बस एक कदम और…

कांग्रेस का सत्ता में आने पर 33% सीटें औरतों को विधानसभाओं व लोकसभाओं में देने का वादा और उड़ीसा के नवीन पटनायक व बंगाल की ममता बनर्जी का 33% से ज्यादा उम्मीदवार औरतों को बनाना यह तय कर रहा है कि अब औरतों का राजनीति में घुसना तो तय सा है. औरतें पतियों, पिताओं या बेटों के सहारे राजनीति में पहुंचें या अपने खुद के दमखम पर, यह एक सुखद बदलाव होगा.

आधुनिक सोच और शिक्षा के 150 साल बाद भी औरतों की स्थिति आज भी वही की वही है. वे बेचारियां हैं और खातेपीते घरों में भी उन का काम घर मैनेज करना ही होता है. अपने मन को शांत करने के लिए वे किट्टी पार्टियों या प्रवचनों में जा सकती हैं वरना उन का दायरा बड़ा सीमित है. जो अपने दम पर कुछ करती भी हैं उन्हें लगता है कि उन को पार्टनर, परिवार, बच्चे सब का कुछ हिस्सा खोना पड़ता है. पूर्ण संतुष्टि नहीं मिलती, क्योंकि ओहदा ऊंचा हो या मामूली, वे रहती अपवाद ही हैं.

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राजनीति में बदलाव लाने की ताकत होती है. इस के जरीए संदेश जाता है कि सोचसमझ में औरतें किसी से कम नहीं हैं. औरतें जब फैसले लेती हैं तो जरूरी नहीं कि वे पहले के पुरुषों के बने दायरों में से सोचें. वे अपनी स्वतंत्र सोच, औरतों की छोटी समस्याओं, उन के संकोच, उन की उड़ान भरने की तमन्नाओं, उन के साथ हुए भेदभाव की पृष्ठभूमि में फैसले लेती हैं. वे अगर फैमिनिस्ट न भी हों तो भी पुरुषों से भयभीत रहने वाली नहीं होतीं. और यदि विधान मंडलों में वे बड़ी संख्या में मौजूद होंगी तो महल्ले में पानी के टैंकर पर होने वाली लड़ाई का सा दृश्य पैदा कर अपनी बात मनवा सकती हैं.

इंदिरा गांधी, ममता बनर्जी, जयललिता, मायावती, सोनिया गांधी ने अपने बलबूते राज जरूर किया पर उस जमीन से जो पुरुषों ने अपने हिसाब से अपने लिए बनाई थी. अब शायद मौका मिले जब औरतें अपने बल पर मजबूत हों और आरक्षण की मांग पुरुषों को करनी पड़ जाए.

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आज की तकनीक जैंडर बेस्ड नहीं. आज तो युद्ध भी जैंडर बेस्ड नहीं है. औरतों के लिए अगर जंजीरें हैं तो केवल उन के अपने दिमाग में या उस धर्म में, जिसे वे जबरन ढो रही हैं.

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कर्ली बालों की देखभाल करने के लिए अपनाएं ये 4 टिप्स

आजकल कर्ली बाल काफी ट्रेंड में है. बौलिवुड की कई मशहूर ऐक्ट्रेसेस भी खूबसूरत कर्ल्स  में नजर आ रही हैं. कर्ली बाल देखने में तो काफी आकर्षक लगते हैं लेकिन इनका देखभाल करना भी बेहद मुश्किल होता है. तो चलिए आपको बताते हैं, कर्ली बाल की देखभाल करने के टिप्स. इससे आप आसानी से कर्ली बाल को मैनेज कर सकती है.

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ऐसे करें कर्ली बालों की देखभाल

  1. बालों को कंघी करते समय कर्लिंग प्रौडक्ट का इस्तेमाल करें. बालों को सुखाने के लिए सौफ्ट कौटन टौवेल यूज करें. सुखाते समय बालों को टौवेल से न रगड़े बल्कि बालों को कौटन टौवेल से पोंछते हुए सुखाएं.

2. कर्ली बालों को सुलझाने के लिए हेयर ब्रश का इस्तेमाल न करें. इसकी बजाय मोटी कंघी से बाल झाड़ें. आसानी से कंघी करने के लिए बालों को हल्का गीला कर लें.

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3. बालों को शैंपू करके सुखाने के बाद स्टाइलिंग प्रौडक्ट्स या सीरम का इस्तेमाल करें. इससे बाल सुलझे हुए रहेंगे, जिन्हें आप आसानी से मैनेज कर सकेंगी.

4. कर्ली बालों को हाइड्रेटेड रखने के लिए शैंपू के बाद कंडिशनर लगाना न भूलें. इससे आपके बालों की अंदर से कंडिशनिंग होगी.

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अगर आपको भी है एनीमिया की प्रौब्लम तो जरुर पढ़ें ये खबर…

महिलाओं की शारीरिक रचना इस तरह की होती है कि मासिकस्राव, गर्भावस्था एवं प्रसव में बहुत अधिक रक्त उन के शरीर से बाहर निकल जाता है. ये सारी स्थितियां उन्हें एनीमिया का शिकार बना देती हैं. एनीमिया किसी भी आयुवर्ग एवं शारीरिक बनावट की महिला को हो सकता है. लेकिन इस का पता सिर्फ रक्त की जांच से ही चल सकता है.

क्या है  एनीमिया

हमारे शरीर के सैल्स को जिंदा रहने के लिए औक्सीजन की जरूरत होती है. शरीर के अलगअलग हिस्सों में औक्सीजन रैड ब्लड सैल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन पहुंचाता है. आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रैड ब्लड सैल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को  एनीमिया कहते हैं.

आरबीसी और हीमोग्लोबिन की कमी से सैल्स को औक्सीजन नहीं मिल पाती. कार्बोहाइड्रेट और फैट को जला कर ऐनर्जी पैदा करने के लिए औक्सीजन जरूरी है. औक्सीजन की कमी से हमारे शरीर और दिमाग की काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है.

 एनीमिया के प्रकार

माइल्ड: अगर बौडी में हीमोग्लोबिन 10 से 11 जी/डीएल के आसपास हो तो उसे माइल्ड  एनीमिया कहते हैं. इस में हैल्दी और बैलेंस्ड डाइट खाने की सलाह के अलावा आयरन सप्लिमैंट्स दिए जाते हैं.

मौडरेट: अगर हीमोग्लोबिन 8 से 9 जी/डीएल से कम हो तो सीवियर  एनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है. इस में मरीज की हालत को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है.

सीवियर: अगर हीमोग्लोबिन 8 जी/डीएल से कम हो तो सीवियर  एनीमिया कहलाता है, जो एक गंभीर स्थिति होती है. इस में भी मरीज की हालत की गंभीरता को देखते हुए ब्लड भी चढ़ाना पड़ सकता है.

एनीमिया के लक्षण

एनीमिया से पीडि़त महिला को सुस्ती, सिर में दर्द, छाती में दर्द, त्वचा में पीलापन, शरीर का ठंडा रहना, मामूली कामकाज से थकान, शारीरिक शक्ति में कमी, हांफना, रुकरुक कर सांसें लेना, दिल की धड़कन का अनियमित होना आदि शारीरिक लक्षणों से गुजरना पड़ता है.

 एनीमिया से खतरा

खून की कमी होने पर हृदय को अधिक काम करना पड़ता है. खून की कमी से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, जिस से हृदयाघात का खतरा रहता है. खून की कमी से ही शरीर के कई अंग अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर पाते. यह शरीर को अक्षम बना देता है. शारीरिक विकास की गति थम जाती है और जीवनकाल कम हो जाता है.

महिलाओं की सारी शारीरिक गतिविधियां खून की कमी के कारण प्रभावित हो जाती हैं. खासतौर पर गर्भस्थ शिशु का विकास पूर्णरूप से नहीं हो पाता. इस से किसी भी समय गर्भपात हो सकता है.

एनीमिया की जांच व निदान

एनीमिया का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला में रक्त की जांच ही एकमात्र उपाय है. इस में महिला के कंप्लीट ब्लड काउंट की जांच होती है. महिलाओं में इस की संख्य 11 से 15 होती है. यदि ब्लड काउंट निर्धारित संख्या से कम होते हैं तो इस का मतलब महिला  एनीमिया पीडि़त है. फिर इस का इलाज किया जाता है और संतुलित खानपान की सलाह दी जाती है. दरअसल, हमारे दैनिक खानपान में बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं जिन का सेवन रक्त बढ़ाने में सहायक होता है.

रक्त वृद्धि

हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में आयरन, विटामिन सी एवं बी-12 प्रमुख व सहायक घटक हैं. हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, चौलाई, मटर आदि रक्त बढ़ाने में सहायक होते हैं. साथ ही  मूंगफली, मसूर, बादाम, किशमिश, अंडा, मांस, मछली आदि में भी रक्त बढ़ाने की क्षमता होती है. लाल व बैगनी रंग के फल एवं सब्जियों में भी आयरन की मात्रा होती है.

रक्त नवनिर्र्माण में सहायक द्वितीय मुख्य घटक विटामिन सी है. यह शरीर को आयरन के अवशोषण में सहायता करता है. विटामिन सी सभी रसदार फलों जैसे नीबू, मौसमी, संतरा, आम, स्ट्राबैरी, तरबूज, खरबूजा, अमरूद, आंवला, कीवी आदि में पाया जाता है. यह टमाटर, गोभी और आलू में भी होता है. विटामिन बी-2 एवं मल्टी विटामिन अंकुरित अनाज, दलहन में पाया जाता है. ये सभी रक्त निर्माण में सहायक हैं.

किन्हें खतरा ज्यादा

जिन महिलाओं को किडनी में समस्या, डायबिटीज, बवासीर, हर्निया और दिल की बीमारी है, उन्हें एनीमिया होने का ज्यादा खतरा होता है. शाकाहारी महिलाओं या स्मोकिंग करने वाली महिलाओं को भी एनीमिया का खतरा रहता है. यदि पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो तो फौरन डाक्टर को दिखाएं, क्योंकि इस से शरीर में आयरन तेजी से कम हो जाता है.

हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारत में लगभग 50% महिलाएं  एनीमिया की शिकार हैं. महिलाओं की शारीरिक संरचना के अनुसार माहवारी या अन्य कारणों से उन में रक्तस्राव होना स्वाभाविक है, पर जब यह ज्यादा मात्रा में होने लगे तो इस के रोकथाम के उपाय करना जरूरी है.

जाह्नवी कपूर की बहन ने पहना सलवार कुर्ता, लोगों ने कर दिया ट्रोल 

बौलीवुड में स्टार किड्स की फिल्मों में एंट्री आजकल जोरों पर है, हाल ही में करण जौहर की फिल्म स्टूडेंट औफ द ईयर से बौलीवुड के कदम रख रहें हैं. वहीं हाल ही में खबर है की संजय कपूर की बेटी शनाया भी अब फिल्मी दुनिया से जुड़ने वाली हैं. जिसके लिए वह अपनी कजिन जाह्नवी के नक्शे कदम पर चल रही हैं. हाल ही में उनकी कुछ फोटोज वायरल हुईं हैं जिसमें वह ट्रेडिशनल लुक में नजर आ रही हैं.

कजिन जाह्नवी की तरह सिम्पल सलवार सूट में नजर आईं शनाया

 

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Sweet #shanayakapoor snapped in the burbs

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शनाया यहां अपनी बहन और एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर की तरह सिम्पल सलवार कुर्ते में नजर आईं. वो इस लुक में अच्छी लग रही थीं. लेकिन कुछ लोगों को उनका यह लुक पसंद नहीं आया और उन्होंने शनाया को ट्रोल कर दिया.

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मेड से की तुलना

shanaya

कुछ लोगों ने उनके लुक की तुलना मेड से की है. यह कमेंट्स आप उनकी वायरल फोटोज में भी पढ़ सकते हैं.

डांस क्लास ले रहीं हैं शनाया

 

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#shanayakapoor snapped at dance class

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संजय कपूर की बेटी शनाया फिल्मों में एट्री से पहले डांस की क्लासेस ले रही हैं. शनाया ने डांस क्लास से बाहर आते ही फोटोग्राफर्स को जमकर पोज दिए.

shy नेचर की हैं शनाया

 

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Oh yes this made my day @shanayakapoor02 u look soooo cute and the baby doggie as well ????♥️♥️♥️♥️

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अगर आप शनाया की पुरानी फोटोज पर गौर करें तो आप देखेंगे कि वह फोटोग्राफर्स के सामने आने से बचती नजर आती रहीं हैं. अब देखना होगा कि वह किस तरह अपनी शाईनेस को हचाकर बौलीवुड में अपने पैर जमा पाती हैं.

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दीदी के नक्शेकदम पर हैं शनाया

 

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Back home ❤️

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अपनी कजिन जाह्नवी की ही तरह शनाया भी बौलीवुड में डेब्यू करने के लिए बेकरार है. जिसके लिए वह डांस कलासेस जवौइन कर रही हैं.

फैंस ने बनाया कजिन जाह्नवी को कौपी करने पर किया ट्रोल

jhanvi

कजिन जाह्नवी को कौपी करने के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स ने शनाया को उनके फैशन को लेकर ट्रोल करना शुरू कर दिया है.

‘भारत’ के प्रमोशन के दौरान सलमान को लेकर कटरीना ने किया ये बड़ा खुलासा

बौलीवुड में मौडलिंग से एक्टिंग के करियर में शुरूआत करने वाली कटरीना कैफ इन दिनों बौलीवुड के दबंग खान यानी सलमान खान के साथ भारत में नजर आने वाली हैं. जिसे लेकर वह भारत फिल्म के प्रमोशन में जुटी हुई है. एक्ट्रेस कटरीना ने को-स्टार सलमान के साथ अपनी इस फिल्म से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान कई खुलासे किए.  पेश है उनसे हुए खास इंटरव्यू के कुछ अंश.

इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा के मना करने पर आपने स्वीकार किया, इसे आपने कैसे लिया?

मैंने फिल्म ‘टाइगर जिन्दा है’ में सलमान के साथ काम किया था. इसके तुरंत बाद फिर साथ करने में कुछ नयापन नहीं था. इसलिए मुझे नहीं लिया गया था. प्रियंका ने अपने किसी पर्सनल काम के लिए फिल्म को छोड़ा और मैं इसमें आ गयी. ये फिल्म मेरे लिए डेस्टिनी थी, इसलिए मैं इसे कर पायी.

सलमान के साथ आपने कई फिल्में की है, उनकी कौन सी खूबी को आप सराहती है?

सलमान किसी भी बात से डरते नहीं है, उसे नकारत्मकता से कोई डर नहीं लगता. इसे मैंने भी सीखा है. पहले मैं किसी भी कंट्रोवर्सी से डरती थी, पर अब डर नहीं लगता.

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किसी भी फिल्म में सफलता पाने का मंत्र क्या होता है?

फिल्म में आप कितना भी अच्छा अभिनय कर लें, अगर ये अच्छी तरह से पेपर पर नहीं लिखी हो, तो कोई भी इसमें कुछ भी मिरेकल नहीं कर सकता. अगर मटेरियल ठीक हो, तो फिल्म अच्छा काम करेगी, क्योंकि आप इसमें पूरी तरह से ढल जाते है और दर्शक भी उससे अपने आप को जोड़ सकता है. मुझे भी इस फिल्म में ऐसा ही करने का मौका मिला है.

काम करते हुए आप में कितना ग्रोथ हुआ है? आपकी स्ट्रेंथ क्या है?

मैंने जितना भी काम किया है, उसमें कुछ न कुछ सीखा है. जीवन का अनुभव मुझे हिंदी सिनेमा जगत से मिला है. आज लोग मेरे काम की तारीफें करते है, मुझे फिल्मों में देखना चाहते है. इससे मुझे अच्छी-अच्छी फिल्में करने का मौका भी मिल रहा है.

मेरी शक्ति मेरी हर नयी चीज को सीखने का प्रयास है. मैं कभी ये नहीं सोचती कि मैं जो कर रही हूं वही सही है और वैसा मैंने हमेशा फौलो किया है. हर नयी परिस्थिति में मैं अपने आपको सहज रखा है, जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला.

आपको सबसे अधिक क्या प्रेरित करता है, दर्शकों का प्यार, बौक्स औफिस की सफलता या अवार्ड्स?

इसमें मैं बौक्स औफिस को ही कहना चाहता हूं. दर्शकों का प्यार ही बौक्स औफिस की सफलता है. रिव्यूस और अवार्ड्स मेरे लिए बोनस होता है.

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16 साल की इस जर्नी को आप कैसे देखती है?  क्या कुछ ख़ास मलाल रह गया है?

मेरी जर्नी फिल्मों के साथ-साथ बदली है और अब तक चलती आ रही है. अब मैं अलग-अलग भूमिका के अलावा रिस्क लेना भी पसंद कर रही हूं. पहले मैंने लार्जर देन लाइफ और ग्लैमर वाली फिल्में करना पसंद करती किया करती थी और अब मुझे अच्छी फिल्में, अच्छे किरदार करने की इच्छा होती है. 26 साल की उम्र में जब मैंने ‘शीला की जवानी..’ जैसे गाने, धूम 3 जैसी फिल्में की थी. भले ही वह निर्णय सही थी या गलत, इस पर मैं विचार नहीं करती, पर मुझे तब वही अच्छा लगा था. इन सबमें मैं यही सोचती हूं कि मुझे सही मंच हमेशा मिला, जिसमें निर्माता, निर्देशक और एक्टर सभी ने मेरा साथ दिया और मैं आगे बढ़ती गयी.

मैं हर तरह की फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूं. मुझे स्पोर्ट्स पर्सन की बायोपिक से लेकर किसी भी अच्छी स्क्रिप्ट वाली फिल्म, जिसमें चुनौती हो, मैंने कभी उस चरित्र के बारें में सुनी न हो आदि सब मुझे पसंद है. पीटी उषा की बायोपिक के बारें में कई बातचीत हुई थी, पर मैंने कुछ साइन नहीं किया है.

क्या वेब सीरीज में भी आप काम करने की इच्छा रखती है?

मेरे लिए मंच कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि वेब सीरीज अच्छा काम कर रही है. कई कहानियां ऐसी होती है, जिसकी फिल्में नहीं बन पाती, उसे वेब सीरीज पर घर पर आराम से देखना ही अच्छा लगता है. मुझे अगर कोई अच्छी कहानी मिले, तो करने में कोई हर्ज नहीं.

क्या आप कौस्मेटिक लाइन में कुछ कर रही है?

ब्यूटी लाइन में मैं कुछ अपना कुछ कर रही हूं, जिसपर काम चल रहा है. इसके अलावा मैं अच्छी स्क्रिप्ट मिलने पर उसका निर्माण भी कर सकती हूं.

क्या हौलीवुड फिल्मों में जाने की इच्छा रखती है?

मैंने हिंदी के अलावा मलयालम और तेलगू फिल्मों में भी काम किया है. ऐसे में मुझे अंग्रेजी में फिल्में करने को मिले, तो मुझे ख़ुशी होगी.

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आपकी मां सोशल वर्क करती है, आप उनके साथ कितना सहयोग कर पाती है?

मेरी मां मदुरै में सोशल वर्क करती है, वहां उसकी अपनी संस्था माउंट व्यू स्कूल में आस-पास की लड़कियों को अंग्रेजी सिखाती है. मैं समय-समय पर वहां जाती हूं और उनके काम में हाथ बटाती हूं. मैं चाहती हूं कि अधिक से अधिक लड़कियों को शिक्षा मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बनें, लेकिन इसमें लड़कियों से अधिक उनके माता-पिता को समझाना पड़ता है, क्योंकि वे पुराने विचार के है और शिक्षित होने के लाभ को वे नहीं समझ पाते. मैं अच्छे काम कर रहे एनजीओ के साथ जुड़कर काम करना चाहती हूं. चैरिटी अच्छी तब होती है, जब आप उसे अंदर से फील करते हो.

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4 होममेड टिप्स: ऐसे हटाएं स्किन वार्ट

स्किन वार्ट होना एक आम समस्या है. सबसे पहले आपके बता दें कि स्किन वार्ट होता क्या है. दरअसल यह एक मस्सा होता है, जो इन्फेक्शन, कमजोर इम्यून, पब्लिक शावर, सिस्टम जैसी कई कारणों से हो सकता है.  इसे दूर करने के कई ट्रीटमेंट्स मौजूद हैं. लेकिन आज आपको कुछ घरेलू टिप्स बताते हैं जो स्किन वार्ट को दूर करने के लिए मददगार हो सकते है.

ऐलोवेरा

ऐलोवेरा में मैलिक ऐसिड पाया जाता है जो कि वार्ट्स से राहत दिलाता है. इसमें ऐंटीबायौटिक प्रौपर्टीज होती हैं जिससे वार्ट जल्दी हील होता है. ऐलोवेरा की पत्ती को आप वॉर्ट पर लगाएं. इससे आपको राहत मिलेगा.

बेकिंग पाउडर

बेकिंग पाउडर और कैस्टर औइल को मिक्स कर पर लगाएं और फिर बैंडेज से कवर कर लें. इसे रातभर छोड़ दें. इसे दो-तीन दिन तक करें.

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केले का छिल्का

केले के छिलके में जो एंजाइम होता है वह स्किन को हील करता है. वार्ट पर रोजाना केले का छिलके से मालिश करें.

ऐपल साइडर विनेगर

ऐपल साइडर विनेगर में ऐसिड की मात्रा काफी ज्यादा होती है तो यह वार्ट और इसकी ग्रोथ को खत्म कर देता है. आप रुई को विनेगर में भिगोकर इसे वार्ट पर रख दें. इस पर रातभर बैंडेज लगाकर रखें. ऐसा करने से भी आपको राहत मिलेगा.

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बच्चों की परीक्षा मांओं की अग्निपरीक्षा

देश में 12वीं की परीक्षा किसी के भी भविष्य को बनाने और बिगाड़ने का इकलौता मील का पत्थर होती है. इसे सही ढंग से पार कर लिया तो जीवन में कुछ बन सकते हैं, नहीं तो सारा जीवन आधाअधूरा मुंह छिपाए रहना होता है. मांओं के लिए बड़े होते बेटेबेटियों की 12वीं की परीक्षा एक अग्निपरीक्षा होती है और उस में हर मां को ऐसे ही झुलसना होता है जैसे सीता को जलना पड़ा था. परीक्षा चाहे बेटेबेटियों की हो, कम अंक आने पर मांओं का ही मुंह लटका रहता है.

पूरे साल मांओं को यह परीक्षा देनी होती है. पैसा हो तो कोचिंग क्लासों में भेजना, रिपोर्टें चैक करना, भारी भरकम किताबें खरीदना, घूमने-फिरने के कार्यक्रम त्यागना, बेटे-बेटी से पहले उठ कर उन के लिए खाना बनाना, रिश्तेदारों के यहां जाना बंद करना पड़ता है. उस के बाद अगर कहीं ऐसे अंक आए जिन का आज के युग में कोई मोल नहीं तो मुंह छिपाए घूमना मां को ही पड़ता है.

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यह हमारी सरकार की नीतियों की देन है कि शिक्षा का आज कोई वजूद नहीं रह गया. अति योग्य और साधारण तो हमेशा ही होते थे पर पहले हरेक को अपने स्तर के अनुसार जीवन बनाने का अवसर मिल जाता था. पर जब से 12वीं में 98 और 99.5% अंक एक के नहीं कईयों के आने लगे हैं, पूरे देश में 90% से कम अंक लाने वाले बेकार कूड़ा बन गए हैं और उन की मांओं को असफल और निकम्मा घोषित कर दिया गया है.

90% से ज्यादा वालों को भी आज भरोसा नहीं है कि उन्हें मनमरजी की पढ़ाई का रास्ता मिल सकेगा. वैसे भी 12वीं की परीक्षा के साथ नीट, जेईई जैसी बीसियों परीक्षाएं देनी होती हैं ताकि कोई कैरियर बन सके. वरना लगता है अमेजन और फ्लिपकार्ट वालों के बैग पीठ पर लादे घरघर सामान डिलीवर करने का काम ही बचेगा.

देश को अगर कुशल डाक्टरों, कुशल वैज्ञानिकों, कुशल इंजीनियरों, कुशल प्रबंधकों की जरूरत है तो काम चलाऊ लोगों की भी जरूरत है. पर 12वीं की परीक्षा ऐसा बैरियर बन गया है जो चीन की दीवार की तरह ऊंचा और लंबा है और उसे पार नहीं करा गया तो वापस लौट जाना तय समझो. हर युवा को लाखों की नौकरी बीए, एमबीए, एमबीबीएस, आईआईटी करने के बाद भी मिल जाए जरूरी नहीं. पर कुछ तो मिले ताकि मां ढंग से संतोष कर सके कि उस ने अपने बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर लिया है.

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अगर 90% से ज्यादा लाने वालों की मांएं भी चिंतित दिखें और 90% से कम लाने वाली मांएं भी रोतीपिटती दिखें तो यह एक अन्याय है जो समाज, सरकार, व्यवस्था, बाजार मिल कर औरतों के साथ कर रहे हैं. बेरोजगारी चुनावी मुद्दा रहा इस बार पर केवल विपक्ष के लिए. नरेंद्र मोदी का तो कहना था कि सर्जिकल स्ट्राइक बालाकोट में कर दी, गाएं कटने से बचवा दीं, भारत माता की जय बुलवा दी तो मांओं के कष्ट समाप्त हो गए समझो.

देश और समाज यह भूल रहा है कि 12वीं की परीक्षा में सफलता का सेहरा सिर्फ कोई बेटी के सिर पर नहीं बंधता है, मां के सिर पर भी बंधता है. मां को ही मालूम होता है कि इस बैरियर को अगर ढंग से पार नहीं किया गया तो न घर में शांति रहेगी, न बेटेबेटी का विवाह होगा, न कमाई होगी, न इज्जत रहेगी.

असल में 12वीं के बाद सैकड़ों विकल्प खुल जाने चाहिए. जिन के 90 से 99.5% अंक आए हैं यदि उन के लिए रास्ते हैं तो दूसरों के लिए संकरे, कम पक्के पर फिर भी कहीं सही जगह ले जाने वाले रास्ते होने चाहिए. आज शिक्षा को सुधारने के नाम पर इन छोटे रास्तों को प्लग करा जा रहा है, उन्हें बदनाम करा जा रहा है.

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जिन्हें पहले से आभास हो जाए कि वे 90-99 की गिनती में नहीं हैं वे अपना रास्ता पहले चुन सकें. यह प्रबंध मां नहीं कर सकती, यह तो समाज और सरकार को ही कर के देना होगा.

योग्यता केवल एक परीक्षा पर निर्भर नहीं रह सकती. 17 साल के युवा से अगले 70 साल का रास्ता खोजने को कहना ही गलत है. अगर सैकड़ों विकल्प होते तो हर जना अपनी योग्यता, अपनी इच्छा का रास्ता अपना सकता, सिर उठा कर, मां को साथ में ले कर.

साइकिलिंग से रहे सेहतमंद जाने कैसे…

शारीरिक फिटनेस को ले कर हमेशा यह उलझन रही है कि कौन सी गतिविधियां सुडौल और छरहरे बदन के लिए मददगार हैं. हम में से ज्यादातर लोग बाहर घूमने से परहेज करते हैं, क्योंकि हम अपनी अन्य समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा समय बिताते हैं.

साइकिलिंग हम में से उन लोगों के लिए एक खास विकल्प है, जो जिम की चारदीवारी से अलग व्यायाम संबंधी अन्य गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. साइकिल पर घूमना शारीरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. आप साइकिल के पैडल मार कर ही यह महसूस कर सकते हैं कि आप की मांसपेशियों में उत्तेजतना बढ़ी है. शारीरिक गतिविधि एड्रेनलिन से संबद्ध है, जो आप को बेहद ताकतवर कसरत का मौका प्रदान करती है. यह आप को बाकी व्यायाम के लिए भी उत्साहित करती है.

जिम की तुलना में जिन कारणों ने साइकिलिंग को अधिक प्रभावी बनाया है, वे मूलरूप से काफी सामान्य हैं. शरीर में सिर्फ एक मांसपेशी के व्यायाम के तहत आप को हमेशा दिल को तरजीह देनी चाहिए. इस का मतलब है दिल के लिए कसरत करना जिस से दिल संबंधी विभिन्न रोगों का जोखिम घटता है. महज एक स्वस्थ शरीर की तुलना में स्वस्थ दिल अधिक महत्त्वपूर्ण है.

ब्रिटिश मैडिकल ऐसोसिएशन के अनुसार, प्रति सप्ताह महज 32 किलोमीटर साइकिलिंग करने से दिल की कोरोनरी बीमारी के खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है. एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि जो व्यक्ति प्रति सप्ताह 32 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं, उन्हें दिल की किसी बीमारी के होने की आशंका नहीं रहती है.

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फायदे अनेक

साइकिलिंग का खास फायदा यह है कि इस का लाभ अबाधित तरीके से मिलता है और आप को इस का पता भी नहीं चलता. साइकिलिंग में महज पैडल मारने से ही आसान तरीके से आप की कसरत शुरू हो जाती है. इसे आराम से या उत्साहपूर्वक घुमाएं, दोनों ही मामलों में दिल की धड़कन बढ़ती है. इस से शरीर में प्रत्येक कोशिका के लिए औक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह बढ़ता है, दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं.

साइकिलिंग उन लोगों के लिए कसरत का श्रेष्ठ विकल्प है, जो किसी चोट से रिकवर हो रहे हों. क्रौस टे्रनिंग विकल्प ढूंढ़ रहे हों या 85 की उम्र में मैराथन में भाग लेने के लिए अपने घुटनों को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहे हों. दौड़ने या जिम में ऐक्सरसाइज की तुलना में टांगों, एडि़यों, घुटनों और पैरों के लिए साइकिलिंग अधिक आसान एवं फायदेमंद है. इस से दिल शरीर के विभिन्न जोड़ों पर अधिक दबाव डाले बगैर पंपिंग करता है.

अधिक समय तक दौड़ने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ साइकिलिंग का कम प्रभाव है और यह घुटनों पर अधिक दबाव डाले बगैर टांगों की मांसपेशियों की कसरत है. इस के अलावा साइक्लिंग जोश बढ़ाती है.

हम में से ज्यादातर लोग साइकिलिंग के वक्त अपनी क्षमता से अधिक आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह बेहद आनंददायक है. इस के अलावा यह काफी कैलोरी भी अवशोषित करती है और उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो अपना अतिरिक्त वजन घटाना चाहते हैं. नियमित साइकिल चलाने से लगभग 300 कैलोरी प्रति घंटे खर्च हो सकती है और रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से 1 साल में आप का 8 किलोग्राम वजन घट सकता है. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उपापचय दर बनाने में भी मददगार है.

साइकिलिंग सस्ता व्यायाम

विशेष स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग जिम की तुलना में आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कई मानों में लाभदायक हो सकती है. बाहर की ताजा हवा लेना, सुबह के समय सूर्य की गरमी को महसूस करना या शाम को त्वचा को ठंडी हवा आदि ऐसे लाभ हैं, जो जिम की कसरत में हासिल नहीं हो सकते. साइकिलिंग तनाव कम कर सकती है क्योंकि आप बाहर घूमते वक्त प्राकृतिक तौर पर ताजा हवा लेते हैं. यह क्रिया दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित करती है, जो चिंता और आशंका से जुड़ा होता है और उस हिस्से को सक्रिय करती है, जो सुंदरता, गति से संबद्ध है.

इन स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग आप का काफी समय बचाने में भी मददगार है. यह सर्वोच्च क्रम का मल्टीटास्किंग है. आप काम पर जाने के लिए साइकिल का चयन कर सकते हैं और फिटनैस व्यवस्था पर किसी तरह का दबाव पड़ने की चिंता से भी मुक्त रह सकते हैं.

साइकिलिंग श्रेष्ठ गतिविधियों में से एक है, आप अपनी शारीरिक फिटनैस के साथसाथ मानसिक फिटनैस के लिए भी कर सकते हैं. यह रक्तप्रवाह को बराकरार रखती है और आप के शरीर के अच्छा महसूस कराने वाले हारमोन पैदा करती है. अत: इसे अपने दैनिक रूटीन में जरूर शामिल करें.

शारीरिक फिटनैस को ले कर हमेशा यह उलझन रही है कि कौन सी गतिविधियां सुडौल और छरहरे बदन के लिए मददगार हैं. हम में से ज्यादातर लोग बाहर घूमने से परहेज करते हैं, क्योंकि हम अपनी अन्य समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा समय बिताते हैं.

साइकिलिंग हम में से उन लोगों के लिए एक खास विकल्प है, जो जिम की चारदीवारी से अलग व्यायाम संबंधी अन्य गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. साइकिल पर घूमना शारीरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. आप साइकिल के पैडल मार कर ही यह महसूस कर सकते हैं कि आप की मांसपेशियों में उत्तेजतना बढ़ी है. शारीरिक गतिविधि एड्रेनलिन से संबद्ध है, जो आप को बेहद ताकतवर कसरत का मौका प्रदान करती है. यह आप को बाकी व्यायाम के लिए भी उत्साहित करती है.

जिम की तुलना में जिन कारणों ने साइकिलिंग को अधिक प्रभावी बनाया है, वे मूलरूप से काफी सामान्य हैं. शरीर में सिर्फ एक मांसपेशी के व्यायाम के तहत आप को हमेशा दिल को तरजीह देनी चाहिए. इस का मतलब है दिल के लिए कसरत करना जिस से दिल संबंधी विभिन्न रोगों का जोखिम घटता है. महज एक स्वस्थ शरीर की तुलना में स्वस्थ दिल अधिक महत्त्वपूर्ण है.

ब्रिटिश मैडिकल ऐसोसिएशन के अनुसार, प्रति सप्ताह महज 32 किलोमीटर साइक्लिंग करने से दिल की कोरोनरी बीमारी के खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है. एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि जो व्यक्ति प्रति सप्ताह 32 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं, उन्हें दिल की किसी बीमारी के होने की आशंका नहीं रहती है.

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फायदे अनेक

साइकिलिंग का खास फायदा यह है कि इस का लाभ अबाधित तरीके से मिलता है और आप को इस का पता भी नहीं चलता. साइकिलिंग में महज पैडल मारने से ही आसान तरीके से आप की कसरत शुरू हो जाती है. इसे आराम से या उत्साहपूर्वक घुमाएं, दोनों ही मामलों में दिल की धड़कन बढ़ती है. इस से शरीर में प्रत्येक कोशिका के लिए औक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह बढ़ता है, दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं.

साइकिलिंग उन लोगों के लिए कसरत का श्रेष्ठ विकल्प है, जो किसी चोट से रिकवर हो रहे हों. क्रौस टे्रनिंग विकल्प ढूंढ़ रहे हों या 85 की उम्र में मैराथन में भाग लेने के लिए अपने घुटनों को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहे हों. दौड़ने या जिम में ऐक्सरसाइज की तुलना में टांगों, एडि़यों, घुटनों और पैरों के लिए साइकिलिंग अधिक आसान एवं फायदेमंद है. इस से दिल शरीर के विभिन्न जोड़ों पर अधिक दबाव डाले बगैर पंपिंग करता है.

अधिक समय तक दौड़ने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ साइकिलिंग का कम प्रभाव है और यह घुटनों पर अधिक दबाव डाले बगैर टांगों की मांसपेशियों की कसरत है. इस के अलावा साइकिलिंग जोश बढ़ाती है.

हम में से ज्यादातर लोग साइकिलिंग  के वक्त अपनी क्षमता से अधिक आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह बेहद आनंददायक है. इस के अलावा यह काफी कैलोरी भी अवशोषित करती है और उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो अपना अतिरिक्त वजन घटाना चाहते हैं. नियमित साइकिल चलाने से लगभग 300 कैलोरी प्रति घंटे खर्च हो सकती है और रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से 1 साल में आप का 8 किलोग्राम वजन घट सकता है. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उपापचय दर बनाने में भी मददगार है.

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साइकिलिंग सस्ता व्यायाम

विशेष स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग जिम की तुलना में आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कई मानों में लाभदायक हो सकती है. बाहर की ताजा हवा लेना, सुबह के समय सूर्य की गरमी को महसूस करना या शाम को त्वचा को ठंडी हवा आदि ऐसे लाभ हैं, जो जिम की कसरत में हासिल नहीं हो सकते. साइकिलिंग तनाव कम कर सकती है क्योंकि आप बाहर घूमते वक्त प्राकृतिक तौर पर ताजा हवा लेते हैं. यह क्रिया दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित करती है, जो चिंता और आशंका से जुड़ा होता है और उस हिस्से को सक्रिय करती है, जो सुंदरता, गति से संबद्ध है.

इन स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग आप का काफी समय बचाने में भी मददगार है. यह सर्वोच्च क्रम का मल्टीटास्किंग है. आप काम पर जाने के लिए साइकिल का चयन कर सकते हैं और फिटनैस व्यवस्था पर किसी तरह का दबाव पड़ने की चिंता से भी मुक्त रह सकते हैं.

साइकिलिंग श्रेष्ठ गतिविधियों में से एक है, आप अपनी शारीरिक फिटनैस के साथसाथ मानसिक फिटनैस के लिए भी कर सकते हैं. यह रक्तप्रवाह को बराकरार रखती है और आप के शरीर के अच्छा महसूस कराने वाले हारमोन पैदा करती है. अत: इसे अपने दैनिक रूटीन में जरूर शामिल करें.

 

-शिव इंदर सिंह

एम.डी., फायरफौक्स बाइक्स प्रा.लि.

सैलाब से पहले

भाग-1

कमरे में धीमी रोशनी देख इंदु ने सोचा शायद विनय सो चुके हैं. वह दूध का गिलास लिए कमरे में आई तो देखा विनय आरामकुरसी पर आंखें मूंदे बैठे हुए हैं. उन्हें माथे पर लगातार हथेली मलते देख इंदु ने प्यार से पूछा, ‘‘सिर में दर्द है क्या? लो, दूध पी लो और लेट जाओ, मैं बाम मल देती हूं,’’ और इसी के साथ इंदु ने दूध का गिलास आगे बढ़ाया.

‘‘मेज पर रख दो, थोड़ी देर बाद पी लूंगा,’’ आंखें खोलते हुए विनय ने कहा, ‘‘पुरू, क्या कर रही है…सो गई क्या?’’

‘‘नहीं, लेटी है. नींद तो जैसे उस की आंखों से उड़ ही गई है,’’ पुरू के बारे में बात करते ही इंदु का स्वर भर्रा जाता था, ‘‘क्या सोचा था और क्या हो गया. सच ही है, आदमी के चेहरे पर कुछ नहीं लिखा होता. अब दीनानाथजी और सुभद्रा को देख कर क्या कोई अंदाज लगा सकता है कि अंदर से कितने विद्रूप हैं ये लोग…कितने कू्रर…असुर. कुदरत ने दोनों बेटे ही दिए हैं न. एक बेटी होती तो जानते कि बेटी का दर्द क्या होता है. इन्हें हमारी फूल सी बेटी नहीं बस, पैसा नजर आ रहा था और वही चाहिए था,’’ इंदु सिसक पड़ी.

‘‘अब बस करो, इंदु…क्यों बारबार एक ही बात ले कर बैठ जाती हो,’’ विनय ने चुप कराते हुए कहा.

‘‘तुम कहते हो बस करो…मैं तो सहन कर लूंगी  पर जानती हूं कि तुम्हारे जी में जो आग लगी है वह अब कभी ठंडी नहीं पड़ेगी. बचपन से पुरू का पक्ष ले कर बोलते रहे हो…पुरू में तो जैसे तुम्हारे प्राण बसे हैं, क्या मैं यह जानती नहीं हूं? जब से पुरू ससुराल से इस तरह लौटी है, तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही है, अच्छी तरह समझ रही हूं मैं. अपने दुखों को अंदर ही अंदर समेट लेने की तुम्हारी पुरानी आदत है.’’

इंदु लगातार बोले जा रही थी पर विनय आरामकुरसी पर अधलेटे, शून्य में टकटकी बांधे सोच में डूबे हुए थे…फिर अचानक बोल पड़े, ‘‘इंदु, सुबह जल्दी उठ जाना और हां, पुरू को भी जल्दी नहाधो कर तैयार होने के लिए कह देना… पुलिस स्टेशन चलना है. कुछ आवश्यक काररवाई बाकी है.’’

‘‘उन लोगों की जमानत तो नहीं हो गई? 4 दिन लाकअप में बंद रह कर होश ठिकाने आ गए होंगे दीनानाथजी और सुभद्रा के…और अरविंद, उसे तो कड़ी सजा मिलनी चाहिए. पराई बेटी पर अत्याचार करते इन लोगों को शर्म नहीं आई. पर विनय, इन लोगों को यों ही नहीं छोड़ना है…कड़ी से कड़ी सजा दिलवाना ताकि फिर किसी लड़की को ये लोग दहेज के लिए सताने की हिम्मत न कर सकें,’’ बोलतेबोलते इंदु की सांसों की गति तेज हो गई और वह लगभग हांफने सी लगी.

सच है, खुद कष्ट उठाना उतना कठिन नहीं होता जितना अपने प्रिय को कष्ट झेलते हुए देखना और बच्चे तो मांबाप के कलेजे के टुकड़े होते हैं…वे कष्ट में हों तो मांबाप चैन की सांस कैसे ले सकते हैं भला.

‘‘हां, इंदु, सजा जरूर मिलेगी…और मिलनी ही चाहिए… दोषी को सजा मिलनी ही चाहिए…’’ विनय ने दृढ़ता से कहा, ‘‘चलो, सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है तुम्हें.’’

विनय के स्वर की दृढ़ता से आश्वस्त हो कर इंदु अपने पल्लू के छोर से आंसू पोंछती हुई कमरे से बाहर निकल गई. पिछले हफ्ते जब से पुरुष्णी ससुराल से दहेज के लिए प्रताडि़त हो कर बच कर भाग आई, इंदु ने एक पल को भी उसे अकेला नहीं छोड़ा था. रात में भी वह पुरू के पास ही लेटती थी और रातरात भर जाग कर कभी उस के माथे को तो कभी बालों को सहलाती रहती…मानो पुरू नन्ही बच्ची हो.

विनय की आंखों से नींद कोसों दूर थी. इंदु के जाते ही उन्होंने मेज पर नजर डाली…पीने के लिए दूध से भरा गिलास उठाया…दो घूंट जैसेतैसे गटके फिर मन नहीं हुआ, सो गिलास वापस मेज पर रख दिया. मन की बेचैनी को कम करने के लिए वह दोनों हाथों को कमर के पीछे बांधे कमरे में ही चहलकदमी करने लगे.

कभीकभी लगता है मानो समय रुक सा गया है पर समय कहां रुकता है…वह तो घड़ी की टिकटिक के साथ हमेशा गतिमान रहता है. हम ही आगेपीछे हो जाते हैं. जब पुरुष्णी छोटी थी तो विनय उस के लिए कितने आगे तक की सोच लेते थे और आज न चाहते हुए भी बारबार वह पीछे की ओर…अतीत में ख्ंिचे चले जा रहे थे. जिस गति से घड़ी की सुइयां निरंतर आगे की ओर बढ़ रही थीं उसी तीव्रता से विनय का विचारचक्र विपरीत दिशा में घूमने लगा था.

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विवाह के दिन कितनी प्यारी लग रही थी उन की पुरू. पुरू ही क्यों अरविंद भी. दोनों की जोड़ी देख मेहमान तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहे थे. सुयोग्य वर और घर दोनों ही लड़की के सौभाग्य से प्राप्त होते हैं…ऐसा ही कुछ उस दिन विनय ने सोचा था. गर्व से सीना ताने अपने बेटे वरुण के साथ दौड़दौड़ कर व्यवस्था देखने में जुटे हुए थे. अपने दोस्त केदार पर भी उन्हें उस दिन नाज हो रहा था…वाह, क्या दोस्ती निभाई है दोस्त ने.

केदार ने ही तो यह इतना सुंदर रिश्ता सुझाया था. अरविंद कंप्यूटर इंजीनियर था और यहीं दिल्ली में ही कार्यरत था. पिता दीनानाथ महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष और मां सुभद्रा सीधीसादी घरेलू धार्मिक महिला थीं. छोटा भाई मिलिंद अभी कालिज में पढ़ रहा था. छोटा सा सुसंस्कृत परिवार. यदि चिराग ले कर ढूंढ़ते तो भी इस जन्म में ऐसा घरवर नहीं ढूंढ़ पाते, यह सोच कर केदार के प्रति विनय कृतज्ञ हो गए थे.

‘रिश्ता तो अच्छा है पर थोड़ी तहकीकात तो करवा लेते,’ इंदु ने कहा तो विनय तुरंत बोल पड़े, ‘अरे, केदार ने रिश्ता सुझाया है… अविश्वास का तो प्रश्न ही नहीं उठता, तहकीकात भला क्या करवानी है. भई, मुझे तो दीनानाथजी से बात कर के ही तसल्ली हो गई. ऐसे घर में पुरू को दे कर तो मैं निश्ंिचत हो जाऊंगा.’

इतना कहने के बाद विनय ने शरारत से मुसकरा कर इंदु की ओर देखा और बोले, ‘और एक बात इंदु, तुम्हारे मुकाबले तो सुभद्राजी 10 प्रतिशत भी नहीं हैं.’

‘किस बात में?’ इंदु ने इठला कर आतुरता से पूछा.

‘अरे भई, तेजतर्रारी में और किस में,’ विनय ने जोरदार ठहाका लगाया तो इंदु ने भी बनावटी गुस्से में आंखें तरेरीं. इतना उन्मुक्त हास्य आज पहली बार ही विनय के चेहरे पर देखा था. बेटी के भविष्य को ले कर आज कितने निश्ंिचत हो गए हैं विनय. यही सोच कर इंदु का मन तृप्ति से भर गया था.

पर यह सुखद स्वप्न चार दिन की चांदनी बन कर ही रह गया. पहली बार जब पुरू मायके आई तो इंदु की अनुभवी आंखों ने उस के चेहरे पर चढ़ी उदासी की परत को तुरंत ही ताड़ लिया था. खूब कुरेदकुरेद कर इंदु ने पूछताछ की फिर भी पुरू की उदासी का कारण जानने में असमर्थ ही रही. हर बार पुरू का एक ही उत्तर होता, ‘कहां मां…कुछ तो नहीं है… आप का वहम है यह…खुश तो हूं मैं.’

पुरू ससुराल लौट गई पर भ्रम के कांटे इंदु की मनोधरा पर जहांतहां बिखेर गई थी. पुरू के व्यवहार में कई अनपेक्षित बातें अवभासित हुई थीं इंदु को, जो समझ से परे थीं. बचपन से हर बात मां को बताने वाली पुरू अचानक इतनी चुपचुप सी क्यों हो गई…कहीं कोई कष्ट तो नहीं है ससुराल में…नाना प्रकार की अटकलों के बीच मन घूमता रहता.

और एक दिन चिंताओंदुश्ंिचताओं के बीच पुरू का वह पत्र, ‘आप नानानानी बनने वाले हैं…वरुण मामा बनेगा…’ ऐसा पुलकित कर गया था कि आनंदातिरेक में खुशी के आंसू बह निकले. अचानक ही सारे भ्रम, शंकाएंकुशंकाएं इस बहाव में जाने कहां तिरोहित हो गईं. मन पुन: स्वच्छ आकाश सा साफ हो गया.

विनय और वरुण तो खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थे. जहांजहां, जोजो ध्यान आया हरेक को फोन, ई-मेल, पत्र लिख कर यह शुभसमाचार दे रहे थे. इंदु तो भविष्य में आने वाले नन्हे मेहमान की क्याक्या तैयारी करनी होगी इसी सोच में रम गई थी.

इंदु ने गणित लगाया कि तीसरा महीना लगभग पूरा होने को है पुरू का. बस, केवल 6 माह की ही तो प्रतीक्षा है. पर ये 6 माह भी इंदु को 6 युग की तरह लंबे लग रहे थे. फिर भी समय निर्बाध गति से सरकता जा रहा था…सुख भरे दिन यों भी समय की लंबाई का एहसास नहीं कराते.

2 माह ही तो हुए थे इन सुखों की सौगात भरे एहसासों को चुनचुन कर समेटते हुए कि अचानक एक दिन सूटकेस ले कर दरवाजे पर पुरू को खड़ी पाया तो सब के सब खुशी से झूम उठे थे, ‘अरे बेटी, अचानक कैसे आना हुआ…फोन भी नहीं किया,’ खुशी से पुरू को गले लगाते हुए इंदु ने पूछा, ‘अरविंद कहां है?’ अरविंद को साथ न देख कर पुरू के पीछे आजूबाजू उत्सुकतावश इंदु झांकने लगी.

‘मैं अकेली आई हूं, मां. हमेशाहमेशा के लिए वह घर छोड़ कर,’ पुरू, इंदु से लिपट कर बिलख पड़ी और क्षण भर में ही वे सारे  सपने, जो विनय, वरुण और इंदु ने बड़े जतन से बुने थे, जल कर भस्म हो गए.

पुरू की बातों ने सब को स्तब्ध कर दिया था. विनय का तो इस बात पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं जम रहा था कि सुभद्रा जैसी सीधीसादी महिला ने उन की पुरू को दहेज के लिए प्रताडि़त किया होगा. और दीनानाथ? दीनानाथजी पर तो उन्हें स्वयं से अधिक विश्वास था. एक बार वह स्वयं पुरू के साथ डांटफटकार कर सकते थे परंतु दीनानाथजी तो वात्सल्य की साक्षात मूर्ति थे.

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‘रहने दीजिए अपने तर्क…ये सब दुनिया को दिखाने के लिए पहने हुए मुखौटे हैं. ये तो अच्छा हुआ कि पुरू उन के चंगुल से बच कर निकल आई वरना कल को न जाने क्या सलूक करते वे लोग,’ इंदु क्रोधावेश से तप्त हो रही थी.

‘पर इंदु, यदि पुरू जो कह रही है वह सच भी हो तो क्या अरविंद ने उन्हें रोका नहीं होगा. अरविंद पर तो तुम्हें भरोसा है न. हमारे बेटे जैसा है वह. मुझे एक बार फोन कर के बात कर लेने दो उन लोगों से, वैसे भी पुरू के अचानक बिना बताए आ जाने से परेशान होंगे वे लोग,’ विनय अब भी वस्तुस्थिति पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे.

‘पापा, आप भी न बस,’ वरुण झल्ला पड़ा, ‘अब भी उन्हीं लोगों की भलाई के बारे में सोच रहे हैं आप. वे परेशान हो रहे होंगे तो होने दीजिए. परेशान वे पुरू दीदी के लिए नहीं अपनी इज्जत के लिए हो रहे होंगे, जो अब हमारे हाथ में है. पुरू दीदी ठीक ही कह रही हैं कि उन सब के खिलाफ हमें पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देनी चाहिए,’ वरुण का नया खून अपनी पुरुष्णी दीदी को कष्ट में रोतेसिसकते देख पूरे उबाल पर आ गया था.

तत्क्षण विनय ने विरोध करते हुए कहा, ‘चलो, मान लेते हैं कि उन लोगों ने पुरू के साथ ज्यादती की है पर उन से मिले बिना…पूरी बात जाने बिना सीधे पुलिस काररवाई करना मुझे तो कुछ ठीक नहीं लगता,’ विनय कुछ सोचते हुए फिर बोले, ‘वरुण, एक काम करो. केदार को फोन मिलाओ, पहले उस से बात कर लूं फिर दीनानाथजी से मैं खुद जा कर मिल लूंगा.’

चिंताग्रस्त होने के बावजूद विनय अपने विवेक और विचारशीलता का धैर्यपूर्वक उपयोग करना अच्छी तरह जानते थे. हालांकि बेटी के कष्ट ने उन्हें अंदर तक हिला कर रख दिया था, फिर भी उन्हें यह एहसास था कि बेटी अब केवल उन की ही नहीं दीनानाथजी के घर की भी इज्जत है और फिर इस वक्त यह गर्भवती भी है. सारी स्थितियां रिश्तों के नाजुक धागों से गुंथी हुई थीं. विनय नहीं चाहते थे कि किसी भी झटके से एक भी धागा खिंच कर टूट जाए.

‘देखो, इंदु, पुरू तो अभी नादान है. भावावेश में यह जो कदम उठा बैठी है उस का नतीजा कभी सोचा है इस ने? जिस स्थिति में यह है…तुम तो अच्छी तरह समझती हो इंदु, फिर भी इस की बातों को शह दे रही हो. अरे, इतने करीबी रिश्ते क्या इतने कमजोर होते हैं, जो जरा सी विषमता से टूट जाएं. पुरू के साथ उस नन्ही जान के भविय के बारे में भी हमें सोचना होगा, जो इस वक्त उस के गर्भ में पल रही है,’ विनय धैर्य से स्थिति संभालने का पुरजोर प्रयास कर रहे थे.

पर बेटी के दुख से विचलित इंदु लगातार विनय पर जोर डाल रही थी कि अब दोबारा उस नरक में पुरू को नहीं भेजना है.

‘पानी सिर से गुजरने तक इंतजार करना तो मूर्खता होगी. उन लोगों ने लगातार पुरू पर दबाव डाला है कि मायके से 4-5 लाख की व्यवस्था कर दे. बहाना यह कि अरविंद को खुद का बिजनेस शुरू करवाना है. वह तो पुरू थी जो अड़ी रही कि मैं अपने मांबाप को क्यों परेशानी में डालूं…और नतीजा देखा? जान से मारने की धमकी दे डाली सुभद्रा ने तो.’

‘यदि यह बात थी तो पुरू ने हमें पहले कभी क्यों नहीं बताया…बोलो, पुरू,’ विनय ने पुरू का कंधा पकड़ कर झकझोरते हुए पूछा.

‘पापा, मैं आप को परेशान नहीं करना चाहती थी,’ पुरू की सिसकियां हिचकियों में बदलने लगीं.

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‘कुछ भी हो, पहले हमें दीनानाथ और सुभद्रा से मिल कर इस मामले को स्पष्ट तो कर लेना चाहिए कि वास्तविकता क्या है?’ विनय ने कहा.

पुरू फिर बिलख पड़ी, ‘मैं झूठ बोलूंगी, ऐसा लगता है क्या पापा आप को?’ इंदु की गोद में सिर छिपा कर पुरू लगातार रोए जा रही थी,

हनी ग्लेज्ड साबूदाना मिनी कटलेट

आपने कटलेट तो बहुत खाया होगा लेकिन क्या आपने कभी हेल्दी हनी ग्लेज्ड सागूदाना मिनी कटलेट ट्राई किया है. अगर आपको भी अपनी फैमिली को कुछ टेस्टी और हेल्दी खिलाना है तो हनी ग्लेज्ड सागूदाना मिनी कटलेट आपके लिए बेस्ट डिश है, जिसे आप बिना हेल्थ की टेन्शन लिए खा सकते हैं.

हमें चाहिए

1/2 कप साबूदाना

1 आलू उबला व मसला

1/2 कप ब्रैडक्रंब्स

50 ग्राम पनीर

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1 बड़ा चम्मच बारीक कटा अदरक व हरीमिर्च

1 छोटा चम्मच चाट मसाला

2 छोटे चम्मच शहद

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

1 छोटा चम्मच अमचूर पाउडर

कटलेट डीप फ्राई करने के लिए रिफाइंड औयल

1 छोटा चम्मच चाट मसाला

नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

साबूदाना को 6-7 घंटे पानी में भिगो कर रखें. फिर पानी निथार 1/4 कप फूले हुए साबूदाना को मिक्सी में ब्रश कर के अलग रख लें.

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बचे साबूदाना में पनीर, आलू व बाकी सारे मसाले मिलाएं. मनचाहे आकार के कटलेट बना कर साबूदाना के पेस्ट में लपेट कर डीप फ्राई कर लें.

शहद में चाट मसाला और नीबू का रस मिला कर प्रत्येक कटलेट पर थोड़ा सा डाल दें.

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