जब हम एसयूवी की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में एक ही गाड़ी का नाम आता है- द हुंडई क्रेटा . बता दें द हुंडई क्रेटा कि तुलना किसी भी कार से आप नहीं कर सकते हैं. हुंडई क्रेटा अपने आप में एक अलग पहचान बना चुकी है. सबसे ज्यादा सड़कों पर अगर कोई कार नजर आ रही है तो वह है हुंडई क्रेटा .
यह बाहर से जितना दिखने में खूबसूरत है अंदर से उतना ही आरामदायक भी है. अभी तक हुंडई क्रेटा 5 लाख से ज्यादा सेल हो चुकी है. इसमें कोई शक नहीं है कि हुंडई क्रेटा के बेहद शानदार कार है #RechargeWithCreta.
दिवंगत बौलीवुड एक्टर ऋषि कपूर की बेटी रिद्धिमा कपूर साहनी आज यानी 15 सितंबर को अपना 40वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं. हालांकि यह पहली बार है जब उनके पापा उन्हें विश करने के लिए उनके पास नही हैं. लेकिन रिद्धिमा की मां नीतू कपूर और भाई रणबीर कपूर की गर्लफ्रेंड आलिया भट्ट ने उनका बर्थडे स्पेशल बनाने के लिए खास तैयारी की है, जिसका वीडियो सोशलमीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. आइए आपको बताते हैं वीडियो में क्या है खास…
रिद्धिमा के लिए ठुमके लगाते नजर आए भाई और मां
रिद्धिमा कपूरे के बर्थडे के लिए उनकी फैमिली ने एक वीडियो बनाया, जिसमें रणबीर कपूर, आलिया भट्ट और नीतू कपूर के साथ-साथ आदर जैन, अरमान जैन और उनका पूरा परिवार डांस करते नजर आए. वहीं रिद्धिमा ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ‘बेस्ट बर्थडे सरप्राइज. आप सभी को शुक्रिया.’
बहन रिद्धिमा के लिए डांस करते हुए रणबीर और उनकी गर्लफ्रेंड आलिया की जोड़ी बेहद क्यूट दिख रही है. इसी बीच सेलिब्रेशन के दौरान रिद्धिमा ने आलिया भट्ट, करीना और करिश्मा कपूर के साथ देर रात अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया और इसकी फोटोज उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं.
बीते दिनों एक्टर ऋषि कपूर के बर्थडे पर रिद्धिमा ने फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि पापा, कहते हैं कि जब आप किसी को खो देते हैं, तो आप जिंदा नहीं रह सकते-आपका दिल बुरी तरह टूट जाता है! लेकिन मुझे पता है कि आप इस टूटे हुए दिल में रह रहे हैं और हमेशा रहेंगे! मुझे पता है कि आप हम सभी को देख रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम आज भी आपके दी गई सही रास्ते पर चल रहे हैं. आपने मुझे करुणा का उपहार दिया, मुझे रिश्तों का मूल्य दिया और मुझे वह व्यक्ति बनाया जो मैं आज हूं! मैं आपको हर दिन याद करती हूं और हमेशा आपसे प्यार करती रहूंगी! हमेशा हैप्पी बर्थडे. बता दें, कोरोनावायरस लौकडाउन के दौरान एक्टर ऋषि कपूर का निधन हो गया था.
बता दें, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट अक्सर अपने रिश्ते को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. वहीं आलिया अक्सर कपूर परिवार के फैमिली फंक्शन में हिस्सा लेती हुई भी नजर आती हैं.
बौलीवड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के कथित सुसाइड मामले को 3 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. लेकिन अभी भी इस मामले में नए-नए मोड़ सामने आ रहे हैं. जहां एक तरह सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती ड्रग्स मामले में गिरफ्तार हो गई हैं. तो वहीं अब इस मामले में बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़े बड़े-बड़े स्टार्स के नाम सामने आ रहे हैं. इसी बीच इंडस्ट्री में हर कोई चुप्पी साधे बैठा है. लेकिन अब सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कार्तिक की चाची के रोल में नजर आने वाली एक्ट्रेस शिल्पा एस रायजादा अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बौलीवुड स्टार्स को लेकर कुछ बाते कही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामाला…
बौलीवुड को लगाई लताड़
दरअसल, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस शिल्पा एस रायजादा का कहना है कि वह लम्बे समय से देख रही है कि सुशांत को न्याय दिलाने के लिए बॉलीवुड इंडस्ट्री से किसी ने भी अपनी आवाज नहीं उठाई हैं. शिल्पा एस रायजादा ने कहा है कि, ‘मैं चाहती हूं कि सुशांत को न्याय मिले. इस मामले में बॉलीवुड के लोग चुप क्यों है? ये समझ से परे है. किसी भी बड़े कलाकार ने सुशांत (Sushant Singh Rajput) केस में एक शब्द भी नहीं कहा है. आमतौर पर ये सेलेब्स सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं लेकिन इस मामले में सभी चुप हैं. ये लोग वही लोग है जो हर एक मुद्दे पर ट्वीट करते रहते हैं लेकिन इस मामले में किसी ने भी अपनी आवाज नहीं उठाई है और ये काफी दुखद है.’
हाल ही में सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ रिलीज हुई थी, जिसे देखकर शिल्पा एस रायजादा काफी इमोशनल हो गई थीं. इस फिल्म के बारे में बात करते हुए शिल्पा ने कहा है कि, ‘इस फिल्म को देखने के बाद लोग जिस तरह से सुशांत की तारीफ करने में जुटे हुए थे, अगर ऐसा पहले कर दिया होता तो शायद स्थिति कुछ और ही होती.’
बता दें, बीते दिनों सुशांत सिंह राजपूत मामले में कई मोड़ आए हैं. जहां एनसीबी ने ड्रग्स मामले में अब तक रिया चक्रवर्ती और शौविक चक्रवर्ती समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. तो वहीं सीबीआई भी मामले की तह तक जाने में जुटी हुई है. इसी बीच फैंस भी इस केस को मर्डर एंगल से देखने की मांग कर रहे हैं.
फिल्म ‘‘टाइगर जिंदा है’’में नर्स पूर्णा तथा ‘पद्मावत’में राजा रावल रतन सिंह की पहली पत्नी नागमती, आमीर खान के साथ फिल्म‘‘वार’’में अदिति का किरदार सहित कई हिंदी के अलावा ‘पोतगाड़ू’ व ‘पाठशाला’’ तेलगू फिल्मों की अदाकारा अनुप्रिया गोयंका ने वेब सीरीज में भी धमाल मचा रखा है.
वेब सीरीज ‘सेके्रड गेम्स’ सीजन 2 में सरताज यानी कि सैफ अली खान की पहली पत्नी मेघा के किरदार के बाद अनुप्रिया गोयंका इन दिनों वेब सीरीज ‘‘आश्रम’ में ढोंगी निराला बाबा के खिलाफ मुहीम छेड़ रखी डॉं. नताशा कटारिया के किरदार में काफी शोहरत बटोर रही हैं. इससे पहले भी ‘द फाइनल काल’, ‘अभय’, ‘क्रिमिनल जस्टिस’ और ‘‘ह्यूमरसली योर्स सीजन 2’, ‘असुर’ जैसी चर्चित वेब सीरीज में नजर आ चुकी हैं.
प्रस्तुत है अनुप्रिया गोयंका से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. .
आज की तारीख में आप खुद को कहां पाती हैं?
-सच कहूं, तो मैं जिस माहौल से आई हूं, और जहां से आई हूं, उसको देखते हुए तो मेरा करियर बहुत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. मैंने अब तक खोने की बजाय कुछ न कुछ पाया है. मैंने अच्छे लोगों के साथ ही काम किया है. निशिकांत कामत, विक्रम मोटावणे, संजय लीला भंसाली, नीरज घायवान, तिग्मांशु धुलिया, प्रकाश झा के निर्देशन में काम किया है. इसी तरह मैंने कलाकारों में विद्या बालन अर्जुन रामपाल, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, सैफ अली, बॉबी देओल के साथ काम किया है. पिछले वर्ष मैने कलाकार व इंसान के तौर पर काफी ग्रो किया था. इस वर्ष भी दर्शक जनवरी माह से ही मुझे बेहतरीन किरदारों में देख रहे हैं. अभी तो मैं कुछ रोचक किरदार करने जा रही हॅं, जिसके लिए मैं बोल चाल की भाषा सीखने के साथ ही बॉडी लैंगवेज पर भी काम कर रही हूं.
-सर. . . आप देखिए. . . मैं एक छोटे से शहर और गैर फिल्मी परिवार से आई हूं. यहां मेरा कोई गॉडफादर नहीं है. मेरी पीठ पर हाथ रखने वाला कोई नहीं है. तो वहीं मेरे लिए काम करना बहुत जरूरी है. मुझे अभिनय करने में हमेशा मजा आता है. ऐसे में किसी काम को मना करना मुझे अपराध लगता है. मैंने हमेशा वही फिल्में स्वीकार की, जिनके किरदारों को निभाते हुए मुझे आनंद मिला अथवा जिनमें मेरे सह कलाकार ऐसे थे, जिनसे मैं काफी कुछ सीख सकती थी. मैने उन निर्देेशकों के साथ फिल्में की, जिनके साथ काम करने की मेरी इच्छा रही है. ऐसे में मैंने सिर्फ मेन लीड ना होने की वजह से अवसर हाथ से जाने नहीं दिया. मुझे लगा कि ऐसा करना गलत हो जाएगा. मैं मानती हूं कि छोटे किरदार निभाने से एक इमेज बन जाएगी. मगर मुझे यकीन है कि मेरे काम की तारीफ होगी, जो की हुई. लोगों को जब छोटे किरदारों में मेरा काम पसंद आएगा तो वह मुझे बड़े किरदार भी देंंगे और वही हो रहा है. लेकिन वेब सीरीज में तो बड़े किरदार निभा रही हॅूं. ‘असुर’के बाद अब मैने ‘‘आश्रम’’में बहुत बड़ा किरदार निभाया है.
‘‘आश्रम’’को लेकर क्या कहना चाहेंगी?
-देखिए, 28 अगस्त से ‘‘एम एक्स प्लेअर’’पर ‘‘आश्रम’’का प्रसारण हो रहा है. यह एक ऐसे आम इंसान की कहानी है, जो अंधविश्वासी होता है. वह कई बार ऐसे ढोंगी साधु या बाबा पर भगवान से ज्यादा श्रद्धा रखने लगते है, जिनकी प्रकृति इतनी साफ-सुथरी नहीं होती, जो उसका दुरुपयोग कर अपराध में लिप्त रहते हैं. यह वेब सीरीज इन सब पर रोशनी डालती है. इसमंे इस बात का जिक्र है कि कैसे लोग हमारे यहां अंधविश्वास में बह जाते हैं और कैसे कैसे वह सारी चीजें क्राइम को बढ़ावा देती हैं. इस तरह यह वेब सीरीजरियालिटी को उजागर करती है. इसमें मेरा जो डॉ. नताशा का ट्रैक है, वह बहुत बेहतरीन है.
आप अपने डॉ. नताशा कटारिया के किरदार को किस तरह से परिभाषित करेंगी?
-डॉक्टर नताशा कटारिया फॉरेंसिक एक्सपर्ट है. इमानदार और अपराधियों के खिलाफ रहती है. पूरी तरह से वह फेमिनिस्ट भी है. हर सच के लिए लड़ाई करना जानती है. इस वेब सीरीज में उसके आसपास के जो भी किरदार हैं, उनको भी वह न्याय के लिए लड़ने को प्रेरित करती हैं. सच के लिए लड़ने के लिए वह एक एकदम निडर लड़की है. नताशा है तो बहुत कंजरवेटिव ख्यालात वाले परिवार से, मगर वह ख्ुाद स्वतंत्र है, रिस्क लेने से घबराती नहीं है.
वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’में डॉक्टर नताशा पूरी तरह से नारीवादी @फेमिनिस्ट है. पर आप निजी जिंदगी में कितना फेमिनिस्ट हैं?
-मैं अपने आप को फेमिनिस्ट इस हिसाब से कहूंगी कि मैं स्वयं औरतों के हक के लिए जागरूक हूं. मैं इस बात पर यकीन करती हूं कि औरतों ने हमेशा बहुत कुछ सहा है और उस सोच तथा आम धारणा को बदलना इतना आसान नहीं है. मेरी मां के लिए आसान नहीं था. मेरी मां की मां अर्थात मेरी नानी के लिए तो और भी ज्यादा आसान नहीं था. मेरे लिए भी कहीं ना कहीं आसान नहीं है. क्योंकि बचपन से आप अपने घर के अंदर और आस पास जो कुछ देखती हैं, वह सारी चीजें अपने आप आ ही जाती हैं, फिर आप कितनी भी स्वतंत्र जिंदगी जी रही हों. मैं कलाकार हूं. फिर भी कहीं ना कहीं असमानता की भावना चुभ ही जाती है. यह बात तो सही है कि अभी भी पितृ सत्तात्तमक सोच वाला ही समाज है. हम लोग जितनी भी कोशिश कर रहे हैं, पर ग्रामीण क्षेत्र में औरतों की आजादी आज भी नही है. उन्हें समान अवसर नहीं मिलते हैं. महानगरों में काफी हद तक औरतें खुद को स्वतंत्र महसूस कर पाती हैं. तो इस हिसाब से मैं फेमिनिस्ट हूं. मुझे पता है कि हमें अपनी जगह, अपने आत्मसम्मान को बनाने के लिए थोड़ा और ज्यादा संघर्ष लड़ाई करनी पड़ेगी. हमें आज भी उन परिस्थितियों से लड़ना पड़ेगा, जो औरतों और पुरूषों आदमियों के बीच भेदभाव करती हैं. मेरे लिए सरल भाषा में फेमिनिस्ट का मतलब समानता है. जहां हर एक चीज में समानता दी जाए. फिर चाहे वह कामकाज की जगह हो, अवसर की बात हो. अगर आप सैक्रिफाइस कर रहे हैं, तो आपका सहकर्मी या जिंदी का पार्टनर रूपी पुरूष को भी सैक्रीफाई करना चाहिए. यदि ऐसा नही है, तो समानता कहां रही?हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हम औरतों को भी समानता का अधिकार है.
जब आप मुंबई में फिल्म या वेब सीरीज की शूटिंग करती है और जब मुंबई के बाहर शूटिंग करती है. तो किस तरह के अनुभव होते हैं?
-यच तो यह है कि मैं हमेशा मुंबई के बाहर शूटिंग करने को ही प्राथमिकता देती हूं. क्योंकि तभी हम मुंबई और मुंबई की जिंदगी से अलग हो पाते हैं. तथा हम पूरी तरह से उस वातावरण में आसानी से मिल पाते हैं, जिस वातावरण की फिल्म व वेब सीरीज का किरदार होता है. उस वातारण में पहुॅचते ही आसानी वास्तविकता बन जाती है. यॅूं तो हम वहां पर भी होटल में अपने दोस्तों या टीम से जुड़े लोगों के बीच पहुॅच जाते हैं. फिर भी हम जिस टीम का हिस्सा होते हैं, हमारी मानसिकता वैसे ही बन जाती है. तो इसका बहुत फर्क पड़ता है. दूसरी जाहिर सी बात है कि अगर हम मुंबई में शूटिंग करते हैं, तो मुंबई के जो रीयल लोकेशन हैं या सेट हैं, उनमें एक मेट्रोपॉलीटियन ड्राइव तो है. हम अयोध्या में शूटिंग करते हैं, तो उस शहर की, उस जगह की भी अपनी अलग ‘वाइब्स’होती है. एक मैग्नेटिज्म होता है. यह सब किरदार गढ़ने में काफी मदद करती है. जिस जगह का किरदार हो, वहां पहुॅचकर शूटिंग करने से अपने आप ही उसमें एक सरलता आ जाती है. जो कि महानगरों में संभव नही है. अगर आप सेट की बाकी चीजों से कट अॉफ हो जाते हैं, अपनी आम मुंबई वाली जिंदगी से अलग थगल हो जाते हैं, तो यह सब किरदार को न्यायसंगत ढंग से निभाने में मदद करता है. लेकिन यह सब इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस प्रोडक्शन हाउस के साथ काम कर रहे हैं. किसी प्रोडक्शन हाउस में कलाकार को इतनी सुविधाएं मिलती हैं, कि उसके लिए काम करना ज्यादा सहज होता है. कुछ प्रोडक्शन हाउस में कम छूट मिलती है. फिर आपका सह कलाकार कौन है, उस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है.
फिल्म निर्देशक प्रकाश झा सर के साथ वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’ के लिए शूटिंग करना हम सभी के लिए काफी कठिन था. ‘आश्रम’ से जुड़े सभी कलाकार व पूरी युनिट लगातार पांच माह तक आयोध्या में ही रही. उन्होंने दिवाली और नया वर्ष सब कुछ आयोध्या में ही मनाया. जबकि मैं तो बीच बीच में मुंबई आती जाती रही. पूरेपांॅच माह तक हर दिन कठिन दृश्यों को फिल्माना आसान नही होता. कभी-कभी तो बिना ब्रेक और जबरदस्त ठंड में भी शूटिंग करनी होती थी. लेकिन पूरे सेट पर खुशनुमामाहौल रहता था. काम करते हुए मजा आ रहा था.
मेरी खुशकिस्मती यह रही है कि अब तक मुझे ऐसे प्रोडक्शन हाउसों के साथ काम करने का अवसर मिला, जो हर कलकाकर को बड़ा सम्मान देते हैं. प्रकाश झा सर की ही तरह‘यशराज फिल्मस’के साथ भी शूटिंग करते हुए मेरे अनुभव अच्छे रहे. उनके साथ भी बहुत अच्छा समय बीता. क्योंकि वह लोग हर कलाकार का बहुत अच्छा ख्याल रखते थे. सेट पर सभी लोग परिवार की तरह ही व्यवहार करते, कि आप अपने घर को कभी याद नहीं करेंगें. ेबल्कि आप खुद उनके साथ ऐसे घुलमिल जाएंगे कि वही आपको अपना परिवार लगने लगेगा. मुझे लगता है कि आप किसके साथ काम कर रहे हैं, यह बहुत अहमियत रखता है.
कोरोना के चलते बंद सिनेमा घरो के दौर में कई फिल्में सिनेमाघरों की बजाय ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही हैं. इसे आप कलाकार के तौर पर किस तह से देखती हैं?
-बतौर कलाकार हमारे लिए थिएटर सिनेमाघर का ही चार्म रहेगा. हमने बचपन से ही सिनेमाघर का चार्म देखा है, फिर चाहे वह 70 एमएम हो या 35 एमएम हो. यह चार्म खत्म होने से रहा. देखिए 70 एमएम या 35 एमएम का अपना चार्म है, यह चार्म कहीं नहीं जाने वाला. बतौर कलाकार भी मैं यही चाहती हॅूं कि मेरी फिल्म को दशर््ाक थिएटर के अंदर जाकर देखें. पर जब धन की यानी कि व्यावसायिकता की हो, तो मैं जवाब देने वाली सही इंसान नही हूं, इसका जवाब निर्माता ही दे सकते हैं. पर मैं इतना जरूर कहूंगी, जो फिल्में ‘कोविड-19’से पहले बनी थी, उन्हें सिनेमाघरों में प्रदर्शित करना संभव नही हुआ, तो अब उन्हें ‘ओटीटी प्लेटफॉर्म’पर आना पड़ रहा है. पर मुझे लगता है कि निर्माताओं ने व्यावसायिकता को ध्यान में रखकर भी मन से तो यह निर्णय नहीं लिए होंगे. पर उनके लिए बहुत बड़े नुकसान से बचने का यही रास्ता समझ में आया होगा. क्योंकि सिनेमा घर कब खुलेंगे?किसी को पता नहीं. दर्शक कब सिनेमाघर के अंदर जाने केे लिए ख्ुाद को सहज महसूस करेंगे, इसका जवाब भी किसी के पास नही है. ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्मों को रिलीज करना सही निर्णय रहा.
ओटीटी प्लेटफार्म पर बहुत बड़ा स्टार हो या नवोदित कलाकार हो, छोटी फिल्म हो या बड़ी फिल्म हो, सभी देखेंगें.
लेकिन आपको नहीं सिनेमाघर में फिल्म के प्रदर्शन से कलाकार को स्टारडम मिलता है, वह ओटीटी प्लेटफार्म पर संभव नही?
-मुझे ऐसा नहीं लगता. बल्कि मुझे तो ऐसा लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से ही कलाकार आगे बढ़े हैं. क्योंकि उसकी पहुंच बहुत बड़ी है. जो चर्चित कलाकार हैं, जो बड़े बजट की फिल्में कर रहे हैं, उनकी अगर एक फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर आ जाती है, तो इससे उनकी स्टारडम पर मुझे नहीं लगता कोई फर्क पड़ेगा. अगर फिल्म बड़ी है, आपने अच्छा काम किया है, आपकी परफॉर्मेंस अच्छी है, तो उसकी प्रशंसा की जाएगी, फिर चाहे वह ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आए या सिनेमाघरों में. मगर कुछ फिल्में ऐसी जरूर हैं, जो सिर्फ सिनेमाघरों के लिए बनी है. मसलन-‘पद्मावत’. इसे ‘ओटीटी’पर देखने में मजा नही आ सकता. क्योंकि वह सिनेमाघर के बड़े पर्दे के लिए ही बनी है. उसके साथ सही न्याय नहीं होगा. इस तरह की फिल्मों के लिए जरूर फर्क पड़ेगा. बाकी परफॉर्मेंस और कलाकारों की बात करें, तो अगर आपने अच्छा काम किया है और फिल्म अच्छी बनी है, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी उतनी ही चलेगी और कलाकार को लोकप्रियता भी मिलेगी.
इसके अलावा नया क्या कर रही हैं?
-अभी वेब सीरीज ‘आश्रम’के सीजन एक का पहला भाग आया है. बहुत जल्द ‘आश्रम’के सीजन एक का ही दूसरा भाग आएगा. उसके बाद ‘‘आश्रम’’ का दूसरा सीजन आएगा. वेब सीरीज ‘‘क्रिमिनल जस्टिस-दो’’ की शूटिंग चल रही है. मुझे लगता है कि ‘आश्रम’के दूसरे सीजन की शूटिंग हम लोग जल्द ही करेंगें. इसके अलावा दो फिल्मों को लेकर बातचीत चल रही है. हॉं!मैने दिव्येंदु शर्मा के साथ एक फिल्म ‘‘मेरे देश की धरती’’की शूटिग की हैं, जो कि हालात सामान्य होते ही प्रदर्शित होगी.
किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?
-मैं उन्ही किरदारों को स्वीकार करती हॅू, जिनमें मेरे लिए कुछ करने को हो. मैं रोचक किरदार की तलाश करती हॅूं. मैं उन किरदारों को प्राथमिकता दे रही हूं, जो मुझे कुछ नया करने व कुछ नया एक्स्प्लोर करने का अवसर दें. अब मैं कुछ ऐसा काम करना चाहती हूं, जहां मेरे किरदार एकदम अलग हों. मैं कुछ लाइट हार्टेड काम करनाचाहती हूं. कॉमेडी करने का मेरा बहुत मन है. मैं एक्शन पूर्ण किरदार भी करना चाहूंगी. मैंने इस हद तक अभी तक कोशिश नहीं किया है. ‘वॉर’में मेरे एक भी स्टंट नहीं थे. मैं कुछ एक्शन प्रधान किरदार भी करना चाहूंगी. मुझे गांव के किरदार बहुत ज्यादा प्रेरित करते हैं. मेरे आदर्शस्मिता पाटिल, शबाना आजमी रही हैं. तो उस समय जिस तरह के गांव के किरदार रहते थे, मिर्च मसाला में या मंथन में उस तरह के किरदार निभाने का मेरा बहुत मन है. पीरियड ड्रामा भी करना है. यॅॅंू तो मुझे संजय लीला भंसाली ने ‘पद्मावत’में काम करने का मौका दिया था, जो कि मेरे लिए सौभाग्य की बात थी. लेकिन मैं आगे भी उस तरह का काम करना चाहूंगी. अब मैं लीड किरदारों पर भी काम करना चाहूंगी. जहां बड़ा ग्राफ हो. जहां मैं एक ही किरदार में कई सारी यात्राओं से गुजर सकूं. एक ही किरदार में कई तरह की भावनाओं से गुजरने का अवसर मिले. ऐसा किरदार करना है, जहां मुझे पूरी फिल्म या शो की जिम्मेदारी उठानी पड़े.
कोई ऐसा किरदार जो करना चाहती हैं?
– अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी मुझे बहुत पसंद है. मैं परदे पर अमृता प्रीतम का किरदार निभाना चाहूंगी. अमृता प्रीतम की प्रेम कहानी काफी रोचक है. उनकी जिंदगी भी काफी रोचक थी. मुझे मीना कुमारी की जिंदगी भी इंटरेस्टिंग लगती है. मुझे महारानी गायत्री देवी की जिंदगी पर बनी फिल्म में काम करना हैं.
लॉक डाउन में समय कैसे बिताया?
-मैने समय का सदुपोग किया. कई वर्षों बाद मैंने फिर से स्केचिंग करना शुरू किया. और पेंटिंग के लिए भी कैनवस वगैरह तो मंगवा लिए हैं. बस अब करने बैठूंगी. इसके अलावा कुछ किताबें पढ़ी. एक किताब स्लेपीयंस पढ़ी. गुलजार की कुछ किताबें पढ़ी. खालिद हुसैनी की किताब ‘थउजेंड स्प्लेंडिड’पढ़ी. यह किताब मुझे पहले भी बहुत पसंद थी. मैंने कुछ नाटकों को फिर से पढ़ा.
चाहे कुरकुरा डोसा हो या स्पंजी इडली ,बिना चटनी के ये सब अधूरा है.हम अक्सर जब भी डोसा या इडली बनाते है तब नारियल की चटनी जरूर बनाते है और बड़े चाव से खाते है.लेकिन क्या कभी आपने चने दाल की चटनी खाई है. जी हाँ दोस्तों यह एक साउथ इंडियन चटनी की रेसिपी है जिसके बिना कोई भी साउथ इंडियन फ़ूड अधूरा है.
भुनी हुई चना दाल और नारियल का दही के साथ मेल इसे और भी ज्यादा स्वादिष्ट बना देता है. इसे बनाना बहुत ही आसान है और इसे बनाने की सभी सामग्री घर पर ही मिल जाती यकीन मानिए इस चटनी के जरिए आपके डोसे और इडली का स्वाद कई गुना बढ़ जाएगा.
तो अगर आप भी नारियल की एक जैसी चटनी खा कर बोर हो गए है तो चलिए बनाते है चने दाल की स्वादिष्ट चटनी-
कितने लोगों के लिए-3 से 4 बनाने का समय -10 से 15 मिनट मील टाइप –veg
हमें चाहिए-
चना दाल-1/2 छोटा कप
घिसा हुआ नारियल -1/2 छोटा कप
लहसुन की कलियाँ-4 से 5
दही -1/2 छोटा कप
तेल- 1 टेबल स्पून
नमक स्वादानुसार
तडके के लिए-
सरसों या राई -1 छोटा चम्मच
करी पत्ता -6 से 7
खड़ी लाल मिर्च-2
बनाने का तरीका-
1-सबसे पहले चने की दाल को 1 घंटे पहले पानी में भिगो दे.1 घंटे बाद इसको पानी से निकाल कर 10 से 15 मिनट के लिए हवा में रख दे.
2-अब एक पैन में तेल गर्म करे और चने की दाल को तेल में फ्राई कर ले या छान ले.
3-अब एक ब्लेंडर में भुनी हुई चने की दाल, घिसा हुआ नारियल , दही,थोड़ी सी लाल मिर्च,नमक और लहसुन डाल कर उसको हल्का दरदरा पीस ले . याद रखें की पेस्ट नहीं बनाना है..(अगर जरूरत लगे तो थोडा सा पानी डाल सकती है )
4-अब उसे एक छोटे बाउल में निकाल ले.अब तडके के लिए एक फ्राई पैन में 1 छोटा चम्मच तेल गर्म करे ,तेल गर्म हो जाने के बाद उसमे राई यानी सरसों डाल कर उसको चटकने दे.
5-फिर उसमे करी पत्ता और खड़ी लाल मिर्च डाल दे और थोडा सा भूनने के बाद इस तडके को चटनी के ऊपर स्प्रेड कर दे.
6-तैयार है स्वादिष्ट चने दाल की चटनी .आप इसको इडली,डोसा ,दाल चावल या ढोकले के साथ भी खा सकते है.
मैं एक युवक से 4 साल से प्यार करती हूं. पहले वह भी मुझ से बहुत प्यार करता था हमारे बीच सबकुछ हो चुका है. पहले वह बारबार मिलने आता था पर अब झूठ बोल कर मना करता है. क्या करूं?
जवाब
आप का रिलेशन 4 साल से है और आप अभी तक उसे नहीं समझ पाईं, हैरानी की बात है. आप ने बताया कि आप के बीच सबकुछ हो चुका है. अकसर प्रेमी शारीरिक संबंध बनाने के बाद विमुख हो जाते हैं कहीं आप के मामले में भी ऐसा ही तो नहीं?
याद कीजिए कि वह सबकुछ होने के बाद कटना शुरू हुआ या पहले से. उस के कटने की वजह जानने की कोशिश कीजिए. अगर अपने में सुधार लाने की आवश्यकता हो तो सुधार कीजिए. अगर उस की कोई कमी है तो उसे बताइए. आप का प्यार है प्यार से मनाइए मान जाएगा.
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पहले सेक्स करने के ये हैं फायदे
आपको इस नए रिश्ते में अभी कुछ ही महीने हुए हैं. अभी तक आप लोग एक दूसरे को ढंग से जान भी नहीं पाए हैं कि अचानक ही एक मुलाकात में आप दोनों की चर्चा इस दिशा में बढ़ जाती है कि पूर्व में आप दोनों के कितने रिश्ते रहे हैं. ना सिर्फ आपको अतीत में रहे आपकी गर्लफ्रेंड के बौयफ्रेंडों की संख्या जानकर आश्चर्य होता है, आपकी साथी की प्रतिक्रिया भी आपके पुराने रिश्तों के बारे में जानकर कुछ अजीब ही होती है.
कई बार देखा गया है कि जब भी कोई नया रिश्ता शुरू होता है तो दोनों ही साथियो के पूर्व में शारीरिक सम्बन्ध भी रहे होते हैं. फिर चाहे वो सम्बन्ध गंभीर रिश्तों के दौरान बने हो या फिर वो एक रात के रिश्ते हो. ऐसा हो सकता है कि होने वाले साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानना किसी के लिए कामोत्तेजक हो या फिर यह भी हो सकता है कि किसी को इस बारे में जानकर बिलकुल भी अच्छा नहीं लगे. लेकिन शोधकर्ता अभी भी निश्चित रूप से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि स्पष्ट रूप से कह सकें कि आखिरकार अपने साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानकर लोगों को कैसा लगता है.
सेक्स का अनुभव – कितना फायदेमंद?
यूके के शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस बारे में जानने के लिए 18 से 35 साल के 188 युवाओं को इकठ्ठा किया. उन्हें कुछ काल्पनिक लोगों की एक सूची दी गयी जिनके पूर्व में शून्य से लेकर 60 तक या उससे ज्यादा रिश्ते रहे थे. फिर उनसे पूछा गया कि वो उन लोगों के साथ रिश्ता जोड़ने में कितने तैयार होंगे. उन्हें अपने जवाब में 1 से लेकर 9 तक अंक देने थे.
जो लंबे चलने वाले रिश्ते चाहते थे उनकी नजर में वो लोग पहली पसंद थे जिनके पूर्व में दो साथी रहे थे. ऐसे लोगों की औसतन उम्र 21 साल थी. जब सूचना को अलग तरीके से आयोजित किया गया तो यह साफ हो गया कि अधिक उम्र के सहभागियों की नजर में आदर्श साथी वो था जिसके पूर्व में दो से ज्यादा रिश्ते रहे थे.
लेकिन उम्र पर ध्यान दिए बिना गौर किया गया तो एक बात स्पष्ट हो गयी थी, खासकर यूके के नागरिकों के लिए. लोगों को यह तो अच्छा लगता है कि उनके संभावित साथी के पास थोड़ा बहुत यौनिक अनुभव हो, लेकिन अगर किसी के पूर्व में बहुत ज्यादा साथी रहे हों तो यह बात ज्यादातर लोगों को आकर्षित नहीं करती और यह अध्ययन में हिस्सा लेने आये पुरुषों और महिलाओं, दोनों के ही जवाबों से स्पष्ट थी.
लेकिन जब बात हो लघु अवधि के रोमांस के लिए साथी ढूंढने की तो पुरुष और महिलाओं के जवाबों में असमानता पायी गयी. पुरुषों को वो महिलाएं पसंद आयी जिनके पूर्व में दो से लेकर 10 साथी रहे हों, जबकि दूसरी और महिलाएं उन पुरुषों के साथ रिश्ता बनाने की इच्छुक थी जिनके पूर्व में दो से लेकर पांच महिलाओं के साथ शारीरिक सम्बंध रहे हों.
सेक्स और संस्कृति
तो पुरुषों और महिलाओं को दीर्घ-कालिक रिश्तों के लिए ऐसे साथी क्यों पसंद आते हैं जिनको सेक्स का बहुत ज्यादा नहीं, बस थोड़ा बहुत अनुभव हो?
शोधकर्ताओं का कहना था कि अध्ययन से निकले निष्कर्ष उन्हीं संस्कृतियों के लिए उपयुक्त होंगे जहाँ शादी से पहले सेक्स करना स्वीकार्य है. जाहिर सी बात है कि विश्व के उन हिस्सों में जहां शादी से पहले सेक्स को गलत समझा जाता है, वहां एक प्रतिबद्ध रिश्ते से पहले किसी भी प्रकार के यौनिक अनुभव का होना कतई वांछनीय नहीं है.
लेकिन शोधकर्ता यह भी कहते हैं कि ब्रिटैन जैसी कुछ उदार संस्कृतियों में बिलकुल भी यौन अनुभव नया होने का अर्थ यह निकाला जा सकता है कि शायद उस व्यक्ति में सामाजिक कौशल और रिश्तों की समझ की कमी है. अगर आपका अभी तक कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है तो हो सकता है कि आप में कोई कमी है!
इसके साथ-साथ कई बार यह भी देखा गया है कि लोग दूसरो के प्रति सिर्फ इसलिए आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि और लोग भी उनकी तरफ आकर्षित हैं. इसे ‘मेट-चॉइस कोपयिन्ग’ का नाम दिया गया है. आपके पास यौन अनुभव है तो इसका मतलब है कि लोग आपको पसंद करते हैं और इसलिए किसी को आप अच्छे लग सकते हैं.
धोखेबाज?
संस्कृति चाहे कोई भी हो, शोधकर्ताओं को लगता है कि जिन लोगों के पूर्व में बहुत सारे प्रेमी रहे हैं, वो उन लोगों की पहली पसंद कभी नहीं बन पाते जो अपने साथी के साथ दीर्घ-कालिक रिश्ता बनाना चाहते हैं. शायद उन्हें यह लगता हो कि जिस व्यक्ति के इतने सारे साथी हो उससे यौन संक्रमण का ख़तरा हो सकता है. शोधकर्ता कहते हैं कि आंकड़ों पर नज़र डालें तो जिस व्यक्ति के कई साथी रहे हों, उसके लिए किसी दीर्घकालिक रिश्ते में रहना या किसी रिश्ते में ईमानदार रहना मुश्किल हो सकता है.
दिल की बिमारियों को सबसे घातक बीमारियों में गिना जाता है और भारत में मृत्युदर का एक प्रमुख कारण माना जाता है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 5 में से एक पुरुष और 8 में से एक महिला दिल की बीमारियों के चलते अपनी जान गंवा बैठते हैं. प्रगतिशील दिल की विफलता, रक्त वाहिकाओं की धमनी में वसा की परत जमने के कारण होता है. इसके लिए जीवनशैली की आदतें, धूम्रपान, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च-रक्तचाप और डायबिटीज़ को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है.
एक समय में हार्ट अटैक केवल बुढ़ापे से संबंधित हुआ करता था. लेकिन हालिया हालात ऐसे हैं कि 20, 30 और 40 की उम्र वाले लोग भी दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. आमतौर पर आनुवंशिकता और पारिवारिक इतिहास को सबसे आम और नियंत्रित न हो पाने वाले कारक माने जाते हैं. लेकिन आज, इनके अलावा कई कारणों से भारतीय युवा हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं. इन कारणों में खराब जीवनशैली, तनाव, सही समय और सही मात्रा में न सोना आदि शामिल हैं. परिणास्वरूप, सूजन की समस्या होती है जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती है. गतिहीन जीवनशैली के साथ धूम्रपान से युवा पीढ़ी में हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है.
हर दिन लगभग 9000 लोग दिल की बीमारियों से मरते हैं, जिसका मतलब है हर 10 सेकेंड में एक मौत. उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं. भारत में हृदय रोगों की महामरी को रोकने का एकमात्र तरीका जनता को शिक्षित करना है अन्यथा 2020 तक हालात बद से बद्तर हो जाएंगे.
दरअसल, भारत के अस्पतालों में हर साल लगभग 2 लाख मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, जिसकी संख्या प्रति वर्ष 25% की दर से बढ़ रही है. लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद हार्ट अटैक के मामलों में कमी नहीं आई है. ये सभी सर्जरी समस्या के मूल कारण पर केंद्रित होने के बजाए केवल दर्द से राहत देती हैं. समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए दिल की बीमारी और इसके जोखिम कारकों के बारे में शिक्षत करना आवश्यक है.
क्या हैं लक्षण?
कोरोनरी हार्ट डिजीज़ (सीएचडी) के सभी मरीजों में लक्षण और सीने का दर्द एक समान हो, ऐसा जरूरी नहीं है. लक्षण शून्य से गंभीर तक भिन्न हो सकते हैं. कई मरीजों को अपच की समस्या हो सकती है तो कइयों को गंभीर दर्द, भारीपन या कसाव महसूस हो सकता है. यह दर्द आमतौर पर सीने के बीचों-बीच होता है, जो हाथों, गर्दन, जबड़ा और पेट तक फैल सकता है. इसके साथ ही घबराहट और सांस लेने में मुश्किल हो सकती है.
धमनियों के पूरी तरह ब्लॉक होने पर हार्ट अटैक हो सकता है, जिसके कारण दिल की मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है. हार्ट अटैक के कारण होने वाला दर्द और असुविधा एंजाइना के समान होता है लेकिन अक्सर अधिक गंभीर होता है. इसमें पसीना आना, उलझन, जी मिचलाना, सांस लेने में मुश्किल आदि समस्याएं होती हैं. यह डायबिटीज़ के मरीजों में आम है. हार्ट अटैक का सही समय पर इलाज न करने पर यह घातक साबित हो सकता है.
पहले से निदान कैसे करें?
एक संदिग्ध सीएचडी के मरीज में बीमारी की पहचान के लिए चिकित्सा और पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली का आंकलन और रक्त परीक्षण शामिल हैं. इसके अलावा सीएचडी की पहचान में प्रत्येक हार्ट वॉल्व की संरचना, मोटाई और हलचल की पहचान के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), दिल, फेफड़ों और सीने में दिखाई देने वाले लक्षणों को देखने के लिए एक्स-रे, एक्सरसाइज़ के दौरान दिल पर पड़ने वाले असर की पहचान के लिए ट्रेडमिल टेस्ट, कार्डियोवस्कुलर कार्टोग्राफी हार्ट फ्लो मैपिंग, सीटी एंजियोग्राफी और ब्लॉकेज की गंभीरता की पहचान के लिए इनवेसिव कोरोनरी एंजियोग्राफी आदि जैसे नॉन इनवेसिव टेस्ट शामिल हैं.
हृदय रोगों की रोकथाम
हालांकि, कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ को पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है लेकिन इसका इलाज लक्षणों के नियंत्रण, दिल की कार्यप्रणाली में सुधार और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं के खतरे को कम करने आदि में सहायक होता है. इसमें जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और नॉन-इनवेसिव इलाज शामिल हैं. इनवेसिव और सर्जरी की जरूरत केवल गंभीर मामलों में पड़ सकती है. अधिकतर मामलों में इलाज के परिणाम बेहतर होते हैं, जहां मरीज अपने जीवन को पुन: सामान्य रूप से शुरू कर पाता है.
जीवनशैली में कुछ आसान बदलावों की आवश्यकता पड़ती हैं जैसे कि पौष्टिक व संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता, नियमित व्यायाम, धूम्रपान बंद करना और कोलेस्ट्रॉल और शुगर के स्तर को नियंत्रित करना आदि. ये बदलाव सीएचडी, स्ट्रोक और कमज़ोर याददाश्त के खतरे को कम करते हैं.
सीएचडी के इलाज के लिए कई दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है. कोलेस्ट्रॉल, उच्च-रक्तचाप और डायबिटीज़ को भी दवाइयों की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है. अन्य दवाइयां दिल की धड़कन को धीमा करने, रक्त को पतला करके खून के थक्कों की रोकथाम करने में काम आती हैं. इनमें से कुछ दवाइयों से सिरदर्द, सिर चकराना, कमज़ोरी, बदन दर्द, त्वचा पर रैशेज़ होने के साथ याददाश्त और सेक्स की इच्छा प्रभावित हो सकती है. यदि किसी दवाई को लंबे समय से लिया जा रहा है तो ऐसे में समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. यह टेस्ट विशेषकर किडनी और लिवर के कार्यों पर केंद्रित होता है.
हालांकि, दिल की विफलता खतरनाक मालूम होती है लेकिन उचित निदान और देखभाल के साथ इसका इलाज संभव है. मोटापा, डायबिटीज़ और उच्च-रक्तचाप को बढ़ावा देने वाले आहार और जीवनशैली में बदलाव ही दिल की विफलता की रोकथाम का सबसे आसान तरीका है.
दिल की विफलता या कार्डियो वस्कुलर डिजीज़ यह दर्शाता है कि आपका हृदय सामान्य रूप से काम नहीं कर पा रहा है. स्वस्थ हृदय के लिए इसकी देखभाल करना आवश्यक है. सबसे अच्छी बात यह है कि आप इस बीमारी को स्वस्थ जीवनशैली के साथ रोक सकते हैं.
डॉक्टर बलबीर सिंह, चेयरमैन, कार्डियक साइंसेस, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली से बातचीत पर आधारित.
घर की सफाई हर दिन करनी पड़ती हैं. महामारी के दौरान सफाई ने अपनी इम्पोर्टेंस को फिर से बढ़ा दिया है. हालांकि आप क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से अनजाने में खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये प्रोडक्ट्स गन्दगी साफ़ करने वाले साबुन, लांड्री डिटरजेंट या टॉयलेट क्लीनर हो सकते हैं.
ज्यादातर केसेस में क्लीनिंग प्रोडक्ट के महक के लिए 4,000 से ज्यादा केमिकल्स का मिश्रण होता है जो प्रोडक्ट की तेज गंध को अन्य केमिकल्स तत्व की गंध के साथ मास्क करने के लिए जोड़ा जाता है. जबकि इनमें से कुछ तत्व पेड़-पौधों से भी लिए जाते हैं. जैसे-फूल, मसाले, फल, लकड़ी, रेजिन और घास आदि. इन प्राकृतिक स्रोतों से निकाले गए लगभग 80-90% वोलाटाइल(वाष्पित) में आर्गेनिक कम्पाउंड शामिल होते हैं जैसे कि एल्कोहल और पेट्रोकेमिकल्स, जो हवा के साथ उड़ते हैं जिसकी वजह से इन्हें हम सूंघ सकते हैं.
डिशवॉशर, लांड्रीडिटर्जेंट, टॉयलेटक्लीनर, एयरफ्रेशनर– प्रोडक्ट का नाम देखें और लेवल पर एक नज़र दौडाएं. लेबल से आपको पता चलेगा कि उनमे कौन से केमिकल्स शामिल हैं. 2015 में हुई एक स्टडी से पता चला कि 37 फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से उत्सर्जन(एमिशन्स) की जांच की तो पता चला कि ये सभी 156 वोलाटाइल आर्गेनिक कम्पाउंड (वीओसी) का उत्सर्जन करते हैं, जिनमें से कई को मानव के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और नुकसानदेह के रूप में क्लासीफाइड किया गया है. फ्रैगरेन्स प्रोडक्ट्स इंडोर एयर क्वॉलिटी को प्रदूषित करते हैं. हम सभी जानते हैं कि ख़राब हवा से सिर दर्द और अस्थमा से लेकर कैंसर और हार्ट से सम्बंधित समस्याएं होती हैं. फ्रैगरेन्स से संबंधित बीमारियों का खतरा लोगों में सबसे ज्यादा हैं. इन लोगों में प्रोफेशनल क्लीनर, घर में काम करने वाले नौकर और महिलाएं होती हैं ये सभी रोज फ्रैगरेन्स वाले प्रोडक्ट से घर से सफाई करते रहते हैं इसलिए इनको ऐसे प्रोडक्ट से ज्यादा खतरा रहता है. स्टडी में 10% से कम अवयवों (इंग्रेडिएंट्स) का लेवल या फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सेफ्टी डाटा शीट के बारें में पता चला है. भारत में भी पता चला है कि इन फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के निर्माता लेवल में इन प्रोडक्ट में कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं इसको बिना बताये ही इसे बेच रहें हैं.
होम क्लीनर, जैसे कि ब्लीच, बेंजीन, सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडेहाइड के अलावा और भी कई होम क्लीनर हैं जो विषैले होते हैं और इनका इस्तेमाल करने से बहुत ज्यादा सूजन होती है. नीचे कुछ विषैले केमिकल्स के बारें में बताया हैं जिन्हें आप उनका लेवल देख के पता लगा सकते हैं कि उनमे कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं.
डिटर्जेंट से जो झाग बनता है वह सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडिहाइड के कारण होता है. SLS पानी और तेल से डिटर्जेंट की प्रभावशीलता (इफेक्टिवनेस) में सुधार करता है. पानी और तेल आपस में मिक्स नहीं होते हैं ये कपडें से गंदगी को आसानी से साफ़ कर देते हैं. फॉर्मलडिहाइड एक सस्ता वाला परिरक्षक (प्रेजरवेटिव) और एंटीबैक्टेरियल एजेंट होता है. ये केमिकल्स डिशवॉशर डिटर्जेंट, साबुन और शैंपू में भी पाये जाते हैं. इनकी वजह से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता हैं. एसएलएस सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसका कारण यह है कि यह सस्ता और प्रभावी होता है लेकिन यह मानव त्वचा को नुकसान पहुँचाने के लिए जाना जाता है और अक्सर इससे एग्जिमा, रोसैसिया और सोराइसिस जैसी कंडीशन भी बनती है जबकि फॉर्मलाडिहाइड आँखों, फेफड़े और सांस में जलन पैदा कर सकता है. डिटर्जेंट, पेंट और फर्नीचर की पॉलिश से बेंजीन निकलता है जो त्वचा, नाक और आंखों की जलन के लिए जाना जाता है, और यह पानी में रहने वाले जीव को भी नुकसान पहुंचाता हैं.
डिशवाशिंगलिक्विड: एसएलएस और फॉर्मलाडेहाइड के साथ-साथ अन्य केमिकल वाले प्रोडक्ट जैसे कि ट्राईक्लोसन बहुत तेजी से बैक्टीरिया को मारता है. एसएलएस पेट्रोलियम और नारियल या ताड़ के तेल से लिया जाता है और डिटर्जेंट के लेदर-फार्मिंग गुणों को बढ़ाता है. फॉर्मेल्डीहाइड को लगातार छूने से एलर्जी रिएक्शन जैसे कि एक्जिमा और सूजन होती है. हर रोज इसे छूने से कैंसर भी हो सकता है.
एयरफ्रेशनर्स: एयर फ्रेशनर्स में फोथलेट्स और नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट जैसे विषैले केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इन दोनों केमिकल्स को अंतःस्रावी अवरोधक (इंडोकरिन डिस्रप्टर्स) कहा जाता है.
कई यूरोपीय देशों में नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट बैन है लेकिन भारत में नहीं. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपने क्षेत्र-आधारित आकलन (रीजन बेस्ड असेसमेंट) में इसे पूरी दुनिया के लिए खतरनाक केमिकल माना है. बार-बार एक्सपोजर वाले केमिकल मिमिक एस्ट्रोजेन से हमारी बॉडी यह बताने में सक्षम नहीं होती है कि एस्ट्रोजन और केमिकल के बीच का अंतर क्या है. इससे हार्मोनल इम्बैलेंस (असंतुलन) हो सकता है.
यह केमिकल समुद्री जीवों के लिए ज्यादा विषैला होता है और यह बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है – यह मिट्टी में, पानी में और सतह पर कई सालों तक जमा रहता है. जिन आदमियों के खून में फैथलेट कम्पाउंड ज्यादा होता है उनमे स्पर्म कॉउंट कम हो चुका होता है. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के शोधकर्ताओं द्वारा 2003 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ऐसे आदमियों के खून में शुक्राणुओं की संख्या कम मिली थी.
प्राकृतिकक्लीनर्सकोचुनें
जो क्लीनर प्रोडक्ट पेड़-पौधें से बनते हैं वह केमिकल प्रोडक्ट की तुलना में आपके लिए, आपके बच्चे के लिए, और आपके पालतू जानवर के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. अब समय आ गया है कि हम केमिकल आधारित होम क्लीनर का इस्तेमाल बंद करें और प्राकृतिक सोर्स से बने क्लीनर का इस्तेमाल करें: आप नीचे बताये गए इन क्लीनर्स को घर पर भी बना सकते हैं.
एयरफ्रेशनर्स: टूथपिक का नोक का इस्तेमाल कुछ ताज़े, मज़बूत, संतरों के छिलकों में कुछ छेद करने के लिए करें. हर छेंद में एक लौंग डालें. एक कटोरे में मसालेदार संतरे रखें और उन्हें घर के आसपास सेट कर दें. यह आपके लिए प्राकृतिक एयर फ्रेशनर की तरह बन जायेगा. आप इन संतरों को अपनी खिड़कियों में भी लटका सकते हैं. कई तरह की खुशबू को पाने के लिए आप संतरे पर पाउडर दालचीनी, लौंग या जायफल छिड़ककर रख सकते हैं.
मोठरिपेलेंट्स: एक मुट्ठी गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाएं. उन्हें लैवेंडर की कुछ बूंदों के साथ या रोजमैरी तेल के साथ छिड़कें. चाय की थैलियों में पंखुड़ियों को भरकर या खुद से भी पाउच बनाकर चीज़क्लोथ के टुकड़े उसमे भरकर रख सकते हैं. मोठ रिपेलेंट्स को और ज्यादा इफेक्टिव बनाने के लिए आप सूखे नींबू के छिलके, लौंग या नीलगिरी का भी उपयोग कर सकते हैं.
कारपेटऔरअपहोल्स्ट्रीरिमूवर: एक स्प्रे की बोतल में सफेद सिरका और पानी बराबर भरके दाग-धब्बों से छुटकारा पा सकते हैं. इसे सीधे दाग पर स्प्रे करें, फिर कई मिनट तक छोड़ दें, और फिर ब्रश से या साबुन के गर्म पानी का इस्तेमाल करके स्पंज से साफ़ करें. खाने या ग्रीस के धब्बे के लिए, दाग पर कॉर्नस्टार्च छिड़कें और वैक्यूम करने से पहले एक घंटे तक इसे रख दें, इन दागों को साफ़ करने के लिए यह सबसे सुरक्षित तरीका है.
फर्नीचरकीसफाई: 2 पार्ट वाले सिरके को, 2 पार्ट वाले वेजिटेबल आयल और 1 पार्ट वाले नीम्बू के रस को मिलाकर अपने फर्नीचर को साफ़ करें. इन तीनो चीज़ों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद एक कपड़े को इसमें डुबा दें. अब इस कपड़े से अपने फर्नीचर को साफ़ करें. आप इस मिश्रण को एक स्प्रे बोतल में भी स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.
क्या आपको पता है कि आप बाल झाड़ते वक्त कितने बालों को खोती हैं. एक अनुमान के अनुसार हर व्यक्ति प्रतिदिन अपने 100 बालों को खो देता है. तो जब आपके बाल उलझ जाते हैं और उनमें गांठ पड़ जाती है तो उन्हें जोर से कंघी से तोड़ने की बजाए हल्के हाथों से आराम से खोलें. वरना कुछ दिनों में आपके सारे बाल झड़ जाएंगे और इसके आगे की स्थित आप खुद ही समझ जाएं.
आज हम आपको बालों की उलझन को दूर करने के उपाय बताएंगे जिससे आपको अपने बालों को खींच कर तोड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
1. अक्सर घुंघराले बालों वाली महिलाओं को यह समस्या झेलनी पड़ती है,इसलिए अगर आप कंघी कर रही हैं तो हमेशा अपने बालों को बीच से कंघी करें और फिर नीचें की ओर आएं.
2. बाल कीगांठ को सुलझाने के लिए बालों में तेल का प्रयोग करें इससे वह आसानी से फिसल कर खुल जाएंगे.
3. गीले बाल सबसे ज्यादा उलझे और कमजोर होते हैं इसलिए ऐसे बालों में कंघी न करें. जब वह हल्के सूख जाएं तब ही उनमें कंघी करें पर ध्यान रहे की आप अपने स्कैल्प पर ज्यादा जोर न दें और हल्के हाथों से धीरे धीरे कंघी करें.
4. अगर आपके बालों में सही पोषण नहीं है और वह ड्राई हैं तो उनमें गांठ पड़ना स्वाभाविक है. इसलिए आपको इस समस्या की जड़ तक जाने की जरुरत है. अपने बालों में नमी पहुंचाने के लिए हफ्ते में दो बार तेल से मसाज करें या फिर उनमें मेंहदी का प्रयोग करें.
5. हवा आपके बालों में गांठे डालने का सबसे बड़ा काम करती हैं. इसलिए जब भी आपसफर कर रहीं हो तो अपने बालों को बांध लें. और सिर्फ यही नहीं जो हवा आपके ड्रायर से निकलती है वह भी बालों को बहुत नुकसान पहुंचाती है इससे बाल ड्राई होते हैं और ड्राई बालों में ही गांठ पड़ती है.
आजकल गर्ल्स ऐसी ड्रेसेस को पसंद कर रही हैं जो हर फंक्शन में काम आ जाती हैं. यह कम्फर्ट के लिहाज से भी खास हों और देखने में भी आकर्षक हों. गल्र्स के लिए फैशन के साथ अब कम्फर्ट सबसे ज्यादा महत्व रखता है. नेहा गोयल जो क्यूरियो स्ट्रीट नाम से औनलाइन बुटीक चला रही हैं ,उनका कहना है कि ,”इस तरह की ड्रेसेज हर ऑकेजन पर आसानी से पहनी जा सकती हैं और आसानी से उपलब्ध भी हैं .ये पॉकेट फ्रेंडली होने की वजह से किशोरों और टीनएजर्स की पहली पसंद है.
शहर में ड्रेसेस को लेकर नया ट्रेंड आ रहा है. आजकल यंग गर्ल्स ऐसे डे्रस प्रिफर कर रही है, जिसे फैमिली फंक्शन, डेआउट, नाइट पार्टी या गेटटुगेदर जैसे किसी भी फंक्शन में कैरी किया जा सके. इसलिए हैवी वर्क किए हुए सलवार सूट्स में ड्रेप स्टाइल में इंडो वेस्टर्न आउटफिट्स तैयार किए जा रहे हैं.
इस स्टाइल में ज्यादातर ड्रेसेस नी लेंथ की रहती है. ड्रेसेस की खासियत यह है कि इन्हें पार्टीज में इवनिंग गाउन की तरह भी कैरी किया जा सकता है. ड्रेप की गई डिजाइनर ड्रेसेस को शिफौन या जौर्जट फैब्रिक का यूज कर बनाया जाता है. डिफरेंट कलर कौम्बीनेशंस का यूज करते हैं, लेकिन ब्राइट कलर्स पर ज्यादा फोकस रहता है. एम्ब्रौयडरी की बात करें तो हैवी की बजाय मेटल एम्ब्रौयडरी कर रहे हैं जो अट्रेक्टिव लुक देती. नी लेंथ ड्रेप ड्रेसेस का गला सिंपल रखा जाता है, जिससे ड्रेप उभर कर दिखे. इस प्रकार की ड्रेसेस ट्रेडिशनल के साथ मौडर्न लुक देती हैं.
कुर्ते नहीं देंगे बहनजी लुक
औफिस में प्लेन, प्रिंटेड, लौन्ग, फिटेड या लूज हर तरह के कुर्ते कूल दिख सकते हैं, अगर आप उन्हें परफेक्ट कॉम्बिनेशन के साथ पहनें. अगर आप लुक को थोड़ा फॉर्मल रखना चाहती हैं तो एंब्रौएड्री वाला कुर्ता अच्छा लगेगा. वहीं सिंपल स्ट्रेट कट वाले कुर्ते भी काफी इंप्रेसिव लगते हैं.
ट्राय करें अनारकली सूट्स
औफिस के हिसाब से कुछ अनारकली पैटर्न वाले कुर्ते भी पहने जा सकते हैं. अगर उनमें हैवी वर्क नहीं है, तो वे आप आराम से वर्कप्लेस के माहौल में कैरी कर सकती हैं. लेकिन अगर आप ओवरवेट हैं तो अनारकली सूट को पहनने में थोड़ी एलर्ट रहें क्योंकि इसकी बहुत ज्यादा प्लीट्स में आपका लुक हैवी नजर आ सकता है.
सलवार हर लिहाज से आरामदायक होते हैं, लेकिन इनमें भी आप अपनी पसंद के हिसाब से पैटर्न अपना सकती हैं. मसलन आप पटियाला सलवार पहन सकती हैं, एंब्रॉएड्री या वर्क वाले कुर्तों पर प्लेन सलवार भी अच्छा लगता है. अगर आप पतली हैं तो पटियाला ट्राई कर सकती हैं क्योंकि इससे आप स्वस्थ दिखेंगी, वहीं स्लिट पैंट्स भी कुर्ते के साथ अच्छे लगते हैं.
पलाजो और सिगरेट पैंट्स भी कूल औप्शन
अगर आप सलवार पहनकर बोर हो चुकी हैं तो मॉडर्न लुक देने वाले पलाजो या सिगरेट पैंट भी पहन सकती हैं. ये दोनों लंबे कुर्तों के साथ अच्छे दिखते हैं. पलाजो एंब्रॉड्री वाले या स्ट्रेट कुर्तों, दोनों के साथ खूब जमता है.
कुर्ते के साथ ट्राई करें जींस
अगर आपके औफिस में फौर्मल ड्रेस कोड नहीं फौलो किया जाता तो आप कुर्ते के साथ जींस का कौम्बिनेशन अपना सकती हैं. वैसे जींस के साथ शौर्ट कुर्ते काफी स्मार्ट लुक देते हैं. लेकिन अगर आपके औफिस में फौर्मल ड्रेस कोड फॉलो किया जाता है तो यह ड्रेस कोड आपको फौलो नहीं करना चाहिए.
साड़ी भी देती है बेहतरीन लुक
ज्यादातर महिलाएं वर्कप्लेस के लिए वेस्टर्न लुक को तरजीह देती हैं, लेकिन अगर साड़ी को भी करीने से पहना जाए तो यह काफी स्मार्ट और एलिगेंट लुक देती है. कौटन, जौर्जेट, शिफौन और क्रेप साड़ियां औफिस लुक के लिए बेहतरीन दिखती हैं. अगर आपका पेट निकला हुआ है तो प्लीट्स को थोड़ा फैला लें, इससे आपका पेट हैवी नहीं दिखेगा.
जूतियां दाम में भी वाजिब होती हैं और आपके लुक को भी बेहतरीन बना देती हैं. रंग-बिरंगी फैंसी जूतियां आपके ट्रडीशनल लुक में चार चांद लगा देती हैं. कोल्हापुरी चप्पलें भी काफी स्मार्ट लुक देती हैं. ऐसे में अगर आप अपनी ड्रेसेस के कलर के हिसाब से जूतियों का कलेक्शन रखें तो अपने लुक को काफी आकर्षक बना सकती हैं.
अब औफिस के लिए तैयार होते हुए इन आसान से टिप्स को अपनाएं तो आप काफी स्मार्ट और इंप्रेसिव लुक दे सकती हैं. तो देर किस बात की, कर लीजिए ऑफिस में अगले दिन की ड्रेसिंग की तैयारी.