मेकअप से छुपाएं आंखों के नीचे की झुर्रियां

क्‍या आप उन औरतों में से एक हैं जिनकी आंखों के नीचे झुर्रियां पड़ती हैं. अगर ऐसा है तो आप इसे मेकअप के जरिए छुपा सकती हैं.

आपको इसके लिए अपने चेहरे के मेकअप को बिल्‍कुल सिंपल रखना होगा. अगर आप उस स्‍थान पर शिमर लगाएगीं तो वह उल्‍टा हाइलाइट हो जाएगा और आपकी झुर्रियां और दिखने लगेगीं.

इससे पहले की आप अपनी आंखों पर मेकअप करने जा रहीं हैं तो आंखों को बरफ के टुकड़े से मसाज जरुर कर लें.

  1. आंखों के नीचे पड़ी झुर्रियों को दूर करने के लिए कंसीलर या लिक्वड फाउंडेशन का उपयोग करें. लगाने के कुछ देर बाद रुके और उसके बाद कंपैक्‍ट लगा कर फाउंडेशन को सेट होने दें.
  2. आप चाहें तो आउटलाइन करने के लिए काली से काली आइ लाइनर या पेसिंल को चुनाव कर सकती हैं. डार्क आउटलाइन आपकी झुर्रियों पर किसी की नज़र को नहीं जाने देगीं.
  3. अपने कॉप्‍लेक्‍शन के हिसाब से ही आइ शैडों का चुनाव करें. हल्‍की त्‍वचा के लिए आप ब्राइट ब्‍लू,ग्रीन और ग्रे ले सकती हैं जबकि सांवली त्‍वचा के लिए प्‍लम,पिंक और ग्रेप कलर का चुनाव कर सकती हैं. इससे आपकी आंखें बड़ी और चमकदार बनेगीं.
  4. आप चाहें तो मसकारा का प्रयोग कर के अपनी बरौनियों को हाइलाइट कर सकती हैं. बड़ी बड़ी बरौनियां आपकी झुर्रियों को छुपाने में बहुत मददगार साबित होगीं.
  5. गालों पर शिमर का कम प्रयोग करें वरना आपकी झुर्रियां पर लोगों का ध्‍यान ज्‍यादा पड़ेगा. कम शिमर या फिर हल्‍का शिमर जो आपकी त्‍वचा से मिलता जुलता हो,उसी का प्रयोग करें.
  6. एलोवेरा का रस फ्रिज में रखें और इससे अपनी त्‍वचा पर मसाज करें. यह स्‍किन को कोमल और झुर्रियों को मिटाने का काम करता है.

सर्दियां : फन्नी दिखने का मौसम

सर्दी शुरू होते ही महिलाओं के पहनावे में खासा बदलाव आ जाता है. सर्दी से बचने के लिए महिलाएं कई तरीके इजाद करती हैं. कुछ इस मौसम को फैशन सीजन समझती हैं. कुछ महिलाएं ऐसे परिधान पहनती हैं कि उन्हें देख कर सर्दी में भी पसीना आने लगता है और मन बारबार हंसने को करता है.

तो आइए, कुछ महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कुछ ऐसे ही परिधानों के बारे में जानते हैं, जिन्हें देख कर आप भी हंसे बिना नहीं रह पाएंगी.

हर महिला सुंदर दिखना चाहती है और इस का सब से बड़ा उदाहरण आप सर्दी के मौसम में देख सकती हैं. बदलते मौसम में भी ये खुद को सब से अलग दिखाना पसंद करती हैं. कभीकभी उन का यह अलग लुक फन्नी लुक भी बन जाता है.

अब आप खुद लीजिए. आज की युवा लड़कियों को सिर पर टोपा, गले में मफलर, लौंग जैकेट, लेकिन नजर जब उन की टांगो पर पतली सलवार या चूड़ीदार पर जाएगी तो आप को पसीना आना तय है. आप यही सोचती रह जाएंगी भला यह कौन सा फैशन है? सिर में ठंड, तन में ठंड हाथों में ठंड, लेकिन टांगों पर ठंड नहीं.

ऐसे कई अंदाज में आप को महिलाओं का यह अजबगजब फन्नी लुक देखने को मिल जाएगा.

पतली औरत भी बन जाती है मोटी

अब जो महिलाएं बहुत ज्यादा पतली होती हैं उन के लिए तो मानो गुब्बारे में हवा भरने जैसी बात हो जाती है. स्वैटर के बोझ में बेचारियां दबती चली जाती हैं. स्वैटर पर स्वैटर, जो उन्हें मोटा दिखाने के लिए काफी होते हैं, लेकिन जनाब कभी इन के मोटे शरीर से नजरें हटा कर इन के चेहरे पर गौर कीजिएगा. अरे, शरीर पर तो स्वैटरों की परत चढ़ा ली, लेकिन चेहरे का क्या. जरा सोचिए जब शरीर मोटा हो और चेहरा वैसा ही सूखा तो वह कितना फन्नी लगता होगा.

पहचानना मुश्किल है

कुछ महिलाएं इस दौरान अपने चेहरे को इस कदर ढक लेती हैं कि उन्हें पहचानना भी मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि कोई पति अपनी पत्नी को या कोई बौयफ्रैंड अपनी गर्लफ्रैंड को पहचानने से पहले जरूर 10 बार सोचता है. थोड़ी ठंडी हवा चली नहीं कि खुद को ऐसे ढक लेती हैं मानो ठंड का सब से ज्यादा असर उन्हें ही हो रहा है.

मफलर वूमन

सर्दी का मौसम क्या आता है सोशल मीडिया पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सब से पहले निशाने पर होते हैं. कोई उन्हें आ गया मफलर मैन तो कोई मफलर पुरुष जैसे फन्नी उपनाम से नवाजते हैं.

इतना ही नहीं केजरीवाल का मफलर पहनने का ढंग आजकल फैशन आइकौन भी बन गया है. कुछ महिलाएं केजरीवाल टाइप मफलर में खूब देखी जाती हैं. अगर आप यह सोच रही हैं कि केजरीवाल मफलर है क्या तो चलिए आप को बता देते हैं.

दरअसल, ठंड के दिनों में केजरीवालजी मफलर का इस्तेमाल जरूर करते हैं. उन का मफलर पहनने का स्टाइल बहुत अलग होता है. वह सिर से ले कर गरदन तक मफलर में खुद को लपेट लेते हैं. यह केजरीवाल मफलर लुक इतना फेमस हो गया है कि सोशल मीडिया पर इस के मीम भी बनने लगे हैं.

कई महिलाएं और पुरुष इस केजरीवाल मफलर अंदाज में नजर आने लगे हैं. वे खुद को इस कदर मफलर में लपेटे रहते हैं मानो मफलर हटा और ठंड इन्हें ही गले लगा कर बैठ जाएगी.

मोजों और चप्पलों की लड़ाई

ठंड से बचने के लिए हम तमाम नुसखे अपनाते हैं और ये नुसखे अपनातेअपनाते हम कभीकभी खुद को एक फन्नी लुक भी दे देते हैं.

अब आप काम पर जाने वाली महिलाओं को ही देख लीजिए. सर्दी से बचने के लिए खुद को पूरा पैक तो कर लेती हैं, लेकिन क्या आप ने कभी इन के पैरों पर गौर किया है. यकीन मानिए आप की हंसी नहीं रुकेगी.

मोजों और चप्पलों की लड़ाई देखने में बहुत मजा आता है. अब ये मोजे ऐसे पहन लेती हैं जो चप्पलों को उंगलियों के बीच आने से रोकते हैं. पूरा रास्ता यह लड़ाई चलती है और कभीकभी इस लड़ाई में महिला गिरने से बचने के लिए संभलती फिरती दिखती है.

सर्दी में नो मैचिंग

सर्दी भी कमाल का मौसम है. कभी आलस की रजाई से ढक लेता है तो कभी रंगबिरंगे कपड़ों की पोटली में बांध देता है.

सर्दी से बचने के लिए कई बहाने ढूंढ़े जाते हैं. जो महिलाएं हमेशा खुद को फैशन में ढाल कर रखती थीं, जो हमेशा हर चीज मैच कर के पहनती थीं सर्दी आते ही आप देखेंगी कि उन के हाथों के दस्ताने अलगअलग रंग के हैं. थोड़ा और गौर करेंगी तो इन के मोजे भी आप को रंगबिरंगे दिखाई देंगे. फिर दिन में थोड़ी गरमी लगने पर जब ये महिलाएं अपना स्वैटर उतारती हैं तो आप देखेंगी कि इन की साड़ी अलग और ब्लाउज अलग नजर आएगा. यानी सर्दी एक ऐसा मौसम है जो कुछ भी करवा सकता है.

मंकी कैप का जादू

आप ने पुरुषों को सर्दियों में मंकी कैप पहने जरूर देखा होगा. लेकिन जरा सोचिए, अगर यह मंकी कैप महिलाएं पहनें तो कैसा लगेगा. यह सोच कर ही हंसी आने लगती है कि मंकी कैप और वह भी महिलाएं. कितना फन्नी लुक लगेगा जब महिलाएं मंकी कैप में नजर आएंगी.

बाहर तो महिलाएं मंकी कैप का इस्तेमाल नहीं करतीं, लेकिन जब वे घर पर होती हैं तो सर्दी से बचने के लिए मंकी कैप का जादू ही काम आता है.

दरअसल, मंकी कैप सिर से ले कर गरदन तक ठंड से बचाव करता है और महिलाएं जब घर पर होती हैं तो इस मंकी कैप को पहन कर ठंड से तो बचती ही हैं, साथ ही क्यूट और फन्नी लुक में भी नजर आती हैं.

केले का कबाब बनाने की रेसिपी

सामग्री

– कच्चे केले (04 नग)

– कुट्टू का आटा (01 कप)

– अदरक (01 छोटा टुकड़ा कद्दूकस किया हुआ)

– भुनी हुई खड़ी धनिया (02 चम्मच पिसी हुई)

– लाल मिर्च पाउडर (1/2 चम्मच)

– छोटी इलायची (03 पिसी हुई),

– नींबू का रस  (1/2 चम्मच)

– हरी मिर्च (02 नग)

– हरी धनिया (01 बड़ा चम्मच कटी हुई)

– घी (तलने के लिए)

– सेंधा नमक/नमक (स्वादानुसार)

केले का कबाब बनाने की विधि :

– सबसे पहले केलों को पानी में डाल कर उबाल लें.

– उबले हुए केलों को छीलकर एक बर्तन में रख लें.

– उबले हुए केलों में अदरक, इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह से मैश कर लें.

– इसके बाद इसमें 1/4 कप कुट्टू का आटा, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च, हरा धनिया, नींबू का रस और सेंधा नमक/नमक अच्छी तरह मिक्स करके गूंथ लें.

– अब इस मिश्रण के मनचाहे आकार के कबाब बना लें और उन्हें बचे हुए सूखे कुट्टू के आटे में लपेट लें.

– अब गैस पर एक कड़ाही में घी गर्म करें.

– घी गर्म होने पर उसमें एक बार में तीन से चार केले के कबाब डालें और लाइट ब्राउन होने तक उलट-   पुलट  कर फ्राई कर लें.

– अब आपके स्वादिष्ट केले का कबाब तैयार हैं.

– इन्हें गर्मा-गरम प्लेट में निकालें और मनचाही चटनी के साथ आनंद लें.

विंटर बैग्स के 7 नए अंदाज

फ्रिंज बैग

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यह विस्तृत शृंखला है, जैसे टौप हैंडल बैग, क्रौसबौडी बैग, मिनी बैग, बकेट बैग आदि.

बीडेड बैग

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उन ट्रैंड्स में से एक जो खरीदने लायक हैं. यह आप को अपने युवा दिनों में ले जाता है. श्रिप्स की संस्थापक हन्ना वीलैंड को इन बैगों की वापसी के लिए काफी हद तक श्रेय दिया जाता है. वे कहती हैं कि बैग आप की बांह पर आभूषण पहनने के विचार से प्रेरित आप को विशेष महसूस कराता है.

माइक्रो बैग

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ज्यादातर सैलिब्रिटीज इस  बैग को कैरी करती दिख जाएंगी. हालांकि शायद यह बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल न हो, लेकिन यह इस सीजन का सब से सजीला ट्रैंड है. यह फौर्मल ड्रैस के साथ अच्छा दिखता है. काम के बाद के समय के लिए परफैक्ट है. इस मिनी बैग ट्रैंड ने मल्टीपल बैग ट्रैंड को भी मोशन दिया है.

क्लीयर हैंडबैग

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जब से टीवी चैनलों द्वारा पीवीसी बैग दिखाए जाने लगे हैं, तब से ब्रैंड उन पर काम कर रहे हैं. अब यह ट्रैंड फैशन क्राउड तक पहुंच गया है. लुक से ज्यादा जो इसे दिलचस्प बनाता है, वह यह कि आप इस के अंदर क्या रखती हैं.

एक्सएक्सएल टोट्स और ओवरसाइज्ड होबोस

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ज्यादा बड़े बैग का चलन फिर लौट आया है. फैशन बिरादरी द्वारा अनुमोदित एक बड़ा और फंक्शनल बैग हर महिला के सपने सच होने की तरह है. अपने काम के लिए टोट्स और बाकी सभी के लिए होबोस को सही रंग में चुनें.

मौक क्रौक

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मौक क्रौक बैग मौसम की बनावट हैं. रंगीन पैलेट जो इस में आते हैं, वे बहुत ही बेहतरीन और नारीत्व वाले दिखते हैं और इसे एक आदर्श वर्क वार्डरोब स्टैपल बनाते हैं.

बकेट बैग

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बकेट बैग को आप काम, लंच डेट या वीकैंड यात्रा में भी ले जा सकते हैं.

– भव्या चावला

(चीफ स्टाइलिस्ट, वूनिक)

महिलाओं के लिए डाइट ड्रिंक है जानलेवा, जानिए कारण

आज लोगों में डाइट सोडा या आर्टिफिशियल स्वीटनर ड्रिंक्स का फैशन तेज हुआ है. इसके पीछे वजह है वजन के बढ़ने का डर. लोग पने वजन को कम रखने के लिए या कहें तो अपने वजन को काबू में रखने के लिए इस तरह के ड्रिंक्स का इस्तेमाल शुरु किया है. पर हाल ही में हुई एक स्टडी में एक चौकाने वाला खुलासा हुआ है. अमेरिका में हुई एक स्टडी के रिपोर्ट्स की माने तो  दिनभर में दो या उससे ज्यादा आर्टिफिशियल ड्रिंक्स का सेवन करने वाली महिलाओं में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और जल्दी मौत होने का खतरा अधिक होता है.

इस स्टडी के मुताबिक महिलाएं जो दिन में दो या इससे अधिक बार डाइट सोडा का सेवन करती हैं उनमें स्ट्रोक का खतरा 31 फीसदी अधिक होता है, उनकी तुलना में जो इस तरह के किसी भी ड्रिंक का सेवन नहीं करती हैं. इसके अलावा इन ड्रिंक्स का सेवन करने वाली औरतों में 29 फीसदी अधिक दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, वहीं 16 फीसदी समय से पहले मौत होने का खतरा दूसरी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है.

स्टडी में ये बात भी सामने आई कि जिन महिलाओं को पहले से दिल की बीमारी है या डायबिटीज है, उनमें डाइट ड्रिंक के सेवन से अधिक नुकसान पहुंचता है. मोटापा से पीड़ित लोग भी इससे बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.

आपको बता दें कि इस स्टडी में करीब 80,000 महिलाओं को शामिल किया गया है. इससे महिलाओं के तीन महीने के ड्रींक हिस्ट्री के बारे में जानकारी मांगी गई.  शोधकर्ताओं ने बताया कि पिछली स्टडीज में डाइट ड्रिंक्स से होने वाली दिल की बीमारी के खतरे पर ज्यादा जोर दिया गया है. लेकिन नई स्टडी में इसके कारण अलग-अलग तरह के स्ट्रोक के खतरों के बारे में बताया गया है. इसके अलावा इस स्टडी में ये भी बताया गया है कि किन लोगों में ये खतरा अधिक होता है.

ऐसे बनाएं दही वाले आलू

 सामग्री

– आलू (मीडियम साइज़, उबले हुए)

– दही  1/2 कप (फेंटा हुआ)

– तेल (02 बड़े चम्मच)

– हरी धनिया (02 बड़े चम्मच बारीक कटी हुई)

– हरी मिर्च (2-3 बारीक कटी हुई)

– धनिया पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

– जीरा (1/2 छोटा चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हल्दी पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हींग (01 चुटकी)

– नमक ( स्वादानुसार)

दही वाले आलू बनाने की विधि :

– सबसे पहले उबले हुए आलुओं को छील कर हाथों से उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें.

– इसके बाद एक पैन गरम करें और उसमें 2 बड़े चम्मच तेल डाल दें। तेल गरम होने पर उसमें हींग और     जीरे का तड़का लगायें।

– जीरा भुनने के बाद, पैन में हरी मिर्च, धनिया पाउडर और हल्दी पाउडर डाल दें और चलाते हुए भूनें.

– मसाला भून जाने पर उसमें आलुओं को डालें और चलाते हुए 2 मिनट तक भूनें.

– आलू भुन जाने पर पैन में 1 1/2 कप पानी डालें और सब्जी को ढक कर पकायें। जब सब्जी में उबाल   आने लगे, उसका ढ़क्कर हटा दें।

– अब पैन में लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें और चला दें.

– इसके बाद दही (फ्रिज से 20-25 मिनट पहले निकला हुआ) को धीरे-धीरे पैन में डालें और चम्मच से लगातार चलाते रहें.

– दही डालने के बाद सब्जी को चलाते हुए 4 मिनट तक आंच पर पकायें और हरी धनिया से गार्निश करके गैस बंद कर दें.

– आपकी स्वादिष्ट आलू दही की सब्जी तैयार है.

अब इसे गर्मा-गरम प्लेट में निकालें और रोटी, परांठा या फिर पूरी के साथ इसका आनंद लें.

अच्छी बचत करने के लिए जरूरी हैं ये तीन बातें, आज ही गांठ बांध लें

जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य होता है बचत. किसी तरह से लोग अधिक से अधिक बचत के तरीकों की खोजबीन में लगे रहते हैं. पर जिस तरह से लोगों की जरूरतें और महंगाई में तेजी आई है, बचत किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. यही कारण है कि तरह तरह की टिप्स के लिए लोग फाइनेंशियल प्लैनर्स की मदद लेते हैं. पर इस खबर में हम आपके लिए लाएं है कुछ खास टिप्स जिसको अपना कर आप अच्छे रकम की बचत कर सकेंगी. तो आइए जाने बचत से जुड़ी तीन बातें.

टारगेट बनाएं

किसी भी चीज की सफलता के लिए जरूरी है कि आप उसके लिए फोकस हों. बचत आसान नहीं होता. इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी बचत के बारे में बेहतर जाने, समझें. आप अपने गोल के बारे में अच्छे से समझे, जाने. इससे आपके सेविंग्स में खासा मदद मिलेगी.

समय का महत्व समझें

सेविंग्स के लिए समय के महत्व को समझना जरूरी होता है. अगर आप इसके महत्व को समझें तो अपने गोल को हासिल करने में परेशानी नहीं होगी.

बेहतर कमाई के लिए जरूरी है बेहतर निवेश

अधिक कमाई के विकल्पों को तलाशें. बस ध्यान रखें कि इसमें आप किसी गलत रास्ते पर ना चले जाएं. कमाई के जो भी सही रास्ते हैं उनका चुनाव करें. कमाई के साथ साथ निवेश बहुत जरूरी है. निवेश ना सिर्फ बचत का एक सुरक्षित माध्यम माना जाता है बल्कि इससे हमारे रकम में बढ़ोत्तरी भी होती है. इस लिए बेहतर कमाई के लिए जरूरी है कि आप निवेश पर खासा जोर दें.

‘तीन तलाक’ पर फिल्म बनाना आसान नहीं था : अलीना शेख

तीन तलाक एक ऐसा संजीदा विषय है, जिस पर सालों से बातचीत चल रही है, पर उसका कोई परिणाम आजतक देखने को नहीं मिला. सालों से मुस्लिम महिलायें इससे पीड़ित हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए डा अलीना खान जो एक डाक्टर हैं और इंटेसिव केयर स्पेशलिस्ट हैं. काम के दौरान उन्होंने ऐसी कई महिलाओं की आपबीती कहानियां सुनी और इस दिशा में कुछ काम करने की इच्छा से उन्होंने फिल्म ‘कोड ब्लू’ का निर्देशन राहत काजमी फिल्म्स के बैनर तले किया. जिसे बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया.

इस फिल्म को बनाने की वजह के बारें में पूछे जाने पर अलीना कहती हैं कि मैं एक डाक्टर हूं और जिस लड़की की कहानी फिल्म में है, वह मेरे बहुत करीब है और मैंने उसकी मुश्किलों को नजदीक से देखा है. इसी से मेरे अंदर प्रेरणा जगी और मैंने फिल्म बनायी. इसमें दिखाई गयी सारी कहानियां रियल है और मैं इसे दर्शकों के सामने लाना चाहती हूं.

अलीना का आगे कहना है कि हमारा मुस्लिम समाज पुरुष प्रधान है ऐसे में महिलाओं की बातें कोई नहीं सुनना चाहता, पर मैं एक शिक्षित परिवार में पली बड़ी हुई हूं, जहां मुझे अपनी बात कहने का हक है और वे पूरी तरह से इसे सपोर्ट करते हैं, लेकिन मेरी सुरक्षा को लेकर थोड़ी चिंता थी. इसके अलावा इस फिल्म को करने के लिए मैंने अपने कैरियर को एक साल के लिए स्थगित रखा. मेरी फिल्म तीन ऐसे शब्दों पर आधारित है, जो तीन सेकेंड में लाखों महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर देती है. तीन तलाक एक ऐसी विवादित प्रथा है जिसके जरिये एक मुस्लिम पुरुष को ये हक है कि वह तीन बार ‘तलाक’ बोलकर अपनी पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ सकता है. वो तलाक न सिर्फ मौखिक रूप से दे सकता है, बल्कि ऐसा वह लिखित और इलेक्ट्रोनिक फौर्म में भी कर सकता है. इस फिल्म के द्वारा इसके दुष्परिणाम को दिखाने की कोशिश की है. इसमें मैंने कई सौ महिलाओं से बातचीत की है. ये डाक्युमेंट्री नहीं, बल्कि एक आम फिल्म है, जिसे सबको देखना चाहिए.

असल में तीन तलाक मुस्लिम पुरुष के लिए अपनी पत्नी से छुटकारा पाने का एक आसान तरीका है, इसके लिए उसे किसी ठोस वजह की जरुरत नहीं होती. इसके लिए निकाह हलाला की प्रथा को भी निभाना पड़ता है, जिसमें अगर तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने पहले पति के साथ दुबारा रहना हो तो ऐसे में उस महिला को पहले दूसरी शादी करनी पड़ती है. भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन (बीएमएमए) ने इस प्रथा के विरोध में पुरजोर आवाज उठाई थी, लेकिन उसका कोई सही निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है. अलीना आगे कहती हैं कि मैं ऐसी महिलाओं की आपबीती सुनकर कई बार ट्रौमा में चली जाती थी. मुझे याद है एक बार मैं एक गर्भवती महिला से मिली थी, जिसका पति बिना किसी कारण के उसे तलाक दे दिया था, जबकि एक मुस्लिम पति अपनी गर्भवती पत्नी को तलाक देने का अधिकार नहीं रखता, लेकिन ऐसा करके भी वह आजाद घूमता रहा. इसमें उसे धार्मिक गुरुओं की मदद भी हासिल थी. हमारे पितृसत्तात्मक समाज में ऐसी तलाकशुदा महिला के लिए आत्मसम्मान के साथ जीना आसान नहीं है, जो इंस्टेंट डिवोर्स की शिकार होने के साथ-साथ अगर पढ़ी-लिखी न हो और उसके पास कमाई का कोई जरिया न हो, तो उसकी हालत और भी बदतर हो जाती है. मेरी कोशिश ऐसी महिलाओं को सशक्त बनाने की है.

अलीना के लिए इस फिल्म को बनाना आसान नहीं था. कई बार लोगों ने उसे धमकाया, ताकि वह ये फिल्म न बनाये. किसी ने तो उन्हें जान से मारने की भी धमकी दी थी. अलीना कहती हैं कि मैं एक डाक्टर हूं और मौत को मैंने नजदीक से देखा है. इसलिए मुझे कोई डर नहीं. इसके अलावा मैं एक मुस्लिम हूं और मुस्लिम समुदाय में कोई नहीं चाहता है कि एक महिला इस विषय पर बात करें. मैं जहां रहती हूं सारे लोग मुस्लिम है. काफी लोगों ने कहा कि अपने हास्पिटल में कुछ बेड घायलों के लिए रख लो, ताकि फिल्म का विरोध होने पर उनका इलाज हो सकें. किसी ने डायरेक्टली तो किसी ने इनडायरेक्टली मना किया, पर मेरी जिम्मेदारी है, क्योंकि मैं शिक्षित हूं और तीन सेकेंड में किसी की जिंदगी को खत्म करने वाले के बारें में बात करूं. अधिकतर ऐसी प्रताड़ित महिलाएं अशिक्षित हैं और दो वक्त की रोटी के लिए पति पर निर्भर रहती हैं, जिसका फायदा पुरुष उन्हें अपमानित करके करता है. गलत पुरुष कितना भी करें, पर दोष हमेशा महिला को ही दिया जाता है. सजा लड़की और उनके परिवार को ही दी जाती है.

इसके आगे अलीना कहती हैं कि कुरान में एक बार में तलाक देने या इंस्टेंट डिवोर्स की प्रथा का उल्लेख कहीं पर भी नहीं है, जो भी बातें इस बारें में कही जाती है वह गलत है. आज की मुस्लिम महिलाएं अपने लिए कानूनी सुरक्षा चाहती है. गैर कानूनी होने के बावजूद फौरी तौर पर तलाक देने की प्रथा अभी भी जारी है. इसे अपराध की श्रेणी में लाने की जरुरत है. एक सर्वे में यह भी पाया गया है कि 90 प्रतिशत भारतीय मुस्लिम महिलाएं एकतरफा तलाक देने के मनमाने फैसले के खिलाफ हैं. जबकि बाकी इस्लामिक देशों में तीन तलाक को मान्यता नहीं है. इसके अलावा जो लोग ट्रिपल तलाक को बैन करने के खिलाफ हैं. वे तब तक ऐसा कहेंगे, जबतक उनकी बेटी या बहन के साथ ऐसा न हुआ हो, क्योंकि इसकी तकलीफ उन्हें मालूम नहीं है. आगे अलीना ऐसे कई विषयों पर फिल्म बनाने की इच्छा रखती हैं, जो उन्होंने अपने प्रोफेशन के दौरान अनुभव किया है. उनका कहना है कि बदलाव की बातें करने का कोई मतलब नहीं है. खुद हमें ही वो बदलाव बनना है, जो हम चाहते हैं.

गृहशोभा मैगजीन के जरिये अलीना महिलाओं को कहना चाहती हैं कि हर महिला को अपने अधिकार जानने चाहिए, ताकि कोई हमें यातनाएं न दे सकें. इसलिए सक्षम होना जरुरी है और उसके लिए शिक्षा जरुरी है. इससे वह आत्मसम्मान के साथ जी सकती है, उसका हेरेश्मेंट कोई नहीं कर सकता.

घटते फासले बढ़ती नाराजगी

देश में अब परिवार नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. पहले सासबहू और देवरानीजेठानी विवादों के कारण घरों में कलह रहती थी, अब पतिपत्नी और उस से ज्यादा पिताबेटे और मांबेटी की कलह के किस्से बढ़ रहे हैं. आमतौर पर खुद को सक्षम और समझदार समझने वाली पत्नियां अब पतियों के आदेशों को मानने से इनकार कर रही हैं और घर के बाहर एक अलग जिंदगी की तलाश करने लगी हैं, फिर चाहे वह दफ्तरों में नौकरी हो या किट्टी पार्टियां.

घरों में विवादों के बढ़ने का कारण न सिर्फ सतही जानकारी का भंडार होना है, बल्कि गहराई वाली सोच का अभाव होना भी है. सतही जानकारी ने यह तो सब को समझा दिया है कि हरेक का अपना अधिकार है, अपना जमीनी व व्यक्तिगत दायरा है, जीवन जीने के फैसले खुद करने का अधिकार है पर यह जानकारी यह नहीं बताती कि कोई भी गलत फैसला कैसे खुद को परेशान कर सकता है.

लोगों ने अपने अधिकारों को जानना तो शुरू कर दिया है पर जब इन अधिकारों के कारण दूसरों के दायरे में दखल हो तो क्या करना चाहिए, यह ज्ञान आज का मीडिया या मोबाइल देने को तैयार नहीं है. आज का मीडिया तब तक ही पसंद और सफल है जब तक वह दर्शकों को आत्ममंथन करने को न कहे.

अपने फैसलों का प्रभाव दूसरों पर खराब पड़ सकता है यह आज का मीडिया नहीं बताता, क्योंकि वह फास्ट फूड की तरह स्वादिष्ठ और शानदार दिखने वाली बात करता है. आज का मीडिया आप को अपनी गलतियों की ओर झांकने को नहीं कहता, क्योंकि इस से आप ऊब कर किसी दूसरी स्क्रीन पर चले जाएंगे.

आज तो दवा के रूप में भी आप को कैप्सूल दिए जा रहे हैं. सेहत बनाने के लिए भी एअरकंडीशंड माहौल वाला जिम चाहिए. फूड सप्लिमैंट चाहिए जो बिना खराबियां बताए आप को मिनटों, घंटों में ठोकपीट कर ठीक कर दे.

ये कैप्सूल, ये टिप्स, ये फास्ट ट्रीटमैंट जीवन को चलाने के लिए नहीं मिलते. पतिपत्नी एकदूसरे से रूठे रहते हैं, बच्चे मातापिता पर भुनभुनाते रहते हैं. हरकोई पकापकाया चाहता है, बिना समस्या की गहराई में जाए उस का हल चाहता है.

सासबहू या जेठानीदेवरानी के झगड़े जब भी होते थे या होते हैं तो इसीलिए कि दोनों को नहीं मालूम कि कैसे एकदूसरे के पूरक बनें. यह शिक्षा कहीं दी ही नहीं जा रही कि लेना है तो किसी को देना भी पड़ेगा. लोगों ने सोच लिया है कि दफ्तरों में काम दे कर जो ले लिया वह घर के लिए देना हो गया. अब घर वाले उस के बदले में मांगी गई चीज दें.

पत्नी सोचती है कि उस ने बनठन कर, साथ चल कर या रात को साथ सो कर जो दे दिया वही काफी है. अब उसे सिर्फ लेना है. बच्चे सोचते हैं कि उन्होंने जन्म ले कर मातापिता को संपूर्णता दे दी. अब मातापिता उन्हें वापस देते रहें. जीवन को एटीएम समझ लिया गया है जहां मशीनी तौर पर लेनदेन होता है.

लोग भूल रहे हैं कि आधुनिक सुविधाएं या तकनीकें कितनी महंगी हैं और कितनी तनाव पैदा करने वाली हैं. वे जानते ही नहीं कि लाखों सालों में विकसित हुए मानव स्वभाव को 1 पीढ़ी में नहीं बदला जा सकता. मानव स्वभाव सदियों से बहुतों के सुझावों, ज्ञान, उदाहरणों पर टिका हुआ है. आज यह आप को केवल पढ़ने से मिल सकता है, काउंसलर या प्रवचन से नहीं मिल सकता.

आज भी लेखक आप को भ्रमित या गुदगुदाने के लिए नहीं लिखता. वह अपने और दूसरों के उदाहरणों का विश्लेषण करता है. व्हाट्सऐप मैसेजों में बंटता ज्ञान केवल अच्छे शब्द होते हैं. आमतौर पर वे दूसरों की सलाह लेते हैं, जो खुद को ठीक करने की दवा नहीं देते.

पारिवारिक विवाद, प्रेम विवाहों का तलाकों में बदलना, बारबार के ब्रेकअप, उद्दंड बच्चे, खफा बेटेबेटी उस अंधकार की देन हैं जिस में हम अपनेआप को धकेल रहे हैं. हर रोज, हर घंटे, हर उस समय जब आप फालतू की चैटिंग कर रहे हैं और मोबाइल या टीवी को अपना अकेला मार्गदर्शक मान रहे हैं.

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