Lockdown के बीच दोस्तों संग Bachelorette Party मनातीं दिखीं Ishqbaaaz फेम Niti Taylor, देखें फोटोज

टीवी सीरियल इश्कबाज (Ishqbaaaz)फेम एक्ट्रेस नीति टेलर (Niti Taylor) इन दिनों अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में हैं. हाल ही में नीति टेलर की कुछ फोटोज वायरल हुई थी, जिसमें वह इंडियन लुक में नजर आईं थी, जिसके बाद उनके फैंस उनसे सवाल पूछ रहे थे कि वह कब शादी करेंगी, लेकिन हाल ही में नीति बैचलर पार्टी (Bachelorette Party) करती दिखीं, जिससे पता चल रहा है कि वह जल्दी ही दुल्हनिया बनने वाली है. आइए आपको दिखाते हैं उनकी बैचलर पार्टी की खास फोटोज….

बचपन के दोस्त से शादी कर रही हैं नीति

एक्ट्रेस नीति टेलर अपने बचपन के दोस्त और लवर परीक्षित बावा संग शादी करने वाली हैं. इसी के चलते नीति अपने दोस्तों के साथ बैचलर पार्टी और ब्राइडल शावर एन्जौय करती नजर आईं.

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दोस्तों संग बैचलर पार्टी करती दिखीं नीति

 

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Things I didn’t PUT up💓 With my crazy two👯‍♀️ @renee.mallick @ananyag8 . #part1

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लौकडाउन के दौरान नीति टेलर बीते दिन अपने खास दोस्तों के साथ बैचलर पार्टी एन्जौय करती दिखीं. हालांकि इस दौरान ज्यादा लोग की बजाय सिर्फ 4 दोस्तों के बीच नीति टेलर ने अपनी शादी से पहले मस्ती भरे पल बिताए.

दुल्हन बनने से पहले ऐसे बिताई शाम

 

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Family❤️ #part2

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बेचलर पार्टी के दौरान नीति टेलर ने दुल्हन बनने से पहले दोस्तों संग जमकर एन्जॉय किया. साथ ही वह अपने दोस्तों संग कई फोटोज क्लिक भी करवाती दिखीं. वहीं इससे एक दिन पहले अदाकारा ने अपने दोस्तों के साथ ब्राइडल शावर एन्जॉय भी किया था.

क्यूट लुक में दिखीं नीति

 

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I only wear Earrings on days ending with “Y”💕 #loveforearrings Earrings- @fashion_diaries09 Camera – @myhappyplanet

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बेचलर पार्टी के दौरान नीति इन फोटोज में बेहद प्यारी लग रही थीं, उनका ये लुक और दूसरी ब्राइड के लिए भी खूबसूरत है.

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बता दें, हाल ही में शादी की रस्में होते ही फोटोज नीति अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के लिए लगातार शेयर कर रही हैं. नीति शादी के हर रस्म में नए-नए आउटफिट्स में नजर आ रही हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत दिख रही हैं. साथ ही वह अपनी शादी से जुड़ी हर फोटोज को अपने फैंस के लिए आगे भी शेयर करेंगी.

#lockdown: घर से ही सीरियल की शूटिंग कर रही है ‘नायरा’, फैमिली बनीं क्रू-मेंबर

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की नायरा यानी शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) इन दिनों लौकडाउन के कारण अपनी फैमिली के साथ वक्त बिता रहे हैं. जहां एक तरफ पूरा देश लौकडाउन के कारण बंद है तो वहीं फिल्मों और सीरियल की शूटिंग पर रोक लग गई है. इसी बीच नायरा यानी शिवांगी (Shivangi Joshi) घर पर ही  सीरियल की शूटिंग करती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं आखिर किस तरह शूटिंग कर रही हैं शिवांगी…..

देहरादून में कर रहीं हैं सीरियल की शूटिंग

नायरा यानी शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) लौकडाउन के चलते अपने होमटाउन देहरादून में अपने टीवी शो के शूटिंग में दिन रात लगी हुई हैं. शो के प्रोड्यूसर राजन शाही ने एक तरीका निकाला है, जिसके कारण शिवांगी सेट पर आए बिना ही सीरियल के लिए शूट कर रही हैं.

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फैमिली दे रही है साथ

शिवांगी जोशी ने एक इंटरव्यू में बताया कि प्रोड्यूसर की तरकीब के चलते एक्टर और एक्ट्रेसेस बाकी लोगों की तरह वर्क फ्रौम होम की तरह काम कर पा रहे हैं, जिसमें उनके परिवार वाले साथ दे रहे हैं. साथ ही टीवी शो के लिए क्रू मेंबर की तरह अलग-अलग जिम्मेदारियां संभाल रहे है.

 

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‘लॉकडाउन के चलते हम अपने घर से ही काम कर रहे है और घर से ही शूटिंग कर रहे हैं। मैं अपने कैनन 3डी कैमरे से शूट करती हूं और फिर इसे क्रिएटिव टीम को सौंप देती हूं. मैं देहरादून में हूं. इसीलिए अपनी बहन के कपड़ों का ही इस्तेमाल कर रही हूं. मेरा भाई कैमरामेन की तरह मदद करता है और भाभी लाइटमैन की तरह जिम्मेदारी संभालती हैं. स्क्रिप्ट मुझे मेल कर दी जाती है, जिसके कारण हम शूटिंग कर पा रहे हैं’

बता दें, शिवांगी जोशी इन दिनों टिकटौक पर छाई हुई हैं. वह अक्सर अपनी फैमिली के साथ टिकटौक वीडियो शेयर करती रहती हैं और लौकडाउन में खूब मस्ती करती हैं.

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Lockdown के चलते फार्म हाउस में फंसे टाइगर के पिता जैकी श्रॉफ, कर रहे हैं ये भला काम

फिल्म ‘हीरो’ से हिंदी सिनेमा जगत में चर्चित अभिनेता जैकी श्रॉफ किसी परिचय के मोहताज नहीं है. पहली फिल्म ‘स्वामी दादा’ थी, पर फिल्म हीरो ने उन्हें रियल हीरो बना दिया जिसके बाद से उन्हें पीछे मुडकर देखना नहीं पड़ा. वे ‘जग्गू दादा’ के नाम से भी जाने जाते है. उन्होंने हर तरह की फिल्में की और अपनी एक अलग पहचान बनायीं. उन्होंने आज तक करीब 9 भाषाओँ में 175 से अधिक फिल्में की है. मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के लिए वे आज भी सभी निर्देशकों के प्रिय पात्र है और आज भी अभिनय कर रहे है.

लॉक डाउन के चलते वे मुंबई से दूर अपने फार्म हाउस में है, जबकि उनका परिवार मुंबई में है. वे सरकार के निर्देशों का पालन कर घर नहीं आये और वही से पेड़ लगाना और थेलेसेमिया पीड़ित बच्चों के लिए काम कर रहे है, क्योंकि वे थेलेसेमिक इंडिया के ब्रांड एम्बेसेडर है और इस लॉक डाउन में ऐसे बच्चों को समय पर खून मिलने की परेशानी हो रही है. असल में थेलेसेमिया के बच्चों को 15 दिन बाद खून को बदलने की जरुरत पड़ती है, जिसका समाधान वे वही से कर रहे है. इतना ही नहीं वहां पर रहकर वे वहां आसपास के लोगों के लिए भोजन और जानवरों के लिए भी खाने की व्यवस्था कर रहे है.

 

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Stay Home Bhidus #HomeQuarantine #FamilyTime

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वे सभी देशवासियों से अपील सोशल मीडिया के द्वारा उन्हें घर पर रहकर अपने परिवार और खुद की देखभाल करने की सलाह दे रहे है. रहे है. बच्चों के साथ खेलना, बड़ो को खुश रखना अभी उनका काम है, जो उन्होंने मुंबई की भाग दौड़ की जिंदगी में नहीं किया. साथ ही संतुलित भोजन ओर वर्कआउट के द्वारा अपने आप को फिट रहने की भी बात कह रहे है.

 

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Har Har Ardhanareshwar #Mahashivratri

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जैकी कहते है कि मैं इन दिनों अपने फार्म हाउस पर उगाई सब्जियां खा रहा हूं और अपनी पुरानी यादें ताजा करने के लिए फिल्में देख रहा हूं. मेरा परिवार मुंबई में ठीक है इसलिए मुझे तसल्ली है और जब लॉकडाउन ख़त्म होगा तब मैं मुंबई जाऊंगा. मैं एक चाल का लड़का हूं और अब भी मेरा दिल चाली का है. इसलिए सब लोग सुधर जाओं और लॉकडाउन में घर पर रहो.

 

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#Repost @anasingh5 • • • • • • Happiest birthday to my incredible brother blessings always @apnabhidu

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इसके आगे वे कहते है कि इस मुश्किल घड़ी में मैं सभी स्वास्थ्य कर्मी और पुलिस कर्मी को भी धन्यवाद् देना चाहता हूं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर भी इस महामारी से सबको बचाने में लगे हुए है, पर लोग सही तरह से साथ नहीं दे रहे है, जिसका दुःख है. इन सब में सभी नागरिकों को घर में रहने की अपील बार-बार करता हूं, ताकि इस बीमारी को जल्दी से काबू में कर लिया जाए.

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बिंदास और खुश रहने वाले जैकी हमेशा किसी भी नए कलाकार, निर्माता, निर्देशक के साथ काम करने से मना नहीं करते. ऐसा वे उन्हें आगे बढ़ने के लिए करते है, जिसकी वजह से उनकी साख अभी भी इंडस्ट्री में जमी हुई है. फिटनेस के लिए जैकी हमेशा वर्कआउट, योगा और संतुलित भोजन लेते है.

Death Anniversary: सिर्फ 1 साल में ही सुपर स्टार बन गई थीं दिव्या भारती, 19 की उम्र में हुई मौत

एक ऐसी खूबसूरत अभिनेत्री जिसनें बहुत कम उम्र में आसमान की ऊंचाइयों को छू लिया, जिसकी खूबसूरती और  मासूमियत के लोग कायल थे. जिसकी एक फिल्म लाखों-करोड़ों की कमाई करती थी, बहुत कम उम्र में वो इस दुनिया को छोड़ कर चली गई. उसकी इस रहस्यमयी मौत का आज तक खुलासा नहीं हुआ. कौन थी वो? आइए जानते हैं.

मीना कुमारी से लेकर आलिया भट्ट जैसी कई अभिनेत्रियां हैं जिसकी मासूमियत और खूबसूरती के लोग कायल हैं. जिन्होंनें अपने अभिनय से फिल्मों में अपना मुकाम बनाया है. ऐसी ही एक अभिनेत्री थीं दिव्या भारती. जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में उन बुलंदियों को छुआ,जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं.

दिव्या भारती का जन्म 25 फरवरी 1974 में हुआ था. दिव्या का बचपन मुंबई में बीता. पिता ओमप्रकाश भारती बीमा अधिकारी थें. ओमप्रकाश और मां मीता भारती की संतानों में दिव्या सबसे बड़ी थीं. दिव्या की शिक्षा मानेकजी कॉपर हाई स्कूल में हुई. दिव्या ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 90 के दशक से की थी.

 

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#dawood_bollywood_fan Film__#vishwatma ? Music__#VijuShah ?? Song__”Aankhon Mein Hai Kya” ? Singers__#UditNarayan ? #mohamadaziz ? #AlkaYagnik ? #sadnasargam ? . . ویشواتما فیلم (جهان ) محصول سال ۱۹۹۲ و به کارگردانی راجیو رای است. در این فیلم بازیگرانی همچون نصیرالدین شاه، سانی دئول، چانکی پاندی، سونام، دیویا بهرتی، آمریش پوری، راضا مراد، آلوک نات، گلشن گروور، دالیپ تاهیل، شارات ساکسنا، کیران کومار ایفای نقش کرده‌اند. تاریخ اکران: ۲۴ ژانویهٔ ۱۹۹۲ کارگردان: راجیو رای بازیگران #نصیرالدین_شاه #سانی_دئول #چانکی_پاندی #سونام #دیویا_بهرتی #آمریش پوری خوانندها _#اودیت_نارایان#محمد_عزیز #الکا_یاگنیک #صدنا_سرگم ? آهنگ‌ساز____#ویجو_شاه ?? . Directed by Rajiv Rai Produced by Gulshan Rai Starring #SunnyDeol #NaseeruddinShah #ChunkyPandey #Sonam #DivyaBharti Jyotsna Singh Amrish Puri Narrated by Naseeruddin Shah Music by Viju Shah Cinematography Romesh Bhalla Edited by Naresh Malhotra Distributed by Trimurti Films Release date 24 January 1992 . . . . #بالیوود#بالوودیها #بالیوودی #بالیووداستار #بالیوود#بالیوود_نوستالژی #بالوود_ایران #بالیوود_پارس

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उनकी पहली फिल्म “बोब्बिली राजा” एक तेलुगु फिल्म थी जो सन् 1990 में आयी थी. वैसे तो दिव्या भारती ने कई फिल्में की जैसे- दुश्मन ज़माना,अंधा इंसाफ, क्षत्रिय, गीत, दिल ही तो है, शोला और शबनम, बलवान ,रंग, शतरंज, लेकिन भारती को सफलता और पहचान फिल्म विश्वात्मा से मिली जब “सात समुंदर पार” गाना आया.

एक गाने ने किया पौपुलर…

इस गाने से भारती इतनी फेमस हो गई कि हर किसी के जुंबा पर दिव्या भारती का नाम था. इसके बाद तो जैसे उनके सामने फिल्मों की कतार लग गई और कई फिल्म प्रोड्यूसर और डॉयरेक्टर उनको अपनी फिल्म में लेने के लिए उत्सुक रहते थें. दिव्या भारती इतने इमोशन के साथ अभिनय करती थीं कि लोग भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते थें. दिव्या भारती की वो अदा वो मासूमियत सभी के दिल को छू जाती थी. 1992 में बनी प्रेम प्रसंग पर आधारित फिल्म दिवाना में दिव्या भारती के अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेत्री का पुरस्कार मिला.

बड़े स्टार्स के साथ किया काम…

दिव्या भारती ने ऋषी कपूर, जैकी श्रॉफ, शाहरुख खान जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया है. उन्होंने अपने अभिनय से बॉलीवुड के क्षेत्र में एक अलग और सफल मुकाम हासिल किया था. दिव्या भारती के कुछ गाने जो काफी सफल रहें और लोग उन गानों को आज भी पसंद करते हैं जैसे- “तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं”,“सोचेंगे तुम्हें प्यार करके नहीं”, “सात समुंदर पार”, “तेरी इस अदा पे सनम”. इन गानों ने सबके दिलों में अपनी जगह बना ली.

ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त बॉलीवुड की कई अभिनेत्रियां दिव्या भारती की सफलता से जलने लगी थीं , क्योंकि बहुत कम उम्र में दिव्या भारती उस मुकाम पर पहुंच गई थीं जहां वो अभिनेत्रियां नहीं पहुंच पाई थीं. तभी एक दिन अचानक स्तब्ध कर देने वाली खबर सामने आई और वो खबर थी दिव्या भारती की मौत.

कम उम्र में ही हो गई मौत…

दिव्या वर्सोवा,अंधेरी वेस्ट मुंबई के तुलसी अपार्टमेंट की पांचवी मंज़िल से रात करीब साढ़े ग्यारह बजे गिरीं थीं. इलाज के दौरान उन्होंनें दम तोड़ दिया था और 5 अप्रैल 1993 में मात्र 19 साल की उम्र में दिव्या भारती इस दुनिया से रुख्सत हो गईं.

दिव्या भारती की मौत आज भी एक रहस्य है.लोग ऐसा भी कहते हैं कि उनकी मौत का कारण कहीं न कहीं उनका इतनी कम्र में सफल होना है,शायद वो किसी की साज़िश का शिकार हुईं थीं. यह बात आज भी किसी को नहीं पता की दिव्या भारती ने सुसाइड किया था या उनकी हत्या की गई थी,लेकिन आज भी दिव्या भारती हर किसी के दिल पर राज करती हैं लोग उनके गाने सुनकर उनके दिवाने हो जाते हैं.

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झाइयां को हटाने का कोई उपाय बताएं?

सवाल-

मेरी आयु 30 साल है. मेरे माथे के दोनों तरफ झांइयां हैं. कृपया उन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

चेहरे की झांइयों को दूर करने के लिए बेसन उपयोगी होता है. 1/2 चम्मच नीबू रस, 1/2 चम्मच हलदी और 2 चम्मच बेसन को अच्छी तरह मिला कर पेस्ट बना लें. फिर इसे दिन में 1 बार चेहरे पर नियमित लगाएं. झांइयां समाप्त हो जाएंगी.

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आजकल गर्ल्स अपने हेयर और स्किन प्रौब्लम को लेकर परेशान रहती है. धूल, बढ़ते प्रदूषण और जहरीले धुएं, सूर्य की अल्ट्रावौयलेट किरणों की वजह से हमारी स्किन ड्राई हो जाती है, साथ ही चेहरे की चमक भी खत्म हो जाती है. वहीं ज्यादातर लोगों को बालों में डैंड्रफ की प्रौब्लम भी हो जाती है. ऐसे में एलोवेरा इन सभी प्रौब्लम्स के लिए बेस्ट औप्शन है. आइये, जानते हैं एलोवेरा का इस्तेमाल करके हम कैसे अपनी स्किन को सुंदर बना सकते हैं.

  1. ड्राई स्किन

औयली स्किन से ज्यादा नाजुक ड्राई स्किन होती है. अगर आप समय पर स्किन की देखभाल नहीं करेंगी तो चेहरे पर झुर्रियां, झाइयां बारीक लाइन्स और रैशेज होने लगते हैं. ऐसे में आप एलोवेरा का इस्तेमाल करके अपनी ड्राई स्किन से छुटकारा पा सकती है.

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जिंदगी-एक पहेली: भाग-11

देहारादून पहुँचते ही अविरल ने सारी बात दीप्ति को बताई लेकिन दीप्ति की बातों से उसे लगा कि शायद दीप्ति को यह अच्छा नहीं लगा था. शायद इसका एक कारण यह भी था की अविरल ने उससे बातों बातों में अपने अतीत की सारी बातें हरिद्वार जाने से पहले ही बता दी थी. दीप्ति को धीरे- धीरे अविरल के अतीत की सारी बातों का पता चलता गया जैसे उसका 111th में दो बार फ़ेल होना और उसका आसू जैसे लड़को से दोस्ती होना. वो उसे एक बिगड़ैल लड़का समझने लगी थी.

अविरल का निधि के बारे बात करने पर जब दीप्ति कुछ नहीं बोली तब अविरल ने दीप्ति से पूंछा “भाभी कोई दिक्कत है क्या”?

तो दीप्ति ने कहा,” तुम्हारी हाइट निधि से कम है तो शायद तुम्हारी शादी न हो पाये. लेकिन कोई बात नहीं, तुम पहले कुछ बन जाओ फिर मैं सबको समझाने कि कोशिश करूंगी”.

अब अविरल का रिज़ल्ट आ चुका था. जैसे ही उसने रिज़ल्ट देखा वह बहुत दुखी हुआ. उसके 88% मार्क्स ही आ पाये थे. हालांकि घर में सभी लोग बहुत खुश थे.लेकिन  अविरल के दिमाग में सिर्फ अनु की  बात ही घूम रही थी कि “भैया तुम्हें मुझसे ज्यादा नंबर लाने हैं”. सभी ने अविरल को समझाया कि तुम प्राइवेट exam देकर  इतने नंबर लाये हो…….. ये 96% से कम नहीं हैं. तब जाकर अविरल को थोड़ा संतोष हुआ और उसने तुरंत जाकर सारी बात डायरी में लिखी और अनु से माफी मांगी.

अविरल ने फिर रेनु को फोन किया तो निधि ने ही फोन उठाया. क्योंकि निधि की फॅमिली अभी रेनु के घर पर ही थी. अविरल और निधि ने एक-दूसरे को अपना रिज़ल्ट बताया तो दोनों बहुत खुश हुए.

अचानक अविरल ने निधि से बोला “तुम्हें रेनु ने कुछ बताया है?”

थोड़ी देर निधि शांत रही और फिर रेनु को फोन देकर चली गयी. रेनु ने अविरल से बोला कि “मैंने निधि को बता दिया है लेकिन तुम पढ़ाई पे ध्यान दो, निधि की भी यही शर्त है.

अविरल खुश भी हुआ और दुखी भी. खुश इसलिए की उसे मेरे दिल की बात  पता होने के बाद भी निधि ने उससे बात की और दुखी इसलिए कि निधि ने भी उसके आगे शर्त रख दी थी.  जबकि अविरल का मानना था कि प्यार निस्वार्थ होता है, इसमें कोई शर्त नहीं होती….

कुछ दिनो बाद अविरल ने इंजीन्यरिंग के entrance  कि तैयारी के लिए अपने पापा से दिल्ली जाने को बोला, तो उसके पापा उसे  दिल्ली भेजने के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि  वह अनु को भेजने के बाद काफी डर गए थे. लेकिन अविरल ने तो दिल्ली से ही कोचिंग करने की  जिद पकड़ रखी थी. अविरल को लगता था कि दीप्ति भाभी कि वजह से कभी-कभार निधि भी दिल्ली आएगी तो वह उससे मिल लेगा.

अविरल के लिए अब उसकी मौसी लोगों की  निगाहें बदल चुकी थी क्योंकि  बीते सालों में अविरल ने उनकी एक भी नहीं सुनी थी और अविरल ने अपने अतीत की जो- जो बातें दीप्ति को बताई थी वह दीप्ति ने कार्तिक और अविरल की मौसी को बता दी थी.

अब सभी की निगाहों में एक धारणा बन गई कि अविरल एक बिगड़ा हुआ लड़का है और किसी तरह नकल करके 111th में मार्क्स ले आया है.

बहुत जिद करने से अविरल के पापा दिल्ली भेजने को तैयार हो गए. उन्होने अविरल को नया मोबाइल दिलाया. अविरल हॉस्टल में रहने लगा. कुछ दिनों बाद अविरल ने रेनु  से निधि का फोन नंबर मांगा तो रेनु  ने उसे बताया कि निधि लोग बहुत गरीब हैं. उनके पास फोन नहीं है, निधि कि फीस भी रेनु  के पापा देते हैं. अविरल को बहुत दुख हुआ.

अब अविरल की मोहब्बत निधि के लिए  दिन पर दिन  बढ़ती ही जा रही थी. वह अपनी हाइट बढ़ाने के लिए घंटों एक्सरसाइस करता और वादा पूरा करने के लिए रात दिन पढ़ाई.

तभी अविरल कि मौसी के यहाँ एक फंकशन हुआ जिसमे निधि को आना था. अविरल ने रेनु को फोन पर बताया कि वह निधि को एक गिफ्ट देना चाहता है तो रेनु ने बोला,” तुम वह मुझे दे देना मैं उसे दे दूँगी”.

फंकशन  का दिन भी आ गया. अविरल का दिल ज़ोर-ज़ोर से धडक रहा था. वह शाम को अपनी मौसी के घर पहुंचा . निधि भी वहाँ थी लेकिन उसने एक बार भी अविरल को नहीं देखा. अविरल समझ रहा था कि वह शरमा रही है. तो वह निधि से बात करने के लिए स्वीट्स के स्टॉल के पास खड़ा हो गया उसे लगा कि हर कोई स्वीट्स लेने तो आता ही है तो निधि भी जरूर आएगी.

अविरल को वहाँ खड़े खड़े 11 घंटे बीत  गए. सभी लोग खाकर चले भी गए लेकिन निधि नहीं आई. अविरल ने दुखी होते हुए रेनु से कहा,” मै निधि के लिए  गिफ्ट लाया हूँ ,please उसे बुला दो. मै उससे मिल भी लूँगा और गिफ्ट भी दे  दूँगा “.लेकिन रेनु ने मना कर दिया  और बोली ,” निधि ने मना कर दिया है”. अविरल को बहुत दुख हुआ. उसने बिना कुछ खाये ही अपना बैग उठाया और हॉस्टल चला गया. फिर काफी समय तक उसकी रेनु से भी कोई बात नहीं हुई.

अविरल काफी समय तक अपनी मौसी के घर भी नहीं गया क्योंकि  जब पार्टी में अविरल आया था तो उसे सभी का व्यवहार अजीब सा लगा था.

कुछ महीनों बाद अविरल मौसी के घर गया तो दीप्ति ने पूंछा,” अविरल अब तुम आते क्यूँ नहीं हो”. तो अविरल ने कहा ,” जब किसी को मेरा यहाँ आना अच्छा नहीं लगता तो किसके लिए आऊँ”.

तब दीप्ति ने बताया कि ‘ अविरल… मैंने तुम्हारी बात निधि से की थी तो निधि ने कहा कि दीदी ऐसा कुछ नहीं है, अविरल मुझे बदनाम कर रहा है”.

अविरल को भी कुछ समझ नहीं आया कि निधि ने ऐसा क्यूँ कहा.

अविरल ने रेनु को फोन किया और उससे इस बारे में बात कि तो रेनु ने बताया कि वह तुमसे प्यार नहीं करती. इसलिए उसने ऐसा कहा है.

अविरल अब निधि से बात करना चाहता था लेकिन रेनु ने साफ मना कर दिया और बोला कि निधि ने कहा है कि अगर अविरल नहीं माना तो उसके पापा से शिकायत करूंगी.

अविरल बहुत दुखी रहने लगा. लेकिन रेनु उसे दिन में 11-3 बार कॉल करती और उसे समझाती लेकिन अविरल कि मोहब्बत तो हर समय निधि का ही नाम लेती. कुछ समय बाद रेनु दिल्ली आई तो अविरल भी उससे बात करने मौसी के घर आ गया. दोनों देर रात तक बात करते रहे. बातों ही बातों में अविरल को पता चला कि निधि रेनु के घर आई हुई है. तुरंत अविरल के दिमाग में निधि से बात करने का तरीका सूझा. उसने बात ही बात में यह भी जान  लिया कि किस समय घर में सबसे कम लोग होंगे जिससे कि निधि की फोन उठाने की उम्मीद बढ़ जाए.

अगले दिन उसी समय अविरल ने फोन किया तो किसी लड़की ने फोन उठाया. अविरल तुरंत पहचान गया कि फोन पर निधि है. वह तुरंत बोला “निधि फोन मत काटना बस 10 मिनट मुझसे बात कर लो”. तो निधि बोली ,”अरे अविरल मैं तो तुम्हारे ही फोन का इंतज़ार कर रही थी. मुझे पता था कि तुम जरूर फोन करोगे”.

अविरल ने निधि से दीप्ति वाली बात पूंछी तो निधि बोली कि “दीप्ति दीदी ने मुझसे बोला कि अविरल बोल रहा है कि निधि मुझसे प्यार करती है और शादी करना चाहती है तो मैंने गुस्से में बोल दिया और तुम्हें जो बोलना था मुझसे बोलते, दीदी से क्यूँ बोला”

अविरल ने  निधि को बताया कि “मैंने सिर्फ बोला था कि भाभी मैं निधि से शादी करना चाहता हूँ.”

निधि और अविरल दोनों को समझ नहीं आया कि दीप्ति ने ऐसा क्यूँ किया. तभी घर में किसी के आने कि आहट हुई और निधि ने फोन काट दिया.

अविरल को दीप्ति और रेनु पे शक हुआ कि वह जान बूझकर हमें अलग करना चाहतीं हैं.

अगले भाग में हम जानेंगे कि रेनु और दीप्ति ने ऐसा क्यों किया ?क्यों वो अविरल और निधि के मिलने से पहले ही उन्हे अलग करने कि कोशिश करने लगी .

महायोग: धारावाहिक उपन्यास, भाग-9

‘‘जी, कहिए न डाक्टर साहब,’’ कामिनी ने कहा तो पर उस के भीतर कुछ उथलपुथल होने लगी.

‘‘समझ में नहीं आ रहा है कि आप से कैसे कहूं, बात यह है कि औपरेशन के दौरान यशेंदुजी की दाहिनी टांग काट देनी पड़ी थी. मिसेज कामिनी, आप को ही संभालना है सबकुछ.’’

कामिनी को एकाएक चक्कर आने लगे और वह धम्म से सोफे पर बैठ गई. कामिनी के कंधे पर हाथ रख कर उन्होंने कहा, ‘‘प्लीज, आप जरा संभलें, देखिए, मांजी आ रही हैं.’’

कामिनी तो मानो कुछ सुन ही नहीं पा रही थी. उस का मस्तिष्क घूम रहा था. उसे समझ नहीं आ रहा था, आखिर हो क्या रहा है. उस की आंखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी और वह महसूस करने लगी मानो स्वयं अपंग हो गई है. उसे अपने सामने यश का एक टांगविहीन शरीर दृष्टिगोचर होने लगा. डाक्टर तब तक कामिनी को सांत्वना दे ही रहे थे कि धीरेधीरे डग भरती हुई मांजी वापस आ गईं.

‘‘फिक्र मत कर बहू. मैं देख कर आई हूं यश को. जल्दी ही वह ठीक हो कर घर आ जाएगा,’’ मांजी ने कामिनी को सांत्वना देने का प्रयास किया. वे यश को लेटे हुए देख कर आई थीं और पुत्रमुख देख कर उन्हें थोड़ी तसल्ली सी हुई थी.

क्या बताती कामिनी उन्हें? वह कुछ भी बताने या कहनेसुनने की स्थिति में नहीं थी. सो, टुकुरटुकुर सास का मुंह देखती रही. मांजी स्वयं ही बोलीं, ‘‘कामिनी बेटा, ड्राइवर को फोन कर दो. आ कर मुझे ले जाए. घर जा कर देखती हूं, दिया का क्या हाल है? फिर आती हूं,’’ उन के कंपकंपाते शरीर को देख कर कामिनी ने अपने आंसू पोंछ डाले.

मां के जाने के बाद कामिनी अकेली रह गई. कैसे पूरी परिस्थिति का सामना कर पाएगी वह? मांजी के साथ ही दिया, दीप, स्वदीप सब को संभालना…कैसे…?

‘‘मैडम, कौफी,’’ कामिनी ने देखा कि एक वार्ड बौय कौफी ले कर खड़ा था.

‘‘नहीं, मैं ने कौफी नहीं मंगवाई.’’

‘‘मैं ने मंगवाई है, मिसेज कामिनी, थोड़ा सा खाली हुआ तो सोचा कौफी पी ली जाए,’’ डा. जोशी उस के पास तब तक आ चुके थे.

‘‘डाक्टर साहब, मुझे जरूरत नहीं है, थैंक्स,’’ कामिनी ने संकोच से कहा और अपनी आंखों के आंसू पोंछ डाले.

‘‘कोई बात नहीं. बहुत से काम कभी बिना जरूरत के भी करने पड़ते हैं,’’ डाक्टर ने वातावरण सहज बनाने का प्रयास किया.

कामिनी ने बिना किसी नानुकुर के कौफी का मग हाथ में तो पकड़ लिया.

‘‘देखिए मिसेज कामिनी, स्वस्थ तो आप को रहना ही पड़ेगा. इस समय स्थिति ऐसी है कि अगर आप स्वस्थ नहीं रह पाईं तो आप का पूरा परिवार अस्तव्यस्त हो जाएगा. मैं अभी देख कर आ रहा हूं और यशेंदुजी की स्थिति से लगता है उन्हें एकाध घंटे में होश आ जाना चाहिए. आप उन से मिल कर घर चली जाइए. हम आप को इन्फौर्म करते रहेंगे. उन्हें आईसीयू से प्राइवेट रूम में शिफ्ट करना है. उन की टांग का फिर औपरेशन करना होगा और लगभग 2-3 महीने बाद उन की आर्टिफिशियल टांग लगेगी. लेकिन इस बीच उन की पूरी सारसंभाल की जरूरत है. इस सब के लिए आप को मजबूत होना ही होगा. यू हैव टू बी ब्रेव, मिसेज कामिनी,’’ डा. जोशी सोफे से उठ खड़े हुए.

‘‘कामिनी मुंहबाए उन्हें जाते हुए देखती रही.

लगभग 2 घंटे बाद यश को होश आया. नर्स ने आ कर बताया. डाक्टर की स्वीकृति से कामिनी पति को देखने अंदर गई. यश उसे देख कर हलका सा मुसकराए, टूटेफूटे शब्दों में बोले, ‘‘मैं ठीक हो जाऊंगा कामिनी, चिंता मत करो.’’

कामिनी आंसुओं को संभालती हुई यश के बैड के पास पड़ी कुरसी पर बैठ गई और उस का हाथ अपने हाथ में ले कर सहलाने लगी. यश अभी गफलत में थे. कभी आंखें खुलतीं, कभी बंद होतीं. आंखें खुलने पर कामिनी को देख कर मुसकराहट उन क मुख पर फैल जाती, फिर तुरंत ही आंखें मुंद जातीं. दवाओं का बहुत गहरा प्रभाव था यश पर. कामिनी ने सोचा, अभी यहां उस का कोई काम नहीं है. घर भी देख आए जरा. तभी एक काली बिल्ली कामिनी का रास्ता काट गई. कामिनी का दिल धकधक करने लगा. क्षणभर को तो वह ठिठक गई क्योंकि मांजी साथ होतीं तो कलेश खड़ा कर देतीं.

आटो रिकशा में बैठ कर वह फिर अपने अतीत में खोने लगी. उस के पिता ने श्राद्ध के दिनों में गौना करवाया था. नए विचारों के पिता इन सब अंधविश्वासों में कहीं से भी फंसना नहीं चाहते थे. उन के नातेरिश्तेदारों, मित्रों ने उन्हें बहुत रोकाटोका. पर वे मानो हिमालय की भांति अडिग रहे. सोने पर सुहागा यह रहा कि कामिनी के नाना स्वयं इन्हीं विचारों के थे. कामिनी ने अपने पिता के घर में जो सहजता व सरलता का जीवन जीया था, जो रिश्तों के जुड़ाव देखे थे, जिस शालीनता के साथ स्वतंत्रता की अनुभूति की थी और जिन संबंधों की समीपता के आंतरिक एहसास के उजाले में वह बचपन से युवा हुई थी, उन से ही उस के व्यक्तित्व का विकास हुआ था.

दिया ने शायद कामिनी को अंदर से ही देख लिया था. वह दौड़ कर बरामदे में आ गई, ‘‘मां, पापा कैसे हैं अब?’’ वह बहुत घबराई हुई थी.

कामिनी ने दिया को अपने से चिपटा लिया, ‘‘अच्छे हैं बेटा, ही इज बैटर. अच्छा, भाइयों को फोन किया या नहीं?’’

‘‘जी मां, दोनों भाई रात को पहुंच जाएंगे. मां, मैं पापा से मिलना चाहती हूं,’’ बिना रुके दिया बोले जा रही थी.

‘‘हां, पापा होश में आ गए हैं. तुम मिल आना पापा से,’’ कामिनी बोली.

घर में बने मंदिर से पंडितों की जोरदार आवाजें आ रही थीं. कोई पाठ कर रहे थे शायद. मां भी जरूर वहीं बैठी होंगी. कितनेकितने भय बैठा कर रखता है आदमी अपने भीतर. बीमारी का भय, लुटने का भय, चोरी का भय, दुर्घटना का भय, चरित्र खो जाने का भय…बस हम केवल भय ही ओढ़तेबिछाते रहते हैं जीवनभर. क्यों? इस समय पाठ करते हुए स्वर उसे बेचैन कर रहे थे. मांजी की हिदायत उस ने बरामदे में माली से ही सुन ली थी. ‘‘मेमसाब, माताजी ने बोला है आप के आते ही सब से पहले आप को मंदिर में भेज दूं. कुछ…क्या बोलते हैं उसे…कुछ संकल्प करवाना है आप से.’’

परंतु कामिनी ने मानो कुछ सुना ही नहीं था. वह अपने मन के हाहाकार को छिपा कर अपने कमरे में जा कर सीधे बाथरूम में घुस कर शावर के नीचे पहुंच गई थी. सिर को शावर के नीचे कर के कामिनी ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. उसे तो यह संकल्प लेना था कि अपने टूटते हुए घर की चूलें कैसे कसेगी? उस की दृष्टि में दिया, स्वदीप, दीप व मांजी के चेहरे पानी में उथलपुथल से होने लगे. मानो उस की आंखें कोई गहरा समंदर हों और ये सब खिलौने से बन कर उस समंदर की लहरों के बीच फंस गए हों. कैसे बचाएगी उन्हें गलने से? न जाने कितनी देर वह उसी स्थिति में शौवर के नीचे खड़ी रही थी.

जीवन में बाधाएं तो आती ही हैं. जीवन कभी सपाट, सरपट, चिकनी सड़क सा नहीं होता. उस में बड़ी ऊबड़खाबड़ जमीन, नीचीऊंची सतह, कंकड़पत्थर और यहां तक कि छोटीबड़ी पहाडि़यां और बड़े पर्वत भी होते हैं जिन्हें मनुष्य को बड़े संयम और तदबीर से पार करना होता है. ये सब प्रत्येक के जीवन में आते हैं, इन से ही मनुष्य अनुभव बटोरता है, सीखता है. आगे बढ़ने के लिए नए मार्गों की खोज करता है. यदि नए मार्ग ढूंढ़ने के स्थान पर वह एक स्थान पर बैठा सबकुछ पाने की प्रतीक्षा करता रहे तो एक क्या, कई जन्मों तक उसी स्थिति में बैठा रहने पर भी उसे कुछ नहीं मिलता. लेकिन यहां तो कहानी ही अलग थी. यश के परिवार में बात कुछ इस प्रकार बन गई है कि ‘आ बैल मुझे मार.’ अरे, जब आप किसी के बारे में कुछ अधिक जानते नहीं, उसे पहचानते नहीं तो केवल जन्मपत्री के मेल से कैसे अपने जिगर के टुकड़े को किसी को सौंप सकते हैं? यह बात नहीं है कि पहचान होने से रिश्तों में कड़वाहट पैदा नहीं होती परंतु बुद्धिमत्ता तो इसी में है न, कि सही ढंग से जांचपड़ताल कर के बच्ची को सुरक्षित हाथों में सौंपा जाए, न कि अनाड़ी लोगों के द्वारा बनाए गए ग्रहों के मिलाप को ही सर्वोपरि मान लिया जाए.

कामिनी के जीवन का मार्ग और भी कठिन होता जा रहा था. अब उसे किसी न किसी प्रकार अपने हिसाब से जीना होगा. दिया का विवाह तो बहुत बड़ी त्रुटि हो ही चुकी थी. भारतीय समाज, मान्यताओं व परंपराओं के अनुसार, मांजी की यह बात उस के मस्तिष्क में नहीं उतरती थी कि वह दिया को अपने हाल पर छोड़ दे. मां थी आखिर… कुछ तो निर्णय लेना ही होगा. यश पिता हैं, उन्होंने कदम उठाना चाहा तो परिस्थिति गड़बड़ा गई. इसी उलझन में उलझ कर यश इस स्थिति में पहुंच गए और सारा बोझ कामिनी के कंधों पर आ गया. कामिनी पसोपेश में आ गई थी पति की अवस्था और बिटिया के बारे में सोच कर.दीप और स्वदीप उसी दिन पहुंच गए थे और जिद कर के वे दोनों रात में ही अस्पताल पहुंच गए थे. रात भर करवटें बदलते हुए कामिनी कभी पति और कभी बेटी के बारे में सोचती रही. उस के समक्ष कितने ही घुमावदार, टेढ़ेमेढ़े रास्ते थे और किस समय, कैसे, कब, उन पर चलना था, वह नहीं जानती थी.

जैसेतैसे रात बीती. पौ फटी. उस ने दिया की ओर देखा. मासूम दिया उस के पास सोई थी. रात में बहुत देर तक वह पापा के पास रही थी, दीप उसे घर छोड़ गया तब उस ने बड़ी कठिनाई से कामिनी के जिद करने पर दोचार कौर मुंह में डाल लिए और सोने का बहाना कर के बिना कपड़े बदले ही मां के पलंग पर लेट गई थी. आंसुओं की लकीरें उस के गालों पर निशान बना गई थीं. मांजी को भी बड़ी मुश्किल से मना कर लाई थी कामिनी. दो कौर पानी के सहारे गले में उतार कर वे अपने कमरे में कैद हो गई थीं. दिया ने उन की नौकरानी को विशेष हिदायत दी थी उन की दवाओं आदि के बारे में. वैसे भी वह नौकरानी उन के कमरे में ही सोती थी, इसलिए सब जानती थी. घर में जैसे एक सूनापन पसर गया था. बदन टूट रहा था फिर भी कामिनी बिस्तर पर लेट नहीं पाई.

घर के महाराज और नौकर को बता कर बिना मां व दिया से कुछ कहेसुने, कामिनी घर से निकल आई थी.

#lockdown: फैमिली को परोसें बेसन वाला करेला

करेला हर किसी को पसंद नही आता, लेकिन उसे अगर टेस्टी तरीके से और रेसिपी को थोड़ा चेंज करके बनाया जाए तो करेला सभी का फेवरेट हो सकता. इसीलिए आज हम आपको नए तरीके से करेला बनाना सिखाएंगे जिसे खाने के बाद करेला आप के घरवालों की फेवरेट सब्जी बन जाएगी.

हमें चाहिए

250 ग्राम करेला

2 बड़े चम्मच बेसन

1 कप लच्छों में कटा प्याज

1 छोटा चम्मच सरसों

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2-3 साबूत लालमिर्च

1 छोटा चम्मच गरममसाला

1 छोटा चम्मच हल्दी

1 छोटा चम्मच लालमिर्च कुटी

थोड़ा सा तेल तलने के लिए

1-2 हरीमिर्चें

1 टमाटर

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

करेलों को धो कर और छील कर लंबाई में टुकड़े कर लें. एक पैन में पानी डाल उस में थोड़ा सा नमक व हलदी डाल कर करेलों को भिगो दें.

एक पैन में 2 चम्मच तेल गरम कर सरसों भूनें. फिर बेसन डाल कर सुनहरा होने तक भूनें. प्याज के लच्छे डालें और नर्म होने तक पकाएं. टमाटर के टुकड़े काट कर इस में मिला दें.

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जब टमाटर कुछ गल जाएं तो थोड़ा सा पानी डाल कर कुछ देर के लिए ढक कर पकाएं. एक पैन में तेल गरम कर करेलों को पानी से निकाल कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें.

तले करेलों को बेसन में डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. सारे मसाले मिक्स करें और कुछ देर ढक कर पकाएं और फिर गरमगरम परोसें.

Edited by Rosy

#coronavirus: मास्क को लेकर लोगों में होने वाली गलतफहमियां और उनके उपाय

कोरोना वायरस के इलाज पर रिसर्च जारी है पर जब तक इसका पक्का इलाज नहीं मिलता तब तक इससे बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है.

इस वायरस के  फैलने के बाद से लोगों के बीच जो  सबसे बड़ी  चिंता है वह मास्क पहनने की है. इस वायरस से बचाव के लिए मास्क बहुत असरदार होता है लेकिन मास्क  को लेकर लोगों में बहुत सी गलतफहमियां है. कौन सा मास्क use करें ,उसे  कब लगाये , कैसे लगाएं और इसे पहनने का क्या सही तरीका है?

आइये जानते है-

1-     कोरोना वायरस से बचाव में मास्क कितना जरूरी है और  किन-किन लोगों को और कब-कब  मास्क लगाना चाहिए?

लोगों में एक प्रकार का फोबिया या  एक प्रकार की सोच  बनी है की  मास्क तो पहनने ही है. उसके लिए लोग मार्केट में मास्क  खरीदने जा रहे हैं. यहां तक कि कुछ शॉप्स वाले मास्क ब्लैक में बेच रहे हैं और लोग  महंगे दामों पर खरीद भी रहे हैं.

इस बारे में सर गंगा राम हॉस्पिटल के वाइस चेयरमैन  डॉक्टर एस. पी ब्योत्रा का कहना है की मास्क इतना इंपोर्टेंट नहीं है कि आप सोते- बैठते, खाते-पीते हमेशा मास्क लगाये रहे. कुछ लोग जो घर में हैं  वो  भी मास्क लगाकर ही बैठे हैं. इसकी इतनी जरूरत नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस की एक खासियत है कि यह हवा में नहीं पनपता.

यह तब  फैलता है जब कोई पेशेंट खांसता  है. जब कोई पेशेंट खांसता  है तो उसके मुंह से छोटे- छोटे से पानी के droplets निकलते है .ये 3 मीटर की दूरी पर सामने खड़े इंसान को लग सकते हैं.

इसलिए इस बात का ध्यान रखे की-

1-अगर आप  किसी ऐसे पेशेंट के साथ खड़े हैं जो  खांस  रहा है तब उसके लिए आप मास्क यूज कर सकते हैं.

2-उन लोगों के लिए भी जिनको जुखाम या खांसी है, वह लोग भी बात करने के दौरान मास्क का यूज करें क्योंकि जब हम मास्क पहन के छीकेंगे या खासेंगे तो हमारे मुंह से निकलने वाले droplets मास्क में रुक जायेंगे और सामने  वाला सुरक्षित रहेगा.

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3- आप अगर किसी ऐसे पेशेंट की तीमारदारी कर रहे हैं जिसको खांसी या जुखाम है तो आप मास्क पहन ले.

4- किसी ऐसी जगह जाने पर भी मास्क पहने जहाँ  हमें पता  नहीं है कि वहां किस तरह के पेशेंट हैं.

2– कौन -सा मास्क पहनना चाहिए?

मार्केट में बहुत तरह के मास्क आ रहे हैं. लोगों  के दिमाग में एक सोच बस गयी है  कि जो मास्क जितना ज्यादा महंगा होगा वह उतना ही ज्यादा बढ़िया होगा .

लोग सोचते हैं कि N95 मास्क , वह महंगा है तो बढ़िया है …….. इसके लिए एक बात जानना जरूरी है कि इसके लिए सिर्फ N95  मास्क ही use  करें  ऐसा कोई जरूरी नहीं है.

इस वायरस से बचने के लिए आप  नार्मल सर्जिकल मास्क भी use कर सकते है जिसे  ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर्स लोग पहनते हैं.  एक बात हमेशा ध्यान रखें कि अगर हम इन मास्क  को यूज कर रहे हो तो उसका इस्तेमाल सिर्फ 6 से 8 घंटे तक ही करें और उसके बाद उसको हटा दें क्योंकि वह इन्फेक्टेड हो जाता है.अगर lockdown के दौरान आपके पास और मास्क नहीं है तो आप इन्ही को अच्छे से धुल कर सुखा ले और फिर उपयोग में ले आये.

3-मास्क को इस तरह से करें इस्तेमाल और इस तरह फेंके-

– मास्क पहनने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइजर (Alcohol-based Sanitizer) या साबुन और पानी से धोएं

-एक चीज़ का ध्यान रखे अगर आप मास्क  यूज कर रहे हैं तो इसे टच नहीं करना है और अगर टच हो गया है तो अपने हाथों को अच्छे से sanatize कर ले या धो ले.

– इस बात का पूरा ध्यान रखें कि मास्क को नाक से लेकर पूरा चिन तक कवर करें. क्योंकि जो हमारे यह एरिया होते हैं जैसे मुंह और नाक जब हम कभी खांसते  हैं या छीकते हैं तो जो ड्रॉपलेट्स होते हैं वह इसी के थ्रू जाते हैं.

– जब आप मास्क का इस्तेमाल कर रहे हों तो मास्क के ऊपरी हिस्से को न छुएं

– जैसे ही कोई मास्क खराब हो, उसे तुरंत बदल दें

-मास्क को बिना ऊपर से पकड़े उतारें

-मास्क को use करने के बाद इसको टेबल पर या घर में कहीं भी hang  करके ना रखे.

– इसे एक बंद कूड़ेदान में डालें और उसके तुरंत बाद हाथ धोएं.

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जानें कहीं Bullying का शिकार तो नहीं आपका बच्चा

आर्यन दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ता है. पढ़ाई में भी अच्छा है और व्यवहारकुशल भी है. हमेशा स्कूल खुशीखुशी जाता था. मगर अचानक स्कूल जाने से कतराने लगा. कभी सिरदर्द का बहाना बनाने लगा तो कभी बुखार होने का. 2 दिन से आर्यन फिर स्कूल नहीं जा रहा था. कारण था वह जब स्कूल में रेस प्रतियोगिता में फर्स्ट आने ही वाला था कि तभी उसी की क्लास के एक बच्चे ने टंगड़ी मार कर उसे गिरा दिया, जिस से उस के दोनों घुटने बुरी तरह छिल गए. आर्यन की मां रूपा कहती हैं कि पता नहीं स्कूल में बच्चे आर्यन को क्यों तंग करते हैं.

इसी तरह मोनिका कहती हैं कि उन्हें काफी समय तक पता ही नहीं चला कि उन की बेटी वंशिका स्कूल में टिफिन नहीं खा पाती है. उसी की क्लास का एक बच्चा उस का टिफिन चुपके से खा लेता. आर्यन और वंशिका की तरह और न जाने कितने बच्चे स्कूल में अपने साथी बच्चों द्वारा प्रताडि़त होते होंगे. कोलकाता में तो एक 9 वर्ष की बच्ची को उस की सीनियर्स ने बाथरूम में ही बंद कर दिया और वहीं उस की मृत्यु हो गई. ऐसी घटनाएं लगभग सभी स्कूलों में घटती हैं. कहींकहीं ये बोलचाल के जरीए या फिर हाथपैर चला कर शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखने को मिलती हैं. रूपा और मोनिका की तरह हर बच्चे की मां की दिनचर्या बच्चे को समय से उठाने, तैयार करने, बैग, टिफिन, पानी की बोतल थमाने व स्कूल बस में चढ़ाने और फिर दोपहर को घर लाने तक ही सीमित होती है. पर क्या आप ने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि खुशीखुशी स्कूल जाने वाला आप का बेटा या बेटी अचानक पेट दर्द, सिरदर्द आदि बहाना कर स्कूल जाने से कतराने लगी है. ऐसा है तो आप सतर्क हो जाएं. हो सकता है कि आप का बेटा या बेटी स्कूल में बुलिंग की शिकार हो रही हो यानी कोई बच्चा अपनी बात मनवाने या फिर वैसे ही मजा लेने के लिए बेवजह उसे तंग कर रहा हो. यानी वह बुली हो सकता है.

कौन होते बुलीज

कैलाश अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक डा. अजय डोगरा कहते हैं कि अकसर देखने में आता है कि बुली बच्चे डौमिनेटिंग होते हैं. ये शारीरिक रूप से शक्तिशाली भी होते हैं. ऐसे बच्चे अपने दोस्तों, स्कूल के साथियों और छोटे बच्चों के बीच अपनी धाक जमाने के लिए दादागीरी करते हैं. पासपड़ोस और स्कूल में ये लड़ाकू बच्चों के रूप में जाने जाते हैं. ऐसे बच्चे जो स्कूल में दादागीरी करते हैं वे अकेले भी हो सकते हैं और 3-4 के ग्रुप में भी, जिन्हें मिल कर अपने से कमजोर बच्चों को प्रताडि़त करने में खूब मजा आता है.

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बुलिंग के शिकार बच्चों में निम्न लक्षण पाए जाते हैं:

डा. अजय डोगरा कहते हैं कि बुलिंग के शिकार बच्चों को बारबार बुखार आता है. स्कूल जाने से कतराते हैं, पेट दर्द, सिरदर्द का बहाना बनाते हैं. स्कूल जाने के लिए अपना दैनिक कार्य बहुत धीरेधीरे करते हैं ताकि स्कूल बस छूट जाए.

अकसर बिस्तर गीला करने लगते हैं.

हमेशा घबराए घबराए से रहते हैं.

पढ़ाई में थोड़ा कमजोर हो जाते हैं अथवा पढ़ाई में मन नहीं लगता.

इन की दिनचर्या में अचानक परिवर्तन आ जाता है.

अचानक पौकेट मनी की मांग करने लगते हैं.

छोटीछोटी बातों पर रोने लगते हैं और कोशिश करते हैं कि उन की बात मान ली जाए.

उन में आत्मविश्वास की कमी आने लगती है. ज्यादा कुछ होने पर डिप्रैशन में भी चले जाते हैं.

 बातों के अलावा यह भी होता है:

पैंसिल बौक्स में टूटी चीजें मिलें या स्कूल बैग से कभी टिफिन बौक्स, कभी पानी की बोतल, कभी किताबकौपी, पैन आदि का गायब हो जाना.

अकसर शारीरिक चोट खा कर आना.

भारत में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि बुलिंग बहुत ही गंभीर समस्या है. लगभग 500 बच्चों पर एक अध्ययन हुआ जिन की उम्र 8 से 12 वर्ष थी. इस से पता चला कि 31.4% बच्चे या तो बोलचाल से या फिर शारीरिक रूप से चोट पहुंचाने की नीयत से शिकार हुए हैं.

बुलिंग के प्रकार

मानसिक बुलिंग: इस तरह की बुलिंग में दादागीरी दिखाने वाले बच्चे अन्य बच्चों को अपने ग्रुप में शामिल नहीं करते. खाना अपने साथ नहीं खाने देते. खेल में भी अपने साथ शामिल नहीं करते. यहां तक कि कोई अफवाह फैला कर उन्हें मानसिक रूप से तंग करते हैं.

वर्बल (मौखिक) बुलिंग: तरहतरह के नामों से पुकारना या उन के पहनावे, शक्लसूरत आदि की हंसी उड़ाना. किसी जाति विशेष के तौरतरीकों के बारे में व्यंग्य करना, मजाक उड़ाना आदि.

फिजिकल बुलिंग: इस में डांटना, मारना, काटना, चुटकी काटना, बाल खींचना, चोट पहुंचाना और धमकी देना शामिल है.

सैक्सुअल बुलिंग: अनचाहे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, यौन रूप से प्रताडि़त करना अथवा इस तरह का कोई कमैंट पास करना आदि.

साइबर बुलिंग: डा. अजय डोगरा कहते हैं कि आजकल इस तरह की बुलिंग टीनऐजर्स में काफी होने लगी है. इंटरनैट पर बुलिंग की परिभाषा है कि एक ऐसा कार्य जिस में किसी एक टीन या टीनऐजर समूह द्वारा किसी अन्य टीनऐजर को इंटरनैट पर, सोशल साइट्स पर या मोबाइल पर संदेशों अथवा चित्रों द्वारा परेशान और उस की व्यक्तिगत सूचना को सार्वजनिक किया जाता है. इस से पीडि़त टीनऐजर अपनेआप को असहज महसूस करने लगता है, कमजोर समझता है. साइबर बुलिंग में चीन और सिंगापुर के बाद भारत तीसरे नंबर पर है.

अकसर यह माना जाता है कि बुलिंग ज्यादातर लड़के ही करते हैं, परंतु ऐसा नहीं है. देखा गया है कि लड़के और लड़कियां दोनों ही बुली होते हैं. यह अलग बात है कि लड़का और लड़की होने के नाते दोनों के तरीके अलगअलग हों. लड़कियां ज्यादा मनोवैज्ञानिक तरीके से तंग करती हैं जैसे सीट पर साथ न बैठने देना, साथ खाना खाने से मना करना, साथ खेलने न देना या किसी पार्टी में निमंत्रण न देना, जबकि लड़के अधिकतर शारीरिक रूप से तंग करते हैं जैसे धक्का देना, गालीगलौज करना आदि.

मातापिता ऐसे करें सहायता

मनोचिकित्सक डा. अजय डोगरा के अनुसार जब आप का बच्चा बुलिंग का शिकार हो तो आप के लिए भी काउंसलिंग की जरूरत है ताकि आप बच्चे पर नाराज न हों. हालांकि मातापिता भी परेशान हो जाते हैं, पर बच्चे के सामने जाहिर न होने दें. आप का दुख बच्चे को हताश कर सकता है. अत: निम्न बातों को अपनाएं ताकि बच्चा बुलिंग का शिकार होने से बच सके:

अपने बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार करें ताकि आप के और उस के बीच दोस्तों जैसा रिश्ता बन सके. तब वह स्कूल की कोई भी बात कहने से हिचकेगा नहीं. इस तरह उस की प्रत्येक गतिविधि की आप को पूरी जानकारी मिल सकेगी.

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उसे बताएं कि वह बुली से न लड़े. जरूरत हो तो अपने टीचर की सहायता ले.

उसे समझाएं कि वह बहादुरी दिखाए और ऐसे बच्चों की बातों को अनुसनी कर अपने दोस्तों के साथ रहे.

यदि इन तरीके से भी समस्या का समाधान न हो तो बच्चे के साथ स्कूल जा कर प्रिंसिपल या टीचर से चर्चा करें. यदि जरूरी हो तो बुली के मातापिता को स्कूल बुला कर समस्या को हल करें.

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