सभ्यता औरतों के हकों के खिलाफ क्यों?

आज भी किसी औरत से मिलते हुए पहला नहीं तो दूसरा सवाल यही होता है कि आप के पति क्या करते हैं? आज भी औरतों का अकेले होना न समाज को स्वीकार है और न ही कानून को. कानून भी बारबार पूछता है कि आप के पति कौन हैं, कौन थे और अगर नहीं तो पिता कौन हैं? एक आदमी से कभी नहीं पूछा जाता कि आप की पत्नी कौन है, क्या करती है?

इस मामले ने हमेशा ही औरतों को अकेला रखा है मानो यदि पति न हो तो पत्नी की सुरक्षा हो ही नहीं सकती. यह तब है जब निर्भया कांड में बलात्कार की शिकार के साथ एक पुरुष मित्र था यानी पुरुष का सान्निध्य औरत की शारीरिक सुरक्षा की गारंटी नहीं है. आजकल सोशल मीडिया पर सैकड़ों वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिन में 3-4 भगवा गमछाधारियों ने लड़केलड़की को पकड़ कर लड़की का लड़के के सामने बलात्कार किया और लड़का कुछ न कर पाया.

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घरों में चोरी होने पर अकसर ऐसे मामले ही ज्यादा होते हैं जब औरतों के साथ पूरा परिवार होता है. औरतों के साथ किसी पुरुष का होना कोई सुरक्षा की गारंटी नहीं है. सदियों से दलितों की औरतों का उन के पतियों के सामने अपहरण किया जाता रहा है. यहां तक कि हमारी धार्मिक कहानियों में सीता का अपहरण विवाहित होने के बावजूद हुआ था. इस के मुकाबले तो शूर्पणखा अच्छी थी जो अकेले जंगल में राम और लक्ष्मण के साथ प्रेम निवेदन कर सकी थी या हिडिंबा भीम के समक्ष अपनी इच्छानुसार बिना शर्म के संबंध बना सकी थी.

आज अकेली औरतों की संख्या निरंतर बढ़ रही है पर समाज का दृष्टिकोण नहीं बदल रहा और कानून भी बहुत धीरेधीरे बदल रहा है. काफी जद्दोजहद के बाद कानूनी दस्तावेजों में पिता के स्थान पर मां का नाम लिखने की अनुमति मिली है पर अभी भी पत्नी की पहचान पति से ही हो रही है.

विवाह न औरतों की खुशी के लिए होता रहा है न उन की इच्छा पर. यह तो समाज का दबाव है कि पिता बेटी से छुटकारा पाना चाहता है. यदि समाज का दबाव न हो तो पिता बेटी को जिस से मरजी शादी की अनुमति दे देता पर भारत से ले कर तुर्की, इजिप्ट और यहां तक कि चीन और अमेरिका में भी पिताओं को यह चिंता रहती है कि कहीं बेटी का मनचाहा उन के परिवार व स्तर का नहीं हुआ तो क्या होगा.

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आदमियों को छूट है कि वे कुछ दिन खिलवाड़ कर लें किसी भी लड़की के साथ और कहते रहें कि वे सीरियस नहीं हैं पर अगर लड़की किसी के साथ 4 बार चाय भी पी ले तो मांबाप पीछे पड़ जाते हैं कि लड़का शादी लायक मैटीरियल है या नहीं? अकेली औरतों का वजूद ही नहीं है.

जेम्स बौंड की सीरीज में अब तक जेम्स बौंड 007 केवल गोरा पुरुष होता था. अब बदलाव की हवा को देखते हुए एक अश्वेत युवती को जेम्स बौंड की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे हमारे देश में नाडिया को कालीसफेद फिल्मों के युग में एक बार किया गया था.

अकेली औरतों की दुर्दशा सभ्य समाजों में ज्यादा हुई है. दुनियाभर में आदिवासी समाजों में औरतों को बराबर के हक मिले हैं. सभ्यता औरतों के हकों और उन के व्यक्तित्व पर भारी पड़ी है, जहां वे गुलाम और खिलौना बन कर रह गई हैं.

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जानिए क्यों बच्चे के लिए जरुरी है मां का दूध

ब्रेस्टफीडिंग कराने की सलाह डौक्टर प्रत्येक महिला को देते हैं चाहे वे किसी भी धर्म और संस्कृति की क्यों न हों. ब्रेस्टफीडिंग से शिशु और मां दोनों को बहुत-से लाभ होते हैं. ब्रेस्टफीडिंग कराने के कई लाभों के बावजूद, ब्रेस्टफीडिंग संस्कृति धीरे-धीरे कम हो रही है और बोतल-फीडिंग संस्कृति द्वारा इसे खत्म किया जा रहा है. यह निम्नलिखित तरीकों से बच्चे को लाभान्वित करता है –

1. डाइजेशन के लिए है बेस्ट

कोलोस्ट्रम यानी दूध, जो ब्रेस्ट, शुरुआती दिनों में बनाते हैं, वे बच्चे के पाचनतंत्र को विकसित करने और उसके अनेक क्रिया-कलाप करने में सहायता करता है. यह भी देखा जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग करने वाले शिशुओं को बोतल से दूध पिलाने वाले शिशुओं की तुलना में कम कब्ज और पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं.

