‘‘मैं खुश हूं कि मेरी पहल के बाद कई महिलाओं ने अपने शोषण की बात कहने की हिम्मत जुटाई.’’

मिस इंडिया यूनिवर्स का खिताब जीत कर मौडलिंग और फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री तनुश्री दत्ता झारखंड के जमशेदपुर की हैं. हिंदी फिल्म ‘आशिक बनाया आप ने’ उन की पहली फिल्म थी. तनुश्री बेहद साहसी हैं. हर बात को खुल कर कहती हैं. 2008 में फिल्म ‘हौर्न ओके प्लीज’ के दौरान उन्होंने नाना पाटेकर के खिलाफ आवाज उठाई थी, क्योंकि नाना पाटेकर का गलत तरीके से छूना और फिल्म में इंटिमेट सीन की मांग करना उन्हें खराब लगा था. वे फिल्म को बीच में ही छोड़ कर अमेरिका चली गई थीं, क्योंकि उन की बात को न सुना जाना उन के लिए डिप्रैशन का कारण बना था. ‘मीटू मूवमैंट’ में उन्होंने अपनी बात एक बार फिर से सब के सामने रखी, जिसे ले कर बहुत हंगामा हुआ. पिछले दिनों जब तनुश्री से मिलना हुआ, तो वे शांत, सौम्य और धैर्यवान दिखीं. पेश हैं, उन से हुए कुछ सवाल-जवाब:

फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी तरह तालमेल बैठाने के बाद आप विदेश क्यों चली गईं और वहां क्या कर रही हैं?

‘हौर्न ओके प्लीज’ फिल्म की इस घटना ने मुझे हिला दिया था. अभिनेता नाना पाटेकर, निर्माता समीर सिद्दीकी, निर्देशक राकेश सारंग और कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ने मिल कर मुझे परेशान किया था. इस के बाद मेरी इच्छा बौलीवुड में काम करने की नहीं रही थी. मैं ने जो फिल्में साइन की थीं, उन्हें पूरा किया. कुछ नई फिल्में भी साइन की थीं पर बाद में उन्हें करने की इच्छा नहीं हुई. हालांकि मैं उस समय अच्छा अभिनय कर रही थी. मैं ने फिल्मों का चयन करना भी सीख लिया था, लेकिन इस घटना से मैं डर गई थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ हो सकता है. हैरसमैंट के अलावा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गुंडे बुला कर मेरी गाड़ी भी तुड़वा दी. उस से मुझे बहुत धक्का लगा. उस समय मेरे साथ मेरे मातापिता भी थे. वे मुझे उस माहौल से निकालने के लिए आए थे. इस के बाद मुझे इस माहौल में नहीं रहना था.

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आज से 10 साल पहले जब ये सारी बातें कहीं गई थीं, तो इन्हें न सुनने की वजह क्या थी?

मैंने उस समय पूरे साहस के साथ सारी बातें कही थीं. टीवी पर कई दिनों तक मेरा इंटरव्यू चलता रहा. उस समय मेरी उम्र कम थी, जोश बहुत था, लेकिन मीडिया और लोग बहुत अलग थे. सोशल मीडिया इतना ताकतवर नहीं था. लोगों में जागरूकता कम थी. हैरसमैंट को लोग सीरियसली नहीं लेते थे. उन का कहना था कि थोड़ा परेशान कर दिया तो क्या हुआ, रेप तो नहीं किया? भूल जाओ. ‘मीटू कैंपेन’ का शुरुआती दौर बहुत मजबूत था, लेकिन अब यह कुछ धीमा पड़ने लगा है.

क्या आप को नहीं लगता कि इस के अंजाम तक पहुंचने की जरूरत है?

इस का अंजाम हो चुका है, क्योंकि लोगों में जागरूकता बढ़ी है, जो मैं चाहती थी. पहले ये सारी बातें यों ही बातोंबातों में कही गई थीं. अब यह एक अभियान बन चुका है. मुझे जो कहना था वह मैं ने कह दिया है. यह कोई फिल्म नहीं जिस का प्रमोशन हो रहा है और बाद में लोग हाल में जा कर इसे देखेंगे. पहले भी मैं ने अपनी बातें कहने की कोशिश की थी, लेकिन अब अधिक सुनी गईं और इस की वजह लोगों में जागरूकता बढ़ना है.

क्या इस मुहिम से पुरुषों की मानसिकता में कुछ बदलाव आएगा?

आना तो चाहिए, क्योंकि महिलाओं को सम्मान देने की काफी बातें धर्मग्रंथों में कही गई हैं, जिन्हें कोई नहीं सुनता. जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता है, तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है. अगर मुझे पता होता कि इतनी परेशानी और लांछन इतने सालों बाद भी झेलने पड़ेंगे, तो शायद मैं इस चक्कर में नहीं पड़ती, लेकिन मैं खुश हूं कि मेरे कहने के बाद कई महिलाओं ने अपनी बात कहने की हिम्मत जुटाई.

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इस दौरान परिवार ने कैसा सहयोग दिया?

मेरे मातापिता बहुत परेशान थे, क्योंकि पहले भी जब मैं ने कहने की कोशिश की थी तो किसी ने नहीं सुना था. मेरे मातापिता खुश थे कि मैं अमेरिका चली गई हूं. उन्होंने मुझे तनाव में देखा है और नहीं चाहते थे कि मैं फिर से इस से जुडूं. मैं यहां छुट्टियां बिताने आई थी. यहां पर अपने उतारचढ़ाव के बारे में मैं ने थोड़े इंटरव्यू दिए थे, जिन के द्वारा मैं मानसिक तनाव को ठीक करना चाहती थी और हो भी रहा था. ऐसे में ऐसी घटना हुई. पहले तो वे परेशान हुए, पर इस मुहिम को देख कर वे खुश हैं.

आलमंड हनी सैंडविच

घर पर सबसे आसान सैंडविच बनाना होता है, लेकिन उसका टेस्ट नौर्मल होता है. अगर आप को भी टेस्टी सैंडविच ट्राई करना है तो ये रेसिपी जरूर ट्राई करें. आलमंड हनी सैंडविच बनाना आसान है इसे आप स्नैक्स या ब्रेकफास्ट में अपनी फैमिली को परोस सकते हैं.

हमें चाहिए

1/4 कप व्हाइट बटर

8 बादाम

2 बड़े चम्मच शहद

1/2 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

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2 बड़े चम्मच किशमिश

1 बड़ा चम्मच बादाम कतरे व रोस्टेड किए

1 केला पका मीडियम साइज का

4 आटा ब्रैडस्लाइस.

बनाने का तरीका

बादामों की मिक्सी में क्रश कर उन में बटर, शहद, दालचीनी पाउडर व कालीमिर्च चूर्ण डाल कर पुन: मिक्सी में 20 सैकंड चलाएं.

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चारों ब्रैडस्लाइस पर मक्खन लगाएं. 2 ब्रैड स्लाइस पर किशमिश, बादाम व केले के टुकड़े लगाएं और फिर दूसरे ब्रैड स्लाइस से ढक दें. तिरछा काट कर सर्व करें.

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प्यार को प्यार ही रहने दो : भाग-5

 आजकल घर में भी रजत पहले से अधिक प्रसन्न रहने लगा. थोड़ीबहुत चुहल निरंजना से भी करता रहता. यही तो एक अच्छा साइड इफैक्ट है फ्लर्टिंग का. पति महोदय बाहर फ्लर्टिंग करते हैं और घर में पत्नी को भी खुश रखते हैं. उन का अपना दिल जो उत्साहित रहता है.

प्रसन्नचित्त तो आजकल निरंजना भी बहुत रहने लगी है. सोशल मीडिया साइट पर आखिर उस ने नसीम को खोज जो निकाला. नसीम आजकल दूसरे शहर में रहता है, किंतु काम के चलते उस का दिल्ली आना होता रहता है. दोनों ने मिल कर यह तय किया कि अगली बार जब वह दिल्ली आएगा, तब दोनों मुलाकात अवश्य करेंगे.

और बहुत जल्दी वह दिन भी आ गया, जब नसीम का दिल्ली आना हुआ. सुबह से फटाफट सारा काम निबटा कर, स्वयं पर मेकअप की पूरी मेहरबानी करने के बाद निरंजना उस से मिलने तय रैस्टोरैंट के लिए घर से चल पड़ी.

रास्ते से ही उस ने रजत को एसएमएस भेज दिया कि वह अपने ओल्ड टाइम फ्रैंड से मिलने जा रही है. हो सकता है कि शाम को थोड़ी देर हो जाए.

उधर, रजत ने साक्षात्कार के लिए श्वेता को कंपनी द्वारा बुलावा भिजवा दिया था. उस से मिलने के लिए औफिस नहीं, बल्कि रैस्टोरैंट में मुलाकात तय की गई. इस का कारण श्वेता को यह बताया गया कि जिन सर को इंटरव्यू लेना है, वह उस दिन किसी मीटिंग के लिए औफिस में उपस्थित नहीं होंगे. सो, जहां वे उपस्थित होंगे, आप वहीं पहुंच जाइए.

श्वेता को भी इस में कुछ अटपटा नहीं लगा, क्योंकि आजकल कई साक्षात्कार औफिस के बाहर भी होते हैं.

तय समय से पहले रजत उस रैस्टोरैंट में पहुंच कर श्वेता की प्रतीक्षा करने लगा.

नसीम को रैस्टोरैंट में पहले से अपने लिए प्रतीक्षारत पा कर निरंजना का दिल एकबारगी जरा जोर से उछला. तो क्या आज भी नसीम उसी से प्यार करता है?

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अपने पहले प्यार को सामने पा कर निरंजना कभी उत्तेजना से भरने लगी, तो कभी विवाहिता होने के कारण संकोच से अपने रेशमी बालों को बारबार अपने गुलाबी गालों पर गिरने से रोकने के लिए अपनी कोमल उंगलियों से कानों के पीछे धकेलने लगी.

‘‘रहने दो ना इन जुल्फों को अपने सुंदर चेहरे पर. तुम भूल गई क्या कि मुझे तुम्हारी यह जुल्फें कितनी पसंद हैं,‘‘ नसीम के कहने पर निरंजना केवल मुसकरा कर नजरें नीचे किए रह गई.

फिर बातों का दौर चला. कुछ नसीम ने अपनी कही, तो कुछ निरंजना ने अपनी सुनाई. आज उस से अपने दिल की बात कह कर निरंजना काफी हलका महसूस कर रही थी. इसी पल के लिए वह ना जाने कितने समय से तरस रही थी.

‘‘मुझे यह जान कर अत्यंत अफसोस हो रहा है, नसीम, कि तुम ने अभी तक शादी नहीं की. काश, मैं तुम्हें उस समय मिल पाती. बस एक बार तुम्हें अपनी मजबूरी बता देना चाहती थी… आज वह बोझ भी दिल से उतर गया. पर समय निकल गया इस बात का. अफसोस शायद हमेशा खलेगा,‘‘ निरंजना ने अपनी बात पूरी की.

नसीम खामोशी से निरंजना के चेहरे को निहारता रहा, फिर हौले से कहने लगा, ‘‘समय तो अपने हाथ में होता है. अगर सोचो कि बीत गया तो अलग बात है. वरना आज भी समय हमारे साथ ही है. देखो, हम आज भी एकसाथ हैं. यदि तुम चाहो तो…‘‘

‘‘लेकिन, अब मेरी शादी हो चुकी है,‘‘ निरंजना उस की बात बीच में ही काटते हुए बोली, ‘‘यदि मेरी शादी ना हुई होती तब बात अलग थी, पर अब मैं रजत की पत्नी हूं. ऐसे में हमारा रिश्ता पाप कहलाएगा.‘‘

‘‘ऐसा क्यों कहती हो भला. पहले हम दोनों ने प्यार किया, रजत तो तुम्हारी जिंदगी में बाद में आया. सो, इस रिश्ते में तीसरा वो है. अगर तुम्हारे और मेरे घर वाले धर्म के चक्कर में ना पड़ कर हमारे प्यार के लिए राजी हो गए होते और आननफानन तुम्हारी शादी दूसरी जगह ना करवा दी होती, तो आज हम एकसाथ होते.‘‘

जब श्वेता आरक्षित टेबल पर पहुंची, तो वहां रजत को बैठा देख उस का चौंकना स्वाभाविक था, ‘‘रजत तुम यहां?‘‘

‘‘हां श्वेता, मैं ही हूं, जिस के साथ आज तुम्हारा साक्षात्कार है. हो गई ना सरप्राइज… मैं तो तुम्हारा बायोडाटा पढ़ते ही तुम्हें पहचान गया था. और तुम से मिलने के इस मौके को मैं किसी भी कीमत पर गंवा नहीं सकता था.‘‘

सारी स्थिति समझने के बाद श्वेता और रजत हंसहंस कर एकदूसरे के साथ आज तक बीती जिंदगी के अनुभव बांटने लगे.

‘‘कितना अच्छा लग रहा है तुम से मिल कर. न जाने क्यों इतने समय से हम मिले नहीं. तुम तो मेरे बीएफएफ (बैस्ट फ्रैंड फार ऐवर) रहे हो.‘‘

श्वेता उसे अपनी शादी, गृहस्थी, बच्चों के किस्से सुनाने लगी. वह काफी खुश लग रही थी. जाहिर था कि अपनी जिंदगी में श्वेता अच्छी तरह रम चुकी है और उसे कोई शिकायत भी नहीं.

प्यार हमारा दिल नहीं तोड़ सकता. वह तो अधूरी ख्वाहिशों और निराश सपनों के कारण टूटता है. रजत को समझ आ रहा था कि उस का प्यार वाकई एकतरफा था. तभी उस की नजर रैस्टोरैंट के दूसरे कोने में बैठी निरंजना पर पड़ी.

निरंजना को देखते ही वह असहज हो उठा. यदि उस ने रजत को यहां किसी अन्य महिला के साथ बैठे देख लिया तो…? ना जाने उस के बारे में क्या सोचने लगे. उसे याद आया कि आज निरंजना भी अपने एक पुराने दोस्त से मिलने गई है. इत्तेफाक देखिए, दोनों एक ही रैस्टोरैंट में पहुंच गए. लेकिन मौजूदा स्थिति में रजत उस चोर की तरह था, जो अपनी दाढ़ी के तिनकों को छिपाने के प्रयास में जुटा हो.

वह आगे कुछ कहता, इस से पहले ही श्वेता बोल पड़ी, ‘‘रजत, मैं ने नौकरी के लिए आवेदन अवश्य दिया था, किंतु कल ही मेरे पति का तबादला दूसरे शहर में हो गया है. इस कारण यह नौकरी मैं कर नहीं पाऊंगी.

‘‘मैं यहां यही बताने आई थी, लेकिन कितना अच्छा हुआ, जो तुम से मुलाकात हो गई. आगे भी हम टच में रहेंगे.‘‘

घर लौटते समय कैब में बैठी निरंजना आज नसीम के साथ बिताई दुपहरी को रिवाइंड करने लगी. नसीम आज भी उसे चाहता है. आज भी उस की राह देख रहा है, शायद… अगर वह चाहे तो नसीम के पास जा सकती है. पर क्या वह ऐसा चाहती है? क्या रजत के साथ बिताए शादीशुदा जिंदगी के पांच साल इतने हलके हैं कि उन से हाथ छुड़ाना उस के लिए संभव है?

इस सारे प्रकरण में रजत कहां खड़ा होता है? उस की क्या गलती है? निरंजना दोनों पलड़ों के बीच झूलने लगी. जेहन के कांपते हुए पानी पर असमंजस की नाव बह निकली. तभी एफएम पर गाना बजने लगा, ‘प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम ना दो ‘

नहीं, वह रजत को नहीं छोड़ सकती. जिस के साथ उस ने अपनी गृहस्थी बसाई, जिस ने उस का हमेशा ध्यान रखा, उसे पूरा प्यार दिया, अपने परिवार में सम्मान दिया, उसे वह कैसे बिसरा दे.

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यदि उस ने एक गलत कदम उठाया तो रजत का प्यार पर से विश्वास उठ जाएगा. अपनी जिंदगी में रंग भरने के लिए वह अपने पति की जिंदगी को स्याहा नहीं कर सकती.

कई बार हमारे जीवन के कुछ ऐसे अंश होते हैं, जिन्हें हम न भूल सकते हैं और न मिटा सकते हैं. जो हमें सुकून भी देते हैं और कष्ट भी. परंतु उन्हें हम अपने दिल के कोनों में हिफाजत से संजो कर रखना चाहते हैं. पहला प्यार इस सूची में संभवतः सब से ऊपर आता है.

रजत की कार में भी एफएम पर गाना बज रहा था, ‘सिर्फ एहसास है यह रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो…‘

मेरी मां-‘सब कुछ बदल गया, पर तू न बदली मां’

शालिनी खरे, (भोपाल)

कविता…..

ईश्वर सी साकार हैं तू, गंगा सी सदा बहती है

हर पल ईश्वर सी साकार हैं तू, मेरी पतवार है तू

शब्दों को न जानती न पहचानती, फिर भी ज्ञान का भंडार है तू

हमारी  पाठशाला है तू, धरा सी स्थिर है तू

अपनी तीखी वाणी से, परतें खोलती हैं तू

कभी मधु सी मीठी हो, अमृत घोलती है तू

सब कुछ बदल गया, पर न बदली हैं मां तू

हर दर्द में मुस्कराती, हम सब के ख्वाब संजोती  है तू

बच्चें कितना भी दुख दे, हंस कर सह लेती हैं तू

हर तूफान  के आगे, अविचल,अडिग खड़ी

रहती  हैं तू ।।

……………………………………………………………..

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लघुकथा

“एक साथ”

शारदा ने फोन पर मां से ढ़ेर सारी बातें की. आज बेटे ने उसे बहुत सुन्दर और प्यारी भेंट भी दी. पूरा दिन घूमने का प्लान था, पति विपिन भी अपनी मां से बात कर रहे थे. फोन रख शारदा से बोले “मैं तुम लोगें के साथ नहीं आ पाऊंगा ,क्योंकि मुझे मां के साथ मंदिर जाना हैं”

ये सुनकर शारदा गुस्से से बोली,”मैंने भी तो अपनी मां को मना कर दिया आश्रम सत्संग में जाने को तो क्या आप नहीं कर सकते?”

पर विपिन न माना. मांऔर पापा की बात सुन बेटे ने कहा, “मां, क्यों न हम यह दिन कुछ इस तरह से मनाये, पापा,आप दादी को ले आए और मैं अभी आया!” “अरे, तू कहा जा रहा हैं?”

“अरे मां, तीनों मातृशक्तिया एक साथ मदर्स डे मनाएंगी न!” शारदा मुस्कुरा दी.

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मेरी मां- ‘मां ने यूं बदली जिंदगी’

गीतांजलि चे

मां,

अक्सर किताबों में पढ़ती हूं कि यदि मां चाहे तो मिट्टी में भी प्राण डाल दे और ऐसा ही मेरी मां ने भी किया है. बचपन से मुझे पढ़ने-लिखने का कोई बहुत शौक न था. जब मेरे भाई बहन पढ़ रहे होते तो मैं अपने सामने किताब खोल कर सपनों की दुनिया में सैर करती रहती थी. नतीजा ये कि कक्षा में मैं सबसे निचले पायदान पर रहती थी. मानो मैं ने कसम खा रखी हो कि भले ही कक्षा की बेंच डेस्क परीक्षा में पास कर जाये पर मैं नहीं.

संसार का हर व्यक्ति मुझसे नाउम्मीद हो गया था कि मैं जीवन में कुछ नहीं करुंगी और मैं अपनी ही धुन में खोयी रहती थी. किसी बात का मुझ पर कोई असर ही नहीं होता था. लेकिन वो मां ही थी, जिसे मुझमें सम्भावनाएं नजर आती थी. मुझे अपनी रूचि के अनुसार पढ़ने की आज़ादी दी गई. फिर मुझे कभी यह नहीं कहा गया कि यह पढ़ो, ऐसे पढ़ो, इतने घंटे पढ़ो कुछ भी नहीं और शायद यही कारण था जिसने मुझमें पढ़ने की ललक जगायी.

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वक्त गुजरता गया और डिग्रियां मिलतीं गयीं और डिग्रियों के साथ-साथ पढ़ने का घंटा भी बढ़ता गया. कहीं न कहीं वो मां का धैर्य और विश्वास ही था, जो आज मैं कौलेज में जंतु विज्ञान की शिक्षिका के रूप में कार्यरत हूं.

धन्यवाद मां, मुझे अपनी जिंदगी में इस लायक बनाने के लिए इतना स्नेह और प्यार देने के लिए. सच ही है किसी पर प्रेम लुटाने के लिए उनका प्रतिभाशाली होना जरूरी नहीं है. जिंदगी में जितने सबक मैंने लिए हैं उन सबकी प्रेरणा स्रोत आप ही हैं.

धन्यवाद.

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दिल पर नहीं लेती रिजेक्शन– प्रिया बैनर्जी

हिंदी फिल्म ‘जज्बा’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली कनाडाई मूल की अभिनेत्री प्रिया बैनर्जी ने तेलगू और तमिल फिल्मों में भी अच्छा काम किया है. बचपन से ही अभिनय की इच्छा रखने वाली प्रिया को उसके परिवार वालों का काफी सहयोग रहा है. उसने कथक और रबीन्द्र संगीत का प्रशिक्षण भी लिया है और कई बार मंच पर भी प्रस्तुत कर चुकी है. पिछले कुछ सालों से वह मुंबई में रह रही है और जब भी काम से समय मिलता है, वह कनाडा अपने माता-पिता के पास चली जाती है. स्वभाव से हंसमुख और विनम्र प्रिया ने फिल्मों के अलावा कई वेब सीरीज में भी काम किया है और वह खुश है कि आज इंडस्ट्री सभी कलाकारों को अभिनय करने का मौका देती है. उसकी वेब सीरीज ‘बेकाबू’ रिलीज पर है, पेश है उससे हुई बातचीत के कुछ अंश.

वेब सीरीज में काम कर आप कितनी संतुष्ट है?

वेब सीरीज अभी एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है. कई बड़े-बड़े कलाकार और निर्देशक काम कर रहे है. जैकलिन ,करीना कपूर, सैफ अली  खान आदि जैसे बड़े-बड़े कलाकार इसमें काम कर रहे है. इस तरह लेखक से लेकर तकनीशियन, निर्देशक सबके लिए काम बढ़ गया है. फिल्मों की तरह ही ये वेब सीरीज बनती है. केवल प्लेटफौर्म का अंतर होता है.

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फिल्मों में आने की प्रेरणा कहा से मिली?

असल में मैं ग्रेजुएशन के बाद एक ब्रेक के दौरान मुंबई घूमने आई थी. फिर मुझे मेरी फ्रेंड ने एक तेलगू फिल्म के ऑडिशन के लिए भेजा और उनकी भाषा न जानते हुए भी मैंने वहां ऑडिशन दिया. इसके बाद मैं वापस कनाडा चली गयी. कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि मैं उस फिल्म के लिए चुन ली गयी. ऑडिशन भी मैंने हिंदी में ही दिया था. यही से मेरे अभिनय की जर्नी शुरू हुई.

आउटसाइडर होने से हिंदी फिल्मों में काम मिलना कितना मुश्किल होता है?

आउटसाइडर होने से मुश्किल बहुत होता है. कोई भी काम आसानी से नहीं मिलता,लेकिन अगर आप में प्रतिभा है तो आप इंडस्ट्री में काम मिलने के अलावा टिके भी रहते है. ये सही है कि किसी सुपरस्टार के बेटे या बेटी के लिए फिल्में लिखी और बनाई जाती है,जो आउटसाइडर्स के लिए नहीं होता, ऐसे में प्रतिभा ही काम आती है और आपको आगे आने में भी समय लगता है.

क्या आप कभी भाई भतीजेवाद की शिकार हुई?

मैं डायरेक्टली तो नहीं हुई,लेकिन ये इंडस्ट्री में है और मेरे ख्याल से हर इंडस्ट्री में होता है. इसे मैं सहजता से लेती हूँ. इंडस्ट्री में आज कई सारे स्टार किड्स है ,जिन्हें काम करने का भरपूर मौका मिल रहा है,लेकिन अगर हार्ड वर्क और टैलेंट मुझमें है तो कोई मुझे रोक नहीं सकता.

रिजेक्शन का सामना कैसे किया?

मैं अभिनय के क्षेत्र में इसलिए आई,क्योंकि मैं इस काम को पसंद करती हूँ. मैं इमोशनली बहुत मजबूत हूँ और किसी भी रिजेक्शन को दिल पर नहीं लेती.

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रिजेक्शन में किस तरह की बातें अधिक सुनने को मिलती थी?

अधिकतर वे लुक पर कहते थे. मैं कनाडा से आई हूं और यहां की फिल्मों की कहानी अधिकतर इंडियन लुक पर होती थी. वहां पर मैं अधिकतर रिजेक्ट होती थी.

साउथ की फिल्मों और हिंदी फिल्मों में अंतर क्या पाती है?

प्रोसेस एक ही होता है,केवल भाषा का अंतर होता है. अभी तो साउथ के कई निर्देशक, तकनीशियन भी यहाँ काम कर रहे है, इसलिए फर्क महसूस नहीं होता.

अभी संघर्ष किस बात का रहता है?समय मिलने पर क्या करती है?

अच्छी कहानी और अच्छी भूमिका मिलने का संघर्ष रहता है,जो अच्छी बात है. मैं अभी बहुत सारे काम कर रही हूं. समय मिलते ही मैं परिवार के साथ मिलने कनाडा चली जाती हूं. इसके अलावा फिल्में देखती हूं.

वेब सीरीज में आजकल गाली-गलौज और सेक्स जमकर दिखाया जाता है, जिसे लोग परिवार के साथ नहीं देख सकते, आप इसे कितना सही मानती है?

मेरी अभी एक वेब सीरीज ‘बारिश’ रिलीज हुई है, जिसे लोगों ने बहुत प्यार दिया है. वह एक फैमिली ड्रामा है, जबकि बेकाबू एक इरोटिक ड्रामा है ,जिसमें सेक्स तो रहेगा ही. इसमें बैलेंस करने की जरुरत है कि आप इसे कैसे दिखाते है? अगर स्क्रिप्ट में जरुरत है तो सही है, लेकिन केवल व्यवसाय के तौर पर ऐसे सीन्स को डालने पर मैं कभी भी सहमत नहीं हूं.

आपके कैरियर में परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार बहुत सहयोग देते है. उन्होंने मुझे मुंबई जैसे अंजान शहर में मुझे अकेले छोड़ा है और मुझपर विश्वास किया है कि मैं जो भी करुंगी अच्छा ही करुंगी. मैं अपने माता-पिता की अकेली संतान हूं, इसलिए हर तीन महीने में मैं उनसे मिलने अवश्य चली जाती हूं.

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इंडस्ट्री में एक्सप्लौइटेशन की भी कई घटनाएं होती है, ऐसे में आपको यहां आकर अकेले रहने में डर नहीं लगा?

मैं बचपन से ही बहुत निडर हूं. मैंने कई ब्यूटी पेजेंट जीते है, कई विज्ञापनों में काम किया है और मैं आत्मनिर्भर भी हूं. मेरे साथ कोई कुछ गलत करें, तो मैं उसे सीख भी दे सकती हूं. साथ ही आपकी बौडी लेंग्वेज ही आपके स्वभाव को बताती है. मेरे साथ किसी ने कुछ गलत करने की हिम्मत नहीं की.

आगे और क्या करने वाली है?

वेब सीरीज ‘बेकाबू’ के बाद ‘हिट पतंगे’ और ‘हमें तुमसे प्यार कितना’ मेरी आगे आने वाली फिल्में है.

कंट्रोवर्सी को कैसे लेती है?

कंट्रोवर्सी को मैं अच्छा मानती हूं, क्योंकि लोग आपके बारें में सोचते है और कुछ कहना चाहते  है.

गर्मियों और मानसून में अपमे सुन्दरता की देखभाल कैसे करती है?

ऐसे मौसम में पानी बहुत पीती हूं. मैं जिम में अधिक नहीं जाती. समय मिले तो रनिंग करती हूं. खाने में मैं हमेशा होम फूड को अधिक महत्व देती हूं. मुझे खाना बनाना अधिक पसंद है और इंडियन फूड अच्छा बना लेती हूं.

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नहीं उतरा Cannes का बुखार, येलो साड़ी में दीपिका का स्टनिंग अवतार…

कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में अपने लुक से फैंस को दिवाना बनाने वाली दीपिका पादुकोण अपने फैशन को लेकर फिर सुर्खियां बटोर रही हैं. हाल ही में हुए फोटोशूट में दीपिका समर में यैलो कलर को फ्लौंट करती नजर आईं, जिसके बाद फैंस ने उनके लुक की सोशल मीडिया पर तारीफें शुरू कर दी. देखें तस्वीरें…

येलो साड़ी में नजर आईं दीपिका  

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फिल्म ‘पद्मावत’ में अपने लुक से लोगों का दिल जीतने के बाद दीपिका एक बार फिर साड़ी में नजर आईं.

मैं कभी अच्छा बेटा नहीं बन सका- सलमान खान

दीपिका ने साड़ी को दिया इंडो वेस्टर्न लुक

दीपिका ने येलो साड़ी को दिया वेस्टर्न लुक दिया, जिसमें वह जलवे बिखेरती नजर आईं.

साड़ी से मैच करते हुए गोल्डन इयरिंग्स में दीपिका ने ढाया कहर

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येलो साड़ी में दीपिका बहुत ही प्यारी लग रही है, जिसके साथ उन्होंने शानदार गोल्डन इयररिंग्स पहने,  दीपिका इस लुक में कहर ढा रही थीं.

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गोरे मुखड़े पर काला चश्मा लगाकर दीपिका स्वैग में आईं नजर

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दीपिका सनग्लासेज पहन कर येलो साड़ी में स्वैग दिखाते हुए पोज देती नजर आईं.

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keep your face to the sun and you will never see the shadows…?

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छपाक गर्ल दीपिका ने अपनी फोटोज अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं. उनके फैंस को दीपिका का ये अंदाज काफी पसंद आ रहा है. दीपिका ने अपनी फोटोज पर कैप्शन डाला, ‘हमेशा अपना चेहरा सूरज की तरह रखना चाहिए ताकि आप कभी भी अपनी परछाई को न देख सकें.’

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कान्स में भी लुक से बटोर चुकी हैं सुर्खियां

हाल ही में कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में दीपिका अपने लाइम कलर की फ्रिल ड्रेस लुक के लिए मीडिया और फैंस के बीच सुर्खिंया बटोर चुकी हैं.

8 टिप्स: आंखों में लैंस का ऐसे रखें ख्याल

आजकल लोग आंखों को ब्यूटीफुल दिखाने के लिए या आखें कमजोर हों तो लैंस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन गरमी या धूल मिट्टी लैंस को नुकसान पहुंचाते हैं. उतनी ही वह आंखों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे हमारी आखें सुंदर दिखने की बजाय बदसूरत दिखने लगती है. आज हम आपको अपनी आंखों के लैंस का इस्तेमाल कब और कैसे देखभाल कैसे करें इसकी टिप्स बताएंगे.

1. इचिंग या इन्फेक्शन में लैंस के इस्तेमाल से बचें

लैंस हमेशा स्वस्थ आंखों में ही लगाएं. अगर आंखों में खुजली जलन या इंफेक्शन हो तो भूलकर भी कांटेक्ट लैंस न लगाएं .

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2. लैंस के इस्तेमाल से पहले धोएं हाथ

कौन्टेक्ट लैंसलगाने से पहले, आपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें . रोयेंदार तौलिए से हाथ न पोंछें,  क्योकि लैंस लगाते समय ये रोंये आंख में जाकर नुकसान पहुंचा सकते हैं .

3. मेकअप से पहले लगाएं लैंस

मेकअप करने के बाद लैंस लगाने से कास्मेटिक्स के अंश आंख में जाने से परेशानी हो सकती है .

4. लैंस लगाने वाले लोग पेंसिल आईलाइनर का करें इस्तेमाल

पेंसिल आईलाइनर का ही इस्तेमाल करें. आंख के अंदरूनी हिस्सों में इस्तेमाल ना करें .

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5. स्प्रे के इस्तेमाल से पहले आंखें जरूर बंद करें

यदि आप कोई हेयर स्प्रे या अन्य कोई स्प्रे इस्तेमाल कर रहीं है तो इस्तेमाल करने से पहले अपनी आंखें बंद कर लें . क्योकि इसके कण कुछ समय तक Atmosphere में बने रहते हैं और इनके आंखों में जाने की आशंका रहती है .

6. मेकअप हटाने से पहले लैंस निकाल लें

मेकअप हटाने से पहले कांटेक्ट लैंसनिकाल लें और लैंस लगा कर कभी भी सोना नहीं चाहिए .

7. फ्लूड या सलूशन से लैंस को करें साफ

लैंस निकालने के बाद विशेष रूप से बनाए गए कंपनी के फ्लूड या सलूशन से लैंस को चार पांच बार साफ करें . इसके लिए लैंस को हथेली पर रखे और उस पर सलूशन की कुछ बूंदें डालें और फिर पहली उंगली को सीधी लाइन में घुमाते हुए लैंस को साफ करें . उंगली को गोल-गोल ना घुमाएं .

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8. नीचे गिरे लैंस को दोबारा करें साफ

कांटेक्ट लैंस को लगाते समय, यदि वे नीचे गिर जाएं तो लैंस को सलूशन से साफ करने के बाद ही पहनें.

लड़कों के साथ रेप पर सवाल उठाती बोल्ड फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’

सिनेमा में आ रहे बदलाव के चलते अब यथार्थपरक घटनाक्रमों पर न सिर्फ फिल्में बन रही हैं, बल्कि अब फिल्में तमाम सामाजिक मुद्दों पर सवाल भी उठा रही हैं. जी हां!लड़की के साथ छेड़छाड़ होने पर सख्त सजा का कानून है, मगर जब किसी लड़के या पुरूष के साथ एक लड़की बलात्कार करे, तो इस गुनाह पर कानून मौन क्यों रहता है? इसी सवाल पर फिल्मकार नयन पचोरी एक हास्य व रोमांचक फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’लेकर आ रहे हैं.

14 जून को प्रदर्शन के लिए तैयार ‘‘आरजी टीएस पिक्चर्स’’के बैनर तले निर्मित फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’ का ट्रेलर हाल ही में मुंबई में लांच किया गया. इस अवसर पर फिल्म के युवा निर्देशक नयन पचौरी ने कहा-‘‘यह अन एक्सपेक्टेड कौमिक थ्रिलर है, जिसमें समाज में कामुकता, पसंद की स्वतंत्रता, पाखंड, दोहरे मापदंड को व्यंगात्मक तरीके से दिखाया गया है. फिल्म की कहानी वास्तविक घटनाक्रम से प्रेरित है.’’

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फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’ के निर्देशक नयन पचोरी महज 21 वर्ष के हैं. वह अब तक 22 लघु फिल्में व दो फीचर फिल्में निर्देशित कर चुके हैं. डार्क हास्य रोमांचक फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’ की कहानी तीन मनोरोगी मेडिकल स्टूडेंट द्वारा अपने किराए के मकान के एजेंट से डरावना बदला लेने की है. कहानी की शुरूआत तीन मेडिकल की छात्राओं हनी, आयशा और मीरा द्वारा अपने घर के एजेंट जतिन को किराए के अपार्टमेंट में फंसाने से होती है. यह तीनों उसके साथ मारपीट कर उसे प्रताड़ित करते हैं.अंत में एक मुकाम पर उसके साथ बहुत बुरा करती हैं.

इस अवसर पर फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे अभिनेता राहुल गणेष तुलसीराम ने कहा-‘‘फिल्म ‘रेस्क्यू’मेरे लिए बहुत ही खास फिल्म है. समाज की रूढ़िवादिता को फिल्म की अवधारणा से साफ किया गया है. फिल्म में छेड़छाड़, मारपीट और यहां तक कि एक पुरूष के साथ बलात्कार की भी बात की गई है. हम एक ऐसे समाज में रहते हैं,जहां महिलाओं के साथ दुरव्यवहार करना एक गंभीर अपराध है. लेकिन अगर एक आदमी के साथ ऐसा हो जाए, तो क्या?

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दोनों के लिए न्याय अलग अलग नहीं होना चाहिए. फिल्म समाज के दोहरे चलन को रेखांकित करती है. फिल्म में इंसानी मानसिकता को बदलने की बात की गयी है. क्योंकि महिला और पुरूष दोनों का आत्मसम्मान समान रूप से महत्वपूर्ण है.’’

इस अवसर पर अभिनेत्री इशिता गांगुली ने कहा,‘‘यह रोमांचक फिल्म उस विषय पर बात करती है,जिससे हम अमूमन बचने का प्रयास करते हैं.यह फिल्म सामाजिक रूढ़िवादिता को तोड़ने की बात करती है.

फिल्म ‘‘रेस्क्यू’’ को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं-राहुल गणेश तुलसीराम, श्रीजिता डे, इशिता गांगुली, मेघा शर्मा, रानी अग्रवाल, ब्रिजेंद्र काला, शुभांगी लिट्टोरिआ व अन्य.

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‘‘बचपन से आयुर्वेद के बारे में सुना था, इसलिए इस लाइन में आई.’’

वेदिका ने लंदन की रीजैंट यूनिवर्सिटी से ग्लोबल मार्केटिंग मैनेजमैंट में डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी औफ वैस्टमिंस्टर से मार्केटिंग कम्यूनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल की. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पारिवारिक व्यवसाय में जुड़ने से पहले उन्होंने भारत में मार्केटिंग के क्षेत्र में अनुभव हासिल करने के लिए टाइम्स गु्रप, कोका कोला और बिग एफएम जौइन किया. अपने अनुभव और काबिलीयत का इस्तेमाल अपने व्यवासाय को आगे बढ़ाने के मकसद से हाल ही में वेदिका शर्मा ने मंत्रा हर्बल की कमान संभाली है, जो लोगों को हेयर, स्किन केयर व स्पा के बेहतरीन व नैचुरल प्रोडक्ट्स उपलब्ध करवा रही है. ये नैचुरल होने के साथसाथ मौडर्न टैक्नोलौजी पर आधारित हैं, साथ ही पूरी तरह से सेफ भी हैं. आइए, जानते हैं उन के सफर के बारे में:

क्वालिटी आयुर्वेद सौल्यूशन से आप का क्या मानना है?

यह पूरी तरह से सरकार द्वारा स्वीकृत टै्रडिशनल तरीका है. इस में आयुर्वेद सार समिता होती है, जो बताती है कि कैसे दवाइयां बनेंगी. यहां तक कि प्रौपर तरीका फौलो होता है जैसे कौन से ट्री का स्टेम, छाल, पत्तियों, फल आदि का इस्तेमाल किया जाएगा और वह भी निर्धारित तरीकों के अनुसार. यह पूरी तरह प्राकृतिक होता है. इस में किसी तरह के पेस्टीसाइड्स या कैमिकल्स का यूज नहीं किया जाता.

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ये किस तरह से मार्केट में आने वाले अन्य प्रोडक्ट्स से अलग हैं और लोग इन्हें क्यों खरीदें?

इस बात से लोग परिचित हैं कि आयुर्वेद प्रोडक्ट्स कैमिकल फ्री होते हैं और उन का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता. हमारा बैद्यनाथ रिसर्च फाउंडेशन है, जो पूरा साल रिसर्च करता है. इन प्रोडक्ट्स की खासीयत यह भी है कि इन्हें लंबे समय तक बिना डरे इस्तेमाल किया जा सकता है.

अपने उत्पादों के बारे में बताएं?

हमारे प्रोडक्ट्स पैराबीन, पैराफिन व कैमिकल फ्री होते हैं. 12 तरह के कैमिकल्स होते हैं, जिन्हें हम अपने प्रोडक्ट्स में नहीं डालते हैं और फिर जो खुशबू और कलर यूज किया जाता है वह भी 100% नैचुरल होता है. बिना डरे बच्चों पर भी इन प्रोडक्ट्स को यूज कर सकते हैं. हमारे प्रोडक्ट्स जैसे रोजवाटर, आमंड औयल काफी बेहतरीन हैं. आमंड औयल को तो आप स्किन, बालों में अप्लाई करने के साथसाथ दूध में मिला कर पी भी सकते हैं.

आयुर्वेद से क्या हर बीमारी का ट्रीटमैंट संभव है?

ट्रीटमैंट में भले ही वक्त लगता है, लेकिन सही लाइफस्टाइल के साथ ज्यादातर बीमारियां ठीक हो जाती हैं. वैसे भी लोग आजकल ऐसी दवाओं या ट्रीटमैंट्स को प्राथमिकता दे रहे हैं जिन का कोई साइडइफैक्ट नहीं होता है. आयुर्वेदा प्रीवैंशन में विश्वास करता है अगर शुरू से आयुर्वेदिक दवाइयां किसी आयुर्वेद प्रोफैशनल की देखरेख में ली जाएं तो बीमारियां ठीक हो जाती हैं, क्योंकि रिसर्च हर साल हर बीमारी, हर दवाई पर होती है.

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अपनी प्रोडक्ट रेंज के विस्तार के लिए आगे का क्या प्लान है?

हम लगातार नए प्रोडक्ट्स लौंच करते रहते हैं. हम 2 महीनों में 2-3 प्रोडक्ट्स और मार्केट में लौंच करेंगे, जिन में फैशियल किट, स्क्रब, टोनर आदि शामिल हैं. भविष्य में हम अपने स्टोर्स की संख्या भी और बढ़ाने वाले हैं. ये मार्केट में मिलने वाले बाकी प्रोडक्ट्स से सस्ते हैं या महंगे? मध्यवर्गीय लोग इन का इस्तेमाल कैसे करेंगे?? हमारे मिड लैवल प्रोडक्ट्स हैं. सभी प्रोडक्ट्स के अलगअलग साइज उपलब्ध हैं. हर वर्ग के उपभोक्ता अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से छोटा या बड़ा पैक खरीद सकते हैं.

इस लाइन में आने के बारे में कैसे सोचा?

मेरे पिता बैद्यनाथ आयुर्वेदा चलाते हैं. मैं ने बचपन से आयुर्वेदा के बारे में सुना और देखा है. मैंने हमेशा आयुर्वेदिक दवाइयां ही खाई हैं, तो कह सकते हैं कि यह मेरे घर से ही मुझ में आया. भारत में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता पिछले कुछ ही सालों में बढ़ी है जबकि विदेशों में काफी समय से आयुर्वेद के प्रति के्रज है. मैं काफी साल लंदन में रही. वहां आयुर्वेद का क्रेज काफी है. लोग आयुर्वेद प्रोडक्ट्स खरीदना और उन्हें इस्तेमाल करना बहुत पसंद करते हैं. मगर भारत में अभी इस बारे में क्रेज कम है, जिस के लिए और जानकारी देने की जरूरत है.

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Edited by Rosy

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