अनुशासन का पाठ पढ़ाने के लिए बच्चों को सजा देना जरूरी नहीं है

अंगे्रजी में एक कहावत है-‘स्पेयर द राॅड एण्ड स्पाॅइल द चाइल्ड’ मतलब यह कि अगर बच्चे को डांटकर या पिटाई करके अनुशासित करने की कोशिश की तो वह उल्टे और बिगड़ जायेगा. भले आज भी हमें कई ऐसे महानुभाव मिल जाते हों, जो यह राग अलापते न थकते हों कि पिटाई के बिना बच्चे काबू में नहीं आते. लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया के ज्यादातर देशांे में बच्चों पर न केवल पैरेंट्स बल्कि टीचर का हाथ उठाना भी गैरकानूनी है. दरअसल बच्चों के प्रति हिंसा के विरूद्ध इस तरह के कानून इसलिए बने हैं क्योंकि दुनिया के बड़े बड़े समाजशास्त्री और मनोविद यह मानते हैं कि हिंसा से बच्चों में सुधार नहीं लाया जा सकता.

समाजशास्त्रियों और मनोविदों ने बच्चों के बाल मन का गहराई से अध्ययन किया है और यह पाया है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि छोटे बच्चों को अनुशासित करना काफी कठिन होता है, लेकिन इसके लिए मासूमों की पिटाई करना या उन्हें पिटाई का भय दिखाना, कतई सही नहीं है. हर घर या स्कूल में कुछ ऐसे शरारती बच्चे होते ही हैं, जो परेशानी का कारण न भी हों तो भी अकसर परेशानी में पड़ जाते हैं. पुराने समय में ऐसे बच्चों को अनुशासित करने का एक ही तरीका होता था, उन्हें डांटना, शारीरिक या मानसिक सजा देना. यहां तक कि स्कूल में अध्यापक उन्हें क्लास तक से निकाल देते थे.

मगर सवाल है इतने कड़े अनुशासनों से क्या वाकई बच्चे कुछ सीखते हैं? क्या उनका आक्रामक रूख शांत होता है? अगर सचमुच ऐसा होता तो एक समय के बाद बच्चों में इस तरह की समस्याएं ही न रहतीं. ऐसी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो गई होतीं. मगर हम सब जानते हैं कि ऐसा नहीं हुआ. जाहिर है बच्चे मारपीट से अनुशासित नहीं होते. मनोवैज्ञानिकों ने बच्चों के मनोविज्ञान पर लंबे समय तक नजर रखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उन्हें अनुशासित रखने मंे शारीरिक या मनोवैज्ञानिक सजा का कोई असर नहीं होता. मनोवैज्ञानिकों ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बात यह खोजी है कि अगर बच्चों को लगातार सुध्ाारने व सजा देने का सिलसिला जारी रखा जाए तो वे सजा पाने के आदी हो जाएंगे और फिर इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. दूसरे शब्दांे में सजाएं देना इच्छित नतीजे बरामद करने का जरिया नहीं हैं.

यह समस्या तब और जटिल हो जाती है, जब बात ऐसे बच्चों की हो जो समाजिक, भावनात्मक व व्यवहारिक चुनौतियों से पीड़ित होते हैं. वास्तव में बच्चों को नियमित सजा देने से दीर्घकालीन लक्ष्य नष्ट हो जाते हैं. क्योंकि बच्चों के मामले में दीर्घकालीन लक्ष्य का उद्देश्य उनमें अच्छा व्यवहार उत्पन्न करना होता है, जिससे कि वे बेहतर नागरिक बन सकंे. जबकि सजा से सिर्फ अल्पकालीन लाभ ही होता है कि थोड़े समय के लिए घर या कक्षा मंे शांति स्थापित हो जाती है.

हालांकि पैरंेट्स, टीचर्स व प्रशासक पूरी दुनिया में आज भी ईनाम व सजा व्यवस्था पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं, जिसका संबंध 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ से है. दूसरे शब्दांे में बच्चों को या तो कुछ लालच देकर या उसे सजा देकर अनुशासित करने का प्रयास किया जाता है. जबकि बाल मनोविदो के मुताबिक बच्चों को सजा देने के बजाय उस समस्या के निदान के बारे में सोचना चाहिए, जो उनके अनुशासन को बनाये रखने में बाधक हों. ऐसा करने से बच्चे आसानी से अनुशासन के दायरे में अपने को ले आते हैं. हार्वर्ड व वर्जीनिया टेक में अध्यापन कार्य कर चुके मनोवैज्ञानिक राॅस ग्रीन ने अपनी पुस्तक ‘द एक्सप्लोसिव चाइल्ड एण्ड लोस्ट एट स्कूल’ के जरिए शिक्षकों व पैरेंट्स में अपनी गहरी छाप छोड़ी है, खासकर उनमें जो चुनौतीपूर्ण बच्चों का सामना करते हैं.

राॅस ग्रीन की यह पुस्तक इस संदर्भ मंे अंतिम शब्द समझी जाती है और इसमें विस्तार से वह माॅडल समझाया गया है, जिससे बिना सजा दिए बच्चे की परवरिश इस तरह की जा सकती है कि वह स्वयं अपने व्यवहार पर नियंत्रण करना सीख जाए. राॅस ग्रीन ने यह माॅडल बाल मनोवैज्ञानिक क्लीनिकों में विकसित किया है और इसका सफल परीक्षण बालगृहों में किया गया है. इस पद्धति से बच्चों की आपसी आक्रामकता में 80 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है. राॅस ग्रीन का सुझाव यह है कि बच्चे से बात की जाए कि उसके गुस्से या हिंसक व्यवहार के पीछे असली समस्या क्या हैं? कारण जानकर उसे शांत करने के लिए वैकल्पिक योजनाएं तैयार की जाएं. कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि लक्ष्य बच्चे की समस्या की जड़ तक पहुंचना होना चाहिए. ‘कोलाॅबरेटिव एण्ड प्रोएक्टिव सोल्यूशंस’ नामक ग्रीन का यह कार्यक्रम उन न्यूरो वैज्ञानिकों के गहन शोध पर आधारित है, जिन्होंने खोजा था कि हमारे मस्तिष्क का आगे का हिस्सा यानी प्रीफ्रंटल कोरटेक्स आवेग नियंत्रित करने की हमारी क्षमता का प्रबंधन करता है, कामों को वरीयता प्रदान करता है और योजनाओं को संगठित करता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक आक्रामक बच्चों के मस्तिष्क का यह क्षेत्र विकसित नहीं होता या बहुत धीरे धीरे विकास करता है.

इसलिए बच्चे के पास मानसिक क्षमता नहीं होती कि वह अपने व्यवहार पर नियंत्रण रख सके. राॅस ग्रीन पैरेंट्स को सुझाव देते हैं कि वे बजाय उन्हें पीटने के या डांटने के उनकी समस्या समाध्ाान योग्यता को विकसित करने पर फोकस करें. यह तरीका बच्चों के आक्रामक व्यवहार को शांत करने में काफी मददगार रहा है. अपने अध्ययन में ग्रीन ने यह भी पाया है कि अधिकतर शिक्षक बच्चे की समस्या को स्कूल के बाहर की यानी बच्चों के घर की देन समझते हैं, इसलिए वे उनकी इस समस्या के निदान के प्रति उदासीन रहते हैं. जबकि यह समस्या घर की नहीं बल्कि बच्चों की मानसिक क्षमता की होती है.

इसलिए ग्रीन के अनुसार शिक्षकों को इस बात पर फोकस करना चाहिए कि स्कूल का वातावरण बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक अंतर लाए. उनके मुताबिक घर पर बच्चे की स्थिति चाहे जो भी हो स्कूल मंे रोजाना 6 घंटे के दौरान, सप्ताह में पांच दिन, साल में 9 महीने में उसमें बहुत सा सुधार लाया जा सकता है, बशर्ते हम बच्चों की आक्रामकता की तह में जाकर उसे रचनात्मक तरीके से खत्म करने की कोशिश करें.

जानिए आखिर कब कब रोते हैं बच्चे

श्वेता पहली बार मां बन कर काफी खुश थी. बच्चे के स्पर्श से उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे दुनिया भर की खुशियां मिल गई हों. लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह परेशान रहने लगी. वह समझ ही नहीं पा रही थी कि उस का कृष इतना रोता क्यों है.

दरअसल, छोटे बच्चे के रोने में एक मैसेज छिपा होता है. वह रो कर अपनी मां को कम्युनिकेट करता है कि उसे भूख लगी है. न्यूट्री किड चाइल्ड ऐंड ऐडौलेसेंट क्लीनिक की डा. रिती शर्मा दयाल बताती हैं, ‘‘छोटे बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं. उन पर मौसम का जल्द असर होता है. उन्हें बहुत जल्दी ठंड तो बहुत जल्दी गरमी लगने लगती है. इसी वजह से वे रोते हैं. अधिकांश समय बच्चे भूख लगने की वजह से भी रोते हैं. इसलिए उन्हें थोड़ेथोड़े समय के अंतराल में दूध पिलाती रहें वरना उन्हें कौलिक की समस्या होने लगती है यानी पेट में गैस बनने लगती है, जिस की वजह से बच्चे रोते हैं.’’

रोने के कारण

भूख लगने पर: भूख लगने के कारण न्यू बौर्न बेबी सब से ज्यादा रोते हैं. उन का पेट छोटा होता है इसी वजह से उन्हें एक बार में दूध नहीं पिलाया जा सकता. उन्हें थोड़ेथोड़े अंतराल में दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है. इसलिए जब भी बच्चा रोए तो उसे दूध पिलाएं. अगर बच्चा स्तनपान करता है तो उसे दिन में 8-12 बार स्तनपान कराएं.

गीले व गंदे डायपर की वजह से: गीलापन भला किसे अच्छा लगता है. छोटे बच्चे गीली नैपी में असहज महसूस करते हैं. ज्यादा देर तक बच्चों को गीली नैपी में रखने से रैशेज हो जाते हैं, जिस की वजह से बच्चे बहुत रोते हैं. जब भी बच्चों को नैपी पहनाएं तो समयसमय पर चैक करती रहें कि नैपी गीली तो नहीं है और गीली होने पर तुरंत बदल दें.

गोद में आने के लिए: नवजात शिशु को मां का शारीरिक स्पर्श अच्छा लगता है. वह हमेशा मां के सीने से चिपका रहना चाहता है. कभीकभी वह गोद में आने के लिए रोता भी. गोद में लेने पर उसे अपनेपन का एहसास होता है.

बहुत गरमी या ठंड लगने पर: बच्चों की स्किन बहुत संवेदनशील होती है. कमरे का तापमान ठंडा होने पर उन्हें बहुत जल्दी ठंड लगने लगती है तो तापमान ज्यादा होने पर गरमी भी जल्दी लगती है. गरमी लगने पर उन की बौडी में छोटेछोटे दाने निकलने लगते हैं. इसलिए कोशिश करें कि कमरे का तापमान सामान्य रहे.

गैस बनने पर: 3 सप्ताह से ले कर 3 महीने तक के बच्चों में कौलिक की समस्या सब से ज्यादा रहती है यानी पेट में गैस बनती है जिस की वजह से बच्चे रोते हैं. कभीकभी किसी तरह की ऐलर्जी और कीड़ेमकोड़े के काटने की वजह से भी बच्चे रोते हैं.

नींद पूरी नहीं होने पर: बच्चों की नींद पूरी नहीं होने पर भी वे चिड़चिड़े स्वभाव के हो जाते हैं और रोने लगते हैं. इसलिए उन्हें शांत माहौल में सुलाने की कोशिश करें.

थकान होने पर: कई बार बच्चे थके होते हैं, जिस की वजह से उन्हें नींद नहीं आती है और वे रोते रहते हैं.

 बीमार होने पर: अगर आप का बच्चा बहुत ज्यादा रोने लगता है और अचानक चुप हो जाता है तो इस का मतलब यह है कि वह स्वस्थ नहीं है. आप के बच्चे को आप से बेहतर कौन समझ सकता है. इसलिए अगर आप को हलका सा भी लग रहा है कि आप का बच्चा स्वस्थ नहीं है तो उसे तुरंत डाक्टर के पास ले जाएं.

ध्यान आकर्षित करने के लिए: कभीकभी बच्चा मां का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी रोता है. इसलिए जब भी बच्चा रोए तो उसे गोद में ले कर प्यार से सहलाएं. उसे एहसास दिलाएं कि आप उस के पास हैं.

नवजात शिशु : कुछ रोचक तथ्य

गगर्भस्थ शिशु और उस के जन्म के तुरंत बाद की उस की स्थिति के बारे में वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने का कुतूहल सभी लोगों में होता है. आइए जानिए, इस के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

गर्भ में शरीर रचना

गर्भस्थ शिशु की 20वें सप्ताह तक लंबाई 10 सैंटीमीटर, 30वें सप्ताह तक 25 सैंटीमीटर व पूरे कार्यकाल में 53 सैंटीमीटर होती है.

गर्भस्थ शिशु का भार 12 सप्ताह तक कुछ नहीं या केवल मांसनुमा. 23वें सप्ताह तक 1 पौंड. उस के बाद गर्भकाल के अंतिम 3 माह में तेज गति से बढ़ता है तथा 3 पौंड तक हो जाता है. जन्म के 1 माह पूर्व 4.5 पौंड तथा जन्म के समय सामान्य वजन 7 पौंड माना गया है.

शिशु का दिल गर्भकाल के चौथे सप्ताह से धड़कना शुरू हो जाता है तथा इस के धड़कने की गति 65 प्रति मिनट होती है. जन्म से कुछ समय पूर्व इस की गति 140 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है.

मस्तिष्क का निचला हिस्सा यानी मेरुरज्जा गर्भकाल के तीसरेचौथे सप्ताह में विकसित हो जाता है. मस्तिष्क का उच्चतम केंद्र यानी सेरेब्रल कार्टेक्स जन्म के समय भी पूर्ण विकसित नहीं  होता है.

शिशु के गुरदे गर्भकाल के चौथे से छठे माह तक अपना कार्य शुरू कर देते हैं.

शिशु में लौह तत्त्व का अद्भुत संग्रहण होता है तथा यह रक्त के हीमोग्लोबिन में समाहित रहता है.

जन्म के बाद

फेफड़ों यानी श्वसन क्रिया की कार्यप्रणाली जन्म के समय शतप्रतिशत शुरू नहीं होती. वह धीरेधीरे पूर्णता की ओर बढ़ती है.

नवजात शिशु की पाचनक्रिया जन्म से ही शुरू हो जाती है. आंतों की प्रक्रिया दिन में 3-4 बार रंग लाती है. शुरू में मल का रंग गहरा हरा होता है जिसे ‘मेकोनियम’ कहते हैं. 3-4 दिन के बाद ही इस का रंग सामान्य हो जाता है.

गुरदे भी अपना काम करना शुरू कर देते हैं. जन्म के 24 घंटे तक पेशाब की मात्रा कम रहती है, मगर 1 सप्ताह होते ही नियमित पेशाब निकलना शुरू हो जाता है, जो हलका पीला होता है.

जन्म के समय रक्त में रक्तकोशिकाओं की संख्या अधिकतम होती है, मगर जन्म के बाद औक्सीजन की कमी दूर हो जाने से यह संख्या अपनेआप सामान्य हो जाती है.

जन्म के समय त्वचा, इस की ग्रंथियों (सेबेसियस ग्लैंड्स) द्वारा सुरक्षित रहती है, जो पीठ पर अधिक मात्रा में रहती है. पहले स्नान के बाद यह कवच उतर जाता है, जिस से त्वचा का रंग गुलाबी नजर आने लगता है और बाद में यह लालिमा लिए होता है.

जन्म के बाद कुछ दिनों तक गुरदों, फेफड़ों, त्वचा, आंतों द्वारा जल निष्कासन के कारण शिशु के शारीरिक वजन में गिरावट आती है, मगर 7.10 औंस से अधिक वजन नहीं गिरना चाहिए. इस के बाद वजन सामान्य रूप से बढ़ने लगता है.

सांसों की शुरुआत

आमतौर पर जन्म से पहले  फेफड़ों की श्वसन इकाइयां ‘एल्वियोलाई’ आपस में सख्ती से गुंथी रहती हैं, जिस से श्वसन क्रिया शुरू नहीं हो पाती. इन्हें अलगअलग करने के लिए, जिस से श्वसन क्रिया आरंभ हो सके, 25 मि.मी. पारे का नेगेटिव दबाव आवश्यक होता है. जब शिशु मां के गर्भ से, जहां का वातावरण बाहरी दुनिया की अपेक्षा गरम होता है, संसार में कदम रखता है, उसे ठंडक तथा औक्सीजन की कमी महसूस होती है, जिस से शरीर में कंपन, चीख तथा संकुचन (प्रथम वायु को अंदर खींचने की प्रक्रिया इंसपिरेशन) जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं. इस से कुल दबाव 60 मि.मी. पारे नेगेटिव की उत्पत्ति होती है, जो ऊपर वर्णित 25 मि.मी. पारे से दोगुने से भी ज्यादा है, जो बंद श्वसन इकाइयों को खोलने में पर्याप्त से भी ज्यादा है. अत: ये इकाइयां खुल जाती हैं और श्वसन क्रिया शुरू हो जाती है. इसलिए श्वसन क्रिया की शुरुआत के लिए शिशु का रोना या चीखना अनिवार्य होता है. जो शिशु ऐसा नहीं कर पाते, उन्हें ऐसा करने पर विवश किया जाता है ताकि श्वसन आरंभ हो सके.

नवजात शिशु की समस्याएं

वसा का अवशोषण आंतों द्वारा कमजोर होता है, इसलिए शिशु को कैल्सियम तथा विटामिन डी की अधिक जरूरत रहती है. विटामिन सी की भी अतिरिक्त आवश्यकता रहती है.

प्रसव के बाद शिशु की रोगों से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता कम हो जाती है, फिर भी 6 माह तक यह क्षमता बनी रहती है. इसी कारण 6 माह बाद टीकाकरण का दौर शुरू होता है.

जन्म के पहले दिन शिशु का रक्तचाप 70/50 मि.मी. होता है, उस के बाद धीरेधीरे यह 90/60 के स्तर पर आता है. यहां से यह वयस्क स्तर 120/80 पर आ कर ठहरता है.

जन्म के समय श्वास की गति 40 प्रति मिनट होती है, जो सामान्य दर से अधिक होती है. यह धीरेधीरे अपने सामान्य स्तर पर आती है.

यदि शिशु की मां को मधुमेह रोग है, तो शिशु की पैंक्रियाज ग्रंथि भी इंसुलिन का अधिक उत्पादन करेगी. इस से शिशु में भी रक्तशर्करा स्तर सामान्य से नीचे गिर जाता है और उस का शारीरिक विकास रुक जाता है.

जन्म के बाद कुछ दिनों तक शिशु का लिवर अल्पविकसित होता है, जिस से रक्त में प्रोटीन का कम मात्रा में उत्पादन होता है. नतीजा, शरीर में जगहजगह सूजन आ सकती है.

नवजात शिशु के गुरदे भी शुरू में कम ही कार्य करते हैं यानी अल्पविकसित होते हैं, जिस से ऐसिडोसिस, निर्जलीकरण जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.

शिशु को शुरू में कुछ ऐलर्जी भी हो सकती है.

अल्पविकसित शिशु की समस्याएं

यदि किसी शिशु का जन्म तय समय से पहले हो जाता है, तो अल्पविकसित शिशु अपने साथ कई समस्याएं ले कर आता है:

यकृत आमतौर 1 माह तक अल्पविकसित रहता है. ऐसे में उसे पीलिया रोग हो जाता है, जिसे ठीक करने के लिए उसे इनक्यूवेटर्स में रखा जाता है.

अल्पविकसित यकृत के कारण रक्त का थक्का बनने में विलंब होता है, जिस से रक्तस्राव की संभावना बनी रहती है.

यकृत के अल्पविकसित होने के कारण रक्त प्रोटीन की मात्रा कम बनती है, जिस से शिशु के शरीर पर सूजन आ सकती है.

रक्त में शक्कर का नवनिर्माण नहीं हो पाता जिस से रक्त ग्लूकोज का स्तर सामान्य से ज्यादा नीचे हो सकता है.

शरीर का तापमान भी सामान्य से नीचे जा सकता है. इसलिए शरीर का तापमान संयत रखने के लिए भी इनक्यूवेटर्स का इस्तेमाल किया जाता है.

गुरदे भी कम विकसित होने से शरीर में अम्ल भस्म का संतुलन नहीं बन पाता, जिस से अति अम्लीय या अति क्षारीय स्थिति का जन्म होता है.

ऐसे शिशु में चरबी का पूर्ण अवशोषण नहीं हो पाता है, इसलिए ऐसे शिशु को चरबी या वसायुक्त भोजन कम देना चाहिए.

जाह्नवी कपूर ने कराया ब्राइडल फोटोशूट, वायरल हुईं फोटोज

फिल्म धड़क से अपने करियर की दमदार शुरुआत करने वाली बौलीवुड की एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर अपनी एक्टिंग से ज्यादा  अपने फैशन सैंस को लेकर भी काफी फेमस रहती है. अक्सर अपने ड्रेसिंग सेंस से अपब फैंस का दिल जीत लेती है.-उनके एक से बढ़ कर एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते है. इस समय सोशल मीडिया पर जाह्नवी कपूर का एक ब्राइडल लुक काफी वायरल हो रहा है. इस ब्राइडल लुक में जाह्नवी कपूर बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही हैं.

आपको बता दें कि जाहन्वी कपूर ने एक मैगनीज के लिए ब्राइडल फोटो शूट करवाया है. इसमें जाह्नवी कपूर ने लंहगा चोली पहनी हुई है. एक फोटो में उन्होंने ब्लू कलर की डीम नेक आउटफिट कैरी किया है. इसज्व साथ जाह्नवी ने मिनिमल मेकअप, ग्लॉसी लुक के साथ किया है. दूसरी फोटो में जाह्नवी ने हैवी एम्ब्राइडरी वाली ड्रेस पहनी हुई है. जिसमें वह बहुत ही खूबसूरत लग रही है. इसमें वह बहुत ही बोल्ड और खूबसूरत लुक में नजर आ रही है.

 

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ये भी पढ़ें- चार महीने पहले ही मम्मी-पापा बने हैं आमिर-संजीदा, सामने आया ये सच

हाल ही फेमस मैगजीन के कवर पेज के लिए फोटो शूट करवाया है. इसमें वह हॉट और स्टनिंग दिख रही हैं.  इस मैगजीन के कवर पेज पर जाह्नवी का काफी बोल्ड लुक सामने आएगा. मैगजीन से अपने सोशल एकाउंट से जाह्नवी की एक फोटो शेयर की है. जिसमें वह ग्रे कलर की जैकेट के साथ ऑफ शोल्ड ड्रेस पहने हुए नजर आ रही हैं.

वहीं एक इसी के साथ जाह्नवी की दूसरी फोटो और वीडिया भी सामने आया है जिसमें वह यलो शॉर्टड्रेस में नजर आ रही हैं. सामने आई फोटो में जान्वही का हेयरस्टाइल भी काफी चेंज लग रहा है. जाह्नवी अपने लुक में एकदम फिट नजर आ रही हैं.

 

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एक इंटरव्यू के दौरान जाह्नवी कहती हैं कि आने वाली फिल्मों को लेकर वह बहुत उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, “यह फिल्म ऐसी पृष्ठभूमि में बुनी गई है जो मुझे बचपन से ही आकर्षित करती थी. मुझे पाकीजा, उमराव जान, मुगल-ए-आजम जैसी फिल्मों हमेशा काफी पसंद रही हैं. मुझे मुगल इतिहास बहुत पस‍ंद है. इस फिल्म का हिस्सा बनना एक सपने जैसा है.”

 

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जाह्नवी के वर्कफ्रंट की बात करें तो वह इस साल करण जौहर की फिल्म “तख्त” भी शुरू करेंगी. फिल्म में रणवीर सिंह, विक्की कौशल, करीना कपूर खान, अनिल कपूर, आलिया भट्ट, विक्की कौशल और भूमि पेडनेकर भी हैं. हाल ही में वो 1 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज में दिखाई दी है. इसके साथ ही वह कार्तिक आर्यन और लक्ष्य के साथ दोस्ताना 2 की शूटिंग में व्यस्त है और जल्द ही गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल फिल्म और रुही-आफजा जैसी कई फिल्मों में नजर आएंगी.

चार महीने पहले ही मम्मी-पापा बने हैं आमिर-संजीदा, सामने आया ये सच

टीवी के स्टार कपल में से एक आमिर अली और संजीदा शेख के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. हाल ही में खबर थी कि दोनों के बीच तनाव होने के कारण तलाक की नौबत आ गई है. लेकिन इसी बीच खबर है कि दोनों की चार महीने की बेटी है. आइए आपको बताते हैं क्या है आमिर-संजीदा की बेटी से जुड़ा सच…

सेरोगेसी से हुई है बेटी

दरअसल, आमिर अली और संजीदा शेख के एक करीबी दोस्त ने दोनों के अलग होने की बात बताते हुए कहा- हां, कपल की 3-4 महीने की एक बेटी है, जो कि सेरोगेसी से हुई है. वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो संजीदा शेख अपनी 4 महीने की बेटी के साथ पैरेंट्स के पास चली गई हैं और वहीं रह रही हैं.

 

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Merry Christmas ?

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आमिर ने अलग होने को लेकर कही ये बात

 

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आमिर ने एक इंटरव्यू में कहा कि मीडिया में आने वाली सभी खबरें बेबुनियाद हैं और मैं अपनी पत्नी संजीदा शेख से अलग नहीं हो रहा हूं. हम दोनों के बीच सभी चीजें ठीक हैं.

स्टार कपल्स की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं आमिर-संजीदा 

टीवी एक्ट्रेस संजीदा शेख और एक्टर आमिर अली स्टार कपल्स की लिस्ट में शुमार किए जाते हैं और दोनों की बौन्डिंग हमेशा ही लोगों को बेहद अच्छी लगी है. लेकिन इस बार दोनों के अलग होने की खबरें मीडिया में छाई हुई हैं.

तलाक होने की कगार पर है आमिर-संजीदा का रिश्ता

 

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों की शादीशुदा जिंदगी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और बात तलाक तक आ पहुंची है. दलअसल, खबर है कि दोनों एक दूसरे से अलग रहने लगे हैं और अपनी शादी में खुश नहीं है.

ये भी पढ़ें- ये क्या मोहसीन को छोड़ एक-दूसरे के साथ डांस करती दिखीं पखुंडी और शिवानी, VIDEO वायरल

बता दें,  आमिर अली और संजीदा शेख ने 8 साल पहले 2 मार्च 2012 में शादी की थी, जिसके बाद दोनों कई सीरियल्स में नजर आए. इसी के साथ दोनों पौपुलर रियलिटी शो नच बलिए में जोड़ी के रूप में नजर आए थे, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

ये क्या मोहसीन को छोड़ एक-दूसरे के साथ डांस करती दिखीं पखुंडी और शिवानी, VIDEO वायरल

टीवी के पौपुलर एक्ट्रेस शिवांगी जोशी हाल ही में मोहसिन खान के बिना पार्टी करती नजर आईं थी, लेकिन इस बार वह अपनी को स्टार पंखुड़ी के साथ डांस करती नजर आई हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर शिवांगी की एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें वह को-स्टार पंखुड़ी संग डांस करती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं शिवांगी की वायरल वीडियो…

नायरा के साथ डांस करती दिखीं वेदिका

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है कि वेदिका यानी पंखुड़ी अवस्थी ने सीरियल को अलविदा कह दिया है, जिसके चलते शो के सितारों ने पंखुड़ी को फेयरवेल पार्टी दी. वहीं पंखुरी ने शिवांगी जोशी के साथ जमकर मस्ती भी की है. दोनों ने खूब सारे मजेदार वीडियो बनाए और कई फोटो भी क्लिक की.

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पंखुड़ी ने कही ये बात

पंखुड़ी अवस्थी ने शो में उनके किरदार के बारे में कहा कि ये किरदार परमानेंट के लिए नहीं था. इसी के साथ ये भी कहा कि उनका किरदार सिर्फ तीन महीने के लिए ही था, लेकिन इसे 8 महीने तक खींचा गया. साथ ही शो में उनके सफर को लेकर कहा कि वह इस शो को अच्छे नोट पर छोड़ रही है और अब इस सीरियल के सभी कलाकार उनके लिए उनके परिवार जैसे ही है.

बौलीवुड फिल्म में आएंगी नजर

 

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With the setting winter sun!

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पंखुरी जल्द ही बौलीवुड के हिट एक्टर में से एक आयुष्मान खुराना की अपकमिंग फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’में नजर आने वाली हैं, जिसमें वह आयुष्मान के साथ रोमांस करती नजर आएंगी.

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बता दें, पंखुरी अपने सीरियल में वेदिका के किरदार के कारण काफी सुर्खियां बटोर चुकी हैं. वहीं फैंस भी लगातार इस किरदार को खत्म किए जाने की मांग भी कर रहे थे. इसी कारण शो में पंखुड़ी के किरदार को खत्म करने के लिए फैंस मेकर्स को कह रहे थे.

मुश्किल में जनता मजे में सरकार

भाजपा सरकार देश को हिंदूमुस्लिम मामलों में उल झाए रखना चाहती है ताकि उन की गरीबी, बेरोजगारी, गंदगी, बीमारी जैसे मामलों में कोई पूछताछ न करे. देश तो हमेशा से ही पंडोंपुजारियों के कहने पर चला है चाहे जमाना मुट्ठीभर मुगलों का हो या फ्रैंच, डच और अंगरेजों का. जो लोग घोड़ों पर बैठ कर पहाड़ी दर्रों से या लकड़ी की नावों में आए, भारत पर मजे से सैकड़ों साल राज करते रहे और आज की भी 80 फीसदी जनता का हाल वही है जो गुलामी में होता है.

नागरिकता का नया कानून या फिर राम मंदिर देश की हालत को किसी भी तरह से नहीं सुधारेगा. हो सकता है कि आगे इन मामलों को ले कर महल्लेमहल्ले में लड़ाई होने लगे. अब तक दलितों और पिछड़ों को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा करना आसान था पर धीरेधीरे पिछड़ों को सम झ आ रहा है कि उन का तो इस्तेमाल किया जा रहा है और न नागरिकता कानून से न राम मंदिर से उन के खेतों की उपज बढ़ने वाली है और न ही नए कारखाने लगने वाले हैं.

भारत से अच्छा तो बंग्लादेश और श्रीलंका करते नजर आ रहे हैं जहां इस तरह के सवाल हैं पर वहां सरकारें आम लोगों को इन के भुलावे में नहीं रख रहीं. यहां तो सरकार 24 घंटों नागरिकता या धर्म का पिटारा खोले रखती है. भारत में रहने वाला हर जना भारतीय ही है. उसे कागज कुछ भी दो वह अपनी जगह बना लेगा, आज नहीं तो कल. लाखों नहीं करोड़ों भारतीय मूल के लोग विदेशों में बसे हैं और बाकी उस तरह के घुसपैठिए हैं जैसे नागरिकता कानून में बताया गया है पर उन्होंने अपनी जगह बना ली है और ज्यादातर दिल से आज भी हिंदुस्तानी बने हैं और अपनी पुरानी सोच के हिसाब से चल रहे हैं.केरल का मलयालम बोलने वाला मुसलमान, कर्नाटक का कन्नड़ बोलने वाला मुसलमान बंगला बोलने वाले मुसलमान से कैसे अलग है?

नागरिकता कानून बेबात में लाखों लोगों को धर्म के हिसाब से अपना इतिहास खोलने को मजबूर करेगा, जिस में जम कर रिश्वतखोरी होगी, पुलिस की मौज आएगी और लाखों घरों में दहशत फैलेगी. यह कानून गरीबों को और गरीब करेगा. जो देश गरीबी से कराह कर लंगड़ा चल रहा है सरकार खुद उस की टांगों पर रस्सियां बांध रही है.इन फैसलों की बारीकियां सम झना आसान नहीं, क्योंकि कानूनों को किस तरह लागू किया जाता है यह आज नहीं कहा जा सकता. कई बार कानून सो जाते हैं, कई बार भोपाल गैस कांड बन कर हजारों को लील जाते हैं. जब लड़ाई सुख और सुविधाएं पाने के लिए करनी चाहिए, सरकार गरीबों को उल झा कर कुछ का उल्लू सीधा कराने में लगी है.

सफलता और असफलता का रास्ता एक ही जैसा है

एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति ने लोगों को सिखाने के लिए कि ‘कैसे अपने जीवन में दुखों से छुटकारा पाया जाए’ एक सेमिनार  का आयोजन किया. उस बुद्धिमान व्यक्ति की बातें सुनने के लिए बहुत से लोग इकट्ठा हुए. उस आदमी ने कमरे में प्रवेश किया और भीड़ को एक चुटकुला सुनाया. सभी लोग उस चुटकुले पर बहुत हँसे.

एक-दो मिनट के बाद उस आदमी ने लोगों को फिर से वही चुटकुला सुनाया तो भीड़ में से कुछ ही लोग  उस चुटकुले को सुनकर मुस्कुराए.

जब उसने तीसरी बार वही चुटकुला सुनाया तो कोई भी नहीं हंसा.

बुद्धिमान व्यक्ति मुस्कुराया और उसने कहा, “जब आप एक ही मजाक पर बार-बार हँस नहीं सकते,तो आप अपनी असफलता के बारे में सोचकर बार-बार क्यों रोते रहते हैं? ”

असफलता जीवन की एक वास्तविकता है जिसका सामना सभी मनुष्यों को अपने जीवन में कभी न कभी, किसी न किसी रूप में  करना ही पड़ता है.  इससे कोई भाग नही सकता.

अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि “ यदि कोई व्यक्ति कभी असफल नहीं हुआ  इसका मतलब उसने अपने जीवन में कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की”

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अगर आप असफल नहीं होते इसका मतलब आप अपनी लाइफ में रिस्क लेने से डर रहे है. यह आपकी लाइफ का सबसे बड़ा रिस्क है की आप कोई रिस्क नहीं ले रहे है. कोई भी व्यक्ति इतिहास में grow नही किया है बिना रिस्क लिए, रिस्क तो आपको लेना ही पड़ेगा. आगे बढ़ें और चुनौतियों को स्वीकार करें. यदि आप कुछ बातों पर गहराई से विचार करें  तो आप आसानी से अपनी असफलता को सफलता में बदल सकते हैं:

1- अपनी असफलताओ से सीख लें

बात ये नहीं है की आप असफल हुए बात तो इसमें है की आपने अपनी असफलता से क्या सीखा. “थॉमस अल्वा एडिशन बचपन से हर प्रयोग में फेल हो रहे थे .9999 प्रयोग के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिक बल्ब बनाया.वो हर प्रयोग के असफल होने के बाद ये नहीं सोचते थे की मैं  फेल हो गया  बल्कि सोचते थे कि आज इस असफलता से मैंने क्या सीखा .उन्होंने बात- चीत के  दौरान एक रिपोर्टर से कहा की ‘मैं 9999 तरीके सीख गया  हूँ जिनसे बल्ब नहीं बनता’”.

असफलता कोई समस्या नहीं है पर अपनी असफलताओं से सीख न लेना ये बहुत बड़ी समस्या है. किसी ने सच ही कहा है कि  “समस्या समस्या में नहीं है, समस्या को समस्या समझना एक बहुत बड़ी समस्या है”

2-अपनी असफलताओं के पीछे के कारण पर पर्दा न डालें

हम अक्सर अपनी असफलताओं को स्वीकार करने से डरते हैं और अपने आप को ही बहाने बनाकर समझाने लगते है कि मेरी असफलता मेरे कारण नही बल्कि दूसरों  के कारण है.

लोगों के पास ये बताने के बहुत से कारण है की मैं असफल क्यों हुआ. कुछ कहते है की मेरे पास पैसा नहीं था, कुछ कहते है की मेरे पास ताकत नहीं थी, कुछ कहते है की मेरे पास अवसर नहीं था , कुछ कहते है की मुझे मौका ही नहीं मिला. ठीक है भले ही आपके पास साधन नहीं है पर अगर आपके पास साधन जुटाने की क्षमता है तो आपको कोई नहीं रोक सकता.

अपनी असफलताओं के बहाने मत ढूंढे क्योंकि ये कुछ समय के लिए तो आपको तसल्ली दे सकते है पर आपको आपकी सफलता से कई कदम दूर भी कर सकते हैं. जिस क्षण आप अपनी असफलता को दिल से गले लगाते हैं और अपने व्यक्तिगत विकास के लिए इसके महत्व को समझते हैं, उसी क्षण आप सफलता की ओर पहली सीढ़ी पर कदम रखते है.

3- अपने आप से पूछे

सावधान रहें कि आप अपने आप से कैसे बात करते हैं, क्योंकि आप सुन रहे हैं. अपने आप से कभी ये मत पूछे  की मैं असफल क्यों हो जाता हूँ बल्कि ये पूछे की मैंने अपनी कौन-सी  ताकत का अब तक इस्तेमाल नहीं किया .अगर आप अपना पूरा फोकस कठिनाइयों पर रखोगे तो सफल होने की संभावनाए ख़त्म होती जाएँगी.

4-असफलता से न डरे

सफलता न मिलने का सबसे बड़ा कारण है कि आपका अपने किसी भी काम में असफल होने का डर होना. अगर एक बार अपने ये मान लिया किया कि आप ये नहीं कर सकते तो आप अपने पूरे  मन से प्रयत्न नही कर पाते और बार बार असफल होते हैं और फिर यही डर आपकी सोच पर हावी हो  जाता है.

कैंसर जैसी बीमारी तो एक बार ठीक भी हो सकती है पर आपकी सोच को कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं ठीक कर सकता .एक बात हमेशा याद रखिये असफल होने से आप और भी ज्यादा मजबूत बनते है और आपको आपका लक्ष्य और भी ज्यादा  साफ़ नज़र आता  है.

5 -अपना कोई एक लक्ष्य बनाए

अगर आपको सफलता पानी है तो आपको अपना कोई एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा . अपने लक्ष्य पर जी जान लगाकर मेहनत करो.बहुत सारे काम  एक साथ करने की जरूरत नहीं है. वो करो जो सही है वो नहीं जो आसान है.

6 -अपनी willpower को बढ़ाए

अपनी willpower  को जगाइए  पर साथ ही साथ अपनी emotional feeling  को भी जगाइए,क्योंकि बिना emotional feeling के willpower अधूरी है.

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Willpower का मतलब है की ‘मुझे ये करना ही पड़ेगा’ और willpower के साथ emotional feeling का मतलब है ‘मुझे ये चाहिए ही चाहिए’ .जब किसी काम में आपकी emotional feeling जुड़ जाएगी तो वह काम आपके लिए बहुत आसान हो जायेगा .

7 -सफल व्यक्तियों की सफलताओं से नहीं असफलताओं से शिक्षा लें

अक्सर लोग अपनी तुलना दूसरों से करते है वो दूसरों की सफलताओं को देखकर सोचते हैं की क्या मैं इन जैसा सफल नहीं हो सकता? पर शायद वो ये नहीं जानते या नहीं जानना चाहते की एक सफल व्यक्ति ने भी ना जाने अपने जीवन में कितनी असफलताओं का सामना किया होगा.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और विश्व के महान वज्ञानिकों में से एक Dr. A.P.J. Abdul Kalam ने कहा था कि “अगर आपको अपने जीवन में तेज़ी से सफलता को हासिल करना है तो success stories मत पढ़िए उससे आपको सिर्फ motivation  ही मिलेगा .अगर पढना है तो failure stories पढ़िए क्योंकि उससे आपको आपके अन्दर की कमियों के बारे में पता चलेगा और आप ज्यादा अच्छे तरीके से अपनी कमियों को सुधार सकेंगे” .

याद रखे कि जितनी जल्दी हम अपनी असफलताओं को झटकना बंद कर देंगे,और उनसे सीखना शुरू कर देंगे  उतनी ही आसानी से हम अपनी सफलता की सीढ़ी चढ़ते जायेंगे.

‘Math के एक सवाल का एक ही उत्तर होता है पर जिंदगी के एक सवाल के बहुत सारे उत्तर होते है’.

शुभारंभ: रानी ने शादी में पहना 18 किलो का लहंगा

कलर्स के शो, ‘शुभारंभ’ में राजा और रानी की शादी हो गई है. इन दिनों शो में राजा-रानी की शादी की रस्मों के बीच राजा-रानी की नज़दीकियां भी बढ़ रही हैं. भले ही इस शादी में अड़चनों की कमी नहीं थी, लेकिन प्यार की भी कमी नही दिखी राजा-रानी के बीच. रानी एक बहुत ही खूबसूरत दुल्हन के रूप में नज़र आयी. आज हम बात करेंगे रानी के शादी के लुक की. शादी में रानी बेहद खूबसूरत घरचोला लहंगे में नज़र आयी, जिसमें रानी का लुक देखने लायक था. आइए आपको बताते हैं रानी के खूबसूरत लहंगे की खास बातें…

जोर्जेट और रेशमी कपड़ों से बना रानी का लहंगा

घरचोला दुल्हनों की एक खास गुजराती पोशाक है, जो उनकी संस्कृति में बहुत महत्व रखती है. गुजराती परिवार से ताल्लुक रखने वाली रानी का लहंगा भी सफेद और हरे रंग से बना था. लहंगा जोर्जेट और रेशमी कपड़ों से बना था, जिस पर हाथ की कढ़ाई की गई थी.

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72 घंटे में हुई लहंगे की कढ़ाई

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रानी के इस खूबसूरत लहंगे को बनने में 3 से 4 दिन का समय लगा. सबसे पहले लहंगे की 72 घंटे में कढ़ाई हुई, जिसके बाद दर्जी को 22 घंटे लहंगे में 48 कली का घेरा डालने में लगा. 16 मीटर लंबे घेरे होने के कारण इस लहंगे का वजन लगभग 18 किलो था, जो पोशाक की भव्यता को दर्शाता है. इस लहंगे को बनाने में 6 कारीगर और एक्सपर्ट लगे थे.

रानी की ज्वैलरी भी थी खूबसूरत 

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खूबसूरत लहंगे के साथ रानी ने हरे रत्नों से बना कुंदन का एक नक्काशीदार सेट पहना था, जो रानी की सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था. रानी ने शादी में नेचुरल लुक रखा था, जिसमें वह बेहद प्यारी लग रही थी.

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शुभारंभ की कहानी गुजरात के एक छोटे से शहर, सिद्धपुर की है. अलग-अलग प्रतिभा रखने वाले राजा और रानी की किस्मत ऐसी जुड़ जाती है कि दोनों शादी के बंधन में बंध जाते हैं. अब देखना ये है कि शादी के बाद राजा-रानी की जिंदगी में कौनसा नया मोड़ आता है. जानने के लिए देखते रहिए शुभारंभ, सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

क्या टूटने वाला है एक और स्टार कपल का रिश्ता, 8 साल पहले हुई थी शादी

बौलीवुड हो या टीवी इंडस्ट्री इन रिश्ता टूटना आम बात हो गया है.  कोई अपने 10 साल पुराने रिश्ते तो कोई सालभर पुराने रिश्ते को तोड़ रहा है. हाल ही में एक्ट्रेस श्वेता बासु और रोहित मित्तल ने साल 2018 , 13 दिसंबर को शादी के बंधन में बंधे थे, जिसके बाद साल 2019 खत्म होते हुए खबर आई की दोनों अलग हो गए हैं. वहीं अब इन नामों में एक और सेलेब कपल का नाम जुड़ने जा रहा है. आइए आपको बताते हैं कौन है वो सेलेब्रिटी कपल…

स्टार कपल्स की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं आमिर-संजीदा  

टीवी एक्ट्रेस संजीदा शेख और एक्टर आमिर अली स्टार कपल्स की लिस्ट में शुमार किए जाते हैं और दोनों की बौन्डिंग हमेशा ही लोगों को बेहद अच्छी लगी है. लेकिन इस बार दोनों के अलग होने की खबरें मीडिया में छाई हुई हैं.

 

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तलाक होने की कगार पर है आमिर-संजीदा का रिश्ता

 

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दोनों की शादीशुदा जिंदगी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और बात तलाक तक आ पहुंची है. दलअसल, खबर है कि दोनों एक दूसरे से अलग रहने लगे हैं और अपनी शादी में खुश नहीं है.

दोस्ती ने हुई थी रिश्ते की शुरुआत

 

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आमिर और संजीदा के रिश्ते की शुरुआत दोस्ती से हुई थी. संजीदा शेख ने एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि शुरुआत में दोनों दोस्त की तरह ही मिलते थे और घूमते-फिरते थे. जिसके बाद आमिर ने संजीदा को प्रपोज किया और दोनों शादी के बंधन में बंध गए.

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शादी को हो चुके हैं 8 साल

 

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बता दें,  आमिर अली और संजीदा शेख ने 8 साल पहले 2 मार्च 2012 में शादी की थी, जिसके बाद दोनों कई सीरियल्स में नजर आए. इसी के साथ दोनों पौपुलर रियलिटी शो नच बलिए में जोड़ी के रूप में नजर आए थे, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

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