सर्दियों के लिए वजन को ऐसे करें कंट्रोल

सर्दियों के मौसम में शरीर को चुस्त दुरुस्त रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस मौसम में सर्द हवाओं की वजह से शरीर में आलस रहता है, जिस कारण से ज्यादातर लोग अपनी फिटनेस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और उनकी ये लापरवाही आगे चलकर उनके मोटापे का कारण बनती है. लेकिन ये भी सच है कि अगर आपको सेहत बनानी है, तो सर्दियों से अच्छा और कोई मौसम नहीं है, क्योंकि इस मौसम में ढेर सारे फल और सब्जियां उपलब्ध होते हैं. इन फल और सब्जियों का सेवन कर और थोड़ा व्यायाम कर आप स्वस्थ रहने के साथ ही साथ फिट भी रह सकती हैं. सर्दियों में वजन बढ़ने के डर से अगर आप भी परेशान हैं, तो फिक्र छोड़िये. खाने-पीने के रूटीन में थोड़े से फेर बदल से ही आप खुद को इस मौसम में भी फिट रख सकती हैं. ये है सर्दियों के लिए खास स्वास्थ्य टिप्स.

1. डाइट के अनुसार ही खाएं

मौसम कोई भी हो, लेकिन अगर आपको फिट रहना है तो डाइट चार्ट के अनुसार ही खाना- पीना चाहिए. अगर आप अपने दिन भर की जरूरत के अनुसार कैलोरी लेंगी, तो आपका वजन कंट्रोल में रहेगा और आप दिन भर एनर्जी से भरी रहेंगी.

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2. हेल्दी ब्रेकफास्ट जरूरी है

सुबह का नाश्ता हमें दिनभर ऊर्जावान बनाए रखता है. इसलिए जरूरी है कि आप सुबह का नाश्ता किये बगैर घर से न निकलें. ध्यान रखें कि सुबह के नाश्ते में आप प्रोटीन और विटामिन से भरपूर चीजें ही खाएं. इसके लिए आप नाश्ते में इडली, डोसा, उपमा, अंडा, ब्राउन ब्रेड, फ्रूट कस्टर्ड और दूध आदि ले सकती हैं. इसके अलावा अपने नाश्ते और खाने में फल और सलाद को भी जरूर शामिल करें. ध्यान रखें अगर आपको वजन घटाना है तो मलाई निकालकर ही दूध पीएं.

3. दोपहर के खाने में शामिल करें हरी सब्जियां

अगर आप औफिस जाती हैं या ज्यादा समय तक बैठकर काम करती हैं तो दोपहर में भूख से थोड़ा कम ही खाएं. दोबारा भूख लगने पर आप जूस या ग्रीन टी ले सकती हैं. दोपहर के खाने में दाल, हरी सब्जी, रोटी, दही या छाछ लेंना आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा.

4. हल्का-फुल्का डिनर पाचन के लिए है बेहतर

रात के खाने में आप दलिया, खिचड़ी आदि हल्के और सुपाच्य भोजन ले सकती हैं. रात के खाने में मांस, मछली, पनीर जैसे भारी खानों से परहेज करें क्योंकि रात के वक्त आपका शरीर ज्यादातर आराम की अवस्था में होता है. ऐसे में शरीर ज्यादा भारी भोजन को नहीं पचा पाते और चर्बी बढ़ाते हैं.

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5. सोने से तुरंत पहले न लें भोजन

रात का खाना सोने से कम से कम 2 घंटे पहले लेना चाहिए और भोजन के बाद 15 मिनट तक अवश्य टहलना चाहिए. सोने से पहले गुनगुना दूध, हल्दी डालकर या अदरक के रस के साथ लेना अच्छा होगा.

फ्लौप फिल्मों को लेकर बोले सिद्धार्थ मल्होत्रा, पढ़ें खबर

फिल्म मरजांवा से फैंस का दिल जीत रहे बौलीवुड एक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा इन दिनों काफी बिजी चल रहे हैं. चाहे वह फिल्म की शूटिंग हो या उनकी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म मरजांवा हो. आजकल फिल्म की तारीफ हर कोई कर रहा है, लेकिन इससे पहले रिलीज हुई फिल्म की असफलता का कारण कुछ अलग ही है. आइए आपको बताते हैं क्या फिल्म न चलने के पीछे क्या कारण मानते हैं सिद्धार्थ

सिद्धार्थ की असफल फिल्मों की संख्या है ज्यादा

2012 में करण जौहर की फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ से कैरियर की शुरुआत करने वाले सिद्धार्थ मल्होत्रा का कैरियर हिचकोले लेते हुए आगे बढ़ रहा है. उन की सफल फिल्मों के मुकाबले असफल फिल्मों की संख्या ज्यादा है. इन दिनों वे फिल्म ‘मरजावां’ को ले कर चर्चा में हैं. उन का मानना है कि उन्होंने अपनी हर असफल फिल्म से सीखा. मगर असफल फिल्मों के लिए वे खुद को दोषी मानने के बजाय फिल्म की पूरी टीम को दोषी मानते हैं.

 

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फ्लौप फिल्में होने के बावजूद मिल रही हैं फिल्में

सिद्धार्थ मल्होत्रा कहते हैं, ‘‘मेरे कैरियर की दूसरी ही फिल्म ‘हंसी तो फंसी’ असफल थी. मगर इसे देख कर कई फिल्मकारों को एहसास हुआ कि यह लड़का नौनग्लैमरस किरदार निभा सकता है. तो उस के बाद मेरे पास कई फिल्मों के औफर आए. यदि लोग आप को काम दे रहे हैं तो इस का मतलब यह है कि उन्हें आप का काम पसंद आ रहा है.

फिल्म की सफलता मेरे हाथ में नही- सिद्धार्थ’

‘‘फिल्म की सफलता या असफलता मेरे हाथ में नहीं है. मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान दे सकता हूं. फिल्म के निर्माण में एक लंबी टीम होती है, कितने सारे लोग काम करते हैं. ऐसे में जब तक मैं खुद निर्माता न बनूं तब तक मैं फिल्म के निर्माण पर कंट्रोल नहीं रख सकता. मेरी जितनी भी फिल्में सफल हुई हैं, उस का श्रेय मैं पूरी टीम को देता हूं और जो फिल्म नहीं चली, उस के लिए मानता हूं कि टीम की हैसियत से हम कुछ नहीं ला पाए.’’

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सुष्मिता को ऐसे दिया बौयफ्रेंड रोहमन ने सरप्राइज, ये था रिएक्शन

बौलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन ने बीते दिन 19 नवंबर को अपना 44वां बर्थडे सेलिब्रेड किया, जिसकी खास बात ये है कि सुष्मिता के बौयफ्रेंड रोहमन शौल ने उनके लिए खास बर्थडे सरप्राइज रखा. वहीं सुष्मिता के इस बर्थडे की फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं सुष्मिता सेन के बर्थडे की कुछ खास तस्वीरें…

ऐसे दिया सुष्मिता को सरप्राइज

बौयफ्रेंड रोहमन शौल ने सुष्मिता के लिए एक सरप्राइज पार्टी दी. रोहमन ने पूरे छत को सजाया, जो काफी शानदार लग रहा था. सुष्मिता सेन को यह सब बेहद पसंद आया और उन्होंने रोहमन को शुक्रिया भी बोलते हुए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फोटो शेयर की. वहीं इसी के साथ सुष्मिता ने अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर की.

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वीडियो के साथ लिए इमोशनल पोस्ट

वीडियो को शेयर करते हुए सुष्मिता सेन ने एक इमोशनल पोस्ट लिखा. उन्होंने लिखा, ‘ मैंने जो कुछ भी मांगा, मुझे सब मिला. इस प्यारे सरप्राइज के लिए थैंक्यू जान…आई लव यू… सबने शानदार एक्टिंग की. मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था. एक मैजिक छत जिसमें लाइट, गुब्बारे, टेंट, यमी कैक और भावुक नोट थे.’

बौयफ्रेंड ने ऐसे विश

बौयफ्रैंड रोहमन शौल ने सुष्मिता को बर्थडे विश करते हुए एक नोट भी शेयर किया था, जिसमें उन्होंने एक मैसेज के साथ सुष्मिता की फोटो शेयर की थी. रोहन ने इस पोस्ट में लिखा, ‘अब इससे ज्यादा खुदा से और क्या मांगू, उसने तो पूरी कायनात से मुझे नवाज़ा है.’

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बता दें, एक्ट्रेस सुष्मिता सेन अपने से 15 साल छोटे बौयफ्रेंड रोहमन शौल के साथ रिलेशनशिप में हैं. वहीं इसी के साथ कई बार इनके ब्रेकअप की खबरें भी आ चुकी हैं.

इन 5 बातों से आपका अच्छा होगा रिलेशन

जिंदगी का एक मोड़ ऐसा आता है जब आपका कोई साथी बनता है कोई हमसफर बनता है. आपका पार्टनर होता है.कुछ लोगों का रिश्ता तो चलता है लेकिन कुछ लोगों के रिश्ते लेकिन लंबे नहीं चलते हैं और वो एक दूसरे से दूर हो जाते हैं. लेकिन कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें अगर आप ध्यान रखेंगे तो यकीन मानीए की आपका रिश्ता बना रहेगा और आपके रिलेशनशिप में कोई दिक्कत भी नहीं होगी.

1. एक-दूसरे को समझें

अगर आप दोनों ही वर्क करने वाले इंसान हैं तो याद रहे कि आप दोनों की टाइमिंग अलग-अलग हो सकती है ऐसे में आप दोनों को एक-दूसरे को समझना होगा ये समझना होगा की सामने वाला इंसान काम में व्यस्त होगा.अगर उसकी वजह से आप एक-दूसरे को ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं तो इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि आपका रिश्ता खराब हो गया बल्कि आपका रिश्ता औऱ मजबूत होना ऊपर डिपेन्ड करता है.

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2. लड़ाई को सुलझाना है जरूरी

अक्सर छोटी-मोटी लड़ाईयां हो जाती हैं लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं कि आपके रिश्ते में बिल्कुल भी प्यार नहीं है.उस लड़ाई को सुलझाकर आप एक-दूसरे को प्यार दीजिए और फिर देखिए की आपकी लड़ाई औऱ गुस्सा दोनों एक पल में गायब.क्योंकि आप दोनों ही काम की वजह से अगर एक दूसरे को वक्त नहीं दे पाते हैं तो जितना भी वक्त मिलता है उसे बिना लड़ाई के प्यार से बिता कर देखें शिकायतों के लिए तो जिंदगी पड़ी है और ये भी हो सकता है कि जिंदगी ना पड़ी हो आप इसे अन्यथा ना ले क्योंकि फ्यूचर किसी ने नहीं देखा है इसलिए जो भी वक्त मिले उसे प्यार से बिता लें.

3. दिखावे से बचें

प्यार का मतलब सिर्फ दिखावा नहीं होता है इसलिए दिल में एक-दूसरे के लिए सच्ची इज्ज़त होनी चाहिए क्योंकि गिफ्ट देने से ही अगर प्यार होता है तो वो प्यार नहीं है क्योंकि कुछ लोग यही सोचते हैं कि देखों तो वो उसको कितने गिफ्ट देता है वो उससे कितना प्यार करता है.लेकिन वो सच्चा प्यार नहीं है एक-दूसरे की इज्जत करना और एक-दूसरे का खयाल रखना ही सच्चा प्यार होता है.

4. दोस्ती का रिश्ता होना है जरूरी

सबसे मुख्य बात तो ये है कि प्यार से पहले आपका रिश्ता दोस्ती का होना चाहिए और कभी भी आप दोनों एक-दूसरे से कुछ भी ना छुपाए.शक तो कभी भी ना करें क्योंकि अगर आप हर वक्त एक-दूसरे पर शक करेंगे कि वो कहीं किसी औऱ से तो बात नहीं करता तो आपका रिश्ता नहीं चल पाएगा क्योंकि शक का कोई इलाज नहीं होता औऱ अगर आपके मन में कोई बात है तो आप एक-दूसरे से खुल कर पूछ लें.वो कहते हैं ना कि खामोशी से अच्छा होता है कि आप खुलकर बात कर लें शांति से.खामोश रहकर आप अंदर ही अंदर खुटेंगे.

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5. यादों को सजोएं

प्यार में दो लोग अलग भी हो जाते हैं उनकी कुछ मजबूरियां हो जाती हैं लेकिन यकीन मानिए की जब ऐसा होता है तो उनके साथ बिताए हुए पल और उनकी यादें ही आपके साथ होती हैं और अच्छा होगा कि वो यादें अच्छी हों. हालांकि आप अगर इन बातों का ध्यान रखेंगे तो रिलेशनशिप अच्छा ही बनेगा आपका.

बुढ़ापे से पहले ही जाग जाएं

अमेरिका का एक मजेदार पर चौंकाने वाला आंकड़ा है. अमेरिका में लगभग 4 करोड़ से ऊपर की आयु के वयस्क अपना काम छोड़ कर अपने वृद्ध मातापिता की देखभाल कर रहे हैं. अनुमान है कि ये वयस्क लगभग लाख डौलर का नुकसान प्रति वयस्क कर रहे हैं. भारत की स्थिति भी इस से कुछ अलग नहीं होगी बस यहां लोग नौकरियां नहीं छोड़ रहे, क्योंकि घरों में आमतौर पर पत्नियां हैं, जिन्होंने कभी काम नहीं किया, पर उन औरतों की गिनती धीरेधीरे बढ़ रही है, जिन्होंने मांपिता या सासससुर की देखभाल के लिए अच्छीखासी नौकरियां छोड़ दीं.

चूंकि अब वृद्ध अकसर 75-80 की आयु में ही होते हैं तब तक बच्चे खुद 45-50 के हो चुके होते हैं. यदि घर में 2 कमाने वाले हों तो 1 को नौकरी छोड़ देनी होती है. पिछली पीढ़ी में यह सुविधा थी कि वे 2-3 बच्चों के मांबाप थे और कोई न कोई उन की देखभाल के लिए आ ही जाता था पर अब जो 40-50 आयु के हैं उन्हें चिंता सता रही है कि उन की देखभाल कौन करेगा.

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आज कम बच्चे, देर से शादी, अकेले रहने का सुख, घर के कामों के प्रति अरुचि, महंगे होते अस्पताल एक चुनौती बन रहे हैं. 40-45 वालों को प्रलोभन दे कर ओल्डऐज होम, इंश्योरैंस पौलिसियां, जमा खाते में धन की योजनाएं परोसी जा रही हैं. पर जिस तरह की बेईमानियां प्राइवेट और सरकारी कंपनियों व बैंकों में हो रही हैं, कोई भरोसा नहीं कि आज का जमा कराया पैसा 30 साल बाद मिले ही नहीं, क्योंकि कंपनी या बैंक बंद हो चुका हो.

वृद्धों की सुरक्षा के लिए बच्चे सब से बड़ी गारंटी रहे हैं पर अब लगता है कि जवानी को पूरी तरह ऐंजौय करने के लिए या कैरियर बनाने की धुन में युवा अपने लिए बुढ़ापे में एक गड्ढा खुद ही खोद रहे हैं, जिस में उन का जीवन दफन हो जाएगा.

इस का एक सरल सा उपाय है सैल्फ गवर्न्ड होम्स फौर ऐज्ड यानी खुद के चलाए जाने वाले ऐसे घर जिन में बूढ़े अपनी देखभाल खुद कर सकें. यह भी इतना आसान नहीं है. इस में वृद्धों और प्रौढ़ों को समय रहते आसपास के वृद्धों को जमा करना होगा. अपने आर्थिक स्तर के अनुसार 5-7 कमरों के घर का इंतजाम कर सकें जिस में 5-7 जोड़े ही रहें.

वे अपना खर्चा कैसे चलाएंगे? कोई फैजदिल हो कोई कंजूस उस से कैसे निबटेंगे यह फैसला करना होगा. 40-45 की आयु में फैसला करना आसान है जब बच्चे बड़े न हुए हों. एक बार बच्चे बड़े हुए नहीं कि वे संपत्ति के लालच में मातापिता को कुछ नहीं करने देंगे. आपसी छोटेबड़े विवादों को सुलटाने का हिसाब करना होगा.

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वृद्धों की मानसिक सुरक्षा आर्थिक सुरक्षा से ज्यादा चाहिए होती है पर उन की देखभाल करने वाले केअरगिवर यह सम झ नहीं पाते. बहुतों की नजरें तो मिलने वाली संपत्ति पर होती हैं. जहां बच्चे या नजदीकी रिश्तेदार नौकर केअरगिवर रख देते हैं वहां केअरगिवर चोरी करने, आलस्य, मारपीट करने तक से बाज नहीं आते और हत्या तक कर देते हैं. कम बच्चों का एक फौलआउट वृद्धों की बेचारगी है. औरतों को ज्यादा सावधान रहना होगा, क्योंकि उन्हें तो तकनीक भी देर से सम झ आती है.

लकीरें-शिखा का नजरिया

मैंशिखा एक 29 वर्षीय महिला हूं. जिंदगी को खुल कर जीना चाहती हूं. लोग कहते हैं मैं दिखने में आकर्षक हूं. पर क्या यह सच है? क्या सुमित का हद से ज्यादा महत्त्वाकांक्षी होना मेरा दम घोंट रहा है.

सुमित नाश्ता कर रहा था कि अचानक फोन की घंटी बजी. पता नहीं फोन किस का था पर सुमित के चेहरे पर बहुत ही प्यारी सी मुसकान नजर आ रही थी, वही मुसकान जिस के लिए मैं यानी शिखा पिछले कुछ सालों से तरस गई हूं.

मैं ने सुमित से पूछा किस का फोन था, तो वह बेपरवाही से बोला, ‘‘यार, किसी पुराने दोस्त का, पर तुम इतनी उत्सुक क्यों हो रही हो?’’

मैं ने बात को आगे बढ़ाए बिना खाने की मेज समेट ली. मैं और सुमित पिछले साल ही रोहतक से फरीदाबाद शिफ्ट हुए. अन्वी के होने के बाद मेरे और उस के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही थीं. कुछ उस का बिजनैस में नुकसान तो कुछ हमारे ऊपर बढ़ती हुई जिम्मेदारियों ने जहां मेरी जीभ को कैंची की तरह धारदार कर दिया था, वहीं उसे बहुत ही रूखा कर दिया था.

वह जब भी मेरे करीब आने की कोशिश करता मेरी जबान न चाहते हुए भी बिना रुके चलने लगती. धीरेधीरे हमारे बीच के संबंध साप्ताहिक न हो कर मासिक हो गए. मुझे समझ नहीं आ रहा था जो सुमित मेरा 2 दिनों के लिए मायके जाना बरदाश्त नहीं कर पाता था वह अब कैसे कई दिनों तक मेरे बगैर रह लेता है?

मेरी जेठानी उषा को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने ही पहल कर के हमें रोहतक से फरीदाबाद भेज दिया था. फरीदाबाद में हम एकदूसरे से और भी ज्यादा दूर हो गए. घर के साथसाथ अन्वी की जिम्मेदारी भी अब मेरी थी. उसे स्कूल पहुंचाना और फिर वापस लाना व घर का सारा काम. थक कर चूर हो जाती थी. न तो नए शहर की हवा में अपनापन था और न ही शहर के लोगों में.

अभी ये सब सोच ही रही थी कि सुमित वापस आ गए. मैं ने न चाहते हुए भी उलाहना दी, ‘‘कभी अन्वी और मुझे भी ले जाया करो. घर से निकलते हुए तो चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ था और अब वापस आने के बाद चेहरे पर बारह बज रहे हैं.’’

सुमित भी कहां चुप रहने वाले थे. झट से बोले, ‘‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए.’’

पूरी रात मेरे और सुमित के बीच अबोला ही रहा. पर जहां मैं इस बात से परेशान थी

वहीं सुमित के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी, ऐसा लग रहा था कि मैं उस की जिंदगी में हो कर भी नहीं हूं.

सवेरे चाय का कप पकड़ाते हुए मैं ने सौरी बोल दिया पर वह बिना ध्यान दिए अखबार में खोया रहा. एकाएक मेरी आंखों में आंसू आ गए जो दर्द से अधिक अपमान के थे.

दोपहर को मैं ने अपनी जेठानी को फोन मिलाया और अपने दिल का हाल बयां कर दिया. वे बोलीं, ‘‘शिखा थोड़ा सब्र से काम लो, प्यार से तो पत्थर भी पिघल जाते हैं.’’

आज रात मैं ने अच्छे से मेकअप किया, सुमित की पसंद का खाना बनाया और उस का इंतजार करने लगी. अन्वी भी पापा की राह देखतेदेखते सो गई. घड़ी में 11 बजे तो मेरा पारा भी चढ़ गया. मैं ने भी गुस्से में खाना उठा कर रख दिया और भूखी ही सो गई. न जाने रात के किस पहर वह आए, मुझे पता ही नहीं चला.

फिर एक सुबह हुई और अब ऐसी ही सुबहें हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गईं. सुमित के चारों ओर एक लकीर थी, ऐसी लकीर जिसे मैं चाह कर भी पार नहीं कर पा रही थी.

बस मुझे यह मालूम था कि यहां भी सुमित को बिजनैस में कुछ खास फायदा नहीं हो रहा था. मैं ऐडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी पर आखिर इंसान ही हूं. फेसबुक पर रिश्तेदारों की वैभव्य दिखाती फोटो देख कर कभीकभी सुमित को बोल देती, ‘‘ऐसे बिजनैस से अच्छा तो कोई नौकरी कर लो, कम से कम एक बंधी आमदनी तो रहेगी.’’

सुमित हर बार कहता, ‘‘बस एक चांस मिल जाए फिर तुम देखना मेरा सितारा जरूर चमकेगा.’’

मैं मुसकरा देती और सुमित फोन पर बिजी हो जाता. इस बार भी जब ऐसा ही हुआ तो सुमित के फोन पर बिजी होने के बाद मैं बैडरूम में आ गई पर मुझे उस का व्यवहार बहुत ही अजीब लग रहा था. हालांकि मुझे सुमित पर भरोसा था पर फिर भी मेरे अंदर की औरत जानती थी कि मेरा आकर्षण अब खत्म हो गया है. सुमित की जिंदगी में जरूर कोई और है पर वह कौन है बस यह पता लगाना था.

आज सुमित का जन्मदिन है और यह तय था कि आज हम बाहर डिनर करेंगे. मैं और अन्वी तैयार बैठे थे. सुमित भी आ गए और तैयार हो गए. जैसे ही हम जाने लगे कि फिर से फोन बजा और सुमित के चेहरे पर एक मुसकान आई. पर उस ने फोन काट दिया और चल पड़े. पूरे रास्ते मैं उस फोन के बारे में सोचती रही. मुझे ज्यादा दिनों तक सोचना नहीं पड़ा, क्योंकि एक दिन मैं ने देख ही लिया कि यह भावना का फोन है जो सुमित के चेहरे पर मुसकान लाता है. भावना के लिए ही सुमित बेचैन रहता है.

भावना से मैं एक विवाह में रोहतक में ही मिली थी. दोनों को तब भी मैं ने बहुत घुलमिल कर बातें करते हुए देखा था पर भावना का खुशहाल परिवार देख कर मुझे लगा यह मेरी गलतफहमी है पर अब क्या करूं? मन कर रहा था भावना को फोन कर के जवाबतलब करूं पर फिर सोचा कि जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो फिर कोई क्या करे?

मैं बहुत दिनों तक खुद पर काबू न रख पाई. एक दिन ऐसे ही बेजारी से सुमित मेरे साथ खाना खा रहे थे कि फोन की टोन सुनते ही सुमित का चेहरा खिल गया पर न जाने किस रौ में बह कर मैं ने उस के हाथ से मोबाइल छीन लिया, ‘‘क्या कर रहे हो, आज एक बार भी बात नहीं हो पाई सुमि?’’

मैं ने चिल्ला कर बोला, ‘‘सुमि नहीं उस की पत्नी बोली रही हूं.’’

भावना बेशर्मी से बोली, ‘‘हाय शिखा, कैसी हो?’’

मैं ने गुस्से में फोन पटक दिया. सुमित ने भी आव देखा न ताव और मुझे धक्का दे दिया. हम दोनों वहशियों की तरह लड़ते रहे इस बात से अनजान कि हमारी अन्वी सहमी सी एक तरफ बैठी है.

सुमित बोला, ‘‘क्या मुकाबला करोगी तुम भावना से, वह तुम्हारी तरह परजीवी नहीं है, खुद के पैरों पर खड़ी है, मुझे मानसिक संबल देती है जो तुम आज तक नहीं दे पाईं. तुम तो मेरे साथ बस स्वार्थ के कारण जुड़ी हुई हो,’’ कह कर सुमित तीर की तरह कमरे से निकल गया.

उस ने आज मुझे मेरी जगह दिखा दी थी, अब मुझे भी किसी तरह से अपने पैरों पर खड़ा होना है और उसे छोड़ कर चले जाना है.

आगे पढ़ें- क्या था भावना का नजरिया

क्या आप जानते हैं गाय के दूध के ये फायदे

गाय का दूध अपनेआप में संपूर्ण भोजन है. यह दुनियाभर में उपलब्ध है और प्राचीनकाल से ही दुनिया के हर हिस्से में इस का इस्तेमाल किया जाता है. 1 गिलास दूध अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. जिस के बराबर पोषण दुनिया की कोई और चीज नहीं दे सकती.

दूध में मौजूद पोषक तत्त्व

कैल्सियम: गाय का दूध कैल्सियम का सब से अच्छा स्रोत है. कैल्सियम शरीर में कई तरह से फायदेमंद है. खासतौर पर यह दांतों और हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है. कैल्सियम खून का थक्का जमाने और घाव भरने, ब्लड प्रैशर पर नियंत्रण रखने, पेशियों की गतिविधियों और दिल की धड़कनों को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है.

पोटैशियम: इस का सही मात्रा में सेवन स्ट्रोक, दिल की बीमारियों, उच्च रक्तचाप से बचाता है. हड्डियों का घनत्व सामान्य बनाए रखता है और किडनी में पथरी बनने से रोकता है.

कोलाइन: दूध कोलाइन का भी अच्छा स्रोत है. यह एक जरूरी पोषक तत्त्व है जो नींद, पेशियों की गतिविधियों, याददाश्त और सीखने की क्षमता को सामान्य बनाए रखता है. कोलाइन कोशिका झिल्ली यानी सैल मैंब्रेन का रखरखाव करता है, तंत्रिका आवेग के संचरण में मदद करता है, वसा के अवशोषण में सहायक है और क्रोनिक/पुरानी सूजन को कम करने में कारगर है.

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विटामिन डी: विटामिन डी गाय के दूध में प्राकृतिक रूप से उपस्थित नहीं होता, लेकिन यह गाय के दूध को फोर्टीफाई कर इस में शामिल किया जा सकता है. विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. यह हड्डियों में टूटफूट की मरम्मत के लिए जरूरी है. यह कैल्सियम के अवशोषण तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस की कमी औस्टियोपोरोसिस, डीप्रैशन, थकान, पेशियों में दर्द, उच्च रक्तचाप, स्तन एवं कोलोन कैंसर का कारण बन सकती है.

बच्चों के लिए गाय के दूध के फायदे

विकास: प्रोटीन शरीर के विकास के लिए जरूरी है, लेकिन ये कई प्रकार के होते हैं. गाय के दूध में सभी जरूरी प्रोटीन होते हैं. इसलिए यह दूध न केवल शरीर में ऊर्जा पैदा करता है, बल्कि विकास में भी सहायक होता है. बच्चों के लिए रोजाना दूध पीना बहुत जरूरी है ताकि उन के शरीर और दिमाग का विकास ठीक से हो सके.

पेशियों का निर्माण: शरीर में मैटाबोलिज्म को सामान्य बनाए रखने के लिए पेशियों का विकास भी जरूरी है. इस के अलावा वजन भी सामान्य बना रहना चाहिए. पेशियों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना चाहिए. डेयरी प्रोटीन पेशियों के विकास और टूटफूट की मरम्मत के लिए बेहद फायदेमंद होता है.

प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाता है: दूध में ऐंटीऔक्सीडैंट जैसे विटामिन ई, सैलेनियम और जिंक होते हैं. ये शरीर से हानिकारक फ्री रैडिकल्स को निकालते हैं और शरीर को बीमारियों से बचाते हैं.

अच्छी नींद के लिए जरूरी: दूध में सभी जरूरी प्रोटीन होते हैं, जो अच्छी नींद के लिए जरूरी हैं. अगर बच्चे को सोने से पहले 1 गिलास दूध पिलाएं तो उसे अच्छी नींद आएगी.

हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है:  दूध में कैल्सियम और ऐसे कई जरूरी पोषक तत्त्व होते हैं जो हड्डियों और दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी हैं. उम्र बढ़ने के साथसाथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है. अत: दूध पीने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

दिल का स्वास्थ्य: ओमेगा 3 फैटी ऐसिड को अच्छा कोलैस्ट्रौल माना जाता है, जो दिल को बीमारियों से बचाता है तथा हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक से सुरक्षित रखता है.

दिमाग के लिए जरूरी: गाय के दूध में विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में होता है जो दिमाग, तंत्रिकातंत्र को सामान्य बनाए रखने के लिए जरूरी है. इस से सोनेजागने का चक्र भी नियंत्रित होता है.

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मां के लिए फायदे

दूध और औस्टियोआर्थ्राइटिस: गाय का दूध कैल्सियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों और दांतों को सेहतमंद रखने के लिए जरूरी है. घुटनों का औस्टियोआर्थ्राइटिस आजकल आम हो गया है, लेकिन रोजाना 1 गिलास दूध पी कर महिलाएं अपनेआप को इस बीमारी से बचा सकती हैं.

कैंसर से लड़ने में मददगार: विटामिन डी कैंसर से बचाता है और कोशिकाओं का विकास सामान्य बनाए रखता है. दूध में विटामिन डी होता है. ज्यादा मात्रा में डेयरी उत्पादों के सेवन से कैल्सियम और लैक्टोज की पर्याप्त मात्रा शरीर में जाती है और महिलाएं अपनेआप को ओवेरियन कैंसर से सुरक्षित रख सकती हैं.

मधुमेह से बचाता है: गाय के दूध में विटामिन बी और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जो मैटाबोलिज्म को सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं. शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का स्तर सामान्य बनाए रखते हैं. इस से मधुमेह पर नियंत्रण बना रहता है.

डिप्रैशन से बचाता है: दूध में मौजूद विटामिन डी सैरेटोनिन के निर्माण में मददगार है. यह एक ऐसा हारमोन है, जो अच्छी नींद, भूख के लिए जरूरी है. मूड को भी ठीक रखता है. विटामिन डी की कमी के कारण व्यक्ति डिप्रैशन और थकान से पीडि़त हो सकता है. गाय के दूध में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होता है.

वजन में कमी: दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह भूख शांत करता है. इस से मैटाबोलिज्म भी सामान्य बना रहता है. यह शरीर की ऊर्जा बनाए रखता है और गतिहीन जीवनशैली से दूर रखता है. व्यक्ति को सक्रिय बनाता है, जिस से वजन कम होता है.

त्वचा को चमकदार बनाता है: दूध से त्वचा चमकदार और मुलायम बनती है. उस की रंगत में सुधार आता है. दूध में मौजूद पोषक तत्त्व त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं.

शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है: दूध शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. यह पेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है, तनाव कम करता है, आंखों को सेहतमंद बनाता है, कैंसर की संभावना को कम करता है, कोलैस्ट्रौल एवं रक्तचाप कम करता है. कुल मिला कर सेहत के लिए वरदान है.

लेखिका: श्रुति शर्मा

बैरिएट्रिक काउंसलर व न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

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सगाई से लेकर विदाई तक कुछ यूं थे मोहेना के जलवे, देखें फोटोज

टीवी एक्ट्रेस मोहेना सिंह की हाल ही में शादी हुई है, जिसकी फोटोज वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर कर चुकी हैं. मोहेना की सगाई से लेकर बिदाई तक की हर रस्म में उनका लुक और उनकी खुशी साफ झलक रही थी. इसीलिए आज हम आपको उनकी सगाई से लेकर बिदाई तक की हर रस्म की फोटोज दिखाएंगे.

सगाई में कुछ यूं आईं थी नजर

टीवी एक्ट्रेस मोहेना अपनी सगाई की रस्मों में लाइट पिंक कलर के कौम्बिनेशन में नजर आईं थी, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर काफी पौपुलर हो चुकी है.

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Your heart knows the way… Run in that direction. Rumi.

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हल्दी में था अलग लुक

मोहेना अपनी हल्दी की रस्म में पीले कलर के लहंगे के साथ फ्लावर ज्वैलरी में दिखीं थी, जिसमें उनकी लुक लोगों को सिपल के साथ-साथ एलिगेंट नजर आया था.

मेहंदी में भी सिंपल लुक में नजर आईं मोहेना

रीवा की राजकुमारी होने के बावजूद मोहेना सिंपल चीजों को कैरी करती हुईं नजर आ चुकी हैं. उनकी लुक किसी सिंपल लड़की के जैसा था, लेकिन उसमें भी वह राजकुमारी लग रही थीं.

शादी में दिखा शाही लुक

 

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The pillar of my identity. The Root of my existence. My Father. You are my everything. @maharaja_rewa Photography @shrirangswarge

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मोहेना अपनी शादी में शाही लुक में नजर आईं थीं, रौयल फैमिली से होने के चलते रीवा की राजकुमारी मोहेना अपनी शादी के आउटफिट में रौयल टच देना नहीं भूली. इस लुक में भी उनकी सिम्पलीसिटी साफ झलक रही थी.

शादी के बाद कुछ ऐसी रही मोहेना की दिवाली

 

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My Precious ⭐️?

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शादी के बाद मोहेना की पहली दिवाली बेहद खास नजर आई थी, जिसमें वह रौयल मांग टीका पहने लहंगे में नजर आई थीं.

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बिदाई पर इमोशनल हुईं मोहेना

हाल ही में मोहेना अपने ससुराल लौट गई हैं, वहीं उनकी विदाई की फोटोज भी वायरल हो रही हैं, जिनमें वह रौयल अंदाज में बिदा हुई थीं. इसी के साथ वह इमोशनल होती हुई नजर आईं थी.

वैब सीरीज रिव्यू- पढ़ें यहां

सैक्स एजुकेशन

रिलीज ईयर – 2019

क्रिएटर – लौरी नन

कास्ट – एसा बटरफील्ड, गिलिअन एंडरसन, एमा मैके, कोनर स्वींडल्स

जौनर – कौमेडी ड्रामा, सैक्स कौमेडी, टीन ड्रामा

सैक्स एजुकेशन ब्रिटिश टीन कौमेडी ड्रामा वैब टैलीविजन सीरीज है जिस का इसी साल जनवरी में नैटफ्लिक्स पर प्रीमियर हुआ था. जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि इस में टीनएजर सैक्स पर बात की गई है. लेकिन, यह अपेक्षाओं से बिलकुल हट कर है. असल में यह शो सिर्फ सैक्स पर बात ही नहीं करता बल्कि टीनएजर्स की उस मानसिक स्थिति को भी उजागर करता है जिस से वे गुजर रहे हैं, हालांकि शो को खास इस पूरे मैटर को दिखाने का तरीका बनाता है.

ओटिस 16 साल का लड़का है और बाकी सभी लड़कों की ही तरह उस में भी कई शारीरिक और मानसिक बदलाव हो रहे हैं. उस की खुद की मां सैक्स काउंसलर हैं जिस कारण उसे सैक्स को ले कर अपनी उम्र से ज्यादा जानकारी है. यही वजह है कि वह सैक्स को ले कर इतना सहज नहीं है. सीरीज का इंट्रैस्ंिटग पार्ट तब शुरू होता है जब ओटिस स्कूल के बुली को उस की सैक्सुअल एंग्जाइटी पर एडवाइस देता है और जो उस के काम भी आती है. इस का फायदा मैव उठाती है जो ओटिस का कृश है. मैव ओटिस के पास स्कूल के बच्चों से पैसे ले कर उन्हें सैक्स एडवाइस लेने भेजती है.

सीरीज कहींकहीं बहुत हंसाती है तो कहीं रुलाती भी है. इसे देख बहुत कुछ जानने और सीखने को तो मिलता ही है, साथ ही एंटरटेनमैंट भरपूर होता है.

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अलियास ग्रेस

रिलीज ईयर – 2017

क्रिएटर – साराह पौली

कास्ट – सैरा गडेन, एडवर्ड होलक्रोफ्ट, रेबेक्का लीडियार्ड, जेकरी लेवी, पौल ग्रोस

जौनर – ड्रामा, मिस्ट्री

कनैडियन टैलीविजन मिनी सीरीज अलियास ग्रेस मारग्रेट औटवुड के इसी नाम के उपन्यास पर बेस्ड है. असल में मारग्रेट औटवुड ने यह उपन्यास आयरिश-कनैडियन 17 वर्षीया ग्रेस मार्क्स के जीवन पर लिखा था जिसे 1843 में अपने मालिक और उस की मिस्ट्रैस के खून के इलजाम में दोषी साबित किया गया था. ग्रेस मार्क्स के इस खून में भागीदारी के इलजाम को सालों तक सिर्फ इसलिए साबित नहीं किया जा सका था क्योंकि उस ने इसे कुबूलने से इनकार कर दिया और यह कहा कि उसे कुछ याद नहीं.

6 घंटे की इस मिनी सीरीज में यह प्रश्न बना रहता है कि क्या ग्रेस एम्नीशिया से पीडि़त थी, क्या उस में मल्टीपल पर्सनैलिटीज थीं, क्या सचमुच उस की दोस्त मेरी व्हीटली की रूह थी उस में, क्या वह निर्दोष थी या फिर सबकुछ ही ?ाठ था या दिखावा? किसी को असल में कभी पता ही नहीं चला कि ग्रेस मार्क्स ने असल में इस खून के पीछे क्या भूमिका निभाई थी. सीरीज थ्रिलिंग है, रहस्य से भरी हुई है, कहींकहीं लगता है जैसे ग्रेस कहानी को इस तरह बता रही हो जैसे वह अतीत में हो या किसी और ही दुनिया में.

सीरीज देखने पर 80 के दशक की लड़कियों का शोषण के खिलाफ न बोल पाना और अपनी आवाज उठाने में ?ि?ाकना साफ देखा जा सकता है, खासकर, जब ग्रेस की दोस्त मेरी अपने अमीर मालिक के बच्चे की मां बनने वाली होती है और उसे छिप कर अपना अबौर्शन कराना पड़ता है. उस जमाने में अबौर्शन की न कोई तकनीक मौजूद थी न सुविधा. इसी कारण जो कुछ मेरी के साथ हुआ वह ग्रेस के दिलोदिमाग में हमेशा के लिए घर कर जाता है. मेरी की चींखें सचमुच कानों में कई दिनों तक गूंजती हैं. यकीनन यह एक मस्ट वाच सीरीज है और इस से बेहतर तरीके से शायद ही इसे दिखाया जा सकता था.

फ्लीबैग

रिलीज ईयर – 2016

क्रिएटर -फीबी वालर-ब्रिज

कास्ट – फीबी वालर-ब्रिज, सिआन क्लिफोर्ड, ओलिविया कोलमैन, बिल पीटरसन, एंडरू स्कौट

जौनर – कौमेडी ड्रामा, ट्रैजिक कौमेडी

फ्लीबैग बाकी सभी वैब सीरीज से काफी अलग है क्योंकि यह न केवल एक मिनी ट्रैजिक कौमेडी सिटकौम है बल्कि यह ‘फोर्थ वाल’ पर बेस्ड है. फोर्थ वाल असल में सिनेमा का वह रूप है जिस में ऐक्टर अपने किरदार को निभाते हुए औडियंस से या कहें खुद से बात करता है, जिसे दर्शक देख सकते हैं लेकिन फिल्म या कहानी के अंदर किरदार के आसपास के लोग नहीं. फीबी वौलर-ब्रिज द्वारा क्रिएट की गई इस सीरीज में खुद फीबी ने ही मुख्य किरदार निभाया है. किरदार का असली नाम क्या है, यह उजागर नहीं होता, इसीलिए उसे फ्लीबैग कहा जा सकता है.

फ्लीबैग असल में एक स्ट्रौंग ब्रिटिश वुमन है जो बिलकुल अकेली है. उसे सैक्स करना पसंद है, उस के पास पैसा नहीं है, उस का खुद का कैफे है जो उस ने अपनी बैस्ट फ्रैंड बू के साथ शुरू किया था जो मर चुकी है. फ्लीबैग की एक सक्सैसफुल बहन है जो अपनी जिंदगी में उल?ा हुई है, पिता बात कर नहीं पाते और सौतेली मां उसे कुछ समझती नहीं. ओवरऔल उस की जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं है. इन सभी के बीच फ्लीबैग फोर्थ वाल के जरिए कभी अपना गिल्ट बताती है, कभी किसी से बात करते हुए उस का मजाक उड़ाती है, दर्शकों को अपनेआप को जज करने का मौका देती है तो कभी बहानों की तरह इस फोर्थ वाल को यूज करती है.

क्रिटिकली एक्लैमड सीरीज फ्लीबैग फन्नी, इमोशनल, थ्रिलिंग और अमेजिंग है. बहुत ज्यादा गहराई में न उतर कर भी यह सीरीज गहराई का एहसास देती है. सीरीज के सब से दिलचस्प मोमैंट्स में से एक मोमैंट वह है जब फलीबैग बारबार अपनी सौतेली मां का सब से कीमती मेमैंटो चुरा लाती है और उसे जहां कहीं मौका मिलता है वहां यूज करती है. सीरीज के 2 सीजन हैं जिस में दूसरा सीजन माइंडब्लोइंग है.

टीवीएफ ट्रिपलिंग

रिलीज ईयर – 2016

क्रिएटर्स – द वाइरल फीवर

कास्ट – सुमित व्यास, अमोल पराशर, मानवी गगरु, कुणाल राय कपूर

जौनर – ड्रामा, कौमेडी

टीवीएफ ट्रिपलिंग इंडियन वैब सीरीज है जिस का कौंसैप्ट फ्रैश है और इंडियन सीरीज के लैवल को बढ़ाता है. चंदन, चितवन और चंचल 2 भाई एक बहन हैं जिन के नाम असल में सरस्वती चंद्र के गाने में से लिए गए हैं. तीनों अपनीअपनी जिंदगियों में परेशान होते हैं जब एक अनप्लैंड ट्रिप उन्हें एकदूसरे से एक बार फिर जोड़ देती है. सीरीज के डायलौग्स बहुत बढि़या हैं और उस से भी ज्यादा बढि़या है ऐक्टर्स की ऐक्ंिटग. सुमित व्यास चंदन के रोल में इतना फिट बैठता है कि यकीन नहीं होता कि वह केवल एक किरदार निभा रहा है. ऐसी ही अमोल पराशर की परफौर्मेंस भी है जो परफैक्ट है.

एक एपिसोड है जिस में चितवन चंदन को फट्टू कहता है और चंदन सचमुच गुंडों से लड़ने पहुंच जाता है. इस सीन में ठहाके मारमार कर हंसने से शायद ही कोई खुद को रोक पाएगा. हालांकि, आज की सभी इंडियन सीरीज की तरह इस में भी गालीगलौज है लेकिन ‘सैक्रेड गेम्स’ या ‘मिर्जापुर’ जैसी नहीं. सीरीज का म्यूजिक भी अच्छा है जिस से सीरीज में कनैक्टिविटी बढ़ती है. इस के 2 सीजंस हैं और दोनों ही देखने लायक हैं. पहले सीजन में जहां ये तीनों खुद की तलाश में निकलते हैं वहीं दूसरे में चंचल के पति की तलाश में जो असल में थोड़ा ट्रैजिक है, लेकिन मजा इस में भी बराबर बना रहता है. सीरीज में ‘क्राइसिस के टाइम पर फैमिली ही काम आती है’ जैसे वन लाइनर्स तो हैं ही.

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गर्ल्स होस्टल

रिलीज ईयर – 2018

क्रिएटर्स – गर्लीयापा 

कास्ट -सृष्टि श्रीवास्तव, पारुल गुलाटी, एहसास चन्ना, सिमरन नाटेकर, गगन अरोड़ा

जौनर – कौमेडी, ड्रामा

19 साल की रिचा डैंटल कालेज की फर्स्ट ईयर की स्टूडैंट है जहां उस के होस्टल के पहले दिन से ही रोमांच शुरू हो जाता है. गर्ल्स होस्टल में चारों तरफ से घिरी रिचा को मजा खूब आता है जिस में उस का हर कदम पर साथ देती है ?दिल्ली सी लड़की मिली. सीरीज असल में

4 लड़कियों रिचा, मिली, जो और जाहिरा के इर्दगिर्द घूमती है. मिली और रिचा एकदूसरे की अच्छी दोस्त बन जाती हैं और कभी होस्टल की लड़कियों की जासूसी करती फिरती हैं तो कभी किसी के ?ागड़ों को सुल?ाती रहती हैं. सीरीज में मस्तीमजा, सीनियरजूनियर की खींचतान, डैंटल और मैडिकल के बीच की लड़ाइयां और कहींकहीं थोड़ा प्यारमोहब्बत भी है. आखिर सीरीज की टैगलाइन ही ‘औल गर्ल्स, वन कैंपस, नो मर्सी’ है.

ज ज्यादा लंबी नहीं है और इस के एपिसोड्स यूट्यूब पर भी अवेलेबल हैं. हर एपिसोड में कुछ न कुछ खास है जिस का अंदाजा एपिसोड्स के नाम से भी कलकता है जिस में एक एपिसोड का नाम ‘द ब्रा चोर’ है. इसी तरह होस्टल का एक कोना है जहां कुछ भी छोड़ो, गायब हो जाता है, इसलिए उस कोने का नाम बरमूडा ट्रायंगल रखा गया है. इसी तरह कई चीजें हैं जिन्हें देख और सुन कर हंसी आती है. सीरीज के एक एपिसोड में सृष्टि यानी जो का एक मोनोलौग भी है जिसे बारबार सुनने का मन करता है. वैसे, यह सृष्टि श्रीवास्तव का पहला मोनोलौग नहीं है जो इतना फेमस हुआ है, इस से पहले भी उस के कई मोनोलौग्स हैं जिन्हें यूथ ने काफी पसंद किया है जिन में एक सैक्स पर तो एक मलिका दुआ के साथ मोटी लड़कियों पर बेस्ड है. कुल मिला कर यह सीरीज बढि़या है जो आजकल के यूथ की पहली पसंद भी है.

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