बदतमीज ससुर से नाता तोड़ कर सुखी रहें

32 साल की मीना बहुत दिनों से गौर कर रही थी कि उस के ससुर की नजरें सही नहीं. वे कभी उसे चोर निगाहों से देखते रहते हैं, कभी जानबूझ कर हाथ छूने का प्रयास करते हैं तो कभी कुछ इशारे भी करते हैं. कई दफा ससुर खुले आंगन में कच्छा पहन कर नहाते हुए उधर से गुजरती मीना को घूरघूर कर देखने लगते. मीना एकदम से अंदर कमरे में छिप कर बैठ जाती.

मीना की शादी को अभी 1 साल भी पूरे नहीं हुए थे. घर में नई थी और पितातुल्य ससुर के बारे में ऐसी बात सोचना भी उस के लिए आसान नहीं था. मगर अब उसे अक्सर ही यह एहसास होने लगा था कि ससुर उसे बेटी की नजरों से नहीं देखते, उन की नजरों में और हरकतों में कहीं न कहीं बदतमीजी झलकती है.

एक दिन उस ने अपनी मन की बात अपने पति से कहीं तो पति उसे चुप कराते हुए बोला,” यह क्या कह रही हो? जानती भी हो वे मेरे पिता हैं. गोद में खिलाया है उन्होंने मुझे. तुम्हारे भी तो पिता ही हुए न. इस उम्र में उन पर ऐसे इल्जाम कैसे लगा सकती हो?”

“मैं इल्जाम नहीं लगा रही सुजय. मुझे ऐसा लगा.”

“पर ऐसा क्यों लगा तुम्हें ? सारी बात बताओ मीना. ”

“जब भी मैं उन्हें चाय देने जाती हूं तो वह चाय लेते वक्त जानबूझ कर मेरे हाथ छूने की कोशिश करते हैं और अजीब तरह से मेरी तरफ देखते हैं. एक दिन तो कहने लगे कि जरा कंधे पर तेल मल दो. ऐसा कह कर वे कपड़े उतारने लगे पर काम का बहाना बना कर मैं बाहर भाग आई.”

“देखो मीना हो सकता है यह तुम्हारा भ्रम हो. उन्हें सच में कंधे में दर्द हो रहा हो या फिर चाय लेते समय बुजुर्ग होने की वजह से उन के हाथ कांप जाते हों और तुम्हें लगता है कि वे स्पर्श करने का प्रयास कर रहे हैं,” सुजय ने समझाना चाहा.

” सुजय मैं एक औरत हूं और पुरुष की नजरों को अच्छी तरह पढ़ सकती हूँ. मुझे डर है कि तुम ने अभी ध्यान नहीं दिया तो बाद में कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए,” मीना का ससुर की नियत पर संदेह कायम था.

“तुम क्या चाहती हो मीना? मैं क्या करूँ ? पिताजी से लडूं?”

” नहीं लड़ने के बजाय हमें चुपचाप उन से अलग हो जाना चाहिए.”

मीना की आंखों का दर्द देख कर सुजय को महसूस हुआ कि वह झूठ नहीं बोल रही. वह गंभीर होता हुआ बोला,

“पर मीना हम पिताजी को अकेला छोड़ कर भी तो नहीं जा सकते न.”

ये भी पढ़ें- बड़े धोखे हैं इस राह में

“अकेला क्यों सुजय? भैयाभाभी हैं न. वे ऊपर के फ्लोर पर ही तो रहते हैं . फिर पिताजी का सालों पुराना नौकर भी उन के साथ है.”

“चलो मैं देखता हूं क्या किया जा सकता है. पर सच कहता हूं लोग तुम्हें ही ब्लेम देंगे कि बहू ने आते ही बाप को बेटे से अलग कर दिया.”

“तुम दोनों को अलगअलग करना मेरी मंशा नहीं. मैं तो बस सुकून से जीना चाहती हूं सुजय.”

“ठीक है मीना मैं कोशिश करता हूं.” कह कर सुजय अपने काम में लग गया और बात आईगई हो गई.

उस दिन मीना छत पर कपड़े सुखा रही थी कि अचानक से सामने ससुर आ कर खड़े हो गए और उस की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए कहने लगे,” कभी मेरे करीब आ कर देख. दुनिया बदल दूंगा तेरी. तुझे वह खुशी दूंगा जो शायद सुजय ने भी नहीं दी होगी. एक नई दुनिया देखेगी तू.”

मीना आंखें फाड़ कर उन की तरफ देखती रह गई. बाप जैसा शख्स उस के साथ खुलेआम ऐसी बातें कर रहा था.खुल कर ऐसी बदतमीजी कर रहा था. वह सोच भी नहीं सकती थी. एकदम से भागती हुई वह नीचे अपने कमरे में आई और दरवाजा बंद कर लिया. ससुर पीछे से आवाज देता रहा. शाम तक मीना कमरे से नहीं निकली. शाम में जैसे ही सुजय घर लौटा तो मीना उस के सीने से लग कर फफकफफक कर रोने लगी. मीना को इतना घबराया हुआ देख कर सुजय ने कारण पूछा तो मीना ने हर बात साफसाफ बता दी.

सुजय के लिए अपने पिता पर लगे इल्जाम पर यकीन करना बहुत कठिन था मगर पत्नी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तो उसी की थी. अगले ही दिन उस ने ट्रांसफर की अर्जी डाल दी और 10- 12 दिनों के अंदर शहर बदल लिया.

जाते समय सुजय पिता से बस इतना ही कह सका,” पिताजी यह आप के लिए भी अच्छा है और हमारे लिए भी कि हम अलग रहें”.

उस के पिता कुछ भी न बोल सके. किस मुंह से बोलते कि शराब के नशे में उन्होंने बहू के साथ जो बदतमीजी कर डाली उस का हश्र यही तो होना था. इधर ससुर से अलग हो कर मीना की जान में जान आई.

इन घटनाओं पर भी गौर करें;

हाल ही में (अप्रैल 2019 ) गुरुग्राम में एक 61 साल के ससुर को अपनी 28 वर्षीया बहू के साथ छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया. पुलिस के आगे बुजुर्ग ने अपना अपराध स्वीकार किया. सेक्टर 5 की वह विधवा महिला अपने डेढ़ साल के बच्चे के साथ रहती थी. उस का ससुर कुछ महीनों से उस का पीछा और बदसलूकी कर रहा था.

कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के धुलतरा में एक विधवा की संपत्ति हड़पने व अवैध संबंध बनाने से मना करने पर भड़के ससुरजेठ द्वारा उस पर तेजाब डालने का मामला सामने आया था.

किसी तरह उस ने अपने तीन साल के बच्चे के साथ भाग कर जान बचाई जिस में उस का बेटा भी एसिड से झुलस गया.

इस तरह के मामले अक्सर हमारे आसपास सुननेदेखने को मिल जाते है. दरअसल कई दफा अपने ही घर के पुरुष चाहे वह ससुर हो, देवर या जेठ हो या फिर नंदोई हो, घर में आई नई बहू पर गलत नजर डाल सकते हैं या बदतमीजी से बात कर सकते हैं. ऐसे लोग घर के सम्माननीय सदस्य हो कर भी द्विअर्थी और अश्लील बातें करने से नहीं चूकते. घर की बहू समझ नहीं पाती कि वह इन के साथ कैसे निभाए. जेठ और ससुर बहू के लिए रिश्ते में पिता या बड़े भाई के समान हैं. मगर जब उन के द्वारा ऐसी बदतमीजी की जाती है और रिश्ते की पवित्रता व सम्मान पर चोट पहुंचाई जाती है तो इन रिश्तो को निभाते रहना गलत है. क्यों कि ऐसे लोग कभी भी कोई बड़ा कुकर्म तक कर सकते हैं. रिश्ते की मर्यादा लांघ कर की बहू की अस्मिता को तारतार कर सकते हैं.

कुछ घरों में ससुर और जेठ स्वभाव से ही बदतमीज होते हैं. उन्हें महिलाओं के साथ बोलने या बात करने की तमीज नहीं होती. ये दूसरों के आगे कभी भी ऐसी बातें कर जाते हैं जिस से बहू को शर्मिंदगी महसूस हो. घर आई बहू की सहेलियों या रिश्तेदारों के साथ भी उन का व्यवहार बदतमीजी भरा होता है.

बदतमीजी कई तरह की हो सकती है;

1. गलत नजर रखना, इज्जत पर हाथ डालना
2. गंदे इशारे करना या अश्लील हरकतें करना
3. गलत लहजे में बात करना
4. बहू के प्रति अपने रिश्ते की मर्यादा भूल कर गलत तरह से छूना या बदतमीजी करना
5. बहू से ऊंचे स्वर में बात करना, मारनापीटना
6. बहू को भद्दे शब्द कहना या गालियां देना
7. छेड़छाड़ करना
8. दहेज के नाम पर मार पीट या अभद्रता

1. आवाज उठाएं चुप न रहें

आप भले ही बहू हैं, घर में नई हैं, ससुर या जेठ के देखे उम्र में बहुत कम हैं मगर याद रखें गलत के खिलाफ आवाज उठाने का हक आप को पूरा है. जब ससुर या जेठ बदतमीजी करें तो शुरूआत से ही इस का विरोध करना चाहिए ताकि वे आप को उपलब्ध न समझें और उन के हौसले न बढ़े. कभी भी उन का कोई व्यवहार आप को खटके तो उसी वक्त यह बात उन के आगे जाहिर करें. उन्हें खबरदार करें और फिर पति या सास को विश्वास में ले कर जेठ या ससुर की हर गलत हरकत के बारे में विस्तार से बात करें. वस्तुस्थिति से अवगत कराएं.

2. सबूत इकट्ठे करें

इस तरह के मामलों में सब से जरूरी है कि आप अपनी बात सबूतों के साथ रखें ताकि सामने वाला मामले की हकीकत समझ सके. आज के समय में यह काम कठिन नहीं है. हर मोबाइल में कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर होते हैं. आप जेठ या ससुर की आपत्तिजनक बातें, या बदतमीजी भरे व्यवहार को कैप्चर कर सकती हैं. इस से जब आप घरवालों के सामने इस मुद्दे को लाएंगी तो आप का पक्ष मजबूत रहेगा.

3. नजर रखें और सावधान रहें

अपने ससुर या जेठ पर नजर रखें. उन्हें कोई मौका न दें. उन के द्वारा कोई गलत चेष्टा की जाए उस से पहले ही उन्हें खबरदार करें. उन के साथ कभी अकेले कमरे में, छत पर या कहीं सूनी जगह पर न जाएं ताकि उन्हें कुछ गलत करने का मौका न मिले. उन के कमरे में जाना भी पड़े तो घर के बच्चों को साथ ले जाएं या बच्चों के द्वारा ही उन का काम करा लें. पति या घर के दूसरे सदस्यों को कहीं बाहर जाना पड़ा हो तो तुरंत अपनी किसी सहेली या रिश्तेदार को घर में बुला लें. उन के साथ अकेले न रहें.

4. पति को हर बात बताएं

अपने पति को अंधेरे में न रखें. उन्हें अपने साथ हो रही हर घटना के बारे में बताएं. हो सकता है कि पति शुरू में आप को ही गलत माने. मगर जब आप हर सबूत दिखाएंगी, हर बात स्पष्ट रूप से बताएंगी तो उन्हें भी समझ आने लगेगा कि गलत कौन है. आप उन्हें सबूत भी दिखाएं.

ये भी पढ़ें- अपने पार्टनर को कितना जानते हैं आप?

5. डरे नहीं डट कर सामना करें

कभी भी गलत का सामना करने से न डरें. यदि आप सही हैं मगर सामने वाला आप से बदतमीजी कर रहा है तो उसे साफ शब्दों में ऐसा करने से रोकें. कुछ महिलाएं महीनोंसालों जुल्म और बदतमीजियां सहती रहती हैं और अंत में अपनी जिंदगी से हार जाती हैं. ऐसा रवैया कतई न रखें. मजबूत बनें.

6 . ससुर के इमोशनल ड्रामा का पर्दाफ़ाश करें

कई बार जब बहुएं घर में अपनी समस्या बताती हैं या बेटेबहू अलग होने का फैसला लेते हैं तो ससुर इमोशनल ड्रामा शुरु कर देते हैं. सास भी ऐसे मामलों में अपने पति का ही साथ देती हैं और बहू को अलगथलग कर दिया जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप पहले से ही ऐसे ड्रामों के लिए पति को तैयार करें और दोनों अलग होने का फैसला कठोरता से लें ताकि भविष्य में पछताना न पड़े. ससुर की ड्रामेबाजी से आप कमजोर न पड़ें.

7. अपनी बात स्पष्ट रूप से कहें.

इन मामलों में भयभीत होने या घबराने की जरूरत नहीं. जो बात है उसे डंके की चोट पर कहें. अपनी समस्या, ससुर व जेठ की बदतमीजी या गलत व्यवहार से जुड़ा हर कच्चा चिट्ठा खोल कर रखें. झिझकें नहीं. बोलते हुए कांपें भी नहीं क्योंकि कमजोर को ही दबाया जाता है. अपनी बात में किसी शक की गुंजाइश न रहने दें.

8. अपनी शक्ति बढ़ाएं

आर्थिक मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनें. खुद को न्याय दिलाना है, गलत इंसान को सामने लाना है या फिर अपनी अस्मिता की सुरक्षा करनी है, इस के लिए आप का अंदर से मजबूत होना जरूरी है. अपनी काबिलियत बढ़ाएं. दीनदुनिया की खबरें और स्त्रियों से जुड़े कानूनों से अवगत रहें. छुईमुई का फूल बनने के बजाय जूडोकराटे जैसी चीजें सीखें. यदि आप पढ़ीलिखी हैं तो नौकरी करें. इस से 10 लोगों से मिलने का मौका मिलता है और आप की जानकारियां बढ़ती हैं. आप पैसे कमाती हैं तो आप का आत्मविश्वास भी बढ़ता है और आप हर बदतमीजी का सामना बेहतर ढंग से कर पाने में समर्थ होती हैं.

ये भी पढ़ें- प्रेम के लिए दिल से समय निकालें

लिवइन रिलेशनशिप में कितना प्यार कितना धोखा

हाल ही में हमने सुशांत और रिया की लिवइन रिलेशनशिप का अंत देखा जो बहुत ही दुखद और गंदा रहा. रिया पर न सिर्फ अपने पार्टनर सुशांत के साथ धोखा करने पैसों का हेरफेर करने और ड्रग्स दे कर उसे मानसिक रूप से बीमार करने के आरोप लग रहे हैं बल्कि उसे सुशांत को अपने परिवार वालों से दूर करने का दोषी भी माना जा रहा है. हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं और कहीं न कहीं रिया दोषी भी साबित होती जा रही है. सवाल उठता है कि यह कैसा प्यार था जहां अपने ही साथी को आप गलत तरीके आजमा कर बरबाद कर डालते हो, मरवा देते हो या आत्महया के लिए मजबूर कर देते हो.

हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही एक केस आया. लिवइन में रह रही एक शादीशुदा महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. महिला का पति से विवाद चल रहा था. वह फिलहाल वेस्ट विनोद नगर में एक शख्स के साथ लिवइन में रह रही थी. मृतका की पहचान ममता के तौर पर हुई है. वह एक सरकारी अस्पताल में प्राइवेट गार्ड की नौकरी करती थी. परिजनों ने लिवइन पार्टनर ब्रह्म सिंह उर्फ कल्लू पर हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है. आरोपी ब्रह्म सिंह फरार है जिस की तलाश में पुलिस जुटी है.

प्यार तो एक खूबसूरत एहसास है. प्यार सच्चा हो तो इंसान की जिंदगी बदल जाती है. उसे दुनिया की हर ख़ुशी मिल जाती है. मगर प्यार में बेईमानी की मिलावट जीवन तबाह भी कर सकती है. इस प्यार के रंग भी अजीब है. कभी दो अजनबी शादी के बाद प्यार के बंधन में जुड़ते हैं तो कभी दो प्यार करने वाले किसी एक छत के नीचे रह कर बिना शादी के भी इस बंधन में बंध जाते हैं.

प्यार में कभी इंसान किसी पर मरता है तो कभी किसी को मार भी जाता है. कभी प्यार इतना गहरा होता है कि एकदुसरे को देख लेना ही काफी होता है तो कभी रिश्ते इतने जटिल हो जाते हैं कि कानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं.

प्यार की कितनी ही खूबसूरत कहानियां हैं और इसी प्यार में डूबे लिवइन पार्टनर के अनुभव भी कम रोचक नहीं. वैसे भी लिव-इन का चलन समाज में काफी समय से रहा है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यह रिश्ता छिपछिप कर बनाया जाता था अब खुलेआम बनाए जाते हैं. पर इस रिश्ते की खूबसूरती तभी है जब इसे ईमानदारी और प्यार से निभाया जाए.

अमृता और इमरोज का रूहानी लिवइन रिलेशनशिप

एक चित्रकार और एक कवयित्री का खूबसूरत मिलन जिस में उन्होंने प्रेम का एक अनोखा संसार रचा था. इमरोज एक चित्रकार थे और अमृता प्रीतम एक कवयित्री.

अमृता ने स्त्री आज़ादी को जिया और वह भी एक ऐसे दौर में जब वह सब करना आसान नहीं था. अमृता के लिए आज़ादी का मतलब था भावनात्मक आज़ादी और फिर सामाजिक आज़ादी. अपने जीवन में उन्होंने ये दोनों आज़ादी हासिल की.

31 अगस्त, 1919 को जन्मी अमृता के लिए लिखना एक करियर नहीं बल्कि जुनून था. उसी जूनून के साथ उन्होंने अपने रिश्तों को भी जीया.

ये भी पढ़ें- ‘कोरोना काल में सुरक्षित है ‘बाइक की सवारी‘

उस दौर में जब कोई लिवइन रिलेशनशिप के बारे में सोच नहीं सकता था, अमृता ने ऐसा किया. दुनिया में हर आशिक़ की तमन्ना होती है कि वह अपने इश्क़ का इज़हार करे. लेकिन अमृता और इमरोज़ इस मामले में अनूठे थे. उन्होंने कभी भी एकदूसरे से नहीं कहा कि वे प्यार करते हैं.

अमृता इमरोज़ एक ही छत के नीचे अलगअलग कमरों में रहते रहे. अमृता को रात में लिखने की आदत थी ताकि कोई शोरगुल न हो. इमरोज़ तब सोते थे लेकिन अमृता को लिखते वक़्त चाय चाहिए होती थी. इसलिए इमरोज़ उन के लिए रात में एक बजे चाय बनाते थे. उन का प्रेम एक ऐसा प्रेम था जहां कोई दावेदार न था.

इमरोज़ ने अमृता की ख़ातिर अपने करियर के साथ भी समझौता किया. उन्हें कई ऑफर मिले लेकिन उन्होंने अमृता के साथ रहने के लिए उन्हें ठुकरा दिया.

जीवन की आख़िरी सांस तक इमरोज़ ने अमृता का साथ निभाया. कूल्हे की हड्डी टूटने से अमृता बिस्तर पर आ गईं. तब उन्हें नहलाना, धुलाना, खिलाना, पिलाना, सुलाना सब इमरोज़ करते रहे.

31 अक्तूबर 2005 को अमृता ने आखिरी सांस ली लेकिन इमरोज का कहना था कि अमृता उन्हें छोड़ कर नहीं जा सकतीं वह अब भी उन के साथ हैं. इमरोज ने लिखा था – उस ने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं.

तिवारी और उज्ज्वला का कनैक्शन

कभी देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले नारायण दत्त तिवारी की राजनीति से इतर निजी जिंदगी में काफी हलचल बनी रही. अपने जीवन के 80वें दशक के अंतिम दौर में उन्हें सब से मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जब रोहित शेखर नाम के युवा ने तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस कर दिया और उन्हें अपना जैविक पिता माना.

कोर्ट ने इस के लिए तिवारी का डीएनए सैंपल टेस्ट लेने का आदेश दिया. 29 मई 2011 को उन्हें डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा. इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला जैविक माता.

डीएनए रिपोर्ट आने के 2 साल के अंदर 14 मई, 2014 को एनडी तिवारी ने लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला के साथ शादी कर ली. विवाह के समय उन की उम्र 88 साल थी.

रोहित शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा की तिवारी से पहली मुलाकात 1968 में अपने पिता के घर हुई थी. तब वह उम्र के तीसरे दशक में थीं और तलाकशुदा थीं. उस वक्त तिवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. धीरेधीरे उन का परिचय बढ़ा और तिवारी के अप्रोच करने पर दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच रिश्ता कायम हुआ.

पति, पत्नी और वो

पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और जया जेटली का रिश्ता बेहद खास था. जॉर्ज ने 1971 में लैला कबीर से शादी की थी.

चार साल बाद ही देश में आपातकाल लागू हो गया. उस समय उन की पत्नी अमेरिका चली गईं और करीब दो वर्षों तक दोनों में कोई संवाद नहीं हो सका. आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में जॉर्ज केंद्रीय मंत्री बने.

उसी दौर में जया के पति अशोक जेटली जॉर्ज के विशेष सहायक थे. यही वह समय था जब जया से उन की मुलाकात हुई. जल्द ही वह उन के साथ काम करने लगीं. दोनों एकदूसरे के करीब आए .

बात 2010 की है. जॉर्ज बीमार हो गए और पत्नी लैला उन के पास लौट आईं. जॉर्ज अल्जाइमर से पीड़ित थे. जया जॉर्ज से मिलना चाहती थीं लेकिन लैला ने उन्हें मिलने से रोक दिया. 2012 में जया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें हर 14 दिनों पर 15 मिनट के लिए मुलाकात की अनुमति दे दी.

तेज़ाब का दर्द कम किया लिवइन पार्टनर ने

हाल ही में दीपिका पादुकोण ने एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म छपाक में लक्ष्मी की भूमिका निभा कर उस की कहानी लोगों तक पहुंचाई. वर्ष 2005 में एक सिरफिरे आशिक द्वारा अपने ऊपर तेजाब फेंकने की घटना के बाद भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और एसिड अटैक की शिकार लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया. देशभर में तेजाब हमले का शिकार हो चुकी युवतियों और महिलाओं को संबल प्रदान करना उन की जिंदगी का लक्ष्य हो गया. इसी दौरान लक्ष्मी की मुलाक़ात सामाजिक कार्यकर्ता आलोक से हुई.

वह आलोक से प्रभावित हुईं. निकटता बढ़ती गई और दोनों दो जिस्म एक जान हो गए. लक्ष्मी को अपना एक साथी मिल गया और जीवन थोड़ा सुगम हो गया. वे दोनों एक साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

मगर अब लक्ष्मी और आलोक साथ नहीं हैं. लक्ष्मी एक सिंगल मदर हैं. वह बताती हैं कि आलोक को जब लगा कि अलग होना है तो वह अलग हो गए. जिस तरह दोनों खुशी से साथ आए थे उसी तरह अलग भी हो गए.

इसी तरह जोन अब्राहम और बिपाशा बासु, रणवीर कपूर और कटरीना कैफ, देव पटेल और फ्रीडा पिंटो, आमिर खान और किरण राव, कुणाल खेमू और सोहा अली खान, सैफ अली खान और करीना कपूर जैसे कई स्टार भी लिवइन रिलेशन में रह चुके हैं.

ये भी पढ़ें- बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी हैं कहानियां

समाज का नजरिया

समाज में सदियों से कन्यादान और वर्जिनिटी की मान्यताएं चली आ रही हैं. ऐसे में लिवइन को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. ज्यादातर लोगों का मानना यही होता है कि शादी जहां उम्र भर साथ निभाने और जिम्मेदारियां निभाने का बंधन है वही लिवइन जिम्मेदारियों से भागने का शिगूफा है.

खासकर लिवइन का चलन लड़कियों के भविष्य के लिए कई सारे सवाल खड़े करता है. ज्यादातर लोगों की सोच है कि पुरुष तो कुछ समय साथ रहने के मजे ले कर जब चाहे अलग हो सकते हैं मगर लड़कियों को फिर उम्र भर रोना पड़ता है. अपनी वर्जिनिटी खो कर उसे कुछ हासिल नहीं होता सिवा पछतावे के.

आज के बहुत से युवा ऐसी मान्यताओं और सोच को दरकिनार कर लिवइन रिलेशनशिप का स्वाद चखने को बेताब मिलते हैं. वे शादी जैसे मसले पर काफी कन्फ्यूज रहते हैं इस लिए कमिटमेंट से डरते हैं और पहले कम्पैटबिलिटी चेक करना चाहते हैं.

क़ानून की नजर में

आजकल लिवइन में रह रही लड़कियों को भी काफी अधिकार मिलने लगे है. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए गए हैं ताकि कोई पुरुष केवल सेक्स संबंध के लिए किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद छोड़ न सके. अगर वह छोड़ता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. लिवइन में रहने वाली महिलाओं के पास ऐसे कई कानूनी अधिकार हैं जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं.

1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

2. संपत्ति में अधिकार

3. संबंध टूटने की स्थिति में मैंटेनैंस एलुमनी का हक़

4. बच्चे को संपत्ति में अधिकार- लिवइन में पैदा हुए बच्चों को भी अपने मांबाप की संपत्ति पर अधिकार मिलेगा. लेकिन पुस्तैनी जायदाद पर ऐसे बच्चों को हक़ नहीं दिया गया है.

लिवइन में रहने के बाद कोई लड़का किसी लड़की को छोड़ देता है तो कोर्ट उस के हक़ दिलाने का काम करेगा. इस हक़ के लिए पीड़िता लड़की को लिवइन में होने के सबूत खासकर आर्थिक लेनदेन के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे.

लिवइन रिलेशनशिप के फायदे

पहले से पार्टनर को समझने का मौका मिलता है. इंसान की कुछ ख़ूबियां और खामियां ऐसी होती हैं जिन का पता साथ रहने पर ही चलता है. ऐसे में साथ रह कर यदि आप को महसूस होता है कि आप पार्टनर के साथ एडजस्ट नहीं हो सकते तो आप के पास अलग होने का विकल्प खुला होता है.

लिवइन पार्टनर्स को ब्रेकअप के लिए फैमिली ड्रामे और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता. जब चाहें बहुत आसानी से अलग हो सकते हैं.

इस रिश्ते में रहतेरहते ज्यादा कानूनी अधिकारों के लिए विवाह के बंधन में भी बंध सकते हैं.

दोनों पार्टनर अपनी जिम्मेदारियां बिना किसी दबाव के निभाते हैं. रिश्ते में एक सहजता रहती है.

यह रिश्ता अधिक बोझिल नहीं होता. ऐसे में दोनों पार्टनर पूरी तरह से निजी रूप से आजाद होते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप के नुकसान

लिवइन पार्टनर्स को अक्सर घर ढूंढने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे रिश्तों को सही नहीं मानते और ऐसे कपल्स को घर किराये पर देने से हिचकिचाते है.

जॉइंट अकाउंट्स, इंश्योरंस और वीजा आदि के ऑफिसियल डॉक्यूमेंटेशन में कठिनाई आ सकती है.

बंधन में न बंधने की आजादी तो होती है पर जिंदगी खुल कर एन्जॉय नहीं कर पाते क्योंकि अविश्वास की भावना पनपने का डर बना रहता है.

पार्टनर द्वारा कमिट्मेंट तोड़े जाने का डर रहता है. जिस से मन में तनाव रहता है.

कई बार पार्टनर आप को धोखा दे देता है और आप कुछ नहीं कर पाते हो.

लिवइन रिलेशनशिप में आप परिवार की खुशी का मजा नहीं ले सकते. कहीं न कहीं आप का अपना परिवार आप से दूर होता जाता है. क्योंकि लोग आसानी से इसे स्वीकृति नहीं देते.

रखें ध्यान

किसी के साथ लिवइन में रहना गलत नहीं मगर उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेना गलत है जैसा कि सुशांत ने किया था. हर रिश्ते में एक स्पेस जरूरी है. अपने लिवइन पार्टनर को अपने जीवन से जुड़े हर फैसले लेने की अनुमति न दें. अपने बैंक के डाक्यूमेंट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने का हक़ उसे कतई न दें. कुछ चीज़ों में प्राइवेसी रखनी चाहिए क्यों कि वह कानूनी तौर पर आप का हमसफ़र नहीं है.

ये भी पढ़ें- भारत में अधिक सुरक्षित है जीवित डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट

मंगनी की अंगूठी: क्या मोहित सुमिता के जादू में बंध पाया?

Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-3)

मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह बताने लगा कि इस दौरा तीसरी सुमिता से उस की दोस्ती हो गई थी और कोई शाम बेरौनक नहीं रही.

‘‘ओके, आज शाम पहली नंबर की रही मैं फिर फोन करूंगी.’’

रैस्टोरैंट में तनहा कोने वाली मेज पर मोमबत्ती स्टैंड पर लगी मोमबत्तियों का प्रकाश माहौल को बेहद रोमानी बना रहा था.

सुमिता सफेद झालरों और हलके सितारे टंगे सफेद सूट में बहुत दिलकश लग रही थी. मोहित भी मैच करती टीशर्ट और ट्राउजर में था. उस के गले में सोने की मोटी चेन थी. आज वह बेहद स्मार्ट लग रहा था.

आज डांस फ्लोर पर दोनों काफी करीब थे. दोनों चाहेअनचाहे कहीं भी किसी के शरीर को स्पर्श हो जाने पर दूरी बनाए रखने की कोई सावधानी नहीं थी. सुमिता इस बात से निश्चिंत थी कि आज मोहित उस का था और उस की नजरें किसी व्योमबाला या किसी और के लिए नहीं भटक रही थीं.

डांस के बाद हलका ड्रिंक और फिर लजीज खाने का दौर शुरू हुआ. फिर शहर के एक तरफ स्थित पार्क में घूम कर दोनों राजीखुशी विदा हुए. 2-3 दिन बीत गए. मोहित काम में व्यस्त था. तभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नजर डाली तो फोन विज्ञापन कंपनी वाली सुमिता का था.

‘‘अरे, सुमिताजी नमस्ते.’’

‘‘बहुत बिजी रहते हैं आप. जब भी फोन करो स्विच औफ मिलता है. कम से कम शाम को तो फोन औन रखा करो?’’ सुमिता मुदगल के स्वभाव में प्यार भरी शिकायत थी.

अब मोहित क्या कहता. शाम को तो वह बिना काम के ही बिजी रहता है. आखिर 2-2 उस के लिए लालायित थीं, लेकिन अब तो तीसरी भी आ गई थी.

‘‘क्या हुआ? क्या सो गए आप?’’

‘‘नहींनहीं, जरा काम में लगा था.’’

‘‘आज शाम आउटिंग के लिए आ सकते हैं?’’

‘‘नहीं, आज बिजी हूं.’’

‘‘कल?’’‘‘देखेंगे.’’

आज की शाम तो व्योमबाला के साथ थी. व्योमबाला हलके मैरून कलर की साड़ीब्लाउज में अपने गौरवर्ण के कारण बला की हसीन लग रही थी. मोहित भी क्रीम कलर के सफारी सूट में जंच रहा था.

व्योमबाला के साथ डांस अलग अंदाज और हलका जोशीला था. कौल सैंटर वाली सुमिता अगर खिला गुलाब थी, तो व्योमबाला महकता हुआ जूही का फूल थी.

मोमबत्तियों के रोमांटिक प्रकाश में खानापीना हुआ, फिर बोट क्लब पर बोटिंग. दोनों विदा हुए. इस दौरान पहली सुमिता का कोई जिक्र नहीं हुआ. उस के साथ बीती शाम अच्छी थी. यह शाम भी अच्छी रही. तीसरी सुमिता का जिक्र मोहित ने जानबूझ कर नहीं किया.

3 दिन बाद तीसरी सुमिता के साथ डेट थी. संयोग से उसे भी वही रैस्टोरैंट पसंद था. आज मोहित फिर से कैजुअल वियर में था. उस को आभास हो चला था कि तीसरी सुमिता भी पहली सुमिता की तरह उसे बेतरतीब और कैजुअल पहनावे में पसंद करती थी. उसे वह एक चित्रकार, एक कलाकार या दार्शनिक दिखने वाले रूप में ज्यादा पसंद था.

ये भी पढ़ें- Short Story: जरूरी हैं दूरियां पास आने के लिए

‘‘आप बैठो, मैं जरा टौयलेट हो आऊं.’’

टौयलेट से बाहर आते ही उस के कानों में 2 व्यक्तियों की बातचीत के अंश पड़े. ‘‘यह लड़का तगड़ा चक्करबाज है, 3-3 हसीनाओं से एकसाथ चक्कर चलाता है.’’

यह जुमला सुन कर मोहित पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया. उस ने तब तक कभी इस पहलू पर सोचा भी न था कि उस के बारे में देखने वाले खासकर उस से परिचित या उस को पहचानने वाले क्या सोचते थे.

‘‘आप को क्या हुआ? आप का चेहरा एकदम उतर गया है?’’ उस के चेहरे पर छाई गंभीरता को देख कर सुमिता ने पूछा. ‘‘कुछ नहीं, मैं अकस्मात किसी ग्राफिक्स के बारे में विचार कर रहा था.’’

‘‘अरे, छोड़ो न. हर समय प्रोफैशन के बारे में नहीं सोचना चाहिए. शाम को ऐंजौय करो.’’

वह शाम भी अच्छी गुजरी. मगर अगले दिन मोहित गंभीर था.

अब से उस ने कभी अपने कार्यस्थल पर काम करने वाले स्टाफ के चेहरे के भावों पर गौर नहीं किया था. मगर अब उसे महसूस हो रहा था कि उस की छवि उन की नजरों में पहले जैसी नहीं रही जब से 3-3 सुंदरियों के साथ शाम बिताने का सिलसिला चला था.

अगले 3 दिन में तीनों सुमिताओं का फोन आया. मगर उस ने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाल कर फोन अटैंड नहीं किया. सभी कौलें मिस्ड कौल्स में दर्ज हो गईं.

एक सप्ताह तक मिस्ड कौल्स का सिलसिला चलता रहा लेकिन वह अपने काम में व्यस्त रहा. आखिर कौल सैंटर वाली सुमिता से रहा न गया और वह उस के औफिस आ गई.

‘‘क्या बात है, फोन अटैंड क्यों नहीं करते?’’

‘‘कुछ काम कर रहा हूं.’’

‘‘आज शाम खाली हो?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘कल?’’

‘‘देखेंगे.’’

उस के स्वर में तटस्थता और उत्साहहीनता को महसूस कर सुमिता चुपचाप चली गई. इस के बाद बारीबारी से व्योमबाला और विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर का आना भी हुआ. मगर मोहित ने उन को भी टाल दिया. उस के ऐसा करने से तीनों देवियों की उत्कंठा और बढ़ी. पहले तो सभी उस के मर्यादित संयमित व्यवहार से प्रभावित थीं अब शाम की डेट टालने से उन की बेकरारी और बढ़ी.

दोनों सुमिताओं ने समझा कि वह उसे नहीं दूसरी को ज्यादा पसंद करता है. मगर तीसरी को पहली दोनों देवियों का पता नहीं था. इसलिए वह असमंजस में थी.

मोहित अब सोच में पड़ गया था किसी चक्करबाज या रसिक के समान 3-3 सुंदरियों के साथ घूमनाफिरना, खानापीना उस के व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं था. उसे किसी एक को पसंद कर के उस से विवाह कर लेना चाहिए. वह इस पर विचार करने लगा किसे चुने.

तीनों ही सुंदर थीं, वैल सैटल्ड थीं. अच्छे परिवार से थीं. जातपांत का आजकल कोई मतलब नहीं था.

उस के साथ तीनों जंचती थीं. तीनों का स्वभाव भी उस के अनुरूप था. उधर वे तीनों उस से स्पष्ट बात कर विवाह संबंधी फैसला करना चाहती थीं. पहली 2 इस पसोपेश में थीं कि मोहित की पहली पसंद कौन थी?

इतने दिन तक डेट के लिए मना करने से उन को गलतफहमी होनी ही थी. दोनों चुपचाप बीचबीच में रैस्टोरैंट का चक्कर भी लगा आईं कि शायद मोहित पहली या दूसरी सुमिता के साथ आया हो. मगर वह नहीं दिखा.

कौल सैंटर वाली सुमिता के ‘वेटर’ ने भी पुष्टि की कि वह नहीं आया था. अब उन का विचार यही बना कि वह काम में ज्यादा व्यस्त था.

मोहित को भी स्पष्ट आभास था कि तीनों उस से विवाह करना चाहती हैं मगर वे तीनों ही उस से इस संबंध में पहल करने की अपेक्षा कर रही थीं.

अब उस ने तीनों में से किसी एक को चुनना था और उसे प्रपोज करना था. इस के लिए क्या करे? कैसे किसी एक का चुनाव करे. तीनों ही सुंदर थीं. अच्छे परिवारों से थी. चरित्रवान थीं. किसी के भी व्यवहार में हलकापन नहीं था.

‘‘मिस्टर मोहित, मैं सुमिता मुदगल बोल रही हूं. आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’ विज्ञापन डायरैक्टर का फोन था.

‘‘आज शाम खाली हैं आप. बोट क्लब आ जाएं?’’ काफी दिन से बाहर नहीं निकला. इसलिए मोहित भी शाम को ऐंजौय करना चाहता था.

‘‘बोट क्लब क्यों? रैस्टोरैंट क्यों नहीं?’’

‘‘आज खानेपीने से ज्यादा घूमने की इच्छा है.’’

‘‘ओके.’’

पैडल औपरेटेड बोट झील में हलकेहलके शांत पानी में धीमेधीमे चल रही थी. झील के बीचोंबीच बोट रोक कर दोनों ने एकदूसरे की आंखों में झांका.

‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं.’’

‘‘किस बारे में,’’ अनजान बनते हुए मोहित बोला.

‘‘आप का विवाह के बारे में क्या खयाल है?

‘‘आप मुझ से विवाह करना चाहती हैं?’’

‘‘जी हां,’’ सुमिता मुदगल ने स्पष्ट कहा.

‘‘अभी हमें मुलाकात किए मात्र 2 महीने हुए हैं इतनी जल्दी फैसला करना ठीक नहीं है.’’

‘‘आप कितना समय चाहते हैं, फैसला करने के लिए?’’

‘‘कुछ कह नहीं सकता.’’

‘‘आप चाहें तो फैसला लेने से पहले एकदूसरे को समझने के लिए ‘लिव इन’ के तौर पर साथसाथ रह सकते हैं. वैसे भी आजकल इसी का चलन है.’’ विज्ञापन डायरैक्टर ने गहरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा.

मोहित भी गहरी नजरों से उस की तरफ देखने लगा. विज्ञापन डायरैक्टर अच्छी समझदार थी. उस का सुझाव आजकल के नए दौर के हिसाब से था.

ये भी पढ़ें- Short Story: धुंधली सी इक याद

‘‘मैं सोचूंगा इस बारे में. अब हम थोड़ी देर बोटिंग कर के खाना खाने चलते हैं.’’

सही फैसले तक पहुंचने के लिए मोहित को एक सूत्र मिल गया था. वह यही था कि विवाह के संबंध में तीनों क्या विचार रखती थीं.

अगले रोज उस ने शाम से पहले कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, आप ने आज कैसे याद किया,’’ सुमिता ने तनिक हैरानी से कहा.

‘‘इतने दिन व्यस्त रहा. आज काम की थकान शाम को सैर कर के दूर करने का इरादा है.’’

‘‘ओके, फिर सेम प्लेस एट सेम टाइम.’’

‘‘नोनो, रैस्टोरैंट नहीं नैशनल पार्क.’’

‘‘ओके.’’

नैशनल पार्क काफी एरिया में फैला हुआ था. एक आइसक्रीम पार्लर से आइसक्रीम के 2 कप ले दोनों टहलतेटहलते आगे निकल गए. जहांतहां झाडि़यों व पेड़ों के पीछे नौजवान जोड़े रोमांस कर रहे थे. कई बरसात का मौसम न होने पर भी रंगबिरंगे छाते लाए थे और उन को फैला कर उन की ओट में एकदूसरे से लिपटे हुए थे.

इस रोमानी माहौल को देख कर हम दोनों ही सकपका गए. तन्हाई्र पाने के इरादे से दोनों जल्दीजल्दी आगे बढ़ गए. एक तरफ कृत्रिम पहाड़ी बनाई गई थी. दोनों उस पर चढ़ गए. एक बड़े पत्थर पर बैठ कर दोनों ने एकदूसरे की तरफ देखा.

‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहता था.’’

‘‘किस बारे में?’’

‘‘आप का शादी के बारे में क्या विचार है?’’

मोहित के इस सीधे सपाट सवाल पर सुमिता चौंक पड़ी और फिर मुसकराई.

‘‘विवाह जीवन का जरूरी कदम है. एक जरूरी संस्कार है.’’

‘‘और लिव इन रिलेशनशिप?’’

‘‘इस का आजकल फैशन है. यह पश्चिम से आया रिवाज है. वहां इस के दुष्परिणामों के कारण इस का चलन अब घट रहा है.’’

‘‘आप विवाह को अच्छा समझती हैं या लिव इन को?’’

‘मेरा तो लिव इन में बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’

‘‘और अगर विवाह सफल न रहे तो?’’

‘‘ऐसा तो लिव इन में भी हो सकता है.’’

‘‘मगर लिव इन में संबंध विच्छेद आसान होता है.’’

‘‘अगर संबंध विच्छेद का विचार पहले से ही मन में हो तो विवाह नहीं करना चाहिए और न ही लिव इन में रहना चाहिए.’’

सुमिता के इस सुलझे विचार से मोहित उस का कायल हो गया और प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगा. वह शाम भी काफी अच्छी बीती.

2 दिन बाद मोहित ने व्योमबाला को फोन किया. उस के साथ रैस्टोरैंट में मुलाकात तय हुई. व्योमबाला बिंदास और शोख अंदाज में नए फैशन के सलवारसूट में आई. हलके ड्रिंक और डांस के 2-2 दौर चले. खाने का दौर शुरू हुआ.

‘‘मिस वालिया, आप का विवाह के बारे में क्या विचार है,’’ मोहित ने सीधे सवाल दागा.

‘‘मैरिज लाइफ के लिए जरूरी है. सोशल तौर पर भी और फिजिकली भी.’’

‘‘और लिव इन…’’

‘‘वह भी ठीक है. बात तो आपस में निभाने की है. निभ जाए तो विवाह भी ठीक है लिव इन भी ठीक है. न निभे तो दोनों ही व्यर्थ हैं.’’

‘‘आप किस को ठीक समझती हैं?’’

‘‘मैं तो लाइफ को ऐंजौय करना अच्छा समझती हूं. निभ जाए तो ठीक नहीं तो और सही. मगर घुटघुट कर जीना भी क्या जीना,’’ व्योमबाला दुनियाभर में घूमती थी. रोजाना सैकड़ों लोगों से उस की मुलाकात होती थी. उस का नजरिया काफी खुला और बिंदास था. वह शाम भी काफी शोख और खुशगवार रही.

तीनों सुमिताओं की प्रकृति और सोच मोहित के सामने थी. पहली का लिव इन में विश्वास नहीं था.

ये भी पढ़ें- संतुलन: पैसों और रिश्ते की कशमकश की कहानी

दूसरी बिंदास थी, शोख थी, लाइफ ऐंजौय करना उस का मुख्य विचार था. ऐसी औरत या युवती बेहतर जीवनसाथी या बेहतर लिव इन साथी मिलने पर पुराने साथी को छोड़ सकती थी.

तीसरी विज्ञापन डायरैक्टर काफी व्यावहारिक थी. उस का नजरिया विवाह के बारे में भी व्यावसायिक था. पहले लिव इन सफल रहा तो फिर विवाह. नहीं तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते. मोहित एक चित्रकार था. कलाकार था. दार्शनिक विचारधारा वाला था. उस को अपना सही जीवन साथी समझ आ गया था.

उस ने कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, अभी परसों ही तो मिले थे.’’

‘‘आज मैं ने आप से एक खास बात करनी है.’’

वह तैयार हुआ. कैजुअल वियर की जगह वह शानदार ईवनिंग सूट में था. एक मित्र ज्वैलर्स के यहां से कीमती हीरे की अंगूठी खरीदी और रैस्टोरैंट की पसंदीदा मेज पर बैठ कर अपनी भावी जीवनसंगिनी का इंतजार करने लगा.

Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-2)

पूर्वकथा

मोहित की पहली मुलाकात जहां कौल सैंटर वाली सुमिता से होती है वहीं दूसरी बार वह स्विट्जरलैंड भ्रमण के दौरान व्योमबाला सुमिता से मिलता है. अब मोहित की तीसरी मुलाकात एक विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर सुमिता से होती है. आखिर इन तीनों सुमिता में से उस ने किस को अपना हमसफर बनाया.

आगे पढि़ए…

एकदूसरे की तारीफ के बाद जैसे ही  ड्रिंक्स का दौर शुरू हुआ, तभी हौल में कौल सैंटर वाली सुमिता ने कदम रखा. वह भी आज खासतौर से ब्यूटीपार्लर से सजधज कर आई थी.

उस ने नए फैशन की काली सलवारकमीज डाली हुई थी. बिना दुपट्टे के वह गले में नए डिजाइन का नैकलेस डाले हुए थी. आज वह मोहित से शादी के बारे में बात करना चाहती थी.

तनहा कोने वाली पसंदीदा मेज अभी तक खाली थी. ‘शायद मोहित अभी तक नहीं आया था,’ यह सोचते हुए वह धीरधीरे चलती हुई मेज के पास पहुंची. साथ वाली मेज पर एक जोड़ा चहकताहंसता बातें कर रहा था. पुरुष की पीठ उस की तरफ थी. चेहरा पीछे से कुछ जानापहचाना सा लग रहा था. मगर मोहित तो हमेशा जींस, टीशर्ट या फिर कैजुअल वियर पहनता था. यह तो कोई हाई सोसाइटी का कोई सूटेडबूटेड नौजवान है.

कुर्सी पर बैठ कर वह उस जोड़े को देखने लगी. आवाज मोहित की ही थी. उसे अपनी तरफ देखते हुए व्योमबाला ने मोहित से कहा, ‘‘आप के पीछे की मेज पर बैठी लड़की आप को देख रही है.’’

इस पर मोहित चौंका, व्योमबाला से बातों में मग्न हो कर वह सुमिता के साथ अपने फिक्स्ड प्रोग्राम को तो भूल ही गया था. वह फुरती से उठा और मुड़ कर सुमिता के समीप पहुंचा.

‘‘हैलो डियर, हाऊ आर यू?’’

मोहित के इस बदले रूप को देख कर सुमिता चौंकी. साथ में एक खूबसूरत लड़की भी थी. ऐसी स्थिति की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.

मोहित ने उस की बांह थामी और प्यार से खींचता हुआ उसे व्योमबाला के समीप ले आया.

‘‘इन से मिलिए, ये आप की हमनाम हैं, इन का नाम सुमिता वालिया है और ये एयरहोस्टेस हैं.’’

उन दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया. व्योमाबाला के स्पर्श में गर्मजोशी थी क्योंकि उस को मोहित ने कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता रखा था. वहां कौल सैंटर वाली सुमिता का स्पर्श ठंडा था. वह बड़े असमंजस में थी.

‘‘पिछले महीने जब मैं स्विट्जरलैंड भ्रमण पर गया था तब इन से मुलाकात हुई थी. मैं ने आप के बारे में तो इन्हें बता दिया था लेकिन इन के बारे में आप को बताना भूल गया था.’’

सुमिता के माथे पर बना तनाव का घेरा थोड़ा ढीला पड़ा. ठंडे और हलके ड्रिंक्स का दौर फिर से शुरू हुआ.

तभी डांस फ्लोर पर डांस का पहला दौर शुरू हुआ.‘‘लैट अस हैव ए राउंड,’’ व्योमबाला ने मोहित की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा. मोहित उठा और उस के साथ डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गया.

एयरहोस्टेस दुनियाभर में घूमती थी. अनेक देशों में ठहरने के दौरान एंटरटेनमैंट  के लिए डांस करना, ऐंजौय करना, उस के लिए सहज था.

वह रिदम मिला कर दक्षता से डांस कर रही थी. सुमिता के साथ मोहित भी अनेक बार डांस फ्लोर पर थिरक चुका था. मगर एयरहोस्टेस सुमिता के साथ बात कुछ और ही थी.

पहला दौर समाप्त हुआ. रैस्ट करने और हलके ड्रिंक्स के बाद नया दौर शुरू हुआ. इस बार कौल सैंटर वाली सुमिता का साथ था.

आज वह विशेष तौर पर सजधज कर नए उत्साह के साथ प्रपोजल ले कर आई थी. मगर खीर में मक्खी पड़ जाने के समान एयरहोस्टेस आ टपकी थी. वह उसी के समान सुंदर थी और उस से कहीं ज्यादा ऐक्टिव थी.

मोहित हमेशा कैजुअल वियर में ही आता था, लेकिन आज वह बनठन कर सुमिता को अपनी बांहों में ले कर उस के वक्षस्थल को भींच लेता था. सुमिता भी उस का मजा लेती थी.

ये भी पढ़ें- कुछ इस तरह: जूही और उस की मां क्या यादों से बाहर निकल पाईं?

मगर आज दोनों में वह बेबाकी नहीं थी. दोनों आज किसी प्रोफैशनल डांसर जोड़े की तरह नाच रहे थे, जिन का मकसद किसी तरह इस राउंड को पूरा करना था, न कि अपना और अपने साथी का मनोरंजन करना.

डांस के बाद खाना खाया गया. वे दोनों अपनीअपनी शिकायतों के साथ मोहित को विश करतीं ऊपर से मुसकराती हुई विदा हुईं.

इस बात का मोहित को भी पछतावा हुआ कि क्यों उस ने उन दोनों को एकसाथ यहां बुलाया. उसे दोनों में से किसी एक को टाल देना चाहिए था, या फिर दोनों को ही टाल देना चाहिए था. मगर अब जो होना था हो चुका था.

अगले कई दिन तक उन दोनों में से किसी का भी फोन नहीं आया. मोहित फिर से अपने चित्रों, ग्राफिक्स व डिजाइनों में डूब गया.

एक शाम उसे किसी विज्ञापन कंपनी से फोन आया. कंपनी की डायरैक्टर उस से एक सौंदर्य प्रसाधन कंपनी के लिए नए डिजाइनों पर आधारित विज्ञापन शृंखला के लिए विचारविमर्श करना चाहती थी.

मोहित नियत समय पर कंपनी औफिस पहुंचा. विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर के औफिस के बाहर नेमप्लेट थी ‘सुमिता मुदगल’ विज्ञापन डायरैक्टर.

मोहित मुसकराया. 2-2 सुमिताओं के बाद तीसरी सुमिता मिल रही थी. उस का कार्ड देखने के बाद बाहर बैठा औफिस बौय उस को तुरंत अंदर ले गया.

औफिस काफी भव्य और सुरुचिपूर्ण था. कीमती लकड़ी की मेज के साथ रिवौल्विंग चेयर पर दमकते चेहरे वाली बौबकट युवती टौप और पैंट पहने बैठी थी.

उस ने उठ कर गर्मजोशी से हाथ मिलाया.

‘‘प्लीज बैठिए, मिस्टर मोहित, आप का सरनेम क्या है?’’

‘‘मेहता, माई नेम इज मोहित मेहता.’’

‘‘आप के बनाए डिजाइन काफी आकर्षक और लीक से हट कर होते हैं.’’

‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया.’’

‘‘हमारे पास एक मल्टीनैशनल कंपनी का बड़ा और्डर आया है, आप से इसी सिलसिले में बात करनी है.’’

इस के बाद लंबी बातचीत हुई. अपनी नोटबुक में जरूरी निर्देश नोट कर मोहित चला आया. इस के बाद डिजाइन दिखाने, डिसकस करने का सिलसिला चल पड़ा. कई बार सुमिता मुदगल उस के कार्यस्थल पर भी आई.

मोहित पहले की तरह ही बेतरतीब ढंग से कपड़े पहनता, कभी तो कईकई दिन तक शेव नहीं करता. उस का यही खिलंदड़ापन अब तीसरी सुमिता को भी भा गया. वह भी अब बारबार आने लगी. मोहित भी शाम को उस के साथ घूमने लगा.

इस दौरान पहले वाली सुमिता और व्योमबाला का फोन भी नहीं आया. दोनों उस से नाराज हो गई थीं. मगर दोनों की नाराजगी ज्यादा दिन नहीं रही. दोनों का गुस्सा धीरेधीरे कम हुआ और दोनों यह सोचने लगीं कि क्या मोहित धोखेबाज था?

नहीं ऐसा नहीं था. यह तो एक संयोग ही था कि 2-2 हमनाम लड़कियां उस से टकरा गई थीं या उसे मिल गई थीं. एक ही दिन, एक ही स्थान पर मुलाकात होना संयोग था.

अगर मोहित धोखेबाज होता तो उन्हें एक ही स्थान पर नहीं बुलाता.

पहले कौल सैंटर वाली सुमिता का फोन आया. पहले तो मोहित चौंका, फिर मुसकराया और खिल उठा.

‘‘अरे, इतने दिन बाद आप ने कैसे याद किया?’’

‘‘आप ने भी तो फोन नहीं किया.’’

‘‘मैं ने सोचा आप नाराज हैं.’’

‘‘किस बात से?’’

अब मोहित क्या कहता. उस के बिना कहे भी सुमिता सब समझ गई.

‘‘आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘जो आप चाहें.’’

‘‘किसी और के साथ कुछ फिक्स्ड तो नहीं है?’’

इस पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा.

‘‘उस दिन तो संयोग मात्र ही था.’’

‘‘ओके, फिर सेम जगह और सेम टाइम.’’

अभी फोन रखा ही था कि व्योमबाला का फोन आ गया.

‘‘अरे, स्वीटहार्ट, आज आप ने कैसे याद किया.’’

‘‘आप ने मुझे स्वीटहार्ट कहा, मैं तो सोचती थी कि आप की स्वीटहार्ट तो वह है,’’ व्योमबाला चहकी.

‘‘वह तो है ही, आप भी तो हो.’’

‘‘एकसाथ 2-2 स्वीट्स होने से आप को शुगर की प्रौब्लम हो सकती है.’’

व्योमबाला के इस शिष्ट मजाक पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा.

‘‘आज का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘पहले से ही फिक्स्ड है.’’

‘‘अरे, मैं तो सोचती थी शायद आज आप की शाम खाली होगी.’’

‘‘उस ने भी उस दिन के बाद आज ही फोन किया है.’’

‘‘क्या बात है, क्या उस से झगड़ा हो गया था?’’

‘‘नहीं वह उस दिन से ही नाराज हो गई और आज उस का गुस्सा कम हुआ तो उस ने फोन किया. आज उसी जगह मिलना है.’’

‘‘ओह, तब तो आप की शामें इतने दिन तक बेरौनक रही होंगी,’’ व्योमबाला के स्वर में तलखी भरी थी.

आगे पढ़ें- मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह…

ये भी पढ़ें- अनकहा प्यार: क्या सबीना और अमित एक-दूसरे के हो पाए?

Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-1)

रैस्टोरैंट के हौल में दाखिल हो कर सुमिता ने इधरउधर देखा. सारी मेजें भरी हुई थीं. वह इस रैस्टोरैंट की रैगुलर कस्टमर थी. स्टाफ उस को पहचानता था. हैडवेटर भी तनिक शर्मिंदा था. वह मन ही मन सोच रहा था, ‘मोटा टिप देने वाली मैडम को आज कोई मेज खाली नहीं मिली.’

‘‘मैडम…’’ आ कर वह सौरी बोलता इस से पहले ही सुमिता ने कहा, ‘‘डोंट माइंड, आज रश है.’’

वह जैसे ही वापस जाने को मुड़ी तभी उस की नजर हौल के तनहा कोने में बैठे एक गंभीर सूरत वाले नौजवान पर पड़ी. खयालों में खोया वह नवयुवक फ्रूट जूस के गिलास से धीरेधीरे चुसकियां ले रहा था.

वह तनहा कोना सुमिता को बहुत पसंद था मगर आज वह भी खाली नहीं था. गोल मेज के इर्दगिर्द सिर्फ 2 ही कुरसियां थीं. एक खाली थी दूसरी पर हलकीहलकी दाढ़ी और आंखों पर नजर का चश्मा लगाए गंभीर सूरत वाला वही नौजवान बैठा था.

कुछ सोच कर सुमिता उस मेज के समीप पहुंची. आगंतुक को देख कर नौजवान तनिक चौंका फिर उस ने सवालिया नजरों से सुमिता को देखा.

‘‘आप के सामने की सीट खाली है, अगर माइंड न करें तो मैं बैठ जाऊं?’’ थोड़े संकोच भरे स्वर में सुमिता ने कहा.

‘‘शौक से बैठिए, आई डोंट माइंड’’, स्थिर स्वर में नौजवान ने कहा.

सुमिता ने कुरसी खिसकाई और उस पर बैठ गई. सामने बैठा नौजवान निर्विकार ढंग से अपने फ्रूट जूस के गिलास से चुसकियां लेता रहा.

सुमिता बहुत सुंदर थी. उस का फिगर काफी सुडौल और आकर्षक था. उस को देखते ही नौजवान और अधेड़ कुत्ते की तरह लार टपकाने और जीभ लपलपाने लगते थे. मगर सामने बैठा नवयुवक उस सौंदर्य से लापरवाह था.

सुमिता एक कौल सैंटर में ऊंचे पद पर काम करती थी, उसे मोटी तनख्वाह मिलती थी. वह सैरसपाटा करने, खानेपीने के लिए कभी अकेली तो कभी किसी सहेली या सहयोगी के साथ इस रैस्टोरैंट में आतीजाती थी. यह रैस्टोरैंट उसे काफी पसंद था.

तभी उस का स्थायी वेटर उस के सामने आ गया.

‘‘मैडम…’’

यह सुनते ही सुमिता ने एक क्षण सामने देखा. सामने बैठा नवयुवक फ्रूट जूस पी कर गिलास मेज पर रख कर मैन्यू पढ़ रहा था.

‘‘माई और्डर इज सेम.’’

सिर हिलाता वेटर लौट गया. थोड़ी देर बाद वेटर उस  पसंदीदा लाइट ड्रिंक और फ्रैंच फ्राइज की प्लेट रख कर चला गया.

उस नवयुवक ने भी अपना और्डर दे दिया. वेटर उस का और्डर भी सर्व कर गया. नवयुवक खातापीता रहा. थोड़ी देर बाद सुमिता का खाने का और्डर भी सर्व हो गया. वेटर उस की पसंद जानता था.

आमनेसामने बैठे खापी रहे दोनों नौजवान युवकयुवती थे. युवती मन ही मन सोच रही थी कि नौजवान उस की तरफ ललचाई नजरों से अवश्य देखेगा, लार टपकाएगा व उस पर लाइन मारने की कोशिश करेगा. मगर एक यंत्रचलित पुतले के समान सामने बैठा नौजवान बिना किसी भाव के खातापीता रहा.

बिल अदा कर सुमिता उठ कर खड़ी हुई लेकिन अभी तक वह नवयुवक खाना खा ही रहा था. ‘अजीब आदमी है, शायद सैडिस्ट है.’ सोचती हुई वह बाहर आ गई.

ये भी पढ़ें- Short Story: प्यार था या कुछ और

थोड़े दिन बाद एक शौपिंग मौल की लिफ्ट में जाते समय उस का सामना फिर से उसी सैडिस्ट से हो गया. पहले की तरह वह अब भी निर्विकार था.

‘‘अरे, वह नौजवान या तो कोई फिलौसफर होगा या फिर इंपोटैंट व्यक्ति.’’ उस की कौल सैंटर की सहयोगी नीरू ने कहा.

‘‘अरे, अगर वह इंपोटैंट हुआ या फिलौसफर तब भी इस के किसी का काम का नहीं है,’’ शालू ने कहा.

‘‘वैसे क्या तेरी उस में दिलचस्पी है,’’ नीरू ने शरारत भरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘अरे, इस के ईगो पर चोट पहुंची है, क्योंकि वह न तो इस के फिगर से इंप्रैस हुआ न ही बातों से. इस को उम्मीद थी कि वह इस को देखते ही ललचाएगा, लार टपकाएगा, मगर उस ने तो इस की तरफ ध्यान से देखा भी नहीं,’’ शालू का तीर निशाने पर लगा.

पहले सुमिता तिलमिलाई फिर खिलखिला कर हंस पड़ी. उस के साथ सभी सहेलियां हंस पड़ीं.

‘‘अगर वह युवक तुझ से इंप्रैस हो जाए और दोस्ती कर ले तब क्या खिलाएगी,’’ मीनाक्षी ने शरारत से कहा.

‘‘इस के पसंदीदा रैस्टोरैंट में लंच करेेंगे,’’ एक सहेली ने कहा.

‘‘लंच का टाइम तो अब भी हो गया है,’’ नीरू की इस बात पर सब सहेलियां अपनाअपना टिफिन खोलने लगीं.

शाम को सब का कार्यक्रम हलके जलपान का बन गया. सब उसी रैस्टोरैंट में पहुंचीं. तभी सुमिता की नजर एक कोने में मेज के करीब बैठे नौजवान पर पड़ी. सभी ने उस की नजर का अनुसरण किया.

‘‘अरे, क्या वही फिलौसफर तो नहीं,’’ नीरू ने कहा.

‘‘वही है.’’

‘‘चलो, हम उस से इंट्रोडक्शन करती हैं.’’

सुमिता पहले तो सकुचाई, लेकिन फिर वह उन के साथ उस नौजवान की मेज के समीप पहुंची.

‘‘हैलो, हैंडसम,’’ सुंदर नवयुवतियों को एकसाथ मेज के पास आ कर खड़े होने और बेबाकी से उस को हैलो, बोलता देख नौजवान सकपकाया.

‘‘हैलो,’’ सुमिता को देख उस की आंखों में पहचान के भाव उभरे मगर वह असमंजस में पड़ा उन को देखता रहा.

‘‘यह आप से पहले भी मिल चुकी है, यह कहती है कि आप शायद कोई फिलौसफर हैं इसलिए हम आप से परिचय करना चाहते हैं,’’ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘ओह, श्योर. बैठिए,’’ सामने पड़ी कुरसी की तरफ इशारा करते हुए उस नौजवान ने कहा. सामने एक ही कुरसी थी

3 कुरसियां और लग गईं. ‘‘आप का नाम,’’ उस नौजवान से नीरू ने पूछा.

‘‘मोहित,’’ संक्षिप्त सा जवाब मिला.

‘‘आप क्या करते हैं,’’ दूसरा सवाल मीनाक्षी का था.

‘‘मैं आर्टिस्ट हूं. विज्ञापन कंपनियों के लिए डिजाइन बनाता हूं.’’

‘‘आर्टिस्ट भी फिलौसफर ही होता है,’’ इस टिप्पणी पर सब सहेलियां हंस पड़ीं.

‘‘मेरे मामाजी कहते हैं लेखन, चित्रकला, फिलौसफी सब असामान्य मस्तिष्क के लोगों के काम ही होते हैं,’’ शेफाली की इस बात पर सब सहेलियां फिर हंस पड़ीं. मोहित भी मुसकरा पड़ा.

‘‘अरे, तू भी तो कुछ बोल, असल फिलौसफर तो तू है,’’ नीरू ने सुमिता को कहा.

‘‘मिस्टर, आप का स्टूडियो कहां है?’’ पहली बार सुमिता ने सवाल किया.

इस पर मोहित ने अपने पर्स से एक विजिटिंग कार्ड निकाल कर थमा दिया.

‘‘अब आप हमें कुछ खिलाएंगे या फिर हम आप की खिदमत करें,’’ नीरू ने आंखें मटकाते हुए कहा.

इस पर मोहित हलका सा हंसा और सिर झुकाते हुए बोला, ‘‘फरमाइए, आप की खिदमत में क्या पेश करूं?’’

उस की इस अदा पर सब खिलखिला कर हंस पड़े. फिर सब ने मैन्यू पढ़ कर अपनीअपनी पसंद का और्डर दिया. हलकीफुलकी बातें करतेकरते हंसते हुए खायापिया. अच्छाखासा बिल आया जो मोहित ने मुसकराते हुए अदा किया. फिर अपने कौल सैंटर का पता और सुमिता का मोबाइल नंबर दे कर सब चली आईं.

मोहित अपने स्टूडियो में बैठा सोच रहा था कि वह कंप्यूटर पर ग्राफिक डिजाइन बनाता था. कभी यह काम कागज और ब्रश से होता था. मगर अब सब कंप्यूटर से होता है.

ये भी पढ़ें- सोच: आखिर कैसे अपनी जेठानी की दीवानी हो गई सलोनी

वह तनहाई पसंद, खुद तक सीमित रहने वाला युवक था. उस का सामाजिक दायरा सीमित था. मूल रूप से वह

एक चित्रकार था. रोजीरोटी के लिए वह  आर्टिस्ट बन विज्ञापन कंपनियों को छोटेछोटे क्रिएटिव डिजाइन, स्कैच बना कर देता था.

30 वर्ष का होने पर भी वह कुंआरा था. कभी आगे बढ़ कर उस ने किसी लड़की से दोस्ती नहीं की थी. अभी तक विवाह न होने का कारण यही था. अपने रिजर्व नेचर की वजह से वह किसी लड़की को पसंद नहीं कर पाता था और न ही कोई लड़की उसे पसंद कर पाती थी.

मगर आज का किस्सा कुछ अजीब सा था. कुछ दिन पहले एक सुंदर सी लड़की उसे रैस्टोरैंट में मिली थी, फिर लिफ्ट में, मगर अपने स्वभाव के कारण वह उस की तरफ ध्यान नहीं दे पाया और चुपचाप बैठा रहा था. अब उस को क्या पता था कि एक दिन उस की यही खुद में सीमित रहने की प्रवृत्ति आकर्षण का कारण बन जाएगी.

सुमिता भी यही सोच रही थी कि दर्जनों पुरुष मित्र होने पर भी उस को कोई प्रभावित नहीं कर पाया था और इस का सब से अहम कारण था कि हर कोई उस पर ललचाई दृष्टि डालता था.

कुछ दिन बाद वह मोहित के स्टूडियो में जा पहुंची. मोहित कंप्यूटर पर ग्राफिक्स बना रहा था. अन्य कंप्यूटरों पर उस के कई सहायक काम कर रहे थे. इन में 3-4 लड़कियां भी थीं.

‘‘अरे, आप… आइएआइए, तशरीफ रखिए,’’सुमिता को देख कर मोहित खिल उठा.

ठंडा पीते हुए सुमिता ने इधरउधर नजर डाली. स्टूडियो में एक तरफ स्टैंड पर कैनवास से बने खाली और अर्धनिर्मित चित्र भी थे.

‘‘क्या कंप्यूटर के जमाने में आप तुलिका और कैनवास पर भी काम करते हैं?’’ उस ने पूछा.

‘‘जो रचनात्मकता ब्रश और कैनवास पर आती है. वह कंप्यूटर के डिजाइन या ग्राफिक्स में नहीं आ सकती.’’

‘‘लेकिन आजकल तो अधिक चलन कंप्यूटर से बनी डिजाइनों का है.’’

‘‘वह तो है, मगर इस तरह बने किसी डिजाइन या तसवीर में वह आत्मा नहीं होती, जो ब्रश से बने चित्र में होती है.’’

मोहित की इस बात को सुन कर सुमिता समझ गई कि मोहित एक चित्रकार के साथसाथ पक्का दार्शनिक भी है. इस के बाद हलकीफुलकी बातें कर सुमिता चली आई.

स्टूडियो में सुमिता का आनाजाना बढ़ गया और अब दोनों शाम को काम समाप्त होने के बाद घूमनेफिरने भी जाने लगे.

सुमिता को उस का सहज, स्वाभाविक स्वभाव और खुद में खोए रहने की प्रवृत्ति पसंद आई. मोहित भी उस से प्रभावित हुआ. वह एक बार उस के कौल सैंटर भी आया मगर वहां का व्यावसायिक और व्यस्त माहौल उस को पंसद नहीं आया.

सुमिता सोचती कि वह मोहित से विवाह संबंधी बात करे या फिर वह ही उस को प्रपोज करेगा.

एक शाम मोहित के पास एक बड़ी विज्ञापन कंपनी का फोन आया.

‘‘मिस्टर मोहित, काैंग्रेचुलेशन.’’

‘‘फौर व्हाट?’’

‘‘पिछले महीने आप के बनाए लैंडस्केप डिजाइन को इंटरनैशनल नैचुरल डिजाइन कौंटैस्ट में पहला अवार्ड मिला है, आप को एक सप्ताह का स्विट्जरलैंड भ्रमण का इनाम मिला है.’’

इस पर मोहित आश्चर्य में पड़ गया.

‘‘मगर मैं तो कभी बाहर घूमने नहीं गया.’’

‘‘कोई बात नहीं, अब हो आइए.’’

‘‘मेरे पास तो पासपोर्ट भी नहीं है.’’

‘‘आजकल पासपोर्ट 3 दिन में बन जाता है.’’

नियत दिन मोहित भ्रमण के लिए हवाईजहाज पर सवार हुआ, उस के साथ अन्य शहरों से आए कई चित्रकार और आर्टिस्ट भी थे. भ्रमण टूर का कांट्रैक्ट एक टूरिज्म कंपनी ने लिया था.

हवाईजहाज उड़ते ही सब को सीट बैल्ट बांधने की हिदायत दी गई. साथ ही लैमन जूस या टौफी चूसने को दी गईं. हवाई सफर लगभग 7 घंटे का था. पहले हलका नाश्ता सर्व हुआ. फिर दोपहर का भोजन मिला.

‘‘मिस्टर, आप वैज लेंगे या नौनवैज,’’ एक खूबसूरत व्योमबाला ने मोहित के समीप आ कर पूछा. किसी खयाल में खोया मोहित एकदम चौंका और बोला, ‘‘मैं दोनों ही खा लेता हूं, जो अच्छा बना है ले आइए.’’

उस के इस जवाब पर आगेपीछे और सामने की कतार में बैठे यात्री हंस पड़े. व्योमबाला भी हंस पड़ी.

‘‘मिस्टर, हवाईजहाज में खाना किचन में नहीं बनता बल्कि बंद पैकेट्स में सप्लाई होता है. आप अगर वैजिटेरियन पैकेट मांगेंगे तो वैजिटेरियन मिलेगा और नौनवैज मांगेंगे तो वही मिलेगा.’’

‘‘ठीक है, नौनवैज ही दे दो.’’

एयरहोस्टैस एक पैकेट और एक खाली प्लेटचम्मच उसे थमा कर आगे बढ़ गई. अगली सीट के पीछे फोल्डिंग टेबल का इंतजाम था. सहयात्री की देखादेखी मोहित ने भी मेज खींच ली और उस पर प्लेट रख कर पैकेट खोला.

फिर आइसक्रीम व कौफी सर्व हुई. व्योमबाला एक ट्रौली में यह सब सर्व कर रही थी. उस का पाला पहली बार हवाईजहाज की यात्रा करने वाले यात्रियों से पड़ता ही रहता था. उसे मोहित जैसे यात्री मिलते ही रहते थे.

जहाज हवाईअड्डे पर उतरा तब तक शाम ढल आई थी जहां से मुख्य शहर काफी दूर था. एक स्टेशन वैगन में अनेक यात्री सवार हुए. व्योमबाला एक एयरबैग थामे आ गई और संयोग से उसे मोहित के बगल में सीट मिली.

‘‘क्या आप स्विट्जरलैंड पहली बार आए हैं?’’ एयरहोस्टैस ने बातचीत शुरू की.

‘‘मैं हवाईजहाज में पहली बार सवार हुआ हूं.’’

‘‘आप यहां क्या करने आए हैं?’’ बेहतरीन दाढ़ी बढ़ाए मस्तमौला नजर आने वाले सुंदर नैननक्श वाले युवक की तरफ गौर से देखते व्योमबाला ने पूछा.

‘‘मैं एक आर्टिस्ट हूं. विज्ञापन कंपनियों के लिए ग्राफिक्स और डिजाइन बनाता हूं. हाल ही में मेरे एक डिजाइन को एक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है. इस के लिए एक सप्ताह के लिए स्विट्जरलैंड भ्रमण का इनाम मिला है.’’

व्योमबाला प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगी.

ये भी पढ़ें- बुद्धू कहीं का: कुणाल ने पैसे कमाने के लिए क्या किया?

‘‘आप तो नियमित आती रहती होंगी.’’

‘‘जी हां, हमारा तो प्रोफैशन ही ऐसा है.’’

‘‘यहां कब तक ठहरेंगी?’’

‘‘3 दिन, वापसी के पूरे यात्री मिलने में 3 दिन लग ही जाते हैं.’’

‘‘समय बिताने के लिए आप क्या करती हैं?’’

‘‘यहां समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता. सारा स्विट्जरलैंड बहुत खूबसूरत है. बर्फ पर स्कीइंग करते, पहाड़ों पर ऐक्सपिडिशन करते और बड़ी झील में बोट चलाते समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता,’’ व्योमबाला ने कहा.

इस तरह हलकीफुलकी बातें होती रहीं. मुख्य शहर बर्न आधे घंटे बाद आया. एक तीनसितारा होटल में ठहरने का इंतजाम था. व्योमबाला और उस के क्रू के अनेक साथी नियमित आतेजाते थे, इसलिए स्टाफ उन्हें पहचानता था.

अगले दिन साइट सीइंग के लिए भ्रमण दल एक टूरिस्ट बस में सवार हुआ. सचमुच सारा स्विट्जरलैंड ही खूबसूरत था. व्योमबाला भी साथ थी.

मोहित और उस की मुलाकात हलकीफुलकी दोस्ती में बदल गई.

‘‘आप का क्या नाम है,’’ रैस्टोरैंट में मैन्यू पढ़ते मोहित ने पूछा.

‘‘सुमिता वालिया, और आप का?’’

‘‘मेरा नाम तो मोहित है,’’ मोहित उस की तरफ अपलक देख रहा था. उस के इस तरह देखने पर सुमिता वालिया तनिक चौंकी और उस ने पूछा, ‘‘आप इस तरह मेरी तरफ क्यों देख रहे हैं?’’

‘‘एक ही महीने में 2-2 लड़कियों से वास्ता पड़ा और संयोग से दोनों का नाम भी सुमिता है.’’

इस पर सुमिता वालिया खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘‘वह दूसरी सुमिता कौन है,’’ उस ने मोहित से जानना चाहा.

‘‘वह एक कौल सैंटर में काम करती है. एक बार रैस्टोरैंट में मेज खाली नहीं थी तो मेरे समीप ही आ कर बैठी थी. फिर पता नहीं मुझ पर कैसे आकर्षित हो गई थी.’’

‘पता नहीं कैसे आकर्षित हो गई थी,’ कहने पर सुमिता वालिया ने उस की तरफ गौर से देखा. क्या कभी मोहित ने अपने व्यक्तित्व पर गौर नहीं किया.

रैस्टोरैंट का माहौल मोमबत्तियों के मद्धिम प्रकाश में बहुत रोमानी हो गया था. हलकेफुलके ड्रिंक्स के बाद एकदूसरे की पसंद का खाना खाया गया. खाने के बाद टहलने का प्रोग्राम बना. बाहर हलकीहकी बर्फबारी हो रही थी.

‘‘आप भारी गरम कपड़े नहीं लाए.’’ मोहित के हलके पुलओवर की तरफ देखते हुए सुमिता वालिया ने कहा.

‘‘मैं कभी ऐसी जगह आया ही नहीं.’’

‘‘चलिए, मेरे पास ऐक्स्ट्रा ओवर कोट है,’’ सुमिता के साथ मोहित उस के होटल के कमरे में चला गया. ओवरकोट उसे फिट आ गया.

हलकी बर्फबारी में दोनों काफी देर तक इधरउधर घूमते रहे. घूमतेघूमते सुमिता स्वयं को मोहित के गले में बांहें डाले देखने लगी. शहर के एक किनारे पर काफी बड़ी झील थी. जिस की दूसरी सीमा साथ लगते जरमनी को छूती थी.

‘‘कल मुझे वापस जाना है,’’ सुमिता ने कहा.

‘‘मेरा अभी 4 दिन का भ्रमण बाकी है.’’

‘‘कहां घूमोगे?’’

‘‘क्या पता? यह तो भ्रमण टूर का संचालक बताएगा.’’

शायद सुमिता वालिया कहना चाहती थी कि अगर ठहरती तो भ्रमण और भी सुखद रहता मगर वह खामोश रही. अपनाअपना मोबाइल नंबर दे कर दोनों ने विदा ली.

भ्रमण समाप्त कर मोहित भी सप्ताहांत में लौट आया. थोड़ेथोड़े अंतराल पर कौल सैंटर में कार्यरत सुमिता भी आती रही. दोनों पहले की तरह ही शाम को खानेपीने, घूमनेफिरने को निकलते रहे.

एक शाम व्योमबाला सुमिता वालिया का फोन आया. उस ने मोहित को शाम के खाने के लिए आमंत्रित किया. स्थान वही था जहां कौल सैंटर वाली सुमिता मिली थी. यह जान कर मोहित की स्थिति बड़ी खराब हो गई, क्योंकि उसी शाम उस का दूसरी सुमिता के साथ खाने का प्रोग्राम था और स्थान वही था. अब वह क्या करे? कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

व्योमबाला को तो कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता दिया था मगर व्यस्तता के कारण कौल सैंटर वाली सुमिता को व्योमबाला सुमिता के बारे में नहीं बता पाया था.

‘जो होगा देखा जाएगा,’ इस विचार को ले कर वह वहां जाने के लिए तैयार होने लगा. पहले वह कभी भी शाम को घूमने जाते समय तैयार नहीं होता था मगर जब से उस की दोस्ती सुमिता से हुई और अब व्योमबाला से तब से वह अपने व्यक्तित्व की तरफ ध्यान देने लगा था.

शानदार काले ईवनिंग सूट और मैच करती टाई लगाए कीमती परफ्यूम से महकता मोहित रैस्टोरैंट में पहुंचा. व्योमबाला एक रिजर्व टेबल पर बैठी उस का इंतजार कर रही थी. मोहित को देखते ही चौंक पड़ी. उस का व्यक्तित्व एकदम से बदल गया. कहां तो वह एक बेतरतीब, मस्तमौला सा साधारण कपड़े पहनने वाला नौजवान और अब कहां यह एकदम से अपटूडेट सूटबूटटाई में सजाधजा नौजवान.

ये भी पढ़ें- सूना आसमान: अमिता ने क्यों कुंआरी रहने का फैसला लिया

‘‘हैलो,’’ दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया.

‘‘बहुत अच्छे लग रहे हो, एकदम शहजादा गुलफाम की तरह,’’ व्योमबाला ने मोहित को देखते हुए कहा.

अपनी तारीफ से कौन खुश नहीं होता, इसलिए मोहित भी यह सुन कर खुश हो गया.

‘‘आप भी तो बला की दिलकश और हसीन नजर आ रही हैं,’’ व्योमबाला हलकी नीले रंग की शिफौन साड़ी पहने हुए थी और उस से मैच करता लो कट ब्लाऊज और मैच करती हलकी ज्वैलरी सचमुच उस के सौंदर्य में चार चांद लगा रही थी.

(क्रमश:)

‘हमको तुम मिल गए’ गाने में दिखी हिना खान और धीरज धूपर की रोमांटिक कैमेस्ट्री, Video Viral

बीते दिनों सीरियल नागिन 5 में एक्ट्रेस हिना खान और एक्टर धीरज धूपर की जोड़ी फैंस को काफी पसंद आई थी, जिसके बाद दोनों ने अपने नए म्यूजिक वीडियो ‘हमको तुम मिल गए’ की झलक दिखा कर फैंस को बेताब कर दिया है. वहीं इस गाने में दोनों की रोमांटिक कैम्स्ट्री सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं गाने की झलक…

फैंस को पसंद आया हिना का रोमांटिक अंदाज

टीवी एक्ट्रेस हिना खान अपनी नई म्यूजिक वीडियो ‘हमको तुम मिल गए’ के जरिए लोगों का मनोरंजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. कुछ समय पहले ही हिना खान ने अपने नए गाने ‘हमको तुम मिल गए’ का टीजर फैंस के साथ साझा किया. वीडियो में हिना खान टीवी एक्टर धीरज धूपर के साथ रोमांस करती नजर आ रही हैं. दोनों का ये अंदाज फैंस को बहुत पसंद आ रहा है.

ये भी पढ़ें- बेबी बंप फ्लॉन्ट करती दिखीं अनुष्का शर्मा तो करीना कपूर ने कही ये बात

नागिन 5 में बने थे दुश्मन

‘नागिन 5’ में हिना खान और धीरज धूपर एक दूसरे के दुश्मन बने थे लेकिन इस म्यूजिक वीडियो में ये दोनों कलाकार पति-पत्नी के रुप में नजर आ रहे हैं. वीडियो का टीजर शेयर करते हुए हिना खान ने ये बात फैंस को बता दी है कि उनका गाना ‘हमको तुम मिल गए’ 15 सितंबर को रिलीज होने वाला है. हिना खान के इस खुलासे ने फैंस की बेताबी और भी ज्यादा बढ़ा दी है.

वाइट गाउन में नजर आईं हिना

हाल ही में हिना खान का एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में हिना खान व्हाइट गाउन में दुल्हन की तरह तैयार होकर झूमती हुईं नजर आ रही हैं. वहीं हिना खान काफी खूबसूरत लग रही हैं.

ये भी पढ़ें- अपने भटके बेटे को कैसे राह दिखाएगी ‘इंडिया वाली मां’?

बता दें, नागिन 5 में हिना खान के गेस्ट अपीयरियंस होने के कारण फैंस को काफी निराशा हुई थी, लेकिन सुरभि चंदना की एक्टिंग ने दोबारा फैंस का दिल जीत लिया है.

बेबी बंप फ्लॉन्ट करती दिखीं अनुष्का शर्मा तो करीना कपूर ने कही ये बात

बौलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा और क्रिकेटर विराट इन दिनों सुर्खियों में हैं. दरअसल, अनुष्का की प्रेग्नेंसी की खबर के बाद से हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है. वहीं दोनों दुबई में अपनी इस खुशी का सेलिब्रेशन मनाते भी नजर आए थे. इसी बीच अनुष्का ने अपनी एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह बेबी बंप दिखाते हुए नजर आ रही हैं. खास बात यह है कि इस फोटो पर पति विराट कोहली और बौलीवुड सितारे अपना रिएक्शन देते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अनुष्का शर्मा की बेबी बंप की फोटोज…

विराट कोहली के साथ दुबई में हैं अनुष्का

अपना प्रेग्नेंसी पीरियड को एंजॉय कर रही अनुष्का इन दिनों विराट कोहली के साथ दुबई में हैं. हाल ही में अनुष्का शर्मा ने बेबी बंप फ्लॉन्ट करते हुए अपनी एक खूबसूरत फोटो शेयर की. फोटो शेयर करते हुए अनुष्का ने लिखा, ‘जब आप एक जीवन देने जा रहे होते हो तो इससे ज्यादा रियल और कुछ नहीं हो सकता है. जब यह आपके नियंत्रण में नहीं है तो वास्तव में क्या है?’

 

View this post on Instagram

 

Nothing is more real & humbling than experiencing creation of life in you . When this is not in your control then really what is ?

A post shared by AnushkaSharma1588 (@anushkasharma) on

ये भी पढ़ें- अपने भटके बेटे को कैसे राह दिखाएगी ‘इंडिया वाली मां’?

करीना कपूर ने किया कमेंट

अपने दूसरी प्रेग्नेंसी को एन्जौय कर रही करीना कपूर ने अनुष्का शर्मा की फोटोज पर कमेंट करते हुए लिखा ‘तुम सबमें बहादूर हो’. वहीं इस कमेंट के साथ करीना ने हार्ट इमोजी भी शेयर किया. करीना कपूर खान के इस पोस्ट से साफ जाहिर होता है कि वह अनुष्का शर्मा को कितना पसंद करती हैं.

विराट ने भी किया ये कमेंट

पिता बनने की खुशी विराट ने कमेंट के जरिए जाहिर की औऱ लिखा, मेरी पूरी दुनिया एक ही फ्रेम में. वहीं बीते दिनों जब उनसे प्रैग्नेंसी को लेकर पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि ‘यह अविश्वसनीय अहसास है. हम कैसा महसूस कर रहे हैं, इसको शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है.’

बता दें कि विराट और अनुष्का ने बीते महीने एक फोटो के जरिए फैंस को बताया था कि जनवरी 2021 में उनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है.

ये भी पढ़ें- समाज के घिनौने चेहरे को दिखाने की कोशिश की गयी है -त्रिधा चौधरी

फेस्टिव सीजन में रोटी के साथ परोसें मलाई कोफ्ता

मलाई कोफ्ता एक टेस्टी डिश है. ये हर किसी को पसंद आती है, इस डिश को बनाना बहुत आसान है. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी डिश है. आज हम आपको मलाई कोफ्ता की रेसिपी बताएंगे, जिसे अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को लंच या डिनर में खिला सकते हैं.

कोफ्ते के लिये-

पनीर – 100 ग्राम (कद्दूकस किया हुआ) (100 ग्राम)

मावा/खोया -100 ग्राम (कद्दूकस किया हुआ)

कार्न फ्लोर – 1/2 कप से थोड़ा ज्यादा,

किशमिश – 10-12 नग,

ये भी पढ़ें- व्हाइट सौस वैज इन राइस

काजू – 8-10 नग (बारीक कतरे हुए),

छोटी इलाइची – 02 नग (छील कर पिसी हुई),

काली मिर्च – 1/4 छोटी चम्मच,

तेल – कोफ्ते तलने के लिये,

नमक – स्वादानुसार.

ग्रेवी के लिये-

क्रीम – 200 गाम,

दही – 100 गाम,

काजू – 12-13 नग (गरम पानी में भीगे हुए),

तेल – 2 बड़े चम्मच,

मक्खन – 01 बड़ा चम्मच,

हरा धनिया – 01 बड़ा चम्मच (बारीक कटी हुई),

हरी मिर्च – 02 (बारीक कटी हुई),

शक्कर – 01 छोटा चम्मच,

अदरक पेस्ट – 01 छोटा चम्मच,

जीरा – 1/2 छोटा चम्मच,

धनिया पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच,

लाल मिर्च पाउडर – 1/4 छोटा चम्मच,

नमक – स्वादानुसार.

साबुत गरम मसाला

ये भी पढ़ें- घर पर बनाएं टेस्टी और हेल्दी साबुदाना पुलाव

बड़ी इलाइची – 02 नग,

काली मिर्च – 06 नग,

लौंग – 02 नग,

दालचीनी -1/2 इंच का टुकड़ा.

बनाने का तरीका

सबसे पहले पनीर, मावा, आधा कार्न फ्लोर, नमक और काली मिर्च एक में मिलाएं और आटे की तरह गूंथ लें. इसके बाद काजू, किशमिश और इलाइची पाउडर को आपस में मिक्स कर लें. ये मिश्रण भरावन के काम अएगा.

अब पनीर वाले मिश्रण से नींबू के बराबर भाग लें और उसके बीच में काजू-किशमिश का थोड़ा सा मिश्रण रखकर उसे गोल बना लें. इस गोले में चारों ओर कार्न फ्लोर लगा लें, फिर उसे एक प्लेट में रख दें. इसी तरह सारे कोफ्ते बना लें.

अब एक कढ़ाई में तेल गरम करें. गरम होने पर उसमें कोफ्ते डालें और मीडियम आंच पर उलट-पुलट कर हल्के भूरे होने तक तल लें. इसी तरह से सारे कोफ्तों को तल लें.

ग्रेवी के लिए सबसे पहले काजू का पेस्ट बना लें. इसके बाद साबुत बड़ी इलाइची को छीलकर उसके दाने निकाल लें. फिर उसमें काली मिर्च, लौंग और दालचीनी मिला कर मोटा-मोटा कूट लें. इसके बाद पैन में तेल गरम करके उसमें जीरा चटकाएं.

ये भी पढ़ें- ब्रेकफास्ट में बनाएं नमकीन सेवइयां

अब पैन में कुटा मसाला डाल कर हल्का सा भूनें. इसके बाद काजू का पेस्ट डालें और तेल छोड़ने तक भून लें. इसके बाद क्रीम को पैन में डालें और पहले की तरह तेल छोड़ने तक भून लें. इसके बाद इसमें धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और दही डालें और अच्छी तरह से मिलाकर उबाल आने तक पका लें.

अब आप ग्रेवी को जितना पतला रखना चाहें, उसी हिसाब से 1 या 1 1/2 कप पानी मिला लें और उबाल आने तक पकाएं. पकाते समय ग्रेवी में जब तक उबाल न आए, उसे बराबर चलाते रहें. उबाल आने पर ग्रेवी में मक्खन, शक्कर, नमक और हरा धनिया डालकर धीमी आंच पर 2 मिनट तक पकाएं. इसके बाद ग्रेवी में कोफ्ते डालें और चलाकर गैस बंद कर दें और गरमागरम अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को लंच या डिनर में रोटी या चावल के साथ खिलाएं.

‘कोरोना काल में सुरक्षित है ‘बाइक की सवारी‘

लौकडाउन के समय सरकार ने दोपहिया वाहनों पर केवल एक सवारी के ही चलने का नियम बना दिया. इस नियम को तोडने वाले 500 लोगों से केवल उत्तर प्रदेश में जुर्माना वसूल किया गया. कडाउन के दौरान सबसे अधिक दो पहिया वाहनों का प्रयोग किया गया. लौकडाउन में अप्रैल-जून माह में दोपहिया वाहनों की बिक्री षून्य रही. लौकडाउन खुलते ही वाहन बाजार मंस सबसे पहले दो पहिया वाहनो की ही बिक्री षुरू हुई. जुलाई माह में 5 फीसदी ब्रिकी के साथ अगस्त माह में 15 फीसदी के कारीब ब्रिकी होने लगी.
दो पहिया वाहन कारोबार के जानकार मोहम्मद जफर कहतें है कि फेस्टिवल सीजन में दो पहिया वाहनो की बिक्री 50 फीसदी से अधिक पहुचने की उम्मीद दिख रही है. इसका अर्थ यह है कि पिछले साल इन महीनों के दौरान जितनी बिक्री हुई थी उसके 50 फीसदी तक पहंुचने की उम्मीद है. मंहगी बाइको के मुकाबले कम कीमत वाली किफायती बाइक अधिक बिक रही. इसमें भी स्कूटी की सेल सबसे अधिक है. क्योकि इसका प्रयोग महिला और पुरूश दोनो कर लेते है. इसमें आगे घरेलू सामान भी रखने की जगह होती और इसको चलाना भी बाइक के मुकाबले सरल होता है. पावर में यह मोटर बाइक के कम नहीं होती है. जिन घरों में कार है वहां भी एक स्कूटी या बाइक को रखा जाने लगा है. कार के मुकाबले दो पहिया वाहन से जल्दी गंतव्य तक पहुंचा जा सकता है.

बजट बाइक का बढा क्रेज:

कोरोना सकंट के समय कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती, पुराने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने जैसे फैसले किये. जिसके कारण लाखों की संख्या में कर्मचारी आर्थिक संकट का सामना करने लगे. ऐसे में बाइक की खरीददारी में ही समझदारी दिखाने का काम किया. कम पैसे और ज्यादा माइलेज के देने के कारण 60 हजार तक कीमत वाली बजट बाइक सबसे बडी पंसद बन कर उभरी है. देश की सबसे अधिक बिकने वाली 10 बाइक 60 हजार तक में आ जाती है. यह एक लीटर पेट्रोल में औसतन 40 किलोमीटर से लेकर 60 का सफर तय कर लेती है. मंहगी बाइक भी डेढ से 2 लाख में मिल रही है. इनका प्रयोग लोग कम कर रहे है क्योकि मंहगी होने के साथ ही साथ इनमें पेट्रोल का खर्च अधिक होता है. ऐसे में बजट बाइक संक्रमण और खर्च दोनो के लिहाज से सुविधाजनक है. वेतन कटौती और नौकरियों से छटनी के इस दौर में कार के बजाय बाइक का सफर करना सुविधाजनक है. कार में प्रति किलोमीटर 5 से 7 रूपये का खर्च आता है. वहीं बाइक में यह खर्च डेढ से 2 रूपये के करीब आता है. यही वजह है कि लौकडाउन के बाद आटोमोबाइल सेक्टर में कार से अधिक बाइक और स्कूटी बिक रही है.

मोटर बाइक के बाजार से मिली जानकारी के मुताबिक कम बजट की बाइक सबसे ज्यादा पसंद की जा रही है. औसतन यह बाइक 60 हजार रूपये तक में आ जाती है. इनका माइलेज 50 किलोमीटर प्रति लीटर पेट्रोल से लेकर 80 किलोमीटर प्रति लीटर तक होता है. कम इंधन में ज्यादा दूरी तय करने के चलते जेब पर कम भार पडता है. 80 रूपये प्रति लीटर पेट्रोल के समय में बाइक की सवारी में प्रति किलोमीटर चलने का खर्च एक से डेढ रूपये तक आता है. इस कारण देश में सबसे ज्यादा बजट बाइक ही बिकती है. बजट बाइक के बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली 10 प्रमुख बाइक में हीरो स्पेंलडर प्लस की कीमत 55 हजार से अधिक, हीरो सुपर स्पेंलडर 60 हजार से अधिक, हीरो ग्लैमर 65 हजार से अधिक, टीवीएस स्पोर्ट 45 हजार से अधिक, टीवीएस स्टार सिटी प्लस 55 हजार से अधिक, हौडा सीबी शाइन 56 हजार से अधिक, हौंडा शाइन लिवो 56 हजार से अधिक, बजाज वी 12 की कीमत 58 हजार से अधिक और बजाज प्लेटिना 50 हजार के करीब कीमत में मिल जाती है. शहरों में जीएसटी, रोड टैक्स और बीमा का शुल्क अलग से पडता है. वीएस की स्पोर्ट बाइक सबसे अधिक पसंद आती है. इसकी सबसे बडी वजह यह है कि यह 55 हजार के करीब कीमत की है. 15 हजार पहली बार देने पर 25 सौ रूपये की माहवारी किश्त बन जाती है. बैंक आसानी से लोन देने को तैयार हो जाते है. टीवीएस की बाइक की खासबात यह भी है कि यह इसका मेटिनेंस सरल और किफायती है. ईधन की खपत कम है.

टीवीएस की बाइक की ही तरह लडकियो को स्कूटी सबसे अधिक पसंद आती है. यह भी अलग अलग कंपनियों में 55 से 62 हजार के बीच मिल जाती है. लडकियां अपने लिये स्कूटी सबसे अधिक पंसद आती है. मजबूत और किफायती होने के कारण स्कूटी भी अब खूब तेजी से बढ रही है. हीरो की स्पेलेंडर प्लस बाइक सबसे अधिक लोगों को पसंद आ रही है. कम ईधन में ज्यादा दूरी तय करने वाली बाइक में लोगो को सबसे पहल हीरोहाडा का ही नाम याद रहता है. कंपनियों के अलग होने के बाद भी हीरों आज भी सबसे अधिक पसंद आती है. इसकी सबसे बडी वजह इसके मौडल का सबसे अधिक आकर्षक और भरोसेमंद होना है.

स्टेट्स के लिये मंहगी बाइक:

कोरोना काल में आर्थिक संकट का सामना करने वाले कुछ लोग अपने स्टेट्स को बनाये रखना चाहते है. ऐसे लोग कार से बाइक पर शिफ्ट तो हो रहे पर बजट बाइक का प्रयोग करना अपनी शान के खिलाफ समझते है. मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले आनंद प्रकाश के वेतन में 40 फीसदी की कटौती के साथ ही साथ उनको मिलने वाला 5 हजार प्रतिमाह का वाहन भत्ता भी बंद हो गया. आनंद पहले मारूती 800 से चलते थे. पिछले साल दीवाली में वह होंडा जैज कार ले आये थे. 6 माह ही बीते कि लौकडाउन शुरू हुआ. आंनद अब हौंडा जैज का प्रयोग नहीं कर पा रहे. ऐसे में उन्होने अपने चलने के लिये रायल एनफील्ड क्लासिक 1 लाख 80 हजार में खरीदी. अब वह इसकी सवारी कर रहे है. आनंद कहते है हमारा जौब प्रोफाइल ऐसा नहीं है कि हम होडा कार से सीधे बजट बाइक की सवारी करने लगे. ऐसे में मंहगी बाइक की सवारी इज्जतदार लगती है.ऐसे ही लोगों में फोटोग्राफी बिजनेस करने वाले इन्द्रेश रस्तोगी ने 2 लाख 25 हजार में जावा की बाइक ली.

मंहगी बाइक कम बिक रही है. इसके बाद भी लोगों को उम्मीद है कि फेस्टिवल सीजन में यह तेजी से बिकेगी. लखनऊ में रायल इनफील्ड स्टाकिस्ट टीना नरूला कहती है कि मंहगी बाइक सेक्टर में रायल एनफील्ड की बाइक ही सबसे आगे है. हर तरह के लोगों के लिये अलग अलग कीमत में यह बाइक मौजूद है. रायल एनफील्ड क्लासिक 1 लाख 50 हजार से अधिक, रायल एनफील्ड थंडर 1 लाख 80 हजार, रायल एनफील्ड बुलैट 350 सीसी 1 लाख 40 हजार बाजार में है. मंहगी बाइक यह मौडल सबसे अधिक पंसद किये जा रहे है. इसके मुकाबले जावा कंपनी ने अपनी बाइक 1 लाख 80 से शुरू की है. इस श्रेणी में अपाचे बाइक 1 लाख के आसपास मिलती है. दो पहिया वाहनों में मंहगी बाइक अभी कम बिक रही है. फेस्टिवल सीजन में इसके तेजी पकडने की उम्मीद की जा रही है.

लोन की सुविधा:

टौप सेलिंग बाइक में टीवीएस, हीरो, बजाज के मौडल सबसे अधिक पसंद किये जाते है. आंकडे बताते है कि अब बहुत कम बाइक नकद खरीदी जाती है. ज्यादातर बाइक बैंक से द्वारा लोन पर ली जाती है. बैको ने नियम कानून काफी कम कर दिये है. 10 से 15 हजार के नकद भुगतान पर नई गाडी की सवारी करने को मिल जाती है.

जो लोग वेतन पाते है उनको केवल अपनी चेकबुक से पोस्ट डेटेड चेक देनी होती है. इसके साथ आधार कार्ड और डाउन पेमेंट के लिये तय रकम होनी चाहिये. यह नार्मली 10 से 20 हजार ही होती है. कई बाइक कंपनियो तो किश्तों पर ब्याज भी नहीं लेती है. अक्सर त्योहारों पर बाइक कंपनियां जीरो ब्याज का प्रचार करती है. अब तो फाइल बनाने के लिये लिया जाने वाला शुल्क भी नहीं लिया जाता. जिनको तय वेतन नहीं मिलता. वह लोग कोई गांरटी देकर बाइक ले जा सकते है.

गारंटी में जमीन और जायदाद के कागज रखे जाते है. कार और दूसरे वाहनो का ब्याज भले ही लोग चुकता ना कर पाते हो पर बाइक पर ब्याज कम होने के कारण बाइक का इसको सभी चुकता कर लेते है. बाइक कंपनी के अधिकारी कहते है कि गिनेचुने मामले ही ऐसे आते है जिनमें ब्याज चुकता नहीं किया जाता है. ग्राहक को अब लोन लेने के लिये बैंक नहीं जाना होता बल्कि बाइक के शो रूम में ही बैंक के लिये काम करने वाले एजेंट मिल जाते है. जिससे बाइक की खरीददारी सरल हो गई है.

कोविड 19 यानि कोरोना संक्रमण के दौर में बचाव के लिये सबसे जरूरी है कि लोगों से दूर रहे. जिस वस्तु का प्रयोग करे वह संक्रमण मुक्त हो. कोरोना से बचाव के लिये सरकारों में पब्लिक टंªासपोर्ट को बंद कर दिया. रेल, बस ही नहीं शहरों में चलने वाली टैक्सी सेवाए भी बंद कर दी गई थी. ऐसे में जिनके पास अपने वाहन होते है उनको आराम होता है. लोगों के सामने सबसे बडी परेषानी परिवहन की होने लगी है. कोरोना संकट में षुरूआत के समय यह लग रहा था कि यह संकट जल्दी खत्म हो जायेगा. धीरेधीरे अब सभी को यह समझ आ रहा है कि कोरोना का संकट लंबा चलने वाला है. लौकडाउन खुलने के बाद कोरोना के खतरों के बीच लोगों को अपने काम करने है. जिससे धीरेधीरे जीवन वापस पटरी पर आ जाये. लोगो को वापस अपने काम धंधे को षुरू करने के लिये घर से निकलना है. ऐसे में साधन के रूप में दो पहिया वाहन पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित विकल्प है. इसलिये जरूरी है कि परिवहन के रूप में चलने के लिये दो पहिया वाहन की खरीदे. दो पहिया वाहन कोरोना काल में ज्यादा सुरिक्षत रहते है. इसकी सबसे बडी वजह यह है कि दोपहिया वाहन की केयर करना सरल होता है. विष्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के अनुसार कोरोना से बचाव के लिये किसी भी चीज का प्रयोग करने के लिये सबसे पहले उसको डिइंफेक्षन करना जरूरी होता है. इसके बाद सोशल डिसटेंसिंग और सेटेंनाइजर का प्रयोग हो. जिससे कोरोना के संक्रमण को खुद से दूर रखा जा सके.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट के खतरे:

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग सभी तरह के लोग करते है. सरकार के लाख दावा करने के बाद भी बस या टैक्सी को वायरस मुक्त नहीं रखा जा सकता है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने वाले लोगों में खुद की जागरूकता नहीं है. तमाम लोग तो अभी भी गुटका और पान मसाला जैसी चीजों का प्रयोग करते है. इधर उधर थूकने से भी बाज नहीं आते है. ऐसे में साथ सफर करने वाले के लिये खतरा बढ जाता है. इसके साथ ही साथ बसों में सफर करने वाले लोगों के बीच सोशल डिस्टेसिंग वाली दूरी भी नहीं रहती है. लोग जिस तरह से बैठते आपस में एक दूसरे को छूते रहते है. ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बस के बाद दूसरा नम्बर टैंपो-टैक्सी का आता है. जो षेयरिंग में एक जगह से दूसरी जगह तक पहंुचाने का काम करती है. इनका हाल बसों से भी बुरा होता है. यह पहले की ही तरह से ठंूसठूंस कर सवारियां बैठाते है. जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है उससे साफ है कि कोरोना से बचाव बेहद मुष्किल काम हो गया है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बस और टैंपो-टैक्सी के बाद तीसरा नम्बर ओला और उबर जैसी टैक्सियों का आता है. बस और टैंपो के मुकाबले यह थोडा सुरक्षित भले ही हो पर इनका प्रयोग करना मंहगा होता है. नियम के अनुसार हर यात्रा के बाद इन गाडियों का भी डिइंफेक्षन होना चाहिये. खर्च को बचाने के लिये ऐसा नहीं किया जाता है. जिसके कारण संक्रमण का खतरा यहंा बना होता है.

सुरक्षित है बाइक की सवारी:

कोरोना संक्रमण में बाइक की सवारी सुरक्षित है क्योकि इसका प्रयोग व्यक्तिगत रूप से होता है. प्रयोग करने से पहले इसका डिइंफेक्षन किया जाना सरल होता है. बाइक का प्रयोग करने से पहले इसकी सीट और हैंडिल को संक्रमण मुक्त कर लेना चाहिये. इसके लिये हाथ में लगाने वाले सेनेटाइजर का छिडकाव इस पर किया जा सकता है. सोशल डिस्टेसिंग का इसमें पालन हो जाता है. इसका प्रयोग एक व्यक्ति के ही द्वारा किया जाता है. इसको चलाते समय मास्क के साथ ही साथ हेलमेट का भी प्रयोग होता है. जिससे यह चलाने वाले को डबल सुरक्षा मिलती है.

अगर दो पहिया वाहन चलाते समय हैंड ग्लब्स का प्रयोग किया जाये तो और भी बेहतर बचाव हो सकता है. इसके अलावा दो पहिया वाहन सुगम और सरल है. इससे कहीं भी इधर से उधर जा सकते है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक तय जगह तक ही आपको पहुंचा सकते है. बाइक के साथ खूबी यह है कि इसका प्रयोग अपने समय के अनुसार से कर सकते है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अपना समय फिक्स होता है. इस कारण यह बाइक जैसी सुविधाजनक नहीं होती है. अपनी इन्ही खूबियों के कारण कोरोना संक्रमण के दौरान बाइक की सवारी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले सुरक्षित होती है. बाइक का प्रयोग करते समय में हेलमेट, मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग आवष्यक होता है. इसमें लापरवाही ठीक नहीं होती है.

जागरूक लोग कर रहे साइकिल का प्रयोग:

बाइक के साथ ही साथ कोरोना और हेल्थ के प्रति जागरूक लोग बहुत तेजी से साइकिल का प्रयोग करने लगे है. दो-तीन किलोमीटर जिसका जाना होता है वह लोग अब साइकिल का प्रयोग तेजी से करने लगे है. इसके दो लाभ है एक तो पेट्रोल का खर्च नहीं है दूसरे इसका चलाने से एक्सरसाइज भी हो जाती है. जिससे हेल्थ भी ठीक रहती है. अपने घर से क्लीनिक जाने के लिये डाक्टर सौरभ चन्द्रा पहले कार का प्रयोग करते थे. अब रास्ते पर भीड कम होने से वह साइकिल का प्रयोग करने लगे है. उनका कहना है कि ‘कोरोना के कारण जिम बंद चल रहे है. हम एक्सरसाइज करने नहीं जा पा रहे थे. अब साइकिल चलाने के कारण एक्सरसाइज भी हो जाती है और सफर भी तय हो जाता है.‘
साइकिल चलाने में खर्च बाइक से भी कम होता है. इस कारण आम आदमी इसका प्रयोग करने लगे है. उनको लगता है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले बाइक और साइकिल दोनो ही लाभकारी है. पहले थोडे हिचक होती थी अब यह हिचक टूट गई है. ऐसे में लोग बडी षान से साइकिल चला रहे है. कई लोग इसके द्वारा पर्यावरण का संदेश भी दे रहे है. अब पहले के मुकाबले ज्यादा स्टाइलिश और डिजाइनदार साइकिलें बाजार में बिकने आ गई है. जिनको चलाने में मेहनत कम लगती है. इस कारण लोग अब साइकिल का प्रयोग भी षान से करने लगे है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें