REVIEW: दिल को छू लेने वाली खूबसूरत कथा ‘दरबान’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः बिपिन नाडकर्णी और योगेश  बेल्डर

निर्देशकः बिपिन नाडकर्णी

कलाकारः शारिब हाशमी, शरद केलकर,  हर्ष छाया, रसिका दुग्गल, फ्लोरा सैनी, सुनीता सेन गुप्ता व अन्य.

अवधिः एक घंटा 28 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

रवींद्र नाथ टैगोर की एक लघु कहानी पर 1960 में बंगला फिल्म ‘‘खोकाबाबू प्रत्यावर्तन’’बनी थी, उसी पर मराठी भाषी फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके फिल्मकार बिपिन नाडकर्णी हिंदी फिल्म ‘‘दरबान’’लेकर आए हैं, जिसमें कई मनोवैज्ञानिक व समाजशास्त्रीय सवाल अनुत्तरित रह गए हैं. पर रिश्तों के भावनात्मक पक्ष के साथ नौकर आखिर सेवा करने के लिए बना होता है, इस बात को रेखांकित करने वाली कहानी बनकर रह गयी है. यह कहानी उस इंसान की है, जो कि  रिश्तों के लिए अपनी भावनाओं का त्याग करता है.

ये भी पढ़ें- इंटिमेट सीन्स करना आसान नहीं होता – अंशुल चौहान

कहानीः

कहानी 1971 में शुरू होती हैं और कहानी के केंद्र में रायचरण उर्फ रायचू हैं. जब रायचरण बारह वर्ष के थे, तभी उनकी शादी हो गयी थी और उन्हे शहर में कोयले की खदान के मालिक नरेन त्रिपाठी(हर्ष छाया) ने अपने घर पर नौकर की नौकरी दे दी थी. नरेन त्रिपाठी व सुषमा(सुनीता सेन गुप्ता) के बेटे अनुकूल की चडढी बदलने से लेकर उसके साथ खेलना व उसकी परवरिश करना रायचरण का काम था. नरेन व सुषमा ने रायचरण को कभी भी नौकर नहीं समझा और रायचरण( शारिब हाशमी) ने कभी भी नरेन को मालिक नही समझा. मगर अचानक सरकार ने कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण कर उन्हे अपने अधिकार में ले लिया, तब नरेन ने सभी नौकरों को निकाल दिया. अपनी हवेली बेच दी और कहीं छोटी जगह रहने चले गए. रायचरण अपने गॉंव अपनी पत्नी भूरी(रसिका दुग्गल)के पास आ गए और खेती करने लगा. बीस साल का वक्त बीत जाता है. पर रायचरण पिता नही बन पाते हैं. उधर अनुकूल(शरद केलकर) बड़े होकर पुलिस अफसर बन चुके हैं. उनकी रूचा से शादी हो चुकी है. अनुकूल के पिता की मौत हो चुकी है. पर मां सुषमा है और अनुकूल ने अपने पिता की हवेली को फिर से खरीद लिया है. एक दिन अनुकूल, रायचरण के गॉव पहुंचकर उसे पुनः हवेली बुला लाते हैं और अब रायचरण, अनुकूल के बेटे सिद्धांत उर्फ सिद्धू की देखभाल करने लगते हैं. सिद्धू,  रायचरण को चन्ना बुलाता है. अनुकूल को रायचरण पर पर अटूट विश्वास है, मगर रूचा(फ्लोरा सैनी) को नहीं है. एक दिन जब घर पर मेहमान आते हैं, तो रायचरण, सिद्धू को घुमाने नदी किनारे के गार्डेन मंे ले जाते हैं, जहां सिद्धू गायब हो जाता है. बारिश भी शुरू हो जाती है. रायचरण अपनी तरफ से उसे ढूढ़ते हैं, पर नहीं मिलता. पुलिस प्रशासन भी सिद्धू को तलाशने में नाकाम होता है. रूचा, रायचरण पर सिद्धू को चुराने का आरोप लगाती है. पुलिस रायचरण को पकड़कर ले जाने लगती है, पर अनुकूल कहते हंै कि इसे छोड़ दो. उसके बाद रायचरण पुनः अपने गॉंव आ जाते हैं. पर अब किसी से मोह नहीं रहा. वह खेती करने के अलावा खुद को व्यस्त रखने के लिए नौकरी भी करने लगते हैं. दो वर्ष बीत जाते हैं. उसके बाद रायचरण की पत्नी भूरी एक बेटे को जन्म देकर मर जाती हैं. रायचरण अपने बेटे की तरफ ध्यान नहीं देता. रायचरण की बहन ही उसकी देखभाल करती है. एक दिन रायचरण का बेटा उन्हे चन्ना कहकर बुलाता है, तो रायचरण को लगता है कि सिद्धू वापस आ गया और वह उसे सिद्धू उर्फ छोटे बाबा कहकर परवरिश करते हैं. उसे अंग्रजी माध्यम में पढ़ने भेजते है. दस साल बीत जाते हैं. एक दिन नरेन का पुराना ड्रायवर शिवदयाल मिल जाता है. वह कहता है कि रायचरण का बेटा उसका नही बल्कि अनुकूल का है, जिसे उसने चुरा लिया है. तब अपने खेत बेचकर रातो रात बेटे सिद्धू के साथ रायचरण गंगटोक पहुंच जाते हैं. वहां एक दिन स्कूल के प्रिंसिपल रायचरण को बुलाकर बताते हैं कि उनका बेटा पढ़ने में बहुत तेज है और अब उसे सोचना चाहिए कि उसे पढ़ने के लिए अमरीका, इंग्लैड या कहां भेजे?  प्रिंसिपल की बात सुनकर घर की तरफ जा रहे रायचरण सोच में पड़ जाते हैं कि इस स्कूल की फीस तो वह बामुश्किल दे पा रहे हैं, ऐसे मंे वह सिद्धू को अमरीका पढ़ने कैसे भेज सकते हैं. तभी फिर से शिवदयाल मिल जाते हैं और वह सड़क पर सिद्धू व अन्य लोगों के सामने रायचरण पर चोरी का आरोप लगाते हैं. भीड़ के सामने रायचरण रोते हुए कहते हैं कि वह चोर नहीं है, सिद्धू उनका अपना बेटा है. पर रात में वह एक निर्णय लेकर अनुकूल व रूचा को सिद्धू सौंप कर खुद को चोर बता देते हैं. अनुकूल उसे रूकने के लिए नहीं कहते. रायचरण वापस बनारस जाकर एक अनाथाश्रम में दरबान की नौकरी करने लगते हैं.

लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार ने इस बात को बड़ी शिद्दत से उकेरा है कि सेवा और सेवाभक्ति कभी नही बदलती. मगर फिल्मकार ने इसमें इस मनोवैज्ञानिक पहलू पर ध्यान नही दिया कि आखिर रायचरण क्यों नौकर बनने दुबारा आते है. जबकि उसके पास गांव में अच्छी खेती है और नौकरी भी कर रहे हैं. इतना ही नही उसे पैसों की खास जरुरत भी नही है. फिल्म के कई दृश्य ऐसे है जो कि दर्शक की आंखें गीली कर देते हैं. फिल्मकार चाहते तो रायचरण का किरदार सामंती व्यवस्था के लिए अपनी वफादारी को लेकर सवाल उठा सकता थे और कहानी ज्यादा रोचक हो सकती थी, पर रायचरण तीन पीढ़ियों तक ऐसे ही चिपके रहते हैं. फिल्मकार ने रवींद्र नाथ टैगोर की अतिशयोक्तिपूर्ण निष्ठा, पहचान, मान मनोविज्ञान का रायचरण के किरदार के साथ चित्रित करने का सफल प्रयास किया है. और इस किरदार में शारिब हाशमी का चयन कर वह आधे से ज्यादा लड़ाई पहले ही जीत लेते हैं. नरेन व उनके परिवार की सेवा के चलते रायचरण जिस तरह अपनी पत्नी की उपेक्षा करते हैं, उस पक्ष को इस फिल्म में जगह नहीं दी गयी है. फिल्मकार ने नरेन व रायचरण के बीच के संबंधो को परदे पर चित्रित करने की बनिस्बत सूत्रधार अन्नू कपूर से शब्दों में कहला दिया है. यह लेखक व निर्देशक दोनों की कमजोरी है. फिर भी बिपिन नाडकर्णी की स्वाभाविक निर्देशकीय शैली अच्छी है.  लेखन की कमजोरी के चलते इसमें वह गहराई नही आ पायी, जो आनी चाहिए थी.

कैमरामैन अमलेंदु चैधरी की तारीफ करनी पड़ेगी. उन्होने झरिया,  झारखंड और गंगटोक,  सिक्किम के कुछ दृश्य कैमरे के माध्यम से काफी बेहतर पकड़े हैं.

ये भी पढ़ें- BBB 3: शहनाज गिल को छोड़ इस एक्ट्रेस के साथ रोमांस करेंगे सिद्धार्थ शुक्ला

अभिनयः

‘एक घरेलू नौकर के किरदार में शारिब हाशमी का अभिनय दिल को छू लेने वाला है. उन्होने रायचू की भावभंगिमआों को बहुत सटीक अपने अभिनय से उतारा है. अनुकूल के बेटे के खो जाने के बाद अनुकूल और खासकर उनकी पत्नी रूचा का व्यवहार रायचरण की मानसिक स्थिति  को प्रभावित करती है, उसका जीवंत चित्रण शारिब हाशमी ने अपने अभिनय से किया है. ‘किस्सा’, ‘मंटो’ और ‘मिर्जापुर’में अपने अभिनय से लोगों के दिलों मे जगह बना चुकी रसिका दुग्गल ने भूरी के छोटे से किरदार में जान डाल दी है. लोगों को उनका अभिनय याद रह जाता है. शरद केलकर और हर्ष छाया की प्रतिभा कोजाया किया गया है. दोनों बाल कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है, यह दोनों बाल कलाकार बधाई के पात्र हैं.

इंटिमेट सीन्स करना आसान नहीं होता – अंशुल चौहान

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाली अभिनेत्री अंशुल चौहान ने फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ में सपोर्टिंग रोल से हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखा. फिल्मों के अलावा उन्होंने मॉडलिंग और वेब सीरीज में भी काम किया है. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख अंशुल के परिवार उत्तर प्रदेश के नॉएडा में रहती हैं. उनके पिता विरेंदर चौहान व्यवसायी और मां गृहणी है. अंशुल के यहां तक पहुंचने में उसके माता-पिता का काफी सहयोग रहा है. ऑल्ट बालाजी की वेब शो ‘बिच्छू का खेल’ जी5 पर रिलीज हो चुकी है, जिसमें अंशुल ने मुख्य भूमिका निभाई है. उनके काम को काफी सराहना मिल रही है. आइये जाने क्या कहती हैं, अंशुल अपने बारें में.

सवाल-इस वेब शो को करने की खास वजह क्या रही?

इसे करने की वजह यह है कि अभी तक मैंने सस्पेंस और थ्रिलर वाली फिल्म नहीं की थी. इसमें फुल ड्रामा और मनोरंजन है. साथ ही मेरी भूमिका भी बहुत चैलेंजिंग रही. 

सवाल-किसी भाग को करने में मुश्किलें आई?

इस शो का हर भाग बहुत कठिन था, क्योंकि ये चरित्र बहुत स्ट्रोंग और अपफ्रंट तरीके का है और मुझे जीवन में चुनौतीपूर्ण काम करना पसंद है. तभी आप ग्रो कर सकते है. निर्देशक आशीष राज शुक्ला ने मुझे अभिनय में बहुत हेल्प किया. 

सवाल-इस चरित्र ने आप खुद को कितना जोड़ पाती है?

बिल्कुल भी नहीं जोड़ पाती, क्योंकि रश्मि चौबे इस शो में जिस तरह से जोश में अपना काम कर लेती है, रियल लाइफ में अंशुल ऐसा किसी काम को वायलेंट तरीके से नहीं कर सकती. आराम से और किसी का नुकसान किये बिना मैं अपना काम निकाल लेती हूं. 

सवाल-एक्टिंग में आने की प्रेरणा किससे मिली? पहला ब्रेक कब मिला?

मैंने शुरुआत दिल्ली के एक कॉलेज के थिएटर से किया. पढाई और थिएटर दोनों करते-करते मुझे अहसास हुआ कि मुझे क्रिएटिव चीजे आकर्षित करती है और मैं सहजता से कर सकती हूं. फिर मैंने अभिनय के क्षेत्र में जाने की योजना बनाई और मैं मुंबई पहुंची और पहला ब्रेक मुझे टीवी कमर्शियल से मिला, इसके बाद शुभ मंगल सावधान में काम करने का मौका मिला. साथ ही वेब सीरीज में काम मिलता गया और मैं यहाँ स्टाब्लिश हो गई.

मुंबई आने पर पहला काम मिलने में समय लगा, क्योंकि मैं इस शहर को जानती नहीं थी. इसके अलावा थिएटर के कुछ लोगों से परिचय हुआ और उन्होंने ऑडिशन की बात बताई. फिर ऐड मिले, ऐसे ही काम से काम मिलता गया.

सवाल-आउटसाइडर होने के नाते काम मिलने में परेशानी आई?

कई बार समस्या आई, क्योंकि मैं इस क्षेत्र से अनजान थी. मेरे परिवार में कोई भी इंडस्ट्री से नहीं है, जो मुझे कुछ गाइड कर सकें. अभिनय का मौका मिलता है , अगर आप प्रतिभावान है. काम मिलने में समय लगता है,क्योंकि इंडस्ट्री के बारें में पता करने में भी समय लग जाता है.

सवाल-पहली बार पेरेंट्स को अभिनय की इच्छा के बारें में कहने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

पहले तो उन्होंने मना किया, क्योंकि मेरा परिवार कंजरवेटिव है. आज तक किसी ने इस क्षेत्र में काम नहीं किया है. मुझे दिल्ली की बेस्ट कॉलेज में दाखिला ऑडिशन के द्वारा एक्स्ट्रा करिकुलर के कोटे में मिला था. इससे पैरेंट्स को अच्छा लगा, क्योंकि एक्टिंग के बल पर मुझे कॉलेज मिली.इससे वे सहज होते गए. धीरे-धीरे उन्होंने मुझे मुंबई के लिए भी एक साल का समय दिया. इस दौरान काम मिलते गए और वे भी खुश होते गए.

सवाल-क्या आपने टीवी पर काम करने की कोशिश नहीं की?

मैंने कभी कोशिश नहीं की, क्योंकि मुझे लगता है कि टीवी पर एक चरित्र को काफी समय तक करना पड़ता है, जबकि फिल्म और वेब शो में अलग-अलग चरित्र को जीते है.

सवाल-रिजेक्शन का सामना कैसे करती है?

एक बार मुझे एक बड़ी फिल्म में लीड मिलने वाली थी. मैं बहुत खुश थी, मेरी नींदे उड़ गई थी, लेकिन कुछ कारणों से वह नहीं मिली. मैं स्ट्रेस ईटर हूं, मैंने बहुत खाना खाया. फिर मैं घर चली गई थी. एक महीने में मैं उस स्ट्रेस से निकली. इससे मुझे सीख भी मिली, क्योंकि यहाँ कुछ भी हो सकता है. इसलिए अधिक आशावादी होना ठीक नहीं. काम करते रहना चाहिए. 

सवाल-फिल्मों और वेब शो में इंटिमेट सीन्स बहुत होते है, उसे करने में आप कितनी सहज होती है?

ये स्क्रिप्ट्स पर निर्भर करता है. सब ओटीटी पर ऐसी सीन्स का होना जरुरी नहीं. इंटिमेट सीन्स करना आसान नहीं होता. अभी तक मैंने किया नहीं है. आगे बता नहीं सकती. 

सवाल-किस तरीके की फिल्मों में आगे काम करने की इच्छा रखती है?

मुझे फेंटासी और बहुत सारी एक्शन वाली फिल्म करना पसंद है. टॉम क्रूज़ सभी एक्शन को खुद करते है, जो बहुत ही अच्छे स्तर का होता है. मैं पिछले फिल्म से अगला बेहतर करने की कोशिश करती हूं. 

सवाल-किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

एक फेस बुक एड मैंने किया था. उससे मेरी जिंदगी काफी बदली है. इसे देखकर इंडस्ट्री के लोगों ने बहुत तारीफे की, जो बहुत अच्छा लगा. 

सवाल-मुंबई की कौन सी बात आपको पसंद है?

मुंबई की हर बात अच्छी है, लेकिन सबसे बड़ी चीज है, मुंबई में रहकर खुद को एमपावर्ड महसूस करना. यहाँ डरने की कोई बात नहीं होती, जबकि नार्थ इण्डिया में ये डर हमेशा बना रहता है. कपडे कुछ भी पहने कोई आपको कुछ नहीं कहता. 

सवाल-आप कितनी फैशनेबल है?कितनी फूडी है?

मुझे फैशन खूब पसंद है, जिसमें मुझे स्ट्रीट साइड फैशन अधिक अच्छा लगता है.

मुझे खाने में मीठा बहुत पसंद है. अभी आलू की कोई भी डिश मुझे पसंद आ रही है. लॉक डाउन में मैंने गुलाब जामुन, केक, बर्गर, गोलगप्पे आदि कई चीजे बनाई है. 

सवाल-आउटसाइडर नए कलाकारों को क्या कहना चाहती है?

सबकी जर्नी अलग होती है. अपनी लाइफ को एन्जॉय करें, लेकिन थोड़ी दूरदर्शिता भी रखें. अनुशाषित और योजनाबद्ध तरीके से रहने पर काम मिलने में आसानी होती है.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है? 

आज के लोग धीरज खोते जा रहे है, जो ठीक नहीं.  सबको प्यार देने की कोशिश करने की जरुरत है, ताकि गुस्से का प्रभाव कम हो. इसके अलावा घर पर रहकर खुद को कोरोना संक्रमण से बचाए.

 

प्रैग्नेंसी में किन बातों का रखें ध्यान

प्रैग्नेंट होना किसी भी महिला के जीवन में सबसे सुखद क्षणों में से एक होता है, क्योंकि वह अब अपने अंदर एक और धड़कन को महसूस करती है. आने वाले मेहमान को लेकर सपने संजोती है. अगर आप अपने परिवार की प्लानिंग करने जा रही है तो ये सुनि‍श्चिैत कर लेना बहुत जरूरी है कि मां बनने के लिए आप शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार है या नही.

