क्या आप का बच्चा भी खाने में नखरे करता है?

एक मातापिता होने के नाते अपने बच्चे की बेहतरी और अच्छे स्वास्थ्य की चिंता करना स्वाभाविक है. हर माँबाप अपने बच्चे को भरपूर पोषण और अच्छे से अच्छा आहार देने का प्रयास करते हैं. मगर क्या खाना है और क्या नहीं इस को ले कर बच्चों के अपने नखरे होते हैं. उन्हें सीमित विकल्पों में से स्वादिष्ट और संतुलित आहार देने की कोसिस में अक्सर हम तरहतरह के मिथक के शिकार हो जाते हैं.

शेमफोर्ड एंड शेमरौक ग्रुप औफ स्कूल्स की संस्थापक निदेशक मीनल अरोरा ऐसे 5 आहार सम्बन्धी मिथक बता रही हैं जो आप के बच्चे के स्वास्थ्य में कई तरह से बाधा डाल सकते हैं:

1. बच्चे जानते हैं कि उन्हें क्या हैं खाना

बच्चों की पसंद स्वाद तक सीमित होती है. वे किसी विशेष व्यंजन या खाने की तरफ नहीं भागते. उन्हें जिस चीज़ का स्वाद भायेगा वही खाएंगे. समय के साथ उन में भोजन से जुड़ी स्वस्थ आदतों को विकसित करना संभव है.

बच्चे अपने माता-पिता की नकल करते हैं. इसलिए आप को एक परिवार के रूप में एक साथ भोजन कर के उन के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए. आप उन्हें कई तरह के स्वस्थ विकल्प दे सकते हैं. उन्हें उन फलों और सब्जियों का महत्त्व बता सकते हैं. बहुत ज्यादा बाहर का खाना न खाएं. घर में ही स्वादिष्ट चीज़ें पका लें. उन्हें कुछ खाने के लिए जबरदस्ती न करें. धीरेधीरे नए स्वादों से परिचित कराएं. स्वस्थ आहार आदतों को अपनाने के लिए कभीकभी उन्हें उन के पसंदीदा भोजन का स्वाद भी चखाइए.

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2. बार-बार खाने से आप का बच्चा होगा स्वस्थ

यह एक गलत धारणा है कि अगर बच्चे जल्दीजल्दी खाते हैं तो यह उन की वृद्धि और विकास को तेज करेगा. नियत दिनचर्या और समय पर खाने की आदत, भूख लगने पर भोजन करना, स्वस्थ संतुलित आहार लेना किसी भी बच्चे की स्वस्थ वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है. बारबार खाना बच्चे में मोटापा, डाइबिटीज जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है.

  1. बच्चे के आहार में फलों का रस करें शामिल

फलों का रस आप के बच्चे के आहार में शामिल करना अच्छा है. लेकिन यह किसी भी फल के मुकाबले बेहतर नहीं है. फाइबर हमारे शरीर के लिए किसी अन्य पोषक तत्व और विटामिन जितना ही महत्वपूर्ण है. जब आप अपने बच्चे को फलों का रस देते हैं तो उस की फाइबर वैल्यू शून्य हो जाती है जो कि अस्वास्थ्यकर है. उन में फल खाने की आदत को बढ़ाएं और कभी-कभी ही फलों का रस दें. डब्बाबंद जूस तो कभी भी न दें.

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  1. उन की जानकारी के बिना उन्हें न खिलाएं हैल्दी चीजें

अभिभावक होने के नाते आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता करते हैं और इस प्रयास में आप बिना बताये चुप के से उस के भोजन में सब्जियों और अन्य हैल्दी चीज़ें डाल रहे हैं. लेकिन क्या आप उसे इस जानकारी से वंचित नहीं कर रहे हैं कि सब्जियां उस के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण और फायदेमंद हैं? क्या यह वास्तव में सही दृष्टिकोण है? बेहतर होगा कि आप उन्हें स्वस्थ खाने महत्व को समझायें और तब उसे खिलाएं.

  1. मीठे व्यंजन बच्चों में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में करते हैं मदद

वास्तव में बहुत अधिक चीनी का सेवन आप के बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बुरा हो सकता है. यह उन में ‘चीनी की लत’ पैदा कर सकता है जो उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह से नुकसान पहुंचा सकता है. यह लत चिड़चिड़ापन, मनोदशा में बदलाव, उन में गतिविधि के स्तर में बदलाव आदि की वजह बन सकती है. इसलिए आप को उन के चीनी सेवन स्तर की निगरानी करनी चाहिए. इस का मतलब यह नहीं है कि चीनी पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाए लेकिन इसे नियंत्रित रखा जाए.

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मैं दोबारा किन्नर बन कर ही जन्म लेना चाहती हूं- नाज जोशी

दिल्ली की रहने वाली ट्रांसजेंडर नाज जोशी ने मौरीशस में मिस वर्ल्ड डाइवर्सिटी 2019 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन किया है. वह सामान्य महिलाओं के साथ किसी अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में जीतने वाली दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर भी हैं. आइये तमाम परेशानियों का सामना कर इस मुकाम तक पहुंचने वाली नाज की उपलब्धियों और जीवन में आई चुनौतियों पर डालते हैं एक नजर;

सवाल- आप को जीवन के प्रारम्भिक दिनों में किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा था?

मेरा जन्म 31 दिसंबर 1984 को दिल्ली के शाहदरा इलाके में हुआ था. जब मैं 5 साल की थी तो मुझे घर से निकाल दिया गया क्यों कि मैं लड़कियों की तरह व्यवहार करती थी. मांबाप को लगता था कि उन के इस बेटे को दुनिया स्वीकार नहीं करेगी. मैं लड़का कम और लड़की अधिक लगती थी. समाज के तानों के डर से मांबाप ने मुझे मामा के यहां भेज दिया. मामा के यहां पहले से 7 बच्चों का परिवार था जहां मैं आठवीं बन कर गई थी और घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. उन के बच्चे पढ़ते नहीं थे बल्कि काम करते थे. मैं ने मामा जी से कहा कि मैं पढ़ना भी चाहती हूं. उन्होंने मेरा दाखिला स्कूल में करवा दिया मगर साथ में एक ढाबे में काम पर भी लगा दिया.

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मैं सुबह स्कूल जाती थी फिर दोपहर में ढाबे में काम करती. शाम को घर का काम करती और रात को होमवर्क कर थक कर सो जाती. सुबह फिर स्कूल चली जाती. 11 साल की उम्र तक इसी तरह जीवन जिया. मैं खुश थी कि मुझे पढ़ने को मिल रहा है. मगर एक दिन मेरे कजन भाई ने मेरा मौलेस्टेशन किया. मैं काफी इंजुयर्ड हो गई थी. होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया. बहुत सारे बैंडेज लगे हुए थे.

मामा ने कहा कि घर में कुछ प्रौब्लम है सो तुम्हे अपने घर नहीं ले जा सकता. यहां से आगे की जर्नी अब तुम्हें खुद ही तय करनी है. उन्होंने किन्नर समुदाय की एक महिला से मेरी मुलाकात कराई और कहा कि अब तुम्हे इन के साथ रहना है. उस महिला से भी मैं ने यही कहा कि मुझे पढ़ना है. उन्होंने स्कूल के साथ मुझे डांस बार में काम पर लगा दिया. मैं कमाने के साथसाथ पढ़ाई करने लगी. डांस बार में हमारा काम सिर्फ लोगों का मनोरंजन करना था. यहां लोग हमें हीनभावना से देखते थे लेकिन किसी भी कस्टमर ने हमारे साथ गलत नहीं किया. हमें गन्दी नजरों से नहीं देखा.

