राजयोग: भाग-1 अरुणा रोली के मन को समझ नहीं पा रही थी

होली और धुलैंडी बीत गई थी, किंतु उस के जीवन में रंग नहीं भर पाई थी. कोरोनाकाल के बाद यह पहली होली थी जब लोग उत्लासखुशी के रंग से भरपूर थे. रोली को होली, धुलैंडी के रंग बेहद पसंद थे. बचपन से वह कालोनी में सहेलियों को ले कर धुलैंडी पर जम कर होली खेलती थी. घर आतेआते उसे शाम के 4 तो बज ही जाते थे. भूख लगती तो दौड़ कर घर आ जाती. अपनी मां अरुणा से 1-2 गु ि  झया खा कर फिर भाग जाती. हाथों में रंग इतना गहरा होता कि अरुणा ही उसे अपने हाथों से खिलाती, पानी पिलाती, मुंह पोंछती और प्यारभरी डांट से जल्दी आने को कहती.

आज वही रोली अपने कमरे में चुपचाप पलंग पर करवटें लिए लेटी थी. अरुणा बारबार उसे देख कर वापस आ जाती. फिर बाहर बरामदे में पड़ी कुरसी पर बैठ जाती है. बचपन में रोली जितनी शरारती, चंचल थी बड़ी होने पर उतनी जिद्दी हो गई थी. अरुणा भी असहाय थी. रोली के बचपन को उस ने कभी मरने नहीं दिया था. उसी युवा रोली के सामने अरुणा कुछ नहीं कह पा रही है.

अरुणा जानती है रोली जिद्दी है लेकिन इतनी ज्यादा जिद्दी होगी यह नहीं जान पाई. अरुणा उसे पिछले 3 दिन से सम   झाने की कोशिश कर रही है पर रोली नएनए तर्क दे कर उसे चुप करा देती है. अरुणा सम   झ नहीं पा रही थी रोली के मन को कि वह आखिर चाहती क्या है? किसी लड़के से प्रेम होता तो अरुणा को जो उस की मां है उसे जरूर बताती. लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं है. तो फिर क्यों वह शादी के लिए तैयार नहीं हो रही है?

मानस एक अच्छा लड़का है, कालेज में प्रोफेसर हैं. समाज में अच्छी प्रतिष्ठा है. कालेज में छात्रों के बीच लोकप्रिय है. घरपरिवार भी अच्छा है. रोली को पसंद करता है, रोली भी उसे पसंद करती है. अरुणा का देखाभाला है. देखाभाला क्या उसी कालेज में प्रोफैसर है जिस में अरुणा प्रोफैसर है. अरुणा के सामने ही 2 साल पहले प्रोफैसर बन कर आया थी. राज करेगी रोली मानस के साथ. राजयोग है रानी के हिस्से में.

राजयोग शब्द ध्यान में आते ही अरुणा को वह शाम याद हो आई जब वह कालेज में थी. भैयाभाभी के साथ चोखी ढाणी घूमने आई थी. राजस्थानी संस्कृतियां भी अरुणा को पंसद थीं. खाना भी उसे राजस्थानी पसंद था. वहां शाम को लालटेन से सजी    झोंपडि़यां रात के समय सुंदर लग रही थीं. कालबेलिया नृत्य करती युवती की फुरती देखने लायक थी. वहीं एक आदमी बंदर का नाच दिखा रहा था. भविष्य के बारे में बता कर मनोरंजन कर रहा था. भैयाभाभी ने अरुणा के लिए पूछा तो बोला, ‘‘राजयोग है राज करेगी, राज. पति के दिल की रानी बनी रहेगी.’’अरुणा जोरजोर से हंसने लगी कि ये लोग खुद का भविष्य तो बता नहीं सकते दूसरों का भविष्य क्या बताएंगे? अरुणा ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करती थी.

रानी तो क्या नौकरानी से बदतर रही वैवाहिक जिंदगी. ससुराल में सब लोग अच्छे थे. पति का भी प्यार भरपूर मिला. 2 साल तक सब अच्छा चला. पति राकेश सरकारी विभाग में इंजीनियर थे. रोली के पेट में आते ही पति राकेश का व्यवहार कुछकुछ बदलने लगा था. वह रोज पति को शारीरिक सुख नहीं दे पाती थी. उसे उलटियां, चक्कर आने की शिकायत ज्यादा हो रही थी. सास ध्यान रखती थी अरुणा का. लेकिन रात होते ही अरुणा पति की इच्छा पूरी नहीं कर पाती थी. नतीजा यह हुआ दोनों के बीच    झगड़े होने लगे. राकेश अरुणा की तबीयत को सम   झना ही नहीं चाहता था.

छठा महीना लगतेलगते तो ये हालात बन गई कि राकेश सैक्स वर्कर के पास जाने लगा. उस का जिक्र बड़ी शान से अरुणा के सामने करने लगा. जब स्थिति सब के सम   झाने के बाद भी नहीं संभली तो अरुणा अपने मायके आ गई. वहीं रोली का जन्म हुआ. ससुराल वाले सभी रोली को देखने आया. सिर्फ पति राकेश नहीं आए थे. रोली के जन्म के बाद अम्मांबाऊजी ने भी अरुणा को बहुत सम   झाया कि रोली को ले कर ससुराल में रहो और राकेश को माफ कर दो. पति है तुम्हारा… जीवन तो उसी के साथ बिताना है. पर अरुणा का दिल अब टूट चुका था. वह सम   झौता नहीं करना चाहती थी. ससुराल वालों ने भी कोशिश की, लेकिन अरुणा अपने फैसले पर अडिग थी.

अरुणा मायके पर भी बो   झ नहीं बनना चाहती थी. शिक्षित तो थी ही डाक्टरेट थी. प्राइवेट कालेज में प्रोफैसर बन गई. रोली की परवरिश उस ने अच्छे ढंग से की. उस की शिक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी. भैयाभाभी को अरुणा के निर्णय के सामने    झुकना पड़ा. लेकिन तलाक लेना भी जरूरी था राकेश से. अरुणा इस के लिए तैयार थी. वह दिल पर कोई बो   झ नहीं रखना चाहती थी. राकेश जरूर एक बार आया था. उस ने सोचा बेटी रोली से मिलने आया होगा. लेकिन नहीं, वह अपनी भड़ास निकालने आया था. भैयाभाभी, अम्मांबाऊजी दामाद को देख कर खुश थे. शायद पछतावा है अपने किए का. लेकिन वह अरुणा के कमरे में गया तो थोड़ी देर बाद ही    झगड़ने की आवाजें शुरू हो गईं.

भैया ने कमरे में जा कर देखा तो राकेश अरुणा को बुरी तरह से डांट रहा है. फिर भैया पर नजर पड़ी तो बोला, ‘‘तुम्हारी बहन को अपनी पढ़ाई का घमंड है. पति को पति सम   झती ही नहीं है. पति अगर बाहर जा कर बिस्तर गरम कर आया तो क्या गलत है… यह कोई सुख नहीं देती मु   झे इसलिए बाहर जाना पड़ता मु   झे,’’ राकेश गुस्से में था. ‘‘आप ने उस की तबीयत देखी उस समय? कैसी अजीब बातें करते हैं आप?’’ भैया भी गुस्से से बोले. तभी अम्मां आ गई बीचबचाव करने. फिर सभी ने तलाक का रास्ता ही उचित समझा.

बस फिर क्या था. उस के बाद अरुणा के जीवन का नया अध्याय शुरू हो गया. अरुणा सोचती थी यदि रोली नहीं होती तो क्या वह इतनी मजबूत रह पाती? शायद नहीं. रोली के बचपन को भरपूर जीया है उस ने. उस के हर पल की वह एकमात्र गवाह है. उसे बड़ा करना, उस की देखभाल, उस की प्यारी तोतली बातें, उसे जीवन में एक नई उर्जा देती रहीं. जीवन के सफर के आगे बढ़ती रही. अकेली स्त्री का जीना वाकई कितना तकलीफ भरा होता है. अगर कोई लक्ष्य नहीं हो तो कैसे जीवन संभव हो सकता है? उस के जीवन का लक्ष्य था रोली को योग्य बनाना.

अरुणा आएदिन देखती रहती कि सिंगल पेरैंट्स की संतान कभीकभी बिगड़ भी जाती है. कम ही संतानें होंगी जो जीवन में अपने मातापिता को कष्ट नहीं देती होंगी. मुंबई का रिंपल जैन वाला केस उसे रहरह कर डरा जाता. कैसे 23 वर्षीष रिंपल जैन ने अपनी 55 वर्षीय माता की हत्या की. कांप गई थी अरुणा न्यूज पेपर में पढ़ कर और टीवी में देख कर. कितनी निष्ठुर रही होगी वह बेटी जिस ने अपनी जन्म देने वाली मां की हत्या कर दी. ऐय्याशी और सुखसुविधा के लालच में अंधी हो गई थी वह.

राजयोग: भाग-2 अरुणा रोली के मन को समझ नहीं पा रही थी

अरुणा खुश है कि रोली की परवरिश में वह सफल हुई. रोली आधुनिकता के गंदे जाल में नहीं फंसी है. तलाक के समय भी अम्मांबाबूजी ने कितना सम   झाया था कि माफ कर दे दामादजी को अकेले बच्चों की परवरिश नहीं कर पाएगी. जीवन बड़ा मुश्किल होता है. अरुणा ने कहा था, ‘‘अम्मां सबकुछ अच्छा होगा तुम चिंता मत करो. तुम्हारे संस्कारों और दी गई शिक्षा से फैसला लेने की हिम्मत आई है मुझ में.’’

‘‘लेकिन बेटी अकेली औरत को समाज जीने नहीं देता. तू सोच रोली बड़ी होगी उस की शादी, पढ़ाई वगैरह में जहां भी तू जाएगी तेरे जीवन की कहानी पहले आ जाएगी थोड़ा तो सोच,’’ बाबूजी बोले. मगर अरुणा के निर्णय के आगे सभी चुप हो गए थे. भैयाभाभी का थोड़ा सहारा था फिर सब अपनेअपने घरसंसार में व्यस्त हो गए थे.

कल रोली 24 साल की हो जाएगी. अरुणा ने कहा कि बर्थडे सैलिब्रेट करने के लिए अपने फ्रैंड्स के साथ मिल कर पार्टी की तैयारी कर ले पर रोली इन सब से दूर रहती. रोली उस के कंधों पर    झूलते हुए बोली, ‘‘मां के साथ ही पार्टी करूंगी घर पर बाकी फ्रैंड्स को चौकलेट से मुंह मीठा करा दूंगी. सब जानते हैं मां की मु   झे लेट नाइट क्लब की पार्टियां बगैरा पसंद नहीं.’’‘‘अच्छा बाबा मानस को बुलाएगी या उसे भी नहीं? अरुणा बोली.

‘‘तुम बोलोगी तो बुला लूंगी,’’ रोली मुसकराई, ‘‘एक बात और मां मेरे पीएचडी वाले डाक्टर साहब भी आ रहे हैं.’’ ‘‘उन का क्या काम तेरे बर्थडे पर?’’ अरुणा ने पूछा.‘‘उन से ही पीएचडी कर रही हूं उन की स्टूडैंट हूं इसलिए,’’ रोली ने जवाब दिया, ‘‘डिनर हम बाहर से और्डर करेंगे या बाहर किसी होटल में करेंगे.’’‘‘अच्छा बाबा, जैसी तेरी मरजी,’’ अरुणा बोली. रोली डाक्टरेट डाक्टर अमन के मार्गदर्शन में कर रही थी.‘‘मां कहां हो?’’ अरुणा के कानों में आवाज आई. देखा तो सामने रोली खड़ी थी. ‘‘कहां खोई हुई हो? चलो कमरे में. रोली ने मां को प्यार से आदेश दिया. अरुणा अतीत में खो गई थी… वापस वर्तमान में आई और रोली के आदेश पर चुपचाप उस के पीछे चल दी उस के कमरे में. रोली का पूरा कमरा किताबों से भरा था. कहीं भी किताब पढ़तेपढ़ते रख देती थी.

‘‘रोली देख तेरे बैड पर कितनी किताबें हैं? इन्हें इन की जगह रख दो,’’ अरुणा ने कुछ किताबें हटा कर अपने लिए जगह बनाई. मां प्रोफैसर की बेटी हूं. प्रोफैसर तो किताबों के बीच में रहता है,’’ रोली मुसकराते हुए बोली. ‘‘कल तेरा बर्थडे है. मानस तेरा रूम देखेगा तो क्या सोचेगा? कितना बिखरा है,’’ अरुणा ने कहा. ऐसा बिलकुल भी नहीं सोचेगा,’’ रोली बोली. ‘‘क्यों नहीं सोचेगा?’’ अरुणा ने सवाल किया.

‘‘वह भी तो प्रोफैसर है न. प्रोफैसर को किताबों से प्यार होता है मां,’’ रोली ने मुसकराते हुए जवाब दिया. रोली को मुसकराते हुए देख अरुणा मन ही मन खुश हुई कि शायद रोली मानस से शादी के लिए मान जाएगी. यही सोचतेसोचते उस के चेहरे पर हलकी मुसकराहट आई. रोली ने तुरंत यह बात नोट की. बोली, ‘‘मां क्या सोच रही हो?’’ ‘‘कुछ नहीं,’’ कह कर अरुणा उठने लगी तो रोली ने अरुणा का हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती बैठाया और बोली, ‘‘मां मु   झे पता है आप क्या सोच कर मुसकरा रही हो.’’ ‘‘क्या सोच रही हूं बता?’’ अरुणा बोली, ‘‘तू मेरी मां है कि मैं तेरी मां हूं,’’ अरुणा ने प्यारभरे गुस्से से कहा.

‘‘मां आप यह सोच रही है कि मैं मानस के साथ शादी के लिए राजी हूं बोलो मां.’’ अरुणा चुप हो गई. उस के मन की बात रोली ने आसानी से पढ़ ली थी. फिर बोली, ‘‘हां रोली में यही सोच रही हूं तू मानस से शादी के लिए मान जाएगी. अच्छा बता क्या कमी है मानस में?’’ अरुणा ने पूछा. मां मैं ने कब कहा मानस में कोई कमी है? रोली ने उलटा अरुणा से प्रश्न किया. ‘‘फिर कहां दिक्कत है शादी में?’’ अरुणा उल   झन में थी, ‘‘पहले भी तू 2-3 लड़कों को मना कर चुकी है. अरुणा का सवाल था. ‘‘एक बात का जवाब चाहिए मु   झे तुम से,’’ रोली बोली. ‘‘बोल क्या पूछना चाहती है,’’ अरुणा भी उल   झन में थी. वह आज जानना चाहती है कि रोली शादी क्यों टाल रही है. ‘‘मां जब मेरा जन्म हुआ था तब तुम कितने साल की थी?’’ रोली ने अरुणा से पूछा,

‘‘यह कैसा सवाल है?’’ अरुणा बोली. ‘‘बस ऐसा ही सवाल है, तुम जवाब दो,’’ रोली बोली. ‘‘तू कितने साल की है?’’ अरुणा भी पीछे नहीं हटी. ‘‘कल मैं 24 साल की पूरी हो जाऊंगी,’’ रोली ने कहा.‘‘जब तेरा जन्म हुआ तब मैं 27 साल की थी,’’ अरुणा बोली. ‘‘मतलब तुम आज की तारीख में लगभग 52 की हुई,’’ रोली बोली. ‘‘तू बोलना क्या चाहती है सीधासीधा बोल?’’ अरुणा चिढ़ने लगी. ‘‘मां यह बताओ आप ने तलाक के बाद शादी क्यों नहीं? आप ने पूरा जीवन अकेले कैसे काटा है? पहले मु   झे इस का जवाब दो. फिर मेरी शादी के लिए सोचना,’’ रोली बोली. अरुणा इस सवाल के लिए तैयार नहीं थी. वह चुप रह गई. फिर बात को

टालने की गरज से बोली, ‘‘चल रात बहुत हो चुकी है ये फालतू बातें बाद में करना,’’ अरुणा बोली, ‘‘कल तेरा बर्थडे भी है. इतना लेट सोएंगे तो फिर सुबह जल्दी नहीं उठ पाएंगे. तेरे बर्थडे की शाम की तैयारी भी करनी है. चल सो जाते हैं,’’ अरुणा ने बात खत्म करने के लिए कहा ‘‘मां,’’ रोली ने गुस्सा जताया. ‘‘बेटा इस विषय पर बाद में बात करते हैं,’’ अरुणा बोली, ‘‘तेरी शादी की बात चल रही है तो उलटेसीधे सवाल कर रही है,’’ अरुणा बोली. ‘मां ये उलटेसीधे सवाल नहीं हैं,’’ रोली बोली. ‘‘चल ठीक है, कल तेरे बर्थडे के बाद बात करेंगे ठीक?’’ अरुणा बोली. ‘‘पक्का?’’ रोली ने कहा ‘‘अरे बाबा पक्कापक्का. अब सो जा कल कालेज भी जाएगी. जल्दी सो जा,’’ अरुणा बोली. ‘‘मां कल कालेज नहीं है,’’ रोली बोली ‘‘क्यों क्या हुआ?’’ अरुणा बोली ‘‘कल संडे है,’’ रोली ने जोरजोर से हंसना शुरू किया. ‘‘अरे मैं तो भूल गई थी,’’ अरुणा बोली.

सुबह जल्दी ही उठ गई थी रोली. उस ने नहा कर चाय चढ़ा दी. अरुणा के कमरे में गई तो देखा अरुणा वाशरूम में है. ‘जब तक चाय भी बन जाएगी,’ सोच वह बस्ती जाने के लिए कपड़े निकालने लगी. रोली हर जन्मदिन पर अरुणा के साथ एक बस्ती जो मजदूर वर्ग की थी, वहां बच्चों को मिठाई, कपड़े आदि देने जाती थी. मिठाई, कपड़े उस ने एक दिन पहले ही खरीद कर रख लिए थे. अरुणा जब नहा कर निकली तो चाय तैयार थी. रोली भी तैयार थी. अपनी सुंदर बेटी को देखती रह गई. कमर तक लंबे बाल उस की सुंदरता में चार चांद लगाते थे. दोनों ही तैयार हो कर बस्ती चली गईं.

वहां से जब लौट कर आईं तब भूख लग आई थी. नाश्ता भी नहीं हुआ था. अरुणा ने जल्दी से आ कर उपमा तैयार किया. फ्रिज से बंगाली मिठाई निकाली. बंगाली मिठाई रोली को पसंद थी. दोनों नाश्ता कर रही थीं. इतने में डाक्टर अमन का मोबाइल आया तो रोली खुश हो गई. चहकते हुए बोली, ‘‘सर आप कब तक आ रहे हैं?’’

 

राजयोग: भाग-3 अरुणा रोली के मन को समझ नहीं पा रही थी

‘‘तुम ने जो टाइम दिया है शाम 6 बजे उसी समय आऊंगा.’ रोली ने मोबाइल स्पीकर पर रखा था. अरुणा को डाक्टर अमन की आवाज जानीपहचानी लगी. तब तक होली मोबाइल पर बात कर चुकी थी और अरुणा को देख रही थी ‘‘क्या सोच रही हो मां?’’ रोली बोली ‘‘कुछ नहीं,’’ अरुणा ने कहा.‘‘बता भी दो,’’ रोली बोली‘‘तु   झे जो डाक्टरेट करवा रहे हैं उन का पूरा नाम क्या है?’’ अरुणा ने पूछा ‘‘क्यों क्या हुआ?’’ रोली बोली.

‘‘मेरे कालेज में भी एक लड़का था अमन. मेरी ही क्लास में था,’’ अरुणा ने बताया. फिर दिल की धड़कन बढ़ गई कि कहीं यह वही अमन तो नहीं जो पढ़ने में कमजोर था उस के पीछे पागल था. वह डाक्टरेट कर के कालेज में प्रोफैसर बन गया हो. नहींनहीं यह वह नहीं हो सकता. यह दूसरा होगा. कितना पीछे पड़ा था शादी के लिए. दोनों ही एकदूसरे को पसंद भी करते थे और शादी भी करना चाहते थे. लेकिन  बाऊजी नहीं माने थे. कोई नौकरीधंधा नहीं है. घर में पैसा है तो क्या हुआ. अमन के मातापिता ने बाउजी को सम   झाया था. पर बाउजी नहीं माने थे. लड़का कुछ करता हो तो शादी भी कर देते. जातपात में भले विश्वास नहीं हो.

अमन के मातापिता ने भी सम   झाया था कि अरुणा को सुखी रखेंगे. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अरुणा भी मातापिता से विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई ‘‘मां क्या सोचने लगी हो?’’ रोली बोली.

‘‘कुछ नहीं, कुछ नहीं,’’ कह कर अरुणा लंच की तैयारी में लग गई. ‘शाम को डिनर के लिए रोली बाहर जाएगी इसलिए लंच हलकाफुलका ही बना लेती,’ यही सोच कर उस ने धुली मूंग की दालचावल धो कर रख दिए. मटर, गाजर, गोभी, आलू, भूनने के लिए रख दिए. पुलाव और रायता चल जाएगा. रोली अपना रूम समेटने में लगी थी. शाम सुरमई होने लगी थी. केक मानस लाने वाला था. रोली ने मना भी किया था

लेकिन वह नहीं माना था. रोली सुंदर लग रही थी. अरुणा सोच में डूबी थी. क्या पहने? किस रंग की साड़ी पहने? फिर उसे याद आया कालेज में अमन ब्लू कलर पसंद करता था. आज ब्लू रंग की साड़ी पहन लेती.

दिल ने कहा क्यों ब्लू रंग क्यों? क्या मन के किसी कोने में अमन की कोमल याद जिंदा है? क्या तू अभी उस से प्यार करती हो? नहींनहीं मैं प्यार नहीं करती. अरुणा ने मन को सम   झाया. क्या पता, वही अमन है या नहीं? चलो मान लिया वही अमन है, दिल ने सवाल किया तो उस से प्यार कर पाओगी?

तुम्हारी बेटी 24 साल की है. सही बात है अमन से मैं प्यार नहीं कर पाऊंगी. लेकिन ब्लू साड़ी पहनूंगी. अरुणा का दिल नहीं माना उस ने ब्लू साड़ी पहनी. वालों को हलके जुड़े की शक्ल में बांध लिया. गले में सच्चे मोतियों की माला, हाथ में गोल्ड का ब्रेसलेट ‘‘कितनी सुंदर लग रही हो मां. साड़ी का कलर भी कितना प्यारा है,’’ रोली बोली.

अरुणा तारीफ सुन कर शरमा गई. आज उसे अपने दिल की धड़कन सुनाई दे रही थी. हवा में एक मस्ती महसूस हो रही थी. मन कालेज के ग्राउंड में दूर तक चलने का हो रहा था. लाइब्रेरी में किताबों के पीछे मुसकराते अमन का चेहरा परेशान कर रहा था. कालेज की कैंटीन की कौफी की खुशबू भाप उसे महसूस होने लगी थी. तभी डोरबैल बजी तो रोली दौड़ कर दरवाजे पर गई. अरुणा घबरा गई. तुरंत किचन में चली गई. ‘‘हैप्पी बर्थडे रोली,’’ फूलों के बड़े से बुके के पीछे मानस की आवाज आई. ‘अरे मानस आओआओ,’’ कह कर जोर से हंसी. ‘‘अरे बाबा आया हूं तो अंदर तो आऊंगा ही,’’ मानस बोला.

तभी किचन से बाहर आती अरुणा के पैर छू लिए मानस ने, ‘‘नमस्ते आंटीजी, यह तुम्हारा केक,’’ कहते हुए मानस ने एक बड़ा बौक्स टेबल पर रख दिया और आराम से सोफे पर बैठ गया. ‘‘बेटा चाय पीयोगे या कौफी?’’ अरुणा ने पानी का गिलास बढ़ाया. ‘‘कुछ नहीं आंटीजी. जब कटेगा तो केक लूंगा.’’ अरुणा हंस दी.‘‘आंटी हंसती हुई आप बहुत अच्छी लगती है. उदासी चेहरे पर अच्छी नहीं लगती,’’ मानस बोला.अरुणा ने जवाब नहीं दिया और किचन में चली गई. थोड़ी देर हुई होगी डोरबैल फिर बजी. किचन से बाहर आतेआते अरुणा वहीं रुक गई. अमन होगा उस के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं.मां, सर आ गए. जल्दी आओ.’’ अरुणा के पैर मानो जमीन से चिपक गए. वही अमन हुआ तो?

‘‘मांमां,’’ कहते हुए रोली किचन में घुसी. मां का चेहरा देखे बिना हाथ पकड़ कर बाहर ड्राइंगरूम में ले आई. अरुणा की नजर जैसे जमीन में गड़ जाना चाह रही हो. बड़ी मुश्किल से उस ने नजर उठाई तो देखा सामने वही अमन था जो कालेज में साथ था. ‘‘अरुणा तुम? तुम पर ब्लू रंग आज भी उतना ही खिलता है जितना कालेज में खिलता था,’’ डा. अमन ने जैसे ही ये शब्द कहे रोली आश्चर्य में भर गई, ‘‘सर आप मां को जानते हैं?’’ ‘‘तुम्हारी मां और हम साथ कालेज पढ़ते थे.’’ ‘‘अरे वाह तालियां,’’ मानस जो चुप था. अचानक खुश हो उठा. अरुणा के चेहरे पर लालिमा छा गई थी. अमन मुसकरा रहे थे.

‘‘चलोचलो केक काटो, मु   झे बहुत भूख लगी है,’’ मानस बोला. ‘‘बातें बाद में पहले केक,’’ रोली बोली. ‘‘हैप्पी बर्थडे टू यू,’’ डाक्टर अमन बोले. रोली ने केक काटा और पहला टुकड़ा अरुणा को खिलाया, ‘‘मेरी प्यारी और अच्छी मां.’’ उस के बाद मानस और अमन को. ‘‘डिनर की क्या तैयारी है?’’ मानस ने रोली से पूछा. ‘‘डिनर मेरी तरफ से रहेगा,’’ डाक्टर अमन ने घोषणा की. ‘‘लेकिन घर में जो तैयारी,’’ अरुणा बोली. ‘‘उसे फ्रिज में रख दो,’’ डाक्टर अमन बोले. ‘‘हां, मां चलो न,’’ रोली बोली. डाक्टर अमन शहर के प्रसिद्ध होटल प्रिंस प्लाजा में ले गए.

रोली बहुत खुश थी रहरह कर सैल्फी ले रही थी. कभी सब के साथ कभी अकेले. अमन और मानस किसी विषय पर चर्चा में बिजी थे. साथ ही अरुणा से भी बात करते जा रहे थे. अरुणा चाह कर भी उस चर्चा में शामिल नहीं हो पा रही थी. ‘‘मां, डिनर के लिए और्डर करो.’’ ‘‘आज सब डिश रोली की पसंद की रहेंगी.’’‘‘नहीं सब की पसंद की डिश रहेंगी,’’ रोली ने कहा. फिर सब की पसंद से डिनर का और्डर दिया गया. वैजिटेबल बिरयानी, मुगलई मक्खनी पनीर, पंचमेल दाल, वेज कोफ्ता, बंगाली खिचड़ी, लच्छा परांठा, मिक्स बीन सलाद. अरुणा ने बहुत कुछ अपनेआप को संभाल लिया था. वह नौर्मल महसूस कर रही थी.

‘‘एक बात बताओ मां, डाक्टर साहब इतने अच्छे हैं क्या कभी आप दोनों ने शादी की बात नहीं सोची?’’ रोली ने मासूम सा सवाल किया.

अरुणा चुप रही. डाक्टर अमन भी चुप. फिर पता नहीं क्या सोच कर डाक्टर अमन ने पूरी सहीसही बात रोली के सामने रख दी. अंत में कहा, ‘‘मैं उसे समय बेरोजगार नहीं होता तो शादी हो चुकी होती. बाऊजी की जिद और मेरे बेरोजगार होने से हम ने अपने रास्ते अलग कर लिए,’’ अमन बोले. ‘‘ तो क्या हुआ रास्ते तो अभी भी साथ हो सकते हैं?’’ अब की बार मानस बोला. ‘‘नहींनहीं मैं मां को कहीं नहीं जाने दूंगी,’’ रोली ने अरुणा को कस कर पकड़ लिया. रोली हो सकता है तुम्हारी जिम्मेदारी और प्यार की जंजीरों ने अरुणा को बांध कर रखा हो,’’ मानस ने कहा, ‘‘इसलिए आंटी खुद के बारे में नहीं सोच पाती हों. इतनी भी बड़ी नहीं हुई है मां कि हंसनामुसकराना छोड़ दे.\ ‘‘मानस शायद तुम सही कह रहे हो,’’ डाक्टर अमन बोले, ‘‘जंजीरों को थोड़ा ढीला भी किया जा सकता है.’’ ‘‘मतलब?’’ अरुणा बोली, ‘‘शादी? पागल हुए हो तुम लोग.’’\ ‘‘नहीं अरुणा शादी की बात कहां हुई,’’ डाक्टर अमन बोले.

‘‘आप की पत्नी, बच्चे?’’ अरुणा बोली. ‘‘मैं ने शादी की ही नहीं न ही अब करूंगा,’’ डाक्टर अमन बोले.‘‘क्या?’’ अरुणा के चेहरे पर आश्चर्य था. ‘‘आश्चर्य की कोई बात नहीं है. जीवन में शादी के अलावा

दूसरे भी लक्ष्य हो सकते हैं,’’ अमन बोले, ‘‘क्या हम अच्छे दोस्त नहीं बन सकते?’’ कह डाक्टर अमन ने अरुणा को देखा. अरुणा के चेहरे पर खुशी शर्म की मिलीजुली छाया देख फिर रोली से बोली, ‘‘बेटा तुम्हारी जिम्मेदारी ने भी अरुणा को शायद जंजीरों से बांधा हुआ हो इसलिए हंसनाबोलना भूल गई हो. सब को थोड़ी स्पेस की जरूरत है.’’ रोली बोली, ‘‘मैं तो बहुत प्यार करती हूं मां से.’’

‘‘वह सही है लेकिन इस उम्र में सैक्स से ज्यादा एक साथी की जरूरत होती है जो बातें कर सके. दुनियाभर की, सुखदुख की… मु   झे विश्वास है शायद मैं खरा उतर सकूं.’’‘‘यह हुई न बात,’’ मानस मुसकराया फिर रोली को देख कर बोला, ‘‘अभी भी देर करोगी शादी में?’’

रोली शरमा कर अरुणा के गले लग गई. अरुणा के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई. रोली का जन्मदिन उस के जीवन में नया सवेरा ले कर आया.

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Best Family Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है, जो हर सुख-दुख में हमारा सपोर्ट सिस्टम साबित होता है. परिवार बिना किसी लालच और स्वार्थ के साथ हमारे साथ खड़ा होता है.  इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Family Story in Hindi. रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. इन Family Story से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Grihshobha की Best Family Story in Hindi.

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1. मेरे घर आई नन्ही परी: क्यों परेशान हो गई समीरा

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समीरा परी को गोद में लिए शून्य में ताक रही थी. उस की आंखों से आंसुओं की झमाझम बरसात हो रही थी. उसे सम नहीं आ रहा था कि क्यों उसे परी के लिए वह ममता महसूस नहीं हो रही हैं जैसे एक आम मां को होती है. समीरा को तो यह खुद को भी बताने में शर्म आ रही थी कि उसे परी से कोई लगाव महसूस नहीं होता. तभी परी ने अचानक रोना शुरू कर दीया.
 
समीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसे रोना क्यों आ रहा है. उसे लग रहा था कि जैसे उसे किसी ने बांध दीया हो. उस की पूरी जिंदगी अस्तव्यस्त सी हो गई थी. वह अपनेआप को ही नहीं पहचान पा रही थी.
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2. मैं चुप रहूंगी: विजय की असलियत जब उसकी पत्नी की सहेली को चली पता

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पिछले दिनों मैं दीदी के बेटे नीरज के मुंडन पर मुंबई गई थी. एक दोपहर दीदी मुझे बाजार ले गईं. वे मेरे लिए मेरी पसंद का तोहफा खरीदना चाहती थीं. कपड़ों के एक बड़े शोरूम से जैसे ही हम दोनों बाहर निकलीं, एक गाड़ी हमारे सामने आ कर रुकी. उस से उतरने वाला युवक कोई और नहीं, विजय ही था. मैं उसे देख कर पल भर को ठिठक गई. वह भी मुझे देख कर एकाएक चौंक गया. इस से पहले कि मैं उस के पास जाती या कुछ पूछती वह तुरंत गाड़ी में बैठा और मेरी आंखों से ओझल हो गया. वह पक्का विजय ही था, लेकिन मेरी जानकारी के हिसाब से तो वह इन दिनों अमेरिका में है. मुंबई आने से 2 दिन पहले ही तो मैं मीनाक्षी से मिली थी.
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3. स्वयंवर: मीता ने आखिर पति के रूप में किस को चुना

टेक्सटाइल डिजाइनर मीता रोज की तरह उस दिन भी शाम को अकेली अपने फ्लैट में लौटी, परंतु वह रोज जैसी नहीं थी. दोपहर भोजन के बाद से ही उस के भीतर एक कशमकश, एक उथलपुथल, एक अजीब सा द्वंद्व चल पड़ा था और उस द्वंद्व ने उस का पीछा अब तक नहीं छोड़ा था.
 
सुलभा ने दीपिका के बारे में अचानक यह घोषणा कर दी थी कि उस के मांबाप को बिना किसी परिश्रम और दानदहेज की शर्त के दीपिका के लिए अच्छाखासा चार्टर्ड अकाउंटैंट वर मिल गया है. दीपिका के तो मजे ही मजे हैं. 10 हजार रुपए वह कमाएगा और 4-5 हजार दीपिका, 15 हजार की आमदनी दिल्ली में पतिपत्नी के ऐशोआराम के लिए बहुत है.

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4.खोया हुआ सच: सीमा के दुख की क्या थी वजह

सीमा रसोई के दरवाजे से चिपकी खड़ी रही, लेकिन अपनेआप में खोए हुए उस के पति रमेश ने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. बाएं हाथ में फाइलें दबाए वह चुपचाप दरवाजा ठेल कर बाहर निकल गया और धीरेधीरे उस की आंखों से ओझल हो गया. सीमा के मुंह से एक निश्वास सा निकला, आज चौथा दिन था कि रमेश उस से एक शब्द भी नहीं बोला था. आखिर उपेक्षाभरी इस कड़वी जिंदगी के जहरीले घूंट वह कब तक पिएगी?

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5. अब तुम्हारी बारी

दीप्ति जल्दीजल्दी तैयार हो रही थी. उस ने अपने बेटे अनुज को भी फटाफट तैयार कर दिया. आज शनिवार था और अनुज को प्रदीप के घर छोड़ कर उसे औफिस भी जाना था. शनिवार और रविवार वह अनुज को प्रदीप के घर छोड़ कर आती है क्योंकि उस की छुट्टी होती है. प्रदीप की लिव इन पार्टनर यानी प्रिया भी उस दिन अपनी मां के यहां मेरठ गई हुई होती है. अगर वह कभीकभार घर में होती भी है तो अनुज के साथ ऐंजौय ही करती है.

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6.भटकाव के बाद: परिवार को चुनने की क्या थी मुकेश की वजह

 

संजीव का फोन आया था कि वह दिल्ली आया हुआ है और उस से मिलना चाहता है. मुकेश तब औफिस में था और उस ने कहा था कि वह औफिस ही आ जाए. साथसाथ चाय पीते हुए गप मारेंगे और पुरानी यादें ताजा करेंगे. संजीव और मुकेश बचपन के दोस्त थे, साथसाथ पढ़े थे. विश्वविद्यालय से निकलने के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए थे. मुकेश ने प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से केंद्र सरकार की नौकरी जौइन कर ली थी. प्रथम पदस्थापना दिल्ली में हुई थी और तब से वह दिल्ली के पथरीले जंगल में एक भटके हुए जानवर की तरह अपने परिवार के साथ जीवनयापन और 2 छोटे बच्चों को उचित शिक्षा दिलाने की जद्दोजहद से जूझ रहा था. संजीव के पिता मुंबई में रहते थे. शिक्षा पूरी कर के वह वहीं चला गया था और उन के कारोबार को संभाल लिया. आज वह करोड़ों में नहीं तो लाखों में अवश्य खेल रहा था. शादी संजीव ने भी कर ली थी, परंतु उस के जीवन में स्वच्छंदता थी, उच्छृंखलता थी और अब तो पता चला कि वह शराब का सेवन भी करने लगा था. इधरउधर मुंह मारने की आदत पहले से थी.

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7. विश्वासघात: जूही ने कैसे छीना नीता का पति

नीला आसमान अचानक ही स्याह हो चला था. बारिश की छोटीछोटी बूंदें अंबर से टपकने लगी थीं. तूफान जोरों पर था. दरवाजों के टकराने की आवाज सुन कर जूही बाहर आई. अंधेरा देख कर अतीत की स्मृतियां ताजा हो गईं…

कुछ ऐसा ही तूफानी मंजर था आज से 1 साल पहले का. उस दिन उस ने जीन्स पर टौप पहना था. अपने रेशमी केशों की पोनीटेल बनाई थी. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. उस ने आंखों पर सनग्लासेज चढ़ाए और ड्राइविंग सीट पर बैठ गई.

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8. नई कालोनी: जब महरी को दिखा तेंदुआ

आधुनिक स्कूलों की जाती एसी बसों में भारी बस्ते लिए बच्चे चढ़ रहे थे. उन की मौडर्न मांएं कैपरीटीशर्ट के ऊपर लिए दुपट्टे को संभालती हुई बायबाय कर रही थीं. कारें दफ्तरों, कारोबारों की तरफ रवाना हो रही थीं. पिछली सीट पर अपने सैलफोन में व्यस्त साहब लोग गार्ड्स के सलाम ठोकने को आंख उठा कर नहीं देखते. 11, 13 और 15 बरस की महरियां काम पर आ रही थीं और कालोनी के सुरक्षा गार्ड्स उन्हें छेड़ रहे थे.

पौश कालोनी के सामने हाईवे सड़क की झडि़यों पर फूल सी कोमल धूप खिल ही रही थी. उस में आज फिर धूल के तेज गुबार आआ कर मिल उठ गए थे. उस पार कलोनाइजर की मशीनी फौज उधर के बचे जंगल को मैदान में बदल रही थी. हाईवे सड़क के आरपार 2 ऊंचे बोर्ड थे. निर्माणाधीन नील जंगल सिटी, नवनिर्मित नील झरना सिटी.

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9.मुलाकात: क्या आरती को मिला मदन का प्यार

आरती ने जब कार से उतरने के लिए पैर बाहर निकाला तो अचानक पूरे बदन में सिहरन सी हुई. उसे लगा कि वापस चली जाए और दावत को टाल दे, मगर फिर उस ने दोबारा कुछ सोचा और कार लौक कर के फटाफट आयोजनस्थल की तरफ चल दी.
 
आरती को उस की एक परिचिता ने इस आयोजन का कार्ड दिया था. मगर अभीअभी उस की परिचिता ने फोन कर उसे बताया कि उसे अचानक शहर से बाहर जाना पड़ रहा है. मगर आरती तब तक तैयार हो कर घर से निकल चुकी थी. आयोजनस्थल में काफी रौनक थी.

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10. मेड इन हैवन: गरिमा के साथ कौन-सी घटना घटी

 
फाइनली गरिमा और हेमंत की शादी हो ही गई. दोनों हनीमून ट्रिप पर स्विट्जरलैंड में ऐश कर रहे हैं. उन के घर वालों का तो पता नहीं परंतु मैं बहुत ख़ुश हूं क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही गरिमा ने 2 मिनट के लिए स्विट्जरलैंड से बात की, ‘‘थैंक्स आंटी इतना अच्छा लाइफपार्टनर मिलवाने के लिए.’’
 
पीछे से हेमंत का भी स्वर उभरा, ‘‘डार्लिंग, मेरी तरफ से भी आंटी को थैंक्स बोल देना,’’ फिर दोनों की सम्मिलित हंसी का स्वर उभरा और फोन काट दिया गया.
 
गरिमा और हेमंत दोनों बहुत खुश लग रहे थे. मैं ने राहत की सांस ली क्योंकि दोनों को मिलवाने में मैं ने ही बीच की कड़ी का काम किया था. संयोगिक घटनाओं की विचित्रता को भला कौन सम?ा सकता है. मेरे मन में यादों की फाइल के पन्ने फड़फड़ाने लगे…

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बहकते कदम- क्या अनीश के चगुंल से निकल सकी प्रिया

‘देख प्रिया, तू ऐसावैसा कुछ करने की सोचना भी मत, अनीश अच्छा लड़का नहीं है, अभी भी समय है संभल जा.’ प्रज्ञा दीदी के शब्द मानो पटरी पर दौड़ती रेलगाड़ी का पीछा कर रहे थे. भय, आशंका, उत्तेजना के बीच हिचकोले लेता मन अतीत को कभी आगे तो कभी पीछे धकेल देता था. कुछ देर पहले रोमांचकारी सपनीले भविष्य में खोया मन जाने क्यों अज्ञात भय से घिर गया था. मम्मीपापा की लाडली बेटी और प्रज्ञा दीदी की चहेती बहन घर से भाग गई है, यह सब को धीरेधीरे पता चल ही जाएगा.

अलसुबह आंख खुलते ही मम्मी चाय का प्याला ले कर जगाने आ जाएगी, क्या पता रात को ही सब जान गए हों? कितना समझाया था प्रज्ञा दीदी ने कि इस उम्र में लिया गया एक भी गलत फैसला हमारे जीवन को बिखेर सकता है. जितना दीदी समझाने का प्रयास करतीं उतनी ही दृढ़ता से बिंदास प्रिया दो कदम अनीश की ओर बढ़ा देती.

‘‘प्रिया, अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे, ये प्यारव्यार के चक्कर में पड़ कर अपने भविष्य से मत खेल.’’

‘‘दीदी, अब तो अनीश ही मेरी जिंदगी है. मैं ने उसे दिल से चाहा है, वह जीवनभर मेरा साथ निभाएगा,’’ प्रिया के ये फिल्मी संवाद सुन प्रज्ञा अपना सिर पकड़ लेती.

‘‘क्या हम तुझे नहीं चाहते और अगर तुझे अपने प्यार पर इतना ही भरोसा है तो एक बार पापा से बात कर उसे सब से मिलवा तो सही.’’

एक अनजाने अविश्वास के तहत जाने क्यों प्रिया पापा से बात करने की हिम्मत न जुटा पाई. उस वक्त अनीश द्वारा घर से भाग कर शादी करने का रास्ता उसे रोमांच भरा दिखाई दिया.

अनीश के केयरिंग स्वभाव पर वह उस दिन फिदा हो गई, जब प्रज्ञा दीदी के जोर डालने पर उस ने अनीश को मम्मीपापा से मिलने को कहा, तो उस ने भावावेश में प्रिया को गले लगा लिया और कहा वह अपने प्यार को खोने का रिस्क नहीं उठा सकता है, बस, उसी रात गली के उस पार इंतजार करते अनीश के साथ वह आ गई, घर छोड़ कर आते समय प्रिया का मनोबल चरम पर था. रास्ते में अनीश ने बताया कि वे लोग बेंगलुरु जा रहे हैं, जहां वे कुछ दिन उस के एक दोस्त के घर पर ठहरेंगे और 7 महीने बाद प्रिया के बालिग होने पर शादी करेंगे.

रास्ते भर वह प्रिया को समझाता रहा कि इस दौरान उसे किसी से संपर्क नहीं रखना है, इस मामले में यहां का कानून बेहद सख्त है. विचारों में डूबतीउतराती प्रिया कब नींद के आगोश में चली गई उसे पता ही नहीं चला. अचानक एक स्टेशन पर गहमागहमी के बीच उस की नींद खुली, उस ने देखा तो अनीश अपनी सीट पर नहीं था. बिंदास और मजबूत इरादों वाली प्रिया का हलक सूख गया था. आवेग से उस की आंखें भर आईं, माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा आई थीं, अकेलेपन के एहसास ने उसे घेर लिया, तभी वह अपना मोबाइल खोजने लगी, पूरा पर्स खंगाल डाला पर कहीं मोबाइल नहीं दिखा.

‘‘आप मोबाइल तो नहीं ढूंढ़ रही हैं?’’ एक आवाज ने उसे चौंका दिया. सामने देखा तो एक युवती बैठी किताब पढ़ रही थी, ‘‘आप ने मुझ से कुछ कहा क्या?’’

‘‘मुझे लगा आप अपना मोबाइल ढूंढ़ रही हैं.’’

‘‘हां, आप ने देखा क्या?’’

प्रिया ने पूछा तो वह बोली, ‘‘तुम्हारे साथ जो लड़का है वह तुम्हारा भाई है क्या ?’’

उस का प्रश्न प्रिया को रुचिकर नहीं लगा. तभी उस युवती ने आगे खुलासा किया, ‘‘तुम्हारा मोबाइल तुम्हारे साथ जो लड़का था वह ले गया है.’’

कातर दृष्टि से इधरउधर देखती प्रिया को उस ने बताया कि वह दूसरे कंपार्टमेंट में बैठा ताश खेल रहा है. प्रिया यह सुन शर्म से गड़ गई. उसे अनीश पर बहुत गुस्सा आया.

‘‘कृपया आप मेरा सामान देखिएगा, मैं वाशरूम जा रही हूं,’’ प्रिया तेजी से निकली. तभी अंधेरे में किसी की आवाज पर उस के पांव वहीं ठिठक गए, दरवाजे के पास खड़ा अनीश मोबाइल पर किसी से कह रहा था, ‘‘बस, ऐसी ही बेवकूफ लड़कियों से तो रोजीरोटी चल रही है हमारी, उस का मोबाइल ले लिया है, 15-20 हजार का तो होगा ही. डर भी था कहीं घर वालों से संपर्क न कर बैठे, मैं बिना बात की मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता. अभी पूछा तो नहीं है, पर घर से कुछ न कुछ तो ले कर जरूर आई होगी, घर जो बसाना है मेरे साथ,’’ उस के ये शब्द ठहाकों के साथ हवा में तैर गए.

‘‘और हां सुन, तू सारा इंतजाम रखना, मेरी जिम्मेदारी केवल वहां तक छोड़ने की है आगे तू संभालना, बस, फिल्म मस्त बननी चाहिए.’’

इस वार्त्ता को सुन कर प्रिया का खून बर्फ की तरह जम चुका था, उस के पांव स्थिर न रह पाए. वह गिरने वाली थी कि किसी ने उसे संभाला, वह कैसे अपनी सीट तक आई उसे पता ही नहीं चला, दो घूंट पानी पीने के कुछ क्षण बाद उस ने आंखें खोलीं तो अपने कंपार्टमैंट में बैठी युवती का चिरपरिचित चेहरा दिखा.

‘‘तुम ठीक तो हो न?’’ उस ने जैसे ही पूछा प्रिया की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी, उस युवती ने अपने साथ आए शख्स को बाहर भेज दिया और कूपे को अंदर से बंद कर दिया.

‘‘क्या हुआ? साथ आया लड़का बौयफ्रैंड है न तुम्हारा?’’ उस युवती की बात सुन प्रिया फफक पड़ी.

‘‘देखो, वह लड़का ठीक नहीं है. यह शायद तुम्हें भी पता चल गया होगा. मैं जानती हूं कि तुम दोनों घर से भाग कर आए हो.’’

प्रिया ने आश्चर्य और शंकित नजरों से उसे देखा तो वह बोली, ‘‘मेरा नाम सरन्या है. तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो. वैसे तुम्हारे पास और कोई चारा भी नहीं है.’’ युवती की बातों में सचाई थी. वैसे भी अनीश का जो बीभत्स चेहरा वह अभीअभी देख कर आई थी, उसे देख कर तो उस की रूह कांप उठी थी.

‘‘देखो, जो गलत कदम तुम ने उठाया है, जिन कांटों में तुम उलझी हो उस से निकलने के लिए तुम्हें साहस जुटाना पड़ेगा.’’ सरन्या की बातों का प्रभाव प्रिया पर पड़ा. कुछ देर में ही वह संभल गई.

‘‘प्रिया नाम है न तुम्हारा? अपने पापा का नंबर दो मुझे.’’ उस ने अधिकार से कहा तो प्रिया ने पापा का नंबर बता दिया. वह युवती बात करने के लिए बाहर चली गई.

अब तक प्रिया स्थिति का सामना करने को तैयार हो गई थी. कुछ देर में वह वापस आई और बोली, ‘‘मैं ने तुम्हारे पापा से बात कर ली है, वह अगली फ्लाइट से बेंगलुरु पहुंच रहे हैं. अब तुम्हें क्या करना है यह ध्यान से सुनो.’’ वह प्रिया को कुछ बताते हुए अपने साथ आए युवक से बोली, ‘‘मैडम के साथ जो व्यक्ति आया है उसे बताओ कि ये उसे बुला रही हैं और हां, अर्जुन कुछ देर तुम बाहर ही रहना.’’

कुछ देर बाद ही अनीश आ गया तो प्रिया उस से शिकायती लहजे में बोली, ‘‘तुम कहां चले गए थे, अनीश? मैं कितना डर गई थी मालूम है तुम्हें.’’

अनीश उस की बात सुन कर तुरंत बोला, ‘‘मैं तुम्हें छोड़ कर भले कहां जाऊंगा.’’ प्रिया ने कूपे की लाइट जला दी. उसे कुछ देर पहले जिस अनीश की आंखों में प्यार का समुद्र नजर आ रहा था अब उन में मक्कारी दिखाई दे रही थी. अब वह अपनी खुली आंखों से देख रही थी कि किस तरह सतर्कतापूर्वक अनीश इधरउधर देख रहा था. तभी प्यार से प्रिया ने उस से कहा, ‘‘मैं तुम्हें एक खुशखबरी देना चाहती हूं.’’

‘‘क्या?’’ भौचक्का सा वह बोला तो प्रिया ने कहा, ‘‘जानते हो पापा हमारी शादी के लिए राजी हो गए हैं और वे भी बेंगलुरु पहुंच रहे हैं.’’ प्रिया के इस खुलासे से अनीश का तो रंग ही उड़ गया, वह अचानक बिफर गया, ‘‘बेवकूफ लड़की, मैं ने मना किया था कि कहीं फोन मत करना.’’

तभी मानो उसे कुछ याद आया हो, न चाहते हुए भी उस के मुंह से निकला, ‘‘तुम्हारा मोबाइल तो…’’ ‘‘मैं जानती हूं वह तो तुम्हारे पास है.’’ इस से पहले कि अनीश कुछ और पूछता प्रिया अपना आपा खो चुकी थी. उस का हाथ पूरे वेग से लहराया और अनीश के गाल पर तेज आवाज के साथ झन्नाटेदार चांटा पड़ा. क्रोध और अपमान से उस का बदन कांप रहा था. अनीश का सारा खून निचुड़ गया था. शोरशराबे की आवाज बाहर तक चली गई थी. लोगों ने अंदर झांकना शुरू कर दिया था. उतनी देर में टीटीई भी आ गया. उस ने पूछा कि क्या माजरा है? तो बड़े इत्मीनान से वह युवती उठ कर आई और बोली, ‘‘ये मेरी रिश्तेदार हैं, दरअसल यह हमारे साथ बैठा एक यात्री है. हमें लगता है कि इस ने हमारा मोबाइल चुराया है. आप पुलिस बुलाइए.’’ अनीश के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी थीं.

’’देखिए मैडम, यह फर्स्ट क्लास का डब्बा है, आप इस में बैठे यात्री पर इस तरह का इलजाम नहीं लगा सकतीं.’’ टीटीई के बोलने पर अर्जुन बोला, ‘‘मैं भी इन को यही समझा रहा हूं कि पुलिस के झंझट में पड़ने से पहले खुद तसल्ली कर लो,’’ इतना कहते ही उस ने अनीश की जेबें खंगालते हुए प्रिया का मोबाइल निकाल लिया. अनीश सकते में था, पासा यों पलट जाएगा, उस ने तो स्वप्न में भी नहीं सोचा था. तुरतफुरत रेलवे के 2 पुलिस कांस्टेबल आए तो उस युवती ने अपना पहचानपत्र दिखाया. ‘एसीपी सरन्या’ पढ़ कर दोनों ने उसे एक करारा सेल्यूट बजाया तो टीटीई सहित प्रिया भी अचंभे में पड़ गई. टीटीई हंस कर बोला, ‘‘क्या बेटा, चोरी भी की तो पुलिस वालों की?’’

एसीपी सरन्या ने अर्जुन से कहा, ‘‘इंस्पेक्टर अर्जुन, आप इस के साथ अगले स्टेशन पर उतर जाइए, मैं बताती हूं आप को आगे क्या करना है और हां, जरा इसे समझाना और खुद भी ध्यान रखना कि इस लड़की का नाम बीच में न आए, ’’ हंगामे के बीच अनीश को अगले स्टेशन पर उतार लिया गया.

ट्रेन में सवार यात्री इस पर अपनीअपनी टिप्पणी देने में मशगूल थे. प्रिया अपमान और शर्मिंदगी से भरी देर तक रोती रही. तभी सरन्या ने सांत्वनाभरा हाथ उस की पीठ पर फेरा, तो वह सरन्या के गले लग गई और बोली, ‘‘आप ने मुझे बचा लिया, आप का यह एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगी.’’

उस की बात पर सरन्या हंस पड़ी और बोली, ‘‘कैसे नहीं बचाती तुम्हें, यह तो वही बात हुई कि एक डाक्टर के सामने किसी ने खुदकुशी करने की कोशिश की. जान तो उस की बचनी ही थी, यह मेरी पहली नियुक्ति है आईपीएस औफिसर के रूप में, तुम ने तो मुझे शुरू में ही इतना बड़ा केस दिला दिया है. मैं तो तुम्हें देख कर ही समझ गई थी कि तुम घर से भाग कर आई हो. ट्रेन में चढ़ते वक्त तो तुम किसी दूसरी ही दुनिया में थीं. किसी और का तुम्हें होश ही कहां था, अलबत्ता वह लड़का जरूरत से ज्यादा सतर्क था.’’

‘‘दूसरों को औब्जर्व करना मेरी हौबी है, उसे देख कर ही मैं समझ गई थी कि वह लड़का ठीक नहीं है. जब मैं ने चुपके से उसे तुम्हारे पर्स से मोबाइल निकालते और पैसे चेक करते देखा तो मुझे बड़ा अजीब लगा. जब वह बाहर गया तो मैं ने अर्जुन से बात कर के उस  पर नजर रखने को कहा, इसीलिए जब तुम वाशरूम गईर् तो तुम्हारे पीछेपीछे मैं भी आई थी. मुझे पता था कि कहीं कुछ गड़बड़ है, पर मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि तुम्हारे जैसी पढ़ीलिखी लड़की आज के जमाने में ऐसी मूर्खता कैसे कर सकती है.

‘‘जरा सोचो, अगर वह अपनी योजना में कामयाब हो जाता तो क्या होता. तुम ठीक समय पर संभल गई अन्यथा उस दलदल में फंसने के बाद जिंदगी दूभर हो जाती.

प्रिया सब सोच कर एकबारगी फिर से सिहर उठी. ‘‘मैं अब घर जा कर सब से नजरें कैसे मिलाऊंगी,’’ कुछ खोई हुई सी वह बोली.

‘‘देखो प्रिया, सवाल यह नहीं है कि तुम सब से कैसे नजरें मिलाओगी, यह सोचो कि तुम अपने वजूद से कैसे नजरें मिलाओगी जिसे तुम ने इतने बड़े जोखिम में यों ही डाल दिया, खुद से नजरें मिलाने के लिए तो तुम्हें अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ेगा, तुम्हारा कर्म ही तुम्हारी अग्नि परीक्षा होगी. अब यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम किस तरह से खुद को और अपने भविष्य को संवार कर अपने परिवार के सदस्यों को यह खुशी दो जिस से तुम्हारा यह सफर न तुम्हें और न कभी तुम्हारे परिवार को याद आए.’’

सरन्या की बातों का असर प्रिया की चुप्पी में दिखा, मन ही मन वह आत्ममंथन करती रही. मानसिक रूप से थकी प्रिया कब सो गई पता ही नहीं चला, किसी के स्नेह भरे स्पर्श से आंखें खुलीं, सामने पापा को देख वह छोटी बच्ची की तरह उन से लिपटी, साथ आई प्रज्ञा भी रो पड़ी.

‘‘आप का यह एहसान हम कैसे चुका पाएंगे,’’ पापा सरन्या से बोल रहे थे.

‘‘पापा, आप मुझे कभी माफ कर पाएंगे क्या?’’

उन दोनों की बात सुन कर सरन्या ने प्रिया के पापा से कहा, ‘‘अगर आप वाकई एहसान उतारना चाहते हैं तो मुझ से वादा कीजिए कि आप अपनी बेटी पर भरोसा कायम रखते हुए इस की उड़ान को पंख देंगे, इस सफर को भूलते हुए, आगे की जिंदगी में इस का साथ देंगे, न कि इस सफर का बारबार उल्लेख कर इस की आगे की जिंदगी को दूभर बनाएंगे.’’

‘‘मैं वादा करता हूं कि प्रिया की आज की भूल का जिक्र कर के हम इस के मनोबल को नहीं गिरने देंगे, आज के बाद हम में से कोई भी प्रिया से इस बारे में कोई बात नहीं करेगा.’’

‘‘पापा, आप की बेटी आप का सिर कभी झुकने नहीं देगी, मैं भी सरन्या दीदी जैसा बन कर दिखाऊंगी.’’ सरन्या के व्यक्त्तित्व के प्रभाव से प्रभावित प्रिया पापा का साथ पा कर पूरे आत्मविश्वास से बोली, तो पापा और प्रज्ञा ने उसे प्यार से थाम लिया. सरन्या समझ गई कि अब सही माने में प्रिया भंवर से बाहर निकल चुकी है. उस के होंठों पर तसल्ली भरी स्मितरेखा थी.

– मीनू त्रिपाठी

पंजाबी क्वीन हिमांशी खुराना का सूट फैशन करें ट्राय

पंजाबी गानों से फैंस का दिल जीत चुकीं एक्ट्रेस हिमांशी खुराना इन दिनों कलर्स के रियलिटी शो में नजर आ रही हैं. शो में हिमांशी को लेकर कईं खुलासे और लड़ाइयां होती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. पंजाबी गानों में अपने लुक और एक्टिंग से फैंस का दिल जीत चुकीं हिमांशी का फैशन भी फैंस को काफी पसंद आता है. आज हम हिमांशी के फैशन की बात करेंगे. हिमांशी अक्सर पंजाबी लुक यानी सूट के नए-नए फैशन में नजर आती हैं. इसीलिए आज हम आपको हिमांशी के कुछ सूट लुक बताएंगे, जिसे आप वेडिंग सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

1. मल्टी कलर सूट है परफेक्ट

अगर आप किसी फंक्शन में कुछ नया ट्राय करने का सोच रहे हैं तो हिमांशी खुराना का मल्टी कलर दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. मल्टी कलर सलवार के साथ मल्टी कलर दुपट्टा और ग्रीन कलर के कौम्बिनेशन वाला सूट आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

2. शरारा लुक है परफेक्ट

 

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आजकल शरारा लुक काफी पौपुलर है. शरारा के साथ सूट ग्रीन सूट और दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट लुक है ये आपके लुक पर चार चांद लगा देगा. आप इसके साथ गोल्डन इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं ये आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

3. वेडिंग फंक्शन के लिए परफेक्ट है ये सूट

 

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अगर आप वेडिंग फंक्शन में कोई सूट ट्राय करने का सोच रहे हैं तो आप हिमांशी खुराना का यैलो कलर के सूट के साथ पर्पल कलर का ये दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट है. इसके साथ आप यैलो कलर के कौम्बिनेशन वाले इयरिंग्स ट्राय कर सकते हैं.

4. पिंक कलर है हमेशा परफेक्ट 

 

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पिंक कलर चाहे कोई भी पहने और किसी भी फंक्शन में पहने तो वह खूबसूरत लगेगा. पिंक कलर के एम्ब्रायडरी वाले सूट के साथ लूज पैंट ट्राय कर सकते हैं. इसके दुपट्टा अगर सूट हल्का है तो हैवी रखें.

5. अनारकली सूट करें ट्राय

वेडिंग में अक्सर अनारकली सूट देखने को मिलते हैं अगर आप भी वेडिंग फंक्शन में अनारकली सूट ट्राय करना चाहते हैं तो हिमांशी का डार्क स्काई ब्लू कलर का सूट ट्राय करना न भूलें. ये आपके लिए परफेक्ट लुक रहेगा.

19 दिन 19 टिप्स: हर ओकेजन के लिए परफेक्ट हैं ‘नायरा’ के ये खूबसूरत लहंगे

फेस्टिवल में नए-नए लहंगे ट्राय करना सभी को पसंद आता है. अगर आप भी इस जन्माष्टमी कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो टीवी की स्टाइलिश बहुओं में से एक नायरा यानी शिवांगी जोशी के ये लहंगे एकदम परफेक्ट हैं. नायरा और कार्तिक की जोड़ी को फैन्स फौलो करना पसंद करता है. शिवांगी जितना अपनी एक्टिंग और कैरेक्टर के लिए फेमस है उतना ही वह अपने इंडियन लुक और स्टाइलिश के लिए भी फेमस है. इसीलिए आज हम आपको नायरा यानी शिवांगी के कुछ इंडियन लुक्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकतीं हैं.

1. नायरा का मिरर लहंगा करें ट्राई

 

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अगर आप भी मिरर लुक ट्राय करना चाहती हैं तो आप नायरा का डार्क ब्लू सिंपल औफ स्लीव ब्लाउज के साथ डार्क ब्लू कलर के मिरर कौम्बिनेशन में ट्राई कर सकती हैं.

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2. मौनसून वेडिंग के लिए ट्राय करें नायरा की ये ड्रेस

मौनसून में ज्यादातर लोग लाइट कलर के कपड़ें लेकिन ट्रैंडी कपड़े पहनना पसंद करते हैं. अगर आप भी किसी फेस्टिवल में जा रहे हैं तो नायरा की ये लाइट स्काई ब्लू लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. ये आपको कम्फर्ट के साथ-साथ स्टाइलिश लुक भी देगा.

3. नायरा का स्काई ब्लू और पिंक कौम्बिनेशन है बेस्ट

 

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अगर आप लाइट पिंक के साथ  कोई और कलर का कौम्बिनेशन बनाना चाहते हैं तो नायरा का ये स्काई ब्लू और पिंक कौम्बिनेशन का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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4. नायरा का फ्लौवर प्रिंट कौम्बिनेशन करें ट्राई

 

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फ्लौवर प्रिंट कपड़ें आजकल मार्केट में काफी पौपुलर है. आप चाहें तो नायरा की तरह ब्राउन कलर के लहंगे के कौम्बिनेशन को किसी भी शादी में ट्राय कर सकती हैं.

5.  हर शादी के लिए परफेक्ट है ब्लैक

 

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आजकल ब्लैक कलर काफी ट्रांड में है. ब्लैक कलर आपको भीड़ में भी अलग दिखाता है. नायरा का ये ब्लैक आउटफिट आपके लुक को स्टाइलिश और ट्रैंडी बनाएगा.

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बता दें, इन दिनों अपने सीरियल ये रिश्ता कहलाता है में नायरा काफी स्टाइलिश लुक में नजर आ रहीं हैं. जिसके चलते उनके फैन्स उनकी काफी तारिफें कर रहें हैं.

19 दिन 19 टिप्स: ड्राय बालों के लिए घर में ऐसे बनाएं कंडीशनर

बाजार में आज कई तरह के कंडीशनर मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने बालों को धोने से पहले इस्तेमाल करने के लिए छोड़ सकते हैं. इन में लीव-इन-कंडीशनर और रात भर डीप कंडीशनिंग ट्रीटमेंट भी उपलब्ध हैं. ये कंडीशनर बहुत अच्छा काम करते है पर अकसर  जेब पर भारी पड़ जाते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप घर पर ही अपने बालों के लिए कंडीशनर बना सकते हैं. न केवल इन्हे बनाना सुपर आसान हैं बल्कि ये आप के घर में उपलब्ध चीज़ों से ही सस्ते में बन जाएंगे. साथ ही साथ इन में किसी रसायन का इस्तेमाल न होने से बालों के लिए भी सुरक्षित रहेंगे. हेयर एक्सपर्ट व हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डौ. अरविन्द पोसवाल बताते हैं कि कैसे घर पर बने कंडीशनर आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं :

  1. दही, हनी और नारियल के तेल का पेस्ट करें तैयार

ये सभी तत्व ड्राई बालों के लिए बहुत लाभकारी होते हैं क्योंकि वे नमी को बहाल करते हुए आप के बालों को हाइड्रेट करने में मदद करते हैं. यह फ्रिजी हेयर से बहुत अच्छी तरह से निपटते है और आपके बालों को मुलायम और चमकदार बनाए रखते है. दही और हनी का मिश्रण आप के बालों को एक दम अच्छे से कंडीशन और मौइस्चराइज करेगा और दूसरी ओर नारियल का तेल आप के बालों को डीप कंडीशनिंग के साथ पर्याप्त पोषण  पहुंचाएगा.

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ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरे में दही, हनी और नारियल के तेल को मिला कर कंडीशनर तैयार कर लें. फिर अपने बालों को शैम्पू और गर्म पानी से धोएं. अपने बालों में से पानी को निचोड़ें और इस कंडीशनर को बालों में लगाएं.  15 मिनट बाद  इसे ठंडे या गुनगुने पानी से धो लें.

  1. अंडा है बेस्ट कंडिशनर

अंडे में बहुत सारे प्रोटीन, मिनरल्स और बी-कौम्प्लेक्स विटामिन के साथ पावर-पैक होते हैं जो बालों के लिए आवश्यक  हैं. ये पोषक तत्व विशेष रूप से बायोटिन और अन्य बी-कौम्प्लेक्स विटामिन आप के बालों की जड़ों को मजबूत कर के बालों के झड़ने से रोकने में मदद करते हैं.  बालों को घना करने और ड्राइनेस खत्म करने में भी मदद करेगा.

ऐसे करें इस्तेमाल

अंडों को अच्छे से फेंट लें और बालों को धोने के बाद फेंटें हुए अण्डों को अपने बालों पे लगाएं . कम से कम 20 मिनट तक इसे अपने बालों पर  लगा रहने दे और फिर इसे पानी से धो लें .

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  1. एलोवेरा और नींबू का करें इस्तेमाल

एलोवेरा में बालों को मजबूत, लम्बे, घने और ख़ूबसूरत बनाने के बहुत सारे गुण होते हैं. एलोवेरा बालों को मजबूत करता है और उनमें शाइन भी प्रदान करता है. साथ ही साथ यह डैंड्रफ को भी दूर करता है और बालों के ऊपर एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो बालों को धूल, मिटटी और प्रदूषण से भी बचाता है. एलोवेरा का नींबू के साथ मिश्रण हर तरह के इन्फेक्शन्स  दूर कर बालों को हेल्दी बनाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरे में एलोवेरा और नींबू मिला कर रख दें. अपने बालों को शैम्पू से अच्छी तरह धोएं और फिर इस कंडीशनर का इस्तेमाल करें. फिर 5 मिनट के बाद इसे ठंडा या गुनगुने पानी से धो लें.

  1. नारियल के तेल और प्याज के रस का बनाएं पेस्ट

नारियल का तेल स्कैल्प में अच्छी तरह से समा जाता है जिससे स्कैल्प तो हेल्दी होता ही है साथ ही बालों को भरपूर पोषण भी मिलता है. इससे बाल मजबूत बनाते है. साथ ही नारियल का तेल बालों को मुलायम बनाने के साथ चमक भी प्रदान करता है और डैंड्रफ व ड्राइनेस जैसी प्रौब्लमस के खिलाफ लड़ता है. यह बालों के टूटने और दो मुहें होने से रोकता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

एक मिक्सर में नारियल के तेल और प्याज के रस को मिलाएं और मिश्रण सा बना लें. आप इस में निम्बू के रस को भी शामिल कर सकते हैं. इस मिश्रण को अपने स्कैल्प में लगाकर इसे 20 से 25 मिनट तक लगा छोड़ दें. बाद में अच्छी तरह से धो लें.

  1. दूध, बादाम का तेल और गुलाब जल

गुलाब जल बालों के रोमों को मौइस्चराइज करता है. यह बालों की जड़ों को पोषण और मजबूती देता है जो साथ ही बालों के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देता है. बादाम का तेल बालों के झड़ने को रोकता है और इस के साथ गुलाब जल प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ बालों की संख्या बढ़ा कर बालों की गुणवत्ता में सुधार करता है. इन तीनों नेचुरल प्रौडक्ट्स का पेस्ट आपके बालों के लिए बहुत बेहतर साबित हो सकता है.

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ऐसे करें इस्तेमाल

दूध, बादाम का तेल और गुलाब जल को एक कटोरे में मिलाएं और बालों को धोने के बाद उस पर लगाएं . इसे कम से कम 20 मिनट के लिए बालों पर लगा छोड़ दें . बाद में इसे हलके गर्म पानी से धो लें .

प्रोफेशनल टिप्स का भी करें इस्तेमाल

इन नेचुरल कंडीशनर्स के इस्तेमाल के बाद आप अपने बालों पर कम-से-कम हीट जनरेटिंग उत्पादों का इस्तेमाल करें. इन कंडीशनर्स का नियमित इस्तेमाल आप के बालों को स्वस्थ, घना, लंबा और चमकदार खूबसूरत बनाएगा.

19 दिन 19 टिप्स: 59 की उम्र में भी इतनी बोल्ड हैं आयुष्मान की ‘मम्मी’

फिल्म बधाई हो में आयुष्मान खुराना की मां का रोल निभाने वाली 59 साल की बौलीवुड एक्ट्रैस नीना गुप्ता पर्सनल लाइफ में मां होते हुए भी स्टाइल में पीछे नहीं है. नीना जितनी अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं उतना ही अपने बोल्ड फैशन के लिए भी जानी जाती हैं. नीना अपने फैशन से यंग एक्ट्रेसेस को भी पीछे छोड़ रही हैं. जहां उम्र बढ़ते ही हम फैशन करना छोड़ देते हैं, वहीं नीना अपने फैशन को लेकर सुर्खियों में बनी रहती हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके कुछ खास लुक जिसे आप भी चाहें तो कौपी कर सकती हैं.

1. समर में beach के लिए परफेक्ट है नीना का ये लुक

 

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Missing Goa #flashbackmonday

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समर में अगर आप beach में घूमने जा रहे हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. डैनिम शौर्ट्स के साथ फ्लोरल टौप आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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2. पार्टी के लिए नीना का ये लुक करें ट्राई

 

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Glamorous banne ki koshish jari hai.. Wearing these lovely earrings and choker from the #MasabaxTribe collection!

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अगर आप समर में किसी पार्टी का हिस्सा बनने जा रही हैं तो नीना का ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. वाइट कलर जितना आपको ठंडक देगा वहीं ये लुक सेक्सी भी दिखाएगा.

3. नीना शर्ट लुक जरूर करें ट्राई

 

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London mood

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अगर आप भी अपने आप को कूल और सिंपल लुक देना चाहती हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ग्रे शर्ट के साथ वाइट शूज आपके लुक को समर में ठंडक देगा.

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4. ट्राउजर और टीशर्ट का ये लुक करें ट्राई

 

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Chef has promised khichdi Waiting

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अगर आप कही सिंपल लेकिन सेक्सी दिखना चाहती हैं तो नीना गुप्ता को ये ग्रीन आउटफिट आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ये आपको कम्फरटेबल के साथ-साथ ट्रैंडी भी दिखाएगा.

5. डैनिम लुक करें टाई

 

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Happy to go home

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अगर आप को भी डैनिम का शौक है तो नीना गुप्ता का ये डैनिम लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल डैनिम जैकेट के साथ रिप्ड जींस आपके लुक को कम्प्लीट बनाएगा.

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बता दें, एक्ट्रेस नीना गुप्ता बौलीवुड ही नही टेलीविजन के कई सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. जिसमें वह मां के लुक में अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ चुकी हैं.

19 दिन 19 टिप्स: मेकअप हाइलाइटर का है जमाना

गरमी के मौसम में ज्यादा मेकअप करना यानी मेकअप को पसीने में बहाना है. ग्लोइंग स्किन के लिए महिलाएं न जाने कितने जतन करती हैं. कभी घरेलू नुस्खें तो कभी तरह-तरह के ब्यूटी प्रौडक्ट का इस्तेमाल, लेकिन गरमी में काम की व्यस्तता और भागदौड़ के कारण चेहरे का ग्लो फीका पड़ जाता है. ऐसे में इस्टेंट ग्लो के लिए आप हाइलाइटर का इस्तेमाल कर सकती हैं.

 कैसे करें हाइलाइटर का इस्तेमाल

हाईलाइटर मेकअप का एक बेहद जरूरी हिस्सा होता है. यह आपके चेहरे को खूबसूरत व चमकदार के साथ-साथ चेहरे के जरूरी हिस्सों को हाइलाइट भी करता है. हाइलाइटर इस्तेमाल करने से पहले मौइश्चराइजर का इस्तेमाल जरूर करें. चेहरे पर नमी रहने से हाइलाइटर का ग्लो निखर कर आता है. अगर आप बिलकुल सिंपल लुक चाहती हैं तो मौइश्चराइजर के बाद बीबी क्रीम का इस्तेमाल करें और अपने चीकबोन पर फेन ब्रश के मदद से हाइलाइटर लगाएं.

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हाइलाइटर को सिर्फ चीकबोन पर ही नहीं बल्कि चेहरे के हर उन हिस्सों पर लगाया जा सकता है, जहां सूरज की किरणें पड़ती हैं. जैसे- चीकबोन्स, आइब्रो ब्रोन्स, नाक की टिप,होंठों के ऊपर. यदि हाइलाइटर का प्रयोग सही तरीके से किया जाए तो यह आपके चेहरे को बहुत आट्रेक्टिव बना देता है. लेकिन इसका प्रयोग करते वक्त सावधानी बरतना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर यह थोड़ा भी ज्यादा लग गया तो आपका चेहरा एक चमचमाता हुआ बल्ब दिखने लगेगा. हाईलाइटर कई प्रकार के होते हैं. आप आपने स्किन के अनुसार इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.

 जब मेकअप हो हाई

गरमी के मौसम में शादी-विवाह जैसे फंकशन में तो अधिकतर महिलाओं के चेहरे पर उदासी छाई रहती है. ऐसे मौके पर खुद को सुंदर दिखाना हर महिला की इच्छा होती है. लेकिन अधिक गरमी के कारण मेकअप खराब न हो जाए यह सोच कर महिलाएं परेशान रहती हैं.

ऐसे में शादी-विवाह में वाटरप्रूफ मेकअप का इस्तेमाल करें. मैट फाउंडेशन और कौम्पैक्ट पाउडर का यूज करें. चेहरे पर ग्लो और चमक लाने के लिए हाईलाइटर और हल्का ब्लशर लगा लें.

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यदि आपका चेहरा ड्राई है तो आप लिक्विड फाउंडेशन में हल्का लिक्विड हाइलाइटर को मिलकर चेहरे पर लगा लें. आंखों के लिए मसकारा का इस्तेमाल करें. लिप्स पर हल्का हाइलाइटर लगाने के बाद लिपस्टिक लगाएं. मेकअप फिनिश करने बाद चेहरे पर मेकअप सेटिंग स्प्रे का इस्तेमाल करना न भूलें. इससे आपका मेकअप फैलेगा नहीं. इस लुक में आपका चेहरा बहुत नैचुरल और ग्लोइंग नजर आएगा.

हाइलाइटर के अनेक रूप

हाइलाइटर के कई प्रकार होते हैं- जैसे औयली स्किन वालों को हमेशा पाउडर हाईलाइटर का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि आपकी स्किन ड्राइ है तो क्रीम बेस्ड हाइलाइटर का ही इस्तेमाल करें. यह आपकी रूखी त्वचा को मौइश्चराइज भी करता है.

याद रहे जब भी कोई भी ब्यूटि प्रौडक्ट खरीदें अपने स्किन टोन को ध्यान में रख कर हाईलाइटर भी स्किन टोन के अनुसार ही खरीदें. फेयर स्किन के लिए पर्ली, शैमपेन शीन हाईलाइटर का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि आपकी स्किन टोन मीडियम या टैंड लुक वाली है तो आप गोल्ड ब्रोंज, पीच, महरून या सैंड शेड वाला हाइलाइटर लगाएं.

अगर आप दिन में हाइलाइटर का इस्तेमाल कर रही हैं तो बिना शिमर वाले हाईलाइटर का इस्तेमाल करें. शिमर आपके चेहरे को और ज्यादा हाइलाइट करता है जो दिन में बिलकुल अच्छा लुक नहीं देता. रात को आप शिमर हाइलाइटर का इस्तेमाल कर सकती हैं. कम रोशनी में यह आपके चेहरे को पर्फेक्ट लुक देता है.

 हाइलाइटर ब्रश

हाइलाइटर इस्तेमाल करते वक्त सही ब्रश का यूज करना बहुत जरूरी है. इस से हाईलाइटर सही मात्रा में लग पाता है. यदि आप गालों और ललाट पर हाइलाइटर का इस्तेमाल करना

चाहती हैं तो बफिंग ब्रश का इस्तेमाल करें. चिकबोन्स के लिए फेन ब्रश, ब्रो ब्रोन और ब्रोन बोन के ऊपरी हिस्से के लिए फ्लैट ब्रश का इस्तेमाल करें.

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बौडी का गलो

हाइलाइटर सिर्फ चेहरे पर ही नहीं बल्कि बौडी के कई हिस्सों को हाइलाइट करने के लिए लगाया जाता है. अगर आपको अपनी टांगों को और खूबसूरत दिखाना हैं तो आप थाईबोन पर हाइलाइटर का प्रयोग करें. अगर आपने कोई ऐसी ड्रेस पहनी हैं जिस में आपकी कोलरबोन्स नजर आ रही है तो आप इसे हाइलाइटर कर इस्तेमाल से और निखार सकती हैं.

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