रिफ्रेशमेंट ड्रिंक के लिए बेस्ट है ‘जलानी जलजीरा’

मौसम कोई सा भी हो रिफ्रेशमेंट ड्रिंक लेना जरुरी होता है. वैसे ही इंडिया में बहुत तरह के ड्रिंक्स मौजूद हैं, जो सेहत का ख्याल भी रखते हैं और टेस्ट में भी लाजवाब होता है. ऐसी ही एक ड्रिंक है जलजीरा, जिसका स्वाद मजेदार तो होता ही है. साथ ही हाजमे के लिए भी रामबाण इलाज साबित होता है. ऐसी ही है जलानी का जलजीरा. आइए आपको बताते हैं जलानी जलजीरा के फायदे और इसे बनाने का तरीका.

जलानी जलजीरा के फायदे अनेक

एनीमिया में मिलता है फायदा

एनीमिया शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा का कम होना होता है. लेकिन जलानी जलजीरा पीने से इस प्रौब्लम यानी एनीमिया की समस्या छुटकारा मिलता है. क्योंकि इसमें जीरा होता है, जिसमें आयरन काफी मात्रा में पाया जाता है. इसलिए इसके रोजाना सेवन से खून की कमी नहीं होती है.

वजन घटाने में भी है फायदेमंद

इन दिनों वजन घटाने के कई रास्ते मौजूद हैं. लेकिन क्या आपने जलजीरा से वजर घटाया है. जी हां. जलानी जलजीरा पीने से वजन भी कम होता है. दरअसल, जलजीरा में कैलोरी नहीं होती है. साथ ही इसके सेवन से बौडी के टॉक्सिक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है.

गैस और डिहाइड्रेशन में मिलती है मदद

जलानी जलजीरा में कई ऐसे पदार्थ मौजूद हैं, जिससे गैस या एसीडिटी की समस्या से  छुटकारा मिलता है. इसके अलावा गर्मी में या किसी भी मौसम में डिहाईड्रेशन की समस्या से जलानी जलजीरा राहत पहुंचाता है. साथ ही यह आंतों यानी लीवर को हेल्दी रखने में मदद करता है.

जलजीरा बनाने की तरीका:

जलजीरा बनाने के लिए एक पैकेट जलानी जलजीरा का लें और उसे ठंडे पानी में डालकर पुदीना के पत्ते मिलाकर तैयार कर लीजिए और अपने बच्चों से लेकर बड़ो तक को पिलाइए.

सलाद में भी काम आए जलानी जलजीरा

जलानी जलजीरा कई चीजों में काम आता है. इसे आप फल, सलाद, सूप , स्नैक्स और ड्रिंक के रुप में भी छिड़ककर इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका रिफ्रेशिंग और एनर्जी देने वाला फ्लेवर आपकी हर डिश को लाजवाब बना देगा.

सुषमा स्वराज का सियासी सफर: भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री

बीजेपी नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में निधन हो गया. सुषमा स्वराज को गंभीर हालत में एम्स में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद मंगलवार देर रात 9:35 बजे एम्स में भर्ती कराया गया था. एम्स के सीनियर डौैक्टर रणदीप गुलेरिया ने सुषमा स्वराज के निधन की पुष्टि की.

14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला शहर में जन्मीं सुषमा स्वराज की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती है। यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र ने भी कई मौकों पर उनकी तारीफ की. ऐसा ही एक वाक्या उस वक्त का है जब बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में पाकिस्तान को निशाने पर लिया था. यहां तक कि उनके समय में ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में भारत ने कामयाबी हासिल की.  2014 में मोदी सरकार के आने के बाद उन्हें विदेश मंत्रालय का प्रभार मिला था. सुषमा दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी थी.

एक नजर सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन पर:

– 1970 में उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की.

– 1977 में जब सुषमा स्वराज 25 साल की थीं तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं.

– 1977-82 और 1987-89 तक सुषमा स्वराज हरियाणा विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं.

– 1990 में सुषमा स्वराज राज्यसभा सदस्य बनीं.

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– 1996 और 1998 में दक्षिण दिल्ली से सुषमा स्वराज लोकसभा सांसद बनी.

– 1998 में सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी.

– 1999 में भाजपा ने सुषमा स्वराज को सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से उतारा, जिसमें उन्हें सात फीसदी मतों से हार मिली.

– 2000 से 2003 तक सुषमा स्वराज केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं. इसके बाद उन्होंने 2003 से 2004 तक स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभाला. उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते केंद्र ने छह नए एम्स को हरी झंडी दी.

– 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद सुषमा स्वराज विदेश मंत्री बनाया गया.

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खूबसूरत स्किन के लिए ट्राय करें ये 5 वर्कआउट टिप्स

सेल्फी और टिक टौक वाले जमाने मे हर कोई अपने फेस को सुंदर बनाने के लिए ब्यूटी एप्प का सहारा ले रहा है, ताकि उनके फेस की कमी किसी को नज़र ना आए. पर वो ये सब करते समय भूल जाते है कि ये इंस्टेंट सुंदरता छड़ भर की है क्योंकि असली सुंदरता उनकी क्या है वो खुद ही जानते है .  इसलिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी सेहत के साथ साथ सुंदरता का भी ध्यान रखें ताकि आपको किसी भी एप की जरूरत ना पड़े.  यहां हम आपको बता रहें है फेस के लिए कुछ फेस योगा ताकि आपकी खूबसरती को किसी की नज़र न लगे. योगा थेरेपिस्ट एवं डाइटीशियन सुचि बंसल  बता रही हैं फेस योगा के कुछ खास उपाय जिसको अपना कर आप भी बढ़ती उम्र में अपने चेहरे को बना सकती है स्लिम और खूबसूरत.

ऐसे करें फेस योगा

1. लौयन फेस योगा करें ट्राय

इससे चेहरे की सारी मसल्स चुस्त होती हैं तथा चेहरे  में ब्लड का प्रवाह बढ़ने से स्किन चमकदार बनती है.

स्टेप –1

लंबी गहरी सांस अंदर लें उसके बाद सांस छोड़ते हुए अपनी जीभ को जितना हो सकता है, बाहर निकाले.

स्टेप –2

अब दोनों आंखों से ऊपर की ओर देखे.  इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

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2. स्माइली फेस योगा करें ट्राय

इस अभ्यास से गालों की मांसपेशियों में खून का बहाव तेज़ होने से स्किन में कसाव आता है और झुर्रियां काम होती है.

स्टेप –1

अपने होठों को बंद रखते हुए जितना संभव हो सके उतनी बड़ी स्माइल करें.  इसी स्थिति में 10 सेकेंड्स के लिए रुके.

स्टेप-2

फिर अपने होठों से दांतों को ढकते हुते ‘ओ’ का शेप बनाएं.  इस मुद्रा में भी 10 सेकंड्स के लिए रुके.  इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं.

3. नेक लिफ्टिंग करें ट्राय

इससे गर्दन की लटकती हुई स्किन में कसाव आता है और डबल चिन से छुटकारा मिलता है.

स्टेप-1

अपनी उंगलियों को गर्दन के निचले हिस्से पर रखें और होठों को अंदर की तरफ दबाएं.

स्टेप-2

अब गर्दन को धीरे-धीरे ऊपर की ओर जाकर देखें तथा गर्दन को स्ट्रेच करें.

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4. ‘वीबनाना करें ट्राय

इस एक्सरसाइज को करने से आंखों के आसपास की स्किन में कसावट आती है.  कई बार  ज्यादा काम, तनाव या नींद न पूरी होने के कारण आखों के नीचे सूजन आ जाती है.  इस अभ्यास से लटकी हुई स्किन चुस्त होती है तथा झुर्रियां दूर होती हैं.

स्टेप-1

अपनी इंडेक्स और मिडिल फिंगर से ‘वी’ का शेप बनाएं.  अब उंगलियों को अपनी  भौहों के किनारे और चीक बोन पर रखें.

स्टेप-2

उंगलियों से आखों के आसपास की जगह पर जितना हो सके उतना खिंचाव दे, ताकि आप उस खिंचाव को महसूस कर सकें.

स्टेप-3

इस पोजीशन को 10 सेकंड्स तक होल्ड करके रखें.  इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं.  अंत में 30 सेकंड्स के लिए आंखों को बंद करके रिलेक्स करें.

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5. बलून पोज करें ट्राय

इसको करने से चेहरे पर चर्बी नही जमा होती.  खून का संचार ठीक रहता है, जबड़े की हड्डी को मजबूत बनाता है.

स्टेप-1

इस पोज़ में सबसे पहले अपना मुंह खोले .  मुँह में हवा भर कर करीब 10 सेकंड तक चेहरे को ऐसे ही रहने दें.

स्टेप-2

भारी हुई हवा को मोह के अंदर  दाएं-बाएं घुमाएं.  यह क्रिया 5 बार दोहराएं.

कैंडल मसाज थेरेपी से मिलेगी फिट बौडी

वक्त के साथ शरीर और चेहरे में कई बदलाव आते हैं, खासकर महिलाओं की बौडी और स्किन पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बदलती हैं. बढ़ती उम्र के साथ स्किन पर झुर्रियां, मुहांसे, आंखों के चारों तरफ काले घेरे होना, बौडी  लूज होना एक आम बात है. लेकिन बढ़ती उम्र के असर को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता है लेकिन इसके असर को कुछ सालों तक कंट्रोल जरुर किया जा सकता है. बढ़ती उम्र में चेहरे को चमकाने, डबल चिन से मुक्ति पाने के लिए, लूज बौडी  में कसाव लाने के लिए आप कैंडल हौट वैक्‍स मसाज थेरेपी को अपनाएं हौट कैंडल वैक्स मसाज से बढ़ती उम्र में आई चेहरे की त्वचा पर लकीरें छिपाने में मदद मिलती हैं. चेहरे पर पड़ने वाली रिंकल्स और लूज स्किन की प्रौब्लम कम होती है और स्किन टाइट होती है.

क्या है कैंडल हौट मसाज थेरेपी

प्राचीन काल में रानी महारानियां अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए इस थेरेपी का इस्तेमाल करती थी. प्राचीन काल की ये मसाज तकनीक इन दिनों बौडी  स्‍पा सलून में बहुत ज्‍यादा पॉपुलर है. और हो भी क्यों न कैंडल वैक्स थेरेपी बौडी  को रिलैक्स करने का काम जो करती है. क्या है कैंडल वैक्स थेरेपी और इसे बौडी  पर किस तरह प्रयोग करते है इस बारे में बता रही हैं कलर्स ब्यूटी सैलून (शाहदरा) की ब्यूटी एंड मेकअप एक्सपर्ट रेनू माहेश्वरी.

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कैसे प्रयोग करें

इस थेरेपी में कैंडल (मोम)को जलाकर पिघलाया जाता है. जब इससे वैक्स पिघल जाती है तब उसके पिघले हुए लोशन से शरीर के अलग-अलग हिस्‍सों पर इससे मसाज की जाती है. इसमें स्टीम बाथ भी दी जाती है. यदि किसी को स्टीम बाथ पहले लेना है तो स्टीम बाथ लेने के बाद ये ट्रीटमेंट कर सकता है. इससे बौडी  की गंदगी पूरी तरह से निकल जायेगी. बौडी  को ग्लो टोन देने के लिए ये ट्रीटमेंट कर सकते है. उसके बाद हौट टॉवल से शरीर को रैप किया जाता है. इसमें डेड स्किन वाली बौडी को मौइश्‍चराइज किया जाता है. फिर स्किन पर ब्राइटनिंग पैक लगाया जाता है. लोशन में अलग -अलग अरोमा सुगंध भी होती है.

चिकित्सा में भी करें ट्रीटमेंट

किसी को यदि जुकाम, सिर दर्द,उल्टी भी होती है. ये थेरेपी ट्रीटमेंट का काम भी करती है साथ ही ये थेरेपी अनिद्रा में भी सहायता ये कैंडल अलग-अलग टाइप की खुशबू वाली मिलती है जिनमें लेवेंडर एसेंसियल औयल , कोका बटर औयल , रोज़ मैरी औयल  कैंडल और लैमन अरोमा कैंडल होतीहै. इसमें कैंडल के साथ जोजोबा औयल , कोको बटर और विटामिन ई जैसे तेलों का मिश्रण होता है इसल‍िए ये मसाज शरीर के कई ट्रीटमेंट से रिलेटिड समस्‍या को दूर करने का बेहतरीन तरीका है.

1. लेवेंडर एसेंसियलऔयल कैंडल- जोकि सिरदर्द, ब्लडप्रेशर, सनबर्न की प्रौब्लम में सहायता करता है. इसी तरह अलग-अलग कैंडल अलग-अलग ट्रीटमेंट करती है.

2. कोका बटर कैंडल- स्किन की ताजगी के लिए होता है. ये स्किन की झाइयां खत्म करता है.

3. रोजमैरी औयल कैंडल- ये डिप्रेशन, मासपेशियों को आराम देता है.

4. लैमन अरोमा कैंडल-सिरदर्द, दाने, अर्थराइटिस के लिए अच्छा होता है.

5. संदल कैंडल- इसकी मसाज से यूरिन संबंधी समस्याओं से निजाद मिलती है, स्किन की ड्राई नेस को दूर करता है. ये पेन किलर औयल भी होता है. अनिद्रा, ग्लोटोन में भी सहायता करता है.

6.जैसमीन औयल  कैंडल- यह डिप्रेशन की समस्या, साइनस के लिए बहुत अच्छा होता है.

7.जोजोबा औयल कैंडल- झाइयां, पिगमेंटेशन, ब्लेमिश और डार्क सर्कल को दूर करता है.

8. पचौली औयल कैंडल- औयली स्किन और सेंसटिव स्किन के लिए बेस्ट होता है.

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इस थेरेपी के फायदे

-इससे स्किन की चमक बनी रहती है और बेदाग स्किन भी मिलती है. इसके अलावा ये उम्र के साथ ड्राई स्किन की चमक को भी बढ़ाता है.

– स्किन पर ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से होता हैं.

– प्रेगनेंसी के बाद स्किन पर आए स्‍ट्रेच मार्क्‍स को भी कम करती हैं. *एजलाइन छिपाने में मदद मिलती है.

– वजन कम करने के बाद लूज स्किन में भी कसावट लाने का काम करती

मेनीक्‍योर और पेडीक्‍योर भी फायदेमंद

कैंडल मसाज थेरेपी से आप फेस के अलावा मेनीक्‍योर और पेडीक्‍योर भी ले सकते हैं. इसमें हाथ-पैरों के नेल्स को फाइल, शेपिंग, क्‍यूटल पर क्रीम लगाने और सफाई शामिल होती है. इस ट्रीटमेंट में कैंडल की हौट वैक्‍स को मैनीक्‍योर और पेडीक्‍योर में शामिल किया जाता है.

ध्यान देने वाली बातें

प्रेग्नेंट लेडी इस थेरेपी का इस्तेमाल न करें. जिस को इसकी खुशबू पसंद नही हो तो वो कपूर का एक टुकड़ा ले कर हौट कैंडल में दाल दे . पिघले हुए गर्म मोम लोशन में ही कपूर मिक्स हो जाएगा उससे उसकी खुश्बू चेंज हो जाएगी.

हेल्दी गर्ल्स पर खूब जंचेगी विद्या बालन की ये साड़ियां

बौलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन इन दिनों अक्क्षय कुमार के साथ अपनी नई फिल्म ‘मिशन मंगल’ के प्रमोशन में जुटी हुई हैं. प्रमोशन के दौरान विद्या अलग-अलग साड़ियों में नजर आ रही हैं. विद्या को साड़ी पहनना बहुत पसंद है इसीलिए वह आए दिन अपनी साड़ियों की फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. आज हम विद्या की कुछ साड़ियों के बारे में बताएंगे, जिसे आप कहीं भी पार्टी या कैजुअल लुक के लिए ट्राय कर सकते हैं.

1. विद्या की ये साड़ी है पार्टी परफेक्ट

अगर आप पार्टी के लिए कुछ ट्राय करना चाहती हैं तो ग्रीन कलर की साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. वहीं इस ग्रीन साड़ी के साथ कौंट्रास्ट लुक देते हुए डार्क ब्लू परफेक्ट कलर है. ये आपके लुक सभी के बीच अलग लुक देगा. ये आपके लुक को पार्टी परफेक्ट बना देगा.

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2. प्रिंटेड साड़ी करें ट्राय

 

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For the launch of #AlgebraClub in Hyderabad, Saree @houseofmasaba Hair @bhosleshalaka Makeup @shre20 Stylist – @who_wore_what_when

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आजकल प्रिंटेड साड़ियां मार्केट में काफी पौपुलर है. अगर आप भी हेल्दी हैं और अपने आप को ब्यूटीफुल दिखाना चाहती हैं तो विद्या का ये पैटर्न आपके लिए एकदम परफेक्ट है. आप इससे एलिगेंट और फैशनेबल नजर आएंगी. ये आपके लुक पर चार चांद लगा देगा. आप चाहें तो प्रिंटेड साड़ी के साथ विद्या की तरह सिल्वर साड़ी भी कैरी कर सकती हैं.

3. फ्लावर प्रिंटेड पैटर्न है पौपुलर

 

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अगर आफ कुछ ट्रेंडी पैटर्न ट्राय करना चाहती हैं साड़ी के लिए तो विद्या की ये साड़ी आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. फ्लावर प्रिंटेड साड़ी के साथ ब्लैक फुल स्लीव आपके ब्लाउज को सभी के सामने एक अलग लुक दिखाएगा. अगर आप ऐसी साड़ी के साथ ज्वैलरी न डिसाइड कर पा रहे हो तो साड़ी के साथ ज्वैलरी कैरी किए बिना आप एक खूबसूरत लुक पा सकते हैं.

4.  विद्या की तरह खादी साड़ी करें ट्राय

अगर आप कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो विद्या की तरह खादी या सूती साड़ी ट्राय करें. ये आपके हेल्दी लुक को थोड़ा लाइट करेगा. वहीं आप ऐसी साड़ियों के साथ ज्वैलरी ट्राय करने की सोच रही हैं तो विद्या की तरह सिल्वर ज्वैलरी ट्राय कर सकते हैं. ये आपके लुक को फैशनेबल और ट्रैंडी दिखाने में मदद करेगा.

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बता दें, बौलीवुड एक्टर अक्षय कुमार के साथ विद्या कई सालों बाद स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आएंगी. विद्या अक्षय कुमार के साथ ‘हे बेबी’ और ‘भूलभुलइया’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं हैं, जिसमें औडियंस को दोनों की एक्टिंग बेहद पसंद आई थी.

हिमा दास की एथलीट बनने की कहानी

लेखक- आत्मा चौधरी

लगातार 5 गोल्ड मैडल जीतना आसान नहीं होता, मगर हिमा दास ने यह भी कर दिखाया. हिमा ने यह साबित कर दिया कि उन में विश्व विजेता बनने की ताकत है. धान के खेतों से निकली हिमा दास का अब तक का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. जिस हिमा को 2 वर्ष पूर्व उन के पड़ोसी गांव के लोग भी नहीं जानते थे आज विश्व में उन्होंने अपने बलबूते पर अपनी पहचान बनाई है. यही नहीं हिमा ने देश का नाम भी विश्व के खेल जगत में बढ़ाया है. देश के अन्य गांवों की तरह असम में फुटबौल काफी लोकप्रिय खेल है और हो भी क्यों नहीं बाढ़ और कीचड़ भरे मैदान में अगर कोई खेल खेला जा सकता है तो वह फुटबौल ही है. हिमा भी बचपन से फुटबौल के रंग में रंगी हुई थीं. कुछ साल पहले तक अपने खेतों के बीच खाली मैदानों में उन्होंने लड़कों को छकाया था.

फुटबौल से था लगाव

हिमा दास यह बताते हुए भावुक हो जाती है, ‘‘मेरा शुरू से फुटबौल से जुड़ाव था. मेरे पिता भी एक अच्छे खिलाड़ी रहे हैं. पहले मैं ने गांव में फुटबौल खेला, फिर स्कूल में और फिर कुछ स्थानीय क्लबों में भी. हालांकि मुझे यह पता था कि पिता की आर्थिक स्थिति के चलते मैं आगे नहीं जा पाऊंगी.’’

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यह 2016 की बात है जब फुटबौल में हिमा की तेजी देख कर उन के स्कूल के कोच शमशुल शेख ने उन्हें धावक बनने की सलाह दी. कोच के दिमाग में यह भी था कि दौड़ में उस के लिए ज्यादा मौके होंगे. इसलिए उन्होंने उसे यह सलाह दी.

हिमा ने अपने कोच शमशुल शेख की इस सलाह पर फुटबौल को अलविदा कह दिया और ऐथलैटिक्स की व्यक्तिगत ट्रैक स्पर्धा में हाथ आजमाने लगी. मिट्टी के ट्रैक पर कुछ महीने अभ्यास करने और स्थानीय टूरनामैंट में हिस्सा लेने के बाद हिमा ने राज्य स्तर की

एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. यहां उन्होंने 100 मीटर की रेस में कांस्य पदक जीत कर सभी को हैरान कर दिया.

कौमनवैल्थ गेम्स में 400 मीटर की दौड़ में भारतीय एथलीट हिमा दास छठे स्थान पर रही थीं. इस के बाद एक बातचीत में हिमा ने कहा, ‘‘यहां मैं दुनिया के बेहतरीन धावकों के साथ दौड़ी हूं. इस दौरान मैं ने बहुत सी जरूरी बातें सीखी हैं. मैं आप से कहना चाहती हूं कि मैं अगले जिस भी अंतर्राष्ट्रीय टूरनामैंट में हिस्सा लूंगी, स्वर्ण पदक ही जीतूंगी.’’

तब ज्यादातर लोगों ने इस बात को कोई खास तवज्जो नहीं दी थी और इस की वजह भी थी. एक तो यह कि हिमा कोई जानापहचाना चेहरा नहीं थीं, वहीं दूसरी बात यह भी थी कि हिमा को अगली जिस अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना था, वह अंडर-20 की विश्व चैंपियनशिप थी, जिस में अब तक कोई भारतीय धावक पदक हासिल नहीं कर  सका था.

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बहरहाल, इस घटना के बाद लोग हिमा दास का नाम भूल गए, लेकिन असम के एक ग्रामीण इलाके से निकली हिमा अपना वादा नहीं भूलीं और उन्होंने करीब 2 महीने बाद अंडर-20 की विश्व ऐथलैटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया. हिमा ने 51.46 सैकंड के रिकौर्ड समय में अपनी दौड़ पूरी की. वे विश्व ऐथलैटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हैं.

घर वालों को मनाना पड़ा था

कोच निपोन कहते हैं, ‘‘हिमा को बेहतरीन एथलीट बनाना मेरा इरादा था. ऐसे में गुवाहाटी से 140 किलोमीटर दूर नगांव के धींग उस के घर जा कर हिमा के पिता और मां से मिला. वहां जाने पर मालूम पड़ा कि हिमा के पिता धान की खेती करते हैं यानी वे एक किसान हैं. हिमा उन की सब से छोटी बेटी है. उन के पिता को अपने मकसद के बारे में बताया, लेकिन उन के मातापिता अपनी छोटी बेटी को अपने से दूरकरने के लिए राजी नहीं हुए. काफी जद्दोजहद के बाद अंत में मान गए.’’

दानेदाने को मुहताज थीं

देश की नई उड़नपरी हिमा दास के पास आज क्या नहीं है. शोहरत, दौलत और नाम कमाने वाली हिमा कुछ साल पहले तक दानेदाने को मुहताज थीं. गुवाहाटी में किराए के मकान में रहने के दौरान पैसे की कमी के कारण किसी तरह गुजरबसर करने वाली हिमा दास के प्रशिक्षक निपोन दास बड़ी मायूसी से बताते हैं, ‘‘यहां उसे प्रशिक्षण देने के लिए जब नगांव के धींग के उस के घर से गुवाहाटी लाया, तब खानेपीने की समस्या खड़ी हो चुकी थी. मकान का किराया और रसोई गैस के लिए तरसना पड़ा था. 6 अप्रैल, 2017 को असम क्रीड़ा पत्रकार मंच की ओर से हिमा को क्व10 हजार का आर्थिक अनुदान मिला. परेशान हिमा मदद लेने को तैयार नहीं थी, लेकिन मरता क्या नहीं करता. आज वही हिमा जिस शिखर पर पहुंची है वैसी कामयाबी हर किसी को नहीं मिलती.’’

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प्रेग्नेंट वाइफ के साथ लौंग ड्राइव पर निकले कपिल शर्मा, VIDEO वायरल

कौमेडी किंग के नाम से पौपुलर कौमेडियन कपिल शर्मा इन दिनों अपनी वाइफ गिन्नी चतरथ के साथ कनाडा में बेबीमून मना रहे हैं. गिन्नी प्रेग्नेंट हैं इसलिए कपिल उनके साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम बिता रहे हैं. कपिल और गिन्नी बीते 25 जुलाई को मुंबई से कनाडा के लिए रवाना हुए थे, जिसके बाद अब वह गिन्नी के साथ लौंग ड्राइव पर जाते हुए नजर आए. वहीं इसकी फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. आइए आपको दिखाते हैं कपिल के वाइफ गिन्नी के साथ क्वैलिटी टाइम बिताते हुए खास वायरल फोटोज…

कनाडा की वीडियो की थी शेयर

 

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How beautiful is this ? #beautiful #britishcolumbia #nature #naturelovers #love #youandme ❤️

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कपिल ने कुछ दिन पहले ही एक वीडियो को शेयर करते हुए कनाडा की जमकर तारीफ की थी. वीडियो के जरिए कपिल ने बताया था कि उन्हें पसंद है कि वहां के लोग ट्रैफिक रुल्स को काफी सीरियलसी लेते है. साथ ही कपिल ने गुजारिश की थी कि भारत में लोग ऐसे ही ट्रैफिक रुल्स का पालन करें.

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मस्ती करते हुए दिखे कपिल और गिन्नी

कनाडा में कपिल और गिन्नी जमकर मस्ती कर रहे है और हर एक पल को वह बड़ी ही खूबसूरती के साथ कैप्चर भी कर रहे है. हमारे हाथ कपिल और गिन्नी का एक धमाकेदार वीडियो लगा है, जिसमें दोनों लॉन्ग ड्राइव का मजा लेते हुए नजर आ रहे है. इस वीडियो में कपिल गिन्नी से पूछ रहे है कि उन्हें कार राइड कैसा लग रहा है. गिन्नी कपिल का सवाल सुनकर पहले मुस्कुराती है और फिर मुस्कुराते हुए वह कहती है कि उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है और वह इस राइड का जमकर मजा ले रही है.

पापा बनने के बारे में मीडिया को दी ये जानकारी

कपिल ने मुंबई एक इंटरव्यू देते हुए कहा था कि वह जल्द ही पिता बनने वाले है. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि वह इस समय गिन्नी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने की कोशिश में लगे हुए है. कपिल और गिन्नी के घर दिसम्बर के आसपास किलकारियां गूंजने की खबरें है.

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बता दें, कौमेडियन कपिल बीते साल ही अपनी गर्लफ्रेंड गिन्नी चतरथ के साथ शादी के बंधन में बंधे थे. जिसके बाद से वह सातवें आसमान पर है, जहां एक ओर ‘द कपिल शर्मा’ शो रेटिंग्स के मामले में आगे है, तो वहीं जल्द ही पापा बनने से कपिल और उनकी फैमिली बहुत खुश है. कपिल और गिन्नी हाल ही में अपने बेबीमून को लेकर सुर्खियों में छाए हुए थे.

औरतें, पुरूषों से ज्यादा स्ट्रांग हैं -अक्षय कुमार

कभी एक्शन स्टार व खिलाड़ी कुमार के रूप में मशहूर रहे अक्षय कुमार पिछले कुछ सालों से लगातार उन फिल्मों को तवज्जो दे रहे हैं, जो बेहतरीन कहानी व संदेश परक होने के साथ ही नारी सशक्तिकरण की भी बात करती हैं. इन दिनों अक्षय कुमार फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’को लेकर चर्चा में हैं. 15 अगस्त को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘मिशन मंगल’’की कहानी 5 नवंबर 2013 को ‘‘इसरो’’ की पांच महिला वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से मंगल ग्रह पर भेजे गए मंगलयान से प्रेरित है. अक्षय कुमार इस फिल्म के निर्माता होने के साथ साथ विद्या बालन,तापसी पन्नू,सोनाक्षी सिन्हा,कीर्ति कुल्हारी व नित्या मोहन के साथ अभिनय भी किया है.  हाल ही में अक्षय कुमार से उनके आफिस में एक्सक्लूसिव बातचीत हुई,जो कि इस प्रकार रही….

फिल्म ‘‘केसरी’’ के बाद अब ‘‘मिशन मंगल’’ की है. इनमें आप क्या अंतर देखते हैं?

-दोनों फिल्मों की कहानी अलग है. दोनों में एक ही समानता है कि इनके किरदार देश के लिए काम करते हैं. फिल्म ‘केसरी’ का नायक आर्मी से जुड़ा है. इसकी कहानी उन 21 सिखों की है, जिन्होंने दस हजार अफगानी सैनिकों, जो कि आततायी थे, हमारे देश के दुश्मन थे से युद्ध करते हुए देश की सुरक्षा की थी.  जबकि फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ पांच औरतों की कहानी है, जो कि वैज्ञानिक हैं. फिल्म ‘केसरी’ के सिखों ने देश की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए लड़ा था. तो ‘मिशन मंगल’ की पांच वैज्ञानिक औरतें अंतरिक्ष में पहुंचाने की लड़ाई लड़ती हैं और यान को अंतरिक्ष में पहुंचाने में सफल होती है. दोनों फिल्मों की कहानियां अलग हैं. दोनों के कालखंड अलग हैं. ‘केसरी’ का कालखंड 1897, तो ‘मिशन मंगल’ 5 नवंबर 2013 है. हां! मेरी नजर में दोनों के बीच समनता सिर्फ सिर्फ यह है कि दोनों यथार्थप्रद कहानियां हैं, सत्यघटनाक्रम की कहानियां हैं.

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‘‘मिशन मंगल’’ की किस बात ने आपको इस फिल्म से जुड़ने के लिए प्ररित किया?

-इन पांच औरतों के जीवन की निजी कहानियों ने मुझे बहुत पे्ररित किया. दूसरी बात निर्देशक ने सभी कहानियों को जिस तरह से एक कहानी का हिस्सा बनाया. तीसरी बात हिंदुस्तान के वैज्ञानिकों ने वह काम कर दिखाया,जिसे दुनिया के किसी वैज्ञानिक ने नही किया. हमारी पांच महिला वैज्ञानिकों ने महज 450 करोड़ रूपए की लागत से मंगल यान को मंगल ग्रह तक भेजा. जबकि दुनिया के वैज्ञानिकों ने 6 से 7 हजार करोड़ रूपए खर्च किए. हमारे वैज्ञानिकों ने 450 करोड रूपए में एक पूरा सेटेलाइट मंगल ग्रह पर पहुंचा दिया और आज भी वह सेटेलाइट हमें वहां की तस्वीरें भेज रहा है. यह बजट मेरी फिल्म ‘2. 0’के बजट से भी कम है. क्योंकि हमारी फिल्म‘2. 0’पांच सौ करोड़ की लागत से बनी थी. ‘2. 0’ तो एक फिल्म थी यानी कि रील थी,जबकि सेटेलाइट तो रीयल है,यथार्थ है. तो मुझे लगा कि आखिर इस बात को क्यों ना हम लोगों के सामने पहुंचाएं.

दूसरी बात बचपन से यानी कि जबसे मैंने होश संभाला है,तब से जो बात मेरे दिल और दिमाग में खटकती रही हैं,उसका एक सार मेरे दिमाग को मिला कि हमारे देश में बचपन से ही बच्चों के दिमाग में एक गलत बात डाल दी जाती है कि यह काम सिर्फ लड़का ही करेगा और यह काम सिर्फ लड़की करेगी. हमें सिखाया गया कि कुछ नौकरीयां या काम सिर्फ लड़के यानी मर्द कर सकते हैं. यदि बेटी कहती है कि मुझे इंजीनियर बनना है,तो माता पिता कहते हैं कि डॉक्टर बन या बैंक में नौकरी कर या टीचर या नर्स बन, इंजीनियर तो बेटा बनेगा. यदि बेटी कहे कि उसे वैज्ञानिक बनना है,तो मां बाप उसे यह कह कर मना करेंगे कि वैज्ञानिक तो सिर्फ लड़के बनते हैं. पहले तो पायलट भी सिर्फ मर्द ही बनते थे. पर पिछले कुछ वर्षो से बदलाव आया है.

आपको इस तरह की सोच की वजहें क्या में आयीं?

-इस पर मैंने काफी शोध किया. तो मैंने पाया कि खामियां हमारी शिक्षा व्यवस्था में रही है. बचपन से स्कूलों में जो किताबें पढ़ाई जाती थीं,उसमें सारी कहानियां सिर्फ पुरूष प्रधान होती थीं. सिर्फ पुरूषों के कारनामों का जिक्र होता था. बचपन से ही हम लोगों के दिमाग में यह बात घर कर दी जाती थी कि कोई भी बड़ा काम पुरूष ही करेगा. पर अब कुछ किताबें भी बदली हैं. कहानियंा बदली हैं.

यह बदलाव कब शुरू हुआ और कैसे?

-मैं तो अपनी दिमागी सोच बदलने की बात कर सकता हूं. मैं अपने घर में अपनी पत्नी, बेटी,मां,सास और अपनी बहन के साथ रहता हूं. मेरा बेटा तो लंदन में पढ़ाई कर रहा है,तो वह लंदन मेंं ही रहता है. हम छह लोग जब कमरे में होते हैं,तो मैं सोफे पर बैठकर इन पांच औरतों के बीच आपस में हो रही बातचीत सुनता रहता हूं. हमें इनके बीच बोलने का मौका तो मिलता नही है. सिर्फ बातें सुन लेता हूं. इनसे ही मुझे पता चलता है कि अब समाज में क्या बदलाव आ रहा है. इनके बीच जो बातचीत होती है,उससे ही मुझे हमारी फिल्म की कहानी या स्क्रिप्ट की आइडिया मिलती है. मैं अपनी बहन,पत्नी व सास की बातों से पे्ररित होता हूं. मैंने वैज्ञानिक की बातें भी इन्ही के मुंह से सबसे पहले सुनी थी.

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तो क्या किसी फिल्म को करने से पहले आप फिल्म की स्क्रिप्ट इन लोगों को सुनाकर राय लेते हैं?

-ऐसा मौका अभी तक नहीं आया.  लेकिन फिल्म‘‘पैडमैन’’की कहानी तो मेरी पत्नी ने ही दी थी. पर मैं कभी कभी अपनी फिल्मों की जानकारी इनको दे देता हूं.

जगन शक्ति की यह पहली फिल्म है,तो इस तरह के विषय पर उनके साथ फिल्म करते हुए आपको यकीन कैसे आया?

मैने नये पुराने का भेद कभी नहीं किया. मैंने 22 नए निर्देशकों और करीबन 17 से अधिक नई हीरोइनों साथ काम किया है. सच कहूं तो नए निर्देशक और नए कलाकारों के साथ काम करते हुए मैं कुछ ज्यादा ही इंज्वौय करता हूं. आप यकीन करें या ना करें,पर नए कलाकार या निर्देशकों में जो कुछ करने की भूख होती हैं, कुछ नया करने का जो माद्दा होता है, वह बहुत अलग होता है. वह तो काम मिलते ही, उस पर मेहनत करने के लिए टूट पड़ते हैं. फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ के निर्देशक जगन को ना सोए हुए करीबन सवा महिना हो चुका है.  वह सिर्फ काम ही कर रहा है. इस वक्त बेचारा डिजिटल पर लगा हुआ है. कभी कभी वह स्टूडियो में तीन घंटे के लिए सो जाता है. उसकी कड़ी मेहनत ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया. इसी वजह से अब मैं उनके साथ दूसरी फिल्म‘‘इक्का’’भी करने जा रहा हूं.

फिल्म‘‘मिशन मंगल’’की कहानी में क्या खास रहा?

-पहली बात तो पांच महिला वैज्ञानिकों की कहानी है, जो कि मंगल यान को मंगल ग्रह पर भेजने में सफलता पाती हैं. मुझे एक साधारण से असाधारण बनने की यह जो कथा है, उसने प्रभावित किया.

फिल्म के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

-मैंने वैज्ञानिक राकेश धवन का किरदार निभाया है. एक तरह से इन पांचों का बौस हूं, जो यह मंगल यान का मिशन है, उसका मुखिया है, जिसे मिशन निदेशक कहा गया है.

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मिशन निदेशक और किसी भी फिल्म को सफलता की ओर ले जाने की जिम्मेदारी को किस तरह से देखते हैं?

-दोनों की जिम्मेदारी एक ही है. दोनों की जिम्मेदारी आगे बढ़ने की है. एक अपनी फिल्म को आगे ले जाना चाहता है, दूसरा अपने मिशन को. वैज्ञानिक अपने सेटेलाइट या रौकेट को मुकाम तक पहुंचाना चाहता है. फिल्म का नायक अपनी फिल्म को मुकाम तक पहुंचाना चाहता है.

फिल्मों के विभाजन को आप कितना उचित मानते हैं. कहीं सोनाक्षी सिन्हा ने कहा है कि अक्षय कुमार की फिल्मों को पुरूष प्रधान क्यों नही कहा जाता?

-आए दिन हजारों बयान आते रहते हैं. इन बयानों पर ध्यान नहीं देता. मेरे हिसाब से तो फिल्मों का विभाजन नहीं होना चाहिए. क्योंकि महिला प्रधान या पुरूष प्रधान फिल्म नहीं होती, सिर्फ कहानी प्रधान फिल्म होती है.

गंभीर विषयों पर काम करते हुए अचानक आप‘‘हाउसफुल 4’’जैसे कॉमेडी फिल्म कर लेते हैं. तो क्या यह रिलेक्स करने का मसला है?

-रिलेक्स करने का मसला है. इसके अलावा मैं एक ही ढर्रे पर काम नहीं करना चाहता. इसीलिए दो इस तरह की फिल्में कर लीं,दो उस तरह की. सच यह है कि मैं तो फिल्म इंडस्ट्री में सांस ले रहा हूं. देखिए,हम कभी दाई नाक से, तो कभी बांई नाक से सांस लेते हैं. यही वजह है कि कभी मैं ‘ट्वौयलेट एक प्रेम कथा’ व ‘पैडमैन’ जैसी फिल्म करता हूं. जब रिलेक्स होना होता है तो ‘हाउसफुल’ जैसी फिल्म कर लेता हूं. इसी तरह से मेरे करियर का ग्राफ बनता रहता है.

आपने कल एक बाइक की एड फिल्म की है. शायद अपनी पत्नी के साथ ऐसा पहली बार आपने एड किया है?

-जी नहीं!मैंने अपनी पत्नी के साथ इससे पहले तीन विज्ञापन फिल्में की हैं, जिसमें से एक ‘पी सी ज्वेलर्स’ की एड है. उनके साथ यह मेरी चौथी एड है.

आपको नहीं लगता कि आपको बहुत पहले बाइक की ऐड मिलनी चाहिए थी?

-सर जी. . मैं पिछले नौ साल से हौंडा कंपनी का ब्रांड अम्बेसडर हूं. पर यह पहली बार है,जब इस एड में मेरी पत्नी मेरे साथ हैं.

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अपने तीस साल के करियर में किसे टर्निंग प्वाइंट मानते हैं?

-आप तो बहुत पुराने हैं. आपने मेरे कई इंटरव्यू किए हैं. मेरे बारे में तो आप बहुत कुछ जानते हैं. फिर भी सवाल कर रहे हैं. मेरे करियर में तो  हर पांच छह साल में टर्निंग प्वाइंट आता रहा है. मेरे कैरियर में टर्निंग प्वाइंट बहुत रहे हैं. मैने 16 असफल फिल्में दी. लोगों ने कह दिया कि अब तो ‘यह गया’. पर मैंने फिर से धुंआधार सफलता पायी. एक दो नहीं बल्कि 12 सुपरहिट फिल्में दीं. उसके बाद लगातार कई असफल फिल्में दी. मैने अपने करियर में ‘गया . . . गया’ की आवाजें बहुत सुनी हैं. और कुछ समय बाद ‘फिर आ गया. फिर आ गया’भी बहुत सुना. मेरे साथ ऐसा दो तीन बार हो गया. जबकि अमूमन किसी के करियर में इतनी बार नही होता है.

किस फिल्म को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं?

-मेरी दो फिल्में हैं. ‘जानवर’और ‘संघर्ष’. इनकी वजह से मेरे करियर में बहुत कुछ बदलाव आया.

आप एक फिल्म ‘‘गुडन्यूज’’कर रहे हैं, जो कि महिलाओं से संबंधित हैं और संभवतः सरोगेसी पर है?

-आप कहानी के काफी नजदीक हो, पर कुछ गलत हैं. जब इस फिल्म को लेकर हम चर्चा करेंगे, तभी बात करेंगे. मेरी राय में आप अभी भी थोड़ा गलत हो. पर जो आप बोल रहे हैं, उसी के इर्द-गिर्द कहानी है.

‘‘मिशन मंगल’’से आप लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

-हमारी फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ का संदेश साफ है कि औरतें, पुरूषों से ज्यादा ताकतवर हैं.  मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारा देश अब साइंस, टेक्नोलौजी शिक्षा, गणित में तेजी से आगे बढ़ रहा है. मैं कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार इस पर काफी ध्यान दे रही है. मैनें कहीं अच्छी बात पढ़ी कि पहले अंतरिक्ष तकनीक को लेकर सरकार का बजट सिर्फ दो तीन प्रतिशत होता था. पर इस नयी सरकार ने इसका बजट 18 प्रतिशत कर दिया है. क्योंकि अब हमारी सरकार यकीन करती है कि हमारे जो वैज्ञानिक हैं,हमारा जो दिमाग है,वह बहुत तेज है और बहुत तेजी से काम कर सकता है. अब हमारे वैज्ञानिक वह काम कर सकते हैं, जिसे विश्व में किसी ने न किया हो.

सरकार मंदिरों के चढ़ावे का भी ले हिसाब

जगन्नाथपुरी, तिरुपति बालाजी, पद्मनाभस्वामी जैसे मंदिरों की संपत्ति कितनी है, इस के बारे में केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है. किसी को अनुमति ही नहीं है कि उसे आंकने की कोशिश करे. वैसे भी गिनती कर के करना क्या है, क्योंकि यह सारी संपत्ति चंद पुजारियों की है जो खुद नहीं जानते कि वे इस बिना कमाई के पैसे का क्या कर सकते हैं.

मंदिरों को आज से नहीं हजारों सालों से भरपूर चंदा मिलता रहा है. धर्म की सफलता ही इस बात में रही है कि इस ने घरों से, औरतोंबच्चों के मुंह से निवाला छीनने में कसर नहीं छोड़ी. मिस्र के विशाल मंदिर और पिरामिड इस बात के सुबूत हैं कि घरों की मेहनत को निठल्ले पुजारियों के कहने पर राजाओं ने निरर्थक चीजों पर बरबाद कर दिया.

आज हम इन मंदिरों को देख कर आश्चर्य प्रकट कर लें पर सवाल उठता है कि इतनी मेहनत कराई क्यों गई थी? इस से जनता को क्या मिला?

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जैसे तब के मंदिरों को जम कर लूटा गया और हर राजा विशाल और विशाल मंदिर बनाता रहा कि उस में चोरी न हो पाए ऐसे ही आज के मंदिरों में चोरियों का डर लगा रहता है. किसी भी मंदिर में चले जाएं, वहां बढि़या से बढि़या तिजोरी मिलेगी जिस पर 8-8, 10-10 ताले लगे होंगे. मोटी स्टील की बनी इन हुंडियों में डाले पैसे पर न तो चोरों से भरोसा है न पुजारियों से. आज भी हर मंदिर चढ़ावे का हिसाब देने से कतराता है.

जगन्नाथपुरी मंदिर के रत्न भंडार की चाबियां सालभर से गायब हैं और उच्च न्यायालय व सरकार दोनों माथापच्ची कर रहे हैं कि चाबियां कौन ले गया, क्यों ले गया और कैसे डुप्लिकेट चाबियों से काम चलाया जा रहा है जबकि डुप्लिकेट चाबियां होनी ही नहीं चाहिए.

होना तो यह चाहिए कि मंदिर अगर सचमुच में किसी भगवान का केंद्र है तो वहां न संपत्ति होनी चाहिए और न ही कोई निर्माण. अगर प्रकृति का निर्माता हजारोंलाखों दूसरी चीजें बना सकता है तो अपने बनाए इंसान से अपनी पूजा करवाने के लिए मंदिर क्यों बनवाता है? मंदिर तो सदियों से चली आ रही धार्मिक चाल का परिणाम हैं जहां लोगों को इकट्ठा कर के खुशीखुशी लूटा जाता है. लोगों को कच्चे घरों में भूखा रख कर पक्के मंदिरों में भरपूर खाने के साथ ला कर सिद्ध किया जाता है कि देखो, मंदिर कितना शक्तिशाली है.

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औरतों को इसीलिए धर्म का अंधा बनाया जाता है ताकि वे अपना और बच्चों का पेट काट कर मंदिर में तनमन और धन तीनों दें. इस का हिसाब कोर्ट न ले.

पुरानी ‘कोमोलिका’ से डरे ‘अनुराग-प्रेरणा’, वीडियो वायरल

सीरियल क्वीन कही जाने वाली एकता कपूर के आइकौनिक टीवी शो ‘कसौटी जिंदगी का’ का रीबूट वर्जन यानी ‘कसौटी जिंदगी का 2’ लोगों के बीच खासा पौपुलर हो रहा है. वहीं शो के ‘अनुराग-प्रेरणा’ यानी पार्थ समथान और एरिका फर्नौंडिस की जोड़ी भी लोगों के बीच पौपुलर हो गई है. हाल ही में पार्थ और एरिका ‘नच बलिए 9’ के सेट पर पहुंचे, जिसके बाद पुरानी ‘कोमोलिका’ यानी उर्वशी ढोलकिया अपने ‘कोमोलिका’ के कैरेक्टर में अनुराग प्रेरणा को परेशान करती नजर आईं. आइए आपको बताते हैं पूरा किस्सा…

नच बलिए 9 के सेट पर पहुंचे ‘अनुराग-प्रेरणा’

‘कसौटी जिंदगी की 2’ के एक्टर्स पार्थ समथान हाल ही में अपनी को-स्टार एरिका फर्नांडिस के साथ ‘नच बलिए 9’  के सेट पर पहुंचे थे, जिसमें टीवी की दुनिया की ओरिजनल ‘कोमोलिका’ उर्वशी ढोलकिया प्रतियोगी के तौर पर नजर आ रही हैं.

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”कोमोलिका” के कैरेक्टर में आई उर्वशी

उर्वशी ढोलकिया ने आज के जमाने के अनुराग और प्रेरणा को सेट पर देखा, वैसे ही उनके अंदर की कोमोलिका जाग उठी और सेट पर सभी की सांसे थम गई, जिसके बाद ‘कोमोलिका’ के अवतार में ‘अनुराग और प्रेरणा’ को परेशान करना शुरू कर दिया.

सोशल मीडिया पर उर्वशी ने शेयर की वीडियो

उर्वशी ढोलकिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो भी पोस्ट किया है. उर्वशी ने ये वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ‘भरोसा रखिए ‘कोमोलिका’ ‘अनुराग’ को कभी भी नहीं छोड़ेगी…’ के कैप्शन के साथ शेयर किया है. वीडियो में ‘अनुराग और प्रेरणा’ दोनों मिलकर भी असली ‘कोमोलिका’ का सामना नहीं कर पा रहे हैं.

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बता दें, ‘कसौटी जिंदगी की सीजन 2’ की बात की जाए तो यह औडियंस के बीच काफी पौपुलर हो रहा है. शो हर हफ्ते टीआरपी लिस्ट में भी अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहा है. वहीं ‘कोमोलिका’ के कैरेक्टर में हिना खान भी औडियंस के बीच जगह बना चुकी हैं. साथ ही अब ‘मिस्टर बजाज’ यानी करण सिंह ग्रोवर भी लोगों को अपनी ओर अट्रेक्ट करने में कामयाब हो रहे हैं.

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