दरअसल कई बार जो जगह गंदी मानी जाती है वहां लोग अच्छे होते हैं और अच्छी जगह में भी गंदगी मिल सकती है जैसे कि बाबाओं साधुसंतों को देखिए. इन के यहां कितने गंदे काम होते हैं.

मैं ने 2013 के दिसंबर में अपनी सर्जरी कराई थी. 2014 में जजमेंट आई कि हमें अपना जेंडर चुनने का हक़ है. तब मैं ने भी मेडिकल और आईकार्ड जमा कर खुद को महिला प्रूव किया. अब मैं महिला हूँ और महिला वाले सारे हक़ मेरे पास हैं. मैं दोबारा भी किन्नर बन कर ही जन्म लेना चाहती हूँ.

सवाल- आप मौडलिंग के फील्ड में कैसे आईं ?

जब मैं 18 साल की हुई तो विवेका बाबाजी जो एक मॉरिश मॉडल हैं, से मेरी मुलाक़ात हुई. वे मेरी दूर की कजन सिस्टर हैं और महाराष्ट्र से बिलॉन्ग करती हैं. उन्होंने मुझे फैशन डिजाइनिंग कोर्स ज्वाइन करने की सलाह दी क्यों कि मुझे कपड़े डिज़ाइन करने का शौक था. उन्होंने मुझे निफ्ट में पढ़ाया. मैं वहां टॉपर रही और 3 साल पढ़ने के बाद मुझे रितु कुमार के यहाँ जॉब मिल गई. 2 साल काम किया पर वहां सेफ वर्क एन्वॉयरन्मेंट नहीं था.

तब मैं ने तय किया कि मैं अपना बुटीक चालू करुँगी. मैं ने शाहदरा में बुटीक खोला मगर लोग अपनी बहुबेटियों को मेरे यहाँ भेजने से कतराते थे क्यों कि मैं किन्नर थी और लोगों को मुझ पर विश्वास नहीं था. उन्हें लगता था कि पता नहीं मैं उन के साथ क्या कर जाउंगी.
बुटीक फ्लॉप होने के बाद मैं ने जिस्म बेचने का धंधा शुरू किया. इस धंधे के दौरान ही एक फोटोग्राफर से मेरी मुलाकात हुई. उन्होंने मुझे मॉडलिंग लाइन में उतारा.

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2008 के आसपास मैं ने मौडलिंग शुरू की. तहलका पत्रिका में मेरी फोटो कवरपेज पर आई. इस के अलावा भी 4- 5 मैगजीन के कवरपेज पर मैं आ चुकी हूं. अब तक 4 ब्यूटी पैजेंट भी जीत चुकी हूं. मैं पहली ऐसी ट्रांसजेंडर मौडल हूं जिसे इतने बड़ेबड़े मौके मिले वरना इस फील्ड में हमारे समुदाय के लोगों को चांस ही नहीं मिलता.

मौडलिंग के दौरान मेरे साथ काम करने वाले बच्चे 18- 19 साल से ज्यादा के नहीं होते थे जब कि मैं काफी मैच्योर थी. तब मैं ने इन्हे अपने फैशन गुरुकुल के तहत फ्री में मॉडलिंग सिखाना शुरू किया. 2015 में मैं ने शादीशुदा महिलाओं के लिए ब्यूटी पैजेंट करवाना शुरू किया. कई तरह के कांटेस्ट करवाए. मैं ने उन महिलाओं से कहा कि मैं आप के लिए काम कर रही हूँ तो आप को भी ट्रांसजेंडर्स के लिए काम करना होगा. उन्होंने ऐसा किया भी. दरअसल मैं गैप खत्म करना चाहती हूं. हमारी जैसी ट्रांसजेंडर्स भी ओरतें ही हैं. दोनों ही समाज में अपनी पहचान खोज रही हैं. दोनों को एकदूसरे का साथ चाहिए.

सवाल- आप के जीवन में किस तरह की मुश्किलें और चुनौतियां आईं ?

मुश्किलें कई तरह की हैं मसलन; आज भी लोग हमें टेढ़ी और खराब नजरों से देखते हैं.
लोग हमारे साथ भेदभाव करते हैं. वे यह नहीं समझते कि हम भी उन के ही अंश हैं. हमें भी किसी ओरत ने ही जन्म दिया है.
हमारे लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. यह दिल्ली जैसे शहरों में ज्यादा है. खासकर जब लोग हमारी फैमिली के बारे में कुछ भद्दा बोलने लगते हैं तो यह हमारे लिए बहुत दर्दनाक होता है.
लोग हमारे साथ रिश्ता जोड़ना नहीं चाहते. यहाँ तक कि यह कह कर भी शादियां तोड़ दी जाती हैं कि इस का भाई या बहन ट्रांसजेंडर है. हमें घर ढूंढने में भी परेशानी आती है. कोई हमें घर देना नहीं चाहता.
हमलोग भी चाहते हैं कि हमारा कोई हमराज हो. हमारा भी घर बसे. हम भी महिलाएं हैं. पुरुष हमारी तरफ आकर्षित होते हैं. मगर समाज के डर से पुरुष हमें अपनाने का हौसला नहीं जुटा पाते. वे अपने किये वादे नहीं निभाते. हमें सच्चा प्यार नहीं मिल पाता. नतीजा यह होता है कि बहुत सारी किन्नर 40 -45 की उम्र तक आतेआते डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं. मेरी तो इंगगेजमेंट के बाद भी शादी टूट गई. सिर्फ इस वजह से कि मैं एक ट्रांसजेंडर हूँ.

सवाल- अक्सर हम देखते हैं कि किन्नर शादीब्याह के मौकों या फिर चौकचौराहों पर जबरन पैसे वसूली का काम करते हैं. क्या यह गलत नहीं है?

दरअसल यह बात किन्नर पुराण में लिखी है कि हमें मांग कर खाना है. मगर जोरजबरदस्ती की बात बहुत गलत है. कोई शख्स अपनी ख़ुशी से जितना दे उतना ही प्यार से लेना उचित है. किन्नरों को इस तरह जबरदस्ती करता देख कर कभीकभी बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है. यह तो पूरी तरह गुंडागर्दी है.

सवाल- आप को अपनी जिंदगी में कुछ कमी महसूस होती है?

समय के साथ मुझे जीवन में सब कुछ मिलता गया मगर एक कमी फिर भी महसूस होती है और वह है किसी हमराज का न होना. कोई भी पुरुष किसी ट्रांसजेंडर का हाथ थामने की हिम्मत नहीं कर पाता. प्यार भले ही कर ले मगर उसे एक मुकाम तक नहीं पहुंचा पाता. आज भी मैं अकेलापन महसूस करती हूँ और यही वजह है कि मैं ने 2018 में 15 दिन की एक बच्ची को गोद लिया. वह एक आईवीएफ बेबी थी जिसे उस के मांबाप ने छोड़ दिया था. सच कहूं तो इस बच्ची ने मुझे अपने परिवार से वापस जोड़ दिया है.

सवाल- आप फ़िलहाल किस तरह की लड़ाई लड़ रही हैं?

मेरी लड़ाई यह है कि मैं लोगों को समझाने का प्रयास करती हूँ कि हमारा समुदाय भी प्यार और सम्मान के काबिल है. हमें भी जीने और समान अधिकार पाने का हक़ है. हमें गन्दी नजरों से देखना बंद किया जाना चाहिए. हमें भी शादी करने या बच्चे गोद लेने का हक़ है.

हमारे समुदाय की बहुत सी महिलाएं जिस्मफिरोशी के काम करने को मजबूर होती है. ऐसा नहीं कि यही काम उन्हें पसंद है मगर वजह यह है कि कहीं न कहीं सामान्य काम करना उन के वश में नहीं. कॉरपोरेट वर्ल्ड या दूसरी सामन्य नौकरियों में उन्हें सेफ वर्क एन्वॉयरन्मेंट नहीं मिल पाता. लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं या हमारे साथ गलत व्यवहार करते हैं. चाह कर भी हम ऐसी जगहों पर काम नहीं कर पाते.

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सवाल- क्या ट्रांसजेंडर भी कई तरह के होते हैं?

जी हां ट्रांसजेंडर कई तरह के होते है; कुछ वे होते हैं जिन के जननांग पूरी तरह डेवेलप नहीं हो पाते.
कुछ ऐसे हैं जो खुद को आइडेंटिफाई नहीं कर पाते. उन का जन्म भले ही पुरुष शरीर में हुआ हो मगर वे खुद को स्त्री जैसा महसूस करते हैं. ये बाद में औपरेशन द्वारा अपना लिंग परिवर्तन कराते हैं. इन्हें ट्रांस सेक्सुअल कहा जाता है.
कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हे जबरन किन्नर बनाया जाता है. बचपन में ही उन के जननांग को काट दिया जाता है.

तेजी से वायरल हो रही है ऐश्वर्या राय बच्चन के बेबी शावर की फोटोज, आप भी देखें

ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बौलीवुड की बेस्ट जोड़ी में से एक है. आज भले ही दोनों की शादी को कई साल हो हए हैं पर फैन्स आज भी इस जोड़ी की शादी की तस्वीरों को शेयर करते रहते हैं. इसी बीच हाल ही में ऐश्वर्या की बेबी शावर की फोटोज सामने आई हैं जो उनके फैन्स ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. ये फोटोज आते ही तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं ऐश्वर्या के बेबी शावर की खास फोटोज…

ऐश्वर्या का लुक था कमाल

इन फोटोज में ऐश्वर्या ने मेहंदी कलर की साड़ी पहनी है जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही हैं. इसके साथ ही ऐश्वर्या में हैवी ज्वैलरी पहनी है. वहीं अभिषेक ने भी सेम कलर का कुर्ता पहना है. फोटोज में आप देखेंगे कि अभिषेक हर समय ऐश्वर्या के साथ खड़े थे. वहीं एक फोटो में अभिषेक, ऐश्वर्या का गजरा ठीक करते नजर आ रहे हैं.

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अभिषेक ने भरी थी मांग

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इन फोटोज में से एक फोटो में अभिषेक बच्चन अपनी वाइफ की मांग में सिंदूर भरते नजर आ रहे हैं. जिसमें दोनों की जोड़ी किसी से कम नही लग रही है.

अमिताभ आए कुछ यूं नजर

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एक फोटो में ऐश्वर्या की मां नजर आ रही हैं तो वहीं दूसरी फोटो में अमिताभ बच्चन और जया भी साथ नजर आ रहे हैं. बच्चन खानदान में नए मेहमान के आने की खुशी साफ झलक रही है.

शादी को हो चुके हैं 12 साल

 

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अभिषेक और ऐश्वर्या ने 20 अप्रैल 2007 को शादी की, जबकि उनकी बेटी आराध्या का जन्म 16 नवंबर 2011 को हुआ था.

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दोनों की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो ऐश्वर्या लास्ट फिल्म फन्ने खां में नजर आई थीं. इस फिल्म में उनके साथ अनिल कपूर और राजकुमार राव लीड रोल में थे.  वहीं अभिषेक बच्चन लास्ट फिल्म मनमर्जियां में नजर आए थे. इस फिल्म में तापसी पन्नू और विक्की कौशल लीड रोल में थे.

मनीष मल्होत्रा के घर कुछ ऐसे पहुंचीं रेखा, देखकर सभी रह गए दंग

एक्ट्रेस रेखा भले ही फिल्मों से काफी दूर हो, लेकिन वो पार्टीज या इवेंट्स में अक्सर दिखती रहती हैं. हाल ही में रेखा को फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के घर पर स्पौट किया गया. इस दौरान रेखा को देखकर सबकी निगाहें बस उन्हीं पर टिक गई. रेखा काफी खूबसूरत और ग्लैमरस लग रही हैं. रेखा ने औफव्हाइट कलर का आउटफ़िट पहना था. इसके साथ ही रेखा का हेयर लुक भी काफी अट्रैक्टिव लग रहा था. रेखा को देखकर लग ही नहीं रहा था कि उनकी उम्र 64 की हैं.

फैंस कर रहे हैं रेखा की तारीफ

रेखा में मनीष के घर से आने के बाद फोटोज क्लिक कराई. मनीष के साथ भी उन्होंने कैमरे के सामने पोज दिया. रेखा की इन फोटोज को फैन्स काफी पसंद कर रहे हैं. फ़ैन्स कमेंट कर रहे हैं कि रेखा बढ़ती उम्र के साथ और खूबसूरत और जवान हो रही हैं.

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गणेश उत्सव पर भी कई एक्ट्रेसेस को अपने लुक्स से किया फेल…

 

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Exclusive …The Diva #Rekha snapped at @manishmalhotra05 store in Mumbai today #pictureperfect #photooftheday #manavmanglani

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हाल ही में अंबानी परिवार के घर एंटीलिया में गणेश उत्सव था. इस दौरान कई बौलीवुड सेलेब्स शामिल हुए. कई एक्ट्रेसेस खूबसूरत ट्रेडिशनल आउटफिट्स में पहुंचीं, लेकिन जैसे ही रेखा की एंट्री हुई, सभी बस उन्हें देखते ही रह गए. पर्पल और क्रीम कलर की साड़ी में रेखा बेहद खूबसूरत लग रही थीं. उनकी उस दौरान की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं.

कंगना ने भी की थी रेखा के फैशन सेंस की तारीफ…

 

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कुछ दिनों पहले लैक्मे फैशन वीक में कंगना रनौत ने रेखा के फैंशन की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि कई ऐसे लोग हैं, जो पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं और मुझे लगता है कि रेखा जी उनमें से एक हैं. उनके अलावा, दूसरे फैशनेबल एक्टर्स में अमिताभ बच्चन जी, रणवीर सिंह और सोनम कपूर भी आते हैं.

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रेखा की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो लास्ट फिल्म ‘यमला पगला दावाना’ में नजर आई थीं. हालांकि वो पूरी फिल्म में नहीं बल्कि फिल्म के गाने राफ्ता-राफ्ता में ही नजर आई थीं.

इनकी बुद्धिमानी का जवाब नहीं

मैं कुछ दिन पहले जब घर से सुबह की सैर के लिए निकली तो दरवाजे पर बैठा एक कौआ मुझे देख कर कांवकांव करने लगा. वह गुस्से में फड़फड़ा रहा था. मैं खड़ी सोचने लगी कि उसे क्या चाहिए. मैं सैर के लिए चली ही थी कि 2 मिनट बाद ही वह पंजों से मेरे बाल खींचते हुए सिर के ऊपर से उड़ गया. मुझे पता नहीं था कि मुझे क्या करना है या मैं ने क्या गलत किया. फिर भी मैं ने उसे एक बिस्कुट डाला. वह उसे ले कर घर के दरवाजे पर बैठ कर उसे कुतरकुतर कर खाने लगा, फिर मुझे नाराज नजरों से देखते हुए उड़ गया.

मुझे कौओं और चींटियों के बारे में जानने की बहुत उत्सुकता रहती है. वे स्मार्ट हैं, ऐलिगैंट हैं, समझदार हैं, परिवार के साथ रहने वाले हैं, अनुशासित हैं. उन में वे सब गुण हैं जो मनुष्यों में होने चाहिए, पर अफसोस कि हैं नहीं. उन की बुद्धिमत्ता का जवाब नहीं.

बुद्धिमत्ता क्या होती है? बुद्धिमत्ता होती है कि कई महासागरों को पार कर हजारों मील दूर खड़े उसी पेड़ पर पहुंचना. यह साधारण बात नहीं है. भले ही हम बुद्धिमत्ता बोलने की शक्ति और 2 जमा 2 को कहते रहें, पर वह इन की भी कम नहीं.

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तेज याददाश्त

जर्नल औफ बिहेवियरल इकोलौजी ऐंड सोशयोबायोलौजी के अनुसार कौओं की याददाश्त बहुत तेज होती है और वे किसी भी ऐसे इंसान को पहचान सकते हैं जिस से उन्हें खतरा हो. फिर चाहे वह इंसान उन्हें किसी भी जगह मिले. एक प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने मास्क पहन कर हाथ में एक मरा कौआ ले जा कर कौओं को खाना दिया, लेकिन कौओं ने खाना नहीं खाया, बल्कि उन्होंने अन्य कौओं को इशारा किया और शोधकर्ताओं पर हमला कर दिया. जब शोधकर्ता कुछ दिन बाद उसी मास्क को पहने मरे कौए के बिना उन्हें खाना देने की कोशिश करने लगे तो कौओं ने खाना नहीं खाया, उलटा उन पर हमला कर दिया.

कौओं को न केवल चेहरे याद रहते हैं, बल्कि उन्हें उस व्यक्ति का चलने का ढंग, समय और डीलडौल भी याद रहता है और उस से नाराजगी हो तो जताना नहीं भूलते.

प्रयोग में शोधकर्ताओं को पता चला है कि यदि कौओं को खाना खाने के लिए डंडियों, पत्थरों जैसे टूल दिए जाएं तो वे धीरेधीरे उन का प्रयोग भी करने लगते हैं. कौए चिंपांजियों और गोरिल्लों से ज्यादा अकलमंद होते हैं.

बचपन में कौए और घड़े में पानी की कहानी का प्रयोग भी कौओं पर वैज्ञानिकों ने किया और घड़े की जगह पाइप दिया गया. उन्होंने बाहर रखी वही गोलियां उठाईं जो पाइप में जा सकती थीं और यदि पाइप में पानी की जगह रेत भरा गया तो उन्होंने कोशिश तक नहीं की. उन्होंने वे गोलियां भी नहीं उठाईं जो पानी में तैरने वाली और हलकी थीं.

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रूसी वैज्ञानिकों ने पाया कि कौओं में एक रंग, एक आकार, एक संख्या वाली चीजों को छांटने तक की क्षमता होती है. उन का मस्तिष्क उन के शरीर के अनुपात में बहुत से दूसरे जीवों से बड़ा होता है और उन में प्रति ग्राम न्यूरौन, जो जानकारी को कैमिकल की शेप में जमा करता है, ज्यादा होता है. जब वे इतने बुद्धिमान होते हैं तो मुझ से वह कौआ कह क्या रहा था, क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं?

आखिर क्या है ‘पिटी पार्टी’? जो दिलाए ब्रेकअप के दर्द से राहत

लेखक- पूनम

पिटी पार्टी मतलब मी टाइम

– इस में आप अपनी भावनाएं व्यक्त कर पाते हैं.

– यह ऐसा समय होता है जिस में तनाव कम हो जाता है.

– आप फिर से व्यवस्थित होते हैं, आगे की सोचते हैं. स्ट्रौंग होते हैं.

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– अपने साथ ही समय बिता कर आप कुछ अच्छा, पौजिटिव और तर्कसंगत सोच पाते हैं.

1978 में अमेरिकन सिंगर बारबरा मंड्रैल ने अपने ब्रेकअप के बाद एक गाना गाया था, ‘हैविंग अ सैड पिटी पार्टी…’ आप ने न जाने कितनी बार सुना होगा कि, ‘रो लो, तुम्हारा दिल हलका होगा,’ यह बिलकुल सही है. अपने साथ ही कुछ समय बिता कर अपनी सारी भावनाओं को बाहर निकाल कर आप फिर से अपने को ज्यादा स्ट्रौंग पाएंगी. दिल दुखी है? मूड बहुत खराब है? बहुत सारे टिश्यूज लीजिए, अपना मनपसंद खाना और्डर कीजिए और आराम से सोचिए कि क्या हो गया और अब कैसे आगे बढ़ना है.

इस स्थिति का एक नाम है, पिटी पार्टी. यह बहुत काम की चीज है, इसे कर के देखें.जब फैशन डिजाइनर रिद्धी जैन का अपने 7 महीने के अफेयर के बाद ब्रेकअप हुआ, उस का हाल बेहाल था. वे बताती हैं, ‘‘उस ने अचानक मुझे मैसेज भेजना बंद कर दिया. मेरे पूछने पर बहाने बनाने लगा. कोई फोन नहीं, कोई मैसेज नहीं. अचानक मिलना भी बंद कर दिया. मैं ने ऐसे समय पर वही किया जो सब करते हैं, घर पर बैठ गई. खूब रोती रहती. सब से मिलना बंद कर दिया. यह एक हफ्ता चला. पर फिर मैं धीरेधीरे सब भड़ास निकाल कर अपनेआप ही और स्ट्रौंग हुई.’’

रिद्धी को यह पता ही नहीं था कि जो उस ने किया, वही है पिटी पार्टी. ऐक्सपर्ट्स कहते हैं, ‘‘इस टाइप की पार्टी में रो कर मन हलका हो जाता है.साइको थेरैपिस्ट अनन्या सिंह कहती हैं, ‘‘यह एनरिचिंग, सोशलाइजिंग प्रोसैस है. इस में आप को खुद से कनैक्ट होने का समय मिलता है, एक स्पेस मिलता है जो आप की मैंटल हैल्थ के लिए जरूरी होता है. फिर आप चीजों को बेहतर तरीके से देख पाते हैं. मी टाइम जरूरी होता है.’’

अनन्या के अनुसार पिटी पार्टी अपनेआप पर थोपें नहीं. यह अनुभव एनरिचिंग होना चाहिए. यह अनुभव ऐसा होना चाहिए कि आप इस समय के बाद ज्यादा स्ट्रौंग, शांत हो कर बाहर आएं. आप का मन  एक बार शांत हो गया तो आप अपना आगे का समय कुछ नया सीखने में लगाएं. बस, फिर देखें कि आप ने अपना यह टैंशन का टाइम कितनी खूबसूरती से हैंडल कर लिया है.

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आप को खुशी होगी

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट प्राजक्ता कहती हैं, ‘‘इस समय आप काफी भावनात्मक उतारचढ़ाव से गुजरते हैं, गलत फैसला भी लिया जाता है. पर अपने मन की शांति के लिए अपने साथ ही कुछ समय बिताना जरूरी होता है. हमें एहसास नहीं होता पर यह पिटी पार्टी हम अपने साथ कई बार करते हैं, जैसे जब हम पर कोई नकारात्मक टिप्पणी करता है औफिस में या घर पर या दोस्तों में. अकसर लोग इस पर ध्यान नहीं देते पर मैं सलाह दूंगी कि बैलेंस बनाए रखें और कुछ नया व सकारात्मक सीखने के लिए तैयार रहें. किसी भी तरह की ऐक्सरसाइज करें.’’अपनी भड़ास निकालने के लिए अकेले में रोना बुरा नहीं है. अपना टाइम लें, शांत मन से सोचें, घबराएं नहीं. ब्रेकअप जीवन का अंत नहीं है. जो चला गया उसे जाने दें. उस के लिए अपना जीवन रोकें नहीं. पिटी पार्टी के ब्राद फ्रैश हो कर निकलें, मुसकराएं, आगे बढ़ें.

‘ये रिश्ता…’ में ‘कार्तिक’ तोड़ेगा ‘नायरा’ का व्रत, क्या होगा ‘वेदिका’ का रिएक्शन?

स्टार प्लस के सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं, जिससे ‘नायरा-कार्तिक’ के मिलने की आस बंध गई है. वहीं अब धीरे-धीरे ‘वेदिका’ के घर से जाने के भी संकेत दिख रहे है. हाल ही में हमने आपके तीज के सेलिब्रेशन पर ‘वेदिका’ के बेहोश होने पर गोयनका फैमिली का ‘नायरा’ पर गुस्सा करना दिखाया था, लेकिन अब शो में ‘नायरा और कार्तिक’ का ट्रेक लोगों का दिल जीत रहा है. आइए आपको बताते हैं सीरियल में तीज सेलीब्रेशन के नए ट्विस्ट के बारे में…

‘वेदिका’ को हुआ नायरा पर शक

‘कार्तिक’, ‘नायरा’ से इशारों-इशारों में व्रत रखने को कहता है. इसके बाद पंडित जी ‘नायरा’ को प्रसाद देते हैं मगर वो वंश को दे देती है, इससे ‘वेदिका’ को शक हो जाता है कि ‘नायरा’ ने तीज का व्रत रखा होगा.

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‘कार्तिक’ भी होगा परेशान

 

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‘कार्तिक’ भी परेशान है वो भी ये जानना चाहता है कि ‘नायरा’ ने उसके लिए व्रत रखा है या नहीं? वो सोचता है कि ‘नायरा’ ने उसके लिए व्रत जरूर रखा होगा. ‘नायरा’ ‘वंश’ और ‘कायरव’ को खाना खिला रही होती है तभी किसी का फोन आ जाता है, खिड़की पर बैठी नायरा के हाथ में खाना देखकर ‘कार्तिक’ दुखी हो जाता है.

‘कायरव’ लिखेगा नायरा के हाथ में ‘कार्तिक’ का नाम

वहीं ‘कायरव’ चाहता है कि उसकी मां यानी ‘नायरा’ ‘कार्तिक’ के लिए तीज का व्रत रखे. वो छुपके से ‘नायरा’ के हाथ में मेहंदी से ‘कार्तिक’ का नाम भी लिख देता है. ‘कायरव’ के फोर्स करने पर नायरा, ‘कार्तिक’ के लिए तीज का फास्ट रखेगी.

‘कार्तिक’ खोलेगा नायरा का व्रत

आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि ‘नायरा कार्तिक’ के लिए व्रत तो रखेगी, लेकिन चक्कर आने के कारण बेहोश हो जाएगी. वहीं ‘कार्तिक’ ‘नायरा’ को बेहोश होते देख उसे पानी पिला देगा, मतलब ‘नायरा’ का तीज का व्रत ‘कार्तिक’ ही तोड़ेगा.

‘वेदिका’ का होगा ये रिएक्शन

‘कार्तिक और नायरा’ को साथ में तीज के सेलिब्रेशन में देख वेदिका आग बबूला होकर ‘नायरा’ को खरी खोटी सुनाते हुए ‘नायरा’ का वादा याद दिलाएगी कि वह ‘कायरव’ के ठीक होते ही गोयनका सदन से निकल जाएगी.

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बता दें, ‘वेदिका’ को तीज का व्रत रखने से चक्कर आ जाता है, जिसके बाद डौक्टर ‘वेदिका’ की तबियत खराब होने की बात कहती है. वहीं ‘दादी’ ‘वेदिका’ की तबीयत खराब होने के चलते उसे जूस पिलाकर व्रत तोड़ देती है.

44 की उम्र में नानी बनेंगी रवीना टंडन, देखें बेटी के बेबी शौवर फोटोज

बौलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन महज 44 साल की उम्र में जल्द ही नानी बनने वाली हैं. हाल ही में रवीना ने अपनी गोद ली हुई बेटी के बेबी शावर के प्रौगाम में मस्ती करती हुई नजर आईं, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं नानी रवीना के सेलीब्रेशन की खास फोटोज..

गोद ली हुई बेटी है छाया

रवीना टंडन की बेटी जो मां बनने वाली है, उसका नाम छाया है. वहीं छाया अपने बेबी शावर के सेलिब्रेशन में अपनी मां रवीना टंडन का साथ पाकर बहुत ही खुश नजर आईं.

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रवीना के चेहरे पर नजर आई खुशी

एक्ट्रेस रवीना टंडन की बेटी जल्द ही मां बनने वाली है, इस बात की खुशी उनके चेहरे पर साफ-साफ देखी जा सकती थी। मां बनने का सुख क्या होता है, यह रवीना को अच्छी तरह से पता है, शायद इसीलिए वो अपनी बेटी के लिए खुश थीं.

 

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Bintang Film ‘Andaz Apna Apna’ Raveena Tandon sangat bahagia karena dia akan segera menjadi Nani (nenek). Aktris tersebut baru-baru ini mengadakan acara baby shower untuk putrinya bernama Chhaya, yang telah ia adopsi pada tahun 1995. . . Salah satu teman dekat Raveena, berna Pooja Mahikja yang berprofesi sebagai ahli gizi, menulis catatan indah dan beberapa foto dari acara baby shower. Dia menulis, “Bersorak untuk ‘ menjadi’ nenek ! Banyak yang mengkhotbahkan cinta yang tidak mementingkan diri tetapi @officialraveenatandon dan Anda mempraktikkannya dengan hasrat sejati. Sungguh menyentuh melihat Anda merayakan baby shower untuk anak adopsi Anda dengan kesempurnaan dan perawatan. . . Dan @officialrashathadani Anda adalah tuan rumah yang hebat, berkompetisi dan aku yakin menjadi super ‘masi ‘. Sangat bangga padamu, Ravs. ” Raveena menjawab dengan komen di foto tersebut dan mengatakan, “Cinta kamu, sayang! Terima kasih karena ada di sana berbagi kegembiraan dengan kami! ” . . . Raveena terlihat berpose bersama anak-anaknya dan seluruh kerabatnya. . . Aktris Raveena Tandon saat ini menjadi dewan juri diacara reality dance bersama dengan Ahmed Khan. . . . Raveena mengadopsi dua anak perempuan, Pooja dan Chhaya sebagai ibu tunggal pada tahun 1995 ketika mereka masing-masing berusia 11 dan 8 tahun. Dia menikah dengan Anil Thadani pada 2004 dan memiliki dua anak dengannya Rasha (2005) dan Ranbir (2008). . . . SC: TOI . . Follow : @dunia_india @dunia_india2 . . . #raveenatandon #andazapnaapna #bollywoodactor #bollywood #duniaindia

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पूरा टंडन परिवार था सेलिब्रेशन में मौजूद

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बेटी छाया के बेबी शावर में पूरा टंडन परिवार मौजूद नजर आया. तो वहीं रवीना टंडन ने खुद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ये फोटोज शेयर करते हुए अपनी नानी बनने की खुशी जाहिर की.

रवीना ने बेटी छाया को लगाया गले

रवीना टंडन ने इस सेलिब्रेशन पर अपनी बेटी छाया को गले लगाकर बधाई दी और उसे आशीर्वाद दिया. रवीना और छाया की ये फोटोज इनका रिश्ता बयां कर रही है.

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बता दें, रवीना टंडन 1995 में रवीना टंडन ने दो लड़कियां, छाया और पूजा को गोद लिया था. जिसके 21 साल बाद, उनकी बेटी छाया ने 25 जनवरी, 2016 को गोवा में एक हिंदू-कैथोलिक शादी में शौन मेंडेस से शादी कर ली थी और अब शादी के 3 साल बाद छाया मां बनने वाली हैं, जिसमें रवीना बेहद खुश नजर आईं थी.

मैं ज्यादा महत्वाकांक्षी नही हूं- सुदीप

सुदीप के नाम से मशहूर किच्चा सुदीप कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार हैं.1997 से अब तक वह बतौर हीरो 54 कन्नड़, तमिल, हिंदी व तेलगू फिल्में,16 फिल्मों में कैमियो,टीवी शो,‘फूंक’,‘रक्तचरित्र 2’,‘रन’व‘बाहुबली प्रथम’’जैसी हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. छह फिल्मों का लेखन व निर्देशन किया है. इन दिनों वह फिल्म ‘‘पहलवान’को लेकर चर्चा में हैं,जिसमें उनके साथ आकांक्षा सिंह और सुनील शेट्टी भी हैं. 12 सितंबर को प्रदर्शित हो रही स्वप्ना कृष्णा निर्देशित फिल्म‘‘पहलवान’’मूलतः कन्नड़ फिल्म है, जिसे हिंदी,तमिल, तेलगू व मलयालम में डब करके रिलीज किया जा रहा है.

सवाल- इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद फिल्मों की तरफ मुड़ने के पीछे क्या सोच थी?

-मैंने इंडस्ट्यिल एंड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की.क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी थी.मेरे माता पिता की भी इच्छा थी.लेकिन उसी बीच स्कूल व कॉलेज में मैं अभिनय करता था.स्क्रिप्ट लिखता था.तो आर्ट की तरफ मेरा झुकाव थोड़ा बहुत स्कूल दिनों से रहा है.मगर मेरी इच्दा फिल्म निर्देशक बनने की थी.मैने सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया.मैं फिल्म इंडस्ट्री से निर्देशक बनने के लिए ही जुड़ा था. मगर इंडस्ट्री ने मुझे अभिनेता बना दिया. बाद में मैंने छह फिल्मों का निर्देशन भी किया.

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सवाल- 1997 से अब तक आपके करियर को 20-22 साल हो गए.आज आपको अपना करियर कहां जाता हुआ नजर आ रहा है?

-अब तक मैंने कभी भी कोई योजना बनाकर काम नहीं किया.मैंने कभी नही सोचा कि मुझे क्या करना है और ना आज सोचता हॅंू.मैं सुबह उठता हंू और जो अच्छा लगता है,वह कर लेता हॅूं.मैं आज भी सोचता हूं कि मैं अच्छा या बहुत अच्छा काम करता रहूं.यदि मैं शुरुआत की बात करुं, तो मैने यह सब नही सोचा था.पर काम करता चला गया.आप यकीन नही करेंगे,मैं तो उन दिनों एक हाउसफुल फिल्म की इंतजार करता था. इससे ज्यादा ढूंढ़ना मेरा जीवन नहीं हो सकता. ऐसा मेरा व्यक्तित्व नही है कि लोग मुझे ‘हीरो’मान लें.वैसे भी मैं ज्यादा ढूंढता नहीं हूं ज्यादा सोचता नहीं हूं.जो  दिल  में आता है,करता हूं. अच्छा लगता है,और करता हूं.दर्शकों को अच्छा नहीं लगा,तो वैसा काम नहीं करता. कई बार मुझे अहसास होता कि जैसा मैं सोच रहा था,वही दर्शको की पसंद रही.

फिर जिंदगी में एक ऐसा प्वौइंट मुकाम आता है,जब आप इंज्वौय करने लगते हो.जो भी है, उसी में खुश.इससे ज्यादा एंबीशन तब आएगा,जब आप बहुत महत्वाकांक्षी हो गए हों कि मुझे यह भी करना चाहिए, वह भी करना चाहिए.शायद ऐसा मेरे साथ तो नहीं हो सकता,क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी को बहुत इंज्वॉय किया है.जो मेरे पास है,उससे मैं बहुत खुश हूं. नए-नए लोगों से मिलना,जिंदगी व करियर में उतार चढ़ाव आना व नया नया काम करना.

सवाल- लेकिन आपको नहीं लगता कि इंसान को महत्वाकांक्षी होना चाहिए?

-पता नहीं सर…मैं तो नहीं हू.और मैं किसी को भी जनरललाइज तो नहीं कर सकता. ऐसा करना भी गलत होगा.जब से मैं सिनेमा से जुड़ने की सोच रहा था,तब से मुझे लगता रहा कि हमें फिल्म निर्माण के प्रोसेस को इंज्वौय करना चाहिए. आपके पास कौन सी चीज है,यह बहुत मायने नही रखता.चीजों का क्या है? आज है कल नहीं है.

सवाल- फिल्म‘‘पहलवानकी किस बात ने आपको इस फिल्म के साथ जुड़ने के लिए उकसाया?

-इसकी कहानी ने. मेरे किरदार ने.यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है. अब तक मैने स्पोटर्स फिल्म नही की थी. इसमें मैने इसमें कृष्णा और कबीर की यानी कि कुश्तीबाज रेसलर और बाक्सर की दोहरी भूमिका निभायी है. इससे अधिक बताना ठीक नही रहेगा.

सवाल- कुश्तीबाज और बाक्सर के रूप में आपकी अपनी क्या तैयारी थी? क्या पहले भी कभी आप इस खेल से जुड़े रहे हैं?

-जी नहीं!! मैंने तो पहले कभी कुश्ती के खेल को निजी जीवन या फिल्म में भी देखा नहीं था.पहले कुश्ती सिखाने वाले गुरू भी बहुत कम होते थे. अभी तो बहुत सारे ट्रेनर आ आ गए हैं. कुश्ती लड़ने का सही तरीका होता है, जिसे बिना गुरू नहीं सीखा जा सकता. इसलिए जब मैने फिल्म ‘पहलवान’करने का निर्णय लिया, तो मैने कुश्ती लड़नी सीखी. बहुत मेहनत की है. मेहनत के बिना तो ऐसी फिल्म नहीं कर सकते.

सवाल- आपके 22 साल के करियर में टर्निंग प्वाइंट क्या रहे?

-मुझे लगता है,जिस वक्त मैने जो निर्णय लिया,वही मेरे मेरे जीवन व करियर के टर्निंग प्वौइंट हैं. करियर व काम का क्या है?कभी अच्छा चलता है,कभी नहीं चलता है.सच कह रहा हूं कि,‘हम जो निर्णय लेते हैं,वही हमारे जीवन के टर्निंग प्वौइंट होते हैं.’हम अक्सर जहां ना बोलना चाहिए,वहां हां बोल देते हैं. फिर सब गलत हो जाता है.जहां हां बोलना चाहिए,वहां ना बोल देते हैं.तो इस तरह से गड़बड़ हो जाता है.

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सवाल- क्या ऐसा कोई उदाहरण बताना चाहेंगे?

– बहुत हैं.ऐसा हो जाएगा,वैसा हो जाएगा और नहीं हुआ है.कई बार हम सोचते हंै कि अच्छा होगा,पर गलत हो जाता है. कई बार हम सोचते हैं कि यह गलत हो रहा है,पर वह सही हो जाता है.तो यह सब तो लर्निंग प्रोसेस @सीखने लायक होते है.तभी तो मैंने बताया कि महत्वाकांक्षी होना बहुत मुश्किल हो जाता है.हर कोई कभी ना कभी असफल हो ही जाता है.यहां कोई भी इंसान भगवान तो है नहीं कि वह जिसे कहे सफल,वह सफल ही होगा.लोग बहुत व सब कुछ समझने का दावा करते हैं.पर सच यह है कि हर कोई अंधेरे में सिर्फ तीर ही चलाते हैं.मेरे साथ यह है कि आज अच्छा सूट हुआ,अच्छा लगा,तो कर लेते हैं.मुझे लगता है कि जीवन में हमें वैसे ही होना चाहिए. कम से कम मैं तो वैसा ही हूं.मैं अपने दिमाग को बहुत काम नहीं देता.

सवाल- आप लेखक भी हैं.जब आप लिखने बैठते हैं,तब आपके दिमाग में क्या चीज हावी रहती है?

-कुछ हावी नहीं होता.सच में कुछ नहीं आता है.मैं लिखने तभी बैठता हूं,जब दिमाग में कुछ एक्साइटमेंट होता है.यदि दिमाग मे कोई विचार आइडिया आया और लगा कि यह विचार आइडिया अच्छा है, तभी लिखने बैठता हूं. ऐसा नही है कि कभी भी कलम उठायी और कुछ लिख डाला.जब वह स्वतंत्र होता है तभी कलाकार की अपनी जिम्मेदारी भी बढ़ती है.

सवाल- आप खुद बेहतरीन लेखक व निर्देशक हैं. पर ऐसा कौन सा निर्देशक रहा,जिससे आपने बहुत कुछ सीखा हो?

-मैंने राम गापाल वर्मा से बहुत कुछ सीखा है. उनकी सीख ने मुझे निजी जीवन में भी मदद की. राम गोपाल वर्मा आपके जो प्लस प्वौइंट है, उसको कैप्चर करते है. वह आपके उपर अपने अंदाज में कुछ करने के लिए नहीं कहते. निर्देशक के तौर पर उन्होने यदि आपको अपनी फिल्म से जोड़ा है, तो कोई वजह होगी. निर्देशक के तौर पर वह आपको पूरी स्वतंत्रता देते हैं.जब स्वतंत्रता मिलती है,तो कलाकार की रिस्पांसिबिलिटी भी बढ़ जाती है.कलाकार अच्छा काम करते हैं.उनका अपना भी दिमाग चलता है,तो क्या है?राम गोपाल वर्मा सामने वाले कलाकार को इज्जत देते हंै. जो कि बहुत जरूरी होता है. वह कलाकार को उसका पूरा ‘स्पेस’देते हैं.‘स्पेस’ऐसी चीज है, जो आपको बहुत मददगार साबित होती है.हमें हर किसी को उसका अपना स्पेस देना चाहिए.चाहे फिर बीवी हो,बच्चे हों या दोस्त या सहकर्मी.मुझे ऐसा लगता है कि यदि आप हर किसी को बंधन में बांधेंगे ,क्रौसचेक स्थिति में डालोगे, तो जीवन नर्क बन जाएगा. थोड़ा स्पेस दे दो, उनको भी जीने दो,आप भी जिओ.

अगर आपकी लाइफ में कोई पिंजरा डाल रखा है,तो आपको भी अच्छा नहीं लगेगा.आपको लगता है कि पंख काट रहे हैं. आपका इमोशन  सही है,तो इमोशन गलत केसे हो सकते हैं.उनको भी वही दे दो ना,जो आप इच्छा करते हो.निर्देशक के तौर पर राम गोपाल वर्मा को पता होता है कि उन्हे कलाकार के अंदर से क्या खींचकर बाहर लेकर आना है.वह बेहतरीन तरीके से उसे अच्छी तरह से बाहर लेकर आते हैं.कलाकार को स्पेस भी देते हैं.वह निर्देशक की तरह सिर्फ यह करो,वह करो की चाबुक नही चलाते.

सवाल- अतीत में रजनीकांत, ममूटी, मोहनलाल ने बौलीवुड की कुछ फिल्में की.पर वह भी बाद में यहां जमें नहीं?

-वह दौर बहुत अलग था.हम सब भाषाओं में  बंटे हुए थे.दर्शक का दिमाग भी इतना खुला हुआ नहीं था.कल तो जो दक्षिण के कलाकार यहां सिर्फ चलते थे,वह अब यहां दौड़ेंगे. पहले तो हिंदी और दक्षिण था. पर अब ऐसा नहीं है.सब ‘चेहरे’ की बातें है.मीडिया का भी ऐसा ही है.अब आप लोगों के जीवन में कुछ नया चल रहा है.आपको भी दूसरे नए लोगों से मिलने का,दक्षिण भारत से मुंबई आने वाले कलाकार व तकनीशिन से मिलने का वक्त भी मिल रहा है.पहले आप पत्रकारों का जीवन भी मोनोटोनस था.अब आपका भी दायरा बढ़ रहा है.अब जब कोई नई प्रतिभा आती है,तो उनसे मिलने का,उनसे बात करने का और उनको भी यही मौका मिलता है.अब नए नए चेहरे,उनसे नए-नए सवाल और  नए-नए जवाब…’सब कुछ नया होने लगा है.आपको भी अच्छा लगता होगा.बहुत कुछ अच्छा हो रहा है. मेरे लिए तो यह बहुत अच्छा बदलाव है.

सवाल- दक्षिण भारत में तमिल,तेलुगू,कन्नड़ व मलयालम इन चारो मे से सबसे कमजोर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को माना जाता है. आपकी क्या राय है? क्या माहौल बदला है?

-मैंने कभी भी अपनी भाषा की फिल्म इंडस्ट्री को कमजोर नहीं समझा.छोटा नहीं समझा.लोगों के दिमाग छोटे होते हैं,दिल छोटे होते हैं, ऐसे में हम क्या कर सकते हैं.अगर आप ध्यान से देखें, तो हर कोई आपसे छोटा है. जितना ही आप चाहेंगें,उतना ही आपके पास की चीज छोटी होती जाएगी.

जिसके पास करोड़ो रूपए है,वह भी कर्म कर रहा है,क्योंकि उसे अभी और चाहिए.एक इंसान के पास तीस बाय चालिए का मकान है.तो उसे उससे बडे़ मकान की चाहत हैं.तो एक मुकेश अंबानी का घर है.लेकिन सर जिस पैंतिस बाय चालिए के घर में लोग रह रहे हैं,वह उसके राजा हैं.अपने घर में आप ही राजा हो,आप ही उस्ताद हो.आप ही सब कुछ हो.तो हमें जो हैं,उसे  स्वीकार करना चाहिए.हमारी सोच यह होनी चाहिए कि बिना किसी को धक्का दिए,नुकसान किए,किस तरह आगे बढ़ाए?कैसे हमारे यहां या हमारे इलाके में सब को हमारा नाम पता हो.

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आपको सोचना है कि ऐसा क्या काम करना चाहते हो,जिससे आपका नाम रोशन हो.तो हर कोई ऐसा ही चाहता है.किसी समय हिंदी फिल्म इंडस्ट्री भी तो बहुत छोटी थी.आज ग्लोबल है.साउथ भी बहुत छोटा था,पर आज बहुत बड़ा है.विेदेशों मे भी दक्षिण भारत की फिल्मों की डिमांड बढ़ी है.हर कोई बच्चा कभी ना कभी तो छोटा ही था. विकास मंे समय लगता है.

सवाल- कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री को आगे ब़ढ़ाने में किसका योगदान रहा?

-मुझे लगता है कि यह तो सिर्फ कलाकारों ,निर्माता निर्देशकों ,लेखको के आत्मविश्वास के चलते हो पाया है.जिस दिन लोगों ने सेाच लिया कि आगे बढ़ना है,कुछ करना है,बस आगे बढ़ते गए.यह तो अपना  इंटेंशन होता है.अगर आप भारत की बात करें,तो क्या हमारे देश में संसााधन कम हैं? कोई कमी नही है.हमारे देश में सब कुछ मिलता है.अगर कुछ कम था,तो सिर्फ इंटेंशन की. पहले अच्छा सिनेमा नहीं बन रहा था, क्योंकि किसी का इंटेंशन ही अच्छा नहीं था.लेकिन अब ऐसा नहीं रहा.क्योंकि अब सभी का मकसद प्रगति का करना है.प्रगति की राह पर चलना है.अब जो नए नए नेता लोग आए हैं या आ रहे हैं,वह सभी कुछ करना चाहते हैं.तो जब इंटेंशन अच्छा हो, तो अच्छा होता है.

सवाल- तो क्या आपके कहने का अर्थ यह है कि पहले हमारे देश केे लोगों के सामने कोई हीरोनीं था?

-जी नहीं..ऐसा नहीं है. हीरो तो बहुत है,मगर हर कोई तो रितिक रोशन नहीं होता.

सवाल- मेरा इशारा फिल्मी हीरो की बजाय आज के सामाजिक हीरो की तरफ है?

-यह तो सब समय की बात है.मैंने तो पहले ही कहा कि बच्चे को बड़े होने में समय लगता है. आप पांच साल के बच्चे से यह तो नही कह सकते कि ‘इतना बुरा क्यों सोच रहे हो?’.बच्चा तो 5 साल की उम्र के हिसाब से ही सोचेगा.

सवाल-अब आप बौलीवुड में सलमान खान के साथ फिल्म‘‘दबंग 3’’भी कर रहे हैं?

-जी हां! फिल्म‘‘दबंग 3’’में सलमान  खान यानी कि चुलबुल पांडे के विरोधी के किरदार में नजर आउंगा.जब सलमान खान ने इस फिल्म के लिए मुझसे संपर्क किया था, तो सलमान खान को यकीन नहीं था कि मैं यह फिल्म करने के लिए हामी भर दूंगा. पर जब यह लोग मैसूर आकर मुझसे मिले और फिल्म की पटकथा सुनायी. मैने पाया कि किरदार बेहतरीन तरीके से लिखा गया है, तो मैंने हामी भर दी. क्योंकि मुझे सलमान खान जैसे बड़े कलाकार के साथ अभिनय करने का मौका मिल रहा था. मैं कोई भी फिल्म किसी खास दर्शक वर्ग को खुश करने के लिए नहीं करता. मैं वही फिल्म करता हूं, जिसकी पटकथा व किरदार मुझे पसंद आए और उसके साथ मैं जुड़ सकूं.

हिना खान नहीं अब ये टीवी एक्ट्रेस होगी ‘कसौटी’ की ‘कोमोलिका’

स्टार प्लस के शो ‘कसौटी जिंदगी के 2’ लोगों को काफी एंटरटेन कर रहा है. ‘कोमोलिका’ के रोल में नजर आने वाली हिना खान भी अपने इस शो से फैंस के बीच काफी पौपुलर हो गई हैं, लेकिन शो छोड़ने के बाद से हिना के फैन उनका शो में दोबारा लौटने का इंतजार कर रहे हैं. पर हिना के फैंस के लिए अब बुरी खबर सामने आ रही है कि उनकी जगह अब नई एक्ट्रेस ‘कोमोलिका’ के रोल में नजर आएंगी. आइए आपको बताते हैं कौन है जो ‘कोमोलिका’ के रोल में आएंगी नजर…

हिना के फैंस को होगा दुख

हिना खान पर्दे पर पहली बार ‘कोमोलिका’ के रुप में उतरी तो उन्होंने लोगों को शिकायत का मौका ही नहीं दिया. दर्शकों ने हिना खान को ‘कोमोलिका’ के रुप में देखकर खुशी जताई और कहा कि एकता कपूर ने एकदम सही फैसला लिया है. हालांकि अब खबर है कि शो में ‘कोमोलिका’ के रोल में नजर आने वाली हिना की बजाय नई एक्ट्रेस को लाने का फैसला कर लिया है.

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एकता कपूर लाएंगी नई ‘कोमोलिका’

 

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If u have some thing to give ppl will use u… u can be angry and bitter about it … or just generous ?❤️❤️❤️❤️❤️??

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खबरों कि मानें तो एकता कपूर जल्द ही ‘कसौटी जिंदगी के 2’ के लेखक जल्द ही ‘कोमोलिका’ के किरदार को शो में वापस लाने वाले हैं. वो ‘मिस्टर बजाज’ के साथ हाथ मिलाएगी. इस किरदार के लिए लगातार नई अदाकाराएं देखी जा रही है. निर्माताओं ने एकता कपूर के लिए ‘कोमोलिका’ के किरदार के लिए रागिनी खन्ना, मधुरिमा तुली, रिद्धी डोगरा, दिशा परमार और सान्या ईरानी जैसी एक्ट्रेसेस के नाम सुझाए हैं. एकता कपूर को सान्या ईरानी पसंद भी आई हैं लेकिन वो नकारात्मक किरदार निभाने के लिए तैयार नहीं है.’

‘कोमोलिका’ के रोल में जैस्मीन भसीन आ सकतीं हैं नजर


सूत्र ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बताया है कि, ‘सान्या ईरानी की न सुनने के बाद ‘कसौटी जिंदगी के 2’ की टीम ने जैस्मीन भसीन से बात की है, हालांकि अभी तक कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है. जैसे ही यह पूरी तरह से पक्का हो जाएगा कि हिना खान अब ‘कोमोलिका’ का किरदार नहीं निभाएंगी, वैसे ही बड़ा फैसला लिया जाएगा.’

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बता दें, शो में इन दिनों ‘मिस्टर बजाज’ और ‘प्रेरणा’ की केमेस्ट्री लोगों को खासा पसंद नही आ रही है, जिसके कारण शो टीआरपी चार्ट में नीचे खिसक गया है. वहीं इसलिए एकता कपूर टीआरपी चार्ट में ऊपर आने के लिए ‘कोमोलिका’ के कैरेक्टर को वापस लाने का मन बना रहीं हैं.

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