‘‘मुझे समाज को दिखाना था कि हम जैसे लोग भी बहुत कुछ कर सकते हैं.’’

दीपा शौटपुटर के अलावा स्विमर, बाइकर, जैवलिन व डिस्कस थ्रोअर हैं. पैरालिंपिक खेलों में उन की उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया था और इस वर्ष उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया. बेचारी जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले समाज की इस सोच को अपनी हिम्मत और इच्छाशक्ति के बल बूते बदलने वाली देश की पहली महिला पैरालिंपिक मैडलिस्ट दीपा मलिक का जीवन चुनौतियों से भरा रहा. उन्होंने इतिहास तब रचा जब रियो में गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीत कर पैरालिंपिक में पदक हासिल करने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनीं. दीपा ने स्पाइन ट्यूमर से जंग जीती और फिर खेलों में मैडलों का अंबार लगा डाला. पेश हैं, दीपा से हुई बातचीत के कुछ अंश:

खुद के साथ बेटियों को संभालने और अपनी अलग पहचान बनाने की ताकत कहां से मिली?

मुझे कुछ करने की ताकत 3 चीजों से मिली- पहली मुझे समाज की उस नकारात्मक सोच को बदलना था जिस में मेरे लिए बेचारी और लाचार जैसे शब्दों का प्रयोग लोग करने लगे थे. इस अपंगता में जब मेरा दोष नहीं था तो मैं क्यों खुद को लाचार महसूस कराऊं? मुझे समाज को दिखाना था कि हम जैसे लोग भी बहुत कुछ कर सकते हैं. हिम्मत और जज्बे के आगे शारीरिक कमी कभी बाधा नहीं बनती. दूसरी ताकत मेरी बेटियां बनीं, जिन्हें मैं संभाल र ही थी. मैं नहीं चाहती थी कि बड़ी हो कर मेरी बेटियां मुझे लाचार मां के रूप में देखें. तीसरी ताकत खेलों के प्रति मेरा शौक बना, जिस ने इस स्थिति से लड़ने में मेरी बहुत सहायता की.

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पेरैंट्स का कैसा सहयोग रहा?

मैं आज उन्हीं की बदौलत यहां हूं. मैं जब ढाई साल की थी तब पहली बार मुझे ट्यूमर हुआ था. इस का पता भी पापा ने ही लगाया. जब मैं घर में गुमसुम रहने लगी तो पापा ने मुझे चाइल्ड मनोवैज्ञानिक को दिखाया. जब मेरी बीमारी का पता चला तब पुणे आर्मी कमांड हौस्पिटल में मेरा इलाज हुआ. मैं जब तक बैड पर रही, पापा हमेशा मेरे साथ रहे. मेरे पापा बीके नागपाल आर्मी में कर्नल थे. मां भी अपने जमाने की राइफल शूटर थीं. शादी के बाद जब 1999 में दूसरी बार मेरा स्पाइनल कोर्ड के ट्यूमर का औपरेशन हुआ तब भी मुझे पापा ने ही संभाला.

आप ने परिवार को कैसे संभाला?

मेरे पति भी आर्मी में थे. पहली बेटी देविका जब डेढ़ साल की थी तो उस का ऐक्सीडैंट हो गया. हैड इंजरी थी जिस से उस के शरीर का एक हिस्सा पैरालाइज हो गया. यह देख कर मैं बिलकुल नहीं घबराई. मैं ने खुद उस की देखभाल की, फिजियोथेरैपी की. आज वह बिलकुल स्वस्थ है और लंदन में साइकोलौजी से पीएचडी कर रही है. दूसरी बेटी भी पैरालाइज थी. उसे भी ठीक किया. आज वह भी पूरी दुनिया घूम चुकी है. म ैं तो मानती हूं कि मैं ने बेटी पढ़ा भी ली और बचा भी ली. लेकिन तीसरी सर्जरी के बाद मैं व्हीलचेयर पर आ गई, लेकिन तब भी हिम्मत नहीं हारी. मेरे लिए इन सब मुश्किलों से निबटना आसान नहीं था, मगर मुझे खुद पर यकीन था कि मैं इन से निबट भी लूंगी और जीवन को सामान्य धारा में भी ले आऊंगी.

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खेलों की शुरुआत कैसे हुई?

बचपन से ही मेरा लगाव खेलों की तरफ था. मैं स्पोर्ट में हिस्सा लेना और उन्हें देखना पसंद करती थी. लेकिन 2006 के बाद मैं ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. जब स्पोर्ट में आगे बढ़ने की बारी आई तो सरकार से अपने अधिकारों के लिए लड़ी भी. कुछ नए नियम भी बनवाए. मैं पहले महाराष्ट्र की तरफ से खेलती थी. 2006 में एक तैराक के रूप में मुझे पहला मैडल मिला. उस समय मैं पूरे भारत में अकेली दिव्यांग तैराक थी.

आप ने यमुना नदी भी पार की है?

मैं जब बर्लिन से लौटी तब घर नहीं गई और यह तय किया कि मैं यमुना को पार करूंगी और विश्व में सब को बताऊंगी कि मैं असल तैराक हूं. किसी स्विमिंग पूल की तैराक नहीं हूं. इलाहाबाद के एक कोच से कहा कि आप कैसे भी हो मुझे यमुना पार कराओ. पहले तो उन्होंने मना किया पर फिर मेरे जज्बे को देख कर प्रैक्टिस कराने लगे. फिर 2009 में मैं ने यमुना नदी पार कर विश्व रिकौर्ड बनाया, जो ‘लिम्का बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स’ में दर्ज हुआ. मेरे पास ‘गिनीज वर्ल्ड रिकौर्ड्स’ बुक वालों को बुलाने के लिए पैसे नहीं थे वरना यह रिकौर्ड गिनीज बुक में दर्ज होता.

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जाने क्यूं हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट

कार्डियक अरेस्‍ट होना आज के इस व्यस्त समय में एक आम बात हो गई है. आए दिन कार्डियक अरेस्‍ट से होने वाली मौत इस बात का सबूत है. पर क्या आप जानते है की कार्डियक अरेस्‍ट क्यूं और इसके लक्षण क्या होते है तो चलिए हम आपको बताते है.

 कार्डियक अरेस्‍ट

कार्डियक अरेस्‍ट का मतलब है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है.

दिल के दौरे से क्यूं अलग है कार्डियक अरेस्‍ट  

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कार्डियक अरेस्‍ट को अक्सर लोग दिल का दौरा समझते हैं, मगर ये उससे अलग है. जानकार बताते हें कि कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल शरीर के चारों ओर खून पंप करना बंद कर देता है. मेडिकल टर्म में कहें तो हार्ट अटैक सर्कुलेटरी समस्या है जबकि कार्डियक अटैक, इलेक्ट्रिक कंडक्शन की गड़बड़ी की वजह से होता है.

दिल में दर्द के कारण

सीने में अगर दर्द हो रहा हो तो जरूरी नहीं कि वो दिल का दौरा ही हो, डौक्‍टर्स के मुताबिक ऐसा हार्ट बर्न या कार्डियक अटैक के कारण भी हो सकता है.  कार्डियक अरेस्ट में दिल का ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है. दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा हो जाने से इसका असर दिल की धड़कन पर पड़ता है. इसलिए कार्डियक अरेस्ट में कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है.

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कार्डियक अरेस्‍ट के लक्षण

कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होने वाली बीमारी  है. लेकिन जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका ज्यादा होती है.

1.कभी-कभी छाती में दर्द होना

2.सांस लेने में परेशानी

3.पल्पीटेशन

4.चक्कर आना

5.बेहोशी

6.थकान या ब्लैकआउट हो सकता है.

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कार्डियक अरेस्‍ट का ट्रीटमेंट

हार्ट अटैक से पुरी तरह अलग कहे जाने वाले कार्डियक अरेस्‍ट के ट्रीटमेंट में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके. इसके मरीजों को ‘डिफाइब्रिलेटर’ से बिजली का झटका देकर हार्ट बीट को रेगुलर करने की कोशिश की जाती है.

हनी ओट्स एनर्जी बार

अगर आपको भी छोड़ी-छोड़ी देर में भूख लगती है, जिसके कारण आप अनहेल्दी चीजें खाते हैं. तो आज हम आपको छोटी-छोटी भूख को खत्म करने और हेल्दी रहने के लिए आज हनी ओट्स एनर्जी बार की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए

1/2 कप मिक्स्ड ड्राईफ्रूट्स

1 बड़ा चम्मच कद्दू के बीज

2 बड़े चम्मच नारियल कद्दूकस किया

1/2 कप ओट्स

2 बड़े चम्मच घी

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1/4 कप शहद

1/4 कप कद्दूकस किया गुड़

1 छोटा चम्मच पिस्ता कतरन.

बनाने का तरीका

एक नौनस्टिक कड़ाही में घी गरम कर ड्राईफ्रूट्स, कद्दू के बीच व नारियल धीमी आंच पर 1-2 मिनट रोस्ट करें.

फिर ओट्स डाल उसे भी 1 मिनट रोस्ट करें. गुड व शहद डाल कर धीमी आंच पर 2-3 मिनट उलटें-पलटें.

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जब गुड़ पिघल कर ड्राईफ्रूट्स में शहद के साथ मिल जाए तब इसे एक एल्यूमिनियम की ट्रे को घी से चिकना कर उस पर फैला दें. इस पर पिस्ता बुरक दें. ठंडा होने पर टुकड़े काट लें.

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5 टिप्स: इन तरीकों से लगाएं हल्दी और पाएं टैनिंग से छुटकारा

गरमी बढ़ते ही हमारी स्किन प्रौब्लम की प्रौब्लम्स शुरू हो जाती हैं. जिनसे निपटने के लिए हमें कईं बार डौक्टर्स के चक्कर काटने पड़ते हैं, लेकिन इस बार हम आपको हर घर में मौजूद हल्दी के कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बताएंगे, जिससे आपको इस गरमी स्किन प्रौब्लम से होने वाली प्रौब्लम से छुटकारा तो मिलेगा ही. साथ ही आपको ग्लोइंग स्किन भी मिलेगी. आइए आपको बताते हैं, हल्दी के कुछ असरदार टिप्स…

1. हल्दी से पा सकते हैं टैन से छुटकारा

हल्दी और नींबू का रस मिलाएं औुीर 30 मिनट के लिए चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. फिर गुनगुने पानी से धो दें. इसके अलावा, थोड़ी से हल्दी को एक चम्मच मिल्क पाउडर, दो चम्मच शहद और आधे नींबू के रस में मिलाएं और सूखने तक चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. इसके बाद धो दें और फर्क देखें.

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2. ग्लोइंग स्किन के लिए हल्दी है बेस्ट

हल्दी और बेसन के फेसपैक को हमेशा से ही स्किन को ग्लो कराने का बेहतरीन तरीका माना जाता है. चार चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी और थोड़ा सा दूध लेकर पेस्ट बनाएं. इसे कम से कम 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगाकर छोड़ दें. इसे हफ्ते में कम से कम एक बार जरूर लगाएं और ग्लोइंग स्किन पाएं.

3. पिंपल की छुट्टी दिलाएगी हल्दी

अगर आप पिंपल की प्रौब्लम से छुटकारा पाना चाहते हैं तो हल्दी को चंदन और नींबू के रस में मिलाकर फेस पैक बनाएं और 10 मिनट तक चेहरे पर लगाकर रखें. फिर हल्के गर्म पानी से धो दें. मुहांसों के दाग भी हल्दी 15 मिनट तक चेहरे पर हल्दी का लेप लगाने से कम हो जाते हैं. आप दो टेबलस्पून बेसन में आधा चम्मच हल्दी और तीन चम्मच फ्रेश योगर्ट यानी दही मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं. सूखने के बीद इसे ठंडे पानी से धो दें.

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4. डार्क सर्कल दूर करे हल्दी

हल्दी, गन्ने का रस और दही मिलाकर आंखों के नीचे लगाने से डार्क सर्कल कम होते हैं. इससे झुर्रियां भी कम होती हैं.

5. एंजिंग की प्रौब्लम से मिलेगा छुटकारा

बढ़ती उम्र आपके चेहरे से ना झलके इसके लिए भी हल्दी आपके बहुत काम आएगी. हल्दी को दूध या योगर्ट में मिलाकर चेहरे पर सर्कुलर मोशन में लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें. फिर गुनगुने पानी से धो दें.

मेरी मां- “बच्चों के सपनें और मां का त्याग”

शैली द्विवेदी, (लखनऊ)             

बात पुरानी है. हम चार भाई-बहन है. पिताजी बैंक की नौकरी करते थे. छोटी सी नौकरी मगर ख्वाब बड़े-बड़े. माताजी ने बच्चो को CMS में बच्चो को पढ़ाने का निश्चय किया था. चार बच्चों की फ़ीस बहुत हुआ करती थी. मां का प्यार और उनका निश्चय बचपन में ही देखा जिसकी छाप आज तक मेरे जेहन से मिटती नहीं. सुबह सवेरे सभी के लिए पराठा-अचार बनाना. पिताजी के लिए लंच. सबकी ड्रेस लगा कर रखना. मैं थोड़ी बिगड़ैल स्वभाव की थी तो मेरे लिए चुपके से आलू छौंक कर लंच में रख देती थी. फिर सबको विदा करके अपने कामों में लग जाती थी. अपने लिए कुछ नही.

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बस जैसे एक धुन थी कि बच्चे कुछ बन जाएं. न नाते न रिश्तेदार. कैसे निभातीं. रिश्तेदारियां भी महंगी होती हैं. फिर बच्चे एक दूसरे से मिलकर रोज़ नई मांग रख देते. वो पूरा करती तो पैसे ना बचते अच्छे स्कूल में पढ़ाने को. बस इसलिए अपनी ख़्वाइशों को दबाती रहती थी. मैंने उन्हें गैस की लाइनों में लगते हुए दलालों से बहस करते देखा है. वो भाई के साथ उसकी साइकिल के पीछे गैस सिलिंडर रख कर लाती थी. मैंने एक बार कोचिंग की जिद्द कर ली. उन्होंने बहुत समझाया बिटिया हम मुश्किल से फीस दे पाते हैं. कोचिंग कैसे करवाएंगे. मगर बाल हठ के आगे कहां चलने वाली. अपने घर खर्च से कटौती कर के मुझे कोचिंग भी पढ़ाया.

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आज जब हम सब सफल हो गए है और अपने अपने जगह लग गए है मां की वो बातें याद आती हैं तो आंखे डबडबा जाती हैं. इसी शहर में रहती हैं लेकिन हम बच्चे कम समय दे पाते हैं लेकिन वो आज भी उसी शिद्दत से हम सब के लिए कुछ न कुछ  करती हैं.

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मैं खुद आज मां हूं. एक बच्चे की परवरिश में पूरा समय देती हूं फिर भी लगता है कुछ कमी है. मगर मां आपने चार बच्चो को कैसे हंस-हंस के पाल लिया, ये अनुकरणीय है. मदर्स डे पर आपको मेरा अभिनंदन. दुआ करूंगी की ऐसी मां सबको मिले.

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रिलीज से पहले ही विवादों में आई अक्षय कुमार की नई फिल्म

हौरर कौमेडी तमिल फिल्म ‘‘कंचना’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘लक्ष्मी बौम्ब’’ के लिए अक्षय कुमार और किआरा अडवाणी ने शूटिंग शुरू की, मगर दो दिन की शूटिंग खत्म होते ही फिल्म के निर्माता की तरफ से फिल्म में अक्षय कुमार के लुक व फिल्म के लुक का एक पोस्टर भी जारी कर दिया. उसके बाद फिल्म के निर्देशक राघव लौरेंस ने ट्विटर के माध्यम से इस फिल्म से खुद को अलग कर लेने का निर्णय सुना दिया. जबकि ‘लक्ष्मी बौम्ब’ की मूल तमिल फिल्म ‘‘कंचना’’ के लेखक, निर्देशक व निर्माता राघव लौरेंस ही हैं. उसके बाद से फिल्म निर्माता दूसरे निर्देशक की तलाश में जुट गए. इससे यह अनुमान लगाया गया कि सेट पर अक्षय कुमार और निर्देशक राघव लौरेंस के बीच कुछ अनबन हुई होगी.

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डायेरक्टर ने कही ये बात…

मगर अब राघव लौरेंस ने फिल्म से खुद को अलग करने के लिए फिल्म के निर्माता तुषार कपूर और सबीना खान को कटघरे में खड़ा करते हुए अक्षय कुमार की तारीफ की है. राघव लौरेंस ने कहा है- ‘‘निर्माताओं ने मुझे दुःखी कर दिया. वह बिना मेरी सलाह लिए मेरी फिल्म का लुक पोस्टर बाजार में कैसे ला सकते हैं? निर्देशक के तौर पर उन्होने मुझे आहत किया और उनकी तरफ से कोई बात नहीं की गयी. क्या मैं मूर्ख हूं. उनके लिए मेरी कोई अहमियत ही नहीं हैं. मैं सिर्फ इतना ही चाहता था कि वह मुझे जानकारी देते रहते, पर उन्होंने मुझे अंधेरे में रखा. मुझे अक्षय कुमार से कोई शिकायत नहीं है. उन्होंने तो फिल्म के किरदार के अनुरूप खुद को ढालने के लिए काफी तैयारी की. वह काफी मेहनत कर रहे हैं. अब जो कुछ होगा, उसे मेरे वकील देखेंगे.’’

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बता दें कि मशहूर तमिल फिल्मकार राघव लौरेंस ने 2011 में लेखक, निर्देशक व निर्माता तमिल फिल्म ‘कंचना’ बनायी थी. इस फिल्म को मिली सफलता के बाद उन्होंने 2015 में इसके सीक्वल का निर्माण किया. फिल्म का तीसरा पार्ट कंचना-3 इसी वर्ष 19 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंची. इन फिल्मों को हिंदी में डब करके भी रिलीज किया जा चुका है, जिसे देखकर तुषार कपूर व सबीना खान ने 2011 की सफल फिल्म ‘‘कंचना’’ को हिंदी में रीमेक करने के अधिकार हासिल कर इसके निर्देशन की जिम्मेदारी राघव लौरेंस को सौंपी थी.

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Cannes 2019: सोनम ने दिलकश अंदाज में दिखाईं अदायें

बौलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर ने फ्रांस में चल रहे अपने तीसरे कान्स फिल्म फेस्टिवल में सिल्वर कलर की सीक्विन ड्रैस में जलवे बिखेरती नजर आईं. वहीं उनके फैंस ने भी उनके इस लुक की काफी तारीफें करते हुए सोशल मीडिया पर उनकी फोटोज वायरल कर दी है.

क्वीन से कम नहीं लग रही थीं फैशनिस्टा सोनम

 

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बौलीवुड की फैशनिस्टा में से एक सोनम अपने फैशन को लेकर अक्सर चर्चा में रहती हैं. इस बार भी उनकी कान्स की सिल्वर बौडी फिटिंग ड्रैस जिसे इंडियन ऐस के नाम से फेमस अबू जानी संदीप खोसला ने डिजाइन किया है, उसमें किसी क्वीन से कम नहीं लग रही थीं.

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सोनम ने कान्स में फर्स्ट अपीरियेंस से जीता सबका दिल

 

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फेमस कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपनी पहले अपीरियेंस एक्ट्रेस सोनम रफ़ल स्लीव्स के साथ एक शाइन रेड वैलेंटिनो ड्रैस में नजर आईं. जिसे बालों वाइट फ्लावर के साथ रेड कलर के स्टैलेटोस मैच किया था.

अपने फैशन और कान्स से जुड़ी फोटोज कर रहीं हैं लगातार शेयर

 

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जब से सोनम और उनकी बहन रिया ने फ्रांस गईं है, तब से 33 साल की दिवा सोनम अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैन्स को वीडियो और फोटोज से अपडेट कर रही हैं.

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बता दें, पिछले तीन सालों से सोनम कपूर ने लौरियाल की तरफ से कान्स का हिस्सा बनकर जलवे बिखेरती रहीं हैं. और इस बार भी वह अपने लुक से फैंस के साथ-साथ कान्स की औडियंस का दिल जीत रहीं हैं. इसके अलावा अब तक कान्स में इंडिया की एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय बच्चन और हिना खान रेड कारपेट पर अपना जलवा बिखेर चुकी हैं.

Cannes 2019: दूसरे दिन परी बनकर रेड कारपेट पर जलवे बिखेरती दिखीं ऐश्वर्या

कान्स फिल्म फेस्टिवल 2019 में बौलीवुड एक्ट्रैस ऐश्वर्या राय बच्चान जहां पहले दिन मरमेड यानी जलपरी बनकर रेड कारपेट पर जलवे बिखेरती नजर आईं तो वहीं, दूसरे दिन ऐश्वर्या परी के वाइट आउटफिट में अपने फैंस का दिल जीतती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं ऐश्वर्या के लुक से जुड़ी कुछ खास फोटोज जिन्हें ऐश्वर्या ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया.

रेड कारपेट के पहले फैंस को वीडियो में दिखाया अपना परी लुक

 

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रेड कारपेट के अलावा एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपने फैंस को अपने लुक की खास झलक दिखाते हुए एक वीडिया अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया, जिसके बाद उनके आउटफिट की तारीफों के पुल बांधना शुरू कर दिया.

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रेड एंड वाइट के कौम्बिनेशन में ऐश्वर्या आईं नजर

 

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वहीं एक्ट्रेस ऐश्वर्या के दूसरे आउट्फिट की बात करें तो वह हौट, सेक्सी और एलीगेंट लुक का कौम्बिनेशन दिखाती नजर आईं. रेड एंड वाइट कलर का औफ शोल्डर गाउन में अलग ही जलवा बिखेरती दिखीं.

ऐश्वर्या का डेनिम औन डेनिम का लुक था धमाकेदार

 

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एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन के दिन के दूसरे लुक में डैनिम के साथ प्लेन वाइट और डैनिम केप कैरी करती नजर आईं. जिसे ब्लैक सनग्लासेस के साथ वह एक कौलेज गर्ल के लुक में नजर आईं.

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बता दें, बौलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन रविवार रात कान्स फिल्म फेस्टिवल में लौरियाल की तरफ से रेड कार्पेट उतरीं. जिसमें उन्होंने मरमेड यानी जलपरी के आउटफिट में फिश कट लौंग गाउन में नजर आईं. जिसमें उनकी बेटी भी नजर आईं. वहीं अब लौरियाल की अम्बैस्डर सोनम कपूर भी कान्स फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेती नजर आएंगी.

‘कैरियर एक समान नहीं रहता, एक्सपैरिमैंट करती रहें’- सुचि मुखर्जी

भारत के पहले औनलाइन सोशल डिस्कवरी प्लेटफौर्म ‘लाइमरोड.कौम’ की स्थापना करने वाली सुचि मुखर्जी 1994 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अध्ययन करते हुए कैंब्रिज कौमनवैल्थ ट्रस्ट स्कौलरशिप प्राप्त करने वाली पहली भारतीय बनीं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सैंट स्टीफंस कालेज से स्नातक किया और फिर ‘लंदन स्कूल औफ इकौनौमिक्स’ से फाइनैंस एवं अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री ली. सुचि ने ईबे को ब्रिटेन में व्यवसाय जमाने में अपना अहम योगदान दिया. वे स्काइप में ऐग्जिक्यूटिव मैनेजमैंट टीम में भी शामिल हुईं. इस के बाद ब्रिटेन के सब से बड़े औनलाइन क्लासिफाइड बिजनैस की प्रबंध निदेशक बनने में भी सफल रहीं. औनलाइन इंडस्ट्री में क्रांति लाने के सुचि के जनून ने ही आज उन्हें भारत के सब से ज्यादा पसंदीदा शौपिंग डैस्टिनेशन लाइमरोड. कौम की फाउंडर और सीईओ के तौर पर पहचान दिलाई है. सुचि मुखर्जी से हुई मुलाकात के कुछ अंश इस तरह हैं:

आपको यहां तक पहुंचने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

17 साल बाद जब मैं वापस भारत आई तब अपने पेशे से जुड़े कुछ लोगों को ही जानती थी. मेरा बच्चा डेढ़ साल का था और मैं ने एकसाथ बिजनैस और घर दोनों की जिम्मेदारी संभाली. यह बेहद कठिन कार्य था. प्रत्येक व्यक्ति को सफल होने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. आप जो कर रहे हैं उस के लिए आप को वास्तव में जनूनी बनना होगा. आप को विफलताओं के लिए हमेशा तैयार रहने और बुरे वक्त से सीखने की जरूरत होगी.

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आप कार्य और घर दोनों में संतुलन कैसे रखती हैं?

मेरे खयाल से संतुलन एक मिथक है. एक व्यवसाई को जो एक मां है, पार्टनर भी है और एक बेटी भी है के लिए संतुलन स्थापित करना कठिन है. किसी भी दिन आप को असंतुलन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. संतुलित स्थिति पर जोर देने के बजाय मैं ने इस पर अधिक ध्यान दिया कि मुझे कैसे समय बिताना है, घंटे कैसे बिताने हैं, कारोबार का प्रबंधन कैसे करना है, कैसे रहना है और स्टाफ का चयन कैसे करना है. ये निर्णय उन कारकों को सीमित करने में मददगार होंगे जो असंतुलन की भावना को बढ़ाते हैं.

आपके लिए आत्मविश्वास के क्या माने हैं और फैशन और आत्मविश्वास के बीच संबंध को कैसे देखती हैं?

छोटे शहरों की महिलाओं का अपनी स्वयं की इच्छाओं को अभिव्यक्त करना, वैबसाइट पर उन के द्वारा तैयार स्टाइल्स पर लोगों की तारीफें जैसी बातें उन में आत्मविश्वास पैदा करती हैं. यह एक क्रांति जैसा है. लाइमरोड पर विभिन्न वर्गों की महिलाएं अपने स्टाइल पेश करने के लिए आगे आई हैं. मेरठ की एक लड़की शीर्ष स्टाइलिशों में से एक के तौर पर उभरी है.

कामकाजी महिलाओं को क्या सलाह देना चाहेंगी?

आप का कैरियर एकसमान नहीं रहेगा. ऐक्सपैरिमैंट्स करें. कुछ बड़ा करने और जोखिम उठाने की इच्छा पैदा करें. आप के सामने कई उतारचढ़ाव आएंगे, लेकिन यदि आप अपने दिल की सुनेंगी तो जबरदस्त ऊंचाइयां हासिल होंगी. बस आप को अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखने की जरूरत है.

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आप का बिजनैस प्लानिंग करते समय मुख्य मकसद क्या होता है?

व्यवसाय के लिए मेरा दृष्टिकोण साफ है, सही कार्य के लिए सही लोगों का चयन करना और उन्हें सही अनुपात में काम बांटना. हम जिम्मेदारियों के हिसाब से लोगों को रखते हैं.

महिलाओं के विकास के संबंध में भेदभाव पर आप की क्या प्रतिक्रिया है?

हमें यह समझना चाहिए कि पक्षपात यानी भेदभाव हर जगह है. मगर मैं यही प्रयास करती हूं कि लाइमरोड में ऐसा कुछ न हो. लाइमरोड में 30% कर्मचारी महिलाएं हैं. वहीं मिडल मैनेजमैंट लैवल पर आ कर यह आंकड़ा 46% तक पहुंच गया है. हम हायरिंग, अप्रेजल और प्रमोशन से संबंधित चर्चा में सब को शामिल करने का प्रयास करते हैं. निर्णय लेने से पहले और फाइनल कंजर्वेशन के दौरान लिंगभेद को बाहर रखा जाता है. श्रेष्ठ व्यक्ति को ही जिम्मेदारी दी जाती है. मैं ने कम से कम 30% महिला उम्मीदवारों को रखना अनिवार्य बनाया है.

अतिरिक्त समय में क्या करती हैं?

मुझे पढ़ना, अपनी बेटी मायरा और बेटे आदित के साथ समय बिताना, अपने पति के साथ नईनई जगहें घूमना पसंद है.

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Edited by Rosy

5 टिप्स: स्किन टोन के हिसाब से चुनें हेयर कलर

आजकल के बिजी लाइफस्टाइल में जहां आप बालों की केयर करना भूल जाती हैं, वही केयर न करने की वजह से फर्क आपकी उम्र पर भी पड़ता है. वहीं इस प्रौबल्म के बारे में हेयर स्टाइलिस्ट व मेकअप आर्टिस्ट, निकिता कहती हैं, ‘‘मैं भी मां हूं और मैं जानती हूं कि बच्चों के साथ अपने लिए समय निकालना कितना मुश्किल हो जाता है. लेकिन फिर भी मां के लिए अपने लुक में बदलाव करना बेहद जरूरी होता है और यह बदलाव उनकी पर्सनैलिटी को भी निखारता है. बालों में हेयर कलर करवा कर भी अपने लुक में बदलाव किया जा सकता है. हेयर कलर करवाना काफी ट्रैंड में हैं, जिसमें आप अपनी पसंद और लुक के अनुसार ब्राउन, कौफी, बर्गेंडी, रैड आदि कोई भी कलर करवा सकती हैं. आजकल बाजार में नामी कंपनियों के अमोनिया फ्री कलर्स भी मौजूद हैं. इससे बालों को कोई भी नुकसान नहीं होता है.’’

1. सही हेयर कलर चुनना है जरूरी

अपने बालों के लिए सही हेयर कलर चुनना बहुत जरूरी होता है. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने लिए जो भी हेयर कलर चुनें वे कैमिकल न हो कर नैचुरल तत्त्वों से बने हों.

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2. गहरी स्किन टोन वाले करें ब्लैक हेयर कलर का इस्तेमाल

अगर आपकी स्किन का कलर गहरा है तो आप अपने बालों के लिए काले रंग का प्रयोग कर सकती हैं. काले रंग के बाल भी बहुत पसंद किए जाते हैं और गहरी स्किन टोन के साथ बहुत अच्छे भी लगते हैं.

3. उम्र कम दिखानी हो ब्राउन हेयर कलर है बेस्ट

अगर आप अपनी उम्र से कम दिखना चाहती हैं तो आप ब्राउन हेयर कलर का प्रयोग कर सकती हैं. वैसे ब्राउन कलर में भी आपको हलका और गहरा दोनों ही रंग मिल सकते हैं और इसके दोनों ही शेड्स बहुत अच्छे होते हैं.

4. दूसरों से खुद को दिखानी है अलग तो इस्तेमाल करें रैड हेयर कलर

जहां तक रैड कलर की बात है तो यह रंग आजकल काफी पसंद किया जा रहा है. इसमें लुक और भी ज्यादा निखर जाता है और आप दूसरों से अलग भी दिखती हैं. वैसे इस रंग में भी आप को हलके और गहरे दोनों ही शेड्स मिल जाएंगे.

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5. फेयर स्किन के वाले लोग इस्तेमाल करें गोल्डन हेयर कलर

यह हेयर कलर अधिकतर लोगों को सूट नहीं करता है लेकिन अगर आप की त्वचा का रंग फेयर है तो आप इस रंग का चुनाव कर सकती हैं, क्योंकि फेयर स्किन वालों पर यह कलर बहुत अच्छा लगता है.

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