सार्थक संकल्प के साथ गठित हुआ गृहशोभा क्लब

वह दौर लोग भूले नहीं हैं जब बिहार पढ़ने के लिए जाना जाता था और उसमें भी अव्वल नाम रांची का हुआ करता था जो अब झारखंड की राजधानी है. इस मझोले खूबसूरत शहर में पढ़ने का जज्बा आज भी कितनी शिद्दत से मौजूद है इसकी एक बानगी या मिसाल बीती 15 जनवरी को देखने में आई जब एक सादे से समारोह में रांची की 15 जागरूक और बुद्धिजीवी महिलाओं ने उत्साहपूर्वक अपनी चहेती पत्रिका गृहशोभा के बेनर तले गृहशोभा क्लब का गठन किया.

इस मीटिंग में परिवार , समाज और देश से ताल्लुक रखते कई अहम मसलों पर गंभीरता से चर्चा हुई जिसमें रूपा अग्रवाल , सरोज गर्ग , शोभा जाजू , निरा बथवाल , मंजू लोहीया , नैना मोर , सुशीला पोद्दार और और मंजू अग्रवाल ने खुलकर अपने अपने विचार व्यक्त किए. गृहशोभा प्रतिनिधि भारत भूषण श्रीवास्तव की मौजूदगी में सम्पन्न हुये इस आयोजन में रांची के वरिष्ठ लेखक प्रभाकर अग्रवाल व स्वतंत्र पत्रकार पंकज यादव भी उपस्थित थे.

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तलाक दर में बढ़ोत्री , बच्चों में मोबाइल की विकराल रूप लेती लत और चिड़चिड़ापन, परिवार के सदस्यों के बीच पसरती संवादहीनता और आत्महत्या की बढ़ती प्रवृति पर सभी ने चिंता व्यक्त की और एक सुर में यह निष्कर्ष निकाला कि पढ़ने लिखने  की आदत छूटने से भी ये समस्याएँ दिनों दिन बढ़ रहीं हैं. तय यह किया गया कि क्लब मेंबर्स यथासंभव स्कूल कालेजों में जाकर बच्चों व युवाओं को पढ़ने का महत्व और फायदे समझाएगी और इसके लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं भी समय समय पर आयोजित करेंगी जिससे उनकी दिलचस्पी पढ़ने में बढ़े.

निश्चित रूप से 2020 के प्रारम्भ में ही रांची से शुरू हो रहा यह अभियान बड़े पैमाने पर दिखेगा क्योंकि इसके पीछे समाज की जिम्मेदार महिलाओं के सार्थक सरोकार व संकल्प है जिसमें देश का अग्रणी पत्रिका समूह दिल्ली प्रेस अपनी पत्रिकाओं के जरिये हमेशा की तरह हर संभव मदद कर लेखन व पत्रकारिता की अपनी शैली में करेगा.

अगर आप भी समाज के प्रति अपनी ऐसी ही ज़िम्मेदारी को निभाने अपने शहर में गृहशोभा क्लब का गठन करना चाहती हैं तो गृहशोभा के पते पर संपर्क कर सकती हैं या फिर मोबाइल नंबर 9826701747 पर काल कर जानकारी ले सकती हैं. रांची क्लब की गतिविधियां समय समय पर गृहशोभा के डिजिटल व प्रिंट संस्करण में देखी जा सकती हैं.

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तालमेल: भाग-3

‘‘तुम ने क्या नौकरी बदल ली है गोपाल?’’ अंकल ने पूछा.

‘‘नहीं अंकल.’’

‘‘ऋतु बता रही थी कि अब तुम बहुत व्यस्त रहते हो. पहले तो तुम समय पर घर आ जाते थे.’’

‘‘तरक्की होने के बाद काम और जिम्मेदारियां तो बढ़ती ही हैं अंकल.’’

‘‘तुम्हारी बढ़ी हुई जिम्मेदारियों में मैं एक और जिम्मेदारी बढ़ा रहा हूं गोपाल,’’ अंकल ने आग्रह किया, ‘‘ऋतु का खयाल भी रख लिया करो. राहुल बता रहा था कि तुम्हारे मिलने पर उसे थोड़ी राहत महसूस हुई थी, लेकिन तुम भी एक बार आने के बाद व्यस्त हो गए और ऋतु ने अपने को एकदम नकारा समझना शुरू कर दिया है. असल में मैं राहुल के फोन करने पर ही यहां आया हूं. अगले कुछ महीनों तक उस पर काम का बहुत ही ज्यादा दबाव है और ऐसे में ऋतु का उदास होना उस के तनाव को और भी ज्यादा बढ़ा देता है. अत: वह चाहता था कि मैं कुछ अरसे के लिए ऋतु को अपने साथ ले जाऊं, लेकिन मैं और तुम्हारी आंटी यह मुनासिब नहीं समझते. राहुल के मातापिता ने साफ कहा था कि राहुल की शादी इसलिए जल्दी कर रहे हैं कि पत्नी उस के खानेपहनने का खयाल रख सके. ऐसे में तुम्हीं बताओ हमारा उसे ले जाना क्या उचित होगा? मगर बेचारी ऋतु भी कब तक टीवी देख कर या पत्रिकाएं पढ़ कर समय काटे? पासपड़ोस में कोई हमउम्र भी नहीं है.’’

‘‘वह तो है अंकल, लेकिन मेरा आना भी अकसर तो नहीं हो सकता,’’ उस ने असहाय भाव से कहा.

‘‘फिर भी उस से फोन पर तो बात कर ही सकते हो.’’

‘‘वह तो रोज कर सकता हूं.’’

‘‘तो जरूर किया करो बेटा, उस का अकेलापन कुछ तो कम होगा,’’ अंकल ने मनुहार के स्वर में कहा.

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घर लौटने के बाद गोपाल को भी अकेलापन खलता था. अत: वह ऋतु को रोज रात को फोन करने लगा. वह जानबूझ कर व्यक्तिगत बातें न कर के इधरउधर की बातें करता था, चुटकुले सुनाता था, किव्ज पूछता था. एक दिन जब किसी बात पर ऋतु ने उसे फिर गोलू जीजाजी कहा तो वह पूछे बगैर न रह सका, ‘‘तुम्हें यह नाम कैसे मालूम है ऋतु, रचना के बताने का तो सवाल ही नहीं उठता?’’

ऋतु सकपका गई, ‘‘एक बार आप दोनों को बातें करते सुन लिया था.’’

‘‘छिप कर?’’

‘‘जी,’’ फिर कुछ रुक कर बोली, ‘‘उस रोज छिप कर आप की और पापा की बातें भी सुनी थीं जीजाजी. आप कह रहे थे कि आप शादी करेंगे, मगर तब जब मनु भी अपनी अलग दुनिया बसा लेगा. उस में तो अभी कई साल हैं जीजाजी, तब तक आप अकेलापन क्यों झेलते हैं? मैं ने तो जब से आप को देखा है तब से चाहा है, तभी तो आप की हर पसंदनापसंद मालूम है. अब जब आप भी अकेले हैं और मैं भी तो क्यों नहीं चले आते आप मेरे पास?’’

‘‘तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ऋतु,’’ गोपाल चिल्लाया, ‘‘6 फुट के पति के रहते खुद को अकेली कह रही हो?’’

‘‘6 फुट के पति के पास मेरे लिए 6 पल भी नहीं हैं जीजाजी. घर बस नहाने, सोने को आते हैं, आपसी संबंध कब बने थे, याद नहीं. अब तो बात भी हांहूं में ही होती है. शिकायत करती हूं, तो कहते हैं कि अभी 1-2 महीने तक या तो मुझे यों ही बरदाश्त करो या मम्मीपापा के पास चली जाओ. आप ही बताओ यह कोई बात हुई?’’

‘‘बात तो खैर नहीं हुई, लेकिन इस के सिवा समस्या का कोई और हल भी तो नहीं है.’’

‘‘है तो जो मैं ने अभी आप को सुझाया.’’

‘‘एकदम अनैतिक…’’

‘‘जिस से किसी पर मानसिक अथवा आर्थिक दुष्प्रभाव न पड़े और जिस से किसी को सुख मिले वह काम अनैतिक कैसे हो गया?’’ ऋतु ने बात काटी, ‘‘आप सोचिए मेरे सुझाव पर जीजाजी.’’

गोपाल ने सोचा तो जरूर, लेकिन यह कि ऋतु को भटकने से कैसे रोका जाए? राहुल जानबूझ कर तो उस की अवहेलना नहीं कर

रहा था और फिर यह सब उस ने शादी से पहले भी बता दिया था, लेकिन ऋतु से यह अपेक्षा करना कि वह संन्यासिनी का जीवन व्यतीत

करे उस के प्रति ज्यादती होगी. ऋतु को नौकरी करने या कोई कोर्स करने को कहना भी

मुनासिब नहीं था, क्योंकि मनचले तो हर जगह होते हैं और अल्हड़ ऋतु भटक सकती थी. इस से पहले कि वह कोई हल निकाल पाता, उस की मुलाकात अचानक राहुल से हो गई. राहुल उस के औफिस में फैक्टरी के लिए सरकार से कुछ अतिरिक्त सुविधाएं मांगने आया था.

गोपाल उसे संबंधित अधिकारी के पास ले गया और परस्पर परिचय करवाने के बाद बोला, ‘‘जब तक उमेश साहब तुम्हारी याचिका पर निर्णय लेते हैं, तुम मेरे कमरे में चलो राहुल, कुछ जरूरी बातें करनी हैं.’’

राहुल को असमंजस की स्थिति में देख कर उमेश हंसा, ‘‘बेफिक्र हो कर जाइए. गोपाल बाबू के साथ आए हैं, तो आप का काम तो सब से पहले करना होगा. कुछ

देर के बाद मंजूरी के कागज गोपाल बाबू के कमरे में पहुंचवा दूंगा.’’

राहुल के चेहरे पर राहत के भाव उभरे.

‘‘अगर वैस्ट वाटर पाइप को लंबा करने की अनुमति मिल जाती है तो मेरी कई परेशानियां खत्म हो जाएंगी जीजाजी और मैं काम समय से कुछ पहले ही पूरा कर दूंगा. अगर मैं ने यह प्रोजैक्ट समय पर चालू करवा दिया न तो मेरी तो समझिए लाइफ बन गई. कंपनी के मालिक दिनेश साहब हरेक को उस के योगदान का श्रेय देते हैं. वे मेरी तारीफ भी जरूर करेंगे जिसे सुन कर कई और बड़ी कंपनियां भी मुझे अच्छा औफर दे सकती हैं,’’ राहुल ने गोपाल के साथ चलते हुए बड़े उत्साह से बताया.

‘‘यानी तुम फिर इतने ही व्यस्त हो जाओगे?’’

‘‘एकदम तो नहीं. इस प्रोजैक्ट को सही समय पर चालू करने के इनाम में दिनेश साहब 1 महीने की छुट्टी और सिंगापुर, मलयेशिया वगैरह के टिकट देने का वादा कर चुके हैं. जब तक किसी भी नए प्रोजैक्ट की कागजी काररवाई चलती है तब तक मुझे थोड़ी राहत रहती है. फिर प्रोजैक्ट समय पर पूरा करने का काम चालू.’’

‘‘लेकिन इस व्यस्तता में ऋतु को कैसे खुश रखोगे?’’

‘‘वही तो समस्या है जीजाजी. नौकरी वह करना नहीं चाहती और मुझे भी पसंद नहीं है. खैर, किसी ऐसी जगह घर लेने जहां पासपड़ौस अच्छा हो और फिर साल 2 साल में बच्चा हो जाने के बाद तो इतनी परेशानी नहीं रहेगी. मगर समझ में नहीं

आ रहा कि फिलहाल क्या करूं? इस पाइप लाइन की समस्या को ले कर पिछले कुछ दिनों से इतने तनाव में था कि उस से ठीक से बात भी नहीं कर पा रहा. ऋतु स्वयं को उपेक्षित फील करने लगी है.’’

‘‘पाइप लाइन की समस्या तो समझो हल हो ही गई. तुम अब ऋतु को क्वालिटी टाइम दो यानी जितनी देर उस के पास रहो उसे महसूस करवाओ कि तुम सिर्फ उसी के हो, उस की बेमतलब की समस्याओं या बातों को भी अहमियत दो.’’

‘‘यह क्वालिटी टाइम वाली बात आप ने खूब सुझाई जीजाजी, यानी सौ बरस की जिंदगी से अच्छे हैं प्यार के दोचार दिन.’’

‘‘लेकिन एक एहसास तुम्हें उसे और करवाना होगा राहुल कि उस की शख्सीयत फालतू नहीं है, उस की तुम्हारी जिंदगी में बहुत अहमियत है.’’

‘‘वह तो है ही जीजाजी और यह मैं उसे बताता भी रहता हूं, लेकिन वह समझती ही नहीं.’’

‘‘ऐसे नहीं समझेगी. तुम कह रहे थे न कि दिनेश साहब सार्वजनिक रूप से तुम्हारे योगदान की सराहना करेंगे. तब तुम इस सब का श्रेय अपनी पत्नी को दे देना. बात उस तक भी पहुंच ही जाएगी…’’

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‘‘उद्घाटन समारोह में तो वह होगी ही. अत: स्वयं सुन लेगी और बात झूठ भी नहीं

होगी, क्योंकि जब से ऋतु मेरी जिंदगी में आई है मैं चाहता हूं कि मैं खूब तरक्की करूं और उसे सर्वसुख संपन्न गृहस्थी दे सकूं.’’

गोपाल ने राहत की सांस ली. उस ने राहुल को व्यस्तता और पत्नी के प्रति दायित्व निभाने का तालमेल जो समझा दिया था.

‘स्ट्रीट डांसर 3D’ के प्रमोशन के दौरान नोरा फतेही के ये लुक आप भी कर सकती हैं ट्राय

बौलीवुड एक्ट्रेस नोरा फतेही इन दिनों अपने डांस और फिल्म को लेकर सुर्खियों में है. 24 जनवरी को नोरा फतेही, वरूण धवन और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘स्ट्रीट डांसर 3D’ रिलीज होने वाली है, जिसके प्रमोशन में नोरा काफी बिजी है, लेकिन इस दौरान नोरा का फैशन देखने लायक है. आज हम नोरा फतेही के कुछ लुक्स के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप औफिस में आसानी से ट्राय कर सकती हैं. ये कैरी करने में भी आसान है, जो आपके लुक को कूल और कम्फरटेबल लुक देगा.

1. औफिस के लिए परफेक्ट है ये लुक

अगर आप किसी प्रौफेशनल मीटिंग्स में अपने लुक से लोगों को इम्प्रेस करना चाहती हैं तो नोरा का ये लूज ब्लू कोट पैंट लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है. इसके साथ आप विंटर में वाइट हाइनेक भी ट्राय कर सकती हैं. आप चाहें तो हील्स की बजाय वाइट शूट भी इस लुके साथ ट्राय कर सकती हैं.

 

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?? @cultgaia @ayanasilverjewellery @manekaharisinghani @macepedrozo @swapnil_kore_photography

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2. नोरा का ये लुक है परफेक्ट

 

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basic dont suit me ??

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अगर आप औफिस के लिए पैंट्स की जगह स्कर्ट पहनना पसंद करती हैं तो सिंपल औरेंज कलर की स्कर्ट और कोट के साथ वाइट टौप का कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट है. इसके साथ आप वाइट हील्स या शूट ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट औप्शन है.

3. विंटर के लिए परफेक्ट हौ ये ड्रेस

अगर आप विंटर में औफिस के लिए अपना लुक बदलने की सोच रही हैं तो सिंपल लौंग वूलन ड्रेस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ अगर आप हील्स की बजाय शूज कैरी करेंगी तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. डैनिम लुक करें औफिस के लिए ट्राय

 

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Stepped in Looking like a snack.. Mandem ready to attack ? ??? ??‍♀️

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अगर आप औफिस के लिए डैनिम लुक ट्राय करना चाहती हैं तो लौंग ड्रेस के साथ के साथ लौंग डैनिम लुक परफेक्ट रहेगा. इसके साथ आप शूज कैरी कर सकते हैं.

5. पोलका डौट लुक करें औफिस के लिए ट्राय

 

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? ? yumm… #OSakiSaki #BatlaHouse Aug 15 ? Photo by @anups_

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अगर आप पोल्का डौट के शौकीन हैं और उसे औफिस के लुक के साथ ट्राय कर सकते हैं. यैलो कलर के सिंपल कोट पैंट के साथ सिंपल पोलका डौट टौप कैरी कर सकती हैं. ये आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

जानें क्या है इनसिक्योरिटी का कारण

अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं तो आपके पार्टनर का असुरक्षित महसूस करना एक आम बात है. लेकिन वह असुरक्षित क्यों महसूस कर रहा हैं ,कभी-कभी यह समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. और जब यही गलतफहमियां बढ़ने लगती हैंं तो रिश्ते को आगे बढ़ाने में मुश्किलेंं होती हैं.

अगर आपको लगता है कि इस  तरह की भावना के लिए केवल आपका पार्टनर जिम्मेदार है तो आप गलत सोच रही हैं. आपको भी अपने पार्टनर के मन में झांक उसे समझना होगा. आइए जानते हैं कैसे.

1. पुरुष मित्र की तारीफ

जब औरतें अपने पुरुष सहकर्मी की तारीफ करती हैं तब  मर्दों को इससे बहुत ज्यादा असुरक्षा का एहसास होता है. भले वह मुंह सेेे खुलकर  बोले लेकिन उनके मन में यह बात घर करने लगतीी है कि उनकी पत्नी या प्रेमिका अपने सहकर्मी से प्रभावित है. आप  उनको बात बात में बतायें कि जब आप उनके साथ  कमिटेड हैं तो वे इससे घबराएं नहीं. ये सिर्फ उनके काम  का कामयाबी  की सराहना है .जो काफी साधारण बात है.

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2. शारीरिक क्षमता नहीं भावनात्मक

अपने पार्टनर को बतायें कि सिर्फ शारीरिक संबंध ही नहीं आप उनसे भावनात्मक रिश्ते में भी उसी मजबूती से जुड़ना चाहती हैं. इस  तरह वे आप के प््रति मन से आप के लिए नकारात्मक भाव लाने के बजाय आपके साथ रोमांटिक पलों को एंजॉय करेंगे.

3. ब्रेकअप की कड़वाहट को भूलें

महिला हो या पुरुष जब एक बार धोखा खा चुके होते हैं तो नए सिरे से दूसरे रिश्तेके साथ एडजस्ट करने में समय लगता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप पुरानी कड़वाहट  को अपने नए रिश्ते के बीच में भी लाएं. जरूरी नहीं यदि पहले साथी ने धोखा दिया है तो, आपको  नया पार्टनर भी धोखा देगा. जो बीत गया उसे जाने दो आप अपना आज न खराब करें.

4. पति- पत्नी के बीच में स्टेटस सिंबल क्यों 

आज के समय में महिलाएं किसी से कम नहीं. वे आत्म निर्भर है और अच्छी पोस्ट पर कार्यरत भी .लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पति पत्नी के बीच में स्टेटस सिंबल को लेकर रोज युद्ध का मैदान तैयार हो जाए.अगर किसी पुरुष के मुकाबले में उसकी पत्नी या गर्लफ्रेंड ज्यादा सफल है तो इसमें असुरक्षा की भावना क्यों? अपने पार्टनर को प्यार से समझाएं.

5. एक्स-पार्टनर हो आफिस में

यदि आपके पार्टनर ने आपको बोला भी हो  कि उसको आपके एक्स के आफिस में होने से फर्क नहीं पड़ता. मतलब सीधा और साफ है उनको फर्क पड़ता है .अब  आपको ये समझने की जरूरत है.  पार्टनर को कैसे समझाए.

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6. फ्रेंड सर्कल में पुरुष मित्र

यदि आपके सर्कल में पुरुष मित्र भी है तो कोई बात नहीं. बस जरूरी है कि आप अपने पति या बॉयफ्रेंड को अपने दोस्तों के बारे में सच सच बताएं. यदि आप छिपायेंगी तो उनको शक होगा.  पुरुष दोस्तों का होना गलत  नहीं , लेकिन इसके लिए अपने पार्टनर से झूठ बोलना या धोखे में रखना गलत है.

7. कहीं आप सीक्रेटिव तो नहीं

अगर आप चुप चुप रहती हैं और अपने पार्टनर से  खुलकर  नहीं बोलतीं. तो ये बात आपके पार्टनर को खलती होगी. उनको लगेगा कि आप उनके साथ खुश नहीं. अपने मन की बात शेयर करें और उनको समझायें कि ये आपका स्वभाव है न कि आप कुछ सीक्रेट रख रही हैं.

हैल्दी ईटिंग हैबिट के लिए अपनाएं ये 9 टिप्स

सेहतमंद रह कर जिंदगी का आनंद उठाना है तो अपने खानपान में ये बदलाव जरूर करें… पारस पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और फोटोग्राफी के शौकीन हैं. अब अगर पारस के हफ्तेभर की दिनचर्या पर गौर फरमाया जाए, तो वे हफ्ते में 40 से 50 घंटे काम करते हैं और ऐसी व्यस्त जीवनशैली की वजह से अपने आप पर अधिक ध्यान दे नहीं पाते हैं साथ ही कंप्यूटर के सामने लंबे समय तक बैठे रहने व काम के तनाव से उन्हें उच्चरक्तचाप व डायबिटीज जैसी बीमारी उपहार में जरूर मिल गई हैं. दरअसल होता यही है कि हम अपने काम में अपने आपको इतना वयस्त कर लेते हैं कि हम अक्सर अपनी सेहत से सम झौता कर बैठते हैं और हैल्दी रहने के लिए जिम जाकर पसीना बहाते हैं, डाइटिंग करते हैं और सोचते हैं कि ये सब कर खुद को बीमारियों से बचा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है आप चुस्त हो या दुरूस्त हो कितने ही हेल्थ कौंशस क्यों न हो फिर भी दुनियाभर की बीमारियां आपको घेर ही लेती हैं इसलिए सिर्फ स्वस्थ आहार या व्यायाम ही काफी नहीं है बल्कि इनके साथसाथ हेल्दी ईटिंग हैबिट भी जरूरी हैं. क्योंकि हैल्दी ईटिंग हैबिट स्वस्थ जीवन जीने के लिए बहुत जरूरी है. फिर भी हम में से बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि इनका क्या महत्व है या ये कौन सी आदते हैं, जिन्हें अपनाकर वे स्वस्थ रह सकते हैं और अनचाही बीमारियों से अपने आपको दूर रख सकते हैं. अगर आप भी हेल्दी रहना चाहते हैं तो यह जानकारी आप ही के लिए है.

1. खानें पर दें ध्यान

आप जब भी खाना खाने बैठे तो इस बात पर ध्यान दें कि आप क्या खा रहें है और आप सबसे अधिक क्या खाते हैं. क्या आप बहुत ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाते हैं और फिर इस कैलोरी को बर्न नहीं कर पाते हैं. तब आपको शायद कुछ ऐसा खाना चाहिए जो कम वसा वाला हो और आपका शरीर उसे आसानी से पचा ले. साथ ही हल्का खाना खाएं और तले-भुने खाने से दूर रहें. सलाद खाने पर ज्यादा जोर दें. स्प्राउट्स खाएं. अपने लिए हेल्दी फूड का प्लान बनाएं.

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2. पर्याप्त प्रोटीन लें

प्रोटीन शरीर के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसे आहार में निश्चित रूप से शामिल किया जाना चाहिए. ब्रोकोली, सोयाबीन, दाल और पालक कुछ प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ हैं. कम वसा वाले डेयरी उत्पाद भी प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं. वैसे तो आपके भोजन में लगभग 25% हिस्सा प्रोटीन होना ही चाहिए. लेकिन  यदि आप प्रतिदिन व्यायाम करते हैं, तो 5 प्रतिशत प्रोटीन बढ़ा दें.

3. पानी पीने का ध्यान रखें

पानी के माध्यम से शरीर को महत्वपूर्ण मात्रा में खनिज प्राप्त होते हैं और शरीर डिटॉक्सीफाई होता है जिससे आपकी त्वचा पर निखार आता है. हालांकि, भोजन के दौरान पानी पीने से बचें क्योंकि यह पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है. इसलिए हमेशा कहा जाता है कि भोजन से 30 मिनट पहले या बाद में पानी पीना उचित है. लेकिन क्या आपको पता है कि सही तरीके से पानी पीना भी हेल्दी ईटिंग हैबिट में आता है. कोशिश करें कि सुबह उठते ही पानी पिएं क्योंकि सुबह की लार पाचन के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. सुबह पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और आप विभिन्न रोगों से बच जाते हैं.  हरी पत्तेदार सब्जियां चुनें: अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें क्योंकि ये प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा स्रोत हैं. हरी पत्तेदार सब्जियां तैयार करना आसान है और ये खाने में काफी स्वादिष्ट भी होती हैं. अपने खाने में हर तरह के रंग की सब्जी को शामिल करें और कोशिश करें कि दिन में कम से कम एक बार सभी छह अलग-अलग प्रकार के स्वाद (मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा, कसैला) अपने खाने में शामिल होने चाहिए.

4. खाना चबाकर खाएं

खाने को पचाने का सबसे आसान तरीका है इसे चबा कर खाना. हम में से अधिकतर लोग खाने को जल्दी खाने के चक्कर में उसे सही ढंग से पचा नहीं पाते हैं. जिस वजह से आपका पाचन तंत्र थक जाता है. इसलिए खाने को कम से कम 30-35 बार चबाकर खाएं और इस हेल्दी ईटिंग हैबिग को जरूर अपनाएं.

5. ओवरईटिंग से बचें

जब भूख लगें तभी खाएं बिना भूख का खाना नुकसानदायक होता है और जब भूख लगे तो इतना खाना खाना चाहिए कि लगे कि बस अब पेट भरने वाला है. क्योंकि जहां ओवरईटिंग हुई वहीं पर मामला गड़बड़ हो जाता है. हम से अधिकतर लोग खाना खाते वक्त फोन या टीवी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें इस बात का ख्याल भी नहीं रहता है कि हम भूख से अधिक खा चुके हैं. ऐसे में यदि आप केवल अपने भोजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो आप केवल उतना ही खाएंगे जितना आपके शरीर को चाहिए. इसलिए, अगली बार जब भी आप खाने के लिए बैठें, तो रिमोट कंट्रोल और मोबाइल फोन को कुछ समय के लिए दूर ही रखें.

6. नाश्ता करना न भूलें

आमतौर पर सुबह का समय बहुत व्यस्त होता है, जिस वजह से काम निपटाने के चक्कर में नाश्ता रह जाता है और खाने का समय हो जाता है. जबकि नाश्ता आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शरीर को पूरे दिन के लिए तैयार करता है. इसलिए कोशिश करें कि जब भी आप घर से बाहर कदम रखें तो नाश्ता कर के ही जाएं. साथ ही अपने मील टाइम को फिक्स करें.  पाचन शक्ति बढ़ाए: अगर आपको यह पता है कि क्या खाना चाहिए और कितना खाना आपके शरीर के लिए जरूरी है, तो आपकी ये ईटिंग हैबिट आपकी पाचन प्रक्त्रिया को बढ़ाने में मदद करती हैं. इसके अलावा आप कुछ एक्सरसाइज के जरिए भी इसे बढ़ा सकती हैं.

7. खाने में बदलाव जरूरी

बीमारियों से बचने के लिए अक्सर लोग पौष्टिक आहार खाने की सलाह देते हैं, लेकिन शरीर में सभी पोषक तत्वों को पहुंचाने के लिए खाने को बदलबदल कर खाने की आदत को अपनाना जरूरी है. वैसे भी इस तरह से बदलबदल कर भोजन खाने से शरीर की जरूरतें भी पूरी हो जाती हैं और भोजन करने में स्वाद भी आता है.

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8. ड्राइफ्रूट से न बढाएं दूरी

जिन लोगों को कोलेस्ट्रोल होता है वे अक्सर सूखे मेवे खाने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इसमें फैट होता है, जो उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है बल्कि बादाम, अखरोट और पिस्तें में पाये जाने वाला फाइबर, ओमेगा-3 फैसिड एसिड और विटामिंस बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है. इनमें मौजूद फाइबर आपको भूख नहीं लगने देते हैं. लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि तले-भुने सूखे मेवे खाने से बचें.

9. सफेद चीजों को करें नजरअंदाज

इनमें चीनी, नमक, दूध, मैदा, चावल सभी आते हैं. कोशिश करें इनको कम खाएं. नमक में सेंधा नमक का प्रयोग करें और अगर आप चाय पीने के शौकीन हैं, तो 4 कप चाय पीते हैं, तो आप इसे घटाकर दिन में 3 बार पिएं जहां 1 चम्मच चीनी लेते हैं वहां आधा चम्मच चीनी डालें, इससे पहले की डॉक्टर आपको ये सब बंद करने के लिए बोल दें तो आप खुद ही अपनी आदतों में बदलवा कर लें. वहीं सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस खाएं. कोशिश करें मांड वाले चावल खाएं. मैदा से बनी चीज कम खाएं, इसके अलावा फुल क्त्रीम दूध की जगह डबल टोंड दूध पिएं.

न्यू बौर्न बेबी के लिए इन प्रौडक्ट्स का करें इस्तेमाल

नवजात की स्किन बहुत नाजुक होती है. इन की स्किन की सौम्यता को बरकरार रखने के लिए मातापिता विभिन्न उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इन उत्पादों को खरीदने से पहले उन्हें यह जानकारी जरूर होनी चाहिए:

1. स्किन में नमी बनाए रखें

जाहिर सी बात है कि आप अपने बच्चे के लिए स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती ही होंगी, लेकिन क्या ये प्रोडक्ट्स आप के बच्चे की स्किन को पूरी तरह मौइस्चराइज कर उसे हाइड्रेटेड रखते हैं. हम ऐसा इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि नवजात की स्किन पर मौसम का असर बहुत जल्दी दिखता है और सर्दियों में उस की स्किन रूखी हो जाती है, इसलिए ऐसे समय में उस की स्किन को ऐसी क्रीम या साबुन की जरूरत होती है जो उस की स्किन को भरपूर नमी प्रदान करे.

2. कैमिकल न हो रत्तीभर

नवजात के लिए बनाए उत्पादों में विभिन्न प्रकार के कैमिकल मिलाए जाते हैं, जो उन की स्किन के लिए खतरनाक हो सकते हैं. इसलिए ऐसे प्रोडक्ट्स खरीदें जो पैराबिंस फ्री हों.

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3. स्किन रहे मखमल सी

नवजात की स्किन जन्म से ही बहुत कोमल होती है. अत: उस के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स खरीदने चाहिए जो स्किन को सौफ्ट बनाए रखें यानी बेबी केयर उत्पाद सोचसम झ कर ही खरीदें.

4. रंग या खुशबू न हो यूज

नवजात के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्किन केयर प्रोडक्ट में किसी प्रकार का कृत्रिम रंग व खुशबू नहीं होनी चाहिए. कई बार मातापिता बच्चे के लिए प्रोडक्ट उस के गुणों को देख कर नहीं, बल्कि खुशबू देख कर लेते हैं, जोकि गलत है. इन कैमिकल्स की वजह से उसे स्किन इन्फैक्शन भी हो जाता है.

5. डर्मेटोलौजिकली टैस्टेड

नवजात की स्किन पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद पूरी तरह से डर्मेटोलौजिकली टैस्टेड होने चाहिए ताकि सैंसिटिव स्किन का इन पर कोई असर न हो और शिशु पूरी तरह से सुरक्षित रहे.

6. सुरक्षा भी है जरूरी

आजकल बाजार में विभिन्न ऐडवांस बेबी केयर प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, जो शिशु की परवरिश को ईजी बनाते हैं और उस की स्किन सुरक्षा भी करते हैं, आइए जानें कैसे:

7. प्रैम कम स्ट्रोलर

आप अपने बच्चे के साथ कहीं घूमने या मार्केट जा रही हैं, तो ऐसे में थकान के साथसाथ शिशु की सुरक्षा भी चिंता का कारण बन जाती है, लेकिन मार्केट में मौजूद प्रैम कम स्ट्रोलर आप की इस समस्या को हल कर देते हैं. यह इतना सौफ्ट होता है कि इस पर बच्चे को आराम से लिटाया या बैठाया जा सकता है. यह काफी मजबूत भी होता है, जिस से इस के टूटने और शिशु के निकलने का डर नहीं रहता है.

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8. टोडलर बूस्टर

अगर आप अकेले बराबर वाली सीट पर शिशु को लिटा कर कार चला रही हैं, तो इस दौरान उस की सुरक्षा का डर लगा रहता है. लेकिन टोडलर बूस्टर ड्राइविंग के समय उसे सेफ रखने का सब से बेहतरीन तरीका है. शिशु को बूस्टर सीट पर बैठा कर खरीदारी करना भी आप के लिए ईजी हो जाता है.

9. फोल्डेबल बाथ

नवजात को नहलाते वक्त मातापिता को काफी डर लगता है, लेकिन फोल्डेबल बाथ टब आप के इस डर को दूर करता है और नवजात को नहलाने की प्रक्रिया को आसान व सुरक्षित बनाता है. इसे फोल्ड करना बेहद आसान है, इसे आप कभी भी कहीं भी ले जा सकती हैं और यह काफी मजबूत भी होता है.

मां मां होती है: भाग-3

पिछला भाग- मां मां होती है: भाग-2

दोनों बहनों में केवल फोन से ही बातें होतीं. कुसुम मां की खाने की फरमाइशें देख कर हैरान हो जाती. अगर कुछ कहो तो मां वही पुराना राग अलापतीं, ‘तुम्हारे पापा होते तो आज मेरी यह गत न होती.’ यह सब सुन कर वह भी चुप हो जाती. मगर रमेश उबलने लगा था. उस ने पीना शुरू कर दिया. अकसर देररात गए घर आता और बिस्तर पर गिरते ही सो जाता.

कुसुम कुछ समझानाबुझाना चाहती भी, तो वह अनसुना कर जाता. दोनों के बीच का तनाव बढ़ने लगा था. मगर आंटी को सिर्फ समय से अपनी सफाई, पूजा, सत्संग और भोजन से मतलब था. इन में कोई कमी हो जाए, तो चीखचीख कर वे घर सिर पर उठा लेतीं. अब हर वक्त प्रज्ञा को याद करतीं कि वह ऐसा करती थी, महेश मेरी कितनी सेवा करता था आदिआदि.

यह सब सुन कर रमेश का खून खौल जाता. असल में महेश अपने भाइयों में सब से छोटा होने के कारण सब की डांट सुनने का आदी था. लेकिन रमेश 2 बहनों का एकलौता भाई होने के कारण लाड़ला पुत्र था. उस के बरदाश्त की सीमा जब खत्म हो गई तो एक रात वह वापस घर ही नहीं आया.

सब जगह फोन कर कुसुम हाथ पर हाथ धर कर बैठ गई. सुबह ननद

का फोन आया कि वह हमारे घर में

है. कानपुर से लखनऊ की दूरी महज

2-3 घंटे की तो है, सारी रात वह कहां था? इस का कोई जवाब ननद के पास भी नहीं था. फिर तो वह हर 15 दिन में बिना बताए गायब हो जाता और पूछने पर तलाक की धमकी देने लगा. कभी कहता, ‘कौन सा सुख है इस शादी से, अंधी लड़ाका सास और बेवकूफ बीवी, न दिन में चैन न रात में.’

कुसुम के शादीशुदा जीवन में तलाक की काली छाया मंडराने लगी थी. वह अकसर मेरे सामने रो पड़ती. आंटी किसी की बात सुनने को तैयार ही नहीं थीं. उस दिन उन की चीखपुकार सुन कर मैं उन से मिलने चली गई. पता चला कुसुम की छोटी बेटी रिनी की गेंद उछल कर उन के कमरे में चली गई. बस, इतने में ही उन्होंने घर सिर पर ले रखा था. पूरा कमरा धोया गया. दरवाजे, खिड़की, परदे, चादर सब धुलने के बाद ही उन्हें संतुष्टि हुई.

कुसुम ने बताया, ‘वह अपनी बेटियों को सिर्फ सोते समय ही मां के कमरे में ले जाती है. बाकी समय वह अपना कमरा बंद कर बैठी रहती है ताकि रिनी और मिनी उन के सामान को हाथ न लगा सकें. वैसे, मिनी 6 साल की हो गई है और बहुत समझदार भी है. वह दिन में तो स्कूल चली जाती है और शाम को दूसरे कमरे में ही बैठ कर अपना होमवर्क करती है, या फिर बाहर ही खेलती रहती है. लेकिन रिनी थोड़ी शैतान है. उसे नानी का बंद कमरा बहुत आकर्षित करता है. वह उस में घुसने के मौके तलाश करती रहती है.

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‘रिनी दिनभर घर में ही रहती है और स्कूल भी नहीं जाती है. आज जब मां रसोई तक उठ कर गईं तो दरवाजा खुला रह गया. रिनी ने अपनी गेंद उछाल कर नानी के कमरे में डाल दी. फिर भाग कर उठाने चली गई. क्या कहूं इसे? 3 साल की छोटी बच्ची से ऐसा क्या अपराध हो गया जो मेरी मां ने हम दोनों को इतने कटु वचन सुना दिए.’

तभी आंटी कमरे से निकल कर मुझ से उलझ पड़ीं, ‘तुम्हारी मां ने तो तुम लोगों को कोई साफसफाई सिखाई नहीं है. मैं ने प्रज्ञा और कुसुम को कैसे काम सिखाया, मैं ही जानती हूं. मगर अपनी औलादों को यह कुछ न सिखा सकी. मैं मर क्यों नहीं जाती. क्या यही दिन देखने बाकी रह गए थे. बेटियों के रहमोकरम पर पड़ी हूं. इसी बात का फायदा उठा कर सब मुझे परेशान करते हैं. कुसुम, तेरी भी 2 बेटियां हैं. तू भी जब मेरी स्थिति में आएगी न, तब तुझे पता चलेगा.’

मैं यह सब सुन कर सन्न रह गई. ऐसा अनर्गल प्रलाप, वह भी अपनी बेटी के लिए. कुसुम अपनी बेटी को गोद में ले कर मुझे छोड़ने गेट तक आ गई.

‘ऐसी मां देखी है कभी जो सिर्फ और सिर्फ अपने लिए जी रही हो?’

मैं क्या जवाब देती?

‘रमेश भी परेशान हो चुका है इन की हरकतों से, हमारे दांपत्य जीवन में भी सन्नाटा पसरा रहता है. जरा भी आहट पा, कमरे के बाहर मां कान लगा कर सुनने को खड़ी रहती हैं कि कहीं हम उन की बुराई तो नहीं कर रहे हैं. ऐसे माहौल में हमारे संबंध नौर्मल कैसे रह सकते हैं? अब तो रमेश को भी घर से दूर भागने का बहाना चाहिए. पता नहीं अपनी बहनों के घर जाता है या कहीं और? किस मुंह से उस से जवाब तलब करूं. जब अपनी मां ही ऐसी हो तो दूसरे से क्या उम्मीद रखना.’

आंटी का सनकीपन बढ़ता ही जा रहा था. उस दिन रिनी का जन्मदिन था, जिसे मनाने के लिए कुसुम और उस की मां में पहले ही बहुत बहस हो चुकी थी. आंटी का कहना था, ‘घर में बच्चे आएंगे तो यहांवहां दौड़ेंगे, सामान छुएंगे.’

कुसुम ने कहा, ‘तुम 2-3 घंटे अपने कमरे को बंद कर बैठ जाना, न तुम्हें कोई छुएगा न ही तुम्हारे सामान को.’

जब आंटी की बात कुसुम ने नहीं सुनी तो वे बहुत ही गुस्से में आ गईं. जन्मदिन की तैयारियों में जुटी कुसुम की उन्होंने कोई मदद नहीं की. मैं ही सुबह से 2-3 बार उस की मदद करने को जा चुकी थी. शाम को सिर्फ 10-12 की संख्या में बच्चे एकत्रित हुए और दोढाई घंटे में लौट गए.

आंटी कमरे से बाहर नहीं आईं. 8 बज गए तो कुसुम ने आंटी को डिनर के लिए पुकारा. तब जा कर वे अपने कोपभवन से बाहर निकलीं. शायद, उन्हें जोरों की भूख लग गई थी. वे अपनी कुरसी ले कर आईं और बरामदे में बैठ गईं. तभी रमेश अपने किसी मित्र को साथ ले कर घर में पहुंचा. उन्हें अनदेखा कर कुसुम से अपने मित्र का परिचय करा कर वह बोला, ‘यह मेरा बचपन का मित्र जीवन है. आज अचानक गोल मार्केट में मुलाकात हो गई. इसीलिए मैं इसे अपने साथ डिनर पर ले कर आ गया कि थोड़ी गपशप साथ में हो जाएगी.’

कुसुम दोनों को खाना परोसने को उठ कर रसोई में पहुंची ही थी कि बरामदे से पानी गिराने और चिल्लाने की आवाज आने लगी. आंटी साबुन और पानी की बालटी ले कर अपनी कुरसी व बरामदे की धुलाई में जुट गई थीं.

दरअसल, जीवन ने बरामदे में बैठ कर सिगरेट पीते समय आंटी की कुरसी का इस्तेमाल कर लिया था. आंटी रसोई से खाना खा कर जब निकलीं तो जीवन को अपनी कुरसी पर बैठा देख आगबबूला हो गईं. और फिर क्या था. अपने रौद्र रूप में आ गईं. जीवन बहुत खिसियाया, रमेश और कुसुम भी मेहमान के आगे शर्म से गड़ गए. दोनों ने जीवन को मां की मानसिक स्थिति ठीक न होने का हवाला दे कर बात संभाली.

दरअसल, आंटी अपने पति की मृत्यु के बाद से खुद को असुरक्षित महसूस करने लगी थीं. वे ज्यादा पढ़ीलिखी न होने के कारण हीनभावना से ग्रस्त रहतीं. दूसरे लोगों से यह सुनसुन कर कि तुम्हारा कोई बेटा ही नहीं है, उन्होंने अपनी पकड़ बेटियों पर बनाए रखने के लिए जो चीखपुकार और धौंस दिखाने का रास्ता अख्तियार कर लिया था, वह बेटियों को बहुत भारी पड़ रहा था.

एक दिन आंटी रात में टौर्च जला कर घूम रही थीं कि किसी सामान में उलझ कर गिर पड़ीं. उन के सिर में अंदरूनी चोट आ गई थी. उस दिन से जो बिस्तर में पड़ीं तो उठ ही न पाईं. 6 महीने गुजर गए, लगता था कि अब गईं कि तब गईं. इसी बीच रमेश का भी तबादला दिल्ली हो गया. कुसुम ने अपनी मां को ऐंबुलैंस में दिल्ली ले जाने का फैसला कर लिया. जब वे जा रही थीं तब यही कह रही थीं, ‘पता नहीं वे दिल्ली तक सहीसलामत पहुंच भी पाएंगी या नहीं.’

मौका पाते ही मैं ने कुसुम को फोन लगाया और हालचाल पूछे. उस ने बताया, ‘‘यहां दीदी के ससुराल वालों का बहुत बड़ा पुश्तैनी घर है. मैं ने भी इसी में एक हिस्से को किराए पर ले लिया है. अब हम दोनों बहनें मिल कर उन की देखभाल कर लेती हैं अपनीअपनी सुविधानुसार.’’

‘‘और तुमहारे पति का मिजाज कैसा है?’’

‘‘उन की तो एक ही समस्या रहती थी हमारी प्राइवेसी की, वह यहां आ कर सुलझ गई. मैं भी अपने पति और बच्चों को पूरा समय दे पाती हूं.’’ उस की आवाज की खनक मैं महसूस कर रही थी.

‘‘और आंटी खुश हैं कि नहीं? या हमेशा की तरह खीझती रहती हैं?’’

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‘‘मां को तो अल्जाइमर रोग लग गया है. वे सबकुछ भूल जाती हैं. कभीकभी कुछ बातें याद भी आ जाती हैं तो थोड़ाबहुत बड़बड़ाने लगती हैं. वैसे, शांत ही रहती हैं. अब वे ज्यादा बातें नहीं करतीं. बस, उन का ध्यान रखना पड़ता है कि वे अकेले न निकलें घर से. यहां दीदी के ससुराल वालों का पूरा सहयोग मिलता है.’’

‘‘तुम्हारी मां धन्य हैं जो इतनी समझदार बेटियां मिली हैं उन को.’’

‘‘मैं तो हमेशा मां की जगह पर खुद को रख कर देखती थी और इसीलिए शांत मन से उन के सारे काम करती थी. मेरी भी 2 बेटियां हैं. मां पहले ऐसी नहीं थीं. पापा का अचानक जीवन के बीच भंवर में छोड़ जाना वे बरदाश्त न कर सकीं और मानसिक रूप से निर्बल होती चली गईं. शायद वे अपने भविष्य को ले कर भयभीत हो उठी थीं. चलो, अब सब ठीक है, जैसी भी हैं आखिर वे हमारी मां हैं और मां सिर्फ मां होती है.’’

और मैं उस की बात से पूरी तरह सहमत हूं.

शुभारंभ: क्या कीर्तिदा की बातें मानकर रानी को तलाक देगा राजा?

कलर्स के शो, ‘शुभारंभ’ में राजा और रानी का रिश्ता खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. रानी के भाई, उत्सव की एक गलती उसकी जिंदगी में तूफान ले आई है. वहीं कीर्तिदा ने इन हालातों का फायदा उठाकर राजा-रानी को हमेशा के लिए अलग करने की ठान ली है. आइए आपको बताते हैं क्या नया मोड़ लेगी राजा-रानी की जिंदगी…

पति-पत्नी के अटूट रिश्ते में पड़ गई है गहरी फूट

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अब तक आपने देखा कि गुणवंत और कीर्तिदा, राजा को रानी से शादी खत्म करने के लिए कहते हैं, जिसे राजा बिना मर्जी के हाँ कर देता है. दूसरी तरफ वृंदा, रानी से कोई भी फैसला लेने से पहले एक बार राजा से मिलने के लिए कहती है.

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राजा-रानी की होती है एक मुलाकात

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माँ के कहने पर रानी, राजा को मिलने के लिए मैसेज करती है, और राजा भी मान जाता है. जहाँ दोनों को उनकी पहली मुलाकात की पुरानी बातें याद आ जाती हैं. वहीं राजा के बैग से तलाक के पेपर गिर जाते हैं, जिससे रानी को ये गलतफहमी हो जाती है कि राजा तलाक लेने का मन बना चुका है, और हस्ताक्षर के लिए उससे मिलने आया है. रानी इसी गलतफहमी के कारण तलाक के पेपर पर हस्ताक्षर कर देती है और वहाँ से निकल जाती है, जिससे राजा हैरान रह जाता है.

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उत्तरायण के सपनों में खो जाएंगे राजा-रानी

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आज के एपिसोड़ में आप देखेंगे कि उत्तरायण यानी मकर सक्रांतिके दिन राजा-रानी बाजार में एक दूसरे से टकराएंगे, और सपनों की दुनिया में खो जाएंगे. शादी के बाद का पहला त्योहार मनाने का उत्साह दोनों के चेहरे पर नजर आएगा. दोनों एक दूसरे के साथ प्यार भरे पलों को संजोते हुए नजर आएंगे. लेकिन कीर्तिदा आकर, दोनों को इस सपनों की दुनिया से बाहर ले आएगी. दूसरी ओर, गुणवंत और कीर्तिदा, राजा-रानी के तलाक के सपने देखते नजर आएंगे, और इसी सपने को सच करने के लिए, कीर्तिदा, राजा से मकर सक्रांति (उत्तरायण) के मौके पर रानी को तलाक देकर अपनी जिंदगी की नई शुरूआत करने के लिए कहेगी.

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अब देखना ये है कि क्या इस मकर सक्रांति (उत्तरायण) राजा अपने और रानी के शादी के रिश्ते को खत्म कर देगा? जानने के लिए देखते रहिए शुभारंभ, सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

आयुष्मान की gay लव स्टोरी पर बनीं फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ का ट्रेलर रिलीज, देखें यहां

‘बधाई हो’ ‘अंधाधुन’ और ‘ड्रीम गर्ल’ जैसी फिल्मों से बौलीवुड में छाने वाले टौप एक्टर आयुष्मान खुराना की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है. फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान का ट्रेलर रिलीज होते ही यूट्यूब पर छा गया है. जिसमें आयुष्मान एक बार फिर नए अवतार में नजर आ रहे हैं.

आपको बता दे आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ सामाजिक मुद्दे पर आधारित कॉमेडी फिल्म है. जो ‘गे’ लव स्टोरी पर आधारित है. बच्चे के गे होने का पता चलने पर फैमिली के साथ जो स्ट्रगल होता है. वह इसमें दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है. इस फिल्म में आपको कुछ डबल मीनिंग वर्ड्स भी सुनाई देंगे.

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फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ का ट्रेलर रिलीज होते ही बस कुछ ही मिनटों में 15 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. फिल्म के ट्रेलर में आयुष्मान खुराना नाक में रिंग पहने नजर आ रहे हैं. नीना गुप्ता और गजराज एक बार फिर अपनी कॉमेडी से दर्शकों के दिल में खास जगह बना रहे हैं और जितेंद्र भी खास अंदाज में नजर आ रहे है.

‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ फिल्म के डायलॉग्स खास है. नीना गुप्ता और गजराज का ‘मां के पास दिल होता है’ डायलॉग सोशल मीडिया पर चर्चा में है. इसके अलावा ‘हमें परिवार के साथ जो लड़ाई लड़नी पड़ती है. वो सबसे बड़ी और खतरनाक होती है’ जैसे डायलॉग्स भी प्रभावित करते है.

आयुष्मान खुराना ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस बारे में ट्वीट भी किया था. उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल पर इसके पोस्टर्स भी शेयर करने के साथ कैप्शन भी दिया है, कार्तिक का प्यार होकर रहेगा अमन! इस नए पोस्टर में इसकी कास्ट दिखाई दे रही है जिसमें नीना गुप्ता, गजराज राव, जितेंद्र कुमार, मनुऋषि चड्ढा, सुनीता रजवार, मानवी शामिल हैं.

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उन्होंने फिल्म के दो पोस्टर रिलीज किए हैं. पहले पोस्टर में हम आयुष्मान खुराना और उनके फिल्म में पार्टनर जितेंद्र कुमार वेडिंग चेयर पर बैठे दिख रहे हैं और पूरा परिवार उनकी ओर देख रहा है. वहीं दूसरे पोस्टर में वह दिलवाले दुलहनिया ले जाएं का क्लाइमैक्स सीन इनऐक्ट करते दिखाई दे रहे हैं.

हितेश केवल्य ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं। डायरेक्शन के फील्ड में हितेश की यह डेब्यू फिल्म है. आनंद एल राय और भूषण कुमार इस फिल्म के निर्माता हैं. यह फिल्म 21 फरवरी को रिलीज होगी. इससे पहले आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘ड्रीम गर्ल’ को लोगो ने काफी पसंद किया था.

महिलाएं अपनी रूचि के अनुसार कुछ भी कर सकती है – स्मृति शिंदे

राजनीतिक परिवार में जन्मी प्रोड्यूसर स्मृति शिंदे, राजनेता शुशील कुमार शिंदे की बेटी है. उसको बचपन से कला के क्षेत्र में जाने की इच्छा थी. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर काम करना पसंद किया और यही वजह है कि उन्होंने आम इंसान और उसकी भावनाओं से जुडकर टीवी शो बनायीं और नाम कमायी. उनके इस चॉइस को माता-पिता का सहयोग मिला. खासकर पिता ने कभी भी किसी काम से उन्हें रोका या टोका नहीं. काम के दौरान उन्होंने शादी की और माँ बनी,लेकिन किसी कारणवश उनका रिश्ता चल नहीं पाया और उन्होंने डिवोर्स लिया. अब वह सिंगल मदर है और अपने बच्चों के साथ खुश है. उनकी धारावाहिक & टीवी पर ‘एक महानायक डॉ. बी आर अम्बेडकर’ चल रही है, जिसे लेकर वह बहुत खुश है, उनकी जर्नी के बारें में जाने उन्ही से.

सवाल- क्या ये आपका हिंदी में पहला प्रोडक्शन है? इसे करने की इच्छा कैसे हुई?

हिंदी में मेरा ये पहला फिक्शन शो है, लेकिन इससे पहले मैंने राजा बेटा और मिशन सपने शो दो शो किये है. इस शो को करने के लिए चैनल ने एप्रोच किया और मैंने इसके बारें में उनसे पूछा भी था कि उन्होंने मुझे क्यों एप्रोच किया. उनका कहना है कि मेरी एक मराठी शो ‘तुझ्यात जीव रंगला’ काफी चर्चित है और मैंने एक साधारण युवक की कहानी को दर्शकों तक पहुंचाई है. ये कहानी भी वैसी ही साधारण परिवार से निकले पुरुष की है. इसके अलावा मैं हर शो में उसकी बारीकियों को खुद देखती हूँ, जिससे शो अच्छी बनती है. मैं राजनैतिक परिवार से हूँ इसलिए मुझे ये शो मिले, ये जरुरी नहीं, मैं कला प्रेमी हूँ और उस लिहाज़ से मेरा परिचय दर्शकों तक होनी चाहिए.

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सवाल-राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद भी आपकी रूचि इस और कैसे गयी?

मेरे पिता की रूचि भी इस ओर थी,वे स्कूल, कॉलेज में नाटकों में भाग लिया करते थे. उन्हें फिल्मों और संगीत का बहुत शौक है. घर में कला का माहौल बचपन से मैंने देखा है. मेरी माँ गाती थी. टीवी के माध्यम से मैं कुछ न कुछ करना चाहती थी, जिसमें मेरी चॉइस बहुत अलग है. कहानी पसंद आनी चाहिए. मैं वैसा काम करना चाहती थी जिसमें कोई अच्छी कंटेंट हो. दर्शकों को कोई मेसेज जाए.

सवाल- पिता के साथ राजनीति में आपने कैसे सहयोग दिया? बोन्डिंग कैसी थी?

मुझे राजनीति में कोई रूचि नहीं, लेकिन उनके साथ मैंने चुनाव के समय काफी सहयोग दिया है. छोटी उम्र में माँ अपने साथ कैम्पेनिंग के लिए ले जाती थी बड़े हुए तो हमने उनके लिए काफी सारी चीजे ऑर्गनाइज किये , जितना हो सकता था उतना हमने किया. पिता ने हम तीनों बहनो को अच्छी शिक्षा दी. जिसे जिस क्षेत्र में जाना है, सहयोग दिया.

सवाल-परिवार के साथ बच्चों को कैसे सम्भालती है?

मैंने काम सिर्फ 10 साल पहले से करना शुरू किया है और मुझे यही काम पसंद आता है. जब मेरे बच्चे छोटे थे, तो घर पर बैठकर आर्ट के क्षेत्र में कुछ न कुछ करती रही. जिसमें कहानी लिखना प्रमुख था, पर मैंने उसकी पब्लिसिटी कभी नहीं की. अभी बच्चे बड़े है इसलिए अधिक देखना नहीं पड़ता. महिला अगर चाहे तो किसी भी समय कुछ भी अपनी रूचि के अनुसार कर सकती है.

सवाल-कानून बनने के बाद भी महिलाओं पर अत्याचार का दौर नहीं थमा है, इसे कैसे लेती है?

इस बारें मेरा यह मानना है कि बच्चों की परवरिश बचपन से सही करने की जरुरत है. मेरे दो बेटे है और मैंने उन्हें बचपन से सही परवरिश करने की कोशिश की है. ये दावे के साथ कह सकती हूँ कि बेटों को ये सिखाना बहुत जरुरी है कि वे अपने दोस्त और परिवार में महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करें, क्योंकि शुरुआत वही से होती है. कानून व्यवस्था हमारे देश में अच्छी है, पर हैदराबाद की पुलिस को मैं बधाई देती हूँ कि उन्होंने ऐसी कड़ी कदम उठाने पर मजबूर हुए और अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराएं. ये सही है कि कानून अपने हाथ में नहीं लेनी चाहिए, पर ऐसा कुछ गलत अवश्य हुआ होगा, जिसकी वजह से पुलिस वालों ने ऐसा कदम उठाना पड़ा. एनकाउंटर प्लान करके नहीं होता और मैं कर्म में विश्वास करती हूँ अगर आप गलत काम करेंगे, तो आपके साथ भी गलत होगा.

सवाल-क्या किसी प्रकार की सामाजिक काम महिलाओं के लिए करने की इच्छा रखती है?

मैंने कभी किसी काम के लिए कोई प्लान नहीं किया है. मैंने स्नातक के बाद शादी कर ली और लॉ की पढाई बीच में छोड़ दी थी. मेरे बच्चे हो गए फिर मैं आगे कुछ सोच नहीं पायी. ये काम  भी मैंने सोचकर नहीं किया. मैं कुछ सामाजिक काम अवश्य करना चाहती हूँ, पर प्रोडक्शन लाइन में समय मिलना मुश्किल हो जाता है. सर्वसामान्य लोग जो गरीब है उन्हें हम शो के माध्यम से प्रमोट करते है. तेलगू, तमिल, कन्नडा, मराठी में 2 सीजन हो चुके है. इसमें कोई सेलेब्रिटी पूरे दिन उस गरीब व्यक्ति का काम करता है उससे जो पैसा आता है उसे उसकी जरुरत के अनुसार कई गुना बढ़ाकर उस व्यक्ति को दे दिया जाता है. ये छोटी सी कोशिश मैं कर रही हूँ, इसके अलावा फिल्मों के क्षेत्र में कुछ अच्छा काम महिलाओं के लिए करने की इच्छा रखती हूँ. इसमें मैं उन विषयों को लाना चाहती हूँ, जिसे महिलाएं किसी के साथ डिस्कस नहीं कर सकती. ये डिप्रेशन वाली कहानी नहीं होगी. ये खुश रहने की तरीके होगी,जिसे हम फिल्मों के ज़रिये उन्हें दिखा सकें.

सवाल- आपके यहाँ तक पहुँचने में परिवार का सहयोग कैसे रहता है?

मैं पिछले 15 साल से अपने पति से अलग रहती हूँ. मैंने बच्चों की परवरिश अकेले की है. प्रोड्यूसर बनना बहुत कठिन काम है. मेरे बच्चे मुझे समझते है. वे अब बड़े हो चुके है. कई बार सुबह जल्दी, रात को देर हो जाना इन सबमें उन दोनों ने सहयोग दिया है. मैं निर्माता बनने के बाद से हर चीज को सेट पर आकर खुद देखती हूँ. मेरे माता-पिता भी मुझे बहुत सहयोग देते है.

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सवाल- क्या आपके बच्चों की रूचि आपके क्षेत्र में है?

मेरे बच्चों की रूचि मेरे काम की तरफ नहीं है, पर वे मेरे काम को रेस्पेक्ट देते है. दोनों बड़े हो गए है और विदेश से पढाई ख़त्म कर अब अपनी कंपनी खोलने की कोशिश कर रहे है.

सवाल- महिलाओं के लिए क्या सन्देश देना चाहती है?

महिलाओं को अपने अंदर की ख़ुशी को देखते हुए काम करनी चाहिए. महिलाएं अपने पति और बच्चों के लिए सब कुछ करती है, पर अपने लिए कुछ करना भूल जाती है, जिसका मलाल उन्हें सालों बाद होता है. वक़्त परिवार में बांटिये, पर उसमें से कुछ समय अपने लिए अवश्य निकाल लीजिये.

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