Stories : जानलेवा चुनौती – अमीर को कौनसा सबक मिला

Stories : यह कहानी बंटवारे से पहले अंगरेजी राज की है. उस समय लोगों के स्वास्थ्य बहुत अच्छे
हुआ करते थे. बीड़ीसिगरेट, वनस्पति घी का प्रयोग नहीं हुआ करता था. उस जमाने के लोग बहुत निडर होते थे. हत्या, डकैती की कोई घटना हो जाती थी तो पुलिस और जनता उस में रुचि लिया करती थी. गांवों में पुलिस आ जाती तो पूरे गांव में खबर फैल जाती कि थाना आया हुआ है.

एक अंगरेज डिप्टी कमिश्नर इंग्लैंड से रावलपिंडी स्थानांतरित हो कर आया था. जब भी कोई नया अंगरेज अधिकारी आता तो उसे उस इलाके की पूरी जानकारी कराई जाती थी, जिस से वह अच्छा कार्य कर के अपनी सरकार का नाम ऊंचा कर सके. उस अंगरेज डिप्टी कमिश्नर को बताया गया कि भारत में अनोखी घटनाएं होती हैं, जिन में डाके और चोरियां शामिल हैं. अपराधियों की खोज करना बहुत कठिन होता है. कई घटनाएं ऐसी होती हैं कि सुन कर हैरानी होती है.

नए अंगरेज डिप्टी कमिश्नर ने एसपी से कहा कि मेरे बंगले पर 24 घंटे पुलिस की गारद रहती है साथ ही 2 खूंखार कुत्ते भी. इस के अलावा मेरे इलाके में पुलिस भी रहती है. रात भर लाइट जलती है, क्या ऐसी हालत में भी चोर मेरे घर में चोरी कर सकता है?

एसपी ने जवाब दिया कि ऐसे में भी चोरी की संभावना हो सकती है. अंगरेज डिप्टी कमिश्नर ने कहा, ‘‘मैं इस बात को नहीं मानता, इतनी सावधानी के बावजूद कोई चोरी कैसे कर सकता है?’’

एसपी ने कहा, ‘‘अगर आप आजमाना चाहते हैं तो एक काम करें. एक इश्तहार निकलवा दें, जिस में यह लिखा जाए कि अंगरेज डिप्टी कमिश्नर के बंगले पर अगर कोई चोरी कर के निकल जाए, तो उसे 500 रुपए का नकद ईनाम दिया जाएगा. अगर वह पुलिस या कुत्तों द्वारा मारा जाता है तो अपनी मौत का वह स्वयं जिम्मेदार होगा. अगर वह मौके पर पकड़ा या मारा नहीं गया तो पेश हो कर अपना ईनाम ले सकता है. उसे गिरफ्तार भी नहीं किया जाएगा और न ही कोई सजा दी जाएगी.’’

डिप्टी कमिश्नर ने एसपी की बात मान ली. इश्तहार छपा कर पूरे शहर में लगा दिए गए. इश्तहार निकलने के 2 महीने बाद यह बात उड़तेउड़ते चकवाल गांव भी पहुंची. उस जमाने में गांवों के लोग शाम को चौपालों पर एकत्र हो कर गपशप किया करते थे. चकवाल की एक ऐसी चौपाल पर अमीर नाम का आदमी बैठा हुआ था, जो 10 नंबरी था.

उस ने वहीं डिप्टी कमिश्नर के इश्तहार वाली बात सुनी. उस ने लोगों से पूछा कि 2 महीने बीतने पर भी वहां चोरी करने कोई नहीं आया क्या? एक आदमी ने उसे बताया कि पिंडी से आए एक आदमी ने बताया था कि उस बंगले में किसी की हिम्मत नहीं है जो चोरी कर सके. वहां चोरी करने का मतलब है अपनी मौत का न्यौता देना.

अमीर ने उसी समय फैसला कर लिया कि वह उस बंगले में चोरी जरूर करेगा. अंगरेज डिप्टी कमिश्नर को वह ऐसा सबक सिखाएगा कि वह पूरी जिंदगी याद रखेगा. उस ने अपनी योजना के बारे में सोचना शुरू कर दिया.

कुत्तों के लिए उस ने बैलों के 2 सींग लिए और देशी घी की रोटियों का चूरमा बना कर उन सींगों में इस तरह से भर दिया कि कुत्ते कितनी भी कोशिश करें, रोटी न निकल सकें. उस जमाने में रेल के अलावा सवारी का कोई साधन नहीं था. गांव के लोग 30-40 मील तक की यात्रा पैदल ही कर लिया करते थे.
चूंकि अमीर 10 नंबरी था इसलिए कहीं बाहर जाने से पहले इलाके के नंबरदार से मिलता था. इसलिए अमीर सुबह जा कर उस से मिला, जिस से उसे लगे कि अमीर गांव में ही है. चकवाल से रावलपिंडी का रास्ता ज्यादा लंबा नहीं था. अमीर दिन में ही पैदल चल कर डिप्टी कमिश्नर की कोठी के पास पहुंच गया.
उस ने संतरियों को कोठी के पास ड्यूटी करते हुए देखा. बंगले के बाहर की दीवार आदमी की कमर के बराबर ऊंची थी. बंगले के अंदर संतरों के पेड़ थे, और बड़ी संख्या में फूलों के पौधे भी थे.

बंगले के चारों ओर लंबेलंबे बरामदे थे, बरामदे के 4-4 फुट चौड़े पिलर थे. अमीर को अंदर जा कर कोई भी चीज चुरानी थी और यह साबित करना था कि भारत में एक ऐसी भी जाति है, जो बहुत दिलेर है और जान की चिंता किए बिना हर चैलेंज कबूल करने के लिए तैयार रहती है.
जब आधी रात हो गई तो वह बंगले की दीवार से लग कर बैठ गया और संतरियों की गतिविधि देखने लगा. जिन सींगों में घी लगी रोटियों का चूरमा भरा था, उस ने वे सींग बड़ी सावधानी से अंदर की ओर रख दिए. वह खुद दीवार से 10-12 गज दूर सरक कर बैठ गया. कुत्तों को घी की सुगंध आई तो वे सींगों में से चूरमा निकालने में लग गए. फिर दोनों कुत्ते सींगों को घसीटते हुए काफी दूर अंदर ले गए.
अब अमीर ने संतरियों को देखा, वे 4 थे. बरामदे में इधर से उधर घूमते हुए थोड़ीथोड़ी देर के बाद एकदूसरे को क्रौस करते थे. संतरी रायफल लिए हुए थे और उन्हें ऐसा लग रहा था कि 2 महीने से भी ज्यादा बीत चुके हैं. अब किसी में यहां आने की हिम्मत नहीं है. वैसे भी वह थके हुए लग रहे थे.

अमीर दीवार फांद कर पौधों की आड़ में बैठ गया. वह ऐसे मौके की तलाश में था जब संतरियों का ध्यान हटे और वह बरामदे से हो कर अंदर चला जाए. उसे यह मौका जल्दी ही मिल गया. क्रौस करने के बाद जब संतरियों की पीठ एकदूसरे के विपरीत थी, अमीर जल्दी से कूद कर बरामदे के पिलर की आड़ में खड़ा हो गया.

अमीर फुर्तीला था. दौड़ता हुआ ऐसा लगता था, मानो जहाज उड़ा रहा हो. उसे यकीन था कि काम हो जाने के बाद अगर वह बंगले के बाहर निकल गया तो संतरियों का बाप भी उसे पकड़ नहीं पाएगा.
दूसरा अवसर मिलते ही वह कमरे का जाली वाला दरवाजा खोल कर कमरे में पहुंच गया. लकड़ी का दरवाजा खुला हुआ था. चारों ओर देख कर वह बंगले के बीचों बीच वाले कमरे के अंदर पहुंचा. उस ने देखा कमरे के बीच में बहुत बड़ा पलंग था. उस पर एक ओर साहब सोया हुआ था और दूसरी ओर उस की मेम सो रही थी. मध्यम लाइट जल रही थी.

कमरे में लकड़ी की 2-3 अलमारियां थीं, चमड़े के सूटकेस भी थे. उस ने एक सूटकेस खोला, उस में चांदी के सिक्के थे. उस ने एकएक कर के सिक्के अपनी अंटी में भरने शुरू कर दिए. जब अंटी भर गई तो उस ने मजबूती से गांठ बांध ली. वह निकलने का इरादा कर ही रहा था कि उस की नजर सोई हुई मेम के गले की ओर गई, जिस में मोतियों की माला पड़ी थी.

मध्यम रोशनी में भी मोती चमक रहे थे. उस ने सोचा अगर यह माला उतारने में सफल हो गया तो चैलेंज का जवाब हो जाएगा. मेम और साहब गहरी नींद में सोए हुए थे. उस ने देखा कि माला का हुक मेम की गरदन के दाईं ओर था. उस ने चुपके से हुक खोलने की कोशिश की. हुक तो खुल गया, लेकिन मेम ने सोती हुई हालत में अपना हाथ गरदन पर फेरा और साथ ही करवट बदल कर दूसरी ओर हो गई.
अब माला खुल कर उस की गरदन और कंधे के बीच बिस्तर पर पड़ी थी, अमीर तुरंत पलंग के नीचे हो गया. 5 मिनट बाद उसे लगा कि अब मेम फिर गहरी नींद में सो गई. उस ने पलंग के नीचे से निकल कर धीरेधीरे माला को खींचना शुरू कर दिया. माला निकल गई. उस ने माला अपनी लुंगी की दूसरी ओर अंटी में बांध ली.

अमीर जाली वाले दरवाजे की ओट में देखता रहा कि संतरी कब इधरउधर होते हैं. उसे जल्दी ही मौका मिल गया. वह जल्दी से खंभे की ओट में खड़ा हो कर बाहर निकलने का मौका देखने लगा. कुत्ते अभी तक सींग में से रोटी निकालने में लगे हुए थे.

उसे जैसे ही मौका मिला, वह दीवार फांद कर बाहर की ओर कूद कर भागा. संतरी होशियार हो गए और जल्दबाजी में अंटशंट गोलियां चलाने लगे. लेकिन उन की गोली अमीर का कुछ नहीं बिगाड़ सकीं. वह छोटे रास्ते से पगडंडियों पर दौड़ता हुआ रात भर चल कर अपने घर पहुंच गया.

बाद में अमिर को पता लगा कि गोलियों की आवाज सुन कर मेम और साहब जाग गए थे. जागते ही उन्होंने कमरे में चारों ओर देखा. सिक्कों की चोरी को उन्होंने मामूली घटना समझा. लेकिन जब मेम साहब ने अपनी माला देखी तो उस ने शोर मचा दिया. वह कोई साधारण माला नहीं थी, बल्कि अमूल्य थी.

एसपी साहब और नगर के सभी अधिकारी एकत्र हो गए. उन्होंने नगर का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन चोर का पता नहीं लगा. अंगरेज डिप्टी कमिश्नर हैरान था कि इतनी सिक्योरिटी के होते हुए चोरी कैसे हो गई. उस ने कहा कि चोर हमारी माला वापस कर दे और अपनी 5 सौ रुपए के इनाम की रकम ले जाए. साथ में उसे एक प्रमाणपत्र भी मिलेगा.
इश्तहार लगाए गए, अखबारों में खबर छपाई गई लेकिन 6 माह गुजरने के बाद भी चोर सामने नहीं आया. दूसरी तरफ मेमसाहब तंग कर रही थी कि उसे हर हालत में अपनी माला चाहिए. माला की फोटो हर थाने में भिजवा दी गई. साथ ही कह दिया गया कि चोर को पकड़ने वाले को ईनाम दिया जाएगा.

उधर अमीर चोरी के पैसों से अपने घर का खर्च चलाता रहा, उस समय चांदी का एक रुपया आज के 2-3 सौ से ज्यादा कीमत का था. अमीर के घर में पत्नी और एक बेटी थी, बिना काम किए अमीर को घर बैठे आराम से खाना मिल रहा था. उस ने सोचा, पेश हो कर अपने लिए क्यों झंझट पैदा करे, हो सकता है उसे जेल में डाल दिया जाए.

उस की पत्नी ने माला को साधारण समझ कर एक मिट्टी की डोली में डाल रखा था. एक दिन उस ने उस माला के 2 मोती निकाले और पास के एक सुनार के पास गई. उस ने सुनार से कहा कि उस की बेटी के लिए 2 बालियां बना दे और उन में एक मोती डाल दे. सुनार ने उन मोतियों को देख कर अमीर की पत्नी से कहा, ‘‘यह मोती तो बहुत कीमती हैं. तुम्हें ये कहां से मिले?’’

उस ने झूठ बोलते हुए कहा, ‘‘मेरा पति गांव के तालाब की मिटटी खोद रहा था, ये मोती मिट्टी में निकले हैं. मैं ने सोचा बेटी के लिए बालियां बनवा कर उस में ये मोती डाल दूं, इसलिए तुम्हारे पास आई हूं.’’ सुनार ने उस की बातों पर यकीन कर के बालियां बना दीं. उस ने अपनी बेटी के कानों में बालियां पहना दीं.
दुर्भाग्य से एक दिन अमीर की बेटी अपने घर के पास बैठी रो रही थी. तभी एक सिपाही जो किसी केस की तफ्तीश के लिए नंबरदार के पास जा रहा था, उस ने रास्ते में अमीर के घर के सामने लड़की को रोते हुए देखा. देख कर ही वह समझ गया कि किसी गरीब की बच्ची है, मां इधरउधर गई होगी. इसलिए रो रही होगी.

लेकिन जब उस की नजर बच्ची के कानों पर पड़ी तो चौंका. उस की बालियों में मोती चमक रहे थे. उसे लगा कि वे साधारण मोती नहीं हैं. उस ने नंबरदार से पूछा कि यह किस की लड़की है. उस ने बता दिया कि वह अमीर की लड़की है, जो दस नंबरी है.

हवलदार को कुछ शक हुआ. उस ने पास जा कर मोतियों को देखा तो वे मोती फोटो वाली उस माला से मिल रहे थे. जो थाने में आया था.

उस ने अमीर को बुलवा कर कहा कि वह बच्ची की बालियां थाने ले जा रहा है, जल्दी ही वापस कर लौटा देगा. थाने ले जा कर उस ने चैक किया तो वे मोती मेम साहब की माला के निकले. अमीर पहले से ही संदिग्ध था, नंबरी भी. उसे थाने बुलवा कर पूछा गया कि ऊपर से 10 मोती उसे कहां से मिले. सब सचसच बता दे, नहीं तो मारमार कर हड्डी पसली एक कर दी जाएगी.
पहले तो अमीर थानेदार को इधरउधर की बातों से उलझाता रहा, लेकिन जब उसे लगा कि बिना बताए छुटकारा नहीं मिलेगा तो उस ने पूरी सचाई उगल दी. उस के घर से माला भी बरामद कर ली गई.
थानेदार बहुत खुश था कि उस ने बहुत बड़ा केस सुलझा लिया है, अब उस की पदोन्नति भी होगी और ईनाम भी मिलेगा. अमीर को एसपी रावलपिंडी के सामने पेश किया गया. साथ ही डिप्टी कमिश्नर को सूचना दी गई कि मेम साहब की माला मिल गई है.

डीसी और मेम साहब ने उन्हें तलब कर लिया. मेम साहब ने माला को देख कर कहा कि माला उन्हीं की है. डिप्टी कमिश्नर ने अमीर के हुलिए को देख कर कहा कि यह चोर वह नहीं हो सकता, जिस ने उन के बंगले पर चोरी की है. क्योंकि उस जैसे आदमी की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती कि माला गले से उतार कर ले जाए.

एसपी ने अमीर से कहा कि अपने मुंह से साहब को पूरी कहानी सुनाए. अमीर ने पूरी कहानी सुनाई और बीचबीच में सवालों के जवाब भी देता रहा. उस ने यह भी बताया कि सोते में मेम साहब ने अपनी गरदन पर हाथ भी फेरा था. डिप्टी कमिश्नर ने उस की कहानी सुन कर यकीन कर लिया, साथ ही हैरत भी हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘तुम ने हमें बहुत परेशान किया है, अगर तुम उसी समय हमारे पास आ जाते तो हमें बहुत खुशी होती, लेकिन हम चूंकि वादा कर चुके हैं, इसलिए तुम्हें तंग नहीं किया जाएगा. हम तुम्हें सलाह देते हैं कि बाकी की जिंदगी शरीफों की तरह गुजारो.’’

अमीर ने वादा किया कि अब वह कभी चोरी नहीं करेगा. वह एक साधू का चेला बन गया और उस की बात पर अमल करने लगा. लेकिन कहते हैं कि चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से नहीं जाता. वह छोटीमोटी चोरी फिर भी करता रहा. धीरेधीरे उस में शराफत आती गई.

लेखक- एस.एम. खान

Kahaniyan : जय हो खाने वाले बाबा की

Kahaniyan :  घरपहुंचते ही हम ने देखा कि हमारी श्रीमतीजी अपने सामने छप्पन भोग की थाली लिए गपागप खाए जा रही थीं.

हम उन्हें देख कर खुशी से गुब्बारे की तरह फूल गए. हमारी श्रीमतीजी इतनी दुबलीपतली हैं कि एक बार उन्हें ले कर हम रेलवे स्टेशन पर गए तो वहां कमाल हो गया. वहां तोलने वाली मशीन पर उन्होंने अपना वजन जानने की जिद की तो हम ने मशीन में 1 रुपए का सिक्का डाला और उन को मशीन पर खड़ा कर दिया. थोड़ी देर में मशीन से टर्रटर्र की आवाज आई और एक टिकट निकल कर बाहर आया. उस पर लिखा था कि मुझ से मजाक मत करो. पहले मशीन पर खड़े तो हो जाओ. हम ने माथा ठोंक लिया.

श्रीमतीजी कहने लगीं, ‘‘यह मशीन झूठ बोलती है. आप खड़े हो जाइए, फिर देखते हैं कि मशीन क्या बोलती है.’’

हम ने 1 रुपए का सिक्का पुन: डाला. टर्रटर्र की आवाज के साथ एक टिकट निकला, जिस पर लिखा था कि 2 व्यक्ति एकसाथ खड़े न हों.

गुस्से में हम ने सोचा कि एक लात मशीन को मार दें, लेकिन हम जानते थे कि चोट हमारे ही पांव में लगेगी. इसलिए हम अपनी श्रीमतीजी को प्लेटफार्म घुमा कर लौट आए.

घर आ कर हम ने उन से खूब कहा कि आप खाना खाया करो, टौनिक पीया करो, लेकिन उन्होंने मुंह फेरते हुए कहा, ‘‘मेरी बिलकुल भी इच्छा नहीं होती है खाना खाने की.’’

हम उन के इस तरह दुबले होने से बेहद चिंतित थे लेकिन एक दिन जब हम शाम को घर आए और अपने सामने छप्पन भोग लगाए उन्हें गपागप खाते देखा तो हमारी बड़ी इच्छा हुई कि नाचने लगें, लेकिन शांति बनाए रहे.

प्रसन्न मुद्रा में हम ने श्रीमतीजी को देखा तो उन्होंने हमें भी छप्पन भोग खाने के लिए इशारा किया. हम ने शरीफ पति की तरह मना कर दिया. तभी परदे की ओट से किसी की हंसी की आवाज आई. हम तो डर ही गए. फिर देखा तो सामने सासूमां खड़ी थीं.

‘‘अरे, आप कब आईं?’’

‘‘आप जब सुबह औफिस गए थे, तब आई थी.’’

‘‘आप ने आने की खबर क्यों नहीं दी?’’

‘‘सोचा सरप्राइज दूंगी,’’ कह कर वे पुन: जोर से हंस पड़ीं.

‘‘अचानक कैसे आना हुआ?’’

‘‘अपने भाई के घर जा रही थी, सोचा सरला से भी मिलती चलूं… यह तो बहुत ही दुबली हो गई है.’’

‘‘फिर आप ने ऐसा क्या किया कि छप्पन भोग बनाते ही इन्हें भूख लग आई?’’ हम ने आगे बात को जोड़ते हुए कहा.

