चर्चा में हुंडई वरना का इंजन, सबकुछ है परफेक्ट और नया

हुंडई वरना के स्टाइलिश लुक के अलावा इसे पसंद करने की एक खास वजह इसका इंजन भी है. नई वरना में 1.5 लीटर डीजल इंजन की वजह से 113 बीएचपी और 25.5kmpl टार्क तक का माइलेज मिलेगा. नई वरना 115 हॉर्स पावर वाले 1.5 लीटर डीजल इंजन के साथ लॉन्च हुई है, जो माइलेज के मामले में पुराने मॉडल से काफी बेहतर है.

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वहीं इस कार में नेचुरली एस्पीरेटेड पेट्रोल इंजन है, जो 114 हॉर्स पावर की ताकत के साथ मिलेगा यानी जरूरत पड़े पर आप इसे अपने हिसाब से बढ़ा सकते हैं. साथ ही डीज़ल इंजन का मजबूत मिड-रेंज टॉर्कआपको इन-गियर एक्सीलेरेशन देता है, जिससे ड्राइव करते समय आपको बार-बार गियर शिफ्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जो आपकी ड्राइव को आसान बनाने के लिए काफी है. यानी ये दोनों वर्ल्ड बेस्ट इंजन हैं और इसिलए वरना #BetterThanTheRest है.

‘कार्तिक-नायरा’ के फैंस के लिए खुशखबरी, कोरोना रिपोर्ट में हुआ ये खुलासा

बीते दिनों सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के सेट पर कोरोनावायरस का असर देखने को मिला, जिसके बाद फैंस नायरा और कार्तिक के सेफ होने की दुआए मांग रहे हैं. दरअसल, पिछले दिनों कार्तिक के पिता की भूमिका में नजर आने वाले एक्टर सचिन त्यागी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद शो के बाकी लोगों की भी कोरोना जांच करवाई गई थी, जिसमें अहम कलाकारों में से एक स्वाति चिटनिस और समीर ओंकार की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई थी. वहीं मोहसिन और शिवांगी जोशी की भी कोरोना रिपोर्ट भी आज आ गई है.

मोहसिन-शिवांगी की रिपोर्ट निकली नेगेटिव

सीरियल के सदस्य के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मेकर्स ने तुरंत सभी कलाकारों और क्रू मेंबर्स का कोरोना टेस्ट करवाया था और अब सीरियल के लीड एक्टर्स यानी कि शिवांगी जोशी और मोहसिन खान की कोरोना रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है.

खबरों की मानें तो शिवांगी जोशी और मोहसिन खान दोनों की ही कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है. कहा जा रहा है कि ‘शिवांगी और मोहसिन को आज ही उनकी रिपोर्ट मिली है जोकि निगेटिव आई है. हालाकि, सभी कलाकारों को होम क्वारंटाइन के लिए कह दिया गया है ताकि सभी लोग सुरक्षित रहें.’

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बता दें,इन दिनों ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ का करेंट ट्रैक सचिन त्यागी के किरदार मनीष गोयनका के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. ऐसे में मेकर्स ने कहानी में नया ट्विस्ट लाने का मन बनाया है. दरअसल, खबरें हैं कि ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के मेकर्स ने अब कीर्ति और नक्क्ष के साथ-साथ उसके एक्स हस्बैंड आदित्य के किरदार पर फोकस करने वाले हैं.

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TV और फिल्मों के बाद डिजिटल वर्ल्ड में मौनी रॉय की धमाकेदार एंट्री, ट्रेलर रिलीज

‘‘क्योकि सास भी कभी बहू थी’,‘देवों के देव महादेव’,‘नागिन’,’मेरी आशिकी तुझसे’सहित कई चर्चित सीरियलों के अलावा‘तुम बिन -2’ व ‘मेड इन चाइना’जैसी फिल्मों की चर्चित अदाकारा अब पहली बार डिजिटल माध्यम में कदम रखने जा रही हैं.वह फिल्म ‘‘लंदन कंफीडेंशियल’’ से डिजिटल जगत मंे कदम रखने जा रही हैं,जो कि 18 सितंबर को ‘ओटीटी’प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर आएगी.इस रोमांचक व जासूसी फिल्म में उनके साथ पूरब कोहली, प्रवेश राणा और कुलराज रंधावा भी है.

फिल्म ‘लंदन कंफीडेशियल’ का टीजर आ चुका है. यह अंडरकवर एजेटों की कहानी है.टीजर में चीन के अधिकारी एक भारतीय जासूस बीरेंन (पूरब कोहली)से पूछताछ कर यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि चीनी प्रतिनिधिमंडल में उसका स्रोत क्या हैै.इससे बीरेन की टीम का हर सदस्य काफी परेशान और चिंतित है.क्योकि सभी को पता है कि सच बीरेन को ही पता है.उधर एक काॅंफ्रेंस चल रही है,जिसमें इस बात की चर्चा है कि सिर्फ एक सप्ताह का समय बचा है,उससे पहले कुछ नहीं किया गया,तो एक वायरस बाहर निकलेगा और हर शहर को बर्बाद कर देगा.

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फिल्म‘‘लंदन कंफीडेशियल’’ में एक अंडर कवर एजेंट का किरदार निभा रही अभिनेत्री मौनी राॅय ने अपने इंस्टाग्राम पर इसका टीजर पोस्ट करते हुए लिखा है-‘‘दो अंडर कवर एजेंट..एक भयंकर कंसीपरेंसी..वाच देम अनकवर..द ट्ेटर विदिन एंड चाइनीज प्लाट..’’

कंवल सेठी निर्देशित फिल्म ‘‘लंदन कंफीडेंशियल की कहानी कोरोना महामारी के इर्द गिर्द घूमती है.दो जासूस पूरब कोहली और मौनी राॅय लंदन में महामारी फैलाने वाले चीन के खिलाफ सबूत हासिल करने में सफल होने वाले होते हैं,तभी उन पर लगातार कई जघन्य हत्याएं करने का आरोप लग जाता है.

ह वेब फिल्म ‘‘जी 5’’पर उस वक्त आ रही है,जब भारत व चीन के बीच तनाव अपनी चरम सीमा पर है.और पूरा विश्व ‘कोरोना महामारी’ के लिए चीन को ही दोषी ठहरा रहा है. पर देखना होगा कि यह फिल्म हर मुद्दे को कितनी संजीदगी के साथ पेश करती है.

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कोरोना की वजह से बदलेगा ‘ये रिश्ता’ का ट्रैक! इस शख्स के लिए घरवालों से झूठ बोलेगी ‘कीर्ति’

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सेट पर कोरोना ने दस्तक दे दी है. बीते दिनों मेकर्स ने फैंस को बताया था सीरियल में कार्तिक के पिता और दादी के रोल में नजर आने वाले एक्टर सचिन त्यागी और स्वाति चिटनिस समेत 7 लोग कोरोना से पीड़ित पाए गए हैं, जिसके बाद आनन-फानन में सीरियल की शूटिंग को बंद किया गया है. लेकिन अब खबर है कि सीरियल में बड़ा बदलाव देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

पिता की बजाय बहन के ट्रेक पर चलेगी कहानी

इन दिनों ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ का करेंट ट्रैक सचिन त्यागी के किरदार मनीष गोयनका के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. ऐसे में मेकर्स ने कहानी में नया ट्विस्ट लाने का मन बनाया है. दरअसल, खबरें हैं कि ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के मेकर्स ने अब कीर्ति और नक्क्ष के साथ-साथ उसके एक्स हस्बैंड आदित्य के किरदार पर फोकस करने वाले हैं.

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कीर्ति देगी घरवालों को धोखा

अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में मेकर्स एक नया मोड़ लेकर आने वाले है. कहा जा रहा है कि अपकमिंग एपिसोड में कार्तिक की बहन कीर्ति अपने घरवालों की आंख में धूल झोंककर अपने एक्स हसबैंड आदित्य से मिलने जाएगी.

बता दें, सीरियल में इन दिनों कार्तिक के पिता मनीष की दिमागी हालत खराब होने के बाद नायरा और कार्तिक के बीच तनाव देखने को मिल रहा है. दोनों एक दूसरे से दूर भाग रहे हैं. वहीं नायरा कोशिश कर रही है कि वह अपने ससुर को ठीक कर पाए.

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इश्क़ में मरजावाँ: क्या वंश को खतरे से बचा पाएगी रिद्धिमा?

कलर्स के सीरियल ‘इश्क़ में मरजावाँ’ की ये कहानी है मुंबई में रहने वाली एक अनाथ लड़की रिद्धिमा की, जिसका सपना इतना ही है कि वो कबीर से शादी कर उसके साथ घर बसाए. वो कबीर से बेइंतहा प्यार करती है और उसके प्यार के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार होती है. वहीं कबीर एक पुलिस ऑफिसर है  जिसकी ज़िन्दगी में दो ही चीज़ें मायने रखती हैं एक उसका प्यार रिद्धिमा और दूसरा बिज़नेस की आड़ में ड्रग्स और अवैध हथियारों का गैरकानूनी धंधा करने वाले खतरनाक माफ़िया, वंश रायसिंघानिया को गिरफ्तार करना.

कबीर के लिए अपने प्यार की कीमत को चुकाते हुए रिद्धिमा ने वंश से शादी कर ली है. वहीं वह हर कोशिश कर रही है कि वंश के खिलाफ सबूतों को इकट्ठा करके कबीर को सौंप सके और इस झूठी और ज़बरदस्ती की शादी से पीछा छुड़ा कर कबीर के पास वापस जा सके. लेकिन वंश के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने की कोशिश में, उसके सामने कई गहरे राज़ खुलने लगते हैं. आइए आपको बताते हैं आगे की कहानी की ख़ास झलक…

अब तक आपने देखा कि अजीब घटनाओं के बीच गणपति के दौरान रिद्धिमा, रागिनी के सच की खोज को और करीब से जानने की कोशिश में लगी हुई है और इसी कोशिश ने उसके सामने एक और बड़ी पहेली लाकर खड़ी कर दी है. जहाँ उसका सामना होता है सीक्रेट रूम  में रखी एक और लड़की की पेंटिग और स्टैच्यू से.

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इसी सच से परदा हटाने के लिए वह पेंटिग में मौजूद लड़की का लिबास पहन कर और उसकी तरह बन कर वंश से सच उगलवाने की कोशिश करती है. लेकिन तभी उसका सामना होता है एक और चुनौती से जहाँ कोई रहस्यमयी शख्स, रिद्धिमा को जाल में फंसाने के लिए उस पेंटिग को जला देता है और जब रिद्धिमा उस इंसान का पर्दा फाश करने की कोशिश करती है. तो उसके सामने एक बड़ा राज खुल जाता है, जो उसके पैरों तले ज़मीन खींच लेता है. क्योंकि वो रहस्यमयी शख्स और कोई और नहीं बल्कि वंश की माँ अनुप्रिया होती है. पर रिद्धिमा तस्वीर को जलाने का इल्जाम खुद पर ले लेती है. क्योंकि वह नही चाहती है कि वंश और उसकी माँ के बीच दरार आ जाए.

इन सब के बीच, गणपति विसर्जन के दिन, रिद्धिमा की जान पर सबसे बड़ा खतरा मंडराने लगा है जहाँ अनदेखा साया और  एक रहस्यमयी किरदार, जो जहरीली गैस से उस पर हमला कर उसे और वंश के परिवार को ख़त्म करने की फ़िराक में है.

अब देखना ये है कि आखिर क्या है दूसरी पेंटिग और स्टैच्यू का सच, जो जुड़ा है वंश से? क्या रिद्धिमा को सच का पता चल पाएगा? क्या रिद्धिमा इस गणपति खुद विघ्नहर्ता बन कर बचा पाएगी वंश और उसके परिवार को इस अनजाने और खतरनाक खतरे से? जानने के लिए देखिए, ‘इश्क़ में मरजावाँ’, सोमवार से शनिवार, शाम 7 बजे सिर्फ कलर्स पर.

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ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

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बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:

– उम्र सब से बड़ा कारक माना

जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.

– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी

शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.

– अनुवांशिक कारणों से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है.

हाइपरटेंशन की स्थिति को नियंत्रण करने के लिए निम्न चीजों को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें:

स्वस्थ व ताजा भोजन खाएं

आहार स्वस्थ जीवन का आधार होता है. यदि आप का आहार ठीक नहीं है तो कुछ समय बाद आप को रोग घेर लेंगे. अपने भोजन में जितना हो सके हरी सब्जियां, दाल, फल और अनाज का इस्तेमाल करें. इस के अलावा फैट बढ़ाने वाले पदार्थों से दूर रहें.

समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच

आप समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच करते रहें. इस से आप को अपने ब्लडप्रैशर के लेवल का पता चलता रहेगा और आप के मन में चिंता नहीं रहेगी.

नींद पूरी लें

नींद का पूरा होना बहुत जरूरी है. यदि दिमाग को आराम नहीं मिलेगा तो वह टैंशन, चिंता, तनाव से भरा रहेगा और इस से डिप्रैशन तक हो सकता है.

खुद को हाइड्रेट रखें

ब्लडप्रैशर चाहे हाई हो या लो या फिर उचित हमेशा एक बात याद रखिए कि आप पानी प्रचुर मात्रा में पीएं. यदि आप के शरीर में पानी की मात्रा ठीक रहेगी तो आप को ब्लडप्रैशर संबंधित समस्या कम होगी.

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सरका रेंज

माइक्रोलाइफ के द्वारा निर्मित इस रेंज की मार्केटिंग एरिस लाइफसाइंसेज द्वारा की जाती है. इसके बीपी मौनिटर्स को 11 क्लिनिकल कंडीशंस में परखा गया है ताकि इस के सही परिणाम मिल सकें. बीपी मौनिटर्स 5 साल की वारंटी के साथ आते हैं. इसके 98 एफएक्स थर्मोमीटर भी उपलब्ध हैं जो कि एफडीए द्वारा प्रमाणित हैं.

ध्यान रखें यदि आप का बीपी मौनिटर प्रमाणित नहीं है तो वह सही माप नहीं दे सकता, जो कि आप की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

महिलाएं क्यों हो जाती हैं डिप्रैस

रीना और नरेश की शादी को 3 साल हो गए हैं. पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं. औफिस में काम के सिलसिले में उन्हें शहर के बाहर भी जाना पड़ता है. अभी तक सब ठीक चलता आ रहा था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से रीना को थकान, बेचैनी और नींद न आने की शिकायत रहने लगी है. डाक्टर को दिखाने पर पता चला कि रीना तनाव में जी रही है. नौकरी के कारण पतिपत्नी को काफी समय तक अलगअलग रहना पड़ता. जब तक उस का पति साथ रहता, तब तक सब सही रहता, लेकिन जब वह अकेली होती तो उस के लिए घर के कामों और नौकरी के बीच तालमेल बैठाना मुश्किल हो जाता. वैसे भी रीना चाह रही थी कि अब वह अपना घर संभाले, परिवार बढ़ाए. मगर उस का पति कुछ समय और इंतजार करना चाह रहा था. बस इसी वजह से रीना तनाव में रहने लगी थी.

तनाव के कारण द्य आजकल की दिनरात की दौड़धूप, औफिस जानेआने की चिंता, बच्चों की देखभाल, उन की पढ़ाई की चिंता, परिवार के खर्चे आदि कुछ ऐसे कारण हैं, जो पुरुषों से अधिक औरतों को परेशान करते हैं. इन के अलावा हारमोन का बैलेंस गड़बड़ाना (माहवारी से पहले और मेनोपौज के दौरान), मौसम में बदलाव आदि भी किसी महिला के जीवन में अवसाद का कारण बनते हैं.

द्य गर्भधारण के समय से ही महिलाओं के दिमाग में बेटा होगा या बेटी की चिंता घर करने लगती है. परिवार के बड़ेबुजुर्ग बारबार बेटाबेटा कह कर उन के तनाव को और बढ़ा देते हैं, जबकि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि औलाद के बेटा या बेटी होने के लिए किसी भी महिला को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. फिर भी हमारे समाज में अनपढ़ ही नहीं पढ़ेलिखे लोग भी बेटी होने पर दोषी मां को ही ठहराते हैं. द्य सच कहा जाए तो तनाव की शुरुआत बेटी के जन्म से ही हो जाती है और उस की उम्र के साथसाथ बढ़ती जाती है.

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द्य अच्छे पढ़ेलिखे होने के बावजूद मनपसंद नौकरी न मिलना, नौकरी मिल जाए तो समय पर तरक्की न मिलना, घरबाहर के कामों के बीच तालमेल न बैठा पाने के कारण पढ़ीलिखी युवतियां भी तनाव से घिरती चली जाती हैं. द्य मनोवैज्ञानिकों के शोधों से पता चलता है कि किसी कंपीटिशन में नाकामयाब होने पर भी महिलाएं जल्दी निराशा के कारण तनाव से घिर जाती हैं.

द्य चिंता, परेशानी और दबाव से भी तनाव पैदा होता है. यह कोई रोग नहीं है. हालात से तालमेल न बैठा पाना, परिवार और दोस्तों से जरूरत पर मदद न मिल पाना, मेनोपौज में हारमोन बैलेंस गड़बड़ाना आदि किसी भी महिला के जीवन में तनाव का कारण बन सकते हैं. शराब या अन्य नशा, अपनी किसी बीमारी का सही तरीके से इलाज न कराना आदि भी तनाव के लिए जिम्मेदार हैं. कई बार महिलाओं में रिटायरमैंट के बाद भी ये हालात पैदा हो जाते हैं. लक्षण

द्य याददाश्त कमजोर होना, उलटी की इच्छा होना, सांस लेने में परेशानी, भूख कम लगना, शारीरिक क्षमता का कम होना, काम में मन न लगना, सिरदर्द, ज्यादा पसीना आना, मुंह सूखना, बारबार पेशाब की इच्छा. इन लक्षणों की चपेट में आने वाले खुद को परिवार व समाज पर बोझ समझते हैं. वे कोशिश करने के बावजूद समस्या के हल तक नहीं पहुंच पाते और अपना विश्वास खो बैठते हैं और फिर धीरेधीरे निराशा की ओर बढ़ने लगते हैं. कैसे करें तनाव दूर

द्य जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब निराशा के साथ संघर्ष करना पड़ता है. जीवन की महानता इसी में है कि कठिनाइयों से लोहा लेते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए उत्साह से आगे बढ़ते चलें. काम इस तरह करें कि थकने के पहले ही आराम मिल जाए. उदास व थका रहना या दिखना व्यक्ति में तनाव या अपराध का भाव पैदा करता है. द्य अच्छी नींद न आने से बहुत नुकसान होता है. गहरी नींद के लिए संगीत सुनना सहायक होता है. सोने से पहले पढ़ना भी अच्छी आदत है. इस से भी अच्छी नींद आती है.

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द्य ज्यादा नाउम्मीदी हीनभावना को जन्म देती है. अपनी सोच पौजिटिव रखें. जो आप के पास नहीं है या जो आप के वश में नहीं है उस के लिए चिंता मत कीजिए. जो आप के पास है उसी में खुश रहें. द्य खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी है. फलों व सब्जियों का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है. मेनोपौज की स्टेज में महिला के शरीर में कैल्सियम की मात्रा कम हो जाती है, जिस से औस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए कैल्सियम और विटामिन डी अपनी डाइट में शामिल करना न भूलें. रोज व्यायाम करने की आदत बनाएं.

7 मेकअप मिस्टेक्स जो दे आपको ड्राय स्किन

क्या आपने कभी सोचा है कि महंगी महंगी क्रीम्स और लोशन लगाने के बावजूद भी आपकी स्किन रूखी रूखी , डल व बेजान सी क्यों लगती है?

आपको बता दें कि जाने अनजाने हम में से अधिकांश लड़कियां व महिलाएं ऐसी गलतियां कर बैठती हैं , जिससे चेहरा बहुत अधिक ड्राई हो जाता है. ऐसे में मेकअप भी चेहरे के ड्राई डब्बों को छिपा नहीं पाता , जिससे सबके सामने जाने में काफी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है. और खुद का आत्मविश्वास कम होता है वो अलग. लेकिन कहते हैं न कि निराश होने से कुछ नहीं होता. अगर आप अपने स्किन केयर रूटीन को ठीक कर लें तो आप कुछ ही दिनों में फिर से सोफ्ट व शाइनी स्किन पा सकती हैं . वे कौन सी गलतियां हैं , जो अकसर आप करती हैं , जिससे आपकी स्किन ड्राई नजर आने लगती है. इस बारे में बता रही हैं ब्यूटी एंड मेकअप एक्सपर्ट अंशुल रावल.

1. गलत क्लीन्ज़र का इस्तेमाल

बात जब चेहरे की हो तब किसी भी उत्पाद को खरीदते वक़्त काफी सावधानी बरतनी चाहिए. मार्केट में ढेरों ब्यूटी प्रोडक्ट्स ऐसे उपलब्ध रहते हैं , जिसमें नेचुरल इन्ग्रेडिएन्ट्स का नहीं बल्कि केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. जो स्किन के नेचुरल मोइस्चर को खत्म करने का काम करता है. इसलिए जब आप क्लीन्ज़र खरीदें तो उसके इन्ग्रेडिएन्ट्स पर नजर जरूर डालें. अगर उसमें केमिकल्स का ही इस्तेमाल किया गया है तो भूल कर भी उस प्रोडक्ट को न खरीदें. क्योंकि एक दो अप्लाई के बाद तो आपको स्किन पर बहुत अच्छा रिजल्ट दिखेगा लेकिन धीरे धीरे स्किन डल व रफ़ होने लग जाएगी.

इस बात का खास ध्यान रखें कि जब भी क्लीन्ज़र खरीदें तो अपनी स्किन टाइप के अनुसार ही खरीदें. जैसे अगर आपकी ऑयली या कोम्बिनेशन स्किन है तो आपको जेल बेस्ड क्लीन्ज़र का चुनाव करना चाहिए और अगर आपकी ड्राई या सेंसिटिव स्किन है तो आप क्रीम बेस्ड क्लीन्ज़र का इस्तेमाल करें. अगर चेहरे पर मुँहासे हैं तो फोम बेस्ड क्लीन्ज़र का इस्तेमाल करना आपके लिए सही रहेगा .

2. एक्सफोलेशन नहीं करना

सोफ्ट और सुंदर त्वचा पाने के लिए सिर्फ चेहरे को क्लीन्ज़र से ही साफ करना काफी नहीं होता बल्कि चेहरे से डेड स्किन सेल्स को रिमूव करने के लिए स्किन को एक्सफोलेशन करना बहुत जरूरी होता है. एक्सफोलिएट में छिपे छोटे छोटे कण चेहरे के छिद्रों को साफ करके मुहांसों को होने से रोकते हैं. हफ्ते में 3 बार स्किन को एक्सफोलेशन जरूर करें , इससे स्किन यंग नजर आने के साथ साथ फ्रेश भी दिखती है. धयान रखें रोज रोज स्किन एक्सफोलेशन न करें , क्योंकि इससे स्किन का मोइस्चर धीरे धीरे खत्म होने लगता है.

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3. मॉइस्चराइजर से परहेज़

कुछ महिलाएं सोचती हैं कि उन्हें स्किन पर मॉइस्चराइजर की जरूरत ही क्या है. जबकि आपको बता दें कि त्वचा को सोफ्ट लुक देने में मॉइस्चराइजर का अहम रोल होता है. क्योंकि हमारी त्वचा रोज़ धूल मिट्टी व प्रदूषण का सामना करती है जबकि मॉइस्चराइजर स्किन को किसी भी तरह के बाहरी स्रोत्रों से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करता है. साथ ही सीबम उत्पादन को विनियमित करने के लिए मॉइस्चराइजर त्वचा में हाइड्रेशन की मात्रा बढ़ाने का भी काम करता है. हमेशा मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल चेहरे को वाश करने या नहाने के तुरंत बाद करना चाहिए, क्योंकि तब त्वचा में नमी रहती है और ऐसा करने से स्किन लंबे समय तक ड्राई नहीं होती है.

4. प्राइमर का सही इस्तेमाल नहीं करना

प्राइमर का इस्तेमाल करने से मेकअप काफी अच्छा लगता है और लंबे समय तक टिकता भी है. यह प्राइमर फाउंडेशन और कंसीलर को अच्छे से सेट होने का मौका देता है. मार्केट में आपको अनेक प्रकार के प्राइमर मिल जाएंगे , लेकिन आपके लिए यह सुनिश्तित करना जरूरी है कि आपके लिए कौन सा प्राइमर फार्मूला बेस्ट रहेगा. अगर आपकी काफी ड्राई स्किन है तो आपको क्रीम बेस्ड प्राइमर का चुनाव करना चाहिए और अगर आपकी ऑयली स्किन है तो आपके लिए सिलिकोन प्राइमर काफी बेस्ट रहेगा.

5. मैट फाउंडेशन का इस्तेमाल

अकसर महिलाएं मेकअप को लंबे समय समय तक टिकाए रखने के लिए मैट फाउंडेशन का इस्तेमाल करना उचित समझती हैं. जबकि मैट फाउंडेशन का इस्तेमाल किसी भी प्रकार की त्वचा के लिए सही नहीं होता है. इसलिए अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो आप भूलकर भी मैट फाउंडेशन का इस्तेमाल न करें बल्कि हाइड्रेटेड फाउंडेशन का इस्तेमाल करें. इससे स्किन सोफ्ट भी रहेगी और ग्लो भी नजर आएगा.

6. ज्यादा पाउडर का यूज़ करना

बेकिंग मेकअप की आवशयक प्रक्रिया यह है जो यह सुनिश्चित करती है कि लंबे समय तक आपका फाउंडेशन और कंसीलर टिका रहे. जबकि बहुत अधिक पाउडर के साथ बेक करने से न सिर्फ मेकअप खराब लगता है बल्कि स्किन के ड्राई पैचेज भी साफ नजर आते हैं. इसलिए बेकिंग करते वक्त कम से कम पाउडर का इस्तेमाल करें.

7. सेटिंग स्प्रे का सही चयन नहीं करना

सेटिंग स्प्रे ज्यादा नमी के कारण मेकअप को बहने से बचाता है. अगर आप ड्राई स्किन की प्रॉब्लम से परेशान हैं तो आप हाइड्रेटेड सेटिंग स्प्रे का ही इस्तेमाल करें. इसके इस्तेमाल से आपकी स्किन ड्राई भी नहीं लगती और स्किन पर ग्लो भी काफी नजर आता है.

कुछ टिप्स जिससे आप ड्राई स्किन की समस्या से निजात पा सकती हैं –
– खूब सारा पानी पिएं. इससे बॉडी में पानी की कमी नहीं होने से स्किन हाइड्रेट रहती है और उसका नेचुरल ग्लो बरक़रार रहता है.

– जब भी स्किन के लिए प्रोडक्ट्स खरीदें तो देखें कि उसमें ज्यादा केमिकल्स का इस्तेमाल न किया गया हो.

– अपनी स्किन टाइप को देख कर ही प्रोडक्ट खरीदें. इससे स्किन को किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है और रिजल्ट भी बेहतर मिलता है.

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– ज्यादा हार्श और ड्राई सोप, फेस वाश का इस्तेमाल न करें.
– नहाते समय ज्यादा गरम पानी के इस्तेमाल करने से बचें.
– खुसबू रहित क्लीन्ज़र का ही इस्तेमाल करें.
– 2015 में हुई एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि दूध को अपनी डाइट में शामिल करने से काफी हद तक ड्राई स्किन की समस्या ठीक होती है. क्योंकि दूध में फैट होने से स्किन अंदर से नौरिश होती है.

– एलोवेरा में मोइस्चरिंग इफ़ेक्ट होता है, जो ड्राई स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसके लिए आप अपनी स्किन पर एलोवेरा से मसाज करके 20 मिनट के लिए अपनी स्किन पर लगा छोड़ दें. इससे धीरेधीरे स्किन की डॉयनेस दूर होने लगती है.

– अपनी डाइट में पौष्टिक चीज़ो को जरूर शामिल करें. इससे स्किन हैल्थी रहती है.

सही मैट्रेस का चुनाव है जरूरी

हो सकता है कि बहुतेरे लोगों की तरह आप भी आरामदायक नींद की बात को गंभीरता से न लें. हो सकता है कि आप के लिए भी अनिद्रा कोई छोटीमोटी ही बात हो. लेकिन ऐसा सोचना ठीक नहीं है.

विशेषज्ञों के अनुसार लगातार ठीक से नींद न लेने की वजह से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर से युवाओं में यह परेशानी काफी देखी जा रही है. अनियमित जीवनशैली, असमय खानपान और ठीक से न सो पाने की वजह से अनिद्रा के दुष्प्रभाव बढ़ रहे हैं. और यह तथ्य भी सामने आया है कि ज्यादातर लोग अच्छा मैट्रैस न होने की वजह से ठीक से सो नहीं पाते. उन्हें कमर, पीठ, गरदन, कूल्हे आदि में दर्द की भी शिकायत रहने लगती है.

दरअसल, ज्यादातर लोग ठीक से नींद न आने की वजह के पीछे अच्छे मैट्रैस के न होने की बात को समझ नहीं पाते हैं. लोगों का ध्यान इस बात पर भी नहीं जाता कि अनिद्रा के चार पैटर्न होते हैं, जिस में से एक बिस्तर का ठीक न होना भी है. हमारे स्लीपिंग पैटर्न से ही हमारे शरीर की बाकी कई चीजें निर्धारित होती हैं.

स्लीपिंग पैटर्न सही करने के लिए सही मैट्रैस का चुनाव बेहद जरूरी है.

कैसे-कैसे मैट्रैस

क्या आप को पता है कि अपने जीवन का एकतिहाई हिस्सा हम मैट्रैस पर सो कर बिताते हैं? बाजार में विभिन्न प्रकार के मैट्रैस मौजूद हैं, जिन के बारे में हम आप को जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं.

मैमोरी फोम मैट्रैस: यह आधुनिक प्रकार के मैट्रैस फोम मैमोरी से बनाए जाते हैं जो मोल्डेबल मैटीरियल से बने होते हैं और जो तापमान और वजन के अनुसार प्रतिक्रिया करते हैं. इस का मतलब कि यह आप के वजन के आकार के अनुसार ढल जाएगा. आप के वजन को समाहित कर लेगा और जोड़ों के दबाव से मुक्ति देगा. यह ऐसे लोगों के बेहतरीन मैट्रैस है, जिन लोगों को कमर दर्द रहता है.

लैटेक्स मैट्रैस: जैसेकि इस के नाम से ही ज्ञात होता है कि यह मैट्रैस लैटेक्स फोम से बना होता है. यह लंबे समय तक चलने वाला मैट्रैस है. लैटेक्स मैट्रैस ऐलर्जी या अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए अच्छा विकल्प है.

इनरस्प्रिंग मैट्रैस: इस इनरस्प्रिंग मैट्रैस में स्टील कोइल सपोर्ट सिस्टम होता है. इनरस्प्रिंग मैट्रैस पैडिंग (गद्दी) और अप्होल्स्टरी से ढका होता है, साथ ही जिस में बहुत सारी फोम, फाइबर और छोटी स्टील स्प्रिंग लेयर भी जुड़ी होती है.

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हाइब्रिड मैट्रैस: हाइब्रिड मैट्रैस एक से अधिक फोम के प्रकारों जैसे पालीयुरथेन, मैमोरी और लैटेक्स के साथ स्टील कौइल सपोर्ट सिस्टम से जुड़ा होता है.

ऐअरबैड: ऐअरबैड, ऐयर चैंबर का समायोजन कर समर्थन प्रणाली के रूप में प्रयोग करते हैं. जैसे कि कैंपिंग (शिविरों) में गद्दों का प्रयोग किया जाता है. इन्हें ऐअरबैड मौडिंग और अप्होल्स्टरी मैटीरियल से ढका जाता है, जिस में विभिन्न फोम और फाइबर मौजूद होते हैं.

वाटर बैड: वाटर बैड में वाटर चैंबर को समर्थन प्रणाली के रूप में प्रयोग किया जाता है. वाटर बैड 2 प्रकार के होते हैं- हाई साइड और सौफ्ट साइड वाटर बैड.

समदारी से करें खरीदारी

दिनभर की भागदौड़ और थकान के बाद अच्छी नींद से अच्छा कुछ नहीं होता पर यह तभी संभव है जब आप के बैड के मैट्रैस अच्छे हों. बाजार में बहुत तरह के मैट्रैस उपलब्ध हैं. ऐसे में हम तय नहीं कर पाते कि अपने लिए कैसे मैट्रैस का चुनाव करें? हम आप को ऐसे आसान उपाय बता रहे हैं जिन की मदद से आप सही मैट्रैस खरीद सकते हैं.

सही मौडल चुनें: यह तो हम सभी जानते हैं कि अच्छी नींद के लिए अच्छा मैट्रैस होना चाहिए. इसलिए बाजार में मैट्रैस खरीदने जा रहे हैं, तो मौडल के बारे में अच्छे से रिसर्च कर के ही जाएं.

डिजाइन और आराम पर भी दें ध्यान: मैट्रैस खरीदने जा रहे हैं, तो डिजाइन और आराम को ध्यान में अवश्य रखें. आज बाजार में विभिन्न डिजाइन के मैट्रैस मौजूद हैं. अपनी आवश्यकता को ध्यान में रख कर ही मैट्रैस का चुनाव करें.

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मैट्रैस की क्वालिटी: मैट्रैस पर आराम मैट्रैस के बेस पर निर्भर करता है. इसलिए सुकून भरी नींद सोना चाहते हैं, तो सही बेस वाले मैट्रैस का चुनाव काफी जरूरी है. फोम व जूट के बेस वाले मैट्रैस ज्यादा चलन में हैं. इस के अलावा आप को कमर दर्द की शिकायत है, तो इस से बचने के लिए बड़े साइज का मैट्रैस चुनें.

मैट्रैस खरीदते समय बजट पर ध्यान देना भी जरूरी है. मैट्रैस खरीदने से पहले औनलाइन या मार्केट में जा कर मैट्रैस के रेट के बारे में पता करें और साथ ही इस के उपकरण, मौडल आदि के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें.  -प्रतिनिधि द्य

शराफत की भाषा है कहां

हमारे घरों में जब भी सासबहू में झगड़ा या तूतू, मैंमैं हो तो तुरंत शादी के समय की बातें ही नहीं, बहू के मायके के किस्से भी सास की जबान से ऐसे फिसलते हैं मानो शब्दों के नीचे ग्रीस लगी हो.

‘‘मांजी, यह भगोना तो खराब हो गया है,’’ बहू के यह कहते ही सास अगर कह दे, ‘‘शादी के समय देखा था कैसे जगों में पानी पिलाया था… और अपने चाचा के घर में देखा है, एक भी बरतन ढंग का नहीं है और यहां नए भगोने की मांग कर रही है महारानीजी.’’

यह भाषा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की जवान पर चढ़ी रहती है और वे रोज सारी सासों को बताते हैं कि यही भाषा इस महान देश की संस्कृति का हिस्सा है. आप पूछें कि समाचारपत्रों की स्वतंत्रता का बुरा हाल है तो तुरंत कहा जाएगा याद है न आपातकाल, जब सारे अखबारों पर सैंसरशिप लगा रखी थी.

आप कहें कि पैट्रोलडीजल के दाम बढ़ गए तो उस पर कहेंगे 1973 को याद करो जब इंदिरा गांधी ने 4 गुना दाम बढ़ाए थे. आप कहेंगे कि श्रमिकों की ट्रेनों में पैसा वसूला गया तो तुरंत कहेंगे कि ये सब नेहरुइंदिरा की वजह से है कि ये श्रमिक अपने गांव छोड़ कर बाहर गए थे और कांग्रेस ने तो 70 साल देश को लूटा था और अब किस मुंह से श्रमिकों के हिमायती बन रही है?

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भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा बड़ी डींगें हांक रहे थे कि देश 5 ट्रिलियन डौलर की अर्थव्यवस्था बनेगी. कांग्रेसी नुमाइंदे ने भरी सभा में पूछ डाला कि संबितजी, बताइए कि ट्रिलियन में कितने शून्य होते हैं? पता है क्या जवाब मिला? ‘‘आप पहले राहुल गांधी से पूछें, फिर मैं बताऊंगा. मुझे मालूम है पर राहुल गांधी जवाब दें तो मैं बता सकूंगा.’’

वाह क्या कला है. भगोना खराब हुआ पति के घर पर आसमान पर उठा लिया गया पत्नी का मायका. यह संस्कृति हमारी मुंह बंद करने के लिए बड़ी कारगर है. आप कहें कि हिंदू औरतों को विधवा बना कर आज भी सामाजिक अलगाव सहना क्यों पड़ता है? तो जवाब मिलेगा कि लो मुसलमानों से पूछो न जहां जब चाहे मरजी तलाक दे दो. अब आप हिंदू रोना छोड़ कर मुसलिमों को भी गाली देना शुरू कर दें और असली मुद्दा भूल जाएं.

रेलमंत्री पीयूष गोयल अकेले नहीं हैं. संबित पात्रा अकेले नहीं हैं. अमित शाह, नरेंद्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, राजनाथ सिंह वगैरह सब यही भाषा बोलते हैं. और भाषा उन्हें समझ ही नहीं आती. वे तर्क और तथ्य की भाषा नहीं समझते. यही गुण आम जनता में आ जाता है. वह भी तर्क और तथ्य की बातें नहीं समझती. हमारे बहुत से विवाद होते ही इसलिए हैं कि हम तर्कों को अधार्मिक मानते हैं.

यह दोष औरतों को ज्यादा परेशान करता है. उन की आधी जिंदगी अपने मायके वालों के पुराण सुन कर चली जाती है और बाकी आधी में वे अपने घर आई बेटे की पत्नी के मायके के गुणगान करती रहती हैं. सुख और शांति कहां है मालूम ही नहीं.

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