Bigg Boss 15: Pratik ने दी Umar को ऐसी गाली, घर में हुआ घमासान

कलर्स का रियलिटी शो बिग बौस 15 (Bigg Boss 15) में इन दिनों काफी कुछ देखने को मिल रहा है. जहां मीडिया के आने के बाद तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच बहस देखने को मिली तो वहीं अब उमर रियाज और प्रतीक की घमासान लड़ाई देखने को मिलने वाली है. आइए आपको दिखाते हैं शो के नए प्रोमो की झलक…

उमर को आया गुस्सा

 

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इन दिनों शो में नई पहचान बना रहे बिग बॉस 13 के फर्स्ट रनरअप रहे असिम रियाज (Asim Riaz) के भाई उमर रियाज (Umar Riaz) सोशलमीडिया पर सुर्खियों में हैं. फैंस उनकी खूब तारीफें कर रहे हैं. वहीं हाल ही में उमर रियाज का गुस्सा देखने को मिल रहा है. दरअसल, उमर रियाज और प्रतीक सहजपाल के बीच तगड़ी लड़ाई हुई, जिसमें प्रतिक सहजपाल ने उमर रियाज की बहन तक को गाली दे दी. इसी कारण उमर रियाज का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने प्रतीक को धमकी देते हुए कहा कि अपनी लिमिट में रहो.

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प्रतीक को कही ये बात

 

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प्रोमो में लड़ाई के दौरान उमर ने प्रतीक को याद दिलाते हुए कहा कि ‘औकत में रह. तेरे लिए अगर मां बड़ी है तो मेरे लिए मेरी बहन भी बहुत बड़ी है. तू ये नहीं बोल सकता. अपनी लिमिट क्रॉस मत कर. मेरे साथ ये सब करने की जरूरत नहीं है.’

 

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#tejran के बीच हुई बहस

 

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मीडिया के जाने के बाद तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच बहस होने के बाद दोनों एक दूसरे से दूर होने की बातें करते नजर आए. हालांकि आखिर में दोनों एक दूसरे के करीब भी नजर आए.

बता दें, शो में जल्द तीन वाइल्ड कार्ड की एंट्री होने वाली है, जिनके आने से शो में कई नए ट्विस्ट देखने को मिलेंगे. वहीं इससे पहले ही सिंबा नागपाल शो से अलविदा हो चुके हैं.

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सिंगल मदर बनने को लेकर क्या कहती है ‘Sasural Genda Phool 2’ की एक्ट्रेस श्रुति पंवार, पढ़ें इंटरव्यू

22 साल की कैरियर में अपनी पहचान बना चुकी अभिनेत्री श्रुति पंवार देहरादून की है, उसे बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, जिसमें उनके पेरेंट्स ने साथ दिया है. वह नेशनल लेवल की बास्केट बॉल प्लेयर भी रह चुकी है. आज भी उसे क्रिकेट और फुटबाल गेम बहुत पसंद है. उन्होंने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ से अपनी कैरियर की शुरुआत की थी. इसके बाद कई फिल्में और टीवी धारावाहिकों में काम किया है. उनकी सबसे प्रसिद्ध टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल, रिश्ते, आज के श्रीमान श्रीमती आदि है.

उन्होंने बहुत कम उम्र में आलोक उल्फत से शादी की और एक बेटे की माँ बनी. साल 2017 में उन्होंने डिवोर्स लिया. अभी वह सिंगल पैरेंट है और मुंबई में अपने 14 साल के बेटे ओजस्या उल्फत के साथ रहती है. उनका बेटा भी स्कूल के नाटकों में अभिनय करता है, परन्तु उसे फुटबाल खिलाडी बनने की इच्छा है. फिल्म सूर्यवंशी में माँ की भूमिका निभाने के बाद श्रुति टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल 2’ की शूटिंग में व्यस्त है, क्योंकि ये 11 साल बाद फिर से आई है. श्रुति से खास गृहशोभा के लिए टेलीफोनिक बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – सूर्यवंशी  में आपकी भूमिका कितनी चुनौतीपूर्ण रही?

जवाब – इसमें अधिक चुनौती नहीं थी, क्योंकि एक बार टीवी पर माँ की भूमिका निभा लेने के बाद हर कोई एक्ट्रेस मंझे हुए कलाकार की तरह हो जाते है. टेलीविज़न में माँ की भूमिका ममतापूर्ण और भावनात्मक होता है. बच्चों के प्रति अपनी संवेदना को जाहिर करने के लिए भरपूर समय मिलता है. इसलिए मुश्किल नहीं था, लेकिन उसमें दिखाए गए बच्चे मेरी उम्र के है, पर मैंने अभिनय किया , क्योंकि मैंने खुद को किसी भी भूमिका के लिए सिमित नहीं रखी है, क्योंकि मैं एक कलाकार हूं और कलाकार के साथ वर्सेटाइल शब्द जुड़ा हुआ रहता है. आप किसी भी उम्र के हो, पर आपकी सोच उस उम्र की भूमिका निभाने में सहायक होती है. मैं उसी सोच की हूं और किसी उम्र के लिए एक्टिंग करना मेरे लिए चुनौती होती है. इसमें वह चरित्र मेरे लिए आकर्षक और ग्रो करने के लिए कुछ हो, तभी मैं हाँ कहती हूं.

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सवाल – हिमाचल या उत्तराखंड से बहुत सारे कलाकारों का इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आना महज एक इत्तफाक है या वहां के लोग कला प्रेमी है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – मैंने भी इस बात का अनुभव किया है, जब मैं साल 1996 – 97 के दौरान इंडस्ट्री में आई थी, तब इतने लोग इंडस्ट्री में नहीं थे,गिनचुनकर उनका नाम लिया जा सकता था, जिसमें हिमानी शिवपुरी और अर्चना पूरन सिंह थे और इन दोनों ने देहरादून से आकर अपना नाम बना लिया था. अब काफी लोग आ चुके है, ऐसा लगता है कि मानों कलाकारों को यहाँ एक एक्सपोजर अपनी कला को दिखाने का मिल गया है. असल में अगर कोई व्यक्ति मुंबई आकर सफल होता है, तो कला प्रेमी उसे देखकर प्रेरित होकर मुंबई जाना चाहते है. उत्तराखंड में रंगमंच बहुत होता है और वहां की संस्कृति और प्रकृति बहुत सुंदर है. वहां के लोगों में भरपूर कला है और वे मुंबई आ भी चुके है, खासकर गढ़वाल, देहरादून और हिमाचल से आधिकतर वे आते है.

सवाल – अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मैंने स्कूल और कालेज से ही अभिनय शुरू किया है. तब उत्तराखंड नहीं बना था और मैं देहरादून की हूं, ये छोटा सा शहर है,मेरे समय में छोटे-छोटे फैशन शो हुआ करते थे और मैंने उसमें भाग लेना शुरू कर दिया था. साथ में रंगमंच पर भी अभिनय करने लगी थी. मुंबई आने की वजह मेरी छोटी उम्र में आलोक उल्फत से शादी कर लेना है. अभी वे मेरे एक्स हस्बैंड है. उस समय वे एनएसडी में पढाते थे और मैंने उनके साथ ही रंगमंच शुरू किया था. फिर हम दोनों मुंबई घूमने आये और अर्चना पूरन सिंह से मेरे पति की जान-पहचान थी. अर्चना से मिलने पर उन्होंने ने ही मुझे अभिनय करने की सलाह दी, क्योंकि उन्होंने मेरी किसी नाटक को देहरादून में देखी थी. मैंने अभिनय के लिए ऑडिशन दिया और एक होम टीवी में काम मिला. इसके बाद जो भी मौके मुझे मिलते गए, मैं काम करती गयी. इस तरह से मेरा काम कभी रुका नहीं. मुझे परदे और कैमरे के सामने रहना बहुत अच्छा लगता है. मैं आज भी खुद को एक छात्र समझती हूं, जिसे हर दिन कुछ नया सीखना है. स्कूल में रहने के दौरान मेरी नानी मुझे नौटंकी करने वाली और ड्रामेबाज लड़की कहती थी,जिसे एक्टिंग के क्षेत्र में जाना चाहिए और वही हुआ भी.

सवाल –इतने सालों में इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती है?

जवाब – काफी दिनों के बाद किसी भी बदलाव को मैं स्वागत करती हूं और कोई भी चीज सालों तक एक जैसी नहीं रहती, क्योंकि इससे लोग ऊब जाते है. किसी बदलाव में सही और गलत दोनों ही रहता है. आज कोरोना की वजह से ओटीटी का स्तर काफी ऊपर हो गया है, लोग आजकल इसे ही देख रहे है. मैं जब आई थी, सिर्फ जी और सोनी टीवी और दूरदर्शन होता था. उस समय काम सीमित था, लेकिन अभी माध्यम बढ़ने से शो बढ़ गए और कलाकार भी बहुत आ गए. देहरादून से ही जहाँ 3 कलाकार थे अब 50 है. केवल भारत से ही नहीं विदेशों से भी कलाकार यहाँ आ रहे है. कला के साथ खूबसूरत और सही मौकेका मिलना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि कई बार अच्छा ऑडिशन देने पर भी काम नहीं मिलता, तो कभी घर बैठे ही काम मिल जाता है. इस प्रकार ओटीटी और डिजिटल में भी काम मिलना आसान नहीं होता. कई बार एक ही व्यक्ति बार-बार अभिनय करता रहता है, घर बैठे उसे काम मिलता रहता है, पर मैंने हमेशा अच्छा काम करने की कोशिश की है, फिर चाहे वह विज्ञापन, टेलीविजन, डिजिटल या कुछ भी हो, मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरा काम मुझे ख़ुशी दे, बस इतना ही मैं देखती हूं.

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सवाल – आपने टीवी और फिल्मों में इमोशनल सीन्स काफी निभाए है, रियल लाइफ में आप कितनी इमोशनल है?

जवाब – शारीरिक रूप से मैं बहुत मजबूत हूं, क्योंकि मैं वर्कआउट बहुत करती हूं, लेकिन मानसिक रूप से बहुत कोमल है. कोई अगर मुझे कुछ कहता है तो मैं बहुत जल्दी हर्ट हो जाती हूं. इसकी वजह ये रही है कि मैं देहरादून में एक संयुक्त परिवार में पली-बड़ी हूं. मैं पूरे खानदान में छोटी हूं, इसलिए हमेशा प्रोटेक्टिव रही. 11 साल की उम्र में मेरे पिता की मृत्यु हो गयी थी. मेरे बड़े भाई ही मेरे पिता समान रहे.

सवाल – इतनी सारी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – मैंने एक फिल्म ‘गफला’ की थी जो अधिक चल नहीं पाई, पर ये फिल्म बहुत अच्छी थी. ये पहली फिल्म थी, जिसने हर्षद मेहता के स्कैम को दिखाया था. इसके अलावा मैंने एक शार्ट फिल्म ‘अमृता और मैं’ में अभिनय किया था, इस फिल्म के लिए मुझे बेस्ट एक्ट्रेस का एवार्ड भी मिला था. ये फिल्म मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग थी, क्योंकि अमृता प्रीतम एक प्रोग्रेसिव लेखिका थी, उनकी भूमिका को निभाना मेरे लिए आसान नहीं था. ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है.

सवाल -आज हर निर्माता निर्देशक बायोपिक बना रहे है, पहले बायोपिक उनकी बनायीं जाती थी, जो अब दुनिया में नहीं है और उनकी सफलता, त्याग और बलिदान को प्रेरणा स्वरुप दर्शाने के लिए किये जाते थे, अब जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन रही है, क्या ये कुछ अधिक नहीं है, क्या फिल्म इंडस्ट्री में कहानी की कमी हो चुकी है? आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – बायोपिक बनाना मेरे हिसाब से कठिन है, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति का पूरा जीवन जो वह जी चुका है, उसको दिखाना पड़ता है. कहानियां बहुत है और उसकी कमी कहीं नहीं है. समय के साथ सोच बढती है और कहानियां भी उसके अनुसार बनती है. हिंदी सिनेमा में अब बायोपिक बन रही है, हॉलीवुड में सालों से बायोपिक बन रही है. असल में टीवी और फिल्म्स लोगों को बहुत प्रभावित करता है, इसलिए ऐसे बायोपिक आम दर्शकों खासकर यूथ के लिए अच्छा होता है, उन्हें ऐसे खास लोगों से बारें में जानकारी मिलती है.

सवाल – आप एक सिंगल मदर है, अकेले बच्चे की परवरिश की है, जीवन में आये लो फेज को कैसे लिया?

जवाब – जीवन में सबसे जरुरी होता है खुश रहना और स्वस्थ रहना, अगर ये सब किसी की जिंदगी में नहीं है तो कितना भी पैसा व्यक्ति कमा ले, वह सुखी नहीं हो सकता. मेरे परिवार में मेरी माँ, भाई, बहन आदि सभी ने हमेशा मेरा साथ दिया, वे सब मेरे साथ रहते है, क्योंकि सिंगल मदर होना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होती है. जीवन में जो होना होता है, वह होता है, उसे अपनाकार आगे निकल जाना ही बड़ी बात होती है. मैंने सिंगल मदर होने की बात किसी से शेयर नहीं किया, क्योंकि ये मेरा निजी जीवन है और फैसला भी मेरा है. डिवोर्स के बाद अभी हम दोनों दोस्त है और बच्चे की वजह से कई बार मिलते है.

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GHKKPM: विराट की लाइफ में होगी इस एक्ट्रेस की एंट्री, सई को भड़काएगी पाखी

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में ( Ghum Hai Kisike Pyaar Mein) की कहानी में पाखी की नाकाम कोशिशों के बाद विराट (Neil Bhatt) और सई (Ayesha Singh) एक दूसरे के करीब आ गए हैं. लेकिन शो में होने वाली नई एक बार फिर दोनों के बीच दूरियां ले आएगी. वहीं पाखी (Aishwarya Sharma) इस बात से बेहद खुश नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो में होगी विराट के प्यार की एंट्री

 

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हाल ही में एक प्रोमो में विराट अपनी जिंदगी में नए शख्स के आने की बात करता नजर आया था. वहीं खबर है कि एक्ट्रेस शफक नाज (Shafaq Naaz) शो में नजर आने वाली हैं. वहीं इसी के चलते विराट, सई से दूर होने वाला है. दरअसल, शो का नया प्रोमो सामने आया है, जिसमें सई जहां अपने प्यार का इजहार करने के लिए बेताब नजर आती है तो वहीं विराट उखड़ा उखड़ा सा नजर आता है. इसी कारण पाखी, सई को आगाह करते हुए कहती है कि जो उसके साथ हुआ कहीं सई के साथ ना हो जाए.

 

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सम्राट कहेगा ये बात

अपकमिंग एपिसोड की बात करें तो दिवाली पर घर के लोगों के सामने मोहित सई और विराट की सुहागरात न होने की बात करेगा, जिसे सुनकर पाखी का चेहरा उतर जाएगा और वह बाहर चली जाएगी. लेकिन सम्राट, पाखी के पीछे जाकर कहेगा कि सुहागरात तो अभी हमारी भी नहीं हुई है, जिसे सुनते ही पाखी हैरान रह जाएगी.

बता दें, सीरियल से हटकर कास्ट की पर्सनल लाइफ की बात करें तो विराट और पाखी यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. वहीं हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने अपनी खास बेचलर्स पार्टी की झलक भी फैंस को दिखाई थी.

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7 Tips: खूबसूरती बढ़ाए Saree

हमारी भारतीय संस्कृति में साड़ी एक मात्र एक ऐसा पहनावा है, जिसे पहनने के लिए ना तो उम्र की कोई सीमा निर्धारित होती है और ना ही पहनने का कोई ख़ास कारण. मतलब ये कि, साड़ी पहनने के लिए किसी भी तरह के मौके का इंतजार नहीं करना होता है. निकेता ठाकर, फाउंडर और डिजाइनर, सिवी द बेस्पोक बुटीक का मानना है कि साड़ी हर महिला के लिए सबसे अच्छा पहनावा होता है. आप इसे किसी भी तरह के फंक्शन में पहनकर खुद को प्रभावशाली दिखा सकती हैं. हालांकि महिला की शारीरिक बनावट कैसी भी हो, लेकिन साड़ी पहनने के बाद हर महिला खूबसूरत दिखने लगती है. साड़ी हम महिलाओं का सबसे पसंदीदा पहनावा है, और ये हमारे लिए सबसे सही पोशाक में से एक क्यों है, इसके कई कारण है.

1. मिक्स एंड मैच का फायदा-

साड़ी पहनने में हर महिला या लड़की को एक फायदा तो जरुर मिलता है. वो फायदा है स्टाइलिंग को लेकर मिक्स एंड मैच को विकल्प. जी हां एक साड़ी ब्लाउज पहनकर बोर हो गयी हैं, तो आप मिक्स एंड मैच का विकल्प चुन सकती हैं. मतलब साड़ी को दूसरे ब्लाउज या ब्लाउज को दूसरी साड़ी के साथ मैच करके पहन सकती हैं. ये अपने आप में ही एक अलग एक्स्पेरियंस होगा.

2. अपनी पसंद का करें स्टाइल-

सुपर सेक्सी दिखने की चाह हो या क्यूट दिखने की चाह हो. साड़ी हर मामले में आपको लाजवाब बनाती है. साड़ी ना सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ाती है बल्कि, आपका व्यक्तित्व और पर्सनालिटी उभारती है. आप साड़ी को जैसे मन हो वैसे पहनें. साड़ी की स्टाइलिंग के लिए आप अलग-अलग वेबसाइट और फैशन विशेषज्ञों से मदद भी ले सकती हैं.

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3. बिंदास होकर पहनें साड़ी-

साड़ी पहनने के लिए आपको किसी तरह के किसी नियम के पालन करने की जरूरत नहीं है. साड़ी को बिंदास तरीके से पहनें. इसमें आप हर तरह से जंचेंगी भी और खूबसूरत भी नजर आएंगी.

4. हर शरीर में फबे साड़ी-

अगर आप अपने शरीर के बनावट को देखते हुए ये सोचती हैं, कि साड़ी आप पर जंचेंगी भी या नहीं. तो आप अपने दिमाग से ये बात पूरी तरह से निकाल दें. आपका रंग, रूप और शरीर की बनावट कैसी है, ये ना सोचें. क्योंकि साड़ी हर तरह से आप पर फबेगी.

5. नहीं कोई उम्र की सीमा-

इस तथ्य में कोई शक नहीं कि, साड़ी किसी भी उम्र की महिला पर फबती है. साड़ी पहनने की कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं होती. आपकी उम्र 18 हो या 58, आप बेफिक्र होकर साड़ी पहनिए.

6. शरीर को निखारे साड़ी-

कोई भी वेस्टर्न ड्रेस और स्किनी जींस पहनकर आप खुद को खूबसूरत देखती हैं तो यहां अगर आप साड़ी पहन लें, तो कहने ही क्या? साड़ी आपके शरीर को निखारती है. और आपको सबसे जुदा अंदाज भी देती है.

7. पहनने के हैं कई तरीकें-

बाग्लादेशी से लेकर कांजीवरम और बनारसी सिल्क तक की साड़ियों की काफी वैरायटी आपको बाजार में मिल जाएगी. आप अपनी मनपसंद तरीके की साड़ी पहनें और खुद को स्टाइल करें. आप पल्लू को भी मनपसंद तरीके से स्टाइल करके किसी बॉलीवुड दिवा की तरह दिख सकती हैं.

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साड़ी ना सिर्फ आपकी खूबसूरती को निखारती है, बल्कि आपको एक जुदा पहचान भी देती है. साड़ी हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई है, जो दशकों से पहनी जा रही है. इस परम्परागत पहनावे का चलन आज भी वैसे का वैसा ही है. जो दशकों पुराना है. अब आपको भी साड़ी पहनने से पहले इतना सोचने की जरूरत नहीं है, बिंदास होकर साड़ी पहनिए और खुद को एक अलग अंदाज में पेश करने के लिए तैयार हो जाइए.

शादियों के मौसम में ओरल केयर के लिए सुझाव

शादियों का मौसम शुरू हो चुका है. हालांकि इस अवसर पर खान-पान का हमारे दांतों पर बुरा असर हो सकता है और हमें टूथ सेंसिटिविटी महसूस हो सकती है तथा ओरल स्वास्थ्य की अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. पर दांतों को सेहतमंद बनाए रखने के लिए यह जरूरी नहीं कि हम खान-पान को त्याग दें. त्योहारों पर मिठाई और डेज़र्ट त्यागने की जरूरत नहीं, बल्कि आप कुछ सामान्य सावधानियां रखकर हर अवसर को और ज्यादा आनंदपूर्ण बना सकते हैं:

1. दांत में सेंसिटिविटी से देखभाल की जरूरत हैः

ढेर सारी मिठाई खाने के कारण आपको कभी-कभी दांतों में तेज चुभन महसूस हो सकती है. यह दांतों में सेंसिटिविटी के कारण हो सकता है. लेकिन फिक्र न करें. एक स्पेशलिस्ट टूथ सेंसिटिविटी टूथपेस्ट की मदद से आप सेंसिटिविटी की चिंता किए बगैर मिठाईयों का आनंद ले सकते हैं.

2. मिठाइयां पहले खाएं:

मिठाइयों से दांत खराब नहीं होते. वो चिपचिपी होती हैं, जिससे टूथ केविटिज़ हो सकती है और दांतों में सेंसिटिविटी हो सकती है. कभी-कभी मुंह में मौजूद मिठाई के अवशेष मुंह को रिंस करने के बाद भी बचे रह जाते हैं. खाना खाने से पहले डेज़र्ट और मिठाई खाने से मिठाई के दांतों में चिपके रहने का जोखिम कम किया जा सकता है.

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3. कलर्ड फूड से दूर रहें:

त्योहारों का त्योहार रंगबिरंगा होता है, लेकिन आपके खाने में रंग नहीं होना चाहिए. ऐसी चीजें न खाएं जिनमें कृत्रिम रंग एवं प्रिज़र्वेटिव ज्यादा हों. ये आपके दांतों पर दाग छोड़ते हैं और प्रिज़र्वेटिव में मौजूद एसिड बैक्टीरिया की वृद्धि करते हैं. यदि आपके दांतों में दाग लगे हों और आप उन दागों को दूर करना चाहते हैं, तो आप व्हाइटनिंग टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, ये बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं.

4. ढेर सारा पानी पियें :

अपनेआप को हाईड्रेटेड रखें. थोड़ी-थोड़ी देर में ढेर सारा पानी, ताजा फलों का जूस पीते रहें. खासकर स्नैक्स और खाना खाने से पहले ढेर सारा पानी पियें. इससे आपको पेट भरा हुआ महसूस होगा और आप ज्यादा स्नैक्स खाने से बचेंगे. साथ ही, खाना खाने के बाद पानी पियें क्योंकि इससे आपका मुंह साफ होगा, जमा हुआ खाना पेट में चला जाएगा और आपके दांतों में प्लाक नहीं बनेगा.

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5. दिन में दो बार दांत साफ करें:

मिठाई और चॉकलेट खाने पर अपने दांतों को दिन में दो बार ब्रश और फ्लॉस करना न भूलें, ताकि मीठे कण आपके दांत पर ज्यादा लंबे समय तक चिपके न रहें.

डॉ. अजय कुमार, बीडीएस, एमडीएस- पेरियोडोंटोलॉजी एवं ओरल इंप्लांटोलॉजी, डेंटिस्ट, पेरियोडोंटिस्ट, इंप्लांटोलॉजिस्ट

Winter Special: सर्दियों में कैसे करें स्किन की केयर

सर्दी का मौसम आते ही त्वचा संबंधी समस्याएं विकराल रूप ले लेती हैं. सर्दियों में नमी की कमी के कारण त्वचा में रूखापन बढ़ने लगता है, जिस के कारण त्वचा बेजान व रूखी नजर आती है. त्वचा में खिंचाव होने के कारण इचिंग होने लगती है और जब रूखापन अधिक होने लगता है तो त्वचा में स्क्रैच पड़ने लगते हैं. इस वक्त शरीर व त्वचा को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत पड़ती है. आइए जानते हैं कैसे करें सर्दियों में अपनी देखभाल…

• सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणों से झांइयां, टैनिंग जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. इसलिए जब भी धूप का आनंद लेना हो, तो एस.पी.एफ. 15 से 30 तक कोई भी लोशन बौडी पर लगा लें और सीधी पड़ने वाली सूर्य की किरणों से बचें. सर्दियों में सी.टी.एम. यानी क्लींजिंग, टोनिंग एवं मौइश्चराइजिंग को अपने दैनिक क्रियाकलाप में अवश्य शामिल करें. क्लींजिंग जहां डस्ट, पसीने और गंदगी को रिमूव करता है, वहीं टोनर आप की स्किन के पी.एच. को बैलैंस करता है. मौइश्चराइजर त्वचा के रूखेपन को खत्म करने में सहायक होता है.

• फिगारो या बादाम का तेल बौडी मसाज में इस्तेमाल करें. इस में लैवेंडर आयल, रोज आयल एवं वीटजर्म आयल की 4-4 बूंदें मिला कर रखें. नहाने के बाद पूरी बौडी में विंटर केयर या बौडी लोशन इस्तेमाल करें. कोल्ड क्रीम या आयल बेस्ड क्रीम का उपयोग चेहरे के लिए करें. अगर आप विटामिन ई युक्त क्रीम का उपयोग करती हैं, तो यह त्वचा को पोषण देने का कार्य करेगी. सर्दी में हाथों एवं पैरों की नियमित देखभाल करें.

• पैरों के लिए किसी अच्छी कंपनी की फुट क्रीम यूज करें. माह में 1 बार पार्लर जा कर पैडिक्योर अवश्य कराएं ताकि नेल्स की डैड स्किन रिमूव हो सके और फटी एडि़यों का भी ट्रीटमैंट किया जा सके. पैराफिन वैक्स से आप घर में ही अपनी फटी एडि़यों का इलाज स्वयं कर सकती हैं. गरम पैराफिन वैक्स फटी एडि़यों में भर कर क्ंिलग फिल्म से रैप कर 10-15 मिनट रखने से एडि़यां सौफ्ट हो जाती हैं. ग्लिसरीन में नीबू एवं रोज वाटर मिला कर शीशी में भर के रख लें. हफ्ते में 2 बार इसे चेहरे पर लगाएं. होंठों को फटने से बचाने के लिए लिपबाम का इस्तेमाल करें. गुलाब की पंखुडि़यों को भी पीस कर इन में मिला सकती हैं. यह होंठों को कालेपन से बचाता है.

• सर्दियों में मेहंदी का उपयोग कम करें, क्योंकि मेहंदी लगाने से बाल ड्राई होते हैं. अगर बहुत जरूरी हो तो मेहंदी में दही मिला कर लगाएं. बालों में कंडीशनर या हेयर स्पा जरूर लगाएं.

• सर्दियों में मेकअप करते वक्त खयाल रखें कि स्किन को फेसवाश कर मौइश्चराइजर लगा कर 15 मिनट तक छोड़ दें. फिर क्रीम बेस्ड फाउंडेशन यूज करें. लिक्विड आईलाइनर यूज न कर के केक आईलाइनर यूज करें. पेनकेक को वाटर के साथ मिक्स कर लगाने से मेकअप में क्रैक्स नहीं पड़ते.

• सर्दी के मौसम में त्वचा रूखी न हो, इस के लिए जैतून का तेल या बौडी लोशन और वाटर बेस्ड क्रीम इस्तेमाल करें. मौइश्चर कम होने से स्किन में पैच हो जाते हैं. जगहजगह सफेद रंग की स्किन निकलने लगती है. आयल ड्राई होने पर पिंपल्स और एक्नों वाली स्किन हो जाती है. अत: स्किन का ग्लो बना रहे, इस के लिए प्रतिदिन ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और फेस पर हाइड्रोमाइश, हाइडे्रटिंग एम्पयूल या मौइश्चराइजर इस्तेमाल करें. माह में 1 बार फेशियल अवश्य कराएं.

• सनबर्न और टैनिंग होने पर ऐंटीटैनिंग पैक लगाएं. सर्दियों में केले और पपीते का पैक लगाएं. मिल्क और हनी का पैक त्वचा में फेयरनैस तो देगा ही, त्वचा में कसाव भी लाएगा. चंदन का तेल ऐंटीसैप्टिक का काम करता है. इसलिए बौडी में इचिंग, स्क्रैचेस पड़ने पर जैतून के तेल में चंदन का तेल मिला कर उस जगह पर लगाने से फायदा होगा. पिंपल्स व एक्ने होने से रोकने के लिए कुकुंबर जैल में ट्रीट्री आयल की 2 बूंदें डाल कर रात में सोने के पहले पिंपल्स वाली जगह पर लगाएं. पपीता एंजाइम लोशन से डेली हलके हाथों से 5 मिनट तक मसाज करें. अरोमा का क्लौव पैक लगाएं.

• सर्दियां आते ही जहां चटपटे, मसालेदार खाने में रुचि उत्पन्न होती है, वहीं तीजत्योहारों से भरे मौसम में तलाभुना, मिठास से भरपूर स्वादिष्ठ व्यंजन भी हमारे आहार में शामिल होता है. यह खानपान न केवल हमारी पाचन प्रणाली को, हैल्थ को भी नुकसान पहुंचाता है. हमारी त्वचा में भी कई समस्याएं पैदा करता है. जहां सर्दियों में त्वचा में नमी की कमी के कारण रूखापन, क्रैक्स, इचिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वहीं गलत खानपान से पिंपल्स, ब्लैकहैड्स आदि समस्याओं से भी रूबरू होना पड़ता है.

• सर्दियों में आप तलाभुना स्वादिष्ठ भोजन संयमित मात्रा में लें, परंतु इस के साथ वाक, एक्सरसाइज एवं वर्कआउट अवश्य करें. सुबह की ताजा हवा आप को नमी व शुद्ध आक्सीजन भी देती है. इस मौसम में मौसंबी, अनार एवं पपीते का शेक अवश्य लें. पपीता पाचन में तो सहायक होगा ही, आप को पिंपल्स और एक्ने होने से भी बचाएगा. अंकुरित चने, मूंग, मटर, लोबिया को नीबू, नमक के साथ सलाद के रूप में अवश्य लें. रोजाना जूस, सूप या कोई भी लिक्विड अवश्य लें. बासी व ठंडे खाने से बचें.

Winter Special: मूली से बनाएं ये टेस्टी Dishes

सफेद रंग की मूली सर्दियों में बहुतायत से पाई जाती है. इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, पोटैशियम, फाइबर और मिनरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ साथ यह कब्ज तथा डायबिटीज रोगों में भी लाभकारी है इसलिए इसे अपनी डाइट में अवश्य शामिल करना चाहिए. चूंकि इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे शाम या रात की अपेक्षा सुबह या दिन में खाना उचित रहता है. जड़ के साथ साथ इसके पत्ते भी स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होते है. सलाद के साथ साथ मूली से आप विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजन भी बना सकतीं हैं इसी तारतम्य में हम आज आपको मूली से बनने वाली कुछ व्यंजन विधियों के बारे में बता रहे हैं, तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

-मूली रोल

कितने लोगों के लिए            4

बनने में लगने वाला समय     30 मिनट

मील टाइप                          वेज

सामग्री

मूली के ताजे चौड़े पत्ते       4

बेसन                               2 टेबल स्पून

नमक                              1/2 टीस्पून

अजवाइन                         1/4 टीस्पून

हल्दी पाउडर                      1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर                1/4 टीस्पून

हींग                                   1/4 टीस्पून

दही                                   2 टेबल स्पून

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट         1 टीस्पून

बघार के लिए

तेल                                  1 टेबल स्पून

तिल                                  1 टीस्पून

साबुत लाल मिर्च                 3-4

राई                                   1 टीस्पून

नीबू का रस                        1/2 टीस्पून

विधि

मूली के पत्तों को धोकर पोंछ लें. इनकी डंडी को काट दें. घोल की सारी सामग्री को एक बाउल में डालकर मिलाएं फिर आवश्यकतानुसार पानी डालकर पकौड़े जैसा गाढ़ा घोल तैयार करें. अब मूली के पत्तो के पीछे के हिस्से पर चम्मच से अच्छी तरह घोल फैलाकर पत्तो को गोल गोल लपेटकर रोल बना लें. एक पतीले में दो ग्लास पानी गर्म करें, जब पानी उबलने लगे तो ऊपर एक छलनी रखकर उसके ऊपर तैयार रोल रख दें. इन्हें ढककर 10 से 15 मिनट तक पत्तों के अच्छी तरह गलने तक पकाएं. जब ठंडे हो जाएं तो आधे आधे इंच के रोल काट लें. कड़ाही में तेल गरम करके बघार की समस्त सामग्री डाल कर कटे रोल डाल दें. अच्छी तरह चलाकर नीबू का रस डालकर सर्व करें.

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-प्रोटीन रिच मूली भुजिया

कितने लोगों के लिए            6

बनने में लगने वाला समय    20 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

मूली के बारीक कटे पत्ते      250 ग्राम

छिल्के वाली मूंग दाल         1/4 कप

हींग                                 चुटकी भर

जीरा                                 1/4 टीस्पून

नमक                              स्वादानुसार

हल्दी पाउडर                    1/4 टीस्पून

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट       1 टीस्पून

नीबू का रस                     1 टीस्पून

सरसों का तेल                  1 टीस्पून

विधि

गरम तेल में हींग, जीरा तड़काकर अदरक, हरी मिर्च का पेस्ट भून लें. मूंग दाल को पानी से धोकर तेल में डालें, आधा कप पानी डालकर धीमी आंच पर दाल के गलने तक पकाएं. जब दाल गल जाए तो कटे पत्ते , नमक और सभी मसाले डालकर भली भांति चलाएं. 5 मिनट तक ढककर पकाएं, फिर खोलकर पानी के सूखने तक पकाकर गैस बंद कर दें. नीबू का रस डालकर पूरी या परांठे के साथ सर्व करें.

-मूली का स्वादिष्ट अचार

कितने लोंगों के लिए           8

बनने में लगने वाला समय     20 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

ताजी मूली                 6

सरसों की दाल           1 टीस्पून

राई की दाल               1 टीस्पून

हल्दी पाउडर              1/4 टीस्पून

हींग                           चुटकी भर

काला नमक               1 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर        1 टीस्पून

सरसों का तेल             1 टेबल स्पून

विधि

मूली को छीलकर गोल गोल रिंग्स में काट लें. गर्म तेल में हींग, राई की दाल डालकर हल्दी डाल दें. अब मूली के रिंग्स डालकर सभी मसाले डाल दें. अच्छी तरह चलाकर कांच के जार में भरकर रखें. 3-4 दिन धूप में रखकर प्रयोग करें.

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क्या Liquid Dishwash का ऐसे इस्तेमाल किया है आपने?

आप लिक्विड डिशवाश से बर्तन धोती हैं. कई लिक्विड डिशवाश बर्तन बार के मुकाबले ज्यादा कारगर होते हैं. सबसे खास बात की यह साबुन की तरह गलता नहीं, क्योंकि आप इसे अपने जरूरत के हिसाब से ही पाउच या बोतल से निकालती हैं. पर बर्तनों को चमकाने के अलावा भी लिक्विड डिशवाश का कई तरह से प्रयोग किया जा सकता है.

लिक्विड डिशवाश से आसान करें अपने ये काम-

1. गार्डन से घास-फूस हटाए

आपने बहुत मेहनत से एक खूबसूरत किचन गार्डन तैयार किया है. पर घास-फूस आपके गार्डन की रंगत बिगाड़ रहे हैं. और इन्हें काट-छांट के हटाने में भी काफी वक्त लग जाता है. पर लिक्विड डिशवाश से आपका ये काम काफी आसान हो जाएगा. डिशवाश, नमक और सिरके का मिश्रण तैयार कर लें. अब इस मिश्रण को स्प्रे बोतल में डालें और घास-फूस पर डालें. स्प्रे करते वक्त जरा सावधानी बरतना जरूरी है. क्योंकि ये मिश्रण आपके पौधों को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

2. पंचर आसानी से पता लगाएं

साईकल, बाइक या कार के टायर, एयर-मैट्रेस में छेद का आसानी से पता लगाने के लिए डिशवाश लिक्विड का इस्तेमाल किया जा सकता है. पानी में लिक्विड को मिलाएं और उस जगह पर स्प्रे करें, जहां आपको पंचर होने की आशंका है. अगर टायर या मैट्रेस में छेद है तो वहां से लिक्विड बुलबुला बन निकलने लगेगा.

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3. फ्रूट फ्लाइ की नो एन्ट्री

फ्रूट फ्लाई अगर आपके घर पर भी कब्जा कर रही हैं, तो आप डिशवाश की मदद से आसानी से जाल बिछा सकती हैं. एक बाउल को सिरके से आधा से थोड़ा ज्यादा भर लें. अब इसमें 10-12 बूंदें डिशवाश की डालें. और बाकी आधे बाउल को हल्के गर्म पानी से भर दें. फ्लाई इसमें फंस जाएंगी.

4. चश्मे की सफाई

आप अपने चश्मे के लेन्स को भी डिशवाश की मदद से आसानी से साफ कर सकती हैं. एक सुखे कपड़े पर डिशवाश की कुछ बूंदें डालें और लेन्स को साफ करें.

5. दरवाजें और खिड़कियों की चरचराहट

कई बार दरवाजें और खिड़कियों से चरचराहट की आवाजें आने लगती हैं. ये कई वजहों से होती है. पर इस आवाज से बहुत ज्यादा चिढ़ होती है. आप डिशवाश लिक्विड से भी इस इरीटेटिंग आवाज को दूर कर सकती हैं. जिस दरख्त से यह आवाज आ रही है, वहां पर डिशवाश की कुछ बूंदें डाल दें और शांत माहौल का लुत्फ उठायें.

6. पौधों की सुरक्षा

डिशवाश लिक्विड से आप अपने पौधों की भी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं. ये जहरीला नहीं है, पर कीड़े-मकौड़ों को भगाने में काफी असरदायक है. 7-8 चम्मच लिक्विड को हल्के गर्म पानी के साथ घोलें. अब इस मिश्रण को एक स्प्रे बोतल में डालें और पौधों पर छिड़कें. पर ध्यान रखें की आपके डिशवाश लिक्विड में ब्लीच, ऐंटीबैक्टीरिल इंग्रीडियंट्स न हो.

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7. कार्पेट और टाइल की भी सफाई

आप अपने बर्तनों को तो लिक्विड डिशवाश से साफ करती हैं, पर आप अपने घर के टाइल्स को भी इससे साफ कर सकती हैं. अगर आपके घर में भी टाइल्स या कार्पेट पर ग्रीज लग गया है तो डिशवाश लिक्विड का प्रयोग जरूर करें.

बेटी नहीं बेटे की परवरिश पर भी दें ध्यान

“मां, मुझे अपनी सहेली निशा के घर जाना है आज. उस ने क्लास में बहुत अच्छा नोट बनाया है. कल टैस्ट है. एक बार उस के घर जा कर पढ़ आती हूं. पास ही तो रहती है. स्कूटी से तुरंत जा कर आ जाऊंगी,’’ राशि ने अपनी मां सुधा से कहा.

‘‘यह कोई वक्त है लड़कियों का घर से बाहर निकलने का? देख रही हूं सुधा तूने इसे कुछ ज्यादा ही छूट दे रखी है. कुछ ऊंच-नीच हो जाएगी, तो सिर धुनती रहना जीवन भर,’’ मां के कोई जवाब देने से पहले ही राशि की दादी बोल उठीं.

‘‘तुम्हें क्लास में ही उस से नोट ले लेना चाहिए था. आखिर रात होने का तुम ने इंतजार ही क्यों किया?’’ पापा ने घर में घुसते ही कहा.

‘‘बेटा, उस नोट को छोड़, खुद नोट बना ले. अब रात के 9 बजे तुम्हारा बाहर जाना उचित नहीं,’’ मां ने भी समझाया.

मन मसोस कर राशि अपने कमरे में जा कर पढ़ने बैठ गई.

करीब 1 घंटे के बाद राशि का भाई अपने कमरे से निकला और मां से बोला, ‘‘मां, शाम से बाहर नहीं निकला हूं, एक चक्कर लगा कर आता हूं,’’ और फिर बाइक ले बाहर चला गया. कहीं से कोई आवाज नहीं आई. किसी ने उस से कुछ नहीं पूछा या कहा.

दोहरी सोच

आम भारतीय घरों में कमोबेश यही स्थिति होती है. बेटी को तो हर समय आचारव्यवहार सिखाते रहेंगे. कभी दूसरे के घर जाने के नाम पर तो कभी जमाना बहुत खराब है के नाम पर. ऐसे न बोलो, ऐसे न चलो, ऐसे न करो आदि की लंबी सूची होती है बेटियों को सिखाने के लिए. कभी सीधेसीधे तो कभी घुमाफिरा कर बेटियों को बताया जाता है कि रास्ते में शोहदों को कैसे नजरअंदाज करना है. कोई फबती कसे तो कैसे चुपचाप कोई बखेड़ा खड़ा किए निकल लेना चाहिए. अगर कोई ऊंचनीच हो भी जाए तो गलतियां खोज कर लड़की को ही कुसूरवार ठहराया जाता है कि उस ने कपड़े ही ऐसे पहन रखे थे या रात के वक्त भला कहीं अच्छे घर की लड़कियां बाहर घूमती हैं? अखबार में छपी बलात्कार क ी खबरों को सुना कर उन्हें और भीरु बनाया जाता है. मगर बेटों के लिए यही सोच है कि अरे लड़का है इस के लिए क्या सोचना. कोई लड़की है क्या जो फिक्र की जाए कि कहां जा रही है? क्या कर रही है? दरअसल, परेशानी इसी सोच से है.

क्या ऐसा नहीं लगता कि परेशानी दरअसल लड़कों से ही है? क्या आप ने कभी सुना है कि कुछ लड़कियों ने मिल कर एक लड़के के साथ छेड़खानी की, बलात्कार किया या कुछ ऐसा ही और? नहीं न? सड़कों पर तेजी से दोपहिया वाहन चलाते हुए कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो दुर्घटनाग्रस्त या मरने वाले भी ज्यादातर लड़के ही होते हैं जबकि दोपहिया अब तो लड़कियां भी चलाती हैं.

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बचपन से ही सिखाएं

लड़कियां शुरू से ही बहुत समझदार और संवेदनशील होती हैं. अब कुछ ज्ञान लड़कों को भी दिया जाना चाहिए. बेटों से बचपन से ही कहा जाता है, ‘अरे लड़की हो क्या जो रो रहे हो?’ ‘डरपोक, तुम लड़की हो क्या?’ ‘चूडि़यां पहन रखी हैं क्या?’ ‘अरे, तुम किचन में क्या कर रहे हो?’ वगैरहवगैरह. ऐसा बोल कर उन्हें शुरू से ही संवेदनहीन बना दिया जाता है.

बेटों को भी बचपन से ही सिखाना चाहिए कि लड़कियों की इज्जत करें. मां का यह कर्तव्य है कि अपने जिगर के टुकड़े को सिखाए कि राह चलती लड़कियों को घूरा न जाए. उन्हें कैसे इज्जत दी जाए.

दोष किस का

घर में बेटियों को नालायक लड़कों से बचने के गुण सिखाने के साथसाथ बेटों को लायक बनने के गुण भी बताए जाएं. बच्चे तो बच्चे होते हैं, कच्ची मिट्टी की तरह. जैसा चाहें हम उन्हें गढ़ सकते हैं, जैसा चाहें हम उन में सोच रोपित कर दें. फिर क्या लड़का और क्या लड़की.

आज जब हम किसी सड़क छाप मजनू या किसी बलात्कारी अथवा हिटलरशाही पति को देखते हैं, जो मनमानी करने को अपना हक समझता है, तो यह समझ लेना चाहिए कि दोष उस की परवरिश का भी है. सुधा ने तो बेटी को बाहर नहीं जाने दिया कि कुछ अनर्थ न हो जाए पर हो सकता है उस का भोला सा दिखने वाला लाल ही बाहर कोई अनर्थ कर आया हो.

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रेप और भारत की छवि

अमेरिकी सरकार ने हाल में एक चेतावनी जारी की है कि अमेरिकी नागरिक भारत जाते समय यह ध्यान में रखें कि यहां बलात्कार बहुत होते हैं. यह बहुत ही गंभीर है कि महान ङ्क्षहदू सांस्कृतिक राष्ट्र बनने की राह पर चलने वाला देश दुनिया में बलात्कार केंद्र माना जाए और यह चेतावनी भारत जैसे थोड़े से ही देशों में दी जाए भारत के अपने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरों के अनुसार 2020 में 28,000 मामले तो  दर्ज किए गए थे. बलात्कार के मामलों में ज्यादातर में लड़कियां खुद ही रेप छिपा जाती हैं और जहां मातापिता को पता चल भी जाए वे भी मुंह पर जिप लगा लेते हैं.

भारत में रेप पौराणिक युग से चला आ रहा है और कभी कोई देवता बलात्कारी को दंड देने के लिए अक्तरित हुआ, ऐसा नहीं लगता, यहां तो बलात्कार की शिकार को दोषी माना जाता है, वह अहिल्या या सीता की तरह दोषी मान ली जाती है और या तो पत्थर बन जाती है या घर निकाला दे दिया जाता है.

यह आश्चर्य की बात है कि जब भारत के भगवा गैंग किसी को भी जय श्री राम बोलने को मजबूर कर सकते हैं कहीं भी मांस की बिक्री बंद कर सकते हैं, किसी भी सडक़ या किसी की निजी संपत्ति पर मंदिर बना सकते हैं, किसी मसजिद को तोड़ सकते हैं.

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हाल में एक बाल गृह में रह रही लडक़ी ने आरोप लगाया कि 16 वर्ष की आयु में उस का 400 लोगों ने रेप किया है जिस में बहुत से पुलिस वाले हैं. क्या भगवाई इन अपराधियों को अपने प्रवचनों से नहीं रोक सकते? क्या इन अपराधों को रोकने के लिए हर नुक्कड़ पर खाकी वर्दी वाले बैठाए जाएं जबकि हर नुक्कड़ एक तिलकधारी, सीता-राम का दुपट्टा ओड़े बैठा है जो दान तो ले रहा है पर आदर्श व्यवहार लागू नहीं कर सकता.

अमेरिकी सरकार की नजर में नेपाल भारत से ज्यादा सुरक्षित है, बांग्लादेश सुरक्षित है, अफ्रीका का मलावी देश ज्यादा सुरक्षित है. अमेरिकी चेतावनी ने अपने नागरिकों को भारत में धाॢमक ङ्क्षहसा के प्रति भी आगाह किया गया है कि धर्म परिवर्तन का बहाना बना कर किसी भी विद्यर्मी विदेशी को भारत में निशाना बनाया जा सकता है.

रेप के मामलों में चेतावनी ने सख्त शब्दों में कहा है कि अमेरिकी नागरिकों का इस अपराध को झेलना पड़ा है चाहे उन्होंने सही ढंग के कपड़े क्यों न पहन रखे हों. अगर अमेरिकी महिला अश्वेत है तो उस के साथ भारत में कुछ ज्यादा ही बुरा व्यवहार रिपोर्ट किया गया है.

अपराध दुनिया में हर जगह होते है पर जितने मंदिर और प्रवचन भारत में हो रहे हैं और जितना ज्ञान यहां व्हाट्सएप और फेसबुक पर बांटा जा रहा है उस से तो हर ङ्क्षहदू भारतीय विशुद्ध आचरण वाला बन जाना चाहिए था. जो पूजापाठ, ईश्वर भक्ति, चढ़ावा, दानपुण्य, तीर्थ यात्रा भारत में है शायद कहीं और नहीं और फिर भी औरतें सुरक्षित न हों यह आखिर कैसे संभव है.

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अमेरिकी या विदेशी नागरिकों के लिए ही नहीं भारत में भी शाम ढलते ही औरतें घरों में घुस जाती हैं क्योंकि धर्मशास्त्र सुनने के बाद भी सडक़ों पर अपराधियों का जाल बिछा रहता है. आखिर क्यों? अगर धर्म सत्य के मार्ग पर चलाने वाला है तो भारत के लोगों को दुनिया का सब से सक्षम होना चाहिए, अगर धर्म परिवार प्रेम सिखाता है तो भारत में तो पारिवारिक विवाह शून्य के बराबर होने चाहिए, अगर धर्म हर पाप का लेखाजोखा रखने वाला है तो यहां कोई  पापी होना ही नहीं चाहिए.

पर यहां तो कुछ और ही हो रहा है. इस का दोष सरकार को दें, पुलिस को दे या इन के ऊपर की शक्ति धर्म के ठेकेदारों को?

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