महायोग: धारावाहिक उपन्यास, भाग-21

दिया ने बड़े सपाट स्वर में कहा था कि वह उन सब लोगों के लिए बड़ी से बड़ी सजा चाहती है जो धर्म के नाम पर देह का व्यापार कर के उस के जैसी मासूम लड़कियों का जीवन बरबाद करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते. न जाने उन लोगों के हाथ कितनी मासूम लड़कियों के खून से रंगे हुए होंगे. दिया ने अपने विवाह से ले कर, नील के व्यवहार, मिसेज शर्मा की दकियानूसी बातें, अपने मानसिक उत्पीड़न के बारे में विस्तारपूर्वक खुल कर एनी से बात की थी. गाड़ी में बैठेबैठे ही काउंसिल जनरल औफ इंडिया से फोन पर बात कर ली गई थी. एनी ने दिया से उस के पासपोर्ट नंबर के बारे में पूछा, दिया को नंबर याद नहीं था. धर्म के मुख से निकल गया था कि पासपोर्ट और कहीं नहीं, ईश्वरानंद की कस्टडी में ही होगा. बातों ही बातों में रास्ता जल्दी ही कट गया.

कमजोरी के बावजूद दिया अंदर व बाहर से काफी स्वस्थ महसूस करने लगी थी. एनी ने दिया की पीड़ा महसूस की और उस के कंधे पर सहानुभूति भरा हाथ रख कर उसे आश्वस्त कर दिया. कुछ देर पश्चात पुलिस ने मिसेज शर्मा के घर पर दस्तक दे दी. दरवाजे की आवाज से मिसेज शर्मा चौंक उठीं. ड्राइंगरूम में तिगड़ी जमी हुई थी. नील, नैन्सी और रुचिका यानी मिसेज शर्मा. तीनों सोफों पर जमे पड़े थे. खैर, दरवाजा खोलने वे ही आई थीं, चहकती सी. धर्मानंद को देखते ही उन की चहकन को ब्रेक लग गया, दिया भी मुंह बनाए साथ ही खड़ी थी.

‘‘धर्मानंदजी, क्या कहा था मैं ने आप से?’’ उन की स्नेहमयी मुद्रा अचानक  रौद्रमयी मुद्रा में परिवर्तित हो उठी, जैसे उन की पीठ पर चाबुक पड़ गया हो.

दरवाजे के बाहर से ही ड्राइंगरूम के दृश्य के स्पष्ट दर्शन हो रहे थे. धर्म उन की बात का कुछ उत्तर दे पाता, इस से पहले ही पुलिसवर्दी में 1 पुरुष व 1 महिला ने धर्म और दिया के पीछे से अपने गोरे मुखड़ों के दर्शन दे दिए. पुलिस वालों को देखते ही उस की रौद्रमयी मुद्रा की घिग्गी सी बंध गई. वे न तो कुछ बोल पाईं और न ही नील को पुकार पाईं. उन के पैर लड़खड़ाने लगे और वे लगभग गिरने को हुईं कि महिला पुलिस ने उन्हें अपनी मजबूत बांहों में थाम लिया और एक के बाद एक सब ने ड्राइंगरूम में प्रवेश किया, जहां प्रणय में डूबा हंसों का जोड़ा किल्लोल कर रहा था. कमरे में कदमों की आहट सुन कर हंसों का जोड़ा बिदक गया.

‘‘धर्म, ह्वाट इज दिस? ऐंड यू?’’ नील ने दिया की ओर इशारा किया.

नील का वाक्य पूरा होने से पहले ही सब लोग कमरे में प्रवेश कर चुके थे और चुपचाप नैन्सी व नील के सामने वाले सोफे पर निश्चिंतता से बैठ चुके थे. कोई कुछ भी समझ पाने की स्थिति में नहीं था. मानो कोई चलचित्र सा सब की दृष्टि के आगे चल रहा था. सब से पीछे नील की मां को थामे एसीपी एनी कमरे में पहुंच गईं और उन्होंने उन्हें एक कुरसी पर लगभग लिटा सा दिया था.

अब एनी के हाथ में दूसरे पुलिसकर्मी ने पैन और कागज देने चाहे. एनी ने उस को ही लिखने का इशारा किया और स्वयं चारों ओर का जायजा लेने लगीं.

‘‘हाऊ मैनी मैंबर्स आर हियर?’’

‘‘थ्री,’’ नील ने नैन्सी को आलिंगन मुक्त कर दिया था.

‘‘नेम आफ द मैंबर्स?’’

‘‘मिसेज रुचिका शर्मा, नील शर्मा ऐंड दिया शर्मा,’’ नील फटाफट बोल गया.

‘‘इज शी दिया?’’ पुलिसमैन ने नैन्सी की ओर इशारा कर के पूछा.

‘‘नो.’’

‘‘हू इज शी?’’

‘‘शी इज नैन्सी.’’

‘‘शी इज योर वाइफ?’’

‘‘नो, शी इज माय गर्लफ्रैंड.’’

‘‘हू इज दिया?’’

‘‘दिया, दैट गर्ल,’’ नील ने दिया की ओर इशारा किया.

‘‘हू इज शी? इज शी योर सिस्टर?’’

‘‘नो, शी इज अवर गैस्ट फ्रौम इंडिया.’’

‘‘इज शी स्टेइंग हियर?’’

‘‘यस.’’

‘‘वी वौंट टू सी हर पासपोर्ट.’’

नैन्सी का इश्क काफूर हो गया था. नील और उस की मां की सांसें रुकने लगीं. जिस धर्म पर वे लोग हमेशा अपने एहसानों की गठरी लादे रखते थे, आज उसी ने उन की पीठ पर वार किया था. मिसेज शर्मा के दिमाग में भन्नाहट भर उठी थी. तभी नील मुड़ कर फोन उठाने लगा, ‘‘नो, नो कौल प्लीज,’’ पुलिस वाले ने नील के हाथ से फोन ले लिया.

‘‘इट्स अर्जेंट,’’ नील ने कहा.

दोनों पुलिसकर्मियों ने एकदूसरे की ओर देखा और इशारों से बात कर के आखिरकार उसे फोन करने की इजाजत दे दी. वे दोनोें ही नहीं बल्कि धर्म व दिया भी जानते थे कि नील इस समय किस से बात करना चाहता है.

‘‘यस,’’ नील के डायल करते ही उधर से रोबीली आवाज आई. यह वह आवाज तो नहीं थी जो उस का उद्धार कर पाती.

उस ने फिर से कहा, ‘‘हैलो.’’

‘‘यऽऽऽ..स,’’ फिर वही भारी आवाज.

नील के मस्तिष्क को उस आवाज ने मानो ट्रैप कर लिया. माजरा क्या है? उस की समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था. वह तो गुरुजी का पर्सनल फोन था जिस को उठाने की इजाजत स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भी नहीं थी. एक बार फिर ट्रायकरने के चक्कर में नील ने फिर से रिडायल का बटन दबा दिया.

‘‘मे आय टौक टू गुरुजी, प्लीज,’’ निहायत डरतेडरते उस ने पूछा.

‘‘नो, यू कांट,’’ फिर वही रोबीली आवाज.

‘‘हू इज दैट साइड?’’

‘‘दिस इज इंस्पैक्टर जौर्ज, हू इज देयर?’’

यह सुनते ही नील को काटो तो खून नहीं. उस के हाथ कंपकंपाने लगे. उस ने चुपचाप रिसीवर रख दिया और धर्म को घूरने लगा.उधर, नैन्सी के चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थीं. कहां तो वह नील की मां को पोते का प्रलोभन दे कर उसे ब्लैकमेल करने लगी थी, कहां वह स्वयं इस पुलिसवुलिस के चक्कर में फंस रही है.

‘‘नील, आय वौंट टू गो फ्रौम हियर,’’ नैन्सी अचानक अपना बैग समेट कर खड़ी हो गई.

‘‘नो, यू कांट गो फ्रौम हियर,’’ एनी ने बड़े स्पष्ट व सपाट स्वर में उस की बात काट दी.

‘‘बट, आय एम नौट द फैमिली मैंबर. आय एम जस्ट ए फ्रैंड औफ नील,’’ उस ने स्वयं को बरी करने का प्रयास किया.

‘‘मैम, यू आर प्रेजेंट हियर, यू कांट गो. एवरीबडी हैज टू बी पे्रेजेंट ऐट द पुलिस स्टेशन,’’ एनी ने बड़े धीरज मगर सख्ती से उसे समझाने का प्रयास किया.

‘‘बट…ह्वाय शुड आय? आय हैव नो कनैक्शन विद द फैमिली,’’ वह लगभग चीखी.

‘‘डोंट वरी, आफ्टर सम इन्क्वायरीज यू वुड बी रिलीव्ड, नो प्रौब्लम,’’ एनी ने उसे कंधों से पकड़ कर बड़े आराम से सोफे पर बिठा दिया.

नैन्सी बेचारी रोने को हो आई. खूबसूरत नैन्सी के गुलाबी मुखड़े पर बेचारगी पसर आई थी. निकलने का कोई रास्ता ही नजर नहीं आ रहा था. बुरी फंसी. भुनभुन करती हुई वह कभी नील को तो कभी उस की मां को घूरने लगी. मिसेज शर्मा का तो और भी बुरा हाल था. वे कभी दिया, कभी धर्म तो कभी नैन्सी को घूरे जा रही थीं. ‘कमाल है, ऐसे लोग भी होते हैं? अभी तो यह लड़की यहां बैठी नील से फ्यूचर प्लान डिसकस कर रही थी और अभी आय एम नौट फैमिली मैंबर हो गई. और यह धर्म का बच्चा? हाय, कितना बड़ा घाव दिया है इस बेहूदे ने. कहां तो रुचिजी, रुचिजी करता आगेपीछे घूमता रहता था और इस खूबसूरत बला के चक्कर में पड़ते ही हमें पुलिस तक पहुंचा दिया. इस की मां की बीमारी में इतनी हैल्प की और इस ने ही पीठ में छुरा घोंप दिया.’

‘‘यस, प्लीज शो दियाज पासपोर्ट,’’ एनी ने अपने असिस्टैंट से रिपोर्ट के कागज ले कर उन्हें पलटते हुए मिसेज शर्मा से कहा. मिसेज शर्मा अपनी सोच की गुफा से अचानक बाहर आ गिरीं. अब तक तो अंधेरा ही था, अब तो सामने ही इतनी गहरी खाई दिखाई दे रही थी उन्हें और उन के बेटे को. उस में कूदना ही पड़ेगा. कैसे निकल भागे? उन्होंने बेबस दृष्टि बेटे पर डाली.

‘‘मैडम, एक्च्वली…मिसिंग…’’ नील के पास और कुछ बताने का रास्ता ही नहीं था.

‘‘मिसिंग? ह्वेन? डिड यू रिपोर्ट एबाउट द पासपोर्ट?’’ पुलिस का रुख कड़ा होता जा रहा था.

‘‘दैट मस्ट बी विद धर्मानंद,’’ नील ने धर्म को लपेटने का प्रयास किया. वह जानता तो था ही कि उस की मां ने पासपोर्ट धर्म को दिया था.

एनी बहुत नाराज दिखाई दे रही थीं. पासपोर्ट के बारे में तो नील व उस की मां को भी यही मालूम था कि वह धर्म के पास है. अब? बात तो उलझती ही जा रही थी. उधर, सोफे पर बेचैनी से पहलू बदलती हुई नैन्सी अपने बचाव की फिराक में कभी नील के कान में भुनभुन करती, कभी उसे घूर कर देखती. नील बेचारा परेशान हो गया. वहां से कहीं और जा कर बैठ भी नहीं सकता था. सारे सोफे भरे हुए थे. हार कर उस ने एक बार और कोशिश करनी चाही. ‘‘प्लीज, कोऔपरेट, एवरीबडी,’’ एनी ने इशारा किया और इंस्पैक्टर ने सब को बाहर चलने का रास्ता दिखाया.

सब को पुलिस की गाड़ी में बैठने के आदेश मिले. नील की मां बेचारी और लंगड़ाने लगीं, उन के पैरों का दर्द असहनीय हो उठा. एनी ने उन्हें सहारा दे कर गाड़ी में बिठा दिया. बचारा नील, मां को घूरते हुए सोचने लगा कि उन के कारण ही वह दिया को हाथ तक न लगा पाया और अब नैन्सी भी उस के हाथों से फिसल रही है. न इधर के रहे, न उधर के. पुलिस की दूसरी गाड़ी पवित्रानंद और रवींद्रानंद को ईश्वरानंदजी के पास ले जा रही थी. दोनों की जान सांसत में थी. उन के मोबाइल भी जब्त कर लिए गए थे. पुलिस वालों ने उन से आश्रम का रास्ता दिखाने को कहा. मना करने या रास्ता न दिखाने का तो प्रश्न ही नहीं था. अचानक पवित्रानंद का मोबाइल बजा. अफसर ने मोबाइल का स्पीकर औन कर के उसे पकड़ा दिया.

‘‘अरे, कहां रह गए हैं आप लोग? दिया और धर्म मिल गए क्या?’’ ईश्वरानंद की रोबीली आवाज थी. आवाज सुन कर पवित्रानंद के चेहरे से लग रहा था कि उस के गले में किसी ने पत्थर अड़ा दिया था.

‘‘बोल क्यों नहीं रहे हो? कब आ रहे हो? धर्म और दिया साथ ही हैं न?’’

प्रश्नों का पुलिंदा खोल कर बैठ गया था ईश्वरानंद. पवित्रानंद को काटो तो खून नहीं. अफसर ने उसे उत्तर के लिए इशारा किया.

‘‘जी, हम लोग आ ही रहे हैं.’’

‘‘दिया साथ में ही है न?’’ फिर से वही प्रश्न.

पुलिस अफसर हिंदी बोलने में हिचकिचाते थे परंतु हिंदी व पंजाबी समझने में उन्हें कोई विशेष दिक्कत नहीं होती थी. पवित्रानंद को गुरुजी के कुछ ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बाध्य होना पड़ा जो पुलिस जानना चाहती थी. पवित्रानंद को डर था कहीं उस की बातें टेप न हो रही हों. उस ने बस इतना ही कहा, ‘‘थोड़ी देर में पहुंच रहे हैं, रास्ते में ही हैं.’’

पुलिस की गाड़ी को गलियों में घूमते हुए काफी देर हो गई थी. अफसर भन्ना उठे, उन्होंने सख्ती से कहा कि वे चुपचाप उन्हें आश्रम पहुंचा दें वरना वे कुछ और सोचते हैं. वे समझ चुके थे कि गाड़ी घुमा कर ये होशियार बंदे उन का समय बरबाद करना चाहते थे.

घबराए हुए तो थे ही दोनों. काफी देर से पुलिस को मूर्ख भी बना रहे थे. समझ गए थे कि अब यह खेल अधिक देर तक नहीं खेला जा सकता. इसलिए उन्होंने परमानंद धाम के सही मार्ग की दिशा में गाड़ी मुड़वा दी. केवल 5 मिनट बाद ही गाड़ी एक गैरेजनुमा दरवाजे के बाहर खड़ी थी.वही मुख्यद्वार, वही गैरेजनुमा बड़ा सा हौल जहां धर्म, दिया को ले कर पहली बार आया था. बिलकुल सुनसान पड़ा था वह स्थल. सुंदर, सजी हुई जगह पर कोई जीवजंतु नहीं. हां, जंतु ही तो थे वे लोग, धर्म के नाम पर झूठ और मक्कारी के ना म पर पलने वाले कीड़े. बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए कहीं पर भी रेंग जाने वाले.

अफसरों ने दोनों भक्तों से कईकई बार गुरुजी के बारे में पूछा पर उत्तर नदारद. पवित्रानंद व रवींद्रानंद चैन की सांस ले रहे थे. उन्हें भय था कि रात के कार्यक्रम के बाद अब सब लोग अपनेअपने दैनिक कार्यों में उलझ गए होंगे और प्रतिदिन की भांति यहां पर कोई न कोई मिल ही जाएगा. ओह, बच गए, दोनों की आंखों में चमक आ गई थी. अचानक सामने वाली दीवार पर लगी गोल्डन पेंटिंग ऊपर उठी और उस में से 3-4 लोगों ने हौल में प्रवेश किया. ओह, तो यह बात है. पुलिस अफसर ने पेंटिंग के पीछे से निकलने वाले लोगों को एक ओर बिठा दिया और उन से ईश्वरानंद के बारे में पूछताछ करने लगे पर किसी ने कुछ नहीं बताया. पुलिस सभी का मोबाइल जब्त कर चुकी थी.

अफसर ने आगे बढ़ कर पेंटिंग को हिलानेडुलाने का प्रयास किया लेकिन तब तक पेंटिंग दीवार पर चिपक चुकी थी. अफसर ने वहां बैठे हुए लोगों को पेंटिंगनुमा दरवाजे को खोलने का आदेश दिया परंतु कोई टस से मस नहीं हुआ. पुलिस अफसर जौर्ज को पता चल चुका था कि नील, उस की मां, नैन्सी, धर्म व दिया आदि पुलिस स्टेशन पहुंच चुके थे. उस ने फोन कर के दिया व धर्म को भी वहां से आने वाली पुलिस फोर्स के साथ बुला लिया था. लगभग 21-25 मिनट में पुलिस की गाड़ी सब को भर कर वहां पहुंच गई थी. इन लोगों के पहुंचने तक स्थिति वैसी ही बनी हुई थी. अब पुलिसकर्मी डंडों से दीवार को बजाबजा कर अंदर जाने का मार्ग खोजने का प्रयास करने लगे थे. परंतु रहस्य था कि खुल नहीं रहा था.

क्रमश:

#lockdown: दाल बाटी के साथ सर्व करें टेस्टी आलू का चोखा

बिहार से लेकर राजस्थान तक आलू का चोखा मशहूर है कई लोग इसे आलू का भरता भी कहते हैं. कभी आपने यह डिश ट्राई की है. आज हम आपको टेस्टी आलू का चोखा बनाने की रेसिपी बताएंगे, जिसे आप दाल बाटी के साथ या सूखे आलू के भरते की तरह परांठे के साथ परोस सकते हैं.

हमें चाहिए…

7-8 नग (उबले हुए) आलू

2 नग प्याज

1 नग टमाटर,

2 नग हरी मिर्च

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1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला पाउडर

नमक  स्वादानुसार

तड़के के लिए हमें चाहिए

02 नग (साबुत) लाल मिर्च

4-5 कलियां लहसुन

1 बड़ा चम्मच देशी घी

बनाने का तरीका

-सबसे पहले उबले हुए आलुओं को छील कर मैश कर लें. साथ ही प्‍याज को छील कर बारीक काट लें. लहसुन को छील कर छोटे-छोटे पीस कर लें और हरी मिर्च को बारीक काट लें.

अब मसले हुए आलू में कटे हुए प्‍याज, टमाटर, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला पाउडर और स्‍वादानुसार नमक डालें और अच्‍छी तरह से मिक्‍स कर लें.

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अब एक फ्राई पैन में घी गर्म करें. घी गरम होने पर उसमें लहसुन और लाल मिर्च डालकर भून लें.

अब आलू के मिश्रण में तड़का की सामग्री डालें और चम्‍मच की मदद से अच्‍छे से मिला लें. इसे सर्विंग प्‍लेट में निकालें और गरमा-गरम बाटी, परांठा या पूरी के साथ सर्व करें.

edited by rosy

Coronavirus से लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए Sonu Sood ने खोले अपने होटल के दरवाजे

देश में कोरोनावायरस के मरीज बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते लोगों के लिए मुसीबतें बढ़ रही हैं. वहीं बौलीवुड लोगों की मदद करने के लिए आगे आ रहा है. हाल ही में जहां सलमान खान (Salman Khan) ने दिहाड़ी मजदूरों की मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है तो वहीं किंग खान यानी शाहरुख खान (Shahrukh Khan) और उनकी वाइफ गौरी खान (Gauri Khan) ने भी करोड़ों रूपए देने के साथ- साथ अपने औफिस स्पेस को क्वारंटाइन स्पेस के रूप में बदलने के लिए इजाजत दी है. वहीं अब बौलीवुड एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) ने मदद करने के लिए आगे हाथ बढाया हैं. आइए आपको बताते हैं एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) ने कैसे की जरूरतमंदों की मदद…

स्वास्थ्यकर्मियों के लिए खोले होटल के दरवाजे

मुंबई में बढ़ते कोरोनावायरस के मरीजों को हैंडल कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की मदद करने के लिए एक्टर सोनू सूद (Sonu Sood) ने मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए जुहू में स्थित अपने छह मंजिला होटल के दरवाजे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए खोल दिए हैं.

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इंटरव्यू में कही ये बात

हाल ही में सोनू सूद ने कहा है कि ‘हमारे देश के डॉक्टरों, नर्सों और पैरा-मेडिकल कर्मचारियों के लिए यह करना मेरे लिए सम्मान की बात है. जो लोगों के जीवन को बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. वह मुंबई के विभिन्न हिस्सों से आते हैं और उन्हें भी आराम करने के लिए जगह की जरुरत होती है. हमने नगरपालिका और निजी अस्पतालों से संपर्क किया है और उन्हें इस सुविधा के बारे में भी बताया है.’

सोशलमीडिया पर शेयर किया पोस्ट

 

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Actor Sonu Sood has offered his hotel in the city for the healthcare workers, including doctors, nurses and the paramedical staff, for stay as they battle the coronavirus pandemic. The actor said it’s important for everyone to stand strongly with the medical staff across the country, who are the “real heroes” of the fight against COVID-19. “It’s my honour to be able to do my bit for the doctors, nurses and para medical staff of our country who have been working day and night to save the lives of millions in the country. I’m really happy to open the doors of my hotel for these real time heroes,” the actor said in a statement. Recently, superstar Shah Rukh Khan and his wife Gauri had offered their 4-storey personal office space for treating COVID-19 patients. According to the health ministry, as of Thursday morning, death toll due to COVID-19 rose to 166 with 5,734 cases in the country. . #sonusood #coronavirusoutbreak

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सोनू सूद ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर इस पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है ‘इस कठिन समय में हम सभी को उन नेशनल हीरोज का समर्थन करना चाहिए जो दिन-रात बिना आराम किए हमारे लिए काम कर रहे हैं मैं. मैं जुहू में स्थित अपने होटल को सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए खोलता हूं. उनके इस काम को देखते हुए हम उनके लिए इतना योगदान तो दे ही सकते हैं. हम सब इसमें एक साथ हैं, आइए सभी आगे आएं और उनका समर्थन करें- सोनू सूद जय हिंद.’

 

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🙏

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बता दें, कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कई बौलीवुड सितारों ने अपना योगदान दिया है. साथ ही आगे भी मजदूरों की मदद करने के लिए तत्पर हैं.

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Lockdown में भी रखें फैशन बरकरार, ट्राय करें सोनम कपूर के ये 7 कूल नाइट सूट

बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर (Sonam Kapoor) फिल्मों के साथ-साथ अपने फैशन के लिए जानी जाती हैं. वह अक्सर अपने फैशन से सबको शौक्ड कर देती है. इंडियन हो या वेस्टर्न उनका हर लुक फैशनेबल होता है. वहीं इन दिनों लौकडाउन के चलते उनका नाइट वियर फैशन भी लोगों को काफी पसंद आ रहा है. दरअसल इन दिनों कोरोनावायरस के कारण पूरा देश अपने अपने घरों में बंद है, जिसमें बौलीवुड सेलेब्स भी शामिल है. लेकिन इसी बीच सोनम कपूर (Sonam Kapoor) का नाइट सूट लोगों को काफी पसंद आ रहा है. आज हम आपको सोनम कपूर (Sonam Kapoor) के कुछ नाइट सूट के औप्शन दिखाएंगे, जिसे आप इस लौकडाउन में घर पर ट्राय कर सकते हैं.

1. सिंपल ट्रैंडी नाइट सूट करें ट्राय

आजकल नाइट सूट काफी पौपुलर है. अगर आप भी ट्रैंडी नाइट सूट फैशन ट्राय करना चाहते हैं तो सोनम कपूर (Sonam Kapoor) का ये ब्लैक नाइट सूट ट्राय करें. ये सिंपल के साथ-साथ ट्रैंडी है, जो आपको कंफर्ट के साथ-साथ फैशनेबल लुक भी देगा.

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2. लाइट कलर है समर परफेक्ट

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समर सीजन की शुरुआत हो गई है, जिसके लिए हम लाइट कलर पहनना पसंद करते हैं अगर आप भी समर सीजन में लाइट कलर का नाइट सूट ट्राय करना चाहती हैं तो सोनम कपूर का ये नाइट सूट आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

3. फैशनेबल पिंक है परफेक्ट

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पिंक कलर हर लड़की का फेवरेट होता है. अगर आप भी पिंक कलर की शौकीन हैं तो घर पर रहकर पिंक कलर का नाइटसूट आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

4. डिंफरेंट नाइट सूट है परफेक्ट

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अगर आप कलर कौम्बिनेशन का कुछ नया लुक ट्राय करना चाहते हैं तो सोनम कपूर का ये लुक परफेक्ट औप्शन है. वाइट डौटेड टौप के साथ पिंक प्रिंटेड ट्राउजर परफेक्ट औप्शन है.

5. प्रिंटेड नाइट सूट करें ट्राय

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अगर आप नाइट सूट में कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो सोनम कपूर का प्रिंटेड नाइट सूट करें ट्राय. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन हैं. ये आपके लुक को फैशनेबल बनाने में मदद करेगा.

6. कार्टून प्रिंटेड है परफेक्ट 

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कार्टून प्रिंटेड पैटर्न इन दिनों काफी पौपुलर है. चाहे टौप हो या कोई ड्रैंस लोग आउटिंग के लिए पहनना पसंद करते हैं, जो आपके लुक को चिल और कंफर्टेबल बनाने में मदद करता है. ये आपके लिए परफेक्ट लुक है.

7. डार्क कलर है परफेक्ट 

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डार्क कलर अगर आप ज्यादा फेयर या गोरी हैं तो ये कलर आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

ड्रैसिंग टेबल को ऐसे करें Organize

ड्रैसिंग टेबल कमरे का वह फर्नीचर है, जो हर महिला के मन की भावना समझता है, उसे सुंदर दिखने में उस की मदद करता है. लेकिन कई बार हम ड्रैसिंग टेबल को अन्य मेजों की तरह सामान पटकने की जगह समझ लेते हैं और उस पर उलटासीधा सामान रख देते हैं. इसलिए जरूरी है कि अपनी ड्रैसिंग टेबल को व्यवस्थित रखें ताकि जब मेकअप करना हो तब काम की चीजें तुरंत मिल जाएं और साथ ही यह भी जान लें कि वे कौन से कौस्मैटिक टूल्स हैं, जो मेकअप करते समय एकदम हैंडी चाहिए.

सब से पहले यह सोचें कि आप को रोज किन कौस्मैटिक टूल्स की जरूरत पड़ती है. उन्हें सामने रखें. फिर यह देखें कि आप की ड्रैसिंग टेबल की बनावट में कितनी जगह है. हर ड्राअर में एक ड्राअर लाइन बिछाएं ताकि सामान इधरउधर न खिसके. ऊपर की ड्राअर में मेकअप का सामान रखें और नीचे की ड्राअर में हेयरस्टाइलिंग टूल्स. अंदर की ड्राअर में कम इस्तेमाल होने वाले मेकअप का सामान और ऐक्सैसरीज रखें. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं:

कौन सा सामान कहां रखें

– स्किन केयर प्रोडक्ट्स की जरूरत रोजाना पड़ती है- औफिस के लिए रैडी होते समय या फिर शाम को पार्क में वाक पर जाने के लिए. इसलिए अपनी ड्रैसिंग टेबल पर मौइस्चराइजर, टोनर, परफ्यूम या डियोड्रैंट, फेस क्रीम, हैंड लोशन, सनस्क्रीन और रोजवाटर को एकसाथ रखें. अच्छा होगा कि इन सब के लिए आप एक खुली बास्केट ले आएं और इन्हें ड्रैसिंग टेबल पर सब से ऊपर हैंडी रख लें.

– रात को इस्तेमाल होने वाला अंडर आई जैल, नाइटक्रीम, स्किन लोशन आदि एकसाथ ड्रैसिंग टेबल के सब से ऊपर के काउंटर पर रखें.

– अब अपने मेकअप प्रोडक्ट्स को 2 भागों में बांट लें- वह सामान जो आप को रोज चाहिए और वे कौस्मैटिक्स जो आप को पार्टी मेकअप में चाहिए.

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– रोज काम में आने वाले कौस्मैटिक्स जैसे बीबी क्रीम, कौंपैक्ट, कंसीलर, आईलाइनर, काजल, आईब्रो पैंसिल, लिपलाइनर, लिपस्टिक, फेस क्लीनिंग वाइप्स आदि को आप एक जगह सब से ऊपर की ड्राअर में रख लें ताकि हर सुबह तैयार होते वक्त आप का समय न खराब हो.

– ऐसे कौस्मैटिक्स जो केवल पार्टी लुक के लिए काम में आते हैं जैसे फाउंडेशन, आईशैडो, लिक्विड आईलाइनर, मसकारा, ब्लशर, कंटूरिंग ब्रश, हाईलाइटर आदि को किसी वैनिटी पाउच में एकसाथ रखें. इन्हें नीचे की ड्राअर में भी रख सकती हैं, क्योंकि ये कभीकभी ही प्रयोग में लाए जाएंगे.

– सभी मेकअप ब्रशेज को खासतौर पर संभाल कर रखना चाहिए ताकि वे गंदे न हों और हाइजीनिक रहें. इन के लिए एक अलग पाउच लाएं. इसी के साथ आप पलकों के लिए आईलैश कर्लर और फाउंडेशन लगाने के लिए ब्यूटी ब्लैंडर भी रख सकती हैं. ये केवल तभी काम आएंगे जब आप को किसी खास अवसर के लिए तैयार होना होगा.

– ऐक्सैसरीज वही पहनने में आती हैं, जो हाथ लग जाएं. जिन्हें हम ज्यादा ही संभाल कर कहीं अंदर रख देते हैं वे अकसर रह जाती हैं. इसलिए अपनी ऐक्सैसरीज को और्गनाइजर की मदद से हैंडी रखिए ताकि आप बदलबदल कर नैकलैस, झुमकियां और बैंगल्स पहन सकें.

– एकसाथ यूज होने वाला सामान एकसाथ ही स्टोर करें जैसे पैडीक्योर व मैनीक्योर में इस्तेमाल होने वाले टूल्स एकसाथ और फेशियल में काम आने वाले एकसाथ.

कैसे करें ओर्गनाइज

मार्केट में कई प्रोडक्ट्स हैं, जिन की मदद से आप आसानी से अपनी ड्रैसिंग टेबल और्गनाइज कर सकती हैं:

– अगर ड्रैसर की ड्राअर गहरी हैं तो ऐक्रिलिक ओर्गनाइजर रख कर उन में दिए खांचों में आप अलगअलग सामान स्टोर कर सकती हैं जैसे कंघे एकसाथ, मेकअप के सारे ब्रश एकसाथ, काजल, आईलाइनर आदि पैंसिलें एक जगह, बालों के क्लच और रबड़बैंड एक खांचे में.

– हेयर पिन्स को एक चुंबक में चिपका कर एक जगह संभाला जा सकता है.

– लिपस्टिक के लिए लिपस्टिक और्गनाइजर लाएं. इस में सारी लिपस्टिक आसानी से स्टोर की जा सकती हैं. और्गनाइजर में लिपस्टिक को शेड के हिसाब से रखें. पहले मैट और फिर ग्लौसी शेड्स या फिर ब्राइट से लाइट शेड. ऐसा करने से जब आप को जिस तरह के मेकअप करने की जरूरत होगी, आप बिना समय गंवाए अपनी पसंद का लिपस्टिक शेड तुरंत उठा सकती हैं.

– नेल पेंट्स भी इसी तरह डार्क से लाइट शेड में रखें. नेल पेंट रिमूवर और कौटन बाल्स भी इसी और्गनाइजर में साथ रखें. नेल फाइलर और बफर आदि भी यहीं रखें ताकि जब कभी हाथों व नाखूनों को संवारना हो तो आसानी से सारा सामान एक जगह मिल जाए.

– हेयरस्टाइलिंग टूल्स जैसे हेयरड्रायर, हेयर कर्लर आदि को नीचे की ड्राअर में रखें और उन के तारों को केबल क्लिप से बांध कर रखें. जब जिस टूल की जरूरत होगी, आप उसे आसानी से निकाल सकेंगी.

– नीचे की ड्राअर में बची जगह में आप पाउच में ऐक्स्ट्रा बिंदियां, मेकअप के पैलेट, फाउंडेशन आदि सामान जो कम इस्तेमाल होता है, को रख सकती हैं.

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– चूडि़यां रखने के लिए बैंगल स्टैंड ला सकती हैं, जिसे ड्रैसिंग टेबल के अंदर आसानी से फिट कर सकें. चूडि़यां चटकेंगी भी नहीं और आराम से मैचिंग रंग की मिल जाएंगी.

– हेयर ब्रश रखने के लिए पुराने मग या कैंडल होल्डर का प्रयोग भी कर सकती हैं. यह सुंदर भी लगता है और यूज करने में भी ईजी रहता है.

– ड्रैसिंग टेबल पर रनर भी बिछा सकती हैं, जिस की दोनों ओर पौकेट्स हों. इन जेबों में आप परफ्यूम की बोतल, टिशू पेपर, नैपकिन आदि रख सकती हैं.

आप के पास ड्रैसिंग टेबल नहीं है तो आप किसी भी टेबल के ऊपर दीवार पर आईना टंगवा कर ड्रैसिंग टेबल की तरह उपयोग कर सकती हैं. पास ही कार्ट, और्गनाइजर रख सकती हैं, जिन में काफी जगह होती है.

सही हो लाइट

मेकअप करते समय फेस पर सही लाइट पड़ना बेहद जरूरी है, इसलिए अपनी ड्रैसिंग टेबल पर उचित लाइटिंग की व्यवस्था रखें वरना कहीं ऐसा न हो कि आप मेकअप करने के बाद जब बाहर जाएं तो चेहरे पर कुछ और ही नजारे दिखाई दें.

न करें ये गलतियां

– अपनी ड्रैसिंग टेबल को और्गनाइज करते समय अपने कौस्मैटिक्स की ऐक्सपायरी डेट भी चैक करती रहें. जो कौस्मैटिक्स ऐक्सपायर हो चुके हैं, उन्हें सहेजने का कोई फायदा नहीं.

– कम उपयोग में आने वाले मेकअप के सामान को और रोजाना उपयोग में आने वाले को मिक्स न करें वरना जब मेकअप करना होगा तब आप का बहुत टाइम वेस्ट होगा. इन दोनों को अलगअलग रखने में समझदारी है.

– और्गनाइज करते समय फैंसी सजावट पर न जा कर उपयोगी ढंग पर ध्यान दें.

– केवल ड्रैसिंग टेबल को सजाने के लिए फालतू सामान न खरीदें, क्योंकि ड्रैसिंग टेबल काम में आने वाला फर्नीचर है न कि ड्राइंगरूम में सजावट की वस्तु.

– एक बार और्गनाइज करना आसान है पर उसे मैंटेन करना मुश्किल. आप ने अपनी ड्रैसिंग टेबल पर जिन चीजों के लिए जगह बनाई है उन्हें उसी जगह रखती रहें वरना आप की मेहनत बेकार हो जाएगी.

अपनी ड्रैसिंग टेबल को एक बार और्गनाइज करना आप का उद्देश्य नहीं, बल्कि ईजी टु यूज बनाना ही सही ध्येय है.

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पति ही क्यों जताए प्यार

अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

अंजलि बोली, ‘‘अरे, वह नहीं करता है तो तू ही कौल कर लिया कर.’’

साक्षी मुंह बना कर बोली, ‘‘मैं क्यों करूं. यह तो उस का फर्ज बनता है कि मुझे कौल कर के कम से कम प्यार के 2 शब्द कहे. मैं तो उसे तब तक अपने पास फटकने नहीं देती हूं जब तक वह 10 बार सौरी न बोले. मूड न हो तो ऐसी फटकार लगाती हूं कि अपना सा मुंह ले कर रह जाता है. मैं कोई गईगुजरी हूं क्या?’’

अंजलि साक्षी की बातें सुन कर हैरान रह गई. बोली, ‘‘बस यार, मैं समझ गई. यही है तेरे पति की उदासीनता की वजह. तू उसे पति या दोस्त नहीं अपना गुलाम समझती है. तू समझती है कि प्यारमुहब्बत करना, पैंपर करना या मनुहार करना सिर्फ पति का काम है. पति गुलाम है और पत्नी महारानी है. तेरी इसी मानसिकता के कारण तेरी उस से दूरी बढ़ गई है.’’

साक्षी जैसी मानसिकता बहुत सी महिलाओं की होती है. ऐसी महिलाएं चाहती हैं कि पति ही उन के  आगेपीछे घूमे, उन की मनुहार करे, उन के नखरे सहे. उन के रूपसौंदर्य के साथसाथ उन की पाककला या फिर दूसरे गुणों का भी बखान करे. ऐसी महिलाएं प्यार की पहल भी पति के द्वारा ही चाहती हैं. एकाध बच्चा होने के बाद उन्हें पति का सैक्सुअल रिलेशन बनाना, रोमांस करना या उस का रोमांटिक मूड में कुछ कहना भी चोंचलेबाजी लगने लगता है. जाहिर है, स्वाभिमान को चोट पहुंचने, बारबार दुत्कारे जाने या उपेक्षित महसूस किए जाने पर पति बैकफुट पर चला जाता है. तब वह भी ठान लेता है कि अब वह ऐसी पत्नी को तवज्जो नहीं देगा.

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समझदार पत्नियां जानती हैं कि किसी भी संबंध का निर्वाह एकतरफा नहीं हो सकता. इस के लिए दोनों पक्षों को सचेष्ट रहना पड़ता है. अगर आप या आप की कोई सहेली साक्षी की तरह सोचती है, तो बात बिगड़ने से पहले ही संभल जाएं. अपने दांपत्य जीवन को सरस बनाए रखने के लिए आप भी पूरी तरह सक्रिय रहें. दांपत्य संबंधों को निभाने के लिए बस इन छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना है:

  • जब भी आप को लगे कि आप का पति इन दिनों कम बोलने लगा है या उदास है, तो उस के मन की थाह लें कि कहीं वह बीमार, व्यापार या अपने प्रोफैशन में किसी प्रौब्लम के कारण दुखी या उदास तो नहीं या फिर पूछें कि वह आप से नाराज तो नहीं? यकीन मानिए आप का परवाह करना उसे भीतर तक खुश कर देगा.
  • जरा सोच कर देखिए कि अंतिम बार आप ने अपने पति को खुश करने के लिए कुछ खास किया था? अगर जवाब नैगेटिव हो तो आप को आत्ममंथन करना होगा कि क्या विवाह संबंधों को निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ पति की है? पति को सिर्फ पैसा कमाने की मशीन समझना आप की गलती है.

सैलिब्रिटी जोड़ी का तजरबा

सैलिब्रिटी चेतन भगत और उन की पत्नी अनुषा की शादी को 9 वर्ष हो चुके हैं. आज ये जुडवां बच्चों के पेरैंट्स हैं. पति उत्तर है तो पत्नी दक्षिण. जी हां, अनुषा बंगलुरू में जन्मी तमिलियन हैं और चेतन दिल्ली के पंजाबी परिवार के बेटे. एक पत्रकार से अपने अनुभव बांटते हुए इन्होंने दांपत्य जीवन से जुड़ी कई अहम बातें शेयर कीं.

अनुषा ने बताया कि शादी को पावर का खेल न बनने दें. एकदूसरे को पावर दिखाने के बजाय प्यार से रिश्ते को नियंत्रित करें.

चेतन का कहना हैं कि अनुषा ने सही कहा. हम ताकत या पावर से संबंधों को कंट्रोल नहीं कर सकते. आज सभी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, इसलिए नियंत्रण नहीं, समझदारी से रिश्ते निखरते हैं. एकदूसरे का खयाल रखना ही संबंधों के निभाव का मूलमंत्र है.

ऐसा करें

  • पति को स्पोर्ट्स या न्यूज चैनल देखने का शौक है, तो रोज की टोकाटाकी बंद करें.
  • अपने पति की फैमिली से चिढ़ने और उन के बारे में उलटापुलटा बोलने की आदत न डालें. आखिर उसे अपने मांबाप से उतना ही प्यार होता है जितना आप को अपने मम्मीपापा से.
  • सिर्फ पति से ही गिफ्ट की उम्मीद न करें. कभी आप भी उसे गिफ्ट दें.
  • घर का हर काम सिर्फ पति से ही करवाने की न सोचें.
  • पति की हौबी का मजाक न उड़ाएं, बल्कि सहयोग करें.
  • रोमांस और सैक्स को चोंचला नहीं ऐंजौयमैट औफ लाइफ और जरूरत समझें.
  • हर वक्त किचकिच करना और सिर्फ पति के व्यक्तित्व के कमजोर पक्ष को ले कर ताने देना छोड़ दें.

ऐसा करें

  • पति को व्हाट्सऐप पर जोक्स व रोमांटिक मैसेज भेजना जारी रखें. कभीकभी कौंप्लिमैंट्स देने वाले मैसेज भी भेजें.
  • पति औफिस से लौट कर कुछ बताए, तो उसे गौर से सुनें. उस पर ध्यान दें, उस के विचारों को तवज्जो दें. साथ ही, आप भी दिन भर के घटनाक्रम के विषय में संक्षिप्त चर्चा करें.

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  • शाम की चाय या नाश्ता पति के साथ बैठ कर लें. इस दौरान हलकीफुलकी बातें भी हो सकती हैं.
  • पति आप के काम में हाथ बंटाए, आप को कोई गिफ्ट दे या आप की प्रशंसा करे तो उसे दिल से शुक्रिया करने की आदत डालें. उसे ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ न लें.
  • हफ्ते में 2-3 बार उस की कोई पसंदीदा डिश बनाएं. कई बार पूछ कर तो कई बार अचानक बना कर पति को सरप्राइज दें.
  • पति की नजदीकियों को उस की मजबूरी या अपनी चापलूसी न समझें. इन नजदीकियों की आप दोनों को बराबर जरूरत है.
  • शादी के 2-4 साल बीतते ही खुद की देखभाल करना बंद न कर दें. अपनी अपीयरैंस पर ध्यान दें, सलीके से रहें.
  • कभीकभी पति को मनमानी करने की छूट भी दें. फिर बात चाहे घर में अपने वक्त को बिताने की हो या बाहर दोस्तों के साथ घूमनेफिरने की अथवा आप के साथ ऐंजौंय और हंसीमजाक की.

हल है न: भाग-2

‘‘उज्ज्वल के बारे में नहीं सोचता तू नवल. बड़ा भाई है, घर में जवान बहन दीप्ति है. उस की शादी नहीं करनी क्या? कैसेकैसे दोस्त हैं तेरे? किस हालत में घर आता है? छोड़ क्यों नहीं देता उन्हें?’’ जयंती कभी धीरेधीरे बोल पातीं.

‘‘हजार बार कहा उन्हें कुछ मत कहिए मां. उन्होंने बाबूजी का बिजनैस संभालने में बहुत मदद की है वरना मुझे आता ही क्या था. उन्हीं सब की वजह से बिजनैस में इतनी जल्दी इतनी तरक्की हुई है.’’

वह भड़क उठता, ‘‘वे सब ऐसेवैसे थोड़े ही हैं. अच्छे घरों के हैं. थोड़ा तो सभी पीते हैं. आजकल वे सब कंट्रोल में रहते हैं. मुझे ही जरा सी भी चढ़ जाती है. कल से नहीं पीऊंगा. वे सभी तो उज्ज्वल को अपना छोटा भाई और दीप्ति को छोटी बहन मानते हैं… और आप क्या बातें करती हैं मां कि…’’ वह आगबबूला होने लगता.

दीप्ति कुछ कहने को होती तो नवल उसे भी झिड़क देता. उज्ज्वल भी सहम जाता. घर का सारा दारोमदार नवल पर था. दीप्ति अपना बीएड का कोर्स पूरा कर रही थी और उज्ज्वल 8वीं की परीक्षा की तैयारी. दोनों नवल के कुछ देर बाद शांत हो जाने पर अपनेअपने काम में अपने को व्यस्त कर लेते.

मां की अनुभवी आंखें हर वक्त नवल के दोस्तों का सच ही बयां करती रहती हैं. पर भैया को दिखता ही नहीं. कितनी बार उस ने नवल के दोस्तों की गंदी नजरें, गंदी हरकतें झेली हैं. नवल को थमाने के बहाने वे कहांकहां उसे छूने की कोशिश नहीं करते… कैसे भैया को विश्वास दिलाए… वे अपने दोस्तों के खिलाफ कुछ भी मानने को तैयार नहीं होते. उलटा उसे झाड़ देते. दीप्ति की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. आंसू निकलने लगते तो बाथरूम में बंद हो जी भर कर रो लेती.

शुचि अगले हफ्ते सच में आ धमकी. उस के गले लग कर दीप्ति खूब रोई और फिर अपना सारा दुख उसे बताया.

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शुचि ने नम आंखों से उसे धैर्य बंधाया, ‘‘दीप्ति सब सही हो जाएगा… हल है न. मैं तेरी ही जबान कह रही हूं… हार थोड़े ही मानते हैं ऐसे… चल, अब बहुत हो गया. आंसू पोंछ और हंस दे.

‘‘याद है जब मैं ने तुझे ‘गुटका खाए सैंया हमार’ वाली प्रौब्लम बताई थी तो तू ने जो मजाकमजाक में हल निकाला था तो वह बड़े काम का निकला था. मैं ने उस के अनुसार एक शादी में मलय की जेब में रखी गुटके की लड़ी को कंडोम की लड़ी में बदल दिया. फिर जब शादी में मलय ने जेब से गुटका निकाला तो पूरी कंडोम की लड़ी जेब से लटक गई. फिर

क्या था. यह देख लोग तो हंसहंस कर लोटपोट हो गए, मगर मलय बुरी तरह झेंप गए. उस दिन से उस ने जेब में गुटका रखना छोड़ दिया था. फिर तेरी ही सलाह पर हम उसे नशा मुक्ति केंद्र ले गए थे. धीरेधीरे मलय का गुटका खाने की लत छूट गई थी,’’ दीप्ति के आंसू रुके देख शुचि मुसकराई.

फ्रैश हो कर शुचि ने अपना बैग खोला और दीप्ति को दिखाते हुए बोली, ‘‘यह देख विदेश से तेरे लिए क्या लाई हूं. हैंडी वीडियो कैमरा.’’

‘‘इतना महंगा… क्या जरूरत थी इतना खर्च करने की?’’ दीप्ति ने प्यार से डांटा.

‘‘हूं, क्या जरूरत है,’’ कह शुचि ने उसे मुंह चिढ़ाया, ‘‘बकवास बंद कर और इस का फंक्शन देख क्या बढि़या वीडियो लेता है.’’

‘‘मेरी दीदी कितना बढि़या वीडियो कैमरा लाई हैं,’’ उज्ज्वल स्कूल से आ गया था.

‘‘हाय उज्ज्वल… कितना लंबा हो गया,’’ शुचि ने प्यार से उसे अपनी ओर खींचा.

‘‘मैं कपड़े चेंज कर के आता हूं दीदी. तब मेरा ब्रेक डांस करते हुए वीडियो बनाना,’’ कह वह चला गया.

‘‘मैं तो सोच रही हूं इस से तेरी समस्या का हल भी हो जाएगा.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘रात में भैया जब दोस्तों के साथ आएगा तो हम छिप कर सब शूट कर के सुबह टीवी से अटैच कर उन्हें पूरा वीडियो दिखा देंगे. तब वे अपने दोस्तों की ओछी हरकतों से वाकिफ हो जाएंगे. दोस्तों की असलियत जान कर वे उन्हें छोड़ेंगे नहीं.’’

रात के 10 बज रहे थे. शुचि और उज्ज्वल सीक्रेट ऐजेंटों की तरह परदे की आड़ में सही जगह पर कैमरा लिए तैयार खड़े थे. तभी घंटी बजी तो दीप्ति ने दम साधे दरवाजा खोला. रोज का सीन शुरू हो गया. शुचि ने डोरबेल बजते ही रिकौर्डर औन कर लिया था.

‘‘अरे, लो भई संभालो अपने भाई को सहीसलामत घर तक ले आए.’’

‘‘अरे हमें भी तो थाम लो भई,’’ उन में से एक बोला.

‘‘हम इतने भी बुरे नहीं चुन्नी तो संभालो अपनी,’’ कह एक चुन्नी ठीक करने लगा तो एक बहाने से उस की कमर में हाथ डालने लगा.

एक के हाथ उस के बाल और गाल सहलाने की कोशिश में थे, ‘‘ये तुम्हारे गालों पर क्या लग गया जानू,’’ वैसी ही बेहूदा हरकतें… सोफे पर एक ओर लेटे नवल को कोई होश न था कि उस के ये दोस्त उस की बहन के साथ क्या कर रहे हैं.

‘‘थोड़ी नीबू पानी हमें भी पिला दो दीपू… तुम्हें देख कर तो हमारा नशा भी गहरा हो रहा है.’’

दीप्ति उज्ज्वल के हाथ से पानी का गिलास ले कर नवल को पिलाने की कोशिश कर रही थी. उन में से एक दीप्ति से सट कर बैठ गया. दीप्ति ने उसे धक्का दे कर हटाने की कोशिश की.

‘‘डरती क्यों हो दीपू. हम तुम्हें खा थोड़े ही जाएंगे. जा बच्चे पानी बना ला हम सब के लिए,’’ कह वह दीप्ति के माथे पर झूल आई घुंघराली लट को फूंक मारने लगा.

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‘‘पहले आप दीदी के पास से उठो.’’ उज्ज्वल उसे खींचने लगा तो उस आदमी ने उसे परे धकेल दिया.

शुचि का मन किया कि कैमरा वहीं पटक जा कर तमाचे रसीद कर दे… कैसे रोजरोज बरदाश्त कर रही है दीप्ति ये सब… हद होती है किसी भी चीज की. ‘पुलिस को कौल करती हूं तो नवल भैया भी अंदर होता. क्या करें,’ शुचि सोच रही थी, फिर उस ने यह सोच कैमरा एक ओर रखा और हिम्मत कर के बाहर आ गई कि धमका तो सकती ही है उन्हें. प्रूफ भी ले लिया. फिर कड़कती आवाज में चीखते हुए बोली, ‘‘क्या बदतमीजी हो रही है? शर्म नहीं आती?

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महायोग: धारावाहिक उपन्यास, भाग-18

 ‘‘हां, तमाशा ही तो है, दिया. तुम वैसे भी सोचो, पूरी दुनिया में ग्रह मिलाए जाते हैं क्या? विदेशों में तो वैसे ही संबंध बन जाते हैं, फिर भी यहां पर इस अंधविश्वास की चिंगारी जल रही है. तुम ने देखा, कितने गोरे थे ईश्वरानंद के प्रोग्राम में. यह तमाशा नहीं तो फिर क्या है?’’

दिया बोली, ‘‘धर्म, क्या मुझे पता चल सकता है कि मेरे घरवाले कैसे हैं? मैं समझती थी कि नील व उस की मां इस बात से बेखबर हैं कि मेरी फैमिली पर क्या बीती है.’’

‘‘नहींनहीं, वे लोग सबकुछ जानते हैं, दिया. इनफैक्ट, एकएक घटना. एक बात सुन कर तुम चौंक जाओगी, समझ में नहीं आता तुम्हें बताऊं या नहीं?’’

‘‘अब सबकुछ तो पता है. कुछ बताओगे भी तो क्या होगा. हां, शायद इन लोगों को समझने में मुझे मदद मिल सके,’’ दिया ने धीरे से कहा.

‘‘मैं जानता हूं तुम्हारे लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा पर न जाने क्यों मैं तुम से अब कुछ भी छिपाना नहीं चाहता.’’

‘‘तो बता दो न, धर्म. क्यों अपने और मेरे लिए बेकार का सिरदर्द रखते हो. एक बार कह कर खत्म कर दो बात,’’ दिया पूरा सच जानने के लिए बेचैन हो रही थी.

अपनेआप को संयत करते हुए धर्म ने कहा, ‘‘दिया, यह तुम्हारी शादी का जो जाल है न, वह भी ईश्वरानंद का ही फैलाया हुआ है.’’

‘‘क्या,’’ दिया मानो कहीं ऊंचाई से नीचे खाई में गिर पड़ी, ‘‘यह कैसे हो सकता है?’’ उस के मुख से ऐसी आवाज निकली मानो जान ही निकली जा रही हो.

‘‘दिया, इतना कुछ देखनेसुनने, सहने के बाद भी तुम कितनी भोली हो. इस दुनिया में सबकुछ हो सकता है, सबकुछ. यह रिश्ता ईश्वरानंद का ही भेजा हुआ था. यह एक पासा फेंकने जैसी बात है. उन्होंने पासा फिंकवाया और तुम्हारी दादी लपेटे में आ गईं. वह जो तुम्हें किसी शादी में बिचौलिया मिला था न.’’

‘‘बिचौलिया? मतलब?’’ दिया का दम निकला जा रहा था.

‘‘बिचौलिया यानी बीच का आदमी. जो तुम्हारी दादी के पास तुम्हारे रिश्ते की बात ले कर आया था.’’

‘‘अच्छा, तो?’’

‘‘तो यह कि वह ईश्वरानंद का ही आदमी था. तुम्हें आश्चर्य होगा कि वह आदमी ईश्वरानंद के लिए इसी प्रकार काम करता है, जिस के लिए उस को खूब  पैसा मिलता है. न जाने कितनी लड़कियां लाया है वह हिंदुस्तान से और वह केवल ईश्वरानंद का ही नहीं, न जाने ऐसे कितने दूसरे लोगों के लिए काम करता है.’’

दिया की आंखें फटी की फटी रह गईं. ऐसा भी हो सकता है क्या? जीवन में इस प्रकार की धोखाधड़ी. दिया पसीने से तरबतर अपना मुंह पोंछने लगी.

‘‘मैं तुम्हें डराना नहीं चाहता पर है यह सच. तुम्हें मंदिर में एक खूब मोटी सी औरत मिली थी न जिस से रुचिजी बहुत बातें करती रहती हैं. क्या नाम है उस का…हां…शिक्षा…शिक्षा के लिए वह आदमी 3 लड़कियां लाया है इंडिया से.’’

‘‘क्यों? शिक्षा भी ये सब धंधे करती है क्या?’’ दिया के मुंह से घबराई हुई आवाज निकली.

‘‘नहीं, शिक्षा धंधा तो नहीं करती. शिक्षा का बेटा डायबिटिक है, वैसे वह इंपोटैंट भी है. मालूम है, उस ने अपने बेटे की 3 शादियां करवा दी हैं?’’

‘‘3 शादियां…? क्या तीनों बहुएं उसी घर में रहती हैं…’’ अचानक दिया पूछ बैठी.

‘‘नहीं, एक शादी होती है तो बहू पर घर का सारा काम डाल दिया जाता है. बहुत पैसे वाले लोग हैं ये. बहुत बड़ा घर है. वैसे तो 3 घर हैं इन के पर जिस में रहते हैं वह बहुत बड़ा घर है. 80 वर्षों से भी पहले इन की पीढ़ी यहां पर आई थी और यहीं इन के दादा लोग बस गए थे. इन के घर की औरतें पढ़ीलिखी नहीं हैं. बस, यहां रहते हैं इतना ही…अब जब लड़के की शादी होती है, बहू आती है तो वह लड़के से किसी भी प्रकार संतुष्ट नहीं हो पाती. फिर जब तक उस के पक्के होने की मुहर लगती है वह तब तक ही उस के घर रहती है. जैसे ही उसे इस देश में रहने की परमिशन मिली वह उन के घर से भाग खड़ी होती है और कहीं भी मजदूरी कर के अपनेआप को सैटल कर लेती है. इस तरह से शिक्षा के लड़के की 3 शादियां हुईं और ये सब काम उसी आदमी के हैं जिस ने तुम्हारा रिश्ता पक्का कराया था.’’

‘‘तो लड़की यहां कैसे आती है, उस का वीजा वगैरह?’’ दिया ने पूछा.

‘‘यह सब तो इन के बाएं हाथ का खेल है. पूरा एक रैकेट है दिया, जिस में कोई अपनेआप आ फंसता है तो कोई ग्रहों और ज्योतिष के चक्कर में फंसा लिया जाता है.’’

‘‘तब तो मैं बहुत बुरी तरह उलझी हुई हूं. अगर मैं किसी से बात करती हूं तो मुझ पर और अंकुश लग जाएंगे?’’

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. यहां बहुत से ‘हैल्पेज होम्स’ भी हैं. ‘ओल्ड ऐज होम्स’ की तरह, पुलिस में भी इन्फौर्म कर सकते हैं और ऐंबैसी से भी हैल्प मिल सकती है. बस, बात इतनी सी है कि हमें थोड़ा इंतजार करना होगा.’’

‘‘क्यों? क्यों करना होगा इंतजार? धर्म अगर आप मुझे सच में प्रोटैक्ट करना चाहते हैं तो प्लीज मुझे जल्दी से जल्दी इस गंद से निकलने में हैल्प करिए,’’ दिया उतावली सी हुई जा रही थी.

‘‘दिया, मैं चाहता हूं कि आप के साथ मैं भी इस दलदल से निकल भागूं जबकि मैं जानता हूं कि ईश्वरानंदजी मुझे इतनी आसानी से निकलने नहीं देंगे. उन का कोई न कोई आदमी हम पर नजर रखे ही होगा.’’

दिया घबरा कर इधरउधर देखने लगी तो धर्म हंस पड़ा.

‘‘अरे, इतना आसान थोड़े ही है यह पता लगाना. यह तो पूरा चैनल है जो हर तरफ फैला हुआ है. दुनियाभर में चलता है इन का व्यापार. इतनी आसानी से आप को जाने देंगे वे लोग? इन का तो कोई मकसद भी सौल्व नहीं हुआ है अब तक.’’

‘‘तब फिर कैसे?’’ दिया ने हकला कर पूछा और रूमाल से अपना पसीना पोंछने लगी.

‘‘थोड़ा पेशेंस रखना होगा और कुछ दिन. मैं चाहता हूं कि मेरा एमबीए भी पूरा हो जाए और किसी को खबर हुए बिना हम किसी न किसी तरह यहां से निकल भागें.’’

‘‘यह कोई सपना देख रहे हैं क्या, धर्म?’’

‘‘नहीं, सपना नहीं है. जब यह सपना नहीं है कि आप इस कैद में आ कर फंसी हुई हैं तो वह भी केवल सपना नहीं कि आप इस कैद से छूट सकती हैं. हां, मुश्किलें तो बहुत आएंगी, इस में शक नहीं है.’’

धर्म के साथ रहने पर समय का पता ही नहीं चलता था. युवा उम्र में वैसे भी स्वाभाविक रूप से विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है. उस पर, दिया की स्थिति तो बेपेंदी के लोटे की तरह हो गई थी. इस इकलौते सहारे में ही वह सबकुछ ढूंढ़नेलगी थी. केवल 2 बार के मिलने से ही उसे यह बात ठीक प्रकार समझ में आ गई थी कि धर्म भीतर से बहुरूपिया नहीं है बल्कि ऐसी परिस्थितियों में उलझा हुआ है कि वह भी उन में फंस कर अपने पंख फड़फड़ा रहा है. जब 2 लोग एक सी मुसीबत में घिर जाते हैं तो उन की समस्या भी एक हो जाती है और विचार भी एक ही दिशा में चलने लगते हैं.

‘‘धर्म, मुझे नहीं जाना नील के घर,’’ अचानक ही दिया ने यह बचपने का सा विचार धर्म के समक्ष परोस दिया.

धर्म का मुंह चलतेचलते रुक गया, ‘‘तो कहां जाओगी?’’

‘‘कहीं भी, आप के साथ.’’

‘‘मेरे साथ?’’

‘‘हां, क्यों, आप मुझे अपने घर पर नहीं रख सकते?’’

‘‘नहीं, वह बात नहीं है, दिया, पर यह कैसे संभव है? थोड़ा पेशेंस रखो,’’ धर्म ने दिया को समझाने का प्रयास किया.

‘‘कहां से रखूं पेशेंस? मुझ में पेशेंस है ही नहीं अब, कहां से लाऊं?’’

‘‘हम ऐसे हार नहीं मान सकते, दिया. मुझे कुछ टाइम दो सोचने का,’’ धर्म उस को पकड़ कर फिर से लौन में जा बैठा.

‘‘धर्म, मैं एक उलझन से निकलती हूं तो दूसरी में फंस जाती हूं. मुझे अभी आप ने बताया कि ईश्वरानंद ने ही मुझे फंसाया है पर जब पिछली बार आप के साथ उन से मिली थी, तब तो वे पूछ रहे थे कि यह दिया कौन?’’

‘‘दिया, आप को अब तक यह बात समझ में नहीं आई कि ये सब नाटक है. तब अगर वे बता देते तो आप पर अपना प्रभाव कैसे डाल पाते? आप को तो अपने झांसे में लेना ही था न उन्हें? फिर रुचिजी की और उन की बहुत पुरानी दोस्ती है. पिछली बार तक तो वे, इन के यहां आने पर, इन के हर प्रोग्राम में आती थीं. लगता है इस बार वे जानबूझ कर नहीं आना चाहतीं. शायद, कहीं पोल न खुल जाए, इसलिए.’’

‘‘वह तो कुछ पैरों के दर्द के कारण…’’ दिया बोली तो उस की बात को बीच में काटते हुए धर्म बोला, ‘‘पैरों का दर्दवर्द सब ड्रामा है, दिया. कुछ तो कहेंगी और करेंगी न? और हां…आप अपनेआप को थोड़ा कंट्रोल में रखो जिस से और मुश्किलें न बढ़ें तभी कोई रास्ता निकल सकेगा वरना…’’

तभी धर्म के मोबाइल की घंटी बजी.

क्रमश:

 

 

ज़िंदगी-एक पहेली: भाग-15

अविरल ने बिना किसी को कुछ बताए बैग उठाया और हरिद्वार पहुँच गया. जब निधि डॉक्टर के पास जाने को हुई तो अविरल ने फोन करके डॉक्टर का एड्रैस मांगा और खुद भी थोड़ी देर बाद वहाँ पहुँच गया. सभी लोग उसे देखकर आश्चर्यचकित रह गए. निधि कि हालत देखकर अविरल का मन कचोट गया. निधि ठीक से सांस तक नहीं ले पा रही थी. अविरल ने डॉक्टर से बात की तो डॉक्टर ने फिर डेंगू के चेक अप को मना कर दिया. अविरल का मन नहीं माना और निधि की मम्मी के मना करने के बावजूद अविरल निधि का टेस्ट कराने चला गया. ब्लड का sample  देने के बाद निधि अपने घर चली गयी और अविरल लैब के बाहर ही रिपोर्ट का इंतज़ार करने लगा. 5 घंटे बाद रिपोर्ट आई जिसमे निधि को एडवांस लेवेल पे डेंगू हुआ था और उसकी कंडिशन serious थी. अविरल ने तुरंत अच्छा डॉक्टर पता किया और निधि को हॉस्पिटल में एड्मिट करा दिया.

डॉक्टर ने कहा ,” अब 1 दिन की भी देरी बहुत हो सकती थी ”. निधि के लीवर और फेफड़ों में पानी भर चुका था. निधि अब अपने होश में नहीं थी. अविरल रात दिन निधि के साथ रहता, उसे कहानियाँ पढ़कर सुनाता, पूरी रात जागकर उसकी देखभाल  करता हालांकि निधि की मम्मी भी साथ में अस्पताल में थी. पर अविरल को हर पल लगता कि अगर वो सो गयी  और निधि को कुछ जरूरत हुई तो…

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अविरल के ऑफिस से फोन आया और बॉस ने बोला या तो कल से जॉइन करो या तो जॉब छोड़ दो. अविरल ने जॉइन करने से मना कर दिया और उसकी जॉब चली गई. लेकिन उसने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया.

दिन में वह डॉक्टर के पास जाता और बार बार सलाह करता कि अगर कोई दिक्कत हो तो हम दिल्ली ले जाएँ. डॉक्टर और नर्स को भी उसकी मोहब्बत और पागलपन देखकर आँखों में आँसू आ जाते.

दाढ़ी बढ़ी हुई, बाल बिखरे हुए, अविरल तो अब किसी को पहचान भी नहीं आ रहा था.

3 दिन बाद एक जूनियर डॉक्टर भागते हुए अविरल के पास आया और बोला, निधि कि प्लेटलेट्स बढ्ने लगीं हैं. अविरल खुशी से निधि के रूम कि तरफ भागा और निधि का हाथ पकड़कर अपने माथे पे रख लिया और बोला तुम ठीक हो रही हो. 5 दिनों बाद निधि अपने घर चली गई.

अविरल कि जॉब भी अब चली गई थी. उसने फिर से जॉब ढूँढने कि कोशिश की लेकिन उसे जॉब नहीं मिली. निधि के ठीक होने के बाद अविरल ने जॉब के बारे में सारी बात निधि को बताई. अविरल और निधि ने हर परिस्थिति में साथ रहने कि कसम खाई.

अब शादी की डेट भी आ चुकी थी तो अविरल भी अपने घर चला गया. दोनों कि शादी खूब धूम धाम से हुई. शादी के 10 दिन बाद निधि और अविरल दिल्ली आ गए जहां 1 छोटा सा फ्लॅट लेकर दोनों रहने लगे. अविरल सारा दिन जॉब के लिए भटकता. वह कई कई किलोमीटर पैदल चलता और सोचता “मेरा भी दिन आएगा”.

अविरल ने कई कंपनी में इंटरव्यू दिये थे लेकिन अभी किसी ने कुछ नहीं बोला था. इसी तरह 15 दिन बीत गए. अविरल और निधि एक एक पैसा बचाते. दोनों को कहीं जाना होता तो 5-10 रुपये बचाने के लिए भी कई किलोमीटर पैदल चलते.

एक बार दोनों का कुल्फी खाने का मन हुआ तो दोनों शॉप पर गए लेकिन उसके पैसे सुनकर वैसे ही वापस आ गए. दोनों को हर गम मंजूर था लेकिन दूर रहना नहीं.

1 दिन अविरल के पास कॉल आया और दूसरी तरफ से एक लेडी बोली, “अविरल आप कंपनी कब जॉइन कर सकते हैं”. अविरल के मुंह में तो जैसे शब्द ही गायब हो गए थे. थोड़ी देर बाद अविरल बोला कि “मैं कल से ही जॉइन कर सकता हूँ हालांकि सैलरी बहुत कम थी”. लेडी बोली कि ठीक है आप अगली 1 तारीख से जॉइन कर लीजिये. मैं आपको ऑफर लेटर भेज रही हूँ. निधि भी अविरल के साथ ही बैठी थी. दोनों उठे और और एक-दूसरे के गले लगकर खुशी के मारे रोने लगे.

एक दिन अविरल के मामा अविरल के घर आए तो उन्होने पहले तो घर देखकर मुंह बनाया और फिर घर में समान देखने लगे. अविरल के पास कोई समान नहीं था, अविरल और निधि जमीन में ही गद्दा डालकर लेटते थे. एक चूल्हे वाली गॅस थी. अविरल के मामा ने कहा कि अविरल अपने पापा से क्यूँ नहीं मांग लेते तो अविरल ने हँसते हुए कहा,” अरे मामा जी पापा ने तो खुद बोला था लेकिन मैंने मना कर दिया. मैं अपने आप ही आगे बढ़ना चाहता हूँ.

अविरल के मामा ने हर जगह जाकर उसका मज़ाक बनाया .

धीरे धीरे अविरल आगे बढ़ता गया. उसने जल्दी-जल्दी कंपनी बदल दी. जिससे उसका पैकेज बढ़ता चला गया. आज अविरल वर्ल्ड कि नंबर 1 IT कंपनी में, कैलिफोर्निया में हैं. उसने सबसे पहले अपनी दीदी “अनु” के नाम पे 1 डोनेशन स्टार्ट किया जिसमें वह हर साल 1 गरीब लड़की का मेडिकल का सारा खर्च उठाता. अविरल हर साल दशहरे वाले दिन अपने घर आता और एक बहुत बड़े भोज का आयोजन करता जिसमें पूरे शहर के गरीबों को भोजन  करवाता.

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उसने अपने पापा को जन्मदिन के गिफ्ट में मर्सिडीज दी तो सभी ने दांतों के नीचे उंगली दबा ली. आज जो सभी अविरल के हकलापन, उसकी कमजोरी, उसकी किस्मत , फ़ेल होने, मोहब्बत का मज़ाक बनाते थे वो आज उससे नजरें भी नहीं मिला पाते हालांकि अविरल सभी से वैसे ही बातें करता जैसे पहले करता था.

अविरल और निधि जब भी किसी कुल्फी वाले को देखते तो एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराते और अपना पुराना समय याद करते हुए कुल्फी खाते.

अविरल ने दुनिया को दिखाया कि अगर मोहब्बत सच्ची है और मन में काम के प्रति लगन है तो कोई भी कठिनाई उसका रास्ता नहीं रोक सकती. अविरल ने अपनी अथाह मेहनत, लगन और सच्चाई से अपने आपको इस मुकाम तक पहुंचाया था जहां सभी को आज उस पर नाज था.

ज़िंदगी-एक पहेली: भाग-14

अविरल ने मम्मी कि आवाज़ सुनकर अपनी पूरी ताकत समेटी और उठकर दरवाजा खोला और मम्मी की गोद में ही बेहोश हो गया. तब तक कार्तिक और अमन भी वहाँ आ चुके थे, दोनों उसे लेकर अस्पताल जाने लगे. निधि भी बदहवास होकर अविरल के पीछे भागी.

अस्पताल पहुँचकर डॉक्टर ने तुरंत ही अविरल को एड्मिट किया और चेकअप करने लगे. डॉक्टर ने सांत्वना दी और बोला कि भगवान ने इसकी जान बचा ली है. इसकी कलाई ज्यादा गहराई तक नहीं कटी है. ज्यादा ब्लड प्रैशर और खून बह जाने की वजह से यह बेहोश हो गया है. 4-4 घंटे में एकदम सही हो जाएगा.

उधर घर में दीप्ति और उसके मम्मी पापा निधि को पता नहीं क्या क्या बोल रहे थे लेकिन निधि एकदम पत्थर बनी बैठी थी. रेनु  चिल्ला चिल्ला कर बोली “यहाँ आशिक़ी चल रही है. जब अपना ही सिक्का खोटा है तो दूसरे को क्या दोष दें”. अविरल की मौसी निधि के पास आई और उसे सहारा दिया. उन्होने सभी को लताड़ लगाई और बोली “बेचारी कुछ बोल नहीं रही और सब इसके पीछे पड़ी हो. क्या गलत किया इसने. अभी सबका कैरक्टर खोलू तो जवाब देते नहीं बनेगा किसी से”.

तभी अस्पताल से कार्तिक घर आ गया  और बताया कि सब ठीक है. 4-4 घंटे में अविरल घर आ जाएगा. अविरल कि इस हरकत से निधि टूट सी गयी थी. उसने अविरल को छोड़ने का निश्चय कर लिया.

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अविरल जब वापस घर आया तो सभी लोग हौल  में बैठे थे. अविरल ने सबके सामने  बोला “मेरे अंदर क्या कमी है और मेरी शादी निधि से क्यूँ नहीं हो सकती”. कार्तिक गुस्से से पागल हो गया और चिल्लाते हुए बोला “क्या ड्रामा मचा रखा है, कोई शादी नहीं होनी किसी की”. अविरल निधि के लिए अकेले ही सबके सामने खड़ा हो गया. और बोला कि “शादी तो मैं इसी से करूंगा जो रोक सकता हो रोक ले”. अविरल कि मौसी ने सभी लोगों को शांत कराया.

निधि रसोई में थी तभी अविरल की मम्मी वहाँ पहुंची तो निधि ने उनसे बोला “मौसी जी आप अविरल के लिए और कोई लड़की ढूंढ लीजिये”. अविरल दूसरे कमरे में बैठा था जहां से रसोई की खिड़की थी और वह निधि को देख रहा था. उसने निधि के सामने हाथ जोड़ लिए लेकिन निधि ने एक बार भी अविरल की तरफ नहीं देखा. दीप्ति के मम्मी पापा निधि को लेकर तुरंत हरिद्वार चले गए.

अविरल ने निधि की मम्मी को फोन किया और जो कुछ हुआ था उसका हिंट कर दिया और रोते हुए बोला “चाची जी, प्लीज रिश्ता मत तोड़िएगा”. अविरल के हाथ में 10 टांके लेगे थे लेकिन उसे दिल के दर्द के आगे टांकों का दर्द महसूस ही नहीं हो रहा था.

अविरल ने अगले दिन निधि को फोन किया तो उसका मोबाइल बंद था. अविरल को घबराहट होने लगी. पूरे दिन अविरल फोन ट्राइ करता रहा लेकिन फोन बंद. इसी तरह 1 हफ्ता बीत गया लेकिन निधि से बात नहीं हुई. अविरल मंदिरों में जा जाकर भगवान से दुआ मांगता कि ये रिश्ता न टूटे. अविरल ने माता के मंदिर में जाकर दुआ मांगी कि मैंने जो गलती की है उसके पश्चाताप के लिए मैं 1 पैर से मंदिर तक चढ़ूँगा जिसकी खड़ी चढ़ाई थी और लगभग 600 सीढ़ियाँ थी बस निधि मुझसे बात करने लगे फिर से.

अविरल लोग भी देहरादून आ गए. दिन बीतते गए. अविरल लगातार ट्राइ करता रहा लेकिन फोन नहीं मिला. इसी तरह 20 दिन बीत गए. अचानक एक दिन जब अविरल ने फोन मिलाया तो निधि के फोन की घंटी बजी, निधि ने फोन उठाया और बोला “अविरल मुझे भूल जाओ, मैं अब तुमसे बात नहीं करना चाहती.“ तभी निधि की मम्मी ने फोन लेकर बोला “अविरल तुम चिंता मत करो. इसकी शादी तुम्ही से होगी, तुम थोड़ा सब्र रखो सब ठीक हो जाएगा”. लेकिन अविरल को तो निधि की आदत हो चुकी थी. वह हमेशा उसे फोन करके माफी मांगता और समझाने की कोशिश करता लेकिन निधि तो कुछ सुनने को तैयार नहीं थी.

कुछ दिनों बाद रेनु  की मम्मी ने निधि की मम्मी से कहा कि अविरल से निधि कि शादी के बारे में मत सोचना तो निधि की मम्मी ने बोला “हम तो अविरल को जानते भी नहीं थे. आपने ही दीप्ति कि शादी के बाद से उसके बारे में अच्छी अच्छी बातें बताकर शादी के लिए बोला था. अब क्या हो गया जो 8-10 महीने में अविरल इतना बुरा हो गया”. रेनु  की मम्मी ने साफ साफ बोला कि या तो हमसे रिश्ता रख लो या फिर अविरल से. तो निधि की मम्मी ने जवाब दिया “दीदी आप ही रिश्ता तोड़ना चाहती हो तो तोड़ दो”.

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इसके बाद निधि लोगों का और रेनु  लोगों का रिश्ता टूट गया. जब यह बात अविरल को पता चली तो वह मन ही मन बहुत खुश हुआ. उसकी सारी समस्या खत्म हो गयी थी. धीमे धीमे निधि भी नॉर्मल हो गयी थी. अविरल अपनी कसम पूरी करने के लिए मंदिर तक एक पैर से चढ़ने लगा हालांकि वह कई बार हिम्मत हारने लगता तो अपनी मोहब्बत को याद करता और फिर पूरी ताकत से आगे बढ़ता और आखिरकार वह अपनी मंजिल पे पहुँच गया. अविरल ने यह बात निधि को बताई लेकिन उसने कभी विश्वास नहीं किया.

अविरल का कॉलेज स्टार्ट हो चुका था. कुछ समय तक सब कुछ नॉर्मल चलता रहा. अविरल अक्सर निधि से बोलता “निधि, 6 महीने हो गए हैं. तुम्हारी बहुत याद आती है, 1 बार मिल लो न” लेकिन निधि मना कर देती. अब अक्सर अविरल और निधि कि इसी बात पे लड़ाई हो जाती. निधि भी मजबूर थी वह अविरल से मिलने अकेले नहीं जा सकती थी, उसे लगता था कि अगर किसी ने देख लिया तो उसके मम्मी पापा कि बदनामी होगी.

अब निधि से मिले पूरा 1 साल बीत चुका था. निधि ने अविरल से मिलने के लिए हाँ बोल दिया. अविरल खुशी खुशी हरिद्वार पहुंचा तो निधि अपने मम्मी पापा के साथ आई थी. सभी लोग पार्क गए और खाना खाया. थोड़ी देर अविरल और निधि ने नॉर्मल ही बातें की और फिर सभी अपने घर के लिए चल दिये. अविरल की आँखों में आँसू थे वह बार बार पलटकर देख रहा था लेकिन निधि ने नहीं देखा.

ऐसे ही अविरल के पूरे 4 साल बीते. अविरल का कॉलेज में कोई भी दोस्त नहीं बना क्यूँ की उसे निधि को छोड़कर कोई दिखता ही नहीं था. निधि 1 साल में 1 बार अविरल से मिलने आती वो भी अपने मम्मी पापा के साथ. अविरल ने इसे अपनी किस्मत मानकर अपना लिया था हालांकि वह इस बात पर अक्सर निधि से लड़ता भी था.

अविरल के 4 साल पूरे हो गए लेकिन यह 2008-09 का टाइम था और भयानक मंदी आ चुकी थी तो कहीं भी अविरल को जॉब नहीं मिली.

निधि के पापा भी डरते थे की कहीं लड़के का मन ना बदल जाए तो उन्होने सगाई की बात की और जून 2009 में उनकी सगाई कर दी गई.

अविरल को अब अपने पापा से पैसे मांगने में बुरा लगता था तो वह रात दिन जॉब ढूँढने में लगा रहता. उसे बहुत से ऐसे लोग भी मिले जिन्होने अविरल के साथ फ़्रौड भी किया. लेकिन अविरल अब परिस्थितियों से लड़ लड़कर इतना मजबूत हो गया था कि कोई उसे रोक नहीं सकता था. कुछ समय बाद आसपास के लोगों ने मज़ाक बनाना शुरू कर दिया कि “लड़की के चक्कर में पड़ा रहा और कुछ पढ़ाई लिखाई नहीं किया” इसका कुछ नहीं होगा.

जितना लोग अविरल के ऊपर हँसते, उसे और साहस मिलता. अविरल और मेहनत करता.

कुछ महीनों बाद पुणे में एक छोटी सी कंपनी में अविरल को जॉब मिली लेकिन उसकी  सैलरी बहुत कम थी.  अविरल ने हँसते हुए जॉब को हाँ कर दी. वह अब पापा से पैसे भी नहीं मांगता था .उसके पास  पैसे की तंगी भी हो गयी. अविरल हमेशा अपने मन में एक ही लाइन गुनगुनाता था

“न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम, सफलता तुम्हारे कदम चूम लेगी”

1 महीने बाद अविरल को 5000/माह मिलने लगा. यह उसकी पहली कमाई थी जो उसने अपनी दीदी “अनु” के नाम से निकाल कर अलग कर दी. निधि के पापा से लोगों ने कहना शुरू किया कि “ज्यादा पड़ी हुई सगाई अच्छी नहीं होती”. तो वह शादी की जिद करने लगे. अब अविरल की शादी भी तय कर दी गई 2 दिसम्बर को. हालांकि अभी अविरल का मन नहीं था.वो खुद बहुत struggle कर रहा था . वो निधि को हर खुशी देना चाहता था पर इतने कम पैसो में वो संभव नहीं था.

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लेकिन फिर अविरल ने सोचा कि पैसा तो आता जाता रहेगा लेकिन अगर निधि चली गई तो क्या होगा.

शादी को सिर्फ 1 महिना बचा था और तैयारियां ज़ोरों पे थी तभी अचानक निधि की तबीयत बिगड़ गई. उसे हाइग्रेड फीवर आ गया. अविरल को पता चला तो वह परेशान हो गया. अविरल निधि से बात करने की कोशिश करता लेकिन निधि उससे बात भी नहीं कर पा रही थी. निधि के पापा ने पास में ही डॉक्टर को दिखाया तो उसने दवा दे दी लेकिन निधि की हालत और बिगड़ गयी. निधि का ब्लड चेकअप हुआ तो उसमे प्लेटलेट्स की संख्या काफी कम हो गयी थी और शायद उसे डेंगू था लेकिन अभी डॉक्टर ने डेंगू के टेस्ट के लिए मना कर दिया था. निधि ने अविरल से यह बात बताई. अविरल ने बोला कि कल तुम डॉक्टर के पास जाना तो मेरी बात कराना. उस समय डेंगू से रोज़ कई जानें जा रहीं थी और यह न्यूज़ के पहले पेज पर था. निधि कि हालत बहुत बिगड़ती जा रही थी. अविरल का मन अब बिलकुल भी नहीं लग रहा था.

अगला भाग, जो कि कहानी का अंतिम भाग भी है, में हम जानेंगे कि अविरल को जिंदगी में और कितनी परीक्षा देनी होगी और क्या अविरल अपनी मोहब्बत को हासिल कर पाएगा…

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