिलाओं की फिटनेस को ध्यान में रखकर बनाई गई एक शानदार ऐप है. जिसे गूगल प्ले स्टोर पर 4.8 स्टार की रेटिंग प्राप्त है. इस ऐप में आपको खास महिलाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई एक्सरसाइज और उन्हें ठीक से करने के तरीके के बारे में बताया जाएगा. इसके अलावा इस ऐप में आपको जाने माने विशेषज्ञों की ओर से डाइट और फिटनेस टिप्स भी दी जाएंगी. इस ऐप में बताई गई एक्सरसाइज को आप घर में भी आसानी से कर पाएंगी.

App Link: https://play.google.com/store/apps/details?id=women.workout.female.fitness

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4. Lose Weight in 30 Days

जैसा कि नाम से पता चलता है ये ऐप उनके लिए है जो शरीर के किसी भी हिस्से का चर्बी को कम करना चाहते हैं. इस ऐप को डिजाइन भी इसी तरह किया गया है कि ये आपको उन्हीं एक्सरसाइज के बारे में बताता है जिनसे कि आप वजन को घटा पाएं. इसके अलावा इसमें आपको शरीर के अलग अलग हिस्सों को लेकर कैटगरी भी देखने को मिलेगीं ताकि आप सही तरह से अपने वजन को कंट्रोल कर सकें.

App link: https://play.google.com/store/apps/details?id=loseweight.weightloss.workout.fitness

Christmas Special: सेलेब्रिटी की बचपन की वो यादें, जो मुस्कराने पर विवश करें 

क्रिसमस का त्यौहार हर साल मनाया जाता है. यह त्यौहार एक सेलिब्रेशन का दिन है, जिसे बच्चों से लेकर बुजुर्ग हर कोई मनाना पसंद करते है. इस दिन को खास बनाने के लिए हर कोई कुछ नया करने की कोशिश करते है, ऐसे में सांता क्लॉज़ आकर बच्चों को सिक्रेट गिफ्ट का देना, हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान बिखेरती है और पेरेंट्स भी उस पल को बच्चों के साथ एन्जॉय करते है. कोविड 19 महामारी के चलते सभी सेलिब्रिटीज इस अवसर को मिस कर रहे है और बचपन की यादगार लम्हों को याद कर खुश हो रहे है. इस दिन को सेलिब्रिटीज ने बचपन में कैसे बिताया है, उन्होंने इसे खास गृहशोभा के लिए शेयर किया है, आइये जाने उनकी कहानी उन्ही की जुबानी.

अभिनन्दन जिंदल 

धारावाहिक ‘इंडिया वाली माँ’ फेम अभिनेता अभिनन्दन का कहना है कि मैं किसी भी त्यौहार को अधिक मनाने का खास शौक़ीन नहीं हूं, मेरा परिवार अधिकतर अपने जान पहचान और रिश्तेदारों से ही खासकर किसी भी त्यौहार में मिलते है, लेकिन ये जरुर चाहता हूं कि मेरा सीक्रेट गिफ्ट किसी टीवी शो में स्ट्रोंग लीड का होना होगा, जिससे मैं इंडस्ट्री में एक टॉप मोस्ट एक्टर बन जाऊ.

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विजयेन्द्र कुमेरिया 

अभिनेता विजयेन्द्र कहते है कि मैंने कान्वेंट स्कूल में पढाई की है, इसलिए क्रिसमस हॉलिडे से पहले इसे स्कूल में मनाया जाता था. मैं बहुत छोटा था और उस समय मुझे बहुत अच्छा लगता था, जब इस दिन गिफ्ट के साथ-साथ केक भी खाने को मिलता था.इसके अलावा सब बच्चों के साथ मिलकर मैं क्लासरूम को सजाता था, बहुत मज़ा आता था. इस साल मैं सीक्रेट सांता से मैं कोविड 19 की वैक्सीन गिफ्ट के रूप में पाना चाहता हूं. मैं जानता हूं कि इस गिफ्ट को पाने में समय लगेगा, पर क्या करूँ, ‘दिल तो बच्चा है जी’.

प्रणिता पंडित 

 

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प्रणिता कहती है कि क्रिसमस मेरे लिए हमेशा एक छोटे क्रिसमस ट्री को सजाने से रहा है, जिसमें पेरेंट्स एक गिफ्ट रख देते थे. मुझे याद आता है कि उस गिफ्ट को लेने मैं सुबह दौड़ कर पेड़ के पास जाती थी और गिफ्ट लेकर खुश हो जाती थी. मैं उन पलों को आज भी भूला नहीं पाती और  मुझमें जो बचपना है, वह आज भी इस तरह की गिफ्ट पाकर ख़ुशी महसूस करेगी. 

रोहित चौधरी 

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फिल्म पद्मावत फेम रोहित चौधरी का कहना है कि इस त्यौहार को अधिकतर अमीर इंसान ही मनाते है, गरीब नहीं. मैं जब छोटा था, तो इस त्यौहार को मनाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं होते थे, इसलिए कभी नहीं मनाया, लेकिन आज मैं अपने बच्चों का सांता क्लॉज हूं और उनके बेड पर छुपाकर गिफ्ट रखता हूं. सुबह उठकर वे उसे देखकर बहुत खुश होते है, जो मुझे अच्छा लगता है. इसके अलावा मैं चाहता हूं कि मेरा सीक्रेट गिफ्ट कोरोना संक्रमण से पूरा विश्व को मुक्त होना है,   ताकि इंडस्ट्री फिर से अच्छी तरह चल पड़े.

डेलनाज ईरानी 

 

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बचपन की कई यादगार लम्हे आज भी मैं मिस कर हंसती हूं,मुझे अच्छी तरह से याद है, जब मेरी  माँ की एक सहेली जर्मनी में सेटल्ड थी. मैं एक दिन उनके घर जाकर एक डॉल देखी, जो उनकी बेटी की थी. मुझे वह गुड़िया बहुत पसंद आई और मैंने सबसे कह दिया कि इस बार सांता क्लॉज़ मुझे एक सुंदर गुड़िया देने वाले है. मेरे पेरेंट्स ने उसे कैसे ऑर्गनाइज किया मुझे पता नहीं, पर मैं हुबहू वैसी गुड़िया देखकर चकित हो गयी. ऐसी कई बाते याद कर आज भी मेरे चेहरे पर ख़ुशी छा जाती है. इसके अलावा मैं चाहती हूं कि आने वाले साल में लोग खूब काम करे और स्वस्थ रहे, क्योंकि वर्ष 2020 में हमने कई अपनों को कोविड 19 की वजह से खोया है.

आकांक्षा सिंह

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अभिनेत्री आकांक्षा कहती है कि मैंने बचपन में इस दिन को जयपुर के स्कूल में सेलिब्रेट किया है. इसमें गाने गाना, डांस करना और दोस्तों के साथ खूब मस्ती करना आज भी याद कर अच्छा लगता है. मुझे छुट्टियां बहुत पसंद है, लेकिन वह स्पोंसर्ड हॉलिडे अगर हो, तो वह मेरे लिए सबसे अच्छा गिफ्ट होता है.पिछले साल मैंने न्यूयार्क में क्रिसमस मनाया और बहुत अच्छा लगा. 

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अनुष्का रमेश 

 

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अभिनेत्री अनुष्का कहती है कि मुझे याद है, बचपन में जहाँ मैं रहती थी. वहां बहुत सारे केथोलिक रहते थे और वे हमें प्लम केक, मिठाइयाँ आदि भेजते थे. मैं बहुत खुश होती थी और अपने दोस्त के घर जाकर क्रिसमस ट्री सजाती थी. मैं चाहती हूं कि सिक्रेट सांता इस बार सबको इस महामारी से उबारें और सबकों खुशियों का गिफ्ट बांटे. 

विजय पुष्कर 

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अभिनेता विजय पुष्कर अपने बचपन की यादों को लेकर बहुत ख़ुशी महसूस करते है. वे कहते है कि मुझे इस त्यौहार में गिफ्ट का मिलना सबसे अधिक याद आता है. इसके अलावा सर्दी के इस मौसम में परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलना भी एक अलग ख़ुशी है. लाल ड्रेस पहने सांता द्वारा दिए गए इस छोटे से गिफ्ट को मैं उत्सुकतावश जल्दी खोलकर देखता था, क्योंकि वह सरप्राइज गिफ्ट होती थी और उसे बड़ी जतन से अपने पास रखता था. सिक्रेट सांता से मैं इस बार एक अच्छी टीवी शो की कामना करता हूं. 

