जो घरेलू प्रोडक्ट विषैले हैं उन्हें जल्दी से बदलने की जरूरत हैं

घर की सफाई हर दिन करनी पड़ती हैं. महामारी के दौरान सफाई ने अपनी इम्पोर्टेंस को फिर से बढ़ा दिया है. हालांकि आप क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से अनजाने में खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ये प्रोडक्ट्स गन्दगी साफ़ करने वाले साबुन, लांड्री डिटरजेंट या टॉयलेट क्लीनर हो सकते हैं.

ज्यादातर केसेस में क्लीनिंग प्रोडक्ट के महक के लिए 4,000 से ज्यादा केमिकल्स का मिश्रण होता है जो प्रोडक्ट की तेज गंध को अन्य केमिकल्स तत्व की गंध के साथ मास्क करने के लिए जोड़ा जाता है. जबकि इनमें से कुछ तत्व पेड़-पौधों से भी लिए जाते हैं. जैसे-फूल, मसाले, फल, लकड़ी, रेजिन और घास आदि. इन प्राकृतिक स्रोतों से निकाले गए लगभग 80-90% वोलाटाइल(वाष्पित) में आर्गेनिक कम्पाउंड शामिल होते हैं जैसे कि एल्कोहल और पेट्रोकेमिकल्स, जो हवा के साथ उड़ते हैं जिसकी वजह से इन्हें हम सूंघ सकते हैं.

डिशवॉशरलांड्री डिटर्जेंट, टॉयलेट क्लीनर, एयर फ्रेशनरप्रोडक्ट का नाम देखें और लेवल पर एक नज़र दौडाएं. लेबल से आपको पता चलेगा कि उनमे कौन से केमिकल्स शामिल हैं. 2015 में हुई एक स्टडी से पता चला कि 37 फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स से उत्सर्जन(एमिशन्स) की जांच की तो पता चला कि ये सभी 156 वोलाटाइल आर्गेनिक कम्पाउंड (वीओसी) का उत्सर्जन करते हैं, जिनमें से कई को मानव के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और नुकसानदेह के रूप में क्लासीफाइड किया गया है. फ्रैगरेन्स प्रोडक्ट्स इंडोर एयर क्वॉलिटी को प्रदूषित करते हैं. हम सभी जानते हैं कि ख़राब हवा से सिर दर्द और अस्थमा से लेकर कैंसर और हार्ट से सम्बंधित  समस्याएं होती हैं. फ्रैगरेन्स से संबंधित बीमारियों का खतरा लोगों में सबसे ज्यादा हैं. इन लोगों में प्रोफेशनल क्लीनर, घर में काम करने वाले नौकर और महिलाएं होती हैं ये सभी रोज फ्रैगरेन्स वाले प्रोडक्ट से घर से सफाई करते रहते हैं इसलिए इनको ऐसे प्रोडक्ट से ज्यादा खतरा रहता है. स्टडी में 10% से कम अवयवों (इंग्रेडिएंट्स) का लेवल या  फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सेफ्टी डाटा शीट के बारें में पता चला है. भारत में भी पता चला है कि इन फ्रैगरेन्स कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के निर्माता लेवल में इन प्रोडक्ट में कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं इसको बिना बताये ही इसे बेच रहें हैं.

क्यां ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहियें? लेकिन क्यों?

होम क्लीनर, जैसे कि ब्लीच, बेंजीन, सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडेहाइड के अलावा और भी कई होम क्लीनर हैं जो विषैले होते हैं और इनका इस्तेमाल करने से बहुत ज्यादा सूजन होती है. नीचे कुछ विषैले केमिकल्स के बारें में बताया हैं जिन्हें आप उनका लेवल देख के पता लगा सकते हैं कि उनमे कौन-कौन से इंग्रेडिएंट्स शामिल हैं.

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डिटर्जेंट, साबुन और शैम्पू:

डिटर्जेंट से जो झाग बनता है वह सोडियम लॉरथ सल्फेट (SLS) और फॉर्मलाडिहाइड के कारण होता है. SLS पानी और तेल से डिटर्जेंट की प्रभावशीलता (इफेक्टिवनेस) में सुधार करता है. पानी और तेल आपस में मिक्स नहीं होते हैं ये कपडें से गंदगी को आसानी से साफ़ कर देते हैं. फॉर्मलडिहाइड एक सस्ता वाला परिरक्षक (प्रेजरवेटिव) और एंटीबैक्टेरियल एजेंट होता है. ये केमिकल्स डिशवॉशर डिटर्जेंट, साबुन और शैंपू में भी पाये जाते हैं. इनकी वजह से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता हैं. एसएलएस सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसका कारण यह है कि यह सस्ता और प्रभावी होता है लेकिन यह मानव त्वचा को नुकसान पहुँचाने के लिए जाना जाता है और अक्सर इससे एग्जिमा, रोसैसिया और सोराइसिस जैसी कंडीशन भी बनती है जबकि फॉर्मलाडिहाइड आँखों, फेफड़े और सांस में जलन पैदा कर सकता है. डिटर्जेंट, पेंट और फर्नीचर की पॉलिश से बेंजीन निकलता है जो त्वचा, नाक और आंखों की जलन के लिए जाना जाता है, और यह पानी में रहने वाले जीव को भी नुकसान पहुंचाता हैं.

डिशवाशिंग लिक्विड: एसएलएस और फॉर्मलाडेहाइड के साथ-साथ अन्य केमिकल वाले प्रोडक्ट जैसे कि ट्राईक्लोसन बहुत तेजी से बैक्टीरिया को मारता है. एसएलएस पेट्रोलियम और नारियल या ताड़ के तेल से लिया जाता है और डिटर्जेंट के लेदर-फार्मिंग गुणों को बढ़ाता है. फॉर्मेल्डीहाइड को लगातार छूने से एलर्जी रिएक्शन जैसे कि एक्जिमा और सूजन होती है. हर रोज इसे छूने से कैंसर भी हो सकता है.

एयर फ्रेशनर्स: एयर फ्रेशनर्स में फोथलेट्स और नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट जैसे विषैले केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इन दोनों केमिकल्स को अंतःस्रावी अवरोधक (इंडोकरिन डिस्रप्टर्स) कहा जाता है.

कई यूरोपीय देशों में नोनीलेफेनोल एथोक्सिलेट बैन है लेकिन भारत में नहीं. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपने क्षेत्र-आधारित आकलन (रीजन बेस्ड असेसमेंट) में इसे पूरी दुनिया के लिए खतरनाक केमिकल माना है. बार-बार एक्सपोजर वाले  केमिकल मिमिक एस्ट्रोजेन से हमारी बॉडी यह बताने में सक्षम नहीं होती है कि एस्ट्रोजन और केमिकल के बीच का अंतर क्या है. इससे  हार्मोनल इम्बैलेंस (असंतुलन) हो सकता है.

यह केमिकल समुद्री जीवों के लिए ज्यादा विषैला होता है और यह बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है – यह मिट्टी में, पानी में और सतह पर कई सालों तक जमा रहता है. जिन आदमियों के खून में फैथलेट कम्पाउंड ज्यादा होता है उनमे स्पर्म कॉउंट कम हो चुका होता है. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के शोधकर्ताओं द्वारा 2003 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ऐसे आदमियों के खून में शुक्राणुओं की संख्या कम मिली थी.

प्राकृतिक क्लीनर्स को चुनें

जो क्लीनर प्रोडक्ट पेड़-पौधें से बनते हैं वह केमिकल प्रोडक्ट की तुलना में आपके लिए, आपके बच्चे के लिए, और आपके पालतू जानवर के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. अब समय आ गया है कि हम केमिकल आधारित होम क्लीनर का इस्तेमाल बंद करें और प्राकृतिक सोर्स से बने क्लीनर का इस्तेमाल करें: आप नीचे बताये गए इन क्लीनर्स को घर पर भी बना सकते हैं.

एयर फ्रेशनर्स:  टूथपिक का नोक का इस्तेमाल कुछ ताज़े, मज़बूत, संतरों के छिलकों में कुछ छेद करने के लिए करें. हर छेंद में एक लौंग डालें. एक कटोरे में मसालेदार संतरे रखें और उन्हें घर के आसपास सेट कर दें. यह आपके लिए प्राकृतिक एयर फ्रेशनर की तरह बन जायेगा. आप इन संतरों को अपनी खिड़कियों में भी  लटका सकते हैं. कई तरह की खुशबू को पाने के लिए आप संतरे पर पाउडर दालचीनी, लौंग या जायफल छिड़ककर रख सकते हैं.

मोठ रिपेलेंट्स: एक मुट्ठी गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाएं. उन्हें लैवेंडर की कुछ बूंदों के साथ या रोजमैरी तेल के साथ छिड़कें. चाय की थैलियों में पंखुड़ियों को भरकर या खुद से भी पाउच बनाकर चीज़क्लोथ के टुकड़े उसमे भरकर रख सकते हैं. मोठ रिपेलेंट्स को और ज्यादा इफेक्टिव बनाने के लिए आप सूखे नींबू के छिलके, लौंग या नीलगिरी का भी उपयोग कर सकते हैं.

कारपेट और अपहोल्स्ट्री रिमूवर: एक स्प्रे की बोतल में सफेद सिरका और पानी बराबर भरके दाग-धब्बों से छुटकारा पा सकते हैं. इसे सीधे दाग पर स्प्रे करें, फिर कई मिनट तक छोड़ दें, और फिर ब्रश से या साबुन के गर्म  पानी का इस्तेमाल करके स्पंज से साफ़ करें. खाने या ग्रीस के धब्बे के लिए, दाग पर कॉर्नस्टार्च छिड़कें और वैक्यूम करने से पहले एक घंटे तक इसे रख दें, इन दागों को साफ़ करने के लिए यह सबसे सुरक्षित तरीका है.

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फर्नीचर की सफाई:  2 पार्ट वाले सिरके को, 2 पार्ट वाले वेजिटेबल आयल और 1 पार्ट वाले नीम्बू के रस को मिलाकर अपने फर्नीचर को साफ़ करें. इन तीनो चीज़ों को अच्छी तरह से मिलाने के बाद एक कपड़े को इसमें डुबा दें. अब इस कपड़े से अपने फर्नीचर को साफ़ करें. आप इस मिश्रण को एक स्प्रे बोतल में भी स्टोर कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर इसे इस्तेमाल कर सकते हैं.

अनुराधा केडिया को फाउंडर बेटर होम से बातचीत पर आधारित

इन 5 टिप्स से बालों की उलझन को कहें अलविदा

क्‍या आपको पता है कि आप बाल झाड़ते वक्‍त कितने बालों को खोती हैं. एक अनुमान के अनुसार हर व्‍यक्ति प्रतिदिन अपने 100 बालों को खो देता है. तो जब आपके बाल उलझ जाते हैं और उनमें गांठ पड़ जाती है तो उन्‍हें जोर से कंघी से तोड़ने की बजाए हल्‍के हाथों से आराम से खोलें. वरना कुछ दिनों में आपके सारे बाल झड़ जाएंगे और इसके आगे की स्‍थित आप खुद ही समझ जाएं.

आज हम आपको बालों की उलझन को दूर करने के उपाय बताएंगे जिससे आपको अपने बालों को खींच कर तोड़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

1. अक्‍सर घुंघराले बालों वाली महिलाओं को यह समस्‍या झेलनी पड़ती है,इसलिए अगर आप कंघी कर रही हैं तो हमेशा अपने बालों को बीच से कंघी करें और फिर नीचें की ओर आएं.

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2. बाल कीगांठ को सुलझाने के लिए बालों में तेल का प्रयोग करें इससे वह आसानी से फिसल कर खुल जाएंगे.

3. गीले बाल सबसे ज्‍यादा उलझे और कमजोर होते हैं इसलिए ऐसे बालों में कंघी न करें. जब वह हल्‍के सूख जाएं तब ही उनमें कंघी करें पर ध्‍यान रहे की आप अपने स्‍कैल्‍प पर ज्‍यादा जोर न दें और हल्‍के हाथों से धीरे धीरे कंघी करें.

4. अगर आपके बालों में सही पोषण नहीं है और वह ड्राई हैं तो उनमें गांठ पड़ना स्‍वाभाविक है. इसलिए आपको इस समस्‍या की जड़ तक जाने की जरुरत है. अपने बालों में नमी पहुंचाने के लिए हफ्ते में दो बार तेल से मसाज करें या फिर उनमें मेंहदी का प्रयोग करें.

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5. हवा आपके बालों में गांठे डालने का सबसे बड़ा काम करती हैं. इसलिए जब भी आपसफर कर रहीं हो तो अपने बालों को बांध लें. और सिर्फ यही नहीं जो हवा आपके ड्रायर से निकलती है वह भी बालों को बहुत नुकसान पहुंचाती है इससे बाल ड्राई होते हैं और ड्राई बालों में ही गांठ पड़ती है.

एथनिक लुक अपनाएं और स्मार्ट कहलाएं

आजकल गर्ल्स ऐसी ड्रेसेस को पसंद कर रही हैं जो हर फंक्शन में काम आ जाती हैं. यह कम्फर्ट के लिहाज से भी खास हों और देखने में भी आकर्षक हों. गल्र्स के लिए फैशन के साथ अब कम्फर्ट सबसे ज्यादा महत्व रखता है. नेहा गोयल जो क्यूरियो स्ट्रीट नाम से औनलाइन बुटीक चला रही हैं ,उनका कहना है कि ,”इस तरह की ड्रेसेज हर ऑकेजन पर आसानी से पहनी जा सकती हैं और आसानी से उपलब्ध भी हैं .ये पॉकेट फ्रेंडली होने की वजह से किशोरों और टीनएजर्स की पहली पसंद है.

शहर में ड्रेसेस को लेकर नया ट्रेंड आ रहा है. आजकल यंग गर्ल्स ऐसे डे्रस प्रिफर कर रही है, जिसे फैमिली फंक्शन, डेआउट, नाइट पार्टी या गेटटुगेदर जैसे किसी भी फंक्शन में कैरी किया जा सके. इसलिए हैवी वर्क किए हुए सलवार सूट्स में ड्रेप स्टाइल में इंडो वेस्टर्न आउटफिट्स तैयार किए जा रहे हैं.

इस स्टाइल में ज्यादातर ड्रेसेस नी लेंथ की रहती है. ड्रेसेस की खासियत यह है कि इन्हें पार्टीज में इवनिंग गाउन की तरह भी कैरी किया जा सकता है. ड्रेप की गई डिजाइनर ड्रेसेस को शिफौन या जौर्जट फैब्रिक का यूज कर बनाया जाता है. डिफरेंट कलर कौम्बीनेशंस का यूज करते हैं, लेकिन ब्राइट कलर्स पर ज्यादा फोकस रहता है. एम्ब्रौयडरी की बात करें तो हैवी की बजाय मेटल एम्ब्रौयडरी कर रहे हैं जो अट्रेक्टिव लुक देती. नी लेंथ ड्रेप ड्रेसेस का गला सिंपल रखा जाता है, जिससे ड्रेप उभर कर दिखे. इस प्रकार की ड्रेसेस ट्रेडिशनल के साथ मौडर्न लुक देती हैं.

कुर्ते नहीं देंगे बहनजी लुक

औफिस में प्लेन, प्रिंटेड, लौन्ग, फिटेड या लूज हर तरह के कुर्ते कूल दिख सकते हैं, अगर आप उन्हें परफेक्ट कॉम्बिनेशन के साथ पहनें. अगर आप लुक को थोड़ा फॉर्मल रखना चाहती हैं तो एंब्रौएड्री वाला कुर्ता अच्छा लगेगा. वहीं सिंपल स्ट्रेट कट वाले कुर्ते भी काफी इंप्रेसिव लगते हैं.

ट्राय करें अनारकली सूट्स

औफिस के हिसाब से कुछ अनारकली पैटर्न वाले कुर्ते भी पहने जा सकते हैं. अगर उनमें हैवी वर्क नहीं है, तो वे आप आराम से वर्कप्लेस के माहौल में कैरी कर सकती हैं. लेकिन अगर आप ओवरवेट हैं तो अनारकली सूट को पहनने में थोड़ी एलर्ट रहें क्योंकि इसकी बहुत ज्यादा प्लीट्स में आपका लुक हैवी नजर आ सकता है.

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बौडीफ्रेम को सूट करने वाले सलवार पहनें

सलवार हर लिहाज से आरामदायक होते हैं, लेकिन इनमें भी आप अपनी पसंद के हिसाब से पैटर्न अपना सकती हैं. मसलन आप पटियाला सलवार पहन सकती हैं, एंब्रॉएड्री या वर्क वाले कुर्तों पर प्लेन सलवार भी अच्छा लगता है. अगर आप पतली हैं तो पटियाला ट्राई कर सकती हैं क्योंकि इससे आप स्वस्थ दिखेंगी, वहीं स्लिट पैंट्स भी कुर्ते के साथ अच्छे लगते हैं.

पलाजो और सिगरेट पैंट्स भी कूल औप्शन

अगर आप सलवार पहनकर बोर हो चुकी हैं तो मॉडर्न लुक देने वाले पलाजो या सिगरेट पैंट भी पहन सकती हैं. ये दोनों लंबे कुर्तों के साथ अच्छे दिखते हैं. पलाजो एंब्रॉड्री वाले या स्ट्रेट कुर्तों, दोनों के साथ खूब जमता है.

कुर्ते के साथ ट्राई करें जींस

अगर आपके औफिस में फौर्मल ड्रेस कोड नहीं फौलो किया जाता तो आप कुर्ते के साथ जींस का कौम्बिनेशन अपना सकती हैं. वैसे जींस के साथ शौर्ट कुर्ते काफी स्मार्ट लुक देते हैं. लेकिन अगर आपके औफिस में फौर्मल ड्रेस कोड फॉलो किया जाता है तो यह ड्रेस कोड आपको फौलो नहीं करना चाहिए.

साड़ी भी देती है बेहतरीन लुक

ज्यादातर महिलाएं वर्कप्लेस के लिए वेस्टर्न लुक को तरजीह देती हैं, लेकिन अगर साड़ी को भी करीने से पहना जाए तो यह काफी स्मार्ट और एलिगेंट लुक देती है. कौटन, जौर्जेट, शिफौन और क्रेप साड़ियां औफिस लुक के लिए बेहतरीन दिखती हैं. अगर आपका पेट निकला हुआ है तो प्लीट्स को थोड़ा फैला लें, इससे आपका पेट हैवी नहीं दिखेगा.

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जूतियां है सदाबहार

जूतियां दाम में भी वाजिब होती हैं और आपके लुक को भी बेहतरीन बना देती हैं. रंग-बिरंगी फैंसी जूतियां आपके ट्रडीशनल लुक में चार चांद लगा देती हैं. कोल्हापुरी चप्पलें भी काफी स्मार्ट लुक देती हैं. ऐसे में अगर आप अपनी ड्रेसेस के कलर के हिसाब से जूतियों का कलेक्शन रखें तो अपने लुक को काफी आकर्षक बना सकती हैं.

अब औफिस के लिए तैयार होते हुए इन आसान से टिप्स को अपनाएं तो आप काफी स्मार्ट और इंप्रेसिव लुक दे सकती हैं. तो देर किस बात की, कर लीजिए ऑफिस में अगले दिन की ड्रेसिंग की तैयारी.

बदतमीज ससुर से नाता तोड़ कर सुखी रहें

32 साल की मीना बहुत दिनों से गौर कर रही थी कि उस के ससुर की नजरें सही नहीं. वे कभी उसे चोर निगाहों से देखते रहते हैं, कभी जानबूझ कर हाथ छूने का प्रयास करते हैं तो कभी कुछ इशारे भी करते हैं. कई दफा ससुर खुले आंगन में कच्छा पहन कर नहाते हुए उधर से गुजरती मीना को घूरघूर कर देखने लगते. मीना एकदम से अंदर कमरे में छिप कर बैठ जाती.

मीना की शादी को अभी 1 साल भी पूरे नहीं हुए थे. घर में नई थी और पितातुल्य ससुर के बारे में ऐसी बात सोचना भी उस के लिए आसान नहीं था. मगर अब उसे अक्सर ही यह एहसास होने लगा था कि ससुर उसे बेटी की नजरों से नहीं देखते, उन की नजरों में और हरकतों में कहीं न कहीं बदतमीजी झलकती है.

एक दिन उस ने अपनी मन की बात अपने पति से कहीं तो पति उसे चुप कराते हुए बोला,” यह क्या कह रही हो? जानती भी हो वे मेरे पिता हैं. गोद में खिलाया है उन्होंने मुझे. तुम्हारे भी तो पिता ही हुए न. इस उम्र में उन पर ऐसे इल्जाम कैसे लगा सकती हो?”

“मैं इल्जाम नहीं लगा रही सुजय. मुझे ऐसा लगा.”

“पर ऐसा क्यों लगा तुम्हें ? सारी बात बताओ मीना. ”

“जब भी मैं उन्हें चाय देने जाती हूं तो वह चाय लेते वक्त जानबूझ कर मेरे हाथ छूने की कोशिश करते हैं और अजीब तरह से मेरी तरफ देखते हैं. एक दिन तो कहने लगे कि जरा कंधे पर तेल मल दो. ऐसा कह कर वे कपड़े उतारने लगे पर काम का बहाना बना कर मैं बाहर भाग आई.”

“देखो मीना हो सकता है यह तुम्हारा भ्रम हो. उन्हें सच में कंधे में दर्द हो रहा हो या फिर चाय लेते समय बुजुर्ग होने की वजह से उन के हाथ कांप जाते हों और तुम्हें लगता है कि वे स्पर्श करने का प्रयास कर रहे हैं,” सुजय ने समझाना चाहा.

” सुजय मैं एक औरत हूं और पुरुष की नजरों को अच्छी तरह पढ़ सकती हूँ. मुझे डर है कि तुम ने अभी ध्यान नहीं दिया तो बाद में कोई बड़ी दुर्घटना न हो जाए,” मीना का ससुर की नियत पर संदेह कायम था.

“तुम क्या चाहती हो मीना? मैं क्या करूँ ? पिताजी से लडूं?”

” नहीं लड़ने के बजाय हमें चुपचाप उन से अलग हो जाना चाहिए.”

मीना की आंखों का दर्द देख कर सुजय को महसूस हुआ कि वह झूठ नहीं बोल रही. वह गंभीर होता हुआ बोला,

“पर मीना हम पिताजी को अकेला छोड़ कर भी तो नहीं जा सकते न.”

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“अकेला क्यों सुजय? भैयाभाभी हैं न. वे ऊपर के फ्लोर पर ही तो रहते हैं . फिर पिताजी का सालों पुराना नौकर भी उन के साथ है.”

“चलो मैं देखता हूं क्या किया जा सकता है. पर सच कहता हूं लोग तुम्हें ही ब्लेम देंगे कि बहू ने आते ही बाप को बेटे से अलग कर दिया.”

“तुम दोनों को अलगअलग करना मेरी मंशा नहीं. मैं तो बस सुकून से जीना चाहती हूं सुजय.”

“ठीक है मीना मैं कोशिश करता हूं.” कह कर सुजय अपने काम में लग गया और बात आईगई हो गई.

उस दिन मीना छत पर कपड़े सुखा रही थी कि अचानक से सामने ससुर आ कर खड़े हो गए और उस की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए कहने लगे,” कभी मेरे करीब आ कर देख. दुनिया बदल दूंगा तेरी. तुझे वह खुशी दूंगा जो शायद सुजय ने भी नहीं दी होगी. एक नई दुनिया देखेगी तू.”

मीना आंखें फाड़ कर उन की तरफ देखती रह गई. बाप जैसा शख्स उस के साथ खुलेआम ऐसी बातें कर रहा था.खुल कर ऐसी बदतमीजी कर रहा था. वह सोच भी नहीं सकती थी. एकदम से भागती हुई वह नीचे अपने कमरे में आई और दरवाजा बंद कर लिया. ससुर पीछे से आवाज देता रहा. शाम तक मीना कमरे से नहीं निकली. शाम में जैसे ही सुजय घर लौटा तो मीना उस के सीने से लग कर फफकफफक कर रोने लगी. मीना को इतना घबराया हुआ देख कर सुजय ने कारण पूछा तो मीना ने हर बात साफसाफ बता दी.

सुजय के लिए अपने पिता पर लगे इल्जाम पर यकीन करना बहुत कठिन था मगर पत्नी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी तो उसी की थी. अगले ही दिन उस ने ट्रांसफर की अर्जी डाल दी और 10- 12 दिनों के अंदर शहर बदल लिया.

जाते समय सुजय पिता से बस इतना ही कह सका,” पिताजी यह आप के लिए भी अच्छा है और हमारे लिए भी कि हम अलग रहें”.

उस के पिता कुछ भी न बोल सके. किस मुंह से बोलते कि शराब के नशे में उन्होंने बहू के साथ जो बदतमीजी कर डाली उस का हश्र यही तो होना था. इधर ससुर से अलग हो कर मीना की जान में जान आई.

इन घटनाओं पर भी गौर करें;

हाल ही में (अप्रैल 2019 ) गुरुग्राम में एक 61 साल के ससुर को अपनी 28 वर्षीया बहू के साथ छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया. पुलिस के आगे बुजुर्ग ने अपना अपराध स्वीकार किया. सेक्टर 5 की वह विधवा महिला अपने डेढ़ साल के बच्चे के साथ रहती थी. उस का ससुर कुछ महीनों से उस का पीछा और बदसलूकी कर रहा था.

कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के धुलतरा में एक विधवा की संपत्ति हड़पने व अवैध संबंध बनाने से मना करने पर भड़के ससुरजेठ द्वारा उस पर तेजाब डालने का मामला सामने आया था.

किसी तरह उस ने अपने तीन साल के बच्चे के साथ भाग कर जान बचाई जिस में उस का बेटा भी एसिड से झुलस गया.

इस तरह के मामले अक्सर हमारे आसपास सुननेदेखने को मिल जाते है. दरअसल कई दफा अपने ही घर के पुरुष चाहे वह ससुर हो, देवर या जेठ हो या फिर नंदोई हो, घर में आई नई बहू पर गलत नजर डाल सकते हैं या बदतमीजी से बात कर सकते हैं. ऐसे लोग घर के सम्माननीय सदस्य हो कर भी द्विअर्थी और अश्लील बातें करने से नहीं चूकते. घर की बहू समझ नहीं पाती कि वह इन के साथ कैसे निभाए. जेठ और ससुर बहू के लिए रिश्ते में पिता या बड़े भाई के समान हैं. मगर जब उन के द्वारा ऐसी बदतमीजी की जाती है और रिश्ते की पवित्रता व सम्मान पर चोट पहुंचाई जाती है तो इन रिश्तो को निभाते रहना गलत है. क्यों कि ऐसे लोग कभी भी कोई बड़ा कुकर्म तक कर सकते हैं. रिश्ते की मर्यादा लांघ कर की बहू की अस्मिता को तारतार कर सकते हैं.

कुछ घरों में ससुर और जेठ स्वभाव से ही बदतमीज होते हैं. उन्हें महिलाओं के साथ बोलने या बात करने की तमीज नहीं होती. ये दूसरों के आगे कभी भी ऐसी बातें कर जाते हैं जिस से बहू को शर्मिंदगी महसूस हो. घर आई बहू की सहेलियों या रिश्तेदारों के साथ भी उन का व्यवहार बदतमीजी भरा होता है.

बदतमीजी कई तरह की हो सकती है;

1. गलत नजर रखना, इज्जत पर हाथ डालना
2. गंदे इशारे करना या अश्लील हरकतें करना
3. गलत लहजे में बात करना
4. बहू के प्रति अपने रिश्ते की मर्यादा भूल कर गलत तरह से छूना या बदतमीजी करना
5. बहू से ऊंचे स्वर में बात करना, मारनापीटना
6. बहू को भद्दे शब्द कहना या गालियां देना
7. छेड़छाड़ करना
8. दहेज के नाम पर मार पीट या अभद्रता

1. आवाज उठाएं चुप न रहें

आप भले ही बहू हैं, घर में नई हैं, ससुर या जेठ के देखे उम्र में बहुत कम हैं मगर याद रखें गलत के खिलाफ आवाज उठाने का हक आप को पूरा है. जब ससुर या जेठ बदतमीजी करें तो शुरूआत से ही इस का विरोध करना चाहिए ताकि वे आप को उपलब्ध न समझें और उन के हौसले न बढ़े. कभी भी उन का कोई व्यवहार आप को खटके तो उसी वक्त यह बात उन के आगे जाहिर करें. उन्हें खबरदार करें और फिर पति या सास को विश्वास में ले कर जेठ या ससुर की हर गलत हरकत के बारे में विस्तार से बात करें. वस्तुस्थिति से अवगत कराएं.

2. सबूत इकट्ठे करें

इस तरह के मामलों में सब से जरूरी है कि आप अपनी बात सबूतों के साथ रखें ताकि सामने वाला मामले की हकीकत समझ सके. आज के समय में यह काम कठिन नहीं है. हर मोबाइल में कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर होते हैं. आप जेठ या ससुर की आपत्तिजनक बातें, या बदतमीजी भरे व्यवहार को कैप्चर कर सकती हैं. इस से जब आप घरवालों के सामने इस मुद्दे को लाएंगी तो आप का पक्ष मजबूत रहेगा.

3. नजर रखें और सावधान रहें

अपने ससुर या जेठ पर नजर रखें. उन्हें कोई मौका न दें. उन के द्वारा कोई गलत चेष्टा की जाए उस से पहले ही उन्हें खबरदार करें. उन के साथ कभी अकेले कमरे में, छत पर या कहीं सूनी जगह पर न जाएं ताकि उन्हें कुछ गलत करने का मौका न मिले. उन के कमरे में जाना भी पड़े तो घर के बच्चों को साथ ले जाएं या बच्चों के द्वारा ही उन का काम करा लें. पति या घर के दूसरे सदस्यों को कहीं बाहर जाना पड़ा हो तो तुरंत अपनी किसी सहेली या रिश्तेदार को घर में बुला लें. उन के साथ अकेले न रहें.

4. पति को हर बात बताएं

अपने पति को अंधेरे में न रखें. उन्हें अपने साथ हो रही हर घटना के बारे में बताएं. हो सकता है कि पति शुरू में आप को ही गलत माने. मगर जब आप हर सबूत दिखाएंगी, हर बात स्पष्ट रूप से बताएंगी तो उन्हें भी समझ आने लगेगा कि गलत कौन है. आप उन्हें सबूत भी दिखाएं.

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5. डरे नहीं डट कर सामना करें

कभी भी गलत का सामना करने से न डरें. यदि आप सही हैं मगर सामने वाला आप से बदतमीजी कर रहा है तो उसे साफ शब्दों में ऐसा करने से रोकें. कुछ महिलाएं महीनोंसालों जुल्म और बदतमीजियां सहती रहती हैं और अंत में अपनी जिंदगी से हार जाती हैं. ऐसा रवैया कतई न रखें. मजबूत बनें.

6 . ससुर के इमोशनल ड्रामा का पर्दाफ़ाश करें

कई बार जब बहुएं घर में अपनी समस्या बताती हैं या बेटेबहू अलग होने का फैसला लेते हैं तो ससुर इमोशनल ड्रामा शुरु कर देते हैं. सास भी ऐसे मामलों में अपने पति का ही साथ देती हैं और बहू को अलगथलग कर दिया जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप पहले से ही ऐसे ड्रामों के लिए पति को तैयार करें और दोनों अलग होने का फैसला कठोरता से लें ताकि भविष्य में पछताना न पड़े. ससुर की ड्रामेबाजी से आप कमजोर न पड़ें.

7. अपनी बात स्पष्ट रूप से कहें.

इन मामलों में भयभीत होने या घबराने की जरूरत नहीं. जो बात है उसे डंके की चोट पर कहें. अपनी समस्या, ससुर व जेठ की बदतमीजी या गलत व्यवहार से जुड़ा हर कच्चा चिट्ठा खोल कर रखें. झिझकें नहीं. बोलते हुए कांपें भी नहीं क्योंकि कमजोर को ही दबाया जाता है. अपनी बात में किसी शक की गुंजाइश न रहने दें.

8. अपनी शक्ति बढ़ाएं

आर्थिक मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनें. खुद को न्याय दिलाना है, गलत इंसान को सामने लाना है या फिर अपनी अस्मिता की सुरक्षा करनी है, इस के लिए आप का अंदर से मजबूत होना जरूरी है. अपनी काबिलियत बढ़ाएं. दीनदुनिया की खबरें और स्त्रियों से जुड़े कानूनों से अवगत रहें. छुईमुई का फूल बनने के बजाय जूडोकराटे जैसी चीजें सीखें. यदि आप पढ़ीलिखी हैं तो नौकरी करें. इस से 10 लोगों से मिलने का मौका मिलता है और आप की जानकारियां बढ़ती हैं. आप पैसे कमाती हैं तो आप का आत्मविश्वास भी बढ़ता है और आप हर बदतमीजी का सामना बेहतर ढंग से कर पाने में समर्थ होती हैं.

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लिवइन रिलेशनशिप में कितना प्यार कितना धोखा

हाल ही में हमने सुशांत और रिया की लिवइन रिलेशनशिप का अंत देखा जो बहुत ही दुखद और गंदा रहा. रिया पर न सिर्फ अपने पार्टनर सुशांत के साथ धोखा करने पैसों का हेरफेर करने और ड्रग्स दे कर उसे मानसिक रूप से बीमार करने के आरोप लग रहे हैं बल्कि उसे सुशांत को अपने परिवार वालों से दूर करने का दोषी भी माना जा रहा है. हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं और कहीं न कहीं रिया दोषी भी साबित होती जा रही है. सवाल उठता है कि यह कैसा प्यार था जहां अपने ही साथी को आप गलत तरीके आजमा कर बरबाद कर डालते हो, मरवा देते हो या आत्महया के लिए मजबूर कर देते हो.

हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही एक केस आया. लिवइन में रह रही एक शादीशुदा महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. महिला का पति से विवाद चल रहा था. वह फिलहाल वेस्ट विनोद नगर में एक शख्स के साथ लिवइन में रह रही थी. मृतका की पहचान ममता के तौर पर हुई है. वह एक सरकारी अस्पताल में प्राइवेट गार्ड की नौकरी करती थी. परिजनों ने लिवइन पार्टनर ब्रह्म सिंह उर्फ कल्लू पर हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है. आरोपी ब्रह्म सिंह फरार है जिस की तलाश में पुलिस जुटी है.

प्यार तो एक खूबसूरत एहसास है. प्यार सच्चा हो तो इंसान की जिंदगी बदल जाती है. उसे दुनिया की हर ख़ुशी मिल जाती है. मगर प्यार में बेईमानी की मिलावट जीवन तबाह भी कर सकती है. इस प्यार के रंग भी अजीब है. कभी दो अजनबी शादी के बाद प्यार के बंधन में जुड़ते हैं तो कभी दो प्यार करने वाले किसी एक छत के नीचे रह कर बिना शादी के भी इस बंधन में बंध जाते हैं.

प्यार में कभी इंसान किसी पर मरता है तो कभी किसी को मार भी जाता है. कभी प्यार इतना गहरा होता है कि एकदुसरे को देख लेना ही काफी होता है तो कभी रिश्ते इतने जटिल हो जाते हैं कि कानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं.

प्यार की कितनी ही खूबसूरत कहानियां हैं और इसी प्यार में डूबे लिवइन पार्टनर के अनुभव भी कम रोचक नहीं. वैसे भी लिव-इन का चलन समाज में काफी समय से रहा है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यह रिश्ता छिपछिप कर बनाया जाता था अब खुलेआम बनाए जाते हैं. पर इस रिश्ते की खूबसूरती तभी है जब इसे ईमानदारी और प्यार से निभाया जाए.

अमृता और इमरोज का रूहानी लिवइन रिलेशनशिप

एक चित्रकार और एक कवयित्री का खूबसूरत मिलन जिस में उन्होंने प्रेम का एक अनोखा संसार रचा था. इमरोज एक चित्रकार थे और अमृता प्रीतम एक कवयित्री.

अमृता ने स्त्री आज़ादी को जिया और वह भी एक ऐसे दौर में जब वह सब करना आसान नहीं था. अमृता के लिए आज़ादी का मतलब था भावनात्मक आज़ादी और फिर सामाजिक आज़ादी. अपने जीवन में उन्होंने ये दोनों आज़ादी हासिल की.

31 अगस्त, 1919 को जन्मी अमृता के लिए लिखना एक करियर नहीं बल्कि जुनून था. उसी जूनून के साथ उन्होंने अपने रिश्तों को भी जीया.

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उस दौर में जब कोई लिवइन रिलेशनशिप के बारे में सोच नहीं सकता था, अमृता ने ऐसा किया. दुनिया में हर आशिक़ की तमन्ना होती है कि वह अपने इश्क़ का इज़हार करे. लेकिन अमृता और इमरोज़ इस मामले में अनूठे थे. उन्होंने कभी भी एकदूसरे से नहीं कहा कि वे प्यार करते हैं.

अमृता इमरोज़ एक ही छत के नीचे अलगअलग कमरों में रहते रहे. अमृता को रात में लिखने की आदत थी ताकि कोई शोरगुल न हो. इमरोज़ तब सोते थे लेकिन अमृता को लिखते वक़्त चाय चाहिए होती थी. इसलिए इमरोज़ उन के लिए रात में एक बजे चाय बनाते थे. उन का प्रेम एक ऐसा प्रेम था जहां कोई दावेदार न था.

इमरोज़ ने अमृता की ख़ातिर अपने करियर के साथ भी समझौता किया. उन्हें कई ऑफर मिले लेकिन उन्होंने अमृता के साथ रहने के लिए उन्हें ठुकरा दिया.

जीवन की आख़िरी सांस तक इमरोज़ ने अमृता का साथ निभाया. कूल्हे की हड्डी टूटने से अमृता बिस्तर पर आ गईं. तब उन्हें नहलाना, धुलाना, खिलाना, पिलाना, सुलाना सब इमरोज़ करते रहे.

31 अक्तूबर 2005 को अमृता ने आखिरी सांस ली लेकिन इमरोज का कहना था कि अमृता उन्हें छोड़ कर नहीं जा सकतीं वह अब भी उन के साथ हैं. इमरोज ने लिखा था – उस ने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं.

तिवारी और उज्ज्वला का कनैक्शन

कभी देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले नारायण दत्त तिवारी की राजनीति से इतर निजी जिंदगी में काफी हलचल बनी रही. अपने जीवन के 80वें दशक के अंतिम दौर में उन्हें सब से मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जब रोहित शेखर नाम के युवा ने तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस कर दिया और उन्हें अपना जैविक पिता माना.

कोर्ट ने इस के लिए तिवारी का डीएनए सैंपल टेस्ट लेने का आदेश दिया. 29 मई 2011 को उन्हें डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा. इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला जैविक माता.

डीएनए रिपोर्ट आने के 2 साल के अंदर 14 मई, 2014 को एनडी तिवारी ने लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला के साथ शादी कर ली. विवाह के समय उन की उम्र 88 साल थी.

रोहित शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा की तिवारी से पहली मुलाकात 1968 में अपने पिता के घर हुई थी. तब वह उम्र के तीसरे दशक में थीं और तलाकशुदा थीं. उस वक्त तिवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. धीरेधीरे उन का परिचय बढ़ा और तिवारी के अप्रोच करने पर दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच रिश्ता कायम हुआ.

पति, पत्नी और वो

पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और जया जेटली का रिश्ता बेहद खास था. जॉर्ज ने 1971 में लैला कबीर से शादी की थी.

चार साल बाद ही देश में आपातकाल लागू हो गया. उस समय उन की पत्नी अमेरिका चली गईं और करीब दो वर्षों तक दोनों में कोई संवाद नहीं हो सका. आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में जॉर्ज केंद्रीय मंत्री बने.

उसी दौर में जया के पति अशोक जेटली जॉर्ज के विशेष सहायक थे. यही वह समय था जब जया से उन की मुलाकात हुई. जल्द ही वह उन के साथ काम करने लगीं. दोनों एकदूसरे के करीब आए .

बात 2010 की है. जॉर्ज बीमार हो गए और पत्नी लैला उन के पास लौट आईं. जॉर्ज अल्जाइमर से पीड़ित थे. जया जॉर्ज से मिलना चाहती थीं लेकिन लैला ने उन्हें मिलने से रोक दिया. 2012 में जया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें हर 14 दिनों पर 15 मिनट के लिए मुलाकात की अनुमति दे दी.

तेज़ाब का दर्द कम किया लिवइन पार्टनर ने

हाल ही में दीपिका पादुकोण ने एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म छपाक में लक्ष्मी की भूमिका निभा कर उस की कहानी लोगों तक पहुंचाई. वर्ष 2005 में एक सिरफिरे आशिक द्वारा अपने ऊपर तेजाब फेंकने की घटना के बाद भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और एसिड अटैक की शिकार लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया. देशभर में तेजाब हमले का शिकार हो चुकी युवतियों और महिलाओं को संबल प्रदान करना उन की जिंदगी का लक्ष्य हो गया. इसी दौरान लक्ष्मी की मुलाक़ात सामाजिक कार्यकर्ता आलोक से हुई.

वह आलोक से प्रभावित हुईं. निकटता बढ़ती गई और दोनों दो जिस्म एक जान हो गए. लक्ष्मी को अपना एक साथी मिल गया और जीवन थोड़ा सुगम हो गया. वे दोनों एक साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

मगर अब लक्ष्मी और आलोक साथ नहीं हैं. लक्ष्मी एक सिंगल मदर हैं. वह बताती हैं कि आलोक को जब लगा कि अलग होना है तो वह अलग हो गए. जिस तरह दोनों खुशी से साथ आए थे उसी तरह अलग भी हो गए.

इसी तरह जोन अब्राहम और बिपाशा बासु, रणवीर कपूर और कटरीना कैफ, देव पटेल और फ्रीडा पिंटो, आमिर खान और किरण राव, कुणाल खेमू और सोहा अली खान, सैफ अली खान और करीना कपूर जैसे कई स्टार भी लिवइन रिलेशन में रह चुके हैं.

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समाज का नजरिया

समाज में सदियों से कन्यादान और वर्जिनिटी की मान्यताएं चली आ रही हैं. ऐसे में लिवइन को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. ज्यादातर लोगों का मानना यही होता है कि शादी जहां उम्र भर साथ निभाने और जिम्मेदारियां निभाने का बंधन है वही लिवइन जिम्मेदारियों से भागने का शिगूफा है.

खासकर लिवइन का चलन लड़कियों के भविष्य के लिए कई सारे सवाल खड़े करता है. ज्यादातर लोगों की सोच है कि पुरुष तो कुछ समय साथ रहने के मजे ले कर जब चाहे अलग हो सकते हैं मगर लड़कियों को फिर उम्र भर रोना पड़ता है. अपनी वर्जिनिटी खो कर उसे कुछ हासिल नहीं होता सिवा पछतावे के.

आज के बहुत से युवा ऐसी मान्यताओं और सोच को दरकिनार कर लिवइन रिलेशनशिप का स्वाद चखने को बेताब मिलते हैं. वे शादी जैसे मसले पर काफी कन्फ्यूज रहते हैं इस लिए कमिटमेंट से डरते हैं और पहले कम्पैटबिलिटी चेक करना चाहते हैं.

क़ानून की नजर में

आजकल लिवइन में रह रही लड़कियों को भी काफी अधिकार मिलने लगे है. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए गए हैं ताकि कोई पुरुष केवल सेक्स संबंध के लिए किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद छोड़ न सके. अगर वह छोड़ता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. लिवइन में रहने वाली महिलाओं के पास ऐसे कई कानूनी अधिकार हैं जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं.

1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

2. संपत्ति में अधिकार

3. संबंध टूटने की स्थिति में मैंटेनैंस एलुमनी का हक़

4. बच्चे को संपत्ति में अधिकार- लिवइन में पैदा हुए बच्चों को भी अपने मांबाप की संपत्ति पर अधिकार मिलेगा. लेकिन पुस्तैनी जायदाद पर ऐसे बच्चों को हक़ नहीं दिया गया है.

लिवइन में रहने के बाद कोई लड़का किसी लड़की को छोड़ देता है तो कोर्ट उस के हक़ दिलाने का काम करेगा. इस हक़ के लिए पीड़िता लड़की को लिवइन में होने के सबूत खासकर आर्थिक लेनदेन के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे.

लिवइन रिलेशनशिप के फायदे

पहले से पार्टनर को समझने का मौका मिलता है. इंसान की कुछ ख़ूबियां और खामियां ऐसी होती हैं जिन का पता साथ रहने पर ही चलता है. ऐसे में साथ रह कर यदि आप को महसूस होता है कि आप पार्टनर के साथ एडजस्ट नहीं हो सकते तो आप के पास अलग होने का विकल्प खुला होता है.

लिवइन पार्टनर्स को ब्रेकअप के लिए फैमिली ड्रामे और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता. जब चाहें बहुत आसानी से अलग हो सकते हैं.

इस रिश्ते में रहतेरहते ज्यादा कानूनी अधिकारों के लिए विवाह के बंधन में भी बंध सकते हैं.

दोनों पार्टनर अपनी जिम्मेदारियां बिना किसी दबाव के निभाते हैं. रिश्ते में एक सहजता रहती है.

यह रिश्ता अधिक बोझिल नहीं होता. ऐसे में दोनों पार्टनर पूरी तरह से निजी रूप से आजाद होते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप के नुकसान

लिवइन पार्टनर्स को अक्सर घर ढूंढने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे रिश्तों को सही नहीं मानते और ऐसे कपल्स को घर किराये पर देने से हिचकिचाते है.

जॉइंट अकाउंट्स, इंश्योरंस और वीजा आदि के ऑफिसियल डॉक्यूमेंटेशन में कठिनाई आ सकती है.

बंधन में न बंधने की आजादी तो होती है पर जिंदगी खुल कर एन्जॉय नहीं कर पाते क्योंकि अविश्वास की भावना पनपने का डर बना रहता है.

पार्टनर द्वारा कमिट्मेंट तोड़े जाने का डर रहता है. जिस से मन में तनाव रहता है.

कई बार पार्टनर आप को धोखा दे देता है और आप कुछ नहीं कर पाते हो.

लिवइन रिलेशनशिप में आप परिवार की खुशी का मजा नहीं ले सकते. कहीं न कहीं आप का अपना परिवार आप से दूर होता जाता है. क्योंकि लोग आसानी से इसे स्वीकृति नहीं देते.

रखें ध्यान

किसी के साथ लिवइन में रहना गलत नहीं मगर उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेना गलत है जैसा कि सुशांत ने किया था. हर रिश्ते में एक स्पेस जरूरी है. अपने लिवइन पार्टनर को अपने जीवन से जुड़े हर फैसले लेने की अनुमति न दें. अपने बैंक के डाक्यूमेंट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने का हक़ उसे कतई न दें. कुछ चीज़ों में प्राइवेसी रखनी चाहिए क्यों कि वह कानूनी तौर पर आप का हमसफ़र नहीं है.

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मंगनी की अंगूठी: क्या मोहित सुमिता के जादू में बंध पाया?

Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-3)

मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह बताने लगा कि इस दौरा तीसरी सुमिता से उस की दोस्ती हो गई थी और कोई शाम बेरौनक नहीं रही.

‘‘ओके, आज शाम पहली नंबर की रही मैं फिर फोन करूंगी.’’

रैस्टोरैंट में तनहा कोने वाली मेज पर मोमबत्ती स्टैंड पर लगी मोमबत्तियों का प्रकाश माहौल को बेहद रोमानी बना रहा था.

सुमिता सफेद झालरों और हलके सितारे टंगे सफेद सूट में बहुत दिलकश लग रही थी. मोहित भी मैच करती टीशर्ट और ट्राउजर में था. उस के गले में सोने की मोटी चेन थी. आज वह बेहद स्मार्ट लग रहा था.

आज डांस फ्लोर पर दोनों काफी करीब थे. दोनों चाहेअनचाहे कहीं भी किसी के शरीर को स्पर्श हो जाने पर दूरी बनाए रखने की कोई सावधानी नहीं थी. सुमिता इस बात से निश्चिंत थी कि आज मोहित उस का था और उस की नजरें किसी व्योमबाला या किसी और के लिए नहीं भटक रही थीं.

डांस के बाद हलका ड्रिंक और फिर लजीज खाने का दौर शुरू हुआ. फिर शहर के एक तरफ स्थित पार्क में घूम कर दोनों राजीखुशी विदा हुए. 2-3 दिन बीत गए. मोहित काम में व्यस्त था. तभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नजर डाली तो फोन विज्ञापन कंपनी वाली सुमिता का था.

‘‘अरे, सुमिताजी नमस्ते.’’

‘‘बहुत बिजी रहते हैं आप. जब भी फोन करो स्विच औफ मिलता है. कम से कम शाम को तो फोन औन रखा करो?’’ सुमिता मुदगल के स्वभाव में प्यार भरी शिकायत थी.

अब मोहित क्या कहता. शाम को तो वह बिना काम के ही बिजी रहता है. आखिर 2-2 उस के लिए लालायित थीं, लेकिन अब तो तीसरी भी आ गई थी.

‘‘क्या हुआ? क्या सो गए आप?’’

‘‘नहींनहीं, जरा काम में लगा था.’’

‘‘आज शाम आउटिंग के लिए आ सकते हैं?’’

‘‘नहीं, आज बिजी हूं.’’

‘‘कल?’’‘‘देखेंगे.’’

आज की शाम तो व्योमबाला के साथ थी. व्योमबाला हलके मैरून कलर की साड़ीब्लाउज में अपने गौरवर्ण के कारण बला की हसीन लग रही थी. मोहित भी क्रीम कलर के सफारी सूट में जंच रहा था.

व्योमबाला के साथ डांस अलग अंदाज और हलका जोशीला था. कौल सैंटर वाली सुमिता अगर खिला गुलाब थी, तो व्योमबाला महकता हुआ जूही का फूल थी.

मोमबत्तियों के रोमांटिक प्रकाश में खानापीना हुआ, फिर बोट क्लब पर बोटिंग. दोनों विदा हुए. इस दौरान पहली सुमिता का कोई जिक्र नहीं हुआ. उस के साथ बीती शाम अच्छी थी. यह शाम भी अच्छी रही. तीसरी सुमिता का जिक्र मोहित ने जानबूझ कर नहीं किया.

3 दिन बाद तीसरी सुमिता के साथ डेट थी. संयोग से उसे भी वही रैस्टोरैंट पसंद था. आज मोहित फिर से कैजुअल वियर में था. उस को आभास हो चला था कि तीसरी सुमिता भी पहली सुमिता की तरह उसे बेतरतीब और कैजुअल पहनावे में पसंद करती थी. उसे वह एक चित्रकार, एक कलाकार या दार्शनिक दिखने वाले रूप में ज्यादा पसंद था.

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‘‘आप बैठो, मैं जरा टौयलेट हो आऊं.’’

टौयलेट से बाहर आते ही उस के कानों में 2 व्यक्तियों की बातचीत के अंश पड़े. ‘‘यह लड़का तगड़ा चक्करबाज है, 3-3 हसीनाओं से एकसाथ चक्कर चलाता है.’’

यह जुमला सुन कर मोहित पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया. उस ने तब तक कभी इस पहलू पर सोचा भी न था कि उस के बारे में देखने वाले खासकर उस से परिचित या उस को पहचानने वाले क्या सोचते थे.

‘‘आप को क्या हुआ? आप का चेहरा एकदम उतर गया है?’’ उस के चेहरे पर छाई गंभीरता को देख कर सुमिता ने पूछा. ‘‘कुछ नहीं, मैं अकस्मात किसी ग्राफिक्स के बारे में विचार कर रहा था.’’

‘‘अरे, छोड़ो न. हर समय प्रोफैशन के बारे में नहीं सोचना चाहिए. शाम को ऐंजौय करो.’’

वह शाम भी अच्छी गुजरी. मगर अगले दिन मोहित गंभीर था.

अब से उस ने कभी अपने कार्यस्थल पर काम करने वाले स्टाफ के चेहरे के भावों पर गौर नहीं किया था. मगर अब उसे महसूस हो रहा था कि उस की छवि उन की नजरों में पहले जैसी नहीं रही जब से 3-3 सुंदरियों के साथ शाम बिताने का सिलसिला चला था.

अगले 3 दिन में तीनों सुमिताओं का फोन आया. मगर उस ने मोबाइल की स्क्रीन पर नजर डाल कर फोन अटैंड नहीं किया. सभी कौलें मिस्ड कौल्स में दर्ज हो गईं.

एक सप्ताह तक मिस्ड कौल्स का सिलसिला चलता रहा लेकिन वह अपने काम में व्यस्त रहा. आखिर कौल सैंटर वाली सुमिता से रहा न गया और वह उस के औफिस आ गई.

‘‘क्या बात है, फोन अटैंड क्यों नहीं करते?’’

‘‘कुछ काम कर रहा हूं.’’

‘‘आज शाम खाली हो?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘कल?’’

‘‘देखेंगे.’’

उस के स्वर में तटस्थता और उत्साहहीनता को महसूस कर सुमिता चुपचाप चली गई. इस के बाद बारीबारी से व्योमबाला और विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर का आना भी हुआ. मगर मोहित ने उन को भी टाल दिया. उस के ऐसा करने से तीनों देवियों की उत्कंठा और बढ़ी. पहले तो सभी उस के मर्यादित संयमित व्यवहार से प्रभावित थीं अब शाम की डेट टालने से उन की बेकरारी और बढ़ी.

दोनों सुमिताओं ने समझा कि वह उसे नहीं दूसरी को ज्यादा पसंद करता है. मगर तीसरी को पहली दोनों देवियों का पता नहीं था. इसलिए वह असमंजस में थी.

मोहित अब सोच में पड़ गया था किसी चक्करबाज या रसिक के समान 3-3 सुंदरियों के साथ घूमनाफिरना, खानापीना उस के व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं था. उसे किसी एक को पसंद कर के उस से विवाह कर लेना चाहिए. वह इस पर विचार करने लगा किसे चुने.

तीनों ही सुंदर थीं, वैल सैटल्ड थीं. अच्छे परिवार से थीं. जातपांत का आजकल कोई मतलब नहीं था.

उस के साथ तीनों जंचती थीं. तीनों का स्वभाव भी उस के अनुरूप था. उधर वे तीनों उस से स्पष्ट बात कर विवाह संबंधी फैसला करना चाहती थीं. पहली 2 इस पसोपेश में थीं कि मोहित की पहली पसंद कौन थी?

इतने दिन तक डेट के लिए मना करने से उन को गलतफहमी होनी ही थी. दोनों चुपचाप बीचबीच में रैस्टोरैंट का चक्कर भी लगा आईं कि शायद मोहित पहली या दूसरी सुमिता के साथ आया हो. मगर वह नहीं दिखा.

कौल सैंटर वाली सुमिता के ‘वेटर’ ने भी पुष्टि की कि वह नहीं आया था. अब उन का विचार यही बना कि वह काम में ज्यादा व्यस्त था.

मोहित को भी स्पष्ट आभास था कि तीनों उस से विवाह करना चाहती हैं मगर वे तीनों ही उस से इस संबंध में पहल करने की अपेक्षा कर रही थीं.

अब उस ने तीनों में से किसी एक को चुनना था और उसे प्रपोज करना था. इस के लिए क्या करे? कैसे किसी एक का चुनाव करे. तीनों ही सुंदर थीं. अच्छे परिवारों से थी. चरित्रवान थीं. किसी के भी व्यवहार में हलकापन नहीं था.

‘‘मिस्टर मोहित, मैं सुमिता मुदगल बोल रही हूं. आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’ विज्ञापन डायरैक्टर का फोन था.

‘‘आज शाम खाली हैं आप. बोट क्लब आ जाएं?’’ काफी दिन से बाहर नहीं निकला. इसलिए मोहित भी शाम को ऐंजौय करना चाहता था.

‘‘बोट क्लब क्यों? रैस्टोरैंट क्यों नहीं?’’

‘‘आज खानेपीने से ज्यादा घूमने की इच्छा है.’’

‘‘ओके.’’

पैडल औपरेटेड बोट झील में हलकेहलके शांत पानी में धीमेधीमे चल रही थी. झील के बीचोंबीच बोट रोक कर दोनों ने एकदूसरे की आंखों में झांका.

‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहती हूं.’’

‘‘किस बारे में,’’ अनजान बनते हुए मोहित बोला.

‘‘आप का विवाह के बारे में क्या खयाल है?

‘‘आप मुझ से विवाह करना चाहती हैं?’’

‘‘जी हां,’’ सुमिता मुदगल ने स्पष्ट कहा.

‘‘अभी हमें मुलाकात किए मात्र 2 महीने हुए हैं इतनी जल्दी फैसला करना ठीक नहीं है.’’

‘‘आप कितना समय चाहते हैं, फैसला करने के लिए?’’

‘‘कुछ कह नहीं सकता.’’

‘‘आप चाहें तो फैसला लेने से पहले एकदूसरे को समझने के लिए ‘लिव इन’ के तौर पर साथसाथ रह सकते हैं. वैसे भी आजकल इसी का चलन है.’’ विज्ञापन डायरैक्टर ने गहरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए कहा.

मोहित भी गहरी नजरों से उस की तरफ देखने लगा. विज्ञापन डायरैक्टर अच्छी समझदार थी. उस का सुझाव आजकल के नए दौर के हिसाब से था.

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‘‘मैं सोचूंगा इस बारे में. अब हम थोड़ी देर बोटिंग कर के खाना खाने चलते हैं.’’

सही फैसले तक पहुंचने के लिए मोहित को एक सूत्र मिल गया था. वह यही था कि विवाह के संबंध में तीनों क्या विचार रखती थीं.

अगले रोज उस ने शाम से पहले कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, आप ने आज कैसे याद किया,’’ सुमिता ने तनिक हैरानी से कहा.

‘‘इतने दिन व्यस्त रहा. आज काम की थकान शाम को सैर कर के दूर करने का इरादा है.’’

‘‘ओके, फिर सेम प्लेस एट सेम टाइम.’’

‘‘नोनो, रैस्टोरैंट नहीं नैशनल पार्क.’’

‘‘ओके.’’

नैशनल पार्क काफी एरिया में फैला हुआ था. एक आइसक्रीम पार्लर से आइसक्रीम के 2 कप ले दोनों टहलतेटहलते आगे निकल गए. जहांतहां झाडि़यों व पेड़ों के पीछे नौजवान जोड़े रोमांस कर रहे थे. कई बरसात का मौसम न होने पर भी रंगबिरंगे छाते लाए थे और उन को फैला कर उन की ओट में एकदूसरे से लिपटे हुए थे.

इस रोमानी माहौल को देख कर हम दोनों ही सकपका गए. तन्हाई्र पाने के इरादे से दोनों जल्दीजल्दी आगे बढ़ गए. एक तरफ कृत्रिम पहाड़ी बनाई गई थी. दोनों उस पर चढ़ गए. एक बड़े पत्थर पर बैठ कर दोनों ने एकदूसरे की तरफ देखा.

‘‘मैं आप से कुछ बात करना चाहता था.’’

‘‘किस बारे में?’’

‘‘आप का शादी के बारे में क्या विचार है?’’

मोहित के इस सीधे सपाट सवाल पर सुमिता चौंक पड़ी और फिर मुसकराई.

‘‘विवाह जीवन का जरूरी कदम है. एक जरूरी संस्कार है.’’

‘‘और लिव इन रिलेशनशिप?’’

‘‘इस का आजकल फैशन है. यह पश्चिम से आया रिवाज है. वहां इस के दुष्परिणामों के कारण इस का चलन अब घट रहा है.’’

‘‘आप विवाह को अच्छा समझती हैं या लिव इन को?’’

‘मेरा तो लिव इन में बिलकुल भी विश्वास नहीं है.’’

‘‘और अगर विवाह सफल न रहे तो?’’

‘‘ऐसा तो लिव इन में भी हो सकता है.’’

‘‘मगर लिव इन में संबंध विच्छेद आसान होता है.’’

‘‘अगर संबंध विच्छेद का विचार पहले से ही मन में हो तो विवाह नहीं करना चाहिए और न ही लिव इन में रहना चाहिए.’’

सुमिता के इस सुलझे विचार से मोहित उस का कायल हो गया और प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगा. वह शाम भी काफी अच्छी बीती.

2 दिन बाद मोहित ने व्योमबाला को फोन किया. उस के साथ रैस्टोरैंट में मुलाकात तय हुई. व्योमबाला बिंदास और शोख अंदाज में नए फैशन के सलवारसूट में आई. हलके ड्रिंक और डांस के 2-2 दौर चले. खाने का दौर शुरू हुआ.

‘‘मिस वालिया, आप का विवाह के बारे में क्या विचार है,’’ मोहित ने सीधे सवाल दागा.

‘‘मैरिज लाइफ के लिए जरूरी है. सोशल तौर पर भी और फिजिकली भी.’’

‘‘और लिव इन…’’

‘‘वह भी ठीक है. बात तो आपस में निभाने की है. निभ जाए तो विवाह भी ठीक है लिव इन भी ठीक है. न निभे तो दोनों ही व्यर्थ हैं.’’

‘‘आप किस को ठीक समझती हैं?’’

‘‘मैं तो लाइफ को ऐंजौय करना अच्छा समझती हूं. निभ जाए तो ठीक नहीं तो और सही. मगर घुटघुट कर जीना भी क्या जीना,’’ व्योमबाला दुनियाभर में घूमती थी. रोजाना सैकड़ों लोगों से उस की मुलाकात होती थी. उस का नजरिया काफी खुला और बिंदास था. वह शाम भी काफी शोख और खुशगवार रही.

तीनों सुमिताओं की प्रकृति और सोच मोहित के सामने थी. पहली का लिव इन में विश्वास नहीं था.

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दूसरी बिंदास थी, शोख थी, लाइफ ऐंजौय करना उस का मुख्य विचार था. ऐसी औरत या युवती बेहतर जीवनसाथी या बेहतर लिव इन साथी मिलने पर पुराने साथी को छोड़ सकती थी.

तीसरी विज्ञापन डायरैक्टर काफी व्यावहारिक थी. उस का नजरिया विवाह के बारे में भी व्यावसायिक था. पहले लिव इन सफल रहा तो फिर विवाह. नहीं तो आप अपने रास्ते मैं अपने रास्ते. मोहित एक चित्रकार था. कलाकार था. दार्शनिक विचारधारा वाला था. उस को अपना सही जीवन साथी समझ आ गया था.

उस ने कौल सैंटर फोन किया.

‘‘अरे, अभी परसों ही तो मिले थे.’’

‘‘आज मैं ने आप से एक खास बात करनी है.’’

वह तैयार हुआ. कैजुअल वियर की जगह वह शानदार ईवनिंग सूट में था. एक मित्र ज्वैलर्स के यहां से कीमती हीरे की अंगूठी खरीदी और रैस्टोरैंट की पसंदीदा मेज पर बैठ कर अपनी भावी जीवनसंगिनी का इंतजार करने लगा.

Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-2)

पूर्वकथा

मोहित की पहली मुलाकात जहां कौल सैंटर वाली सुमिता से होती है वहीं दूसरी बार वह स्विट्जरलैंड भ्रमण के दौरान व्योमबाला सुमिता से मिलता है. अब मोहित की तीसरी मुलाकात एक विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर सुमिता से होती है. आखिर इन तीनों सुमिता में से उस ने किस को अपना हमसफर बनाया.

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एकदूसरे की तारीफ के बाद जैसे ही  ड्रिंक्स का दौर शुरू हुआ, तभी हौल में कौल सैंटर वाली सुमिता ने कदम रखा. वह भी आज खासतौर से ब्यूटीपार्लर से सजधज कर आई थी.

उस ने नए फैशन की काली सलवारकमीज डाली हुई थी. बिना दुपट्टे के वह गले में नए डिजाइन का नैकलेस डाले हुए थी. आज वह मोहित से शादी के बारे में बात करना चाहती थी.

तनहा कोने वाली पसंदीदा मेज अभी तक खाली थी. ‘शायद मोहित अभी तक नहीं आया था,’ यह सोचते हुए वह धीरधीरे चलती हुई मेज के पास पहुंची. साथ वाली मेज पर एक जोड़ा चहकताहंसता बातें कर रहा था. पुरुष की पीठ उस की तरफ थी. चेहरा पीछे से कुछ जानापहचाना सा लग रहा था. मगर मोहित तो हमेशा जींस, टीशर्ट या फिर कैजुअल वियर पहनता था. यह तो कोई हाई सोसाइटी का कोई सूटेडबूटेड नौजवान है.

कुर्सी पर बैठ कर वह उस जोड़े को देखने लगी. आवाज मोहित की ही थी. उसे अपनी तरफ देखते हुए व्योमबाला ने मोहित से कहा, ‘‘आप के पीछे की मेज पर बैठी लड़की आप को देख रही है.’’

इस पर मोहित चौंका, व्योमबाला से बातों में मग्न हो कर वह सुमिता के साथ अपने फिक्स्ड प्रोग्राम को तो भूल ही गया था. वह फुरती से उठा और मुड़ कर सुमिता के समीप पहुंचा.

‘‘हैलो डियर, हाऊ आर यू?’’

मोहित के इस बदले रूप को देख कर सुमिता चौंकी. साथ में एक खूबसूरत लड़की भी थी. ऐसी स्थिति की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.

मोहित ने उस की बांह थामी और प्यार से खींचता हुआ उसे व्योमबाला के समीप ले आया.

‘‘इन से मिलिए, ये आप की हमनाम हैं, इन का नाम सुमिता वालिया है और ये एयरहोस्टेस हैं.’’

उन दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया. व्योमाबाला के स्पर्श में गर्मजोशी थी क्योंकि उस को मोहित ने कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता रखा था. वहां कौल सैंटर वाली सुमिता का स्पर्श ठंडा था. वह बड़े असमंजस में थी.

‘‘पिछले महीने जब मैं स्विट्जरलैंड भ्रमण पर गया था तब इन से मुलाकात हुई थी. मैं ने आप के बारे में तो इन्हें बता दिया था लेकिन इन के बारे में आप को बताना भूल गया था.’’

सुमिता के माथे पर बना तनाव का घेरा थोड़ा ढीला पड़ा. ठंडे और हलके ड्रिंक्स का दौर फिर से शुरू हुआ.

तभी डांस फ्लोर पर डांस का पहला दौर शुरू हुआ.‘‘लैट अस हैव ए राउंड,’’ व्योमबाला ने मोहित की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा. मोहित उठा और उस के साथ डांस फ्लोर की तरफ बढ़ गया.

एयरहोस्टेस दुनियाभर में घूमती थी. अनेक देशों में ठहरने के दौरान एंटरटेनमैंट  के लिए डांस करना, ऐंजौय करना, उस के लिए सहज था.

वह रिदम मिला कर दक्षता से डांस कर रही थी. सुमिता के साथ मोहित भी अनेक बार डांस फ्लोर पर थिरक चुका था. मगर एयरहोस्टेस सुमिता के साथ बात कुछ और ही थी.

पहला दौर समाप्त हुआ. रैस्ट करने और हलके ड्रिंक्स के बाद नया दौर शुरू हुआ. इस बार कौल सैंटर वाली सुमिता का साथ था.

आज वह विशेष तौर पर सजधज कर नए उत्साह के साथ प्रपोजल ले कर आई थी. मगर खीर में मक्खी पड़ जाने के समान एयरहोस्टेस आ टपकी थी. वह उसी के समान सुंदर थी और उस से कहीं ज्यादा ऐक्टिव थी.

मोहित हमेशा कैजुअल वियर में ही आता था, लेकिन आज वह बनठन कर सुमिता को अपनी बांहों में ले कर उस के वक्षस्थल को भींच लेता था. सुमिता भी उस का मजा लेती थी.

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मगर आज दोनों में वह बेबाकी नहीं थी. दोनों आज किसी प्रोफैशनल डांसर जोड़े की तरह नाच रहे थे, जिन का मकसद किसी तरह इस राउंड को पूरा करना था, न कि अपना और अपने साथी का मनोरंजन करना.

डांस के बाद खाना खाया गया. वे दोनों अपनीअपनी शिकायतों के साथ मोहित को विश करतीं ऊपर से मुसकराती हुई विदा हुईं.

इस बात का मोहित को भी पछतावा हुआ कि क्यों उस ने उन दोनों को एकसाथ यहां बुलाया. उसे दोनों में से किसी एक को टाल देना चाहिए था, या फिर दोनों को ही टाल देना चाहिए था. मगर अब जो होना था हो चुका था.

अगले कई दिन तक उन दोनों में से किसी का भी फोन नहीं आया. मोहित फिर से अपने चित्रों, ग्राफिक्स व डिजाइनों में डूब गया.

एक शाम उसे किसी विज्ञापन कंपनी से फोन आया. कंपनी की डायरैक्टर उस से एक सौंदर्य प्रसाधन कंपनी के लिए नए डिजाइनों पर आधारित विज्ञापन शृंखला के लिए विचारविमर्श करना चाहती थी.

मोहित नियत समय पर कंपनी औफिस पहुंचा. विज्ञापन कंपनी की डायरैक्टर के औफिस के बाहर नेमप्लेट थी ‘सुमिता मुदगल’ विज्ञापन डायरैक्टर.

मोहित मुसकराया. 2-2 सुमिताओं के बाद तीसरी सुमिता मिल रही थी. उस का कार्ड देखने के बाद बाहर बैठा औफिस बौय उस को तुरंत अंदर ले गया.

औफिस काफी भव्य और सुरुचिपूर्ण था. कीमती लकड़ी की मेज के साथ रिवौल्विंग चेयर पर दमकते चेहरे वाली बौबकट युवती टौप और पैंट पहने बैठी थी.

उस ने उठ कर गर्मजोशी से हाथ मिलाया.

‘‘प्लीज बैठिए, मिस्टर मोहित, आप का सरनेम क्या है?’’

‘‘मेहता, माई नेम इज मोहित मेहता.’’

‘‘आप के बनाए डिजाइन काफी आकर्षक और लीक से हट कर होते हैं.’’

‘‘तारीफ के लिए शुक्रिया.’’

‘‘हमारे पास एक मल्टीनैशनल कंपनी का बड़ा और्डर आया है, आप से इसी सिलसिले में बात करनी है.’’

इस के बाद लंबी बातचीत हुई. अपनी नोटबुक में जरूरी निर्देश नोट कर मोहित चला आया. इस के बाद डिजाइन दिखाने, डिसकस करने का सिलसिला चल पड़ा. कई बार सुमिता मुदगल उस के कार्यस्थल पर भी आई.

मोहित पहले की तरह ही बेतरतीब ढंग से कपड़े पहनता, कभी तो कईकई दिन तक शेव नहीं करता. उस का यही खिलंदड़ापन अब तीसरी सुमिता को भी भा गया. वह भी अब बारबार आने लगी. मोहित भी शाम को उस के साथ घूमने लगा.

इस दौरान पहले वाली सुमिता और व्योमबाला का फोन भी नहीं आया. दोनों उस से नाराज हो गई थीं. मगर दोनों की नाराजगी ज्यादा दिन नहीं रही. दोनों का गुस्सा धीरेधीरे कम हुआ और दोनों यह सोचने लगीं कि क्या मोहित धोखेबाज था?

नहीं ऐसा नहीं था. यह तो एक संयोग ही था कि 2-2 हमनाम लड़कियां उस से टकरा गई थीं या उसे मिल गई थीं. एक ही दिन, एक ही स्थान पर मुलाकात होना संयोग था.

अगर मोहित धोखेबाज होता तो उन्हें एक ही स्थान पर नहीं बुलाता.

पहले कौल सैंटर वाली सुमिता का फोन आया. पहले तो मोहित चौंका, फिर मुसकराया और खिल उठा.

‘‘अरे, इतने दिन बाद आप ने कैसे याद किया?’’

‘‘आप ने भी तो फोन नहीं किया.’’

‘‘मैं ने सोचा आप नाराज हैं.’’

‘‘किस बात से?’’

अब मोहित क्या कहता. उस के बिना कहे भी सुमिता सब समझ गई.

‘‘आज शाम का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘जो आप चाहें.’’

‘‘किसी और के साथ कुछ फिक्स्ड तो नहीं है?’’

इस पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा.

‘‘उस दिन तो संयोग मात्र ही था.’’

‘‘ओके, फिर सेम जगह और सेम टाइम.’’

अभी फोन रखा ही था कि व्योमबाला का फोन आ गया.

‘‘अरे, स्वीटहार्ट, आज आप ने कैसे याद किया.’’

‘‘आप ने मुझे स्वीटहार्ट कहा, मैं तो सोचती थी कि आप की स्वीटहार्ट तो वह है,’’ व्योमबाला चहकी.

‘‘वह तो है ही, आप भी तो हो.’’

‘‘एकसाथ 2-2 स्वीट्स होने से आप को शुगर की प्रौब्लम हो सकती है.’’

व्योमबाला के इस शिष्ट मजाक पर मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा.

‘‘आज का क्या प्रोग्राम है?’’

‘‘पहले से ही फिक्स्ड है.’’

‘‘अरे, मैं तो सोचती थी शायद आज आप की शाम खाली होगी.’’

‘‘उस ने भी उस दिन के बाद आज ही फोन किया है.’’

‘‘क्या बात है, क्या उस से झगड़ा हो गया था?’’

‘‘नहीं वह उस दिन से ही नाराज हो गई और आज उस का गुस्सा कम हुआ तो उस ने फोन किया. आज उसी जगह मिलना है.’’

‘‘ओह, तब तो आप की शामें इतने दिन तक बेरौनक रही होंगी,’’ व्योमबाला के स्वर में तलखी भरी थी.

आगे पढ़ें- मोहित खिलखिला कर हंस पड़ा. वह…

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Serial Story: मंगनी की अंगूठी (भाग-1)

रैस्टोरैंट के हौल में दाखिल हो कर सुमिता ने इधरउधर देखा. सारी मेजें भरी हुई थीं. वह इस रैस्टोरैंट की रैगुलर कस्टमर थी. स्टाफ उस को पहचानता था. हैडवेटर भी तनिक शर्मिंदा था. वह मन ही मन सोच रहा था, ‘मोटा टिप देने वाली मैडम को आज कोई मेज खाली नहीं मिली.’

‘‘मैडम…’’ आ कर वह सौरी बोलता इस से पहले ही सुमिता ने कहा, ‘‘डोंट माइंड, आज रश है.’’

वह जैसे ही वापस जाने को मुड़ी तभी उस की नजर हौल के तनहा कोने में बैठे एक गंभीर सूरत वाले नौजवान पर पड़ी. खयालों में खोया वह नवयुवक फ्रूट जूस के गिलास से धीरेधीरे चुसकियां ले रहा था.

वह तनहा कोना सुमिता को बहुत पसंद था मगर आज वह भी खाली नहीं था. गोल मेज के इर्दगिर्द सिर्फ 2 ही कुरसियां थीं. एक खाली थी दूसरी पर हलकीहलकी दाढ़ी और आंखों पर नजर का चश्मा लगाए गंभीर सूरत वाला वही नौजवान बैठा था.

कुछ सोच कर सुमिता उस मेज के समीप पहुंची. आगंतुक को देख कर नौजवान तनिक चौंका फिर उस ने सवालिया नजरों से सुमिता को देखा.

‘‘आप के सामने की सीट खाली है, अगर माइंड न करें तो मैं बैठ जाऊं?’’ थोड़े संकोच भरे स्वर में सुमिता ने कहा.

‘‘शौक से बैठिए, आई डोंट माइंड’’, स्थिर स्वर में नौजवान ने कहा.

सुमिता ने कुरसी खिसकाई और उस पर बैठ गई. सामने बैठा नौजवान निर्विकार ढंग से अपने फ्रूट जूस के गिलास से चुसकियां लेता रहा.

सुमिता बहुत सुंदर थी. उस का फिगर काफी सुडौल और आकर्षक था. उस को देखते ही नौजवान और अधेड़ कुत्ते की तरह लार टपकाने और जीभ लपलपाने लगते थे. मगर सामने बैठा नवयुवक उस सौंदर्य से लापरवाह था.

सुमिता एक कौल सैंटर में ऊंचे पद पर काम करती थी, उसे मोटी तनख्वाह मिलती थी. वह सैरसपाटा करने, खानेपीने के लिए कभी अकेली तो कभी किसी सहेली या सहयोगी के साथ इस रैस्टोरैंट में आतीजाती थी. यह रैस्टोरैंट उसे काफी पसंद था.

तभी उस का स्थायी वेटर उस के सामने आ गया.

‘‘मैडम…’’

यह सुनते ही सुमिता ने एक क्षण सामने देखा. सामने बैठा नवयुवक फ्रूट जूस पी कर गिलास मेज पर रख कर मैन्यू पढ़ रहा था.

‘‘माई और्डर इज सेम.’’

सिर हिलाता वेटर लौट गया. थोड़ी देर बाद वेटर उस  पसंदीदा लाइट ड्रिंक और फ्रैंच फ्राइज की प्लेट रख कर चला गया.

उस नवयुवक ने भी अपना और्डर दे दिया. वेटर उस का और्डर भी सर्व कर गया. नवयुवक खातापीता रहा. थोड़ी देर बाद सुमिता का खाने का और्डर भी सर्व हो गया. वेटर उस की पसंद जानता था.

आमनेसामने बैठे खापी रहे दोनों नौजवान युवकयुवती थे. युवती मन ही मन सोच रही थी कि नौजवान उस की तरफ ललचाई नजरों से अवश्य देखेगा, लार टपकाएगा व उस पर लाइन मारने की कोशिश करेगा. मगर एक यंत्रचलित पुतले के समान सामने बैठा नौजवान बिना किसी भाव के खातापीता रहा.

बिल अदा कर सुमिता उठ कर खड़ी हुई लेकिन अभी तक वह नवयुवक खाना खा ही रहा था. ‘अजीब आदमी है, शायद सैडिस्ट है.’ सोचती हुई वह बाहर आ गई.

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थोड़े दिन बाद एक शौपिंग मौल की लिफ्ट में जाते समय उस का सामना फिर से उसी सैडिस्ट से हो गया. पहले की तरह वह अब भी निर्विकार था.

‘‘अरे, वह नौजवान या तो कोई फिलौसफर होगा या फिर इंपोटैंट व्यक्ति.’’ उस की कौल सैंटर की सहयोगी नीरू ने कहा.

‘‘अरे, अगर वह इंपोटैंट हुआ या फिलौसफर तब भी इस के किसी का काम का नहीं है,’’ शालू ने कहा.

‘‘वैसे क्या तेरी उस में दिलचस्पी है,’’ नीरू ने शरारत भरी नजरों से उस की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘अरे, इस के ईगो पर चोट पहुंची है, क्योंकि वह न तो इस के फिगर से इंप्रैस हुआ न ही बातों से. इस को उम्मीद थी कि वह इस को देखते ही ललचाएगा, लार टपकाएगा, मगर उस ने तो इस की तरफ ध्यान से देखा भी नहीं,’’ शालू का तीर निशाने पर लगा.

पहले सुमिता तिलमिलाई फिर खिलखिला कर हंस पड़ी. उस के साथ सभी सहेलियां हंस पड़ीं.

‘‘अगर वह युवक तुझ से इंप्रैस हो जाए और दोस्ती कर ले तब क्या खिलाएगी,’’ मीनाक्षी ने शरारत से कहा.

‘‘इस के पसंदीदा रैस्टोरैंट में लंच करेेंगे,’’ एक सहेली ने कहा.

‘‘लंच का टाइम तो अब भी हो गया है,’’ नीरू की इस बात पर सब सहेलियां अपनाअपना टिफिन खोलने लगीं.

शाम को सब का कार्यक्रम हलके जलपान का बन गया. सब उसी रैस्टोरैंट में पहुंचीं. तभी सुमिता की नजर एक कोने में मेज के करीब बैठे नौजवान पर पड़ी. सभी ने उस की नजर का अनुसरण किया.

‘‘अरे, क्या वही फिलौसफर तो नहीं,’’ नीरू ने कहा.

‘‘वही है.’’

‘‘चलो, हम उस से इंट्रोडक्शन करती हैं.’’

सुमिता पहले तो सकुचाई, लेकिन फिर वह उन के साथ उस नौजवान की मेज के समीप पहुंची.

‘‘हैलो, हैंडसम,’’ सुंदर नवयुवतियों को एकसाथ मेज के पास आ कर खड़े होने और बेबाकी से उस को हैलो, बोलता देख नौजवान सकपकाया.

‘‘हैलो,’’ सुमिता को देख उस की आंखों में पहचान के भाव उभरे मगर वह असमंजस में पड़ा उन को देखता रहा.

‘‘यह आप से पहले भी मिल चुकी है, यह कहती है कि आप शायद कोई फिलौसफर हैं इसलिए हम आप से परिचय करना चाहते हैं,’’ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘ओह, श्योर. बैठिए,’’ सामने पड़ी कुरसी की तरफ इशारा करते हुए उस नौजवान ने कहा. सामने एक ही कुरसी थी

3 कुरसियां और लग गईं. ‘‘आप का नाम,’’ उस नौजवान से नीरू ने पूछा.

‘‘मोहित,’’ संक्षिप्त सा जवाब मिला.

‘‘आप क्या करते हैं,’’ दूसरा सवाल मीनाक्षी का था.

‘‘मैं आर्टिस्ट हूं. विज्ञापन कंपनियों के लिए डिजाइन बनाता हूं.’’

‘‘आर्टिस्ट भी फिलौसफर ही होता है,’’ इस टिप्पणी पर सब सहेलियां हंस पड़ीं.

‘‘मेरे मामाजी कहते हैं लेखन, चित्रकला, फिलौसफी सब असामान्य मस्तिष्क के लोगों के काम ही होते हैं,’’ शेफाली की इस बात पर सब सहेलियां फिर हंस पड़ीं. मोहित भी मुसकरा पड़ा.

‘‘अरे, तू भी तो कुछ बोल, असल फिलौसफर तो तू है,’’ नीरू ने सुमिता को कहा.

‘‘मिस्टर, आप का स्टूडियो कहां है?’’ पहली बार सुमिता ने सवाल किया.

इस पर मोहित ने अपने पर्स से एक विजिटिंग कार्ड निकाल कर थमा दिया.

‘‘अब आप हमें कुछ खिलाएंगे या फिर हम आप की खिदमत करें,’’ नीरू ने आंखें मटकाते हुए कहा.

इस पर मोहित हलका सा हंसा और सिर झुकाते हुए बोला, ‘‘फरमाइए, आप की खिदमत में क्या पेश करूं?’’

उस की इस अदा पर सब खिलखिला कर हंस पड़े. फिर सब ने मैन्यू पढ़ कर अपनीअपनी पसंद का और्डर दिया. हलकीफुलकी बातें करतेकरते हंसते हुए खायापिया. अच्छाखासा बिल आया जो मोहित ने मुसकराते हुए अदा किया. फिर अपने कौल सैंटर का पता और सुमिता का मोबाइल नंबर दे कर सब चली आईं.

मोहित अपने स्टूडियो में बैठा सोच रहा था कि वह कंप्यूटर पर ग्राफिक डिजाइन बनाता था. कभी यह काम कागज और ब्रश से होता था. मगर अब सब कंप्यूटर से होता है.

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वह तनहाई पसंद, खुद तक सीमित रहने वाला युवक था. उस का सामाजिक दायरा सीमित था. मूल रूप से वह

एक चित्रकार था. रोजीरोटी के लिए वह  आर्टिस्ट बन विज्ञापन कंपनियों को छोटेछोटे क्रिएटिव डिजाइन, स्कैच बना कर देता था.

30 वर्ष का होने पर भी वह कुंआरा था. कभी आगे बढ़ कर उस ने किसी लड़की से दोस्ती नहीं की थी. अभी तक विवाह न होने का कारण यही था. अपने रिजर्व नेचर की वजह से वह किसी लड़की को पसंद नहीं कर पाता था और न ही कोई लड़की उसे पसंद कर पाती थी.

मगर आज का किस्सा कुछ अजीब सा था. कुछ दिन पहले एक सुंदर सी लड़की उसे रैस्टोरैंट में मिली थी, फिर लिफ्ट में, मगर अपने स्वभाव के कारण वह उस की तरफ ध्यान नहीं दे पाया और चुपचाप बैठा रहा था. अब उस को क्या पता था कि एक दिन उस की यही खुद में सीमित रहने की प्रवृत्ति आकर्षण का कारण बन जाएगी.

सुमिता भी यही सोच रही थी कि दर्जनों पुरुष मित्र होने पर भी उस को कोई प्रभावित नहीं कर पाया था और इस का सब से अहम कारण था कि हर कोई उस पर ललचाई दृष्टि डालता था.

कुछ दिन बाद वह मोहित के स्टूडियो में जा पहुंची. मोहित कंप्यूटर पर ग्राफिक्स बना रहा था. अन्य कंप्यूटरों पर उस के कई सहायक काम कर रहे थे. इन में 3-4 लड़कियां भी थीं.

‘‘अरे, आप… आइएआइए, तशरीफ रखिए,’’सुमिता को देख कर मोहित खिल उठा.

ठंडा पीते हुए सुमिता ने इधरउधर नजर डाली. स्टूडियो में एक तरफ स्टैंड पर कैनवास से बने खाली और अर्धनिर्मित चित्र भी थे.

‘‘क्या कंप्यूटर के जमाने में आप तुलिका और कैनवास पर भी काम करते हैं?’’ उस ने पूछा.

‘‘जो रचनात्मकता ब्रश और कैनवास पर आती है. वह कंप्यूटर के डिजाइन या ग्राफिक्स में नहीं आ सकती.’’

‘‘लेकिन आजकल तो अधिक चलन कंप्यूटर से बनी डिजाइनों का है.’’

‘‘वह तो है, मगर इस तरह बने किसी डिजाइन या तसवीर में वह आत्मा नहीं होती, जो ब्रश से बने चित्र में होती है.’’

मोहित की इस बात को सुन कर सुमिता समझ गई कि मोहित एक चित्रकार के साथसाथ पक्का दार्शनिक भी है. इस के बाद हलकीफुलकी बातें कर सुमिता चली आई.

स्टूडियो में सुमिता का आनाजाना बढ़ गया और अब दोनों शाम को काम समाप्त होने के बाद घूमनेफिरने भी जाने लगे.

सुमिता को उस का सहज, स्वाभाविक स्वभाव और खुद में खोए रहने की प्रवृत्ति पसंद आई. मोहित भी उस से प्रभावित हुआ. वह एक बार उस के कौल सैंटर भी आया मगर वहां का व्यावसायिक और व्यस्त माहौल उस को पंसद नहीं आया.

सुमिता सोचती कि वह मोहित से विवाह संबंधी बात करे या फिर वह ही उस को प्रपोज करेगा.

एक शाम मोहित के पास एक बड़ी विज्ञापन कंपनी का फोन आया.

‘‘मिस्टर मोहित, काैंग्रेचुलेशन.’’

‘‘फौर व्हाट?’’

‘‘पिछले महीने आप के बनाए लैंडस्केप डिजाइन को इंटरनैशनल नैचुरल डिजाइन कौंटैस्ट में पहला अवार्ड मिला है, आप को एक सप्ताह का स्विट्जरलैंड भ्रमण का इनाम मिला है.’’

इस पर मोहित आश्चर्य में पड़ गया.

‘‘मगर मैं तो कभी बाहर घूमने नहीं गया.’’

‘‘कोई बात नहीं, अब हो आइए.’’

‘‘मेरे पास तो पासपोर्ट भी नहीं है.’’

‘‘आजकल पासपोर्ट 3 दिन में बन जाता है.’’

नियत दिन मोहित भ्रमण के लिए हवाईजहाज पर सवार हुआ, उस के साथ अन्य शहरों से आए कई चित्रकार और आर्टिस्ट भी थे. भ्रमण टूर का कांट्रैक्ट एक टूरिज्म कंपनी ने लिया था.

हवाईजहाज उड़ते ही सब को सीट बैल्ट बांधने की हिदायत दी गई. साथ ही लैमन जूस या टौफी चूसने को दी गईं. हवाई सफर लगभग 7 घंटे का था. पहले हलका नाश्ता सर्व हुआ. फिर दोपहर का भोजन मिला.

‘‘मिस्टर, आप वैज लेंगे या नौनवैज,’’ एक खूबसूरत व्योमबाला ने मोहित के समीप आ कर पूछा. किसी खयाल में खोया मोहित एकदम चौंका और बोला, ‘‘मैं दोनों ही खा लेता हूं, जो अच्छा बना है ले आइए.’’

उस के इस जवाब पर आगेपीछे और सामने की कतार में बैठे यात्री हंस पड़े. व्योमबाला भी हंस पड़ी.

‘‘मिस्टर, हवाईजहाज में खाना किचन में नहीं बनता बल्कि बंद पैकेट्स में सप्लाई होता है. आप अगर वैजिटेरियन पैकेट मांगेंगे तो वैजिटेरियन मिलेगा और नौनवैज मांगेंगे तो वही मिलेगा.’’

‘‘ठीक है, नौनवैज ही दे दो.’’

एयरहोस्टैस एक पैकेट और एक खाली प्लेटचम्मच उसे थमा कर आगे बढ़ गई. अगली सीट के पीछे फोल्डिंग टेबल का इंतजाम था. सहयात्री की देखादेखी मोहित ने भी मेज खींच ली और उस पर प्लेट रख कर पैकेट खोला.

फिर आइसक्रीम व कौफी सर्व हुई. व्योमबाला एक ट्रौली में यह सब सर्व कर रही थी. उस का पाला पहली बार हवाईजहाज की यात्रा करने वाले यात्रियों से पड़ता ही रहता था. उसे मोहित जैसे यात्री मिलते ही रहते थे.

जहाज हवाईअड्डे पर उतरा तब तक शाम ढल आई थी जहां से मुख्य शहर काफी दूर था. एक स्टेशन वैगन में अनेक यात्री सवार हुए. व्योमबाला एक एयरबैग थामे आ गई और संयोग से उसे मोहित के बगल में सीट मिली.

‘‘क्या आप स्विट्जरलैंड पहली बार आए हैं?’’ एयरहोस्टैस ने बातचीत शुरू की.

‘‘मैं हवाईजहाज में पहली बार सवार हुआ हूं.’’

‘‘आप यहां क्या करने आए हैं?’’ बेहतरीन दाढ़ी बढ़ाए मस्तमौला नजर आने वाले सुंदर नैननक्श वाले युवक की तरफ गौर से देखते व्योमबाला ने पूछा.

‘‘मैं एक आर्टिस्ट हूं. विज्ञापन कंपनियों के लिए ग्राफिक्स और डिजाइन बनाता हूं. हाल ही में मेरे एक डिजाइन को एक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है. इस के लिए एक सप्ताह के लिए स्विट्जरलैंड भ्रमण का इनाम मिला है.’’

व्योमबाला प्रशंसात्मक नजरों से उस की तरफ देखने लगी.

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‘‘आप तो नियमित आती रहती होंगी.’’

‘‘जी हां, हमारा तो प्रोफैशन ही ऐसा है.’’

‘‘यहां कब तक ठहरेंगी?’’

‘‘3 दिन, वापसी के पूरे यात्री मिलने में 3 दिन लग ही जाते हैं.’’

‘‘समय बिताने के लिए आप क्या करती हैं?’’

‘‘यहां समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता. सारा स्विट्जरलैंड बहुत खूबसूरत है. बर्फ पर स्कीइंग करते, पहाड़ों पर ऐक्सपिडिशन करते और बड़ी झील में बोट चलाते समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता,’’ व्योमबाला ने कहा.

इस तरह हलकीफुलकी बातें होती रहीं. मुख्य शहर बर्न आधे घंटे बाद आया. एक तीनसितारा होटल में ठहरने का इंतजाम था. व्योमबाला और उस के क्रू के अनेक साथी नियमित आतेजाते थे, इसलिए स्टाफ उन्हें पहचानता था.

अगले दिन साइट सीइंग के लिए भ्रमण दल एक टूरिस्ट बस में सवार हुआ. सचमुच सारा स्विट्जरलैंड ही खूबसूरत था. व्योमबाला भी साथ थी.

मोहित और उस की मुलाकात हलकीफुलकी दोस्ती में बदल गई.

‘‘आप का क्या नाम है,’’ रैस्टोरैंट में मैन्यू पढ़ते मोहित ने पूछा.

‘‘सुमिता वालिया, और आप का?’’

‘‘मेरा नाम तो मोहित है,’’ मोहित उस की तरफ अपलक देख रहा था. उस के इस तरह देखने पर सुमिता वालिया तनिक चौंकी और उस ने पूछा, ‘‘आप इस तरह मेरी तरफ क्यों देख रहे हैं?’’

‘‘एक ही महीने में 2-2 लड़कियों से वास्ता पड़ा और संयोग से दोनों का नाम भी सुमिता है.’’

इस पर सुमिता वालिया खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘‘वह दूसरी सुमिता कौन है,’’ उस ने मोहित से जानना चाहा.

‘‘वह एक कौल सैंटर में काम करती है. एक बार रैस्टोरैंट में मेज खाली नहीं थी तो मेरे समीप ही आ कर बैठी थी. फिर पता नहीं मुझ पर कैसे आकर्षित हो गई थी.’’

‘पता नहीं कैसे आकर्षित हो गई थी,’ कहने पर सुमिता वालिया ने उस की तरफ गौर से देखा. क्या कभी मोहित ने अपने व्यक्तित्व पर गौर नहीं किया.

रैस्टोरैंट का माहौल मोमबत्तियों के मद्धिम प्रकाश में बहुत रोमानी हो गया था. हलकेफुलके ड्रिंक्स के बाद एकदूसरे की पसंद का खाना खाया गया. खाने के बाद टहलने का प्रोग्राम बना. बाहर हलकीहकी बर्फबारी हो रही थी.

‘‘आप भारी गरम कपड़े नहीं लाए.’’ मोहित के हलके पुलओवर की तरफ देखते हुए सुमिता वालिया ने कहा.

‘‘मैं कभी ऐसी जगह आया ही नहीं.’’

‘‘चलिए, मेरे पास ऐक्स्ट्रा ओवर कोट है,’’ सुमिता के साथ मोहित उस के होटल के कमरे में चला गया. ओवरकोट उसे फिट आ गया.

हलकी बर्फबारी में दोनों काफी देर तक इधरउधर घूमते रहे. घूमतेघूमते सुमिता स्वयं को मोहित के गले में बांहें डाले देखने लगी. शहर के एक किनारे पर काफी बड़ी झील थी. जिस की दूसरी सीमा साथ लगते जरमनी को छूती थी.

‘‘कल मुझे वापस जाना है,’’ सुमिता ने कहा.

‘‘मेरा अभी 4 दिन का भ्रमण बाकी है.’’

‘‘कहां घूमोगे?’’

‘‘क्या पता? यह तो भ्रमण टूर का संचालक बताएगा.’’

शायद सुमिता वालिया कहना चाहती थी कि अगर ठहरती तो भ्रमण और भी सुखद रहता मगर वह खामोश रही. अपनाअपना मोबाइल नंबर दे कर दोनों ने विदा ली.

भ्रमण समाप्त कर मोहित भी सप्ताहांत में लौट आया. थोड़ेथोड़े अंतराल पर कौल सैंटर में कार्यरत सुमिता भी आती रही. दोनों पहले की तरह ही शाम को खानेपीने, घूमनेफिरने को निकलते रहे.

एक शाम व्योमबाला सुमिता वालिया का फोन आया. उस ने मोहित को शाम के खाने के लिए आमंत्रित किया. स्थान वही था जहां कौल सैंटर वाली सुमिता मिली थी. यह जान कर मोहित की स्थिति बड़ी खराब हो गई, क्योंकि उसी शाम उस का दूसरी सुमिता के साथ खाने का प्रोग्राम था और स्थान वही था. अब वह क्या करे? कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

व्योमबाला को तो कौल सैंटर वाली सुमिता के बारे में बता दिया था मगर व्यस्तता के कारण कौल सैंटर वाली सुमिता को व्योमबाला सुमिता के बारे में नहीं बता पाया था.

‘जो होगा देखा जाएगा,’ इस विचार को ले कर वह वहां जाने के लिए तैयार होने लगा. पहले वह कभी भी शाम को घूमने जाते समय तैयार नहीं होता था मगर जब से उस की दोस्ती सुमिता से हुई और अब व्योमबाला से तब से वह अपने व्यक्तित्व की तरफ ध्यान देने लगा था.

शानदार काले ईवनिंग सूट और मैच करती टाई लगाए कीमती परफ्यूम से महकता मोहित रैस्टोरैंट में पहुंचा. व्योमबाला एक रिजर्व टेबल पर बैठी उस का इंतजार कर रही थी. मोहित को देखते ही चौंक पड़ी. उस का व्यक्तित्व एकदम से बदल गया. कहां तो वह एक बेतरतीब, मस्तमौला सा साधारण कपड़े पहनने वाला नौजवान और अब कहां यह एकदम से अपटूडेट सूटबूटटाई में सजाधजा नौजवान.

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‘‘हैलो,’’ दोनों ने एकदूसरे से हाथ मिलाया.

‘‘बहुत अच्छे लग रहे हो, एकदम शहजादा गुलफाम की तरह,’’ व्योमबाला ने मोहित को देखते हुए कहा.

अपनी तारीफ से कौन खुश नहीं होता, इसलिए मोहित भी यह सुन कर खुश हो गया.

‘‘आप भी तो बला की दिलकश और हसीन नजर आ रही हैं,’’ व्योमबाला हलकी नीले रंग की शिफौन साड़ी पहने हुए थी और उस से मैच करता लो कट ब्लाऊज और मैच करती हलकी ज्वैलरी सचमुच उस के सौंदर्य में चार चांद लगा रही थी.

(क्रमश:)

‘हमको तुम मिल गए’ गाने में दिखी हिना खान और धीरज धूपर की रोमांटिक कैमेस्ट्री, Video Viral

बीते दिनों सीरियल नागिन 5 में एक्ट्रेस हिना खान और एक्टर धीरज धूपर की जोड़ी फैंस को काफी पसंद आई थी, जिसके बाद दोनों ने अपने नए म्यूजिक वीडियो ‘हमको तुम मिल गए’ की झलक दिखा कर फैंस को बेताब कर दिया है. वहीं इस गाने में दोनों की रोमांटिक कैम्स्ट्री सोशलमीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं गाने की झलक…

फैंस को पसंद आया हिना का रोमांटिक अंदाज

टीवी एक्ट्रेस हिना खान अपनी नई म्यूजिक वीडियो ‘हमको तुम मिल गए’ के जरिए लोगों का मनोरंजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. कुछ समय पहले ही हिना खान ने अपने नए गाने ‘हमको तुम मिल गए’ का टीजर फैंस के साथ साझा किया. वीडियो में हिना खान टीवी एक्टर धीरज धूपर के साथ रोमांस करती नजर आ रही हैं. दोनों का ये अंदाज फैंस को बहुत पसंद आ रहा है.

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नागिन 5 में बने थे दुश्मन

‘नागिन 5’ में हिना खान और धीरज धूपर एक दूसरे के दुश्मन बने थे लेकिन इस म्यूजिक वीडियो में ये दोनों कलाकार पति-पत्नी के रुप में नजर आ रहे हैं. वीडियो का टीजर शेयर करते हुए हिना खान ने ये बात फैंस को बता दी है कि उनका गाना ‘हमको तुम मिल गए’ 15 सितंबर को रिलीज होने वाला है. हिना खान के इस खुलासे ने फैंस की बेताबी और भी ज्यादा बढ़ा दी है.

वाइट गाउन में नजर आईं हिना

हाल ही में हिना खान का एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में हिना खान व्हाइट गाउन में दुल्हन की तरह तैयार होकर झूमती हुईं नजर आ रही हैं. वहीं हिना खान काफी खूबसूरत लग रही हैं.

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बता दें, नागिन 5 में हिना खान के गेस्ट अपीयरियंस होने के कारण फैंस को काफी निराशा हुई थी, लेकिन सुरभि चंदना की एक्टिंग ने दोबारा फैंस का दिल जीत लिया है.

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