फंदा: भाग-3

इसी बीच जोया ने बेटी को जन्म दिया. सब खुश हुए पर हसन से किसी ने कोई बात नहीं की. शौकत, सना और हिबा ने रूबी की बात जानने के बाद हसन से बात बिलकुल बंद कर दी थी. आयशा उस से थोड़ी बहुत बात कर लेती थीं. उस के खाने, कपड़े की देखभाल वही कर रही थीं.

एक दिन सना ने फोन पर हिबा से कहा, ‘‘मैं ऐसे भाई की कोई मदद नहीं करूंगी, मैं उस से अपना पूरा पैसा वापस मांगूंगी. बहन की आबरू से खिलवाड़ करने वाले भाई से मेरा कोई मतलब नहीं है.’’

हिबा ने कहा, ‘‘आप ठीक कह रही हैं. नफरत हो गई है हसन से, इस ने हम बहनों को हमेशा ही बुरी नजर से देखा है, जोया जैसी सुघड़ बीवी है, सब ने हमेशा उस की हर बात मानी है, मैं भी मांग लूंगी अपने गहने वापस… मुझे भी नहीं करनी उस की मदद… जोया को भी नहीं बता पाएंगे उस की करतूत, बेचारी को धक्का लगेगा.’’

‘‘कल ही हसन से बात करने चलते हैं.’’

‘‘ठीक है.’’

सना रशीद को और हिबा अपनी ननदों को बच्चों का ध्यान रखने के लिए कह कर मायके पहुंचीं. उन्होंने आयशा से हसन के बारे में पहले ही पूछ लिया था. वह घर पर ही था. 4 बज रहे थे. वह सो रहा था. उन की आवाज से हसन की नींद खुल गई. उस ने नीचे से आ रही आवाजों पर ध्यान दिया. समझ गया कुछ बात होने वाली है. सना ने जोर से हसन को आवाज दी, तो वह नीचे आ कर अक्खड़ लहजे में बोला, ‘‘क्या है, बाजी?’’

‘‘मत कहो हमें बाजी… हम नहीं हैं तुम्हारी बहनें. तुम जैसे भाई पर हमें शर्म आती है.’’

हसन दोनों को गुस्से से घूरने लगा.

सना ने कहा, ‘‘मुझे अपने पैसे वापस चाहिए, मुझे तुम्हारी कोई मदद नहीं करनी है.’’

हिबा ने भी फटकार लगाई, ‘‘मुझे भी अपने गहने अभी वापस चाहिए.’’

इस स्थिति का तो हसन ने अंदाजा ही नहीं लगाया था. उस ने सोचा था अभी चिल्लाएंगी, ताने मारेंगी और चली जाएंगी, वे अपनी रकम वापस मांग लेंगी इस का तो अंदाजा ही नहीं था. अत: उस ने अपने सुर फौरन बदले, ‘‘मुझे माफ कर दो मुझ से गलती हो गई. मैं बहुत शर्मिंदा हूं.’’

‘‘नहीं हसन, इस गुनाह की कोई माफी नहीं.’’

तभी वहीं बैठी रूबी हसन से डर कर आवाजें निकालने लगीं. सना से रूबी की हालत देखी नहीं गई. उस ने हसन को एक थप्पड़ लगा दिया, ‘‘देख रहे हो बेशर्म. क्या हालत कर दी इस की, नफरत है हमें तुम से.’’

हसन का गुस्से के मारे बुरा हाल हो गया. पर इस समय हालात उस के काबू में नहीं थे. अत: उस ने नरमी से कहा, ‘‘मैं कल जोया को लेने जा रहा हूं. आप सब की रकम बहुत जल्दी वापस कर दूंगा,’’ कह कर हसन ऊपर चला गया.

जोया के नाम का सहारा ले कर उस ने उन लोगों के गुस्से को चालाकी से ठंडा करने की कोशिश की थी… अपनी मां और बहनों को वह इतना तो जानता ही था कि वे सब जोया को बहुत प्यार करते हैं और उसे कभी दुखी नहीं देखना चाहेंगे. इसलिए रूबी के साथ की गई उस की हरकत को कोई जोया को नहीं बताएगा, इस बात की उसे पूरी गारंटी थी.

सना और हिबा चली गईं. हसन अपनी चालाकियों पर मुसकराता हुआ जोया को लेने जाने की तैयारी करने लगा. अगली सुबह जल्दी निकल गया.

शाम को वह जोया, शान और नन्ही सी बेटी जिस का नाम जोया ने हसन की इच्छा

पर ही माहिरा रखा था, ले कर आ गया. नन्ही माहिरा को शौकत अली और आयशा ने गोद में ले कर खूब प्यार किया. रूबी जोया को देखते ही हसन की तरफ कुछ इशारे कर के बताने लगी तो आयशा ने रूबी को शांत कर दिया.

जोया और बच्चों के आते ही घर में हर समय छायी रहने वाली मनहूसियत कुछ कम हुई पर जोया ने महसूस किया कि कोई हसन से बात नहीं कर रहा है, उस ने एकांत में हसन से पूछा भी, ‘‘कुछ हुआ है क्या मेरे पीछे? सब चुप से हैं.’’

हसन ने हंसते हुए कहा, ‘‘अरे, कुछ नहीं. मैं जरा नए बिजनैस में बिजी था न… काम के प्रैशर में अब्बूअम्मी से ठीक से बात नहीं की, बाहर ज्यादा रहा तो वे नाराज हो गए. अब तुम लोग आ गए हो तो सब ठीक हो जाएगा. जल्दी बाजी लोगों को फोन कर के सब की दावत का इंतजाम करो, बहुत दिन हो गए हैं न.’’

जोया ने मुसकरा कर ‘हां’ में सिर हिलाया.

हसन सीधा बाबा के पास पहुंचा और बहनों के पैसे वापस मांगने के बारे में बताया. बाबा चौंका. फिर बहुत देर तक खूब उलटीसीधी बातें कर के उस ने हसन का बहुत खतरनाक तरीके से ब्रेनवौश किया. रहीसही कसर मजहबी बातों, अफशा की तनहा जिंदगी और खुदा और जन्नत के नाम पर उस की लच्छेदार बातें सुन कर हसन जब बाबा के पास से उठा तो वह कोई और ही हसन था. अपनेआप को बिलकुल अलग महसूस करने वाला खुदा का खास बंदा जो हर अपनेपराए की बुराई खत्म कर उन्हें जन्नत भेजने के लिए आया था. शैतानी दिमाग पर एक अजीब सा सुकून था.

हसन ने बहनों को फोन जोया से ही करवाया. वह जानता था कि बहनें जोया का मन रखने जरूर आएंगी. जोया के कहने पर शनिवार को सना और हिबा अपने बच्चों के साथ आ गईं, हसन से तो सना और हिबा ने बात ही नहीं की. दोनों जोया और उन के बच्चों से ही बातें करती रहीं. नन्ही माहिरा को देख कर सब के चेहरे खिल गए थे, फूल सी माहिरा को सना और हिबा ने खूब प्यार किया, उस के लिए लाए कपड़े और खिलौने दिए.

हसन हमेशा की तरह किचन में व्यस्त जोया का हाथ बंटाने लगा. काम में और बच्चों में व्यस्त होने के कारण जोया ने भाईबहनों के बीच पसरे सन्नाटे को महसूस नहीं किया.

शौकत अली और आयशा जब बाहर से घर लौटे तो हसन ने जोया के साथ मिल कर शानदार डिनर लगवाया. सब हमेशा की तरह साथ खाने बैठे. रूबी सना और हिबा के बीच दुबकी बैठी हुई थी. वह हसन से डरने लगी थी. जोया को रूबी का यह डर महसूस न हो, यह सोच कर वह सब के बच्चों में ही खेलता रहा.

शौकत और आयशा जो हसन की हरकतों से अंदर ही अंदर टूट चुके थे, किसी तरह जोया का चेहरा देख कर अपनेआप को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहे थे. 10 बजे तक सब का डिनर खत्म हुआ. सना और हिबा, जोया के साथ मिल कर बरतन समेटने में मदद करने लगीं. 12 बजे तक बच्चे हंगामा करते रहे.

फिर हसन ने कहा, ‘‘आप सब बातें करें, मैं आप सब के लिए शरबत बना कर लाता हूं.’’

जोया ने शौहर को प्यार भरी नजरों से देखा. सना, हिबा और बाकी लोगों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की ताकि जोया को कोई बात दुख न पहुंचाए. वह बेहद अच्छी इनसान है, यह सोच कर सब ने अपना गुस्सा अपने मन में ही रख लिया था.

हसन ने बेहद सावधानी से अपनी पैंट की जेब से निकाल कर बाबा का दिया एक पाउडर शरबत में मिलाया और ट्रे में रख कर सब को 1-1 गिलास सर्व किया.

उस ने खुद नहीं पिया तो जोया ने पूछा, ‘‘आप नहीं पीएंगे?’’

‘‘अभी नहीं, पेट बहुत भरा है. थोड़ी देर बाद.’’

हसन सब के शरबत पीने के बाद सब गिलास उठा कर ले भी खुद गया, आधे घंटे के बाद सब को तेज नींद आने लगी. जिस को जहां जगह मिली, लेटता गया. शौकत, रूबी, सना के तीनों बच्चे, हिबा और उस के तीनों बच्चे, शान ड्राइंगरूम में ही लेट गए. माहिरा सना की गोद में ही थी. आयशा व सना को जोया ऊपर ले गई. सब बहुत गहरी नींद में सोते चले गए.

हसन ने धीरे से मेन गेट और घर का हर दरवाजा, खिड़की अंदर से बंद कर ली. फिर इत्मीनान से बेखौफ हो कर गहरी नींद में सोए हुए सब से पहले शौकत, फिर हिबा, फिर रूबी, फिर हिबा के तीनों बच्चों, सना के तीनों बच्चों, अपने बेटे शान, सब की गरदन की नसें एक तेज धार वाले चाकू, जो उस ने एक कसाई से खरीदा था, से काटता चला गया. जो अविश्वसनीय था, वह घट चुका था. हसन पूरी तरह शैतान बन चुका था.

फिर हसन ऊपर की तरफ बढ़ा. उस ने वहां सब से पहले जोया और फिर अपनी 2 महीने की फूल सी बेटी माहिरा की गरदन पर भी चाकू चला दिया. हसन के हाथ जरा भी न कांपे. फिर उस ने सना की गरदन की नसें भी काट दीं, पर अचानक बेहोश सना की तेज दर्द से आंख खुल गई.

हसन हंसा, ‘‘चल तू अब अपनी आंखों से सब देख ले मरने से पहले. अब तुझे सब से बाद में मारूंगा.’’

गले की कटी नस से बेइंतहा बहते खून के कारण दर्द में भी सना की तेज चीख निकल गई. वह उठने की कोशिश करते हुए हसन को रोकने की कोशिश करने लगी.

चीख की आवाज से आयशा ने भी आंखें खोल दीं. गरदन घुमा कर जोया और माहिरा के शरीर से खून बहता देखा तो चीख पड़ीं, ‘‘यह क्या किया, हसन?’’

‘‘अभी मेरा काम खत्म नहीं हुआ है, आप और आप की बेटी जिंदा है अभी.’’

आयशा ने घबरा कर हाथ जोड़े, ‘‘नहीं बेटा, मेरी बेटी को छोड़ दे.’’

‘‘नहीं, मैं सब को मार दूंगा, मैं आप सब को इस दुनिया की बुराइयों से दूर भेज रहा हूं, हम अब जन्नत में मिलेंगे.’’

‘‘बाकी सब कहां हैं?’’

‘‘मैं ने सब को मार दिया.’’

आयशा जोर से बिलख उठी. हसन के पैरों में सिर रख दिया, ‘‘नहीं बेटा, मैं तेरी मां हूं, यह गुनाह मत कर, हसन.’’

हसन ने आयशा को एक धक्का दिया. अभी तक बेहोशी की हालत में तो थी हीं. अत: वे गिर पड़ीं. हसन ने पल भर की देर किए बिना मां का गला भी काट दिया. फिर सना की तरफ मुड़ा, ‘‘तुझे भी नहीं छोड़ूंगा.’’

सना हसन को धक्का दे कर किचन की तरफ भागी और दरवाजा बंद करने की कोशिश करने लगी. हसन ने उस के पेट में चाकू घोंप दिया. पर सना आखिरी दम लगा कर किसी तरह हसन को धक्का दे कर किचन का दरवाजा अंदर से बंद करने में कामयाब हो गई. बहतेखून में, टूटती सांसों के साथ उस ने जोरजोर से एक गिलास से ग्रिल बजाई. हसन दरवाजा तोड़ने की कोशिश कर रहा था पर कामयाब नहीं हो पा रहा था.

आवाज सुन कर साथ वाले पड़ोसी अफजल की नींद खुल गई, उन्होंने झांका तो सना की बचाओबचाओ की आवाज सुनाई दी. अफजल ने भाग कर दूसरे पड़ोसी सुलतान बेग का दरवाजा खटखटाया. सब इकट्ठा हो कर किचन की तरफ भागे.

सना भयंकर दर्द से चिल्लाते हुए, कराहते हुए बता रही थी, ‘‘हसन ने सब को मार दिया है. वह मुझे भी मार देगा.’’

यह सुनते ही किसी ने पुलिस को फोन कर दिया. सना खून से लथपथ थी. 3-4 लोगों ने ग्रिल तोड़ कर सना को बाहर निकाला. भीड़ बढ़ती जा रही थी. रात के सन्नाटे में इतनी आवाजों से लोग उठते चले गए थे.

सना इतनी देर में जिंदगी की जंग हार गई. एक पड़ोसिन की गोद में ही उस ने आखिरी सांस ली. सब के रोंगटे खड़े हो गए. हसन अंदर से सब सुन रहा था. सब को सच पता चल चुका था. बाहर पुलिस की गाड़ी आने की आवाज सुनाई देने लगी.

हसन ने अफशा के साथ भागने की योजना बना रखी थी पर सना के बाहर निकलने पर पूरी योजना पर पानी फिर गया था.

पुलिस ने बाहर से दरवाजा खोलने के लिए कहा पर हसन ने दरवाजा नहीं खोला. फिर जहां से सना को बाहर निकाला गया था वहां एक पुलिसकर्मी ने घुस कर दरवाजे, खिड़की खोले. पुलिस अंदर घुसी, कुछ लोग भी हिम्मत कर के अंदर आ गए. अंदर का नजारा देख सख्त से सख्त दिल भी कांप गया. किसी ने भी कभी ऐसा मंजर नहीं देखा था.

हर तरफ खून से सनी लाशें, बच्चे, बड़े सब किसी अपने के ही हाथ अपनी जिंदगी गंवा चुके थे. ऊपर जा कर देखा तो सब की सांसें रुक गईं. ऊपर भी लाशें और मां के ही दुपट्टे से गले में फांसी का फंदा लगा झूलता हसन.

उसे फौरन नीचे उतारा गया पर अब कोई सांस बाकी नहीं थी. यह फंदा सिर्फ मां के दुपट्टे का नहीं था, यह फंदा था बचपन से ही बेटे होने के दंभ का, धार्मिक अंधविश्वासों की दिलोदिमाग पर छा जाने वाली जड़ों, दौलत के लालच का और चरित्रहीनता का.

काफी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी. आवाजें दरगाह तक भी पहुंचीं तो जमाल बाबा भी जिस तेजी से भीड़ के पीछे आ कर मामले को समझने की कोशिश कर रहा था उसी तेजी से पीछे हट कर गायब हो चुका था.

प्रयास: भाग-1

छतपर लगे सितारे चमक रहे थे. असली नहीं, बस दिखाने भर को ही थे. जिस वजह से लगाए गए थे वह तो… खैर, जीवन ठहर नहीं जाता कुछ होने न होने से.

बगल में पार्थ शांति से सो रहे थे. उन के दिमाग में कोई परेशान करने वाली बात नहीं थी शायद. मेरी जिंदगी में भी कुछ खास परेशानी नहीं थी. पर बेवजह सोचने की आदत थी मुझे. मेरे लिए रात बिताना बहुत मुश्किल होता था. इस नीरवता में मैं अपने विचारों को कभी रोक नहीं पाती थी. पार्थ तो शायद जानते भी नहीं थे कि मेरी हर रात आंखों में ही गुजरती है.

मैं शादी से पहले भी ऐसी ही थी. हर बात की गहराई में जाने का एक जनून सा रहता था. पर अब तो उस जनून ने एक आदत का रूप ले लिया था. इसीलिए हर कोई मुझ से कम ही बात करना पसंद करता था. पार्थ भी. जाने कब किस बात का क्या मतलब निकाल बैठूं. वैसे, बुरे नहीं थे पार्थ. बस हम दोनों बहुत ही अलग किस्म के इनसान थे. पार्थ को हर काम सलीके से करना पसंद था जबकि मैं हर काम में कुछ न कुछ नया ढूंढ़ने की कोशिश करती.

उस पहली मुलाकात में ही मैं जान गई थी कि हम दोनों में काफी असमानता है.

‘‘तुम्हें नहीं लगता कि हम घर पर मिलते तो ज्यादा अच्छा रहता?’’ पार्थ असहजता से इधरउधर देखते हुए बोले.

‘‘मुझे लगा तुम मुझ से कहीं अकेले मिलना पसंद करोगे. घर पर सब के सामने शायद हिचक होगी तुम्हें,’’ मैं ने बेफिक्री से कहा.

‘‘तुम? तुम मुझे ‘तुम’ क्यों कह रही हो?’’ पार्थ का स्वर थोड़ा ऊंचा हो गया.

मैं ने इस ओर ज्यादा ध्यान न दे कर एक बार फिर बेफिक्री से कहा, ‘‘तुम भी तो मुझे ‘तुम’ कह रहे हो?’’

उस दिन पार्थ के चेहरे का रंग तो बदला था, लेकिन उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा. मैं भी अपने महिलावादी विचारों में चूर अपने हिसाब से उचित उत्तर दे कर संतुष्ट हो गई.

फेरों के वक्त जब पंडित ने मुझ से कहा कि कभी अकेले जंगल वीराने में नहीं जाओगी, तब इन्होंने हंस कर कहा, ‘‘अकेले तो वैसे भी कहीं नहीं जाने दूंगा.’’

ये भी पढ़ें- फिर से नहीं: भाग-6

यह सुन कर सभी खिलखिला उठे. मैं ने भी इसे प्यार भरा मजाक समझ कर हंसी में उड़ा दिया. उस वक्त नहीं जानती थी कि वह सिर्फ एक मजाक नहीं था. उस के पीछे पार्थ के मन में गहराई तक बैठी सोच थी. इस जमाने में भी वे औरतों को खुद से कमतर समझते थे.

शादी के बाद हनीमून मना कर जब लौटी तो खुद को हवा में उड़ता पाती थी. लेकिन इस नशे को काफूर होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. रविवार की एक खुशनुमा सुबह जब मैं ने पार्थ से फिर से नौकरी जौइन करने के बारे में पूछा तो उन के रूखे जवाब ने मुझे एक और झटका दे दिया.

‘‘क्या जरूरत है नौकरी करने की? मैं तो कमा ही रहा हूं.’’

पार्थ के इस उत्तर को सुन कर मेरी आंखों के सामने पुरानी फिल्मों के खड़ूस पतियों की तसवीरें आ गईं. फिर बोली, ‘‘लेकिन शादी से पहले भी तो मैं नौकरी करती ही थी?’’

‘‘शादी से पहले तुम्हारा खर्च तुम्हारे घर वालों को भारी पड़ता होगा. अब तुम मेरी जिम्मेदारी हो. जैसी मेरी मरजी होगी वैसा तुम्हें रखूंगा. इस बारे में मुझे कोई राय नहीं चाहिए,’’ इन्होंने मुझ पर पैनी नजर डालते हुए कहा.

अपने परिवार पर की गई टिप्पणी तीर की तरह चुभी मुझे. अत: फुफकार उठी, ‘‘मैं नौकरी खर्चा निकालने के लिए नहीं, बल्कि अपनी खुशी के लिए करती थी और अब भी करूंगी. मैं भी देखती हूं मुझे कौन रोकता है,’’ इतना कह कर मैं वहां से जाने लगी.

तभी पीछे से पार्थ का ठंडा स्वर सुनाई दिया, ‘‘ठीक है, करो नौकरी, लेकिन फिर मुझ से एक भी पैसे की उम्मीद मत रखना.’’

एक पल को मेरे पैर वहीं ठिठक गए, लेकिन मैं स्वाभिमानी थी, इसलिए बिना उत्तर दिए कमरे से निकल गई.

अब तक काफी कुछ बदल चुका था हमारे बीच. पार्थ को तो खैर वैसे भी कुछ मतलब नहीं था मुझ से और अब मैं ने भी दिमाग पर जोर डालना काफी हद तक छोड़ दिया था. दोनों अपनेअपने काम में व्यस्त रहते. शाम को थकहार कर खाना खा कर अपनेअपने लैपटौप में खोए रहते. कभीकभी जब पार्थ को अपनी शारीरिक जरूरत पूरा करने का ध्यान आता तो मशीनी तरीके से मैं भी साथ दे देती. उन्हें मेरी रुचि अरुचि से कोई फर्क नहीं पड़ता.

अब तो लड़ने का भी मन नहीं करता था. पहले की तरह अब हमारा झगड़ा कईकई दिनों तक नहीं चलता था, बल्कि कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता. उस का अंत करने में अकसर मैं ही आगे रहती. मुझे अब पार्थ से बहस करने का कोई औचित्य नजर नहीं आता था. इस का मतलब यह नहीं था कि मैं ने पार्थ के सत्तावादी रवैऐ से हार मान ली थी. उस की हर बात का जवाब देने में अब मुझे आनंद आने लगा था.

उस दिन पार्थ की बहन रितिका के बेटे की बर्थडे पार्टी थी. उन्होंने मुझे शाम को जल्दी घर आने को कहा. वे अपनी बात पूरी कर पाते, उस से पहले ही मैं ने सपाट स्वर में उत्तर दिया, ‘‘मुझे औफिस में देर तक काम है, तुम चले जाना.’’

‘‘अरे, पर मैं अकेले कैसे जाऊंगा? वहां लोग क्या कहेंगे?’’ वे परेशान हो कर बोले.

‘‘वही जो हर बार मेरे अकेले जाने पर मेरे घर वाले कहते हैं,’’ कह कर मैं जोर से दरवाजा बंद कर औफिस के लिए निकल पड़ी.

आंखों में आंसू थे, पर इन के कारण मैं पार्थ के सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी. उन्हें कभी एहसास नहीं होता था कि वे क्या गलत कर जाते हैं. उन्हें इस तरह वक्त बेवक्त सुना कर मुझे लगता था कि शायद उन्हें समझा पाऊं कि उन के व्यवहार में क्या कमी है. लेकिन बेरुखी का जवाब बेरुखी से देना, फासला ही बढ़ाता है. कभीकभी लगता कि पार्थ को प्यार से समझाऊं. कई बार कोशिश भी की, लेकिन रिश्ते में मिठास बनाए रखने का प्रयास दोनों ओर से होता है.

एक मौका मिला था मुझे सब कुछ ठीक करने का. तभी आंखें भर आईं. पलक मूंद कर पार्थ के साथ बिताए उन खूबसूरत पलों को फिर से याद करने लगी…

‘‘पा…पार्थ…’’ मैं ने लड़खड़ाते हुए उन्हें पुकारा.

‘‘हां, बोलो.’’

‘‘पार्थ, मुझे तुम से बहुत जरूरी बात करनी है.’’

‘‘हां, बोलो. मैं सुन रहा हूं,’’ वे अब भी अपने लैपटौप में खोए थे.

‘‘पार्थ… मैं…,’’ मेरे मुंह से मारे घबराहट के कुछ निकल ही नहीं रहा था कि पता नहीं पार्थ क्या प्रतिक्रिया देंगे.

ये भी पढ़ें- उजली परछाइयां: अतीत के साए में क्या अंबर-धरा एक हो पाए?

‘‘बोलो भी श्रेया क्या बात है?’’ आखिरकार उन्होंने लैपटौप से अपनी नजरें हटा कर मेरी तरफ देखा.

‘‘पार्थ मैं मां बनने वाली हूं,’’ मैं ने पार्थ से नजरें चुराते हुए कहा.

‘‘सच?’’ उन्होंने झटके से लैपटौप को हटाते हुए खुशी से कहा.

मैं ने उन की तरफ देखा. पार्थ के चेहरे पर इतनी खुशी मैं ने कभी नहीं देखी थी.

आगे पढ़ें- मुझे अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘हमारे…

#coronavirus: साइकोलोजिस्ट से जानें Lockdown में बच्चों और बुजुर्गों को कैसे रखें मेंटली फिट

लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में रह-रहकर उब गए हैं क्योंकि वे बाहर नहीं जा सकते हैं, ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों के दिमाग पर इसका ज्यादा असर पड़ रहा है. आपको बता दें कि भारतीय मनोचिकित्सा सोसाइटी ने इस बीच मानसिक बीमारी से पीड़ित रोगियों की संख्या में भारी इजाफा देखा है. एक रिपोर्ट के अनुसार,  देश में मानसिक बीमारी के मामलों में 20  प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. यानी कम से कम पांच भारतीयों में से एक मानसिक रूप से पीड़ित है. इस आर्टिकल में हम जयपुर की साइकोलोजिस्ट डॉ. अनामिका पापड़ीवाल द्वारा बताए गए कुछ उपायों के बारे में आपको बता रहे हैं, जिसे अपना कर आप बुजुर्गों और बच्चों का ख़्याल रख सकते हैं.

बच्चों के लिए टिप्स

बच्चों को कहानी सुनाएं और सुने भी

उनके साथ खेलें और उन्हें कुछ अच्छा बनाकर खिलाएं

कोरोना वायरस और प्रौबल्म को लेकर उनसे बात न करें

ये भी पढ़ें- #lockdown: …ताकि वर्क फ्राम होम मजबूरी नहीं बने आपकी मजबूती

घर के अन्दर ही उन्हें योगा, पजल गेम, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज में बिजी रखें

उनके दोस्तों से फोन पर बात कराएं

भले ही स्कूल बंद है लेकिन रोजाना उन्हें कुछ न कुछ जरूर पढ़ाएं

बुजुर्गों के लिए टिप्स

उनके साथ टाइम स्पेंड करें

उनसे बातचीत करें

उनके साथ पजल गेम या इंडोर गेम खेलें

उन्हें एक्सरसाइज और योगासन के लिए प्रेरित करें

उन्हें घर के छोटे-छोटे काम जैसे गार्डनिंग में बिजी रखें

उनके चाहने वालों से फोन पर बात कराएं

समाचार देखने से मना करें

उनकी लाइफ से जुड़े मजेदार किस्से सुनें क्योंकि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ होता है.

दोस्तों, अगर आप इन टिप्स को फौलो करते हैं तो खुद को और अपने परिवार को हेल्दी रख सकते हैं.

ये भी पढञें- हैल्दी एंड वैल्दी: lockdown में Organic फूड स्टोर ऐसे करें शुरू

19 दिन 19 टिप्स: मेहंदी लगाते समय रखें इन बातों का ध्यान

आज के समय में आपको स्टाइलिस्ट और सुंदर दिखना है तो जरूरी है की आपके बाल भी सुंदर हो. कालेज गर्ल हो या वर्किंग वीमेन आज के समय में हर कोई हाईलाइट,कैराटिन, स्मूथनिंग,रिबोंडिंग करवाना पसंद कर रही हैं. अगर आपको अपने बालों पर अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करना है तो सबसे पहले आपको अपने बालों को मेहंदी से दूर रखना होगा. दरअसल, मेहंदी हमारे बालों में लंबे समय तक रह जाती है अगर कोई मेहंदी के इस्तेमाल के साथ हाईलाइट, केराटिन आदि करवाती है तो इससे बालों में कभी भी अच्छा रिजल्ट नहीं आता. हेयरस्टाइलिस्ट  हेमंत बताते है की हमारे बालों की 3 लेयर होती है जो क्यूटिकल(cuticle), कोर्टेक्स(कोर्टेक्स), मेड्यूला(medulla) हैं. मेहंदी हमारे बालों के पहले लेयर पर कोटिंग का काम करती है जो महिलाएं साल में 10 बार भी मेहंदी लगाती हैं उनके बालों में 6-7 कोटिंग रह ही जाती है. ऐसे में इन बालों पर कोई भी केमिकल वर्क नहीं हो पाता और यदि होता भी है तो उसका रिजल्ट अच्छा नहीं आता जिससे बालों को नुकसान ही पहुंचता है”.

मेहंदी लगाते समय रखें इन बातों का ध्यान-

1. अगर आप मेहंदी का इस्तेमाल करना चाहती है तो बाजार में मिलने वाली मेहंदी के बजाय पत्तों वाली मेहंदी का ही इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें- 4 टिप्स: स्किन के लिए बेस्ट है टमाटर

2. ताजी मेहंदी के पत्तियों को पीस कर बालों में लगाने से ठंडक का एहसास मिलता है. यह आपके बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.

3. अगर आपको भविष्य में बालों पर एक्सपेरिमेंट करना है तो आप मेहंदी न लगाएं. कभी भी मेहंदी को बालों में 30 मिनट से ज्यादा न रखें.  हाथों पर मेहंदी लगाने से पहले सरसों के तेल जरूर लगाएं.

4. अगर मेहंदी लगाने के बाद अगर आपके शरीर के हिस्सों पर छाले पड़ जाएं या कोई अन्य नुकसान हो, तो उसे ठंडे पानी से धो लें. ऐसा करने के बाद उस पर नारियल का लेप लगा लें और उससे शरीर के उस हिस्से की अच्छी तरह से मालिश करें, जहां इस तरह की तकलीफ हो. एक और खास बात यह है कि मेहंदी लेते समय लोकल और सस्ती मेहंदी ना लें. मेहंदी कभी भी लोकल या सस्ती न खरीदें.

ये भी पढ़ें- 8 टिप्स: गरमी में ऐसे पाएं पिंक लिप्स

फंदा: भाग-2

अब तक आप ने पढ़ा:

मुंबई के मुसलिम बहुल इलाके में शौकत अली अपनी पत्नी आयशा व 4 बच्चों सना, रूबी, हिबा व बेटे हसन के साथ हंसीखुशी रह रहे थे. हसन के बड़ा होने पर उस की मां आयशा चाहती थीं कि हसन पास के ही एक जमाल बाबा के पास जा कर ज्ञानधर्म की बातें सीखे. तंत्रमंत्र के नाम पर जमाल लोगों को गुमराह करता था और खूब धन ऐंठता था. हसन रोज शाम को उस बाबा के पास बैठने लगा. धीरेधीरे उस के व्यवहार में बदलाव आने लगा. उस ने अपनी सगी बहन तक पर कुदृष्टी रखनी शुरू कर दी थी. बहनें शादी के बाद ससुराल चली गईं तो हसन की शादी भी हो गई. अब वह नौकरी छोड़ कर बिजनैस करना चाहता था और इस के लिए उस ने अपने घर वालों के साथसाथ बहनों पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया और गहनों तक की डिमांड कर दी.

 – अब आगे पढ़ें:

उस रात सब चिंता में डूबे सोने चले गए. सना और हिबा की नींद उड़ गई थी. हिबा ने पूछ ही लिया, ‘‘बाजी, क्या सोच रही हो? हसन ने तो बड़ी मुश्किल में डाल दिया. मैं उसे अपने जेवर नहीं दे सकती… पर न दिए तो वह पहले की तरह हंगामा करेगा, क्या करें.’’

‘‘कुछ समझ नहीं आ रहा. अम्मी की शक्ल देख कर मन कररहा है कि कुछ इंतजाम कर ही दें… अब्बू ने मना तो किया है पर मैं रशीद से इस बारे में बात जरूर करूंगी.’’

अगले दिन नियमानुसार रशीद और जहांगीर आए, हसन कुछ उखड़ाउखड़ा सा था. दोनों के बारबार पूछने पर भी हसन गंभीर ही बना रहा. बस हां हूं में ही जवाब देता रहा. सना और हिबा ने उन्हें आगे कुछ न पूछने का इशारा किया तो फिर वे चुप रहे.

दोनों बहनें अपनेअपने परिवार के साथ अपनेअपने घर चली गईं तो शौकत ने हसन को बुलाया, ‘‘बेटा, यह गलती मत करो, अच्छीभली नौकरी है, बिजनैस के लिए न पैसा है न अनुभव. इस चक्कर में मत पड़ो.’’

हसन गुर्राया, ‘‘मैं फैसला कर चुका हूं और आप सब को मेरी मदद करनी ही पड़ेगी वरना…’’ कह हसन गुस्से में चला गया.

बेटे के तेवर देख कर वहां खड़ी आयशा का सिर चकरा गया.

हसन अब 35 साल का हो रहा था. बाबा के इशारे पर कुछ भी कर सकता था. अपने सब शागिर्दों में बाबा को सब से मूर्ख और हठधर्मी हसन ही लगा था.

शौकत के मना करतेकरते भी आयशा बेगम ने बेटे की ममता में बेटियों के आगे अपनी झोली फैला ही दी.

सना ने रशीद से बात की तो वह थोड़ा सोचने लगा. फिर कहा, ‘‘बहुत ज्यादा तो नहीं पर किसी तरह बिजनैस से 8-10 लाख ही निकाल कर दे पाऊंगा, तुम्हारा भाई है… कितना प्यार करता है सब को. कितनी इज्जत से बुलाता है. ऐसे भाई की जरूरत के समय पीछे हटना भी ठीक नहीं होगा. उस से बात कर के बता देना कि मैं इतनी ही मदद कर पाऊंगा.’’

शौहर की दरियादिली पर सना का दिल भर आया. भीगी आंखों से रशीद को शुक्रिया कहा तो उस ने सना का कंधा थपथपा दिया.

सना ने फोन पर हिबा को रशीद का फैसला बताया तो उस ने कहा, ‘‘मैं ने भी जहांगीर से बात की. कैश तो हम नहीं दे पाएंगे, पर अपने थोड़े गहने दे दूंगी. जहांगीर का भी यही कहना है कि अपनों का साथ तो देना ही चाहिए.’’

सना और हिबा एकसाथ मायके पहुंचीं. हसन घर पर ही था. शौकत अली औफिस में थे. जोया, शान सब दोनों को देख कर खुश हुए.

सना ने रशीद की बात दोहराई तो हसन मुसकराया, ‘‘रशीद भाई बहुत अच्छे हैं, मैं यह रकम जल्दी लौटा दूंगा.’’

हिबा ने भी गहनों का डब्बा उस के हाथ में रख दिया. हसन ने फौरन खोल कर चैक किया. बोला, ‘‘यही बहुत है,’’ फिर आयशा से बोला, ‘‘अम्मी, मैं तो अब बिजनैस की तैयारी करूंगा. सोच रहा हूं जोया को 3-4 महीनों के लिए उस के मायके भेज दूं.’’

जोया गर्भवती थी. हसन ने अब तक इस बारे में उस से बात भी नहीं की थी. वह हैरान हुई. कहने लगी, ‘‘अरे, अचानक आप ने यह कैसा प्रोग्राम बना लिया? मुझ से पूछा भी नहीं?’’

‘‘तुम से क्या पूछना, मायके चली जाओ वहां थोड़ा आराम कर लो. डिलीवरी के बाद आ जाना.’’

जोया ने आयशा की तरफ देखा तो वे बोलीं, ‘‘हां, चली जाओ. यहां तो तुम्हें आराम मिलने से रहा. फिर तुम्हें गए हुए भी बहुत दिन हो गए हैं.’’

जोया ने ‘हां’ में सिर हिला दिया. वह मन ही मन हैरान थी कि कैसा शौहर है यह. न बीवी से पूछा, न सलाह ली.

2 दिन बाद ही हसन जोया को उस के मायके छोड़ आया. अब हसन का घर आनेजाने का कोई टाइम नहीं था. दिन भर वह इधरउधर घूमता, बाबा के पास बैठता.

बहनों से उधार लेने की बात उस ने बाबा को बताई, तो बाबा ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ करना चाहता हूं, तुम यहां से थोड़ी दूर एक कमरा किराए पर ले लो. मैं वहां अपने तंत्रमंत्र की शक्ति से तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए बहुत कुछ कर सकता हूं. यहां और लोगों की मौजूदगी में तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा. मैं अपनी ताकतों का इस्तेमाल तुम्हारे जैसे नेक बंदे के लिए कर सकता हूं.’’

‘‘पर मैं बहनों को यह रकम लौटाऊंगा कैसे? आप के कहने पर मैं ने नौकरी भी छोड़ दी है. मैं अब क्या काम करूंगा?’’

‘‘फिलहाल तो बहनों के पैसों से अपना खर्चा चलाते रहो. मैं अपने तंत्रमंत्र के बल पर तुम्हें जल्दी अमीर आदमी बना दूंगा.’’

हसन ने कुछ दूरी पर एक कमरे का फ्लैट किराए पर ले लिया. बाबा को इस बात

पर खुश देख कर हसन को लगा कि उस ने कोई बहुत बड़ा काम कर दिया है. अब वह बाबा के निर्देशानुसार उस खाली फ्लैट में जरूरी चीजें रखता रहा.

शौकत अली ने ठंडे दिमाग से बहुत सोचासमझा कि बेटा कहीं पैसे की कमी से परेशान तो नहीं हो रहा है. उन्होंने हसन को अपने पास बुलाया. कहा, ‘‘हसन, तुम क्या काम सोच रहे हो?’’

‘‘अभी तो कुछ नहीं… बाबा ने बताया है कि मैं बिजनैस में बहुत तरक्की करूंगा, इसलिए नौकरी मैं ने छोड़ दी थी.’’

‘‘तुम ने बाबा की बात सुन कर नौकरी छोड़ी है?’’ शौकत अली को गुस्सा आ गया.

‘‘हां, अब्बू. अब बिजनैस क्या करूं. यही सोच रहा हूं. वैसे प्रौपर्टी डीलिंग का काम मुझे अच्छा लगता है. आप तो कभी मेरी मदद ही नहीं करते.’’

शौकत ने खुद पर काबू रखते हुए शांत ढंग से कहा, ‘‘फिर कुछ सोचते हैं. आजकल हमारी जमीन के आसपास इतने कौंप्लैक्स, सोसायटी बनने लगी हैं. इस से हमारी जमीन की कीमत भी बढ़ रही है… इस सिलसिले में कोशिश कर के देख लो. किसी बिल्डर से बात कर के देख लो… पहले थोड़ी जमीन के लिए ही बात कर के देखना.’’

हसन को तो अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. उस के दिमाग में तो जमीन का खयाल ही नहीं आया था. तुरंत बोला, ‘‘सच?’’

फिर हसन ने कुछ लोगों से बात कर अपनी थोड़ी सी जमीन बेच दी. बदले में मिली मोटी रकम से उस की तबीयत खुश हो गई.

शौकत अली ने कहा, ‘‘अब इस पैसे से किसी अच्छे बिजनैस की शुरुआत कर सकते हो.’’

इतना मोटा पैसा हाथ में आएगा, यह तो हसन ने कभी सोचा भी नहीं था. फौरन जा कर बाबा को बताया तो जैसे बाबा की मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई.

ऊपरी तौर पर उदास चेहरा बना कर बैठ गया बाबा. हसन ने पूछा, ‘‘क्या हुआ बाबा?’’

‘‘कुछ नहीं. एक बड़ी परेशानी ने आ घेरा है. खुदा भी पता नहीं अपने नेकबंदों का क्याक्या इम्तिहान लेता है.’’

‘‘क्या हुआ, बाबा?’’

‘‘हमारे गांव की एक बेवा औरत है. उस की एक जवान बेटी है. दोनों का कोई नहीं है. ससुराल वालों ने निकाल दिया है. बेचारी औरतें कहां जाएं? मेरा तो कोई ठिकाना नहीं है… और किस से कहूं उन का दुख… आजकल कौन समझता है किसी का दुखदर्द.’’

हसन चुपचाप बाबा का चेहरा देखता रहा.

बाबा फिर बोला, ‘‘आज तो वे मेरे कमरे पर आ गई हैं पर मैं उन्हें ज्यादा देर नहीं रख सकता. मैं ठहरा बैरागी, फकीर आदमी.’’

हसन को बाबा की बात पर बहुत दुख हुआ कि कितनी दया है उस के दिल में सब के लिए. फिर बोला, ‘‘बाबा, मेरे लिए कोई हुक्म?’’

‘‘बस, एक ठिकाना हो जाए तो मांबेटी जी लेंगी… तुम्हारी नजर में है कोई ऐसी जगह? किसी का कोई मकान?’’

हसन कुछ देर सोचता रहा. फिर बोला, ‘‘बाबा, अभी तो वही कमरा है जो आप ने अपने तंत्रमंत्र के कार्यों के लिए सोचा है… पर वहां तो आप को एकांत चाहिए न. और तो अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है.’’

‘‘ठीक है, फिलहाल वहीं इंतजाम कर देते हैं मांबेटी का… थोड़े दिनों में कहीं और भेज देंगे. उस कमरे की चाबी मुझे दे दो, मैं आज ही मांबेटी को वहां ले जाता हूं.’’

हसन ने उसी समय घर से चाबी ला कर बाबा को दे दी. घर में अभी तक किसी को हसन के किराए के फ्लैट लेने की जानकारी नहीं थी.

अपने मूर्ख शागिर्द से बाबा को यही उम्मीद थी. वह औरत सायरा सचमुच बेवा थी, जिसे उस की चरित्रहीनता के कारण ससुराल वालों ने निकाल दिया था. बाबा और सायरा के सालों से प्रेमसंबंध थे. वह अब इधरउधर रिश्तेदारों के घर भटकने के बाद अचानक बाबा के पास ही आ गई थी.

बाबा ने उसी दिन सायरा और उस की बेटी अफशा को उस फ्लैट में पहुंचा दिया. अफशा थोड़ी पढ़ीलिखी थी पर मां की तरह ही पुरुषोंको रिझाने में माहिर.

अफशा को जब बाबा ने हसन से मिलवाया तो हसन खूबसूरत परी सी अफशा को देखता रह गया. सायरा पुरुषों की इस नजर से खूब वाकिफ थी. उस ने हसन की नजरों में अपने और अफशा का सुनहरा भविष्य देख लिया.

हसन जब चला गया तो दोनों मांबेटी खुल कर हंसी. सायरा ने कहा, ‘‘लो, संभालो इस हसन को अब. कुछ दिनों के लिए जिंदगी कुछ तो आसान होगी.’’

अफशा भी हंसी, ‘‘लग तो सही आदमी रहा था. बेचारा देखता ही रह गया.’’

‘‘हां, हमारे लिए तो सही आदमी ही था,’’ दोनों ने ठहाका लगाया.

बाबा अब मौका मिलते ही कमरे पर पहुंच जाते. सायरा के साथ वक्त बिताते. हसन अफशा की तरफ झुकता चला गया. उस ने उसे एक फोन भी ले दिया और कहा, ‘‘किसी भी चीज की जरूरत हो तो फोन कर देना.’’

हसन के आने की खबर होते ही सायरा घर से बाहर चली जाती. अफशा कोई भी बहाना कर देती थी, कभी काम ढूंढ़ने जाने का, तो कभी डाक्टर के पास जाने का.

एक दिन हसन ने अफशा के हाथ में अच्छीखासी मोटी रकम देते हुए कहा, ‘‘तुम्हें और तुम्हारी अम्मी को कभी परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं तुम लोगों का हमेशा ध्यान रखूंगा.’’

अफशा ने पूरे लटकेझटकों के साथ हसन को अपनी अदाओं का दीवाना बना लिया था.

एक बेटे का पिता, दूसरी भावी संतान के लिए मायके गई जोया को भूल वह अफशा की जुल्फों में बहकता चला गया. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. घर वालों को उस की किसी हरकत की खबर नहीं थी.

एक दिन सना दोपहर में मायके आई तो आयशा घर का कुछ सामान लेने बाहर गई हुई थीं. हसन भी नहीं था. शौकत अली तो शाम तक ही आते थे. सना ने रूबी को गले से लगा कर खूब प्यार किया. हसन आ गया तो निगहत सब के लिए चाय बनाने चली गई. हसन को देख कर रूबी ने सना का हाथ जोर से पकड़ लिया. वह मुंह से अस्पष्ट आवाजें निकालते हुए सना से लिपट कर रोने लगी. रूबी बेचैन थी, डरी हुई थी. उस के हावभाव देख कर सना चौंक गई. रूबी कुछ अजीब सी आवाजें निकालती रही.

हसन ने सना को दुआसलाम किया, फिर रूबी को क्रोधित नजरों से देखा और ऊपर चला गया.

रूबी के सिर पर हाथ फेरते हुए सना ने पूछा, ‘‘क्या हुआ रूबी?’’

रूबी ने हसन की तरफ कुछ इशारे किए. सना के दिल को एक झटका सा लगा. पूछा, ‘‘हसन ने कुछ कहा?’’

रूबी ने ‘हां’ में सिर हिलाते हुए अपने शरीर पर कई जगह इशारे किए तो सना सब कुछ समझ गई और फिर गुस्से से सुलग उठी.

सना के सामने बात साफ थी कि भाई ने अपनी बीमार बहन का बलात्कार किया. सना का चेहरा गुस्से से तमतमा गया. उस ने तभी हिबा को फोन कर सब कुछ बताया और तुरंत आने को कहा.

आयशा और हिबा घर में लगभग एकसाथ ही घुसीं. हिबा का तमतमाया चेहरा देख कर आयशा हैरान हुईं, ‘‘क्या हुआ बेटा, इतने गुस्से में क्यों दिख रही हो?’’

हिबा ने उन के हाथ से सामान ले कर टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘आप हमारे कमरे में आएं, बाजी भी आई हैं.’’ आयशा सीधे कमरे में गईं. सना का चेहरा देख कर समझ गईं कि मामला गंभीर है. पूछा, ‘‘क्या हुआ सना? तुम लोग इतने गुस्से में क्यों हो?’’

सना ने तमतमाए चेहरे से बताना शुरू किया, ‘‘शर्म आ रही है हसन को भाई कहते हुए… आप को पता है उस ने क्या किया है?’’

आयशा चौंकी, ‘‘क्या किया उस ने?’’

‘‘उस ने अपनी बीमार, मजबूर, बड़ी बहन का बलात्कार किया है अम्मी,’’ कहते कहते क्रोध के आवेग में सना रो पड़ी.

आयशा को यह झटका इतना तेज लगा कि वे पत्थर के बुत की तरह खड़ी रह गईं. तभी तीनों को बाहर कुछ आहट सुनाई दी. तीनों ने पलट कर देखा तो हसन को बाहर जाते पाया. तीनों समझ गईं कि हसन ने पूरी बातें सुन ली हैं… वह जान गया है कि उस की पोल खुल चुकी है.

आयशा ने कहा, ‘‘शर्म आ रही है मुझे अपने ऊपर कि मैं अपनी बच्ची का ध्यान नहीं रख पाई.’’

शौकत अली औफिस से आए तो बेटियों को देख कर खिल उठे. दोनों के सिर पर हमेशा की तरह हाथ रख कर प्यार किया तो दोनों उन के गले लग कर सिसक उठीं.

वे चौंके. पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा, तुम लोग ठीक तो हो न? तुम्हारी ससुराल में सब ठीक तो हैं न?’’

सना ने रोते हुए कहा, ‘‘अब्बू, हम दोनों तो ठीक हैं पर रूबी…’’ और सना फिर रो पड़ी तो उन्होंने सोती हुई रूबी पर नजर डाली. फिर हिबा और आयशा को देखा तो वे दोनों भी रो रही थीं.

आयशा ने शौकत अली को इशारे से बाहर चलने के लिए कहा. बाहर आ कर आयशा बेगम ने रूबी के साथ हुए हादसे की

बात बताई. सुनते ही शौकत अली का खून खौल उठा, ‘‘कहां है वह? मैं उसे अब घर से निकाल कर ही रहूंगा… अब वह किसी भी हालत में इस घर में नहीं रहेगा.’’

आयशा ने उन्हें निगहत की मौजूदगी का एहसास करवाया तो वे अंदर बेटियों के पास गए और कहा, ‘‘तुम लोग बिलकुल परेशान न हों. उसे इस की सजा जरूर मिलेगी.’’

रशीद और जहांगीर के फोन आ रहे थे. अत: दोनों बहनें फिर आने की कह कर चली गईं.

जब से जोया गई थी, निगहत घर के काफी काम भी करने लगी थी. रूबी जब सोती

तो वह घर के कई काम निबटा देती थी. रूबी के जागने पर सिर्फ उस के साथ रहना ही उस का काम था. ‘यह हरकत हसन ने कब और कैसे करने की हिम्मत की होगी’, शौकत और आयशा सिर पकड़े यही बात सोच रहे थे.

हसन के लिए यह इतना मुश्किल भी नहीं रहा था. जब आयशा किसी काम से बाहर जाती थी, हसन किसी भी बहाने से, कुछ भी लेने के लिए निगहत को भी बाहर भेज देता था. निगहत भी बेफिक्र हो कर रूबी को भाई के पास छोड़ चली जाती थी, तब हसन रूबी के साथ बलात्कार करता था और चाकू दिखा कर उसे बहुत डरा धमका कर चुप रहने के लिए कहता था. उस के डर, उस के हावभाव देख कर आयशा चौंकती तो थीं पर इस का कारण उस की मानसिक अस्वस्थता ही समझी थीं. फिर रूबी हमेशा बहनों के ही ज्यादा करीब रही थी. अत: वह मां से अपना डर, अपना दर्द बता ही नहीं पाई.

उस रात किसी से खाना नहीं खाया गया. हसन रात 10 बजे घर वापस आया. रूबी सो रही थी. निगहत जा चुकी थी. शौकत ने उसे डांट कर बुलाया तो वह समझ गया कि उस से क्या कहा जाएगा. मांबहनों की पूरी बात सुन कर ही वह घर से निकला था. उस की करतूतों का पर्दाफाश हो चुका है, यह वह जानता था, फिर भी बेशर्मी से पिता के सामने आ डटा. पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

शौकत अली ने कहा, ‘‘हुआ क्या है, तुम्हें पता है? तुम इस घर से अभी इसी वक्त निकल जाओ. हमें तुम्हारे जैसे बेहया बेटे की जरूरत नहीं है.’’

‘‘मैं क्यों निकलूं? यह मेरा भी घर है, मुझे इस घर से कोई नहीं निकाल सकता. समझे आप?’’

आयशा ने एक थप्पड़ उस के मुंह पर मारा, ‘‘हसन, अभी निकल जाओ घर से. इस से ज्यादा तुम्हारी बेशर्मी अब नहीं देख सकते. जबान लड़ा रहे हो अब्बू से?’’

‘‘वह आप को देखनी पड़ेगी,’’ फिर अपनी जेब से एक चाकू निकाल कर दिखा कर बोला, ‘‘मैं आप सब को मार दूंगा एक दिन… मैं आप सब से नफरत करता हूं.’’

शौकत और आयशा को बेटे की इस हरकत ने जैसे पत्थर बना दिया. उन्हें अपनी आंखों, कानों पर यकीन ही नहीं हुआ.

शौकत अली ने गंभीर आवाज में कहा, ‘‘हसन, तुम ने जो किया उस की सजा तुम्हें जरूर मिलेगी. मुझ से अब कभी कोई उम्मीद न करना.’’

‘‘वह तो आप को करनी पड़ेगी वरना जो अंजाम होगा उस का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.’’

‘‘होने दो, तुम अकेले ही मेरी औलाद नहीं हो. अब मैं सब कुछ बेटियों में बांट दूंगा, मेरे लिए तुम आज से मर गए हो.’’

‘‘यह तो आप भूल ही जाएं, यह नामुमकिन है.’’

‘‘तुम ने जो कर्म किया है अब उस की सजा भुगतने के लिए तैयार रहो.’’

‘‘मैं नहीं, आप तैयार रहना, अपनी बेटियों को तो आप कुछ भी नहीं दे पाएंगे, सब मेरा है, मैं बेटा हूं इस घर का, हर चीज पर सिर्फ मेरा हक है,’’ कह हसन अपने रूम में चला गया और जोर से दरवाजा बंद कर लिया.

हसन अब अपना काफी समय अफशा के साथ ही बिताने लगा. अभी जेब में पैसे काफी थे. बाबा उस के बिजनैस की कामयाबी के लिए मनचाही रकम मांगता रहता था. कई बार हसन अफशा के पास आता तो बाबा उसे वहीं कुछ तंत्रमंत्र की चीजें करता दिखता तो वह खुश हो जाता.

आयशा काफी दिन तो उस से बहुत नाराज रहीं, फिर बेटे के मोह ने जोर मारा तो उस की गलतियां भूलने की कोशिश करने लगीं.

सना और हिबा उस की गैरहाजिरी में ही सब से मिल कर चली जाती थीं. रूबी के साथ हुआ हादसा भुलाने लायक तो नहीं था, पर समय का भी अपना एक तरीका होता है, कुछ बातों को छोड़ आगे बढ़ने का तरीका.

रूबी को संभला हुआ देख सब ने राहत की सांस ली पर भाई ने किस तरह बहन की आबरू से खिलवाड़ किया है यह बात सब को बड़ी तकलीफ देती थी. दोनों अपनेअपने शौहर को भी यह बात नहीं बता पाई थीं.

आगे पढ़ें- इसी बीच जोया ने बेटी को जन्म दिया. सब खुश हुए पर…

Lockdown 2.0: लॉकडाउन के साइड इफैक्ट्स, चौपट अर्थव्यवस्था

मोदी सरकार के रुख की वजह से आम बीमारियों से मरने वाले लोगों की भले ही संख्या कहीं अधिक हो चाहे आदमी कोरोनावायरस से ना आम बीमारियों से जरूर मर जाएगा.

असल में पूरी मेडिकल व्यवस्था पूरे देश में ठप कर दी गई है. सबसे बड़ी समस्या है कि अस्पतालों तक पहुंचने के लिए आम जनता के पास कोई साधन नहीं है.

एक साधारण आदमी इन जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए जब तक अस्पताल पहुंच पाएगा .तब तक भयावह स्थिति में पहुंच चुका होगा.

एक बार की तरह मोदी सरकार के द्वारा हड़बड़ी में लिया फैसला लोगों की मुसीबत का कारण बन चुका है.

पहले जनता कर्फ्यू ,उसके बाद 21 दिन का लॉक बंदी और अब 3 मई तक का टोटल बंद.एक ऐसा मुद्दा है जिस पर खुलकर कोई बात नहीं करना चाहता. कभी-कभी तो ऐसा मालूम होता है कि और सब बीमारियां भी हमारी सरकार के जैसे इस नोबल वायरस से डर गयीं हों.

ये भी पढ़ें- सावधान! किराना स्टोर बन सकते हैं कोरोना कहर के सारथी

सबसे ज्यादा प्रभावित कौन

इस लॉक बंदी के चक्कर में सबसे ज्यादा प्रभावित गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यापन करने वाला तबका है. जो रोज कमाता था और रोज खाता था .आज उसके भूखे मरने की नौबत आ चुकी है. भले ही बहुत सी राज्य सरकारें अपने राज्यों की आबादी के लिए मुफ्त राशन व्यवस्था कर रही हो ,या उन्हें कुछ नकद राशि मुहैया करा रही हो,जैसा कि केंद्र सरकार ने घोषणा भी की थी .लेकिन क्या वाकई जरूरतमंदों को राहत पहुंच पा रही है? कहीं यह महज घोषणा ही तो नहीं? भले ही मनरेगा योजना हो या प्रधानमंत्री किसान योजना ;हम सब जानते हैं इन योजनाओं की हकीकत! ना तो जरूरतमंद को पैसा ही पहुंच पाता है और ना ही राशन. बिल्कुल कोढ़ में खाज जैसी स्थिति है कि सभी वर्ग के ,आधार से अकाउंट लिंक होने की वजह से अधिकांश लोगों को तो इन योजनाओं का लाभ ही नहीं मिल पाता.

चौपट अर्थव्यवस्था

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग तो भुख मरी की ओर धकेल दिए जा चुके हैं.जो लोग सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल चलकर अपने गावों की ओर आए हैं, वहां उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं है. खाने के साधन नहीं है.

लगभग 45 दिन से पूरे देश में कारोबार बंद होने से अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है. या कहे कि पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और इसका सबसे ज्यादा असर इस गरीब वर्ग पर है.

पहले ही देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था अब भयानक दौर है उससे भी ज्यादा बुरा हाल किसानों का है जिनकी रबी की फसल खेतों में तैयार खड़ी है. उन विचारों की स्थिति बड़ी विकट हो चुकी है. नाही फसल ऐसे में कट सकती है और ना ही उसका पूरा मूल मिल पाएगा पूरे देश में यातायात संकट के साथ-साथ अब तो खाद्य संकट भी पैदा हो चुका है.यदि फसलें नष्ट हो जाती हैं तो ऐसी स्थिति की गंभीरता को आप सब अच्छी तरह से समझ सकते हैं.पहले आर्थिक संकट के कुछ और कारण थे लेकिन इस तरह से पांच से छह हफ्तों के लिए पूरे देश का बंद पहली बार हुआ है.

मानसिक स्थिति पर असर

इस लॉक बंदी का हमारे समाज के ताने बाने और सभी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है .जिसके गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं. दरअसल इसकी एक वजह संघवाद और उपभोक्तावाद द्वारा पैदा किया गया माहौल है. लोग इस कोविड-19 वायरस से लड़ने के लिए मोर्चे पर लोगों को दुत्कार रहे हैं यह शायद उसी संघवाद महौल का परिणाम है.संघी फासीवाद और पूंजीपतियों को हो सकता है, इस लॉक डाउन से कुछ ना बिगड़े. लेकिन इसकी भारी कीमत कृषक वर्ग ,मजदूर वर्ग और मध्यम वर्ग को चुकानी पड़ेगी.

ये भी पढ़ें- #lockdown: कोरोना संकट और अकेली वर्किंग वूमन्स

lockdown: Mika Singh के साथ टाइम बिता रही हैं ये तलाकशुदा टीवी एक्ट्रेस, फैंस ने किया ट्रोल तो दिया ये जवाब

बौलीवुड के फेमस सिंगर मीका सिंह (Mika Singh) अक्सर अपने गानों के साथ-साथ पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. इन दिनों मीका सिंह (Mika Singh सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ फेम टीवी एक्ट्रेस चाहत खन्ना (Chahatt Khanna) के साथ डेटिंग की खबरों को लेकर छाए हुए हैं. हाल ही में lockdown के बीच दोनों क्वौलिटी टाइम बिताते नजर आए, जिसे लेकर फैंस ने एक्ट्रेस चाहत खन्ना को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. वहीं अब एक्ट्रेस ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया है. आइए आपको बताते हैं मीका से रिलेशन को लेरप एक्ट्रेस ने क्या कहा….

सोशल मीडिया पर वायरल हुईं फोटोज

टीवी एक्ट्रेस चाहत खन्ना  ने मीका सिंह के साथ कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की थीं, जिसमें एक्ट्रेस और सिंगर मीका संग बेहद रोमांटिग अंदाज में नजर आए. वहीं इन फोटोज के साथ चाहत खन्ना ने कैप्शन में लिखा ‘लॉकडाउन में चलो किसी का क्वारंटाइन बनते हैं… हम दोनों ने इसी लिए एक दूसरे को ढूंढा… मैं इससे काफी काफी खुश हूं. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर शेयर की गई फोटोज पर फैंस ने कंमेट्स करना शुरू कर दिया और एक्ट्रेस को ट्रोल करना शुरू कर दिया.

 

View this post on Instagram

 

Lets be someone’s quarantine, Glad we found each other in this lockdown #quarantinelove ❤️🌈 @mikasingh #learningmusic

A post shared by CK (@chahattkhanna) on

ये भी पढ़ें- #lockdown: क्या अलग-अलग कमरों में सो रहे हैं दिव्यांका त्रिपाठी और पति विवेक

एक्ट्रेस ने दिया ये जवाब

 

View this post on Instagram

 

Twinning with 🖤 @mikasingh #quarantinelove #love #chahattkhanna

A post shared by CK (@chahattkhanna) on

एक्ट्रेस चाहत खन्ना ने मीका सिंह के साथ अफेयर की खबरों का खंडन करते हुए बताया कि ये दरअसल प्रमोशन का एक पार्ट है. हम दोनों मिलकर म्यूजिक वीडियो का प्रमोशन कर रहे थे. मैं बहुत जल्द मीका के साथ एक म्यूजिक वीडियो में नजर आने वाली हूं. इस म्यूजिक वीडियो का नाम ‘क्वारंटाइन लव’ है. यहीं वजह थी कि हम दोनों ने फोटो शेयर करते हुए कैप्शन लिखा.

 

View this post on Instagram

 

🇮🇳

A post shared by CK (@chahattkhanna) on

आपको बता दें, चाहत खन्ना और मीका सिंह एक दूसरे के पड़ोसी हैं. वहीं, चाहत खन्ना की पर्सनल लाइफ की बात करें तो साल 2018 में ही चाहत ने अपने पति फरहान मिर्जा से तलाक लिया था. लेकिन इसी बीच वह अपनी प्रैग्नेंसी को लेकर भी सुर्खियों में छाई थी. दरअसल चाहत खन्ना एक बच्चे की मां भी है, जो तलाक के बाद उनके साथ ही रहता है.

ये भी पढ़ें- दोबारा मां बनी Bigg boss fame राहुल महाजन की ex वाइफ Dimpy गांगुली, इस वजह से हुआ था तलाक

#lockdown: कोरोनावायरस ले डूबा है बौलीवुड का बिजनेस, भविष्य और स्टाइल

कोरोना वायरस का संक्रमण एक ऐसी त्रासदी है, जैसी आक्रामक त्रासदी दुनिया ने पिछले पांच सौ सालों में पहले कभी नहीं देखी. ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले दुनिया में महामारियां नहीं आयीं, लेकिन अब के पहले दुनिया में जितनी भी महामारियां आयी हैं, उनका कुछ निश्चित क्षेत्रों में ही असर हुआ है. मसलन ज्यादातर महामारियां बड़े पैमाने पर आम लोगों की जानभर लेती रहती हैं. लेकिन कोरोना महामारी ऐसी है जो न सिर्फ बड़े पैमाने पर लोगों को मार रही है बल्कि अब तक के तमाज जीवन जीने के ढंग पर सवालिया निशान लगा रही है और हमारी तमाम उपलब्धियों को अर्थहीन कर रही है या फिर उन्हें पूरी तरह से बदलने के लिए इशारा कर रही है. कहने का मतलब यह कि जब कोरोना महामारी दुनिया से जायेगी, तब तक दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी होगी और फिर लौटकर वैसी नहीं होगी, जैसी कोरोना संक्रमण के पहले थी.

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया में 1 लाख 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी थी साथ ही करीब 16 लाख 50 हजार लोग पीड़ित थे, जिसका मतलब है कि अगर आज की तारीख में भी यह त्रासदी कहीं ठहर जाये तो भी इसके जाने के बाद इससे मरने वालों की गिनती 2 लाख के ऊपर पहुंचेगी. बहरहाल जहां तक महामारियों में लोगों के मरने की संख्या का सवाल है तो निश्चित रूप से पहले इससे भी कहीं ज्यादा लोग मरते रहे हैं, लेकिन जहां तक विभिन्न क्षेत्रों में इसके भयानक असर का सवाल है तो अब के पहले किसी भी महामारी का ऐसा असर किसी क्षेत्र में नहीं हुआ, जैसा असर फिलहाल कोरोना का दिख रहा है.

 

View this post on Instagram

 

#aliabhatt #staysafe #stayhome #viralbhayani @viralbhayani

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani) on

ये भी पढ़ें- दोबारा मां बनी Bigg boss fame राहुल महाजन की ex वाइफ Dimpy गांगुली, इस वजह से हुआ था तलाक

बाॅलीवुड के फिल्मोद्योग को ही लें, अब के पहले की तमाम त्रासदियों ने कभी बाॅलीवुड को इस कदर नहीं झकझोरा जैसा कोरोना ने झकझोर दिया है. कोरोना के कहर ने बाॅलीवुड को पांच तरीके से झकझोरा है. सबसे पहले तो इसने उन बहुप्रतीक्षित फिल्मों का दिल तोड़ा है, जिन्होंने साल 2020 की पहली तिमाही में कमायी का इतिहास रचने का मंसूबा बना रखा था. जनवरी 2020 से मार्च 2020 के दूसरे सप्ताह तक जो बहुप्रतीक्षित फिल्में रिलीज हुई, उनमें एक बागी-3 को छोड़ दें, जिसने 109 करोड़ रुपये का बिजनेस किया तो तमाम दूसरी फिल्मों को अपनी लागत निकालना भी संभव नहीं हुआ. ‘लव आजकल’ जैसी फिल्म जिसके बारे में कहा जा रहा था कि 500 करोड़ रुपये का बिजनेस करेगी, वह 50 करोड़ रुपये का भी नहीं कर पायी. इरफान खान की बीमारी से लौटने के बाद उनके प्रशंसकों द्वारा बेसब्री से इंतजार की जा रही फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ भी अपनी लागत नहीं निकाल पायी, जबकि इसे भी 200 करोड़ रुपये तक बिजनेस करने वाली फिल्म माना जा रहा था.

एक आयुष्मान खुराना की ‘शुभमंगल ज्यादा सावधान’ ही ऐसी फिल्म रही जिसने इस तिमाही में अपनी 40 करोड़ रुपये की लागत के मुकाबले 62 करोड़ रुपये का बिजनेस करके 22 करोड़ रुपये का लाभ कमाया वरना कामयाब जैसी फिल्म तो तमाम प्रचार, प्रसार के बावजूद 2 करोड़ रुपये का बिजनेस भी बहुत मुश्किल से कर पायी, जबकि इस फिल्म को मीडिया में 5 में से 4.5 स्टार की रेटिंग मिली हुई थी. फिल्म में संजय मिश्रा, दीपक डोबरियाल तथा ईशा तलवार जैसे चेहरे थे, जिसका मतलब था कि फिल्म भरपूर मनोरंजन करने वाली होगी. ‘थप्पड़’ के आने के पहले भी उसकी खूब हवा बांधी गई थी, लेकिन फिल्म 30 करोड़ रुपये का बिजनेस भी नहीं कर पायी जबकि माना जा रहा है इसे बनाने में 75 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

 

View this post on Instagram

 

Cutie #taimuralikhan with dad #SaifAliKhan ❤❤❤❤😜 #happyeaster

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani) on

लेकिन यह कोई अकेला क्षेत्र नहीं है जिसे कोरोना संकट ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. कोरोना के कहर के चलते न सिर्फ फिल्मों की बड़े पैमाने पर शूटिंग कैंसिल हुई बल्कि हर साल गर्मियों में होने वाले फिल्म सितारों के विदेशी टूर भी करीब करीब सब कैंसिल हो गये हैं. हर साल गर्मियों में बाॅलीवुड के चर्चित सितारे यूरोप और अमरीका के टूर पर जाते हैं. जहां वे खुद तो करोड़ों रुपये कमाते ही हैं, उनके बदौलत इंडस्ट्री के सैकड़ों लोगों को अच्छाखासा रोजगार मिलता है और कमायी होती है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल बाॅलीवुड के सितारे गर्मियों के इस विदेशी टूर से 300 से 400 करोड़ रुपये की कमायी करते है, जो इस साल घटकर शून्य हो गई है. कमायी तो हुई ही नहीं साथ ही जो इन टूर के चलते बड़ी संख्या में लोगों को हिंदुस्तान की लू के थपेड़ों से राहत मिल जाती थी, वह भी इस साल नहीं होने वाला. क्योंकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक एक भी टूर शिड्यूल नहीं था और न ही इसकी कोई उम्मीद है.

 

View this post on Instagram

 

Here’s another fun banter of Karan Johar with his kids. #lockdownwiththejohars

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani) on

ये भी पढ़ें- Bollywood Singers की हालत पर Neha Kakkar ने खोली जुबान, कही ये बात

कोरोना वायरस का एक और बड़ा असर तमाम आने वाली फिल्मों की रिलीज पर पड़ा है. जो फिल्में आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च के दूसरे तीसरे सप्ताह में रिलीज होनी थी, उन सबकी रिलीज डेट अनिश्चितकाल के लिए बढ़ गई है. ‘लालसिंह चड्ढा’, ‘बह्मास्त्र’, ‘1983’, ‘जर्सी’, ‘राधे’ और ‘तख्त’ जैसी फिल्में कब रिलीज होंगी, फिलहाल इसका ठोस अनुमान किसी के पास नहीं है और जब रिलीज भी होगी तो क्या दर्शक उन्हें देखने आयेंगे, यह भी तय नहीं है. हां, इस त्रासदी ने फिल्मी सितारों को एक मायने में राहत दी है कि उनकी छोटी से छोटी गतिविधियों पर बाज की तरह आंख रखने वाले पपराजियों का इन दिनों कहीं दूर दूर तक अता पता नहीं चलता यानी ऐसे स्वतंत्र फोटोग्राफर जो हमेशा फिल्मी सितारों की एक्सक्लूसिव तस्वीरेें उतारने के फेर में सितारों के आगे पीछे मंडराया करते थे, अब वे पता नहीं कहां छिप गये हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो बाॅलीवुड की कोरोना संक्रमण ने कमर तोड़ दी है. अव्वल तो बहुत मुश्किल है कि अगले कुछ सालों तक फिल्म इंडस्ट्री फिर से पुराने ढर्रे पर लौट पाये, लेकिन जब लौटेगी तो भी वह पुरानी जैसी तो कतई नहीं होगी. कोरोना ने एक ऐसे उद्योग का समूचा रूप रंग बदलने के संकेत दे दिये हैं, जिस उद्योग पर कभी किसी का बस नहीं चलता था.

#lockdown: …ताकि वर्क फ्रौम होम मजबूरी नहीं, बने आपकी मजबूती

जीवन जीने के तौर तरीकों में क्रांतियां कई तरीकों से होती हैं. कभी देखादेखी, कभी सुनियोजित अनुकरण से और कभी परिस्थितियों के कारण. 1987-88 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर को कामकाज का हिस्सा बनाने के लिए बहुत लड़ाई लड़ी थी. ट्रेड यूनियनों से लेकर आम कामगारों द्वारा उन्हें और उनकी सरकार को उन दिनों दफ्तरों में कंप्यूटर की घुसपैठ कराने वाले खलनायक के रूप में चिन्हित किया जाता था. लेकिन 20 साल बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उस कंप्यूटर क्रांति ने देश की अर्थव्यवस्था का नक्शा बदल दिया. भारतीय युवाओं की यह कंप्यूटरी क्षमता ही थी, जिसके कारण 21वीं सदी में भारत दुनिया की मानव संसाधन सम्पदा का हब बनकर उभरा. आज हर साल देश में 73 अरब डालर से भी ज्यादा जो विदेशी मुद्रा भारतीय कामगारों द्वारा लायी जा रही है, उसमें सबसे बड़ा योगदान कंप्यूटर में पारंगत भारतीयों का ही है.

करीब 30 साल बाद आज फिर भारत एक नयी तरह की कामकाजी क्रांति की दहलीज पर खड़ा है. कामकाज की यह नयी शैली है, ‘वर्क फ्राम होम’. भले अचानक बड़े पैमाने पर देश में इसका आगमन कोरोना त्रासदी के चलते हुआ हो, लेकिन अगर यह कोरोना संकट न भी आया होता तो भी अगले कुछ सालों में इसे अपनी जगह बनानी ही थी. यह अलग बात है कि तब यह धीरे-धीरे अपनी जगह बनाता, लेकिन आज एक झटके में हिंदुस्तान के करीब 10 से 12 करोड़ विभिन्न क्षेत्रों के कामगार इस समय वर्क फ्राम होम कर रहे हैं. इनमें चाहे वे बड़े प्रोफेशनल, सीईओ हों या फिर साधारण क्लर्क या सामान्य डाटा विजुलाइजर. कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण ने अचानक जिस शब्द को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाया है, वह यही शब्द है- वर्क फ्राम होम. भले अभी ज्यादातर भारतीय इसके आदी न हुए हो, लेकिन एक साधारण अनुमान है कि हर दिन करीब 2000 करोड़ रुपये का काम इन दिनों घर में बैठे लोगों द्वारा किया जा रहा है. लेकिन यह वास्तव में ई-कामर्स की बहुत बड़ी दुनिया एक बहुत मामूली सा हिस्सा है.

ये  भी पढ़ें- 10 टिप्स: ऐसे सजाएं अपना Bedroom

आज हर साल दुनिया में 4.88 ट्रिलियन डालर का कारोबार ई-कामर्स के जरिये होता है. एक ट्रिलियन 1 लाख करोड़ का होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में ई-कामर्स की कितनी बड़ी भूमिका है. ई-कामर्स के लिए बड़े बड़े गगनचुंबी दफ्तरों की जरूरत नहीं पड़ती, इसे आप दुनिया के किसी कोने में बैठे हुए, चाहे तो वह आपका घर हो, चाहे समुद्र का किनारा, चाहे पार्क या हरे भरे खेतों के बीच मेड़. आप ई-कामर्स कहीं से भी कर सकते हैं. दूसरे शब्दों में ई-कामर्स में वर्क फ्राम होम की सबसे सहज स्थितियां पैदा की हैं. जहां तक भारत में सालाना ई-कामर्स के टर्नआउट की बात है तो साल 2015 में वह 24 बिलियन डालर था, जो अब करीब 54 बिलियन डालर के आसपास है.

कहने का मतलब यह कि दुनिया का बड़े पैमाने पर कारोबार ई-कामर्स में बदल गया है, इस स्थिति में वर्क फ्राम होम एक अनिवार्य कामकाजी शैली के रूप में उभरी है. भले इसने हमारे यहां अभी एक त्रासदी के चलते जगह बनायी हो, लेकिन अगर दुनिया में कोरोना जैसी त्रासदी न आती और भारत उससे इस तरह प्रभावित न होता तो भी कुछ सालों में यही स्थिति होनी थी. कहने का मतलब यह कि भले वर्क फ्राम होम इन दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते भारतीय कामकाजी जीवन का अभिन्न हिस्सा बना हो, लेकिन अब यह लौटकर वापस नहीं जाने वाला. हां, जब कोरोना का संकट पूरी तरह से खत्म होगा तो एक बार इसके मौजूदा दायरे में तात्कालिक रूप से तो थोड़ी कमी आयेगी, लेकिन जल्द ही यह कमी दुगने वेग से अपना आकार बढ़ा लेगी. वर्क फ्राम होम किसी भी वजह से हमारी कामकाजी जिंदगी का हिस्सा बना हो, लेकिन अब यह स्थायी हिस्सा बन चुका है.

चूंकि फिलहाल एक त्रासदी के चलते वर्क फ्राम होम हम सब भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है, लेकिन जैसे ही यह त्रासदी कम होगी, तो आज के तौरतरीकों वाला वर्क फ्राम होम नहीं रहेगा बल्कि जल्द ही वह अपने बेहतर नतीजे और परफोर्मेंस की तरफ बढ़ेगा. क्योंकि कोरोना त्रासदी के बाद लोग मजबूरी में वर्क फ्राम होम नहीं करेंगे बल्कि अपने कामकाजी क्षमताओं को मजबूती देने के लिए लोग वर्क फ्राम होम का चुनाव करेंगे. यकीन मानिये कोरोना संकट खत्म होने के बाद भी वर्क फ्राम होम की कल्चर नहीं जाने वाली. अब यह हिंदुस्तान में एक स्थायी वर्किंग कल्चर के रूप में रहने वाली है. सवाल है आने वाले दिनों में जब वर्क फ्राम होम की यह संस्कृति स्थायी कामकाजी संस्कृति बनने जा रही है तो क्यों न हम इस संकट के समय जबकि वर्क फ्राम होम हमारी मजबूरी है, इसे इस तरह से जाने और सीखें कि भविष्य में वर्क फ्राम होम हमारी मजबूरी नहीं मजबूती बन जाए.

वैसे तो जब तक हमारे यहां वर्क फ्राम होम की सुविधा नहीं थी, तब तक यह सुविधा बहुत रोमांचक लगती थी. हम सब जो इसकी जटिलता से परिचित नहीं थे, यही लगता था कि अगर हमें रोज रोज दफ्तर जाने की बाध्यता न हो तो हमारे पास न सिर्फ अपने काम के लिए समय ज्यादा होगा बल्कि कई और औपचारिकताओं से मुक्त होने के चलते हमारे पास कहीं ज्यादा क्वालिटी परफोर्मेंस का अवसर होगा. लेकिन अब चूंकि बड़े पैमाने पर अचानक वर्क फ्राम होम की सुविधा हमें मिल गई है तो हम यह महसूस करने लगे है कि अब तक हम वर्क फ्राम होम की जिन बातों को लेकर खुश होते थे, वे उतनी ही खुशदायक बातें नहीं हैं.

बहरहाल कहने का मतलब यह है कि घर से कामकाज करने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप पर परफोर्मेंस का कोई तनाव व दबाव नहीं होगा और न यह कि आप किसी भी तरह से काम कर सकते हैं (मसलन वर्क फ्राम होम का कई लोग मतलब यह निकालते हैं कि चाहे तो हम कच्छा बनियान में और अपने बेडरूम में लेटे हुए काम कर सकते हैं, जो कि सही नहीं है). इस सबके बावजूद अगर हम कुछ सजगताओं को बरतें तो वर्क फ्राम होम सचमुच हमारे लिए आनंदायक भी हो सकता है, ज्यादा संतुष्टदायक भी हो सकता है और सामान्य परर्फोर्मेंस से ज्यादा हम परफोर्मेंस भी दे सकते हैं. बशर्ते इसके लिए हम

कुछ ये तरीके अपनाएं-

– हम नियमित और अनुशासित ढंग से अपने कामकाज की वैसे ही शुरुआत करें जैसे पारंपरिक दफ्तर में करते हैं.

– इसके लिए हमें सामान्य रूप से दफ्तर जाने के अनुसार ही सुबह जल्दी उठना चाहिए, उसी तरह तैयार होना चाहिए जिस तरह हम दफ्तर के लिए तैयार होते हैं और हमने घर में जिस जगह अपने काम के लिए टेबल चेयर लगायी है, वहां उसी तरीके से बैठकर काम करना चाहिए.

– वर्क फ्राम होम का मतलब यह नहीं है कि सुबह देर तक सोएं फिर घंटों तक चाय पीते हुए अखबार पढ़ें और बाद में देर हो जाने के नाम पर बिना नहाये धोये, बिना नियमित दफ्तरी कपड़े पहने, अपने कुर्सी में आ धंसे और काम शुरु कर दें.

– न सिर्फ हमें अपनी नियमित दिनचर्या की शुरुआत दफ्तर में करने वाले काम की तरह से करनी चाहिए बल्कि हमें दफ्तर की ही तरह हर दिन एक तय जगह में जो कि साफ सुथरी हो, भरपूर प्रकाश वहां आता हो और शोर शराबा या दूसरों द्वारा डिस्टर्ब न किया जा सकता हो. ऐसी जगह से काम करना चाहिए.

– हमें हर दिन सुबह अपने आपको बास की तरह टारगेट देना चाहिए और कर्मचारी की तरह उस टारगेट को पूरा करने के लिए जी जान लगा देना चाहिए.

ये भी पढ़ें- ड्रैसिंग टेबल को ऐसे करें Organize

– हर दिन उतनी ही देर तक काम करना चाहिए,जितनी देर तक दफ्तर में काम करते हैं, न उससे बहुत कम और न उससे बहुत ज्यादा.

– इसके साथ ही अगर हम अपने वर्क फ्राम होम के परफोर्मेंस को बढ़ाना चाहते हैं तो हमें उन तमाम जरूरी उपकरणों की भी व्यवस्था करनी चाहिए, जिन्हें वर्क फ्राम होम का इंफ्रास्ट्रक्चर कहते हैं. मसलन तेज रफ्तार वाईफाई, उच्च क्षमता का वेब कैम, हाटस्पोट, एक्सर्टनल की-बोर्ड, सेंसर वाला माउस तथा हैड फोन ताकि हम अपने लैपटाप या डेस्कटाप में बिना बाधित हुए काम कर सकें.

अगर इन तमाम जरूरतों को हम पूरा करते हैं तो कोई शक नहीं है कि हम वर्क फ्राम होम में दफ्तर जाने से ज्यादा और क्वालिटी का काम कर पाएंगे.

#lockdown: बच्चों के लिए बनाएं टेस्टी Choco Cubes

अगर आप अपनी फैमिली के लिए चौकलेट की कुछ रेसिपी ट्राय करने की सोच रही हैं तो आज हम आपको चौकलेट की कुछ रेसिपी बताएंगे…

हमें चाहिए

1 कप डार्क चाकलेट

1 कप मिल्क चाकलेट

ये भी पढ़ें- #lockdown: ऐसे बनाएं बढ़िया Ice cream

घर में उपलब्ध बिस्किट संतरा, काजू, अखरोट, बादाम और चेरी

8-10 टूथपिक.

विधि-डार्क चाकलेट और लाइट चाकलेट को माइक्रोबेव में 1-1 मिनट पर चलाते हुए पिघलाकर अच्छी तरह चलाएं. अब फ्रिज में बर्फ जमाने वाली ट्रे में एक चम्मच से पिघली चाकलेट डालें. उपर से टूटे बिस्किट, संतरे के टुकड़े और मेवा में से जो भी आपके पास उपलब्ध हैं उन्हें डालकर साइड में टूथपिक लगाकर फ्रिज में आधा घंटे के लिए सेट होने रख दें. आधे घंटे बाद निकालकर सर्व करें.

नोट-यदि आपके पास माइक्रोबेव नहीं है तो एक कड़ाही में पानी गर्म करें, बीच में एक प्लेट या स्टैण्ड रखें. अब एक कटोरे में दोनों चाकलेट डालकर इस स्टैण्ड पर रखें लगातार चलाते हुए पूरी तरह एकसार होने तक चलाएं.

ये भी पढ़ें- #lockdown: दाल बाटी के साथ सर्व करें टेस्टी आलू का चोखा

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें