Serial Story: डस्ट (भाग-1)

वह शाम को घर वापस आया. चेहरे पर अजीब सी चिपचिपाहट का अनुभव हुआ. उस ने रूमाल से अपना चेहरा पोंछा और रूमाल की तरफ देखा. सफेद रूमाल एकदम काला हो गया था. इतना कालापन. मैं तो औफिस जा कर कुरसी पर बैठता हूं. न तो मैं फील्डवर्क करता हूं न ही किसी खदान में काम करता हूं. रास्ते में आतेजाते ट्रैफिक तो होता है, लेकिन मैं अपनी बाइक से जाता हूं और हैलमेट यूज करता हूं. फिर इतनी डस्ट कैसे?

उस ने टीवी पर समाचारों में देखा था कि महानगरों, खासकर दिल्ली में इतना ज्यादा प्रदूषण है कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है. दीवाली जैसे त्योहारों पर जब पटाखों का जहरीला धुआं वातावरण में फैलता है तो लोगों की आंखों में जलन होने लगती है और सांस लेने में दम घुटता है. ऐसे कई स्कूली बच्चों को मास्क लगा कर स्कूल जाते हुए देखा है.

महानगरों की तरह क्या यहां भी प्रदूषण अपनी पकड़ बना रहा है. घर से वह नहाधो कर तैयार हो कर निकलता है और जब वापस घर आता है तो नाककान रुई से साफ करने पर कालापन निकलता है.

यह डस्ट, चाहे वातावरण में हो या रिश्तों में, इस के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं. रिश्ते भी मर रहे हैं. प्रकृति भी नष्ट हो रही है. नीरस हो चुके हैं हम सब. हम सिर्फ एक ही भाषा सीख चुके हैं, फायदे की, मतलब की. ‘दुनिया जाए भाड़ में’ तो इस तरह कह देते हैं जैसे हम किसी दूसरी दुनिया में रहते हैं.

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उसे पत्नी पर शक है और पत्नी को भी उस पर शक है. इस शक के चलते वे अकसर एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगाते रहते हैं. पत्नी का शक समझ में आता है. कृष्णकांत ने अपनी उम्र से 15 वर्ष बड़ी महिला से शादी की थी. वह 30 वर्ष का है और उस की पत्नी 45 वर्ष की. जब वह 18 वर्ष का था तब उस ने रमा से शादी की थी. शादी से पहले प्यार हुआ था. इसे कृष्णकांत प्यार कह सकता था उस समय क्योंकि उस की उम्र ही ऐसी थी.

रमा कालेज में प्रोफैसर थी. कृष्णकांत तब बीए प्रथम वर्ष का छात्र था. रमा घर में अकेली कमाने वाली महिला थी. परिवार के लोग, जिन में मातापिता, छोटा भाई, छोटी बहन थी, कोई नहीं चाहता था कि रमा की शादी हो. अकसर सब उसे परिवार के प्रति उस के दायित्वों का एहसास कराते रहते थे. लेकिन रमा एक जीतीजागती महिला थी. उस के साथ उस के अपने शरीर की कुछ प्राकृतिक मांगें थीं, जिन्हें वह अकसर कुचलती रहती थी, लेकिन इच्छाएं अकसर अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए मुंहबाए उस के सामने खड़ी हो जातीं.

कृष्णकांत की उम्र में अकसर लड़कों को अपने से ज्यादा उम्र की महिलाओं से प्यार हो जाता है. पता नहीं क्यों? शायद उन की कल्पना में भरीपूरी मांसल देह वाली स्त्रियां ही आकर्षित करती हों. कृष्णकांत को तो करती थीं.

नई उम्र का नया खून ज्यादा जोश मारता है. शरीर का सुख ही संसार का सब से बड़ा सुख मालूम होता है और कोई जिम्मेदारी तो होती नहीं इस उम्र में. पढ़ने के लिए भी भरपूर समय होता है और नौकरी करने की तो अभी उम्र मात्र शुरू होती है. मिल जाएगी आराम से और रमा मैडम जैसी कोई नौकरीपेशा स्त्री मिल गई तो यह झंझट भी खत्म. हालांकि उसे रमा की तरफ उस का आकर्षक शरीर, शरीर के उतारचढ़ाव और खूबसूरत चेहरा, जो था तो साधारण लेकिन उस की दृष्टि में काफी सुंदर था, उसे खींच रहा था.

औरतें नजरों से ही समझ जाती हैं पुरुषों के दिल की बात. रमा ने भी ताड़ लिया था कि कृष्णकांत नाम का सुंदर, बांका जवान लड़का उसे ताकता रहता है. फिर उसे टाइप किए 3-4 पत्र भी मिले जिस में किसी का नाम नहीं लिखा था. बस, प्यारभरी बातें लिखी थीं. रमा समझ गई कि ये पत्र कृष्णकांत ने ही उसे लिखे हैं. रमा ने उस से कालेज के बाहर मिलने को कहा. रमा के बताए नियत स्थान व समय पर वह वहां पहुंचा.

अंदर से डरा और सहमा हुआ था कृष्णकांत. लेकिन रमा के शरीर में उस के पत्रों को पढ़ कर चिंगारिया फूट रही थीं. वह तो केवल कालेज में प्रोफैसर थी सब की नजरों में. घर में कमाऊ पूत. जो कुछ इश्कविश्क की बातें थीं वो उस ने फिल्मों में ही देखी थीं. उस का भी मन होता कि कोई उस से प्यारभरी बातें करे, लेकिन अफसोस कि ऐसा कभी हुआ नहीं और आज जब हुआ तो कालेज के छात्र से.

कोई दूर या पास से देख भी लेता तो यही सोचता कि छात्र और प्रोफैसर बात कर रहे हैं. रमा ने कृष्णकांत से कहा, ‘ये पत्र तुम ने लिखे हैं?’ कृष्णकांत चुप रहा, तो रमा ने आगे कहा, ‘मैं जानती हूं कि तुम ने ही लिखे हैं. डरो मत, स्पष्ट कहो और सच कहो. मैं किसी से नहीं कहूंगी.’

‘जी, मैं ने ही लिखे हैं.’

‘क्यों, प्यार करते हो मुझ से?’

‘जी.’

‘उम्र देखी है अपनी और मेरी.’

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कृष्णकांत चुप रहा. तो रमा ने ही चुप्पी तोड़ी और कहा, ‘क्या चाहते हो मुझ से, शादी, प्यार या सैक्स.’

‘जी, प्यार.’

‘और उस के बाद?’

कृष्णकांत फिर चुप रहा.

‘शादी नहीं करोगे, बस मजे करने हैं,’ रमा की यह बात सुन कर कृष्णकांत भी खुल गया.

उस ने कहा, ‘‘शादी करना चाहता हूं. प्यार करता हूं आप से.’’

‘कौन तैयार होगा इस शादी के लिए? तुम्हारे घर वाले मानेंगे. मेरे तो नहीं मानेंगे.’

‘मैं इस के लिए सारी दुनिया से लड़ने को तैयार हूं,’ कृष्णकांत ने कहा.

‘सच कह रहे हो,’ रमा ने उसे तोलते हुए कहा.

‘जी.’

‘तो फिर मेरे हिसाब से चलो. इस छोटे शहर में तो हमारे प्रेम का मजाक उड़ाया जाएगा. हम दूसरे शहर चलते हैं. मैं अपना ट्रांसफर करवाए लेती हूं. छोड़ सकते हो घर अपना.’ कृष्णकांत को तो मानो मनमांगी मुराद मिल गई थी.

एक पुरोहित को पैसे दिए. 2 गवाह साथ रखे और शादी के फोटोग्राफ लिए. मंदिर में शादी की और दोनों घर में झूठ बोल कर हनीमून के लिए निकल गए. कृष्णकांत ने जैसी स्त्री के सपने देखे थे, ठीक वैसा ही रमा में पाया और वर्षों पुरुष संसर्ग को तरसती रमा पर भरपूर प्यार की बरसात की कृष्णकांत ने. दोनों तृप्त थे.

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Woman Health : दशमूलारिष्‍ट के ये 10 फायदे वुमन को रखेंगे हेल्‍दी


दशमूलारिष्‍ट के बारे में कहा जाता है कि यह 10 तरह की सूखी जड़ीबूटियों से मिल कर बना है. यही वजह है कि इसका नाम दशमूलारिष्‍ट पड़ा.  इसमें कई ऐसे गुण होते हैं जो शरीर के अंगों को हेल्‍दी रखने का काम करते हैं.  महिलाओं के लिए डाबर दशमूलारिष्‍ट का इस्‍तेमाल काफी फायदेमंद बताया गया है. 

वुमन के कौमन हेल्‍थ प्रौब्‍लम्‍स 

महिलाओं में हड्डियों और खून से जुड़ी समस्‍याएं आमतौर पर देखी जाती है. नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे 5 की रिपोर्ट के अनुसार, “15 से 49 साल की करीब 57 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक यानी खून की कमी से जूझ रही हैं”. लाइफस्‍टाइल में होते बदलाव और बढ़ती उम्र की वजह  से वुमन में हड्डियों से जुड़ी समस्‍याएं भी कौमन हो गई है. 

औस्टियोपोरोसिस में बोन्‍स कमजोर हो जाते हैं, जोड़ों में दर्द रहता है और सूजन आ जाती है. मेनोपौज के बाद महिलाओं में इस रोग के होने की आशंका बढ़ जाती है. आंकड़ें बताते हैं कि भारत में 60 साल से ऊपर की करीब 45 से 50 प्रतिशत महिलाओं में इस रोग के लक्षण पाए जाते हैं. इसके अलावा बहुत सारी महिलाएं पीरियड्स प्रौब्‍लम्‍स समेत शरीर के दूसरे अंगों से जुड़े रोगों का सामना कर रही होती हैं . डाबर का दशमूलारिष्‍ट इन सब रोगों को उनके शरीर से दूर रखने में मदद करता है. 

आइए जानें डाबर दशमूलारिष्‍ट के 10 फायदों के बारे में 

  1.  कमजोरी करे दूर :  महिलाओं के शरीर की कमजोरी को दूर करता है.  जिन महिलाओं को थकान की शिकायत है, उनके लिए भी यह फायदेमंद है. कमजोरी दूर करने के साथ ही शरीर को एनर्जी देता है जिसकी वजह से महिलाएं दिनभर फुर्ती महसूस करती हैं.
  2.  पीरियड्स में आराम : पीरियड्स के दौरान ढेरों महिलाओं की कमर और हाथ-पैर में दर्द महसूस होता है. शरीर में ऐंठन होती है. कई बार असामान्‍य रक्‍तस्राव भी होता है. दशमूलारिष्‍ट इन तकलीफों को दूर करता है और रक्‍तस्राव को संतुलन में रखता है. 
  3.   प्रैगनेंट वुमन की सहेली प्रैगनेंसी के दौरान और बेबी बर्थ के बाद शरीर कमजोर हो जाता है. दोबारा पहले जैसी एनर्जी पाने के लिए महिलाएं दशमूलारिष्‍ट को अपने जीवन में शामिल कर सकती हैं. उनकी सेहत में सुधार होगा.  
  4. हड्डियां रहेंगी मजबूत :  गठिया या हड्डियों से जुड़ी दूसरी परेशानियों से जूझ रही महिलाओं के लिए इसका सेवन अच्‍छा माना गया है. यह सूजन को कम करने के साथ ही जोड़ों के दर्द में भी राहत पहुंचाता है. बोन्‍स को अंदर से मजबूत बनाता है.
  5.  ब्‍यूटी में लाए निखार :  केवल हेल्‍थ ही क्‍यों स्किन और हेयर के लिए भी डाबर दशमूलारिष्‍ट को उपयोगी माना गया है. इससे सेवन से स्किन में ग्‍लो आता है और हेयर फौल बंद होता है.  
  6.  डायबिटीज का डर नहीं : डायबिटीज एक कौमन डिजीज का रूप लेता जा रहा है और वुमन भी इससे अछूती नहीं है. दशमूलारिस्ष्‍ट ब्‍लड शूगर लेवल को कंट्रोल में रखने का काम करता है. 
  7.  चिंता को रखे दूर :  तनाव से जूझ रही महिलाओं के मन को शांत रखता है. इससे वह  चिंता और तनाव से दूर रहती हैं जो उनके मेंटल हेल्‍थ के लिए अच्‍छा है. 
  8. इम्‍युनिटी के लिए बेस्‍ट : शरीर की म‍जबूती की जांच इसी बात से की जाती है कि वह रोगों से लड़ने में कितना सक्षम है. इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कहते हैं. डाबर का दशमूलारिष्‍ट इम्‍युन सिस्‍टम को मजबूती देने का काम करता है. यह बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है. 
  9. बीपी की टेंशन नहीं : ब्‍लड प्रेशर की शिकायत आम होती जा रही है. केवल पुरुष ही नहीं बड़ी संख्‍या में महिलाएं भी इसके गिरफ्त में आती जा रही हैं. इस स्थिति को नियंत्रण में रखने में दशमूलारिष्‍ट मददगार सा‍बित हो सकता है.
    10. एनीमिया से दिलाए राहत  : खून की कमी से जूझ रही वुमन के शरीर में यह आयरन की कमी को पूरा करने में मदद करता है. इससे कमजोरी महसूस नहीं होती है.

इस्‍तेमाल करने का तरीका 

इसे दिन में दो बार,  2 से 3 चम्‍मच गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं. यह महिलाओं की परेशानियों को उनसे दूर रखने का काम करेगा. 

 

अब WhatsApp के जरिए कर पाएंगे मनी ट्रांसफर, नया फीचर हुआ लौंच

भारत में आए दिन कोरोना के नए-नए केस सभी को हैरान कर रहे हैं. वहीं इस कोरोनाकाल में डिजिटलीकरण को भी बेहद बढ़ावा मिला है. हर कोई कोशिश कर रहा है कि डिजिटल के जरिए ही पेमेंट की जाए. इस बीच भारत में अब इसी बदलाव को देखते हुए WhatsApp अपने यूजर्स के लिए एक नया फीचर लेकर आया है. दरअसल, अब WhatsApp यूजर्स इस एप के जरिए एक दूसरे को मनी ट्रांसफर कर पाएंगे. आइए आपको बताते हैं कैसा होगा ये नया फीचर….

भारत में अप्रूव हुआ फीचर

WhatsApp लगभग 3 साल से भारत में इस फीचर को अप्रूव करने का इंतज़ार कर रहा था और अब नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने  WhatsApp को इस नए फीचर का अप्रूवल दे दिया है, जिसके बाद कंपनी ने इसे भारत में लाइव कर दिया है.

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भेजे जा सकेंगे पैसे

फ़ेसबुक इंडिया हेड अजीत मोहन ने कहा है, ‘भारत में WhatsApp पर पेमेंट लाइव हो चुका है और लोग WhatsApp के जरिए पैसे भेज सकेंगे. हम इस बात को लेकर उत्साहित हैं कि कंपनी भारत के डिजिटल पेमेंट शिफ्ट में योगदान दे सकेगी’

10 भाषाओं में होगा पेमेंट औप्शन

खबरों की मानें तो भारत में दस क्षेत्रीय भाषाओं में WhatsApp Payment उपलब्ध होगा. बता दें, अगर आपके वॉट्सऐप ऐप में पहले से ही पेमेंट का ऑप्शन है तो अब आप इसे यूज कर सकते हैं. नहीं है तो वॉट्सऐप अपडेट करके पेमेंट ऑप्शन चेक कर सकते हैं. हालांकि लोगों की सेफ्टी के लिए WhatsApp UPI बेस्ड पेमेंट की टेस्टिंग पहले ही की जा चुकी है.

ऐसे काम करेगा WhatsApp Payment

इस नए फीचर का इस्तेमाल करने के लिए कस्टमर्स के पास डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करना होगा, जिसमें UPI सपोर्ट मौजूद है. WhatsApp में Payment के ऑप्शन में जाकर आप बैंक सेलेक्ट करके डीटेल्स दर्ज करके इसे एक्टिवेट कर सकते हैं. वहीं इसके बाद आप देशभर में पैसे भेज पाएंगे.

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बता दें, दूसरी पेमेंट एप की तरह ही WhatsApp Payment  में भी हर ट्रांजैक्शन के लिए UPI पिन की जरूरत होगी. वहीं यह एप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों ही तरह के फोन में काम करेगा.

REVIEW: कमजोरियों के बावजूद बेहतरीन मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्म ‘वेलकम होम’

रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः परेश रावल, स्वरूप संपत रावल, हेमल ठक्कर

निर्देशकः पुश्कर महाबल

कलाकारः कश्मीरा ईरानी, स्वरा थिगले, शशि भूषण, टीना भाटिया, बोलाराम दास, अक्षिता अरोड़ा व अन्य

अवधिः दो घंटे छह मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः सोनी लिव

मशहूर अभिनेता व पूर्व सांसद परेश रावल अपने मित्र हेमल ठक्कर के संग ‘‘प्लेटाइम क्रिएशंस’’के बैनर तले एक मनोवैज्ञानिक रोमांचक फिल्म ‘‘वेलकम होम’’ लेकर आए हैं, जिसमें बाल शोषण, यौन शोषण के साथ ही क्रूरता का कटु चित्रण है. पुश्कर महाबल निर्देशित यह फिल्म बहुत ही ज्यादा डार्क है. कमजोर दिल वालों तथा पूरे परिवार साथ देखी जा सकने वाली फिल्म नही है. वैसे फिल्मकार का दावा है कि यह फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है.

