अकेले हैं तो क्या गम है

आजकल अधिकांश लोग अकेले रहते हैं. आप भी उन में से एक हैं तो कहीं आप को यह तो नहीं लगता कि अकेले रहना बहुत बुरी और मुश्किल चीज है. आप अपने अकेले रहने वाले समय को ऐंजौय करने, रिलैक्स करने के बजाय घर में इधर से उधर भटकते हुए यह सोचने में तो नहीं बिता देतीं कि आप इस समय क्या करें?

अगर ऐसा है, तो आप इन लोगों के बारे में जरूर जानिए:

65 वर्षीय श्यामला आंटी अकेली रहती हैं, पति का निधन हो चुका है, इकलौती विवाहित बेटी अपनी फैमिली के साथ आस्ट्रेलिया में सैटल्ड है. आंटी हम सब के लिए प्रेरणास्रोत हैं. हम में से किसी ने भी कभी उन्हें किसी भी बात पर झींकते हुए नहीं देखा. वे अपने अकेलापन को बहुत ही पौजिटिव तरीके से लेती हैं, ऐसा भी नहीं कि उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं होती. तबीयत खराब होने पर खुद ही डाक्टर के पास जाती हैं, कभी किसी को नहीं कहतीं कि उन्हें कंपनी चाहिए. मेड जरूरी काम निबटा जाती है, वही अगर किसी को बताए कि आंटी की तबीयत ठीक नहीं है, तो तभी पता चलता है.

महीने में एक बार मुंबई में किसी रिश्तेदार से मिल आती हैं. कैब भी खुद बुक करना सीख लिया है, बेटी दिन में एक बार बात करती है, उन की हर प्रौब्लम को वहीं से निबटा देती है. शाम को अच्छी तरह तैयार हो कर आंटी नीचे उतरती हैं, सैर करती हैं, अपनी हमउम्र महिलाओं के साथ बैठती हैं, जो महिलाएं अपने बेटेबहू, घरपरिवार की बुराई करती हैं, उन से फौरन दूरी बना लेती हैं. हंसमुख, शालीन आंटी का स्वभाव ऐसा है कि जब भी उन्हें हमारी कोई हैल्प चाहिए होती है, कोई पीछे नहीं हटता. ऐसा नहीं कि उन्हें घर में अकेलापन कभी खलता नहीं होगा पर यह अकेलापन उन्होंने स्वीकार कर लिया है और अब इसे ऐंजौय करने लगी हैं. गु्रप में किसी को पार्टी करनी हो और यदि वह अपने घर में न कर पा रही हो, कारण कुछ भी हो, आंटी का घर हमेशा सब के लिए हर काम के लिए खुला है.

हंस कर कहती हैं, ‘‘अरे, यहां कर लो पार्टी, मेरी क्रौकरी भी इस बहाने निकल जाएगी, कुछ रौनक होगी.’’

देखते ही देखते उन के यहां पार्टी हो जाती है और किसी की भी अपने घर पार्टी न कर पाने की प्रौब्लम खत्म.

जीवन में किसी के सामने कभी भी अकेले रहने का समय आए तो सब यही सोचती हैं कि अकेले रहने की प्रेरणा आंटी से लेनी है.

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नीरजा के बेटेबहू जब भी विदेश से मुंबई आते, तो उन का मन खुशी से नाच उठता. पति विशाल के साथ मिल कर ढेरों प्लानिंग कर लेतीं, कितनी ही चीजें उन की पसंद की बना कर रख देतीं. उन के वापस जाने के बाद जीवन में फिर से छाए अकेलेपन के अवसाद में कई दिनों तक घिरी रहतीं. पर धीरेधीरे बेटेबहू के बदलते लाइफस्टाइल ने उन के सोचने की भी दिशा बदल दी.

अब वे उन के जाने पर जरा भी अकेलापन महसूस नहीं करतीं, अब वे अपने अनुभव कुछ इस तरह से बताती हैं, ‘‘बच्चों की शिकायत नहीं कर रही हूं. उन का लाइफस्टाइल अलग है हमारा अलग. वे

11 बजे सो कर उठते हैं, रात दोस्तों से मिलमिला कर पार्टी कर के 2-3 बजे लौटते हैं. हमारे पास तो बहुत ही थोड़ी देर बैठते हैं पर मेरा पूरा रूटीन घर के हर काम का समय बुरी तरह बिगड़ जाता है, रात को नींद डिस्टर्ब होती है, हमें जल्दी सुबह उठने की आदत है. मगर बच्चे घर में रहते हैं तो पूरा दिन किचन समेटने की नौबत ही नहीं आती. बहू किचन में झांकती भी नहीं. मेरी हालत खराब हो जाती है. उन की दुनिया अलग ही है. हमारी भी अलग. अब तो जब वे चले जाते हैं चैन की सांस आती है. अब अकेलेपन में आराम दिखता है, शांति है. साथ रहने पर किसी न किसी बात में मनमुटाव भी हो जाता है, जो अच्छा नहीं लगता. वे वहां खुश रहें, हम यहां खुश रहें, बच्चों के बिना अब अकेलेपन को खलता नहीं, हम अकेलेपन को ऐंजौय करते हैं.’’

70 वर्षीय सुधा रिटायर्ड टीचर हैं. उन के बेटाबेटी उसी शहर में अपनेअपने परिवार के साथ अलग रहते हैं. सुधा पति की डैथ के बाद से अकेली ही रह रही हैं. उन्हें कभी किसी पर आश्रित हो कर रहना भाया ही नहीं. हमेशा अकेली रहीं.

उन का कहना है, ‘‘मुझे अकेले रहने की आदत है, मैं नहीं चाहती साथ रह कर बेटे के साथ कोई खटपट हो. अभी सब अलग हैं, सब को अपनी प्राइवेसी चाहिए, कोई जरूरत होने पर एक फोन पर कोई भी आ ही जाता है. मिलतेजुलते तो रहते ही हैं, किसी के साथ रहने का बंधन नहीं है. जब मन हुआ अपनी फ्रैंड्स को बुलाती हूं, जब मन हुआ घूमने चली जाती हूं, सब अपनी मरजी से जीएं, क्या बुरा है. अकेलापन कोई समस्या है ही नहीं, लाइफ एंजौय करनी आनी चाहिए.’’

26 वर्षीय संजय विदेश में पढ़ता है. इंडिया आने पर वहां के लाइफस्टाइल के बारे में पूछने पर कहता है, ‘‘शुरू में मन नहीं लगता था, काम करने की आदत नहीं थी, बहुत अकेलापन लगता था, फ्रैंड्स भी नहीं थे पर अब सब काम खुद करतेकरते अकेले रहने की आदत सी पड़ गई है, लेट आने पर किसी की रोकटोक की आदत नहीं रही. अपनी मरजी से जब जो मन होता है, करता हूं. अब अकेले रहने को ऐंजौय करता हूं. अब लगता है किसी के साथ रहने पर काफी ऐडजस्ट करना पड़ेगा,’’ और फिर हंस पड़ता है.

42 वर्षीय दीपा तो अकेले रहने की कल्पना पर ही जोश से भर उठती है. वह कहती है, ‘‘यार, सपना होता है कि कभी अकेली भी रहूं. पति टूर पर जाएं तो मजा आ जाता है. वे हर तरह से अच्छे पति हैं पर उन के टूर पर जाने पर जो थोड़ी फ्री होती हूं न, जो रूटीन चेंज होता है, अच्छा लगता है और उस पर बच्चे भी बाहर व्यस्त हों तो क्या कहने, यह भी टाइम बहुत बड़ा गिफ्ट लगता है नहीं तो सुबह से रात तक अपने लिए सोचने का टाइम मुश्किल से ही मिलता है. मुझे तो इंतजार है उस दिन का जब बच्चे पढ़लिख कर सैटल हों और मुझे अकेले रहने का टाइम मिले और मैं अपने हिसाब से अपने कुछ शौक पूरे कर लूं.’’

24 वर्षीय वीनू को मुंबई में जब ट्रेनिंग के लिए आना पड़ा तो पूरा परिवार हैरानपरेशान हो गया, भोपाल से मुंबई आ कर वह 2 और लड़कियों के साथ रूम शेयर कर के रहने लगी. उस के पेरैंट्स बहुत परेशान कि कैसे रहेगी, क्या करेगी, यह तो एक दिन भी हमारे बिना नहीं रही. सब का रोरो कर बुरा हाल, 1 महीना ही लगा वीनू को मुंबइया लाइफ में सैट होने में. हमेशा घरपरिवार की सुरक्षा में रहने वाली वीनू बाहर निकल कर आत्मविश्वास से भरती चली गई. सारे काम गूगल की हैल्प लेले कर पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गई और अपनी इस नई दुनिया में अकेलापन ऐसा भाया कि अब घर वाले  उसे अकेले इतनी खुश देख हैरान रह जाते.

45 वर्षीय दीपा को लिखने का शौक है, वे कभी रात में घर में अकेली नहीं रहीं. पति टूर पर  होते हैं तो दोनों बच्चे तो साथ होते ही.

एक बार कुछ ऐसा हुआ कि पति टूर पर और दोनों बच्चों को तेज बारिश के कारण 2 दिन मुंबई में अपने फ्रैंड्स के घर रुकना पड़ा. वे बताती हैं, ‘‘पहले तो मैं यह सोच कर घबराई कि अकेली कैसे रहूंगी, पर सच मानिए, इस अकेलेपन को मैं ने इतना ऐंजौय किया कि मैं खुद हैरान रह गई. अपने रूटीन से फ्री हो कर अपने लेखनकार्य में इतनी व्यस्त रही कि पता नहीं कब का सोचा हुआ शांति से लिख कर पूरा कर पाई. इतना कुछ घर के कामों में मन में ही रखा रह जाता है. अब पता नहीं इतना अच्छा मौका कब मिलेगा जो मैं इस तरह से कुछ लिख पाऊंगी.’’

अकेलापन इतनी बड़ी समस्या है ही नहीं जितना लोग समझते हैं. अकेलापन अकसर नैगेटिव विचारों से भर देता है, इसलिए लोग अकसर अकेले रहने से बचते हैं. आप को अकेलापन बोझ न लगे इस के लिए ये टिप्स आजमा सकती हैं:

– इस समय करने के लिए कोई रोचक ऐक्टिविटी ढूंढ़ें, सिर्फ बैठ कर टीवी देखना ही काम न हो.

– स्वयं से जुड़ें, फोन, टैब, लैपटौप से थोड़ा ब्रेक ले कर कुछ और करें, आप को महसूस होगा, आप को किसी की जरूरत नहीं. आप अकेले बहुत कुछ ऐंजौय कर सकती हैं.

– स्वयं से जुड़ने का, खुद को समझने का यह समय बहुत अच्छा होता है. यह आप का टाइम होता है. आप जो चाहें कर सकती हैं.

– इस का मतलब यह नहीं कि आप को घर में ही अकेले रहना है. आप बाहर जाएं, कहीं कौफी पीएं, सैर करें, पार्क में बैठ कर कुछ पढ़ें.

– डाक्टर शैरी के अनुसार अपने साथ ही समय बिताने से खुद को समझने में आसानी होती है. आप सोचें कि आप को जीवन में क्या चाहिए, अपनी पसंद से जरूर कुछ करें.

– अकेले रहने का मतलब यह समझ लें कि आप खुद पर फोकस कर सकते हैं. अपनी फन लिस्ट पर ध्यान देना शुरू करें, जो अभी तक आप के मन में थी.

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– लाइफ ऐंजौय न करने का यह बहाना न ढूंढ़ें कि आप अकेले हैं. जीवन में अच्छी चीजों को देखना सीखें, आशावादी दृष्टिकोण रखें.

– कई बार आप अपने पार्टनर या फ्रैंड को नहीं, उन के साथ बिताया गया समय, मूवी या डिनर पर जाना याद कर रहे होते हैं, तो अब भी स्वयं को रोके नहीं, बाहर जाएं, मूवी देखें, अच्छी जगह कुछ खाएं भी.

– ऐक्सरसाइज जरूर करें, नए दोस्त बनाना चाहते हैं तो जिम जौइन कर लें. अपने घर में ही सिमट कर न रहें. नेचर को ऐंजौय करें. बाहर जाएं, घूमेंफिरें, लोगों से जोश, खुशी से मिलें, आप के नए दोस्त बनेंगे.

– कुछ चैरिटी वर्क करें, किसी हौस्पिटल, किसी संस्था या अनाथालय से जुड़ सकते हैं.

– कुछ लिखें. लिखने से न सिर्फ आप की कल्पनाशक्ति बढ़ती है, लिखना आप को सकारात्मक विचारों से भर कर खुशी भी देता है.

– अच्छी किताबें पढ़ें, पढ़ने का शौक पूरा करने के लिए अकेलापन वरदान है.

– म्यूजिक, डांस या कोई इंस्ट्रूमैंट सीखें.

– लोगों से, पड़ोसियों से मिलने पर अच्छी मधुर बातें करें, किसी से कट कर जीने की आदत न डालें.

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8 टिप्स: इन होममेड तरीकों से पाएं जिद्दी ब्लैकहेड्स से छुटकारा

बेदाग चेहरा पाने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते. चेहरे की खूबसूरती के लिए यह जरूरी है कि आपकी स्किन की रंगत समान हो और चेहरे पर पिम्पल्स और दाग-धब्बे ना हों. जहाँ एक तरफ हमारे चेहरे को तैलीय त्वचा, मुंहासे व दाग-धब्बो से क्षति पहुँचती है ,वहीँ दूसरी तरफ दाग-धब्बे से भी बड़ी एक समस्या है, और वो है हमारी नाक पर ब्लैक-हेड्स होना. ब्लैक-हेड्स जिन्हें आम भाषा में ‘कील’ भी कहा जाता है. ये काले रंग के नॉन-इंफ्लेमेटरी एक्ने होते हैं, जो त्वचा के रोमछिद्रों पर जम जाते हैं, जिनके कारण रोमछिद्र बंद हो जाते हैं.इनसे छुटकारा पाने के लिए हम लोग तरह-तरह के केमिकल प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं, जिनके कारण कई बार हमारी त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है.

ब्लैकहेड्स एक ऐसी समस्या है जो किसी भी उम्र के शख्स को हो सकती है. पर टीनएज में ये खासतौर पर होना शुरू होता है और समय के साथ बढ़ता ही चला जाता है. कुछ लोगों के तो ब्लैक हेड्स सिर्फ नाक पर ही नहीं बल्कि ठुड्डी, सीने और पीठ के साथ ही कंधों पर भी हो जाते हैं.

ब्लैकहेड्स का मुख्य कारण होता है, त्वचा में सीबम का अधिक उत्पादन होना. त्वचा में सिबेशियस ग्लांड्स (sebaceous glands) यानी तैलीय ग्रंथियां मौजूद होती हैं, जो सीबम (तेल) का उत्पादन करती हैं. त्वचा में बनने वाला यह तेल त्वचा को सुरक्षित और नम बनाए रखने में मदद करता है, लेकिन कभी-कभी त्वचा पर मौजूद गंदगी, धूल और प्रदूषण के कण चले जाने के कारण एक मृत कोशिका की परत बन जाती है ,जिसकी वजह से रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. इस परिस्थिति में सीबम त्वचा के अंदर बनता तो है, लेकिन बाहर नहीं निकल पाता और ब्लैकहेड्स का कारण बनता है.

आज हम आपको ब्लैक हेड्स हटाने के घरेलू उपाय के बारे में बताएँगे .ये उपाय बड़े आसान और प्राकृतिक है जिससे ब्लैकहेड्स हमेशा के लिए चले जायेंगे.

1. शहद और नींबू

नींबू का रस दाग-धब्बों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. इससे ब्लैकहेड्स आसानी से निकल जाते हैं. नींबू में मौजूद पोषक तत्व और विटामिन सी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है.
शहद ऑयली स्किन के साथ ही ड्राई स्क‍िन के लिए भी फायदेमंद है. ये त्वचा को नमी देने के साथ ही पोर्स में कसावट लाने का काम करता है.

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हमें चाहिए-

एक बड़ा चम्मच ऑर्गनिक शहद

एक बड़ा चम्मच नींबू का रस

एक बड़ा चम्मच चीनी

बनाने का तरीका-

1-एक बाउल में सारी सामग्रियों को अच्छी तरह मिला लें.

2-अब इस मिश्रण की एक पतली परत को ब्लैकहेड्स पर लगाएं और उंगलियों को गोल-गोल घुमाकर हल्के हाथों से मसाज करें.

3-लगभग तीन से पांच मिनट तक मसाज करने के बाद इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें.बाद में चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें. इस तरकीब को सालों पहले से इस्तेमाल किया जा रहा है, क्योंकि नीम्बू हमारी त्वचा को हल्का मेहसूस कराता है, और शहद से बैक्टीरिया मारे जाते हैं.

2-गुलाब जल और नमक-

गुलाब जल चेहरे पर निखार लाने के साथ-साथ ब्लैकहेड्स को हटाने में भी मदद करता है.

हमें चाहिए-

1 चम्मच गुलाब जल

1 चम्मच नमक

बनाने का तरीका-

1- एक कटोरी में एक छोटा चम्मच नमक और एक चम्मच गुलाब जल मिला लें.

2- बिना देरी किए हुए इस मिश्रण से अपने नाक या उस जगह पर रगड़ें जहां पर ब्लैक हेड्स हों.

3- गुलाब जल से चेहरे की चमक बढ़ेगी व ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाएंगे.

3-बेसन ,दूध और नमक-

जहाँ एक तरफ बेसन हमारे चेहरे पर ग्लो लाता है वहीँ बेसन ,दूध और नमक का मिश्रण ब्लैक हेड्स दूर करने के लिए काफी उपयोगी है.

हमें चाहिए-

1 चम्मच बेसन

2 चम्मच दूध

चुटकी भर नमक

बनाने का तरीका-

1-चम्मच बेसन में 2 चम्मच दूध और चुटकीभर नमक मिक्स करें.

2- इस पेस्ट को ब्लैक हेड्स पर लगाएं. 15 मिनट के बाद इसे रगड़ कर साफ कर दें.

3-इस पेस्ट से ब्लैक हेड्स तो साफ होंगे ही साथ में चेहरा भी चमकने लगेगा

4- चीनी और नमक-

एक चम्मच चीनी में एक चुटकी नमक मिलाएं. इस मिश्रण से हल्के हाथों से नाक पर मसाज करें. 15 मिनट के बाद, जब यह सूख जाए तब गीले कॉटन से पोछ लें.

5- ग्रीन टी

जैसा कि ब्लैकहेड्स के कारण में हम बता चुके हैं कि त्वचा में अधिक सीबम का उत्पादन इसका मुख्य कारण होता है. ऐसे में ग्रीन टी का उपयोग ब्लैक हेड्स का समाधान करने में मदद कर सकता है. इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स सीबम के उत्पादन कम करके रोमछिद्रों को खोलने में मदद कर सकते है.

हमें चाहिए-

दो ग्रीन- टी बैग्स

एक कप गुनगुना पानी

आधा चम्मच एलोवेरा जेल

बनाने का तरीका-

1-दो ग्रीन टी बैग्स को काटें और उनकी पत्तियों को एक कप गुनगुने पानी में डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें.

2-कुछ देर बार पत्तियों को पानी से निकालें और उनमें एलोवेरा जेल मिलाकर उसका पेस्ट बना लें.

3-अब इस पेस्ट को ब्लैक हेड्स पर लगाएं. लगभग 10 से 15 मिनट रखने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें.

6-मकई का आटा और दूध –

मकई का आटा एक फेस स्क्रब की तरह काम करता है जो स्किन के छिद्रों को बंद करने वाली डर्ट आदि को साफ करने में मदद करता है.

हमें चाहिए-

2 चम्मच मकई का आटा

1 चम्मच दूध

बनाने का तरीका-

1-दो चम्मच बारीक मकई के आटे में थोड़ा सा दूध या पानी मिलाकर पेस्ट बना लें.

2-इसे लगाने से पहले चेहरे पर स्टीम लें ताकि स्किन के छिद्र खुल जायें. इस पेस्ट को लगायें और हल्के-हल्के सर्कुलर मोशन में मसाज करें. ब्लैकहेड्स पर ज्यादा मसाज करें.

3-हफ्ते में 3 बार इस प्रक्रिया को करें.कुछ मिनट्स के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें.

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7- सी सॉल्ट स्क्रब

हमें चाहिए-

दो चम्मच सी सॉल्ट

एक चम्मच शहद

बनाने का तरीका –

1-एक बाउल में दोनों सामग्रियों को अच्छी तरह से मिला लें.

2-इस स्क्रब को चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें.

3-लगभग पांच मिनट मसाज करने के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें.

8-शुगर स्क्रब

ब्लैकहेड्स का समाधान करने के लिए यह त्वचा से अतिरिक्त तेल को सोखकर रोमछिद्रों को खोलने में मदद करता है.

हमें चाहिए-

दो चम्मच शक्कर

एक चम्मच शहद

आधा चम्मच जैतून का तेल

तीन से चार बूंद नींबू का रस

बनाने का तरीका –

1-एक बाउल में सारी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर स्क्रब बना लें.

2-इस स्क्रब को चेहरे पर लगाएं और हल्के हाथों से चेहरे की मसाज करें.

3-लगभग पांच से छह मिनट तक मसाज करने के बाद चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें.

ध्यान रहे- ब्लैकहेड्स को दबाये नहीं ,यहाँ तक की पार्लर में उपयोग किये जाने वाले ब्लैकहेड्स रिमूवर से भी नहीं. क्यूंकि ये त्वचा में दिक्कत कर सकता है जिससे स्तिथि और भी बदतर हो सकती है.

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Fashion: चेहरे के हिसाब से ही ट्राय करें ये लेटेस्ट नोज रिंग और दिखें खूबसूरत

हर किसी लड़की या महिला की चाहत होती है सबसे खूबसूरत और आकर्षक लगना . वो खुद को भीड़ में सबसे अलग दिखाना चाहती है और  वो इसके लिए क्या कुछ नहीं करती. वो अपनी ड्रेस से लेकर अपनी एक्सेसरीज  तक का पूरा ख्याल रखती है.पर क्या आप जानते है एक ऐसी ही  एस्सेसरिज के बारे में जो आपकी खूबसूरती को बढ़ाने में एक अहम् रोल निभाने का काम करती है, ये है बहुत छोटी सी चीज लेकिन इससे किसी की भी सुन्दरता में चार चाँद लग जाते है .

जी हाँ हम बात कर रहे है नोज पिन और नोज रिंग की. काफी समय पहले से ही नोज रिंग का जूनून लड़कियों के बीच है. जहां तक मुझे याद है की नोज रिंग का ट्रेंड तबसे चालू हुआ जब से टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने इसे पहनना चालू किया. उनका ये लुक महिलाओं और लड़कियों ने काफी पसंद किया और यहाँ तक की बॉलीवुड और tv एक्ट्रेस ने  तो इसको कॉपी तक किया.

वैसे तो  ये देखने में बहुत छोटी होती है, पर अगर ये आपके चेहरे पर सूट न करे तो ये आपकी खूबसूरती को बढ़ा या घटा सकती है.कभी कभी हमें किसी के चेहरे पर नोज रिंग देखकर लगता है की हम  भी ऐसी ही नोज-रिंग ले ,पर जरूरी नहीं की वो अगर उसके चेहरे पर अच्छी लग रही है  तो वो आपके चेहरे पर भी अच्छी लगेगी .

आजकल मार्किट में तरह-तरह के स्टोन ,साइज़ और डिजाईन के नोज पिन बहुत ही आसानी से मिल जाते है जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकती है ,लेकिन नोज पिन को अपने चेहरे के according चुनते हुए कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे है की कौन से शेप के चेहरे के साथ कौन सी नोज पिन अच्छी लगेगी.

1-डायमंड स्टड नोज पिन

इस तरह की नोज पिन किसी भी चेहरे पर सुन्दर लगती है. चाहे चेहरा लम्बा, गोल या ओवल शेप का ही क्यूं न हो. ये नोज स्टड आमतौर पर किसी भी तरह के आउटफिट्स के साथ अच्छे लगते हैं चाहे वो इंडियन हो या वेस्टर्न. यदि आप डेली use में  नोज पिन पहनना चाहते हैं, तो छोटे हीरे या स्टोन का विकल्प चुनें.

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2-फ्लावर स्टड नोज पिन

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इस तरह की नोज पिन उन महिलाओं पर ज्यादा अच्छी लगती है ,जिनकी नाक  चौड़ी हो.इस तरह की नोज पिन  मार्किट में कई colours और साइज़ में आसानी से मिल जाएँगी.अगर आप चाहे तो colour-ful नोज पिन भी try कर सकती हैं .ये आपके चेहरे को फंकी लुक देंगी.

3- फ्लावर बेंट नोज पिन

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ये ऐसे नोज पिन्स है जो पूरी तरह सर्कल शेप में नहीं होते.ऊपर से फूल और नीचे से नाक की ओर झुकी हुई ये नोज पिन आजकल मार्किट में बहुत पोपुलर है. ये सभी चेहरे पर सुन्दर लगती है ख़ास कर जिनका  चेहरा  डायमंड या हार्ट शेप का है उन पर तो ये और भी ज्यादा जांचती है. अगर आपका फेस चौड़ा है तो ये नोज पिन्स आपकी चेहरे को स्लिम दिखाने में भी मदद करेगा. इसको आप western ड्रेस के साथ भी carry कर सकती हैं.

4-छोटी हूप  रिंग

लंबी और तीखी नाक वाली लड़कियों पर छोटी-सी हूप रिंग यानी नाक में छोटी बाली अच्छी लगेगी . अगर आपका चेहरा गोल और छोटा है तो भी ये नोज रिंग आप पर बहुत सूट करेगी.आप चाहे तो आप डायमंड नोज रिंग भी try कर  सकती हैं.

5- चौड़ी नोज रिंग-

ये नोज रिंग अंगूठी के आकार की होती है और ये पूरे चेहरे को कवर करती है.यह नोज रिंग बड़े और गोलाकार चेहरे पर बहुत जांचती है.

6- सिंगल पर्ल नोज पिन

इस तरह के नोज पिन  हर तरह के फेस पर सुन्दर लगते है खासकर लम्बे फेस पर.ये आप रोजाना में पहन सकते है.  आप चाहे तो आप इन्हें  साड़ी और अन्य पारंपरिक पोशाक के साथ पहन सकते हैं.ये सुन्दर दिखने के साथ-साथ आपको काफी comfortable भी feel कराएँगे.

7- बड़ी स्टड बाली नोज रिंग

इस तरह के नोज रिंग मे डायमंड या स्टोन लगे होते है . वैसे तो ये नोज रिंग हर तरह के फेस शेप पर अच्छे लगते हैं. पर अगर आपका माथा चौड़ा है और चिन पतला है यानी आके चेहरे का आकर हार्ट के शेप का है तो बड़ी स्टड नोज रिंग आपके चेहरे पर बहुत सूट करेगी. इनका साइज़ बड़ा होने की वज़ह से इनको ख़ास अवसर पर ही पहना जाता है.

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8- सेप्टम रिंग

अगर आपकी नाक बहुत चौड़ी और बड़ी है.और अगर आपको लगता है की जब आप अपनी नाक के nostril  में कोई नोज रिंग या नोज पिन पहनते है तो आपकी नाक और बड़ी लगने लगती है या उसपर कुछ अच्छा नहीं लगता .तो आप अपने नाक के दोनों nostrils  के बीच एक छोटे हूप वाली नोज रिंग try कर सकते हैं इससे आपकी नाक थोड़ी कम चौड़ी और छोटी  दिखेगी. और  जैसा की आप जानती है की मार्किट में बहुत सारी clip-on  नोज रिंग आसानी से available है तो आपको अपने nostril को छिदवाने  की जरूरत भी नहीं है.  .

सेप्टम रिंग उन महिलाओं के लिए भी  हैं जो भीड़ में अलग दिखना चाहती हैं. ये आपको हिप्पी लुक देगा.

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माहवारी कोई बीमारी नहीं

पीरियड्स के बारे मे हमारा समाज आज भी खुल कर बात करने से कतराता है. इसे आज भी सभी के सामने बात न करने वाली चीज समझा जाता है. पैड छिपा कर लाओ, लड़कों से मत बताओ और घर में इस दौरान सभी से दूर रहो जैसी बातें हर लड़की को सिखाई जाती हैं.

पीरियड्स कोई छिपाने वाली बात नहीं है. यह एक नैचुरल प्रक्रिया है जो हर महिला को मासिकधर्म के रूप में होती है. लेकिन पीरियड्स का नाम सुनते ही कई लोग असहज महसूस करने लगते हैं जैसे किसी गंदे शब्द का इस्तेमाल कर लिया हो.

कई महिलाओं के मन में पीरियड्स को ले कर कई समस्याएं, कई सवाल होते हैं, जिन पर वे खुल कर बात भी नहीं कर पातीं. आज हमारा समाज आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ तो रहा है लेकिन समाज की मानसिकता अभी भी पुरने खूंटे से बंधी हुई है. आज भी महिलाओं को पीरियड्स होने पर मंदिर जाने नहीं दिया जाता, अचार छूने नहीं दिया जाता, उन के साथ अलग व्यवहार किया जाता है. ऐसी सोच को बदलने और समाज को जागरूक करने के लिए हर साल 28 मई को वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है जो इस साल भी हाल ही में मनाया गया.

वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाने का मुख्य उद्देश्य है समाज में फैली मासिकधर्म संबंधी गलत अवधारणा को दूर करना और महिलाओं को पीरियड्स के समय स्वच्छता के लिए जागरूक करना. इस की शुरुआत साल 2014 को हुई.

मासिकधर्म कोई बीमारी या गंदगी नहीं

पत्रिकाओं, टीवी और इंटरनैट के जरिए हमें कई सारी जानकारियां अब मिलने लगी हैं जिस वजह से समाज की सोच में सुधार भी देखने को मिला है. पहले यदि टीवी पर सैनिटरी पैड का प्रचार आता था तो चैनल बदल दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा कम देखने को मिलता है. लेकिन अभी भी लोग इस के बारे में खुल कर बात नहीं करते. यहां तक कि खुद महिलाएं इस पर बात करने में असहज महसूस करती हैं.

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एक ही घर में रहने के बावजूद पीरियड्स के लिए कई गुप्त नामों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि किसी को पता न लगे. पैड को काली पौलिथीन या पेपर से कवर किया जाता है. जैसे कोई जानलेवा हथियार को छुपाया जा रहा है. लोगों को समझना जरूरी है कि मासिक धर्म कोई अपराध नहीं है बल्कि प्रकृति की ओर से दिया गया महिलाओं को एक तोहफा है. ऐसे समय में महिलाओं की खास ध्यान रखने की जरूरत है न कि उन के साथ अलग व्यवहार किया जाना चाहिए.

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कितना सुरक्षित

पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, जिन के बारे में उन्हें पता नहीं होता. जब पहली बार लड़कियों को पीरियड्स आते हैं तो मां का फर्ज बनता है वह इस बारे में खुल कर बात करें. लेकिन ऐसा नहीं हो पाता. पीरियड्स को शर्म की पोटली में बांध कर रख दिया जाता है. आज भी गांवकस्बों में कई महिलाएं पीरियड्स होने पर कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. वहीं कई महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल तो करती हैं लेकिन इस का सही रूप से इस्तेमाल करना नहीं जानती.

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना बहुत आसान है लेकिन यह बीमारियों को न्योता भी देता है. दरअसल, सैनिटरी पैड में डायोक्सिन नाम के एक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. डायोक्सिन का उपयोग नैपकिन को सफेद रखने के लिए किया जाता है. हालांकि इस की मात्रा कम होती है लेकिन फिर भी यह नुकसानदायक हो सकता है. जिस से कई बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है जैसे ओवेरियन कैंसर, हार्मोनल डिसफंक्शन. इसलिए महिलाओं को इन दिनों आर्गेनिक क्लौथ से पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए. ये पैड रुई और जूट से बने होते हैं. यह इस्तेमाल करने में भी आरामदायक है और उपयोग किए गए पैड्स को धो कर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ये पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते.

लंबे समय तक पैड का इस्तेमाल है खतरनाक

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करने से महिलाओं में इंफैक्शन और जलन की शिकायत आमतौर पर देखी जाती है. ऐसी परेशानियां ज्यादातर पीरियड्स खत्म होने के बाद होती है. जब ज्यादा लंबे समय तक पैड्स का इस्तेमाल किया जाता है, तो इस से एयर सर्कुलेशन बहुत कम हो जाता है और वैजाइना में स्टेफिलोकोकस औरेयस बैक्टीरिया पनप जाते हैं. यही बैक्टीरिया पीरियड्स के कुछ दिनों बाद ऐलर्जी या इंफैक्शन का कारण बन जाते हैं.

पीरियड्स के समय साफसफाई है जरूरी

– पीरियड्स के समय में हर 4 घंटे के अंदर अपना पैड बदलना चाहिए.

– कौटन पैड का इस्तेमाल करें.

– अगर आप टैंपौन का यूज करती हैं तो हर

2 घंटे में इसे बदलें.

– लगातार समयसमय पर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करती रहें, जिस से कि पीरियड्स से आने वाली गंध से छुटकारा मिले.

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– पीरियड्स के समय शरीर में बहुत अधिक दर्द होता है. इसलिए इन दिनों कुनकुने पानी से नहाएं. इस से दर्द में राहत मिलेगी.

– इन दिनों अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

– पीरियड्स के समय टाइट पैंट या लोअर न पहनें.

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Coronavirus Effect: न घराती न बराती यही है नई शादी

देश में कोरोना वायरस की वजह से लौकडाउन घोषित किया गया है. यह लौकडाउन उस समय घोषित किया गया है, जब देश में शादीविवाह का मौसम है. लौकडाउन को देखते हुए कई जोड़ों ने अपने विवाह की तारीख को आगे बढ़ा दिया. लेकिन कुछ जोड़े ऐसे भी हैं जो विवाह के बंधन में बंध जाना चाहते हैं, इसलिए लौकडाउन का तोड़ निकाल कर वे एकदूजे के हो गए. दरअसल, इस लौकडाउन के बीच इन जोड़ों ने औनलाइन विवाह किया. इस में मेहंदी, संगीत और बाकी सभी रस्में भी औनलाइन की गईं. लोगों को औनलाइन ही आमंत्रित किया गया. लौकडाउन के नियमों को तोड़ा न जाए, इसलिए औनलाइन शादी रचाई गई.

दूल्हा कहीं और दुलहन कहीं

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में एक ऐसी ही अनोखी शादी देखने को मिली. यहां एक जोड़े ने औनलाइन शादी की. दूल्हा सुषेण का कहना है कि भले ही अगले कुछ दिनों में लौकडाउन खत्म हो जाएगा, पर हम अपनी शादी का इंतजार नहीं करना चाहते थे. लिहाजा, एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम ने महसूस किया कि यह एक सोशल डिस्टैंसिंग बनाए रखने का बेहतर तरीका है. यह एक बहुत अच्छा विचार था और इस का एक हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है.

उन की इस शादी को शादी डौट कौम द्वारा कराया गया. शादी डौट कौम ने वैडिंग फ्रौम होम सर्विस लौंच की है. इस सर्विस के तहत सभी मेहमान औनलाइन शामिल हुए और फेरे भी औनलाइन ही लिए गए. इतना ही नहीं, इस शादी में ढोलनगाड़े की भी औनलाइन व्यवस्था की गई थी. यह शादी बिलकुल अन्य शादियों की तरह सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए संपन्न कराई गई.

भारत में जहां शादी की तैयारियां कई महीने पहले से शुरू हो जाती हैं वहीं वह मात्र 2 घंटों में शादी हो जाना हैरानी की ही बात है.

फाइनेंशियल जानकारी: लंबी अवधि+लगातार जमा= करोड़पति

शादी समारोह को भव्यता का उत्सव माना जाता रहा है. हर साल देश में करीब एक करोड़ शादियां होती हैं. जिस में परिधान, गहने, मेहमान नवाजी, फूलों की सजावट, ट्रांसपोर्ट और कैटरिंग आदि पर बेतहासा खर्चे किए जाते हैं. भारत में होने वाली शादियां तो दुनिया में मशहूर हैं. यहां शादी की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं. शादी में मेहमान भी सैकड़ों की संख्या में आते हैं. करीबी नातेरिश्तेदार तो कुछ दिन पहले से ही आ कर गानाबजाना होहल्ला शुरू कर देते हैं.

लेकिन कोरोना महामारी ने जिंदगी को बदल कर रख दिया है. इसी बदलाव में बदल गई हैं भारतीय शादियां, वही शादियां जिस में लड़का और लड़की के साथसाथ घराती, बराती और न जाने कितने दोस्त शामिल होते थे. महीनों पहले से तैयारियां होती थी और फिर हलदी, मेहंदी की ढेरों रस्मों के बाद आता था वह खास दिन, जब दूल्हादुलहन हमेशाहमेशा के लिए एक हो जाते थे. लेकिन अब कोरोना काल ने मैरिज हौल, मंडप, कैटरिंग के कौंसैप्ट को कुछ यों बदला है कि मैरिज सागा में सोशल डिस्टैंसिंग और औनलाइन वैडिंग जैसी कइ नई चीजें जुड़ गई हैं.

आज कई कपल्स वीडिया कालिंग ऐप्स के जरिए शादी कर रहे हैं. बीते महीने दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि जगहों से कई ऐसे जोड़े सुर्खियां बने जिन्होंने वर्चुअल वैडिंग का रास्ता चुना. इस तरह से शादी करने वाले कुछ दूल्हों का कहना था कि दिल तो बैंडबाजा बारात लाने का था लेकिन औनलाइन शहनाई ही सही. वहीं कुछ ने सादगी से चंद लोगों के बीच हो रही शादियों के कौंसैप्ट को अच्छा बताया.

खुद ही सज रही है दुलहन

जिस चेहरे पर दूल्हे शादी से 2-3 महीने पहले ही खास ध्यान देने लग जाते थे, दुलहन खासतौर से महंगे से महंगा प्री ब्राइडल पैकेज लेती थी. अब कोरोना के इस दौर में शादी होने पर बन्नी और बन्ना का वही चेहरा मास्क से ढका नजर आ रहा है. इतना ही नहीं, शादी में शामिल होने वाले सीमित रिश्तेदार भी मास्क लगाए हुए दिख रहे हैं. अब शादी के लिए दुलहन किसी पार्लर में नहीं, बल्कि अपने सीमित ब्यूटी प्रोडक्ट्स से खुद या अपनी किसी रिश्तेदार की मदद से तैयार हो रही है.

परिवार के लोग बने फोटोग्राफर

यों तो शादियों में मुख्य आयोजन के अलावा प्री वैडिंग, मेहंदी और हलदी की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाती थी, लेकिन अब जो शादियां हो रही हैं, उस में दूल्हादुलहन के भाईबहन या करीबी रिश्तेदार लोग ही तस्वीरें खींचते या वीडियो बनाते नजर आते हैं. इस दौर ने दोनों ही पक्षों के एक बड़े खर्चे को कम किया है और तसवीरें खींचने के बाद फाटोग्राफर के साथ बैठ कर उन में से खास तसवीरों को चुनने का समय भी बचाया है.

घर बन गया मैरिज हाल

शादी के दिन जैसे बारात मैरिज हाल में उतरती है तो एक खुशी का माहौल बन जाता है, इधर बैंड, बाजे की धुन बजती है और उधर बन्नो रानी का दिल धड़कने लगता है. लेकिन अब शादियां एकदम शांतिपूर्ण माहौल में हो रही हैं. कोई बैंडबाजा नहीं, कोई बाराती नहीं. दूल्हा अपने चंद करीबी रिश्तेदारों के साथ लड़की के घर आ कर शादी करता और उसे अपनी दुलहन बना कर ले जाता है. अब

न तो घरवालों को कोई कार्ड छपवाने की जरूरत है और न अतिथि सत्कार करने की जरूरत. शादी में दोनों ही पक्षों के लाखों रुपए बच रहे हैं. जाहिर है इस से दानदहेज की परंपरा भी टूटती नजर आ रही है. मास्क लगाए दूल्हादुलहन बंध रहे हैं पवित्र बंधन में.

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वैसे तो औनलाइन ने हमारे जीवन पर बहुत पहले से ही असर दिखाना शुरू कर दिया है. इंटरनैट के इस युग में बहुत कुछ बदला, मगर जीवन की जिजीविषा जस की तस रही. अभी जिस तरह से औनलाइन हो रही शादियों का विरोध हो रहा है. उसी प्रकार कभी गैस और कुकर पर भी हुआ था. गांव में किसी के घर टीवी आने पर भी हुआ था. लोग इसलिए अपने बच्चों को बाहर पढ़ने नहीं भेजना चाहते थे कि वे अपने संस्कार भूल जाएंगे. ऐसी बहुत सारी बातें, जिस का कल विरोध हुआ था लेकिन आज आम हो गया है. उसी तरह औनलाइन शादियां भी आम बात है.

डंके की चोट पर करें अंतर्जातीय विवाह

25वर्षीय नेहा को जब सुमित से प्रेम हुआ तो उस ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अपने को मौडर्न ऐजुकेटेड कहने वाली उस की मम्मी अनीता उस का जीना इस बात पर मुश्किल कर देंगी कि उस की कुंडली सुमित से नहीं मिल रही है तो वह यह विवाह करने की सोच भी नहीं सकती.

वह अपने जीवन के इस फैसले को लेने में किनकिन मानसिक परेशानियों से गुजरी है, उसी के शब्दों में जानिए, ‘‘यह तो अच्छा था कि सुमित का परिवार इस कुंडली के नाटक को नहीं मानता था, वह मुझे खुशीखुशी अपने घर की बहू बनाने के लिए तैयार थे, पापा भी तैयार थे, मेरा विवाह जब तक सुमित से नहीं हुआ, मम्मी रोज मुझे ताने मारती कि मैं एक नालायक बेटी हूं, उन की बात नहीं सुन रही हूं, मुझे शादी की इतनी जल्दी क्या है, मेरी शादी सुमित से हुई, मैं कहीं और करना ही नहीं चाहती थी, मुझे सुमित जैसा जीवनसाथी ही चाहिए था, मेरी शादी के दिन तक मम्मी ने मुझे ताने मारे हैं, हर कोशिश की कि यह शादी

न हो पाएं. मेरी शादी के पूरे टाइम सब से मम्मी ने मेरी बुराई की, मैं यह बात कभी नहीं भूलूंगी कि प्रेम विवाह करने के अपराध में मैं मायके से अपनी ही मां की शुभकामनाएं लिए बिना निकली.’’

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पम्मी ने जब अपने परिवार को बताया कि उसे एक ब्राह्मण फैमिली के बेटे अमन से प्यार हो गया है तो पम्मी और अमन दोनों के घर में कोहराम सा मच गया, सिख परिवार की नौनवेज खाने वाली लड़की ब्राह्मण फैमिली की बहू कैसे बन सकती थी, उधर पम्मी के पापा हार्ट पेशेंट थे, पम्मी की मम्मी ने उसे पापा की हैल्थ पर चार बातें सुना कर ऐसा चुप करवाया, पम्मी गिल्ट से भर उठी,

6 महीने में ही कनाडा में एक परिचित फैमिली का सिख लड़का ढूंढ़ कर पम्मी की शादी करवा कर उसे विदेश भेज दिया गया. यहां अमन रोता रह गया. पम्मी अपने पेरैंट्स से मन ही मन इतनी दुखी हुई कि अब वह इंडिया आती ही नहीं.

उस ने आज तक अपने पेरैंट्स की इस जिद को माफ नहीं किया है. सोशल मीडिया के इस जमाने में भी पम्मी सब से कट कर रह गई. सब दोस्तों को भूल अकेले कनाडा में अपने पति के साथ रह रही है. वहां रहने वाले किसी परिचित से ही उस के दोस्तों को खबर हुई कि वह वहां खुश भी नहीं है. लड़के के पीने के शौक से बहुत दुखी रहती है, जबकि अमन एक सच्चरित्र, योग्य, बिना किसी ऐब वाला लड़का था.

जातपात हर जगह

हर मातापिता की तरह अनुभा और संदीप शर्मा का भी सपना था कि उन का बेटा जतिन ब्राह्मण परिवार की ही लड़की पसंद करे, पर ये जो दिल के मामले हैं, ये कहां जानतेमानते हैं धर्म, जाति की छिछली बातों को और वह भी जब प्यार करने वाले आज के उच्च शिक्षित, आत्मनिर्भर, मुंबई के युवा हों. जतिन को अपने औफिस की ही गीता पवार पसंद आ गई, कुछ सालों की दोस्ती, प्यार के बाद दोनों ने विवाह का मन भी बना लिया, गीता के पेरैंट्स को इस में कोई आपत्ति नहीं थी, अनुभा और संदीप ने गीता की जाति जानने के बाद घर में तूफान खड़ा कर दिया.

अनुभा ने बेटे से रिश्ता तोड़ने की भी धमकी दी, संदीप ने भी कहा, ‘‘किसी पवार से शादी की तो यह घर छोड़ देना.’’ और जतिन ने सचमुच घर छोड़ दिया. जतिन और गीता यही महसूस करते थे कि दोनों एकदूसरे के पूरक हैं, दोनों की सोच आपस में बहुत मैच करती थी. जतिन गीता जैसी जीवन साथी अपने पेरैंट्स की पुरातनपंथी, अडि़यल सोच पर भेंट नहीं चढ़ा सकता था. दोनों ने गीता के पेरैंट्स की मौजूदगी में कोर्ट मैरिज की, एक फ्लैट किराए पर लिया और उत्साह से खुशीखुशी नए जीवन में प्रवेश किया.

थोड़े दिन बाद ही जतिन को विदेश जाने का मौका मिला, जतिन गीता के साथ विदेश में ही शिफ्ट हो गया. दोनों को वहां एक बेटा भी हुआ. वे अपनी घरगृहस्थी में पूरी तरह संतुष्ट हैं. अनुभा और संदीप यहां बेटे की इतनी बड़ी गलती का रोना ले कर बैठे ही रह गए. इतने समय बाद भी उन्होंने गीता को अपनी बहू स्वीकार नहीं किया. जतिन उन्हें जब भी फोन करता है, उसे यही आशा रहती है कि उस के मातापिता कभी उसे परिवार के साथ बुलाएं.

बच्चे की खुशी से धर्म ज्यादा प्यारा

हमारे यहां मातापिता की आंखों पर धर्म, जाति की पट्टी इतनी कस कर बंधी होती है कि उन्हें कुछ और दिखता ही नहीं. उन्हें अपने बच्चों की खुशी भी नहीं दिखती. ऐसे में बच्चे क्या करें? वे दूसरी जाति में अपना मनपसंद जीवनसाथी मिलने पर इन बेकार की बातों पर तो अपना जीवन, अपना रिश्ता, अपना प्यार बेकार नहीं जाने दे सकते न? पेरैंट्स की बेतुकी जिद से असहमत होना उन की बदतमीजी मान लिया जाता है, पर गलती कर कौन रहा है? वे मातापिता ही न जो आज भी इंसान को उस के गुणों पर नहीं, उसे जाति के पैमाने से तौलते हैं.

अच्छा ही कर रही है नई पीढ़ी, इन से ही उम्मीद है कि समाज से यह जातिगत भेदभाव ये ही खत्म कर सकते हैं. पुराने लोग तो परिवर्तन की हवा में सांस लेना भी परंपराओं, संस्कारों की हानि समझते हैं. कोई पूछे अनुभा और संदीप से कि क्या मिल गया गीता को बहू न मान कर, उन्होंने ऐसे कितने ही पलों को खो दिया जिन से उन के जीवन में खुशियां भर सकतीं थीं. जब कभी उन्हें आगे जीवन में किसी की जरूरत होगी तो कौन सा धर्म, पंडित, रीतियां उन की मदद करने आएंगी.

तारिक को जब अंजू से प्यार हुआ तो दोनों जानते थे कि विवाह करने का टौपिक छेड़ते ही घर में क्या बवाल होगा, दोनों को विवाह करना भी था, दोनों ही कट्टरपंथी परिवार से थे. बहुत सोचविचार के बाद दोनों ने तय किया कि विवाह करने के बाद ही घर वालों को सूचना देंगे. दोनों के घर वालों को जब पता चला तो वही तूफान आया जिस की उन्हें उम्मीद थी, पर अब कुछ हो नहीं सकता था, विवाह हो ही चुका था.

अंजू के घर वालों ने तो 10 साल बाद अपनी नाराजगी छोड़ी. तारिक और अंजू कुछ महीने अलग अकेले ही रहे. तारिक जब अंजू को अपनी मां की बीमारी में घर ले गया तो अंजू के स्वभाव ने सब का मन मोह लिया. उसे प्यार और सम्मान के साथ अपना लिया गया. तारिक आज भी कहता है, ‘‘कभीकभी ऐसा कदम उठाना जरूरी होता है, अगर हम उस समय अपने पेरैंट्स की रजामंदी के लिए इंतजार करते, तो दोनों एकदूसरे को खो बैठते. अंजू वैसी ही है जैसी लाइफ पार्टनर मुझे चाहिए थी, मैं उसे किसी धर्म, जाति के नाम पर खोना नहीं चाहता था.’’ अंजू का भी यही कहना है, ‘‘मुझे अपने पेरैंट्स की सोच हमेशा परेशान करती थी, रूढि़वादी आडंबरों में जकड़े परिवार को नाराज करना इतना बुरा भी नहीं लगा मुझे. जिन के लिए इंसान के गुण कुछ भी नहीं, सब धर्मजाति पर ही निर्भर करता हो.’’

अंतर्जातीय विवाह पर विवाद

भारत में अंतर्जातीय विवाह एक विवादित विषय होता है, पेरैंट्स चाहते हैं कि उन के बच्चे उन की ही जाति, धर्म वाले व्यक्ति से शादी करें, पर समय के साथ कुछ बदलाव आ तो रहा है, यह जरूरी भी है. कुछ साल पहले इंडिया ह्यूमन डैवेलपमैंट के सर्वे के अनुसार जब अंतर्जातीय विवाह का विषय हो, केवल 5% भारतीयों ने अंतर्जातीय विवाह किया है. इस विषय पर ग्रामीण और शहरी सोच में ज्यादा फर्क नहीं है.

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गुजरात, बिहार में 11% लोगों ने, मध्य प्रदेश में 1% लोगों ने इंटरकास्ट विवाह किया है. बौलीवुड और राजनीति से जुड़े लोगों में इंटरकास्ट मैरिज में कोई समस्या नहीं दिखती. बौलीवुड में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, कबीर बेदी, राजेश खन्ना, सलीम खान, अजय देवगन, अभिषेक बच्चन और भी कितने ही सितारों ने जातिधर्म की, लोगों की परवाह नहीं की. राजनीति में भी डाक्टर अंबेडकर की पत्नी डाक्टर सविता सारस्वत ब्राह्मण थीं. रामविलास पासवान की पत्नी रीना शर्मा पंजाबी ब्राह्मण, सचिन पायलट-सारा, गोपीनाथ मूंडे प्राधन्या महाजन, दुष्यंत सिंह-निहारिका कई नाम हैं जिन के विवाह में जाति को महत्व नहीं दिया गया.

आजकल चारों ओर जातिवाद तेजी से फैल रहा है. समाज में धर्म, जाति, ऊंचनीच पर ज्यादा विश्वास किया जा रहा है. इसे खत्म करने में अंतर्जातीय विवाह बड़ी भूमिका निभा सकता है. सामाजिक भेदभाव को कम करने के लिए सरकार कुछ योजनाएं भी बनाती रहती है. मध्य प्रदेश में अंतर्जातीय विवाह योजना की घोषणा की गई है. इस योजना के अंतर्गत राज्य का जो व्यक्ति अपने से छोटी जाति में शादी करता है, उस व्यक्ति को सरकार 2.5 लाख रुपए की नकद पुरस्कार राशि प्रदान करेगी.

महाराष्ट्र राज्य सरकार ने भी कुछ साल पहले अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए और जाति भेदभाव खत्म करने के लिए एक योजना बनाई थी जिस के तहत पचास हजार रुपए प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाते थे. पर इस साल इस योजना में ये प्रोत्साहन राशि ढाई लाख कर दी गई है.

अंतर्जातीय विवाह के फायदे ही फायदे हैं. एक दूसरे के नएनए, अलगअलग तरह के कल्चर और परंपराओं को पति, पत्नी, बच्चे खूब ऐंजौय करते हैं. बच्चों में हैल्थ इश्यूज कम होते हैं. ऐसे परिवार की सोच खुली होती है. ऐसे परिवार समाज में प्रेम, सौहार्द का माहौल बनाते हैं. युवा अपनी पसंद से दूसरी जाति में विवाह करने से बिलकुल न घबराएं. कट्टरपंथी सोच से समाज को मुक्त करने में युवा पीढ़ी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. अभी तक तो पुराने लोग, आडंबर युक्त, धर्म के ठेकेदारों में फंस कर समाज को भी आगे बढ़ने से रोकते आए हैं. अब युवा आगे बढ़ें, धर्म, जाति का खात्मा करें. परिवार, समाज, देश को नए सकारात्मक संदेश दें.

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क्या आप बता सकते हैं बेसिक चीजें के बारे में जिनसे मैं अपने घुटनों को दुरुस्त रख सकता हूं?

सवाल-

मैं 38 वर्षीय आईटी प्रोफैशनल हूं. जब मैं औफिस में बैठा रहता हूं तब भी मेरे घुटनों में बहुत तेज दर्द और जकड़न होती है. मुझे जिम जाने और वर्कआउट करने का समय कभीकभी ही मिल पाता है. मैं ने घुटनों के दर्द के लक्षणों की खोज की तो पाया कि घुटनों का आर्थ्राइटिस 30 वर्ष की प्रारंभिक अवस्था और 40 वर्ष की उम्र में आम समस्या है. क्या आप घुटनों के आर्थ्राइटिस को दूर रखने में जीवनशैली में बदलाव की जरूरत पर और ज्यादा विस्तार से प्रकाश डाल सकते हैं? वे बेसिक चीजें कौन सी हैं, जिन से मैं अपने घुटनों को दुरुस्त रख सकता हूं और दर्द की समस्या से छुटकारा पा सकता हूं?

जवाब-

मैं आप को डाक्टर से सलाह लेने और घुटनों का उचित इलाज कराने की सलाह दूंगा. इंटरनैट पर देख कर खुद अपना इलाज करने से आप को गलत जानकारी मिल सकती है और आप की हालत बिगड़ सकती है. अपने घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए आप को जिम में जाने और बहुत ज्यादा देर तक नहीं बैठना है और समयसमय पर ब्रेक ले कर हलकाफुलका व्यायाम करना है. किसी भी तरह का हलका व्यायाम जैसे 30 मिनट तक चलने और एस्केलेटर की जगह सीढि़यों से आनेजाने से आप को घुटनों के दर्द से काफी आराम मिल सकता है. सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप का वजन ज्यादा है तो यह आप के घुटनों का मजबूत रखने में सब से बड़ी रुकावट है.

ये भी पढ़ें- मुझे औस्टियोआर्थ्राइटिस डायग्नोज हुआ है, क्या इससे मेरे घुटनों पर असर होगा?

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आर्थ्राइटिस अब हमारे देश की आम बीमारी बन चुका है और इस से पीडि़त व्यक्तियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आर्थ्राइटिस से सिर्फ वयस्क ही नहीं, बल्कि आज के युवा भी पीडि़त हो रहे हैं. जिस की वजहें आज की मौडर्न जीवनशैली, खानपान, रहनसहन आदि हैं. आज हर व्यक्ति आराम चाहता है, मेहनत तो जीवनचर्या से खत्म हो चली है. फलस्वरूप ऐंडस्टेज आर्थ्राइटिस से पीडि़त अनेक रोगियों के पास जौइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- घुटने का प्रत्यारोपण, आर्थ्राइटिस से मुक्ति

Medela Flex Breast Pump: ब्रैस्ट पंप जो रखे मां और बच्चे का खास खयाल 

 मां और बच्चे का रिश्ता दुनिया में सबसे ऊपर होता है, तभी तो उसके जन्म के बाद से ही मां  उसकी खास तरह से केयर करती है. उसे थोड़ी थोड़ी  में  फीड करवाती है, क्योंकि मां के दूध से ही बच्चे का संपूर्ण विकास जो होता हैचाहे उसे कितना ही दर्द क्यों हो, वह कभी घबराती नहीं. क्योंकि मां होती ही ऐसी जो है. ऐसे में जितना गहरा रिश्ता मां और बच्चे का होता है, उतना ही लगाव मेडेला का हर न्यू मोम्स से है. क्योंकि उसने उनकी परेशानी को अपना समझ कर समाधान जो निकाला है. ताकि मोम्स भी अपने बच्चे के न्यूट्रिशन के प्रति निश्चिंत हो  सकें

ट्रस्ट है तभी पहचान है 

किसी चीज की डिमांड मार्केट में आने की बस देर होती है कि उसे बनाने वाले हजारों मैनुफक्चरिंग कंपनीज उसे बनाने के लिए मार्केट में उतर जाती  हैं. अधिकांश प्रोडक्ट्स तो सिर्फ कहने भर के ही होते हैं. उसमें तो कस्टमर्स की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है और ही प्रोडक्ट की क्वालिटी पर. जिससे सिर्फ एक बार यूज़ करने के बाद ही कस्टमर्स का उस प्रोडक्ट पर से विश्वास उठ जाता है

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 ऐसे में मेडेला जो ब्रैस्ट पंप बनाने वाली कंपनी है और इसका हैड क्वाटर स्विज़रलैंड में स्तिथ  है , 60 सालों से शोधकर्ताओं के साथ मिलकर इस दिशा में प्रयासरत है, ने मोम्स की जरूरतों को समझकर ब्रैस्ट पम्प निकाले हुए हैं और समय के साथसाथ जो बदलाव भी जरूरी होते हैं उन पर भी खास ध्यान दिया जाता है. इसी कारण आज मेडेला ने मोम्स के दिलों में अपने लिए एक खास पहचान बना ली है. उनके प्रोडक्ट्स की यूनिक रेंजजिसमें स्विस मेड ब्रैस्ट पंप्स भी शामिल हैं , सिर्फ दुनिया भर के हैल्थ केयर प्रोफेशनल्स की बल्कि अब  हर मोम की चोइस बन गए हैंआज मेडेला ब्रैस्ट फीडिंग प्रोडक्ट्स में ग्लोबल प्लेयर की भूमिका निभा रहा है

मदर मिल्क को ही महत्वता 

मां के दूध में प्रोटीन, वसा , विटामिन और कार्बोहाइड्रेट्स का सही संयोजन होता है, जो बच्चे में विकास में मदद करता है. जबकि फार्मूला मिल्क से सिर्फ बच्चे की भूख शांत होती है, और यह बच्चे के शरीर की हर जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता  है. इस बात को मेडेला समझता है तभी वह बच्चे को मां का दूध पिलाने को ही प्राथमिकता देता है. और मां के दूध की हर बूंद का फायदा बच्चे को मिले और इससे मां को भी किसी तरह की कोई परेशानी हो , इसी बात को ध्यान में रखकर मेडेला ने ब्रैस्ट पंप डिज़ाइन किए हुए  हैंइससे दूध निकालते हुए मां को बिलकुल ऐसा एहसास होता है जैसे उसका बच्चा उसके स्तनों को स्पर्श कर रहा हो

फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप्स 

मेडेला का फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप हर मोम्स के लाइफस्टाइल में बिलकुल फिट बैठता हैये काफी लाइट होने के कारण इसे यूज़ करना काफी आसान हैइसके न्यू  फ्लेक्स टेक्नोलोजी पंप्स  और एक्सेसरीज दुनिया भर में मिलियंस मोम्स के लिए अपने बच्चे के लिए परफेक्ट चोइस बनकर सामने रहे हैं.  

न्यू फ्लैक्स पंप्स में ओवल शेप की शील्ड होती है, जो मोम्स के वास्तविक स्तनों के आकार में फिट हो जाती है, जो काफी कम्फर्टेबल और सक्षम है, ऐसा  4 क्लीनिकल परीक्षणों में पाया गया है . यही नहीं बल्कि ये हर तरह की ब्रैस्ट फीड करवाने वाली मोम्स की जरूरतों  को भी पूरा करता है, . इसकी मदद से बच्चों का फीडिंग रूटीन नॉर्मल होने से मोम्स भी काफी रिलैक्स फील करती हैं, और इससे उनकी बॉडी को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है जैसे प्रेशर मार्क्स की कोई समस्या नहीं होती है. पारंपरिक ब्रैस्ट शील्ड के मुकाबले ये 11 पर्सेंट ज्यादा स्तनों से दूध निकालने में सक्षम है. और स्तनों से दूध निकलने की प्रक्रिया भी बिलकुल नेचुरल है, जो काफी खास है

 हर मां यही चाहती है कि वो जो भी प्रोडक्ट ख़रीदे वे हर मायने में अच्छा हो. फिर चाहे बात हो गैजेट्स खरीदने की या फिर खुद के लिए या बेबी के लिए प्रोडक्ट खरीदने की, ऐसे में फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप उनके लिए बेस्ट चौइस है. तो फिर जब हो मेडेला का साथ तो क्यों हो बच्चे के पोषण की चिंता

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Siya Kakkar Suicide: क्यों जान दे रहे हैं ये सितारे?

मनोवैज्ञानिक कहते हैं किसी की खुदखुशी को इतना हाईलाइट मत कीजिए कि वह किसी और को खुदखुशी के लिए निमंत्रण बन जाए. अभी सुशांत सिंह राजपूत की सुसाइड पर सोशल मीडिया में सहानुभूतिक आंधी भी नहीं रूकी थी कि 16 साल की एक और खूबसूरत सी किशोरी, जिसे क्वीन आफ टिकटॉक कहा जा रहा था, उस सिया कक्कड़ ने आत्महत्या कर ली. जबकि बहुत कम लोगों की ऐसी किस्मत होगी, जैसी शोहरत की किस्मत लेकर सिया कक्कड़ पैदा हुई थीं. लोग कहते थे कि सिया कक्कड़ सीधे सेलिब्रिटी ही पैदा हुई है. इतनी कम उम्र में वह देश के लाखों लाख युवाओं के दिलों की धड़कन बन चुकी थीं.

सिया कक्कड़ अपने नियोजित भविष्य की तरफ कितने नियंत्रित कदमों से आगे बढ़ रही थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 16 साल की उम्र में टिकटॉक के लिए वीडियो बनाने वाली इस किशोरी ने अपने लिए एक भरापूरा सपोर्ट सिस्टम बना रखा था. उनके एक मैनेजर थे (हैं) अर्जुन सरीन. उनके लिए नये से नये कपड़े सिलने वाले अपने टेलर थे और अलग अलग वीडियो के लिए अच्छे से अच्छा मेकअप करने वाले, मेकअप आर्टिस्ट. सिया कक्कड़ के टिकटॉक पर एक मिलियन से ज्यादा फालोवर्स थे और करीब एक लाख से ज्यादा उनके इंस्टाग्राम पर फैंस मौजूद थे.

 

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And Its TIME to get knocked out by this lethal combination of an Epic Punjabi Song and an enchanting beauty. Watch the King of Desi Hip-Hop Bohemia, soulful singer JS Atwal along with Lola Gomez in the official video of Our Latest Single, “Sharaabi Teri Tor”. The Most Awaited Song of 2020 is OUT !! Watch the Video Now. . . . @iambohemia @atwalinsta @lolitaxo__ @mbmusicco @meetbrosofficial @meet_bros_manmeet @harmeet_meetbros @shaxeoriah @urshappyraikoti @jaggisim @desihiphopking @touchblevins @raajeev.r.sharma @itsumitsharma @psycho_marketer @fameexpertz #SharaabiWalk #SharaabiWalkChallenge #SharaabiTeriTor #Bohemia #HipHop #Rap #Punjabi #JsAtwal #HappyRaikoti #intoxicating #MBMusic #sharaab #musicvideo #fameexpertz

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जाहिर है इंस्टाग्राम और टिकटॉक से शायद इतनी कमायी नहीं होती होगी कि वे अपने तमाम खर्च निकाल सकें. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि अच्छी खासी मजबूत होगी. फैंस का अटूट प्यार उन्हें मिल ही रहा था और लोकप्रियता हर गुजरते दिन के साथ उनकी एक बड़ी पूंजी बनती जा रही थी. सवाल है फिर ऐसा क्या दुख रहा होगा, ऐसी क्या असफलता होगी जो उन्हें अंदर ही अंदर तोड़ रही होगी, जिसे दुनिया नहीं जानती थी? निश्चित रूप से यह रातोंरात अपनी आकांक्षाओं की बुलंदी पर पहुंचने की बेचैनी होगी, हो सकता है जिसकी धीमी रफ्तार ने उन्हें हताश कर दिया हो.

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इन पंक्तियों के लिखे जाने तक यह किसी को नहीं पता कि सिया कक्कड़ किस वजह से परेशान थीं, जिसके चलते उन्होंने खुदखुशी जैसा आत्मघाती कदम उठाया. लेकिन जैसा कि पिछले सप्ताह ही मशहूर मनोचिकित्सक अरुणा ब्रूटा ने मुझसे बातचीत करते हुए कहा था, ‘नयी पीढ़ी भले भीड़ में रहती हो, भीड़ में दिखती हो, भीड़ उसका स्वभाव हो, लेकिन हकीकत यह है कि वह बहुत अकेली है. उसकी महत्वाकांक्षाओं ने उसे बहुत अकेला कर दिया है. उसका दिल से साथ देने वाला कोई नहीं है और अगर कोई है भी तो उस पर उसे यकीन नहीं है.’ दरअसल यह प्रवृत्ति कोई दुर्घटना नहीं है और न ही यह प्रवृत्ति पैदा होने के पीछे कोई बहुत निजी कारण हो सकते हैं.

 

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Because my friend wanted me to upload this♥️🧿

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इस बेहद तेज रफ्तार युग में अकेले हो जाने की हताशा, खुद को अकेला महसूस करने की असुरक्षा, दरअसल उस काल्पनिक असफलता की चिंता से पैदा हुई है, जिसे हमने खुद ही रचा, गढ़ा और बहुत बड़ा बनाया है. आज की तारीख में सब कुछ आप अपनी मेहनत से हासिल कर सकते हैं, लेकिन मेहनत से यह नहीं तय कर सकते कि आपकी तमाम ख्वाहिशें, आपके अनुसार ही पूरी हो जाएं. बहुत लोग हैं. हर क्षेत्र में बहुत गहरी गलाकाट प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में जरा सी फिसलन आपको अपना खलनायक बना सकती है. सिर्फ ख्वाहिशों को लेकर ही कोई शेखचिल्ली नहीं होता, वास्तव में निराशा में लोग अपनी असफलताओं को लेकर भी शेखचिल्ली हो जाते हैं. उन्हें उम्मीदों से कम अपनी सफलताएं भी असफलताएं दिखने लगती हैं.

 

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1 or 2 ?🌟💃🏻😍 #bellaciao #skechers

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पता नहीं यह सही है या गलत. लेकिन सोशल मीडिया में कई लोग लिख रहे हैं कि पिछले कई महीनों से आंधी तूफान की तरह सक्रिय सिया कक्कड़ को उम्मीद थी कि वह बहुत जल्द बाॅलीवुड की सबसे ज्यादा डिमांड वाली हीरोइन बन जाएंगी. लेकिन एक तो कोरोना के कहर के चलते हुआ लाॅकडाउन ने सब कुछ उलट पलट दिया, दूसरा लाॅकडाउन खुलने के बाद यह खौफ कि आगे सब कुछ कैसा होगा. माना जाता है कि इन स्थितियों ने उन्हें जबरदस्त ढंग से हताश कर दिया, नतीजतन टिकटॉक पर अच्छीखासी सफलता हासिल करने के बाद भी सिया कक्कड़ संतुष्ट नहीं थीं. उन्हें लग रहा था कि उनकी योजना के हिसाब से वह असफल होती जा रही हैं. वह किस हद तक अपने मिशन में सक्रिय थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह आत्महत्या करने के कुछ घंटे पहले तक उस इंस्टाग्राम में सक्रिय थीं. वही इंस्टाग्राम जिसने उन्हें रातोंरात स्टार बनाया था.

उन्होंने 22 घंटे पहले फेमस पंजाबी रैप सिंगर बोहेमिया के गाने पर डांस किया था, उसे अपलोड किया था और उसे जबरदस्त लाइक्स भी मिल रहे थे. इसके बाद भी सिया ने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया? अगर बहुत बार हो चुकीं उन रिसर्च को देखें जो बार बार आगाह करती हैं कि किसी भी खुदखुशी का महिमामंडन मत कीजिए, वरना ये महिमामंडन और भी बहुतों को खुदखुशी के लिए मजबूर करेगा. लगता है ऐसा ही कुछ हुआ होगा. क्योंकि सुशांत राजपूत की आत्महत्या के बाद उनके प्रति सहानुभूति दर्शाने वालों की सोशल मीडिया में लाइन लग गई है. उससे वे तमाम लोग भी लगभग झकझोर देने की हद तक प्रभावित हो गये हैं, जिन्हें लगता है कि उनके साथ भी सुशांत राजपूत के जैसा ही अन्याय हो रहा है.
यह सोच सचमुच बहुत खतरनाक है; क्योंकि जैसा कि डब्ल्यूएचओ तथा खुदखुशी पर नजर रखने वाली तमाम एजेंसियां कहती हैं कि दुनिया में हर समय हजारों लोग पके आम की तरह डाल से गिर पड़ने को तैयार रहते हैं.

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जरा सा यह एहसास कि उन्हें दुनिया में कोई नहीं समझ रहा, वे एक झटके में टपक सकते हैं. क्योंकि खुदखुशी एक ऐसा संक्रामक रोग है, जिसका संक्रमण भले न दिखता हो, लेकिन नतीजा हमेशा डराता है. शायद सिया कक्कड़ भी इसी स्थिति से गुजर रही थीं. कहा जाता है कि उन्होंने अभी एक दिन पहले ही अर्जुन सरीन से जो कि उनके मैनेजर हैं, नये एलबम को लेकर डिस्कशन किया था और इस दौरान उन्होंने एक भी ऐसा संकेत नहीं दिया था कि वह परेशान हैं. इसलिए यह बहुत खतरनाक है कि हम नहीं जानते अगला कौन सा होनहार नौजवान इस अंधी राह पर चल पड़ेगा.

Fair and Lovely: डार्क ब्यूटी से दूरी क्यों?

जिन लोगो का स्किन टोन डार्क और सांवला होता है, चाहे वो लड़का और लड़की दोनों को ही काफी कुछ सहना और सुनना पड़ता है. ख़ास लड़कियों उनके रिश्तेदारों द्वारा, दोस्त और बाकी की सोसाइटी के द्वारा उन्हें काफी कुछ कहा जाता है.

उन्हें बताया जाता है की जिनका स्किन टोन डार्क होता है उन्हें अच्छी जॉब नहीं मिलती, न ही उनकी कही जल्दी से शादी होती है. अपने काफी बार टीवी और कई इश्तेहारों में भी देखो होगा की मार्केट में कई ऐसी क्रीम और ट्रीटमेंट ये दावा करते है की जिन लोगो का स्किन डार्क है, वो लोग उनकी क्रीम और ट्रीटमेंट लेकर अपना रंग लाइट कर सकते है .

 फेयर एंड लवली

इन्हीं सभी तरह की क्रीमों में से एक क्रीम जो काफी पॉपुलर हुई है, वह है फेयर एंड लवली.यह क्रीम सन 1975 में, हिंदुस्तान यूनीलीवर ने लॉन्च की थी, इस दावे के साथ कि यह ‘रंग गोरा करती है’. इसका चलन इतना बढ़ा कि देश में गोरेपन की क्रीम के बाजार का 50-70 फीसदी हिस्सा “फेयर एंड लवली” के पास ही है. आंकड़ों की मानें तो “फेयर एंड लवली” ने साल 2016 में 2000 करोड़ क्लब में प्रवेश किया, जिससे पता चलता है कि भारत में गोरा करने वाली क्रीम की खूब बिक्री हैं.

हालत यह कि लोग, गोरी स्किन पाने के लिए इन पर  काफ़ी पैसे ख़र्च कर देते है और नतीजा कुछ नहीं निकलता है.

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 भेदभाव  का आरोप

यही नहीं फेयर एंड लवली को लेकर कई सारे लोगों ने आरोप भी लगाये थे. खासकर स्किन कलर को लेकर कंपनी पर भेदभाव करने का आरोप .

पुराने समय से यह चलन चला आ रहा है कि जिन लड़कियों का स्किन टोन डार्क होता है उन्हें ऑफिस में हमेशा इस चीज़ का बार बार एहसास कराया जाता है की डार्क स्किन टोन से उनकी प्रमोशन और सक्सेस दोनों ही रुकी हुई है.  जिन लोगो का स्किन टोन लाइट होता है या फिर जो लोग गोरे होते है उनको ऑफिस में ज्यादा सरहाना मिलती है.  बॉस भी प्रमोशन जल्दी गोरी लड़कियों की ही देता है. ये भेद-भाव हर ऑफिस में देखने को मिलता है, अगर किसी ऑफिस में कोई रिसेप्शन पर्सन भी रखना होता है तो वो अक्सर गोरी लड़कियों को ही रखा जाता है.

 विवाह में अड़चन

डार्क स्किन टोन वाली लड़कियों को बचपन से ही यह समझाया जाता है कि, उनके रंग की वजह से  शादी  नहीं हो सकती .  लड़केवालों को भी सिर्फ गोरी-चिट्टी लड़कियां ही पसंद है. इसलिए जब भी कभी शादी की बात चलती है तो उन्हें तरह तरह के फेस पैक , और क्रीम लगाने की सलाह दी जाती है.

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किसी भी टीवी सीरियल या फिर किसी भी फिल्मों में आपको हमेशा ही गोरी लड़कियों को हीरोइन बनाया जाता है. यहां तक कि कई गोरी हीरोइन फेयरनेस क्रीम का ऐड भी करतीं है जो कहती हैं कि वह भी गोरी इसी क्रीम का इस्तेमाल करके हुई है.

डिप्रेशन की वजह

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट , फोर्टिस हॉस्पिटल, डॉक्टर स्वाति मित्तल के अनुसार, डिप्रेशन के आने वाले केसों में, विशेषकर लड़कियों के ,50 परसेंट केस में डिप्रेशन की एक वजह उनका डार्क टोन है.

कई लोगो को तो इतना कुछ सुनना पड़ता है अपने डार्क कम्प्लेक्सेशन की वजह से कि वे घर से निकलना बंद कर देतीं है.  वे सामाजिक रुप से  ज्यादा एक्टिव नहीं रहना चाहती हैं.  उनकी फोटोज़ को पसंद नहीं किया जाता है.  ऐसी सब चीज़ो से गुजरने के बाद वे  डिप्रेशन का शिकार हो जाती है.

 सूत्रों की माने तो

लेकिन सूत्रों की मानें तो ,अब कंपनी ने ब्रांड नेम ही चेंज करने विचार कर लिया है. हिन्दुस्तान यूनीलीवर ने गुरुवार को कहा है कि वो अपने ब्रांड के नाम में से फेयर शब्द का इस्तेमाल बंद कर देगी. कंपनी ने यह भी बताया कि उसने अपने नए नाम के लिए अप्लाई किया हुआ है. हालांकि इसके लिए अभी अप्रूवल नहीं मिला है.

यह नया ब्रांड नेम सभी की मंजूरी के बाद लॉन्च किया जाएगा. कंपनी जो नए नाम के साथ अपने प्रोडक्ट लॉन्च करेगी वो अलग-अलग स्किन टोन वाली महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.

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 चेयरमैन का कहना है

दूसरी ओर HUL (Hindustan Unilever) के चैयमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ‘संजीव मेहता’ का कहना है कि  वह अपनी कंपनी के स्कीन केयर प्रोडक्ट का पोर्टफोलियो का ज्यादा  विस्तार कर रहे हैं .  इससे सुंदरता के पैमानों को नया रुप मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा ,”साल 2019 में हमने  हमने दो चेहरे वाला कैमियो को और साथ ही शेड गाइड भी हटा दिया था  . जिस  का काफी सकारात्मक असर देखने को मिला और ग्राहकों ने उनका बखूबी साथ दिया था. अब  ब्रांड के नाम से फेयर शब्द हटाने की कवायद कर रहे हैं वे”.

 एक हकीकत

लोगो को सिर्फ बाहर की ब्यूटी ही दिखती है न कि इनर ब्यूटी. जबकि  बाहर की ब्यूटी से कई ज्यादा महत्व होता है इनर ब्यूटी का . हर वो लड़की सबसे सुन्दर है जो मन से सुंदर है, यानि जिसके विचार अच्छे है, जो अपने काम के प्रति बहुत लगाव रखती है व  मेहनती भी है. ऐसी लड़कियों की  क्रिएटिविटी आईडिया और सबसे ज्यादा अच्छे होते हैं. इंसान को कभी भी किसी की बाहरी सुंदरता से जज नहीं करना चाहिए.  जज करना चाहिए की सामने वाले का व्यक्तित्व कैसा है उसकी सोच कैसी है. चाहे वह लड़का हो या लड़की.

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