देह मेरी अधिकार मेरा

स्त्री का शरीर उस की अपनी संपत्ति है और वह जब चाहे उस के साथ कुछ भी कर सकती है. इस प्राकृतिक तथ्य को धर्म सदियों से नकारता रहा है और उस ने राजाओं और लोकतांत्रिक सरकारों को जबरन ऐसे कानून बनाने को कहा जो औरत के शरीर पर तरहतरह के बंधन लगाते हैं.

विवाह बिना यौन संबंध अभी पिछली सदी तक औरतों के लिए बहुत समाजों में जुर्म रहा है. हाल के दशकों में ही इस कानून पर अमल होना बंद हुआ है. हालांकि बहुत से देशों की कानून की किताबों में यह आज भी किसी कोने में पड़ा मिल जाएगा.

गर्भपात को ले कर कानून भी ऐसा ही है. ज्यादातर देशों ने गर्भपात को औरत का मौलिक व प्राकृतिक अधिकार नहीं मान रखा है, क्योंकि धर्म गर्भपात का विरोधी है. धर्म को भगवान की भक्ति और अपना चढ़ावा भी चाहिए तो भी वह चाहेअनचाहे, विवाहपूर्व, विवाह बाद, पति या गैर मर्द से यौन संबंध को रोकने के लिए कैसे गर्भपात को गैरकानूनी या नियंत्रित कर सकता है? लेकिन ज्यादातर सरकारें धर्म के आगे हार जाती हैं.

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हाल ही में मुंबई की एक औरत को 25वें सप्ताह में गर्भपात की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मिली. इस इजाजत में खासीयत यह थी कि यह गर्भ में पल रहे जुड़वां बच्चों में से एक के गर्भपात की थी, जिसे शायद डाउन सिंड्रोम था. यह निर्णय असल में डाक्टरों का ही होना चाहिए था. इस पर न सरकार, न कानून, न धर्म, न पुजारी, न सास, न पति, न साथी किसी का कोई हक नहीं. औरत जिस का शरीर है और डाक्टर जिस ने गर्भपात कराना है, निर्णय लेने में सक्षम होने चाहिए.

मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैगनैंसी ऐक्ट 1971 के अनुसार भी आजादी औरतों को नहीं. इजाजत डाक्टरों को है कि वे गर्भपात करा सकते हैं. इस कानून की धारा 3 में इतनी शर्तें हैं कि आएदिन लोगों को इजाजत के लिए लोगों को उच्च न्यायालय या फिर उच्चतम न्यायालय में आना पड़ता है.

यह कानून 18 साल से कम की लड़की का गर्भपात बिना पिता या मां की इजाजत से भी रोकता है. जब गर्भ ठहरने के लिए किसी की इजाजत नहीं चाहिए तो गर्भ गिराने के लिए इजाजत क्यों?

इस कानून की भावना यही है कि यदि गर्भ के रहने से गर्भवती के स्वास्थ्य को खतरा हो तो गर्भपात किया जा सकता है. जो बिना किसी चिकित्सकीय कारण से गर्भपात कराना चाहती हैं उन्हें झूठ ही बोलना पड़ता है.

यह गलत है और धर्मशास्त्रों का हुक्म आज भी माना जाता है. धर्म के दुकानदार हमेशा से औरत के यौनांग पर अपना हक रखना चाहते हैं. वे तरहतरह के नियम बनाते रहे हैं. कहीं उस की पूजा करवाते हैं, कहीं उस की शुद्धि को चरित्र का प्रमाणपत्र मानते हैं. पति के अतिरिक्त इजाजत से या बिना इजाजत संबंध बना लेने पर जो होहल्ला मचाया जाता है वह पुरुषों पर क्यों नहीं लागू होता?

गर्भपात कानून असल में औरतों को दंड देने के लिए बने हैं. जहां गर्भपात है वहां भी दंड दिया जाता है जहां गर्भपात की इजाजत है वहां भी शर्तें हैं कि यह एक अपराध सा ही लगे.

इस के बावजूद हर साल लगभग 6 करोड़ गर्भपात दुनियाभर में होते हैं और धर्म और कानून की मार के डर की वजह से 45% असुरक्षित होते हैं. बलात्कार तक में भी गर्भपात की मांग करने पर डाक्टर हजार सवाल करते हैं और इसीलिए दुनियाभर में छिपे हुए क्लीनिक चलते हैं.

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गर्भधारण और गर्भपात औरतों का मौलिक व प्राकृतिक अधिकार होना चाहिए. पुरुषों को इस में दखल देने की जरूरत नहीं है. शरीर औरत का है. वह चाहे कैसे इसे इस्तेमाल करे. हां, उस के साथ जबरदस्ती हो सकती है पर जबरदस्ती तो पुरुषों के साथ भी होती है. उस पर जैसे पुरुष अपने निर्णय खुद लेते हैं, वैसे ही औरतें लें. काम करते हुए आरे से हाथ कट जाए तो पुरुष को डाक्टर की सलाह माननी होती है, अपनी सहमति देनी होती है, बस. न धर्म बीच में आता न कानून. गर्भ के मामले में भी ऐसा ही हो. यौन संबंध चाहेअनचाहे बने, गर्भ ठहरा और गिरा दिया. जोखिम औरत के हैं. शरीर औरत का है. नैतिकता का पाठ पुरुषों का धर्म और कानून आप की पैंट में रखें. बहुत खयाल है तो कानून पुरुषों की पैंटों की जिपों के बनने चाहिए कि कितनी बार वे औरतों को देख कर पैंट ढीली कर सकते हैं.

Monsoon Special: ये 5 मैट लिपस्टिक देंगी आपको नया लुक

सौफ्ट और कलरफुल लिप्स सुंदरता के साथ-साथ कौन्फिडेंस को भी बूस्ट करते हैं. अगर आप हर मौके पर आगे रहना चाहते हैं तो लिक्विड मैट लिपस्टिक आपको ट्रेंड में सबसे आगे रखने में मदद करेगी. ब्यूटी चार्ट को अगर कोई रूल कर रहा है तो वह है  मैट लिप्स शेड्स. ये स्किन के  मौइस्चर को लौक कर आपके लिप्स को क्लीन फिनिश देते हैं. जिससे लिप्स बेहद ही आकर्षक नजर आने लगते हैं.

1. एन वाई X मैट लिपस्टिक

यह आपको अट्रैक्टिव अपील के साथ ,लिप्स को बेहतर टेक्सचर  और कलर देते हैं .इसके लिए n y x का यह फंकी पिंक लिप  शेड चुने जो सुपरकूल फिनिश  देगा. हर अवसर के हिसाब से यह कलर आपकी लुक को गजब का बूस्ट देता है ताकि आप भीड़ में सबसे अलग नजर आयें.

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2. कलर एसेंस मैट लिप्स क्रेयौन

क्रेयौन की तरह दिखने वाला यह प्रोडक्ट मौर्निंग टू इवनिंग आपको फ्रेश दिखने में मदद करती है. औफिस और पार्टी दोनों ही लिहाज से आप इस लिपस्टिक को अपने होठों पर अप्लाई कर सकती हैं. विटामिन ई युक्त यह लिपस्टिक होंठों को कलर देने के अलावा उन्हें प्रोटेक्ट भी करके रखती है. मौइस्चर को लौक करके यह आपके लिप्स को सौफ्ट बनाता है. जिन महिलाओं को लिपस्टिक लगाने का ज्यादा शौक नहीं है, वह इसे जरूर ट्राई करके देखें. टिंटेड होने के साथ-साथ कलर एसेंस की यह लॉन्ग वियर रेंज आपके होठों पर लिप बाम इफेक्ट भी देती है.

3. मैक मैट लिपस्टिक

अपने यूनिक व बोल्ड कलर्स की वजह से मैक   ट्रेंडी ब्रांड माना जाता है .सभी ऐसेसरीज की मदद में से यह इकलौती ऐसी ब्रांड है जिसे आज तक कोई हरा नहीं पाया है .इसकी यूएसपी है टाइमलेस अपील प्रदान करना.ब्यूटी की दुनिया में   मैक हर दिन कोई ना कोई नया प्रोडक्ट उतारता ही रहता है .बेस्ट सेलर होने की वजह से भी सभी लड़कियों की डिमांड लिस्ट में सबसे ऊपर है .

4. मैट लिपस्टिक

14 अलग-अलग रंगों में उपलब्ध यह लौन्ग वियर लिपस्टिक आपकी ओवरौल लुक को कंप्लीट करती है. इस लिपस्टिक की मदद से हर पार्टी को रौक किया जा सकता है. इसकी लौन्ग वेयर क्वौलिटी आपके लिप्स को परफेक्ट टच देने में पूरी तरह से सक्षम है .आप अपनी लुक को बोल्ड अपील देना चाहती हैं तो इससे बेहतर लिपस्टिक आपको नहीं मिलेगी.

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5. लिक्विफाइड मैट लिपस्टिक

यह लिपिस्टिक वाकई गजब की क्षमता रखती है. ग्लास की तरह दिखने वाला यह प्रोडक्ट होंठों  पर लगते ही आपको मैट स्मूद  नैस प्रदान करता है. लिप्स को प्लम यानी फुलर दिखने में और उन्हें आकर्षक दिखाने में यह लिपस्टिक बहुत ही भूमिका निभाती है .यदि आप हाल फिलहाल में कोई वेडिंग पार्टी या डिनर डेट अटेंड करने की सोच रहे हैं ,तो टू फेस्ड की इस नई रेंज को जरूर अपनाएं.

वर्क फ्रौम होम टैंशन दूर करें ऐसे

‘‘क्योंपारुल, कहीं जा रही हो क्या? सारे रास्ते तो बंद हैं? जगहजगह पुलिस खड़ी है?’’  मयूरी ने अपनी पड़ोसिन पारुल को स्मार्ट ड्रैसअप हो कर बालकनी में खड़ा देखा तो पूछ बैठी.

दरअसल, जब से लौकडाउन हुआ है तब से मयूरी तो अपनी नाइटी से बाहर ही नहीं आई है. घर में रहो तो नाइटी ही सब से सुविधाजनक ड्रैस लगती है. कौटन की हलकी, लूज और हवादार नाइटी में एक तो घर के काम करते वक्त गरमी नहीं लगती और थक जाओ तो इसी में थोड़ी देर सो जाओ. बारबार कपड़े बदलने का झंझट भी नहीं और लौकडाउन में कोई मेहमान भी तो नहीं आने वाला कि नहाधो कर सलवारकुरता और दुपट्टा धारण करो. खुद भी कहीं निकलना नहीं है.

इसलिए मयूरी आजकल दिनरात नाइटी में काट लेती हैं. मगर पारुल को सुबहसुबह बिलकुल फ्रैश, पूरे मेकअप और औफिस के कपड़ों में टिच देख कर मयूरी से रहा नहीं गया, तो अपनी बालकनी से आवाज दे कर पूछ ही बैठी.

‘‘नहींनहीं… कहीं जाना नहीं है, घर पर ही हूं,’’ पारुल ने जवाब दिया.

‘‘फिर ये सुंदर मिडीटौप क्यों? वैसे तुम बहुत स्मार्ट लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?’’

मयूरी की उत्सुकता कारण जाने बिना खत्म होने वाली नहीं थी. आखिर जब घर में ही रहना है तो पारुल इतनी स्मार्टली ड्रैसअप हो कर क्यों घूम रही है?

‘‘अरे, कोई नहीं आने वाला है, बस थोड़ी देर में औफिस की मीटिंग शुरू होने वाली है औनलाइन, इसलिए तैयार हुई हूं.’’

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‘‘अरे, तो इस के लिए इतना तैयार होने की क्या जरूरत थी? मुझे तो लगा तुम्हारा औफिस खुल गया और तुम औफिस जाने की तैयारी में हैं,’’ मयूरी की उत्सुकता अभी कम नहीं हुई थी.

‘‘अरे वीडियो कौन्फ्रैंस है, सब के चेहरे दिखेंगे तो तैयार तो होना पड़ता है न. फिर तैयार हो कर न बैठो तो औफिस वाली फीलिंग नहीं आती, मीटिंग में दिल नहीं लगता, बस इसलिए तैयार हुई हूं और कोई बात नहीं है.’’

‘‘अच्छाअच्छा… मैं ने तो यों ही पूछ लिया था,’’ मयूरी कुछ झेंप कर बोली.

दरअसल, मयूरी हाउसवाइफ है. लौकडाउन नहीं था तब वह भी सुबह उठ कर, नहाधो कर सलवारकुरता पहन लेती थी क्योंकि सुबह से ही किसी न किसी की दस्तक दरवाजे पर होती रहती थी. फिर कभी ब्रैड लेने जाना है, कभी सब्जी लेने तो कभी दूध खत्म.

मगर लौकडाउन में बच्चे भी घर में हैं और पति भी, तो उस को बारबार बाहर जाने के झंझट से मुक्ति मिल गई है. पति सुबह जा कर सारा सामान एक बार में ले आते हैं.

वैसे भी कोरोना वायरस के डर से बारबार बाहर निकलने की गलती कोई नहीं कर रहा है. पति अपना औफिस का काम घर से ही करते

हैं, कभी फोन पर तो कभी छोटे के कंप्यूटर

पर. थोड़ी देर काम करते हैं, लेकिन खूब सोते भी हैं.

दूसरी तरफ पारुल है, जो सुबह अपने घर के सारे काम निबटा कर नहाधो कर बिलकुल ऐसे तैयार होती है जैसे औफिस जा रही हो.

जब से लौकडाउन हुआ है और वर्क फ्रौम होम शुरू हुआ है तभी से उस ने अपने घर के एक कोने को औफिस का लुक दे कर अपना कंप्यूटर, फोन, लैपटौप सब वहीं सैट कर दिया है. साथ ही इलैक्ट्रिक से चलने वाली टी केटल भी लगा ली है कि थकान या बोरियत हो तो गरमगरम चाय की चुसकी भी ले लो.

पारुल आईटी प्रोफैशनल है. स्मार्ट और तेजतर्रार वर्कर है. लिहाजा लौकडाउन में घर से काम करते हुए बिलकुल फ्रैश, साफसुथरे कपड़ों में वह 10 बजते ही इस कोने में अपना लैपटौप खोल कर विराजमान हो जाती है.

पारुल का ज्यादातर काम लैपटौप पर होता है. मीटिंग्स और बाकी सारे काम भी औनलाइन चलते हैं. मीटिंग में वीडियो कौल भी शामिल होती है, तो ऐसे में पारुल को अपने पहनावे और लुक्स का भी ध्यान रखना पड़ता है.

वैसे भी जब आप ठीक से तैयार होते हैं तो आप को थोड़ी औफिस वाली फीलिंग्स मिल ही जाती है. रोज कुछ नयापन बना रहता है. काम में मन लगता है और नएनए आइडियाज आते हैं.

आरिफ एक स्कूल में टीचर हैं. वे भी लौकडाउन में वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं. रोज सुबह जल्दी उठते हैं. नहाधो कर अच्छे से प्रैस किए हुए पैंटशर्ट पर बाकायदा टाई और परफ्यूम लगा कर अपने लैपटौप के आगे बैठ जाते हैं और करीब 4 घंटे सुबह और 4 घंटे लंच के बाद अपने स्टूडैंट्स की औनलाइन क्लास लेते हैं. इस दौरान वे पूरी तरह चुस्त और ऐनर्जेटिक दिखते हैं.

आरिफ इस बात का पूरा खयाल रखते हैं कि वे अपने घर में किसी ऐसी जगह तो नहीं बैठे हैं कि पीछे का सीन उन के स्टूडैंट्स का ध्यान भटकाए. वे हमेशा किसी साफसुथरी दीवार या परदे के आगे बैठते हैं.

घर के अन्य सदस्य इस दौरान उन के आसपास या पीछे से नहीं गुजरते.

कुछ सावधानियां भी जरूरी

वर्क फ्रौम होम में काफी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में कुछ सावधानियां भी रखनी जरूरी हैं. जैसे जब आप औनलाइन दूसरों को नजर आ रहे हों तो आप के बाल सलीके से बने हुए हों. आप अच्छे और साफ कपड़ों में हों.

अगर आप पुरुष हैं तो चेहरा शेव किया हुआ हो और अगर आप महिला हैं तो थोड़ा मेकअप जरूरी है ताकि आप दूसरों को आकर्षक दिखें और आप को व आप की बातों को तवज्जो दी जाए.

हाल ही में एक मशहूर टीवी चैनल के जानेमाने न्यूज ऐंकर वर्क फ्रौम होम करते हुए अपने घर के नीचे ही खड़े हो कर कैमरे के सामने अपनी खबर दे रहे थे. जब कैमरे में सिर्फ उन का चेहरा और सीने का कुछ हिस्सा आना था, लिहाजा उन्होंने ऊपर तो बढि़या शर्ट पहन ली लेकिन नीचे हाफ निक्कर ही पहने रहे, सोने पर सुहागा यह कि पैरों में चप्पलें तक नहीं डाली. नंगे पैर बाइट देने खड़े हो गए.

अब उन के चैनल पर तो उन की तसवीर ठीक दिखी, मगर उन के एक पड़ोसी की खुराफात के चलते वे सोशल मीडिया पर मजाक का केंद्र बन गए.

दरअसल, जिस वक्त वे औफिस के कैमरे पर आधे घर के और आधे औफिस के कपड़ों में अपनी बाइट दे रहे थे, ठीक उसी समय उन के सामने वाले घर की छत से उन का पड़ोसी अपने मोबाइल फोन से उन का वीडियो शूट कर रहा था.

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इधर वे अपने चैनल पर दिखे, उधर उन का फुल वीडियो सोशल मीडिया पर आ गया और लोग चटखारे ले ले कर देखने और उन के हाफ निक्कर पर कमैंट्स करने लगे. इस को ले कर उन को अपने औफिस से काफी लताड़ भी सुनने को मिली.

वर्क फ्रौम होम की दिक्कतें

अनेक कामकाजी महिलाओं के लिए लौकडाउन का पीरियड कई मुश्किलें ले कर आया है. उन को एकसाथ कई काम निबटाने पड़ रहे हैं. लौकडाउन में कामवाली या मेड का आना लगभग सभी घरों में बंद है. ऐसे में उन महिलाओं को जो अपने कार्यालयों में बड़ीबड़ी पोस्ट पर हैं, घर के सारे छोटेबड़े काम करने पड़ रहे हैं तो मिडिल क्लास की कामकाजी महिलाओं की तो जान ही आफत में है. उन्हें झाड़ूपोंछा भी करना है, गंदे बरतनों का ढेर भी साफ करना है, कपड़े भी धोने हैं, खाना भी बनाना है व बच्चों और पति को भी देखना है.

बच्चों की औनलाइन क्लासेज भी चल रही हैं, ऐसे में कई परिवारों में लैपटौप और कंप्यूटर को ले कर भी मारामारी मची हुई है. बच्चों को भी कंप्यूटर चाहिए, पति को भी और पत्नी को भी. ऐसे में अगर पतिपत्नी दोनों वर्क फ्रौम होम कर रहे हैं तो उन का काम काफी प्रभावित होता है.

कई बार औनलाइन न आ पाने के लिए बहाने भी बनाने पड़ते हैं.

महिलाओं से ये अपेक्षा भी की जाती हैं कि घर पर हों तो रोज कुछ नया बना कर खिलाओ. ऐसे में वे हर तरफ से पिस रही हैं. तनाव चरम पर है. औफिस का काम भी समय पर पूरा करना है और घर का भी.

आजकल सभी कामकाजी महिलाएं बावर्ची, कपड़े धोने वाले, मेड सब की भूमिका अकेले निभाते हुए औफिस का काम निबटा रही हैं. हां, वे महिलाएं थोड़ा आराम में हैं जिन की शादी नहीं हुई या जो अकेली रह रही हैं. जिन की शादी नहीं हुई और जो अपने मातापिता के साथ हैं उन के लिए औफिस के काम के लिए पर्याप्त समय निकालना कुछ आसान है क्योंकि उन की मांएं उन की समस्या समझते हुए घर का काम खुद ही निबटा लेती हैं और बेटी को काम करने के लिए पूरा वक्त मिल जाता है.

वहीं जो महिलाएं महानगरों में या अन्य शहरों में अकेली रह रही हैं वे भी अपनी सुविधा के अनुसार घर के काम निबटाती हैं और औफिस के काम के लिए पूरा समय दे पाती हैं. मगर शादीशुदा और ससुराल में रहने वाली महिलाएं वर्क फ्रौम होम में काफी दिक्कतों का सामना कर रही हैं और उत्मीद कर रही हैं कि जल्दी ही लौकडाउन खुले और वे वापस औफिस पहुंचें.

बनाएं थोड़ा संतुलन

घर और औफिस की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाने के लिए संतुलन

बनाना बहुत जरूरी है, वरना दोहरा तनाव आप को बीमार कर देगा.

इस के लिए निम्न उपाय अपनाएं:

– चाहे आप कोई भी काम करें, लेकिन उस के लिए एक शैड्यूल बनाना जरूरी है. शैड्यूल बना कर काम करेंगे तो घर और औफिस दोनों का काम सही समय पर पूरा हो जाएगा.

– अपने काम करने की प्राथमिकता के हिसाब से कामों की एक सूची तैयार करें. इस लिस्ट से आप अपने काम पर ढंग से फोकस कर पाएंगे और समय से अपना काम शुरू कर समय पर पूरा भी कर सकेंगे. दिन के आखिर में अपने पूरे दिन किए कामों की रिव्यू जरूर करें.

– घर में अगर छोटे बच्चे हैं और आप एकल परिवार में रहती हैं, तो अपने सहकर्मियों को अपनी स्थिति से अवगत कराएं. फायदा यह होगा कि कभी कोई काम में थोड़ी देरी भी होगी तो आप को बहुत ज्यादा सफाई देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

– अगर संयुक्त परिवार में रहती हैं तो औफिस का काम शुरू होने से पहले घर के जितने काम निबटा सकती हैं, निबटा लें. उस के बाद बेझिझक हो कर बच्चे से जुड़ी जिम्मेदारियों के लिए परिवार वालों की मदद लें.

– अपने काम के कैलेंडर के आधार पर पति के साथ घर की जिम्मेदारियों को इस तरह से बांटें कि जिस समय आप काम करें, उस समय वह बच्चों को देखें और जब वह काम करें, तो आप बच्चों की देखभाल करें. सारी जिम्मेदारियां खुद पर नहीं लें.

– घर में सास और ननद पर भी किचन और घर की साफसफाई की जिम्मेदारी डालें. अच्छी बहू बनने के चक्कर में अपनी परेशानियां न बढ़ाएं वरना दोतरफा काम का तनाव आप को बीमार भी कर सकता है.

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मेरे नाखून बढ़ते नहीं और अगर बढ़ते हैं तो खुरदरे होकर जल्दी टूट जाते हैं?

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे नाखून बढ़ते नहीं हैं और अगर काफी देखभाल के बाद थोड़ेबहुत बढ़ भी जाते हैं, तो खुरदरे हो कर जल्दी टूट जाते हैं. कृपया मुझे नाखूनों को लंबा व मजबूत करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब

खानपान में कैल्सियम की कमी की वजह से नाखूनों के न बढ़ने की समस्या होती है. उन्हें लंबा और मजबूत बनाने के लिए माइल्ड शैंपू के घोल में नीबू कर रस मिलाएं और अपने हाथों को उस में 5-10 मिनट डुबोए रखें. इस के बाद हाथों को साफ पानी से धो कर कोल्ड क्रीम या मौइश्चराइजिंग क्रीम लगाएं. ऐसा हफ्ते में 2 बार करें. साथ ही डाइट में दूध, दूध से बने पदार्थ व ड्राईफ्रूट्स शामिल करें. यकीनन आप के नाखूनों की लंबाई भी बढ़ेगी और वे मजबूत भी होंगे.

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नाखूनों से जानिए सेहत का राज

गलत खान-पान और गलत जीवनशैली का प्रभाव हमारे शरीर पर हमेशा पड़ता है, जिसे हम नहीं जान पाते और जब तक इस बारें में पता चलता है, तब तक बहुत देर हो जाती है. हमारे नाखून भी ऐसे ही है, जो हमारे शरीर की आधी बीमारी को बताने में सफल होते है. असल में नाखून हमारे शरीर में किस चीज की कमी है या कौन सी बिमारी दस्तक दे रही है, उसकी कंडीशन क्या है आदि सभी बातें आसानी से बता देती है. इसके अलावा सालों साल आप क्या खा रहे है या किसे अधिक खा रहे है, इन सबका असर नाखूनों पर पड़ता है. नाखून की सतह पर सफेद दाग या धब्बे या नाखूनों का ‘ब्रिटल’ होना या नीला पड़ जाना, उसके आकार में परिवर्तन होना आदि शामिल है.

इस बारें में मुंबई की ‘द स्किन इन’ की डर्मेटोलोजिस्ट डा. सोमा सरकार बताती है कि नाखूनों की सहायता से मिनरल्स, विटामिन्स की कमी के अलावा मालन्युट्रिशन, थाइरोइड डिसआर्डर, एनीमिया, कार्डियाक डिसीज, लंग्स डिसआर्डर आदि बीमारियों का पता आसानी से लगाया जाता है. हेल्दी नाखून का रंग हमेशा हल्का गुलाबी होता है. हर दिन हेल्दी नाखून 0.003 मिलीमीटर से 0.01 मिलीमीटर तक बढ़ता है, लेकिन ये व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. कम उम्र में नाखून जल्दी बढ़ते है जबकि अधिक उम्र होने पर इसके बढ़ने की रफ्तार कम हो जाती है. ठंडी में नाखून जल्दी नहीं बढ़ पाते, जबकि गर्मी के मौसम में ये जल्दी बढ़ते है. यहां कुछ बातें निम्न है, जिसे जानना जरुरी है,

– अगर नाखून के आकार तोते की चोंच के तरह हो रहे है तो, व्यक्ति को कार्डिएक की बीमारी या लंग्स डिसआर्डर होने की संभावना होती है,

– नाखून की सतह पर सफेद स्पाट या लकीरे होने पर बायोटिन की कमी होती है, बायोटिन हमारे शरीर में उपस्थित बैड कोलेस्ट्रोल को घटाकर शरीर को उर्जा प्रदान करती है, इसके अलावा ऐसे नाखून लीवर सम्बन्धी बिमारी की ओर इशारा करते है, इसके लिए फ्रेश वेजिटेबल्स और सलाद का खाना लाभदायक होता है.

– कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स की कमी से नाखून ‘ब्रिटल’ हो जाते है, इसमें नाखून के ऊपर से पपड़ी निकलने लगते है, असल में ऐसे नाखूनों में ब्लड सर्कुलेशन कम होता है, ऐसे नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर थाइरोइड या आयरन की कमी के भी शिकार होते है, जिसे समय रहते इलाज करना जरुरी है, एग, फिश, बादाम, आलमंड्स आदि का सेवन भी इसमें लाभदायक होता है.

– नीले रंग के नाखून वाले अधिकतर व्यक्ति श्वास की बिमारी, निमोनिया या दिल से सम्बंधित बिमारियों से पीड़ित होने की संभावना होती है.

– पीले नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर पीलिया के शिकार होते है, इसके अलावा सिरोसिस और फंगल इन्फेक्शन जैसी बीमारियां उन्हें हो सकती है, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के नाखून भी पीले या बदरंग हो जाते है.

– आधे सफेद और आधे गुलाबी रंग के नाखून वाले व्यक्ति को किडनी से सम्बंधित बीमारियां हो सकती है, ऐसे नाखून खून की कमी को भी संकेत देती है.

– सफेद रंग के नाखून लीवर से सम्बंधित बिमारियों जैसे हेपेटाइटिस की खबर देते है.

– कई बार नाखूनों के आस-पास की त्वचा सूखने लगती है, इसे अनदेखा न करें, ये विटामिन सी, फोलिक एसिड या प्रोटीन की कमी से होती है, इसलिए अपने आहार में प्रोटीनयुक्त पदार्थ, पत्तेदार सब्जियां आदि लें.

इसके आगे डा. सोमा कहती है कि महिलाएं खासकर पानी में अधिक काम करती है. इसलिए उनमें नाखून की बिमारी अधिक देखी जाती है, ऐसे में उन्हें अपने नाखूनों की देखभाल अच्छी तरह से करनी चाहिए, जो निम्न है.

– काम करने के बाद हल्के गरम पानी से नाखूनों को साफ करने के बाद, नेल क्रीम या किसी भी कोल्ड क्रीम से अपने नाखूनों को मोयास्चराइज करें.

-एसीटोन युक्त नेल रिमूवर से नेलपॉलिश कभी साफ न करें.

– नाखूनों को समय-समय पर काटकर उसे नेल फाइलर द्वारा साफ करें.

– नेल पालिश लगाने से पहले नेल हार्डर लगाकर नेलपालिश लगायें, जिससे नाखून केमिकल से सुरक्षित रहे.

– नाखून की बाहरी त्वचा का खास ध्यान रखें, नेल क्यूटिकल्स ही नाखूनों को फंगल और बेक्टेरिया के इन्फेक्शन से बचाते है.

– खाने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स वाले पदार्थ अधिक लें.

नाखून, हेयर और स्किन हमारे अंदर की स्वस्थता को प्रतिबिंबित करते है, इसलिए उसमें आये किसी भी परिवर्तन को नजरंदाज नहीं करना चाहिए और समय रहते डाक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए.

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Fashion: बिकिनी कट ब्लाउज में बॉलीवुड दीवाज ने लगाया हॉटनेस का जबरदस्त तड़का

फैशन इंडस्ट्री में लगातार बदलाव होते रहते है. अगर बात करें भारतीय पहनावे यानी साड़ी की तो साड़ी, ब्लाउज के बिना अधूरी है. साड़ी को स्टाइलिश दिखाने के लिए आपके ब्लाउज का स्टाइलिश होना बहुत जरूरी है. आज हम आपको बॉलीवुड की उन दीवाज के कुछ यूनिक स्टाइल के ब्लाउज के बारे में बताएंगे जिसको देख कर आप उसकी दीवानी हो जाएंगी.

आजकल बॉलीवुड दीवाज के बीच बिकिनी कट ब्लाउज या ‘ब्रालेट’ ब्‍लाउज डिजाइंस ट्रेंड में हैं. जैसा नाम से ही पता चलता है, इन ब्लाउज को बिकिनी ब्रा के शेप में कट और स्टिच किया जाता है. ब्रालेट ब्‍लाउज को आप कई तरह के आउटफिट्स के साथ क्‍लब कर सकती हैं. सिंपल साड़ी के साथ इस तरह के ब्लाउज को पहन कर  ये दीवाज साड़ी में भी बोल्डनेस का एलिमेंट ऐड कर हॉटनेस का जबरदस्त तड़का लगाती हुई नजर आती हैं. जिन्हें देख कर उनके फैंस सोशल मीडिया पर  तरह-तरह के कमेंट्स करते है. ‘ये ब्लाउज पहना है या ब्रा?’.

बिकिनी ब्रा स्टाइल ब्लाउज

‘बिकिनी ब्रा स्टाइल’ ब्लाउज या ब्रालेट’ ब्‍लाउज को ज्यादातर मनीष मल्होत्रा के कलेक्शन में देखा जा रहा है. जाह्नवी कपूर और जैकलीन फर्नांडिस,करीना कपूर ,जाह्नवी कपूर, भूमि पेडनेकर और तारा सुतारिया सभी सीक्वेंस साड़ी के साथ इस तरह के ब्लाउज पहन कर बोल्डनेस का जलवा बिखेरती रहती हैं.

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फेमस फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा का सीक्वंस साड़ी के पैटर्न को वह लगभग हर साल नए डिजाइन के साथ पेश करते हैं। 2019 में उन्होंने शीटिड सीक्वंस साड़ी कलेक्शन लॉन्च किया था. इन साड़ियों को जॉर्जेट मटीरियल पर बनाया गया। इसके साथ डिजाइनर ने ब्लाउज को बिकिनी ब्रा स्टाइल में रखा था.

जैकलीन फर्नांडिस

जैकलीन येलो साड़ी के साथ सिल्वर कलर के शाइन वाले बिकिनी ब्लाउज को पहने स्पॉट की गई हैं. उन्होंने कानो में सिल्वर लांग इयररिंग्स पहना हुआ और बालों की हाई पानी बनाई हुई थी. हमेशा की तरह वो इस ड्रेस में भी बला की सुंदर दिख रहीं  है.

भूमि पेडनेकर

भूमि ने क्रीम शेड की सीक्‍वेंस वर्क वाली साड़ी पहनी है. साड़ी के साथ उन्होने मैचिंग ब्‍लाउज पहना है. भूमि का ब्‍लाउज हॉल्‍टर नेक स्‍टाइल में है. इस ब्‍लाउज ने साड़ी के पूरे लुक को ग्‍लैमरस टच दे‍ दिया है. भूमि पेडनेकर इस तरह की साड़ी में कई बार दिखाई दी हैं. उन्हें ब्लैक, वाइट, ऑरेंज और मरून सीक्वंस वर्क साड़ी  के साथ सेक्सी बिकनी कट ब्लाउज पहनकर अपने लुक में हॉटनेस का जलवा बिखेरा.

तारा सुतरिया

तारा सुतारिया ने एक मूवी प्रमोशन इवेंट के दौरान पिंक साड़ी के साथ ऐसा ब्लाउज पहने स्पॉट की गई थीं. इसके अलावा उन्होंने बच्चन परिवार की दिवाली पार्टी में ग्रे कलर की सीक्वेंस साड़ी के साथ बिकिनी कट ब्लाउज  पहना. उन्होंने साड़ी के पल्ले को भी इस तरह कैरी किया, ताकि उनका ब्लाउज हाईलाइट हो सके. इसके साथ उन्होंने मल्टी लेयर कला नेकलेस भी पहना जो उनके लुक को खूबसूरत दिखा रहा .

जान्हवी कपूर

 

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Still fighting jet lag tbh….✨

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जान्हवी कपूर ने पिंक कलर की सीक्वेंस साड़ी के साथ बिकिनी कट ब्लाउज पहना था, लुक्स में वो काफी ग्लैमरस और स्टायलिश लग रही है. इस साड़ी-ब्लाउज के साथ उन्होंने खूबसूरत इयररिग्स पहनी हुई हैं. अपने पूरे बालों को वन साइड करके फ्रंट में खुला छोड़ रखा है.

करीना कपूर

kareena

करीना आमतौर पर सबसे ज्यादा स्लीवलेस पैटर्न के ब्लाउज में ही नजर आती हैं जो उनके ट्रैडिशनल लुक को भी स्टाइलिश बना देते हैं. करीना कपूर ने इस तरह की साड़ी के साथ मटैलिक पिंक कलर का ब्लाउज पहना था.  इसके साथ उन्होंने टू लेयर वाला डायमंड नेकलेस पहना और अपने बालों को खुला रखा.

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#coronavirus: अधूरी जानकारी से और बढ़ेगी महामारी

‘2मिनट में भागेगा कोरोना,’ ‘रातोंरात गायब हुआ कोरोना,’ ‘कोरोना की वैक्सीन तैयार,’ ‘हलदी मारेगी कोरोना को,’ ‘अब घर की चार चीजें कोरोना से लगाएंगी पार,’ ‘उलटे सिर लेट जाओ नहीं होगा कोरोना,’ ‘गोमूत्र में छिपा कोरोना का इलाज,’ ‘इस आसन से आप होंगे कोरोनामुक्त’ इस तरह की खबरें आप आए दिन सोशल मीडिया, व्हाट्सऐप, यूट्यूब पर देख ही रहे होंगे. सिर्फ देख ही नहीं, उन पर भरोसा कर अमल भी कर रहे होंगे ताकि आप कोरोना से बच सकें, क्योंकि कोई भी इस वायरस की चपेट में आ कर अपनों को नहीं खोना चाहता.

मगर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है, उतनी ही तेजी से सूचनाओं का भी प्रचारप्रसार हो रहा है. बिना देखे, सोचेसमझे सूचनाएं एकदूसरे को फौरवर्ड कर दी जा रही हैं. हरकोई अपने नुसखे बता रहा है, अपनी जानकारी दे रहा है और बिना अपना दिमाग लगाए अधिकांश लोग उन पर अमल भी कर रहे हैं भले ही कोई फायदा हो या न हो. उन्हें सिर्फ इस से मन की संतुष्टि मिल रही है कि इन्हें अमल में लाने से वे बचे रहेंगे, जबकि ऐसा सोचना गलत है. इसलिए सोशल मीडिया पर आई सूचनाओं पर तब तक भरोसा न करें जब तक आप फैक्ट्स को अच्छी तरह न जान लें.

आइए, जानते हैं इस बारे में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ओफ मैडिकल साइंसेज की डायटीशियन डॉ विभा व रेसपीएटरी मेडिसन के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ मानव मनचंदा से.

कोरोना वैक्सीन का स्टेटस

इन दिनों ऐसे मैसेज काफी सुनने में आ रहे हैं कि कोरोना की वैक्सीन अगले 1-2 महीनों में आ जाएगी, जबकि सचाई यह नहीं है. अगर कोरोना की वैक्सीन इतनी जल्दी बन सकती तो चिंता की बात ही न होती. हम भी ऐसी सूचनाओं पर बिना सोचेसमझे विश्वास कर रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि किसी भी वैक्सीन को बनने में कम से कम से 2 साल का समय लगता है.

अब जब इस बीमारी से पूरी दुनिया लड़ रही है, तो सभी देश एकजुट हो कर इस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जिस से उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 1 साल में इस की वैक्सीन बन जाएगी, क्योंकि कोई भी वैक्सीन बनने पर उस का ट्रायल सीधे इंसानों पर नहीं किया जाता, बल्कि उसे और कई परीक्षणों से गुजरना होता है जैसे वायरस को समझना, फिर उस की जानवरों पर टैस्टिंग, फिर वैक्सीन की अलगअलग डोज का अलगअलग स्टेज में इंसानों के छोटे से बड़े गु्रप पर ट्रायल कर के उस का रिजल्ट देखा जाता है. इस के बाद अप्रूवल लिया जाता है. फिर मैन्युफैक्चरिंग शुरू होती है और आखिर में वैक्सीन क्वालिटी चैक के बाद ही मार्केट में आती है. इसलिए कोई भी वैक्सीन इतनी जल्दी नहीं बन सकती.

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हलदी का सेवन फायदेमंद

अगर हलदी खाने से कोरोना ठीक हो जाता तो हर घर की किचन में हलदी होती ही है तो फिर किसी भी इंसान को कोरोना नहीं होता. सच यह है कि हलदी में ऐंटीऔक्सीडैंट्स, ऐंटीवायरल, ऐंटीबैक्टीरियल, ऐंटीफंगल, ऐंटीइनफ्लैमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर को डीटौक्स करने के साथसाथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने का काम करते हैं. अगर हम इसे अपनी डाइट में शामिल कर लें तो इस से हमारा शरीर वायरस, बैक्टीरिया से काफी हद तक लड़ सकता है. लेकिन यह प्रमाणित नहीं है कि इसे खाने वाले कोरोना की गिरफ्त में नहीं आते या आएंगे.

अगर आप अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए हलदी वाला दूध पीते हैं तो उस में चुटकीभर हलदी का ही प्रयोग करें, क्योंकि ज्यादा हलदी के सेवन से किडनी स्टोन का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए सोचसमझ कर ही चीजों का इस्तेमाल करें.

अदरक की चाय

अदरक हर घर की किचन में मिल जाएगी. इस के फ्लेवर से खाने का स्वाद भी कई गुना बढ़ जाता है. इस में मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन, जिंक, कैल्सियम, विटामिन सी आदि प्रर्याप्त मात्रा में पाए जाने के कारण यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. इस में ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटीवायरल खूबियां होती हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथसाथ सांस संबंधित समस्याएं होने पर भी काफी राहत पहुंचाती हैं. कोरोना में हमें सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. ऐसे में यह इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करती है न कि आप को कोरोना से पूरी तरह से बचा सकती है.

इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप इपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए अदरक की चाय का सेवन कर रहे हैं तो 1 इंच से ज्यादा अदरक न लें वरना इस की अति से आप को जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

हलदी और सेंधा नमक

खुद ही सोचिए अगर ऐसा होता तो इस वायरस का खात्मा कब का हो गया होता. असल में हलदी में उपस्थित ऐंटीऔक्सीडैंट और सेंधा नमक में मौजूद ऐंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज होने के कारण ये कुछ तरह के वायरस को खत्म करने में सक्षम होते हैं सभी तरह के नहीं. और अगर आप इस का सेवन जरूरत से ज्यादा करने लगेंगे तो इस से हैल्थ को नुकसान भी पहुंच सकता है, क्योंकि सेंधा नमक में सोडियम कंटैंट काफी ज्यादा जो होता है. इसलिए इस का सोचसमझ कर ही इस्तेमाल करें. क्वांटिटी का खास ध्यान रखें.

काढ़ा बचाएगा कोरोना से

ऐसा कहना सही नहीं है कि काढ़ा पीने से आप कभी बीमार ही नहीं पड़ सकते. असल में काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है, क्योंकि इस में इस्तेमाल किए गए स्पाइस और हर्ब्स विभिन्न न्यूट्रिऐंट्स से भरपूर होने के कारण इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करते हैं. इस में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स शरीर में बन रहे फ्री रैडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं, साथ ही मैटाबोलिज्म को भी सुचारु करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं कह सकते कि काढ़ा पीने वाले कभी बीमार नहीं हो सकते.

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क्यों जरूरी है स्ट्रौंग इम्यूनिटी

इम्यूनिटी शरीर की टौक्सिंस से लड़ने की क्षमता होती है. अगर आप की इम्यूनिटी स्ट्रौंग होगी, तो आप का शरीर टौक्सिंस जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगल इंफैक्शन से लड़ने में सक्षम होता है और अगर इम्यूनिटी कमजोर होगी तो आप की बौडी जर्म्स और वायरस से नहीं लड़ पाएगी और आप बीमार हो जाएंगे. ऐसे में अगर आप को किसी भी वायरस से लड़ना है, तो अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाना होगा ताकि आप की बौडी उस वायरस से लड़ पाए, आप उस का मुकाबला कर के ठीक हो सकें.

तो अब बस मैसेज के भरोसे या फिर किसी के कहने पर किसी चीज को लेना न शुरू कर दें, बल्कि अपने शरीर को देखते हुए व उस के फायदे, नुकसान देख कर ही उस चीज का सेवन करें.

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कोरोना वायरस महामारी भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में फैल चुकी हैं. दिन-प्रति दिन इस महामारी से जूझने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में इस वायरस से बचने के लिए इम्युनिटी को स्ट्रांग रखना व इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए हैलदी डाइट बहुत  ज़रूरी है, जो इस हालात में खांसी, जुकाम और फ्लू से हमें बचा सके.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए अभी हाल ही में सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट व डाइटीशियन रुजुता दिवेकर ने सर्दी-खांसी और फ्लू से बचने के कुछ घरेलू उपाय बताए हैं.

न्यूट्रिशनिस्ट व डाइटीशियन रुजुता दिवेकर ने पोस्ट में लिखा है कि हमारे किचन व दादी मां के टाइम-टेस्ट्ड ज्ञान को फिर से रोशनी में आने के लिए किसी महामारी की जरूरत नहीं है.  इन चीजों को एक्सप्लोर करें, खुद भी खाएं और आने वाले जेनरेशन को भी इन चीजों को खाने के लिए प्रोत्साहित करें,  ठीक उसी तरह जैसे बचपन में आपकी दादी-नानी आपको प्यार से खिलाया करती थीं.

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आइए जानते हैं रुजुता दिवेकर के क्या हैं 7 उपाय, जिसको  आप अपनी डाइट में शामिल कर सकती है-

1. घी, सूखी अदरक या  सोंठ, हल्दी, गुड़ को एक समान मात्रा में मिलाकर सुबह और रात में खाएं.

2. ब्रेक फ़ास्ट में रागी की खिचड़ी और डोसा का सेवन करें.

3. मीड मॉर्निंग में काजू और गुड़ का सेवन करें.

4. लंच में मूंग दाल के साथ हर रोज चावल और घी को अपनी डाइट में शामिल करें.

5. इवनिंग स्नैक में गुड़, पोहा और दूध या फिर, टोस्ट के साथ अंडा अथवा घर में जमाई हुई दही के साथ पोहा खाएं.

6.  डिनर में दाल खिचड़ी, या फिर चावल के साथ फिश और घी खाएं.

7. इसके अलावा, नींबू, लेमन ग्रास और शहद से बनी चाय पिएं. आप चाहें तो केसर, अदरक और बादाम युक्त कश्मीरी कहवा का सेवन दिन में किसी भी समय कर सकते हैं.

बॉलीवुड में सलेब्स की फिटनेस को फिट करने के लिए रुजुता दिवेकर एक जाना – पहचाना नाम है जो  करीना, करिश्मा, अर्जुन कपूर, अनिल कपूर, सोनम कपूर, आलिया और तमाम फ़िल्मी हस्तियों की डाइटीशियन गाइड  हैं.  लेकिन  रुजुता को असली पहचान बेबो यानी करीना कपूर को जीरो साइज़ फिगर के बाद मिली. करीना के जीरो फिगर का श्रेय रुजुता दिवेकर को भी जाता है. रुजुता मानती हैं कि यदि उनकी ज़िंदगी में करीना कपूर न होतीं तो वे आज इतना बड़ा नाम न होतीं.

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कैसे पटरी पर लौटेगा बेहाल बौलीवुड

सिनेमा जगत पर भी कोरोना का कहर बुरी तरह बरपा है, चाहे बौलीवुड हो या क्षेत्रीय सिनेमा, सभी को कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है. इंडस्ट्री के सभी डिपार्टमैंट और प्रोडक्शन के काम जैसे कास्टिंग, लोकेशन ढूंढ़ना, टेक स्काउटिंग, कौस्टयूम फिटिंग, वार्डरोब, हेयर ऐंड मेकअप आर्ट, साउंड व कैमरा, कैटरिंग, एडिटिंग, साउंड और वौयस ओवर जैसे सभी काम ठप पड़ गए हैं और ये काम करने वालों के पास कोई काम नहीं है और न ही कमाई का जरीया है.

एक्सपर्ट्स के अनुसार सिनेमाघरों के बंद होने, शूटिंग रुकने, प्रमोशनल इवेंट्स के न होने और इंटरव्यू रुकने के चलते टीवी और फिल्म इंडस्ट्री को आने वाले समय में भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

यह नुकसान कितना बड़ा होगा, इस के सही आंकड़ें अभी मौजूद नहीं हैं, लेकिन अनुमान है कि इंडस्ट्री को 100 से 300 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है.

बंद पड़े हैं सिनेमाघर

तकरीबन 9,500 सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है और आने वाले कुछ हफ्तों तक इन के खुलने की कोई संभावना नहीं है. हर साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 1,200 फिल्में बनती हैं. इन फिल्मों की कमाई मल्टीप्लैक्स से आती है, जो लौकडाउन के दौरान बंद हैं.

मार्च माह में सब से पहले रिलाइंस ऐंटरटेनमैंट ने रोहित शेट्टी की फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की तारीख आगे बढ़ाई थी, जिस के बाद फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’,  ‘हाथी मेरे साथी’ समेत 83 फिल्मों की रिलीज की तारीख टाल दी गई.

फिल्म ‘बागी’ 3 मार्च को रिलीज जरूर हुई, लेकिन उस की टिकटों की बिक्री नहीं हुई थी. इस का एक कारण भारत में बढ़ रहा कोरोना का खतरा था.

इसी तरह इरफान खान और राधिका मदान की फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ को बौक्स औफिस से निकाल ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी हौटस्टार पर रिलीज किया गया. क्षेत्रीय फिल्मों को भी रिलीज से रोक दिया गया था.

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ओटीटी प्लेटफार्म्स बैस्ट औप्शन नहीं 

रिलीज डेट आगे बढ़ जाने और सिनेमाघरों के बंद होने के चलते फिल्म, टीवी व वैब सीरीज की शूटिंग को रोक दिया गया, जिस पर लौकडाउन के बाद पूरी तरह विराम लग गया. ओटीटी प्लेटफार्म्स जैसे अमेजन प्राइम, नैटफ्लिक्स पर कुछ फिल्में रिलीज जरूर हो रही हैं, लेकिन यह हर फिल्म के लिए संभव नहीं है कि वह ओटीटी तक पहुंच पाए और न ही ओटीटी प्लेटफार्म्स हर बड़ी फिल्म को खरीद सकते हैं.

चर्चित तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर एसकेएन का कहना है कि लगभग 1,000 सीटों वाले सिनेमाघरों को महीने के 10 लाख रुपए का घाटा हो रहा है.

एसकेएन इस बात को ले कर चिंतित हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म्स लंबी रेस का घोड़ा साबित होंगे या नहीं. वे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफार्म्स उन फिल्मों को खरीदना चाहेंगे, जो सिनेमाघर में रिलीज नहीं हुई हैं, क्योंकि हमें नहीं पता कि कौन सी फिल्म सिनेमाघर में हिट साबित होगी और कौन सी नहीं. और यह साफ  है कि ओटीटी उन्हीं फिल्मों को खरीदना चाहते हैं, जो पहले से ही हिट हों.’’

इस समय ऐंटरटेनमैंट इंडस्ट्री में केवल ओटीटी प्लेटफार्म ही एसे हैं, जो फायदे में हैं. बहुचर्चित शोज और फिल्मों को लोग लौकडाउन के चलते बिंज वौच कर रहे हैं, जिन के जरीए इन प्लेटफार्म की व्युअरशिप बढ़ी है.

साल 2019 में इस इंडस्ट्री ने 17,300 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2020 में इन प्लेटफार्म्स की कमाई के कितने रिकौर्ड टूटेंगे.

यह जगजाहिर है कि सिनेमाघरों में बौलीवुड फिल्मों की रिलीज व उन की मान्यता कितनी महत्वपूर्ण है, जोकि ओटीटी प्लेटफार्म्स पर होना मुश्किल है, दूसरी तरफ , ओटीटी प्लेटफार्म्स 5 करोड़ की फिल्म तो खरीद सकते हैं लेकिन वे 100 करोड़ की फिल्म खरीदने में असमर्थ होंगे. इसलिए बौलीवुड फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज करना आवश्यक है.

इन फिल्मों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली, मुंबई और चेन्नई समेत भारत के 10 महानगरों से आता है, जो फिलहाल कोरोना वायरस के हौटस्पौट हैं. इस स्थिति में बौलीवुड की बिग बजट फिल्मों का भविष्य अंधकारमय है.

कर्मचारियों की है हालत पस्त

बड़े सितारे आएदिन सोशल मीडिया के जरीए अपनी उपस्थिति दिखाते हैं. किसी को अपने एसी खराब होने की चिंता है, तो कोई बरतन धोने को प्रोडक्टिविटी के रूप में पेश कर रहा है. परंतु, फिल्मों के बैकग्राउंड में काम करने वालों के लिए यह समय बेरोजगारी और भुखमरी ले कर आया है.

फिल्मों की शूटिंग और उस से जुड़े सभी प्रोडक्शन और प्रमोशन के काम बंद होने का इतना असर बड़े बैनर्स और एक्टर्स पर नहीं पड़ा है, जितना फिल्मों से जुड़े छोटे स्तर पर उतना काम करने वाले कर्मचारियों पर हुआ है. कू्र्र मेंबर्स, दिहाड़ी पर काम करने वाले और छोटेमोटे प्रोजेक्ट्स से पैसा कमाने वाले लोगों के लिए जीवन निर्वाह करना मुश्किल हो गया है. वे दो 2 वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं.

प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया के अनुसार, बौलीवुड का काम ठप होने से इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तकरीबन 10 लाख लोगों पर कोरोना के चलते प्रभाव पड़ रहा है. कई लोग बिना काम के रहने को मजबूर हैं. इस से बौलीवुड में दिहाड़ी पर काम करने वाले 35,000 कर्मचारी अत्यधिक प्रभावित हुए हैं.

सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोशिएशन यानी सिनटा द्वारा बौलीवुड के ए लिस्टर सितारों से इन कर्मचारियों के लिए डोनेशन की अपील की गई, जिस के चलते रोहित शेट्टी, सलमान खान, रितिक रोशन, अमिताभ बच्चन और विद्या बालन उन सितारों में से थे, जो दिहाड़ी कर्मचारियों के लिए फंड व राशन देने के लिए सामने आए.

चिंता की बात यह है कि आखिर कब तक डोनेशन के जरीए इन कर्मचारियों का घर चलेगा. ज्ञातव्य है कि मदद हर कर्मचारी तक नहीं पहुंच रही व एसे कितने ही अभिनेता हैं, जो खुद चिंता में हैं कि उन के खर्चे कैसे पूरे होंगे, परंतु पोपुलैरिटी के चलते वे मदद मांगने में असमर्थ हैं.

नए एक्टर्स और पैपराजी भी चपेट में

मुंबई महानगरी है और देश के अलगअलग हिस्सों से युवा यहां अपने सपने पूरे करने आते हैं. किराए के घरों में रहने वाले इन युवाओं को भी अपने घरों तक लौटना पड़ा. यह सभी छोटेमोटे प्रोजेक्ट कर अपना निर्वाह कर रहे थे, पर अब कोई काम न होने पर इन्हें अपने मातापिता पर आश्रित होना पड़ रहा है.

हालत यह है कि एकसाथ मिल कर जी लोग जिस घर का किराया दे रहे थे, उन में से कई अपने घर लौट चुके हैं. इस के चलते जो रह गया है, उसे पूरा किराया खुद देना पड़ रहा है. यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, किसी को कोई अंदाजा नहीं है.

आएदिन टीवी एक्टर्स के एयरपोर्ट लुक्स, जिम लुक्स, वैडिंग लुक या सीक्रेट डेट लुक को कैमरे में कैद करने वाले पैपराजी भी कोरोना की मार से नहीं बचे हैं. न अब सैलिब्रिटी घर से निकल रहे हैं और न ही ये उन्हें कैप्चर कर पा रहे हैं.

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आमतौर पर एक दिन में 11,000 से 20,000 रुपए कमाने वाले इन पैपराजी के लिए कमाई के रास्ते बंद हो गए हैं. डायरैक्टर और प्रोड्यूसर रोहित शेट्टी व एक्टर रितिक रोशन ने इन के लिए डोनेशन दिया है.

ऐसे संभलेगी फिल्म इंडस्ट्री

लौकडाउन खुलने के बाद फिल्म इंडस्ट्री को पटरी पर वापस आना है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. फिल्म के निर्मातानिर्देशकों को प्रीप्रोडक्शन काम को बेहद सावधानी से पूरा करना होगा.

यदि स्टाफ  के एक व्यक्ति को भी कोरोना संक्रमण होता है, तो सारा काम 3 हफ्तों तक रोक दिया जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय यातायात पर प्रतिबंध होने पर ज्यादा से ज्यादा ग्रीन स्क्रीन पर शूटिंग होगी, जिस से फिल्में अलग तरह से बनेंगी. इसी तरह से अनेक बदलाव होने वाले हैं.

प्रोडक्शन को जारी करने के लिए प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया ने बैक टु एक्शन रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में औन और औफ  स्टेज व प्री और पोस्ट प्रोडक्शन के सभी डिपार्टमैंट्स के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिन की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

– लौकडाउन खुलने के पहले 3 महीनों में सैट पर आने वाले हर शख्स का टैंपरेचर चैक होगा व उस के द्वारा सैनिटाइजेशन, सोशल डिस्टैसिंग, जहां तक संभव हो, वर्क फ्रौम होम का पालन किया जाएगा. साथ ही, कम कास्ट और क्रू व बाहरी लोकेशनों में शूटिंग कम करने को ध्यान में रखा जाएगा. सैट पर मैडिकल टीम का होना अनिवार्य होगा.

– सैट पर सभी को हर थोड़ी देर में हाथ धोने होंगे व ट्रिपल लेयर मास्क हर समय लगाए रखना होगा. सभी को 3 मीटर की दूरी का पालन करना होगा और हाथ मिलाने, गले लगने व किस करने से परहेज करना होगा.

– सैट पर आने वाले हर क्रू मैंबर और स्टाफ  को अपनी फिटनैस और स्वास्थ्य के सही होने की पुष्टीकरण के लिए फार्म भरना होगा और किसी भी प्रोजैक्ट को साइन करने से पहले स्वास्थ्य की सही जानकारी देनी होगी.

– शूटिंग के दिनों में हर व्यक्ति की उपस्थिति का रिकौर्ड रखा जाएगा. सभी को शूटिंग से 45 मिनट पहले सैट पर पहुंचना होगा, ताकि उन्हें कोरोना से बचाव के तरीके बताए जाएं और नई दिनचर्या उन की आदत बन जाए.

– जो लोग घर से काम कर सकते हैं, उन्हें घर से ही काम करना होगा. 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति और किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को घर से काम करना अनिवार्य होगा.

देखना यह है कि आखिर कब तक यह स्थिति बनी रहती है. सभी की कोशिश यही है कि काम जल्दी से जल्दी पटरी पर लौट आए और रफ्तार पकड़ ले.

#coronavirus: डरे नहीं, लक्षण दिखने पर करवाए जल्दी टेस्ट

 डॉ. सरोज शेलार (फैमिली फिजिशियन)

अभी हीरो फिल्मों के नहीं, बल्कि रियल लाइफ से जुड़े डॉक्टर्स, नर्सेज, सफाई कर्मी, पैरामेडिकल फोर्सेज और पुलिस है, जो पूरे देश में कोरोना संक्रमण या कोविड 19 के लगातार बढ़ते केसेज को दिनरात काम कर कम करने की कोशिश कर रहे है. महाराष्ट्र में जहाँ संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक है. इन दिनों मुंबई की उपनगरीय क्षेत्र जिसमें मलाड, कांदिवली, बोरीवली, दहिसर आदि इलाकों में कोरोना संक्रमण की दर लगातार तेजी से बढ़ रही है. अस्पतालों में मरीजों को इलाज और बेड मिलना भी अब मुश्किल हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में कई प्राइवेट डॉक्टर्स आगे आये है, जो लगातार करोना संक्रमण के मरीजों की संख्या को कम करने की कोशिश कर रहे है और जान जोखिम में डालकर उन्हें स्वस्थ भी कर रहे है. 35 साल की डॉ. सरोज शेलार भी ऐसी ही एक फॅमिली फिजिशियन है, जो बीएमसी के साथ मिलकर आसपास के तक़रीबन 25 से 30 कोरोना मरीज को पिछले कुछ दिनों में ठीक किया है. उनका नाम फ्रंटलाइन योद्धा की सूची में शामिल योग्य है. 

डॉक्टर सरोज कहती है कि शुरू-शुरू में मुझे लगा था कि लॉक डाउन से ये बीमारी कम होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दो तीन दिन रुकने के बाद मैंने क्लिनिक में आना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि मैं एक डॉक्टर हूँ और इस महामारी में घर पर बैठी नहीं रह सकती, क्योंकि लोगों को मेरी जरुरत है. मैंने कोरोना संक्रमण के लक्षण को देखते हुए इस पर अध्ययन किया और इलाज करना शुरू किया,जिसमें पाया कि समय से इसकी जांच और इलाज मिलने पर रोगी स्वस्थ आसानी से हो सकता है, पर समस्या यह है कि लोग अपनी बीमारी को छुपा रहे है और जब समस्या गंभीर होती है, तो डॉक्टर के पास आते है, जिसे ठीक करना मुश्किल होता है. लोगों को लगता है कि बीमारी को छुपाने से वे बच जायेंगे, जबकि इससे वे और अधिक लोगों को संक्रमित कर रहे है. पहले मलाड एरिया में संक्रमितों की संख्या कम थी ,जो अब तेजी से बढ़ रही है. इसका असर झुग्गियों से लेकर अब बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में भी फ़ैल चुका है. हर दिन दो से तीन मरीज में कोरोना के लक्षण देखे जा रहे है. इनमें झुग्गियों में रहने वाले कई लोग इतने गरीब है कि उनके पास टेस्ट करवाने के पैसे नहीं होते. मैं उन्हें फ्री में भी इलाज कर रही हूं.

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वह आगे कहती है कि कोरोना संक्रमण के इलाज में सबसे पहले मैं रोगी के लक्षण देखती हूँ, जिसमें हाई फीवर के साथ-साथ बदन दर्द बहुत तेज होता है. इसके बाद कोरोना की जांच करवाई जाती है. इसमें मैं रोगी के सैंपल लेने के बाद उसे घर में क्वारेंटाइन करने के लिए कहती हूँ. पॉजिटिव रिजल्ट आने के बाद उसकी रिपोर्ट और दवा के लिए परिवार के किसी सदस्य को बुलाती हूँ और उसे सारी बातें विस्तार से समझाती हूँ. रोगी से बातचीत और उसकी देखभाल वीडियो कॉल के ज़रिये करती हूँ, अगर रोगी को कुछ समस्या आती है, तो तुरंत बीएमसी को इन्फॉर्म कर उन्हें गोरेगांव ईस्ट में स्थित नेस्को के क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया जाता है, जहाँ दो हज़ार बेड्स के साथ व्यवस्था बहुत अच्छी है. अच्छा खाना, डॉक्टर्स, नर्सेज, साफ़ सफाई सबकुछ दुरुस्त है. अगर वहां पर जाने के बाद मरीज अधिक सीरियस होता है तो ट्रोमा सेंटर में भेजा जाता है. मुंबई में बीएमसी के अच्छा काम करने के वावजूद लोग उन्हें भला-बुरा कह रहे है, जबकि मेरे पास से गए सारे कोविड 19 के मरीज़ ठीक होकर घर लौट चुके है. इस बीमारी का लोड व्यक्ति की इम्युनिटी पर निर्भर होता है. इसके अलावा कुछ लोगों को कोरोना संक्रमण की मात्रा अधिक न होने पर वे जल्दी ठीक होजाते है. मेरा उन सभी संक्रमित व्यक्तियों से कहना है कि जब भी आपको हाई फीवर और बदन दर्द हो, तो डरे नहीं, डॉक्टर से मिलकर अपना टेस्ट जल्दी करवाएं. इससे कम खर्च में जल्दी इलाज़ हो सकेगा. 

इस काम के लिए डॉक्टर सरोज पीपीइ किट के साथ साथ पूरा सेफ्टी नॉर्म्स का पालन करती है, जिसमें, मास्क, ग्लव्स, कैप, फेस शील्ड आदि होते है. इसे वह हर रोह 8 से 9 घंटे तक पहनती है, जो आसान नहीं होता. हर रोगी के बाद वह अपने क्लिनिक को सेनिटाइज करती है, ताकि संक्रमण दूसरे मरीज में न फैले. वह कहती है कि इस बीमारी को लेकर लोग डरे हुए है और बुखार होने पर हमारे पास नहीं आते. एक व्यक्ति ने छुपाकर अपनी टेस्ट करवाई, ताकि उसके आसपास रहने वाले लोग उसके साथ बुरा बर्ताव न करें. लोग समझते नहीं है कि ये एक वायरल इन्फेक्शन है, इससे व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो सकता है और साधारण व्यक्ति की ही तरह सबके बीच में रह सकता है. सावधानी केवल संक्रमित व्यक्ति से कुछ दिनों के लिए ही करना पड़ता है, जिसमें सेनिटाइजेशन, मास्क और ग्लव्स पहनना आवश्यक होता है. 

डॉ. सरोज के इस काम में उसका परिवार पूरी तरह से साथ देता है. उसके घर में उसके बुजुर्ग सास-ससुर, पति सुयोग शेलार और दो बच्चे, तनिष्क (12 वर्ष) और तरुष (साढ़े चार वर्ष) का है. परिवार के सहयोग के बारें में पूछे जाने पर डॉ.सरोज कहती है कि पहले पति ने थोड़ी आनाकानी मेरे प्रैक्टिस को लेकर किया, पर मैंने उन्हें समझाई कि उन्होंने एक डॉक्टर से शादी की है, जिसका काम मरीजों को ठीक करना है. इसके बाद वे समझे और परिवार की देखभाल अपने काम के साथ करते है. बड़ा बेटा भी घर में दादा-दादी की देखभाल करता है. 

इस काम में सरोज को खुद की देखभाल भी बहुत करनी पड़ती है. क्लिनिक से जाने के बाद डॉ.सरोज सीधा बाथरूम में जाकर नहाती है और अपने कपडे गरम साबुन पानी से धोकर बाहर निकलती है और इनदिनों वह अपने बच्चों से थोड़ी दूरी बनाकर रखती है, ताकि परिवार सुरक्षित रहे. खाने में पौष्टिक आहार लेने के साथ-साथ एक अच्छी नींद भी लेती है.

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