शायद यही सच है

भाग-1

बैंक से निकलते हुए भारती ने घड़ी पर निगाह डाली तो 6 बजे से अधिक का समय हो चुका था. यद्यपि उस के तमाम सहयोगी कर्मचारी 5 बजे से ही घर जाने की तैयारी में जुट जाते हैं, पर भारती को घर जाने की कोई जल्दी नहीं रहती. उस अकेले के लिए तो जैसे बैंक वैसे घर. एक अकेली जीव है तो किस के लिए भाग कर घर जाए. बैंक में तो फिर भी मन काम में लगा रहता है लेकिन तनहा घर में सोने व दीवारों को देखने के अलावा वह और क्या करेगी.

पार्किंग से भारती ने अपनी कार बाहर निकाली और घर की ओर चल दी. वही रास्ते, वही सड़कें, वही पेड़, कहीं कोई बदलाव नहीं, कोई रोमांच नहीं. एक बंधे बंधाए ढर्रे पर जीवन की गाड़ी जैसे रेंग रही है. सुस्त चाल से घर पहुंच कर वह सोफे पर निढाल सी जा पड़ी. अकसर ऐसा ही होता है, खाली घर जैसे उसे खाने को दौड़ता है. एक टीस सी उठती है, काश, कोई तो होता जो घर लौटने पर उस से बतियाता, उस के सुखदुख का भागीदार होता.

यद्यपि भारती अतीत की गलियों में भटकना नहीं चाहती, मन पर कठोरता से अंकुश लगाने की कोशिश करती रहती है लेकिन कभीकभी मन चंचल बच्चे सा मचल उठता है. आज भी भारती ने सोफे पर पड़ेपड़े आंखें बंद कीं तो उस का मन नियंत्रण में नहीं रहा. पलों में ही लंबीलंबी छलांगें लगा कर मन ने उस के अतीत को सामने ला खड़ा किया.

उन दिनों वह बी. काम. अंतिम वर्ष की छात्रा थी. कुदरत ने उसे आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान किया था. ऊंची कद- काठी, गोरे रंग पर तीखे नाकनक्श, लंबे घने काले बाल जिन्हें चोटी के रूप में गूंध देती तो वह नागिन का रूप ले लेती.

उसे बनसंवर कर रहने का भी बेहद शौक था. जब भी वह परिधान के साथ मेल खाते टौप्स, चूडि़यां पहन पर्स लटकाए कालिज आती तो उस की सहेलियां उसे छेड़ते हुए कहतीं, ‘वाह, आज तो गजब ढा रही हो. रास्ते में कितनों को घायल कर के आई हो?’

वह भी बड़ी शोख अदा के साथ कहती, ‘तुम ने देखा नहीं, अभीअभी बेहोश लड़कों से भरी एम्बुलेंस यहां से गुजर कर अस्पताल की ओर गई है. वे सभी मुझे देख कर ही तो बेहोश हुए थे.’ फिर जोरदार ठहाके लगते.

पढ़ाई में भी वह अव्वल थी. उस की दिली इच्छा थी कि पढ़लिख कर वह बड़ा अफसर बने. इस के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी उस ने शुरू कर दी, लेकिन मांबाप उस की शादी कर के जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. जब उस ने आगे पढ़ने की बहुत जिद की तो वे इस शर्त पर तैयार हुए कि जब तक कोई अच्छा मनपसंद लड़का नहीं मिल जाता वह पढ़ाई करेगी, लेकिन जैसे ही उपयुक्त वर मिल गया उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी.

एम. काम. का पहला सत्र शुरू हो गया था. वह पढ़ाई में व्यस्त हो गई थी और मांबाप उस के लिए लड़का ढूंढ़ने में. 2 भाइयों के बीच इकलौती बहन होने के कारण भारती मांबाप की लाड़ली भी थी और भाइयों की दुलारी भी. अपनी सुंदरता का गुमान तो उसे था ही, इसलिए जब पहली बार मांबाप ने उस के लिए लड़का देखा और बात चलाई तो उस का फोटो देखते ही वह बिदक कर बोली, ‘इसे आप लोगों ने पसंद किया है? इस की लटकी सूरत देख कर तो लगता है कहीं से दोचार जूते खा कर आया हो. मुझे नहीं करनी इस से शादी.’

मांबाप ने बहुतेरा समझाया कि लड़का पढ़ालिखा अफसर है, लेकिन भारती ने साफ मना कर दिया.

अगली बार उन्होंने भारती को न तो लड़के की फोटो दिखाई और न परिचय- पत्र. सीधेसीधे लड़के व उस के मातापिता को होटल में मुलाकात का समय दे दिया. इस बार भारती और चिढ़ गई, ‘जिस के बारे में मुझे कुछ जानकारी नहीं है, न उस की फोटो देखी है, उस के सामने अपनी प्रदर्शनी करने चली जाऊं?’

मांबाप ने समझाया, ‘देखो बेटी, हमें इन के बारे में संतोषप्रद जानकारी प्राप्त हुई है. तुम जो भी पूछना चाहो पूछ सकती हो. आखिर शादी तो तुम्हें ही करनी है. तुम्हारी तसल्ली के बाद ही बात आगे बढ़ेगी. तुम बेकार तनाव क्यों ले रही हो, कोई जबरदस्ती तो है नहीं,’ तब जा कर वह कुछ सामान्य हुई.

बातचीत केदौरान भारती ने लड़के के घर वालों से स्पष्ट कह दिया कि वह शादी के बाद घर बैठने वाली लड़कियों में से नहीं है. उस का कैरियर माने रखता है. वह महत्त्वाकांक्षी है और शादी के बाद भी वह नौकरी करेगी.

लड़के की मां ने साफ कह दिया, ‘बेटा, हमें तो घर संभालने वाली पढ़ीलिखी बहू चाहिए. अगर तुम 8-10 घंटे की नौकरी करोगी, सारा दिन घर के बाहर रहोगी तो हमें ऐसी बहू का क्या फायदा?’

बात खत्म हो गई पर घर आ कर मां ने भारती को फटकारा, ‘यह सब अभी से कहने की क्या जरूरत थी? शादी के बाद भी तो ये बातें की जा सकती थीं.’

इस पर तुनक कर भारती बोली थी, ‘अच्छा हुआ, अभी खुली बात हो गई. देखा नहीं आप ने, लड़के की मां को घर संभालने वाली, घर का काम करने वाली बहू नहीं नौकरानी चाहिए. इतना पढ़लिख कर भी रोटीदाल बनाओ, बच्चे पैदा करो, उन के पोतड़े धोओ और घर के कामों में जिंदगी बरबाद कर दो.’

कुछ समय गुजरने के बाद एक दिन मां ने भारती को विश्वास में लेते हुए कहा, ‘बेटा, हम देख रहे हैं कि हमारे पसंद किए लड़के तुम्हारी कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे. अगर तुम ने अपनी तरफ से किसी को पसंद कर के रखा है तो हमें बता दो. तुम्हारी खुशी में ही हम सब की खुशी है.’

‘मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है,’ भारती बोली थी, ‘अगर होगी तो आप को जरूर बताऊंगी.’

लेकिन असलियत यह थी कि पिछले कुछ समय से अपने सहपाठी हिमेश के साथ भारती का प्रेमप्रसंग चल रहा था. भारती उसे अच्छी तरह से परख कर ही कोई फैसला लेना चाहती थी. वह जानती थी कि प्रेमी और पति में काफी फर्क होता है. उस ने सोच रखा था, हिमेश अगर उस की कसौटी पर खरा उतरेगा तभी वह अंतिम निर्णय लेगी और मां को इस बारे में बताएगी. 2 बहनों के बीच अकेला भाई होने के कारण हिमेश के मांबाप की सभी आशाएं उसी पर टिकी थीं.

छुट्टी का दिन था. भारती तथा हिमेश ने आज घूमने तथा किसी अच्छे से होटल में खाना खाने का प्रोग्राम बनाया. सिद्धार्थ पार्क के एक कोने में प्रेमालाप करते हुए हिमेश व भारती अपने भविष्य के रंगीन सपने बुनते रहे. तभी भारती ने कहा, ‘हिमेश, मैं बैंक की प्रतियोगिता परीक्षा में बैठ रही हूं. तैयारी शुरू कर दी है. तुम्हारी क्या योजना है भविष्य की?’

‘डैडी का अपना कारोबार है, जो दूसरे शहरों तक फैला हुआ है. मुझे तो वही संभालना है. बस, इस वर्ष की अंतिम परीक्षा के बाद मेरा सारा ध्यान अपने व्यवसाय में ही होगा.’

‘यह भी ठीक है. तुम अपने व्यवसाय में व्यस्त रहोगे और मैं अपनी बैंक की नौकरी में व्यस्त रहूंगी. वरना दिन भर घर में अकेली कितना बोर हो जाऊंगी,’ भारती ने कहा तो हिमेश हैरानी से बोला, ‘तुम अकेली कहां होेगी, मेरी बहनें और मां भी तो रहेंगी तुम्हारे साथ.’

‘हिमेश, एक बात अभी से स्पष्ट कर देना चाहती हूं, मैं संयुक्त परिवार में तालमेल नहीं बैठा पाऊंगी. छोटीछोटी बातों पर रोकटोक वहां आम बात होती है, जो मुझ से सहन नहीं होगी. फिर मैं शादी के बाद भी नौकरी पर जाती रहूंगी. तुम्हारी बहनों की पटरी भी मेरे साथ जम पाएगी, इस में मुझे शक है, इसलिए तुम्हें अपने परिवार से अलग रहने की मानसिकता अभी से बना लेनी चाहिए.’

भारती की बातें सुन कर हिमेश स्तब्ध रह गया. फिर भी अपनी ओर से उसे समझाते हुए बोला, ‘भारती, हर मांबाप की चाह होती है कि उन की बहू संस्कारी हो और घर के सदस्यों के साथ हिलमिल कर रहे, बड़ों को मानसम्मान दे. मेरे मातापिता की भी तो यही ख्वाहिश होगी, आखिर मैं उन का इकलौता बेटा हूं. उन की मुझ से कुछ उम्मीदें भी होंगी. मैं उन्हें छोड़ अलग कैसे रह सकता हूं?’

‘तो फिर मेरे और तुम्हारे रास्ते आज से अलगअलग हैं. मैं तो अपनी इच्छा से जीवन जीने वाली लड़की हूं. कल को मेरे उठनेबैठने और नौकरी करने पर तुम्हारे मम्मीडैडी किसी तरह का एतराज करें, यह मैं सहन नहीं कर सकती. इस से अच्छा है हम इस रिश्ते को यहीं समाप्त कर दें.’

‘भारती, तुम्हारी बातों से स्वार्थ की बू आ रही है,’ हिमेश बोला, ‘जिंदगी में केवल अपनी ही सुखसुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जाता बल्कि दूसरों के लिए भी सोचना पड़ता है. केवल अपने लिए सोचने वाले स्वार्थी लोग अंदर से कभी खुश नहीं रह पाते…’

हिमेश की बात को बीच में काटते हुए भारती बोली, ‘अपनी दार्शनिकता अपने पास ही रहने दो. मुझे इन में कोई दिलचस्पी नहीं है और अब इस रिश्ते का कोई अर्थ नहीं रह जाता,’ वह उठ कर चल दी. हिमेश उसे पुकारता रहा लेकिन वह नहीं रुकी.

बैंक की प्रतियोगी परीक्षा में सफल हो कर भारती अधिकारी के पद पर नियुक्त हो गई. अब उस में बड़प्पन व अहम की भावना और बढ़ने लगी. इस बीच मांबाप द्वारा पसंद किए 2-3 और रिश्तों को उस ने ठुकरा दिया. कहीं लड़का स्मार्ट नहीं, कहीं उस की आय कम लगी तो कहीं परिवार बड़ा. उस के भाई की उम्र भी शादी के लायक हो गई थी. बेटी की कहीं बात बनती न देख कर मांबाप ने भारती के भाई की शादी कर दी. 2-3 साल और सरक गए. दोचार रिश्ते भारती के लिए आए तो कहीं लड़का अच्छी नौकरी न करता, कहीं लड़के की उम्र उस से कम होती. एक परिवार ने तो दबे स्वर में कह भी दिया कि लड़की इतनी नकचढ़ी है, खुद को आधुनिक मानती है, कैसे विवाह के बंधन को निभा पाएगी.

अब भारती की छवि नातेरिश्तेदारों में एक बिगडै़ल, क्रोधी, नकचढ़ी, बदमिजाज लड़की के रूप में स्थापित हो गई थी. इस बीच दूसरे बेटे के लिए रिश्ते आने लगे तो मांबाप ने अपनी जिम्मेदारी मान कर उस की भी शादी कर दी. भारती अब 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी थी. अब चेहरे का वह लावण्य कम होने लगा था, जिस पर उसे नाज था.

एक दिन पिता सोए तो सवेरे उठे ही नहीं. उन्हें जबरदस्त दिल का दौरा पड़ा था. घर भर में कोहराम मच गया. मां तो बारबार बेहोश हो जाती थीं. जब होश आता तो विलाप करतीं, ‘हमें किस के भरोसे छोड़े जा रहे हो…भारती के हाथ तो पीले करवा जाते. अब कौन करेगा.’

पिता की मृत्यु के बाद घर में उदासी पसर गई. दोनों बेटेबहुओं का व्यवहार भी बदलने लगा. छोटीछोटी बातों पर उलझाव, तनाव, कहासुनी होने लगी. इन सब के केंद्र में अधिकतर भारती ही होती. सालभर में ही दोनों बेटे अपनेअपने परिवारों को ले कर अलग हो गए. इस से मां को गहरा सदमा पहुंचा. एक दिन अपने गिरते स्वास्थ्य की दुहाई देते हुए वह बोलीं, ‘भारती बेटा, अगर मेरे जीतेजी तेरी शादी हो जाए तो मैं चैन से मर सकूंगी. मुझे दिनरात तेरी ही चिंता रहती है. मेरे बाद तू एकदम अकेली हो जाएगी. मेरी मान, मेरे दूर के रिश्ते में एक पढ़ालिखा इंजीनियर लड़का है, घर खानदान सब अच्छा है, एक बार तू देख लेगी तो जरूर पसंद आ जाएगा.’

‘मम्मी, तुम मेरी शादी को ले कर इतनी परेशान क्यों होती हो? अगर शादी नहीं हुई तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा? क्या जीवन की सार्थकता केवल शादी में है? आज मैं प्रथम श्रेणी की अफसर हूं. अच्छा कमाती हूं, क्या यह उपलब्धियां कम हैं?’

‘बेटा, औरत आखिर औरत होती है. अभी इस उम्र में ऊर्जा, सामर्थ्य होने के कारण तू ऐसी बातें कर रही है लेकिन उम्र ठहरती तो नहीं. एक दिन ऐसी स्थिति भी आती है जब व्यक्ति थक जाता है. तब वह अपनों का प्यार, संबल और आराम चाहता है. उम्र के उस पड़ाव पर जीवनसाथी का संग ही सब से बड़ा संबल बन जाता है. तुम खुद इतनी पढ़ीलिखी हो कर भी इन बातों को क्यों नहीं समझतीं? एक औरत की पूर्णता उस के पत्नी, मां बनने पर ही होती है. बेटी, अभी भी वक्त है, मेरी बातों पर गौर कर के इस रिश्ते को स्वीकार कर लो.’

मां की इन बातों का इतना असर हुआ कि भारती राजी हो गई. मोहित को देखने के बाद उस ने अपनी स्वीकृति दे दी. मोहित उम्र में परिपक्व था. 35 पार कर चुका था. उस ने भी भारती को पसंद कर लिया. मां उन की शादी जल्द से जल्द करना चाहती थीं ताकि कहीं कोई अड़चन न आ जाए. उन्हें आशंका थी, अत: शादी की तारीख भी एक महीने बाद की तय कर दी गई.   -क्रमश:

मेरी मां- ‘मां तू है तो लगता है महफूज हूं मैं’

रूना सिंघल,

मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त, सबसे अच्छी सलाहकार. मेरी मां ने हर कदम पर मेरा साथ दिया मुझे हर काम करने के लिये प्रोत्साहित किया है. हमेशा मेरे एग्जाम की तैयारी कराना. घण्टो मेरे साथ बैठ कर ड्राइंग करवाना. एक वक्त ऐसा भी आया जब मैं बिल्कुल टूट गयी तब सिर्फ मां तुमने भरोसा किया तुम ने साथ दिया. मेरी जिंदगी के हर पहलू में हर फैसले में हर सही गलत का परिचय कराया. मेरे बाहर पढ़ने जाने के जब सब खिलाफ थे मां बस तुमने सबको मनाया और भरोसा भी दिलाया. जितना भी मां तुम्हारा धन्यवाद करूं कम है. बस दो पंक्तियां मां तुम्हारे लिये—-

“मां से बढ़कर कोई जन्नत नही होती, मां के बिना कोई खुशी पूरी नही होती

मां तू है तो लगता है महफ़ूज हूं मैं, क्योंकि मां तेरे बिना तो कुछ भी नही हूं मैं”

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मेरी मां- ‘हर गलती पर ऐसे बचा लेती थी मां…’

राखी लखन, (जानकीपुरम)

मां,

अथाह प्यार और त्याग का प्रतीक होती है. उसका सुख-दुख अपने परिवार में ही निहित होता है. बच्चा खुश हो तो मां खुश, उसे कोई परेशानी हो तो मां को दुगुनी परेशानी. ऐसी होती है मां. मेरी मां भी ऐसी ही थी. उनकी शादी 13 साल में होने के कारण वो बहुत ज्यादा पढ़ नहीं पाई थीं, लेकिन जितना भी पढ़ा था वो सब हम सबको बताया करती थीं. पढ़ाई और खाने के मामले में सख्त और वैसे बहुत ही प्यारी.

हर गलती पर बचा लेती मां…

घर में सबसे छोटी होने के कारण हमें विशेष प्यार करती थीं. हमेशा हर गलती पर ये कहकर बचा लेती थी हमें कि अभी छोटी है. बड़ी बहन कहती थी कि मां ये कब तक छोटी रहेगी. तो कहती थी मेरे लिए तो हमेशा ही रहेगी. आज मैं भी मां हूं एक बेटे की और आज उनकी कही हर बात समझ में आती है. उनकी चिंता, उनकी डांट और गुस्से के पीछे छुपा प्यार सब कुछ समझ में आता है.

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मुश्किल वक्त में नहीं मानी हार…

कुछ ही साल पहले की बात है जब वो बहुत बीमार हुईं और आईसीयू में एडमिट थी. हम सब जब उनसे मिलते और पूछते कि कैसी तबियत है तो यहीं कहती कि मैं ठीक हो जाऊंगी, तुम लोग चिंता मत करना. हम सब भी जानते थे कि कुछ ठीक नहीं है फिर भी वो हम लोगों को हिम्मत देती कि सब ठीक है. सब ठीक हो जाएगा. उनसे सीख मिली की परिस्थितियां कैसी भी हो हार नहीं माननी चाहिए.

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इस साल नहीं होगी वरुण-नताशा की शादी, पिता ने किया खुलासा

बौलीवुड में कुछ भी स्थायी नहीं होता. कब क्या बदल जाए, कह नहीं सकते. तभी तो वरूण धवन और उनकी प्रेमिका नताशा दलाल के विवाह की तारीखें भी बार-बार बदलती जा रही हैं. 2018 में चर्चाएं गर्म हुई थी कि वरूण धवन और नताशा 2019 की शुरूआत में शादी कर लेंगे. फिर खबर आयी कि वरूण धवन के जन्मदिन पर इनकी सगाई होगी और मई माह में दोनों गोवा में शादी होगी. पर वरूण धवन अपने जन्मदिन से एक दिन पहले विदेश चले गए थे. उसके बाद वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने मीडिया के सामने आकर कहा था कि शादी टूटी नहीं है. यह शादी होगी जरुर.

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पिता ने किया खुलासा…

फिलहाल कुछ दिनो से खबरें गर्म थी कि वरूण धवन और नताशा दलाल इसी साल नवंबर या दिसंबर माह में जोधपुर में शादी करेंगे. लेकिन अब एक बार फिर वरूण धवन के पिता डेविड धवन ने ही पत्रकारों से कहा है कि नवंबर या दिसंबर माह में वरूण की शादी नहीं हो रही है.

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जल्द होगी अनाउंसमेंट…

इस बार डेविड धवन ने थोड़ा गुस्से मे पत्रकारों से कहा -‘‘कुछ पत्रकार बिना हमसे पूछे वरूण की शादी की तारीखें घोषित कर रहे हैं. सच यह है कि वरूण इस वर्ष शादी नहीं कर रहे हैं. वरूण धवन 2020 में शादी करेंगे. शादी की तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी.’’ॉ

EDITED BY- NISHA RAI

9 टिप्स: गरमी में रखें बालों का ख्याल

कई बार नए हेयर लुक के चक्कर में नुकसान वाले कैमिकल या ऐलर्जी वाले प्रौडक्ट्स से बालों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा बालों को रोजाना पौल्यूशन, धूल, गंदगी और धूप का सामना भी करना पड़ता है, जिससे यह नुकसान कई गुना बढ़ सकता है. कोई भी इस तरह के नुकसान झेलना नहीं चाहता. लिहाजा अगर आप ड्रायर, ब्लोअर और स्ट्रेटनर जैसे स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स या जैल या अल्कोहल वाले स्प्रे या अन्य खतरनाक कैमिकल प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से अपने बालों पर बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रही हैं, तो सावधान हो जाएं और अपने बालों की अतिरिक्त देखभाल पर ध्यान देना शुरू कर दीजिए. इसीलिए आज हम आपको कैम्कल वाले प्रोडक्टस से बालों की केयर कैसे करें इसके बारे में बताएंगे.

1. हेयर की सफाई है जरूरी

देखभाल की बुनियादी शुरुआत बालों की सफाई से होती है. यदि आप अपने बाल नियमित रूप से नहीं धोती हैं और उन्हें साफ नहीं रखतीं तो बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाएंगी और हेयरस्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का नियमित इस्तेमाल बालों का नुकसान बढ़ा देगा. इसके अलावा डीप कंडीशनिंग का नियमित इस्तेमाल आप के बालों को स्वस्थ रखेगा. उससे हेयरस्टाइलिंग उत्पादों के अत्यधिक इस्तेमाल से बेजान और शुष्क नजर आने वाले बाल भी सुरक्षित और पोषित रहेंगे.

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2. बालों की केयर के लिए डर्मेटोलौजिस्ट से मिलें

विटामिन ए, फौलिक ऐसिड, विटामिन बी कौंप्लैक्स, प्रोटीन तथा कैल्सियम जैसे सप्लिमैंट्स बालों के लिए अच्छे होते हैं. यदि आपके बाल पतले हो रहे हैं, तो किसी अच्छे डर्मेटोलौजिस्ट से मिलें, जो आप को उचित विटामिन लेने की सलाह दे सके.

3. बालों को सुखाने के लिए ड्रायर के इस्तेमाल से बचें

गरम हवा वाले ड्रायर का इस्तेमाल कम करना ही अच्छा होता है. इसके बजाय आप बालों से टपकते पानी को सावधानी से निचोड़ लें और फिर तौलिए से पोंछ लें. यदि आप को ड्रायर का इस्तेमाल करना ही पड़ जाए तो याद रखें कि ब्लोअर से निकलने वाली गरम हवा बालों पर तेजी से पड़ती है और इस प्रक्रिया में रोमकूपों (हेयर फौलिकल्स) को काफी नुकसान पहुंचता है. इस नुकसान से बचने के लिए नर्म मूस (एक प्रकार का जैल) लगा कर बालों को ड्रायर से सुखाएं. कोई भी मूस जहां बालों के स्टाइल बदलने में कारगर होता है, वहीं नर्म मूस बालों की बेहतर सुरक्षा भी करता है.

4. अल्कोहल या कैमिकल प्रौडक्टस के इस्तेमाल से बचें

अल्कोहल या अन्य हानिकारक रासायनिक तत्त्वों वाले स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स भी बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए ऐसे तत्त्वों वाले उत्पादों के इस्तेमाल से बचें या जहां तक संभव हो सके, इन का कम से कम इस्तेमाल करें.

5. हेयर कलरिंग का करें कम इस्तेमाल

बालों की स्टाइलिंग के लिए हेयर कलरिंग करने का चलन भी बढ़ा है, लेकिन हमें सिलिकौन युक्त हेयर कलर और अल्कोहल युक्त हेयर कलर के इस्तेमाल से बचना चाहिए. इन से बालों में रूसी, खुजली तथा बालों के झड़ने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

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6. हीट वाले प्रौडक्टस की बजाय बालों में करें औयलिंग

बालों को हीट देने, आयरनिंग करने या घुंघराला बनाने के लिए स्टाइलिंग उत्पादों के इस्तेमाल से बचें. बालों को पोषण देने का खयाल भी रखें. इस के लिए अपनी स्कैल्प की नियमित रूप से मालिश करें. स्कैल्प और बालों की मालिश के लिए कुनकुने औलिव औयल या नारियल तेल का इस्तेमाल करें. इस से बालों में नमी लौट आएगी और बालों का सूखापन दूर होगा. बहुत ज्यादा तेल लगाना भी अच्छा नहीं होता. सप्ताह में एक बार ही तेल लगाना पर्याप्त होता है. पूरी रात बालों में तेल लगाए रखना भी जरूरी नहीं है, बल्कि 2-3 घंटे ही पर्याप्त होते हैं. बालों पर बहुत ज्यादा मालिश या बहुत ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें, क्योंकि तब आप को तेल से छुटकारा पाने के लिए बहुत ज्यादा शैंपू लगाना होगा और इस का भी बालों पर बुरा असर ही होगा.

7. मैडिकल थेरैपीज भी रहेगा बालों के लिए बेस्ट

स्कैल्प में नई ऊर्जा का संचार करने वाली कुछ मैडिकल थेरैपीज हमेशा अच्छी मानी जाती हैं. मसलन स्टेम सेल थेरैपी, पेप्टाइड थेरैपी, एलईडी थेरैपी और रिजुविनेटिंग औरेंज लाइट थेरैपी. ये बालों के विकास में तेजी लाती हैं और रूसी तथा बालों से संबंधित अन्य समस्याओं से बचाए रखती हैं.

8. नेचुरल कंडीशनर का करें इस्तेमाल

नेचुरल कंडीशनर का इस्तेमाल भी फायदेमंद रहता है. दही, अंडे की सफेदी, हिना आदि चीजें प्राकृतिक कंडीशनर का काम करती हैं और बालों को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर होती हैं. इन से आप के बेजान और शुष्क बालों को भी नवजीवन मिलता है.

9. अपनी रेगुलर डाइट का करें इस्तेमाल

पौष्टिक खानपान का पालन करें क्योंकि आप के बालों की सेहत इस पर भी निर्भर करती है. अंडा, चिकन, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड जैसे प्रोटीनयुक्त भोजन और मछली, बादाम और अखरोट जैसी आयरन युक्त चीजों के अलावा गाजर और दालों का सेवन करें, जिन में विटामिन और फौलिक ऐसिड की प्रचुरता होती है. इन चीजों से आप के बाल स्वस्थ बने रहेंगे.

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Edited by Rosy

जानें क्यों वायरल हो रहा है एकता कपूर और स्मृति ईरानी का ये VIDEO

लोकसभा 2019 में हुए चुनावों में राहुल गांधी को हराने के बाद सांसद स्मृति ईरानी अपनी दोस्त और टीवी क्वीन एकता कपूर के साथ गरमी में 14 किमी दूर पैदल चलकर मुंबई के सिद्धिविनायक पहुंचीं. इसी बीच एकता कपूर का स्मृति ईरानी से सवाल पूछते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

टीवी प्रोड्यूसर एकता कपूर ने शेयर किया वीडियो

ये वीडियो एकता कपूर ने तब बनाया, जब दोनों उनकी कार से वापस लौट रहे थे. इस वीडियो में स्मृति एकता को अपनी मन्नत के बारे में बता रही हैं. एकता कपूर के सवाल पर स्मृति ईरानी बोल रही हैं कि ‘ईश्वर ने मन्नत पूरी की है’ इस वायरल वीडियो के साथ एकता कपूर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- ’14 किलोमीटर सिद्धिविनायक के बाद वाला ग्लो’

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14 kms to SIDDHI VINAYAK ke baaad ka glow ?

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फैंस को पसंद आ रहा है वीडियो

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सोशल मीडिया पर ये फोटो और वीडियो तेजी से वायरल हो रहा हैं. वहीं कुछ घंटे पहले शेयर किए इस वीडियो को अब तक लाखों लोगों ने देखा है.

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बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत से विजय मिली है.वहीं स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्क्षय राहुल को अमेठी से हराया है. जिसके बाद स्मृति ईरानी अपनी खास दोस्त एकता कपूर से मिलने मुंबई पहुंचीं थीं

फिर ट्रोल हुई अजय देवगन की बेटी, जानें क्यों फूटा लोगों का गुस्सा

बौलीवुड सेलेब्स आए दिन सोशल मीडिया का शिकार होते रहते हैं और अब इस कड़ी में बौलीवुड के स्टार किड्स का नाम भी जुड़ता जा रहा है. वहीं अब इस लिस्ट में एक्टर अजय देवगन और एक्ट्रेस काजोल की बेटी न्यासा देवगन नाम भी जुड़ गया है. न्यासा की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसके कारण वह सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो गई.

दादा के निधन के बाद सलून जाते दिखीं न्यासा

इस फोटो में अजय देवगन की बेटी कुछ इस अंदाज में ब्यूटी सलून के बाहर दिखाई दी. वो ट्रोलिंग का शिकार इसलिए हुई क्योंकि एक दिन पहले ही उनके दादा वीरू देवगन का निधन हुआ है. ऐसे में न्यासा का इस तरह घूमना लोगों को पसंद नहीं आया.

सैलून के बाहर हौट अंदाज में दिखीं न्यासा

 

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#nysadevgan spotted after salon session

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न्यासा देवगन सलून के बाहर ब्राउन कार्गो पैंट के साथ वाइट स्नींकर्स में दिखाई दी. इस ड्रेस में न्यासा क्यूट दिख रही थीं. सलून के बाहर न्यासा देवगन मुस्कुराते हुए मीडिया के कैमरों में कैद हो गईं.

दादा वीरू देवगन के निधन पर न्यासा के लुक पर हुईं ट्रोल

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दादा वीरू देवगन के निधन के सिर्फ एक दिन बाद न्यासा देवगन का हौट लुक में दिखना उनके लिए मुसीबत बन गया है. सोशल मीडिया पर उनकी इन फोटोज को लेकर यूजर कई तरह के कमेंट्स कर रहे हैं. देवगन परिवार में दादा वीरू देवगन के निधन के बाद शोकाकुल का माहौल है. ऐसे में पोती न्यासा का इस तरह घूमने पर सोशल मीडिया पर ट्रोल होना लाजिमी है.

दोस्तों के साथ चिल करती दिखीं न्यासा देवगन

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सोशल मीडिया पर वायरल फोटोज में न्यासा देवगन सलून के बाहर फ्रेंड्स के साथ बातें और चिल करती दिखाई दी.

परिवार में गमगीन माहौल 

बता दें, एक्टर अजय देवगन के पिता वीरू देवगन के निधन के बाद ना सिर्फ देवगन फैमिली बल्कि पूरे बौलीवुड में शोक की लहर छाई हुई है.  वहीं वीरू देवगन के अंतिम संस्कार के दौरान अजय देवगन ने जहां नम आंखों से उनको आखिरी प्रणाम किया था तो वहीं काजल भी फूट- फूटकर रोती हुईं दिखाई दीं.

दलिया विद हनी

गरमी में हेल्थ का ख्याल रखना जितना जरूरी है. उतना ही सही खाना भी जरूरी होता है. इसलिए आज हम आपको हेल्दी डिश दलिया विद हनी के बारे में बताएंगे, जिससे आप अपनी हेल्थ का भी ख्याल रख सकती हैं. तो आपको बताते हैं दलिया विद हनी की रेसिपी के बारे में…

हमें चाहिए…

1/2 कप दलिया

2 छोटे चम्मच ब्राउन शुगर

3 बड़े चम्मच शहद

1 बड़ा चम्मच घी

1 बड़ा चम्मच किशमिश

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1 छोटी इलायची

1 इंच टुकड़ा दालचीनी

1 बड़ा चम्मच बादाम की कतरन

1/4 छोटा चम्मच इलायची चूर्ण.

बनाने का तरीका

1 बड़ा चम्मच दलिए को सूखा भून लें. फिर पानी में 1/2 घंटा भिगो कर रखें. एक नौनस्टिक कड़ाही में घी गरम कर के छोटी इलायची व दालचीनी का तड़का लगा कर पानी निथार कर दलिया डाल दें.

दलिए को 2 मिनट उलटेपलटें. अब उस में 1 कप कुनकुना पानी डाल कर धीमी आंच पर दलिए के गलने और पानी सूखने तक पकाएं. फिर इस में शहद और चीनी डालें.

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किशमिश और बादाम की आधी कतरन डाल कर धीमी आंच पर मिश्रण के थोड़ा सूख जाने तक पकाएं. इलायची चूर्ण और बची बादाम कतरन से सजा कर सर्व करें.

Edited by Rosy

‘‘संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता तो हमेशा रहेगी, इन्हें हमेशा सकारात्मक नजर से देखें.’’

तान्या रस्तोगी ज्वैलरी ऐक्सपर्ट और क्यूरेटर हैं. उन्हें सुंदर और आकर्षक ज्वैलरी मास्टरपीस बनाने के लिए जाना जाता है. इन का संबंध नवाबों के परिवार ‘लाला जुगल किशोर ज्वैलर्स’ से है, जो सदियों से अवध के नवाबों के ज्वैलर रहे हैं. तान्या रस्तोगी को ‘लाइफटाइम अचीवमैंट अवार्ड’ और ‘रिटेल ज्वैलर इंडिया अवार्ड’ से सम्मानित भी किया जा चुका है. ‘गोल्ड ज्वैलरी औफ द ईयर’ में नौमिनेशन के लिए भी वे पहचानी जाती हैं. उन्होंने अपना खुद का इनहाउस प्रोडक्शन भी स्थापित किया है, जो डिजाइन कौन्सैप्ट पर आधारित है. पेश हैं, तान्या रस्तोगी से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश:

इस फील्ड में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

मेरा झुकाव शुरू से ही डिजाइनिंग और कला की ओर रहा है. ज्वैलरी पहनावे की कला का एक रूप है और इस की यही बात मुझे हमेशा आकर्षित करती है. मैं ने दिल्ली के एक संस्थान से जैमोलौजी और डिजाइनिंग का कोर्स किया है. मेरे पिता का वाराणसी में बनारसी साडि़यों का व्यापार था और यह संयोग की बात है कि मेरी शादी भी ज्वैलर्स के घर हुई.

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ऐसी कौन सी बात है, जो आप को ये सब करने को प्रेरित करती है?

मैं अपनी ऐग्जिबिशन कर्णफूल के लिए ज्वैलरी डिजाइन कर रही थी. मुझे हमेशा अलग डिजाइनें बनाना पसंद रहा है. इसी दौरान पता चला कि मुझे 150 साल पुरानी खानदानी अवधी नवाबों की विंटेज ज्वैलरी पर काम करने की अनुमति मिली है. मैं ने इसे नई जैसा बनाया और इस तरह ‘ज्वैल्स औफ अवध’ का पहला लिमिटेड ऐडिशन तैयार किया. इसे मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया से ‘ज्वैल्स औफ अवध’ का नाम बना जो अब लखनऊ स्थित लाला जुगल किशोर ज्वैलर्स के आउटलेट में एक लाउंज है, जहां मैं दुलहनों की सजावट पर काम करती हूं.

इस फील्ड में महिलाओं के लिए कितना स्कोप है?

यह एक कलात्मक क्षेत्र है. फिर भी कुछ मूल बातों की जानकारी होनी आवश्यक है. डिजाइनिंग कैरियर का एक अहम हिस्सा है, लेकिन अपनी धातुओं और रत्नों की समझ ही कैनवास को वास्तविकता में बदलने में अहम भूमिका निभाती है. इस क्षेत्र में आने की उत्सुक सभी महिलाओं को मेरी सलाह है कि वे बुनियादी बातें सीखने पर ध्यान दें. किसी मैंटोर के साथ काम करने से आप को कलाकारी के बेहतरीन तरीके सीखने में मदद मिलेगी.

यहां तक पहुंचने के क्रम में किन संघर्षों का सामना करना पड़ा?

मैं एक प्रगतिशील परिवार से हूं, जो मुझे इस बिजनैस में देखना चाहता था. मुझे ज्वैलरी डिजाइनिंग व जैमोलौजी में डिग्री लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया. लेकिन यह तब तक आसान नहीं था जब तक कि मैं उन के भरोसे पर खरी नहीं उतरती. दिनप्रतिदिन बाजार बदल रहा है. एक महिला के तौर पर आप को अपनी जगह बनानी होती है. इंडस्ट्री के अन्य लोगों के बीच खुद को स्थापित करना होता है. यह सुनिश्चित करने के लिए मैं लगातार पढ़ती रही और खुद को अपडेट रखा. आज मैं इंडस्ट्री फोरम और बिजनैस चैनल में इस इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करती हूं. मुझे इंडस्ट्री को यह समझाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा कि मैं एक साधारण ज्वैलरी डिजाइनर से कहीं बढ़ कर हूं.

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अपना मैंटोर किसे मानती हैं?

अपने ससुर अंबुज रस्तोगीजी को. उन्होंने ही मुझे ज्वैलरी और रत्नों की पेचीदगियां सिखाईं.

सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है?

मुझे लगता है कि सकारात्मकता बनाए रखना एक निरंतर प्रयास है. जीवन में कई उतारचढ़ाव आते हैं. आप को बुरे समय में भी अपना उत्साह बनाए रखना चाहिए. संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता तो हमेशा रहेगी. इन्हें सकारात्मक नजर से देखें. इन की वजह से खुद का मनोबल न गिरने दें.

समाज में स्त्रियों के प्रति लगातार हो रहे अपराधों के संदर्भ में क्या कहेंगी?

यह काफी दुखद है. इस से भी बुरा यह है कि महिलाएं अपने लिए लड़ने से डरती हैं और किसी भी तरह की मदद लेने से मना कर देती हैं. हालांकि मीडिया जिस तरह से विभिन्न अभियानों के माध्यम से उन्हें उन के अधिकारों के बारे में शिक्षित और प्रोत्साहित कर रहा है उस की मैं तारीफ करती हूं. मेरी निजी सोच यह है कि जब तक आप स्वयं की मदद नहीं करेंगी, कोई अन्य आप की मदद नहीं कर पाएगा.

Edited by Rosy

मेरी मां- “जब दंगों के दौरान मां ने दिखाई ऐसी हिम्मत”

मेरी प्यारी मां,

हमारी उम्र चाहे कितनी भी  हो जाएं लेकिन जब भी हमे सहारे की जरूरत होती है या यूं कहे कि जब दुनियाभर में आपको कोई अपना नजर नहीं आता तब हमें मां की गोद ही नजर आती है. जहां हम सब कुछ भूल कर सुकून प्राप्त कर सकते है, बस ऐसी ही जगह है मेरे लिए मेरी मां की गोद.

बचपन से मैने जब भी उन्हें देखा, हमेशा दूसरों के लिए समर्पित पाया. एक बार मेरी दादी ने उन्हें देख कर कहा था कि इसकी ट्रेनिंग बड़ी ही सधे हुए हाथों में हुई है. तब तो मुझे उसका मतलब समझ नही आया था पर आज जब मै भी ब्याह कर अपने घर आ  गई हूं और खुद भी एक मां बन गई हूं तब मुझे मां की फुर्ती का अहसास होता है. मैं आज भी जब अपने घर को संभालती हूं तो ऐसा लगता है कि मां साए की तरह मेरे साथ है और मुझे हर काम सिखा रही हैं.

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कुछ भी नहीं भूलती थी मां…

वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी. पर हम सब को इंग्लिश में पोयम याद कराती थी, बाबा कहते थे कि मां जो एक बार सुन लेती है वह भूलती नहीं हैं, इसलिए बाबा जब हमें पढ़ाते थे तब पास में सेव बनाती वह सब याद कर लेती और फिर परीक्षा के समय याद दिलाती कि यह पाठ याद कर लिया.

याद है मां की ये खूबी…

उनकी एक बड़ी ही दिलचस्प खूबी है जो हम भाई, बहनों को भाती थी और आज हमारे बच्चों की भी इसी खूबी के कारण वह प्रिय है. जब भी बच्चे  खाना खाते वह कहानी सुनाती और वह कहानी तब तक खत्म नहीं होती. जब तक बच्चे अपना खाना खत्म नहीं कर लेते. उनकी यही खूबी मुझे विरासत में मिली और मै भी बचपन से ही कहानियां लिखने लगी.

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दंगों के दौरान देखा मां का ये रूप…

मैंने उनके कई रूप देखे हैं. उनमें से उनका एक रूप मेरे  जहन में आज भी सुरक्षित है  अक्टूबर,1984 में दिल्ली में दंगे हो रहे थे. सब लोग डरे हुए थे. हमारी गली में सिंह अंकल का परिवार काफी डरा हुआ था.  मेरी मां ने पिताजी को साथ लिया और उनके घर से उन्हें हमारे घर ले आई थी. हमारे आस-पड़ोस वाले बहुत से लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की  कि उन्हें इससे खतरा हो सकता है पर वह अपने फैसले पर अडिग रही. इसीलिए सिंह अंकल और उनका परिवार आज हमारे अपनों में से एक है.

मां तो सबके लिए खास होती है और उन पर कुछ भी कहना हो तो वह हर बच्चे के लिए अनमोल पल होगा. बस मेरे लिए तो ऐसी ही हैं मेरी प्यारी “मां”.

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