क्योंकि प्रैग्नेंसी किसी भी महिला के लिए अनमोल पल होता है. इस दौरान प्रैग्नेंट महिलाओं को सभी से तरह-तरह की सलाह भी मिलती रहती हैं, जैसे ये मत खाओ, वो मत खाओ, यहां मत जाओ, ऐसे में मत उठो और पता नहीं क्या-क्या. वैसे राय देना गलत नहीं है, लेकिन कई बार अलग-अलग राय के चक्कर में प्रैग्नेंट महिला उलझन में आ जाती हैं. खासतौर से वो महिलाएं, जो पहली बार मां बनने जा रही हैं.
लेकिन कुछ बातों की जानकारी एक प्रैग्नेंट महिला को भी पता होनी चाहिए ताकि किसी के ना होने पर वह अपना सही से ध्यान रख सके और उसका सही से पालन कर सके नही तो आप सुखद क्षण को आप परेशानी में भी बदल सकती है. इसलिए इस लेख में जानिए कि प्रैग्नेंसी में क्या करना चाहिए क्या नही, साथ ही अपने आहार में किन चीजों को सम्मलित करना चाहिए और किन चीजों को नही.

प्रैग्नेंट होने पर क्या ना करें-

प्रैग्नेंट महिलाओं को कुछ उठते बैठते चलते फिरते वक्त बहुत चीजों का ध्यान रखना पड़ता है.

प्रैग्नेंसी में ज्यादा ना झुकें –

प्रैग्नेंसी के दौरान ज्यादा न झुकें क्योंकि यह गर्भ में पल रहें शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है.
इसके लिए चाहे आपकी पहली, दूसरी या तीसरी तिमाही ही क्यों ना हो आप ध्यान रखें कि आप ज्यादा न झुकें. ऐसा करने से गर्भपात, वक्त से पहले प्रसव या फिर गर्भ में पल रहे शिशु को हानि पहुंच सकती है. अगर आप झुक भी रही हैं, तो झटके से न झुके.

ये भी पढ़ें- हैल्थ के लिए फायदेमंद है नैचुरल स्वीटनर

प्रैग्नेंसी ने ज्यादा देर तक खड़ी ना रहे –

प्रैग्नेंसी के दौरान ज्यादा देर तक या एक ही स्थिति में खड़े न रहें, ऐसा करने से परेशानी हो सकती है. क्योंकि ऐसा करने से आपके पैरों में सूजन आ सकती है.
साथ ही ज्यादा देर तक खड़े रहने से प्रैग्नेंसी में समस्या, वक्त से पहले प्रसव या फिर गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो सकती है.

भारी चीजें न उठाएं – प्रैग्नेंसी के दौरान भारी चीजें उठाने से जितना हो सके उतना बचें. क्योंकि प्रैग्नेंसी के दौरान भारी चीजों को उठाने से गर्भपात का खतरा हो सकता है.

प्रैग्नेंसी में अपने आहार में किन चीजों को शामिल करें.

लगभग हर प्रैग्नेंट महिला यही चाहती है कि जन्म के समय उसका बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त हो. इसलिए प्रैग्नेंट महिलाएं अपने आहार में कई तरह के नई चीजों को शामिल करती हैं. इस लेख में हम प्रैग्नेंसी के दौरान खान-पान के संबंध में जानकारी दे रहे हैं.

डेयरी उत्पादों का सेवन करें-

शिशु के विकास के लिए ज्यादा मात्रा में प्रोटीन और कैल्शियम की जरूरत होगी. एक प्रैग्नेंट महिला के शरीर को रोजाना 1,000mg कैल्शियम की जरूरत होती है इसलिए, आप अपने खान-पान में डेयरी उत्पादों को जरूर शामिल करें. इसके लिए आप डाइट में दही, छाछ व दूध आदि जैसे डेयरी उत्पाद को शामिल करें.
क्योंकि यह प्रैग्नेंट महिला और गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए फायदेमंद होते हैं. साथ ही यह ध्यान रखें कि आप सिर्फ पॉश्चरीकृत डेयरी उत्पादों का ही इस्तेमाल करें.

ब्रोकली और हरी पत्तेदार सब्जियां का सेवन करें-

प्रैग्नेंट महिलाओं को अपने खान-पान में हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर शामिल करनी चाहिए. इसलिए आप अपने डाइट में पालक, पत्तागोभी, ब्रोकली (एक प्रकार की गोभी), आदि सब्जियां जरूर खाएं. पालक में मौजूद आयरन प्रैग्नेंसी के दौरान खून की कमी को दूर करता है.

सूखे मेवों का सेवन करें-

प्रैग्नेंसी में सूखे मेवों को भी अपने खान-पान में जरूर शामिल करें.
क्योंकि मेवों में उपस्थित कई तरह के विटामिन, कैलोरी, फाइबर व ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि पाए जाते है जो प्रैग्नेंसी अवस्था के लिए अच्छे होते हैं.
अगर आपको एलर्जी नहीं है, तो अपने खान-पान में काजू, बादाम व अखरोट आदि को शामिल करें.
अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. इसके अलावा, बादाम और काजू भी प्रैग्नेंसी में फायदा पहुंचा सकते हैं. अगर आपको एलर्जी हो तो काजू बादाम व अखरोट ना खाएं.

साबूत अनाज का सेवन करें-

प्रैग्नेंसी के दौरान साबूत अनाज को अपने आहार में जरूर शामिल करें. खासतौर के तब जब आप प्रैग्नेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में ही क्योंकि की इस दौरान साबूत अनाजों का सेवन फायदेमंद होता है. इससे आपको भरपूर कैलोरी मिलती है, जो गर्भ में शिशु के विकास में मदद करती है. आप साबूत अनाज के तौर पर ओट्स, किनोआ व भूरे चावल आदि को अपने आहार में शामिल कर सकती हैं. इन अनाजों में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. इसके अलावा, इनमें फाइबर, विटामिन-बी और मैग्नीशियम भी मौजूद होता है, जो प्रैग्नेंसी में फायदा पहुँचतें है.

फलों के जूस और फल का सेवन करें-

प्रैग्नेंसी में महिला को तरह-तरह के मौसमी फलखाने चाहिए. हो सके तो उन्हें संतरा, तरबूज व नाशपाती आदि जैसे फलों को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए. इसके अलावा आप इन फलों का जूस भी पी सकती हैं.
दरअसल एक प्रैग्नेंट महिला को अलग-अलग तरह के चार रंगों के फल खाने की सलाह दी जाती है .
वसा और कैलोरी में उच्च खाद्य पदार्थों की जगह रोज फल व सब्जियों के कम से कम पांच हिस्से खाएं. साथ ही पैकेड फ्रूट जूस का सेवन बिल्कुल ना करें.

प्रैग्नेंसी में हमें अपने आहार में क्या शामिल नही करना चाहिए.

कई सारी ऐसी चीजें हैं, जिनका सेवन प्रैग्नेंट महिलाओं को कतई नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसी चीजों को खाने से प्रैग्नेंट महिलाओं को नुकसान हो सकता इसलिए इन चीजों से परहेज करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- शादी के बाद हाय मोटापा

कच्चे अंडे का सेवन ना करें-

प्रैग्नेंट महिलाओं को कभी भी अधपके व कच्चे अंडे का सेवन नही करना चाहिए क्योंकि इससे सालमोनेला संक्रमण का खतरा हो सकता है. इस संक्रमण से प्रैग्नेंट महिला को उल्टी और दस्त की समस्या उत्तपन्न हो सकती है.

शराब व धूम्रपान के सेवन से बनाएं दूरी-

स्वास्थ्य के लिए नशीली चीजों का सेवन हानिकारक होता है.
खास कर प्रैग्नेंट महिलाओं को नशीली चीजों से दूरी बना कर रखना चाहिए. प्रैग्नेंट महिलाओं को शराब व धूम्रपान नहीं करना चाहिए दरअसल इसका प्रभाव सीधे गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है.
शराब व धूम्रपान के सेवन से भ्रूण के दिमागी और शारीरिक विकास में बाधा आती है, साथ ही गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

कैफीनयुक्त चीजों का सेवन न करें-

प्रैग्नेंसी में चाय, कॉफी और चॉकलेट जैसी चीजों में कैफीन पाया जाता है, इसलिए इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए साथ ही डॉक्टर भी बहुत कम मात्रा में कैफीन लेने की सलाह देते हैं.
क्योंकि ज्यादा मात्रा में कैफीन लेने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है तथा जन्म के समय शिशु का वजन भी कम रह सकता है. हालांकि, प्रैग्नेंसी के दौरान रोजाना 200 मिलिग्राम तक कैफीन के सेवन को सुरक्षित माना जाता है पर इससे ज्यादा मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

उच्च स्तर के पारे वाली मछली व कच्चे मांस का सेवन ना करें-

प्रैग्नेंसी में मछली खाना फायदेमंद होता है, लेकिन प्रैग्नेंट महिलाओं को ऐसी मछलियों को खाने से बचना चाहिए, जिन मछलियों के शरीर में पारे का स्तर अधिक होता है. जैसे कि स्पेनिश मेकरल, मार्लिन या शार्क, किंग मकरल और टिलेफिश जैसी मछलियों में पारे का स्तर ज्यादा होता है, इसलिए मछलियों को सेवन से भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है. कच्चे मांस के सेवन करने से टॉक्सोपलॉस्मोसिस से संक्रमित कर हो सकती है. जिससे कि गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए कभी भी कच्चे मांस का सेवन ना करें अच्छे से पका कर मांस को खाये.

प्रैग्नेंसी में कच्चा पपीता व कच्ची अंकुरित चीजों का सेवन नही करना चाहिए-

प्रैग्नेंसी में कच्चा पपीता खाना असुरक्षित होता है. कच्चे पपीते में ऐसा केमिकल पाया गया है, जिससे कि भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, प्रैग्नेंसी में कच्चा पपीता खाने से बचें.
साथ ही कच्ची अंकुरित दालों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है. इसके कारण प्रैग्नेंट महिला को उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है.

