ससुर के साथ ऐसा हो आपका व्यवहार

वैशाली, मोनिका और सोनू बचपन की सहेलियां हैं. संयोग से तीनों की शादियां भी एक ही शहर में हुईं. शादी के बाद जब तीनों पहली बार अपने मायके आईं, तो सभी ने एकदूसरे की ससुराल के बारे में पूछा खासतौर पर यह कि ससुराल में कौनकौन हैं, उन का व्यवहार कैसा है, कौन अधिक प्यारदुलार करता है और कौन नहीं?

वैशाली ने कहा, ‘‘मेरे ससुरजी बड़े मजाकिया स्वभाव के हैं. बातबात में हंसाते हैं. शादी के पहले पापा मुझे हंसाते थे और अब यहां ससुरजी. उन का व्यवहार इतना अच्छा है कि लगता ही नहीं कि मैं उन की बहू हूं, वे मुझे अपनी बेटी ही मानते हैं और मेरी हर जरूरत का ध्यान रखते हैं.’’

मोनिका ने वैशाली की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘तुम ठीक कह रही हो. मेरे ससुरजी भी हर बात में मेरा पक्ष लेते हैं. मेरी हर पसंदनापसंद का खयाल रखते हैं. यहां तक कि मेरे लिए तरहतरह के गिफ्ट और बाजार से पकवान भी लाते हैं. लगता ही नहीं कि मैं ससुराल में हूं. सच तो यह है कि उन में मैं अपने बाबूजी की छवि ही पाती हूं.’’

पिता जैसा प्यारदुलार

दोनों की बातें सुन कर सोनू उदास हो गई. बोली, ‘‘तुम दोनों के ससुर अच्छे हैं, जो तुम्हें इतना अपनापन और स्नेह देते हैं, लेकिन मेरे ससुरजी तो हैं ही नहीं. यदि वे होते तो मुझे भी उन का प्यारदुलार मिलता. ससुर के बिना ससुराल कैसी? यदि वे होते तो पिता की तरह मैं उन का सम्मान करती. अकेली सास ससुरजी की कमी तो पूरा नहीं कर सकतीं.’’

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शादी के पूर्व लड़की अपने पिता के संरक्षण में रहती है, तो शादी के बाद ससुरजी उस के पिता के समान होते हैं, जो अपनी बहू को बेटी की तरह रख कर उस पर अपना प्यारदुलार बरसाते हैं. ऐसे में लड़की को अपने पिता की कमी नहीं खलती और वह अपने ससुरजी को ही पिता मानती है और उसी रूप में उन का आदर, मानसम्मान करती है.

निश्चित तौर पर वे लड़कियां अधिक खुश होती हैं, जिन की ससुराल में सास और ससुर दोनों होते हैं और यदि वे साथ रहते हैं तो सोने में सुहागा. ससुर के होने पर वे अपनेआप को सुरक्षित पाती हैं, क्योंकि बड़ेबूढ़ों का साया होना ही अपनेआप में बहुत बड़ी बात है.

जब कभी किसी लड़की के लिए रिश्ते की बात चलती है, तो लड़की वाले इस बात पर गौर करते हैं कि ससुराल में कौनकौन हैं. जहां लड़के के पिता जीवित होते हैं, उस रिश्ते को प्राथमिकता दी जाती है.

ससुराल में ससुर के न होने का कारण उन का तलाकशुदा होना भी हो सकता है. लड़का अपनी मां के साथ रहता हो और पिता से कोई संबंध न रखता हो तो ऐसे रिश्ते को वरीयता नहीं दी जाती है. यदि लड़के के पिता शादी के पूर्व ही दिवंगत हो चुके हों तो वह ससुराल ससुर बिना ससुराल होती है.

ससुर चाहे किसी भी उम्र के हों, परिवार में उन की उपस्थिति ही माने रखती है. जब वे ही नहीं होंगे तो बच्चे दादादादा कह कर किस की गोद में उछलकूद करेंगे? वे किस की उंगली पकड़ कर चलना सीखेंगे?

ससुर अपनी बहू को कितना प्यार करते हैं या उस की सुखसुविधाओं का कितना ध्यान रखते हैं, यह वही जानती है. बहू के जरा से इशारे पर वे उस की तमाम खुशियों का इंतजाम करते हैं. वे उसे खुश देख खुश होते हैं.

समस्याओं का समाधान

ससुर सासबहू और पतिपत्नी के बीच तालमेल बैठाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. सास कितनी ही अच्छी या सुलझे हुए विचारों वाली क्यों न हो, वह अपना ठसका बताए बगैर नहीं मानती. सास और बहू के बीच खटपट होना नई बात नहीं है. कभी गलती बहू की होती है, तो कभी सास की, पर सास तो सास है, वह अपनी गलती कैसे स्वीकार कर सकती है? हर बार बहू को ही झुकना पड़ता है. लेकिन जब ससुर मौजूद हों तो वे एक न्यायाधीश की भूमिका निभाते हुए निष्पक्ष फैसला सुनाते हैं, जो सास को भी मानना पड़ता है.

प्राय: देखा गया है कि सास अपनी बहू को अपना प्रतिद्वंद्वी मानती है, जबकि ससुर उसे पूरक मानते हैं. ससुर और बहू के बीच कोई लड़ाईझगड़ा या मनमुटाव नहीं होता और यदि सासबहू के बीच कोई मनमुटाव है तो भी वे उसे दूर करने की कोशिश करते हैं.

एक बहू अपनी सास को अच्छी तरह जानती है कि कौन सी बात वह मानने वाली है और कौन सी नहीं. ऐसे में उसे मनवाने के लिए वह अपने ससुर का सहारा लेती है. ससुर अपने तरीके से उसे मनवा लेते हैं. ऐसे में सास के अहं को भी ठेस नहीं पहुंचती और बहू का काम भी हो जाता है.

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जिन घरपरिवारों में ससुर नहीं होते वहां उन का खालीपन बहू को खलता है. कई बार जब पतिपत्नी के बीच कोई विवाद हो जाता है तो पति को कौन समझाए? सास तो सदैव अपने बेटे का ही पक्ष लेती है, लेकिन ससुर होते तो वे अपने बेटे को भी तलब करते और उसे सुधरने को कहते. एक बेटा अपने पिता का कहना तो मान लेता है, लेकिन मां की बात को हवा में उड़ा देता है.

ससुर के होने से पतिपत्नी के बीच होने वाले मतभेद तलाक तक नहीं पहुंचते. वे एक काउंसलर की भूमिका निभाते हैं तथा अपने बहूबेटे दोनों को समझाते हैं. यदि बहू रूठ कर मायके चली जाती है या बेटा उसे वहां जाने के लिए मजबूर कर देता है तो ससुरजी उसे वापस लाने की पहल कर सकते हैं. यहां तक कि अपने समधी से चर्चा कर के दोनों पक्षों में सुलह भी करा सकते हैं.

बिना बालों वाली दुल्हन

ये जानकर हैरानी होगी कि बिना बालों के भी कोई दुल्हन इतनी सुन्दर कैसे दिख सकती है, जी हां तमिलनाडु की 28 वर्षीय वैष्णवी पूवेंद्रन पिल्लै एक ऐसी ही दुल्हन बनी. इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बतौर इंजीनियर काम भी कर चुकी हैं. दो बार कैंसर से लड़ कर उसे हरा चुकी वैष्णवी ने दुल्हन के जोड़े में फोटो शूट करवाया था, जिसमें वो काफी खूबसूरत दिख रही हैं.

वैष्णवी का परिवार मूल रूप से तमिलनाडू का है लेकिन अभी वैष्णवी अपने परिवार के साथ मलेशिया में हैं.इनका परिवार इन्हें  प्यार से नवी कहकर बुलाता है. नवी इंस्टाग्राम पर भी काफी एक्टिव रहती हैं.सिर्फ इंस्टा ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर हर जगह एक्टिव रहती हैं.

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हाथों में मेहंदी लगाकर, माथे पर कत्थई कलर की बिंदी, होंठों पर कत्थई कलर की लिपस्टिक, कत्थई कलर की साड़ी में काफी खूबसूरत लग रही हैं वैष्णवी. आप सोचेंगे कि इसमें नया क्या है? तो इस दुल्हन के सर पर न जूड़ा है, न फूलों का गजरा है और ना ही बालों में कोई हेयर स्टाइल क्योंकि वैष्णवी कैंसर पीड़ित महिला हैं, जिसकी वजह से उनके सारे बाल झड़ चुके हैं. उन्होंने अपनी अब तक की ज़िंदगी में दो बार कैंसर को हराया है. एक बार स्तन कैंसर और दूसरी बार लिवर-बैकबोन कैंसर को. वैष्णवी ने दुल्हन बनकर फोटो शूट करवाया लेकिन फोटो शूट में कहीं पर भी अपने सर को ढ़कने की कोशिश नहीं की. फोटो में उनका पूरा सर खुला है और कुछ फोटो में एक पतली सी चुनरी ली है जिसमें उनका सर साफ-साफ दिख रहा है.

हर दुल्हन अपनी शादी में खूबसूरत दिखना चाहती है,लेकिन कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए ये काफी मुश्किल होता है.खासतौर पर महिलाओं के लिए इस बिमारी से जूझना आसान नहीं होता क्योंकि ऐसे में व्यक्ति की सोच नकारात्मक होने लगती है और कभी-कभी तो व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है. कैंसर व्यक्ति को शारीरिक और भावनात्मक तौर पर भी तोड़ कर रख देता है. लेकिन वैष्णवी ने हार नहीं मानी,वो कैंसर से लड़ीं. वैष्णवी के स्तन हटाए जा चुके हैं, बाल जा चुके हैं लेकिन उनकी हिम्मत में कोई कमी नहीं आई है बल्कि वैष्णवी ने दुल्हन के लिबास में फोटो शूट करवाया और उसको इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया. वैष्णवी ने एक चैनल को इंटरव्यू में बताया कि घर वालों के मना करने के बावजूद भी सोशल मीडिया पर उन्होंने अपने कैंसर की बातें शेयर की और उन्हें काफी प्यार भी मिला.

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एक दिन नेटफ़्लिक्स पर कोई फिल्म देखते वक्त वैष्णवी के दिमाग में दुल्हन बनकर फोटोशूट करवाने का आइडिया आया और बस उन्होंने कर दिखाया. यह करने से पहले उन्होंने एक बार भी ये नहीं सोचा की लोग क्या कहेंगे..समाज के बारे में भी नहीं सोचा की लोग उनका मजाक बना सकते हैं बल्कि वैष्णवी ने ये बात साबित कर दी आप किसी भी बीमारी से लड़ सकते हैं….फोटो शेयर करने के बाद वैष्णवी को सोशल मीडिया पर काफी प्यार मिला साथ ही उनके इस काम की खूब सराहना भी की गई ऐसी हैं वैष्णवी पूवेंद्रन पिल्लै….जिससे हर किसी को कुछ सीखना चाहिए.

रियलिटी बेस्ड फिल्में कर रहे हैं आजकल अक्षय कुमार

अक्षय कुमार का फिल्मी करियर काफी दिल्चस्प रहा है क्योंकि अक्षय कुमार एक ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने अब तक हर तरह की फिल्में की हैं और सेना से संबंधित फिल्में तो बहुत ही ज्यादा की हैं. चाहे वो पुलिस का रोल हो , नेवी का हो या फिर आर्मी का हर रोल में अक्षय कुमार ने खुद को साबित किया है और आजकल तो वो एक ऐसे मिशन पर निकल चुके हैं जिसमें हर उस शख्स को नाम दिला रहें हैं जिन्होंने देश के लिए तो बहुत कुछ किया फिर भी वो गुमनाम है….आज कुछ ऐसी ही फिल्मों के बारे में आपको बताऊंगी जो रियलिटी पर आधारित है और अक्षय ने आजकल ऐसी फिल्मों की लाइन लगा दी है…..

  1. पैडमैन में निभाया खास रोल

अक्षय कुमार की फिल्म अऱुणाचलम मुरुगानांथम नाम के एक व्यक्ति पर आधारित फिल्म है जिसने अपनी पत्नी को जब माहवारी के समय कपड़ा इस्तेमाल करते देखा तो उसने खुद ही पैड बनाने की सोची. मुरुगानांथम सिर्फ 8वीं तक ही पढ़े थें लेकिन उन्होंने इंजीनियरों को भी हैरान कर दिया था जब उन्होंने पैड बनाने की मशीन तक बना डाली.शुरुआत में उनका किसी ने साथ नहीं दिया लेकिन फिर बाद में सबने उनका लोहा माना. मुरुगानांथम ने मात्र दो रुपये में पैड उपलब्ध करवाया जिससे महिलाओं को कोई बिमारी न हो.इसी सत्य घटना पर फिल्म बनाने की ठानी अक्षय कुमार ने.

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  1. फिल्म गोल्ड भी है रियलिटी पर बेस्ट

स्वतंत्रता के बाद भारतीय हौकी टीम के मैनेजर थे तपन दास 1936 के बर्लिन में हुए ओलंपिक में स्वतंत्र भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. इसी पर आधारित फिल्म है गोल्ड जिसमें अक्षय कुमार ने तपन दास का किरदार निभाया है.हालांकि लोग यह भी कहते हैं कि यह फिल्म आधी हकीकत और आधा फसाना है..लेकिन है तो ररियलिटी पर आधारित.

  1. फिल्म केसरी है देश के लिए खास फिल्म

12 सितम्बर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना की 36 वीं रेजीमेंट और अफगान के कबालियों के बीच एक लड़ाई हुई थी जिसमें मात्र 21 सिख सैनिकों ने दस हजार आक्रमण करने वालों का बड़ी ही बहादुरी से सामना किया था. ये फिल्म उन्हीं 21 सिक्खों पर आधारित है जिसमें अक्षय कुमार ने इशर सिंह की भूमिका निभाई जिसके नेतृत्व में ये लड़ाई हुई थी. और ये लड़ाई बैटल ऑफ सारागढ़ी के नाम से इतिहास में  प्रसिद्ध है.इसी पर आधारित फिल्म है अक्षय कुमार की केसरी.

  1. एयर लिफ्ट है भारतीय सेना को सैल्यूट देती फिल्म

जब 1990 में इराक-कुवैत युद्ध हुआ था तब मैथ्युज और वेदी नाम के शख्स ने एक लाख सत्तर हजार भारतीयों को सही सलामत वापस लाने में अहम भूमिका निभाई थी.कुवैत में इराकी सेना ने हमला बोल दिया था…यह फिल्म कुवैत में फंसे भारतीयों को बाहर निकालने पर आधारित है…इस घटना के बारे में कोई भी नहीं जानता जबकी इसमें कई बहादुर हीरों ने अपनी बहादुरी दिखाई थी और उनके नाम गुमनाम ही रह गए…इसी पर आधारित फिल्म बनी है एयरलिफ्ट जिसमें मुख्य किरदार निभाया है अक्षय कुमार ने.

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  1. मंगलयान पर आधारित फिल्म मिशन मंगल

सन् 2013 में मंगलयान लौन्च किया गया था.जहां बाकी देशो ने इस प्रोजेक्ट में करोड़ो रुपये खर्च किए थे लेकिन भारत ने यह कमाल बहुत ही कम पैसों में कर दिखाया था.इसमें मुख्य भूमिका महिलाओं की थी.अक्षय कुमार ने मिशन मंगल पर फिल्म बनाने की सोची और कर दिखाया हालांकि इस सच्ची घटना को बहुत ही फिल्मी तरीके से पेश किया गया है लेकिन मिशन मंगल ने काफी सफलता हांसिल की. अक्षय कुमार ऐसी और भी कई फिल्में कर चुके हैं जो रियलिटी पर आधारित हैं….

मां की सेहत में छिपा बच्चे की सेहत का राज 

गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत मां की सेहत पर निर्भर करती है, इसलिए प्रैग्नेंसी के दौरान मां का अपनी सेहत का खास खयाल रखना और स्वास्थ्यवर्धक चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना बेहद जरूरी है. इन दिशानिर्देशों का पालन कर प्रैग्नेंट एक हेल्दी शिशु को जन्म दे सकती है:

प्रैग्नेंसी के दौरान क्या करें

अच्छा खाएं

आप प्रैगनैंट हैं इस का यह अर्थ नहीं है कि आप को अब 2 लोगों के लिए खाने की जरूरत है. आप को बस ऐसा आहार लेना है जिस से आप को अधिक से अधिक पोषण मिले. प्रैग्नेंसी के दौरान शरीर को पोषण की बहुत आवश्यकता होती है. आप हेल्दी रहेंगी तभी हेल्दी बच्चे को जन्म दे पाएंगी.

– खासतौर पर प्रोटीनयुक्त चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें. इन में दाल, अंकुरित अनाज, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, अंडा, मीट आदि को रोज की डाइट में जरूर शामिल करें ताकि शरीर में प्रोटीन की कमी न रहे.

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– हेल्दी प्रैगनैंसी के लिए आयरन को भोजन में शामिल करना बेहद जरूरी है. इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियां, अनार, फलियां, लीची, किशमिश, अंजीर जैसी चीजों का रोज सेवन करें. इन के अलावा विटामिन सी का प्रयोग जरूर करें ताकि शरीर में आयरन की कमी न हो सके.

– दिन में 3 बार बड़ी मात्रा में भोजन लेने के बजाय 5-6 बार थोड़ाथोड़ा और संतुलित आहार लेना ज्यादा बेहतर होगा. ध्यान रहे किसी भी समय के भोजन को न छोड़ें. हलके-फुलके नाश्ते के जरीए अपनी ऊर्जा का स्तर बनाए रखें.

– होने वाले शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास के लिए कैल्सियम की मात्रा अधिक लें. ऐसा करना आप को पीठ और कमर के दर्द से भी छुटकारा दिलाएगा और ब्रैस्ट फीडिंग के लिए भी तैयार करेगा. इस के लिए दूध व दूध की बनी चीजें, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां खासतौर से पालक, मूंगफली आदि को डाइट में शामिल करें.

ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं

– वैसे तो पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन सभी के लिए जरूरी है, लेकिन प्रैग्नेंट होने पर कम पानी पीने का रिस्क बिलकुल नहीं लें. प्रैगनैंसी के वक्त खुद और होने वाले बच्चे को हेल्दी रखने के लिए दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं.

– पानी शरीर की नमी बरकरार रखता है, जिस से शरीर का तापमान भी संतुलित रहता है.

– कुछ महिलाओं को लगता है कि प्रैग्नेंट होने पर व्यायाम या ऐक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करना प्रैग्नेंट महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन यह गलत है. डाक्टर की सलाह पर व्यायाम जरूर करें और नियमित करें.

– अच्छा व्यायाम ताकत और सहनशक्ति देता है. इस शक्ति की जरूरत आप को प्रैग्नेंसी के दौरान बढ़ते वजन को संभालने और प्रसवपीड़ा के दौरान होने वाले शारीरिक तनाव को झेलने के दौरान होगी. यह शिशु के जन्म के बाद वजन घटाने में भी आप की सहायता करता है.

– व्यायाम ऐक्टिव बनाता है और प्रैग्नेंसी के अवसाद को दूर करने में भी मदद करता है.

– मौर्निंग वाक या ईवनिंग वाक करें.

– घर के छोटेमोटे काम करना भी फायदेमंद होता है.

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वैक्सिनेशन का रखें खयाल

– प्रैगनैंसी के दौरान लगने वाला कोई भी टीका लगवाना न भूलें. अगर कुछ दिन लेट हो जाती हैं तो डाक्टर से परामर्श ले कर तुरंत लगवा लें.

साफ-सफाई रखनी जरूरी

– प्रैग्नेंट होने पर आप की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, क्योंकि आप को अपने साथसाथ अपने होने वाले बच्चे का भी ध्यान रखना होता है. बाकी सभी चीजों की तरह ही प्रैगनैंसी के दौरान साफसफाई रखना बहुत जरूरी है. साफसफाई न रखने से संक्रमण हो सकता है जो सीधा आप के स्वास्थ्य पर असर डालता है.

– घर की रोज सफाई करवाएं.

– रोज धुले कपड़े पहनें.

– रोज नहाएं और त्वचा में नमी बनाए रखें.

– बैडशीट को हर हफ्ते चेंज करें.

– धूलमिट्टी से दूर रहें.

आराम जरूर करें

प्रैग्नेंसी के शुरुआती और आखिरी दिनों में आराम करने की बेहद जरूरत होती है. आप खुद को जरूरत से ज्यादा न थकाएं. दोपहर में झपकी आपके और आप के बच्चे दोनों के लिए लाभदायक रहेगी. कामकाज में किसी और की मदद लें.

इन चीजों से बचाव करें

– कच्चा दूध, पानी प्रैग्नेंट के लिए हानिकारक होगा.

– ज्यादा वसा वाले खाने से दूर रहें.

– एकसाथ या एक बार में अधिक पानी न पीएं. इस से पेट में दर्द हो सकता है. शरीर में भारीपन भी महसूस होगा.

प्रैगनैंसी के पहले महीने में इन चीजों से बचें:

– हील से दूर रहें.

– लंबी यात्रा न करें.

– भारी चीजें न उठाएं.

– ज्यादा झुकने से बचें.

– तनाव से दूर रहें.

– शराब और धूम्रपान का सेवन भूल कर भी न करें. इस से प्रैग्नेंट के साथसाथ उस के होने वाले बच्चे को भी बड़ा खतरा हो सकता है.

– कैफीन का सेवन कम करें, क्योंकि इस के अधिक सेवन से गर्भपात की भी समस्या हो सकती है.

– प्रैग्नेंट उपवास न करें.

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– नमक का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें.

– जंक फूड या बाहरी चीजों के सेवन से बचें.

– तेज धूप में बाहर न जाएं.

-डा. नुपुर गुप्ता, गाइनोकोलौजिस्ट ऐंड डाइरैक्टर वैल वूमन क्लीनिक, गुरुग्राम

 

500 रुपए से भी कम में अपने स्मार्टफोन को बनाएं सुपर स्मार्टफोन

कैसा रहे अगर आपका स्मार्टफोन सिर्फ स्मार्टफोन की जगह एक सुपर स्मार्टफोन बन जाए? मतलब कि अपने स्मार्टफोन से आप वो काम भी आसानी से कर पाएं जो अभी तक आपका स्मार्टफोन यातो कर नहीं पाता या बमुशकिल ही कर पाता है. हम आपके लिए लाएं है कुछ ऐसे कूल गैजेट्स जिन्हें अगर आप अपने स्मार्टफोन के साथ इस्तेमाल करें तो आपका स्मार्टफोन भी बन जाएगा सुपर स्मार्टफोन.

  1. Ring Light

ये एक तरह की फ्लैशलाइट है. जिसे अपने फोन से कनेक्ट कर आप व्लौगिंग कर सकते हैं या फिर बेहतरीन सेल्फी ले सकते हैं. इसके साथ फोटो या वीडियो लेने पर आपको अपनी आंखों में रिंग इफेक्ट भी दिखेगा जो कि कुछ और नहीं बल्कि इस लाइट की ही परछाई होती है. औनलाइन इसे आप मात्र 255 रुपए में खरीद सकते हैं. अगर आप भी अपनी वीडियो और सेल्फी को बेहतर बनाना चाहते हैं तो दिए गए लिंक से आप ये रिंग लाइट खरीद पाएंगे.

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  1. OTG Connector

आज अगर आपको अपने स्मार्टफोन को उसकी पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल करना है तो ओटीजी कनेकटर आपके पास जरूर होना चाहिए. दरअसल ओटीजी कनेक्टर के जरिए आप अपने फोन के साथ पेनड्राइव, हार्ड ड्राइव, कीबोर्ड और माउज तक का इस्तेमाल कर पाएंगे. इससे फोन को मैनेज करना और आसान हो जाएगा.बता दें कि फोन के साथ ओटीजी के जरिए इस्तेमाल करने के लिए फोल्डेबल कीबोर्ड का भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं. दोनो के ही लिंक नीचे दिए हैं, जहां से आप इन्हें खरीद सकते हैं.

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  1. Phone Holder/Stand

ज्यादातर स्मार्टफोन्स को एंटरटेनमेंट कंटेट कन्ज्यूम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में जरूरी है कि कंटेंट को कन्जयूम करते वक्त आपको परेशानी महसूस ना हो. ऐसे में जरूरी हो जाता है फोन के साथ फोन होल्डर कम स्टैंड को इस्तेमाल करना. आपको शाओमी की वेबसाइट पर फिंगर होल्डर और स्टैंड मात्र 149 रुपए की कीमत में मिल जाएगा. इसके जरिए आप आसानी से अपना फोन होल्ड कर सकेंगे और स्टैंड के जरिए आराम से एंटरटेनमेंट का मजा ले पाएंगे.\

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  1. Magnetic Cable

अक्सर होता है कि फोन की चार्जिंग केबल के कहीं अड़ जाने की वजह से कभी केबल तो कभी फोन टूट जाता. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो बिलकुल भी देरी ना करते हुए मैगनेटिक केबल खरीद लें. ये केबल मैगनेट के जरिए आपके फोन से कनेक्ट होती है और खींचे जाने पर मैगनेटिक कनेक्टर से अलग हो जाती है. ऐसे में ना तो आपकी चार्जिंग केबल टूटेगी और ना ही फोन पर कोई असर पड़ेगा.

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  1. Jackom Smart Key

ये एक कमाल का गैजेट जो दिखने में आपके हेडफोन के 3.5एमएम कनेक्टर जैसा लगता है. इसे आपको फोन के हेडफोन जैक में कनेक्ट करना होगा और इसमें दिए बटन की मदद से आप सिंगर क्लिक, डबल क्लिक और ट्रिप्ल क्लिक के जरिए अपने फोन के कई फंक्शन कंट्रोल कर पाएंगे. मसलन फ्लैश लाइट ऑन करने के लिए आप कनेक्टर को सिंगल क्लिक के साथ सेट कर सकते हैं. दिए गए लिंक पर क्लिक पर आप ये स्मार्ट की खरीद सकते हैं.

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शादी की हर रस्म के लिए परफेक्ट है ‘इश्कबाज’ एक्ट्रेस के ये लहंगे

टीवी की पौपुलर एक्ट्रेसेस में से एक इश्कबाज फेम नीति टेलर जल्द ही बौयफ्रेंड परिक्षित बावा से शादी करने जा रही हैं. शादी की रस्में शुरू हो चुकी हैं, जिसकी फोटोज नीति अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के लिए लगातार शेयर कर रही हैं. नीति शादी के हर रस्म में नए-नए आउटफिट्स में नजर आ रही हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत दिख रही हैं. आज हम नीति के कुछ आउटफिट के बारे में आपको बताएंगे, जिसे आप अपनी या फैमिली मैरिज में ट्राय कर सकते हैं. तो आइए आपको दिखाते हैं फैशनेबल ब्राइड नीति टेलर के कुछ खास लुक…

मेहंदी की रस्म के लिए परफेक्ट है नीति का ये लहंगा

मेहंदी सेरेमनी के लिए नीति ने हरे रंग का लहंगा पहना और इसके साथ फ्लोरल ज्वैलरी पहनी, अपने इस लुक के साथ नीति ने नथ पहनी है जो उनकी खूबसूरती को और बढ़ा रही है. अगर आप भी कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो फ्लोरल ज्वैलरी के साथ ये आउटफिट आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा.

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2. फ्रिल वर्क वाला लहंगा करें ट्राय 

अगर आप अपनी सगाई में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो फ्रिल वर्क वाला लहंगा जरूर ट्राय करें. फ्रिल वर्क आजकल ट्रेंड में है. नीति का ये वाइट फ्रिल वाला लहंगे को बिना दुपट्टे के आप ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक को ट्रैंडी और खूबसूरत बनाने में मदद करेगा.

3. नीति का ये नए पैटर्न वाला लहंगा करें ट्राय 

अगर आप शादी के किसी फंकशन में कुछ ट्रेंडी ट्राय करना चाहते हैं तो नीति का ये लुक जरूर ट्राय करें. पिंक कलर के लहंगे को बिना दुपट्टे के ट्राय करके आपके लुक को ट्रेंडी बनाएगा. साथ ही इसकी ज्वैलरी के लिए आप फ्लोरल ज्वैलरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें आप खूबसूरत दिखेंगी.

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मां बनने वाली हैं “तारक मेहता” की ये एक्ट्रेस, मालदीव में दिखाया बेबी बंप

सब टी.वी. का पौपुलर कौमेडी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ पिछले कुछ दिनों से अपने किरदारों को लेकर काफी सुर्खियों में है. एक तरफ सब दिशा वकानी उर्फ दया बेन की प्रेग्नेंसी के बाद से उनकी वापसी का इंतजार कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ शो में ‘सोनू’ का किरदार निभाने वालीं एक्ट्रेस निधि भानुशाली ने भी अपनी पढ़ाई पर फोकस करने की वजह से शो छोड़ दिया था.

रीटा रिपोर्टर हैं प्रेग्नेंट…

हाल ही में खबरें ये आ रही हैं कि शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में रीटा रिपोर्टर का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस  प्रिया अहूजा राजदा प्रेग्नेंट है. जन्माष्टमी के दिन प्रिया ने अपनी कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की जिसमें उनका बेबी बंप साफ नजर आ रहा है.

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इस अंदाज में दी जानकारी…

प्रिया अहूजा ने शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के निर्देशक मालवा राजदा से 19 नवंबर 2011 को शादी की थी और ये उनकी पहली संतान है और अपनी प्रेग्नेंसी की जानकारी देेते हुए प्रिया ने लिखा, “Ten little fingers, ten little toes.. With love and grace, our family grows.. Cudnt be a better day than today to announce this…Happy Janmashtami.”

 

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मालदीव से शेयर की प्रेग्नेंसी की खबर…

इस समय प्रिया और मालवा काफी अच्छी से अपनी पर्सनल लाइफ एंजौय कर रहै है और मालदीव में वैकेशन मनाने गए हुए हैं. प्रिया अहूजा ने अपनी प्रेग्नेंसी की खबर मालदीव से ही अपने पति मालवा के साथ सबसे शेयर की.

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Agar tum saath ho ?

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गुजराती डायरेक्टर हैं रीटा रिपोर्टर के पती…

प्रिया अहूजा के पती मालवा राजदा एक गुजराती डायरेक्टर हैं और शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ से पहले उन्होंने कई सीरियल्स डायरेक्ट किए है जैसे कि, तीन बहुरानियां, ‘पापड़पोल’ आदि. मालवा से अपनी डायरेक्शन करियर की शुरूआत जी टीवी के सीरियल ‘तीन बहुरानियां’ से की थी.

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बता दें, शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ सब टी.वी पर 11 साल से चल रहा है और ये फैमिली शो देखते ही देखते सबका फेवरेट भी बना हुआ है. हाल ही में इस शो ने अपने 2800 एपिसोड्स पूरे किए हैं. वैसे तो इस शो के हर किरदार का अपना ही एक अलग महत्व है और किसी एक भी किरदार के बीना ये शो अधूरा सा लगता है लेकिन इस समय इस शो के दर्शक दिशा वकानी उर्फ दया बेन का बेसबरी से इंतज़ार कर रहे हैं. दिशा ने प्रेगनेंसी  के समय मैटरनिटी लीव ली थी, लेकिन उसके बाद से अभी तक वो शो में वापस नहीं आई हैं.

Written By: Karan Manchanda

‘कायरव’ ने ‘कार्तिक-नायरा’ के बिना मनाई जन्माष्टमी, देखें फोटोज

टीआरपी के चार्ट्स में नम्बर वन पर चल रहे सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में भी ‘कायरव’ और ‘गोयंका खानदान’ ने भी जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं ‘कायरव’ की जन्माष्टमी सेलिब्रेशन की खास झलक.

पूरी कास्ट ने खिचवाईं फोटोज

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में जन्माष्टमी का एक स्पेशल एपिसोड शूट किया गया है, जिस कारण कलाकारों पर इसका रंग कुछ ज्यादा ही चढ़ गया था. इस फोटोज में देखिए कैसे सभी एक साथ तस्वीरें लेते और मस्ती करते दिख रहे हैं.

‘कायरव’ बना कान्हा

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हौस्पिटल से आने के बाद ‘कायरव’ कान्हा के अवतार में नजर आए. जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें ‘कायरव’ कान्हा के गेटअप में लोगों का दिल जीतते हुए नजर आ रहे हैं. भले ही सेट पर सभी कृष्ण के रंग में रंगे हुए हो लेकिन अपने तन्मय रौकस्टार की तरह घूमते नजर आए.

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मोर के साथ फोटो खिचवातीं नजर आईं गायु

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जन्माष्टमी सेलीब्रेट करने से पहले ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘गायु’ का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस सिमरन खन्ना ने लहंगा चोली पहनकर खूब तस्वीरें खिंचवाई. साथ ही ‘वेदिका’ यानी पंखुरी अवस्थी सेट पर मोर के साथ तस्वीरें खिंचवाती दिखीं.

सेल्फी लेती नजर आईं ‘वेदिका’

केवल सिमरन खन्ना ही नहीं बल्कि पंखुड़ी अवस्थी पर भी जन्माष्टमी का रंग छाया रहा. उन्होंने भी सेट पर बहुत सारी तस्वीरें ली जो इंटरनेट पर लगातार वायरल हो रही हैं.

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‘नायरा-कार्तिक’ रहे नदारद

जन्माष्टमी के सेलिब्रेशन में जहां शो की पूरी स्टारकास्ट धमाल मस्ती करती नजर आई तो वहीं शो में मेन लीड के तौर पर नजर आने वाले ‘नायरा-कार्तिक’ यानी शिवांगी जोशी और मोहसीन खान शो के इस खास एपिसोड़ से नदारद नजर आए, जिसके कारण उनके फैन्स मायूस हो गए. हालांकि पिछले प्रोमो में दोनों साथ नजर आए थे.

आखिर तापसी को किस चीज का है डर, पढ़ें पूरी खबर

साउथ की फिल्मों से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस तापसी पन्नू फिल्म ‘पिंक’ से चर्चा में आई. इस फिल्म ने उसकी जिंदगी बदल दी और वह नामचीन हीरोइनों की सूची में शामिल हो गयी. इसके बाद उसने कई फिल्में की, जिसमें कुछ सफल तो कुछ असफल रही, लेकिन उसने अपना काम जारी रखा. तापसी अगले साल तक 9 फिल्में साइन कर चुकी है और अपनी जर्नी से बहुत खुश है. फिल्म ‘मिशन मंगल’ के सफल होने पर वह खुश है और बातचीत की, पेश है कुछ अंश.

सवाल- सफलता अभी आपको लगातार मिल रही है, लाइफ कितनी बदली है?

अभी दर्शकों को ये समझ में आ गया है कि मैं अच्छी फिल्म का चुनाव कर सकती हूं. निर्माता निर्देशक का विश्वास बढ़ गया है और काम मिल जाता है. नौर्मल लाइफ में घरवालों को अधिक फर्क नहीं पड़ता. मैं अगर स्क्रिप्ट सुनाना भी चाहती हूं तो वे मना कर देते है.

सवाल- क्या आपको लगता है कि आपके लिए भी भूमिका लिखी जाने लगेगी?

ये बताना संभव नहीं, पर इतना जरुर है कि कोई भी कठिन भूमिका को करने का औफर मुझे मिल रहा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं किसी चुनौती को ले सकती हूं.


सवाल- महिला प्रधान फिल्मों में फिल्म की पूरी जिम्मेदारी एक्ट्रेस पर रहती है, लेकिन आपने उसमें भी काम किया, क्या इसे करते हुए कभी डर लगा?

मेरे पास कोई आप्शन नहीं था, इसलिए उसे करना पड़ा. मुझे ऐसी कोई भी फिल्म औफर नहीं हो रही थी जिसमें कई कलाकार हो. ऐसे में या तो मैं घर बैठकर सही फिल्म का इंतजार करती या किसी के छोड़ने पर उसे करने को सोचती ,जो संभव नहीं था, इसलिए मैंने अपना रास्ता खुद ही बनाया है, जो सही लगा उसे किया.

सवाल- फिल्म मिशन मंगलमें महिला वैज्ञानिकों को दिखाया गया है,जबकि रियल में महिला वैज्ञानिक कम आगे लाये जाते है, आपकी सोच इस बारें में क्या है और आपने इसे करते वक्त क्या शोध किया था?

महिलाएं हमेशा से आगे बढ़-चढ़कर अपने आपको हाई लाइट नहीं करती थी. उन्हें जो मिलता था उसमें खुश रहती थी,पर आज जमाना बदला है. आज वे आगे आकर बोलने लगी है. उनके परिवार वाले भी इसे चाहते है. मैं एक साइंस की स्टूडेंट हूं, जिसने इंजीनियरिंग की है और इस बारें में जानकारी मुझे है. इससे मुझे कोई खास परेशानी एक्टिंग में नहीं हुई. चरित्र के हाव-भाव निर्देशक के अनुसार किया है.

सवाल- आप विज्ञान की छात्रा है, क्या आपने किसी प्रकार की इन्वेंशन कभी किया?

मैं कम्प्यूटर इंजीनियर हूं और मैंने अपने स्टडी के फाइनल इयर में एक फौन्ट स्वाप नामक एप बनायी थी. जिसकी मैंने कोडिंग की थी. वह उस समय पहली एप थी और मुझे यूनिवर्सिटी का बेस्ट प्रोजेक्ट का अवार्ड मिला था.

सवाल- क्या अभी आप काम न मिलने की सीमा को पार कर चुकी है?

वह डर अभी भी है, क्योंकि मैं इंडस्ट्री की बाहर से हूं और किसी फिल्म के न चलने पर भविष्य क्या होगा, उसकी चिंता सताती है, क्योंकि मुझे पीछे से सम्भालने वाला कोई नहीं है, लेकिन ये अच्छा हुआ है कि फिल्म ‘पिंक’ के बाद से लोग मुझे देखना चाहते है.

 

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Ready for it ?

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सवाल- आप पार्टी करती हुई कम, लेकिन सोशल वर्क करती हुई दिखती है, इसकी वजह क्या है?

मैं रात को जल्दी सो जाती हूं और मैंने जिस तरह की बैकग्राउंड से आई हूं और मैंने मेडिकल, रेप और मोलेस्टेशन जैसी कई घटनाएं हर क्षेत्र में करीब से देखी और सुनी है. ऐसे में मेरे कहने से अगर कुछ बदलती है, तो मैं उसमें शामिल होना पसंद करती हूं. मैं लोगों के हित में अधिक से अधिक काम करना चाहती हूं.

सवाल- इंडस्ट्री के बाहर से आने वाले कलाकार को क्या मेसेज देना चाहती है?

अगर आप कुछ समय तक यहां रहने के बाद भी मन मुताबिक काम नहीं कर पाते है तो इंडस्ट्री आपके लिए नहीं बनी है और आप इसे छोड़ कुछ और काम करें. हमेशा प्लान बी अपने साथ रखे. मेरे लिए तो हुकम का इक्का मेरा आउटसाइडर होना है, क्योंकि मुझसे दर्शक अपने आपको जोड़ सकेंगे. इसके अलावा अपनी इमेज खुद बनाए. इंडस्ट्री में कोई अधिक बुरा नहीं है, जैसा लोग बाहर से सोचते है. सकारात्मक सोच रखें.

तीन तलाक कानून: मुहरा बनी मुस्लिम महिलाएं

न्ध्विपक्ष के भारी विरोध के बीच आखिरकार तीन तलाक बिल लोक सभा के बाद राज्य सभा में भी पास हो गया और इसी के साथ मुस्लिम महिलाओं के दुख, डर और त्रासदी को मुहरा बना कर मोदी सरकार ने अपनी राजनीति थोड़ी और चमका ली. लोक सभा में जहां बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में केवल 82 वोट पड़े, वहीं राज्य सभा में वोटिंग के दौरान पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह नया कानून बन गया. अब तीन तलाक गैरकानूनी होगा और दोषी को 3 साल जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.

बीते 5 सालों के एनडीए के कार्यकाल में इस बात की पुरजोर कोशिशें होती रहीं कि किसी तरह सामदामदंडभेद से मुसलमानों को बस में किया जा सके. उन के अंदर डर पैदा किया जा सके. दूसरे कार्यकाल में यह साजिश कामयाब हो गई. पहले मुसलमानों को आतंकी बना कर जेलों में ठूंसा गया, फिर मौब लिंचिंग के जरीए उन का उत्पीड़न किया गया, गोरक्षकों से उन्हें पिटवाया और मरवाया गया, उन्हें ‘जय श्रीराम’ का डर दिखाया गया और अब तीन तलाक के मुद्दे पर उन्हें जेल भेजने की पूरी तैयारी हो गई.

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तीन तलाक को संगीन अपराध घोषित किए जाने के बाद तीन तलाक की त्रासदी से गुजर रहीं या तीन तलाक के डर में जी रहीं मुस्लिम महिलाओं में भले ही खुशी की लहर हो या उन्हें लग रहा हो कि बस मोदी सरकार ही उन की सब से बड़ी हमदर्द है, मगर इस की तह में छिपी साजिश और इस के दूरगामी परिणामों का अंदाजा वे नहीं लगा पा रही हैं. सच यह है कि मुस्लिम समाज में स्त्रीपुरुष के बीच फूट पड़ गई है. भाजपा की मंशा भी यही थी. वह हमदर्दी जता कर, आंसू बहा कर एक समाज के निजी घेरे में घुस गई है.

मोदी सरकार ने तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुष को अपराधी करार दे कर तीन साल के लिए जेल भेजने की तैयारी तो कर दी, मगर पीडि़त स्त्री को सुरक्षा और आर्थिक सहायता देने की बात कतई नहीं की है. आने वाले समय में ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं को कम से कम बच्चे पैदा करने के लिए भी राजी करने का काम किया जाएगा. कहने को तो यह फैमिली प्लानिंग की बातें समझाने की बात करता है, पर सवाल यह है कि सिर्फ मुस्लिम औरतों को ही क्यों यह बातें समझाई जाएं? गरीब हिंदू औरतों को क्यों नहीं?

यह बात भी ध्यान देने वाली है कि सिर्फ मुस्लिम औरतें ही इस देश में असुरक्षित नहीं हैं, बल्कि हिंदू स्त्रियां भी अपने समाज में बेहद असुरक्षित हैं. अगर कोई महिलाओं की सुरक्षा और उन के हक के लिए इतना चिंतित है, वह नारी गरिमा, नारी न्याय और अस्मिता के लिए काम करना चाहता है, तो उसे सभी समाजों की औरतों की सुरक्षा और सम्मान की बात करनी होगी और सब के लिए समान दृष्टि से काम करना होगा. खाप पंचायतों के हाथों सताई जा रही, मारी जा रही औरतों और बच्चियों के प्रति किसी की संवेदनशीलता और हमदर्दी नहीं जागती. उन की सुरक्षा के लिए अब तक क्या किया गया, इस बारे में सवाल किए जाने चाहिए.

इतनी हमदर्दी क्यों

धर्म, जाति के बाहर विवाह करने वाली महिलाओं को मौत के घाट उतार देने वालों के खिलाफ किसी का खून क्यों नहीं खौलता? उन पीडि़ताओं के प्रति किसी जिम्मेदारी का एहसास किसी को क्यों नहीं होता? सरकार यह ऐलान क्यों नहीं करती कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में पूरी ताकत और दबंगई के साथ चल रही नाजायज और संविधान विरोधी खाप पंचायतों को वह बंद करने जा रही है और पूरे देश में सिर्फ भारत का संविधान चलेगा?

यह आंसू और हमदर्दी सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के प्रति ही है, खाप पंचायतों द्वारा औरतों पर अत्याचार के विरुद्ध हरगिज नहीं बोला जा रहा है, क्योंकि इस से पिछड़े वर्गों में उन का वोटबैंक प्रभावित होगा.

इस बारे में डीएमके सांसद कनिमोझी का बयान दर्ज करने लायक है कि ‘तीन तलाक पर बिल लाने में तेजी दिखाने वाली एनडीए सरकार ने ओनर किलिंग को ले कर बिल लाने की बात क्यों नहीं सोची? ओनर किलिंग को ले कर अभी तक क्या कानून बना है? उन्होंने इस बिल को साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा नेता आजादी की बात करते हैं, लेकिन आज के हालात ऐसे हैं कि देश में खानेपहनने तक की आजादी नहीं है.’

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एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी की बात भी काबिलेगौर है कि नए बिल के मुताबिक अगर पति ने पत्नी को तीन बार तलाक कह दिया तो वह अपराधी करार दे कर जेल में ठूंस दिया जाएगा, मगर उन का निकाह फिर भी नहीं टूटेगा. 3 साल के लिए पति के जेल चले जाने से आखिर महिला और उस के बच्चों का भरणपोषण कौन करेगा? 3 साल बाद जब पति लौट कर आएगा तो क्या वह महिला कहेगी कि बहारो फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है?

ओवैसी की बात शतप्रतिशत ठीक है. आखिर अपने पति को जेल पहुंचा कर पत्नी उस के घर में उस के अन्य परिवारजनों के बीच सुरक्षित कैसे रह सकती है?

सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं

यह बात कतई व्यावहारिक नहीं है कि बहू की शिकायत के बाद जिन का बेटा जेल चला जाए, वह परिवार अपनी बहू के साथ उस घर में संयमित व्यवहार करे और उस का भरणपोषण करे. वे तो उस का उत्पीड़न ही करेंगे और उस पर केस वापस लेने का दबाव बनाएंगे. यही नहीं, हो सकता है गुस्से के अतिरेक में वे बहू को जान से ही मार डालें. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी. ऐसे हालात पैदा कर के तो मुस्लिम औरत को और ज्यादा असुरक्षित बनाया जा रहा है.

गौर करने वाली बात यह है कि तीन तलाक कहने के बाद भी अगर शादी बरकरार रहती है, तो मुस्लिम पुरुष 3 साल जेल की सलाखों के पीछे किस गुनाह की सजा भुगते?

मुस्लिम पुरुष को जेल भेजने वाली मोदी सरकार क्या महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सचमुच चिंतित है? अगर वह सचमुच चिंतित है तो महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देने की बात क्यों नहीं करती है? वह ऐसा बिल ले कर क्यों नहीं आई, जिस में यह प्रावधान हो कि तीन तलाक देने वाले पुरुष को मेहर की रकम का 5 गुना ज्यादा पैसा महिला को देना पड़ेगा? इस आर्थिक दंड का डर भी तीन तलाक को रोकने के लिए बहुत था. तीन तलाक को रोकने के लिए मुस्लिम पुरुष को जेल में डालना ही एकमात्र उपाय नहीं है और वह भी उस स्थिति में जब शादी बरकरार है और अपराध हुआ ही नहीं है. कुप्रथाएं समाप्त होनी चाहिए, मगर महिलाओं की सुरक्षा और असुरक्षा का पूरा खयाल रख कर. कुप्रथा को समाप्त करने की बात कह कर सरकार ने मुस्लिम समाज के पर्सनल ला में सेंध लगाई है, जो चाहे सही हो, पर नीयत सही नहीं लगती.

मुस्लिम समाज पूरा जिम्मेदार है

अगर आज कोई मुस्लिम पर्सनल ला में सेंध लगाने में कामयाब हुआ है, अगर मुस्लिम मर्दऔरत के बीच दरार पैदा करने में सफल रहा है, तो इस का जिम्मेदार मुस्लिम समाज खुद है. हर समाज की अपनी कमियां होती हैं और उन कमियों का खमियाजा अधिकतर उस समाज की औरतों को ही भुगतना पड़ता है. हिंदू समाज ने सति प्रथा, बाल विवाह जैसी कमियों को दूर कर लिया है. ये बुराइयां जनजाग्रति के जरीए दूर हुई हैं. मुस्लिम समाज में भी तमाम कमियां हैं, जिन में तीन तलाक और हलाला सब से बड़े मुद्दे हैं. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपने समाज की औरतों पर यह जुल्म होते रहने दिया है. उन्होंने कभी उन की पीड़ा का समाधान नहीं किया. उन के दर्द को नहीं समझा.

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कमअक्ल मुल्लेमौलवी धर्मग्रंथों में लिखी बातों को तोड़मरोड़ कर पेश करते रहे और पुरुषों के हक में ही फैसले लेते रहे. जब एक बार में तीन दफा ‘तलाक’ शब्द का उच्चारण कर के तलाक देने की बात उन के धर्मग्रंथ में लिखी ही नहीं है, तो उन्होंने क्यों नहीं इस तरीके से तलाक देने पर पाबंदी लगाई? क्यों इस बात का इंतजार करते रहे कि कोई बाहर से आ कर इस पर पाबंदी लगाए? मोदी सरकार ने अभी तीन तलाक पर मुस्लिम पुरुष को जेल भेजने का इंतजाम कर दिया है, दीवानी मामले को फौजदारी का मामला बना दिया है. अब भी अगर मुस्लिम समाज नहीं चेता तो आने वाले वक्त में हलाला मामले में भी ऐसा ही होगा, जब हलाला करने और कराने वाले पुरुष और मुल्लेमौलवी भी जेल में ठूंस दिए जाएंगे. हो सकता है संघ और मोदी सरकार इस से भी बड़ी सजा का प्रावधान करे. इसलिए समय रहते चेत जाने की जरूरत है.

गौरतलब है कि जिस समाज में कुप्रथाओं का बोलबाला हो, औरतों के प्रति अन्याय होता हो वह समाज बहुत जल्दी पिछड़ जाता है. उस में सेंध लग जाती है. आज मुस्लिम समाज को एकजुट हो कर अपनी खामियों और कमियों का विश्लेषण करने की जरूरत है. किसी भी समाज के पर्सनल ला में औरतों के साथ नाइंसाफी की बात नहीं की गई है. मुस्लिम पर्सनल ला में तो हरगिज नहीं है. उस में औरतों को बराबरी का हक दिया गया है. मगर कानून को समझाने वाले हमेशा पुरुषों को ही ज्यादा फायदा पहुंचाने की फिराक में रहते हैं. ऐसे कमअक्ल लोगों की जकड़ से अपने समाज को मुक्त करने की जरूरत मुस्लिम समाज को है.

पुरुष की अनदेखा सोच

यह अमानवीय है कि एक मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को 3 बार ‘तलाक, तलाक, तलाक’ बोल कर अपनी जिंदगी और अपने घर से दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकता है. एक औरत जो एक पुरुष से निकाह कर के अपना घर, अपने मातापिता, भाईबहन, नातेरिश्तेदार सबकुछ छोड़ कर आती है, अपनी सेवा और कार्यों से एक पुरुष के घर को सजातीसंवारती है, दिनरात घर के कामों में खटती है, अपना शरीर उस पुरुष को उपभोग के लिए देती है, तमाम कष्ट सह कर उस के बच्चे पैदा करती है, उस औरत को अचानक एक दिन ‘तलाक, तलाक, तलाक’ बोल कर घर से बाहर धकेल दिया जाता है. इस की जितनी भर्त्सना की जाए कम है.

सदियों से इस महादेश में मुस्लिम औरतें इस जुर्म का शिकार हो रही हैं. मुस्लिम समाज में धर्म के ठेकेदारों का डर और दबाव इस कदर हावी है कि न तो उदारवादी मुस्लिम समाज और न ही मुस्लिम औरतें कभी इस जुर्म के खिलाफ एकजुट हो पाईं.

यह पुरुष की दमनकारी सोच और तंग नजरिए की वजह से हुआ. आज के दौर में तो तलाक की ठीक प्रक्रिया से बिलकुल दूर मुस्लिम पुरुष फोन पर, ई मेल पर, व्हाट्सऐप पर, किसी अन्य के द्वारा कहलवा कर एक औरत की हंसतीखेतली जिंदगी को एक झटके में गम और दुश्वारियों के अंधेरे कुएं में धकेल देता है. उसे अचानक घर से बेघर कर देता है. उस के मासूम बच्चों को दरदर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर देता है.

मुस्लिम समाज न सिर्फ इस अमानवीय कृत्य को खामोशी से देख रहा है, बल्कि तमाम आलिमफाजिल, मुल्लामौलाना इस का समर्थन भी करते हैं. वे साफ कहते हैं कि अगर आदमी ने 3 बार औरत को तलाक बोल दिया, तो अब वह उस पर हराम है, उसे सबकुछ छोड़ कर अपने घर चले जाना चाहिए.

अब मान लीजिए कि तलाक दी गई औरत के मांबाप मर चुके हों, तो बेचारी अपने बच्चों को ले कर कहां जाएगी? अगर वह पढ़ीलिखी नहीं है, आर्थिक रूप से कमजोर है तो वह अपना और अपने बच्चों का भरणपोषण कैसे करेगी?

पुरुष को ही तलाक का अधिकार क्यों

इस देश में बहुत बड़ी संख्या में मुसलमान औरतें ये सब झेल रही हैं, दरदर की ठोकरें खा रही हैं, खुद का पेट भरने और बच्चों को पालने के लिए पुरुषों के हाथों का खिलौना बन रही हैं. वे यह जुर्म बरदाश्त करने के लिए इसलिए भी मजबूर हैं, क्योंकि मुसलमानों के तमाम धर्मगुरु और लगभग सारे मुल्लामौलवी पुरुष वर्ग से हैं. औरतों का वहां कोई प्रतिनिधित्व है ही नहीं. इन की शह का नतीजा है कि मुस्लिम पुरुष जब चाहे एक बार में 3 बार तलाक बोल कर अपनी बीवी को अकेला और बेसहारा छोड़ देता है.

पढ़ीलिखी और कामकाजी औरतें तो तलाक के बाद अपने प्रयास से अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं और अपनी व अपने बच्चों की परवरिश कर लेती हैं, मगर आर्थिक रूप से पूरी तरह पति पर आश्रित और बालबच्चेदार औरतों के लिए तलाक के बाद की जिंदगी कितनी कठिन होती है, इस की कल्पना भी रूह को थर्रा देती है.

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कुछ लोग तलाक के बाद औरत को हासिल होने वाली मेहर की रकम का हवाला दे कर कहते हैं कि उस से औरत अपनी बाकी की जिंदगी काटे, लेकिन क्या मेहर की छोटी सी रकम से किसी की जिंदगी कट सकती है? बच्चे पल सकते हैं? सवाल यह भी है कि जब निकाह लड़का और लड़की दोनों की रजामंदी के बाद होता है, तो फिर तलाक का अधिकार सिर्फ पुरुष को ही क्यों है? जब निकाह खानदान वालों, दोस्तों, नातेरिश्तेदारों की मौजूदगी में होता है तो तलाक कायरतापूर्ण तरीके से एकांत में, फोन पर, ईमेल या व्हाट्सऐप पर देने का क्या तुक है?

तीन तलाक और राजनीति

बहुत से इसलामी देशों में तीन तलाक के अन्यायपूर्ण रिवाज को या तो खत्म कर दिया गया है या समय के अनुरूप उस में कई संशोधन हुए हैं, लेकिन भारत में इसे ले कर हठधर्मिता जारी है. मुस्लिम पुरुष समाज इस में कतई कोई बदलाव नहीं चाहता था. तलाक के लिए औरत के लिए औरत की भी रजामंदी हो, तलाक के संबंध में उस से भी संवाद हो, उस के आगे के एकाकी जीवन और बच्चों की परवरिश के लिए जरूरी रकम और सुरक्षा का इंतजाम सुनिश्चित हो, इन सब जरूरी बातों से मुस्लिम पुरुष हमेशा बचता रहा, इसलिए वह तीन तलाक जैसे अमानवीय कृत्य के खिलाफ कभी नहीं बोला.

1985 के शाहबानों प्रकरण के बाद से आज तक मुस्लिम महिलाओं को उन के जीवन के अधिकार के संदर्भ में जानासुना नहीं गया. मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की बहस पर पित्तृ सत्तात्मक विचारधारा के पुरुषों ने कब्जा जमा रखा था और उन्होंने हमेशा मुस्लिम पर्सनल ला में किसी भी सुधार की कोशिश को रोकने का प्रयास किया. यही वजह है कि अब बाहर के लोग इन बातों और कमियों का फायदा उठा रहे हैं, घडि़याली आंसू दिखा कर हमदर्दी जता रहे हैं और इसी के नीचे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं.

मुस्लिम महिलाएं भाजपा के बिछाए जाल में इसलिए आसानी से फंस गई, क्योंकि उन के साथ वहां हमदर्दी दिखाई गई. इस से महिलाओं के अहं को बल मिला. उन्हें पुरुष से बदला लेने का हथियार मिला. मुस्लिम समाज को अपने अंदर व्याप्त कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए झंडा बुलंद करना चाहिए. आखिर अपने घर की सफाई तो घर वालों को ही करनी होगी. कोई बाहरी आ कर आप के घर की सफाई करेगा तो आप की बहुमूल्य चीजें खो जाने का डर तो बना ही रहेगा. कुप्रथाओं का खात्मा जरूरी है, मगर जब राजनैतिक उद्देश्य के लिए ऐसा किया जाता है तो फायदे की जगह नुकसान ही होता है.

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