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2. बेबी रहता है बीमारियों से दूर

ब्रेस्ट के दूध में मौजूद एंटी-बायोटिक बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता अर्थात बिमारी से लड़ने की क्षमता के निर्माण में मदद करता है जिससे बच्चे को संक्रमण, दस्त, अस्थमा, मोटापा, एलर्जी आदि होने का खतरा कम हो जाता है.

3. बेबी के विकास में करता है मदद

यह बच्चे के मस्तिष्क के प्रारंभिक विकास में भी मदद करता है. हालांकि, संज्ञानात्मक कौशल और इसके बाद के प्रभाव के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता.

4. SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम) का शिकार होने से बचते हैं बेबी

जिन शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाई जाती है, उनमें SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम) का शिकार होने की कम संभावना रहती है. SIDS (सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम), एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिशु के पीड़ित होने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन बिस्तर पर रखे जाने के बाद मृत पाया जाता है.

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इसके अतिरिक्त, ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को भी होता है लाभ –

5. बेबी के साथ गहरा होता है रिलेशन

यह मां और बच्चे के बीच एक अद्वितीय भावनात्मक बंधन बनाने में मदद करता है और प्रसव के बाद के अवसाद की घटनाओं को भी रोकता है. यह आपके ब्रेस्ट में हमेशा उपलब्ध है और बोतल के दूध की तुलना में सस्ता भी है और पोषक तत्वों से भरपूर है.

6. डिलीवरी के बाद कम होती है ब्लीडिंग

ब्रेस्ट का दूध औक्सीटोसिन नामक एक हार्मोन भी छोड़ता है जो गर्भाशय को सिकोड़ने में मदद करता है और अपनी पिछली स्थिति में तेजी से वापस लौटता है. इसके अतिरिक्त यह प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने में भी मदद करता है.

7. मां भी बची रहती हैं बीमारियों से  

बढे हुए वजन को भी तेजी से कम करने में मदद करता है. यह गर्भाशय और डिम्बग्रंथि के कैंसर के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर के विकास के जोखिम को भी कम करता है.

डॉ. रीता बक्शी, स्त्री रोग विशेषज्ञ व आईवीएफ एक्सपर्ट, इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर से की गई बातचीत पर आधारित

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38 की उम्र में फिर ‘दुल्हन’ बनीं ‘नागिन’ फेम अनीता हसनंदानी, फोटोज वायरल

बौलीवुड से लेकर टीवी तक अपना नाम बनाने वाली एक्ट्रेस अनीता हसनंदानी इन दिनों स्टार प्लस के रियलटी शो नच बलिए 9 में नजर आ रही हैं, जिसमें वह अपने हस्बैंड के साथ डांस करती हुई दिख रही हैं. वहीं हाल ही में खबरें हैं कि पति रोहित की बीमारी के चलते अनीता इस हफ्ते शो का हिस्सा नही बन पाएंगी. अब बात शो से हटके उनके फैशन से करें तो हाल ही में अनीता ने एक ब्राइडल आउटफिट में फोटो शूट करवाया, जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अनीता के इस ब्राइडल फैशन को आप अपनी शादी या किसी करीबी की शादी में ट्राय कर सकती हैं.

1. अनीता हसनंदानी का peach कलर का लहंगा करें ट्राय

अगर आप अपनी शादी में कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो अनीता का ये peach कलर का लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा. आजकल ट्रेंड में लाउड कलर नही बल्कि सिंपल कलर हैं. अनीता का ये सिंपल सिलवर एम्ब्रायडरी वाला लहंगा आपके लिए बेस्ट है. अगर आप का कलर डार्क या सांवला है तो लाइट कलर का ये लहंगा आपके लिए अच्छा औप्शन है.

 

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2. ज्वैलरी रखें हैवी

ध्यान रखें कि अगर आप लहंगा लाइट कलर पसंद कर रहे हैं तो ज्वैलरी हैवी होनी चाहिए क्योंकि ये आपके लहंगे को आपके लुक से बैलेंस करेगा. साथ ही आपके लुक को ब्यूटीफुल और ट्रैंडी बनाएगा.

3. अनीता की तरह मेकअप रखें सिंपल 

अगर आप का कलर डार्क या सांवला है तो कोशिश करें की मेकअप सिंपल रखें. हैवी ज्वैलरी आपके सिंपल और न्यूड मेकअप को आपके ब्राइडल लुक से बैलेंस करने में मदद करेगा. अनीता की तरह आपका लुक भी सिंपल, एलिगेंट और ब्यूटीफुल लुक भी लोगों को हैरान कर देगा,

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बता दें, अनीता हसनंदानी ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत बौलीवुड में साल 1999 की फिल्म ताल से की थी, जिसमें अनीता ने बौलीवुड की फेमस एक्ट्रेस ऐश्वर्या की बहन का किरदार निभाया था. वहीं  अनीता हसनंदानी एकता कपूर के भाई तुषार कपूर के साथ फिल्म ‘कुछ तो है’ में भी नजर आईं. टेलीविजन इंडस्ट्री में आने के बाद भी अनीता का जलवा कायम रहा और आज भी वह सफल एक्ट्रेसेस में से एक मानी जाती हैं.

पत्नियों की इन 7 आदतों से चिढ़ते हैं पति

पति और पत्नी का रिश्ता भी अनोखा है. यह कुछ खट्टा है, तो कुछ मीठा. पति पत्नी के बिना रह भी नहीं सकते हैं, तो उन की कई आदतों से पतियों को चिढ़न भी होती है. कभीकभी पति झगड़े के दौरान अपनी नापसंद का खुलासा कर देते हैं, तो कभी कलह के डर से चुप रह कर मन ही मन कुढ़ते रहते हैं. आइए, जानते हैं कि पत्नियों की वे कौन सी आदतें हैं, जो पतियों को पसंद नहीं होतीं और उन से वे परेशान हो उठते हैं:

1. दूसरी महिलाओं की प्रशंसा से ईर्ष्या

अकसर दूसरी किसी महिला की प्रशंसा अपने पति के मुंह से सुनते ही पत्नी के चेहरे का रंग बदल जाता है. उस के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो जाती है. मन में शक का बीज पनप जाता है. उसे लगने लगता है कि अवश्य ही पति उस महिला की ओर आकर्षित हो रहा है. कुछ महिलाएं भावुक हो कर पति को खरीखोटी भी सुनाने लगती हैं या फिर मुंह फुला कर बैठ जाती हैं. बहुत सी तो आंखों से आंसू बहाते हुए यह भी कहने लगती हैं कि तुम्हें तो मेरी कोई चीज अच्छी ही नहीं लगती. सारा दिन उसी के गुण गाते रहते हो. उसी के पास चले जाओ. पतियों को पत्नियों की यह आदत बिलकुल अच्छी नहीं लगती.

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2. सैक्स को हथियार बनाना

सैक्स पति और पत्नी दोनों की नैसर्गिक जरूरत होती है. लेकिन पत्नियां कई बार इस प्राकृतिक जरूरत को अपना हथियार बना लेती हैं. कोई भी ऐसी बात मनवानी हो या हलकी सी भी झड़प हो जाए तो वे पति को सब से पहले सैक्स से ही वंचित करती हैं. एक ही बिस्तर पर होने के बावजूद मुंह विपरीत दिशा में कर के सो जाती हैं. पत्नियों की यह आदत पतियों को नागवार लगती हैं.

3. बात घुमाफिरा कर कहना

कई पत्नियां किसी भी बात को साफसाफ नहीं कहतीं. हमेशा घुमाफिरा कर संकेत देने की कोशिश करती हैं. ऐसे में जब पति उन का मकसद नहीं समझ पाते, तो वे ताने कसने लगती हैं. फिर भी पति इशारे को समझ नहीं पाते तो वे चिड़चिड़ी हो कर गलत व्यवहार करने लगती हैं. अत: पति चाहते हैं कि पत्नी जो भी कहना चाहे साफसाफ कहे.

4. पर्सनल चीजों से छेड़छाड़

अपनत्व, एकाधिकार जताने के लिए जब पत्नियां औफिस बैग, पैंटशर्ट की जेब, पर्स, मोबाइल, लैपटौप जैसी चीजों से छेड़छाड़ करती हैं या उन की स्कैनिंग करती हैं, तो इस से पतियों को मन ही मन बहुत कोफ्त होती है. ज्यादा परेशानी तो तब महसूस होती है जब वे किसी महिला फिर चाहे वह कोई क्लाइंट ही क्यों न हो, का फोन एसएमएस, फोटो या कोई कागजात देख कर उस के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करने लगती हैं. पर्स में ज्यादा रुपए देख कर पूछने लगती हैं कि ये कहां से आए, किस ने दिए आदि.

5. लगातार बोलते रहना

कई पत्नियां एक बार बोलना शुरू हो जाए, तो नौनस्टौप बोलती रहती हैं. पता नहीं उन के पास इतनी बातों का स्टौक कहां से आता है. सहेली की शादी में जा कर आएं, डाक्टर को दिखा कर आएं, पड़ोसी के घर में नया टीवी आए, विषय कोई भी हो, वे उस की रनिंग कमैंट्री शुरू कर देती हैं. 1-1 मिनट का ब्योरा पूरे विस्तार के साथ देने लगती हैं. जबकि पति चाहते हैं कि बातचीत सीमित हो. टू द पौइंट हो.

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6. हर वक्त टोकाटाकी

कुछ पत्नियां हर वक्त टोकाटाकी करती रहती हैं. मानों उन्हें अपने पति की हर गतिविधि या आदत पर एतराज होता है. जैसे आज यह ड्रैस क्यों पहनी? आज जल्दी क्यों जा रहे हो? आज देर से क्यों आए? इतने फोन क्यों करते हो? 2-2 मोबाइल क्यों रखते हो? ऐसे सवालों की बहुत लंबी लिस्ट है, जिन्हें पूछपूछ कर पत्नियां पतियों को पका देती हैं.

7. शौपिंग की लत

शौपिंग करना पत्नियों की बड़ी कमजोरी है. कई बार तो वे टाइमपास या मन बहलाने के लिए शौपिंग करती हैं. उन की शौपिंग बड़ी बोरिंग होती है. 1-1 चीज को ध्यान से देखना और उस की कीमत पूछना, कपड़ों को अपने शरीर से लगालगा कर देखना, बिना जरूरत खानेपीने की चीजों को खरीदना, डिस्काउंट के लालच में अधिक मात्रा में खरीद लेना और फिर फेंक देना आदि सचमुच इरिटेटिंग आदतें हैं. पति इन से बहुत ज्यादा चिढ़ते हैं.

Friendship Day Selfie: एक कविता दोस्त के नाम

डौक्टर प्रीती प्रवीण खरे (भोपाल)

दुख की रात विफल करता, सुख की भोर धवल करता

मुश्किल सारी हल करता

धूप हमारी वो हर लेता, छांव हमेशा हमको देता

धोखा हमसे कभी न करता, सच्चाई के रस्ते चलता

दिल में वो उल्लास जगाये, ख़ुशियों वाले दीप जलाये

मुस्कानों से प्यार लुटाये, साथ सदा त्यौहार मनाये

महकाये संसार हमारा,  दूर करे अंधियार हमारा

विश्वासों का सार हमारा, मित्र ही है घर बार हमारा

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Friendship Day Selfie: इस दोस्ती को किसी की नजर न लगे

Friendship Day Selfie: हर रिश्ते से बढ़कर है दोस्ती

पूनम पाठक           

दोस्ती जैसे रिश्ते को शब्दों में बांध पाना मुश्किल है. सच्चा दोस्त वही होता है जो खुशियों से अधिक परेशानी के वक्त आपके साथ खड़ा हो. एक ऐसा दोस्त जो आपके ‘ठीक हूं’ कहने के बाद भी आपकी आंखों को नमी को महसूस कर ले. यूं तो मेरे दोस्तों की संख्या बहुत कम है. लेकिन जो हैं वे सभी दिल के बहुत करीब हैं. ऐसी ही एक दोस्त है राखी.

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राखी से अकस्मात हुई अपनी दोस्ती को मैं कभी नही भूल पाती. उसके घर के सामने वाली सड़क पर अपनी बेटी की स्कूल बस का इंतजार किया करती थी मैं और ऐसे ही एक दिन उससे बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ जो कभी न खत्म होने वाले किसी मूल्यवान खजाने में तब्दील हो गया. हम एक दूसरे के साथ खुल कर अपनी भावनाओं और विचारों की साझेदारी करते हैं. जहां एक दूसरे के गुणों की प्रशंसा करते हैं वहीं एक दूसरे की गलतियों की खुलकर आलोचना भी करते हैं. वक्त पड़ने पर एक दूसरे को सही सलाह देते है भले ही वह उस वक्त उसे थोड़ी कड़वी ही क्यों न लगे.

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जिंदगी के कई मुश्किल दौर में राखी ने नाते रिश्तेदारों से पहले मेरी ओर मदद का हाथ बढ़ाया है. हमारी दोस्ती सभी मानको से परे है. वो मेरी सफलता में शामिल होकर मेरी खुशियों को दुगुना कर देती है, जबकि दुखो को बांटकर उन्हें आधा कर देती है. इस तरह उसके साथ बिताया हर पल मेरे लिये खूबसूरत याद बन जाता है. भले ही कभी हम महीनों न मिले हों लेकिन दिल में उसकी याद हर लम्हा बरकरार रहती है. उसकी दोस्ती ने मुझे कई मानो में तराशा है. एक तरफ़ मानसिक तौर पर मुझे मजबूत बनाया है तो दूसरी ओर जिंदादिली से जीना सिखाया है. उसकी सबसे बड़ी खूबी है कि वह अपने सभी रिश्तों के प्रति ईमानदार है. फ्रेंडशिप डे पर मैं उसे खूब सारी बधाई और ढेर सा प्यार कहना चाहूंगी. सच उसकी दोस्ती मेरे लिए प्रकृति का अनमोल उपहार है जिसे मैं ताउम्र संभाल कर रखना चाहूंगी.

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एडिट- निशा 

Friendship Day Selfie: जिसके साये से गम भी दूर भाग जाए, ऐसी है मेरी प्यारी दोस्त

शशि बंसल गोयल

खुशबू की तरह सांसों में बसती है तू

लहू बनकर मेरी आँखों से बहती है तू

जिसके साये से भी ग़म दूर भाग जाए

ऐसी है मेरी प्यारी दोस्त मेरी जान तू

ज़माने ने दिए हों भले ही लाख दोस्त

मेरी होठों की हंसी का कारण सिर्फ़ तू

जिसके नाम के शुरू में ही ‘संग’ है जुड़ा

ऐसी है सबसे प्यारी दोस्त मेरी ” संगीता ”

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Friendship Day Selfie: जिंदगी में दोस्त नहीं दोस्तों में जिंदगी होती है

Friendship Day: मेरी आवाज है इस दोस्ती की पहचान

जब भी कौलेज के दिनों को याद करता हूं तो दिल और दिमाग मानों एक सैर पर निकल पड़ता हैं. एक ऐसी सैर पर जहां खट्टी-मीठी यादों के झरने है. उस समय के नए नए अनुभवों की वादियां हैं. कुछ उबड़ खाबड़,तो कुछ सुलझे हुए रास्ते हैं. परीक्षा के बादल हैं के तो उनमें उत्तीर्ण होने की खुशी की बारिश हैं और सबसे महत्वपूर्ण मेरी दोस्ती की फुलवारी हैं.

इस फुलवारी के तरह-तरह के फूल मानों मुझे मेरी उन तरह-तरह के दोस्तों की याद दिलाते हैं जिसने साथ मैंने कौलेज के वो स्वर्णिम दिन गुजारे थे. इस फुलवारी में फूलों का एक गुछ्छा भी है. जो मुझे उन लड़कियों की याद दिलाता हैं जिनसे मैं कौलेज के तीसरे वर्ष में मिला था. उनमें से कुछ मुझसे उम्र में छोटी तो कुछ मेरी उम्र की थी.

मैं अक्सर उनके होस्टल में शाम के समय में जाया करता था. जिस समय वो सभी होस्टल के प्रांगण में इकट्ठा होकर शाम की वंदना कर रही होती थी. उनकी वो सुरमयी और लय-बंद आवाज आज भी मुझे अच्छे से याद हैं. उन्हें भी मेरी आवाज अच्छे से याद होगी और शायद सिर्फ आवाज ही याद होगी क्योंकि वो सभी देख जो नहीं सकती थी.

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लोग कहते है कि दोस्ती हमेशा अच्छे से देख परख ही करनी चाहिए, लेकिन उन लड़कियां ने तो मुझसे बिना देखें ही दोस्ती कर ली थी. हां…मुझसे या शायद मेरी आवाज से क्योंकि मेरी आवाज ही तो थी जिसे वो उन दिनों शायद रोज ही सुनती थी या कह लो वो मेरी आवाज को पढ़ती थी. मेरी उनसे दोस्ती की कहानी कुछ इस तरह शुरु होती हैं.

ये बात जनवरी 2017 की हैं में इंदौर के SGSTIS कौलेज के तीसरे साल में था. मेरी आदत थी की मेरी जेब के खुल्ले पैसे मैं एक गुल्लक में जमा करता था और उसके भर जाने पर किसी अनाथ आश्रम में दान कर देता था. एक दिन उस गुल्लक में जमा पैसों को दान करने के लिए मैं अपने दोस्त के बताएं हुए अनाथ आश्रम के लिए निकला और खौजते खौजते मैं महेश दृष्टिहीन कल्याण संग जा पहुंचा. पूछने पर पता चला की वहां प्राथमिकी से लेकर कौलेज तक में पढ़ने वाली बच्चियां रहती थी. जिनमें से कुछ अनाथ भी थी. स्कूल स्तर की क्लास वहीं छात्रावास में हूं रहती थी और कौलेज स्तर की छात्राएं शहर के अलग-अलग कौलजों में सामान्य बच्चों के साथ ही पढ़ती थी.

मैं वहां की वार्डन दत्ता मैडम से मिला और बच्चों की सहायता करने के लिए कुछ पैसे देने की इच्छा बताई. उन्होंने मुस्कुराकर कहा- बेटा इन्हें पैसों की नहीं बल्कि किसी की समय की जरुरत है.

मैंने कहां- मतलब?

तो वो बोली- की इनके पास जरुरत की सभी चीजें हैं. कई लोग संस्थान में आकर इसी तरह दान करते हैं. लेकिन इन्हें जरुरत हैं की कोई अपना समय निकालकर इनकी पढ़ाई में मदद कर सकें.

पर फिर वही परेशानी समय ही नही मिलता था शनिवार ओर रविवार को कौलेज की छुट्टी रहती थी तो उन दोनों ही दिनों में सुबह से ncc की ड्रिल ओर बाकी एक्टिविटी होती थी. तो कभी क्लब की मीटिंग रहती थी.

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8 दिन बीत चुके थे,पर में उनमे से एक भी किताब रिकॉर्ड नही कर पाया था. अगले दिन शनिवार था, ड्रिल के बाद मैं सीधा Ncc office गया और दोपहर 12.30 से शाम के 7.30 बजे तक रिकौर्डिंग करता रहा. अगले दिन रविवार को भी इसी तरह से रिकॉर्डिंग की और इस तरह मैंने उनमे से एक किताब को पूरा किया.

उस रात अपने रूम पर जाते हुए मैंने सोचा कि इस तरह से तो में इस काम को नहीं कर पाऊंगा. क्योंकि इसमें रोज़ समय देने से मेरी खुद की पढ़ाई और बाकी चीज़े भी प्रभावित होंगी. उन छात्राओ को भी समय से उनकी किताब नहीं पहुंचा पा रहा था.

मैंने सोचा की उन छात्राओं को झूठे भरोसे में रखने से अच्छा है की मैं उनकी वौर्डन को बोल दूं की मैं रिकौर्डिंग का काम नहीं कर पाऊंगा. पर उन्हें जब भी राइटर की जरूरत होगी तो मैं हमेशा तैयार हूं ऐसा सोच के मैं उस रात सो गया और अगले दिन शाम को में उन बच्चियों के होस्टल पहुंचा.

मैंने वार्डन दत्ता मैम को बताया की में एक ही किताब रिवौर्ड कर पाया और दूसरी नहीं. मैं उनसे आगे की बात करने ही वाला था कि इतने में एक लड़की जो वहां से निकल रही थी

मेरी आवाज सुन कर रुक गई और बोली- आप अमित भैया है ना?

मैने कहा- हां

भैया मैंने आपकी आवाज से आपको पहचान लिया. भैया आपकी आवाज में किताबे सुनना बहुत अच्छा लगता है. आप सभी चीज़ों को अच्छे से समझाते हैं. पिछली बार आपने जो हिंदी साहित्य की किताब रिकौर्ड करके दी थी. दो दिन पहले ही उसका क्लास टेस्ट हुआ जिसमें पहले से मेरे काफी अच्छे नंबर आए.

मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम Alish है. वो BA सेकंड ईयर की स्टूडेंट थी. इतनी बात करके वो तो वहां से थैंक्स बोलकर चली गई. लेकिन उसके चेहरे की खुशी और मेरे आवाज पर उसके भरोसे ने मुझे वो बोलने ही नही दिया जो में वह बोलने आया था.

दत्ता मैम ने पूछा- हां अमित तुम कुछ कह रहे थे?

मैं निशब्द सा बोला- नहीं मैम कुछ नहीं.

इसके बाद मैं वहां से चला आया. पूरे रास्ते मेरे दिमाग मे बस एलिश की बातें ही घूमती रही.

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मैने अब सोच लिया था कि अब जो भी हो ये काम कभी नहीं छोडूंगा. धीरे धीरे बाकी काम से थोड़ा थोड़ा समय निकाल कर मैं रिकौर्डिंग करने लग गया. कभी देर रात तक, तो कभी सुबह उठकर तो कभी लंच टाइम में,तो कभी दोस्तो के साथ घूमने न जाकर शनिवार और रविवार लगातार रिकौर्डिंग करता रहा.

इस दौरान मैंने उनकी पढ़ाई के लिए टेस्ट सीरीज और अन्य नोट्स भी रिकौर्ड किए. धीरे धीरे मुझे अहसास हुआ की इस काम में मुझे बहुत तसल्ली मिलती है. जब भी मैं उनके होस्टल से रिकैर्ड की हुई किताबे देकर लौटता तो मन मे बड़ी ही शांति का अनुभव होता और अपनी पर्सनल लाइफ में चल रही परेशानियों को मानो कुछ समय के लिए भूल ही जाता था.

मुझे ऐसा लगने लगा मानो ये काम मैं उनके लिए नही बल्कि अपने भले के लिए या अपनी शांति के लिए कर रहा था. मैं जब भी वहां जाता सभी बच्चियां मुझे मेरी आवाज से ही पहचान जाती थी. ऐसे ही कौलेज का मेरा 4th ईयर खत्म होने को आया था. अब मुझे इस बात की चिंता होने लगी कि मेरे जाने के बाद इस काम को कौन करेगा .

फिर मेने कुछ दोस्त और आसपास के जानने वालों से बात की तो राइटर बनने के लिए तो काफी लोग आगे आये पर रिकौर्डिंग के काम के लिए बेहद कम और जो आये भी वो रेगुलर इस काम को करने में हामी नही भर पाए. मेरे इस काम के बारे में कौलेज में जैसवाल सर के अलावा किसी को नहीं पता था. शायद यही कारण था कि मैं सभी कामों से समय निकाल कर इस काम को रेगुलर कर पाया.

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एक दिन की बात है मेरे फ़ोन पर एक बड़े अखबार के राइटर का फ़ोन आया जिसने मेरी कहानी जाननी चाही की में किस तरह रिकौर्डिंग करता हूं और कैसे में उन बच्चियों की मदद करता हूं. सभी जानकारी देने के बाद अगले दिन मेरी लाइफ बदलने वाली थी. सुबह के अखबार में मेरी फुल पेज स्टोरी छपी थी. जिसे देखने के बाद सभी जानने पहचानने वालों, दोस्तों और कौलेज के सभी लोगों ने मुझे सराहा. उनमे से कुछ ने इस काम को करने की इच्छा भी ज़ाहिर की इनमे कुछ तो मेरे कौलेज की जूनियर्स ही थे और कुछ शहर के आम लोग.

इन सब के मिलने पर मानो मेरी बहुत बड़ी चिंता दूर हो गई. इसके बाद मैंने सबको मिलाकर Whatsapp पर एक ग्रुप बनाया. जिसमे दत्ता मैम और मेरे कौलेज के कुछ सीनियर्स को भी ऐड किया. तय हुआ कि जब भी उन छात्राओं को भी किताब रिकौर्ड करानी होगी या राइटर की जरूरत होगी तो इस ग्रुप में मैसेज आ जायेगा और जो भी उस समय अवेलेबल होगा वो उनकी मदद करेगा. मेरा 4 ईयर अब कम्पलीट हो गया है और मैं दिल्ली आ गया हूं. सिविल सर्विसेज की तैयारी करने पर helping hand चल रहा था.

इस बीच ऐलिश उस कौम्पिटेटिव एग्जाम में सेलेक्ट हो गई और उसके बाद उसने उस ग्रुप में एक प्यारा सा नोट मेरे लिए लिखा. एलिश ने मुझे कहा था कि भैया अगर में सेलेक्ट हुई तो पहला thank you आपका करूंगी ओर आपको मिठाई लिखूंगी. आज मैं वहां नही था पर मेरा मन की खुशी से उस मिठाई को भली भांति महसूस कर पा रहा था.

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ये बात बताकर मुझे खुशी मिल रही है कि आज हेल्पिंग हैंड सिर्फ Whatsapp group न रहकर एक registered NGO बन गया है जिसका नाम अद्भुत पब्लिक वेलफेयर सोसाइटी हैं. अब इसके चलते दृष्टिहीन बच्चो के लिए किताबे रिकौर्ड करने के साथ साथ, गरीब बच्चो को पढ़ाना,शिक्षा से जुड़े सामान देना और कपड़े दान करना जैसे काम होते है.

आज सोचता हूं मेरी वो छोटी सी कोशिश आज एक सफलता बनकर बड़ी ही गर्व से अपनी कहानी कह पा रही है. इसका एक कारण वो निःशब्दता भी है जिसने मुझे उस दिन दत्ता मैम को इस काम के लिए ना करने से रोक दिया था.

एडिट बाय- निशा राय

Friendship Day Selfie: दोस्ती को सलाम

दोस्ती नाम है सुख-दुख की कहानी का, दोस्ती राज है सदा ही मुस्कुराने का, ये कोई पल भर की जान पहचान नहीं. दोस्ती वादा है उम्र भर साथ निभाने का. जी हां, दोस्ती एक एसा रिश्ता है जो हम अपने आप से बनाते है. मां-बाप,भाई-बहन, जैसे रिश्ते हमे जन्म से ही मिल जाते है पर दोस्ती एकमात्र ऐसा रिश्ता है जो बिना किसी शर्त या बिना किसी स्वार्थ के बनाया जाता है शायद तभी दोस्ती के रिश्ते को दिल का रिश्ता बताया जाता है. हम अपने दोस्तों से हर तरह की बात कर अपना मन हल्का कर लेते है जो हम कभी-कभी अपने घरवालो से भी नही कर पाते.

अगस्त महीना शुरू होने से पहले ही हम सब के दिल मे एक अलग सी खुशी जाग उठती है और वो खुशी अगस्त महीना के आने वाले पहले इतवार की होती है. हर साल अगस्त महीने के पहले इतवार को फ्रेंडशिप-डे मनाया जाता है. चाहे आम इंसान हो या बौलीवुड सेलेब्स, हर किसी का कोई न कोई एसा दोस्त जरूर होता है जिस पर वे बेइंतहा विश्वास और प्यार करता है.

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नैना सूदान (दिल्ली)

स्कूल जाने वाले छात्र फ्रेंडशिप-डे पर एक दूसरे को बडे मन से फ्रेंडशिप बैंड पहना कर अपनी दोस्ती ओर गहरी करते है तो वही दूसरी तरफ जो अपने दोस्तो से नही मिल पाते वे इस दिन अपने दोस्तो को फोन कर एक दूसरे का हाल चाल पूछ फ्रेंडशिप-डे विश कर देते है. कुछ लोग इस दिन का आनंद अपने दोस्तो के साथ पार्टी कर के भी उठाते है.

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केवल दोस्ती ही ऐसा एकमात्र रिश्ता है जिसमे हम एक दूसरे से कोई अपेक्षाएं ना रख अपने सभी स्वार्थ को अलग कर पूरे दिल से ये पवित्र रिश्ता निभाते है. दोस्तो से ही तो जिंदगी मे खुशियां है, दोस्तो के प्यार के बिना जीवन व्यर्थ सा लगता है तभी तो कहा जाता है, हर एक फ्रेंड जरूरी होता है.

सुचिता तलरेजा अपनी बचपन की दोस्त बेला के साथ…

खुशनसीब होते है वे लोग जिनके दोस्त होते है. अपने दोस्तो के साथ हम वो हर मुश्किल काम बहुत आसानी से करते है जो हमने पहले कभी किया भी नहीं होता इसलिए नहीं कि हम वो काम अकेले नहीं कर सकते बल्कि इसलिए क्यूंकि हमे अपनी दोस्ती पर विश्वास होता है कि चाहे कुछ भी हो जाए हमारे दोस्त हमारा साथ कभी नही छोड़ेगें.

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इस फ्रेंडशिप-डे अपने दोस्तो से हर वो दिल की बात कहिए जो आप उसके लिए महसूस करते है. छोटी-छोटी अनबन हर रिश्ते मे होती है लेकिन इसका मतलब ये नही की हम अपनी दोस्ती ही खत्म कर दें. खट्टी-मीठी बाते ही तो जिंदगी जीने का मजा देती है तो अगर आप भी अपने किसी दोस्त से नाराज है तो आने वाले 4 अगस्त 2019 यानी फ्रेंडशिप-डे पर उससे अपनी दिल की बात बोल अपनी दोस्ती को और गहरा बनाइए.

एडिट बाय- करण मनचंदा

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हरियाली तीज पर सामने आई नुसरत जहां की ये फोटोज, दिखा रोमांटिक अंदाज

बंगाली एक्ट्रेस रह चुकीं टीएमसी सांसद नुसरत जहां अपनी शादी के बाद से खबरों में छाई हुई हैं. वहीं आज उनके सुर्खियों में आने का कारण उनकी पहली हरियाली तीज है. नुसरत ने अपने पहले हरियाली तीज की फोटोज सोशल मीडिया पर डालीं, जिसके बाद वह वायरल हो गई है, जिसके बाद से फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं नुसरत की पहली हरियाली तीज की खूबसूरत फोटोज…

इंस्टाग्राम पर शेयर की खूबसूरत फोटोज

 

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हरियाली तीज के मौके पर नुसरत जहां लाल कलर की चंदेरी साड़ी में नजर आईं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत नजर आ रही है. जिसकी फोटोज नुसरत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया.

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कैप्शन में पति के लिखा खास मैसेज

 

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नुसरत ने तस्वीरें शेयर करते हुए कैप्शन में कहा कि उनके पति ने उनका पहला सिंधारा यानी हरियाली तीज बेहद खास बना दिया है. वहीं नुसरत ने पति निखिल का शुक्रिया अदा करते हुए लिखा, ‘मेरा पहला सिंधारा इतना खास मनाने के लिए बहुत शुक्रिया।’

पति निखिल के साथ रोमेंटिक अंदाज में आईं नुसरत नजर

नुसरत ने पति निखिल जैन के साथ कई तस्वीरें शेयर की है, जिसमें वह काफी रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं. जिसकी फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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नुसरत की मेकअप से लेकर ज्वैलरी है खास

हरियाली तीज के मौके पर नुसरत लाल कलर की चंदेरी साड़ी के साथ खूबसूरत हार, मंगलसूत्र, लाल रंग की लिपस्टिक और बिंदी के साथ-साथ बालों में गजरा लगाए हुए नजर आ रही हैं. इस लुक में नुसरत काफी खूबसूरत नजर आ रही हैं.

 

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आपको बता दें कि 19 जून को तुर्की में दो रीति-रिवाजों के साथ टीएमसी सांसद नुसरत ने बिजनेसमैन निखिल जैन के साथ शादी की थी. जिसके कारण वह काफी सुर्खियों में भी रही. वहीं शादी के बाद से अक्सर उनका फैशन हो या इंडियन लुक सभी को लेकर सुर्खियों में छाई रहती हैं.

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