क्रीम दूध से बनी पनीर का सेवन ना करें-

प्रैग्नेंट महिला को क्रीम दूध से बनी हुई पनीर का सेवन नही करना चाहिए.
दरअसल इस तरह के पनीर को बनाने में पॉश्चरीकृत दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, क्रीम दूध में लिस्टेरिया नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है. इस बैक्टीरिया की वजह से गर्भपात व समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है.

ये भी पढ़ें- क्या आप जानते हैं नीबू के ये 12 फायदे

बिना धुली हुई सब्जियां और फलों के सेवन से बचना चाहिए-

प्रैग्नेंट महिलाओं की किसी भी फल और सब्जी को खाने से पहले उसे अच्छी तरह धोना चाहिए क्योंकि बिना धुली हुई सब्जी और फल में टॉक्सोप्लाज्मा नाम का बैक्टीरिया मौजूद होता है, जिससे शिशु के विकास में बाधा आ सकती.

सफलता के लिए जरुरी है दृढ़ संकल्पी होना

इस दुनिया में अनेको  ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के बल पर मनचाही सफलता प्राप्त  की है . बिना विचलित हुए दृढ़ संकल्प और कर्म कर अनगिनत लोगों ने आश्चर्यजनक सुपरिणाम हासिल किये हैं. किसी परेशानी, मुसीबत और बाधा से उनके कदम रुके नहीं. वे अपने संकल्प को ध्यान में रख जुटे रहे और सफल हुए. सफल होने वाले व्यक्ति किसी और ग्रह के वासी या हाड़-मांस के अलावा किसी और चीज के बने नहीं होते.

वे सिर्फ यह जानते थे कि दृढ़ संकल्प के बल पर ही अपना लक्ष्य पाप्त किया जा सकता हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि केवल दृढ़ संकल्प से काम चलने वाला नहीं है. लक्ष्य पाप्ति के लिए निराशा से मुक्ति पाकर हर अनुकूल-पतिकूल स्थिति में अपना उत्साह बनाए रखना, समय का एक पल भी नष्ट न करना, परिश्रम से न घबराना, धैर्य बनाए रखना, समुचित कार्ययोजना बनाकर अमल में लाना आदि पर ध्यान केन्दित करना आवश्यक है.यदि आप किसी व्यक्ति की सफलता का रहस्य पूछें तो वह यही बताएगा कि उसने “ान लिया था कि वह ऐसा कर के या बन के रहेगा, चाहे कुछ भी हो जाए और इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े. दुनिया की कोई शक्ति उसे विचलित नहीं कर सकती. किसी व्यक्ति को हो सकता है सफलता आसानी से या संयोगवश मिल गयी हो. ऐसा अपवाद स्वरूप ही हो सकता है. इस पकार के किसी संयोग का इन्तजार में भाग्य के भरोसे  सफलता पाने की सोचना मूर्खता के सिवा कुछ और नहीं. हां, उपयुक्त अवसर को कभी छोड़ना नहीं चाहिए. इसकी पहचान अपने विवेक और दूरदृष्टि से की जा सकती है.

ये भी पढ़ें- किताबें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकती हैं- डाक्टर स्मिता सिंह

इच्छाशक्ति संकल्प जैसे बहुमूल्य सिक्के का दूसरा पहलू है. यह हमारे संकल्प को दृढ़ता पदान करती है. इसलिए अपनी इच्छाशक्ति को कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए. इससे हमें निराशा जैसी नकारात्मक स्थिति से भी छुटकारा मिलता है. ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि और अनेकानेक संसाधनों के अलावा संकल्प करने की क्षमता भी पदान की है. संकल्प कर लेने के बाद अपने पिछले कार्यों, व्यवहार, अभ्यास, आदतों आदि पर स्वयं अपने आलोचक बनकर दृष्टि डालनी चाहिए. संकल्प कर्म के बिना व्यर्थ है. गलत ढंग से और बिना कार्य योजना के कर्म करते जाना भी व्यर्थ है. स्वयं अपने पति, अपने संकल्प के पति और अपने पयासों के पति ईमानदार रहना बेहद जरूरी है.

शिक्षा और कॅरियर ही नहीं व्यवहार व आदतों के मामले में भी संकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. संकल्प तथा कर्म से मिली सफलता किसी पैमाने से नापना व्यर्थ है. कोई सफलता छोटी या बड़ी नहीं.

ये भी पढ़ें- प्रैग्नेंट अनुष्का का शीर्षासन और समाज पर साइड इफेक्ट्स

Winter Special: सूप खाएं भी और पिएं भी

दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद आदि मैनकोर्स के साथ ही स्टार्टर में गिना जाने वाला सूप संतुलित भोजन का अहम हिस्सा है. स्टैनफोर्ड स्पोर्ट साइंस इंस्टीट्यूट के डायटीशियन कारा हरबरस्ट्रीट के अनुसार सर्दियों में सूप शरीर में कम तरल पदार्थ के सेवन से होने वाली कमी को पूरा करके शरीर को हाइड्रेट रखता है, क्योंकि आमतौर पर गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में पानी का सेवन कम किया जाता है.

इसके अतिरिक्त यह शरीर को गर्म रखने का भी काम करता है. उनके अनुसार विभिन्न सब्जियों को उबालकर नाममात्र के मिर्च मसाले से बनाये जाने के कारण शरीर को तो भरपूर पोषण प्रदान करता ही है साथ ही वजन भी कम करता है.

आमतौर पर सब्जियों, दालों, हर्ब्स, और नानवेज से विभिन्न सूप बनाये जातें हैं. सूप को शाम को डिनर से पूर्व पीना ठीक रहता है. रेडीमेड सूप की अपेक्षा ताजा सूप पीना स्वास्थ्यप्रद होता है. हम आपको कुछ ऐसी सूप की रेसिपी बता रहे हैं जिनमें आपको पीने और खाने दोनों का ही स्वाद मिलेगा. यदि आप वजन कम करने के लिए प्रयासरत हैं तो ये सूप आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हैं क्योंकि इनका सेवन करने के बाद आपका पेट ही भर जाएगा.

-टोमेटो मैगी सूप

कितने लोंगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 30 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

मध्यम आकार के टमाटर 6
पालक 4 पत्ते
मैगी स्लाइस 1
गाजर 1 छोटी
पानी 6 कप
काली मिर्च पाउडर 1/4 टीस्पून
काला नमक 1/2 टीस्पून
मैगी मसाला 1/2 टीस्पून

विधि

मैगी को 1 कप उबलते पानी में डालकर नरम होने तक उबालकर छलनी से पानी निकालकर अलग रख लें. पालक के पत्तो, टमाटर और गाजर को 2 कप पानी डालकर प्रेशर कुकर में मंदी आंच पर 2 सीटियां लेलें. जब ये ठंडे हो जाएं तो पीस लें. अब पिसे मिश्रण को छलनी से छानकर गैस पर एक पैन में चढ़ाएं. काला नमक, काली मिर्च उबली मैगी और मैगी मसाला डालकर अच्छी तरह उबालें और सर्विंग डिश में डालकर सर्व करें.

नोट-पालक के पत्ते और गाजर डाले जाने से सामान्य टोमेटो सूप की अपेक्षा यह आयरन रिच होता है. यह बच्चों को बहुत पसंद आता है.

ये भी पढ़ें- Winter Special: परोसें टेस्टी बादाम कटलेट

-मंचाऊ सूप

कितने लोंगों के लिए 6
बनने में लगने वाला समय 25 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

तेल 2 टीस्पून
अदरक बारीक कटा 1 इंच
लहसुन कटी 2 कली
हरी मिर्च 1
प्याज बारीक कटा 1
सूखी लाल मिर्च 1
बारीक कटी गाजर 1
कटा पत्तागोभी 1/2कप
चौकोर कटे मशरूम 3
सोया सॉस 2 टेबलस्पून
नमक स्वादानुसार
काली मिर्च पाउडर 1 टीस्पून
शकर 1 टेबलस्पून
सिरका 1 टेबलस्पून
बारीक कटी फ्रेंच बीन्स 6
स्प्रिंग अनियन कटा 2 टेबलस्पून
कटा धनिया 1 टेबलस्पून
उबले नूडल्स 1 कप
कॉर्नफ्लोर 3 टेबलस्पून
तलने के लिए तेल पर्याप्त मात्रा में

विधि

उबले नूडल्स में 1 टेबलस्पून कॉर्नफ्लोर अच्छी तरह मिलाएं और गर्म तेल में सुनहरा तलकर टिश्यू पेपर पर निकाल लें. अब एक नॉनस्टिक पैन में 2 टीस्पून तेल गरम करके अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, और प्याज को 1 मिनट तक सॉते करें. अब सूखी लाल मिर्च भूनकर सभी सब्जियां 3 से 4 मिनट तक तेज आंच पर भूनें. इसमें सोया सॉस, नमक, काली मिर्च पाउडर, शकर,वेनेगर और पानी डालकर 5 मिनट तक पकाएं. बचे 2 टेबलस्पून कोर्नफ्लोर में 1 कप पानी मिलाएं और तैयार मिश्रण में डालकर चलाते हुए उबालें. बढ़िया गाढ़ा सूप तैयार है. तले नूडल्स और कटा धनिया डालकर सर्व करें.

ये भी पढ़ें- Winter Special: घर पर बनाएं टेस्टी मखाना टिक्की

हर महिला के मेकअप बैग में होने चाहिए ये 5 ब्यूटी प्रोडक्ट्स

चाहे आप कॉलेज गोइंग हो या फिर जौब करती हो, आपको खुद को सजाने व सवारने का तो शौक होगा ही, क्योंकि समय की डिमांड भी यही है कि जो जितना बन ठन कर रहता है लोग उसकी और उतने अट्रैक्ट होते हैं. यहां तक कि आप भी जब खुद को टिप टॉप रखेंगी तो आपका कोन्फिडेन्स भी बढ़ेगा. ऐसे में आपको किसी भी समय खुद को स्मार्ट और फ्रेश लुक देने के लिए अपने मेकअप बैग में पांच चीजों को जरूर शामिल करना होगा. ताकि जब मन करे आप खुद के रूप को निखार सकें.

जानते हैं उन 5 जरूरी चीजों के बारे में-

1. सीसी क्रीम

क्या आप ऑफिस में काम करते करते थक गई हैं , जिसकी झलक आपके चेहरे पर भी साफ दिखाई दे रही है. ऐसे में अगर आप अपने चेहरे को मिनटों में फ्रेश लुक देने के साथसाथ अपनी डल स्किन को इम्प्रूव करना चाहती हैं तो आप अपने मेकअप किट में सीसी क्रीम जरूर रखें. ये आपकी स्किन पर मॉइस्चराइजर व ब्राइटनिंग इफ़ेक्ट देकर आपकी स्किन पर मिनटों में मैजिक का काम करेगी.

क्या देखें – अगर आप अपनी स्किन को सीसी क्रीम से नेचुरल कवरेज देना चाहती हैं और आपकी स्किन भी सेंसिटिव है तो आप मार्केट से ऐसी सीसी क्रीम खरीदें, जो ग्रेपसीड, विटामिन सी व फ्रूट्स से मिलकर बनी हो, क्योंकि ये नेचुरल व एंटीओक्सीडैंट्स से भरपूर होने के कारण आपकी स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाने का काम करती है.

ये भी पढ़ें- हेयर रिमूवल क्रीम: बिना दर्द के पाएं सौफ्ट, स्मूद और क्लीन स्किन

2. काजल

कहते हैं न कि आंखें आपके व्यक्तित्व की पहचान होती है. इसलिए इनकी खूबसूरती को बरक़रार रखना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में जब भी ऑफिस में या कॉलेज या फिर घर में आपको अपनी आंखें थकी हुई लगे तो आप अपने मेकअप बैग से काजल निकाल लें और उसे अपनी आंखों के नीचे व पलकों के ऊपर लगाकर तुरंत ही पा सकती हैं फ्रैश और खूबसूरत आंखें.

क्या देखें – काजल जो हर लड़की व महिला की चोइज होती है, लेकिन मार्केट में मिलने वाले अधिकांश काजल में पैराबिन्स, मिनरल ऑयल्स और प्रीजरवेटिवस डाले हुए होते हैं , जो आंखों में जलन पैदा करने का काम करते हैं. ऐसी में जरूरी है कि आप जो भी काजल खरीदें , एक तो वो लौंग लास्टिंग हो और साथ ही उसमें आर्गेनिक घी, आलमंड आयल हो , जो आंखों को मोइस्चर प्रदान करने का काम करता है. वहीं अगर उसमें केम्फर हो, तो वो आंखों की वाटरलाइन को ठंडक रखकर उसे जलन होने से बचाता है.

3. फिनिशिंग पाउडर

अकसर दिन बीतते बीतते स्किन पर आयल नजर आने लगता है, जिससे निजात पाने के लिए आप बार बार पानी से फेस को धोती होंगी, जो आपकी स्किन के नेचुरल मोइस्चर को खत्म करने का काम करता है. ऐसे में जरूरी है कि आप हमेशा अपने मेकअप बैग में फिनिशिंग पाउडर रखें. क्योंकि ये चेहरे पर से आयल को बिना ड्राई किए बिना हटाने का काम करता है. जिससे आपको अपनी स्किन पर तेल नजर नहीं आता और आपको चेहरे पर अलग ही ग्लो दिखाई देने लगता है, जिसे देख कर हर कोई आपसे पूछे बिना नहीं रह पाएगा कि क्या राज है चेहरे पर इस ग्लो और ब्राइट कम्प्लेक्सीओं का.

क्या देखें – अगर आपको हाइपर पिगमेंटेशन या ड्राई स्किन की प्रोब्लम है तो आप व्हिटेनिंग रोज पाउडर विद सनस्क्रीन का चयन कर सकती हैं , क्योंकि इसे लगाने के बाद आपको जल्दी पसीना नहीं आएगा और आपका स्किन टोन भी इम्प्रूव होगा. जब भी पाउडर खरीदें तो देखें कि उसमें केमिकल्स न हो और नेचुरल इंग्रीडिएंट्स ही मिले हुए हो, जो स्किन को हाइड्रेट भी रखे और नेचुरल रूप से फिनिशिंग देने का भी काम करें.

ये भी पढ़ें- Winter Special: ड्राय स्किन से पाएं छुटकारा लायें नेचुरल निखार

4. फेस मिस्ट

फेस मिस्ट एक तरह का स्प्रे होता है, जिसे आप अपने मेकअप रूटीन में शामिल करके अपनी स्किन को हाइड्रेट व मोइस्चर प्रदान कर सकती हैं. साथ ही ये स्किन को मिनटों में फ्रेश लुक देने का काम करता है. बता दें कि फेस मिस्ट की खास बात यह है कि यह हर तरह की स्किन पर सूट करता है. यकीन मानिएं कि अगर आपको अचानक से कहीं जाना पड़ रहा है, लेकिन स्ट्रेस व पूरे दिन की भागदौड़ के कारण आपका चेहरा काफी डल नजर आ रहा है, तो आप मेकअप से पहले फेस पर फेस मिस्ट अप्लाई करें, फिर देखें अपने चेहरे के ग्लो को. आपके चेहरे के ग्लो को देखकर कोई यकीन ही नहीं मानेगा कि आप आफिस से या फिर कॉलेज से सीधे यहां आई हैं. क्योंकि आपका चेहरा एकदम फ्रेश जो नजर आएगा.

क्या देखें – जब भी फेस मिस्ट खरीदें, तो देखेँ कि उसमें नेचुरल इंग्रीडिएंट्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया गया हो. आपको मार्केट में ग्रीन टी , एलोवीरा जैसी इंग्रीडिएंट्स से बने फेस मिस्ट मिल जाएंगे, जो एन्टिओक्सीडैंट्स से भरपूर होने के कारण चेहरे पर ग्लो लाने का काम तो करते ही हैं , साथ ही झुरियों की समस्या से भी निजात दिलवाते हैं.

5. लिपस्टिक या लिपबाम

लिपस्टिक ऐसी कोस्मेटिक है, जो हर तरह के फेस व कम्प्लेक्शन पर सूट करती है. जिसे आप लगाकर अपने पूरे लुक को बदल सकती हैं. अगर आपका पूरे फेस पर मेकअप अप्लाई करने का मन नहीं कर रहा है, तो आप के पास जो भी लिपस्टिक है , उसे अपने लिप्स पर अप्लाई करके तुरंत नया व फ्रेश लुक पा सकती हैं. हो सके तो अपनी मेकअप किट में रेड या फिर पिंक लिपस्टिक जरूर कैरी करें, क्योंकि ये हर किसी पर जचती है. साथ ही ब्लशर, आईशैडो का भी काम करती है. और अगर आपको लिपस्टिक लगाने का शौक नहीं है तो आप लिप बाम का भी इस्तेमाल करके आपने चेहरे की रंगत को बड़ा सकती हैं.

क्या देखें – जब भी लिपस्टिक खरीदें तो देखेँ कि उसमें जोजोबा आयल, ओलिव आयल, कोको बटर , विटामिन इ जैसे इंग्रीडिएंट्स जरूर होने चाहिए. क्योंकि ये लिप्स को सोफ्ट , स्मूद बनाने के साथसाथ उन्हें रिपेयर करने का भी काम करते हैं. इस बात का भी ध्यान रखें कि उसमें पेट्रोलियम व मिनरल ऑयल्स न मिले हो. साथ ही उसमें बुटीलेटेड हयड्रोक्सयनिसोल व बुटीलेटेड हयड्रोक्सयतोलुइने जैसे केमिकल्स न हो, क्योंकि ये सिंथेटिक एन्टिओक्सीडैंट्स और प्रीजरवेटिवस के रूप में काम करके स्किन को खराब करने का काम करते हैं.

ये भी पढ़ें- करना चाहते हैं स्किन को एक्सफोलिएट तो इस होममेट अप्रिकोट स्क्रब से पाएं ग्लोइंग फेस

मेरी मां का व्यवहार मेरे साथ ठीक नही है, क्या कोई ऐसी संस्था है, जो मेरी मदद कर सकती है?

सवाल
मैं 19 वर्षीय युवती हूं. अपने घर से भाग आई हूं और अपनी एक सहेली जो पीजी में रहती है के साथ रह रही हूं. दरअसल, मैं 2 सालों से अपने घर में अपनी मां का व्यभिचार देख कर कुढ़ती रही हूं. पहले नाराजगी दिखा कर और फिर साफसाफ विरोध करने पर वे मुझे बरबाद करने या किसी के भी साथ शादी कर के घर से दफा करने की धमकी देने लगीं. इसलिए मुझे मजबूरन घर छोड़ना पड़ा.

मेरी मां बहुत ही बदचलन हैं. उन का एक नहीं 2-2 आदमियों के साथ चक्कर चल रहा है. मेरे पिता अकसर दौरे पर रहते हैं. उन्हें अपनी पत्नी पर अंधविश्वास है. देरसवेर वे मुझे ढूंढ़ लेंगी. मैं दिल्ली में रहती हूं. क्या कोई ऐसी संस्था है, जो मेरी मदद कर सकती है?

जवाब
आप बालिग हैं, इसलिए आप की मां आप के साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकतीं. आप को अपनी मां के दुश्चरित्र की बात अपने पिता से करनी चाहिए थी या अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार से. पर ऐसा न कर के आप घर छोड़ आई हैं. यदि आप को अपनी मां से खतरा है, तो आप स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराएं. सहेली का पता न दें वरना उसे परेशानी होगी.

ये भी पढ़ें…

अवैद्य संबंधों के चक्कर में न बहकें कदम

पिछले दिनों एक समाचारपत्र में खबर आई थी कि एक विवाहित महिला का एक युवक से प्रेमसंबंध चल रहा था. दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर दोनों अपने इस संबंध का पूरी तरह से आनंद उठा रहे थे. महिला के घर में सासससुर, पति और उस के 2 बच्चे थे. पति जब टूअर पर जाता था, तो सब के सो जाने पर युवक रात में महिला के पास आता था. दोनों खूब रंगरलियां मना रहे थे.

एक रात महिला अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी, तभी उस का पति उसे सरप्राइज देने के लिए रात में लौट आया. आहट सुन कर महिला और युवक के होश उड़ गए. महिला ने फौरन युवक को वहां पड़े एक खाली ट्रंक में लिटा कर उसे बंद कर दिया. पति आ गया. वह उस से सामान्य बातें करती रही. काफी देर हो गई. पति को नींद नहीं आ रही थी. महिला को युवक को ट्रंक से बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला. बहुत घंटों बाद उस ने ट्रंक खोला. ट्रंक में दम घुटने से युवक की मृत्यु हो चुकी थी.

उस के बाद जो हुआ, उस का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. चरित्रहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण, तानेउलाहने, पुलिस, कोर्टकचहरी, परिवार, समाज की नजरों में जीवन भर के लिए गिरना. क्या कुछ नहीं सहा उस महिला ने. बहके कदमों का दुष्परिणाम उस ने तो सहा ही, युवक का परिवार भी बरबाद हो गया. बहके कदमों ने 2 परिवार पूरी तरह बरबाद कर दिए.

कभी न भरने वाले घाव

ऐसा ही कुछ मेरठ में हुआ. 2 पक्की सहेलियां कविता और रेखा आमनेसामने ही रहती थीं. दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी कि कालोनी में मिसाल दी जाती थी. दोनों के 2-2 युवा बच्चे भी थे. पता नहीं कब कविता और रेखा के पति विनोद एकदूसरे की आंखों में खोते हुए सब सीमाएं पार कर गए. कविता के पति अनिल और रेखा को जरा भी शक नहीं हुआ. पहले तो विनोद रेखा के साथ ही कविता के घर जाता था. फिर अकेले भी आने लगा.

कालोनी में सुगबुगाहट शुरू हुई तो दोनों ने बाहर मिलना शुरू कर दिया. बाहर भी लोगों के देखे जाने का डर रहता ही था. दोनों हर तरह से सीमा पार कर एक तरह से बेशर्मी पर उतर आए थे. अपने अच्छेभले जीवनसाथी को धोखा देते हुए दोनों जरा भी नहीं हिचकिचाए और एक दिन कविता और विनोद अपनाअपना परिवार छोड़ घर से ही भाग गए.

रेखा तो जैसे पत्थर की हो गई. अनिल ने भी अपनेआप को जैसे घर में बंद कर लिया. दोनों परिवार शर्म से एकदूसरे से नजरें बचा रहे थे. हैरत तो तब हुई जब 10 दिन बाद दोनों बेशर्मी से अपनेअपने घर लौट कर माफी मांगने का अभिनय करने लगे.

रेखा सब के समझाने पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए भावशून्य बनी चुप रह गई. बच्चों का मुंह देख कर होंठ सी लिए. विनोद को उस के अपने मातापिता और रेखा के परिवार ने बहुत जलील किया पर अंत में दिखावे के लिए ही माफ किया. सब के दिलों पर चोट इतनी गहरी थी कि जीवन भर ठीक नहीं हो सकती थी.

कविता को अनिल ने घर में नहीं घुसने दिया. उसे तलाक दे दिया. बाद में अनिल अपना घर बेच कर बच्चों को ले कर दूसरे शहर चला गया. लोगों की बातों से बचने के लिए, बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए रेखा का परिवार भी किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो गया. रेखा को विनोद पर फिर कभी विश्वास नहीं हुआ. दोस्ती से उस का मन हमेशा के लिए खट्टा हो गया. उस ने फिर किसी से कभी दोस्ती नहीं की. बस बच्चों को देखती और घर में रहती. विनोद हमेशा एक अपराधबोध से भरा रहता.

क्षणिक सुख

दोनों घटनाओं में अगर अपने भटकते मन पर नियंत्रण रख लिया जाता, तो कई घर बिखरने से बच जाते. कदम न बहकें, किसी का विश्वास न टूटे, इस तरह के विवाहेत्तर संबंधों में तनमन को जो खुशी मिलती है वह हर स्थिति में क्षणिक ही होती है. इन रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता. ये जितनी जल्दी बनते हैं उतनी ही जल्दी टूट भी जाते हैं.

अपनी बेमानी खुशियों के लिए किसी के पति, किसी की पत्नी की तरफ अगर मन आकर्षित हो तो अपने मन को आगे बढ़ने से पहले ही रोक लें. इस रास्ते पर सिर्फ तबाही है, जीवन भर का दुख है, अपमान है. परपुरुष या परस्त्री से संबंध रख कर थोड़े दिन की ही खुशी मिल सकती है. ऐसे संबंध कभी छिपते नहीं.

यदि आप के वैवाहिक रिश्ते में कोई कमी, कुछ अधूरापन है तो अपने जीवनसाथी से ही इस बारे में बात करें, उसे ही अपने दिल का हाल बताएं. पति और पत्नी दोनों का ही कर्तव्य है कि अपना प्यार, शिकायतें, गुस्सा, तानेउलाहने एकदूसरे तक ही रखें.

स्थाई साथ पतिपत्नी का ही होता है. पतिपत्नी के साथ एकदूसरे के दोस्त भी बन कर रहें तो जीने का मजा ही और होता है. अपने चंचल होते मन पर पूरी तरह काबू रखें वरना किसी भी समय पोल खुलने पर अपनी और अपने परिवार की तबाही देखने के लिए तैयार रहें.

ये भी पढ़ें- प्रैगनैंसी रोकने में क्या कंडोम वास्तव में कारगर उपाय है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

बंद कमरे में रहने लगे हैं तो कहीं आप भी तो नहीं है मानसिक बीमारी का शिकार

मानसिक बीमारी की चपेट में कमोवेश कभी न कभी हरकोई आ जाता है. अवसाद, अनिद्रा, तनाव, चिंता, भय, ये कुछ ऐसी मानसिक स्थितियां हैं, जिन्हें बीमारी कहना किसी को नागवार भी गुजर सकता है. हालांकि मनोचिकित्सकों का मानना है कि एक हद तक तो ये स्थितियां ठीक हैं, लेकिन जब ये सीमा के बाहर चली जाएं तो किसी को मानसिक तौर पर बीमार घोषित करने के लिए पर्याप्त होती हैं.

रोजमर्रा के जीवन में हम सब तनाव, भय, नाराजगी, नफरत जैसी मानसिक स्थितियों से अच्छी तरह परिचित हैं. किसी परिजन की मौत के दुख से भी हम सब कभी न कभी गुजरते ही हैं, लेकिन ये मानसिक स्थितियां बहुत ज्यादा देर या दिनों तक नहीं टिकतीं. एक समय के बाद हम स्वाभाविक जीवन में लौट आते हैं, लेकिन अगर कोई ऐसी मानसिक स्थिति से लंबे समय से गुजर रहा हो तो यह खतरे की घंटी है.

कुछ समय पहले तक समाज में किसी भी तरह की मानसिक समस्या का हल ओ झा, बाबा, तांत्रिक और  झाड़फूंक में ढूंढ़ा जाता था. अंधविश्वास और कुसंस्कार के चलते किसी भी तरह की मानसिक समस्या के लिए किसी ‘दूषित’ हवा भूतप्रेत के साए को जिम्मेदार मान कर लोग बाबाओं और तांत्रिकों की शरण में चले जाया करते थे.

गनीमत है कि कोविड-19 के कहर के दौरान किसी ने ज्यादा बात इन लोगों ने नहीं की. भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं, मंत्रियों और समर्थक मंत्रियों ने आयुर्वेद और गौमूत्र आदि की बात की पर इस बीमारी का भय इतना भयंकर था कि वे बातें जल्द ही घुल गईं. तालियों और थालियों से बात नहीं बनी तो लोगों को वैंटिलेटरों के पीछे ही भागना पड़ा.

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

कोलकाता की मनोचिकित्सक का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हमारी आबादी में मोटेतौर पर महज 1% लोग जटिल और गंभीर मानसिक बीमारी के शिकार होते हैं और इस का इलाज करने में वक्त लग सकता है. बाकी 10% कुछ सामान्य मानसिक बीमारी से ग्रस्त होते हैं, जो गंभीर नहीं होती है. काउंसलिंग से ठीक हो सकते हैं. वहीं 30% लोग ऐसे हैं जो कभी भी ऐसी किसी बीमारी के चपेट में आ सकते हैं, अगर समय रहते सचेत नहीं हो जाते. इस के अलावा जो लोग किसी शारीरिक तकलीफ को ले कर चिकित्सा के लिए अस्पताल जाते हैं, उन में से 50% लोग दरअसल छिटपुट मानसिक समस्या के शिकार होते हैं.

ऐसे मामले में होता यह है कि ये लोग वाकई मानसिक तौर पर बीमार होते हैं या मानसिक बीमारी के कारण इन में तरहतरह के शारीरिक लक्षण उभर आते हैं, यह कोई ठीकठाक सम झ भी नहीं पाता है और सम झने की कोशिश भी नहीं करता है. इन में भी लगभग 4-5% लोग  झाड़फूंक और तंत्रमंत्र जैसे अवैज्ञानिक तरीके अपनाते हैं.

शरीर के आंखकान, हाथपैर, किडनियां, दिल, लिवर, आदि में अगर कोई बीमारी हो तो इस के लक्षण सामने आते हैं. उसी प्रकार एहसास, आवेग, चिंता, दुख, क्रोध आदि मन के भाव हैं और अगर मन में कोई बीमारी घर कर रही हो तो इस के भी लक्षण सामने आएंगे. मानसिक बीमारी के शारीरिक लक्षण भी दिखाई देते हैं. हफ्तों तक कमरों में बंद रहने और उन्हीं लोगों को 24 घंटों  झेलने के कारण भी अवसाद हो सकता है.

वजह मानसिक है

मानसिक बीमारी के 2 हिस्से हैं- न्यूरोसिस और साइकोसिस. न्यूरोसिस संबंधित मानसिक बीमारी में मन की भावना व आवेग एक स्वाभाविक सीमा से परे चले जाते हैं. जब किसी व्यक्ति के आवेग के कारण उस का अपना जीवन दुरूह बन जाता है बल्कि परिवार, शिक्षा, पेशेवर जीवन यहां तक कि समाज को भी जब प्रभावित करने लगता है, तभी यह मानसिक बीमारी का रूप ले लेता है.

इस के उलट कभीकभी मानसिक तनाव के लक्षण शारीरिक तौर पर नजर आते हैं. ऐसे मामलों में लक्षण शारीरिक होने के बावजूद इस के पीछे वजह मानसिक है, इस का प्रमाण शारीरिक जांच (लैबोरेटरी टैस्ट) में नहीं मिल पाता है.

न्यूरोसिस बीमारी के मामले में पीडि़त आमतौर पर वास्तविकता से अपना संबंधविच्छेद नहीं करता है. यहां तक कि पीडि़त के व्यक्तित्व में ऊपरी तौर पर भी कोई बदलाव नजर नहीं आता है. न्यूरोसिस संबंधित मानसिक बीमारी डिप्रैसिव डिसऔर्डर, ऐंग्जाइटी डिसऔर्डर, फोबिक डिसऔर्डर, अवसैसिव कंप्लसिव डिसऔर्डर हैं.

अब अगर केवल ऐंग्जाइटी डिसऔर्डर की ही बात करें तो यह 3 तरह का होता है.

जनरलाइज्ड ऐंग्जाइटी

इस से व्यक्ति हमेशा किसी न किसी बात को ले कर बेचैन व चिंतित रहता है.

फोबिक ऐंग्जाइटी:

इस ऐंग्जाइटी से पीडि़त व्यक्ति किसी स्थान या माहौल में जाने पर आशंकित हो जाता है या असुरक्षा महसूस करता है. ऐसा व्यक्ति नए माहौल और व्यक्तियों का सामना करने से कतराता है. ऐसी स्थिति ऐंगोराफोबिया कहलाती है, अनजान लोगों के बीच बलात्कार का भय होता है. यह स्थिति एग्राफोबिया कहलाती है.

पैनिक डिसऔर्डर

किसी विशेष व्यक्ति, माहौल या परिस्थिति के सामने न पड़ने के बावजूद कल्पना के वशीभूत हो कर पीडि़त उत्कंठा, बेचैनी या व्याकुल हो उठता है. मसलन, आज रात दिल का दौरा पड़ सकता है, इसी डर से रात आंखों ही आंखों में कट जाती है.

साइकोसिस से पीडि़त हरेक को अपना दुश्मन मान लेता है. उस के दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि हरकोई उसे नुकसान पहुंचाने वाला है. हर तरफ उसे अपने खिलाफ षड्यंत्र की आशंका सताती रहती है. कुल मिला कर शक के वशीभूत हो जाता है. पीडि़त अजीबअजीब सी आवाजें सुनाई पड़ने या भूतप्रेत दिखने का दावा करता है.

ऐसे लोगों में आने वाले बदलाव से मानसिक डिसऔर्डर का पता चल जाता है. कई बार देखने में आता है कि पीडि़त अपनेआप से बातें करता है. एक ही बात को बारबार कहता है या घुमाफिरा कर वही सारी बातें करता है. हावभाव में अजीब सी बेचैनी होती है. कुल मिला कर व्यक्तित्व व हावभाव में कोई तारताम्य नजर नहीं आता है.

कुछ केस हिस्टरी

हम यहां ऐसे ही कुछ मामलों का हवाला दे रहे हैं:

एमबीए करने के बाद पल्लवी को एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में अच्छे पद पर काम करने का मौका मिला. 10वीं मंजिल तक लिफ्ट से चढ़नेउतरने में उसे डर लगता. यह डर एक तरह से आतंक का रूप लेने लगा. जाहिर है, काम पर जाना ही उस के लिए मुश्किल हो गया. दफ्तर न जाने के बहाने ढूंढ़ने में काफी समय लगाने लगी. खोईखोई सी रहती. मन ही मन बड़बड़ती रहती. हर वक्त सिरदर्द की शिकायत रहती. जाहिर है, इस सब से उस के काम और कैरियर पर असर पड़ने लगा. सिरदर्द की शिकायत ले कर वह डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने दवा दे कर मन में किसी तरह के डर की बात कह कर काउंसलिंग के लिए कहा.

डाक्टर के यहां से निकल कर पल्लवी सोचने लगी कि वह किसी भी तरह से डरपोक लड़की तो नहीं है. फिर डाक्टर ने डर की बात क्यों कहीं. लेकिन इस बात को उस ने ज्यादा तूल नहीं दिया और दी गई दवा लेने लगी.

बेरुखी का सामना

कुछ दिन बाद सिरदर्द की शिकायत में कमी आई, लेकिन फिर जस का तस. इस बीच दफ्तर में सबकुछ गड़गड़ नजर आने लगा. अकसर बौस की  िझड़कियां, सहयोगियों की बेरुखी का सामना होने लगा.

तब पल्लवी ने काउंसलिंग को अजमाने का फैसला किया. काउंसलिंग के दौरान जो तथ्य निकल कर आया वह कुछ इस प्रकार था- पल्लवी बचपन में बहुत ही चंचल स्वभाव की थी. अकसर ‘एडवैंचरस’ किस्म की बदमाशियां किया करती थीं. तब मां उसे भूत का डर दिखा कर शांत किया करती थी.

यही भूत का डर बचपन से उस के भीतर घर कर गया था और यह डर लिफ्ट से उतरतेचढ़ते समय पैदा हो गया. एलीवेटर से चढ़नेउतरने के दौरान अगर कभी भूल से पल्लवी की नजर नीचे की ओर जाती तो उसे यही एहसास होता है कि वह अब गिरी कि तब या फिर लिफ्ट अब टूट कर गिरी. काउंसलिंग के दौरान साफ हुआ कि पल्लवी एक्रोफोबिया की शिकार है. दरअसल, यह एक्रोफोबिया ऊंचाई का भय है. इस का इलाज कुछ मैडिसिन के साथ काउंसलिंग है.

एक अन्य मामले को लें. विवाहित और 3 बच्चों की मां लावणी की उम्र 35 साल है. पति का अपना कारोबार है. घर पर किसी चीज की कोई कमी नहीं है. न तो पति के परिवार का कोई करीबी है और न ही उस के मां के परिवार का. दोनों अपनेअपने परिवार में इकलौते हैं.

जाहिर है घर पर किसी तरह का कोई पारिवारिक मामला भी नहीं है. बावजूद इस के जब से कोविड-19 के कारण मौतों के समाचार देखनेसुनने को मिलने लगे तो रात को वह सो नहीं पाती है. अगर आंख लगी भी तो महज घंटे या 2 घंटे के लिए. इस के बाद नींद एकदम से जाने कहां हवा हो जाती है और फिर सारी रात बिस्तर पर करवट बदलते बीत जाती है.

छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा

नतीजा सुबह से चिड़चिड़ापन उसे घेर लेता है. छोटीमोटी बातों पर गुस्सा और फिर सुबह से ही घर का माहौल बिगड़ जाता. किसी भी काम में मन नहीं लगता. भूख भी नहीं लगती. हर वक्त मन में एक अजीब सी छटपटाहट रहती है. काउंसलिंग से पता चला कि लावणी फोबिया ऐंग्जाइटी डिसऔर्डर से पीडि़त है. उस के मन में अचानक यह डर बैठ गया कि हो सकता है किसी दिन उसे दिल का दौरा पड़ जाए, तब उस के बच्चों का क्या होगा.