प्रतीक चौधरी 

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अभिनेता प्रतीक क्रिसमस के त्यौहार को खुशियों का त्यौहार मानते है. उनका मानना है कि बचपन में दोस्तों के साथ इसे मनाने में बहुत ख़ुशी मिलती थी, क्योंकि इसमें सरप्राइज गिफ्ट मिलता था. अभी हम सब बड़े हो गए है और काम में व्यस्त है, इसलिए इसे मना नहीं पाता, पर बचपन की यादे आज भी मुस्कराने के लिए विवश करती है. मैं सिक्रेट सांता से कोविड 19 फ्री दुनिया गिफ्ट के रूप में पाना चाहता हूं, ताकि लोगों को मास्क, सेनीटाईजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना पड़े और सभी पहले जैसे खुश रहे. एक दूसरे से गले मिल सकें और किसी भी त्यौहार को बिना किसी डर के मना सकें. 

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जानें क्या है क्रीमी कॉम्प्लेक्शन पाने का राज 

क्या आप नहीं चाहतीं कि आपकी स्किन हमेशा चमकती हुई रहे, आपका फेस हमेशा पार्टी के लिए रेडी रहे. लेकिन यह भी सच है कि एक रात में या फिर एक दिन में ये ग्लो नहीं आ सकता. इसके लिए आपको अपनी स्किन की खास केयर करने की जरूरत होती है. जैसे पहले की महिलाएं न सिर्फ हैल्थी चीजों से अपनी हैल्थ का खयाल रखती थीं , बल्कि अपनी स्किन का भी खास ध्यान रखती थीं. तभी उनकी स्किन पर हमेशा ग्लो बना रहता था. ऐसे में अगर आप भी कम समय में अपनी स्किन पर ब्राइटनेस व ग्लो चाहती हैं तो इन  टिप्स को फोलो करना न भूलें.

1. बोडी को डीटोक्स करने से करें शुरुवात 

चाहे डीटोक्स डाइट की बात हो या फिर डीटोक्स ड्रिंक की, ये सीधे तौर पर शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालकर उसमें नई जान डालने का काम करता है. और जब एक बार अंदर का सिस्टम ठीक हो जाता है तो हमारी स्किन भी  नैचुरली ग्लो करने लगती है. आप भी तो दागधब्बों रहित, क्लियर व एक जैसा स्किन टोन चाहती होंगी. ऐसे में आप अपने दिन की शुरुवात नीँबू पानी से करें. आप ब्रेकफास्ट के  साथ  नारियल पानी, जूस भी ले सकती हैं. क्योंकि ये शरीर को डीटोक्स करके आपकी सुंदरता को हमेशा बनाए रखने का काम करता है. क्योंकि भले ही आप कितनी भी क्रीम्स यूज़ कर लें, लेकिन जब तक स्किन अंदर से साफ व हाइड्रेट नहीं रहेगी , तब तक क्रीम्स भी कुछ ही समय तक असर देंगी. इसलिए आप खूबसूरत स्किन चाहती हैं तो अपनी बॉडी को डीटोक्स करना न भूलें.

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2. फोलो सीटीएम रूटीन 

शरीर को आप अंदर से तो अपनी डीटोक्स डाइट व ड्रिंक से क्लीन कर रहे हैं , लेकिन ये भी जरूरी है कि धूलमिट्टी व पॉलूशन के कारण स्किन की ऊपरी सतह पर गंदगी व जर्म्स एकत्रित होने शुरू हो जाते हैं, जिन्हें  सीटीएम रूटीन  यानि क्लींजिंग, टोनिंग व मॉइस्चराइजिंग से प्रोपर केयर करने की जरूरत होती है. ताकि स्किन पर कोई जर्म्स व गंदगी न रहने पाए. ऐसे में जब भी आप टोनर का चयन करें तो देखें कि उसमें रोज वाटर, एलोवीरा और एसेंशियल आयल जरूर हो, क्योंकि ये स्किन को कूलिंग इफेक्ट देने के साथसाथ स्किन से गंदगी को रिमूव करने के साथसाथ कॉम्प्लेक्शन को इम्प्रूव करने का काम करते हैं .

वहीं अगर आप अपने लिए क्लीन्ज़र का चयन करें तो अपनी स्किन टाइप को ध्यान में रखकर ही उसे खरीदें. जैसे अगर आपकी स्किन ऑयली या फिर स्किन पर एक्ने की प्रोब्लम है  तो ऐसे क्लीन्ज़र का चयन करें , जिसमें रेटिनल या फिर सैलिसिलिक एसिड हो. ये ऑयली स्किन के लिए मैजिक का काम करता है. वहीं अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है तो आपका क्लींज़र ऐसा होना चाहिए, जिसमें केरामीडेस और ग्लिसरीन मिली हुई हो, क्योंकि ये स्किन के मोइस्चर को लौक करने के साथसाथ स्किन को डॉयनेस और इचिंग से बचाता है. और जब बात हो  मॉइस्चराइजर की तो आपका मॉइस्चराइजर ऐसा हो, जिसमें ग्लिसरीन, ह्यलुरोनिक एसिड , विटामिन इ आदि मिला हुआ हो. क्योंकि ये स्किन के  मोइस्चर को लौक करके उसे हाइड्रेट रखने का काम करता है. इसलिए आप रेगुलर अपनी स्किन पर सीटीएम रूटीन को जरूर फोलो करें.

3. जरूरी है डी टेन पैक  

ज्यादा देर बाहर रहने के कारण हमारी स्किन टेन होने लगती है. जिससे धीरेधीरे स्किन का टोन बदलने के कारण हमारी स्किन ख़राब होने लगती है. और यही अनइवन टोन जब अन्य लोग भी नोटिस करने लगते हैं तो हमें सर्मिंदड़ी महसूस होती  है. न कुछ पहनने को मन करता और न ही खुद को सवारने को. ऐसी स्तिथि में आप परेशान न हो, बल्कि आपको जरूरत है हर 15 दिन में अपने चेहरे पर डी टेन पैक अप्लाई करने की . ये आपकी स्किन को हाइड्रेट, नौरिश , ब्राइट व क्लीन बनाने का काम करता है. बस जब भी आप डी टेन पैक खरीदे तो देखें कि वो डर्मटोलोजिस्ट टेस्टेड होने के साथ क्रुएल्टी  व पेराबीन फ्री हो. साथ ही उसमें युकलिप्टुस आयल, मिंट जैसे इंग्रीडिएंट्स शामिल  हो. क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल प्रोपर्टीज होने के कारण ये स्किन को इंफेक्शन से बचाने के साथसाथ उन्हें कूलिंग इफेक्ट देने का काम करते हैं. तो फिर डी टेन पैक से अपनी स्किन को बनाएं ब्राइट.

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4. केमिकल पील टेक्निक 

पॉलूशन वाली लाइफ में हमें स्किन की एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. ताकि स्किन फिर से पुर्नजीवित होकर खिल उठे. ऐसे में  केमिकल पील टेक्निक बेहद असरदार साबित होती है. इस टेक्निक में स्किन के टेक्सचर को इम्प्रूव करने के साथ उसे स्मूद बनाया जाता है. इसमें आउटर लेयर पर वर्क करके उसे रिमूव किया जाता  है, ताकि न्यू स्किन ज्यादा हैल्दी व स्मूद बने. कई तरह के पील्स हैं. बता दें कि लैक्टिक पील , जो मिल्क से बना होने के कारण ये ड्राई और सेंसिटिव स्किन के लिए बेस्ट माना जाता है. वहीं ग्ल्य्कोलिक पील स्किन को एक्सफोलिएट करने के साथ स्किन में नई जान डालकर उसे एजिंग से बचाने का काम करता है. तो vitalize पील में सिट्रिक, लैक्टिक और सैलिसिलिक एसिड होने के कारण  ये स्किन की पिगमेंटेशन को कम करके स्किन की क्वालिटी को इम्प्रूव करने का काम करता है. वहीं पिगमेंट बैलेंसिंग पील न सिर्फ स्किन से पिगमेंटेशन को कम करता है, बल्कि दागधब्बो  को भी दूर करने का काम करता है. तो हुई न  केमिकल पील टेक्निक फायदे की साबित.

5. हैल्दी लाइफस्टाइल को करें इग्नोर 

कहते हैं कि अगर आप अंदर से फिट होंगे, तो आपकी स्किन ग्लोइंग व प्रोब्लम फ्री होगी. इसलिए आप हैल्दी स्किन के लिए  हैल्थी लाइफस्टाइल को फोलो करें. जंक फूड्स की बजाय आप विटामिन्स व फाइबर रिच डाइट लें. अपने मील में दाल व सब्जियों को जरूर शामिल करें. और ऱोजाना एक्सरसाइज करें , क्योंकि ये शरीर से विषैले परधातो को बाहर निकालकर आपके हार्मोन्स को बैलेंस में रखने के साथसाथ आपके कॉम्प्लेक्शन को भी इम्प्रूव करता है.

चौंका देंगे भीख मांगने के नए पैंतरे

संयुक्त अरब अमीरात में एक महिला को लोगों को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. महिला पर आरोप है कि उस ने खुद को सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर एक असफल शादी का शिकार बता कर अपने बच्चों की परवरिश के लिए लोगों से मदद की अपील की और 17 दिन में 50 हजार डौलर यानी लगभग  ₹35 लाख जुटा लिए. उस महिला ने औनलाइन अकाउंट बनाए और अपने बच्चों की तसवीरों के माध्यम से उन की परवरिश के लिए आर्थिक मदद मांगी. लेकिन जब उस महिला के पूर्व पति को यह बात पता चली कि वह बच्चों की तसवीर दिखा कर लोगों से भीख मांग रही है, तो हैरान रह गया. फिर उस ने दुबई पुलिस के आपराधिक जांच विभाग को फोन कर सूचना दी और साबित किया कि उन के बच्चे उन के साथ रह रहे हैं. सिर्फ पैसे की खातिर सोशल

मीडिया पर अपने बच्चों को बदनाम कर यह महिला 17 दिनों में  ₹35 लाख कमाने में कामयाब हो गई.

7 साल का तेजा इंदौर में अपने पिता के साथ रहता है. तेजा दिमागी पोलियो से ग्रस्त है, लेकिन अपने पिता के लिए तो जैसे रुपए कमाने की मशीन. पिता उसे भीख मंगवाने वाले गिरोह को कुछ समय के लिए किराए पर दे देता है. फिर गिरोह से जो पैसा मिलता है, उसे पिता नशे में उड़ा देता है.

इसी तरह एक और मामला है. एक बच्चा दिव्यांग के गैटअप में व्हीलचेयर पर बैठ कर खुद को गंभीर बीमारी से ग्रस्त बता कर भीख मांग रहा था. वहां से गुजर रहे जब एक शख्स को शंका हुई और पूछताछ की गई तो मामले का भंडाफोड़ हुआ. पुलिस के पूछने पर उस बच्चे का कहना था कि उसे सहारनपुर से जयपुर लाया गया था भीख मांगने के लिए. बच्चे ने कहा कि सब बच्चे रोज  ₹1,000 से  ₹1,500 तक भीख मांग कर मास्टरमाइंड को देते हैं. भीख का 20% हिस्सा मास्टरमाइंड बच्चों के परिवार वालों को भेजता है.

एडिशनल डीसीपी धर्मेंद्र सागर ने बताया कि बच्चे के पास से  ₹10,590 की चिल्लर, एक व्हीलचेयर, बैटरियां, ऐंप्लीफायर, स्पीकर आदि बरामद किए गए.

मास्टरमाइंड समीर यूपी से दिव्यांगों को जयपुर ले कर आता था और उन को रेलवे स्टेशन या कहीं आसपास खानाबदोश की तरह रखता था. ऐसे बच्चों को भिखारी के गैटअप में व्हीलचेयर पर बैठाता जो कमजोर हों और दिखने में बीमार लगते हों. भीख मंगवाने के लिए बच्चों को बदबूदार और फटेपुराने कपड़े पहना देता, साथ ही एक बच्चे को व्हीलचेयर को धक्का लगाने के लिए तैयार करता. व्हीलचेयर पर बैटरी, ऐेंप्लीफायर व छोटे स्पीकर लगा देता. वौइस रिकौडिंग के जरीए यह बताता जाता कि जो बालक व्हीलचेयर पर बैठा है वह दिल के गंभीर रोग से पीडि़त है. इस के इलाज के लिए रुपयों की जरूरत है.

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जितने बच्चे उतना मुनाफा

आप को शायद पता नहीं कि हमारे देश में भिखारियों का गैंग है. इस गैंग की कोशिश होती है कि इन के गैंग में अधिक से अधिक लोग शामिल हों और ज्यादातर इन के गैंग में बच्चे शामिल होते हैं, क्योंकि इस से उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है. कारण, गैंग के मुखिया को भीख मांगने वाले बच्चे को ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ते हैं.

सिर्फ भीख मंगवाने के लिए बच्चों को अपाहिज बना कर बैसाखियां पकड़ा दी जाती हैं ताकि दया कर लोग उन्हें भीख दे दें. महानगरों में तो भिखारियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. शहर के मुख्य चौक के साथसाथ भिखारियों ने रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी कब्जा जमाया हुआ है. भिखारियों से भीख मंगवाने का काम बहुत बड़ा माफिया करा रहा है जोकि इन भिखारियों को मुख्य चौक के साथसाथ अन्य जगहों पर भेजने का काम भी करता है.

लोगों को इन पर तरस आ जाए, इसलिए जो लोग अपाहिज नहीं होते उन्हें भी बैसाखियां पकड़वा दी जाती हैं ताकि भिखारी को अपाहिज सम झ कर उसे ज्यादा से ज्यादा भीख मिल सके. शाम होते ही माफिया के लोग चौक या अन्य जगहों पर आ जाते हैं और भीख मांगने वाले लोगों से पैसा इकट्ठा करते हैं. इस के बाद इन भिखारियों को खाने के पैसे दे कर बाकी पैसे ले जाते हैं.

किस भिखारी को कौन से चौक या अन्य जगह लगाना है, उस का फैसला भिखारी माफिया का सरगना ही करता है. उस के बाद वह माफिया के दूसरे लोगों को इन चौकों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों व अन्य जगहों का इंचार्ज बना देता है ताकि अगर बाहर से आ कर कोई भिखारी इन की जगह भीख मांगने लगे तो भिखारी माफिया के लोग उसे वहां से भगा दें.

धार्मिक स्थलों पर भिखारी माफिया

चौकों के साथसाथ भिखारी माफिया ने धार्मिक स्थलों के बाहर भी खुद का कब्जा जमाया हुआ है. इन जगहों पर ऐसे लोगों को ही खड़ा किया जाता है, जिन की हालत बहुत दयनीय हो ताकि धार्मिक विचारों वाले लोगों को इन पर दया आ जाए और वे इन्हें ज्यादा से ज्यादा पैसे दे दें. इन्हें यह भी ट्रेनिंग दी जाती है कि जब इन्हें कोई पैसे दे तो साथ में उसे दुआ भी देनी है.

ऐक्सपर्ट भिखारियों को पौश इलाके

पौश इलाकों के चौकों व बाजारों में ऐक्सपर्ट भिखारियों को ही भिखारी माफिया खड़ा करता है, क्योंकि ऐक्सपर्ट भिखारी लोगों की जेबों से पैसे निकलवाने के कई तरीके जानते हैं, जिस से लोगों को उन पर तरस आ जाता है और फिर पैसे दे देते हैं.

अपराधियों और भीख का गठजोड़

शहर में भिखारियों के बढ़ने के साथसाथ अपराधियों को भी पनाह मिल रही है. कई बार वारदात करने के बाद अपराधी इन भिखारियों के बीच में जा कर छिप जाते हैं और पुलिस को इन का सुराग लगाना मुश्किल हो जाता है. रेलवे स्टेशनों व ऐसी अन्य जगहों पर जहां रात के समय यात्री सुनसान जगहों से गुजरते हैं, तो अपराधी उन्हें अपना निशाना बना लेते हैं और बाद में फिर भिखारियों के बीच जा कर सो जाते हैं. कई बार पुलिस ऐसे गिरोहों का खुलासा कर चुकी है.

एक स्वायत्त संस्था ने दिल्ली की भिक्षावृत्ति पर विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट पेश की जो रोंगटे खड़े कर देने वाली है. भिक्षावृत्ति की इस रिपोर्ट के अनुसार केवल दिल्ली के चौराहों पर ही भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या 3 लाख से ज्यादा है. इस के पीछे एक नहीं अनेक माफिया सक्रिय हैं, जो इन से इन की दिनभर की कमाई ले कर केवल रोटी और फटे कपड़े ही देते हैं. तो क्या हम इन बच्चों या बड़ों को भीख दे कर पुण्य का काम कर रहे हैं?

आप को जान कर हैरानी होगी कि ये माफिया गैंग बच्चों से भीख मंगवाने के साथसाथ और भी कई काम लेते हैं. इन बच्चों को बाकायदा अपराध की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

आप देखिएगा कि एक बच्चा अचानक आ कर गाड़ी के सामने या पीछे ठकठक करने लगता है और चालक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है. जैसे ही चालक गाड़ी से उतरता है, कुछ दूसरे बच्चे खिड़की से गाड़ी में रखे  मोबाइल या अन्य सामान पर हाथ साफ कर लेते हैं. ये बच्चे उसी माफिया गिरोह के हाथों की कठपुतली होते हैं, जो उन से भीख मंगवाते हैं. यही बच्चे बड़े हो कर पूरे समाज के लिए घातक बन जाते हैं. चोरी, जेबकतरी, चैन स्नैचिंग से ले कर नशे के व्यापार तक में शामिल हो जाते हैं.

शिक्षित भिखारी

सिर्फ बच्चे और बड़े ही नहीं, बल्कि आज तो पढ़ेलिखे लोग भी भीख मांगने के धंधे में लग चुके हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में बड़ी संख्या में डिगरी और डिप्लोमाधारी भिखारी हैं. देश में सड़कों पर भीख मांगने वाले लगभग 78 हजार भिखारी ऐसे हैं और उन में से कुछ के पास तो प्रोफैशनल डिगरियां हैं. यह चौंकाने वाली बात सरकारी आंकड़ों से सामने आई है.

2011 की जनगणना के अनुसार, कोई रोजगार न करने वाले और उन के शैक्षिक स्तर का आंकड़ा हाल ही में जारी किया गया है. उन के मुताबिक, देश में 3.72 लाख से भी ज्यादा भिखारी हैं. इन में से लगभग 79 हजार यानी 21 फीसदी भिखारी 12वीं कक्षा पास हैं. यही नहीं इन में से 3 हजार ऐसे भिखारी हैं, जिन के पास कोई न कोई टैक्निकल या प्रोफैशनल कोर्स का डिप्लोमा है. आज देश में कई ऐसे भिखारी हैं जो 2 वक्त की रोटी के लिए नहीं, बल्कि संपत्ति बनाने की चाह के कारण भीख मांगने के पेशे से जुड़ गए हैं. जी हां, देश में आज कई ऐसे भिखारी हैं जो करोड़पति हैं. फिर भी आप सोचते हैं कि इन भिखारियों के इस लाइन में आने की वजह सिर्फ अशिक्षा है, तो आप गलत हैं.

क्यों मांगते हैं लोग भीख

हैदराबाद में एमबीए पास फरजोना नाम की एक युवती को भीख मांगते पकड़ा गया. वह लंदन में अकाउंट औफिसर रह चुकी थी. उस ने बताया कि उस के पति की मृत्यु हो चुकी है और वह अब अपने आर्किटैक्ट बेटे के साथ रहती है. जिंदगी से परेशान हो कर जब वह एक बाबा के पास गई, तो उस बाबा ने उसे भिखारी बना दिया. इसी तरह अमेरिकी ग्रीन कार्डधारी रबिया हैदराबाद में ही एक दरगाह के सामने भीख मांगते पकड़ी गई. उस ने बताया कि उस के रिश्तेदार ने धोखे से उस की सारी संपत्ति हड़प ली.

आंध्र प्रदेश के गुटूर जिले में 27 साल के एक शिक्षित भिखारी का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई. काम की तलाश में मुंबई आ गया. काम तो मिला पर बंधुआ मजदूर जैसा. फिर काम छोड़ कर भीख मांगने लगा. भीख से इतनी कमाई हो जाती है कि अपने घर वालों की भी आर्थिक रूप से मदद करता हूं.

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भीख मांगना एक धंधा

भीख मांगने का धंधा अब गरीबों की मजबूरी नहीं, बल्कि यह देश के पढ़ेलिखे लोगों का सब से आसान कमाई का जरीया बन गया है. हद तो तब होती है जब भिक्षा मांगने वाले शर्म से निगाहें नीची कर नहीं, बल्कि अकड़ के साथ जोरजबरदस्ती कर के पैसे मांगते हैं. नहीं देने पर गालीगलौज पर भी उतर आते हैं. आजकल तो भिखारी भीख मांगते हुए खुद को जलालत महसूस करने के बजाय देने वालों को ही जलील कर देते हैं. यहां तक कि भिखारी जरूरत पड़ने पर धर्म के हिसाब से अपना हुलिया तक बदल लेते हैं. ये सब बताता है कि आजकल लोगों के लिए भीख मांगना कोई मजबूरी नहीं, बल्कि व्यवसाय बन चुका है.

भीख मांगने को कानूनन अपराध घोषित करने के बावजूद भिखारियों की संख्या कम नहीं हो रही है. जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए. उन के हाथों में कटोरा थमा दिया जाता है. दुख की बात तो यह है कि खुद मांबाप अपने बच्चे को इस दलदल में धकेल रहे हैं. कितने बेरहम हैं ये लोग जो अपने ही बच्चों को अपाहिज बना देते हैं ताकि उन से भीख मंगवा सकें.

उत्तर प्रदेश का तो एक गांव ऐसा है जहां सभी पुरुष भीख मांगते हैं और अगर कोई पुरुष भीख मांगने का काम नहीं करता है तो यह समुदाय उस की शादी नहीं होने देता. इस समुदाय के लोग सदियों से भीख मांगते आ रहे हैं और उन्होंने कभी अपनी हालत को बदलने के बारे में नहीं सोचा.

इस समाज की धारणा बन चुकी है कि नौकरी करने से अच्छा भीख मांगना है. लोग सोचते हैं कि नौकरी करने से 1 माह में  ₹10 या  ₹12 हजार मिलेंगे, लेकिन भीख से कमाई इस से कहीं अधिक होगी. दूसरी तरफ देश में भीख माफिया बहुत बड़ा धंधा बन गया है. बता दें कि देश में हर साल लगभग 48 हजार बच्चे गायब होते हैं और इन में से आधे बच्चे तो कभी मिलते ही नहीं. इन गायब बच्चों में से अधिकांश बच्चों को अपराध और भिक्षावृत्ति में धकेल दिया जाता है. बाल भिखारी तो पीडि़त हैं, अपराधी नहीं.

कैसे मिटे कुप्रथा

कानून के विशेषज्ञ भीख माफिया के लिए कठोर कानून बनाने के पक्षधर हैं, लेकिन समाजशास्त्री मानते हैं कि कानून बच्चों को केंद्र में रख कर बनाने होंगे. वे यह भी मानते हैं कि भीख मांगना सम्मानजनक पेशा नहीं है, सिर्फ आपराधिक गिरोह या कुछ निठल्ले रह कर भी कमाई करने के इच्छुक इस धंधे को स्वेच्छा अपनाते हैं.

देश के शिक्षाशास्त्रियों का कहना है कि शिक्षा और रोजगार के बीच सही तालमेल न होने की वजह से ऐसी समस्या आती है. उन्होंने आशंका जताई कि पढ़ेलिखे भिखारियों की वास्तविक संख्या और अधिक हो सकती है. उन्होंने कहा कि भिक्षावृत्ति को समाज में अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए उच्च शिक्षित भिखारी सर्वे के दौरान अपनी शैक्षिक स्थिति के बारे में  झूठ बोलते हैं. देखा गया है कि पहले तो ये लोग मजबूरी में भीख मांगते हैं, लेकिन फिर इन की आदत बन जाती है. उन्होंने यह भी कहा कि भिखारियों को रोजगारपरक कार्यों से जोड़ना कोई मुश्किल काम नहीं है. लेकिन जब तक शिक्षा नीति में फेरबदल नहीं होगा, तब तक ‘स्किल इंडिया’ या भिखारी मुक्त भारत के सपने को पूरा कर पाना काफी मुश्किल है.

वैसे महाराष्ट्र सरकार ने प्रदेश को भिखारी मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ दी है. पुलिस भिखारियों को पकड़ कर कोर्ट ले जाती है जहां उन्हें पुनर्वास केंद्र भेजा जाता है. लेकिन ज्यादातर भिखारी जमानत दे कर फिर से भीख मांगना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यही वजह है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास केंद्रों में भिखारियों की संख्या 4 साल में 38 फीसदी तक घट गई है.

‘ईजी मनी’ का यह ट्रैंड ऐसा है कि पकड़े जाने पर भिखारी कोर्ट में वकील पेश कर रहे हैं.  ₹3 हजार से  ₹5 हजार तक जमानत भी चुका रहे हैं. पिछले साल पुणे में ही 60 से ज्यादा और राज्यों में 200 से ज्यादा भिखारियों ने जमानत कराई. जज के सामने कहते हैं कि भीख नहीं मांगेगे, लेकिन छूटते ही फिर से उसी धंधे में लग जाते हैं.

अपराध विभाग के सहायक पुलिस आयुक्त भानुप्रताप बर्गे का कहना है कि भिखारियों को ‘ईजी मनी’ की आदत लग गई है. नकदी जमा कर, दंड की रसीद फाड़ कर या जमानत की राशि तत्काल चुका कर वे बाहर आ जाते हैं. इस तरह से पुनर्वास केंद्रों में इन की संख्या कम हो रही है, लेकिन सड़कों पर भीख मांगने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है.

भिक्षावृत्ति को अपराध माना जाए या नहीं, यह सवाल कई बार उच्च अदालतों में उठ चुका है. भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर किए जाने की मांग से जुड़ी जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह कहा कि देश में अगर सरकार भोजन या नौकरी देने में असमर्थ है तो भीख मांगना अपराध कैसे हो सकता है? अदालत ने कहा कि यदि हमें  ₹1 करोड़ की पेशकश की जाती है तो आप या हम भीख नहीं मागेंगे. एक व्यक्ति केवल जरूरत के कारण ही भीख मांगता है न कि अपनी पसंद के कारण.

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केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि बांबे प्रिवेंशन ऐक्ट में पर्याप्त प्रावधान है. इस अधिनियम के तहत भीख मांगने को अपराध बताया गया है. केंद्र ने यह भी कहा कि यदि गरीबी के कारण ऐसा किया गया है, तो भीख मांगना अपराध नहीं होना चाहिए. दिल्ली में भी भीख मांगना अपराध है. पहली बार भीख मांगते पकड़े गए तो 3 साल की कैद हो सकती है.

भिक्षावृत्ति पर एक ऐसे कानून की जरूरत है, जो इन के पुनर्वास और सुधार पर जोर डाले न कि इसे गैरकानूनी मानता हो. सरकारों को इस बात की पहल करनी होगी कि मजबूरी के चलते भीख मांगने वालों को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाए.

2011 की जनगणना के अनुसार देश में 3.72 लाख से भी ज्यादा भिखारी हैं. इन में से लगभग 79 हजार यानी 21 फीसदी भिखारी 12वीं कक्षा पास हैं. यही नहीं इन में से कुछ के पास तो टैक्निकल डिप्लोमा भी है.

क्रश है या प्यार कैसे पहचानें

30वर्षीय अमित एक कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर हैं. अपने पहले युवावस्था के क्रश की बात करते हुए मुसकरा कर कहते हैं, ‘‘मैं 10वीं क्लास में था. वह मुझ से 1 साल छोटी थी. वह स्कूल की लड़कियों में काफी लोकप्रिय थी और मैं भी उस का प्रशंसक था. आज याद तो नहीं है कि मेरे दिल में उस के लिए इतना आकर्षण क्यों था, मैं उस की एक झलक देखने के लिए भागाभागा स्कूल जाता था. एक डांस कंपीटिशन में मुझे उस के साथ डांस करना था. मैं बहुत ज्यादा खुश था और यह मेरे पहले रोमांस की शुरुआत थी. जैसा कि उस उम्र के रिश्ते टिकते नहीं, हमारा भी रिश्ता जल्द ही खत्म हो गया. मैं तो यही मानता था कि मैं उस से बहुत प्यार करता हूं पर मैं हैरान रह गया जब 1 महीने के अंदर ही मेरे दिल से उस का खयाल निकल गया. मैं तभी समझ सका कि यह इन्फैचुएशन यानी आसक्ति थी.’’

विशेषज्ञों का कहना है कि इन्फैचुएशन

तीव्रता लिए हुए पर थोड़े समय के लिए प्रशंसा के भाव होते हैं. उन्हें क्रश भी कहा जाता है. मनोवैज्ञानिक और काउंसलर अंशू जैन स्पष्ट करते हुए कहती हैं, ‘‘आप को उस व्यक्ति के साथ रहने की तीव्र इच्छा हो सकती है. वह व्यक्ति आप के विचार, आप की नींद, आप की दिनचर्या और खाने की आदतों को भी प्रभावित कर देता है.’’

इन्फैचुएशन ब्रेन कैमिस्ट्री में जगह बना लेता है. जहां पुरुष पतली, स्मार्ट महिलाओं के प्रति आकर्षित हो जाते हैं, वहीं महिलाएं उच्चपदस्थ या उच्चशिक्षित पुरुषों के प्रति आकर्षित हो सकती हैं. आधुनिक रिश्तों में कई बदलाव आए हैं. अंशू का कहना है कि इन्फैचुएशन में कई बार हमें लगता है कि हमें प्यार हो गया है पर ऐसा कुछ नहीं होता. यह आराम से कभी भी खत्म हो सकता है.

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कैसे पहचानें

आइए, जानते हैं कि विशेषज्ञ इन्फैचुएशन को पहचानने और उस से बाहर निकलने के लिए क्या टिप्स दे रहे हैं:

27 वर्षीय देविका शर्मा बताती हैं, ‘‘कालेज में मुझे एक बहुत प्रतिभावान और क्रिएटिव इंसान पर बेहद आसक्ति हुई. मैं उस से रिलेशन रखना चाहती थी. फिर अचानक उस ने मुझे डौमिनेट करना शुरू कर दिया. मुझे उस से बातें करने का जैसेजैसे मौका मिला, मैं समझ गई, वैसा कुछ नहीं है जैसा मैं सोच रही थी. मुझे उस की पर्सनैलिटी में फिर कोई रुचि नहीं रही. हम में कुछ भी कौमन नहीं था. मेरे दिल में उस के लिए जो भावनाएं थीं, रातोंरात गायब हो गईं. हालांकि उस ने मुझ से संपर्क करने की कई कोशिशें कीं. पर उस में मेरी रुचि खत्म हो चुकी थी.’’

कंसल्टैंट मनोवैज्ञानिक, डाक्टर रवि गुप्ता का कहना है, ‘‘हमारे दिमाग में स्थित कुछ प्लेजर सैंटर्स से डोपामाइन की ज्यादा उत्पत्ति होने से अपने क्रश के प्रति असीम प्रेम की भावना उत्पन्न होने लगती है. उसी समय सेरोटोनिन का स्तर, जो फीलगुड भाव के लिए जिम्मेदार होता है, कम होने लगता है. फलस्वरूप हमारी भावनाओं में बहुत उतारचढ़ाव होता है. क्रश जो भी प्रतिक्रिया दे रहा होता है, उसी के हिसाब से मूड रहने लगता है.’’

क्या करें

जब आप को किसी के प्रति इन्फैचुएशन होती है तो आप उस के व्यक्तित्व के कुछ ही भाग को देख रहे होते हैं, बगैर यह जाने कि वह सच में कैसा है. डाक्टर रवि का कहना है, ‘‘इन्फैचुएशन को बढ़ावा न दें, अपने क्रश से थोड़ा ब्रेक लें. इस से आप को इस आकर्षण का सही तर्क समझ आएगा.’’

क्रश की नकारात्मक बातों पर भी ध्यान दें. उस की कमियों पर सोचें. इवेंट मैनेजर जयेश बताते हैं, ‘‘स्कूल में मैं अपनी क्लास की सब से सुंदर लड़की के प्रति बहुत आकर्षित था. मैं उस के बराबर वाली सीट पर कुछ दिन बैठता रहा, उस से बात करने की हिम्मत ज्यादा नहीं होती थी पर उस पर मेरा क्रश बढ़ता जा रहा था.

‘‘एक दिन मैं ने उसे दिल की बात बता ही दी. तब मुझे पता चला कि वह किसी और से प्यार करती है और समय आने पर वह उस से ही विवाह भी करेगी. मुझे उस समय एक सीख मिली कि अपने क्रश से दूर होने के लिए फ्रैंड्स और फैमिली के साथ जितना वक्त बिता सको, बिताना चाहिए. इस से आप को अपने क्रश के बारे में सोचने या उसे याद करने का ज्यादा समय नहीं मिलता है.’’

डाक्टर अखिल श्रौफ का कहना है, ‘‘आप के दिमाग में मौजूद सेरोटोनिन का बढ़ा स्तर आप के मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने में मदद करता है. इस के लिए खूब व्यायाम करें.’’

जब किसी पर इन्फैचुएशन होता है, हम अपने क्रश के ऐक्शंस और शब्दों पर बहुत ध्यान देते हैं, उस की सोशल मीडिया प्रोफाइल्स पर बारबार गौर करते हैं. मनोचिकित्सक डाक्टर, पवन गोस्वामी का कहना है, ‘‘ऐसे में उस व्यक्ति से शारीरिक और वर्चुअली भी दूरी रखें. उस व्यक्ति से स्वयं को दूर करने के लिए यह जरूरी है.’’

40 वर्षीय स्वाति भटनागर अपना अनुभव शेयर करते हुए बताती हैं, ‘‘जब मैं 28 साल की थी, अपने हैंडसम कुलीग के चेहरे से नजरें ही नहीं हटा पाती थी. काम में ध्यान नहीं रहता था. मैं औफिस जल्दी पहुंचती और उस से बातें करने के बहाने ढूंढ़ती थी. फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरा क्रश तो विवाहित है. मेरा दिल टूट गया. तब समझ आया कि इस केस में सिर्फ मैं ही उस के प्रति आकर्षित थी.’’

विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही आप का क्रश भी आप की तरह अपनी भावनाएं दिखाए, मगर उस के साथ ईमानदारी दिखाना जरूरी है. दोनों को इस रिश्ते में एकदूसरे की कमियां और खूबियां समझनी चाहिए.

डाक्टर पवन के अनुसार, अपने आत्मसम्मान का खयाल रखें. स्वयं को प्यार करें, अपने बारे में अच्छा महसूस करने के लिए किसी दूसरे पर निर्भर न रहें.’’

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मनोवैज्ञानिक, डाक्टर प्राजक्ता देशमुख कहती हैं, ‘‘यदि आप दूसरे के बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रही हैं और इस पर आप कंट्रोल करने में असमर्थ हैं तो अपने विचारों पर गंभीरता से ध्यान दें. एक जनरल मैंटेन करें, इस में अपने उद्देश्य स्पष्ट रूप से लिखें. कुछ ऐसा रूटीन बनाएं कि आप को इस अवांछित इन्फैचुएशन के बारे में सोचने का समय ही न मिले.’’

जिंदगी में खुश रहने और आगे बढ़ने के लिए कुछ चीजों को पीछे छोड़ देना ही बेहतर है. प्यार के पीछे न भागें, बल्कि खुद को ऐसा बनाएं कि लोग आप के करीब आना चाहें.

रिजेक्शन की वजह लोग अजीब बताते है – टीना फिलिप

धारावाहिक ‘एक आस्था ऐसी भी’ से कैरियर की शुरुआत करने वाली छोटे पर्दे की अभिनेत्री टीना फिलिप का जन्म दिल्ली में और पालन-पोषण लन्दन में हुआ. 6 साल की उम्र में उन्हें पिता के नौकरी की वजह से लन्दन शिफ्ट होना पड़ा. उनके पिता फिलिप कोचित्टी फ्रेंच एम्बेसी में काम करते है. टीना चार्टेड अकाउंट है और दो साल लन्दन में जॉब भी कर चुकी है. हंसमुख और विनम्र स्वभाव की टीना को बचपन से ही एक्टिंग और डांसिंग का शौक था, लेकिन पेरेंट्स के जोर देने पर उन्होंने अपनी पढाई पूरी की और जॉब किया.

जॉब करने के दौरान टीना ने लन्दन में थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया और अभिनय के लिए ऑडिशन भी दिया , लेकिन भारतीयों के लिए वहां सीमित भूमिकाएं होने की वजह से उन्हें आगे बढ़ना मुश्किल था. इसलिए टीना परिवार की इजाजत लेकर पहले साउथ फिर मुंबई अभिनय के लिए आई. काम के दौरान टीना को अपने को-स्टार निखिल शर्मा से प्यार हुआ और उनकी इंगेजमेंट भी हो गई है. टीना अगले साल शादी भी करने वाली है. 

टीना अभी दंगल टीवी पर प्रसारित शो ‘ऐ मेरे हमसफर’ मुख्य भूमिका निभा रही है, जिसे बहुत पसंद किया जा रहा है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बताई, पेश है कुछ खास अंश. 

सवाल-इस शो में आपकी भूमिका क्या है?

मैं इस शो में दो भूमिका निभा रही हूं, पहले मैंने विधि शर्मा एक साधारण लड़की की भूमिका निभाई है, जो बहुत बुद्धिमान है और हर काम को आसानी से कर लेती है. किसी कारणवश विधि की शादी बड़े बहन की पति के साथ हो जाती है, लेकिन बड़ी बहन वापस लौट कर विधि को मौत के मुहँ में धकेल देती है. इसके बाद मेरी दूसरी भूमिका हमशक्ल कोमल कली की है, जो बार डांसर है. पहली भूमिका मेरे जैसी है, लेकिन दूसरी भूमिका मेरे लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि ये मुझसे अलग है, लेकिन इसे करने में मज़ा भी आ रहा है.

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सवाल-दो भूमिका निभाना कितना मुश्किल होता है?

इसमें समय बहुत जाता है. बार-बार मेकअप करना पड़ता है, क्योंकि एकबार शांत बहू की भूमिका ,तो दूसरी लाउड भूमिका है, लेकिन मुझे अच्छा लग रहा है. मेरा स्वभाव विधि की तरह शांत है, ऐसे में लाउड रोल करना मेरे लिए चुनौती है. इसमें अभिनय के कई शेड्स है. इसके लिए मुझे राजस्थानी भाषा भी सीखनी पड़ी. एक शो में दो भूमिका का मिलना मेरे लिए बड़ी बात है. 

सवाल-अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मुझे बचपन से ही अभिनय के क्षेत्र में जाना था. मैं बहुत क्लियर थी, इसलिए स्कूल में कई नाटकों में भी भाग लिया. बड़े होने पर थिएटर ग्रुप भी ज्वाइन किया और 2 साल तक थिएटर के साथ-साथ पढाई भी की. मेरे परिवार में सभी शिक्षित और अच्छा जॉब कर रहे है. मेरे परिवार को भी मेरा काम जरा भी पसंद नहीं था, पर मुझे अभिनय करने में मज़ा आता था. यू के मैंने चार्टेड अकाउंट का जॉब किया. वहां चार्टेड अकाउंट में पास होना एक बड़ी बात थी. कई बार फेल भी हुई, पर पढाई जारी रखी. इससे मुझे ये प्रेरणा मिली कि आप कभी भी गिवअप न करे. इसके अलावा लन्दन में मुझे मेरे हिसाब से अभिनय मिलना मुश्किल था.  

सवाल-पेरेंट्स की प्रतिक्रिया क्या थी?

पिता ने कभी किसी काम के लिए मना नहीं किया. वे लिबरल विचार के है, लेकिन मेरी माँ अभी भी नहीं मान रही है. वे अभी भी मुझे वापस आने के लिए कहती है. कई बार कहने पर पेरेंट्स ने एक साल का समय अभिनय में ट्राई करने के लिए दिया, लेकिन इससे पहले मुझे पढाई ख़त्म करनी थी, जो मैंने किया. भारत में मैंने पहले साउथ जाकर कोशिश की, क्योंकि साउथ से कई हीरोइने हिंदी फिल्मों में काम किया है, पर वहां भी एक साल में बात कुछ नहीं बनी. इसके बाद मैं मुंबई आई और यहाँ पर ‘एक आस्था ऐसी भी’ में मुख्य भूमिका के लिए ऑडिशन दिया, पायलट भी बन गया. हीरो बदलते गए, पर मैं बदली नहीं गयी. इसके साथ-साथ मैं और भी कई ऑडिशन देती रही. इस बीच मैंने देखा कि एक ‘आस्था ऐसी भी’ शो की फिर से ऑडिशन हो रहा है. मैंने फिर से उन्हें मेरी पहचान छुपाकर ऑडिशन दिया. इस तरह डेढ़ साल तक मैंने उसमें समय गवाया था, लेकिन वह शुरू नहीं हुई. मैं माँ के कहने पर वापस लन्दन चली गयी और जॉब भी करने लगी. 6 महीने के बाद उसी प्रोडक्शन हाउस के किसी ने मुझे फ़ोन कर बताया कि शो शुरू हो रहा है और आप ही मुख्य भूमिका में है. मैंने आने से मना कर दिया. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वे उस शो को वाकई कर रहे है, लेकिन प्रोडक्शन हाउस ने मेरा टिकट बुक कराया और मैं फिर से मुंबई आकर अभिनय करने लगी. 

सवाल-संघर्ष कितना रहा?

संघर्ष केवल मुंबई में ही नहीं यूके, साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी रहा. संघर्ष पूरे जीवन का रहता है. ये कभी ख़त्म नहीं होता. मुझे हमेशा से एक्टर ही बनना था. मैं गलती से यहाँ नहीं आई थी. इसके लिये मुझे परिवार से भी लड़ना पड़ा, क्योंकि मेरा सारा परिवार काफी शिक्षित और बड़े ओहदे पर काम कर रहे है. मुंबई में भी मेरा 4 से 5 साल चले गए, लेकिन आखिर में मुझे अच्छा काम मिला. इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है. अच्छी तरह हिंदी बोलना सीखा है. 

सवाल-रिजेक्शन का असर आप पर कितना रहा? 

रिजेक्शन से मन ख़राब होता है. लोग अजीब सी बातें रिजेक्शन की वजह बताते है, जैसे मेरा स्किन टोन सही नहीं है. मैं डार्क हूं, मुझे चमकाने के लिए कहते थे. तब मैं सोचती थी कि ये कोई बर्तन है, जिसे चमकाया जा सकता है. अभी चीजे थोड़ी अच्छी हो गई है, लेकिन मुझे लगता है कि अभी भी हम कोलोनियल हैंगओवर में जी रहे है, क्योंकि हमें विदेश की चीजे अधिक पसंद आती है. यहाँ सबको गोरा बनना पसंद है, लेकिन यूके में सबको टैनिंग पसंद है. वहाँ मेरे स्किन टोन को आज तक किसी ने कुछ नहीं कहा है. यहाँ पर मैंने डार्क स्किन टोन पर विज्ञापनों और टीवी इंडस्ट्री में काफी सुना है, लेकिन शिक्षा की वजह से मैं इससे निकल गई, क्योंकि मेरा बैकअप प्लान है और मेरा आत्मविश्वास भी काफी स्ट्रोंग है. 

सवाल-क्या फिल्मों और वेब सीरीज में काम करने की इच्छा है?

फिल्मों और वेब सीरीज में काम करने के लिए ही लोग बॉलीवुड में आते है और सही स्क्रिप्ट मिली तो मैं अवश्य करना चाहूंगी, लेकिन टीवी में सब लोग एक परिवार की तरह काम करते है, जो फिल्मों में नहीं होता. मैं अलग-अलग माध्यम में अनुभव के लिए काम करना चाहूंगी. मैं टीवी में काम करके बहुत खुश हूं. 

सवाल-इंटिमेट सीन्स के लिए आप कितनी सहज है?

मैं कम्फ़र्टेबल नहीं हूं. इंडियन कल्चर में पली-बड़ी हुई हूं. बिना अन्तरंग दृश्य के भी प्यार के इज़हार को दिखाया जा सकता है. मैंने कई वेब सीरीज को इसलिए छोड़ा भी है. 

सवाल-समय मिलने पर क्या करती है?

समय मिलने पर किताबे पढना, योगा करना, गाने गाना, खाना बनाना और नए-नए विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हूं. इसके अलावा ऑनलाइन चेस भी खेलती हूं.

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सवाल-क्या आपके सपनो का राजकुमार कोई है? 

मेरे सपनो का राजकुमार निखिल शर्मा है, जिनसे मेरी सगाई हो चुकी है और अगले साल शादी भी करने वाले है. 

सवाल-किसी रिश्ते को अच्छा बनाये रखने के लिए किन चीजो को ध्यान में रखना चाहिए?

रिश्तों के लिए ईमानदारी, सच्चाई, एक दूसरे को सम्मान देना आदि होने चाहिए. 

सवाल-इंडस्ट्री में आने से पहले किस बात को सोच लेना चाहिए?

इंडस्ट्री में आने से पहले ये जान लें कि आप किस लिए आना चाहते है, पैसा, फेम या लव ऑफ़ एक्टिंग. इससे सही दिशा मिलती है. अभिनय के लिए थिएटर में काम करना बहुत जरुरी है. आपका पैशन क्राफ्ट के लिए होनी चाहिए. चेहरे या बॉडी के लिए नहीं.

सवाल-डार्क कॉम्प्लेक्शन को लेकर महिलाएं बहुत परेशान रहती है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

किसी के कहने पर आप परेशान न होयें. अपनी आत्मविश्वास को बनाए रखें. खुद को अंदर से निखारे, ताकि आपका व्यक्तित्व खुल कर सामने आयें. उसका महत्व अधिक होता है. काली या गोरी रंगत का इस पर प्रभाव नहीं होता. बाहरी दिखावट से अधिक एक अच्छे इंसान का होना जरुरी है. आप जो है, उसे बनाये रखें और खुद पर गर्व महसूस करें.

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प्रतिवचन: त्याग की उम्मीद सिर्फ स्त्री से ही क्यों

Serial Story: प्रतिवचन (भाग-3)

दिल कर रहा था कि चरित्रवान बेटे की झाड़ खाने की बात मां को बता दूं. परंतु कह नहीं पाई. विवाह के वचन फिर कानों के पास आ कर चुगली करने लगे.

‘मैं अपनी सखियों के साथ या अन्य स्त्रियों के साथ बैठी हूं, आप मेरा अपमान न करें. आप दूसरी स्त्री को मां समान समझें और मुझ पर क्रोध न करें.’

सप्तक को मैं ने सदा प्रश्न करना सिखाया था. सुमित अकसर उस के सवालों से चिढ़ जाया करते थे, परंतु मैं सदा उसे प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करती थी. मेरे और सप्तक के प्रश्नोत्तर के खेल में ही मुझे मेरे जीवन के सब से बड़े सवाल का जवाब मिल गया था.

‘मम्मा, मेरा नाम सप्तक क्यों है?’

‘बेटा, सप्तक अर्थात सात सुर सा रे गा मा पा धा नी, तुम मेरे जीवनरूपी गीत के सुर हो.’

‘मां, आप गाती क्यों नहीं?’

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‘वो बेटा, कभीकभी जीवन में कुछ फैसले मानने पड़ते हैं.’

‘मम्मा, आप कोई भी बात ऐसे ही मान लेती हो. ऐसा होता आया है, इसलिए हम बात क्यों मानें? हमें पहले यह जानना चाहिए की जो हो रहा है वह क्यों हो रहा है.’

‘पापा और दादी मुझे होस्टल भेजना चाहते हैं, पर मैं नहीं चाहता, उन्हें मेरा नाम भी पसंद नहीं है. वह भी बदल देंगे शायद. मम्मा, आप दादी से बात करोगी?’

सुमित ने मुझे इस विषय में कुछ नहीं बताया था. शादी के वचन आज कानों में तेज चिल्ला रहे थे, ‘आप अपने हर निर्णय में मुझे शामिल अवश्य करें.’

परंतु मैं फिर भी जाग नहीं पाई.

‘बेटा, दादी जो कहती हैं…’

‘मैं जानता था आप से नहीं होगा. मैं दादी से बात खुद कर लूंगा.’

फिर मुंह फेर कर सप्तक तो सो गया था, परंतु 13 साल से सोई अपनी मां को जगा दिया था उस ने. मेरा 10 साल का बेटा इतना बड़ा कब हो गया, मैं जान ही न पाई. शादी के जो वचन मेरे कानों में आ कर फुसफुसाते थे, आज वे पूरी तरह से आ कर सामने खड़े हो गए थे.

कितने पुरुष निभाते हैं ये सारे वचन? शायद एक भी नहीं, उन से तो निभाने की उम्मीद तक नहीं की जाती. मेरे अब तक के जीवन में समझौता केवल मैं ने किया है, वचन केवल मैं ने निभाए हैं. सुमित को तो शायद याद भी नहीं कि उन्होंने कोई वचन भी दिया था.

वह इसलिए क्योंकि पुरुष बड़ी चतुराई से इन वचनों को भूल जाता है परंतु स्त्री को ये वचन भूलने ही नहीं दिए जाते. अपने सासससुर की सेवा न करने पर क्या किसी दामाद को कभी कठघरे में खड़ा करता है यह समाज? उस की लाख बुराइयों को भी छिपा लिया जाता है. परंतु एक बहू जब ऐसा करती है तो बिना कारण जाने उसे अनगिनत गलत संबोधनों से नवाजा जाता है. तानेउलाहने सुन कर भी जो चुप रहे उसी स्त्री को अच्छी बहू का मैडल मिलता है. कभीकभी तो वह भी नहीं मिलता.

उस दिन समझ पाई थी मैं, शादी के इन वचनों को बनाया ही इसलिए गया था ताकि स्त्रियों को पुरुषों के ऊपर निर्भर रखा जा सके. यह पूरी प्रथा ही पितृसत्तात्मक सोच के अहं को संतुष्ट करने के लिए बनाई गई थी. स्त्री को अपने सुखों के लिए किसी पर निर्भर क्यों रहना पड़ता है?

पंडितों ने अपनी तथा पुरुष संप्रभुता को बनाए रखने के लिए ये सारे नियमकानून बनाए थे.

मैं अपने बेटे को पुरुष होने का दंभ भरते हुए नहीं देख सकती थी. मैं उसे इस सोच के साथ बड़ा होता नहीं देख सकती कि हर स्त्री को अपनी रक्षा अथवा अपने फैसले लेने के लिए पुरुष की आवश्यकता होती है. अपने लिए तो फैसला अब मैं खुद लूंगी.

अगले दिन सुबह ही मैं ने सुमित को बता दिया था कि मैं ने नोएडा में रहने का निर्णय लिया है. घर में तूफान आ गया था. सबकुछ बहुत कठिन था, परंतु मेरे ससुर, देवर और छोटी ननद इस बार चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े थे. अगर वे साथ न भी होते तो भी मैं पीछे हटने वाली नहीं थी.

मेरी सास ने मुझे इस के लिए कभी भी माफ नहीं किया था. परंतु पिछले 15 सालों से भी तो वे मुझे अकारण ही सजा दे रही थीं.

जया की शादी के अगले ही दिन हम नोएडा आ गए थे. सुमित का असहयोग आंदोलन यहां आ कर भी जारी था. मांबेटे की जुगलबंदी मुझे परेशान करने के तरीके निकालती रहती थी.

मैं ने कुछ दिनों बाद ही एक स्कूल में संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी. धीरेधीरे सुमित भी समझने लगे थे कि अब मेरा पीछे लौटना नामुमकिन था.

समय अपनी रफ्तार से बढ़ता रहा. सप्तक जब फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने कनाडा गया, तो उसी दौरान मैं ने अपने संगीत स्कूल की नींव डाली थी.

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सप्तक ने जब अलीना से विवाह का निर्णय लिया तब भी सारे परिवार के विरुद्ध खड़े हो कर मैं ने अपने बेटे के सही कदम का साथ दिया था. अलीना एक ईसाई परिवार की लड़की थी परंतु मेरे लिए यह बात कोई माने नहीं रखती थी.

धर्मजाति पर पता नहीं क्यों लोग इतना घमंड करते हैं. आप कहां पैदा होंगे, इस पर आप का क्या अधिकार? इसलिए कोई उच्च और कोई नीच कैसे हो सकता है?

सप्तक ने कोर्टमैरिज करने का निर्णय लिया था. इन झूठे कर्मकांडों और व्यर्थ के आडंबरों से मेरा भरोसा भी उठ चुका था. सुमित को भी सप्तक ने अपनी दलीलों से चुप करा दिया था. शादी के बाद हम ने एक छोटी सी पार्टी दे दी थी.

जब सारी उम्र मैं ने सप्तक को सही का साथ देना सिखाया, फिर आज जब वह अलीना का साथ दे रहा है तो मुझे बुरा क्यों लगा? हर प्रश्न का सही प्रतिवचन दिया था उस ने. मैं भी जानती थी कि अलीना और सप्तक  सही हैं.

क्या अपने बेटे को मुझे अलीना के साथ बांटना असहनीय लग रहा है? क्या मुझे उस का अलीना को सही और मुझे गलत कहना तकलीफ दे रहा है?

नहीं, शायद अपनी कल्पना को यथार्थरूप में देख कर मैं अभिभूत हो गई हूं. सप्तक मेरी कल्पना का ही तो मूर्तरूप है.

‘‘मम्मा, अंदर आ सकता हूं.’’

सप्तक की आवाज मुझे वर्तमान में खींच लाई थी.

‘‘हां बेटा, आ जाओ, अंदर आ जाओ.’’

‘‘आप मुझ से नाराज हैं न मां?’’

‘‘क्यों, क्या तुम ने कुछ गलत किया है?’’

‘‘नहीं, पर वो आज…’’

‘‘जो सत्य है वह अप्रिय हो सकता है परंतु वह गलत नहीं हो सकता. यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो उस के गलत को भी सही कहने के लिए बाध्य नहीं हैं. इसलिए मैं तुम से नाराज

नहीं हूं बल्कि आज मुझे तुम पर गर्व हो रहा है.

‘‘मैं जैसे पुरुष की कल्पना किया करती थी, तुम ने उसे साकार कर के मेरे सामने खड़ा कर दिया है. मेरा बेटा एक ऐसा पुरुष है जो अपने पुरुष होने को मैडल की तरह नहीं पहनता.

‘‘जिस प्रकार वह सिर झुका कर अपनी मां का आदर करता है उसी प्रकार अपनी मां द्वारा लिए गए गलत निर्णय का विरोध भी करता है.’’

‘‘यह सब क्या कह रही हो तुम, मधु? क्या तुम्हें सप्तक की बात बिलकुल बुरी नहीं लगी?’’

‘‘सुमित, इस में बुरा लगने जैसा क्या है? मेरा बेटा किसी भी प्रश्न का प्रतिवचन देने से न स्वयं डरता है और न अपनी साथी, अपनी पत्नी को रोकता है.’’

‘‘हां, सही कह रही हो,’’ इतना कह कर सुमित चुप हो गए थे.

‘‘तो इस का मतलब है मैं ट्रेकिंग पर जा रही हूं,’’ अलीना भी मेरे कमरे में आ गई थी.

‘‘ट्रेकिंग पर बाद में जाना है, अभी तुम दोनों सोने जाओ. मुझे भी नींद आ रही है.’’

‘‘मम्मापापा, चलिए पहले आइसक्रीम पार्टी करते हैं,’’ सप्तक ने हंसते हुए कहा, ‘‘चलो, सब चलते हैं.’’

‘‘मैं फ्रिज से आइसक्रीम निकालती हूं, सप्तक तुम कोई अच्छी सी मूवी लगा लो,’’ यह कह कर अलीना चली गई.

हम सब भी उस के पीछे कमरे से निकल ही रहे थे कि अचानक सुमित मेरी तरफ मुड़ कर बोले, ‘‘वैसे तुम लिख क्या रही थी, मधु?’’

‘‘कुछ नहीं, एक समाज की कल्पना कर रही थी.’’

‘‘कैसे समाज की, मम्मा?’’

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‘मैं तो बस, एक ऐसे समाज की कल्पना करती हूं जहां-

‘‘पुत्रजन्म पर अभिमान न हो

‘‘पुत्री का कहीं दान न हो

‘‘मानवता के धर्म का हो नमन

‘‘सत्यकथन पर न लगे ग्रहण

‘‘रिश्ते निभें बिना लिए वचन

‘‘हर प्रश्न को मिले प्रतिवचन.’’

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