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कहानीः

फिल्म की कहानी महाराष्ट् के एक देहाती क्षेत्र में अनुजा राव से शुरू होती हैं, जो कि एक स्कूल में अंग्रेजी व भूगोल पढ़ाती है. उसकी शादी तय है और उसका मंगेतर चाहता है कि वह नौकरी छोड़ दे. पर वह नौकरी छोड़ना नहीं चाहती. इसी बीच उसे अपनी सह शिक्षिका (स्वरा थिगले) के साथ जनगणना के काम मंे लगा दिया जता है. जनगणना के दौरान हर कोई मायने रखता है. इस नेक विचार के साथ अनुजा राव (कश्मीरा ईरानी) और उसकी सहकर्मी नेहा (स्वरा थिगले) अपनी सूची में गॉंव के एकमात्र घर के दरवाजे पर दस्तक देती हैं. दरवाजा गर्भवती प्रेरणा (टीना भाटिया) खोलती है. बातचीत में बताती है कि हर बार उसके बच्चे पैदा होते हैं, रोते हैं और फिर मर जाते हैं. इस कथा  व प्रेरणा के शरीर पर खरोंच के निशान अनुजा के मन में कई संदेह पैदा करते है. अनुजा को प्रेरणा की डरावनी दिखने वाली माँ सावित्री(अक्षिता अरोड़ा), पिता (शशि भूषण) और अजीब-सा कुक भोला (बोलाराम दास)भी संदिग्ध नजर आते हैं. अपनी छोटी- छोटी आजादी को महत्व देने वाली अनुजा को प्रेरणा की हालत हिला देती. कुछ दिन बाद अनुजा, नेहा के साथ उसी घर में पुनः प्रेरणा से मिलने आती है, लेकिन इस बार वह दोनों कैद हो जाते हैं और प्रेरण के पिता व भोला के हाथों दोनों को कई ताह की क्रूरतम यातनाओं से गुजरना पड़ता है.

लेखन व निर्देशनः

बेहतरीन पटकथा के चलते  अपनी नौकरी को बचाए रखने के लिए लड़ने वाल अनुजा और अपने बदमाश भाई की वजह से असहाय नेहा, पीड़िता की बजाय उत्साही सेनानियों के रूप में उभरती हैं. फिल्म के कई दृश्य इतने भयानक व क्रूर हैं कि दर्शक अपने नाखून चबा लेता है. क्रूरता, हिंसा के साथ ही खूनखराबा की अधिकता इसे परिवारिक फिल्म से दूर ले जाती है.  फिल्मकार ने इस फिल्म के माध्यम से समाज में व्याप्त बाल शोषण और यौन शोषण के बदसूरत व कड़वे सच का भी रेखांकन किया है. यह निर्देशक की कुशलता ही है कि फिल्म अंत तक दर्शकों को बांधकर रखती है. पुश्कर महाबल का निर्देशन कमाल का है. मगर इसमें कुछ कमियां भी हैं. फिल्मकार फिल्म में इंटरवल से पहले डर, चिंता व रोमांच का बेहतरीन अहसास कराते हैं, मगर इंटरवल के बाद यानी कि आधी फिल्म के बाद फिल्म पर से उनकी पकड़ ढीली पड़ जाती है. फिल्म देखते समय अहसास होता है कि फिल्मकार मूल कहानी व मकसद से भटक कर महज दो लड़कियों के ‘हीरोईजम’ को उभारने के लिए कुछ अविश्वसनीय दृश्य गढ़ते हैं. इतना ही नही फिल्म के अंतिम आधे घंटे में कहानी एकदम बेकार गड़बड़ा जाती है. कहानी महाराष्ट्र की है, इसलिए कुछ संवाद मराठी भाषा में भी हैं.

साई भोपे ने अपने कैमरा का कमाल दिखाकर भय और क्लेस्ट्रोफोबिया का एक विश्वसनीय वातावरण बनाती हैं.

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अभिनयः

फिल्म के लगभग सभी  प्रमुख कलाकारों ने उत्कृष्ट अभिनय किया है. कश्मीरा ईरानी और स्वरा थिगले ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से कम बजट वाली फिल्म मे चार चांद लगा दिए हैं. कश्मीरा ईरानी ने मराठी एसेंट में बात करने से लेकर चेहरे पर डर के भाव आदि को अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है. तो नेहा के किरदार को सजीव करने में स्वरा थिंगले ने भी शानदार अभिनय किया है. इसी हफ्ते ‘पेपर चिकन’में क्रूरता के साथ पेश आने वाले ड्रायवर के किरदार के बाद बोलाराम दास ने इस फिल्म में भोला के किरदार को उकेरा है, जो अधिक प्रभावी और भयानक होने के साथ ही मुस्कान के साथ क्रूर कर्म करता है. इसमें भी उन्होने जबरदस्त अभिनय किया है. इसी के साथ शशि भूषण, टीना भाटिया व अक्षिता अरोड़ा ने बेहतरीन अभिनय किया है.

पटाखे मैं अधिक नहीं फोड़ता – पुलकित सम्राट

धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में लक्ष्य विरानी की भूमिका से डेब्यू करने वाले अभिनेता पुलकित सम्राट दिल्ली के है. उन्होंने टीवी शो के अलावा मॉडलिंग और कई फिल्में भी की है. ‘फुकरे’ सीरीज की फिल्मों में उन्होंने अच्छा नाम कमाया और आगे बढे. उन्हें हर कहानी जो अलग हो आकर्षित करती है. हर नयी चुनौती उन्हें पसंद है. पुलकित का फ़िल्मी जीवन कमोवेश सफल रहा, पर उनका निजी जीवन सुखमय नहीं था. पहले उन्होंने अपने लम्बे समय से प्रेमिका रही श्वेता रोहिरा से शादी की, जो अभिनेता सलमान खान की राखी बहन है, कुछ सालों बाद तलाक भी हो गया. अभी उनकी फिल्म ‘तैश’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनके काम को सराहना मिलने से वे खुश है. उनसे बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल- फिल्म को करने की खास वजह क्या थी?

ये विजय नाम्बियार की फिल्म है, जो इसके लेखक और निर्देशक है. उनके साथ काम करने की इच्छा मुझे पहले से थी. उन्होंने मुझे ये मौका दिया और मुझे सनी लालवानी की भूमिका दी. इसका नैरेशन और कहानी को जब मैंने सुना तो बहुत अच्छा लगा. इसके अलावा इसमें काम करने वाले सारे लोग, जो अलग विचार रखते है, उनके साथ अभिनय का मौका मिला. इससे मुझे बहुत कुछ सीखने को भी मिला.

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सवाल- इस भूमिका से खुद को कितना रिलेट कर पाए?

ये एक अलग तरीके का इंसान है, जो हैप्पी गो लकी का विचार रखता है. कभी-कभी थोडा फ़्लर्ट भी करता है. बाइक्स का शौक है और उससे लम्बी-लम्बी जर्नी पर चला जाता है. मैंने इस तरह की फिल्में नहीं की है और करने की इच्छा रखता था. मौका मिला तो, मैने किया और अच्छा रहा. मैं इससे बहुत अधिक रिलेट नहीं कर सकता.

सवाल- फिल्म में कठिन क्या था?

पहले थोडा कठिन लगा, लेकिन निर्देशक ने उसे सहज बनाया. मैंने भी जब सोच लिया कि मैं सेट पर मज़े करूँगा, तो डर गायब हो गया.

सवाल- अभिनय की प्रेरणा आपको कैसे मिली?

मुझे बचपन से अभिनय की इच्छा थी, परफोर्मिंग आर्ट और मनोरंजन के क्षेत्र में ही आना चाहता था. मैंने इसके अलावा कुछ सोचा नहीं और आज मैं खुश हूं कि वही काम कर रहा हूं.

सवाल- परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार का बहुत सहयोग रहा. शुरू में थोड़ी चिंता हुई, पर उन्होंने सहयोग दिया. पिता पहले नाराज़ थे और दिल्ली में कुछ काम करने की सलाह दिया करते थे. तब माँ ने बहुत सहयोग दिया. अभी सब खुश है. परिवार के सहयोग के बिना कोई काम नहीं हो सकता.

सवाल- आप अपनी जर्नी से कितना खुश है?

मैं अपनी जर्नी से बहुत खुश हूं. मुझे शुरू से अनुभवी लोगों के साथ काम करने का मौका मिला है. मैंने हर काम से कुछ न कुछ सीखकर आगे बढ़ा हूं. आगे भी अच्छी फिल्में करना चाहता हूं.

