सोनाक्षी पर लगाए आरोप

रिऐलिटी शो ‘बिगबौस’ में अपनी हरकतों से चर्चा में आईं मौडल पूजा मिश्रा को उलटीसीधी हरकतें कर सुर्खियों में आना बड़ा ही अच्छा साधन लगा. तभी पूजा ने होटलकर्मियों के साथ मारपीट के अपने वीडियो वायरल होने का सारा ठीकरा सोनाक्षी के सिर फोड़ दिया है. पूजा ने सोशल साइट पर सोनाक्षी पर वीडियो वायरल करने के आरोप लगाए हैं. पर पूजा आप शायद यह भूल गई हो कि शौटगन की बेटी को आप के आरोपों से कोई फर्क नहीं पड़ता. सोनाक्षी इस समय अपनी फिल्म ‘फोर्स 2’ और मुरुगुदास की फिल्म ‘अकीरा’ की शूटिंग में व्यस्त हैं.

पालतू पति बनने में क्या बुराई

लगता है दिल्ली और उस के आसपास का इलाका अर्जुन कपूर को भा गया है. तभी तो उन की पहली फिल्म ‘इश्कजादे’ में सहारनपुर की पृष्ठभूमि थी और उस के बाद ‘औरंगजेब’ की कहानी गुड़गांव के बिल्डर माफियाओं के इर्दगिर्द घूमती थी. उस के बाद आई फिल्म ‘तेवर’ की कहानी मथुरा और आगरा के बीच की थी. अब अर्जुन आर. बाल्की की फिल्म ‘की एंड’ कर रहे हैं जो दिल्ली के एक कपल की कहानी है. दिल्ली में इस फिल्म की शूटिंग कर रहे अर्जुन ने बताया कि इस अनोखी प्रेम कहानी में दिल्ली शहर की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है. हौज खास, इंडिया गेट और पुराना किला में इस फिल्म की शूटिंग हो चुकी है और इस फिल्म के जरीए दिल्ली की खूबसूरती को दिखाया जाएगा. इस फिल्म में अर्जुन से जब हाउस हसबैंड बनने के बारे में पूछा गया तो अर्जुन का कहना था कि मैं तो रीयल लाइफ में भी ऐसा बनना पसंद करूंगा कि बीवी कमाए और हसबैंड घर संभाले. पालतू पति बनने में आखिर क्या बुराई है?

जैकलीन करेंगी ‘बैंगबैंग 2’

जैकलीन सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ ‘बैंगबैंग 2’ में दिख सकती हैं. अभी इस की घोषणा नहीं की गई है पर सिद्धार्थ ने एक इवेंट पर इस के संकेत दिए कि जल्दी ही वे जैकलीन के साथ दिखेंगे. जैकलीन एक अच्छी अभिनेत्री होने के साथसाथ अच्छी बिजनैसवूमन भी हैं. श्रीलंका में जैकलीन के कई रेस्तरां हैं और अब मुंबई में भी वे अपना रेस्तरां खोलने वाली हैं. जैकलीन का मानना है कि श्रीलंका और भारत में कई तरह की समानताएं हैं, इसलिए यहां के लोगों को निश्चित रूप से श्रीलंकन डिशेज पसंद आएंगी.

सुनिए सनी की सलाह

बिपाशा, शिल्पा के बाद अब हौट बेबी सनी लियोनी फिटैनस के गुर बांटेंगी. अपनी फिटनैस को अपनी सब से बड़ी यूएसपी मानने वाली सनी ने वर्कआउट करते हुए फिटनैस पर अपनी एक डीवीडी लौंच की है. बौलीवुड में किस की फिगर सब से ज्यादा पसंद है? के जवाब पर सनी का कहना है कि प्रियंका और रितिक की बौडी सब से परफैक्ट है. मैं अकसर सोचती हूं कि मेरी फिगर भी प्रियंका जैसी हो जाए. इंडस्ट्री को सीख देते हुए सनी का कहना है कि आजकल सभी ऐक्टर और ऐक्ट्रैस स्लिम ऐंड फिट बौडी चाहते हैं. इस के लिए परफैक्ट गाइडैंस की जरूरत होती है. मेरी फिटनैस डीवीडी ऐसे लोगों का अच्छे से मार्गदर्शन करेगी.

सिगरेट पीना मना है

इंग्लैंड ने एक नया कानून बनाया है कि मातापिता बंद गाड़ी में सिगरेट नहीं पी सकते, अगर गाड़ी में 18 साल से कम के बच्चे हैं, क्योंकि धुएं और निकोटिन का जहर बच्चों के स्वास्थ्य को खराब करता है. यह एक सही कदम है. एक वयस्क को पूरा हक है कि वह अपने साथ क्या करे. कई वयस्क मिल कर बंद कमरे या हौल में चाहे जो करें, इस की स्वतंत्रता होनी चाहिए. बात एक ही है कि वे दूसरों को न तो नुकसान पहुंचाएं और न ही नुकसान पहुंचाने का डर पैदा करें. सिगरेट पीते वयस्कों का अधिकार केवल तब तक है जब तक वे अपना धुआं अपने पास रख सकते हैं. अगर वे धुएं से घर की चारदीवारी में भी पत्नी या बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो इस पर प्रतिबंध लगाना किसी तरह भी गलत नहीं हो सकता. शराब और सिगरेट का उत्पादन करने वाले कभी इन को अकेलेपन से नहीं जोड़ते. उन का प्रचार हमेशा ग्रुप या जोड़ों में रहता है. सिगरेट का जब तक जम कर प्रचार होता था, इस के विज्ञापनों में सिगरेट को दोस्तों में मजबूती लाने के लिए एक अनूठा तरीका बताया जाता था. आजकल सिगरेट का प्रचार बंद है पर इसे फिर भी स्टाइल और सुकून से जोड़ा जाता है ताकि यह भ्रम फैला रहे कि टैंशन में सिगरेट काम की चीज है.

गाडि़यों में शीशे खोल कर सिगरेट पीने वाले अगर यह सोचते हैं कि वे अपना धुआं गाड़ी में बैठे दूसरों पर नहीं छोड़ रहे तो गलत है. यह धुआं तो सब को सहन करना पड़ता है और बच्चे अगर इस का विरोध खुद नहीं कर सकते तो सरकारों का काम है कि इस का विरोध करें, इसे अवैध घोषित करें. सिगरेट और शराब का नशा दिनबदिन बढ़ रहा है तो इसलिए कि सरकारों की इन से जम कर कमाई होती है. इन पर भारी कर है पर कंपनियां जानती हैं कि कर से बच कर या कर दे कर भी कैसे मोटा मुनाफा कमाया जाए और इसीलिए उन के शिकारों की गिनती बढ़ती जा रही है. इंगलैंड जैसा प्रतिबंध भारत में भी लागू होना चाहिए ताकि बच्चे सिगरेट पीने वाले वयस्कों की जबरदस्ती का शिकार न हों. 

रजामंदी बिना बोझ है विवाह

कैथोलिक ईसाइयों के लिए तलाक अब तक एक टेढ़ी खीर था, क्योंकि पोप का चर्च इस की इजाजत नहीं देता. विवाह को कभी हुआ ही नहीं समझ कर एक लंबा उबाऊ तरीका बना रखा है, जिसे अनलमैंट कहते हैं. इस का अर्थ है कि विवाह कभी हुआ ही नहीं. यह तरीका करोड़ों कैथोलिक औरतों को ऐसे विवाह में मजबूरी से रहने को कहता है. विवाह रजामंदी का मामला है पर चाहे बच्चे हों या न हों, रजामंदी न हो तो विवाह एक बोझ बन कर रह जाता है. यह रजामंदी तथाकथित भगवानों के आशीर्वाद के बावजूद क्यों नहीं होती? इस का सवाल पूछें तो जवाब मिलेगा कि यह बात तर्क की नहीं विश्वास की है. चर्च ने इस बुरी तरह अपने भक्तों को अंधविश्वासों में डाल रखा है कि वे अकसर टूटते विवाह को ढोते रहते हैं या अवैध तरीके से रहना शुरू कर देते हैं. जिन औरतों को तलाक के बिना अकेले रहना पड़ता है उन की बहुत दुर्दशा होती है. वे दोबारा विवाह नहीं कर पातीं और अधर में लटकी रहती हैं.

पोप फ्रांसिस ने अब इस प्रक्रिया को आसान बनाने की घोषणा की है ताकि जिन्हें तलाक चाहिए वे बिना तर्कवितर्क, प्रमाण के अनलमैंट, विवाह विच्छेद मांग सकें और फिर दोनों में से कोई भी अपील भी न कर पाए. यह तलाक चर्चों में ही मिल सकेगा और बिना शुल्क के होगा. एक तरह से यह क्रांतिकारी होगा, क्योंकि तलाक का बोझ पटकने के लिए सिविल अदालतों में जाना महंगा और मजबूरी होती है. आशा है कि चर्च विवाह तोड़ते हुए संपत्ति के विभाजन और खर्च पर लंबी बहस न करेगा. सरकारों को चाहिए कि वे भी तलाक कानूनों को बेहद सरल बनाएं और पहली अदालत ने अगर तलाक दे दिया तो अपील की इजाजत बिलकुल न हो. तलाक मिलने के बाद संपत्ति का मुकदमा चलता रह सकता है पर स्त्रीपुरुष व पुनर्विवाह के लिए स्वतंत्र हो जाएं. विवाद बच्चों को ले कर हो सकता है, जमा पैसे पर हो सकता है, गुजारेभत्ते के लिए हो सकता है पर उस दौरान वे विवाहित रहें यह शर्त क्यों हो? दोनों चीजें अलगअलग मानी जानी चाहिए. पोप कोई ईश्वर की वाणी नहीं, क्योंकि ईश्वर स्वयं भ्रम है. पर चूंकि लोग उन्हें मान रहे हैं, तो कानूनी सरकारों को भी उन का आशय समझ कर अपने कानून बदलने चाहिए.

टूटते परिवारों के लिए धर्म जिम्मेदार

धर्म, राजनीति, भाषा, सत्ता की लड़ाई में जो सब से ज्यादा नुकसान उठाते हैं वे हैं निर्दोष बच्चे, उन की मांएं और बूढ़े मातापिता. लड़ाई में जो सैनिक बंदूक, तोप, टैंक या हवाई जहाज चलाते हैं उन्हें मालूम होता है वे क्या कर रहे हैं और सही या गलत वे पूरी तरह जोखिम ले रहे होते हैं. अफसोस यह है कि उन का निशाना बनते आम घर, आम सुखचैन से घर की चारदीवारी में रहते परिवार, हंसतेखेलते बच्चे. सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध के कारण लाखों सीरियाई अपना देश छोड़ कर दूसरे देशों में भाग रहे हैं. बहुत से तो ऐसे हैं जो एक देश की शरण से दूसरे देश की शरण में जा रहे हैं. जिस यूरोप और अमेरिका को नष्ट करने के लिए मुसलिम देशों में जेहादियों ने हथियार उठा रखे हैं, उन्हीं जेहादियों के देशों के लोग यूरोप और अमेरिका के दरवाजे खटखटा रहे हैं और इन में 50% बच्चे और औरतें हैं, जिन की चाह गोलियों की जगह सुकून हैं चाहे आधी रोटी मिले, तिरपाल की छत मिले.

यूरोप के देश इन शरणार्थियों को रोकने में लगे हैं पर उन्हें सफलता नहीं मिल रही क्योंकि भूखे, निहत्थे, बेचारे लाचार लोगों को गोलियों, तोपों की दीवारों से नहीं रोका जा सकता. ये शरणार्थी अपनी मरजी से अपना देश छोड़ कर नहीं आए, उन का घर, शहर ही नष्ट हो गया. केवल मुट्ठी भर पैसे और 2-4 कपड़ों को पीठ पर बांधे शरणार्थियों के जत्थे औरतों, बच्चों, बूढ़ों को लिए सैकड़ों मील पैदल चल रहे हैं या रबड़ की नौकाओं में भरभर कर समुद्र पार कर रहे हैं. ये शरणार्थी जो भोग रहे हैं वह दर्दनाक है और दिल दहलाने वाला भी. पश्चिमी देश चाहे जितना नानुकर कर लें, उन्हें दरवाजे तो खोलने ही पड़ेंगे.

अफसोस यह है कि देश, जाति, धर्म या विवाद का नाम ले कर बंदूकें उठाने वाले यह भूल जाते हैं कि हर गोली का निशाना असल में दूसरी तरफ का सैनिक नहीं होता, एक परिवार होता है, बच्चे होते हैं, बीमार बूढ़े होते हैं. राजाओं और धर्मगुरुओं ने कभी इन की चिंता नहीं की जबकि इन्हीं के सहारे उन का धंधा चलता है. जो औरतें चर्च, मसजिद, मंदिर, मठ में जाती हैं वही असल में इस विनाश के पेड़ को सींचती हैं, क्योंकि दुनिया भर में ज्यादातर संघर्ष हमेशा धर्म के कारण या धर्म के सहारे हुए हैं. हर सैनिक को धर्म का हवाला दे कर मारने के लिए तैयार किया जाता है. टूटते परिवारों के लिए धर्म जिम्मेदार है. सीरिया का युद्ध शिया और सुन्नी मुसलिमों में हो रहा है जिस पर दूसरे देश अपनी रोटियां सेंक रहे हैं. पूरा इसलामी जगत आज दावानल में घिरा है और यह आग कब भारत, चीन, रूस, अमेरिका को लपेटे में ले ले, कह नहीं सकते. अगर ऐसा हुआ तो हम जिस विकास, जिस अच्छे समाज की कल्पना कर रहे थे, वह सपना चकनाचूर होते देर न लगेगी.

दुनिया भर में आज लाखों औरतें घरों से दूर हैं. लाखों बच्चे अपने मातापिता से बिछुड़ चुके हैं. जिस शांति की भारीभरकम योजनाएं द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बनी थीं, आज धूंधूं कर जल रही हैं.

शीना मर्डर : ममता पर भारी पड़ी महत्त्वाकांक्षा

महत्त्वाकांक्षा जब स्मार्टनैस की चाशनी में डूब कर सामने आती है तो खतरनाक हो जाती है. सफलता हासिल करने के लिए वह कोई भी दांव चलने में पीछे नहीं हटती. जब उसे पैसे का सहारा मिल जाता है तो किसी भी कीमत पर अपना मुकाम हासिल करने की इच्छा बलवती होती जाती है. जघन्य से जघन्य अपराध करने से भी कदम पीछे नहीं हटते. स्मार्टनैस और महत्त्वाकांक्षा का तालमेल उच्च तबके से ले कर मध्यम और नीचे के तबके तक जाता है. मध्य और छोटे वर्गों के बीच घटने वाली ज्यादातर घटनाएं सामने नहीं आ पातीं. जो सामने आती हैं, उन में अपराध हो या नहीं पर महत्त्वाकांक्षा और स्मार्टनैस का तानाबाना जरूर दिखता है. मध्यवर्ग के पतियों के लिए इसे संभालना कठिन होता जा रहा है, जिस की वजह से परिवारों में बिखराव बढ़ रहा है.

इंद्राणी की कहानी

गुवाहाटी की रहने वाली इंद्राणी बोरा के कोलकाता होते हुए मुंबई आने तक की कहानी बहुत रोचक है. इस कहानी से पता चलता है कि महत्त्वाकांक्षा और स्मार्टनैस किस तरह से जिंदगी को प्रभावित करती है. गुवाहाटी की रहने वाली इंद्राणी के लिए अपने हिसाब से जिंदगी चलाना बहुत ही सरल काम हो गया था. इंद्राणी ने गुवाहाटी में अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद कालेज की पढ़ाई शिलौंग में पूरी की. इंद्राणी का असली नाम परी बोरा था. अपने नाम के हिसाब से इंद्राणी बहुत सुंदर थी. शिलौंग में इस की मुलाकात सिद्धार्थ दास से हुई, इंद्राणी कुछ साल सिद्धार्थ के साथ लिव इन रिलेशन में रही. इसी बीच 1987 में उस की बेटी शीना और 1988 में बेटा मिखाइल पैदा हुआ. बिना शादी के बच्चों के होने पर भी इंद्राणी पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था. उस ने बच्चों को अपने मातापिता के घर गुवाहाटी भेजने का फैसला किया. 1990 में इंद्राणी ने अपने दोनों बच्चों को उन के नानानानी के साथ रहने गुवाहाटी भेज दिया. बच्चों को गुवाहाटी भेजने के बाद इंद्राणी ने अपने प्रेमी सिद्धार्थ दास से भी संबंध तोड़ लिए. उसे छोड़ कर वह कोलकाता आ गई. कोलकाता में पेइंगगैस्ट के रूप में रह कर कंप्यूटर का कोर्स शुरू किया. यहीं उस की मुलाकात संजीव खन्ना से हुई. 1993 में इंद्राणी ने संजीव खन्ना से शादी की और वह इंद्राणी खन्ना बन गई. इस बीच इंद्राणी ने नौकरी दिलाने वाली कंपनी की स्थापना भी की. इस से उस के संबंध कई लोगों से बनने लगे. 1997 में इंद्राणी ने विधि को जन्म दिया. समाज के सामने यह इंद्राणी की पहली बेटी थी. 2001 में इंद्राणी कोलकाता से मुंबई आ गई. यहां 2002 में संजीव खन्ना से तलाक ले कर पीटर मुखर्जी से शादी की. पीटर मुखर्जी की यह दूसरी शादी थी. पीटर की पहली पत्नी का नाम शबनम था. उस से 2 बेटे राहुल और रौबिन थे. पीटर से शादी कर के इंद्राणी खन्ना इंद्राणी मुखर्जी के नाम से जानी जाने लगी. अपनी प्लेसमैंट कंपनी के साथ इंद्राणी आगे बढ़ने लगी.

अपनी बेटी विधि को वह अपने साथ मुंबई ले आई. इंद्राणी के दूसरे पति पीटर को इस पर कोई ऐतराज नहीं था. इंद्राणी की बेटी विधि को पीटर अपनी बेटी की तरह मानने लगा. इंद्राणी की प्लेसमैंट कंपनी ने विदेशी कंपनी के साथ पार्टनरशिप की और बड़ी कंपनी बना ली. अब वह प्लेसमैंट कंपनी आईएनएक्स ग्रुप बन गई. इस में 4 कंपनियां आईएनएक्स सर्विसेज और आईएनएक्स ऐग्जीक्यूटिव सर्च और 2 मीडिया कंपनी आईएनएक्स मीडिया और आईएनएक्स न्यूज बनीं. इंद्राणी आईएनएक्स ग्रुप की चेयरपर्सन बनी. 2005 में इंद्राणी ने अपने पहले बच्चों शीना और मिखाइल को अपना छोटा भाई और बहन बता कर पीटर मुखर्जी से मिलवाया. मिखाइल गुवाहाटी में ही रहता था पर बेटी शीना को इंद्राणी ने मुंबई में अपने साथ रख लिया. इंद्राणी की कहानी जितनी सुलझी दिख रही है उतनी है नहीं. इस कहानी में कई मोड़ आते हैं. मुंबई में रहते हुए शीना के संबंध पीटर मुखर्जी की पहली पत्नी के बेटे राहुल मुखर्जी से बन गए. यह इंद्राणी को पसंद नहीं था.

हत्या की उलझी गुत्थी

कहते हैं न कि अपराध कभी छिपाए नहीं छिपता है. इंद्राणी के साथ भी ऐसा ही हुआ. 24 अप्रैल, 2012 को गायब हुई शीना के संबंध में उस की मां इंद्राणी कहती रही कि वह अमेरिका गई है. 2015 के जुलाई माह में इंद्राणी के ड्राइवर श्याम को मुंबई पुलिस ने अवैध हथियार रखने के जुर्म में पकड़ा. जब पुलिस ने पूछताछ की तो उस ने शीना की हत्या का खुलासा किया. श्याम ने बताया कि शीना की हत्या उस की मां इंद्राणी ने कराई और उस की लाश को रायगढ़ के जंगल में फेंक दिया. 3 साल पहले हुए इस हत्याकांड का खुलासा मुंबई पुलिस के लिए चुनौती भरा काम था. उस ने श्याम को साथ लिया और रायगढ़ में उस जगह गई. रायगढ़ पुलिस ने बताया कि 2012 में यहां एक शव मिला था. ग्राम अधिकारी गणेश धेने ने बताया कि वह जंगल में आम लेने गया था. वहां उसे कुछ जला दिखा. तब उसे कुछ शक हुआ. छानबीन करने पर वहां एक नरकंकाल मिला. पुलिस ने पक्के सुबूत पाने के बाद इंद्राणी को पकड़ा. उस से पूछताछ शुरू की. देखते ही देखते हाईप्रोफाइल मामला पूरे देश में छा गया. अखबार, चैनलों और सोशल मीडिया ने अपनीअपनी जानकारी के हिसाब से इस मामले को सामने लाना शुरू कर दिया.  पुलिस भी इस मामले में रोज नए खुलासे करती रही है. जिस बेटी शीना को इंद्राणी ने अपनी बहन बता कर दूसरे पति पीटर से मिलवाया था वही इंद्राणी को परेशान करने लगी. शीना के नाजायज रिश्ते पीटर मुखर्जी की पहली पत्नी के बेटे राहुल से बन गए. यह बात इंद्राणी और उस के पति पीटर को पसंद नहीं थी. शीना गर्भवती हो चुकी थी. जब इंद्राणी उस को समझाने की कोशिश करती तो वह उलटे इंद्राणी के चरित्र को ले कर ही ताना देती. शीना ने मां इंद्राणी को धमकी दी कि अगर उसे जायदाद में हिस्सा नहीं दिया तो वह पीटर मुखर्जी को यह बता देगी कि हमारे बीच मांबेटी का रिश्ता है. इंद्राणी की कंपनी 8 सौ करोड़ की कंपनी थी.

अपनी बीती जिंदगी को छिपाने के चलते इंद्राणी को शीना के मर्डर की योजना बनानी पड़ी. योजना के मुताबिक इंद्राणी ने अपने दूसरे पति संजीव खन्ना को इस में शामिल किया. इंद्राणी ने बेटी शीना को नशे का इंजैक्शन दिया. जब वह बेहोश हो गई तो गला दबा कर उस की हत्या कर दी. उस के बाद शीना के शव को सूटकेस में रख उसे कार की डिग्गी में रख दिया. कार पीटर के गैरेज में रात भर खड़ी रही. दूसरे दिन ड्राइवर के साथ मिल कर शीना के शव को रायगढ़ के जंगल में फेंक दिया. लाश को फेंकने से पहले पैट्रोल डाल कर जलाया गया.

महत्त्वाकांक्षा की इंतहा

इंद्राणी की महत्त्वाकांक्षा की कोई सीमा नहीं थी. पीटर मुखर्जी से उस की शादी इस का ही नतीजा थी. शादी के बाद इंद्राणी और पीटर मुखर्जी के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे. इसीलिए उन्होंने अपना परिवार नहीं बढ़ाया. पीटर अपनी पहली पत्नी के दोनों बेटों राहुल और रौबिन को साथ रखता था तो इंद्राणी शीना और विधि को साथ रखे थी. पुलिस को जो जानकारी मिली उस के हिसाब से इंद्राणी अपने दूसरे पति संजीव खन्ना के संपर्क में थी. वे पीटर को भी रास्ते से हटाने की योजना बना रहे थे. उलझते रिश्तों की इस कहानी को समझना सरल नहीं है. एक बात जरूर सामने आती है कि इंद्राणी की महत्त्वाकांक्षा ने उसे डुबा दिया. खूबसूरती महिलाओं की महत्त्वाकांक्षा को बढ़ा देती है. इंद्राणी जैसे समाज में बहुत सारे मामले हैं. लेकिन इंद्राणी का मामला शीना की हत्या के बाद 3 साल तक दबा रहा. इस बीच उस की हैसियत समाज में कम नहीं हुई. कुछ समय से सुनंदा पुष्कर की मौत भी फिर से सवालों के घेरे में है. सुनंदा पुष्कर की मौत की जांच चल रही है. इस में भी कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो स्मार्टनैस और महत्त्वाकांक्षा के बीच बनने वाले तालमेल को उजागर करते हैं. महत्त्वाकांक्षा और संबंधों की उलझन आरुषि हत्याकांड में भी देखी गई, जिस में तलवार दंपती जेल में सजा काट रहे हैं. अगर इस तरह के अपराधों को गहराई से देखें तो साफ पता चलता है कि स्मार्टनैस वाली सुंदर महिलाओं को संभालना मुश्किल काम होता है. केवल बड़े तबके में ही नहीं मध्यवर्ग के परिवार भी ऐसी ही महत्त्वाकांक्षा का शिकार हो रहे हैं. यह जरूरी नहीं कि हर मामले में स्मार्टनैस और सुंदरता अपराध को ही जन्म दे. ऐसी औरतें परिवार को अपने ढंग से चलाने की कोशिश में रिश्तों के तानेबाने को छिन्नभिन्न कर रही हैं. कई मामलों में स्मार्टनैस पतियों के लिए बोझ साबित होने लगती है. मध्यवर्ग के लिए इस से निबटना आसान नहीं होता है.

वफादारी की चाहत पर खुद बेवफा

स्मार्टनैस और महत्त्वाकांक्षा के तानेबाने में कई पेच हैं. हम खुद के लिए वफादार साथी चाहते हैं, पर खुद बेवफाई करने से नहीं हिचकते हैं. विदेश में बनने वाले एक टीवी शो में पतिपत्नी का रिऐलिटी टैस्ट किया जाता है. इस में उन जोड़ों को लिया गया जो एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे, एकदूसरे के बेहद करीबी थे. शो के दौरान जब उन को यह मौका दिया गया कि वे अपने पार्टनर के बजाय दूसरे के साथ संबंध बना सकते हैं तो ये लोग अपने भरोसेमंद पार्टनर को धोखा देने से पीछे नहीं हटे. कनाडा की औनलाइन कंपनी एशले मैडिसन ने एक साइट बनाई. यह साइट उन लोगों के लिए थी जो शादीशुदा थे या फिर किसी के साथ प्रगाढ़ प्रेमसंबंध में जुड़े थे. इस साइट के जरीए नएनए रिश्ते बनाने का मौका मिलता था. इस साइट पर जाने के लिए पैसा खर्च करना होता था. लोग पैसा खर्च कर के इस साइट पर जाते थे. विदेशों में तो यह साइट लोकप्रिय थी ही भारत में भी बड़ी तादाद में लोग इस साइट का उपयोग कर रहे थे. कुछ समय पहले हैकर्स ने इस साइट को हैक कर के उस के कस्टमर का डाटा उड़ा लिया. इस में कस्टमर्स का ईमेल, क्रैडिट कार्ड नंबर, घर का पता सब कुछ था. वहां से पता चला कि भारत में करीब 1 करोड़ 4 लाख लोग इस साइट का प्रयोग कर रहे थे. इस साइट को सब से ज्यादा भुगतान वीजा कार्ड के जरीए किया गया. दूसरे नंबर पर मास्टर कार्ड और तीसरे नंबर पर अमेरिकन ऐक्सप्रैस कार्ड से भुगतान किया गया. 2008 में जब इस साइट को खोला गया था तो भारत से केवल क्व198 का भुगतान मिला था. इस के बाद साल दर साल यह भुगतान बढ़ता ही गया. 2011 में क्व4 हजार, 2014 में क्व1 करोड़ 56 लाख 63 हजार और 2015 के अगस्त माह तक ही क्व72 लाख 98 हजार का भुगतान किया गया. इस साइट का उपयोग करने वालों में केवल मैट्रो शहरों के ग्राहक ही शामिल नहीं हैं. जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों के भी हजारों ग्राहक हैं. जयपुर में 5 हजार 45 ग्राहक और लखनऊ में 3 हजार 8 सौ ग्राहक पाए गए. आंकड़ों को देखें तो दिल वालों की नगरी दिल्ली का बुरा हाल है. यहां के लोग सब से अधिक धोखेबाज पाए गए. 38 हजार 5 सौ दिल्ली निवासी इस साइट के ग्राहक थे.

सुंदर बनाने का बढ़ता बाजार

औरतों की सुंदरता मर्द की कमजोरी होती है. इसे पलट कर देखें तो बात समझ में आ जाएगी. स्मार्ट और सुंदर औरतें अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आदमी का सहारा लेती हैं. इंद्राणी मुखर्जी मसले को देखें तो पता चलता है कि उस ने एक के बाद एक 3 पुरुषों को सीढ़ी बना कर अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा किया. अपने को सुंदर दिखाने के लिए महिलाएं अनेक उपाय भी करने लगी हैं. ड्रैसेज से ले कर मेकअप तक और प्लास्टिक सर्जरी से ले कर स्लिमिंग सैंटर तक अरबोंखरबों का कारोबार ऐसा है, जो केवल औरतों को सुंदर बनाने के लिए चल रहा है. इस सुंदरता के पूरे बाजार को देखा जाए और इस के जानकारों की बातें और उन के तर्कों को समझा जाए तो पता चलता है कि छरहरी महिलाएं पुरुषों को सब से ज्यादा पसंद आती हैं. सुंदरता को मापने का वैज्ञानिक तरीका बौडी मास इंडैक्स कहलाता है. इसे बीएमआई कहा जाता है. जिन महिलाओं का बीएमआई 17 से 20 के बीच होता है, उन्हें सब से सुंदर माना जाता है. कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि यह धारणा मीडिया, फैशन और मनोरंजन उद्योग की फैलाई हुई है. लेकिन विज्ञान इस बात की तरफदारी करता है कि बीएमआई की बात कोरी कल्पना नहीं है. इस का वैज्ञानिक आधार भी है. माना जाता है कि छरहरापन औरत को स्वस्थ बनाता है. पुरुष स्वस्थ और सुंदर औरत की चाहत में छरहरी महिलाओं को पसंद करता है. उस की सोच होती है कि शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए औरत का स्वस्थ होना जरूरी है. इसी वजह से 17 से 20 बीएमआई वाली औरतें ज्यादा पसंद की जाती हैं. 17 से 20 बीएमआई में उम्र को जोड़ कर देखा गया तो पता चला कि 18 से 20 वर्ष की उम्र वाली लड़कियां सब से ज्यादा पसंद आती हैं. ज्यादातर पैसे वाले लोग इस उम्र की लड़कियों की महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने में अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं.

भाव नहीं देती स्मार्ट पत्नी

बात इंद्राणी मुखर्जी की हो या फिर सुनंदा पुष्कर की, दोनों ही सुंदरता के इस पैमाने पर खरी उतरती थीं. सुंदर महिलाओं को लगता है कि वे अपनी स्मार्टनैस से हर मुकाम हासिल कर सकती हैं, इसीलिए उन की महत्त्वाकांक्षा बढ़ती जाती है. बहुत कुछ हासिल करने के बाद भी इंद्राणी मुखर्जी की महत्त्वाकांक्षा पूरी नहीं हुई थी. वह अपनी सगी बेटी को ही रास्ते का कांटा समझ कर वह अपराध कर बैठी जिसे छिपा पाना सरल नहीं था. उत्तर प्रदेश में घटी घटनाओं को देखें तो यह बात और भी अधिक पुख्ता होती है. मधुमिता शुक्ला हत्याकांड भी महत्त्वाकांक्षा के चलते ही हुआ था. मंच पर कविताएं सुनाने के दौरान मधुमिता की मुलाकात मंत्री अमरमणि त्रिपाठी से होती है. दोनों के बीच संबंध बनते हैं. मधुमिता अमरमणि से शादी करने का सपना देखने लगती है. इस के चलते ही वह गर्भवती हो जाती है. जब मधुमिता और अमरमणि शादी के करीब पहुंचते हैं तो अमरमणि की पहली पत्नी मधुमणि उस का कत्ल करा देती है. दोनों परिवार मधुमिता की महत्त्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गए.

थोड़ा और पीछे जाएं या ऐसे मामलों को देखें तो महत्त्वाकांक्षा और स्मार्टनैस का तानाबाना साफ दिखेगा. अगर पत्नी स्मार्ट और सुंदर है तो वह पति को भाव नहीं देती. घरपरिवार में होने वाले झगड़े इस बात के गवाह हैं. पुरुष सुंदर औरत के प्रति आकर्षित होता है और औरत अपने इस गुण का लाभ उठाती है. वह अपने पति को भी इस गुण से झुकाने की कोशिश में रहती है. मध्यवर्ग के पति को बहुत समझौते करने पड़ते हैं. अपराध की जिस घटना में ऐसे हालात दिखते हैं वहां औरत की सुंदरता भी दिख जाती है. थानाकचहरी तक पहुंचने वाले मामले बताते हैं कि सुंदर औरतें पति को अपने साथ एकल परिवार में रहने का दबाव बनाती हैं. पति इस बात को कबूल करता और जानतासमझता भी है पर कुछ कर नहीं पाता है. स्मार्टनैस और सुंदरता के बीच तालमेल बैठाने में मध्यवर्ग के पतियों को रोज तमाम तरह की मुश्किलों से दोचार होना पड़ता है.

महत्त्वाकांक्षा की भेंट चढ़ी इंद्राणी

गुवाहाटी से ले कर मुंबई तक के सफर में इंद्राणी ने 3 पुरुषों को अपनी सुंदरता का गुलाम बनाया. उन्हें सीढ़ी बना कर अपनी महत्त्वाकांक्षा को पूरा किया. जिस से उस की जरूरत पूरी होती जाती थी उसे दरकिनार कर देती थी. जिस संजीव खन्ना को छोड़ कर पीटर मुखर्जी से शादी की थी वही संजीव खन्ना हत्या जैसे जघन्य काम में इंद्राणी का साथ देने के लिए आगे आ गया. यह इंद्राणी की सुंदरता ही थी कि उस ने तलाकशुदा पति को भी अपने साथ अपराध में सहायता देने के लिए मना लिया. पीटर मुखर्जी को इंद्राणी का पूरा सच पता था, बावजूद इस के वह उस के पहले पति की बेटी विधि को अपनी बेटी की तरह घर में रखने को तैयार हो गया था, यानी इंद्राणी अपनी सुंदरता के बल पर एकसाथ पीटर और संजीव खन्ना के साथ खेलने में सफल हो रही थी. इस हत्याकांड की परतें जैसेजैसे खुल रही हैं, एक से बढ़ कर एक हैरान करने वाली सचाइयां उजागर हो रही हैं. कानून अब अपना काम करेगा ही पर सवाल यह कि ऐसी महत्त्वाकांक्षा किस काम की, जिस में सब कुछ तबाह हो जाए?

छत्तीसगढ़ : विकास के नए पथ पर

लगातारप्रगति के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़ रोज विकास के नए आयाम छू रहा है:

नए जिलों का गठन

स्वतंत्रता दिवस 2011 की सौगात. राज्य में 9 नए जिलों, सुकमा, कोण्डागांव, गरियाबंद, बलौदाबाजार, बालोद, बेमेतरा, बलरामपुर, सूरजपुर और मुंगेली का गठन. ये नये जिले जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए. इन 9 नए जिलों को मिला कर राज्य में वर्ष 2007 से अब तक 11 नये जिलों का गठन. वर्ष 2007 में बीजापुर और नारायणपुर को जिला बनाया गया था. अब छत्तीसगढ़ में जिलों की संख्या 27 हो गई है.

बिजली के क्षेत्र में शानदार कामयाबी

जनवरी 2008 से राज्य में बिजली कटौती खत्म. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चौबीसों घंटे लगातार बिजली आपूर्ति करने वाला पहला राज्य छत्तीसगढ़. हमारे यहां विगत 10 वर्षो में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 500 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2009-10 में राज्य में प्रति व्यक्ति विद्युत खपत 1547 यूनिट दर्ज की गई. लोक सभा में केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री के. वेणु गोपाल द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से विभिन्न राज्यों में बिजली की खपत की ताजा तसवीर स्पष्ट हुई है. गोवा 2,263 यूनिट के साथ पहले स्थान पर, गुजरात 1,615 यूनिट के साथ दूसरे स्थान पर और छत्तीसगढ़ 1,547 यूनिट प्रति व्यक्ति विद्युत खपत के साथ तीसरे स्थान पर है. किसानों को 3 हौर्स पावर तक के सिंचाई पम्पों के लिए सालाना 6 हजार यूनिट बिजलीऔर 3 से 5 हौर्स पावर तक के सिंचाई पम्पों को 7 सात हजार यूनिट बिजली नि:शुल्क. किसानों को मीटर किराया, फिक्स्ड चार्जेस और विद्युत शुल्क आदि के भुगतान में छूट. राज्य में सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण को शानदार सफलता. राज्य निर्माण से पहले छत्तीसगढ़ में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या केवल 72 हजार के आसपास थी, जबकि आज यह संख्या 2 लाख 90 हजार को भी पार कर गई है.

मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना

प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन पूर्णरूप से जन भागीदारी के माध्यमसे किया जा रहा है. इस के तहत 10 हजार882 राशन दुकानों से लगभग 34 लाख 31 हजार गरीब परिवारों को सिर्फ क्व1 औरक्व2 किलो में हर महीने 35 किलो अनाज और2 किलो नि:शुल्क नमक. यह कोर पीडीएस योजना रायपुर शहर में प्रारंभ की गई है. इस का विस्तार भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर और राजनांद गांव में जल्द किया जाएगा.

किसानों के लिए

वित्तीय वर्ष 2012-13 से सिर्फ 1 प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा देने वाला राज्य है छत्तीसगढ़. यहऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर 60 प्रतिशत नकद और 40 प्रतिशत वस्तु के रूप में दी जा रही है.

सड़क नेटवर्क का हुआ विस्तार

8 वर्षों में 41 हजार 441 किलोमीटर मार्गों का उन्नयन और इन मार्गों में 16 हजार पुल व पुलियों का निर्माण किया गया. इस दौरान884 पुलों का निर्माण पूर्ण किया गया और 2,723 नए भवन बनाए गए. इस अवधि में 9 रेलवे ओवरब्रिज एवं एक अण्डर ब्रिज का निर्माण पूर्ण किया गया.

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना

खाद्य सुरक्षा के साथसाथअब स्वास्थ्य सुरक्षा के लोक व्यापीकरण के उद्देश्य से राज्य के सभी 56 लाख परिवारों को बिना किसी जाति, वर्ग और आय बंधन के नि:शुल्क स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध कराने का निश्चय. इस हेतु मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना प्रारंभ की जाएगी.

मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना

गरीबी रेखा श्रेणी के 60 वर्ष तथा उस से अधिक उम्र के बुजुर्गों को छत्तीसगढ़ सरकार शासकीय खर्च पर तीर्थयात्रा कराएगी. प्रथम चरण में 20 हजार बुजुर्गों को सरकारी खर्च पर तीर्थयात्रा में भेजने का लक्ष्य है.

मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना का शुभारंभ

डा. रमन सिंह ने नगर सुराज अभियान के अंतर्गत 19 नवम्बर को राजनांद गांव के लखोली के कार्यक्रम में प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना का शुभारंभ किया. मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना के लिए प्रथम चरण में राज्य के सभी 10 नगर निगम क्षेत्र शामिल किए गए हैं.

मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना

नक्सल हिंसा पीडि़त इलाकों के बच्चों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण देने की नई पहल. इस योजना के तहत राजधानी रायपुर में ग्यारहवीं-बारहवीं के बालकों के लिए जुलाई 2010 में प्रयास आवासीय विद्यालय की स्थापना का.

वार्डरोब में हों मिक्स ऐंड मैच आउटफिट्स

कभी वार्डरोब में चुनिंदा कपड़े ही होते थे और उन्हें भी सैट बना कर रखा जाता था यानी जिस टौप के साथ जो बौटम खरीदा है उसे हमेशा वैसे ही सेट में पहनना होता था. वक्त बदला और वक्त के साथ फैशन में भी कई बदलाव हुए. जो सब से बड़ा बदलाव हुआ वह था सेट बना कर कपड़े रखने की जगह मिक्स ऐंड मैच के ट्रैंड का, जो यह आज भी कायम है.

इस ट्रैंड ने न केवल महिलाओं की ड्रैसिंगसैंस को सुधारा बल्कि उन्हें अधिक और अलग आउटफिट्स खरीदने के लिए भी प्रेरित किया. आज लड़की का वार्डरोब ट्रैंडी औरस्टाइलिश आउटफिट्स से भरा मिलेगा. लेकिन एक कपड़े को 2 बार पहनना किसी को नहीं भाता. तो क्यों न मिक्स ऐंड मैच की थ्योरी अपना कर पुराने कपड़ों को नया और अलग लुक दिया जाए? आजकल इस का स्कोप बहुत ज्यादा है, क्योंकि टौप्स हों या बौटम सभी में बहुत सारी वैराइटी बाजार में उपलब्ध है. आइए, एक नजर डालते हैं मिक्स ऐंड मैच टिप्स पर :

पोल्का डौट्स प्रिंट्स आजकल फैशन में हैं. लेकिन इन प्रिंट्स के बौटम या टौप खरीदने के बाद यह उलझन रहती है कि इन्हें पेयर किस के साथ किया जाए? ऐसे में अधिकतर महिलाएं प्लेन या फिर पोल्का डौट्स प्रिंट वाले टौप या बौटम के साथ पहनने की गलती कर बैठती हैं. जबकि इस प्रिंट के साथ चैक प्रिंट का कौंबिनेशन बैस्ट रहता है.

यदि आप के पास स्ट्राइप्स वाली टीशर्ट है और आप उसे पहनपहन कर बोर हो चुकी हैं तो इस बार उसे डैनिम की डंगरीज के साथ पहनें. प्रिंटेड स्कर्ट के साथ भी मिक्स ऐंड मैच कर सकती हैं.

स्कर्ट के साथ हमेशा टौप पहनें, यह जरूरी नहीं. आप एक बार प्रिंटेड शर्ट ट्राई करें. यह आप के लुक को स्टाइलिश और यूनीक बना देगा. यदि आप के वार्डरोब में स्ट्रेट लौंग या शौर्ट स्कर्ट है तो उस के साथ क्रौप टौप पहनें. इस से आप का लुक डिफरैंट लगेगा.

सिंपल कपड़ों को भी स्टाइलिश लुक दिया जा सकता है और इस के लिए जरूरत होती है एक ट्रैंडी स्टोल की. इसलिए स्टोल को अपने वार्डरोब का हिस्सा जरूर बनाएं.

आजकल जंपसूट इन फैशन हैं. इस के स्टाइल को थोड़ा बदलने के लिए स्टाइलिश ब्लेजर्स की मदद ली जा सकती है. बाजार में ब्लेजर्स की बहुत वैराइटी मौैजूद है. लेकिन जंपसूट को शौर्ट एवं फ्रंट ओपन ब्लेजर्स के साथ क्लब कर के पहना जा सकता है.

सिर्फ आउटफिट्स के फेरबदल से ही नहीं, बल्कि ऐक्सेसैरीज के साथ भी आप मिक्स ऐंड मैच कर के अपनी ड्रैस को दूसरों से अलग लुक दे सकती हैं. इस काम में सब से अधिक मदद आप की बैल्ट कर सकती है. बैल्ट एक सैपरेटर की तरह आप की ड्रैस के लुक को चेंज कर सकती है.

भले ही आप ने अपनी पुरानी फेडेड जींस को पहनना छोड़ दिया हो. लेकिन आप चाहें तो उसे फिर से नए लुक के साथ अपना सकती हैं. अपनी पुरानी जींस को फिर से कलर करवा लें या फिर फेडेड जींस के साथ कोई भी स्टाइलिश टौप पहन कर उस की डलनैस को छिपाया जा सकता है.

यदि आप के पास सफेद शर्ट है तो जरूरी नहीं कि आप उसे फौर्मल पैंट के साथ ही पहनें. आप चाहें तो शर्ट को प्रिंटेड स्कर्ट या फिर प्लाजो के साथ भी पहन सकती हैं.

यदि आप के पास डैनिम की शर्ट है तो उसे हमेशा जींस के साथ पहनने की जरूरत नहीं है. डैनिम की शर्ट को व्हाइट स्कर्ट या कौटन पैंट के साथ भी पहना जा सकता है.

यदि आप इंडियन ऐथनिक वियर की बात करें तो उस में भी मिक्स ऐंड मैच का ट्रैंड है. एक ही प्लाजो के साथ आप कई तरह के कुरते पहन सकती हैं.

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