हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए काम आएंगे ये टिप्स

पतिपत्नी और वो के बजाय पतिपत्नी और जीवन की खुशियों के लिए रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटीछोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल समय में एकदूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का खयाल रखना पड़ता है:

मैसेज पर नहीं बातचीत पर रहें निर्भर

ब्रीघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपती जीवन के छोटेबड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करनी हो तो मैसेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार को कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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ऐसे दोस्तों का साथ जिन की वैवाहिक जिंदगी है खुशहाल

ब्राउन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप के निकट संबंधी या दोस्त ने डिवोर्स लिया है तो आप के द्वारा भी यही कदम उठाए जाने की संभावना 75% तक बढ़ जाती है. इस के विपरीत यदि आप के प्रियजन सफल वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं तो यह बात आप के रिश्ते में भी मजबूती का कारण बनती है.

पतिपत्नी बनें बैस्ट फ्रैंड्स

‘द नैशनल ब्यूरो औफ इकोनौमिक’ द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो दंपती एकदूसरे को बैस्ट फ्रैंड मानते हैं वे दूसरों के मुकाबले अपना वैवाहिक जीवन दोगुना अधिक संतुष्ट जीते हैं.

छोटी-छोटी बातें भी होती हैं महत्त्वपूर्ण

मजबूत रिश्ते के लिए समयसमय पर अपने जीवनसाथी को स्पैशल महसूस कराना जरूरी है. यह जताना भी जरूरी है कि आप उन की केयर करते हैं और उन्हें प्यार करते हैं. इस से तलाक की नौबत नहीं आती. आप भले ही ज्यादा कुछ नहीं पर इतना तो कर ही सकते हैं कि प्यारभरा एक छोटा सा नोट जीवनसाथी के पर्स में डाल दें या दिनभर के काम के बाद उन के कंधों को प्यार से सहला दें. उन के बर्थडे या अपनी ऐनिवर्सरी को खास बनाएं. कभीकभी उन्हें सरप्राइज दें. ऐसी छोटीछोटी गतिविधियां आप को उन के करीब लाती हैं.

वैसे पुरुष जिन्हें अपनी बीवी से इस तरह की सपोर्ट नहीं मिलती उन के द्वारा तलाक दिए जाने की संभावना दोगुनी ज्यादा होती है, जबकि स्त्रियों के मामले में ऐसा नहीं देखा गया है. इस की वजह यह है कि स्त्रियों का स्वभाव अलग होता है. वे अपने दोस्तों के क्लोज होती हैं. ज्यादा बातें करती हैं. छोटीछोटी बातों पर उन्हें हग करती हैं. अनजान लोग भी महिलाओं को कौंप्लिमैंट देते रहते हैं, जबकि पुरुष स्वयं में सीमित रहते हैं. उन्हें फीमेल पार्टनर या पत्नी से सपोर्ट की जरूरत पड़ती है.

आपसी विवादों को करें बेहतर ढंग से हैंडल

पतिपत्नी के बीच विवाद होना बहुत स्वाभाविक है और इस से बचा नहीं जा सकता. मगर रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे किस तरह हैंडल करते हैं. अपने जीवनसाथी के प्रति हमेशा सौम्य और शिष्ट व्यवहार करने वालों के रिश्ते जल्दी नहीं टूटते. झगड़े या विवाद के दौरान चिल्लाना, अपशब्द बोलना या मारपीट पर उतारू हो जाना रिश्ते में जहर घोलने जैसा है. ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता और वैवाहिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

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एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि कैसे फाइटिंग स्टाइल आप की मैरिज को प्रभावित करती है. शादी के 10 साल बाद वैसे कपल्स जिन्होंने तलाक ले लिया और वैसे कपल्स जो अपने जीवनसाथी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, के बीच जो सब से महत्त्वपूर्ण अंतर पाया गया वह था शादी के 1 साल के अंदर उन के आपसी विवाद और झगड़ों को निबटाने का तरीका.वे कपल्स जिन्होंने शादी के प्रारंभिक वर्षों में ही अपने जीवनसाथी के साथ समयसमय पर क्रोध और नकारात्मक लहजे के साथ व्यवहार किया उन का तलाक 10 सालों के अंदर हो गया. ‘अर्ली इयर्स औफ मैरिज प्रोजैक्ट’ में भी अमेरिकी शोधकर्ता ओरबुच ने यही पाया कि अच्छा, जिंदादिल रवैया और मधुर व्यवहार रहे तो परेशानियों के बीच भी कपल्स खुश रह सकते हैं. इस के विपरीत मारपीट और उदासीनता भरा व्यवहार रिश्ते को कमजोर बनाता है.

बातचीत का विषय हो विस्तृत

पतिपत्नी के बीच बातचीत का विषय घरेलू मामलों के अलावा भी कुछ होना चाहिए. अकसर कपल्स कहते हैं कि हम तो आपस में बातें करते ही रहते हैं संवाद की कोई कमी नहीं. पर जरा गौर करें कि आप बातें क्या करते हैं. हमेशा घर और बच्चों के काम की बातें करना ही पर्याप्त नहीं होता. खुशहाल दंपती वे होते हैं जो आपस में अपने सपने, उम्मीद, डर, खुशी और सफलता सबकुछ बांटते हैं. एकदूसरे को जाननेसमझने का प्रयास करते हैं. किसी भी उम्र में और कभी भी रोमांटिक होना जानते हैं.

अच्छे समय को करें सैलिब्रेट

‘जनरल औफ पर्सनैलिटी ऐंड सोशल साइकोलौजी’ में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अच्छे समय में पार्टनर का साथ देना तो अच्छा है पर उस से भी जरूरी है कि दुख, परेशानी और कठिन समय में अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा होना. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर मोनिका लेविंस्की ने जब यौनशोषण का आरोप लगाया तो उस वक्त भी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा. उन दिनों के साथ ने दोनों के रिश्ते को और मजबूत बना दिया.

रिस्क लेने से न घबराएं

पतिपत्नी के बीच यदि नोवैल्टी, वैराइटी और सरप्राइज का दौर चलता रहता है तो रिश्ते में भी ताजगी और मजबूती बनी रहती है. साथ मिल कर नईनई ऐक्साइटमैंट्स से भरी ऐक्टिविटीज में इन्वौल्व हों, नईनई जगह घूमने जाएं, रोमांचक सफर का मजा ले, लौंग ड्राइव पर जाएं, एकदूसरे को खानेपीने, घूमने, हंसने, मस्ती करने और समझने के नएनए औप्शन दें. कभी रिश्ते में नीरसता और उदासीनता को न झांकने दें. जिंदगी को नएनए सरप्राइज से सजा कर रखें.

केवल प्यार काफी नहीं

हम जिंदगी में अपने हर तरह के कमिटमैंट के लिए पूरा समय देते हैं, ट्रेनिंग्स लेते हैं ताकि हम उसे बेहतर तरीके से आगे ले जा सकें . जिस तरह  खिलाड़ी खेल के टिप्स सीखते हैं, लौयर किताबें पढ़ते हैं, आर्टिस्ट वर्कशौप्स करते हैं ठीक उसी तरह शादी को सफल बनाने के लिए हमें कुछ न कुछ नया सीखने और करने को तैयार रहना चाहिए. सिर्फ अपने साथी को प्यार करना ही काफी नहीं, उस प्यार का एहसास कराना और उस की वजह से मिलने वाली खुशी को सैलिब्रेट करना भी जरूरी है.

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साइंटिफिक दृष्टि से देखें तो इस तरह के नएनए अनुभव शरीर में डोपामिन सिस्टम को ऐक्टिवेट करते हैं जिस से आप का दिमाग शादी के प्रारंभिक वर्षों में महसूस होने वाले रोमांटिक पलों को जीने का प्रयास करता है. एकदूसरे को सकारात्मक बातें कहना, तारीफ करना और साथ रहना रिश्ते में मजबूती लाता है.

गुल मकाई रिव्यू: परदे पर मलाला की कमजोर कहानी

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः संजय सिंघाला,प्रीति विजय जाजू,धवल जयंतीलाल गाड़ा

निर्देशकः अमजद खान

कलाकारः रीम शेख, ओम पुरी, आरिफ जाकरिया, अतुल कुलकर्णी,दिव्या दत्ता और अभिमन्यू सिंह

अवधिः दो घंटे, बारह मिनट

नोबल पुरस्कार से सम्मानित पाकिस्तानी लड़की मलाला युसुफजई की बायोपिक फिल्म के नाम पर फिल्म निर्देशक अमजद खान एक एजेंडे वाली फिल्म गुल मकई लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने यह साबित करने की पुरजोर कोशिश की है कि पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी पूरी ताकत के साथ आतंकवादियों का सफाया करने में जुटी हुई है.

कहानीः

फिल्म की कहानी के केंद्र में 2008 से 2009 तक का पाकिस्तान का स्वात इलाका, तालिबानी आतंकवाद, मलाला युसुफजई तथा उनके पिता जियाउद्दीन के इर्द गिर्द घूमती है. फिल्म शुरू होती है तालिबानी आतंकियों के जुल्मों के चित्रण से. उधर जियाउद्दीन (अतुल कुलकर्णी) पाकिस्तान के स्वात इलाके में खुशाल हाई स्कूल नामक एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल चला रहे हैं, जिसके वह प्रधानाध्यापक भी है. इस स्कूल में लड़के व लड़कियां दोनों पढ़ते हैं और इसी स्कूल में उनका बेटा अटल व बेटी मलाला (रीम शेख) भी पढ़ती है. तालिबानियों के जुल्म, लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नित नए नए आदेशों का असर खुशाल स्कूल पर भी पड़ता है. स्कूल की तरफ से लड़कियों की पोशाक बदली जाती है. उधर तालिबानी आए दिन निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं. जियाउद्दीन शांति कमेटी के माध्यम से एक मुहिम चलाते हैं. पाकिस्तानी सेना भी तालिबानियों के खात्मे में जुटी है. इसी बीच प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो मारी जाती हैं. जरदारी प्रधानमंत्री बन जाते हैं. बीबीसी और जियो टीवी तालीबानियों की हर हरकत को लोगों तक पहुंचाने में जुटे हैं.पाकिस्तानी सेना और आई एस आई अपने काम में लगी हुई है. जियाउद्दीन भी तालिबानियों के खिलाफ इंटरव्यू देकर तालिबानियों के निशाने पर आ जाते हैं. उधर बीबीसी के लिए मलाला अपनी पहचान छिपाकर गुल मकाई के नाम से तालिबानियों के खिलाफ ब्लॉग लिखने लगती हैं और जल्द ही चर्चा में आ जाती हैं. पर पहचान छिप नहीं पाती. एक दिन तालिबानी अपने एक आतंकी को भेजकर स्कूल बस के अंदर ही मलाला पर गोली चलवा देते हैं. मलाला का इलाज पेशावर के सैनिक अस्पताल में होता है और फिर उन्हें नोबल पुरस्कार से नवाजा जाता है.

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लेखन व निर्देशनः

फिल्म की पटकथा अति बचकानी और निर्देशन भी अति बचकाना है. फिल्म में मलाला के व्यक्तित्व को लेकर फिल्म बहुत कुछ नहीं कहती. बल्कि मलाला को एक डरपोक, बुरे-बुरे सपने देखकर डरने वाली लड़की के रूप में ही ज्यादा पेश करती है. कहने का अर्थ यह कि मलाला की पूरी सही तस्वीर उभरती ही नही है. मलाला के व्यक्तित्व, उसके कृतित्व पर यह फिल्म रोशनी डालने में बुरी तरह से विफल रही है, पर कुरान को कुछ ज्यादा ही तवज्जो दी गयी है.

लेखन व निर्देशन की कमजोरियों के चलते मलाला बहादुर और मुखर किशोरी की बजाय, धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई में पोस्टर बनकर रह जाती है. लेखक व निर्देशक उन बारीकियों को भी रेखांकित करने में विफल रहे,जिसके चलते उस पर तालीबान ने जानलेवा हमला किया. फिल्म में सिर्फ गोली व खून-खराबा ही ज्यादा दिखाया गया है. निर्देशक का सारा ध्यान तालिबान के अत्याचार और उनके सफाए में जुटी पाकिस्तानी सेना व आईएसआई को महिमामंडित करने में ही ज्यादा नजर आता है. फिल्म देखते हुए कई झटके लगते हैं, जिससे पता चलता है कि फिल्म लंबे समय में रुक-रुक कर बनायी गयी है और एडिटर की गलतियों के चलते कई बार कोई सीन कैसे आ गया, यह समझ में नही आता. तालिबान के अड्डे पर कुछ लोग गोली चला रहे हैं, तो उनके पीछे कुछ लोग कराटे करते नजर आ जाते हैं.

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अभिनयः

जहां तक अभिनय का सवाल है तो मलाला के पिता जियाउद्दीन के किरदार में अतुल कुलकर्णी ने बड़ा सधा हुआ अभिनय किया है. पटकथा लेखक की कमजोरी के चलते मलाला के किरदार में रीम शेख की मेहनत जाया हो गयी. अन्य कलाकार प्रभावित नहीं करते. दिव्या दत्ता सहित कई कलाकारों की प्रतिभा को जाया किया गया है.

Valentine’s Special: ‘गृहशोभा के साथ करें प्यार का सेलिब्रेशन, शेयर कीजिए अपनी लव स्टोरी

14 फरवरी यानी Valentine’s Day मतलब प्यार का दिन. प्रेमी जोड़ों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन अब सिर्फ गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड ही नहीं बल्कि शादीशुदा जोड़े भी इस दिन को पूरी तैयारी से मनाते है और गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड की तरह मैरिड कपल्स के बीच भी सिर्फ प्यार ही नहीं बल्कि थोड़ी बहुत नोक-झोंक और रूठना-मनाना होता है.

तो इस वेलेंटाइन हमारे साथ शेयर कीजिए अपने प्यार की यही खट्टी-मीठी कहानी. जिसे हम लाएंगे दुनिया के सामने. कैसे हुई आपकी पहली मुलाकात, कैसे करीब आए दोनों, कैसे हुआ प्यार का इजहार और कैसे मुकम्मल हुआ आपका इश्क. ये मौका किसी खास रिश्ते के लिए नहीं बल्कि हर प्यार करने वाले के लिए हैं. चाहे वो अभी रिश्ते में हो या शादी के बंधन में बंध चुका हो.

कहानी के साथ अपनी और अपने पार्टनर की फोटो या सेल्फी भी जरूर भेजिए. सेलेक्ट की हुई कहानियों को हम अपनी वेबसाइट और फेसबुक पेज पर पब्लिश करेंगे.

नोट- कहानी कम से कम 300 शब्द की होनी चाहिए.

अपनी कहानी इस पते पर भेजें- grihshobhamagazine@delhipress.in 
आखिरी तारीख- 13 फरवरी, 2020

जवानी जानेमन: यहां पढ़ें सैफ और अलाया की फिल्म का पूरा रिव्यू

रेटिंगः दो स्टार

निर्देशकः नितिन कक्कड़

कलाकारः सैफ अली खान, अलाया एफ, तब्बू,कुबरा सैट और चंकी पांडे

अवधिः एक घंटा, 55 मिनट

कुछ वर्ष पहले हास्य फिल्म ‘‘फिल्मिस्तान’’ का निर्देशन कर शोहरत बटोर चुके फिल्मकार नितिन कक्कड़ इस बार लंदन में बसे भारतीय परिवारों की कहानी के माध्यम से पिता पुत्री की अनूठी कहानी लेकर आए हैं. इस फिल्म में फिल्मकार ने समाज में बदलते रिश्तों के पैमाने पर रोशनी डालने का प्रयास किया है. इस कहानी में अविवहित माता पिता की बेटी भी बिना शादी किए मां बनती है. अब इस कथा को भारत में पले बढ़े भारतीय दर्शक कितना पचा सकेंगे, यह कहना मुश्किल है, शायद इसी वजह से नितिन कक्कड़ ने लंदन में बसे भारतीय परिवारोंं की कहानी के रूप में पेश की है.

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कहानीः

यह कहानी है कमिटमेंट और जिम्मेदारियों से दूर भागने वाले ‘प्ले ब्वौय’ की तरह जिंदगी जीने वाले 40 वर्ष के जसविंदर सिंह उर्फ जैस (सैफ अली खान) की. जैस के लिए शादी, पत्नी, बाल-बच्चे आदि उसकी  आजादी में सबसे बड़ा रोड़ा हैं. इसी वजह से वह अपने माता-पिता और भाई-भाभी से अलग अकेले किराए के मकान में रहते हैं. और हर दिन उनका ज्यादातर वक्त नृत्य व शराब की पार्टियों, क्लब में शराब पीकर नई नई लड़कियों के साथ रात गुजारने में जाता है. जैस अपने भाई डिंपी (कुमुद मिश्रा) के साथ मिलकर रीयल इस्टेट की दलाली ‘ब्रोकर’ का काम करते हैं. वह अपनी जिंदगी में हर तरह से मस्त हैं.

तभी एक दिन एक क्लब में जैस की मुलाकात एम्सर्टडम से आयी 21 वर्षीय टिया (अलाया फर्नीचर वाला) से होती है. दूसरी लड़कियों की तरह टिया के संग भी फ्लर्ट करने के इरादे से जैस, टिया को लेकर अपने घर पहुंचते हैंं. मगर घर पहुंचते ही जैस की उस वक्त सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है, जब टिया बताती है कि वह उनकी बेटी है और वह भी बिना शादी किए अपने प्रेमी रोहण के बच्चे की मां बनने वाली है. जिम्मेदारी से भागने के लिए जैस, टिया से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हैं. टिया जैस का घर छोड़कर सामने वाले मकान में किराए पर रहना शुरू करती है. फिर धीरे धीरे पता चलता है कि जैस 22 साल पहले एम्स्र्टडम में टिया की मां (तब्बू) से मिले थे और पिता बनने की जिम्मेदारी से बचने के लिए उन्हे छोड़कर लंदन भाग आए थे. बहरहाल, कहानी आगे बढ़ती है और रिश्तों का नया पैमाना सामने आता है.

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लेखन व निर्देशनः

विदेशी धरती पर अत्याधुनिक भारतीय परिवारों की कहानी में नयापन है, मगर पटकथा के स्तर पर काफी कमियां है. फिल्मकार यह बात भूल गए कि भारतीय दर्शक छिछोरे नायकों को पसंद नही करता. फिल्मकार की यह सोच भी अति बचकानी लगती है कि हर इंसान सिर्फ सेक्स के पीछे भागता रहता है. पूरी फिल्म बहुत ढीली ढाली है. फिल्मकार ने किरदारों को स्थापित करने में समय बर्बाद करने की बजाय सीधे पिता पुत्री के बिंदु पर आ जाते हैं. और जिस तरह जल्दबाजी दिखते हुए डीएनए टेस्ट के साथ ही यह साबित करा देते हैं कि जैस व टिया, पिता पुत्री हैं, परिणामतः दर्शकों के मन में कोई उत्सुकता जागृत नहीं होती और फिल्म के साथ वह जुड़ नही पाता. फिल्म का क्लायमेक्स होगा, उसका एहसास. फिल्म शुरू होने के दस मिनट बाद ही हो जाता है. फिल्म के कुछ दृश्य जरुर दर्शकों को हंसाते हैं, अन्यथा पूरी फिल्म निराश करती है. हुसेन दलाल के संवाद बहुत सतही हैं.

अभिनयः

फिल्म की सबसे बडी कमजोर कड़ी सैफ अली खान ही हैं. प्ले ब्वौय, जिम्मेदारी से भागने वाले व नित्य नई लड़की के साथ रात गुजारने वाले जैस के किरदार में सैफ अली खान कहीं से भी फिट नहीं बैठते हैं. फिल्म के निर्देशक व सैफ दोनो को यह समझना चाहिए था कि महज एक हाथ में बड़ा टैटू बनवा लेने, अतरंगी बर्ताव व कुछ अजीब से संवादों से एक किरदार प्ले ब्वौय नहीं नजर आता. टिया के किरदार में अलाया फर्नीचरवाला ने बेहतरीन अभिनय किया है.

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पूरी फिल्म में कहीं भी ऐसा एहसास नहीं होता कि यह उनकी पहली फिल्म हो. उनके चेहरे पर हर तरह के इमोशंस बहुत ही नेच्युरली आते हैं. बहुत सहज अभिनय कर उन्होने जता दिया कि उनके अंदर भविष्य में श्रेष्ठ अभिनेत्री बनने की संभावनाएं हैं. तब्बू और चंकी पांडे की प्रतिभा को जाया किया गया है. इनके किरदारों को समुचित विस्तार नहीं दिया गया. जैस की दोस्त और ब्यूटी पार्लर चलाने वाली रिया के किरदार में कुबरा सैट ने जबरदस्त परफार्म किया है. कुमुद मिश्रा व फरीदा जलाल अपनी उपस्थिति बेहतर ढंग से दर्ज कराती हैं.

मैंने अपनी बेटी और बिजनैस को साथ-साथ पाला है- निधि यादव

 निधि यादव संस्थापक, अक्स क्लोथिंग

फैशन डिजाइनर निधि यादव ने अपने परिवार और व्यवसाय में तालमेल बैठा कर अपनी अलग पहचान बनाई. निधि ने अपने ब्रैंड ‘अक्स’ के साथ फैशन की दुनिया में कदम रखा. ‘अक्स’ महिलाओं के लिए कुरतियां, प्लाजो, ऐथनिक सैट, अनारकली आदि की विशाल रैंज प्रस्तुत करता है. इस रेंज में लैगिंग और पारंपरिक जूते भी शामिल हैं. 2019 में निधि को ऐंटरप्रन्योर इंडिया द्वारा लघु व्यवसाय पुरस्कार ‘वूमन ऐंटरप्रन्योजर औफ द ईयर’ मिला. 2019 में ‘आउटलुक बिजनैस वूमन औफ वर्थ’ अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया. पेश हैं, निधि यादव से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश:

बतौर महिला इस मुकाम तक पहुंचने में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

एक महिला होने के नाते सब से बड़ी चुनौती होती है अपने घर को संभालना और साथसाथ अपना काम करना. ऊपर से अगर आप मां भी हों तो यह काम और मुश्किल हो जाता है, क्योंकि घर का काम तो कोई और भी कर सकता है पर आप का बच्चा बस आप के साथ रहना चाहता है. अत: मेहनत थोड़ी ज्यादा करती हूं.

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बच्चों के साथ अपने व्यवसाय को कैसे मैनेज करती हैं?

2014 में जब मैं ने अपना व्यवसाय शुरू किया था तब मेरी बेटी 18 महीने की थी और उसे ज्यादातर समय अपने साथ ही रखना पड़ता था. मैं जब भी डीलर से या किसी मैन्युफैक्चरर से बात करने जाती तो बेटी हर जगह साथ होती थी. जैसेजैसे मेरा काम बढ़ने लगा तो लगातार डील्स के लिए जयपुर भी जाना पड़ता था. तब भी बेटी साथ होती थी. मैं ने और पति दोनों ने मिल कर अपनी बेटी और बिजनैस का ध्यान रखा.

क्या कोई ऐसा पल आया जब परिवार के लिए काम छोड़ने का फैसला लिया?

नहीं. मैं जिंदगी की बहुत शुक्रगुजार हूं कि ऐसा पल कभी नहीं आया. मेरे परिवार ने सदा मेरा साथ दिया. मु झे बहुत बुरा लगता है जब मैं सुनती हूं कि कोई महिला इसलिए आगे नहीं बढ़ पाई, क्योंकि उसे उस के परिवार की देखरेख करनी थी. परिवार का पालन औरत की जिम्मेदारी है, लेकिन इस का यह कतई मतलब नहीं कि

उस के लिए वह अपने सपनों का बलिदान कर दे. यह परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी बेटीबहू के सपनों को पूरा करने में उस की मदद करे.

अपनी सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगी?

यकीनन अपने परिवार और पति को दूंगी. मैं इस जगह नहीं होती अगर सतपाल साथ नहीं देते. एक 7 महीने की बेटी जब गोद में हो, उस वक्त शायद ही कोई मां ऐसी होगी जो अपना नया बिजनैस शुरू करने के बारे में सोचे और शायद ही कोई ससुराल ऐसी होगी जो कहे कि तू आगे बढ़ हम तेरे साथ हैं. जब मैं अपनी बेटी को सुलानेखिलाने में व्यस्त होती थी तो सतपाल कंपनी का सारा काम संभालते थे. रात में जब बेटी सो जाती थी तब हम रात में जाग कर पूरा प्लान बनाते थे.

जिंदगी का वह पल जब आप की जिंदगी ने अपना रुख बदला?

एक पल नहीं, एक फेज कहूंगी. हम ने जब कंपनी शुरू की थी तो इतने बेहतर मार्केट रिस्पौंस की उम्मीद नहीं की थी. हम ने शुरुआत 2 कमरों के घर से की थी. एक में हम सोते थे और दूसरे में सामान रखते थे. काम बेहतर चल निकला. पहले क्व100 करोड़, फिर 2019 में क्व150 करोड़ और अब 2020 में हम क्व200 करोड़ रैवन्यू का टारगेट ले रहे हैं और आने वाले 4-5 सालों में इसे क्व1,000 करोड़ तक ले जाना चाहते हैं.

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आप की नजर में फैशन और ब्यूटी क्या है?

मेरे लिए अच्छा फैशन वह है जो कंफर्टेबल, हो जो आप को खूबसूरत दिखाए. इसी सिद्धांत पर हमारा ब्रैंड ‘अक्स’ बना है.

10 टिप्स: डिजिटल डिटौक्स से लाइफ बनाएं हेल्दी और फिट

सुबह शुरू होते ही फोन के साथ घर से निकलते हैं तो इयर फोन कान में लगा लेते हैं .ऑफिस पहुंचते ही कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठ जाते हैंसुबह शुरू होते ही फोन के साथ घर से निकलते हैं तो इयर फोन कान में लगा लेते हैं .ऑफिस पहुंचते ही कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठ जाते हैं .. ऑफिस से घर पहुंचने तक यही सब चलता रहता है .पहले जो सुविधाएं थी उसकी अब लत लग गई है. जरूरत ना भी हो फिर भी हम सोशल नेटवर्क पर लगातार बने रहते हैं .लोगों का कहना है कि इससे कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होता. कभी बोर नहीं होते. लेकिन सोच कर देखें क्या यह एक लत नहीं बन गई है? आपको जिस लत ने अपनी गिरफ्त में लिया है वह एक बीमारी का रूप लेती जा रही है. शोध बताते हैं कि इस लत से आप डिजिटल डिटॉक्स के माध्यम से छुटकारा पा सकते हैं.

अपने फोन, स्मार्टफोन ,टेबलेट, लैपटॉप और कंप्यूटर से कुछ निश्चित समय के लिए दूर रहना डिजिटल डिटॉक्स कहलाता है. डिजिटल डिटॉक्स आपको स्क्रीन फ्री समय व्यतीत करने का मौका देता है. इससे ना केवल आप रिचार्ज महसूस करते हैं, बल्कि आप क्वालिटी समय  बिता पाते हैं. डिजिटल डिटॉक्स का समय आप अपने अनुसार बना सकते हैं .यह समय 12 घंटे से 24 घंटे तक का हो सकता है.

करें खुद को डिजिटल डिटॉक्स

1. अपना मोटिवेशन चुने

डिजिटल डिटॉक्स होने के लिए सबसे पहले अपना माइंड मेकअप करना चाहिए. आपको कुछ समय यह सोचना चाहिए कि आपका डिजिटल डिटॉक्स क्यों करना चाहते हैं ?आपको यह ना करने पर क्या नुकसान हो रहे हैं! जब आप इन सभी बातों में क्लियर हो जाएंगे तब आप खुद-ब-खुद डिजिटल डिटॉक्स की ओर प्रेरित हो जाएंगे.

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2. ऐप डाउनलोड करें

अगर आप सचमुच खुद को डिजिटल डिटॉक्स करना चाहते हैं तो सबसे पहले “क्वालिटी टाइम चेकि” जैसे ऐप डाउनलोड कर ले! यह आपको  बताते रहेंगे कि आपने कितना समय डिजिटल दुनिया में बिताया. यह  एक तरह से आपको अलर्ट करते रहेंगे .

3. इंजॉय करने कुछ प्लान

डिजिटल डिटॉक्स के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि जो समय आपको मिलने वाला है उसका उपयोग आप किस तरह करेंगे. उसके लिए आप कहीं घूमने , कुकिंग,किसी के घर जाने का कार्यक्रम बना सकते हैं. इस तरह आप डिजिटल डिटॉक्स के समय बोर नहीं होंगे.

4. टाइम लिमिट सेट करें

फोन को 24 घंटे हाथ में लिए रहने की आदत से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि इस साइलेंट मोड में रहना चाहिए .जिससे आपको बार-बार आने वाले मैसेज या मेल पर ना जाये.

5. नोटिफिकेशन ऑप्शन को बंद करें

अपने मेल, व्हाट्सएप मैसेज आदि के अलर्ट या फेसबुक नोटिफिकेशन को टर्न ऑफ कर दें .इससे भी आपका ध्यान मोबाइल फोन पर नहीं जाएगा. हर दो-चार मिनट पर आने वाले नोटिफिकेशन हमें फोन चेक करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

6. अपने फोन को दूसरे रूम में रखें

यह भी एक तरीका हो सकता है कि जब भी आप डिजिटल डिटॉक्स होना चाहते हैं तब तक आप अपना स्मार्टफोन दूसरे कमरे में रख दे .फोन सामने रखने से आदतन हमारा ध्यान चला जाता है.

डिजिटल डिटॉक्स से लाभ

7. मन मस्तिष्क में रहेगी शांति

डिजिटल डिटॉक्स करने से आप अपना कीमती समय व्यायाम योगा में दे सकते हैं. आपको बार-बार मेल या मैसेज चेक करने की कोई टेंशन नहीं रहेगी. इस सब का मिलाजुला असर होगा कि आपके मन को एक सुकून पहुंचेगा.

8. परिवार  के साथ  बॉन्डिंग

परिवार बच्चे और दोस्तों के साथ एक अच्छा समय बिता सकते हैं .आपको हमेशा लगता होगा कि इंटरनेट या व्हाट्सएप में उलझे रहने से आप अपने आसपास के लोगों को समय नहीं दे पाते हैं .जब आप डिजिटल डिटॉक्स करके दोस्तों और परिवार के साथ हंसी खुशी के पल बिताते हैं तो आप खुद ही अपने को ऊर्जावान समझेंगे.

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9. आप की कार्य क्षमता में वृद्धि होगी

कुछ समय के लिए इंटरनेट की दुनिया से दूर होने के बाद जब आप दोबारा लॉग इन करते हैं तब आपके अंदर एक उत्साह होने के कारण आपके काम करने की शक्ति में इजाफा हो जाता है. इसे आप खुद महसूस करके देखिए.

10. हेल्थ अच्छी रहेगी

डिजिटल डिटॉक्स की दुनिया में बहुत समय तक रहने से ना केवल हमारे स्वास्थ्य खराब होता है बल्कि हमारा बॉडी पोस्टर भी बिगड़ जाता है. एक ही स्थिति में फोन या कंप्यूटर पर काम करने से बैक पेन,नेक पेन और रिस्ट पेन तक होने लग जाता है. डिजिटल डिटॉक्स के कारण आपको इन सब से अच्छा और आराम फील होगा.

बाजरा मेथी परांठा

अगर आप भी किटी पार्टी में अपनी दोस्तों के लिए हेल्दी और टेस्टी रेसिपी बनाना चाहती हैं तो ये रेसिपी आपके काम की है. बाजरा मेथी परांठा बनाना बेहद आसान है. इसे आप अपनी फैमिली के लिए कभी भी बनाकर परोस सकती हैं.

हमें चाहिए

2 कप बाजरे का आटा

1/2 कप मेथी कटी

1 छोटा टुकड़ा अदरक

1 हरीमिर्च कटी

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1/4 कप दही

2 छोटे चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

बाजरे के आटे को छान लें. अदरक और हरीमिर्च को पीस लें. बाजरे के आटे में पिसा अदरक, हरीमिर्च, मेथी, तेल और नमक डाल कर दही के साथ आटा गूंध लें. इस आटे की लोइयां बना कर रोटियां बना लें. गरम तवे पर तेल लगा कर दोनों तरफ से सेंकें. गरमगरम परांठे सब्जी के साथ परोसें.

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Cannes से पहले देखिए Shivangi Joshi के ये खूबसूरत रेड कारपेट लुक

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की नायरा यानी एक्ट्रेस शिवांगी जोशी जल्द ही कांस फिल्म फेस्टिवल 2020 में जलवे बिखेरती हुई नजर आने वाली हैं. शिवांगी, हिना खान की तरह कान्स के रेड कार्पेट से अपने लुक से सबका दिल जीतने वाली हैं, लेकिन आज हम आपको शिवांग जोशी के कुछ रेड कारपेट के लुक बताने वाले हैं, जिसे आप भी वेडिंग या पार्टी में ट्राय कर सकते हैं.

1. बेकलेस ड्रेस में लुक है खास

शिवांगी कई अवौर्ड शो के रेड कार्पेट पर अपने लुक्स से फैंस का दिल जीत चुकी हैं. शिवांगी का काला कलर का बेकलेस गाउन आप भी किसी भी पार्टी या वेडिंग में ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ ट्रेंडी भी बनाएगा.

 

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2. शिवांगी का डौल लुक है खास

अगर आपकी शादी अभी हुई है और किसी वेडिंग के लिए आउटफिट देखना चाहती हैं तो शिवांगी का ये रेड गाउन आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. ये गाउन आपके लुक को न्यू ब्राइड लुक देगा.

3. फ्लावर पैटर्न ड्रेस है खास

 

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अगर आप अपने लुक को कुछ खास और नया बनाना चाहते हैं तो शिवांगी का ये रेड कार्पेट लुक बेहद अच्छा रहेगा. आजकल पफी औप फ्लावर पैटर्न वाले कपड़े काफी पौपुलर है. शिवांगी का ये लुक सिंपल के साथ-साथ ट्रेंडी भी है.

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4. शिवांगी का ये आउटफिट है खास

 

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अगर आप किसी क्लासी पार्टी के लिए कुछ ट्रेंडी ट्राय करना चाहती हैं तो शिवांगी का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल स्किन कलर के क्रौप टौप गाउन वाले कौम्बिनेशन के साथ आपके लुक को ट्रेंडी भी दिखाने में मदद करेगा.

शुभारंभ: क्या राजा को उसकी जिम्मेदारियाँ समझा पाएगी रानी?

कलर्स के शो, ‘शुभारंभ’ में एक तरफ जहाँ धीरे-धीरे रानी और राजा एक दूसरे के करीब आ रहे हैं. दूसरी तरफ, राजा की माँ, आशा ने राजा-रानी को अलग करने का मन बना लिया है, जिसके पीछे हाथ है राजा की ताई जी, कीर्तिदा का. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे.

कीर्तिदा के प्लान का मोहरा बनी आशा

कीर्तिदा अब आशा के जरिए अपनी सारी साजिशों को अंजाम देने लग गई है. कीर्तिदा के ही कहने पर, आशा, रानी की माँ, वृंदा को फोन करके कहती है कि वह पड़ोस के मौहल्ले में काम करने से मना कर दे, जिसे वृंदा को बिना किसी सवाल के मानना पड़ता है. जिसके बाद, कीर्तिदा, आशा को ये भरोसा दिलाती है, कि वो बस उनके कहने के मुताबिक काम करती जाए, क्योंकि उसके पास राजा-रानी को अलग करने के लिए एक ठोस योजना है.

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राजा को ऐसे देखकर हैरान हुई रानी 

दुकान में महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए साधारण कपड़ों में जा रहे राजा को रानी रोककर, सही कपड़ों का चुनाव करके देती है और मीटिंग सफलतापूर्वक करने की शुभकामना भी देती है. इसी सुझाव से राजा को कपल कौम्बिनेशन का आइडिया आता है, जो राजा के ताऊ, गुणवंत को बहुत पसंद आता है. इसके बाद रानी, राजा की दुकान पर जाती है और देखती है कि राजा ग्राहकों को नाश्ता परोस रहा है, जबकि राजा के भाई, हितांक और गुणवंत बिजनेस के मुख्य कार्य संभाल रहे हैं. वहीं राजा को ऐसे देखकर रानी को बहुत बुरा लगता है.

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रानी की कशमकश

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राजा को दुकान में देख कर, रानी एक कशमकश में घिर जाती है कि आखिर वो इस बारे में राजा से बात करे या नहीं. इसी बीच, घर लौटते वक्त वह, वृंदा से मिलती है और अपनी मन की बात बताती है. लेकिन वृंदा उसे ये आश्वासन देती है कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. वहाँ घर पहुंचने के बाद, राजा आइडिया के लिए उसका शुक्रिया अदा करता है.

रानी के मन में चल रही है हलचल

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राजा का आइडिया होने के बावजूद, दुकान में राजा को नाश्ते की जिम्मेदारी लेते देख, रानी बहुत बेचैन हो जाती है. आज के एपिसोड में आप देखेंगे कि रानी दोबारा दुकान जाएगी और देखेगी कि राजा बच्चों को संभालने का काम कर रहा है, जबकि हितांक ग्राहकों को संभालने का महत्वपूर्ण काम कर रहा है, जिसे देखकर वो निराश हो जाएगी.

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अब देखना ये है कि क्या रानी, राजा को अपनी परेशानी का कारण समझा पाएगी? क्या रानी के इस कदम से राजा के जीवन में कोई बदलाव आएगा? जानने के लिए देखते रहिए शुभारंभ, सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

कम करना है वजन तो खाएं ये पांच चीजें

बढ़ते हुए वजन से अक्सर लोग परेशान रहते हैं. यही कारण है कि अपने वजन को समान्य करने  के लिए वो तरह तरह के उपाय करते रहते हैं. जैसे डाइटिंग और जिम. हालत से होती है कि लाख कोशिशों के बाद भी उनकी सेहत पर कुछ खास असर नहीं होता है और वो अवसादग्रस्त हो जाते हैं.

वजन कम करने के लिए लोग डाइटिंग करते हैं पर इससे कोई खास फायदा नहीं होता. उल्टे वो कमजोर होते जाते हैं. खानापीना कम करने से सेहत पर भी खासा बुरा असर पड़ता है. वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपकी डाइट काफी बैलेंस्ड हो. जिससे आपका वजन भी कंट्रोल में रहे और आपको जरूरी उर्जा भी मिलती रहे.

इस खबर में हम आपको ऐसी डाइट के बारे में बताएंगे जिससे आपको जरूरी उर्जा भी मिलेगी और आपका वजन भी काबू में होता. तो आइए जाने कि क्या खाना आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा.

1. वेजिटेबल और फ्रूट सैलड

जितना फैट हम बर्न करते हैं उससे ज्यादा कैलोरी कंज्यूम करते हैं जिसके कारण हमारा वजन बढ़ जाता है. हेल्दी रहने के लिए और वजन को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि हम हरे साग, सब्जियों और फलों का सेवन करें. आपको बता दें कि हरे साग सब्जियों और फलों में पानी की मात्रा भरपूर होती है. इसके अलावा इनमें फाइबर भी प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इनका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता और सेहत भी अच्छी रहती है.

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2. फलियां

आपको बता दें कि फलियों में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक होती है. फाइबर का भी ये प्रमुख स्रोत है. मेटाबौलिज्म को मजबूत करने में इनका काफी अहम योगदान होता है. इनका सेवन करने से प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग नहीं होती, जिससे वजन काबू में रहता है.

3. नट्स

भरपूर मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन और अनसैचूरेटेड फैट का स्रोत होते हैं नट्स. कई तरह की बीमारियों में हमें बचाने में ये काफी कारगर होते हैं. हालांकि जरूरी है कि इनका प्रयोग सीमित मात्रा में हो.

4. पानी

अगर आप वजन कम करना चाहती हैं तो जरूरी है कि आप खूब पानी पिएं. डीहाइड्रेटड मांसपेशियां वजन कम करने में सबसे बड़ी बाधा होती हैं. कम पानी पीने से शरीर के मेटाबौलिज्म पर काफी बुरा असर होता है. ज्यादा पानी पीने से भूख भी काबू में रहती है जिससे वजन नहीं बढ़ता है.

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5. अंडा

लोगों में ये धारणा आम है कि अंडा खाने से वजन बढ़ता है. पर हम आपको बता दें कि आपका सोचना गलत है. अंडे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, वहीं उसके पीले हिस्से में, जिसे जर्दी कहते हैं, प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. जानकारों की माने तो नाश्ते में अंडा खाना हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. इससे हमारे शरीर को जरूरी पोषण भी मिलता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है. एक रिपोर्ट की माने तो जिन लोगों ने 5 दिनों तक ब्रेकफास्ट में अंडे खाए, उन लोगों का वजन दूसरे लोगों के मुकाबले 65 फीसदी ज्यादा कम हुआ.

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