‘‘आप की यही बहुत बुरी बात है कि आप किसी की सुनते नहीं. हमारी बात खत्म तो हो जाने देते,’’ उन्होंने तनिक नाराजगी के साथ कहा.

‘‘आप ही बात पूरी कर लीजिए,’’ कहते हुए हम सोफे पर पसर गए.

सासूमां ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘मैं सुबह आई तो सरला को इतना दुबला देख कर

चकित रह गई. मैं ने इस से पूछा भी कि आखिर बात क्या है? तो इस ने कहा कि कुछ भी नहीं. मैं बड़ी परेशान थी. अचानक मुझे ध्यान आया कि आप के शहर में खाने वाले बाबा का बड़ा नाम है.’’

‘‘खाने वाले बाबा?’’ हम ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘जी हां, खाने वाले बाबा. उन का बड़ा प्रताप है. उन के पास सभी प्रकार की समस्याओं के लिए एक ही इलाज होता है.

यदि किसी की ग्रहदशा खराब हो तो वे कुत्ते से ले कर सूअर तक को खाना खिलाने को कहते हैं…’’

वे कुछ और कहतीं कि हम ने बीच में बात काट दी, ‘‘सासूमां, कुत्ता तो गले से उतर रहा है, लेकिन सूअर वाली बात…’’

‘‘आप भी क्या दामादजी बाल की खाल निकालते हैं,’’ कह कर वे झेंप गईं. फिर कहने लगीं, ‘‘बस मैं सरला को ले कर बाबाजी के दरबार में गई. पूरे 2,100 रुपए की 2 रसीदें कटवाईं और उन के सामने हाजिर हो गई. उन्होंने हमें 3 मिनट का समय दिया. वाह, क्या दरबार भरा था. होंगे हजार लोग, सब हाथ जोड़े खाने वाले बाबा की महिमा का गुणगान कर रहे थे.

‘‘एक ने बताया कि बाबाजी आप ने कहा था कि कौओं को हलवा खिलाओ, इसलिए 1 दर्जन कौओं को खोज कर 3 किलोग्राम असली घी का हलवा खिला दिया. लेकिन बाबाजी सुबह वे सब मर गए.

‘‘बाबाजी जोर से हंस दिए और कहने लगे कि बेटा, तेरे दुखदरिद्र खत्म हो गए. अब तेरी विजय ही विजय है. वह भक्त वहीं खड़ाखड़ा कांपते हुए नाचने लगा.

‘‘अगले भक्त ने बताया कि बाबाजी आप ने मुझे पड़ोसी को भोजन कराने की सलाह दी थी. कहा था पकौड़े खिलाना.

‘‘‘खिलाए या नहीं?’

‘‘‘खिलाए बाबाजी.’

‘‘‘फिर क्या हुआ?’

‘‘‘बाबाजी उस ने सुबह आ कर खूब जूते मारे.’

‘‘‘क्यों?’

‘‘‘पूरे घर वालों को दस्त लग गए थे.

वह बहुत गुस्से में था. मैं ने चुपचाप जूते खा लिए बाबाजी.’

‘‘‘ठीक किया. बेटा, ये जूते तुझे नहीं उस प्रेत आत्मा को पड़े जो तुझे आगे बढ़ने से रोक रही थी. अब वह चली गई है. तेरा भाग्य उदय होने को है, समझा? वह भक्त भी तक धिना तक कह के नाचने लगा.

‘‘जब हमारी बारी आई तो मैं ने बताया कि मेरी बेटी सरला के पास सब कुछ है, फिर भी इसे भूख नहीं लगती. यह ठीक से कुछ खाती नहीं है.

‘‘बाबाजी ने मुझ से कहा कि माताजी पूरे छप्पन मीठे भोग बना कर 2 दिनों तक खिलाओ, उस के बाद प्रताप देखना.

‘‘बाबाजी की जय हो, कह कर हम मांबेटी ने 1 मिनट तक वहां भरतनाट्यम किया और फिर घर आ गईं.

‘‘घर आ कर मैं ने छप्पन भोग बनाए और बाबाजी का चमत्कार देखिए कि बेटी कैसे गपागप चट कर रही है. जय हो खाने वाले बाबाजी की,’’ कह कर सासूमां ने आंखें बंद कीं और हाथ जोड़ लिए.

‘‘तो 1 सप्ताह तक छप्पन भोग बनेंगे?’’

‘‘1 सप्ताह नहीं, मात्र 2 दिनों तक,’’ हमारी सासूमां ने कहा.

छप्पन भोग का सेवन करती हुई श्रीमतीजी को देख कर हमारी खुशी का ठिकाना न रहा. हमारा मन बारबार खाने वाले बाबा की जय करने को हो रहा था. वास्तव में देश में, परिवार में ऐसे चमत्कार बाबा और सिर्फ बाबा ही कर सकते हैं.

रात में सासूमां ने हमें नींद से जगाया और घबराए स्वर में कहने लगीं, ‘‘सरला बेटी अजीबोगरीब हरकतें कर रही है.’’

नागिन की तरह फर्श पर बलखाती श्रीमतीजी को देख कर हम दंग रह गए.

‘‘क्या हो गया प्रिय?’’ हम चीखे.

उन्होंने हमें फटीफटी आंखों से ऐसे देखा जैसे कोई इच्छाधारी नागिन हो. अचानक हमें ध्यान आया कि यही इच्छाधारी नागिन हमारी श्रीमतीजी के पेट में थी, जो खानेपीने नहीं दे रही थी. सासूमां अगरबत्ती जला लाई थीं. श्रीमतीजी अभी भी ऐंठ रही थीं.

हमें कुछ शक हुआ कि मामला कुछ उलटा है. हम ने अपने घर के फैमिली डाक्टर को फोन लगाया तो वे बेचारे तुरंत आ गए. श्रीमतीजी को अस्पताल में भरती कर जांच की गई. पता चला कि इतना खाने की आदत नहीं थी.

बाबाजी के आदेश के चलते जबरदस्ती खा लिया इसलिए बदहजमी हो गई. शुगर टैस्ट किया तो श्रीमतीजी डायबिटीज की मरीज भी निकलीं. मीठा खाने से शुगर लैवल अत्यधिक बढ़ गया था.

वह तो भला हो डाक्टर झटका का, जिन्होंने सही समय पर चिकित्सा कर दी. सब से बुरी स्थिति तो हमारी सासूमां की थी, जो एक ओर मुंह पर पल्ला किए खाने वाले बाबा को कोस रही थीं.

यदि उन की बेटी को कुछ हो जाता तो बाबा यही कहते कि प्रेत उसे ले गया. लेकिन हमारी श्रीमतीजी और एक मां की इतनी बड़ी, पलीपलाई बेटी खो जाती.

श्रीमतीजी पूरे 1 सप्ताह अस्पताल में रह कर लौटीं. अब हम ने कान पकड़ लिए हैं कि हमें कभी उन्हें ऐसे बाबाओं के चक्कर में हम उन्हें नहीं पड़ने देंगे.

कल टीवी पर देखा था कि ऐसे 1 दर्जन डायबिटीज के मरीजों ने थाने में खाने वाले बाबा के नाम शिकायतें दर्ज करवाई हैं. अब आएगा मजा जब बाबाजी थाने और जेल में अपनी ग्रहदशा को सुधारेंगे. सही कहा न हम ने?

Beetroot Rice Recipe : डिनर में बनाएं बीटरूट राइस और पनीर क्रम्बल

Beetroot Rice Recipe :  आजकल चुकंदर लगभग पूरे साल उपलब्ध रहते हैं. चुकंदर में एंटीऔक्सिडेंट, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं इसीलिए इसे सुपरफूड माना जाता है. यह ब्लड सर्कुलेशन और पाचन तंत्र को दुरुस्त करने के साथ साथ शरीर में रक्त की कमी को भी दूर करके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होते हैं. इसलिए इसे भोजन में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है. आजकल की जेन जी मूलत कामकाजी है इसीलिए काम के प्रेशर के चलते वे अपने भोजन पर ध्यान नहीं दे पाते और बीटरूट जैसी हैल्दी वेजटेबल्स को अपने भोजन में शामिल करना भी उनके लिए बहुत मुश्किल होता है.

परिणामस्वरूप जिससे कई बार उनके शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है. आज हम आपको चुकंदर और पनीर से बनने वाली एक बहुत ही हैल्दी रेसिपी बनाना बता रहे है जिसे आप बहुत आसानी से अपने भोजन में शामिल कर सकती हैं आप चाहें तो इसे गार्निश करके किसी भी औकेजन पर पार्टी में भी शामिल कर सकतीं हैं तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए 4

बनने में लगने वाला समय 20 मिनट

मील टाइप वेज

सामग्री (राइस के लिए)

चुकंदर ज्यूस 2 कप
बासमती राइस 1 कप
घी 1 टीस्पून
लंबा कटा प्याज 1
लंबी कटी हरी मिर्च 2
तेजपात पत्ता 1
बड़ी इलायची 2
दालचीनी टुकड़ा 1 इंच
लंबा कटा अदरक 1 छोटी गांठ
नमक स्वादानुसार

काली मिर्च पाउडर ¼ टीस्पून
काजू 4
नीबू का रस ½ टीस्पून
बारीक कटा हरा धनिया 1 टीस्पून
सामग्री (क्रम्बल के लिए)
पनीर 250 ग्राम
काला नमक ½ टीस्पून
बारीक कटी हरी मिर्च 1
बारीक कटा हरा धनिया 1 टीस्पून
चाट मसाला ½ टीस्पून
बारीक कटा टमाटर 1
भुना जीरा पाउडर ¼ टीस्पून
नीबू का रस ¼ टीस्पून

विधि

चावलों को धोकर चुकंदर के ज्यूस में भिगोकर 25 मिनट के लिए भिगोकर रख दें. अब प्रेशर कुकर में घी गरम करके तेजपात पत्ता, इलायची, दालचीनी भूनकर प्याज, अदरक, हरी मिर्च सौते कर लें और चुकंदर के जूस में भीगे चावल डालकर अच्छी तरह चलायें. नमक डालकर प्रेशर कुकर का ढक्कन लगा दें और तेज आंच पर एक प्रेशर लें लें. ठंडा होने पर नींबू का रस, काली मिर्च पाउडर और हरा धनिया डालें. काजू से गार्निश कर दें.

पनीर को हाथ से क्रम्बल कर लें. अब सभी मसाले, कटा टमाटर, हरी मिर्च और हरा धनिया डालकर अच्छी तरह मिलायें. सर्विंग ट्रे पहले पनीर क्रम्बल को फैलाएं और बीच में चुकंदर राइस रखकर गरमागरम सर्व करें. आप दही और पापड़ को भी साइड में रखकर सर्व कर सकते हैं.

सुन्दर लड़कियां Rejection से हैं निराश, तो इस तरह करें डील

Rejection : हम सभी को कभी न कभी रिजेक्शन का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वह रिजेक्शन नौकरी में हो या फिर रिलेशनशिप में हो. लेकिन कई बार हम रिजेक्ट होने के बाद तनाव में आ जाते हैं. ऐसा सुन्दर लड़कियों के साथ कुछ ज्यादा ही होता है क्योंकि उन्हें शुरू से ही पैंपर करने वाले लोग ज्यादा मिलते हैं जोकि उनकी सुंदरता से प्रभावित होकर उनके हर अच्छे बुरे काम की तारीफ करने में लगे रहते हैं.

जिससे सुन्दर लड़कियों को ये गुमान होता है कि हमारे सारे रास्ते खुले हुए होते हैं. हमे तो किसी भी चीज के लिए कोई मना कर ही नहीं सकता. वहीं इसके विपरीत सीधी साधी कम सुन्दर लड़कियों को बचपन से ये मालूम होता है हम रिजेक्टेड माल है और वे उस हिसाब से एडजस्ट करना भी जानती है. सुन्दर लड़की चाहे वह 2 साल की ही क्यों ना हो सब उसकी तरफ आकर्षित होते है.

सब उसे बचपन से गोद में उठाना चाहते हैं, प्यार करते हैं, उसे तवज्जो देते हैं. इसके बदले अगर कोई काली लड़की हो और बेडोल हो तो उसे सब Ignore करते हैं. इन सुन्दर लड़कियों को इस वजह से 20-25 साल तक आतेआते बहुत अहम आ जाता है. अहंकार और ईगो इनका बढ़ जाता है. इनको रिजेक्शन बहुत गहरी चोट पहुंचता है क्योंकि ये उसकी आदि नहीं होती है.

लेकिन ये तरीका सही नहीं है इससे तो आप जिंदगी की दौड़ में बहुत पीछे रह जाएंगी. अभी भी समय है खुद के अहम को हटाकर खुद में बदलाव आएं. आपको रिजेक्शन को दिल से स्वीकार करने की जरूरत है, पर इसे दिल पर लेने की जरूरत नहीं हैं. आप रिजेक्‍शन को कैसे हैंडल करते हैं, इससे आपके जौब सर्च और रिलेशनशिप पर सकारात्‍मक या नकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए जहां तक हो सकें आपको रचनात्‍मक तरीके से इस मुद्दे को डील करना चाहिए. जानिए रिजेक्शन को डील करने के तरीके.

रिजेक्शन को स्वीकार करें

जिस वक्त आपको रिजेक्ट किया गया है जैसे कि आप जौब इंटरव्यू के लिए गए और इंटरव्यू लेने वाले पैनल ने कह दिया सौरी आप इस जौब के लायक नहीं है, कहीं और ट्राई करें तो इसे अना का मसला ना बनाये. बल्कि इस बात को स्वीकार करें कि आपको अभी खुद पर ओर काम करने की जरुरत है ताकि आप खुद को इस जौब के लायक बना सकें. इसके लिए आपको तैयारी करनी है नाकि रिजेक्ट करने वालो को कोसते हुए सिर्फ आंसू बहाने है.

रिजेक्शन को लर्निंग की तरह लें

रिजेक्शन को एक लर्निंग की तरह लें इससे बुरा नहीं लगेगा और आपका माइंडसेट ग्रो करेगा.

खुद में सुधार की गुंजाईश जरूर रखें

आप खुद को भले ही परफेक्ट समझती हो लेकिन जरूरी नहीं कि सामने वाले को जो चाहिए वह आपमें हो ही. अपनी निराशा को वास्‍तविक और व्‍यावहारिक प्रतिक्रिया के बीच न आने दें और कोशिश करें कि इससे आप यह सबक लें कि गलती कहां हुई हैं या कमी कहां है ताकि अगली बार आप इसे सही कर पाएं. रिजेक्‍शन के साथ डील करने का यह एक महत्‍वपूर्ण तरीका है. जो फीडबैक आपको मिला है उसे इम्प्लिमेंट करने पर आप अपना पर्सनल ब्रांड सुधार सकते हैं और भ‍विष्‍य में अपनी सफलता की दर बढ़ा सकते हैं. आप बेहिचक कंस्‍ट्रक्‍टिव फीडबैक के लिए गुजारिश कर सकते हैं.

जौब सर्च स्‍ट्रेटेजी बदलिए

आप यह सोचने के बजाए कि भला मुझे कोई कैसे रिजेक्ट कर सकता है ये सोचिये कि ऐसे क्या कारण थे जिनकी वजह से मुझे यह जौब नहीं मिली. जैसे कि हो सकता है आपका बायोडाटा इम्प्रेसिव न हो, हो सकता है आपको उस जौब से सम्बंधित किसी स्किल का ज्ञान ना हो जैसे कि आपको कंप्यूटर कोर्स सीखने की जरुरत हो या फिर मार्केटिंग के कौशल पर काम करने की जरूरत है या फिर हो सकता है आप सैलेरी की डिमांड अपनी क्षमता से ज्यादा कर रही हों इसलिए एक बार इन सब पौइंट पर खुद को परखें.

अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करें

कई बार देखने में आता है कि रिजेक्ट होने पर लड़की इतना तनाव में आ जाती है कि सबसे दुरी बना लेती हैं. खुद को सबसे दूर कर अकेले रहना पसंद करने लगती है ये गलत अप्रोच है. ऐसे में आपको इन सब बातों से बाहर निकलने की जरूरत है. जब कभी आप ऐसी परिस्थिति से गुजरे तो अपने दोस्त अथवा परिवार वालों के साथ अधिक समय बिताएं. इससे आपका मन भी बहल जाएगा और आगे बढ़ने में मदद भी मिलेगी.

शर्म ना महसूस करें

यह आपके साथ होने वाली पहली और आखिरी घटना नहीं है. यह लाइफ का पार्ट है और हर कोई इस दौर से गुजरता है इसलिए इसके लिए शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं है.

नए नजरिए से देखें

आप यह देखने की कोशिश करें कि आप जो चाह रहे हैं उसके द्वारा रिजेक्ट कर दिया जाना आपके लिए एक अच्छी बात भी तो हो सकती है. फिर चाहे वो नौकरी का सवाल हो या रिश्ते का. हो सके कोई बेहतर औप्शन आपका इंतजार कर रहा हो.

इन बातों का भी धयान रखें

किसी भी सुन्दर लड़की को ये सोचकर नहीं चलना चाहिए कि मुझे हर चीज मिल जाएगी. बचपन से आपको चने के झाड़ पर चढ़ाने वाले बहुत लोग मिले होंगे लेकिन अब बचपन ख़तम हो चुका है और आप ज़िंदगी के एक नए सफर पर जाने वाली हैं इसलिए उसके challenge भी अलग ही होंगे.

आपके घर के आसपास जहां किसी को बदले में आपको कुछ नहीं देना होता वह तो भाव दे देता है. लेकिन शादी और नौकरी दोनों ही चीजे ऐसी हैं जहां दोनों ही पार्टी आपको बहुत कुछ देने वाली हैं. वो आपकी सिर्फ सुंदरता पर नहीं जाएगी और भी बहुत सारी चीजों पर जाएगी. अपनी जरुरत के हिसाब से आपको परखेंगे और देखेंगे कि आप उस खांचे में पूरी तरह से फिट हो रही है या नहीं.

शादी में भी लड़के वाला देखेगा कि आपका घर बार कैसा है. आपका व्यवहार कैसा है, आप इगोस्टिक तो नहीं हो, आपकी बोलचाल कैसी है, आप उसके घर या जिंदगी में एडजस्ट कर भी पाएंगी या नहीं.

नौकरी वाला भी देखेगा कि लड़की बस सुन्दर है या फिर इसका कुछ IQ leval भी है, काम करने लायक है या नहीं, काबिलियत भी है या नहीं, जिस काम के लिए रखा जा रहा है उसमे कितनी माहिर है.

जब कोई लड़की शादी के लिए किसी लड़के से मिलने जाती है और मिलने के बाद अगर लड़का उसे शादी के लिए मना कर देता है तो लड़की को लगता है मुझे कोई कैसे रिजेक्ट कर सकता है. जबकि आपके बायोडाटा को भी ओर कई लड़कों ने रिजेक्ट किया होगा लेकिन वो पता नहीं चलता क्योंकि अभी आप उनसे मिली नहीं थी. वो पता नहीं चलता तो दर्द नहीं देता. लेकिन मिलने के बाद इंकार होता है, तो दर्द देता है. वह रिजेक्शन फिर चाहे लड़के से मिलने के बाद हो या फिर इंटरव्यू के बाद दोनों ही सूरतों में तंग करता है.

लेकिन अब यहां यह बात मायने रखती है कि आप रिजेक्शन को लेकर बैठे रहती हैं या फिर उससे कुछ सीखते हुए आगे बढ़ती हैं.

Home Decor Ideas : अपने आशियाने को नए कलर्स से सजाएं, पाएं सुकून भरा आकर्षण

Home Decor Ideas :  घरों को सजाने और उन्हें हमारे व्यक्तित्व और सपनों का प्रतिबिंब बनाने का एक बेहतरीन अवसर लेकर आया है. न्यूड और ब्राउन टोन जो डेकोर ट्रेंड्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन कर इंटीरियर डिजाइन के ट्रेंड्स पर धाक जमाने वाला है.

इंटीरियर स्टाइल के लिए आदर्श

सदाबहार सुंदरता को अपनाने वाले ये कलर आने वाले सालों में इंटीरियर डिजाइन के ट्रेंड्स पर राज करने वाले हैं. ये शेड्स न केवल प्राकृतिक और मिट्टी जैसी सौंदर्य दृष्टि को जीवंत करते हैं, बल्कि घरों में गर्माहट और बहुआयामी आकर्षण भी जोड़ते हैं, जिससे ये हर तरह के इंटीरियर स्टाइल के लिए आदर्श बन जाते हैं.

न्यूड और ब्राउन टोन का आकर्षण

न्यूड और ब्राउन शेड्स 2025 के डेकोर ट्रेंड्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहे हैं, जो शांति और प्रकृति से जुड़ाव का अनुभव कराते हैं. हल्के बेज और सौफ्ट पिंक से लेकर समृद्ध कैरेमल और गहरे चौकलेट तक, ये टोन ऐसा संतुलन बनाएंगे जो गहराई और रोशनी दोनों को सहजता से जोड़ता है. इनका डिफरेंट कलर, टेक्सचर और मटेरियल्स के साथ एफर्टलेस कोऔर्डिनेशन इन्हें उन लोगों की पहली पसंद बनाता है, जो एक सुंदर और सामंजस्यपूर्ण माहौल (harmonious environment) बनाना चाहते हैं.

सुकून और निखार जोड़ने के लिए बेहतरीन विकल्प

श्रीकांत एस.के.कंज्यूमर एक्सपीरियंस हेड, बिरला ओपस पेंट्स 2025 के लिए कलर पैलेट गर्माहट से भरपूर न्यूड शेड्स जैसे ब्रेकफास्ट इन साउथ बौम्बे और आफ्टरनून ब्राउन किसी भी इंटीरियर में सुकून और निखार जोड़ने के लिए बेहतरीन विकल्प होंगे. हल्के पीच से लेकर मिट्टी जैसे भूरे रंग तक, ये शेड्स दीवारों, फर्नीचर और एक्सेंट पीस में इस्तेमाल करने के लिए एकदम सही हैं. चाहे इन्हें अलगअलग इस्तेमाल करें या परतों में जोड़ें, ये रंग शाश्वत सुंदरता और बहुमुखी प्रतिभा का प्रतीक हैं.

ट्रेंड्स में शामिल

मिट्टी जैसे भूरे रंग भी इस साल प्रमुख ट्रेंड्स में शामिल रहेंगे, जो घरों में गहराई और संतुलन बनाएंगे. टोस्टेड अल्मंड और कोल्ड कौपर पौट्स जैसे गहरे ब्राउन शेड्स स्टाइल और क्लास का सही मिश्रण पेश करते हैं. इन बहुउपयोगी रंगों का प्रयोग फर्नीचर, कैबिनेट्स और फीचर वॉल्स पर किया जा सकता है, जिससे वे हर डिजाइन स्टाइल के साथ खूबसूरती से मेल खाते हैं। चाहे बोल्ड स्टेटमेंट बनाना हो या हल्के रंगों को संतुलित करना हो, ये शेड्स प्राकृतिक सुंदरता से प्रेरित सौंदर्यशास्त्र को दर्शाते हैं.

कलर पैलेट स्थिरता और जागरूकता पर आधारित

बिरला ओपस पेंट्स में, हमें विश्वास है कि हमारे घरों के लिए चुने गए कलर हमारे मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं. हमारा कलर पैलेट स्थिरता और जागरूकता पर आधारित है, जो संतुलन और शांति को बढ़ावा देता है. ये रंग आधुनिकता और कालातीत सुंदरता को जोड़ते हैं, जिससे लोग अपने स्पेस में ऐसी डिज़ाइन्स में निवेश कर सकते हैं, जो लंबे समय तक प्रासंगिक बनी रहें.

मोनोक्रोमैटिक स्कीम्स

यह 2025 में भी ट्रेंड में रहेंगी, जहां न्यूड और ब्राउन शेड्स को लेयर करके न्यूनतम लेकिन प्रभावशाली डिज़ाइन तैयार किए जाएंगे.  खासतौर पर, बिरला ओपस पेंट्स की सीशेल टेक्सचर पेंट एक अनोखा टच दे सकती है, जो समुद्र तट की कोमल और प्राकृतिक सुंदरता से प्रेरित है. इसकी हल्की बनावट किसी भी स्पेस को समुद्री शांति का एहसास देती है, जिससे कमरा एक शांत और संतुलित माहौल प्राप्त करता है।

स्टेटमेंट वाल्स का आकर्षण 

स्टेटमेंट वाल्स भी इस साल मुख्य आकर्षण में होंगी, जहां न्यूड और ब्राउन टोन के साथ गहराई और टेक्सचर जोड़ा जाएगा. खासतौर पर, बिरला ओपस पेंट्स की सैंडड्यून टेक्सचर पेंट एक शानदार विकल्प है. इसका दानेदार, रेतीला फिनिश रेगिस्तान की अथाह सुंदरता को दर्शाता है, जिससे इंटीरियर में रोमांच और स्थिरता का मिश्रण आता है. इसे गर्म न्यूड या गहरे ब्राउन टोन के साथ मिलाकर एक शानदार फीचर वॉल तैयार की जा सकती है, जो किसी भी डेकोर स्टाइल को बेहतरीन रूप से उभार देगी.

अपनाएं शाश्वत रंगों की खूबसूरती

अपने स्पेस को ऐसा रूप दें, जो न केवल सुंदर बल्कि व्यक्तिगत भी हो. बिरला ओपस पेंट्स के न्यूड और ब्राउन टोन के साथ अपने घर को एक अनोखा और आकर्षक एहसास दें एक ऐसा स्थान जो आपकी शैली और व्यक्तित्व को बयां करे!

बच्चों में Chest Congestion करता है परेशान? ये गैजेट्स करेंगे आपकी लाइफ आसान

Chest Congestion : बदलते मौसम में बच्चों को चेस्ट कंजेशन (सीने में जकड़न) की समस्या हो सकती है, जिससे वे बेचैन और असहज महसूस करते हैं. खासकर रात में बच्चों को सोने में काफी परेशानी होती है. इससे कई बार बच्चों को सांस सही नहीं आती जिससे उन्हें काफी दिक्कत होती है. बच्चे रेस्टलैस हो जाते हैं जिससे मांबाप परेशान रहते हैं. मार्केट में बहुत से गैजेट्स मौजूद हैं जो म्यूक्स यानी बलगम को पतला या पिघलाने में मदद करते हैं, ताकि वो बच्चे के ऐयरवे में जमें नहीं और बच्चे सांस सही से ले पाएं. सही गैजेट्स की मदद से आप चेस्ट कंजेशन से काफी हद तक राहत पा सकते हैं. बहरहाल डौक्टर ने जो मेडिसिन सुझाएं हैं उनके साथ इन गैजेट्स का उपयोग करें ताकि बच्चों को राहत जल्द मिल सके.

1. सलाइन नेबुलाइजर

सलाइन (नमक वाला पानी) नेबुलाइजर का उपयोग बलगम को ढीला करने और उसे बाहर निकालने में मदद करता है. यह बच्चों के लिए सेफ है. यह बिना किसी दवाई की लत के, सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है. कई बार छोटे बच्चों को स्टीम से जलने का खतरा हो सकता है या भाप तेज लगने से भी बच्चों को असहज महसूस हो सकता है, लेकिन नेबुलाइजर इस्तेमाल में सुरक्षित होता है. अगर आपका डौक्टर सलाइन नेबुलाइजर के साथ दवा के इस्तेमाल की सलाह दे तो उसे भी उपयोग करें.

2. कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर

मौसम बदलने के साथ हवा में नमी की कमी हो जाती है या कहें एयर ड्राई हो जाती है जिससे बच्चे को यदि खांसी की शिकायत है तो वो बढ़ जाती है. खासकर रात में बच्चे खांसी से खास परेशान रहते हैं. इससे राहत के लिए आप कूल मिस्ट ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये कमरे में नमी बनाए रखता है, जिससे शुष्क हवा से होने वाली सांस की समस्याओं को रोका जा सकता है. ये सर्दियों और एयर कंडीशनिंग वाले वातावरण में बेहद उपयोगी है.

3. स्टीमर या वेपोराइजर

भाप (स्टीम) लेने से नाक और गले में जमी बलगम को ढीला करने में मदद मिलती है. बच्चों के लिए स्टीमर का उपयोग करते समय सावधानी बरतें ताकि जलन या दुर्घटना न हो.

4. एयर प्यूरीफायर

घर के अंदर मौजूद धूल, एलर्जी पैदा करने वाले कण (एलर्जेंस) और पौल्यूशन को कम करता है. इससे धूल के कणों से होने वाली एलर्जी में राहत मिलती है. इस्तेमाल के लिए HEPA फिल्टर वाला एयर प्यूरीफायर ज्यादा प्रभावी होता है, इसे समयसमय पर बदलवाना जरूरी है ताकि एयर क्वालिटी लगातार बेहतर बनी रहे.

5. नेजल एस्पिरेटर (नाक से बलगम निकालने वाला उपकरण)

छोटे बच्चों की नाक बंद होने पर यह गैजेट उनकी नाक से अतिरिक्त बलगम निकालने में मदद करता है. क्योंकि छोटे बच्चे खुदसे अपनी नाम में जमा बलगम को निकालने में सक्षम नहीं होते. ऐसे में ये नेजल एस्पिरेटर काफी काम की चीज है. इसके नाम पर न जाएं, ये काफी सस्ता और आसानी से इस्तेमाल होने वाला उपकरण है. मार्केट में इलेक्ट्रिक और मैनुअल दोनों प्रकार के एस्पिरेटर उपलब्ध हैं. जिनसे आप अपनी सांस के जरिए बच्चे की नाक मंट मौजूद म्यूकस को खींच कर निकाल सकते हैं. ये माता पिता के लिए बच्चे की नाक को साफ करने का हायजनिक सौल्यूशन है.

6. वार्मिंग चेस्ट पैड या हीटिंग पैड

हल्की गर्माहट देने वाले चेस्ट पैड से सीने की जकड़न कम हो सकती है और बलगम जल्दी बाहर आ सकता है. इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें. इसको इस्तेमाल करते हुए खास ध्यान रखने वाली बात ही कि इसको बच्चे की स्कीन से सीधे न लगाएं. बल्कि कौटन के कपड़े में इसे लपेट पर पहले खुद अपनी फेस की स्कीन पर इसे लगाकर टेम्प्रेचर चैक करें, उसके बाद ही बच्चे के सीने या कमर पर इससे सिकाई करें.

7. एरोसोल इनहेलर (डौक्टर की सलाह से)

यदि बच्चे को बारबार सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो डौक्टर से परामर्श के बाद इनहेलर का उपयोग किया जा सकता है. यह दवाओं को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाने में मदद करता है. सेल्फ मेडीकेशन से बचें, बच्चो को जो डौक्टर ने सुझाया है वही दवा दें और मात्रा का भी खास ध्यान दें.

8. स्मार्ट थर्मामीटर

यह बच्चे के शरीर का तापमान मौनिटर करने में मदद करता है, ताकि समय पर उचित कदम उठाया जा सके.

9. इलेक्ट्रिक वार्मिंग बैग

पीठ या सीने पर हल्की गर्म सिकाई से बलगम को ढीला किया जा सकता है और बच्चे को राहत मिल सकती है.

10. हर्बल वाइप्स और वेपर पैच

नीलगिरी (यूकेलिप्टस) और मेंथौल युक्त वेपर पैच और वाइप्स, बच्चों को आराम देने में मदद कर सकते हैं. यह सर्दी-जुकाम में सांस लेने में आसानी प्रदान करते हैं. इन गैजेट्स का सही तरीके से उपयोग कर बच्चों को चेस्ट कंजेशन से राहत दिलाई जा सकती है. हालांकि, अगर समस्या बनी रहती है या गंभीर हो जाती है, तो डौक्टर से परामर्श अवश्य लें.

Marriage : मां जल्दी मेरी शादी कर देना चाहती हैं, लेकिन मैं किसी और से प्यार करती हूं?

Marriage : अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. पिछले साल ही मेरे पिता का देहांत हुआ है. अब मेरी मां जल्द से जल्द मेरा विवाह कर देना चाहती हैं. उन का मानना है कि लड़की की शादी जितनी जल्दी हो सके कर देनी चाहिए. उन्होंने मेरे रिश्ते की बात दुबई में रहने वाले एक युवक से शुरू कर दी है, यह जानते हुए भी कि मैं किसी और लड़के से प्यार करती हूं. लड़का अच्छा खाताकमाता है और शादी को ले कर पूरी तरह से गंभीर है. पर चूंकि वह दूसरी जाति का है, इसलिए घर वाले इस रिश्ते से इनकार कर रहे हैं. क्या करूं कि वे शादी को ले कर जबरदस्ती न करें?

जवाब
यदि सिर्फ लड़के के अंतर्जातीय होने से ही आप के घर वाले आ के बौयफ्रैंड से आप के विवाह को ले कर ऐतराज कर रह हैं, तो यह सरासर गलत है. यदि लड़के में कोई ऐब नहीं है और आप को लगता है कि आप उस के साथ खुश रहेंगी तो घर वालों को राजी करने का प्रयास करें. आजकल अंतर्जातीय विवाह आम हैं. समाज भी इन का विरोध नहीं करता.

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शादी से पहले अपने पार्टनर को ऐसे करें प्रपोज

अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज. आप पहलें अपने पार्टनर को पूरा तरह जानने की कोशिश करते हैं जिससे कि शादी के बाद उसे समझनें में ही आधा वक्त न निकल जाए. अरेंज मैरिज की बात करे तो आप और आपकी पार्टनर दोनों ही अनजानें सफर में चल पडते है. पहलें जमाने की बात करें तो शादी से पहले मिलना भी बड़ी मुश्किल का काम था लेकिन इस जमानें में इस सफर को आसान बनानें के लिए सगाई का दौर शुरू हो गया जिससे की आप एक-दूसरें के ठीक ढंग से पहचान सकें, एक-दूसरें की आदतो, पसंद-नापसंद के बारें में जान सके. माना जाता है कि अरेंज शादी में प्यार शादी के बाद और लव मैरिज में शादी से पहले प्यार होता है.

अगर आप चाहें तो अरेंज मैरिज के शादी सें पहलें ही दोनों के बीच प्यार ला सकते है लेकिन आपकी हिचकिचाहट और ठीक ढंग आइडिया न हो पाने के कारण ज्यादा समय लग जाता है. लेकिन हम अपनी खबर में ऐसी आइडिया के बारें में बताएगें जिन्हें अपनाकर अरेंज मैरिज को भी लव में बदला जा सकता है.

फैमली और दोस्तों की सहायता लें

अपनें पार्टनर की पसंद-नापसंद को जानने के लिए आपकी सहायता फैमली और दोस्त ही सबसे ज्यादा कर सकते हैं. अपनें दोस्तों की मदद से अपने पार्टनर को बाहर घूमने के लिए भेजिए और आप घर के एक अच्छें से कमरें को चुन कर अपने पार्टनर की पसंद की चीजों जैसे की उसकी पसंद के फूल, कैंडल आजि से सजाए और उसके वापस आने पर उसे  डेकोरेटेड रूम में वेडिंग रिंग के साथ प्रपोज करें. जो जरुर आपसे इंप्रेस हो जाएगी.

पिक्चर हॅाल में

प्रपोज करने का यह तरीका अच्छा साबित हो सकता है. यह तरीका थोड़ा फिल्मी है लेकिन इससे आपकी लाइफ पार्टनर इंप्रेस हो सकती है इसके लिए आपको सही समय को चुनें और इसके लिए सही समय है कि हॅाल खाली है या फिर इंटरवल का वक्त हो या फिर आप चाहें तो थियेटर बुक करा लें. इसके बाद सबसे सामने अपनी पार्टनर से पूछें “विल यू मैरी मी”.

सगाई होने से पहलें करें प्रपोज

सगाई वालें दिन आपनी पार्टनर के पास जाकर उसके सामनें घुटनें के बल बैठ कर उसे प्रपोज करें यद बहुत ही रोमांटिक होगा.

पार्टनर के जन्मदिन पर

अगर आप लकी हुए औऱ शादी और सगाई से पहलें उसका बर्थडे पड़ रहा हा तो यह आपके लिए प्रपोज करने का अच्छा मौका है. इसके लिए उसे डेट में ले जाए या फिर उनके रूम  में बड़ा से गिफ्ट रखें और साथ में अपने हाथ से लिखा हुआ कार्ड भी रखें. जिसमें अपने हाथों से ‘हैप्पी बर्थडे माय लव, विल यू मैरी मी’ लिखकर उन्हें प्रपोज करें.

फैमिली डिनर पर करें प्रपोज

शादी से पहले दोनों परिवार मिलकर किसी डिनर या लंच का प्लान कर सकते हैं. खाने की टेबल पर सबको अटेंशन करते हुए पेरेंट्स को थैंक्यू कहें कि उन्होंने आपके लिए खूबसूरत और अंडरस्टैडिंग पार्टनर चुना और फिर पार्टनर के सामने शादी का प्रपोजल रखें. ये इमोशनल आइडिया केवल पार्टनर का ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स के दिल को भी छू जाएगा.

वीडियो बनाकर अपनी पार्टनर को करें इंप्रेस

आजकल समय कम होने के कारण सगाई और शादी के बीच के बहुत कम समय मिलता है एक-दूसरें को जाननें का लेकिन आप इस  थोड़े से समय का सही इस्तेमाल कर सकते है. इसके लइए आप अपने पार्टनर की आदतों, नेचर, स्टाइल, जिस भी चीज के आफ दीवाने हैं इऩ बातों को लेकर उसकी तारीफ करते हुए एक वीडियों बना कर उसे एक्सप्रेस करें और साथ ही उन्हें इस वीडियो के जरिए प्रपोज करें. इस वीडियो को उनके साथ अपने फ्रेंड्स को भी शेयर करें. पार्टनर को इम्प्रेस और प्रपोज करने का ये बेहतरीन आइडिया उन्हें जरूर पसंद आएगा.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

रेसलर से ऐक्टर बने Sangram Singh की जीवनी है बेहद दिलचस्प

Sangram Singh : कौमनवेल्थ गेमों में स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम रोशन करने वाले संग्राम सिंह का कैरियर अभिनेता के रूप में भी शानदार रहा है. अभिनय करने के साथ ही वे रियलिटी शोज में भी भाग ले चुके हैं. उन्होंने ऐक्ट्रैस पायल रोहतगी के साथ शादी की है.

21 जुलाई, 1985 को रोहतक के छोटे से गांव मदीना में जन्मे संग्राम सिंह को इस मुकाम पर आने के लिए बेहद ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाया. संग्राम सिंह के पिता उमैद सिंह सेना में जवान रहे हैं, जो अब रिटायर्ड हैं. मां रमादेवी गृहिणी हैं.

मंजिल आसान नहीं

अभिनेता संग्राम सिंह रेसलर होने के साथ ही अभिनय में भी खूब पसंद किए गए हैं. आज भी अकसर वे मिट्टी के अखाड़े मे दांवपेंच लगाते नजर आते हैं.

हालांकि एक समय ऐसा भी आया था, जब संग्राम को पूरी तरह से 8 सालों के लिए व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था, जिस में उन की मां ने हार नहीं मानी और उन का इलाज कर पैरों पर खड़ा किया. असल में अभिनेता संग्राम सिंह को 3 साल की उम्र में रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया था, जिस की वजह से उन्हें 8
साल तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा था, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ने और फिट रहने के लिए प्रेरित किया.

व्हीलचेयर से उठ कर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वे पहलवान बन गए. उन की इस प्रेरणादायक
कहानी को एक चैनल पर भी दिखाया गया था. उन्होंने दिल्ली पुलिस में भी कुछ समय तक काम किया है. संग्राम सिंह ने साल 2015 में आई फिल्म ‘उवा’ से अपनी शुरुआत की थी और इस के बाद वे ‘सर्वाइवर इंडिया’, ‘द अल्टीमेट बैटल,’ ‘नच बलिए 7,’ ‘बिग बौस’ जैसे रियलिटी शोज में भी दिखाई दिए.

रेसलर संग्राम सिंह और पायल रोहतगी की लवस्टोरी भी बेहद दिलचस्प रही है. संग्राम सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हैं और फिटनैस के कई टिप्स देते रहते हैं. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर उन के 10 मिलियन फौलोवर्स हैं.

दिलचस्प लवस्टोरी

पायल और संग्राम की पहली मुलाकात आगरा मथुरा हाइवे पर हुई थी, जहां पायल की कार खराब हो गई थी। अचानक वहीं से संग्राम सिंह गुजर रहे थे और उन्होंने दिल्ली तक पायल को लिफ्ट दी थी. इस के बाद दोनों फिलिंपिंस के एक शो में मिले और मुलाकातों का सिलसिला आगे बढ़ा। लगभग 12 सालों तक
एकदूसरे को डेट करने के बाद दोनों ने 9 अप्रैल, 2022 को शादी कर ली.

बायोपिक पर किया काम

संग्राम कहते हैं कि अभी मैं एक ओलिंपिक मैडेलिस्ट रेसलर की बायोपिक में अभिनय कर रहा हूं, जो एक बहुत ही अलग तरीके की फिल्म है. मेरे लिए यह एक चुनौतीपूर्ण भूमिका है, क्योंकि यह भूमिका एक रेसलर की है. इस की शूटिंग पूरी हो चुकी है. 5 से 10 दिन तक मैं ने इस भूमिका की तैयारी की है और कोई फिल्म हो या बायोपिक हर में मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि बायोपिक में मैडल जीतने, रहनसहन, बोलचाल, हावभाव सबकुछ उस व्यक्ति के जैसे होने चाहिए, ताकि फिल्म सजीव लगे.

संघर्ष

संग्राम आगे कहते हैं कि मैं यहां तक ठोकर खाखा कर ही पहुंचा हूं, क्योंकि कल जो था, आज वह नहीं है, आज जो है, वह आगे नहीं मिलेगा, इसलिए संघर्ष का दौर हमेशा चलता रहता है. हर इंसान गलतियां कर के ही कुछ सीखता है. कभी ऐसा समय था, जब मुझे टीवी या फिल्म के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, लेकिन अब मुझे इस में काम करने का भी मौका मिला है, जो मेरे लिए बड़ी बात है. कभी ऐसा समय था कि मैं चल नहीं पाता था और अब रेसलर, एंकर और अभिनेता भी बन चुका हूं.

रेसलिंग से फिल्मों का सफर

रेसलिंग से फिल्मों में आने की वजह के बारे में पूछने पर संग्राम कहते हैं कि मैंने देश के लिए रेसलर इसलिए बना, ताकि एक अच्छी नौकरी मिल जाए, क्योंकि मैं एक गरीब परिवार से था। नौकरी मिलेगी तो अच्छी बात होगी. अगर आप इंडिया के लिए खेल रहे हैं, तो आप को टीशर्ट और प्रोत्साहन मिल जाया करती थी, बाकी कुछ नहीं मिलता था.

एक बार अखाड़े में मैं, सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त प्रैक्टिस कर रहे थे. किसी ने रेसलिंग पर शो बनाने की बात कही, तो सभी हंस पड़े, क्योंकि उस में नकली रेसलिंग होगा. उन सभी में मैं थोड़ा देखने में ठीकठाक था और बातचीत भी अच्छी कर लेता था, ऐसे में एक बार एक कंपनी ने ऐसे ही रेसलिंग की एक शो पर बुलाया. वहां कोई नहीं गया. बाद में सुशील कुमार ने रविवार को वहां जाने का प्लान बनाया. उस दिन भी मेरे अलावा वहां कोई नहीं गया। वहां जा कर मैं ने देखा कि सारे बड़ेबड़े विदेशी रेसलर मौजूद थे और नकली पंच एकदूसरे को मार रहे थे और उसे फिल्माया जा रहा था. मैं ताज्जुब हुआ, उन लोगों ने मुझे
कहा कि अगर मैं इस में भाग लूंगा, तो वे मुझे ₹5 हजार देंगे, जो मेरे लिए उस समय एक बड़ी रकम थी. मैं राजी हो गया और वे लोग मुझे अखाड़े से मुंबई ले कर आए और फिर साउथ अफ्रीका ले कर गए और ट्रैनिंग करवाई.

मैं ने पहला शो WWF का किया और उस शो का हीरो बन गया. फिर मैं ने एक कंपनी के साथ टाईअप कर लिया, जिस में उन्हें कुछ पैसे हर शो के कमाए पैसे से देने पड़ते थे. इस के बाद से मैं ने प्रोफैशनल कुश्ती लड़ना शुरू कर दिया और वर्ल्ड वाइड कुश्ती लड़ने का शो करता रहा. इस की पौपुलरिटी से मैं ‘बिग बौस’ में भी गया. उस दौरान मैं ने अच्छी तरह से हिंदी भाषा बोलना सीखा, फिर मेरा कैरियर फिल्मों में भी शुरू हो गया. मैं कोई निगेटिव या छोटा रोल नहीं करता. इस तरह से जो बच्चा बचपन में खड़ा नहीं हो सकता था, आज सब का प्रिय बन चुका है. मेरे कई लाख फैन फौलोवर्स हैं, ऐसे में मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उन चीजों को एंडोर्स करूं, जो यूथ को प्रेरित करें. मैं किसी प्रकार का नशा नहीं करता हूं और मैं गुटखा, सुपारी या ड्रिंक किसी को प्रमोट नहीं करता. मैं साधारण घर का भोजन खाता हूं. यही वजह है कि क्रिकेटर को छोड़ कर सोशल मीडिया पर भारत में मैं सब से अधिक लोकप्रिय सैलिब्रिटी एथलीट हूं.

चुनौतियों से हार नहीं मानता

संग्राम कहते हैं कि मैं ने अपने जीवन में फिजिकली, मैंटली, फाइनैंसियली हर तरीके की चुनौती का सामना किया है, लेकिन मैं ने कभी हार नहीं मानी. खुद पर विश्वास हमेशा रखा है.

शुरू में मेरे परिवार वालों ने सपोर्ट नहीं किया। मेरे पिता के हिसाब से यह अच्छी फील्ड नहीं है और वे मानते थे कि यह सब काम गांव में आ कर करतब दिखाने जैसा है। लेकिन जब मेरा नाम होने लगा, लोग मेरे काम की तारीफ करने लगे तब उन्होंने सहयोग दिया. मेरे बड़े भाई कुश्ती करते थे, पर प्रोफैशनल नहीं थे.

पायल बनी जीवनसाथी

संग्राम खुद रियलिटी और फिक्शन शो बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अलग तरीके की फिल्मों से दर्शक परिचित हो सकें. अभिनेत्री पायल रोहतगी से मिलने को ले कर संग्राम कहते हैं कि पायल से मैं एक बार आगरा मथुरा हाइवे पर मिला था, जहां उन की गाड़ी खराब हो गई थी। इस के बाद मैं सर्वाइवर रिएलिटी शो में मिला. उन की स्पष्टभाषी होना ही मुझे पसंद आया और हम ने शादी कर ली.

फालतू फिल्मों का दौर

आज की फिल्मों में हिंसा को अधिक दिखाया जा रहा है, इसे कैसे देखते हैं? इस पर संग्राम बताते हैं कि सभी फिल्मों को हिंसक बनाना ठीक नहीं. ’12वीं फेल’ और ‘लापता लेडीज’ आई थी, जो बहुत ही अच्छी फिल्म थी. जबरदस्ती मारपीट और ऐक्शन को फिल्मों में थोपना ठीक नहीं। जो परोसा जाता है, उसे ही दर्शक देखते हैं. मेरा मानना है कि एक अच्छी कहानी, जिस में इमोशन, रोमांस, थोड़ी ऐक्शन हो तो सभी को आकर्षित करती है। ऐसी फिल्में मनोरंजन के साथ एक मैसेज भी दे जाती है. पहले फिल्में बनती थी, सिनेमाघरों और दर्शकों के लिए, आज फिल्ममेकर पैसा कमाने के लिए फिल्में बनाते हैं. इसलिए हिंदी फिल्मों का कारोबार भी खतरे में पड़ा हुआ है.

दिल से किया हुआ कोई भी काम हमेशा सफल होता है. मुझे कोई भी फिल्म जो प्रेरित करती हो, पसंद है. मैं ने कई अच्छी फिल्में देखी है. फिल्म ‘दंगल’, ‘स्वदेश,’ ‘चकदे,’ ‘शोले’ आदि फिल्मों को मैं ने कई बार देखी है. असल में हर दौर में कुछ अच्छी और कुछ फालतू फिल्में
बनी हैं.

सुपर पावर मिलने पर

संग्राम कहते हैं कि खेल में राजनीति कभी अच्छी नहीं होती, साथ ही गांव में ऐसी कई अच्छे खिलाड़ी हैं, जो शहर तक पहुंचने के पहले ही दम तोड़ देते है, क्योंकि उन की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती। मैं सुपर पावर मिलने पर उन्हें आगे लाने की कोशिश करूंगा ताकि देश को अधिक से अधिक मैडल मिल सकें.

ऐक्ट्रैस Deepti Naval ने रोमांस की खातिर नहीं की शादी, 72 साल में अभी भी है सिंगल…

Deepti Naval : एक जमाने की प्रसिद्ध ऐक्ट्रैस दीप्ति नवल ने शादी में धोखा खाने के बाद प्यार में मिली सफलता के चलते दूसरी बार शादी करने का जोखिम नहीं उठाया. चश्मे बद्दूर, किसी से ना कहना, अनकही, जैसी तमाम फिल्मों में काम कर चुकी सादगी की मूरत खूबसूरत दीप्ति नवल ने फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनाई. लेकिन अगर निजी जिंदगी की बात करें, तो वह खास अच्छी नहीं थी. उन्होंने डायरेक्टर प्रकाश झा के साथ 1985 में शादी की थी, इसके बाद उन्होंने एक लड़की गोद ली थी. जिसका नाम दिशा है. लेकिन शादी में असफलता और लड़ाई झगड़ों के चलते शादी के 2 साल बाद ही दोनों अलग हो गए थे, लेकिन 15 साल बाद दीप्ति नवल और प्रकाश झा ने तलाक लेना ही सही समझा.

क्योंकि उनके साथ रहना मुमकिन नहीं हो पा रहा था. उसके बाद दीप्ति नवल ने छोटे पर्दे पर काम करना शुरू किया और उन्होंने सीरियल छोटा आसमान से छोटे पर्दे पर शुरुआत की. छोटे पर परदे पर काम के दौरान उनको एक एक्टर विनोद पंडित से प्यार हो गया. दोनों के बीच शो के दौरान ही मुलाकात हुई . लेकिन विनोद पंडित और दीप्ति नगर दोनों ने ही शादी न करने का फैसला किया. क्योंकि इन दोनों की ही पहली शादी असफल रही थी और वह नहीं चाहते थे क्योंकि उनकी शादी खत्म हो जाए.

इसी वजह से दीप्ति नवल ने जिंदगी भर शादी नहीं की क्योंकि वह नहीं चाहती थी उनकी दूसरी शादी भी असफल हो लिहाजा उन्होंने बाद में कभी भी शादी नहीं की. दीप्ति नवल के प्रेमी विनोद पंडित का कैंसर से निधन हो गया. अस्पताल का बिल भरने के लिए भी दीप्ति नवल के पास पैसे नहीं थे. इसी वजह से उन्होंने छोटे पर्दे पर काम शुरू किया और अपने प्रेमी विनोद पंडित के नाम पर चैरिटेबल ट्रस्ट शुरू किया. जिसमें वह लड़कियों को शिक्षित करती है. गौरतलब है दीप्ति नवल एक्टिंग के अलावा डायरेक्शन फोटोग्राफी भी करती हैं और एक अच्छी पेंटर भी है.

Stories : शिकारी बना उपहास का शिकार

Stories : नीलू थक कर अभीअभी वापस आई थी. वह एक वित्तीय कंपनी में ट्रेनर का काम करती थी और आज एक सरकारी विभाग ने उसे डिजिटल फ्रौड के ऊपर सैशन लेने के लिए बुलाया था. उस की कंपनी में वैसे तो कई ट्रेनर थे पर डिजिटल फ्रौड के लिए उसे सब से अच्छा ट्रेनर माना जाता था. वैसे वह इस प्रकार के सैशन अपनी कंपनी में लेती रहती थी परंतु बात दूसरे विभाग की थी और वह भी सरकारी विभाग की. अत: जोरदार तरीके से तैयारी की थी. पावरपौइंट प्रेजैंटेशन भी बहुत ही शानदार बनाया था. उस की मेहनत रंग लाई. सभी मंत्रमुग्ध हो कर उस की बातों को सुन रहे थे. उस ने एकतरफा लैक्चर देने के स्थान पर सैशन को सहभागी बनाया था. वह प्रतिभागियों से प्रश्न पूछती थी और उन्हें प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करती थी. कई रोचक किस्से उस ने प्रतिभागियों से साझा किए और प्रतिभागियों को भी अपने अनुभव साझ करने के लिए प्रोत्साहित किया.

ऐसा लग रहा था कि नीलू प्रतिभागियों से चिरपरिचित है. परिणाम यह हुआ कि उस के सैशन को बहुत सराहना मिली और विभाग प्रमुख ने उसे हर महीने इस प्रकार का सैशन लेने के लिए आमंत्रित किया. निश्चित रूप से वह बहुत खुश थी सभी की इतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया पा कर, पर उस स्थान की दूरी काफी थी और ट्रैफिक के कारण वह थकीथकी महसूस कर रही थी.

शाम के 5 बज गए थे. नीलू ने चाय बना कर पी और आंखें बंद कर आराम करने लगी. पास में ही उस का प्यारा टौमी भी बैठा हुआ था. वह उस की पीठ पर हाथ फेर रही थी. टौमी अपनी पूंछ हिला कर उस के स्पर्श पर प्रतिक्रिया कर रहा था.

तभी नीलू का मोबाइल बज उठा. उस ने देखा वीडियोकौल आ रही है. नंबर अनजान था. वह जानती थी कि आजकल वीडियोकौल कर कई तरह से लोगों को फंसाया जाता है. सैक्सटोर्शन और अन्य प्रकार का भयादोहन आम हो गया है आजकल और कोई वक्त होता तो शायद वह इस कौल को नहीं उठाती पर अभी उसे मनोरंजन की आवश्यकता थी. ‘चलो, मन कुछ फ्रैश कर लिया जाए,’ यह सोच कर उस ने कौल उठा ली.

उधर से कोई पुलिसवरदी में था. नीलू अभीअभी जिस विषय पर सैशन ले कर आई थी वह विषय प्रत्यक्ष सामने था. अगले सैशन में इस घटना को भी साझ करूंगी यह सोच कर उस ने कहा, ‘‘हैलो.’’

‘‘मैं एनआईए से एसीपी सतीश बोल रहा हूं. आप मिसेज नीलू बोल रही हैं?’’ उधर से वरदीधारी ने कहा.

‘‘जी सर, मैं नीलू ही बोल रही हूं पर मैं मिसेज नहीं मिस हूं. मेरी शादी नहीं हुई है और किसी हैंडसम पुलिस वाले से शादी करने का इरादा रखती हूं,’’ नीलू ने कहा.

‘‘देखिए मजाक मत कीजिए और मैं जो कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनिए.

आप के आधार नंबर का प्रयोग कर के एक कनैक्शन लिया गया है और उस से आतंकवादी समूह से बात की गई है. मैं जानता हूं कि आप निर्दोष हैं परंतु यह मामला आतंकवाद से संबंधित है और इस के लिए आप को जेल हो सकती है,’’ एसीपी सतीश ने कहा.

‘‘सब से पहले मुझे निर्दोष मानने के लिए बहुतबहुत धन्यवाद एसीपी साहब. जेल तो ठीक है पर मैं कैसी लग रही हूं यह तो बताइए?’’ कह कर नीलू ने टौमी की ओर कैमरा घुमा दिया.

‘‘शायद आप का दिमाग ठिकाने नहीं है. मैं यह सोच कर आप को फोन कर रहा था कि आप की सहायता करूं पर आप लगता है जेल जाने के लिए बेताब हैं,’’ एसीपी क्रोधित हो गया.

इस बीच नीलू वाशरूम मोबाइल लिए हुए अपने हाथ धोने चली गई थी. उस ने कहा, ‘‘ऐसा मत कहिए एसीपी साहब. जो झूठ बोलता है उस का वाशरूम गंदा रहता है. देखिए मेरा वाशरूम कितना साफ है,’’ कह नीलू ने मोबाइल के कैमरे को कोमोड की ओर कर दिया.

अब एसीपी गुस्से से लाल हो गया. बोला, ‘‘बकवास बंद करो, यदि तुम खुद को बचाना चाहती हो तो एक खाता नंबर दे रहा हूं उस में 3 लाख रुपए भेज दो वरना 1 घंटे के अंदर सरकारी मेहमान बन जाओगी और यहां कोमोड इतना साफ नहीं मिलेगा.’’

‘‘सर आप तो नाराज हो गए, खाता नंबर बताइए,’’ नीलू ने कहा. एसीपी ने खाते का पूरा विवरण दे दिया.

इस बीच नीलू ने व्हाट्सऐप पर मैसेज कर के अपनी सहेली नेहा को भी बुला लिया. नेहा आई तो उसे इशारे में समझाया कि कुछ मजेदार चल रहा है. पहले तो नेहा स्क्रीन पर वरदीधारी को देख कर घबराई पर जब नीलू की उस से बातें सुनीं तो समझ गई कि मामला क्या है.

कुछ देर नीलू यों ही इधरउधर कुछ करती रहा. फिर बोली, ‘‘एसीपी साहब मैं ने तो 3 लाख की जगह 4 लाख रुपए भेजने की कोशिश की पर आप का खाता बड़ा ही ऐट्टीट्यूड वाला है पैसे ले ही नहीं रहा है. क्या मैं 5 लाख रुपए भेजने की कोशिश करूं?’’

‘‘मतलब साफ है तुम जेल की हवा खाना ही पसंद कर रही हो. चलो ठीक है, तुम्हारे घर पुलिस आती ही होगी. पर फोन को डिसकनैक्ट मत करना क्योंकि तुम डिजिटल अरैस्ट में हो,’’ एसीपी ने कहा.

‘‘एसीपी सर, क्या मैं अपनी सहेली को भी जेल साथ ला सकती हूं उस का नाम नेहा है. बड़ी ही सैक्सी है. देखोगे तो मस्त हो जाओगे. मना मत करना प्लीज. लो इस से भी बात कर लो,’’ कहते हुए नीलू ने नेहा को फोन दे दिया.

नेहा को नीलू की बात सुन कर हंसी आ गई, ‘‘हाय हैंडसम, कैसे हो? क्या मैं नीलू से कम खूबसूरत हूं कि तुम ने मुझे कौल नहीं की?’’ नेहा ने इतनी सैक्सी अदा से कहा कि नीलू की हंसी छूट गई.

दोनों की खिलखिलाहट की आवाज सुन कर अब एसीपी समझ चुका था कि वह गलत लोगों से उलझ गया है. उस ने कौल को डिसकनैक्ट कर दिया. हंसतेहंसते नीलू और नेहा दोनों का दम फूल रहा था. जब दोनों सामान्य हुईं तो फिर उस नंबर पर कौल बैक की. वह नंबर व्यस्त आ रहा था.

‘‘लगता है किसी और को फंसाने की कोशिश कर रहा है एसीपी सतीश. 1930 पर इस नंबर की जानकारी दें पहले, फिर बातें करते हैं,’’ नीलू ने कहा और 1930 नंबर डायल करने लगी.

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