जानवरों ने पहुंचाया अंतरिक्ष में

सितारों की तरफ देखें और जरा विचार करें कि क्या कभी ब्रह्मांड की लाखों दुनिया में से किसी एक पर भी इंसान कभी पहुंच पाएगा? क्या चांद पर पहुंचने के प्रथम अभियान को कभी दोहाराया जा सकेगा? क्या कभी इंसान मंगल ग्रह पर अपने कदम रख पाएगा?

अगर हम कभी दूसरे ग्रह पर पहुंच पाए तो मुझे आशा है कि हमारे खोजकर्ता इस काम में कुत्ते के योगदान को याद रखेंगे. वैसे रूस ने पहली बार अंतरिक्ष में जाने की कोशिश की थी.

जीवित तौर पर अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाने वाला जीव एक कुत्ता था. साइबेरियन कुत्ते लाइका को मास्को की सड़कों से उठा कर 3 नवंबर, 1957 को ‘स्पूतनिक’ नामक रौकेट में बैठा दिया गया था. वैज्ञानिकों ने उसे अंतरिक्ष में भेज तो दिया, मगर उस की सुरक्षित वापसी के लिए कोई इंतजाम नहीं किया. रौकेट के भीतर बढ़ती गरमी और तनाव के चलते रौकेट के अंतरिक्ष की कक्षा में पहुचने से पहले ही लाइका ने दम तोड़ दिया.

रौकेट की छोटी सी मशीन में बंद लाइका ने दम तोड़ने से पहले 7 घंटों तक जिस भय और तनाव को महसूस किया होगा, उस का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. इस घटना के 40 सालों के बाद 1998 में सोवियत के वरिष्ठ वैज्ञानिक ओलेग गैजेंको ने इस के लिए माफी मांगी. गैजेंको भी उस मिशन का हिस्सा थे, जिस में लाइका को अंतरिक्ष में भेजा गया था.

अमानवीय व्यवहार

50 और 60 के दशक के बीच सोवियत के वैज्ञानिकों ने लगभग 57 कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजा और वह भी 1 से ज्यादा बार. इस के लिए मादा कुत्तों को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि मेल कुत्तों की अपेक्षा मादा कुत्तों में रौकेट के भीतर का तनाव सहने की क्षमता ज्यादा है. इन मादा कुत्तों को ट्रेनिंग के दौरान 15-20 दिनों तक छोटे बौक्सों में बंद कर के रखा गया. उन्हें भी अंतरिक्ष के लिए ऐस्ट्रोनौट सूट्स में विशेषरूप से तैयार किया गया.

बौक्सों में बंद कुत्तों को कृत्रिम रौकेटनुमा मशीन में रखा गया, जोकि असली रौकेट के जैसा व्यवहार करती थी. रौकेट को असली लौंच के समय दी जाने वाली गति के बराबर ही गति दी जाती थी ताकि पिंजरानुमा बौक्सों में बंद कुत्तों को अंतरिक्ष भेजने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जा सके. इस ट्रेनिंग के दौरान उन कुत्तों को जिस तरह की यातना सहनी पड़ी होगी, उसे सोचने भर से ही मेरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है.

उन कुत्तों में से कई तो ट्रेनिंग के दौरान ही मर गए होंगे, पर सोवियत के वैज्ञानिकों ने इस खबर को बाहर नहीं आने दिया होगा, क्योंकि लाइका की मौत ने पहले ही लोगों को हिला दिया था. उन में से कुछ रौकेट की तकनीकी खराबी के चलते मारे गए. जो बच गए उन को दोबारा इस्तेमाल किया गया. उन के खाने में प्रोटीन जैली भी शामिल थी, जिस के कारण उन में से 60% कुत्तों को कब्ज और पित्त की थैली में पथरी जैसी परेशानियों से गुजरना पड़ा.

कुछ बच गए कुछ मारे गए

अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचने की सफलता केवल लाइका को मिली. कई कुत्तों को ऐसे रौकेटों में भेजा गया, जो अंतरिक्ष की कक्षा के नीचे उड़ते हैं. इस तरह की 29 उड़ानें 1951 और 1958 के बीच भरी गईं. ऐसी उड़ानों में उड़ान भरने वाले कुत्तों में डेजिक और साइगन पहले थे. इन कुत्तों ने 1951 में 110 किलोमीटर तक उड़ान भरी थी. दोनों इस उड़ान से सुरक्षित वापस आ गए थे. डेजिक को लीसा नामक कुत्ते के साथ दोबारा उड़ान पर भेजा गया पर इस बार ये दोनोें ही मारे गए.

कई कुत्तों ने बच कर भागने की कोशिश भी की. मेलाया ने अपनी उड़ान के 1 दिन पहले भागने की कोशिश की, लेकिन उसे पकड़ लिया गया और मैलिशका नाम के दूसरे कुत्ते के साथ उड़ान पर भेज दिया गया. बोलिक नाम की मादा कुतिया अपनी उड़ान के कुछ दिन पहले भागने में सफल रही. वैज्ञानिकों ने बोलिक की जगह सड़क से दूसरी कुतिया जिब को पकड़ कर उड़ान पर भेज दिया. जिब मरी नहीं, लेकिन उस का यह अनुभव भयावह जरूर रहा होगा.

ओटिझनाया ने मरने से पहले 5 उड़ाने भरीं. अल्बिना और साइगंका तो अपने कैप्सूल से निकल कर 85 किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे गिरे मगर आश्चर्य कि जिंदा बच गए.

डमका और रसवका को अंतरिक्ष की कक्षा में जाने के लिए 22 दिसंबर, 1960 को उड़ान भरनी थी. जिस रौकेट में वे सवार थे वह फेल हो गया. इस स्थिति में उन को इंजैक्शन सीट से बाहर आना था पर यह सिस्टम भी फेल हो गया. जब रौकेट जमीन पर गिर कर बर्फ के भीतर गहरा जा धंसा तब भी दोनों कुत्ते रौकेट के कैप्सूल में ही बंद थे. जिस टीम को रौकेट की खोज में भेजा गया उस ने कैप्सूल को 2 दिनों तक नहीं खोला, क्योंकि उन्हें यह बताया गया था कि इस में कोई जीवित नहीं बचा. लेकिन 2 दिनों के बाद टीम ने जब कैप्सूल खोला तो वे आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि दोनों कुत्ते जिंदा थे और भूंक रहे थे. बाद में इन्हें मास्को लाया गया जहां रसवका को एक वैज्ञानिक ने अपने साथ रख लिया. रसवका 14 सालों तक जीवित रही और कई बार मां बनी. वैज्ञानिक को सख्त हिदायत थी कि वह इस घटना का किसी से जिक्र न करे, क्योंकि लोग अंतरिक्ष मिशन में कुत्तों के इस्तेमाल की खबर से भड़क सकते हैं.

बलिदान और भी हैं

बार्स और लिसिवका रसवका की तरह नहीं बचे. 28 सैकंड की उड़ान के बाद ही उन के राकेट में धमाका हो गया था.

बेलका और स्टे्रलका ने 19 अगस्त, 1960 को स्पूतनिक 5 में बैठ कर अंतरिक्ष में पूरा 1 दिन बिताया और सुरक्षित धरती पर लौट आए. पृथ्वी पर पैदा हुए ये पहले जीव थे, जो अंतरिक्ष से जिंदा वापस आ गए.

बाद में स्ट्रेलका को 6 पिल्ले हुए. स्टे्रलका के मेल का नाम पुशोक था जिसे कभी अंतरिक्ष तो नहीं भेजा गया पर अंतरिक्ष से जुड़े कई जमीनी प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया गया. स्ट्रेलका के एक पिल्ले का नाम पुशिनका रखा गया जिसे बाद में रशियन प्रीमियर निकिता रशकेव ने 1961 में प्रैसिडैंट जान कैनेडी की बेटी कैरोलीन को भेंट कर दिया. इस के बाद यह कहानी सामने आई कि सीआईए को शक हुआ था कि भेंट किए गए पिल्ले के शरीर में जासूसी के लिए ट्रांसमीटर छिपाया गया है जिसे ढूंढ़ने के लिए कुत्ते को मारने के बाद डिसैक्ट कर के निकालना होगा. लेकिन कैनेडी ने इस के लिए मना कर दिया. पुशिनका और कैनेडी के कुत्ते चार्ली की मेटिंग से हुए बच्चों को कैनेडी पपनिक्स बुलाते थे. पुशिनका के वंशज आज भी जीवित हैं.

अनमोल योगदान

अगले स्पूतनिक पर अन्य पौधों और जानवरों के साथ भेजे गए कुत्ते श्योलका और मुश्का का रौकेट हवा में फट गया और सभी सवार मारे गए. स्पूतनिक 10 को 25 मार्च,1961 को मादा कुत्ते वेजडोचका के साथ लौंच किया गया. कहते हैं कि इस कुत्ते का नाम यूरी गैगरिन ने रखा था. इस कुत्ते की एक अंतरिक्ष यात्रा सफल रही थी. इस यात्रा के कुछ दिनों के बाद 12 अप्रैल को यूरी गैगरिन वेजडोचका के साथ अंतरिक्ष यात्रा कर के पहले मानव अंतरिक्ष यात्री बन गए.

वेटेरौक और यूगोल्यौक 22 फरवरी, 1966 को कौसमोस 110 से अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे और वहां 22 दिन बिता कर 16 मार्च को वापस अए थे. अंतरिक्ष यात्रा का यह रिकौर्ड 1971 में इंसानों द्वारा सोयज 11 की यात्रा से टूटा. मगर आज भी यह कुत्तों के द्वारा की गई सब से लंबी अंतरिक्ष यात्रा है.

लाइका, वेटेरौक और यूगोल्यौक को स्टांप पर छाप कर श्रद्धांजलि दी गई. बेलका और स्ट्रेलका के पार्थिव शरीरों को दूसरे देशों की यात्रा पर ले जाया गया. लेकिन मुझे लगता है कि हमारी पीढ़ी गुजर जाने के बाद इन के बलिदान को याद करना और भी कम हो जाएगा.

आज अंतरिक्ष में ऐस्ट्रोनौट्स का आनाजाना आम बात है. आने वाले समय में हो सकता है कि इंसान दूसरे ग्रह पर पहुंच जाए. लेकिन हमें उन जानवरों के त्याग, असहनीय पीड़ा को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन के कारण आज हम अंतरिक्ष में कदम रख पाए हैं.

इस में आमिर फिट नहीं बैठते

90 के दशक में आई आमिर और माधुरी की ब्लौकबस्टर फिल्म ‘दिल’ की सीक्वल फिल्म ‘दिल 2’ जल्दी ही आने वाली है. इस फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार ने कहा कि वे जल्दी ही ‘दिल 2’ फिल्म के स्टाटरकास्ट की घोषणा करेंगे, जिस में माधुरी के रोल में मेरी बेटी श्वेता होगी.

‘‘तो आमिर खान के किरदार का क्या होगा?’’ जब इंद्र कुमार से यह पूछा गया तो वे बोले, ‘‘आमिर खान के किरदार के लिए हमारी तलाश जारी है. आमिर को हम दोबारा तो ऐसे रोल के लिए नहीं ले सकते क्योंकि उन पर यह किरदार अब फिट नहीं बैठेगा.’’

चांदी के चावल और परवल

दादामुनी अशोक कुमार और लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के बीच की दोस्ताना कैमिस्ट्री का एक मजेदार वाकेआ रहा. अशोक कुमार जब छोटे थे तो छुट्टियों में अपने ननिहाल जरूर जाया करते थे. उन की अपने नाना राजा साहब से बहुत बनती थी. वे बालक अशोक को रोज कहानी सुनाते थे.

अशोक ने भी एक दिन उन को एक दिलचस्प कहानी सुनाई. वे बोले कि नाना जब आप घर पर नहीं थे तो तो मैं जंगल में गया था. वहां शेर से मेरा सामना हुआ, लेकिन शेर मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया. नाना ने आश्चर्य से पूछा क्यों? तो अशोक बोले कि उसी समय मैं ने अपने शरीर में छिपे पंखों को बाहर निकाल लिया और शेर मेरे पास आता कि इस से पहले मैं उड़ गया और शेर देखता रह गया. वे अशोक की बातों पर खूब हंसे और बोले कि जरा हमें भी अपने पंख दिखाओ, तो अशोक ने बड़ी तत्परता से बाल सुलभ जवाब दिया कि आप पहले शेर बन कर दिखाओ.

शरतचंद्र अशोक के नाना के घर के पास ही रहते थे. वे एक दिन शरतचंद्र से अशोक को मिलवाने ले गए और उन से कहा कि यह भी तुम्हारी तरह बातें बनाने में माहिर है. तभी अशोक ने शरतचंद्र से कहा कि दादा, आप ने कभी चांदी के चावल और परवल खाए हैं? शरतचंद्र ने जवाब दिया कि अभी तक तो नहीं, जब खाऊंगा तुम्हें जरूर बताऊंगा.

वक्त का पहिया घूमा और बालक अशोक सुपर स्टार अशोक कुमार बन गए. इस दौरान शरत बाबू और अशोक कुमार की कोई मुलाकात नहीं हुई. फिर एक दिन किसी ने अशोक कुमार को शरत बाबू से मिलवाया, लेकिन अशोक कुमार उस बचपन की मुलाकात को बिलकुल भूल गए थे. लेकिन शरत बाबू ने जब कहा कि अशोक मुझे अभी तक चांदी के चावल और परवल नहीं मिले, तब अशोक कुमार को बचपन की घटना याद आ गई और वे शरत बाबू के गले लग गए.

उफ ये दीवाने

अपने फैंस की दीवानगी की वजह से सिने तारिकाओं को अकसर परेशानी उठानी पड़ती है. प्रियंका चोपड़ा के साथ अभी हाल में ऐसा ही हुआ. प्रियंका का एक चाहने वाला रात को शराब के नशे में टल्ली हो कर उन के बरेली वाले बंगले पर पहुंच गया और जोरजोर से सौरी प्रियंका, मुझे माफ कर दो… बारबार चिल्लाने लगा.

बवाल की सूचना फैली तो कोतवाली पुलिस उसे उठा लाई और हवालात में डाल दिया. पकड़ा गया युवक फर्रुखाबाद का रहने वाला है और एमबीए पास है. पिछले दिनों भी उस ने बंगले पर पहुंच कर हंगामा किया था. तब भी पुलिस ने उसे जेल की हवा खिलाई थी.

दीवानी हांड़ी

सामग्री

3 आलू, 10-12 फ्रैंच बींस, 1 कप सेम कटी हुईं, 3 गाजर, 1/2 कप मटर, 6 छोटे बैगन, 1 गड्डी मेथी, 3 प्याज कटे, 1 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट, 1 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 1/2 कप तेल, 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी, 6 हरीमिर्चें, नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को छील कर काट लें. बैगनों के डंठल हटा कर 2 टुकड़ों में काट लें. मेथी साफ कर काट लें. हरीमिर्चों को भी बीज निकाल कर काट लें. अब एक बरतन में तेल गरम कर प्याज भूनें. इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट डाल कर थोड़ी देर भूनें. फिर इस में मिर्च पाउडर, हलदी पाउडर, मेथी और नमक मिला कर 3-4 मिनट पकाएं. अब इस में सारी कटी सब्जियां और 1 कप पानी मिला कर अच्छी तरह पकाएं. फिर धनियापत्ती और हरीमिर्चें डाल कर पानी सूखने तक पकाएं और फिर गरमगरम परांठों के साथ सर्व करें.

आखिर ले डूबी अतिमहत्त्वाकांक्षा

आमतौर पर समझा यह जाता है कि औरतें अपने बेटबेटियों के लिए पतियों को कालीसफेद कमाई करने के लिए उकसाती हैं. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता बिना बच्चों वाली अनब्याही नेता हैं पर अब 1991 से 1996 के बीच करोड़ों कमाने के आरोप में गुनहगार पाई गई हैं. मामले तो उन पर बहुत से चले पर बाकियों में बच गईं और अस्वाभाविक कमाई से धन जमा करने के आरोप में फंस गईं. बैंगलुरु की विशेष अदालत ने उन्हें 66 करोड़ कमाने के आरोप में 4 साल की जेल और 100 करोड़ के जुर्माने की सजा सुनाई है.

18 साल से चल रहा यह मुकदमा अभी सुप्रीम कोर्ट तक 2-3 सालों में आएगा और तब तक जयललिता शायद जेल में रहेंगी. बीचबीच में निकलेंगी पर उन का राजनीतिक कैरियर लगभग खत्म हो जाएगा.

जयललिता ने ऐसा क्यों किया, यह सवाल हमेशा पूछा जाता रहेगा क्योंकि जब वे राजनीति में आई थीं उस वक्त भी पैसे वाली सफल तमिल हीरोइन थीं. राजनीति उन की महत्त्वाकांक्षा थी, पैसा कमाने की मशीन नहीं पर उन्होंने उसे ऐसे ही इस्तेमाल किया जैसे आज पत्नियां अपने पतियों को करती हैं कि और दो, और दो. उन दिनों उन्होंने अपने एक मुंहबोले बेटे का विवाह भी किया था, जिस में बेहिसाब खर्च किया गया था. इस शादी में जयललिता और उन की सहेली शशिकला तब भी लाखों में मिल रही साडि़यों में सजीधजी और लाखों के हीरों से लदीफदी मेहमानों का स्वागत करती रही थीं.

जब पहली बार जयललिता जेल गई थीं तो उन के घर से मिले उन के कपड़े, जूते व जेवर वगैरह महीनों तक खबरों में रहे थे. बिना बच्चों वाली, बिना पति वाली, बिना रिश्तेदारों वाली जयललिता को आखिर किसलिए पैसे, जेवर, साडि़यों का मोह था, यह सब को आश्चर्यचकित करता रहा था.

औरतें असल में इन्हें अपनी शक्ति का प्रतीक समझती हैं. यह वह धन है जिसे वे छिपा कर अपने कब्जे में रख सकती हैं. वे इसे न कम करना चाहती हैं, न शेयर करना चाहती हैं. यह धन वे खुद मैनेज कर सकती हैं. मकान, दुकान, उद्योग, जमीन को मैनेज करने के लिए उन्हें दूसरों की जरूरत होती है. किस पर वे भरोसा करें किस पर नहीं, उन्हें पता नहीं रहता.

औरतों की सब से बड़ी शक्ति उन का अपना शरीर है और वे शरीर का उपयोग कर के अपने अस्तित्व को बचाती हैं. वैसे ही वे उस धन को बचाती हैं, जो शरीर के निकट हो. आदमियों की तरह उन्हें टाटा, बिड़ला, अंबानी बनने में सुख नहीं मिलता.

जयललिता ने जो कुछ कमाया वह अपने लिए कमाया और यदि वह कमाई हो सकती थी तो कोई वजह नहीं थी कि वे इस कमाई को छोड़तीं. राजनीति में पैसा है और जो कह रहे हैं कि न खाएंगे न खाने देंगे, वे यह भूल रहे हैं कि उन के नाम पर लोग खाएंगे भी खिलाएंगे भी. नरेंद्र मोदी को जिताया है उन लाखों व्यापारियों ने जो दुनिया भर में फैले हैं और भारत के संसाधनों का उपयोग कर के अरबों कमाना चाहते हैं. उन्हें जिताया है धर्म की दुकानें खोले लोगों ने जो दान, कुंडली, वास्तु, पूजापाठ व तीर्थयात्राओं के नाम पर कमा रहे हैं.

जयललिता को सजा मिली है पर इस का अर्थ यह नहीं कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो गया. जयललिता साजिशों की शिकार हुई हैं और अपने को बचा नहीं पाईं. दूसरे कई राजनीतिबाज ऐसे हैं जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं पर वे बच निकल रहे हैं क्योंकि उन्होंने तरीके अपना लिए हैं बच निकलने के.

धनलोलुपता सत्ता के साथ आएगी ही. जब आप के साथ रह कर लोग करोड़ों नहीं अरबों कमाएंगे तो आप अपना कमीशन क्यों न लेंगे? जयललिता ने यही किया है. नई सरकार जब तेल, कोयले, सड़कों, हवाईजहाजों, जमीनों, हथियारों के सौदे करेगी और साफ दिखेगा कि सामने वाला अरबों कमीशन या मुनाफा कमा रहा है तो कैसे अपनों को बनाने नहीं देगा? अपने बच्चे न होना, विवाहित साथी का न होना कोई वजह नहीं कि रिश्वत के सोने का पाउडर अपने हाथों में न लगने दिया जाए. सोने की चमक से कौन अछूता रह सकता है. खुद नहीं खाओ, यह अपनी मरजी पर दूसरे नहीं खाएंगे इस की कोई गारंटी नहीं है.

सब को पता है सब को खबर है

कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छिपते. लेकिन बौलीवुड की ऐसी कई जोडि़यां हैं जिन का रोमांस दुनिया वालों से छिपा कर रखा गया. जबकि कई विवाद भी हुए कई घटनाएं भी घटित हुईं. कई बेमेल जोडि़यां भी थीं जिन के प्यार का अंजाम एकदूजे को भुला कर हुआ. यहां हम आप को ऐसी ही कुछ जोडि़यों के बारे में बता रहे हैं, जो आज की तारीख में एकदूजे के लिए अनजान बन चुकी हैं.

कंगना और आदित्य पंचोली: जब 18 साल की कंगना ने बी टाउन में कदम रखा तो 40 साल के आदित्य का उन्हें साथ मिला. दोनों के बीच अफेयर भी हुआ पर जल्दी ही दोनों अलग हो गए. आदित्य से कंगना के अलग होने की वजह आदित्य का गुस्सा था, जिस की वजह से आदित्य ने कथित रूप से कंगना की पिटाई तक की.

गोविंदा और रानी: इन दोनों के प्रेम की खबर भी खूब गरम हुई. कहा तो यह भी गया कि रानी के प्रेम में गोविंदा इस कदर दीवाने हुए थे कि वर्सोवा के फ्लैट में दोनों साथसाथ रहने लगे थे. 4 साल की लंबी रिलेशनशिप के बाद दोनों का अलगाव हो गया.

सुष्मिता और विक्रम भट्ट: सुष्मिता अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत में ही शूटिंग के दौरान विक्रम भट्ट को दिल दे बैठीं. इस के बाद दोनों ने एक छत के नीचे रहने का फैसला किया. लेकिन इन का अफेयर ज्यादा दिन नहीं चल सका और जल्द ही दोनों की राहें जुदा हो गईं.

काका और अनीता: डिंपल से अलग रहने के बाद राजेश खन्ना और अनीता आडवाणी के बीच काफी नजदीकियां रहीं. अनीता के बारे में यह तो सभी जानते हैं कि वे काका की अंतिम प्रेमिका थीं.

जीवन फूलों की सेज नहीं होता

अच्छी नौकरी का क्या लाभ अगर बच्चों को अच्छी पढ़ाई न दे सके. विदेश सेवा देश की सब से अधिक सरकारी सुविधाओं वाली नौकरी मानी जाती है जिस में बाहर रह कर विदेशी माहौल में विदेशी करैंसी के हिसाब से मोटा पैसा खर्च करने का अवसर मिलता है. चूंकि विदेश सेवा में विदेशियों से समझौतों, खरीदारी अनुमतियों के अधिकार मिलते हैं, विदेश सेवा के कर्मचारियों की शक्ति अपार होती है. एक बार जिसे विकसित देश में पोस्टिंग मिल जाए वह जगह वह छोड़ना नहीं चाहता.

एक मामले में सेवाओं के लिए बनी प्रशासनिक अदालत ने एक विदेश सेवा अधिकारी की तबादला न करने की मांग इसलिए ठुकरा दी कि उस के बच्चे बाहर के देश के स्कूल में पढ़ रहे हैं. इस अधिकारी का एक बेटा संयुक्त अरब अमीरात के एक स्कूल में पढ़ रहा है और वह भारत वापस नहीं आना चाहता था.

भारत लौटने का मतलब था कि बच्चों की पढ़ाई नए स्कूल में होगी और पिता की सारी सुविधाएं भी समाप्त हो जाएंगी. अदालतों के पास इस तरह के मामले आते रहते हैं जिन में पारिवारिक कारणों से तबादला रोकने, अधिक वेतन देने, छुट्टी देने, पतिपत्नी व बच्चे एकसाथ रह सकें आदि की मांग होती है. कई बार कर्मचारी मातापिता की बीमारी या देखभाल को कारण बता कर तबादला कराना चाहता है या रुकवाना चाहता है.

वैसे अदालतें आमतौर पर फैसला सरकार के अधिकारों के अनुसार देती हैं पर चूंकि आवेदन करने और फैसला होने में 3-4 साल गुजर ही जाते हैं, बहुत से मामलों में आवेदन करने वाले का मंतव्य सिद्ध हो जाता है. औरतों को नौकरी पर रखा जाता है तो इस तरह की मांगें ज्यादा होती हैं और तरहतरह की होती हैं.

परिवार की खुशी के लिए ही लोग नौकरी करते हैं पर यह नहीं भुलाया जा सकता कि हम सब नियमकानूनों में बंधे हैं और घर पर चाहे जो आवश्यकता हो, अपनी मरजी एक हद तक ही चल सकती है. औरतों को तो विशेष अधिकारों की मांग ही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन से वे जाहिर कर देती हैं कि वे कमजोर हैं. जहां पुरुष घर वालों के बहाने कुछ विशेष सहूलियत चाहते हैं, वे असल में अपने परिवार के कारण अपनी कमजोरी जाहिर करते हैं.

जीवन कभी फूलों की सेज नहीं होता. फूलों की सेज भी सजाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है. जीवन तो संघर्ष है और हर कोने पर एक नए रूप में अवरोध खड़ा होता है. उस के लिए न तो जीवन रोका जाता है न पीछे हटा जाता है. अवरोध हटाना या पार करना ही सफलता है.

अगर अदालत ने पिता के खिलाफ फैसला दिया है तो इस में आंसू बहाना ठीक नहीं. सदियों से लोग अपने बच्चों, बीवी को छोड़ कर दूर जाते रहे हैं ताकि कुछ नया जानें, कुछ ज्यादा कमाएं.

भोपाल में दूंगी दावत

हीरोइन सोहा अली खान का भोपाल से गहरा नाता है. उन के पिता मशहूर क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी यहां के नवाब थे. हालांकि नवाब खानदान के वारिसों में जायदाद की जंग अदालत में चल रही है, लेकिन सोहा अली खान इस बारे में बोलने से कतराती हैं.

बीते दिनों वे एक जलसे में भोपाल आईं तो हमारे संवाददाता ने उन से बातचीत की. पेश हैं, उसी के कुछ खास अंश:

सुना है आप ने मंगनी कर ली है?

जी हां, आप ने ठीक सुना है. मैं ने कुनाल खेमू से मंगनी कर ली है.

शादी कब कर रही हैं?

अभी जल्दी नहीं है. अभी दोनों एकदूसरे को और समझ लेना चाहते हैं.

क्या भोपाल में शादी करेंगी?

अभी कुछ नहीं कह सकती पर इतना तय है कि शादी के बाद एक दावत यहां पटौदी हाउस में जरूर दूंगी. आखिर यह हमारा घर है. एक दावत तो यहां बनती ही है.

क्या आप की और भी फिल्में आ रही हैं?

जी हां, अक्तूबर में एक अहम फिल्म रिलीज होने वाली है, जो 1984 में हुए सिक्ख दंगों पर बनी है. एक और फिल्म ‘जीने दो’ राहुल बोस के साथ कर रही हूं, जिस के डाइरैक्टर वरुण मल्होत्रा हैं. यह एक अलग तरह की लव स्टोरी है.

घर वालों से कैसा तालमेल है?

बहुत बेहतर है. भाई सैफ अली खान न केवल जिंदगी, बल्कि फिल्मों को ले कर भी मुझे मशवरा देते रहते हैं. मैं उन के जरीए जिंदगी को एक मर्द के नजरिए से देख पाती हूं जबकि मां मुझे गलत और सही की सीख देती रहती हैं.

और भाभी करीना?

करीना उम्र में मुझ से छोटी हैं, लेकिन उन का फिल्म इंडस्ट्री में तजरबा मुझ से ज्यादा है. एक तरह से वे मेरी सीनियर हैं. हम दोनों अच्छी सहेलियां हैं और वक्त मिलने पर बौलीवुड पर गपशप करती रहती हैं.

मक्खनी गे्रवी

सामग्री

3 बड़े टमाटर कटे हुए, 2 लौंग, 4-5 काजू, 1 बड़ा चम्मच मक्खन, 1/2 छोटा चम्मच जीरा, 2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन का पेस्ट, 1/2 कप प्याज कटा हुआ, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 3 बड़े चम्मच क्रीम, 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला, 1/2 छोटा चम्मच कसूरी मेथी, 1 छोटा चम्मच टोमैटो कैचअप, 1 छोटा चम्मच चीनी, नमक स्वादानुसार.

विधि

टमाटर, लौंग और काजू का 1/2 कप पानी के साथ पेस्ट बनाएं. एक बरतन में मक्खन डाल कर जीरा चटकाएं. फिर इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट और प्याज डाल कर भूनें. अब इस में टमाटर का पेस्ट, मिर्च पाउडर, क्रीम, गरममसाला, कसूरी मेथी, टोमैटो कैचअप, चीनी व नमक मिला कर उबाल आने दें. अब इस में मनपसंद सब्जियां डाल कर सर्व करें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें