प्रेग्नेंसी में प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल है खतरनाक

प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसी से जुड़े एक शोध में ये बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान खराब क्वालिटी की बोतलें या बीपीए युक्त प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना अजन्में की सेहत के लिए काफी खतरनाक है. प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से पेट में पल रहे बच्चे को आगे के जीवन में पेट से संबंधित कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

आपको बता दें कि प्लास्टिक में पाए जाने वाले बीपीए रसायन पेट में मौजूद अच्छे और बुरे जिवाणुओं का संतुलन बिगाड़ देते हैं. इससे लिवर का भी काफी नुकसान होता है. ये शोध अमेरिका में हुआ.

शोध में ये बात सामने आई कि जन्म से पहले गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए प्लास्टिक की बोतल का पानी काफी हानिकारक होता है.  इससे बच्चे खतरनाक रसायनों के संपर्क में आ जाते हैं. जानकारों का कहना है कि बच्चों को मां का दूध भी प्लास्टिक की बोतल में ना दें. खतरनाक रसायनों का प्रवाह मां के दूध से भी हो सकता है.

अधय्यनकर्ताओं के मुताबिक जन्म लेने के ठीक बाद मां के दूध से रसायनों के संपर्क में आए बच्चों को आगे की लाइफ में पेट से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं.

आपको बता दें कि BPA प्लास्ट‍िक के कई कंटेनरों और बोतलों में पाया जाता है. खासतौर सस्ते और खराब क्वालिटी वाले बोतलों में इसका मिलना आम है. शोध में दावा किया गया है कि ऐसे ऐसे प्लास्ट‍िक के बर्तनों में रखा गया खाना आसानी से बीपीए रसायन को सोख लेता है.

देर रात खाने की आदत बदल दें, है खतरनाक

हमें कई बीमारियां हमारे खाने की गलत आदतों की वजह से होता है. गलत खाना, खाने का वक्त गलत, खाने का तरीका गलत, जैसे कई कारणों से हेल्थ संबंधी कई परेशानियां होती हैं. इन अनियमितताओं के कारण आपके वजन के बढ़ने का खतरा भी अधिक रहता है.

वजन बढ़ने के कई कारणों में से एक है देर रात में खाना खाना. अगर आपकी आदत देर रात में खाने की है तो आज ही इसे बदलें. इससे वजन तो बढ़ता है इसके साथ ही कई तरह की बीमारियों का खतरा भी अधिक हो जाता है. जानकारों की माने तो दिन भर के खाने की साइकल में सुबह का नाश्ता बेहद अहम होता है. इससे इतर आच्छे स्वास्थ के लिए हल्का लंच और डिनर करें.

हाल ही में एक जर्नल में छपी रिपोर्ट की माने तो देर रात में खाना खाने से आपका वजन तेजी से बढ़ता है. इसके अलावा आपमें कौलेस्ट्रौल के बढ़ने की संभावना बहुत अधिक होती है. जानकारों का ये भी मानना है कि रात में अधिक खाना खाने से हम शरीर को अधिक कैलोरीज का भार देते हैं. रात के वक्त इस तरह का डाइट लेने से हम अपने शरीर का नुकसान करते हैं.

एक्स्पर्ट्स की माने तो एक व्याक्ति को दिन भर में लगभग 1800 से 3000 कैलोरी की जरूरत होती है. इसे आप लंच, ब्रेकफास्ट और डिनर के तौर पर बांट सकती हैं. रात में शरीर को 450-650 कैलोरी की जरूरत होती है. इस लिए जरूरी है कि रात में देरी से भोजन लेने से हम बचें.

अंडे की जर्दी खाएं या नहीं? यहां मिलेगा जवाब

अंडा अच्छी सेहत के लिहाज से एक बेहत महत्वपूर्ण खाद्य है. इसमें पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट्स शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. बौडी बिल्डिंग के दौरान भी इसके नियमित सेवन की बात कही जाती है. पर अंडे के सेवन को लेकर लोगों के बीच राय बटे हुए हैं. आपको बता दें कि अंडे में कौलेस्ट्रौल की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण लोग इसे सेहत के लिए हानिकारक भी मानते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि वजन कम करने और बौडी बिल्डिंग के लिए अंडे के सफेद हिस्से का सेवन करते हैं. इस खबर में हम अंडे के पीले हिस्से के सेवन के बारे में चर्चा करेंगे. हम बात करेंगे कि अंडे के पीले हिस्से का सेवन सेहत के लिए अच्छा है या नहीं.

क्या अंडे की जर्दी सेहत के लिए फायदेमंद होती है?

एक अंडे में 186 मिलिग्राम कोलेस्ट्रोल पया जाता है. ये कोलेस्ट्रोल अंडे की जर्दी में होता है. पर ये शरीर के लिए हानिकारक नहीं होते. ऐसा इस लिए क्योंकि शरीर में टेस्टोस्टेरोन के निर्माण में कोलेस्ट्रोल की आवश्यकता होती है. इससे शरीर में एनर्जी बढ़ती है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं.

आपको बता दें कि अंडे के सफेद हिस्से में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. वहीं इसकी जर्दी में आयरन, विटामिन बी-2, बी-12 और विटामिन डी पाया जाता है, जो अंडे के सफेद हिस्से में नहीं होता है. इसलिए जब आप केवल इसके सफेद हिस्से को खाएंगे तो आप इसके बाकी जरूरी तत्व आपको नहीं मिल पाएंगे.

हाल ही में एक स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अंडे की जर्दी में मौजूद फैट शरीर से बेड कोलेस्ट्रोल को कम करता है. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तब भी आप अंडे की जर्दी का सेवन कर सकते हैं.

ग्लास सीलिंग हर देश में है : विभा बख्शी

लंबा कद, साफ रंग, लहराते बाल, चेहरे पर आत्मविश्वास और मन में कुछ करने का जज्बा, ये हैं 48 वर्षीय राष्ट्रीय फिल्म निर्माता विभा बख्शी. 2015 में इन्हें अपनी डौक्यूमैंट्री फिल्म ‘डौटर्स औफ मदर इंडिया’ के लिए सामाजिक मुद्दों पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है. इन की इस फिल्म को 11 भाषाओं में डब किया गया. अब वे अपनी नई फिल्म ‘सनराइज’ ले कर आई हैं.

हरियाणा जैसे राज्य में जहां स्त्रियों के साथ भेदभाव और  खाप पंचायतों का दबदबा बहुत आम है विभा बख्शी ने वहां के साधारण पुरुषों द्वारा जैंडर इक्वैलिटी हेतु की गई असाधारण फाइट को अपनी फिल्म का विषय बनाया है.

इस विषय पर फिल्म बनाने का खयाल कैसे आया?

मेरी पहली फिल्म ‘डौटर औफ मदर इंडिया’ रेप और जैंडर वायलैंस पर आधारित फिल्म थी. यह फिल्म बहुत सफल हुई. लोगों ने इसे एक मूवमैंट के तौर पर लिया. तभी मैं ने महसूस किया कि इस इशू को और भी आगे ले जाना चाहिए.

आप ने फिल्म के लिए हरियाणा की पृष्ठभूमि ही क्यों चुनी?

हम ने हरियाणा की पृष्ठभूमि चुनी, क्योंकि यह इलाका भारत में सब से ज्यादा डिस्टर्बिंग है. यहां इतनी भ्रूण हत्याएं होती हैं कि लड़कियों की कमी हो गई है. सब से ज्यादा गैंग रेप भी यहीं होते हैं. मैं यह दिखाना चाहती थी कि यदि हरियाणा से इतने हीरो निकल सकते हैं तो पूरे देश में ऐसे कितने हीरो मौजूद होंगे.

इस फिल्म में रियल कैरेक्टर्स हैं. पहला एक ऐसा किसान है जिस ने एक गैंग रेप विक्टिम के साथ अरैंज मैरिज की. दूसरा एक सरपंच जिस की 2 लड़कियां हैं और वह सिर्फ अपनी बेटियों के लिए ही नहीं, बल्कि हर बेटी के लिए समाज की सोच बदलना चाहता है. तीसरा कैरेक्टर है हरियाणा के सब से बड़े खाप लीडर का.

एक महिला फिल्ममेकर के तौर पर आप को किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?

मैं ने बहुत सैंसिटिव विषय लिया था और इस के लिए मैं हरियाणा के 25 गांवों में गई जहां लोगों से बातें की. काफी परेशानियां भी आईं. महिला हो कर वहां रहना और लोगों को विश्वास में लेना मुश्किल था. शुरू में तो मैं भी डरी हुई थी, पर जब वहां रहने लगी तो लोगों का बहुत सपोर्ट मिला. हरियाणा के लोग चाहते थे कि यह फिल्म बने और अपने मकसद में सफल भी रहे. स्थानीय लोग मेरी हर संभव सहायता करते. कहां जाऊं, किस से बात करूं जैसी बातें भी वे बताते. खतरे की आशंका होने पर तुरंत मुझे आगाह भी करते. मैं उन के घरों में रही, उन के साथ खायापिया. लोगों का विश्वास जीता. इसी वजह से मैं अपनी फिल्म बेहतर ढंग से बना सकी.

आप का अगला प्रोजैक्ट क्या होगा?

अभी 1 साल तक मेरा पूरा फोकस ‘सनराइज’ पर ही रहेगा. इस की पहली स्क्रीनिंग का रिस्पौंस काफी अच्छा रहा. हम चाहते हैं कि यूएन के साथ मिल कर हर जगह इस फिल्म को पहुंचाने का प्रयास करें.

अपने और अपने परिवार के बारे में बताएं?

मेरे पिता शिपओनर हैं और मां राइटर. एक छोटी बहन है जो दुबई में है और बड़ा भाई फैमिली बिजनैस में है. मैं 12वीं तक भारत में पढ़ाई कर के अमेरिका चली गई थी जहां बोस्टन यूनिवर्सिटी से फिल्म और जर्नलिज्म में ग्रैजुएशन किया. इंडिया आ कर मैं ने विशाल बख्शी से लवमैरिज की. विशाल मां को भी बहुत पसंद थे. शादी कर के 13 साल फिर अमेरिका में रहे. मेरे सासससुर डिप्लोमैट हैं. मुझे परिवार का हमेशा पूरा सहयोग मिलता रहा है. मेरे दो बेटे हैं जिन की उम्र 9 और 13 साल है.

आप के खयाल से समाज में जैंडर इक्वैलिटी लाने के लिए क्या जरूरी है?

जैंडर इक्वैलिटी का पहला पाठ लड़के घर से ही पढ़ते हैं. अपने घर में कभी भी बेटे और बेटी के बीच फर्क न करें. घर के पुरष पत्नी, मां और बहनों का सम्मान करें. मेरे पति अपने दोनों बेटों के रोल मौडल हैं. बच्चे पिता को देख कर सीखते हैं कि औरत की इज्जत कैसे की जाती है. जिन घरों में लड़के देखते हैं कि उन की मां स्ट्रौंग और इंडिपैडैंट है, पिता मां के साथसाथ चलते हैं, तो ऐसे में बच्चे का नजरिया कुछ अलग होता है और इस की छाप बड़े होने पर भी कायम रहती है.

ग्लास सीलिंग के संदर्भ में आप क्या कहेंगी?

सैकड़ों सालों से स्त्रियां ग्लास सीलिंग का सामना कर रही है. यह तुरंत नहीं बदलेगा पर हम इस संदर्भ में बात करने लगे हैं, लोगों के दिलों में थोड़ा डर भी आ गया है यही बहुत है. ग्लास सीलिंग केवल इंडिया में नहीं यूरोप, अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी है बस पैकेजिंग थोड़ी अलग है. जरूरी है कि हम इस के बारे में बात करें. लोगों को इस का एहसास तो हो कि ग्लास सीलिंग क्या है. तभी हम इसे तोड़ पाएंगे.

एफडी में इंवेस्ट का प्लान है? ये खबर आपके लिए जरूरी है

1 फरवरी को सरकार ने संसद में वित्तीय बजट पेश किया. इस बजट में कई बड़े बदलावों को इंट्रोड्यूस किया गया हैं. पर इस खबर में हम आपको फिक्स्ड डिपौजिट और रेकरिंग डिपौजिट से जुड़ी जानकारियां देंगे. नए बजट में पोस्ट औफिस और बैंकों में फिक्स्ड डिपौजिट और रिकरिंग डिपौजिट से मिलने वाले 40,000 तक के ब्याज को टैक्स फ्री कर दिया है. इस खबर में हम आपको पांच ऐसे बैंकों के बारे में बताने वाले हैं जो तीन साल के फिक्स्ड डिपौजिट पर सलाना 9 फीसदी की ब्याज दर दे रही हैं. जबकि सिनियर सिटिजन के लिए ये ब्याज दर 9.60 का है. अगर आप एफडी या आरडी में निवेश करना चाहती हैं  तो ये खबर आपके काम की है.

आरबीएल बैंक

ये बैंक तीन साल के लिए एफडी में निवेश करने पर 7.60 फीसदी का सलाना ब्याज दे रही है. वहीं सिनियर सिटिजन के लिए ये ब्याज दर 8.10 का है.

आईडीएफसी बैंक

ये बैंक तीन साल की फिक्स्ड डिपौजिट पर 7.50 फीसदी की ब्याज दर देता है, वहीं सिनियर सिटिजन के लिए ये दर 8 फीसदी की है.

आईसीआईसीआई बैंक

आपको बता दें कि इस बैंक में अलग अलग स्लैब के लिए अलग अलग ब्याज दर हैं. एक करोड़ से कम की एफडी पर बैंक अपने ग्राहकों को 8 फीसदी की ब्याज दर दे रही है. वहीं नौन प्रीमैच्योर विड्रौल वाली एक करोड़ रुपये ये अधिक की एफडी पर 7.60 की ब्याज दर है.

डीसीबी बैंक

डीसीबी बैंक तीन साल की फिक्स्ड डिपौजिट पर 8.05 की ब्याज दर दे रही है. वहीं सिनियर सिटिजन के लिए ये दर 8.55 का है.

लक्ष्मी विलास बैंक

यह बैंक तीन साल की एफडी पर 7.75 फीसदी सलाना ब्याद दर दे रहा है. सिनियर सिटिजन के लिए ये दर 8.35 है.

आज की नैतिकता पुरानी नैतिकता से अच्छी

जब से हिंदू कानून में 1956 और 2005 में बदलाव आया है और बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलने लगा है, तब से भाईबहनों के विवाद बढ़ रहे हैं. 1956 में तो खास परिवर्तन नहीं हुआ था पर तब भी संयुक्त परिवार की संपत्ति में एक जने के अपने हिस्से में से बेटोंबेटियों को बराबर का हिस्सा देने का कानून बना था. 2005 में संयुक्त परिवार में बेटेबेटियों को बराबर का साझीदार कानून घोषित कर दिया गया था.

जो लोग समझते हैं कि इस से भाईबहनों के प्रेम की हिंदू समाज की परंपरा को नुकसान पहुंचा है वे यह नहीं जानते कि असल में पौराणिक कहानियों में ही भाईबहनों के विवादों का बढ़ाचढ़ा कर उल्लेख है और ये कहानियां सिरमाथे पर रखी जाती हैं.

महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक भीम का विवाह हिडिंबा से तब हुआ जब भीम ने हिडिंबा के भाई को मार डाला था. असुर राजा ने अपनी बहन हिडिंबा को अपने इलाके में घुस आए पांडवों को मारने के लिए भेजा था पर हिडिंबा भीम पर आसक्त हो गई और उस के उकसाने पर भीम ने उस के भाई को ही मार डाला.

बाद में हिडिंबा ने भीम से विवाह कर लिया और उन से घटोत्कच नाम का पुत्र हुआ जिस ने कौरवपांडव युद्ध में काफी पराक्रम दिखाया. कहानी में महाभारत का लेखक कहीं भी बहन के भाई के विरुद्ध जाने की आलोचना नहीं करता. वह बहन जिसे भाई ने घुसपैठियों को मारने के लिए भेजा था भाई की प्रिय ही होगी वरना वह क्यों अनजान लोगों को मारने के लिए भेजता? मगर आसक्ति ऐसी चीज है जिस में भाई तक को मरवा डाला जाता है और जिन धर्मग्रंथों का हवाला हमारे पंडे और उन के भक्त नेता देते रहते हैं वे ऐसी अनैतिक गाथाओं से भरे पड़े हैं.

वास्तव में आज की नैतिकता हमारी पुरानी नैतिकता से बहुत अच्छी है. भाईबहनों में अगर विवाद हो रहे हैं तो अब भाईबहन एकदूसरे के सगे साथी भी बन रहे हैं. जहां घरों में केवल 1 भाई और 1 बहन होना सामान्य हो रहा है, वहां भाईबहन एकदूसरे के लिए जान छिड़क रहे हैं.

राहुल गांधी यदि विवाह किए बिना भी आराम से संतुलित जीवन जी पा रहे हैं तो इसलिए कि उन्हें प्रियंका और उन के बच्चों का साथ मिलता है. 2005 का कानून सोनिया गांधी के कहने पर लाया गया था, हालांकि कांग्रेस आमतौर पर इस का श्रेय हिंदू कट्टरवादियों से डर कर नहीं लेती पर सच यह है कि भारत में समाज सुधार विदेशियों ने किया, हिंदू धर्म का ढिंढोरा पीटने वालों ने नहीं.

माउंटेनियरिंग को एन्जौय  करने के जरूरी टिप्स

भारत में बहुत से ऐसे पहाड़ हैं जिनकी ट्रैकिंग मुश्किल ही नहीं बल्कि खतरनाक भी है. लेकिन फिर भी यहां तक पहुंचने वाले पर्वतारोहियों की कमी नहीं. तो अगर आप भी माउंटेयनरिंग का हिस्सा बनना चाहती  हैं तो खुद इसके लिए तैयार भी करें तभी आप इस एडवेंचर को सही मायनों में एन्जौय कर सकती हैंं. तो आइए आज आपको बताते हैं, आप कैसे माउंटेनियरिंग को ज्यादा से ज्यादा एन्जौय कर सकती हैं.

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तैयारी और प्लानिंग

पहाड़ों पर सफलतापूर्वक चढ़ने के साथ ही और हर एक पल को तभी एन्जौय कर पाएंगी जब आप पूरी प्लानिंग के साथ जाएंगी. फिर चाहे वो शार्ट क्लाइम्बिंग हो या फिर दो महीने की. तैयारी से मतलब है फिजिकली, मेंटली खुद को फिट रखना और प्लानिंग का मतलब है माउंटेनियरिंग कोर्स के बारे में लगातार पता करते रहना जिससे आप सही समय पर कोर्स को ज्वाइन कर सकें.

मौसम की हों सही जानकारी

माउंटेनियरिंग पर निकलने से पहले स्थानीय लोगों से वहां का हाल जान लें. पहाड़ों का मौसम मिनटों में बदलता रहता है. जो कई बार खतरनाक भी साबित हो सकता है. इसके साथ ही ट्रेनिंग के दौरान खतरनाक मौसम में कैसे खुद को बचाना है इसे अच्छे से जान लें और समझ लें.

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एक्सरसाइज के लिए सही फुटवेयर्स

माउंटेनियरिंग का कोर्स में बेशक एडवेंचर और फन होता है लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं कि आप जरूरी चीज़ों को इग्नोर करें. इसमें से एक है आपके फुटवेयर्स. जी हां, पहाड़ों पर चढ़ने के लिए फैशनेबल नहीं बल्कि मजबूत और कम्फर्टेबल फुटवेयर्स लेने चाहिए.

खाना-पीना

माउंटेनियरिंग के लिए अपने पास ऐसे फूड्स रखना बहुत जरूरी है जो रेडी टू इट हों. पकाने और बनाने की कोई टेंशन न हो जब भी भूख लेंगे आराम से खा सकें. न्यूट्रिशन और एनर्जी से भरपूर होने के साथ ही ये लाइटवेटेड भी हों क्योंकि पहाड़ों पर चढ़ाई के दौरान आपको अपना बैग खुद ही कैरी करना पड़ता है. बेस्ट होगा आप ऐसे सफर पर अपने साथ एनर्जी बार्स और पैक्ड फूड्स कैरी करें.

पापड़ की सब्जी की रेसिपी

सामग्री :

– लिज्जत पापड़ (8)

– दही (1/2 कप)

– तेल (01 छोटा चम्मच)

– पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

– गरम मसाला पाउडर (हाफ टेबलस्पून)

– धनिया पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

– मेथी दाना (1/2 छोटा चम्मच)

– कश्मीरी मिर्च पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

– मिर्च (04 लम्बाई में कटी हुयी)

– नमक (स्वादानुसार)

पापड़ की सब्जी बनाने की विधि :

– सारे पापड़ को 2 टुकड़ों में कर लें और उन्हें 7-8 मिनट के लिए पानी में भि‍गा दें.

– अब दही में नमक, हल्दी पाउडर और धनिया पाउडर डालें और अच्छी तरह से मिला लें.

– एक फ्राई पैन में तेल गरम करें.

– तेल गरम होने पर उसमें मेथी दाना डालें.

– फिर उसमें कटी हुई हरी मिर्च और कश्मीरी मिर्च पाउडर डालें और उन्हें हल्का सा भून लें.

– अब पैन में दही और एक कप पानी (जरूरत होने पर इसे कम ज्यादा किया जा सकता है) डालें और उसे     अच्छी तरह से मिला दें.

– जब पैन में उबाल आ जाये, उसमें पापड़ और गरम मसाला मिला दें और 1 मिनट पका लें.

इन 5 वजहों से शादी से बचना चाहते हैं लड़के

शादी किसी भी व्यक्ति के लिए एक बहुत अहम फैसला होता हैं. लेकिन देखा गया है कि अधिकतर लड़के शादी की बात आते ही इससे कतराने लगते हैं और इसे टालने की कोशिश करते हैं. जब भी कभी लड़कों की शादी की बात की जाती है तो वे इससे इनकार कर देते हैं.

इसकी कई वजह हो सकती हैं, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी वजहें बताने जा रहे हैं जो मुख्यतया देखी गई हैं और जिनके कारण लड़के शादी करने से बचना चाहते हैं. तो आइये जानते है इन कारणों के बारे में.

जादी से प्यार

लड़के किसी भी कीमत पर अपनी आजादी को दांव पर नहीं लगाना चाहते. उन्हें लगता है कि शादी के बाद उन पर बीवी और बच्चे की जिम्मेदारी आ जाएगी, ऐसे में वे अपने शौक पूरे नहीं कर पाएंगे. दोस्तों के साथ कहीं घूमने-फिरने नहीं जा सकेंगे. अपनी मर्जी से खा नहीं पाएंगे, चाहकर भी उन्हें टाइम पर घर आना पड़ेगा.

करियर की चिंता

लड़कों को लगता है कि शादी के बाद उनके खर्चे बढ़ जाएंगे और वे पहले की तरह अपनी सैलरी खुद पर खर्च नहीं कर पाएंगे. बल्कि इस सैलरी से उन्हें अपने परिवार के लोगों की भी जिम्मेदारियां पूरी करना पड़ेगी.

Why Do Guys Not Want To Get Married

कमिटमेंट से घबराना

ज्यादातर लड़कों को कमिटमेंट से डर लगता है, क्योंकि अफेयर में कमिटमेंट तो होता है, लेकिन अगर आगे जाकर संबंध अच्छे न चले, तो दोनों बिना किसी समस्या के अलग हो सकते हैं. लेकिन शादी में परिवार, रिश्तेदार शामिल होते हैं. ऐसे में यह उन्हें जंजीर जैसी लगती है.

शादी न चल पाने का डर

आए दिन तलाक, झूठे दहेज के केस और धोखे की कहानियां सुनने के बाद लड़कों के मन में डर बैठ जाता है कि अगर उनकी शादी अच्छी न चल पाई, तो क्या होगा. ऐसे में शादी के लिए आसानी से हां कह पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है.

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घरेलू नहीं बनना चाहते

शादी से पहले लडके के मन में ऐसी कई बातें आती है कि शादी करवा कर वे घरेलू बन जाएंगे. उन्हें बच्चे का डायपर, घर का राशन और बिजली का बिल जैसी चीज़ें करनी पड़ेंगी, जिससे वे बचना चाहते हैं.

ये 10 टिप्स आपको दिलाएंगे फटे होंठों से छुटकारा

सर्दियों में हम अपने शरीर को ठंडी हवा के झोंके से चाहे जितना भी बचा लें पर एक न एक हिस्‍सा ऐसा होता है जिस पर इसका असर पड़ ही जाता है. इसी तरह से हमारे होंठ हैं जो सीधे ही ठंडी हवा के सपर्क में आते हैं और फट जाते हैं.

होंठ फटने के बाद इनपर चाहे जितना वैसलीया या बाम लगाओ कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए हम आपको कुछ घरेलू उपचार बताएगें जिससे फटे होंठों की समस्‍या से छुटकारा पाया जा सके.

  1. कोशिश करें कीलिपस्टिकखरीदते समय हमेशा ग्‍लौसी लिपस्टिक ही लें ना कि सूखी लिपस्टिक. लिप बाम भी हमेशा अनफ्लेवर ही होना चाहिए. दांत ब्रश करने के लिए लिया गया टू‍थपेस्‍ट भी अनफ्लेवर ही होना चाहिए.
  2. घी में जरा-सा नमक मिलाकर होठों और नाभि पर लगाने से लाभ होता है. यही नहीं खीरे की स्‍लाइस,ऐलोवेरा जैल और नीम की पत्तियों को भी आप अपने फटे होंठों पर लगा सकती हैं.
  3. रोजअपने फटे हुए होंठों को किसी टूथब्रश या फिर कपड़े के टुकड़े की मदद से मृत त्‍वचा को हल्‍के हल्‍के रगडना चाहिए. पर ध्‍यान रहे कि होंठों को तेज़ी से न रगड़े वरना वह फट जाएंगेऔर खून निकलने लगेगा.
  4. जब आप होंठों की मृत त्‍वचा को साफ कर लें तब उस पर बाम या वैसलीन लगा लें. अच्‍छा होगा कि यह कार्य आप रात को सोते वक्‍त करें.
  5. कोशि‍श करें कि होंठों पर कुछ दिनों तक कोई कॉस्‍मैटिक यालिपस्टिकन लगाएं. इससे होठों के पोर्स बंद हो जाते हैं.
  6. होंठों को पोषण देने के लिए उसपर ताजीक्रीम और नींबू का रस लगा कर मालिश करें.
  7. फटे होठों के लिए पपीता का प्रयोग उचित रहता है. इसके रस को लगाने से त्‍वचा में नमी बरकरार रहती है और वह कोमल और नरम बनें रहते हैं.
  8. खूब सारा पानी पिएं क्‍योंकि इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आपके होंठ डिहाईड्रेशन का शिकार नहीं होगें.
  9. होंठों के फटने का एक कारण यह भी होता है कि उनमें विटामिन की कमी हो. टमाटर,गाजर,साबुत अनाज,चुकंदर और हरी सब्जियां खा कर आप विटामिन ए पा सकते हैं.
  10. आप जैतून का तेल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन या चार बार फटे होंठों पर लगा सकते हैं.

 

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