सवाल- किस फिल्म ने आपकी जिंदगी बदली है?

मेरी पहली फिल्म बिट्टू बॉस और फुकरे इन दो फिल्मों ने मेरी जिंदगी को बदला है. मैं खुश हूं कि इन फिल्मों में काम करने का मौका मुझे मिला.

सवाल- किसी भी फिल्म में काम करने से पहले आप क्या देखते है?

मैं सबसे पहले उसकी कहानी को देखता हूं. इसके बाद बनाने वाले लोग, टीम, दूसरे कलाकार आदि को देखता हूं, क्योंकि अगर टीम अच्छी है तो काम करने में बहुत मज़ा आता है.

सवाल- अभी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

सभी माध्यम कलाकारों के लिए सही होता है. मैंने स्ट्रीट शो, थिएटर, म्यूजिकल वीडियो, टीवी और फिल्में भी कर चुका हूं. किसी भी माध्यम पर फिल्म रिलीज हो, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता . कलाकार हमेशा एक पैशन के साथ काम करता है. दर्शकों का मनोरंजन करना ही उसका उद्देश्य होता है.

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सवाल- अभिनय के अलावा क्या पसंद करते है?

मुझे म्यूजिक का काफी शौक है. मैं अभी पियानो बजाना सीख रहा हूं. गिटार भी बजाता हूं.

सवाल-कोरोना संक्रमण की वजह से इंडस्ट्री की आर्थिक स्थिति ख़राब हो रही है, इससे कैसे निकलने की जरुरत है?

केवल इंडस्ट्री ही नहीं पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति ख़राब हो चुकी है. सभी को मिलकर धैर्य और सहानुभूति से निकलने की जरुरत है.

सवाल- कोई मेसेज जो देना चाहे?

वायरस अभी भी हवा में है, इसलिए खुद से अपना और अपने परिवार को सुरक्षित रखना न भूले. सभी गाइडलाइन्स को फोलो करें. हमेशा खुश रहने की कोशिश करें.

सवाल- उत्सव किस तरह से मनाने वाले है?

परिवार की तरफ से उत्सव में सालों से कुछ डोनेशन देते है.इसके अलावा साथ मिलकर भोजन करना, दिए जलाना, नए कपडे पहनना आदि करते है. पटाखे अधिक मैं नहीं फोड़ता, क्योंकि इससे पोल्यूशन बढ़ता है.

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अनुपमा: क्या वनराज की वजह से इस शख्स को खो देगी अनुपमा? 

स्टार प्लस का सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) एक बार फिर टीआरपी चार्ट में पहले पायदान पर पहुंच गया है, जिसके बाद शो में आने वाले ट्विस्ट के जरिए मेकर्स दर्शकों का मनोरंजन करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं. वहीं अब शो की बात करें तो जहां अनुपमा अपने पैरों पर खड़े होने की तैयारी कर रही है तो वहीं वनराज का परिवार उससे दूर होता नजर आ रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आने वाला नया ट्विस्ट….

नई शुरुआत करेगी अनुपमा

अब तक आपने देखा कि अनुपमा, वनराज को पीछे छोड़कर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर रही हैं, जिसमें उसका साथ पूरा परिवार दे रहा है. इसी बीच अनुपमा ने डांस सीखने का मन बना लिया है, जिसके चलते वह बच्‍चों को डांस सिखाने का फैसला करती है. वहीं मां को सपोर्ट करने के लिए समर, अनुपमा को घुंघरू देता है औऱ कहता है कि बच्चों को सिखाने से पहले खुद डांस की प्रैक्टिस कर ले, जिसके बाद अनुपमा बेटे की बात मानकर डांस की प्रैक्टिस करने लगती है.  बेहद खुश हो जाती है और डांस करने लगती है.

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वनराज उठाता है ये कदम

अनुपमा की प्रैक्टिस के दौरान, वनराज ऑफिस जाने के लिए तैयार होता है. हालांकि उसे अपने मोजे नहीं मिल रहे होते. वहीं वनराज को गाने की आवाज आती है तो वो गुस्से में अनुपमा के पास जाता है और गाना बंद कर देता है. और गुस्से में कहता है कि मुझे पसन्द नहीं कि मेरी पत्नी पैर में घुंघरू बांधकर किसी को डांस सिखाए.

बापुजी को आएगा अटैक

 

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अनुपमा का सपोर्ट करने वाले उसके ससुर जी उसका हर कदम पर साथ दे रहे हैं. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा के ससुरजी को हार्ट अटैक आ जाएगा, जिसके बाद परेशान अनुपमा उन्हें बचाने के लिए वनराज को फोन करेगी. हालांकि वनराज इस दौरान काव्या के साथ होगा और फोन नही उठाएगा. अब देखना ये होगा कि क्या वनराज की एक गलती की सजा से अनुपमा अपने पिता जैसे ससुर को खो देगी.

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शादी के बाद दूसरों से सम्बन्ध जोखिमों से भरे

दिल्ली के बुराड़ी इलाके में स्थितपूजा और अशोक की शादी को4 साल बीत चुके हैं. दोनों अभी 28-32 साल की है. साल के भीतर की उम्र के हैं.यह शादी परिवार वालों की इच्छा से अरेंज हुई थी. अशोक के घरवालों को पढ़ीलिखी लेकिन घर संभालने वाली बहु चाहिए थी. वे शहरी लड़की बिलकुल नहीं चाहते थे, तो अपने पैतृक भूमि पौड़ी जिले (उत्तराखंड) के कोटद्वारनगर से पूजा का हाथ अशोक के लिए मांग ले आए थे.

किन्तु अशोक का अपने कालेज दिनों से ही आरती पर क्रश था. आरती से उस की पहली मुलाकात जीटीबी नगर के बस स्टैंड के पास हुई थी, जिस के बाद दोनों का रोज उस बसस्टैंड के पास यूंही मिलना और साथ में कश्मीरी गेट तक जाना होता था. बहुत बार बस में खाचाकाच भीड़ के चलते दोनों एकदुसरे के नजदीक आते.दोनों में तनबदन में सिहरन दोड़ती, फिर नजरें मिलती. कई बार बस की सीट पर साथसाथ ही बैठना हो जाता.

साथ में सफर करते हुए ही उन की आपस में बात होनी शुरू हुई और यह बातचीत आपस में कुछ समय के प्रेम तक भी जा पहुंची. दोनों को आपस में प्रेम तो हो गया लेकिन किसी की तरफ से इस बारे में परिवार वालों को बोलने कीहिम्मत नहीं हुई. दरअसल आरती शहरी लड़की थी, लेकिन शहरी से अधिक वह यूपी राज्य से तालुक रखती थी. दोनों की जाति, संस्कृति, क्षेत्र, व बोलीअलगअलग थी जो दोनों के प्रेम सबंध को शादी के बंधन में बंधने से रोक रही थी.

दोनों ने इसे जवानी के एक अच्छे क्रश या कहें कि कुछ समय का प्रेम ही समझा. अशोक ने आरती को किसी तरह की कमिटमेंट नहीं दिखाई तो आरती की कुछ समय बाद शादी तय हो गई. जिस के कुछ समय के बाद, अशोक भी अरेंज मैरिज के लिए आधे मन से तैयार हो गया.

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पूजा दिखने में अच्छी थी तो अशोक ने शादी के लिए हामी भर दी थी. शादी के दुसरे ही साल दोनों का एक बेटा हुआ. जिस के बाद पिछले साल ही परिवार ने दोनों के लिए अलगफ्लेट खरीदकर दे दिया. किन्तु संयोग से यह फ्लेट संत नगर इलाके के नजदीक आरती के मायके के एकदम पड़ोस में था. अशोक को पता तो था कि आरती इधर ही कहीं रहती थी लेकिन उस कामायका ठीक उस के पड़ोस मेंहोगा यह नहीं पता था.

पिछले साल सितंबर महीने के अंत में आरती का अपने मायके आना हुआ था. जिसे देख अशोक एकदम हक्काबक्का रह गया. दोनों की आपस में, काफी समय से बंद पड़े फेसबुक से, फिर से बातचीत शुरू हो गई. यह बातचीत रात देर रात को भी होने लगी थी. धीरेधीरे फेसबुक से इतर फोन पर भी बात होनी शुरू होगई. पूजा को धीरेधीरे अशोक में आए बदलाव पर शक होने लगा. जो अशोक पहले अपने फोन को यहांवहां कहीं भी बेफिकर रख जाया करता था, वह फोन को एक मिनट के लिए भी खुद से दूर नहीं रख रहा था. बल्कि अब तो अशोक अपने फोन पर लौक भी लगाने लगा था.

अशोक ने अब पूजा पर दिलचस्पी दिखाना भी कम कर दिया है. पूजा को आरती और अशोक के नाजायज रिश्ते के बारे में शक होने लगा है. पिछले एक साल से दोनों के बीच हर छोटी सी छोटी बात पर अनबन हो ही जाती है. न चाहते हुए भी झगड़ा बढ़ने लगता है. पूजा झगड़े में अगर कह दे, “मैं जानती हूं तुम्हारी हकीकत क्या है” तो अशोक की सिट्टीपिट्टी उड़ जाती है. वह इस बात को मोड़ने के लिए और भी झल्ला जाता है, और पूजा पर खूब जोरजोर से चीखने लगता है, जिस से उस की आवाज दब जाती है. उन के झगड़े की नौबत यहां तक अ गई है कि कई बार आसपड़ोस के लोगों को आ कर बीच में कूदना पड़ जाता है. कई बार अशोक के मांबाप को समझाने आना पड़ा है, लेकिन ‘ढाक के वही तीन पात.’

इन झगड़ों का असर काफी समय से उन के 2 साल के बेटे अनुज पर भी पड़ रहा है. हर बात में होने वाली चीखमचिल्ली से वह घबरा कर रोने लगता है. उस पर मानसिक अघात होने लगा है. उस की परवरिश में मातापिता का प्रेम पहले से काफी कम हो गया है. अशोक अगर अनुज को अपनी गोद में लेना चाहे तो उसी बात पर झगड़ा होने लगता है. इस साल की शुरुआत में पूजा झगड़ा कर अपने मायके चली गई थी, लौकडाउन लगा तो वह मायके में ही रह गई. लेकिनआज आलम यह है कि पूजा ने तय किया कि अब वह कुछ शर्तों के साथ ही वापस घर की दहलीज में आएगी, इसलिए अब वह अपने बेटे अनुज के साथ मायके में ही रह रही है, उस का फिलहाल वापस जाने की इच्छा नहीं है.

शादी के बाद अफेयर न बन जाए जोखिम

देखा जाए तोइस तरह के मामलों में शादीशुदा कपल्स के दो तरह से ही मामले सुलटते हैं, पहला, अलग होकर यानी ‘तलाक’ दे कर. दूसरा समझौतों के साथ रह कर.अधिकतर शादीशुदा कपल्स सब से पहले खराब हो चुके रिश्ते को फिर से संभालने की कोशिश में आपसी समझौतों को अपनाने की कोशिश करते हैं किन्तु इन मामलों में पहले जैसी ताजगी खत्म हो जाती है,विश्वास कमजोर हो जाता है, और बदला लेने या कम से कम एक बार किसी तरह से सबक सिखाने की इच्छा प्रबल रहती है, घाव हमेशा हरे रहते हैं, जो समयसमय याद कर फिर से हरे होने लगते हैं, जो खोया पैशन वापस नहीं दिला पाता.जब इस तरह से मामला सुलटता दिखाई नहीं देता तो तलाक की तरफ बढ़ने का फैसला लिया जाता है

कई बार रंगे हाथ पकड़े जाने पर मामला आपराधिक रूप भी ले लेता है. ऐसे में कभी कई हत्याओं की वारदातें इन्ही मामलों में सामने आई हैं. शादी के बाद नाजायज सम्बन्ध का ऐसा ही एक मामला पंजाब के कपूरथला जिले से सामने आया था. तलवंडी चौधराइन गांव में रहने वाला बलविंदर सिंह और रजवंत कौर का हंसताखेलता परिवार था. एक दिन अचानक रजवंत कौर का गौतम कुमार नामक व्यक्ति से नाजायज सम्बन्ध बनते उस के 4 वर्ष के बेटे ने देख लिया. जिस के बाद महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने बेटे को जान से मार दिया. जिस के बाद उन दोनों के ऊपर धारा 302 (हत्या) और 34 के तहत मामला चलाया गया.

ठीक ऐसा ही एक मामला इस साल अप्रैल माह में उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के खंडा गांव से सामने आया. जहां एक शादीशुदा महिला (रवीना) ने अपने प्रेमी (प्रताप), जो महिला का चचेरा भाई था, के साथ मिल कर रात में 2.30 बजे अपने पति विक्रम ठाकुर, उम्र 22, का गला रेत दिया. इस जोड़े का लगभग 1.5 साल का एक बेटा भी था.ऐसे अनेकों मामले पुरे देश के हर एक राज्य में पटे पड़े हैं, जहां शादी के बाद चल रहे प्रेमप्रसंग के चलते अपराध की वारदातें देखने को मिलती हैं.

वर्ष 2017 में इसी के चलते भारतीय सेना ने अपने एक अधिकारी को जूनियर अधिकारी की पत्नी के साथ सम्बन्ध रखने के चलते सख्त सजा सुनाई. ब्रिगेडियर और जूनियर अफसर दोनों ही देहरादून से तलूक रखते थे.यह सुनवाई पश्चिम बंगाल के बिनागुरी में चला, फैसला आर्मी कोर्ट ने लिया था. इस की शिकायत खुद ब्रगेडियर की पत्नी ने परिवार को बचाने के चलते की थी. जिस के फैसले के बाद ब्रिगेडियर के प्रमोशन पर 4 साल तक की रोक लगा दी थी.

बढ़ते तलाक के मामले और एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर

भारत में ऐसे अनेकों मामले निलंबित है जहां शादी में आई खटास के चलते शादीशुदा जोड़ा कोर्ट के दरवाजे खटकाने को मजबूर हो जाता है. इन आई खटासों का एक बड़ा कारण एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर भी रहता है. मिनिस्ट्री ऑफ़ ला से मिली जानकारी के अनुसार भारत में कुल 7 लाख तलाक के मामले दिसंबर 2017 तक पैंडिंग पड़े थे. इस में सब से अधिक मामले उत्तर प्रदेश के थे. जहां 38% मामलों के साथ कुल 2,64,409 मामले पेंडिग थे. वहीँ जनसंख्या अनुपात में देखा जाए तो सब से अधिक मामले केरल से सामने आए हैं. जहां कुल 61,970 मामले पैंडिंग थे. इस के बाद बिहार 46,735 और महाराष्ट्र 35,349 मामलों के साथ चौथे नंबर पर था.

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भारत में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को मनमाना व अप्रासंगिक घोषित कर दिया. तब के चीफ जस्टिस  दीपक मिश्रा, व जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन,चंद्रचूड, इंदु मल्होत्रा ने अपने अलगअलग लिखे निर्णयों में एक मत से “व्यभिचार” यानी एडल्ट्री की कानूनी वैधता को निरस्त कर दिया. अपने लिए फैसले में व्यभिचार को तलाक लिए जाने का एक मजबूत आधार बनाए रखा. यानि जो पहले अपराध की श्रेणी में आता था वह तो हट गया लेकिन व्यभिचार से भावनाओं और विश्वास को ठेस पहुंचने को रिश्ते में ना बने रहने का विकल्प का रास्ता बनाए रखा.

दरअसल 1860 का बना यह कानून लगभग 150 से अधिक साल पुराना था. इस कानून के तहत पुरुष को 5 साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान था. हांलाकि शादीशुदा पुरुष अगर किसी विधवा या कुंवारी महिला से सम्बन्ध बनाए तो वह एडल्ट्री में नहीं आता था.हांलाकि केंद्र सरकार इस कानून को बचाए रखने के पक्ष में थी, सरकार का मानना था कि भारतीय संदर्भ में ऐसा कोई प्रयास जो इस कानून को रद्द करने से सम्बंधित है वह ‘परिवार और शादी की पवित्रता’ को चोट पहुंचाएगा. किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्त्री की स्वाधीनता और बराबरी को बनाए रखने के लिए पितृसत्ता के खिलाफ निर्णय बताया.

ग्लीडेन की रिपोर्ट

यूं तो भारत में काफी संख्या में‘टिंडर’, ‘ट्रूलीमैडली’, ‘मैच’, ‘हिंग’, ‘बम्बल’ जैसे डेटिंग साइट्स या एप्स खुल चुके हैं,जो प्रेम,जीवनसाथी की तलाश के लिए युवाओं के बीच खासा प्रचलित भी हैं. जहां, युवा अपना काफी समय खर्च भी करते हैं. ऐसे में भारत प्राइम मार्किट के तौर पर इन साइट्स के लिए उभर कर सामने आया है. आज शहरी लोगों खासकर युवाओं के हाथों में एंड्राइड फोन और इन्टरनेट की सुविधा सरलता से पहुंच चुकी है इस क्षेत्र में बहुत बड़ा उछाल देखने को भी मिला है.

आमतौर पर यह साइट्स टीनेजर व यूथ में प्रचलित है. किंतु ग्लीडेन की प्रकाशित की गई रिपोर्ट कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. ग्लीडेन भारत का पहला ‘एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर ऐप है. जिस की शुरुआत भारत में वर्ष 2017 में हुई थी. ग्लीडेन कीहालिया रिपोर्ट के बाद भारत में व्यभिचार के कुछ हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई हैं. यह रिपोर्ट देश में अलग अलग समय में प्रकाशित होती रही हैं.ग्लीडेन के अनुसार भारत में इस साल जनवरी-फ़रवरी माह तक कुल 8 लाख यूजर्स थे जो इस ऐप का इस्तेमाल करते थे. वहीँ पूरी दुनिया में इसके यूजर्स की संख्या 32 लाख के आसपास है.

इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 के बाद, जब देश में एडल्ट्री कानून को निरस्त किया गया था, उस के बाद भारत में इस ऐप को चलाने वालो की संख्या में भारी बूम आया है. पिछले साल अंत में जारी की रिपोर्ट में ग्लीडेन ने मुख्य 5 शहरों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया, जिसमें बैगेलुरु, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और पुरे थे. जिस के आधार पर बताया गया कि भारत में शादीशुदा महिलाएं 30-40 के बीच अपने लिए अफेयर पार्टनर की तलाश में रहती हैं, वहीँ पुरुष 25-30 के बीच की महिलाएं. यह यूजर्स 34-49 साल के बीच के हैं. इस ऐप पर यूजर्स द्वारा हर दिन 3 विजिट के साथ समय खर्च 1.5 घंटा ओसतन है, व इसे इस्तेमाल करने का प्राइम टाइम रात 12 से सुबह बजे के बीच का है.

रिपोर्ट के अनुसार अपने शादीशुदा पार्टनर के साथ सब से अधिक संख्या में व्यभिचार करने में बैंगुलुरु 1.3 लाख के साथ पहले स्थान पर है, फिर उस के बाद क्रमशः मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और पुणे है. इन में अधिकतम सफेद कालर लोग शामिल हैं जैसे- डॉक्टर, डेंटिस्ट, हायरअप मैनेजर, चार्टेड अकाउंटेड इत्यादि.रिपोर्ट में कहा गया कि 77 प्रतिशत भारतीय रूटीन लाइफ और बोर होने के चलते अपने पार्टनर से चीट करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि 48 प्रतिशत भारतीय सोचते हैं कि यह संभव है कि एक साथ 2 लोगों के साथ रिश्ते बनाए जा सकते हैं.

वहीँ, इस ऐप ने लौकडाउन के दौरान भारतीय शादीशुदा जोड़ों में बढ़ती दिलचस्पी के आकड़े सामने रखे. ग्लीडेन के अनुसार जनवरी-फ़रवरी के मुकाबले लौकडाउन के पहले महीने मार्च-अप्रैल में 166 प्रतिशत यूजर्स की बढ़ोतरी हुई है. जो अभी कुल मिलकर 10 लाख के आकड़े को पार कर चूका है. जिस इस्तेमाल करने वालों में महिला पुरुष अनुपात 34:64 का है. जो दिखा रहा है कि आधुनिक समय में शादी से उकता चुके कपल्स अपने लिए कहीं और सुख ढूंढने की तलाश में रहते हैं.

विवाह के बाद दूसरों से सम्बन्ध खतरे से खाली नहीं

विवाह के बाद संबंधों का बनना किसी भी शादीशुदा परिवार के पतन की पहली निशानी होती है. खासकर भारत के लिए यह अति अवांछनीय कृति में है. भारत में शादी को आमतौर पर विश्वास और पवित्रता से जोड़ कर देखा जाता है. यह एक प्रकार का म्यूच्यूअल एग्रीमेंट होता है जिसे कथित विश्वास की मजबूत डोर से बांधा जाता है. भारतीय समाज में यौनिकता को अति विशेष निजी दायरे में रखा जाता है. जो दोनों (महिला-पुरुष) पर निर्धारित होता है. हांलाकि, यहां यह देखना जरुरी है कि पुरुष के लिए यह यौनिकता का सुख कभी भी दायरों में बंध के नहीं रहा है, तमाम रेडलाइट और कौठे पुरुषों की यौन सुखों को तृप्त करते रहे हैं. बाहर निकल कर, काम का बहाना मार, पत्नी की नजरों से बचबचा कर अपने यौन आजादियों का मजा पुरुष के अधिकार में ही आ पाया है.

किंतु उस के बावजूद बचेकुचे पारिवार की इमारत इन जैसे मामलों के उजागर होने से ध्वस्त होते रहे हैं.विवाह से बाहर दुसरे से सम्बन्ध से पूरा परिवार एक झटके में तबाह हो जाता है.चाहे पुरुष का व्यभिचार हो या चाहे महिला का व्यभिचार हो, बड़ी चोट महिला के ही हिस्से बंधती है. एक बार शादी टूटने से पुरुष के मुकाबले किसी महिला के लिए दोबारे अच्छे विकल्प के साथ शादी के बंधन में बंधना बहुत मुश्किल होता है.

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लेकिन यह बाद की बात है, उस से पहले परिवार के सभी सदस्यों को हर दिन इन विषयों पर सोच कर मानसिक अघात से गुजरना पड़ता है. एसटीडी का खतरा, एकदुसरे के प्रति सम्मान का खोना, रोज के झगड़े,डोमेस्टिक वायलेंस, विश्वास का छिन्नभिन्न हो जाना, सच्चाई को छुपाने के लिए कई झूटों को परोसना और अंत में सच सामने आने पर भारी गिल्ट में जीना या कुछ अपराधिक कृत्य कर गुजरना. ऐसे उदाहरण हम काफी देख चुके हैं. जहां सच्चाई सामने आने पर पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ पत्नी को मरवा दिया, या पति ने अपनी पत्नी को मार दिया.

ऐसे मामले में इस से होने वाले नुकसान सिर्फ पतिपत्नी के बीच ही सीमित नहीं रहते, बल्कि आने वाली जेनरेशन पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. 2015 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार विवाह के बाहर नाजायज संबंधो के चलते होने वाले पतिपत्नी के झगड़ों में बच्चों पर भारी विपरीत असर पड़ता है. वे इसे अपने दिमाग में आत्मसात करते हैं और अपने जीवन में भी उसी प्रकार रिएक्ट करते हैं.ऐसे में जरुरी है कि विवाहेत्तर बनने वाले संबंधो में पड़ने से खुद को नियंत्रित किया जाए, जहां किसी प्रकार का कपल्स में आपसी भटकाव होने लगे उन्हें बैठ कर पहले ही सुलझा लिया जाए. वहीँ अगर ऐसे मामले नियंत्रण से बाहर होने लगे तो अपने शादीशुदा रिश्ते को सच्चाई की बुनियाद पर टिका कर कन्फेस करने में ही भलाई है. फिर चाहे कपल्स का साथ में बने रहना हो या अलग होना हो, यह दोनों की आपसी समझदारी पर ही निर्भर करेगा.कि वह भविष्य में अपना जीवन कैसे निर्वाह करना चाहते है.

कोरोना के बाद नई राहें

कोरोना वायरस के चलते फैली कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया के लोगों का जीवन बदल कर रख दिया है. अचानक लागू किए गए लौकडाउन के चलते दिनोंदिन गिरती अर्थव्यवस्था ने कितनों की रोजीरोटी छीन ली, करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए.

इस दौरान कुछ लोगों ने हाथ पर हाथ रख कर न बैठते हुए कोई नया काम शुरू किया और वे सफल भी हुए. पुणे के रजत की जब नौकरी चली गई तो उस ने स्थिति देखते हुए फौरन कुछ नया काम करने की सोची. सैनिटाइज़ेशन के बिजनैस से अच्छा और क्या हो सकता था, सैंनिटाइज़ेशन की हर जगह जरूरत है, लोग अपनी गाड़ियों को आजकल सैंनिटाइज़ करना चाह रहे हैं लेकिन उन्हें ऐसा करने वाले लोग ढूंढने पड़ रहे हैं.

रजत ने घर में ही अपना औफिस खोला, घरघर जा कर इस बिजनैस को शुरू किया. लोग अपनी बिल्डिंग्स, गाड़ियों के अलावा औफिस भी सैंनिटाइज़ करना चाहते थे. इन सभी जगहों पर रजत के बिज़नैस की अच्छी शुरुआत हुई. उस का घर का खर्च आराम से निकलने लगा.

यह बिज़नैस बड़े शहरों के अलावा देश के किसी भी कोने में शुरू किया जा सकता है. हर क्षेत्र के लोगों को इस की जरूरत है. अब निजी गाड़ियों के अलावा टैक्सी के रूप में चलने वाले वाहन भी रोज सैंनिटाइज़ किए जाएंगे. इस में बाइक, टेम्पो, टैक्सी, बसें सब शामिल हैं. ऐसे में आप अपनी क्षमता के अनुसार यह काम शुरू कर सकते हैं.

देश के बड़े बिज़नैसमैन पहले ही जान लेते हैं कि अब किस तरह के बिज़नैस में किस तरह की मशीन की जरूरत पड़ेगी. आप ने देखा होगा कि मार्केटट में सैंनिटाइज़ेशन के लिए हर तरह की मशीनें आ गई हैं. आप अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से मशीनें खरीद सकते हैं. इस के अलावा चाहें तो कुछ लोगों को अपने साथ काम पर रख कर बड़े पैमाने पर शुरू कर सकते हैं.

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बड़े शहरों में रोज सुबह निजी वाहनों को साफ़ करने के लिए लोग आते हैं. ऐसे में आप उन से मिल कर उन के वाहनों को सैंनिटाइज़ करने का काम ले सकते हैं. बाइक मुश्किल से 10 मिनट में सैंनिटाइज़ हो जाएगी, कार 20 मिनट तक लेगी. ऐसे आप सुबह से शाम तक कई गाड़ियों को सैनिटाइज़ कर सकते हैं. जहां तक लागत का सवाल है, तो इस में खर्च आप की मशीन और प्रयोग होने वाले कैमिकल का ही होगा.

इन की कीमत निकालने के बाद बाइक और कार के लिए आप आराम से रेट तय कर सकते हैं. वहीं, घर और औफिस को सैंनिटाइज़ करने के लिए आप को ज्यादा पैसा मिल सकता है. कुल मिला कर इस बिजनैस की आजकल खूब डिमांड है. आप कुछ करना चाह रहे हैं, तो इस में हाथ आज़मा सकते हैं.

लौकडाउन की मार झेलते हुए बड़ी संख्या में प्रवासी लोग अपने गांव वापस लौटे. ये कुछ काम करना चाहते थे. कुछ लोग परिवार के साथ मिल कर खेती और दूध के बिज़नैस से ही अच्छी कमाई कर रहे हैं. ये परिवार टमाटर, गोभी, मूली कई तरह की बेमौसम सब्जियां उगा रहे हैं. पहाड़ी इलाकों में बेमौसमी जैविक सब्जियों का बाजार बहुत बड़ा है. अब मैदानी इलाकों में भी इस की मांग काफी बढ़ रही है.

ठाणे के अनिल की नौकरी अचानक चली गई, तो किसी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या करें. एक बेटी थी जो पढ़ रही है. अनिल की पत्नी रेनू बहुत ही अच्छी कुक है, उसे हर तरह का खाना बनाना आता है. कोरोना के दौरान सोसाइटी में अकेली रहने वाली 80-वर्षीया नीरा आंटी की मेड नहीं आ रही थी. रेनू ने उन आंटी को खाना भेज कर हैल्प करने के लिए औफर दिया.

आंटी ने कहा, ”खाना तो मुझे चाहिए, एक टिफ़िन रोज भेज देना, पर तुम्हें उस के लिए पैसे लेने होंगें,” रेनू उन से एक टिफ़िन का सौ रुपए ले लेती. धीरेधीरे और लोग भी रेनू से टिफ़िन देने की रिक्वैस्ट करने लगे. अनिल ने रेनू की कुकिंग में पूरी तरह से हैल्प करनी शुरू की. आज रेनू बहुत से टिफ़िन तैयार करने का काम कर रही है. इतने और्डर मिलते हैं कि वह हैरान है, न कोई विज्ञापन दिया, न किसी से कोई हैल्प मांगी, फिर भी काम खूब चल निकला.

अगर आप भी कुछ अलग करना चाह रहे हैं तो एक काम और कर सकते हैं. हमारे देश में आज भी प्लास्टिक या स्टील के कप के बजाय मिटटी के कप, जिन्हें कुल्हड़ भी कहा जाता है, में चाय, कौफ़ी पीना ज्यादा अच्छा लगता है. इन मिटटी के कपों की आपूर्ति उतनी नहीं हो पा रही है जितनी इन की मांग होती है. इसलिए, यह एक अच्छा बिज़नैस हो सकता है. इन की मांग ज्यादा है जबकि सप्लाई कम. इस के लिए आप कम पैसों से काम शुरू कर के ठीकठाक कमा सकते हैं. वैसे भी, प्लास्टिक से बने कप पर्यावरण और हैल्थ दोनों के लिए नुकसानदायक होते हैं. मिटटी के कपों में चायकौफ़ी पीना ज्यादा अच्छा है.

मुंबई में ही एक प्रौपर्टी डीलर हैं,किशन कुमार. कोरोना ने उन के औफिस में जैसे ताला ही लगवा दिया. मौके की नजाकत को समझते हुए उन्होंने फौरन तरहतरह के मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया, जो खूब चल निकला. आजकल तो वे सैनिटाइज़र लटकाने वाले हुक बना रहे हैं, जिसे जींस या पैंट की बेल्ट में लटका कर उस में सैनिटाइज़र ले जाया जा सकता है, जैसे बहुत पहले पेजर, फिर मोबाइल फोन लटकाया जाता था.

आज जब पूरी दुनिया कोरोना संकट की चपेट में है. रैस्तरां जैसे केंद्र बंद करने पड़ गए. वहीं, जापान में एक अनूठी पहल देखने को मिली. उस पहल को काफी सराहा जा रहा है. सैंट्रल जापान में एक सुशी रैस्तरां है, जिस ने ऐसे समय में अपनी सेल्स बढ़ाने के लिए एक ख़ास तरीका निकाला है. इस रैस्तरां ने बौडी बिल्डर्स को नौकरी दी. उन्हें बिना शर्ट पहने फ़ूड डिलीवरी पर लगाया. इस कौन्सैप्ट की चर्चा जापान में ही नहीं, पूरी दुनिया में हो रही है.

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शर्टलैस फ़ूड डिलीवरी कराने का विचार इस रैस्तरां के प्रमुख शेफ मसनौरी के दिमाग में आया, जो खुद भी बौडी बिल्डर रहे हैं. जिस जगह वे बौडी बिल्डिंग करते थे, वहां उन के कुछ दोस्त भी थे. उन्होंने इस विचार में उन्हें भी शामिल करने की सोची. इस में 2 बातें थीं, पहले रैस्तरां की इनकम को कोरोना जैसी मुसीबत के समय बढ़ाना और दूसरे अपने बौडी बिल्डर दोस्तों को नौकरी देना. उन्होंने दोनों चीजों को मिला कर एक अच्छा रास्ता निकाल लिया. रैस्तरां की खास पहचान बनी और उन के दोस्तों को काम मिला.

हालात कितने भी कठिन हों, सूझबूझ और इच्छाशक्ति से हल निकाला जा सकता है. ये उदाहरण समय के साथ चलने का हुनर सिखाते हैं और अनुकूलन का पाठ पढाते हैं कि समय के अनुसार चल कर इंसान अपनी मंजिल पा सकता है. कोविद-19 के इस मुश्किल समय ने अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट पहुंचाई है. इस दौर में नए आविष्कार समय की जरूरत हैं. लोगों को नए आइडिया पर सोचने और आगे बढ़ने की जरूरत है. उम्मीद कर सकते हैं कि हम जल्दी ही इस बुरे दौर से बाहर आएंगे. नई राहों की तरफ कदम बढ़ाना होगा जिस से कोरोना के कारण अपने काम में हो रहे नुकसान की चिंता से बाहर निकल सकें. सो, पौजिटिव सोच और जज्बे के साथ आगे बढ़ना होगा.

Diwali Special: इस फ़ेस्टिव सीज़न घर पर बनाए वेज पिज्जा मैकपफ़

जबसे हमारे देश में कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दी है तब से अधिकतर लोग स्ट्रीट फ़ूड खाने से बचने लगे है. पहले के मुकाबले लोग अब बाहर का कुछ भी खाने से पहले सौ बार सोचते है. अब बाहर का जंक फ़ूड न खा कर अधिकतर लोग घर में कुछ नया Try करते रहते है.और कहीं न कहीं ये सही भी है.क्योंकि बाहर का स्ट्रीट फ़ूड ज्यादातर Unhealthy और Unhygenic होता है.ये खाने में तो स्वादिष्ट होता है पर इससे हमारे शरीर की Immunity पर काफी बुरा असर पड़ता है.

लेकिन ये भी सच है की हर रोज़ एक जैसा खाना खाकर बच्चे तो क्या बड़े भी बोर हो जाते है.और इसीलिए उन्हे बाहर के जंक फूड और चटपटी चीज़ें खाना ज्यादा पसंद आता है.

तो चलिए आज कुछ नया try करते है जो खाने में स्वादिष्ट भी हो और healthy भी. क्योंकि स्वस्थ खाने का मतलब यह नहीं होता कि आपको हमेशा अपने स्वाद के साथ समझौता करना होगा.

हममें से ज्यादातर लोग Mac-Donald में Veg Pizza McPuff खा चुके होंगे और हो सकता है कि उन्होने सोचा भी हो कि घर पर तो इसे बनाना असंभव है. तो आज की मेरी यह रेसिपी उन सभी Mcpuff प्रेमियों के लिए है जो इस लाजवाब रेसिपी को घर पर बनाना चाहते हैं .

जी हाँ आज हम बनाएँगे Veg Pizza McPuff और वो भी बहुत ही आसान तरीके से. वैसे तो इसे बनाने में मैदे का प्रयोग होता है पर अगर हम इसे healthy बनाना चाहते हैं तो इसमें मैदे की जगह गेंहू के आटे का प्रयोग करेंगे.तो चलिये जानते है की इसके लिए हमें क्या-क्या चाहिए-

कितने Veg Pizza McPuff बनेंगे- 7 से 8
कितना समय- 20-25 मिनट
मील टाइप-वेज

हमें चाहिए-

गेहूं का आटा – 2 कप (250 ग्राम)
नमक – स्वादानुसार
पनीर -1/2 कप घिसा हुआ (ऑप्शनल)
बेकिंग पाउडर – ½ छोटी चम्मच
गाजर – ½ कप ( बारीक कटी हुई)
फ्रेंच बीन्स – ¼ कप ( बारीक कटी हुई)
शिमला मिर्च – ½ कप ( बारीक कटी हुई)
स्वीट कॉर्न – ¼ कप
मोजेरीला चीज़ – ½ कप (कद्दूकस की हुई)
टोमॅटो सॉस – 2 टेबल स्पून
अदरक – ½ इंच टुकडा़ (बारीक कटा हुआ)
लहसुन-5 से 6(बारीक कटा हुआ)
ओरगेनो – ½ छोटी चम्मच(ऑप्शनल)
तेल – तलने के लिए

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बनाने का तरीका –

1-सबसे पहले आटे को एक बड़े बर्तन में निकाल लीजिए. अब आटे में 1/2 छोटी चम्मच नमक, बेकिंग पाउडर और 2 चम्मच तेल डालकर सभी चीजों को अच्छी तरह मिला लीजिये.
2- फिर ठंडे पानी की सहायता से थोड़ा सख्त आटा गूंथकर तैयार कर लीजिये. अब आटे को ढककर आधे घंटे के लिए रख दीजिए.

स्टफिंग बनाएं के लिए-

1- Veg Pizza McPuff की स्टफिंग बनाने के लिए पैन में 2 छोटी चम्मच तेल डालकर गरम कर लीजिए. तेल के गरम होने पर इसमें बारीक कटा हुआ अदरक और लहसुन डाल कर हल्का सा भून लीजिए.
2-इसके बाद, इसमें बारीक कटी हुई गाजर, बारीक कटी शिमला मिर्च, बारीक कटी फ्रेंच बीन्स और स्वीट कॉर्न डालकर लगातार चलाते हुए 5 मिनिट के लिए मध्यम आंच पर पकाए.
3-अब इसमे टोमॅटो सॉस,ओरगेनो और नमक डालकर अच्छे से मिला दीजिये.अब 1 से 2 मिनट बाद इसमे घिसा हुआ पनीर डाल दीजिये और 2 मिनट के बाद गॅस को बंद कर दीजिये.
4-स्टफिंग के ठंडा होने पर इसमें मोजेरिला चीज़ मिला कर अच्छे से मिक्स कर दीजिए.

Veg Pizza McPuff बनाने का तरीका

1-अब Veg Pizza McPuff बनाने के लिए आटे को थोड़ा सा हाथ से मसल कर चिकना कर लीजिए. इसके बाद आटे की बराबर साइज़ की लोइयां बना लीजिए.
2-अब लोई को बेलन की सहायता एक रोटी के आकार का थोड़ा मोटा बेल लीजिये.फिर चाकू की सहायता से रोटी को लम्बाई और चौड़ाई में दो भाग करते हुए काट लीजिए .
3-शीट के किनारों के चारों और पानी लगा लीजिए. इसके बाद, करीब एक चम्मच स्टफिंग को एक टुकड़े में रखकर किनारे छोड़ते हुए लम्बाई में फैला दीजिए और दूसरी प्लेन शीट को स्ट्फिंग वाली शीट के ऊपर रखकर चारों ओर से हल्के हाथों से दबाव देते हुए चिपका लीजिए.
4-फोर्क की मदद से चारों ओर हल्का दबाव देते हुए निशान बना दीजिए. इससे ये शीट अच्छे से चिपक भी जाती है और देखने में भी अच्छी लगती है. इस तैयार पिज़्ज़ा पफ को ट्रे मे रख दीजिए और सारे पिज़्ज़ा पफ इसी तरह बनाकर तैयार कर लीजिए.
(NOTE: आप चाहे तो वेज पिज्जा मैकपफ़ बनाने के लिए आप गुझिया के साँचे का भी प्रयोग कर सकती है ,इससे आपको इसका शेप देने मे बहुत आसानी रहेगी.)

5-इन पिज़्ज़ा पफ को 1/2 घंटे के लिए फ्रिज में रख दीजिए.

6– Veg Pizza McPuff बनाने के लिए कढ़ाही में तेल डालकर मीडियम आंच पर गरम करिए. मीडियम गरम तेल होने पर एक पिज़्ज़ा पफ उठाइये और गरम तेल में डालिये. पिज़्ज़ा पफ को कलछी से पलट-पलट कर गोल्डन ब्राउन होने तक तलिये. इसी तरीके से सारे पिज़्ज़ा पफ तलकर तैयार कर लीजिए.
(NOTE: एक बार के पिज़्ज़ा पफ तलने में 6 से 7 मिनिट लग जाते हैं)

7–गरमा-गरम क्रिस्पी और टेस्टी पिज़्ज़ा पफ बनकर तैयार हैं आप इन्हे टोमॅटो सॉस,मस्टर्ड सॉस और मायोनीज़ के साथ भी खा सकते है.

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मुझे पीरियड्स के दौरान बहुत ऐंठन और योनि में दर्द रहता है?

सवाल-

मैं 21 साल की हूं. मुझे पीरियड्स के दौरान बहुत ऐंठन और योनि में दर्द रहता है. ऐसा कुछ ही महीनों से होने लगा है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

मासिकधर्म के दौरान बहुत लड़कियों को यह परेशानी होती है. अत: आप नियमित व्यायाम करें. अपने पेट या पीठ के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड रखें या फिर गरम पानी में स्नान लें. आप इन दिनों पूर्ण आराम करें. इस के बाद भी अगर फर्क नहीं पड़ता है तो स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें, क्योंकि ये सभी संकेत पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज, ऐंडोमिट्रिओसिस या फिर फाइब्रौयड्स के भी हो सकते हैं.

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पीरियड्स एक नेचुरल क्रिया है जिस के बारे में जानना हर बढ़ती उम्र की लड़की और उस की मां के लिए जरूरी है. मां के लिए यह जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस प्राकृतिक क्रिया के बारे में अपनी बेटी को वह ही बेहतर तरीके से समझा सकती है. इन दिनों में लड़कियों के शरीर में अलगअलग बदलाव होते हैं और ये बदलाव होते बहुत ही सामान्य हैं. ये बदलाव हर लड़की के हार्मोंस पर निर्भर करते हैं.

कुछ लड़कियां पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग्स का सामना करती हैं तो कुछ लड़कियों को कोई खास बदलाव महसूस नहीं होता है. ऐसे ही कुछ लड़कियां डिप्रैशन और इमोशनल आउटबर्स्ट का शिकार होती हैं. इसे कहते हैं प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम और 90 प्रतिशत लड़कियां वर्तमान में इसे महसूस कर रही हैं. पीरियड के दौरान अनेक परेशानियां भी आती हैं. महीने में 2 बार पीरियड्स क्यों हो रहे हैं? मसलन, फ्लो इतना ज्यादा या इतना कम क्यों है? पीरियड्स और लड़कियों के समान क्यों नहीं हैं? अनियमित पीरियड्स क्यों हैं? ये सब प्रश्न अकसर हमारे दिमाग में घर कर लेते हैं. हमें यह समझने की जरूरत है कि ये सब परेशानियां असामान्य नहीं हैं. हर महिला का मासिकधर्म और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है.

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