हमारी आजकल की जीवनशैली कोविड-19 के बाद भी एक हद तक मानसिक बीमारी के लिए जिम्मेदार है. समाज के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई है. लोग सिमट गए हैं, समाज सिमट गया है. लोग अपनीअपनी कोठरियों में बंद हैं. एक पड़ोसी को दूसरे की खबर नहीं होती. टीवी की संस्कृति ने लोगों को अपने में जीने की आदत डाल दी है.

यही सब स्थितियां मानसिक बीमारी का कारण बन रही हैं. व्हाट्सऐप पर जम कर बकवास बंट रही है और लोगों ने किताबें, पत्रिकाएं और समाचारपत्र पढ़ने बंद कर दिए हैं जिन से प्रामाणिक जानकारी मिलती थी. अभी भी हर समय खौफ सा छाया रहता है कि न जाने कब कोरोना का नया वैरिएंट निकल आए.

सजा किसे मिली: पाबंदियों से घिरी नन्ही अल्पना की कहानी

Serial Story: सजा किसे मिली (भाग-3)

प्रमाण की बात सुनते ही अल्पना गुस्से से थरथराती हुई राहुल को मारने के लिए झपटी. वह तेजी से हटा तो सामने रखी टेबल से अल्पना टकराई और जमीन पर गिर गई. असहनीय दर्द से पेट पकड़ कर वह वहीं बैठ गई.

राहुल ने उसे उठाना चाहा तो उस ने चिल्ला कर कहा, ‘मुझे छूना मत…तुम ने मुझे धोखा दिया…तुम मेरी जिंदगी में न कभी थे, न हो और न ही रहोगे…चले जाओ मेरे घर से.’

राहुल अपना सामान समेट कर चला गया…पूरी रात वह रोती रही. पेट दर्द सहा नहीं गया तो उठ कर उस ने पेन किलर खा लिया. अल्पना को बारबार यही लगता रहा कि क्यों उसे किसी का प्यार और विश्वास नहीं मिलता. पहले मातापिता और अब राहुल…खैर सुबह तक पेटदर्द तो ठीक हो गया था पर मन अभी भी ठीक नहीं हुआ था.

क्या करे इस बच्चे का…माना कि यह बच्चा उस की जिंदगी में जबरदस्ती आ गया है पर है तो उस का अपना अंश ही न, वह अकेली कैसे इस बच्चे की परवरिश कर पाएगी…क्या अपने बच्चे को वह प्यारदुलार और अपनत्व दे पाएगी जिस के लिए वह अपने मातापिता को दोष देती रही थी.

मन में अजीब सी कशमकश चल रही थी. अपने कैरियर के लिए जहां वह बच्चे का बलिदान देना चाहती थी वहीं उस के प्रति स्नेह भी जागने लगा था. वह जानती थी कि बिना विवाह के मां बनना समाज सह नहीं पाएगा…उस के मातापिता सुनेंगे तो जीतेजी ही मर जाएंगे. आज न जाने क्यों मां के शब्द उस के कानों में गूंज रहे थे, जो उन्होंने उसे राहुल के साथ रहते देख कहे थे, ‘बेटा, माना कि मैं तुझे उतना प्यार, दुलार नहीं दे पाई जिस की तू आकांक्षी थी. मैं अपराधिनी हूं तेरी…पर मेरे किए की सजा तू खुद को तो न दे. आज भी हमारा समाज विवाहपूर्व संबंधों को मान्यता नहीं देता है, ऐसे संबंध अवैध ही कहलाएंगे.’

ये भी पढ़ें- अभिनेत्री: जीवन का किरदार जिसे प्रेम के छलावे से दोचार होना पड़ा

उस समय तो वह सिर्फ वही करना चाहती थी जिस से उस के मातापिता को चोट पहुंचे…राहुल, जिस पर उस ने विश्वास किया उस से ऐसी उम्मीद नहीं थी. बारबार राहुल के शब्द उस के दिलोदिमाग में गूंज कर उस के अस्तित्व को नकारने लगते कि मैं तुम्हारी जैसी लड़की के साथ संबंध कैसे बना सकता हूं जो विवाह जैसी संस्था में विश्वास ही न करती हो.

कभी मन करता कि आत्महत्या कर ले पर तभी मन उसे धिक्कारने लगता…उसे अपनी वार्डन के शब्द याद आते कि जीवन से भागना बेहद आसान है बेटा, लेकिन कुछ सार्थक करना बेहद ही कठिन, पर तुम ने तो आसान राह ढूंढ़ ली है.

वह कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी. आफिस में छुट्टी की अर्जी भिजवा दी थी. कशमकश इतनी ज्यादा थी कि उस का न बाहर निकलने का मन कर रहा था और न ही किसी से मिलने का. पेट में दर्द उठता पर वह डाक्टर को दिखाने के बजाय दर्दनाशक दवा खा कर दबाने की कोशिश करती रही.

एक दिन जब वह ऐसे ही दर्द से तड़प रही थी तभी बीना मिलने आ पहुंची, उस की ऐसी दशा देख कर वह अचंभित रह गई तथा उसे जबरन अपनी गाड़ी में बिठा कर डाक्टर के पास ले गई…

डाक्टर ने उसे चेकअप करवाने के लिए कहा.

सोनोग्राफी की रिपोर्ट देख कर डाक्टर उस पर बहुत गुस्सा हुई तथा बोली, ‘तुम ने पहले क्यों नहीं बताया कि तुम गर्भवती हो.’

उस को कोई उत्तर न देते देख वह फिर बोली, ‘तुम लड़कियों की यही तो समस्या है…जरा भी सावधानी नहीं बरततीं…क्या पेट में तुम्हें कोई चोट लगी थी…अपने पति को बुलवा लो, क्योंकि तुम्हारा शीघ्र आपरेशन करना पड़ेगा. लगता है किसी चोट के कारण तुम्हारा बच्चा मर गया है और उसी के इन्फेक्शन से पेट में दर्द हो रहा है.’

डाक्टर की बात सुन कर वह दोनों चौंक गईं. बीना ने बात बनाते हुए कहा, ‘डाक्टर, आपरेशन कब करना पडे़गा. दरअसल इन के पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं. उन का इतनी जल्दी आना संभव नहीं है.’

‘आपरेशन कल ही करना पड़ेगा. कोई तो रिश्तेदार होंगे…उन्हें जल्द बुलवा लो…हम इन्हें आज ही एडमिट कर लेते हैं.’

बीना ने अल्पना को देखा फिर डाक्टर की ओर मुखातिब होती हुई बोली, ‘डाक्टर, मैं ही इन की जिम्मेदारी लेती हूं क्योंकि इन का कोई भी रिश्तेदार इतनी जल्दी नहीं आ सकता.’

अल्पना के मना करने पर भी बीना ने उस के मातापिता को फोन कर दिया था. उन्होंने तुरंत आने की बात कही. उन के आने से पहले ही वह आपरेशन थिएटर में जा चुकी थी. बेहोशी की हालत में भी डाक्टर के शब्द उस के कानों में पड़ ही गए, ‘इस के यूट्रस में इन्फेक्शन इतना फैल गया है कि अगर निकाला नहीं तो जान जाने का खतरा है. बाहर जा कर इन के रिश्तेदारों से इजाजत ले लो.’

उस के बाद क्या हुआ पता नहीं. सुबह जब आंख खुली तो मम्मीपापा को अपने पास बैठा पाया. उन को देखते ही उस की नफरत फिर से भड़क उठी थी, अगर उसे उन का प्यार और अपनत्व मिलता तो उस के साथ ऐसे हादसे ही क्यों होते? अगर उस समय नर्स नहीं आती तो वह पता नहीं क्याक्या कह बैठती.

‘‘बेटा, कुछ खा ले वरना ताकत कैसे आएगी?’’ आवाज सुनते ही अल्पना अतीत से निकल कर वर्तमान में आ गई. नर्स पता नहीं कब चली गई थी. मां हाथ में फलों की प्लेट लिए खाने का इसरार कर रही थीं तथा उन के पास ही बैठे पापा आशा भरी नजरों से उसे देख रहे थे. उस ने बिना कुछ कहे ही मुंह फेर लिया क्योंकि वह जानती थी कि मां की आंखों से आंसू बह रहे होंगे पर वह अपने दिल के हाथों विवश थी.

ये भी पढ़ें- Short Story: जन्मकुंडली का चक्कर

बारबार एक ही विचार उस के मन में आ रहा था कि माना मातापिता उस की उचित परवरिश न कर पाने के लिए दोषी थे पर हर सुविधा मिलने के बावजूद उस ने भी कौन सा अच्छा काम किया. दूसरों को दोष देना तो बहुत आसान है पर जिंदगी बनानाबिगाड़ना तो इनसान के अपने हाथ में है.

अल्पना समझ नहीं पा रही थी कि कुदरत ने औरत को इतना कमजोर क्यों बनाया है कि एक छोटा सा आंधी का झोंका उस के सारे वजूद को हिला कर रख देता है. सब से ज्यादा दुख तो उसे इस बात का था कि हादसे में उस के गर्भाशय को निकाल देना पड़ा…अपूर्ण औरत बन कर वह कैसे जीएगी?

मां ने तो अपने कैरियर के लिए उस की तरफ ध्यान नहीं दिया पर उस ने तो उन्हें दुख देने के लिए ही यह सब किया…उस का तो यही हश्र होना था. पर वह अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि सजा किसे मिली?

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें