दिल की कई बीमारियों के इलाज में कारगर है नॉन इनवेसिव प्राकृतिक बाइपास तकनीक

बदलती जीवनशैली के साथ लोग अक्सर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. परिणामस्वरूप पिछले एक दशक में मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच विभिन्न प्रकार की बीमारियां बढ़ गई हैं. डायबीटीज, उच्च रक्तचाप और मोटापा कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाती हैं. पिछले एक दशक में, न सिर्फ इन बीमारियों की संख्या दोगुनी हो गई है बल्कि ये युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही हैं.

1.7 करोड़ के साथ हर साल मरने वालों की लिस्ट में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. लगभग 3.2 करोड़ भारतीय किसी न किसी प्रकार की दिल की बीमारी से परेशान रहते हैं जबकी हर साल इनमें से केवल 1.5 लाख लोग बाइपास सर्जरी करवाते हैं.

साओल हार्ट सेंटर के निदेशक, डॉक्टर बिमल छाजेड़ ने बताया कि, “आज कम उम्र के ज्यादा से ज्यादा लोग दिल की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, जिसका कारण केवल तनाव नहीं है. इसके कई कारण हैं जैसे कि प्रदूषण, धूम्रपान, खराब डाइट, सोने की गलत आदत आदि. भारत के लोगों की ये आदतें उनमें दिल की बीमारी का खतरा बढ़ाती हैं. दरअसल, भारतीयों में दिल की बीमारी का खतरा अन्य देशों की तुलना में ज्यादा होता है. उनमें पेट और पीठ का मोटापा भी एक आम समस्या के रूप में देखा जाता है. यह मोटापा उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ या हार्ट अटैक के करीब लेकर जाता है.”

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दिल की बीमारी के इलाज के लिए अक्सर लोग बाइपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी का विकल्प चुनते हैं लेकिन कई बार ये इलाज में विफल पाए गए हैं. बाइपास के इलाज के बाद व्यक्ति को फिर से बीमारी हो सकती है इसलिए कई मरीजों के लए यह सही विकल्प नहीं है. वहीं नॉन इनवेसिव इलाज जैसे कि एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन (ईसीपी) एक ऐसा विकल्प है जो ऐसे मरीजों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित इलाज है.

डॉक्टर बिमल छाजेड़ ने आगे बताया कि, “ईसीपी, जिसे प्राकृतिक बाइपास तकनीक के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो बाइपास या स्टेम सेल थेरेपी की तरह ही शरीर को नई रक्त वाहिकाओं को बढ़ाने के लिए सक्षम बनाती है. इसकी मदद से मरीज जल्दी और देर तक चल सकते हैं. मरीजों का जीवन बेहतर हो जाता है जबकी टेस्ट की मदद से दिल के स्वास्थ्य का पता चलता रहता है. पारंपरिक सीएबीजी (कोरोनरी आर्टरी बाइपास ग्राफ्टिंग) में ब्रेस्टबोन को 10 इंच लंबे चीरे से अलग किया जाता है. वहीं इसकी तुलना में प्राकृतिक बाइपास तकनीक पूरी तरह नॉन इनवेसिव है, जिसमें मरीज को दर्द न के बराबर होता है और शरीर पर कोई घाव के कोई निशान भी नहीं रहते हैं. इसमें मरीज को किसी प्रकार के संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता और उसे अस्पताल में ज्यादा दिन रहना भी नहीं पड़ता है. इसका फायदा 3 साल से 9 साल तक मिलता है. साओल (साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) पिछले 25 सालों से दिल के मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करता आ रहा है.”

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‘दिया तले अंधेरा’ को सच करती एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री 

धारावाहिक ‘आदत से मजबूर’ टीवी शो के चर्चित स्टार मनमीत ग्रेवाल का सुइसाइड करना और अब ‘क्राइम पेट्रोल’ फेम 25 वर्षीय अभिनेत्री प्रेक्षा मेहता का इंदौर स्थित अपने घर पर आत्महत्या करना,  पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री सदमे में है. 32 साल के मनमीत के सुइसाइड की वजह पैसे की तंगी और बिल का न चुका पाना है. इधर एक्टर आशीष रॉय भी हॉस्पिटल में डायलिसिस के लिए एडमिट हुए और मोनिटरी हेल्प के लिए सोशल मीडिया से सहयोग मांग रहे है, ताकि उनको डिस्चार्ज मिले.

लॉक डाउन का लगातार बढ़ना, आम नागरिकों से लेकर सेलिब्रिटी सभी के लिए काफी संकट भरा होता जा रहा है, यहां तक कि जहां भी थोड़ी सी ढील लॉक डाउन मिल रही है, लोग कोरोना संक्रमण की परवाह किये बिना काम पर जाने के लिए मजबूर है, क्योंकि काम कर पैसे कमाने है, नहीं तो भूखों मरने की हालात पैदा हो रही है. असल में लॉक डाउन की वजह से बहुत सारे लोग आज जॉब लेस हो गए है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की हालत तो और भी गंभीर है. जिन लोगों ने पेंडेमिक से पहले काम किया है, उनके भी पैसे नहीं मिले है. असल में टीवी इंडस्ट्री आम दिनों में पैसे शूटिंग करने के 60 या 90 दिनों बाद देती है. लॉक डाउन की वजह से कुछ प्रोडक्शन हाउस ने पैसे कलाकारों के चुका दिए है, लेकिन कुछ निर्माताओं को बहाने मिल गए है और वे पैसे देने के विषय को टालते जा रहे है. साथ ही कलाकारों को ये भी डर सताने लगा है कि आगे काम मिलने पर भी ऐसे लोग सही पारिश्रमिक देंगे या नहीं. सभी कलाकार समस्या ग्रस्त है. फाइनेंसियल क्राइसिस के बारें में क्या कहते है, ये टीवी सितारें आइये जाने उन्हीं से,

विजयेन्द्र कुमेरिया 

पिछले 2 महीने से कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन चल रहा है, ऐसे में बहुत सारें ऐसे प्रोडक्शन हाउस है जो बकाया राशि देने के बारें में लगातार बहाने बनाते जा रहे है, उनका कहना है कि उनके पास पैसे की सोर्स नहीं है, जबकि पेंडेमिक से काफी पहले कई शो ऑफ एयर हो चुके है, उन्हें उसके पैसे मिल चुके है, पर पेमेंट अभी तक नहीं मिले. जबकि कुछ अच्छे प्रोडक्शन हाउस इस हालात में भी सबके बकाये राशि का भुगतान कर रही है. काम करवाने के बाद नियम से पेमेंट देना बहुत सारे निर्माता नहीं जानते, ऐसे में वहां काम करने वालों के लिए दुःख की बात है. लॉक डाउन ने इंडस्ट्री को बुरी तरह से प्रभावित किया है. चैनल से लेकर स्पॉट बॉय सभी लोग आज पैसे के लिए मोहताज है. कुछ लोग तो इससे निकल जायेंगे, पर डेली वेज वर्कर्स के लिए अपना जीवन गुजरना मुश्किल होगा.

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विकास सेठी  

इस तरह के आपदा के लिए कोई भी तैयार नहीं था, लेकिन इससे हम सबको सीख मिली है कि हमेशा ऐसे हालात से उबरने के लिए तैयार रहना चाहिए. अभी इस समय पैसे आ नहीं रहे है.ऐसे में हमें जरुरत के अलावा किसी भी चीज पर पैसे खर्च करने के बारें में नहीं सोचना चाहिए. हालाँकि कलाकारों को एक अलग तरीके की लाइफस्टाइल मेन्टेन करने की जरुरत होती है, पर अभी उस बारें में न सोचकर जो है उसी में गुजारा करने की आवश्यकता है, क्योंकि फाइनेंसियल क्राइसिस का असर मानसिक अवस्था पड़ता है, ऐसे में अपने आसपास के दोस्त और परिवार के साथ लगातार संपर्क बनाये रखने की जरुरत है.

केतन सिंह 

अभिनेता केतन सिंह का कहना है कि लॉक डाउन और कोरोना वायरस की वजह से इंडस्ट्री की हालत गंभीर हो चुकी है. कुछ निर्माता अपने कास्ट और क्रू को पेमेंट करने के बारें में सोच रहे है, जबकि कुछ नहीं कर रहे है, उन्हें दोषी ठहराना भी ठीक नहीं होगा, क्योंकि उन्हें चैनल ने पैसे नहीं दिए है और वे आगे हमें नहीं दे पा रहे है. मुश्किल घड़ी है, जिससे सभी को मिलकर आगे निकलना है. अभिनेता मनमीत ने बहुत कड़ा कदम उठा लिया है और मैं समझ सकता हूँ कि उसने किस मानसिक दशा में ऐसा कदम उठाने पर विवश हुआ होगा. एक्टर आशीष रॉय भी ऐसा ही कलाकार है, जिसके साथ मैंने कई शो में काम किया है, आज वह भी पैसे के लिए मोहताज है. मेरा सभी से ये कहना है कि इंडस्ट्री के सारे कलाकार जो जितना भी सहायता कर सकते है आशीष के लिए करें. इसके अलावा एसोसिएशन भी आगे आकर उन कलाकारों को सहयोग दे, जो मानसिक और वित्तीय रूप से टूट चुके है, उन्हें सहारा दें और इस विपत्ति से उन्हें उबारें.

अरुण मंडोला 

मेरे एक दोस्त के पास इतने भी पैसे नहीं थे, जिससे वह कुछ दिन लॉक डाउन में खा सकें, क्योंकि प्रोडक्शन हाउस ने उसके पैसे दिए ही नहीं थे. कलाकार हमेशा सही समय पर पैसे न मिलने की वजह से परेशान रहते है और प्रोडक्शन हाउस कभी भी समय पर पैसे का भुगतान नहीं करती. शूटिंग के बाद हमें 60 से 90 दिनों बाद पैसे मिलते है, जो एक बड़ी समस्या होती है. मुंबई के खर्चे बाकी शहरों की तुलना में अधिक है. बिना कमाई के पैसे खर्च करना बहुत बड़ी मुसीबत है. एक्टर्स के लिए भी CINTAA  को कुछ नियम बनाए जाने की जरुरत है. अगर एक एक्टर देर से सेट पर पहुंचता है तो उसे निर्माता, निर्देशक अनप्रोफेशनल कहते है, लेकिन जब प्रोडक्शन हाउस देर से पैसों का भुगतान करते है तो उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. असल में कलाकारों में एकजुटता नहीं है. पहले मनमीत, फिर प्रेक्षा ने आत्महत्या की और अब आशीष रॉय अस्पताल में है, जिसे देखने वाला कोई नहीं. हम सबको एक प्रतिनिधि रखने की जरुरत है, जो मुश्किल घड़ी में कलाकारों का साथ दे सकें.

शरद मल्होत्रा 

अभिनेता शरद मल्होत्रा का कहना है कि ये निश्चित ही मुश्किल घड़ी है. कहा जाता है कठिन समय चला जाता है, पर टफ लोग हमारे बीच रह जाते है. ये कहना मुश्किल है कि ये लॉक डाउन कब ख़त्म होगा और कब सबकुछ पटरी पर लौटेगी. सभी इस समस्या से परेशान है. किसी भी कलाकार का वित्तीय समस्या या काम न मिलने की वजह से डिप्रेशन में जाकर आत्महत्या कर लेना इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात नहीं.

जैस्मिन भसीन 

फाइनेंस को हमेशा सही तरह से मैनेज करना जरुरी होता है. लाइफ के बारें में कुछ भी पहले से कहना संभव नहीं होता. किसी ने लॉक डाउन के बारें में सालों से सोचा नहीं होगा. कोरोना काल समाप्त होगा और काम भी शुरू होगा. तब तक सबको संयम और धीरज से रहने की जरुरत है. पैसे आपके जीवन के लिए जरुरी है, पर किसी भी कलाकार का सुइसाइड कर लेना दुखदायी है.

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रिशिना कंधारी

जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है. ये कुछ दिनों के लिए ही होता है. हर किसी को अपने मेंटल हेल्थ के बारें में ध्यान रखने की जरुरत है. आत्महत्या किसी भी चीज का समाधान नहीं है. पैसों की तंगी मुश्किल घड़ी होती है और ये कलाकारों के साथ घटने वाली कड़वी सच्चाई है. उम्मीद है लॉकडाउन के बाद सब कुछ थोड़े दिनों में नार्मल हो जायेगा.

कैसे पकड़ें किसी का झूठ

शाम 7 बजे प्रिया जैसे ही घर में घुसी उस की भाभी नताशा सामने खड़ी हो गई. प्रिया नजरें चुराती हुई अंदर जाने लगी, तो नताशा ने टोका, “ननद जी, जरा यह तो बताइए कि इतनी देर तक आप कहां थीं?”

“भाभी, मैं वह… एक्चुअली वह मैं… हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी.”

“अच्छा, किस विषय की ?”

“भाभी, …वह… ‌फिजिक्स की. निभा मैम हैं न, उन्होंने कहा था कि आज शाम को एक्स्ट्रा क्लास लेंगी, तो सारी लड़कियां वहीं चली गई थीं.”

“मगर तुम्हारी सहेली तो कुछ और ही कह रही थी.”

प्रिया पर नजरें जमाए नताशा ने पूछा तो प्रिया हड़बड़ा गई. सच उस की जबान पर आ गया. “जी भाभी, मैं अपनी फ्रेंड के साथ बर्थडे पार्टी के लिए गई थी. रजनी का बर्थडे था. वही हमें जिद कर के मौल ले गई थी.”

“प्रिया, तुम मौल गई या बर्थडे पार्टी में शामिल हुई या कुछ और किया, इस से मुझे कोई प्रौब्लम नहीं है. मुझे प्रौब्लम है झूठ बोलने से. मैं कई बार पहले भी कह चुकी हूं कि मुझ से हमेशा सच बोला करो.”

“जी भाभी, आइंदा खयाल रखूंगी,” कह कर प्रिया तेजी से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गई.

विकास ने प्यार से पत्नी नताशा को निहारते पूछा, “नताशा, तुम्हें यह पता कैसे चल जाता है कि प्रिया झूठ बोल रही है या सच? मैं होता तो तुरंत उस की बात मान लेता कि वह एक्स्ट्रा क्लास के लिए ही गई होगी. तुम ने पहले भी कई दफा उस का झूठ पकड़ा है और एकदो बार मेरा झूठ भी. पर मैं समझ नहीं पाता कि तुम्हें पता कैसे चल जाता है?”

हंसते हुए नताशा ने कहा,” देखो विकास, झूठ पकड़ना बहुत आसान है. सामने वाला बंदा झूठ बोल रहा है या सच, इस का इशारा वह खुद देता है.”

“इशारा, वह कैसे?”

“दरअसल, सच या झूठ का अंदाजा आप उस की बौडी लैंग्वेज यानी शरीर के हावभाव से लगा सकते हैं. इस के लिए सामने वाले बंदे की बौडी लैंग्वेज पर गौर करना पड़ता है. साधारणतया बंदा सच बोल रहा है, तो बात करते समय कुछ समझाने के लिए वह अपने हाथों का उपयोग करता है. इस समय उस के हाथ काफी हिलते हैं. मगर झूठा इंसान अपने हाथों के साथसाथ पूरे शरीर को स्थिर कर लेता है.”

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नताशा की कही इस बात में काफी सचाई है. वाकई, हम झूठे इंसान को उस के हावभाव से पहचान सकते हैं. झूठ पकड़ने के लिए हाथों के अलावा कुछ और भी हावभाव हैं जिन पर गौर करना जरूरी है.

अमेरिकन बिहेवियरल एनालिस्ट (बौडी लैंग्वेज एक्सपर्ट) और ‘बौडी लैंग्वेज औफ लायर्स’ की औथर डाक्टर लिलियन ग्लास कहती हैं कि जब कोई आप से झूठ बोलता है तो उस की सांसें भारी हो जाती हैं. जब सांस की गति बदलती है तो उस का कंधा ऊपर उठता है और आवाज धीमी हो जाती है. संक्षेप में कहा जाए तो उस का अपनी सांसों पर नियंत्रण नहीं रह जाता. ऐसा उस के हार्टरेट और ब्लडफ्लो में आए परिवर्तन के कारण होता है. इस तरह के परिवर्तन नर्वस होने या तनाव में रहने पर होता है.

शरीर स्थिर कर लेना

सामान्य रूप से माना जाता है कि नर्वस व्यक्ति का शरीर अधिक हरकतें करता है, यानी वह चंचल होता है. मगर डाक्टर ग्लास कहती हैं कि आप को ऐसे लोगों पर भी ध्यान देना चाहिए जो बिलकुल स्थिर हो कर बात कर रहे हों. इसे एक तरह के न्यूरोलौजिकल फाइट का साइन माना जा सकता है, यानी व्यक्ति अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा है.

जब व्यक्ति सामान्य अवस्था में बातें करता है तो यह स्वभाविक है कि उस के शरीर के कुछ हिस्से खासकर हाथों में स्वत ही मूवमेंट होते हैं. मगर जब किसी शख्स ने खुद को कंट्रोल किया हुआ हो और वह बिलकुल भी हिलडुल नहीं रहा और अपने हाथों को बांध कर रखा हो तो समझ जाइए कि दाल में कुछ काला है.

विस्तार से बताना

जब कोई शख्स बिना जरूरत किसी चीज के बारे में आप को बहुत विस्तार से बताए और तो बहुत संभावना है कि वह सच नहीं बोल रहा है. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि झूठे अकसर बहुत ज्यादा बातें करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि खुद को काफी ओपन दिखाने से सामने वाला शख्स उन पर विश्वास कर लेगा.

लगातार देखना

जब इंसान झूठ बोलता है तो नजरें नहीं मिलाता, मगर कई दफा झूठा इंसान आप से और भी ज्यादा आई कांटेक्ट बनाता है और लगातार देखता है ताकि वह आप को कंट्रोल और मैनिपुलेट कर सके. डाक्टर ग्लास कहती हैं कि जब इंसान सच कहता है तो वह कभी आप की तरफ देखता है और कभी इधरउधर. मगर एक झूठा शख्स लगातार आप की तरफ देख कर बात करेगा ताकि वह आप को काबू में कर सके.

अपने हाथ पॉकेट में रखना

वर्ष 2015 में यूनिवर्सिटी औफ मिशिगन द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि झूठे लोग अपने हाथों को आप से दूर रखते हैं. हो सकता है कि वे अपने हाथ पौकेट के अंदर या टेबल के भीतर छिपा लें. यह भी एक सिग्नल है यह समझने के लिए कि सामने वाला शख्स आप से अपनी फीलिंग्स और जानकारियां छिपा रहा है, यानी वह आप से झूठ बोल रहा है.

सहजता की कमी

अकसर देखा गया है कि झूठा व्यक्ति सहजता से नहीं बोल पाता. वह ठहरठहर कर बोलता है. दरअसल, तनाव के समय हमारा औटोमेटिक नर्वस सिस्टम लार का स्राव घटा देता है जिस से मुंह सूखने लगता है. कई बार व्यक्ति होंठों को दांतों से काटने लगता है.

शब्दों को बारबार दोहराना

अगर कोई व्यक्ति आप को कनविंस करने के लिए कुछ खास शब्दों या बात को बारबार दोहराता है तो समझ जाइए कि मामला गड़बड़ है.

हाथ फिराना

झूठ बोलने वाले व्यक्ति की पहचान यह भी होती है कि वह झूठ बोलते समय अपने गले, सिर या सीने पर बारबार हाथ फिराता है. वह अपने मुंह पर भी हाथ रखता है.

पैरों की पोजीशन में बदलाव

इंसान झूठ तभी बोलता है जब वह कुछ छिपा रहा होता है. ऐसे में जब उस से कोई सवाल पूछा जाता है तो वह झूठ बोल कर उस स्थिति से बचने की कोशिश करता है. इस दौरान वह काफी नर्वस रहता है जिस के कारण वह अपने पैरों की पोजीशन लगातार बदलता रहता है.

यह सच है कि कई दफा एक छोटा सा झूठ भी किसी रिश्ते को खत्म करने के लिए काफी होता है. फिर भी हम आमतौर पर किसी न किसी परिस्थिति में फंस कर या किसी कारणवश झूठ बोल जाते हैं. वहीँ, यह भी देखा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा झूठ बोलते हैं.

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यूनिवर्सिटी एम्‍हर्स्ट मैसेचेट ने 2002 में एक रिपोर्ट जारी की थी. उस के मुताबिक, 10 मिनट की बातचीत के दौरान करीब 60 फीसदी लोग झूठ बोलते हैं. इस दौरान उन की 2 या 3 बातें झूठी निकलती हैं.

ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब झूठ बोलने की बात आती है तो महिलाओं के मुकाबले पुरुष अधिक झूठ बोलते हैं. झूठ बोलने में माहिर पुरुष आमनेसामने ज्यादा झूठ बोलते हैं, लेकिन वे सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कम करते हैं.

वजह कुछ भी हो और झूठ कोई भी बोल रहा हो, सीधी सी बात है कि सच सामने आ ही जाता है. और तब व्यक्ति सामने वाले की नजरों में अपना सम्मान खो देता है. इसलिए, हमें झूठ बोलने से हमेशा बचना चाहिए.

4 टिप्स: इस गरमी बेझिझक पहनें स्लीवसेस ड्रेस

गरमियों में स्लीवलेस का फैशन औन हो गया है. कई महिलाएं बिना किसी हिचक और परेशानी के स्लीवलेस टी-शर्ट, गाउन और ब्लाउज पहनती हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिन्हें स्लीवलेस पहनने का मन तो होता है लेकिन अंडरआर्म्स के कालेपन की वजह से वह नही पहन पाती.

अंजरआर्म्स के कालेपन के कई कारण होते हैं, कई बार बहुत ज्यादा शेव करने से, कौस्मेटिक प्रौडक्ट का इस्तेमाल करने से, डेड-सेल्स के कारण भी अंडरआर्म्स काले हो जाते हैं. इसके अलावा अगर आप बहुत तंग कपड़े पहनने से या किसी हार्मोनल इंफेक्शन की भी वजह से ऐसा होने की आशंका होती है. इसीलिए आज हम आपकी इस प्रौब्लम के लिए कुछ होममेड टिप्स बताएंगे जिससे आप गरमी में बाहर स्लीवलेस ड्रैसेज पहन पाएंगी..

  1. वैक्सिंग का करें इस्तेमाल

razor

शेव करने से बेहतर है कि आप अंडरआर्म्स के अनचाहे बालों को हटाने के लिए वैक्स‍िंग का इस्तेमाल करें. इससे बाल काफी अंदर से निकल जाते हैं और साथ में डेड-सेल्स भी हट जाते हैं, जिससे स्किन साफ हो जाती है.

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  1. होममेड पैक बनाकर लगाएं

आप चाहें तो अंडरआर्म्स के कालेपन को दूर करने के लिए बेसन, दही, नींबू और हल्दी का पैक बना लें. इसे रोजान 15 से 20 मिनट तक अंडरआर्म्स में लगाने से काफी फायदा होगा.

  1. अंडरआर्म्स के लिए आलू है इफेक्टिव

आलू एक नेचुरल ब्लीच है. आप चाहें तो रोजाना नहाने से पहले आलू के कुछ टुकड़े काटकर अंडरआर्म्स में रगड़ें. ऐसा करने से कालापन कम होगा.

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  1. अंडरआर्म्स की सफाई के साथ फिटकरी करेगी पसीने की बदबू कम

कई बार डियोडोरेंट के अधिक इस्तेमाल से भी अंडरआर्म्स में कालापन आ जाता है. हो सके तो इसका संयमित इस्तेमाल करें और अंडरआर्म्स की बदबू को दूर करने के लिए दूसरे घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करें. फिटकरी से अंडरआर्म्स की सफाई करने से बदबू कम हो जाती है.

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विश्व तंबाकू निषेध दिवस: बुरे से बुरे नतीजों के बावजूद दुनिया में रोके नहीं रुक रहा धूम्रपान

इतिहास और आंकड़े देखें तो लगता है दुनिया को तंबाकू से छुटकारा पाना लगभग असंभव है. दुनिया में तंबाकू का चलन ईसा पूर्व 3000 सालों से जारी है. साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे रोकने की एक वैश्विक रूपरेखा बनायी और 1988 से लगातार हर साल इसके लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस तो मनाया ही जाता है, पूरे साल भी धूम्रपान को हतोत्साहित करने के लिए तमाम तरह की कोशिशें की जाती हैं. बावजूद इसके न तो धूम्रपान करने वालों की संख्या में कोई कमी आ रही है और न ही तंबाकू की खपत में. यह तब है जबकि हर साल 80 लाख लोग धूम्रपान के चलते अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं. इनमें करीब 70 लाख लोग सीधे तौरपर तंबाकू और तंबाकू जनित उत्पादों के उपयोेग के कारण अपनी जिंदगी गंवाते हैं. जबकि 10 से 13 लाख के बीच में ऐसे लोग अपनी जान गंवाते हैं, जो खुद तो धूम्रपान नहीं करते, लेकिन धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि धूम्रपान दुनिया में स्वास्थ्य के नजरिये से कितना खतरनाक है?

सबसे निराशाजनक बात तो यह है कि जब से दुनिया ने 31 मई को नो टोबेको डे यानी धूम्रपान निषेध दिवस मनाना शुरु किया, उसके बाद से भी इसकी खपत में किसी तरह की कोई कमी तो आयी ही नहीं. उल्टे ये दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. साल 2000 में जहां पूरी दुनिया में सालभर में सिर्फ 3 ट्रिलियन के आसपास सिगरेटें पी जाती थीं, वहीं साल 2016 में 5,700,000,000,000 सिगरेटें बिकी थी. जबकि उसी साल सिगरेटों सहित तमाम किस्म के धूम्रपान को हतोत्साहित करने के लिए दुनियाभर में 56 बिलियन डाॅलर खर्च किये गये. दुनियाभर की सरकारों द्वारा इतनी भारी भरकम धनराशि में से एक बड़ी राशि धूम्रपान के विरूद्ध विज्ञापनों पर खर्च की गई थी. लेकिन वक्त गवाह है कि इतनी कोशिशों के बाद भी धूम्रपान में किसी किस्म की कोई कमी नहीं आयी, उल्टे दुनिया में यह लत बढ़ती ही जा रही है.

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हर साल धूम्रपान निषेध के लिए एक विशेष थीम बनायी जाती है, जिसके आधार पर धूम्रपान के विरूद्ध तमाम विज्ञापनों, प्रचार साहित्य, सेमिनारों आदि की रूपरेखा बनायी जाती है. साल 2020 की थीम है, फेफड़ों पर तंबाकू का खतरा. इस तरह देखें तो संयोग से ही सही नो टोबेको डे की थीम कोरोना से जंग लड़ने में भी मददगार है. क्योंकि कोरोना भी उन्हीं लोगों को सबसे आसानी से दबोचता है, जिनके फेफड़े कमजोर होते हैं. कहने का मतलब यह कि अगर आपके फेफड़े मजबूत होंगे तो आपको कोरोना वायरस संक्रमित नहीं कर सकता. वास्तव में हमारे फेफड़े या जिसे चिकित्सीय भाषा फुफ्फुस कहते हैं, उनका काम हमारे श्वांस तंत्र को सुचारू रूप से चलाये रखना होता है. धरती में जितने प्राणी वायुमंडल से सांस ग्रहण करते हैं, उन सबमें फेफड़ा अनिवार्य रूप में पाया जाता है; क्योंकि इसी की बदौलत कोई धरती में मौजूद आॅक्सीजन को ग्रहण करता है और कार्बनडाइक्साइड को बाहर निकालता है.
शरीर में दो फेफड़े होते हैं यानी फेफड़ा भी उन अंगों की तरह ही होता है जो हमेशा जोड़े में होते हैं मसलन- आंखें, हाथ, कान आदि. फेफड़े की दीवार दरअसल असंख्य गुहिकाओं या कैविटीज की मौजूदगी के कारण बहुत स्पंजी होती है. इसमें रक्त का शुद्धीकरण होता है. प्रत्येक फेफड़े में एक फुफ्फुस सिरा हृदय से अशुद्ध रक्त लाती है और फेफड़े में छोड़ देती है, जहां उसका शुद्धीकरण होता है. इस शुद्धीकरण का मतलब है कि रक्त में औक्सीजन मिलाया जाता है. इसके बाद उस शुद्ध रक्त को शरीर के सारे अंगों के लिए भेज दिया जाता है. इस तरह से फेफड़ों का मुख्य काम वातावरण से आॅक्सीजन लेकर उसे शरीर में घुम रहे रक्त में मिलाना होता है. साथ में शरीर के खून से कार्बनडाइक्साइड को चूस करके उसे वातावरण में छोड़ना होता है. फेफड़ों की कार्यविधि जानकर हम समझ सकते हैं कि ये हमारे स्वस्थ होने की कितनी बड़ी जरूरत हैं. लेकिन तंबाकू का अंधाधुंध सेवन हमारे फेफड़ों को खराब कर देता है. जब हम सिगरेट पीते हैं या तंबाकू को चबाकर खाते हैं तो इससे फेफड़ों का कैंसर हो जाता है, जिसमें पहले भूख कम लगनी शुरू होती है और फिर धीरे धीरे वह स्थिति आ जाती है कि हमसे एक निवाला भी नहीं खाया जाता.

सिगरेट किस कदर हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोई ऐसा शख्स नहीं है जिसे सिगरेट या तंबाकू का सेवन किसी न किसी रूप में परेशान न करता हो. भले परेशानी इतनी बड़ी न हो मसलन कैंसर न हुआ हो या और कोई भयानक नतीजे के रूप में सामने न आया हो. मगर यह तय है कि धूम्रपान कुछ न कुछ खराब जरूर करेगा. नियमित रूप से धूम्रपान करने वाले लोगों में 10 फीसदी को पक्षाघात हो जाता है. एम्फीसिमा हो जाता है जिससे पैरों की उंगलियां गलने लगती हैं. सबसे जो आम नुकसान है, वह यह है कि एक धूम्रपान करने वाला व्यक्ति धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के मुकाबले 5 साल पहले बूढ़ा हो जाता है. उसकी दिमागी सेहत भी बहुत अच्छी नहीं रहती.

याद्दाश्त की उन लोगों में ज्यादा समस्या होती है, जो नियमित रूप से और दशकों तक धूम्रपान करते हैं.
एक आम सिगरेट में अमूमन 9 मिलीग्राम तक निकोटीन होता है जो जलने के बाद 1 ग्राम रह जाता है, शरीर में निकोटीन सीधा नुकसान पहुंचाता है. जैसा कि हम सब जानते हैं निकोटीन अपने आपमें भले जहर नहीं है लेकिन इसमें सैकड़ों कैमिकल होते हैं जो मिलकर एक भयानक जहर निर्मित करते हैं. निकोटीन से टाॅर बनता है और यह टौर हमारे फेफड़ों की ऊपरी परत के ऊपर चढ़ जाता है. टौर की यही परत वास्तव में हमारे फेफड़ों को धीरे धीरे खत्म कर देती है.  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को तंबाकू के नुकसानों से सजग बनाने के लिए हर साल 31 मई के दिन विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाता है. इस दिन डब्ल्यूएचओ पूरी दुनिया में मजबूत फेफड़ों की सेहत के संबंध में लोगों को खूबियां गिनाता है,उनके फायदे बताता है तथा तंबाकू से होने वाले नुकसानों को उजागर करता है. इस साल मजबूत फेफड़ों की वकालत के दोहरे फायदे हैं, एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से पीड़ित हैं और इस संक्रमण में मजबूत फेफड़े ही कोरोना से दो दो हाथ कर सकते हैं, जिन भी लोगों का फेफड़ा मजबूत है, कोरोना उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोरोना का संकट न हो तो फेफड़ों की उपयोगिता कम है.

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सच बात तो यह है कि फेफड़े हमारे स्वास्थ्य के, हमारे अस्तित्व के केंद्र बिंदु हैं. यही वजह है कि पूरी दुनिया में 31 मई के दिन मजबूत फेफड़ों की वकालत करने वाले लाखों डौक्टर सड़क में उतरकर इसका महत्व समझायेंगे. जैसा कि हम सब जानते हैं नो टोबेको डे पहली बार 7 अप्रैल 1988 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्षगांठ पर मनाया गया था, लेकिन बाद में इसे 31 मई को मनाया जाने लगा. हालांकि इस दिन की जरूरत लोगों को इसके पहले से ही महसूस होने लगी थी और 1987 में ही विश्व तंबाकू निषेध दिवस की रूपरेखा ही नहीं बल्कि इसका नाम तक भी तय कर लिया गया था. हर साल 31 मई को डब्ल्यूएचओ पूरी दुनिया में तंबाकू पर पूरी तरह से निषेध की मांग करता है, इसकी वकालत करता है. लेकिन दुनियाभर की सरकारें सिर्फ कहती हैं, इस मामले में डब्ल्यूएचओ का वास्तविक साथ नहीं देतीं.

(इनपुट्स सहयोग प्रसिद्ध डाक्टर माजिद अलीम से लिया)

Naagin 4 पर कोरोना की मार: एकता कपूर ने किया शो बंद करने का ऐलान, टीम से मांगी माफी

कोरोनावायरस लॉकडाउन के चलते कई सीरियल बंद हो रहे हैं. वहीं हाल ही में खबरें थीं कि डेलीसोप क्वीन एकता कपूर (Ekta Kapoor) का सुपरनैचुरल शो ‘नागिन 4’ (Naagin 4) भी बंद होने वाला है. जबकि ‘नागिन 4’ की क्रिएटिव हेड मुक्ता धोंड (Mukta Dhond) ने इस खबर को गलत बताया था. लेकिन अब शो की प्रोड्यूसर एकता कपूर (Ekta Kapoor) ने खुद ही नागिन 4 बंद होने की घोषणा कर दी है, जिस पर शो की कास्ट ने रिएक्शन दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

वीडियो किया शेयर

वीडियो में एकता कपूर कह रही हैं कि, ‘सोशल मीडिया पर मुझसे बार-बार पूछा जा रहा है कि क्या ‘नागिन 4’ खत्म होने वाला है? क्या ‘नागिन 5’ की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं? अगर आप सबके दिमाग में ऐसे ही ख्याल आ रहे हैं तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि हम ‘नागिन 4’ को खत्म करने जा रहे हैं. ‘नागिन 4’ के ऑफएयर होते ही हम ‘नागिन 5’ की शूटिंग शुरु कर देंगे. भले ही ‘नागिन 4′ ज्यादा दिन टीवी पर न टिक पाया हो लेकिन उस शो का अंत बहुत शानदार होने वाला है.’

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कास्ट का किया शुक्रिया

आगे एकता कपूर ने बताया कि, ‘मैं ‘नागिन 4’ पर ज्यादा काम नहीं कर पाई लेकिन मैं फैंस से वादा करती हूं कि ‘नागिन 5’ आप सबको बहुत पसंद आएगा. निया शर्मा, अनीता हसनंदानी, जैस्मीन भसीन और विजेंद्र कुमेरिया जैसे सभी सितारों ने ‘नागिन 4’ में बहुत अच्छा काम किया है. मैं इन एक्टर्स का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं. मैं फैंस से बस एक बात बोलना चाहती हूं कि ‘नागिन 4′ को लेकर किसी तरह की अफवाहें न फैलाएं.’ इस वीडियो को शेयर करते हुए एकता कपूर ने लिखा है कि, ‘क्या तुम मेरे नागिनटाइन बनना पसंद करोगें?’

वीडियो पर शो की कास्ट ने दिया ये रिएक्शन

एकता कपूर की इस वीडियो को देखकर ‘नागिन 4’ अदाकारा निया शर्मा (Nia Sharma) ने लिखा, ‘आपको किसी तरह का कोई स्पष्टीकरण देने की जरुरत नहीं है। आपने बहुत सोच समझ कर ये फैसला किया है. जो भी होगा हम आपके साथ हैं. मैं दिल से आपके इस फैसले की इज्जत करती हूं.’ निया शर्मा के बाद रश्मि देसाई (Rashami Desai) ने भी एकता कपूर ने वीडियो पर कमेंट करके एकता कपूर को थैंक्यू कहा.

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बता दें, एकता कपूर ने अपनी इस वीडियो के जरिए यह भी साफ कर दिया है कि चार एपिसोड ऑनएयर होने के बाद ‘नागिन 4’ दर्शकों से अलविदा कहेगा और ‘नागिन 5’ का नया सीजन शुरू होगा.

लिप सर्जरी फेल होने से टूटीं Bigg Boss स्टार Sara Khan, बोली- ‘एक साल तक किसी को चेहरा नहीं दिखाया’

टीवी सीरियल बिदाई से लेकर बिग बॉस 4 (Bigg Boss 4) में नजर आ चुकी एक्ट्रेस सारा खान (Sara Khan) अकसर सुर्खियों में रहती हैं. काफी समय से मीडिया से दूर रह रहीं सारा खान एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं, जिसका कारण सारा खान को खराब हो चुकी लिप सर्जरी है. वहीं इसके कारण ट्रोलर्स को सारा अली खान को ट्रोल करने का मौका मिल गया और वह सोशल मीडिया पर ट्रोल करने लगे हैं. लेकिन अब  सारा खान ने इन ट्रोलर्स को जवाब देते हुए इस बारे में खुलकर बात करने का फैसला लिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सारा को है लिप सर्जरी का अफसोस

हाल ही में एक इंटरव्यू में सारा खान (Sara Khan) ने कहा, ‘मुझे लिप सर्जरी नहीं करवानी चाहिए थी. ये कदम मेरी जिंदगी के सबसे गलत फैसलों में से एक है. सर्जरी के बाद मेरे होंठ ज्यादा खराब दिखने लगे हैं. लोग आज भी मुझे सीरियल ‘बिदाई’ की साधना के तौर पर देखना चाहते हैं लेकिन यह किरदार मेरी असलियत नहीं है. उस समय बिना सोचे समझे मैंने लिप सर्जरी करवाई थी, जिसने मेरा चेहरा बर्बाद कर दिया. लोग मेरी फोटोज का मजाक बनाते थे. मैं चाहती थी कि सब ठीक हो जाए लेकिन मेरे चेहरे में एक साल तक कोई बदलाव नहीं हुआ.’

 

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💔💔💔💔💔💔💔💔💔 I was compelled to write this today, I just had to let it out 💔

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सोशल मीडिया पर किया दर्दे दिल बयां

 

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सारा खान ने सोशल मीडिया पर भी फैंस के सामने अपने दिल का हाल बयान कर करते हुए ट्रोलर्स को जवाब देने की कोशिश की है, लेकिन अपनी सर्जरी के बारे में बात करते हुए वह इमोशनल हो गईं. सारा खान ने लिखा, ‘मैं आज सोशल मीडिया के जरिए फैंस को कुछ बताना चाहती हूं. कुछ गलत फैसलों की वजह से मैं बुरी तरह से टूट चुकी हूं. कोई भी मेरे दिल का हाल मुझसे बेहतर बयान नहीं कर सकता. ऐसे में बहुत हिम्मत जुटाकर मैं अपने दिल की बात लिखने जा रही हूं.’

आगे सारा खान ने लिखा, ‘मैं भी आम लोगों की तरह एक साधारण लड़की हूं जिसको एक्टिंग, डांसिंग, सिंगिंग और लिखना बहुत पसंद है. मैंने बहुत से टीवी शोज में काम किया है. एक एक्टर होने के बाद भी मेरा कोई मैनेजर नहीं है जो मुझे ये बता सके कि मीडिया से कैसे बात करनी है. मुझे जो ठीक लगता है मैं बोल देती हूं. मेरे बयान अक्सर विवाद खड़ा कर देते हैं.’

अपनी गलती पर अफसोस करती हैं सारा

 

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सारा खान ने आगे लिखा, ’20 टीवी शो का हिस्सा बनने के बाद भी लोग मेरी गलतियों के बारे में बात करते हैं. ऐसी बातें सुनकर लगता है कि काश मैं एक साधारण लड़की होती. मुझे आम लोगों से जलन होती है कि उनकी गलतियों को कोई याद क्यों नहीं रखता? हम एक्टर्स को भी एक दूसरा मौका मिलना चाहिए लेकिन हमारी गलतियां तमाशा बनकर रह जाती हैं.’

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बता दें, सीरियल बिदाई से शरीफ लड़की की इमेज रखने वाली सारा खान ने बिग बौस 4 में अपनी एंट्री के साथ सभी की सोच बदल दी थी. वहीं अब खबरें हैं कि वह नागिन सीरियल का भी हिस्सा बनने वाली हैं.

Fashion Tips: समर में शर्ट के ये 5 नए लुक करें ट्राय

बौलीवुड हो या हौलीवुड, फैशन ट्रैंड हर सीजन चेंज होता रहता है. हम फैशन ट्रैंड में कई तरह की चीजें ट्राई करते हैं. आजकल गर्ल्स के लिए शर्ट का फैशन तेजी से बढ़ रहा है. इसीलिए आज हम कुछ टिप्स बताएंगे, जिससे आप शर्ट को अपने डेली, पार्टी और इंवेट में इस्तेमाल कर पाएंगी. आप फैशन ट्रैंड में रहने के साथ-साथ अपने दोस्तों के सामने अपने फैशन को फ्लौंट भी कर पाएंगी…

1. जींस के साथ लौंग शर्ट करें ट्राई

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अगर आप जींस के साथ कुछ नया ट्राई करना चाहती हैं तो जरूर करें लौंग शर्ट ट्राई. यह आपके लुक को नए फैशन ट्रैंड में शामिल कर देगा.

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2. पैंट के साथ शर्ट औफिस लुक के लिए है बेस्ट

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औफिस लुक में अगर आप भी दिखना चाहती हैं एलिगेंट और क्लासी, तो ये कौम्बीनेशन आपके बहुत काम आ सकता है. यह आपके औफिस लुक के लिए बेस्ट लुक होगा.

3. स्कर्ट और शर्ट का कौम्बीनेशन है लाजवाब

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स्कर्ट पहनना हर किसी को पसंद है, पर स्कर्ट को कैसे और किस के साथ कैरी करें यह डिसाइड करना मुश्किल होता है. पर यह फैशन टिप्स आपको स्कर्ट के साथ शर्ट कैरी करने में काम आएगी.

4. पैंट के साथ लौंग कुर्ती से दें इंडियन लुक

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कईं बार आप कुछ नया और इंडियन लुक ट्राई करना चाहती पर आप डिसाइड नहीं कर पाती. कि कैसे फैशन को शर्ट के साथ इंडियन लुक दें. तो ये कौम्बीनेशन आपके बहुत काम आएगा.

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5. पार्टी हो या कैजुअल फंक्शन, शर्ट ड्रैस आएगी काम

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ड्रैस हर किसी को पहनना पसंद आती है, पर ड्रैसेस में अगर आप कुछ नया, जैसे  शर्ट को ड्रैस के रूप में ट्राई करें, तो यह आपके लुक को फैशनेबल के साथ-साथ ट्रैंडी भी बनाएगा.

कोरोना की वजह से ‘नायरा-कार्तिक’ समेत इन 5 कपल की केमेस्ट्री मिस करेंगे आप

कोरोनावायरस लॉकडाउन का असर आम आदमी ही नहीं सीरियल्स की दुनिया पर भी पड़ रहा है. हाल ही में दोबारा शूटिंग शुरू करने के लिए हाल ही में टीवी इंडस्ट्री के प्रौड्यूसर्स ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की, जिसमें कुछ नई गाइडलाइन्स के बारे में बात की गई. वहीं इनमें एक गाइडलाइन्स से फैंस का दिल टूटने वाला है. दरअसल, महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के बढ़ते केस देखते हुए मेकर्स को सीरियल्स के कलाकारों के बीच इंटीमेट और रोमांटिक सीन्स नहीं फिल्माने की गाइडलाइंन्स दी है, जिसके कारण फैंस को उनके फेवरेट सीरियल्स का रोमांस नहीं दिखने वाला है. आइए आपको दिखाते हैं टीवी को पौपलुर कपल्स की रोमांटिंक फोटोज…

1. कार्तिक-नायरा की रोमांटिक केमेस्ट्री

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के फैंस ने तो कायरा यानी नायरा-कार्तिक (Mohsin Khan और Shivangi Joshi) नाम से कई फैन क्लब बना रखे है, जहां पर फैंस इनकी फोटोज अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है. वहीं टीवी इंडस्ट्री को मिले नए गाइडलाइन के बाद से जो बदलाव आने वाले है, जिससे नायरा और कार्तिक के फैंस को उनकी रोमांटिक कैमेस्ट्री देखने को नहीं मिलने वाली है.

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2. सबके फेवरेट हैं अभि और प्रज्ञा

सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ के अभि-प्रज्ञा तो अपनी दमदार केमेस्ट्री से हर बार लोगों का दिल जीतते है. सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ के मेकर्स शब्बीर और सृति झा की कैमेस्ट्री से बेहद खुश है, जिसके चलते वह दोनों की अक्सर फोटोज और वीडियो शेयर करते हैं.

3. लड़ाई झगड़े के बीच इश्क भी फरमाते हैं करण और प्रीता

‘कुंडली भाग्य’ के करण और प्रीता तो टीवी के क्यूटेस्ट कपल्स में से एक है. इस किरदार में धीरज धूपर और श्रद्धा आर्या ने जान ही भर दी है. करण और प्रीता की जोड़ी अक्सर लड़ती रहती है, लेकिन दोनों की इस लड़ाई में इनका प्यार फैंस का दिल जीत लेता है.

4. एक-दूजे पर ऐसे प्यार लुटाते है अनुराग और प्रेरणा

सीरियल ‘कसौटी जिंदगी के 2’ में अनुराग और प्रेरणा की केमेस्ट्री तो हर किसी को भाती है. नई गाइडलाइन्स मिलने के बाद तो अब अनुराग और प्रेरणा की इस केमेस्ट्री को दर्शक काफी मिस करने वाले हैं.

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5. फैंस मिस करेंगे मेहर-सरबजीत की क्यूट केमेस्ट्री

सीरियल ‘छोटी सरदारनी’ में मेहर और सरबजीत की क्यूट केमेस्ट्री से फैंस बेहद खुश हैं. कम समय में फैंस के बीच अपनी जगह बनाने वाले मेहर और सरब के बीच लॉकडाउन के बाद दूरियां देखने को मिलने वाली है.

#lockdown: प्रैग्नेंसी से होने वाली खून की कमी को पूरा करेंगे ये घरेलू उपाय

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हम सभी जानते ही है की हमारे देश में कोरोना का कहर अभी भी ज़ारी है जिस कारण पूरे देश में lockdown चल रहा है. कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा प्रेग्नेंट महिला को ही है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिला की इम्युनिटी आपरूपी कम रहती है. प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में जो सबसे बड़ी कमी होती है वो है खून की कमी. जिसे हम एनीमिया भी कहते है. शरीर में खून की कमी हो जाना बेहद खतरनाक है और वो भी ऐसी स्थिति में जबकि महिला के गर्भ में ही एक और जान पल रही हो, इसे लापरवाही से लेना मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है.

कुछ महिलाओं में तो एनीमिया का खतरा इतना ज्यादा बढ़ जाता है की खून चढ़ाने तक की नौबत आ जाती है.

तो चलिए जानते है की प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले एनीमिया का कारण ,लक्षण और उसकी जटिलताएं –
एनीमिया ,इसे आप आम भाषा में खून की कमी कह सकते हैं.जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है, तब एनीमिया की शिकायत होने लगती है. हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर में कमजोरी आ जाती है.

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कुछ लोगों को लगता है कि एनीमिया यानी खून की कमी आयरन की कमी के कारण होती है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनीमिया आयरन की कमी के साथ-साथ अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण भी हो सकता है. आइये जानते है कि और किन-किन की कमी से एनीमिया हो सकता है –
1. आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया
2. फोलेट की कमी से होने वाला एनीमिया
3. विटामिन B 12 की कमी से होने वाली एनीमिया
1 – आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया और उसकी जटिलताएं – गर्भावस्था में खून की कमी का एक मुख्य कारण होता है आयरन की कमी.जब शरीर में आयरन की कमी होने लगती है, तो हीमोग्लोबिन बनने में मुश्किल होती है जिसके कारण निम्न समस्याएँ उत्पन्न होती है –
• समय पूर्व प्रसव या कम वज़न वाले बच्चे का जन्म का खतरा बढ़ सकता है.
• डिलीवरी के दौरान ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है.
• डिलीवरी के बाद महिला को डिप्रेशन की समस्या हो सकती है.इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है.
• जन्म के बाद बच्चे में भी खून की कमी हो सकती है और उसके विकास में देरी हो सकती है.

2-फोलेट की कमी से होने वाला एनीमिया और उसकी जटिलताएं- फोलिक एसिड जो एक बी कॉम्प्लेक्स विटामिन है और जिसका मुख्य कार्य लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना होता है , यदि शरीर में फोलिक एसिड की कमी होगी तो जाहिर है कि शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी जरूर होगी जिसके कारण जन्म के उपरांत शिशु में निम्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है-
• फोलेट की कमी से गर्भ में पल रहे शिशु को ‘स्पाइना बिफिडा’ या रीढ़ की हड्डी सम्बंधित विकार हो सकता है.
• मस्तिष्क संबंधी विकार भी हो सकता है .
• जन्म के समय बच्चे का कम वज़न होने का खतरा हो सकता है .

3-विटामिन- B 12 की कमी से होने वाला एनीमिया और उसकी जटिलताएं-शरीर में रेड ब्लड सेल को बनाने में विटामिन- B 12 बहुत ज़रूरी है और रोज़ाना के खानपान से विटामिन बी12 भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाता जिस वजह से खून की कमी होने लगती है. विटामिन B 12 की कमी उन महिलाओं में ज्यादा होती है जो nonveg ,अंडा या डेरी उत्पाद नहीं खातीं.विटामिन B 12 की कमी से होने वाले एनीमिया को मेगालोब्लास्टिक एनीमिया भी कहा जाता है.इसके कारण निम्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है-

• विटामिन B 12 की कमी से गर्भवती महिला की समय से पहले डिलीवरी होने का खतरा बढ़ जाता है.
• अगर विटामिन- B 12 की कमी से एनीमिया होता है, तो बच्चे को तंत्रिका ट्यूब में असमान्यता का खतरा हो सकता है .

इसके अलावा भी अन्य कारक होते हैं, जिनके कारण गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का जोखिम बढ़ जाता है.
o पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक खानपान न करना.खासतौर पर हरी सब्जियों को भरपूर मात्रा में न खाने से एनीमिया की शिकायत हो सकती है.
o पहली और दूसरी गर्भावस्था में ज्यादा समय का अंतर न होने पर एनीमिया की शिकायत हो सकती है.
o गर्भावस्था से पहले होने वाला मासिक धर्म बहुत ज्यादा होने पर एनीमिया की अशंका हो सकती है.
o अगर पहले डिलीवरी सर्जरी से हुई हो, तो अगली गर्भावस्था में भी एनीमिया का जोखिम बढ़ सकता है.
o जिन महिलाओं को पहले से ही खून की कमी की समस्या होती है, उनमें गर्भावस्था के दौरान यह समस्या बढ़ सकती है.
o जो गर्भवती महिलाएं एक से ज्यादा बच्चों को जन्म देने वाली हों.उनमें एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है.
o मॉर्निंग सिकनेस के कारण बहुत ज्यादा उल्टियां होने पर एनीमिया का जोखिम बढ़ सकता है.

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गर्भावस्था में खून की कमी के लक्षण

अगर एनीमिया ज्यादा नहीं बढ़ा है, तो आपको कुछ खास लक्षण नज़र नहीं आएंगे.ऐसे में आपको जल्दी थकान हो सकती है, क्योंकि आयरन की कमी से थकान होना काफी आम समस्या है, लेकिन अगर एनीमिया की समस्या बढ़ती है, तो आपको शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं-

• चक्कर आना
• सांस लेने में तकलीफ होना
• सिरदर्द होना
• चेहरे और हाथ-पैरों का रंग पीला पड़ जाना
• चिड़चिड़ापन
• हाथ-पैर ठंडे पड़ते रहना
• नाखून पीले पड़ना.

पर इस दौरान हम बार बार डॉक्टर के पास भी नहीं जा सकते क्योंकि covid इन्फेक्शन का खतरा अभी भी बरकरार है .
तो चलिए हम जानते है वो नेचुरल तरीके जिससे गर्भावस्था के दौरान घर पर ही महिलाओं में होने वाली खून की कमी को ठीक किया जा सके .

1-आयरन युक्त आहार लें-

जैसा कि हम जानते है की शरीर में खून की कमी का मुख्य कारण होता है, आयरन की कमी.डॉक्टर्स आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन की टेबलेट्स भी सजेस्ट करते हैं पर कुछ महिलाओं को ये सप्लीमेंट्स सूट नही करते है ऐसे में आप डॉक्टर से सलाह ले सकती है . वो आपको दूसरे ब्रांड की सप्लीमेंट्स के लिए सलाह दे सकते हैं अगर तब भी प्रॉब्लम हों तो आप अपना खान पान अच्छा और हेल्थी रखें .
खाने में आयरन से भरपूर खाना जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां , पालक, चुकन्दर, दालें, अंजीर, अनार ,सेब , काजु, बादाम सफ़ेद बीन्स ,मांस और मछली का भी सेवन कर सकते हैं.इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन होता है.

दोस्तों एक चीज़ का आपको विशेष ध्यान रखना है की अगर आपके शरीर में आयरन की कमी है तो कोशिश करें की सब्जियां लोहे की कढाई में ही बनाये और नॉन स्टिक का use बहुत कम करें. लोहा खून के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाता है इसके कारण खून की शक्ति बढ़ती है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता भी बढती है.

2- आयरन को नष्ट करने वाले आहार से बचें –

ऐसे कई आहार होते हैं जो आयरन को नष्ट कर सकते हैं या ब्लॉक कर सकते हैं. ऐसे आयरन और कैल्शियम को कभी भी एकसाथ नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा ज्यादा कॉफी, चाय, कोला, सोडा, वाइन, बीयर वगैरह को भी नियंत्रण में ही पीएं.

3- अपने भोजन में विटामिन-C की मात्रा बढ़ाएं-

कम हीमोग्लोबिन का स्तर आप सही डाइट और विटामिन सी से युक्त खाद्य पदार्थ लेकर सही कर सकते हैं. विटामिन सी के लिए आप खट्टे फल जैसे संतरा, टमाटर, आदि खा सकती हैं और विटामिन ए के लिए आप शकरकन्द, गाज़र, मछली आदि खा सकती है .

4- भोजन में फोलिक एसिड लें-

शरीर में फोलिक एसिड की मात्रा को संतुलित करने के लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियों, जिगर, चावल, अंकुरित, सूखे सेम, गेहूं के बीज, मूंगफली, केले, ब्रोकोली का सेवन करें.

5- विटामिन बी 12 (vitamin B 12) युक्त भोजन ले –

विटामिन बी 12 (vitamin B 12) के लिए आप अंडा, मांस, सोया का दूध आदि का सेवन करें. यदि आप शाकाहारी है तो आप डॉक्टर की सलाह लेकर विटामिन बी 12 की गोलियां भी ले सकती हैं.

6 -गाजर-चुकंदर का जूस व सलाद खून की कमी को पूरा करते हैं. रोजाना गाजर और चुकन्दर का रस आधा गिलास पीएं. इसका सेवन करने से महिला के शरीर में खून की कमी की समस्या ठीक हो जाती है.
7-खून की कमी होने पर टमाटर का सेवन ज्यादा करें. आप टमाटर का जूस भी ले सकते हैं. यह जूस धीरे-धीरे खून की कमी को पूरा कर देते हैं.

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8-खूजर भी गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद है. खून की कमी पूरी करने के लिए 5 से 6 खजूर के साथ एक गिलास दूध पीएं. इससे महिला के शरीर में ताकत आती हैं और खून भी बनता है.

9-गर्भावस्था के दौरान गुड का सेवन करने से भी खून की कमी पूरी हो जाती है. ब्लैकस्ट्रैप गुड़ एनीमिया से लड़ने के लिए और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने के लिए एक बेहद कारगर घरेलु नुस्खा है. ब्लैकस्ट्रैप गुड़ में आयरन ,फोलेट और कई विटामिन भी शामिल हैं जो लाल रक्त कोशिका के उत्पादन को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.

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