#coronavirus: बेतुकी मांगों से महिलाओं पर बढ़ता दबाव

महिलाओं हमेशा से सहती आई हैं. चाहे घर की बात हो या फिर बाहर उन पर हमेशा से अत्याचार हुए हैं. आज जब सब पर कोरोना की मार पड़ी है तब भी महिलाओं को सब से अधिक सहना पड़ रहा है. कह सकते हैं कि उन पर ज्यादा जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं. एक तरह से पूरे घर की जिम्मेदारी उन के सिर पर आ पड़ी है, क्योंकि जो काम अब से पहले नौकर करते थे अब उन्हें ही करना पड़ रहा है. वहीं अगर वे वर्किंग हैं तो उन्हें अब वर्क फ्रौम होम के कल्चर के कारण घर को ही औफिस बनाना पड़ा. इस बीच परिवार के हर सदस्य को खुश भी रखना है, घर का काम भी करना है, औफिस की पूरी ड्यूटी भी करनी है, हर सदस्य की जी हुजूरी भी करते रहनी है, साथ ही हर रोज पति को भी खुश रखना है, क्योंकि ऐसे माहौल में उस का एकमात्र सहारा उस की पत्नी ही तो है. तभी तो इन दिनों घरेलू हिंसा, जिस में सैक्स को ले कर ज्यादा मामले बढ़े हैं. ऐसे में वे खुद को काफी लाचार व कमजोर महसूस कर रही हैं.

ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ, जहां पति की सैक्स की आदत से परेशान हो कर पत्नी ने लगाई मदद की गुहार. पति पूरे दिन उस से सैक्स की मांग करता रहता था. यहां तक कि उस से अप्राकृतिक सैक्स के लिए भी दबाव बनाता रहता था और मना करने पर मारपीट की नौबत तक आ जाती थी. असल में पति बाहर की कंपनी में जौब करता है और परिवार से मिलने के लिए कुछ दिनों के लिए घर आया था. लेकिन लौकडाउन के चलते उसे घर में ही कैद होने पर मजबूर होना पड़ा, जिस से वह तिलमिला उठा. यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि ऐसे हजारों मामले हैं जिन की वजह से महिलाओं का मानसिक व शारीरिक शोषण काफी बढ़ा है.

नैशनल लीगल सर्विसेज अथौरिटी द्वारा हाल ही में दिए डेटा के अनुसार, पिछले 2 महीनों में घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. उत्तराखंड में सब से ज्यादा, उस के बाद हरियाणा और फिर दिल्ली का नंबर आता है. ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में घरेलू हिंसा के मामले काफी बढ़े हैं. आकड़ों की मानें तो यूके में 23 मार्च से 12 अप्रैल के बीच घरेलू शोषण के कारण 16 मौतें दर्ज की गई, जो पिछले 11 वर्षों में सब से बड़ी संख्या है. इसे देख कर यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में यह समस्या एक बड़ा संकट बन कर उबरेगी.

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क्यों बढ़ीं महिलाओं के लिए मुश्किलें

1. कामकाज का दबाव बढ़ा:

घर में कपड़े धोने, खाना बनाने, बीचबीच में स्नैक्स की डिमांड, झाड़ूपोंछा, बरतन, किचन की साफसफाई, ये सब उन के डेली रूटीन में शामिल हो गए हैं. हर काम उन्हें ही करना है, क्योंकि घर में दूसरा कोई सहयोग देने वाला जो नहीं है. बच्चे अपने स्कूल होमवर्क, पढ़ाई व टीवी देखने में बिजी रहते हैं, तो पति देव अपनी पूरी नींद लेने के बाद औफिस के काम में लग जाते हैं, पत्नी चाहे वर्किंग हो लेकिन उस के दर्द से किसी को कोई मतलब नहीं है. बस एक कहने भर से कि मैं बहुत थक जाती हूं, यही जवाब मिलता है कि तुम करती ही क्या हो. ऐसे में वे खुद पर दोहरा दबाव महसूस कर के खुद को मानसिक रूप से कमजोर महसूस कर रही हैं.

2. खुद की स्वतंत्रता पर चाबुक चढ़ा:

पहले घर जहां उन का अपना स्पेस होता था, अब इस स्पेस में घर के हर सदस्य का दखल है. यही नहीं चाहे वे घर में रहती थीं या फिर वर्किंग होने पर भी वे फ्रैंड्स के साथ पार्टी, मूवी देखना, टी ब्रेक, शौपिंग पर जाना, सब कुछ करती थीं. लेकिन अब वे घर में कैद हो गई हैं. मस्ती के मूवमैंट्स तो मानो उन के लिए खत्म से हो गए हैं. बस हर समय काम और काम. जो उन्हें एक तरह का टार्चर करने से काम रहा है.

3. रोजरोज सैक्स की मांग:

पति अब जब घर से बाहर जा नहीं पा रहा. उस के ऐंटेनमैंट के सारे साधन बंद से हो गए हैं. ले दे कर पत्नी ही है जो उसे मजा दे सकती है. ऐसे में जब भी उस का मन करता है तो वह पत्नी से सैक्स करने को बोलता है. और अगर मना किया तो लड़ाईझगड़े तक की नौबत आ जाती है. ऐसे में बेचारी पत्नी करे तो क्या करे. अब तो वह खुद शारीरिक रूप से भी काफी बेबस महसूस कर रही है. क्योंकि उस पर उस का नहीं बल्कि किसी और का जोर जो चल रहा है.

4. स्ट्रैस बढ़ा:

जिन घरों में पति कोरोना वायरस के चलते भी औफिस जा रहे हैं उन घरों में हाइजीन का खास तौर पर ज्यादा ध्यान रखा जा रहा है. पति जब रात को थकाहारा घर लौटता है तो अपनी थकान को दूर करने के लिए पत्नी के करीब जैसी ही जाता है तो पत्नी के यह समझाने पर कि अभी, इन दिनों यह सब करना ठीक नहीं है तो पति भड़क जाता है और जब सैक्स नहीं मिलने के कारण उस का तनाव कम नहीं होता तो उस की पत्नी या तो उस के गुस्से का शिकार होती है या कई दिनों तक घर में तनाव का माहौल बना रहता है. जो स्ट्रैस लेवल को बढ़ाने का ही काम कर रहा है.

5. घरों में हर समय किटकिट:

वायरस के कारण अब लोग हर समय घर में ही रहने को मजबूर हैं. नौकरी के सिलसिले में शहरों में रहने के कारण परिवार से अलग रहते थे लेकिन इस संकट के कारण अब वे अपनेअपने गांवोंघरों में लौटने को मजबूर हो गए हैं, जिस के कारण अब साथ रहना बड़ी मुसीबत बन गई है. परिवार में सासससुर, ननद, देवरानी, जेठानी सब एक ही छत के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं. जिस से कभी खाना बनाने को ले कर, तो कभी साफसफाई को ले कर पूरे दिन घर में कलेश चलता रहता है.

6. नौकरी गवाने का डर:

इस समय अधिकांश घरों में यही चिंता का कारण बना हुआ है कि अगर नौकरी चली गई तो घर कैसे चलेगा, अभी तो कोई और नौकरी भी नहीं मिलेगी. या फिर सैलरी में कटौती के कारण पति झुंझलाहट में हर समय पत्नी को ही सुनाता रहता है. ऐसे में वह यही सोचती है कि इस में मेरा क्या दोष. उस के घर की भंग हो रही शांति के कारण और पति के बदलते हुए व्यवहार से वह अंदर ही अंदर घुट रही है. समझ नहीं आ रहा अपने दिल का हाल सुनाए तो किसे सुनाए.

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7. फरमाइशों का बोझ:

घर में पूरे दिन फरमाइशों का दौर चलता रहता है. अब यह बनाओ, यह अच्छा नहीं बना, खाना खाया नहीं कि चाय की फरमाइश आ जाती है. यानी पूरे दिन किचन ही चलती रहती है और उन्हें आराम नहीं मिल पाता, जिस से स्ट्रैस में रहने के कारण वे काफी घुटन महसूस करने लगी हैं. इन बातों के आधार पर कह सकते हैं कि महिलाओं को इन दिनों काफी सहना पड़ रहा  है.

कोरोनावायरस डर के बीच सेट पर पहुंची ‘प्यार की लुका छुपी’ एक्ट्रेस, कही ये बात

मायथोलोजिकल सीरियल ‘महाभारत’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस अपर्णा दीक्षित  3 महीने की लॉक डाउन के बाद दंगल टीवी के लिए सीरियल ‘प्यार की लुका छुपी’ के लिए सेट पर लौट चुकी हैं. इतने दिनों घर बैठने के बाद अपर्णा दीक्षित काम करना बहुत अच्छा लग रहा है. अभिनय को डेस्टिनी मानने वाली अपर्णा के परिवार वालों ने उन्हें इस काम के लिए बहुत सहयोग दिया है, जिसके परिणामस्वरुप वह यहां तक पहुंच पायी है. शूटिंग के बीच अपर्णा से बात करना रोचक था, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इतने दिनों बाद सेट पर आने का  एहसास कैसा रहा ?

ये सही है कि काफी दिनों तक ब्रेक था, कब तक ये चलेगा किसी को पता नहीं था. सब लोगों की तरह मैं भी काम की राह देख रही थी.अच्छा लगा, एक उत्साह था. लेकिन इस बात की चिंता थी कि काम कैसे शुरू होगा. जहा से ख़त्म किया था, वहां से शुरू होने की जरुरत थी, तो ये कैसे होगा समझ में नहीं आ रहा था, साथ ही सारी सावधानियां जो शूटिंग के दौरान करने की जरुरत थी. वह कैसे किया जायेगा, उसकी सोच थी, लेकिन यहाँ सब ठीक था.  धीरे-धीरे अब लोग मास्क, ग्लव्स पहनना और फेस शील्ड के साथ अभ्यस्त भी हो रहे है. वे खुद को बार-बार सेनीटाइज भी कर रहे है. इस तरह सेट का माहौल पूरा अलग है, पर मैं खुश हूं कि मैं शूट कर रही हूं.

सवाल-सेट पर किस तरह की तैयारियां है?

मेरी प्रोडक्शन हाउस में एम्बुलेंस है, जिसमें  एक डॉक्टर मौजूद है. सुबह आने के बाद सबकी टेम्परेचर टेस्ट की जाती है. मास्क, ग्लव्स, फेस शील्ड दी गयी है. साफ़ सफाई पर पूरा ध्यान  दिया जा रहा है.  

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सवाल-क्या आपको शूटिंग के दौरान कुछ असहजता लगी? 

एक कलाकार अलग-अलग किरदार, अलग-अलग माहौल में करता है. ये जॉब कोई आरामदायक नहीं होता. कई बार कुछ ऐसे दृश्य भी होते है, जब मास्क पहनकर पूरा दिन रहना पड़ता है. हैवी मेकअप, हैवी ज्वेलरी पहनकर बाहर शूट करना पड़ता है. कीचड़ में भी कई बार एक्टर्स शूट करते है. एक्टिंग प्रोफेशन में जब आप आते है, तो इन सब चीजों के लिए कलाकार को तैयार रहना पड़ता है. इसलिए मुझे किसी प्रकार की असहजता नहीं हुई, क्योंकि मानसिक रूप से मैं तैयार थी. मुझे ये  अच्छा लग रहा है कि बाकी लोग भी बहुत ही अच्छी तरीके से नियमों का पालन कर रहे है. शूट के समय मुझे मास्क उतारना पड़ता है, पर  बाद में मैं तुरंत दृश्य के बाद मास्क पहन लेती हूं. एक दिन मुझे मास्क और ग्लव्स के साथ पूरा दिन बाहर शूट करना पड़ा. अभी कोशिश ये हो रही है कि जल्दी से जल्दी शूट ख़त्म कर दिया जाय, ताकि लोग घर चले जाय. 

सवाल-अभी शूटिंग का समय कितना होता है?

अभी प्रोडक्शन हाउस ने ये भी निश्चय किया है कि कलाकार को कम से कम सेट पर बुलाया जाय. जितना दृश्य शूट करने होते है, उसे करने के बाद घर चले जाने के लिए कहा जाता है. 

 

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Some #bts of our scenes together! Srishti- sarthak @rahulsharma777 @dangal_tv_channel @rstfofficial

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सवाल-शूटिंग के दौरान आप किस तरह की एहतियात बरतती है?

मेरे पिताजी घर के नुस्खे बहुत देते है. उनके हिसाब से गिलोय पीना, लौंग, तुलसी का सेवन अच्छा होता है. इसलिए मैं सुबह आकर लौंग, तुलसी, अदरक, काली मिर्च आदि डालकर एक काढ़ा बना लेती हूं, जिसे मैं पूरा दिन थोडा-थोडा सिप लेती हूं. नारियल पानी गिलास में पीती हूं. इसके अलावा फ्रूट्स खाती हूं, नीबू पानी पीती हूं. विटामिन सी की टेबलेट ले रही हूं. अभी नार्मल दिनों से अधिक मैं अपना ख्याल रख रही हूं. इसमें सोशल डिस्टेंसिंग की भी पूरी ध्यान रख रही हूं. अंदर से स्ट्रोंग होने पर इन्फेक्शन के चांसेस आधे हो जाते है. इसके अलावा मैं अपने मेकअप का सारा सामान प्रयोग कर रही हूं. सेट पर बिल्कुल भी टच अप नहीं कर रही हूं. मैं लिपस्टिक्स नहीं लगा रही हूं. सबसे अधिक नाक और मुंह को ढकने की जरुरत होती है, इसलिए जब भी मैं मास्क हटाती हूं, तो नाक और मुंह को हाथ नहीं लगाती.  

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सवाल-क्या अभिनय में आना एक इत्तफाक था या बचपन से ही सोचा था?परिवार का सहयोग कितना रहा?

इस फील्ड में आना मेरी डेस्टिनी थी. मेरी पर्सनालिटी फ़िल्मी है. मुझे हमेशा से डांस और एक्टिंग पसंद था. कॉलेज के दौरान एक ऑडिशन में मुझे चुना गया और इससे मुझे आगे बढ़ने के मौके मिलते गए. ये सब मुझे दिल्ली में पढाई के दौरान मिला. मैंने कभी एक्टिंग के बारें में सोचा नहीं था, पर आज मैं एक्टिंग के अलावा कुछ और सोच नहीं सकती. परिवार ने ही मुझे इस क्षेत्र में जाने की सलाह दी. मैंने माँ से ही सबसे पहले इस बारें में चर्चा की और वह मेरे साथ मुंबई भी आई थी. पिता ने ही उन्हें मेरे साथ भेजा था.  मेरे परिवार ने मुझे हर काम की आज़ादी दी है. आज तक मुझे जितनी भी सफलता मिली है. मुझसे कई गुना मेरे माता-पिता खुश होते है. उन्होंने मेरे किसी भी शो या किसी भी इवेंट को आजतक मिस नहीं किया. हर उपलब्धि पर वे मेरे साथ रहे. अभी मेरा भाई मेरे साथ मुंबई में है. माता-पिता हर दो, तीन महीने में मेरे पास आगरा से आ जाते है. 

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सवाल-अन लॉक होने की इस प्रक्रिया में क्या मेसेज देना चाहती है?

अभी धीरे-धीरे काम शुरू हो रहा है, लेकिन बहुत सारे काम ‘वर्क फ्रॉम होम’ के रूप में चल रहा है. घर से काम करने की अगर सुविधा है तो जितना हो सके घर पर रहकर ही काम करें. हालाँकि सब घर पर रहकर थक चुके है, पर ये एक दौर है, जो धीरे-धीरे गुजर जायेगा. तब आराम से आप बहर निकल सकते है. इस समय खुद के साथ-साथ परिवार के बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए  आप घर से न निकलें. आम दिनों की अपेक्षा अभी सबका ख्याल अधिक रखने की जरुरत है. मानसिक रूप से कोई कमजोर न हो इसका ध्यान रखें, क्योंकि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति अधिक बीमारी का शिकार होने लगता है. अगर आपको कोरोना का संक्रमण हुआ भी है, तो घबराये नहीं इलाज करवाएं और डॉक्टर्स पर विश्वास रखें. आप ठीक हो जायेंगे. 

तरह-तरह की मानव तस्करी: इंसानियत से स्वार्थवश भागता इंसान

इंसान स्वार्थवश मानव तस्करी में लिप्त हो जाता है. जबकि, वह ज्ञान और विज्ञान का सामूहिक नतीजा है. वह कार्यकुशलता में अद्भुत है लेकिन उस की सोच उसे इंसान से हैवान बना देती है. और फिर वह किसी न किसी तरह की मानव तस्करी के अपराध में अपना नाम दर्ज करा लेता है.

नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी विश्वभर में तीसरा सब से बड़ा संगठित अपराध है. भारत को एशिया में मानव तस्करी का गढ़ माना जाता है. यह भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है. दुनिया के आधे गुलाम यहां रहते हैं. आज तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया जिस से भारत में तस्कर हुए बच्चों का सही आंकड़ा पता चल सके.

एक न्यूज़ पोर्टल पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश में मानव तस्करी का केंद्र है. यह घरेलू कामकाज, जबरन शादी और वेश्यावृत्ति के लिए छोटी लड़कियों के अवैध व्यापार का हौटस्पौट है.

देश में अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम के तहत व्यावसायिक यौन शोषण दंडनीय है. इस की सजा 7 साल से ले कर आजीवन कारावास तक की है. वहीं, बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम, बाल श्रम अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम वगैरह बंधुआ और जबरन मजदूरी को रोकते हैं.

किशोरों का दुरुपयोग :

भारत के छत्तीसगढ़ और झारखंड में माओवादी ग्रुप जबकि जम्मूकश्मीर में गैरसरकारी सशस्त्र ग्रुप पिछले कई वर्षों के दौरान क्रमशः 12 और 14 साल के किशोरों को रंगरूट के रूप में भरती व उन का इस्तेमाल करते रहे, यह खुलासा अमेरिकी  विदेश मंत्रालय ने भारत में मानव तस्करी पर अपनी ताजा रिपोर्ट में किया है.

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अमेरिकी कौंग्रेस द्वारा अधिकृत 2020 की रिपोर्ट, जिस का शीर्षक है, ‘ट्रैफ़िकिंग इन पर्सन्स रिपोर्ट औफ़ द स्टेट डिपार्टमैंट’, को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने 25 जून को वाशिंगटन में जारी किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, माओवादी गुटों ने ख़ासतौर पर छत्तीसगढ़ और झारखंड में 12 साल के लड़कों को जबरन भरती किया ताकि वे हथियार चलाना सीखें. कुछ मामलों में तो माओवादियों ने इतनी छोटी उम्र के बच्चों को मानव ढाल के तौर पर भी इस्तेमाल किया. रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व में माओवादी समूहों से जुड़ी रहीं कुछ महिलाओं और लड़कियों ने बताया कि कुछ माओवादी शिविरों में यौनहिंसा की जाती थी.

वहीं, जम्मूकश्मीर में गैरसरकारी सशस्त्र समूह सीधेतौर पर सरकार विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए 14 वर्ष तक के कमउम्र किशोरों की लगातार भरती और उन का इस्तेमाल करते रहे.

रोक नहीं पा रहा भारत :

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत ने 2019 में मानव तस्करी को ख़त्म करने की अहम कोशिश की, लेकिन इस के बावजूद वह इस दिशा में कम से कम स्टैंडर्ड को भी पूरा नहीं कर पाया. देश की सरकार तस्करी की समस्या को खत्म करने के लिए अपने प्रयासों में निरतंरता नहीं रख पाई. खासकर, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभी तक समुचित कदम नहीं उठाए गए हैं.

अमेरिका ने मानव तस्करी संबंधी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को टीयर-2 श्रेणी के देशों में कायम रखा है. टीयर-2 श्रेणी में फिलहाल 90 से अधिक देश हैं. अमेरिकी सरकार की दलील है कि मानव तस्करी रोकने को भारत में न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है हालांकि वह इस दिशा में प्रगति जरूर कर रहा है.

जान लें कि टीयर-2 श्रेणी उन देशों के लिए है जहां सरकारें टीवीपीए के न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं कर पाती हैं. लेकिन वे उस मानक तक पहुंचने के लिए गंभीर प्रयास कर रही हैं. टीवीपीए वर्ष 2000 में लाया गया कानून है जिस का पूरा नाम ट्रैफिकिंग विक्टिम्स प्रोटैक्शन एक्ट है.

भारत से ज्यादा गएगुज़रे पाक और चीन :

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान का दर्जा घटा कर उसे टीयर-2 श्रेणी की निगरानी सूची में रखा गया है, क्योंकि वहां की सरकार ने इस दिशा में समुचित कदम नहीं उठाए.
वहीं, चीन का नाम सब से नीचे टीयर-3 श्रेणी में है क्योंकि चीनी सरकार ने मानव तस्करी को खत्म करने की दिशा में कोई खास प्रयास नहीं किया. रिपोर्ट जारी करते हुए अमेरिकी मंत्री पोम्पिओ ने कहा, ‘‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और सरकारी उपक्रम ने नागरिकों को बेल्ट और रोड परियोजना में बदहाल स्थिति में काम करने के लिए मजबूर किया.’’

क्या-क्या है मानव तस्करी :

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार,  किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डरा कर, धोखा दे कर, हिंसा जैसे तरीकों से भरती, तस्करी या बंधक बना कर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है. इस में पीड़ित व्यक्ति से देहव्यापार, घरेलू काम, गुलामी इत्यादि कार्य उस की इच्छा के विरुद्ध कराए जाते हैं.

गैरकानूनी तरीकों से लोगों को देश की सीमा पार करा कर किसी और देश में ले जाना या पहुंचाना ही मानव तस्करी होती है, ऐसा नहीं है.  केवल किसी देश का बौर्डर पार करना ही मानव तस्करी को परिभाषित नहीं करता, बल्कि इस में अन्य गतिविधियां भी शामिल होती हैं.

बाल तस्करी के मामले में मानव तस्करी को परिभाषित करने के लिए किसी भी तरह की हिंसा या जबरदस्ती शामिल नहीं है. बस, बच्चों को शोषणकारी परिस्थितियों में शामिल करना ही मानव तस्करी मान लिया जाता है.

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स्मगलिंग और ट्रैफिकिंग में फर्क :

लोगों में यह आम धारणा है कि स्मगलिंग और ट्रैफिकिंग में कोई अंतर नहीं है. लेकिन, यह सच नहीं है. दरअसल, स्मगलिंग तब घटित होती है जब एक तय फीस के लिए लोगों को एक देश की सीमा के पार ले जाया जाता है या कुछ चीजों, जैसे सोना या ड्रग्स को भी किसी देश की सीमा में सप्लाई किया जाता है. यह पूरा काम हो जाने के बाद स्मगलिंग करने वाला व्यक्ति फ्री हो जाता है.

दूसरी ओर,  बलात श्रम, शोषण और वेश्यावृत्ति आदि जैसे कार्यों के लिए व्यक्ति का मूवमैंट मानव तस्करी  कहलाता है. ट्रैफिकिंग में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने की आवश्यकता नहीं होती है. मानव तस्करी राष्ट्रीय स्तर पर या एक समुदाय के भीतर भी हो सकती है.

तस्कर के निशाने पर :

भारत में तस्कर देहव्यापार में लाखों लोगों का शोषण कर रहे हैं. तस्कर भारतीय महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाते हैं. साथ ही, देहव्यापार के लिए नेपाल और बंगलादेश से भी बड़ी संख्या में महिलाओं व लड़कियों को लाया जाता है.

अमेरिकी रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में तस्करों द्वारा देहव्यापार में बच्चों को भी धकेल दिया जाता है. खासकर, बिहार में तस्कर भारतीय और नेपाली महिलाओं को अगवा कर आर्केस्ट्रा डांस में काम करने के लिए मजबूर करते हैं. तस्कर धार्मिक स्थानों और पर्यटन स्थलों पर भी महिलाओं व बच्चों को देहव्यापार में धकेलते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, खाड़ी देशों और मलयेशिया में घरेलू सहायक, फैक्टरी में काम करने या कम कुशलता वाले काम के लिए जाने वाले लोग नौकरी के झांसे में फंस जाते हैं और उन से मनमाना शुल्क वसूला जाता है. रिपोर्ट में कहा गया कि खाड़ी के देशों, खासकर कुवैत और सऊदी अरब, में भारतीय महिला घरेलू कामगारों से जबरन काम कराया जाता है. उन्हें नियमित वेतन भी नहीं दिया जाता और ऐसा अनुबंध किया जाता है कि वे उस से बाहर भी नहीं निकल पाती. उन्हें शारीरिक उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता है.

अमेरिका में भी मानव तस्करी :

अमेरिका से हाल ही में वापस भेजे गए हरियाणा के 76 निवासियों में से अधिकतर ने दावा किया कि वे वहां कबूतरबाजी यानी मानव तस्करी का शिकार बने थे. इस मामले में अब तक 70 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

मंत्री महोदय ने प्रेस से बातचीत में कहा, ”हम ने पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं. पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन की शिकायत दर्ज की है. जांच जारी है और हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि कौन लोग इस कबूतरबाजी गिरोह में शामिल हैं.”  बता दें कि ये सभी 76 लोग कथिततौर पर अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे और वहां पकड़े जाने पर इन्हें भारत भेज दिया गया.

बहरहाल, मानव तस्करी इंसान के इंसान होने पर एक कलंक ही है. दुनिया के मौजूदा हालात पर नजर डालें तो यह नहीं लगता कि इंसान कभी इंसानियत को अपनाएगा. मगर हां, कुछ लोग हैं जिन के मानवीय कार्यों व जिन की मानवीयता के चर्चे गाहेबगाहे पढ़नेसुननेदेखने को मिलते रहते हैं.

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जानें Work From Home के लिए कौनसे डेटा-कॉलिंग प्लान हैं बेस्ट, पढ़ें खबर

दुनिया में कोरोनावायरस के केस बढते जा रहे हैं तो वहीं भारत में भी केस कम होने की बजाय डबल होते जा रहे हैं, जिसके कारण कई लोगों को घर से काम करना पड़ रहा है. वर्क फ्रॉम होम के लिए ज्यादात्तर लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसके चलते रिचार्ज कंपनियों के नए पैक से लोगों को कम बजट में हाइ स्पीड नेटवर्क की सुविधा दी जा रही है. आज हम आपको  रिलायंस जियो से लेकर  एयरटेल जैसी कंपनियों के कुछ खास रिचार्ज के बारे में बताएंगे, जिसका फायदा आपको मिल सकता है.

1. Jio का फायदे वाला प्लान

जियो की सिम का इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए 444 रूपए वाला प्लान बेहतर है. इस प्लान के साथ प्रतिदिन 2 जीबी डाटा (कुल 112 जीबी डाटा) मिलेगा. साथ ही  कॉलिंग के लिए 2,000 नॉन-जियो मिनट दिए जाएंगे. हालांकि, आप जियो-टू-जियो पर अनलिमिटेड कॉलिंग कर सकेंगे. इस प्लान में रोजाना 100 एसएमएस के साथ जियो प्रीमियम एप की मुफ्त में सब्सक्रिप्शन दी जाएगी, जिसकी समय सीमा 56 दिनों की होगी.

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2. Airtel का जबरदस्त प्लान

एयरटेल के ग्राहकों के लिए 449 रुपये वाले प्लान में यूजर्स को प्रतिदिन 2 जीबी डाटा के साथ 100 एसएमएस मिलेंगे. साथ ही यूजर्स किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग कर सकेंगे. इसके अलावा कंपनी यूजर्स को जी5, एयरटेल एक्सट्रीम और विंक म्यूजिक एप की मुफ्त में सब्सक्रिप्शन देगी, जिसकी समय सीमा 56 दिनों की होगी.

3. Vodafone का प्लान

वोडाफोन यूजर्स के 449 रुपये वाला में डबल डाटा ऑफर के तहत 2 जीबी डाटा के साथ अतिरिक्त 2 जीबी डाटा देगी. साथ ही यूजर्स किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग कर सकेंगे. इसके अलावा यूजर्स को वोडाफोन प्ले और जी5 एप की मुफ्त में सब्सक्रिप्शन दी जाएगी, जिसकी समय सीमा 56 दिनों की होगी.

4. BSNL का धमाकेदार प्लान

बीएसएनएल के 429 रुपये वाले प्लान में यूजर्स को प्रतिदिन 1 जीबी डाटा मिलेगा. साथ ही यूजर्स किसी भी नेटवर्क पर अनलिमिटेड कॉलिंग कर सकेंगे. इसके अलावा कंपनी यूजर्स को रोजाना 100 एसएमएस भी देगी, जिसकी समय सीमा 81 दिनों की होगी.

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बता दें, वर्क फ्रौम होम के लिए कईं नेटवर्क कंपनियों ने अपने यूजर्स के लिए नए प्लान निकाले हैं. साथ ही कई यूजर्स को नए औफर दिए गए हैं.

8 टिप्स: सैलून जैसी हेयर केयर अब घर पर

मौनसून के सीजन में बारिश में भीगना सभी को पसंद होता है. लेकिन यह बारिश हमारे बालों को डल, बेजान और रूखा भी बना देती है. ऐसे में हमें बालों की खास केयर की जरूरत होती है.

हम सभी जानते हैं कि इस समय सैलून का रुख करना सही नहीं है. ऐसे में जब आप के बालों को केयर की जरूरत हो तब आप सैलून जैसा ट्रीटमैंट घर पर भी ले सकती हैं. इस से न सिर्फआप के बाल खूबसूरत बनेंगे, बल्कि आप सेफ भी रहेंगी और पैसों की भी बचत होगी. तो आइए जानते हैं कैसे करें घर पर बालों की केयर:

1. जब हो फ्रिजीनैस की समस्या

मानसून के सीजन में हवा में नमी बहुत अधिक होने के कारण बालों में फ्रिजीनैस की समस्या सब से अधिक होती है, जिस से बाल टूटते भी ज्यादा हैं. ऐसे में बस मन में यही खयाल आता है कि अब पार्लर में इन के ट्रीटमैंट के लिए हजारों रुपए खर्च करने ही पड़ेंगे. जबकि ऐसा नहीं है. आप को सिर्फ मौसम के हिसाब से बालों को ट्रीट करने की जरूरत होगी. इस के लिए आप अपने बालों की औलिव औयल से मसाज करें, क्योंकि औलिव औयल में ऐंटीऔक्सीडैंट्स और ऐंटीइनफ्लैमेटरी गुण होने के कारण ये बालों की फ्रिजीनैस को दूर करने का काम करते हैं. ये बालों में नैचुरल मौइस्चर को बरकरार रखने का भी काम करते हैं. इस के लिए आप हफ्ते में 3-4 बार औलिव औयल को गरम कर के उस से बालों की मसाज करें. आप की समस्या कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी और आप को अपने बालों में स्मार्टनैस व चमक भी देखने को मिलेगी.

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2. हर वाश के बाद कंडीशनर जरूरी

अकसर जब भी स्कैल्प से नैचुरल औयल खत्म हो जाता है, तो बाल रफ और घुंघराले होने लगते हैं. ऐसे में मौनसून सीजन में हर वाश के बाद उन्हें कंडीशनर करना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि यह बालों के मौइस्चर को बरकरार रख कर उन्हें हैल्दी बनाने का काम जो करता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि बालों को हाइडे्रट करने वाले कंडीशनर का ही इस्तेमाल करें.

3. बालों को झड़ने से रोकें ये मास्क

मौनसून में बालों के झड़ने की प्रोब्लम सब से अधिक देखने को मिलती है. ऐसे में आप बाजार से महंगे मास्क खरीदने के बजाय हम आप को बताते हैं घर में ही बनने वाले हेयर मास्क के बारे में, जिन के फायदे भी ज्यादा हैं और आप इन्हें घर में रखी चीजों से ही आसानी से बना भी सकती हैं:

दही और नीबू का हेयर मास्क बालों के नैचुरल मौइस्चर को बरकरार रखने का काम करता है. इस के लिए आप एक बाउल में दही ले कर उस में 1/2 चम्मच नीबू डालें और इसे बालों में लगाएं. 1 घंटे बाद बालों को धो लें. इस से बाल मजबूत बनेंगे. ऐसा हफ्ते में एक बार जरूर करें. यकीन मानिए इस का रिजल्ट देख कर आप हैरान रह जाएंगी.

जैतून का तेल बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. क्योंकि यह खासकर बालों की डलनैस को दूर करने का काम करता है और अगर आप भी सौफ्ट हेयर चाहती हैं, तो अपने बालों की जैतून के तेल से मसाज कर के थोड़ी देर बाद ही हेयर वाश कर लें. इस से धीरेधीरे आप को अपने बालों में बदलाव नजर आने लगेगा.

बाल रूखे होने पर ऐलोवेरा जैल में दही मिला कर हफ्ते में 3 बार बालों में लगाएं. बालों की खोई चमक लौटने लगेगी.

4. हेयर सीरम से दें बालों को नरिशमैंट

जिस तरह फेस सीरम स्किन को हाइड्रेट रखने के साथसाथ उसे ग्लोइंग बनाने का काम करता है, उसी तरह हेयर सीरम बालों को नरिश करने का भी काम करता है, जो इस मौसम की अहम डिमांड होती है वरना अगर आप की स्कैल्प हाइड्रेट नहीं होगी, तो बाल डल होने के साथसाथ टूटने भी लगेंगे. इसलिए अगर बालों को हर मौसम में खूबसूरत देखना चाहती हैं, तो हेयर सीरम जरूर अप्लाई करें. बस इस बात का ध्यान रखें कि जब भी बालों में सीरम अप्लाई करें तो आप के बाल धुले हुए होने चाहिए. तभी इस का बैस्ट रिजल्ट आप को दिखेगा. हां, बारबार एक ही जगह सीरम अप्लाई करने से बचें.

5. बियर ट्रीटमैंट फौर हेयर

बियर ऐसी हेयर रेमेडी है, जो आप के बालों की हर समस्या को हल करने में कारगर होती है, खासकर जब आप अपने रूखे बालों से परेशान हो जाती हैं. ऐसे में या तो आप मार्केट में मिलने वाले बियर शैंपू को बालों में अप्लाई कर सकती हैं या फिर आप बियर में बारबार मात्रा में पानी मिला कर उस से बालों को धोएं. इस से न सिर्फ आप के बालों में शाइन आएगी, बल्कि इस से जड़ें भी मजबूत होंगी. पार्लर में भी अकसर बालों के लिए बियर ट्रीटमैंट दिया जाता है.

6. हौट हेयर टूल्स का प्रयोग नहीं

वैसे ही बारिश के मौसम में बालों की हालत खराब हो जाती है और ऊपर से आप उन में होट हेयर टूल्स भी इस्तेमाल कर लेंगी, तो यह प्रौब्लम काफी बढ़ सकती है. इसलिए जितना हो सके इस मौसम में हेयर टूल्स का कम से कम इस्तेमाल करें.

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7. हैल्दी डाइट भी जरूरी

अपने बालों को संवारने के लिए भले कितने ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स क्यों न ट्राई कर लें, लेकिन जब तक अपनी इनर हैल्थ को नहीं सुधारेंगी तब तक ये सारे प्रयास बेकार ही साबित होंगे. इसलिए अपनी डाइट में विटामिंस, मिनरल्स, प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स जरूर शामिल करें. ये आप के बालों की हैल्थ को सुधारने का काम करते हैं.

8. नो हौट वाटर

बारिश के मौसम में भीगने के बाद अकसर जब ठंड लगती है तब मन करता है कि क्यों न गरम पानी से नहाया जाए. लेकिन ऐसा करना आप की सब से बड़ी भूल होगी, क्योंकि गरम पानी से बालों का मौइस्चर खत्म होने के साथसाथ वे डैमेज होने भी शुरू हो जाते हैं. इसलिए उन की अच्छी सेहत के लिए उन्हें नौर्मल पानी से ही धोऐं. इस तरह आप मौनसून के मौसम में घर बैठे अपने बालों की अच्छी केयर कर सकती हैं.

FILM REVIEW: जानें कैसी है हिना खान की फिल्म ‘UNLOCK’

रेटिंग: दो स्टार

ओटीटी प्लेटफॉर्म: जी 5

निर्माता: भावना श्रीवास्तव, राजेश कजोले

निर्देशक: देबात्मा मंडल

कहानी: मोहम्मद आजाद और भावना श्रीवास्तव

कलाकार: हिना खान, कुशल टंडन, अदिति आर्य, ऋषभ सिन्हा व अन्य

अवधि: 58 मिनट

मोबाइल ऐप/ इंटरनेट किस तरह इंसानी जिंदगी के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, इसी पर रोशनी डालने के लिए फिल्मकार  देबात्मा मंडल एक हॉरर फिल्म अनलॉक लेकर आए हैं. अफसोस यह हॉरर फिल्म होते हुए भी डराती नहीं है.

कहानी:

कहानी के केंद्र में चार दोस्त सुहानी ( हिना खान), रिद्धि (अदिति आर्य ),अमर (कुशल टंडन) और अनुभव (ऋषभ सिन्हा) है. सुहानी और रिद्धि रूममेट हैं. रिद्धि और अमर एक दूसरे के साथ प्रेम संबंधों में है.अनुभव और अमर दोस्त हैं. एक दिन अनुभव की वजह से सुहानी की मुलाकात अमर से होती है. और सुहानी अमर से एक तरफा प्यार करने लगती है. एक दिन एक होटल की पार्टी में अनुभव मोबाइल ऐप डार्क वेब का जिक्र करता है और बताता है कि इस एप्स से इंसान  जिसे तलाश ना चाहे तलाश सकता है. डार्क वेब एप्स का रिद्धि और अमर पर कोई असर नहीं होता. लेकिन सुहानी बहुत आकर्षित होती है. वापसी में अनुभव और सुहानी के बीच बातचीत होती है जिससे समझ में आता है कि अनुभव की मां बहुत बीमार है पर अनुभव को यकीन है कि बहुत जल्द उसके पास मां के इलाज के लिए पैसे आ जाएंगे. सुहानी अकेले ही घर पहुंचती है क्योंकि रिद्धि वही होटल में रुक गई थी.

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सुहानी ने होटल के उस कमरे में एक जगह कैमरा फिट कर दिया था, जिस कमरे में रिद्धि के जाने की संभावना थी और उस कमरे की सारी गतिविधियां वह अपने मोबाइल फोन पर देख सकती थी. रिद्धि और अमर उस कमरे में जाते हैं और दोनों प्रेम संबंधों में लीन होने लगते हैं, यह सब मोबाइल पर सुहानी देखती है, अचानक रिद्धि उठकर उस कैमरे के ऊपर एक कपड़ा डाल देती है, ऐसे में सुहानी को अनुभव द्वारा बताए गए डार्क वेब एप्स की याद आती है. उस ऐप को अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर उस होटल के कमरे में रिद्धि व अमर की बीच जो प्रेम लीला चल रही है, उसे देखना चाहती है. लेकिन डार्क वेब एप उसके सामने सवाल करता है कि इस क्या वह अपनी कोई इच्छा पूरा करना चाहती हैं, ऐसा है तो तीन टास्क पूरा करके अपनी इच्छा को पूरा कर सकती है. सुहानी कहती है कि उसे अमर चाहिए. सुहानी के पहला टास्क पूरा करते ही अमर उसके पास आता है और एक तस्वीर दिखाते हुए कहता है कि रिद्धि उसके साथ धोखा करके इस लड़के के साथ संबंध बना रही है. अब सुहानी अमर के साथ संवेदना प्रकट करते हुए उसके साथ  रहने की कोशिश करती है. दूसरा टास्क पूरा करने के बाद सुहानी और अमर एक पार्टी में जाकर बीयर पीते हैं और फिर अमर के साथ उसकी गाड़ी में बैठकर अपने घर से रवाना होती है पर तभी रिद्धि का फोन अमर के पास आता है और स्थितियां बदल जाती है. अमर और रिद्धि सगाई कर लेते हैं तथा दूसरे दिन रिद्धि ,अमर और  सुहानी को पार्टी देने के लिए होटल में बुलाती है . तय समय पर सुहानी और अमर होटल पहुंच जाते हैं मगर रिद्धि नहीं पहुंचती है. ऐसा होता है कि अनुभव के हाथों  रिद्धि मारी जाती है. मौत की खबर और दूसरा टास्क पूरा करने की घटना याद करके सुहानी डर जाती है. अब वह तीसरा टास्क नहीं करना चाहती. लेकिन उसे डार्क वेब एप्स धमकाता है कि  अगर उसने तीसरा टास्क पूरा नहीं किया, तो अमर मारा जाएगा. उधर अनुभव  तीसरे टेस्ट को लेक फस गया है. अंततः सुहानी अमर और अनुभव के साथ अच्छा तो नहीं होता है.

लेखन:

फिल्म की अवधि 58 मिनट है इसलिए इसे झेला जा सकता है, अन्यथा इसमें खामियां ही खामियां हैं. लेखक ने किसी भी चरित्र का सही ढंग से चरित्र चित्रण नहीं किया है. किसी भी किरदार की जिंदगी पर कोई रोशनी नहीं डाली गई है. डार्क वेब जिस तरह के अपराध करवाता है उसके पीछे कोई तर्क भी नहीं है. इसमें ना तो रोमांस है और ना ही रहस्य व रोमांचही है. जबकि इस विषय पर रहस्य व रोमांच पैदा करने की असीम संभावनाएं थी मगर लेखक और निर्देशक सतही स्तर पर ही रह गए. संभवत लेखक ने पिछले दिनों ब्लू वेल चैलेंज गेम के चलते तमाम बच्चे आत्महत्या कर रहे थे, उसी से प्रेरित होकर इस वेब फिल्म की कहानी गढ़ी है ,पर चरित्रों को गढ़ने में और पटकथा लिखने में जिस  मेहनत की जरूरत थी, वह  करने की बजाय जल्दबाजी में एक कथा पेश कर दी गई.

निर्देशन:

निर्देशक देबात्मा मंडल  भी पूरी तरह से असफल रहे हैं.  निर्देशक का सारा ध्यान इंटरनेट के स्याह पक्ष को ही उभारने में ही रहा, पर किसी भी बात को तर्कसंगत ढंग से पेश नहीं कर पाए.

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 अभिनय:

कहानी चार दोस्तों की है मगर ऋषभ सिन्हा के हिस्से करने का कुछ आया ही नहीं, उसकी प्रतिभा को जाया किया गया है. जहां तक हिना खान ,कुशल टंडन और अदिति आर्य का सवाल है तो इन्होंने एकदम साधारण अभिनय किया है. हिना खान, कुशल टंडन और अदिति आर्य के बीच कहीं कोई केमिस्ट्री नजर नहीं आती. कुशल और अदिति के बीच भी  रोमांस की केमिस्ट्री नजर नहीं आती .इसकी मूल वजह सही ढंग से चरित्र चित्रण का ना होना है. इसके लिए कलाकार कम लेखन ज्यादा दोषी है.

सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड से डरे शेखर सुमन, बेटे को लेकर कही ये बात

 बीते दिनों एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइज के चलते बौलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर सोशलमीडिया पर बवाल हो रहा है. जहां लोग स्टार किड्स को सोशलमीडिया पर बुरा भला कह रहे हैं तो वहीं सुशांत की मौत की वजह डिप्रेशन को बताकर सेलेब्स को दोषी ठहरा रहे हैं. इसी बीच कुछ सेलेब्स सुशांत के सपोर्ट में भी आकर खड़े हुए हैं, जिनमें जाने-माने कॉमेडियन, एंकर, होस्ट और एक्टर शेखर सुमन (Shekhar Suman) का नाम भी शामिल है. वहीं सुशांत के डिप्रेशन को लेकर उन्होंने अपने बेटे को लेकर अपना एक डर भी सामने रखा है, जिसके बाद उनके फैंस उन्हें हौसला दे रहा हैं. आइए आपको क्या कहते हैं शेखर सुमन…

सुशांत के सुसाइड से डर गए हैं शेखर

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान शेखर सुमन (Shekhar Suman) ने खुलासा किया है कि वह सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड से बेहद डर गए हैं और अपने बेटे अध्ययन सुमन को लेकर बेहद चिंतित हैं. दरअसल उन्होंने कहा कि सुशांत उनके बेटे की तरह थे और ऐसे में वो उनके पिता का दर्द बेहद अच्छे से समझ सकते है. शेखर सुमन (Shekhar Suman) ने कहा है कि वो इस घटना से दोबारा ‘डरे हुए और चिंतित हैं.’ साथ ही यह भी बताया कि उनका बेटा अध्ययन सुमन भी डिप्रेशन का शिकार रह चुका है और एक ऐसा वक्त भी था जब उसे भी आत्महत्या करने जैसे विचार मन में आने लगे थे.

 

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My father my hero! Period. @shekhusuman ❤️ Happy Father’s Day !

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मुश्किल दौर से गुजर चुके हैं शेखर के बेटे

शेखर सुमन ने कहा, ‘ये मेरे परिवार के लिए काफी मुश्किल था अपने बेटे को उस बुरे दौर से बाहर निकालना. लेकिन अब सुशांत की मौत के बाद मैं दोबारा से डरा हुआ हूं और चिंतित हूं. मैं उन दिनों बार-बार जाकर अपने बेटे के कमरे में देखता था कि सबकुछ ठीक है न… ये कई बार हुआ कि मैं सुबह के 4-5 बजे जाकर उसके कमरे में उसे देखता था तो वो छत को एकटक देखता हुआ मुझे मिलता था. मैं उससे कहता था कि सो जाओ… हम तुम्हारे साथ हर हालत में हैं.‘

 

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Yeh Kya hogaya ! Iam going to miss my hair! Like if you want to know mere Bala sorry I mean baalon ka haal !!!!! #ınstagood

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बता दें, हाल ही में शेखर सुमन ने भी इंडस्ट्री को लेकर कई खुलासे किए हैं, जिसके बाद सोशलमीडिया पर वह सुर्खियों में हैं. साथ ही शेखर सुमन ने एक फोरम भी बनाया है जिसके तहत वह सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड केस में  सीबीआई जांच की मांग की है.

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इंडस्ट्री में कॉम्पीटिशन और इनसिक्युरिटी बहुत ज्यादा है – मीरा देवस्थले

टीवी शो ‘दिल्ली वाली ठाकुर गर्ल्स’ से चर्चित होने वाली एक्ट्रेस मीरा देवस्थले बरौदा की है. उसे बचपन से अभिनय की इच्छा थी, जिसमें साथ दिया उसकी माँ ने. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख मीरा ने केवल 5 साल की उम्र से नाटकों में अभिनय करना शुरू कर दिया था.

अपनी पढाई ख़त्म करने के बाद मीरा देवस्थले मुंबई आई और अभिनय की प्रशिक्षण लेने के बाद धारावाहिक ‘ससुराल सिमर का’ में डेब्यू किया, जिसमें उनके काम को काफी प्रशंसा मिली. इसके बाद उसने लगातार कई शो किये और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. मीरा देवस्थले अभिनय के साथ-साथ उनकी प्रोसेस भी पसंद है. मीरा देवस्थले शो ‘विद्या’ काफी पौपुलर शो थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इसे बंद कर दिया गया, जिसका मलाल मीरा को है, पर वह मायूस नहीं आगे बढ़ना जानती है. इन दिनों वह अपने पेंडिंग काम और हॉबी को पूरा कर रही है. उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस फील्ड में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

12 वीं की परीक्षा पास करने के बाद मैं मुंबई आई और अभिनय की ओर रुख किया. इसके लिए मैंने अभिनय का प्रशिक्षण लिया. पहले मैं इंजिनीयर बनना चाहती थी, पर मैंने देखा कि मुझे सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेना, एक्टिंग और डांस करना अधिक अच्छा लगता है. फिर मैंने अभिनय की ओर जाने का मन बनाया, लेकिन इसके लिए मैंने एक साल का समय मेरे परिवार से माँगा. अगर मैं सफल नहीं हो पायी तो वापस पढाई करुँगी. मुझे परिवार का सहयोग हमेशा मिला उन्होंने मुझे काम करने की पूरी आज़ादी दी है.

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सवाल-कितना संघर्ष रहा?

मुंबई आने के बाद एक्टिंग क्लास ख़त्म होने के बाद काम मिलना शुरू हो गया. अधिक संघर्ष नहीं था, क्योंकि मैंने एक्टिंग क्लास ले लिया. ऑडिशन देती रही और काम मिल गया. संघर्ष अच्छे काम के लिए, स्क्रिप्ट को याद करना और अच्छा परफोर्मेंस देना था, जो मैंने एक दिन में करीब 4 जगह ऑडिशन दिया है, जो बहुत कठिन था.  

सवाल-बड़ी शो का हिस्सा बनने की ख़ुशी कितनी थी?

मैं बहुत खुश थी. मेरी माँ हमेशा मेरे साथ जाती थी, क्योंकि मैं 18 साल की थी. उस धारावाहिक में मुझे सबसे अंत में साईन किया गया था. इसके बाद मैंने एक मेकअप किट खरीदी. शौपिंग की, बहुत अच्छा लगा. इस शो के प्रोड्यूसर और लोग बहुत अच्छे थे, इसलिए पहले दिन से ही शूटिंग करने में भी बहुत मज़ा आया था. सीखने और समझने के लिए वहां बहुत कुछ मिला.  

सवाल-लॉक डाउन में क्या कर रही है?

मुझे किताबे पढने का बहुत शौक है, उसे पढ़ रही हूं. इसके अलावा मैंने माँ के साथ केक बेक करना, इटालियन खाना बनाना सीखा है. इस दौरान मैंने महसूस किया है कि घर पर रहने वाली महिलाएं पूरा दिन काम करती है और ये आसान नहीं होता. 

सवाल-धारावाहिक ‘विद्या’ के बंद होने से मायूसी हुई?

हाँ थोड़ी तो हुई, क्योंकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से उन्होंने उसे बंद किया, पर मेरी माँ ने मेरी मायूसी को कम कर दिया. 

सवाल-क्या हिंदी फिल्मों में आने की इच्छा है ?

मैं अभी वेब सीरीज में काम करना चाहती हूं, क्योंकि मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है. सीखने के बाद मैं फिल्मों में आना चाहूंगी. 

सवाल-क्या काम के साथ-साथ आपकी पढाई जारी है?

नहीं, वह संभव नहीं क्योंकि काम में हर दिन 10 से 12 घंटे देने पड़ते है, ऐसे में पढाई छूट गयी है, पर जब कभी भी काम से ब्रेक लूँगी, मैं अवश्य एक बार फिर कुछ कोर्स करने की कोशिश करुँगी.

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सवाल-नेपोटिज्म और खेमेबाजी के बारें में आपकी सोच क्या है?

ये हर क्षेत्र में होता है, पर मुझे अभी तक इसका सामना नहीं करना पड़ा. मैंने जब कभी भी लो फील किया मेरे परिवार वालों ने साथ दिया. इसे अधिक महत्व नहीं दिया. डिप्रेशन एक बीमारी है और लोग इसे छिपाते है, जो उचित नहीं. इसका इलाज है, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेने से घबराना नहीं चाहिए. साथ ही दोस्तों और परिवार से संवाद बनाना जरुरी है, जो आपकी बात सुने और सही निर्देश दें. इंडस्ट्री में कॉम्पीटिशन और इनसिक्युरिटी बहुत अधिक है. इसलिए यहाँ डिप्रेसड होना या अकेले पड़ना आम बात है,ऐसे में सपोर्ट सिस्टम का स्ट्रोंग होना जरुरी है. सुशांत सिंह राजपूत की घटना से मैं बहुत शॉकड थी, क्योंकि इतना मेहनत करने वाला इंसान के लिए ऐसा कर जाना विश्वास योग्य नहीं था.

सवाल-तनाव में होने पर आप क्या करती है? 

मेरा परिवार मेरे साथ हमेशा रहता है, इसलिए कभी तनाव नहीं आती. विद्या शो के बंद होने के बाद जब मैंने माँ से इसका जिक्र किया तो उनका कहना था कि कोई बात नहीं. इतने सालों से काम कर रही है अब थोड़ी आराम कर लें. ये रिएक्शन मेरे लिए बड़ी थी. इसके अलावा कोई भी समस्या आने पर भाई, माँ या दोस्तों से शेयर करती हूं. मैं बहुत पॉजिटिव विचार रखती हूं. किसी चीज के न मिलने पर मायूस नहीं होती, हार नहीं मानती. मेरे माता-पिता अलग रहते है, पर उसका प्रभाव मेरे जीवन पर कभी नहीं पड़ा. 

सवाल-लॉक डाउन का असर इंडस्ट्री पर पड़ा है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जैसा मैंने सुना है कि करीब 12 करोड़ लोगों के काम हर क्षेत्र से चले गए है. ये बहुत बड़ी समस्या है. धीरे-धीरे सब सही होगा. धीरज सबको रखना पड़ेगा. जल्दी ठीक हो यही उम्मीद करती हूं. दुःख इस बात का है कि लोग अभी भी मान नहीं रहे और झुण्ड में बाहर निकलते है.

सवाल-आप कितनी फैशनेबल है?

मैं अधिक फैशन पसंद नहीं करती. आरामदायक कपडे पहनती हूं.  अभी मैं खुद फैशन के बारें में थोडा सोचने लगी हूं. 

सवाल-कोई सामाजिक काम जिसे आप करना चाहे?

मैं करती हूं, जिसे बताना नहीं चाहती. इसके अलावा सिग्नल पर भीख मांग रहे छोटे बच्चों को अगर पढ़ाया जाय, तो अच्छी बात होगी.

सवाल- गृहशोभा के जरिये कोई मेसेज देना चाहे?

मेरी माँ गृहशोभा हमेशा पढ़ती है, उन्हें मैगज़ीन की ब्यूटी, रिलेशनशिप, महिलाओं से सम्बंधित लेख बहुत पसंद है. इसके अलावा महिअलों से मैं कहना चाहती हूं  कि वे घर की बहुत बड़ी जिम्मेदारी सम्हालती है. उन्हें मैं सेल्युट करती हूं. उन्हें कभी अपने आप को कम नहीं समझना चाहिए.

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लंबे समय से घुटनों के पुराने दर्द से पीडि़त हूं, क्या इसका कोई सही इलाज है?

सवाल-

क्या आप बदलते मौसम में घुटनों को नुकसान से बचाने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव का सुझाव दे सकते हैं? मैं एक 45 वर्षीय मरीज हूं. जो लंबे समय से घुटनों के पुराने दर्द से पीडि़त हूं?

जवाब-

तलेभुने पदार्थ न खाएं. धूम्रपान छोड़ दें. विटामिन डी सप्लिमैंट्स लें. घुटनों के इर्दगिर्द की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए टहलने, सैर करने के साथसाथ हलकेफुलके व्यायाम भी करने की जरूरत होगी. हलकेफुलके शारीरिक व्यायाम से घुटनों पर कम दबाव पड़ेगा. अगर चलने से आप के घुटनों में तकलीफ होती है तो आप पानी में रह कर किए जाने वाले व्यायाम जैसे वाटर ऐरोबिक्स, डीप वाटर रनिंग (गहरे पानी में जौगिंग) करने पर विचार कर सकते हैं. आप ऐक्सरसाइज करने वाली साइकिल का भी प्रयोग कर सकते हैं.

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आर्थ्राइटिस अब हमारे देश की आम बीमारी बन चुका है और इस से पीडि़त व्यक्तियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. आर्थ्राइटिस से सिर्फ वयस्क ही नहीं, बल्कि आज के युवा भी पीडि़त हो रहे हैं. जिस की वजहें आज की मौडर्न जीवनशैली, खानपान, रहनसहन आदि हैं. आज हर व्यक्ति आराम चाहता है, मेहनत तो जीवनचर्या से खत्म हो चली है. फलस्वरूप ऐंडस्टेज आर्थ्राइटिस से पीडि़त अनेक रोगियों के पास जौइंट रिप्लेसमैंट सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता.

इस विषय पर मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल के डा. कौशल मल्हान, जो यहां के सीनियर और्थोपैडिक कंसल्टैंट हैं और घुटनों की सर्जरी के माहिर हैं से बातचीत की गई. वे पिछले 20 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन का कहना है कि हमेशा से हो रही घुटनों की प्रत्यारोपण सर्जरी ही इस रोग से मुक्ति दिलाती है, पर यह पूरी तरह कारगर नहीं होती, क्योंकि सर्जरी के दौरान मांसपेशियां और टिशू क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. परिणामस्वरूप जितना लाभ व्यक्ति को चलनेफिरने में होना चाहिए उतना नहीं हो पाता.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- घुटने का प्रत्यारोपण, आर्थ्राइटिस से मुक्ति

Beauty Tips: क्या मैगनेटिक लैशिज का इस्तेमाल करना सेफ है?

हम अपनी आंखों पर जिस भी चीज का प्रयोग करते हैं उस का सेफ होना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि आंखें हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण व नाजुक हिस्सा होती है. आज कल मेक अप व गलैमरस जगत में फेक आई लैशिज का प्रयोग बहुत बढ गया है. क्या हैं मैगनेटिक लैशिज व क्या यह सेफ हैं? आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से.

क्या हैं मैगनेटिक लैशिज?

हम जब फैक लैशिज का प्रयोग करते हैं तो हमें उन को अपनी आंखों से ग्लू की मदद से चिपकाने में काफी मुश्किल महसूस होती है.  हमें यह काम बहुत झंझट वाला लगता है. तो इसी झंझट को खत्म करने के लिए मैगनेटिक लैशिज प्रयोग में आई. इन लैशिज को चिपकाने के लिए आप को किसी तरह की ग्लू की जरूरत नहीं पडती. इनमें छोटी छोटी मैगनेट होती हैं. इन की दो परतें होती हैं. आप इन को अपनी लैशिज के ऊपर चिपका सकती हैं. इन्हें उतारने के लिए बस इन को थोडा सा खींचना होता है और यह आंखों से अलग हो जाती हैं.

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क्या मैगनेटिक लैशिज सेफ हैं?

अपनी आंखों पर कोई भी चीज प्रयोग करने से पहले हम यह सुनिश्चित करते हैं कि वह सुरक्षित है या नही? क्या मैगनेटिक लैशिज सेफ हैं? इस का जवाब हां है, ज्यादातर यह लैशिज आप की आंखों के लिए बिलकुल सुरक्षित हैं परंतु आप को कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी.

ग्लू से चिपकने वाली लैशिज किसी किसी के लिए अलर्जिक साबित हो सकती हैं परंतु मैग्नेटिक लैशिज में ग्लू का प्रयोग ही नहीं होता इसलिए यह सेफ है. फिर भी कई महिलाओं को इन से भी अलर्जी हो सकती है.

नकली पलकें भी इंसानी बालों का प्रयोग कर के ही बनाई जाती हैं. तो उन की क्वालिटी भी अलग अलग मिलती है. इस लिए आप किसी बढिया ब्रैंड की लैशिज का ही प्रयोग करें.

आप लैशिज को उतारते समय अपनी लैशिज के भी कुछ बालों को खो देते हैं और फिर अगली बार वह गलत दिशा में उगते हैं.

आप चाहे किसी भी प्रकार की आई लैशिज का प्रयोग करें, कई बार इन के प्रयोग से आंखों में इंफैक्शन जैसी समस्या हो जाती है.

यदि आप को फिर भी लैशिज का प्रयोग करना अच्छा लगता है तो कुछ सेफ्टी टिप्स को अपनाएं.

सेफ्टी टिप्स

अपनी आई लैशिज किसी अन्य के साथ शेयर न करें.

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अपनी फेक लैशिज को एक बंद डिब्बे में रखें जो कि साफ सुथरा हो.

काफी गर्म जगहों पर अपनी लैशिज को न रखें.

यदि आप को आंखों में जलन या अन्य तरह की दिक्कत होती है तो इन का प्रयोग न करें.

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