‘ये रिश्ता…’ में हुई रणवीर की मौत, सीरत-कार्तिक पर लगा ये बड़ा इल्जाम

स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है एक बार फिर दर्शकों के दिल में राज करने के लिए तैयार हैं. जहां बीते दिनों सीरियल के सेट से रणवीर यानी करण कुंद्रा के फेयरवेल की फोटोज वायरल हुई थीं. तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में रणवीर की मौत का ट्विस्ट भी दिखाया जाएगा. इसी बीच मेकर्स सीरियल में कार्तिक-सीरत की जिंदगी में नया तूफान लाने की तैयारी में हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

कार्तिक-सीरत की हुई लड़ाई

अब तक आपने देखा कि जहां रणवीर की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है तो वहीं कार्तिक-सीरत के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. दरअसल, सीरत, कार्तिक पर आरोप लगाती है कि उसने रणवीर की हेल्थ के बारे में उसे नहीं बताया, वरना वो उसे बचा लेती. हालांकि कार्तिक, रणवीर से किया वादा निभा रहा था, जिसके कारण वह सच सीरत को नही बता पाया.

 

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रणवीर की हुई मौत

 

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दूसरी तरफ रणवीर अपनी आखिरी सांस लेने से पहले कार्तिक से वादा करने को कहता है कि वह सीरत का साथ हर कदम पर देगा और उसका ख्याल रखेगा. इसके बाद रणवीर की मौत हो जाती है और सीरत टूट जाती है. वहीं कार्तिक, रणवीर से किए वादे को भुला नहीं पाता.

सीरत को पड़ा थप्पड़

 

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रणवीर की मौत के बाद जहां पूरा परिवार सदमे में है तो वहीं अपकमिंग एपिसोड में उसकी मां का गुस्सा सीरत और कार्तिक पर देखने को मिलेगा. दरअसल, रणवीर की मां रोते हुए सीरत को थप्पड़ मारते हुए कहेगी कि पहले उसने मेरे बेटे को घर से अलग कर दिया और फिर दुनिया से, जिसे सुनकर कार्तिक कहेगा कि हम आपका दर्द नही समझ सकते. पर रणवीर की मां सीरत और कार्तिक पर इल्जाम लगाएगी कि दोनों के गंदे इरादों ने उनके बेटे को छीन लिया.

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Family Story In Hindi: सितारों से आगे- कैसे विद्या की राहों में रोड़ा बना अमित

लेखिका- डा. सरस्वती अय्यर

   

हम क्यों बोलते हैं झूठ

‘झूठ बोले कौवा काटे, काले कौवे से डरियो…’ बचपन में हमें सिखाया गया था. मगर फिर भी हम  झूठ बोलते हैं, रोज बोलते हैं. कहते हैं किसी भी रिश्ते में  झूठफरेब नहीं होना चाहिए, नहीं तो यह उस रिश्ते को तबाह कर देता है. फिर भी हम  झूठ बोलते हैं और छोटीछोटी बातों पर बोलते हैं. कभीकभी जरूरत नहीं है, फिर भी  झूठ बोलते हैं. आखिर क्यों?

कुछ लोगों के लिए तो  झूठ बोलना इतना आसान है कि जहां सच से काम चल जाए. वहां भी उन के मुंह से  झूठ ही निकलता है. वैसे  झूठ बोलने की अनिवार्यता को पहली बार करीब  2 दशक पहले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनोविज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफैसर बेला  डे पोलो ने दस्तावेज किया था.’

पोलो और उन के साथियों ने 147 वयस्कों से कहा था कि वे लिखें हर हफ्ते उन्होंने कितनी बार  झूठ बोला. सामने आया कि हर व्यक्ति ने दिन में औसतन 1 या 2 बार  झूठ बोला. इन में से ज्यादातर  झूठ किसी को नुकसान पहुंचाने या धोखा देने वाले नहीं थे. बल्कि, उद्देश्य अपनी कमियां छिपाना या दूसरों की भावनाओं को बचाना था. हालांकि, बाद में की गई एक स्टडी में पोलो ने पाया कि ज्यादातर ने किसी मौके पर एक या एक से ज्यादा बार बड़े  झूठ भी बोले हैं. जैसे शादी के बाहर किसी रिश्ते को छिपाना और उस के बारे में  झूठ बोलना.

आदत या कुछ और

भले ही  झूठ बोलने पर कौवा काट ले, पर हम  झूठ बोलने से परहेज नहीं कर सकते, क्योंकि कहीं न कहीं यह हम इंसान के डीएनए का हिस्सा है या कहें आधुनिक जीवन के करीब हर पहलू में  झूठ बोलना एक सामान्य रिवाज बन गया है. इस पर नैशनल जियोग्राफिक की जून, 2017 के अंक में  झूठ के पीछे के विज्ञान को सम झते एक लेख पर नजर डालिए, तो इस के मुताबिक, इंसानों में  झूठ बोलने की प्रतिभा नई नहीं है. शोध बताता है कि भाषा की उत्पत्ति के कुछ वक्त बाद ही  झूठ बोलना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया.

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आखिर क्यों बोलते हैं लोग  झूठ

हिटलर के प्रचार मंत्री जोसेफ गोयबल्स की एक बात बड़ी मशहूर है. वह यह कि किसी  झूठ को इतनी बार कहो कि वह सच बन जाए और सब उस पर यकीन करने लगें.

आप ने भी अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा होगा, जो बहुत ही सफाई से  झूठ बोल लेते हैं. वे अपना  झूठ इतने यकीन से पेश करते हैं कि वह सच लगने लगता है. हमें लगता है इंसान इतने भरोसे से कह रहा है, तो बात सच ही होगी.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक ‘सैल्फ सविंग ह्यूमन टैडेंसी’ है. कई लोगों को  झूठ बोलने की आदत होती है, तो वहीं कई लोग मजबूरी में या किसी परेशानीवश  झूठ बोल देते हैं.  झूठ बोलने की बहुत सारी वजहें हो सकती हैं, जिन्हें आसानी से जान पाना और सम झना बहुत कठिन है क्योंकि हरेक इंसान में  झूठ बोलने की अपनीअपनी वजह होती है.

कभी कोई किसी के अच्छे के लिए  झूठ बोलता है तो किसी के  झूठ बोलने का कारण होता है विवादित बयानों के जरीए अन्य लोगों को बुरे इरादों वाला या उन के चरित्र पर प्रश्नचिह्न लगाने का प्रयास करना ताकि खुद के दोष को छिपा सकें. कोई आगे बढ़ने के लिए  झूठ बोलता है, तो कोईर् किसी को पीछे धकेलने के लिए  झूठ का सहारा लेता है. फिर ऐसे लोग भी हैं जो लज्जा से बचने, पिछले  झूठ को सही साबित करने या लोगों को धोखा देने के खयाल से  झूठ बोलते हैं.

वैसे  झूठ बोलने की अनिवार्यता को पहली बार करीब 2 दशक पहले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सामाजिक मनोविज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफैसर बेला डे पोलो ने दस्तावेज किया था.

झूठ बोलना आसान क्यों

संसाधनों की रस्साकशी में बिना किसी ताकत और जोरजबरदस्ती के लोगों से चालाकी से काम निकलवाना ज्यादा कारगर होता है और यह  झूठ का रास्ता अपनाने पर आसानी से हो पाता है. यह जानवरों की अपनाई जाने वाली रणनीतियों से काफी मिलताजुलता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नीतिशास्त्र पढ़ाने वाली सिसेला बोक मानती हैं कि किसी का पैसा या संपत्ति हासिल करने के लिए, डाका डालने या सिर फोड़ने से ज्यादा आसान है  झूठ बोलना.

दिलचस्प बात यह है कि कुछ  झूठ की सचाई जानते हुए भी हम उस पर यकीन करते हैं, इस से हमारी दूसरों को धोखा देने की और हमारी खुद की धोखा खाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है. अगर सोशल मीडिया की ही बात करें तो शोध के मुताबिक, हमें उस  झूठ को स्वीकारने में जरा भी संकोच नहीं होता है जो हमारी ही सोच को और मजबूत करता है.

विचारों का समर्थन

इसलिए जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन के शपथग्रहण समारोह में ऐतिहासिक भीड़ जमा हुई थी, तब उन के समर्थकों ने बगैर उस बात को जांचे स्वीकार कर लिया था. जबकि बाद में सामने आया कि ट्रंप की ओर से जारी की गई तसवीरें दरअसल फोटोशाप्ड थीं. वाशिंगटन पोस्ट फैक्ट चैकर्स ने उन के बयानों को खंगाला तो पता चला कि वे औसतन लगभग 22  झूठ प्रतिदिन बोलते हैं. बावजूद इस के हम उसे  झूठ मानने से इनकार करते हैं क्योंकि वह बात कहीं न कहीं हमारे बनाए विचारों का समर्थन करती है.

जार्ज लैकआफ, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बकली में भाषाविद हैं और कहते हैं कि अगर कोई तथ्य सामने रखे और वह आप की सोच में फिट न हो, तो या तो आप उसे अनदेखा करेंगे या फिर उसे बकवास बताने लगेंगे.

कुछ समय पहले की ही बात है. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में एक महुआ का पेड़ रातोंरात चमत्कारी बन गया. दरअसल, एक चरवाहे ने लोगों को कहानी सुनाई कि जब वह जंगल से गुजर रहा था तब उसे महसूस हुआ कि कोई उसे खींच रहा है. फिर जा कर वह एक महुआ के पेड़ से लिपट गया और पलभर में ही उस के शरीर और जोड़ों का दर्द गायब हो गया. फिर क्या था, लोगों की वहां भीड़ जमा होने लगी, यह जांचे बगैर कि वह चरवाहा सच बोल रहा है या  झूठ.

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 झूठ हमें आकर्षित क्यों करता है

कहते हैं सच कड़वा होता है, पर  झूठ हमें आकर्षित करता है. इस का एक कारण तो यह है कि  झूठ बोलने की हमारी सैल्फ सविंग ह्यूमन टैडेंसी इतनी सामान्य है कि मनोवैज्ञानिकों ने इसे एक रोचक नाम दिया है ‘द फंडामैंटल अट्रिब्यूशन एरर’ यानी मौलिक रूप से गलती थोपने की आदत. यह हमारे भीतर इतनी गहरी बैठ गई है कि हम हर किसी के साथ  झूठ बोलने में अभ्यस्त हो गए हैं. ऐसा हम ईमेल, सोशल मीडिया, वाहन बीमा राशि के समय, बच्चों के साथ, दोस्तों यहां तक कि अपने जीवनसाथी के साथ भी बेवजह लगातार  झूठ बोलते हैं.

वैसे जानकार मानते हैं कि  झूठ बोलने की आदत हमारे विकास का वैसा ही हिस्सा है जैसे कि चलना, बोलना, खानापीना आदि. हालांकि  झूठ बोलने को कहीं न कहीं मासूमियत खोने की शुरुआत माना जाता है. मनोवैज्ञानिक तो यह भी कहते हैं कि बच्चे का  झूठ बोलना इस बात का संकेत है कि उस का ज्ञान संबंधी विकास पटरी पर है. उम्र के साथ बच्चे बेहतर तरीके से  झूठ बोल पाते हैं.  झूठ बोलने के दौरान दूसरे पक्ष के दिमाग, उस की सोच को सम झने के तरीकों को ‘थ्योरी औफ माइंड’ कहा गया है. बच्चों के  झूठ में धीरेधीरे इस थ्योरी का असर दिखाईर् देने लगता है.

2008 के एक अध्ययन में सामने आया कि सच्ची भावनाओं को छिपाना आसान नहीं है, जबकि हम स्वाभाविक रूप से  झूठ नहीं बोल सकते हैं वहीं 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन बताता है कि धोखा या  झूठ किसी को अस्थायी रूप से थोड़ा और रचनात्मक होने के लिए प्रेरित कर सकता है.

बहुत भारी भी पड़ सकती है

वैसे अगर किसी के भले के लिए  झूठ बोला जाए, तो वह कई सच से बड़ा होता है, ऐसा भी हम ने सुना है, लेकिन कितना  झूठ है सही?

इस संबंध में मनोवैज्ञानिक डा. अशुम गुप्ता कहती हैं कि दूसरों की भलाई के लिए कुछ खास स्थितियों में बोले गए  झूठ को  झूठ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, लेकिन अपने फायदे, लालच और दूसरों को नुकसान पहुंचाने या उन्हें परखने के उद्देश्य से  झूठ बोलने की आदत बहुत भारी पड़ सकती है.

ऐसा करने वाले लोग अपनों का विश्वास खो देते हैं. नकारात्मक छवि की वजह से इन की सच्ची बातों पर भी लोगों को यकीन नहीं होता. अगर कभी मजबूरी में आप को  झूठ बोलना भी पड़े तो बाद में जब स्थितियां सामान्य हो जाएं तो विनम्रता से माफी मांगते हुए अपना  झूठ स्वीकार लेना चाहिए. इस से मन में कोई ग्लानि नहीं रहेगी और आप की छवि भी नहीं बिगाड़ेगी.

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जानें क्या है फाइब्रॉएड से जुड़े मिथ

जब महिलाएं 35 वर्ष की अवस्था तक पहुंचती है तो उनमें यूटरीन फाइब्रॉएड होना काफी आम बात होती है. इसे अक्सर यूटरस में सॉफ्ट ट्यूमर के रूप में जाना जाता है. अगर फाइब्रॉएड का इलाज लम्बे समय के लिए नहीं किया जाता है तो महिला की जिंदगी और उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

इससे कभी-कभी मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की समस्या होती है या अगर यह फाइब्रॉएड बहुत ज्यादा बड़ा हो गया तो इससे पेल्विस में बहुत ज्यादा दर्द तथा भारीपन, पीठ दर्द, पैर में दर्द, यूरिनरी फ्रीक़्वेन्सी, और बॉवेल मूवमेंट में मुश्किल, सेक्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और ब्लॉटिंग में सामान्य दर्द की भावना हो सकती है. चूंकि महिलाओं को इस कंडीशन के बारे में विधिवत जानकारी नहीं होती है. इसलिए उनमें इससे सम्बंधित कई मिथक तथा भ्रांतियां फ़ैल गयी है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं फाइब्रॉएड के बारें में जाने और इससे बचने के लिए उपाय कर सकें.

नीचे इस कंडीशन से सम्बंधित कुछ मिथक बताये जा रहे हैं.

पहला मिथक- यूट्रीन फाइब्रॉएड के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र प्रभावी इलाज है

एक दशक पहले यह बात सही थी. लेकिन अब मेडिकल के क्षेत्र में कई उन्नति होने से अब हमारे पास यूट्रीन फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए कम से कम चीरफाड़ वाली प्रक्रिया मौजूद है. और अब हिस्टेरेक्टॉमी एक वैकल्पिक इलाज बन गया है. हमने कई महिलाओं के लिए न्यूनतम इनवेसिव विकल्प यूट्रीन फाइब्रॉएड एम्बोलिज़ेशन (यूएफई) किया . यह नॉनसर्जिकल आउट पेशेंट प्रक्रिया गर्भाशय (यूटरस) को निकाले बिना यूटरीन फाइब्रॉएड का इलाज कर सकती है. यूएफई उन महिलाओं के लिए बढ़िया होती है जो इनवेसिव सर्जरी से बचना चाहती हैं.

दूसरा मिथक: फाइब्रॉएड कैंसर हैं

यूटरीन फाइब्रॉएड का पता चलने के बाद महिला के दिमाग में पहला सवाल यह आता है कि “क्या फाइब्रॉएड कैंसर? ” इस सवाल का जवाब है कि यह कैंसर नहीं होता है. फाइब्रॉएड ट्यूमर की स्लो वृद्धि होती हैं और इसका यूट्रीन कैंसर से कोई संबंध नहीं है. फाइब्रॉएड इस हद तक दर्दनाक होते हैं कि वे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं.लेकिन ये जानलेवा नहीं होते है. फाइब्रॉएड का इलाज दवा या न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है.

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तीसरा मिथक: फाइब्रॉएड से गर्भावस्था प्रभावित होती है

लोगों का मानना है कि अगर किसी महिला को यूट्रीन फाइब्रॉएड का पता चलता है, तो वह गर्भधारण नहीं कर सकती है. वे अक्सर यूट्रीन फाइब्रॉएड को बांझपन समझते हैं. लेकिन सभी फाइब्रॉएड आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करते हैं. गर्भावस्था वास्तव में कई अन्य फैक्टर्स पर भी निर्भर करती है. यह देखा गया है कि जिन महिलाओं में फाइब्रॉएड का लक्षण नहीं दिखता है, वैसी महिलाएं आमतौर पर किसी भी प्रजनन समस्या का सामना नहीं करती है. फाइब्रॉएड होने के बावजूद कई महिलाएं स्वस्थ गर्भ धारण कर सकती हैं.

चौथा मिथक: फाइब्रॉएड एक बार अगर हटा दिया गया तो वह दोबारा नहीं होता है

फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है, भले ही आपने इस स्थिति का इलाज करा लिया हो. यह महत्वपूर्ण है कि अगर आपमें यह समस्या हो चुकी हो तो इलाज के बाद भी अपने चिकित्सक के साथ नियमित तौर पर संपर्क में रहे. नियमित टेस्ट और इमेजिंग टेस्ट के माध्यम से आपका चिकित्सक दोबारा फाइब्रॉएड होने की जांच करेगा. अग़र यूट्रीन फाइब्रॉएड फिर से हो जाता है तो मरीज को अलग इलाज कराने का सुझाव दिया जाता है. आपका चिकित्सक आपके लिए सही उपचार चुनने में आपकी सहायता करेगा. यूएफई सहित अधिकांश इनवेसिव सर्जरी कई महिलाओं को उनके गर्भाशय से फाइब्रॉएड को स्थायी रूप से बाहर करने में मदद करती हैं.

पांचवां मिथक: फाइब्रॉएड का इलाज दवाओं के खाने से हो सकता है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि फाइब्रॉएड फिर से भी हो सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद भी दवाओं को खाते रहना चाहिए. कुछ दवाएं समय के साथ फाइब्रॉएड को सिकोड़ने में मदद करती हैं और कभी-कभी कुछ अक्रामक उपचार भी स्थिति को खत्म करने के लिए फायदेमंद होते हैं. लेकिन दवाओं का सेवन न करना लक्षणों को बदतर कर सकता है और फाइब्रॉएड को बढ़ा सकता है.

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छठा मिथक: मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉएड गायब हो जाता हैं

कभी-कभी मेनोपॉज के दौरान हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने से आपके गर्भाशय में नया फाइब्रॉएड भी विकसित हो सकता हैं. यह दर्शाता है कि मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को भी फाइब्रॉएड के इलाज कराने की जरुरत होती है. यूएफई एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो फाइब्रॉएड को ब्लड के प्रवाह को अवरुद्ध करके सुरक्षित और प्रभावी ढंग से सिकोड़ती है, जिससे फाइब्रॉएड सिकुड़ जाते हैं और लंबे समय के लिए गायब हो जाते हैं.

मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा के गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन- सीनियर कंसल्टेंट डॉ मंजू गुप्ता

शादी के लिए हां करने से पहले जाननी जरुरी हैं ये 5 बातें

‘शादी,’ यह शब्द सुनते ही किसी के चेहरे पर मुसकराहट आ जाती है तो किसी के चेहरे पर टैंशन. कई लोगों के साथ ये दोनों चीजें होती हैं. मतलब वे कभी खुश होते हैं तो कभी चिंता में पड़ जाते हैं. एक तरफ नए रिश्ते की एक्साइटमैंट होती है तो दूसरी तरफ जिम्मेदारियों का एहसास. कहते हैं न ‘शादी का लड्डू, जो खाए पछताए जो न खाए वह भी पछताए.’ भई, जब पछताना ही है तो क्यों न खा कर ही पछताया जाए. तो अब जब आप ने शादी करने का मन बना ही लिया है तो कुछ सवालों के जवाब जानना आप के लिए बेहद जरूरी हैं. चाहें आप लव मैरिज कर रही हों या फिर अरेंज.

शादी के बाद आप रोज कुछ न कुछ अपने पार्टनर के बारे में नई बातें जान सकती हैं लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो शादी से पहले ही आप दोनों को जानना जरूरी है. इन के जवाब जानने के बाद आप को यह पता चल जाता है कि आप उन से शादी कर सकती हैं या नहीं. साथ ही, इस बात का एहसास हो जाता है कि आप दोनों के लिए आने वाली लाइफ कैसी हो सकती है.

घर के काम की जिम्मेदारी

अब वह समय नहीं रहा कि किसी एक पर काम का पूरा बोझ दे दिया जाए. शादी के बाद ज्यादातर लड़ाई इसी बात की होती है कि झाड़ ूपोंछा, बरतन, कपड़े धोने और खाना बनाने का काम कौन करेगा. अगर होने वाला लाइफपार्टनर आप से यह कहता है कि वह तो पानी भी नहीं उबाल सकता, घर के काम करना तो दूर की बात है. फिर आप सोच लीजिए. अगर आप मैनेज कर सकती हैं तो इस रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन अगर आप को लगता है कि घर के कामों में उन्हें भी मदद करनी चाहिए तो यह बात उन को बता दें.

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अगर वे यह जवाब देते हैं कि वे इस के लिए तैयार हैं तब तो रिश्ते को आगे ले जाइए लेकिन अगर वे यह जताते हैं कि घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ औरत की है तो ऐसे रिश्ते में संभल जाना ही बेहतर है.

शादी के बाद का कैरियर

अपने कैरियर के बारे में अपने होने वाले लाइफपार्टनर से पहले ही बता दें. जैसे, आप कैरियर को ले कर काफी सीरियस और प्रोफैशनल हैं. इस के लिए आप काफी मेहनत भी कर रही हैं और शादी के बाद भी बाहर जा कर काम करना चाहती हैं. वहीं अगर शादी के बाद आप काम नहीं करना चाहतीं तो भी उन से साफसाफ बता दें. साथ ही, उन से यह भी पूछें कि आगे चल कर कैरियर प्लानिंग क्या है. अगर वे ट्रांसफर लेना चाहते हैं तो क्या आप के लिए यह पौसिबल है, यह शादी से पहले ही क्लीयर कर लेना चाहिए.

कर्ज तो नहीं

शादी के कई साल बाद अगर पता चलता है कि पार्टनर ने लाखों का कर्जा लिया है तो बसीबसाई गृहस्थी खराब हो जाती है. इसलिए उन से पहले ही पूछ लें कि क्या कोई उधार या क्रैडिट कार्ड का बड़ा बकाया बिल तो नहीं है. उन के जवाब के बाद सोचसमझ कर अगला कदम बढ़ाएं, क्योंकि आर्थिक वजह से भी बड़ेबड़े झगड़े होते हैं.

बच्चों के बारे में

आज के दौर में बहुत सारे कपल ऐसे हैं जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. वे एडौप्शन या आईवीएफ को बेहतर मानते हैं. इसलिए शादी के पहले ही एकदूसरे के विचार जानना जरूरी है. क्या पता आप बच्चा चाहती हों और वे नहीं या यह भी हो सकता है कि वे बच्चा चाहते हों लेकिन आप नहीं. इसलिए इस पर खुल कर बात कर लें.

धार्मिक, राजनीतिक विचार और रिस्पैक्ट

आप दोनों एकदूसरे से अपने धार्मिक व राजनीतिक विचार शेयर करें. आजकल हर किसी की अपनी राजनीतिक विचारधारा और धार्मिक नजरिया होता है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धार्मिक या नास्तिक होते हुए भी किसी और पर अपनी सोच नहीं थोपते और कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूसरे पर बहुत ज्यादा हावी हो जाते हैं. तो आप उन के सामने अपनी बात रखिए. हो सकता है कि आप दोनों की सोच एक हो और अगर एक न भी हो तो भी उन से पूछिए कि फ्यूचर में आप दोनों एकदूसरे की विचारधाराओं का सम्मान कर पाएंगे या नहीं. क्या एकदूसरे को इस की आजादी दे पाएंगे. कहीं यह आप के बीच दूरी की वजह तो नहीं बनेगी.

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हैल्थ प्रौब्लम

वैसे तो होने वाले पार्टनर से शादी करने से पहले कोई ऐसी बात नहीं छिपानी चाहिए जिस से आगे चल कर आप दोनों के रिश्ते में दरार पड़े लेकिन आज के दौर में एक अहम सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी हो गया है, वह है हैल्थ प्रौब्लम. जरूरी नहीं है कि बीमारी बड़ी हो. आप दोनों को अपनी स्वास्थ्य समस्याओं पर बात कर लेनी चाहिए, भले ही वह छोटी बीमारी क्यों न हो. आप दोनों अगर मैनेज कर सकते हैं तो रिश्ते को आगे बढ़ाने में कोई बुराई नहीं है.

जैस्मीन भसीन से लेकर श्वेता तिवारी तक, दिशा-राहुल के रिसेप्शन में छाईं टीवी की ये हसीनाएं

बीते दिनों दिशा परमार और राहुल वैद्य की शादी सुर्खियों में बनी रही. वहीं उनकी शादी से लेकर रिसेप्शन में कई सेलेब्स ने शिरकत की. लेकिन इस दौरान टीवी की हसीनाओं के लुक्स ने महफिल में चार चांद लगा दिए थे. आइए आपको दिखाते हैं #Dishul की शादी सेलिब्रेशन में टीवी हसीनाओं के कातिलाना लुक्स की झलक…

अली संग जैस्मीन का लुक था अलग

 

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राहुल और दिशा परमार की शादी के हर फंक्शन में अली गोनी और उनकी गर्लफ्रेंड जैस्मिन भसीन नजर आए. वहीं हर फंक्शन में जैस्मीन का स्टाइलिश लुक देखने को मिला.  जहां शादी में वह लहंगा कैरी करते हुए दिखीं तो वहीं रिसेप्शन के लिए एक्ट्रेस ने गुलाबी रंग की सीक्वन वर्क वाली साड़ी पहनी, जिसके साथ ट्रेंडी ब्लाउज गजब ढा रहा था. जैस्मीन भसीन का हर लुक दुल्हन दिशा परमार को टक्कर दे रहा था.

 

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सेक्सी लुक में पहुंची श्वेता तिवारी

 

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वेट ट्रांसफौर्मेशन के बाद फैंस के बीच अपने फैशन के लेकर सुर्खियां बटोर रहीं एक्ट्रेस श्वेता तिवारी, राहुल- दिशा की शादी में लिए ब्लू कलर की एम्बेलिश्ड साड़ी पहने नजर आईं, जिसमें उनका लुक जवान एक्ट्रेस को टक्कर देते नजर आ रहा था. वहीं फैंस उनके इस लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे थे.

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इस एक्ट्रेस ने बिखेरी अदाएं

 

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खतरों के खिलाड़ी 11 में नजर आ रहीं एक्ट्रेस सना मकबूल का लुक भी रिसेप्शन पार्टी में धमाल मचा रहा था. हेवी एम्ब्रोडरी वाले लहंगे के साथ मैचिंग ब्लाउज और दुपट्टा सना के लुक को और भी शानदार बना रहा था. लाइट शेड होने के बावजूद सना बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

फैशन के मामले में टक्कर देती दिखीं अनुष्का

 

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सीरियल बालवीर में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस अनुष्का सेन भी रिसेप्शन पार्टी में शामिल हुई थी, जिन्होंने पेस्टल शेड वाला लहंगा पहना था, जिसके साथ मल्टीकलर फ्लोरल पैटर्न वाला ब्लाउज कैरी किया था. इस लुक में अनुष्का बेहद खूबसूरत लग रही थी.

पवित्रा का दिशा सिंपल लुक

 

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इन दिनों अपने लिवइन रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियां बटोर रही एजाज खान और पवित्रा पुनिया भी रिसेप्शन में पहुंचे जहां दोनों मैचिंग वाइट लुक कैरी करते नजर आए. दोनों की जोड़ी बेहद खूबसूरत लग रही थी.

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Family Story In Hindi: सितारों से आगे- भाग 1- कैसे विद्या की राहों में रोड़ा बना अमित

लेखिका- डा. सरस्वती अय्यर

दरवाजे पर तेज बजती घंटी की आवाज से विद्या की तंद्रा भंग हुई कि अरे 4 बज गए. लगता है वृंदा आ गई. विद्या जल्दी से उठ खड़ी हुई.

विद्या की शंका सही थी, दरवाजे पर वृंदा ही थी. विद्या की 17 साल की लाड़ली बेटी वृंदा. दरवाजे से अंदर आ कर अपना बैग रख कर जूते खोलते हुए वह चंचल हो गई, ‘‘अरे अम्मी आज स्टेट लैवल बैडमिंटन में मेरे सामने वाले खिलाड़ी की मैं ने ऐसी छुट्टी की न कि कुछ पूछो मत, मैं ने उसे सीधे सैट में हरा दिया. मेरी कोच बोल रही थीं कि अगर मैं ऐसे ही खेलती रहूंगी तो एक दिन नैशनल लैवल खिलाड़ी बनूंगी और वह दिन दूर नहीं जब बड़ेबड़े अखबारों में, टीवी चैनलों में मेरे फोटो आएंगे.’’

वृंदा की रनिंग कमैंट्री जारी थी. बैग को खोलते हुए उस में से बड़ी सी ट्रौफी निकाल कर वह विद्या से लिपट गई, ‘‘दिस ट्रौफी इज फौर माई डियर मौम,’’ और मौम के हाथ में ट्रौफी थमा कर बोली, ‘‘मम्मी खाना तैयार रखना बस मैं 2 मिनट में हाथमुंह धो कर कपड़े चेंज कर के आती हूं, जोर की भूख लगी है,’’ कहते हुए वह अंदर चली गई.

कार्निश पर ट्रौफी को रखते हुए विद्या की आंखें भर आईं. चुपचाप रसोई में जा कर गरम फुलके सेंक कर प्लेट में रोटीसब्जी रख कर उस ने खाना डाइनिंगटेबल पर रख दिया.

फ्रेश हो कर आई वृंदा ने 5 मिनट में खाना खा लिया और बोली, ‘‘मम्मा मैं 1-2 घंटे सो रही हूं, शाम को कैमिस्ट्री की क्लास है, मुझे जगा देना,’’ कह कर वह सोने चली गई.

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रसोई समेट कर विद्या भी वृंदा के पास लेट गई. सोती हुई मासूम वृंदा के बालों में हाथ फेरते विद्या 18 साल पहले की दुनिया में कब पहुंच गई. उसे पता ही नहीं चला…

सच ऐसी ही तो थी वह भी, इतनी ही खुशमिजाज और खूबसूरत, जिंदगी से भरपूर, होनहार लड़की. घर में वात्सल्यपूर्ण मातापिता और ढेर सारा प्यार करने वाली छोटी 2 बहनें, बाहर कालेज और बैडमिंटन कोर्ट इन सब के बीच हंसतेखेलते हुए उस की जिंदगी गुजर रही थी. इस बीच एक और बहुत अच्छी बात हुई, बैडमिंटन में ढेरों पुरस्कार बटोर चुकी विद्या को रेलवे में स्पोर्ट्स कोटा में नौकरी का औफर मिला. विद्या और उस के घर वालों की खुशी का ठिकाना न रहा. विद्या ने ग्रैजुएशन के बाद रेलवे की नौकरी जौइन कर ली.

मगर इस के बाद उस की जिंदगी इतनी जल्दी और इतनी तेजी से बदलेगी इस का तो उसे आभास भी नहीं था. रेलवे की नौकरी मिलने के कुछ समय बाद ही विद्या की चाची उस के लिए अपने इंजीनियर देवर का रिश्ता ले कर आ गईं. हालांकि शुरू में विद्या ने इतनी जल्दी विवाह करने से इनकार किया पर पिता के समझने पर कि वह लड़कियों में सब से बड़ी है, उस की शादी हो जाएगी तो फिर वे बाकी 2 लड़कियों के लिए भी लड़का देख सकेंगे और फिर लड़के वाले परिचित हैं. लड़का देखाभाला है, अच्छा खानदान है, मना करने का कोई कारण नहीं है वगैरह.

आखिरकार विद्या विवाह के लिए राजी हो गई. पर सच बात तो यह थी कि उस दिन बूआ के साथ आए उस लंबे, सांवले, सजीले नवयुवक अमित को देख कर वह मना ही नहीं कर पाई थी. खुशीखुशी विद्या की शादी संपन्न हुई और वह अपनी ससुराल आ गई.

ससुराल में शादी के बाद शुरू के 6 महीने जैसे पंख लगा कर उड़ गए. विद्या अपने सासससुर की लाड़ली बहू और ननद प्रिया की पक्की सहेली बन चुकी थी. अमित भी उस का खयाल रखता था. बस कमी कुछ थी उस के पास तो समय की. जब विद्या उस की शिकायत करती तो वह सफाई देता, ‘‘क्या करूं विद्या तुम्हें तो पता है मुंबई की लाइफ तो ऐसी ही है. सुबह 8 बजे निकलता हूं तो 10 बजे औफिस पहुंचता हूं, फिर दिनभर साइट में इंस्पैक्शन करना, शाम को मीटिंग और दूसरे प्रोजैक्ट पर डिस्कस करना. 8 बजे निकलता हूं तो घर पहुंचतेपहुंचते 10 बज ही जाते हैं. क्या करें, अब तुम ही बताओ.?’’

विद्या निराश हो जाती. कहती भी क्या? यह कहानी एक उस की ही तो नहीं है, मुंबई में करोड़ों लोगों को इसी तरह रहना पड़ता है. कभीकभी वह सोचती इस से तो किसी छोटे शहर में रहना अच्छा है, कम से कम घर और औफिस नजदीक तो होते. पर कोई बात नहीं अमित की भी तो मजबूरी है वरना कोई आदमी 10-12 घंटे रोज घर से बाहर खुशी से थोड़े ही रहेगा. सोच कर वह अपने मन को मना लेती.

सुबह उठ कर सासूमां के साथ मिल कर खाना बना कर बाकी काम खत्म कर के वह अमित के साथ ही निकलती. उस को स्टेशन में ड्रौप कर के अमित अपनी साइट पर निकल जाता और विद्या लोकल ट्रेन से औफिस आ जाती. शाम को 7 बजतेबजते वह घर पहुंच जाती. थोड़ा आराम कर के, टीवी देखते हुए रात के काम निबटाती. हर शाम को उस के मन में कई बार इच्छा होती कि अन्य लड़कियों की तरह वह भी पति के साथ मुंबई में जुहू बीच में समंदर के किनारे घूमेफिरे, पिक्चर देखे, पर ऐसा कभी नहीं हुआ. रोज अमित को आने में देर होती थी.

उस का इंतजार करते हुए वह दिनभर की भागादौड़ी और काम से थक कर सो जाती. शनिवाररविवार को भी अमित ‘साइट पर जरूरी काम है’ बोल कर निकल जाता और विद्या कभी अपने मायके चली जाती तो कभी सासूमां के साथ बाजार चली जाती. इसी प्रकार विद्या के ससुराल में कुछ और दिन निकल गए.

शादी के सिर्फ 8 महीने ही हुए थे कि अमित को एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में दुबई जाना पड़ा. विद्या भी उस के साथ जाना चाहती थी, पर अमित के साथ औफिस के 2 सहयोगी और थे इसलिए विद्या मन मसोस कर रह गई. हालांकि प्रोजैक्ट 45 दिनों का ही था, पर कुछ न कुछ कारणों से प्रोजैक्ट खत्म होने में देर हो रही थी और प्रोजैक्ट 3 महीनों तक खिंच गया. दुबई में काम करतेकरते अमित की कंपनी को ओमान में एक और प्रोजेक्ट मिला और अमित और 2 महीनों के लिए ओमान चला गया.

इधर विद्या को अमित के बिना जैसे सब कुछ सूना लग रहा था. अमित के जाने के एक ही हफ्ते में वह बीमार पड़ गई. सासूमां जबरदस्ती उसे डाक्टर के पास ले गईं और जब डाक्टर ने चैकअप के बाद बताया कि वह मां बनने वाली है, तो सासससुर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने विद्या के पिता को भी फोन पर यह शुभ सूचना दे दी, पर विद्या खुद यह बात अमित को फोन पर बताना चाहती थी.

रात को जब अमित का दुबई से फोन आया तब खुशी से छलकते हुए विद्या ने उसे बताया कि वे पिता बनने जा रहे हैं. दूसरी तरफ से अमित का झल्लाते हुए कहना कि इतनी जल्दी बच्चे की जरूरत नहीं है. हो सके तो कल जा कर अबौर्शन करा लो. सुन कर वे सकते में आ गई कि क्यों अमित? इस पर अमित ने कहा कि वह अभी बच्चे की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं और उस ने फोन रख दिया.

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रातभर विद्या सो नहीं पाई. सुबह उठ कर उस ने सासू को यह बात बताई, पर  सासूजी ने उस पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि अरे कुछ नहीं बेटा अभी तो वह विदेश में है न उस को तुम्हारी चिंता है, इसलिए ऐसा कह रहा है. एक बार यहां आ जाए तो सब ठीक हो जाएगा. तू फिक्र मत कर. हम सब हैं न तेरा खयाल रखने वाले. अबौर्शन वगैरह के बारे में सोचना भी मत और फिर प्यार से उस के बाल सहला दिए.

आखिरकार विद्या का इंजार खत्म हुआ. करीब 5 महीने बाद ओमान में अमित अपना प्रोजैक्ट खत्म कर के वापस आ रहा था. विद्या ने 2 दिन दफ्तर से छुट्टी ले ली थी. बड़े चाव से उस ने अमित के लिए पावभाजी, पूरनपोली, मसाला भात सबकुछ बनाया था. इतने दिनों बाद घर का खाना उसे खाने को मिलेगा. सोच कर विद्या मन ही मन खुश हो रही थी. बहुत दिनों बाद आज उस ने अमित की पसंद की गुलाबी साड़ी पहनी थी और गुनगुनाते हुए अमित का स्वागत करने के लिए तैयार हो रही थी कि सासूमां ने कमरे में प्रवेश किया.

विद्या के खिले हुए चेहरे को देख कर कुछ सिर झका कर उन्होंने हिचकिचाते हुए कहा, ‘‘बेटा एअरपोर्ट से अमित का फोन आया है वह सीधे औफिस जा रहा है, घर आएगा तो औफिस पहुंचने में देर हो जाएगी और आज यहां रिपोर्ट करना जरूरी है.’’

विद्या सन्न रह गई. वह आंसुओं को रोक न सकी, ‘‘क्या औफिस का काम मुझ से भी ज्यादा जरूरी है मां?’’

एक बार फिर मांजी ने ही उसे संभाला, बेटा, ऐसी हालत में रो कर अपनी तबीयत खराब मत कर, सुबह से इतना काम कर रही है, चल थोड़ा आराम कर ले.

हालांकि उस वक्त तो विद्या संभल गई पर पूरा दिन उस की सूजी आंखें और दरवाजे पर नजर किसी से छिपाए न छिपी.

रात को 11 बजे अमित घर पहुंचा. विद्या उस का इंतजार कर के निद्रा के आगोश में कब चली गई उसे पता ही नहीं चला. अमित ने सोती हुई विद्या को लापरवाही से देखा और कपड़े बदल कर सोफा पर सो गया.

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नारी सशक्तिकरण का अगला कदम होगा सीरियल ‘रक्षा बंधन-रसाल अपने भाई की ढाल’

पूरे भारत  में ‘‘रक्षाबंधन’’ पर हर बहन अपने भाई की कलार्ई पर राखी बांधती है और भाई अपनी  बहन की सदैव रक्षा करने का प्रण लेता है. लेकिन जब जमाना और वक्त बदल रहा है, तो लोगों की सोच भी बदलनी चाहिए. रश्में भी बदलनी चाहिए. इसी के चलते 19 जुलाई से हर सोमवार से शुक्रवार, शाम सात बजे ‘‘दंगल’’टीवी पर प्रसारित हो रहे अनूठे सीरियल ‘‘रक्षाबंधन-रसाल अपने भाई की ढाल’’में नारी सशक्ति करण का एक अनूठा कदम पेश किया जाने वाला है. इस सीरियल में अब भाई अपनी बहन को राखी बांधता हुआ नजर आएगा और बहन उसको रक्षा का वचन देगी.

सीरियल ‘रक्षाबंधन-रसाल अपने भाई की ढाल’’राजस्थान के देवरिया गांव के एक बहन और भाई के अटूट रिश्ते की कहानी बयां करती है. जहां बहन अपने भाई की हर मुश्किल में उसकी ढाल बनी खड़ी नजर आती है. अपने भाई शिवराज पर आए हर संकट का निवारण बहन रसाल करती है. रसाल का मानना है कि अगर एक भाई अपनी बहन से राखी बंधवा कर उसकी रक्षा का वचन दे सकता है,  तो एक बहन अपने भाई से राखी बंधवा कर उसकी रक्षा का वचन क्यों नही दे सकती?यह ऐसा रिश्ता है, जो चन्दन जैसा पावन तथा दीपक और ज्योति जैसा अनोखा है. यह कहानी एक बहन और भाई की भावनाओं से भरे सफर की है. कहानी में नया मोड तब आता है, जब इनकी जिंदगी में सौतेली मां आती है, जो इन बहन भाई को अलग करने की और उनकी संपत्ति और जायदाद हडपने की कोशिश करती है.  रसाल किस तरह अपने  भाई की ढाल बनकर उसकी रक्षा करती है, यही इस कहानी का मूल है.

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‘‘दंगल’’ टीवी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष सिंघल कहते हैं-‘‘हम व हमारे ‘दंगल’टीवी चैनल की सोच है कि यह हमारे दर्शक ही  हमारी सफलता के लिए जिम्मेदार हैं. इसलिए ‘दंगल’ टीवी पर हम अपनी मौलिक कहानियों की पेशकश को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं और अपने दर्शकों के लिए भरपूर मनोरंजन का एक मात्र स्थान बनने की योजना बना रहे हैं. दंगल टीवी पर हमारा लक्ष्य सामाजिक रूप से संबंधित,  महिला सशक्तिकरण की कहायिां बताने की है. आज के समय में जब पूरी दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है,  हम दंगल टीवी पर एक ऐसी कहानी लाना चाहते हैं,  जो न केवल पारिवारिक एकता की बात करती हो,  बल्कि भाई-बहनों के पवित्र रिश्ते का जश्न भी मनाती हो. साथ ही  इस तथ्य को रेखांकित करती हो कि महिलाएं घर और बाहर पुरुषों के बराबर हैं. हमारे  लिए दंगल में,  यह सिर्फ रेटिंग की बात नहीं है,  बल्कि यह विश्वास भी है कि कुछ कहानियों को बताने की जरूरत है और यह कि हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम छोटे शहरों में अपनी महिलाओं की आकांक्षाओं को बदलें और प्रतिबिंबित करें. इतना ही नहीं हमने अपने एक प्रोमो में टीकाकरण अभियान को इस उम्मीद में कैप्चर किया है कि यह हम सभी वयस्कों को भी समय पर टीके लेने की याद दिलाता है. ’’

सीरियल ‘‘रक्षाबंधन-रसाल अपेन भाई की ढाल’’में रसाल के किरदार में हार्दिक शर्मा ने और शिवराज की भूमिका में अजिंक्य मिश्रा नजर आ रहे हैं. जबकि चकोरी का किरदार सीरियल‘दिव्यदृष्टि’फेम अदाकारा नायरा बनर्जी कर रही है. वैसे नायरा बनर्जी ने कुछ हिंदी और दक्षिण भाषा की फिल्मों में भी अभिनय किया है. वहीं टीवी सीरियल ‘गुड्डन तुमसे न हो पाएगा’फेम कलाकार निशांत मलकानी इस सीरियल में  उमेद सिंह के किरदार मे हैं. ‘बिग बॉस’में नजर आ चुके निशांत ने रागिनी एमएमएस रिटर्न्स और बेजुबान इश्क जैसी फिल्मों में भी अदाकारी की है.  निरहुआ हिंदुस्तानी 2 जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकी भोजपुरी अभिनेत्री संचिता बनर्जी इस शो में फूली के किरदार में नजर आ रही हैं.

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रसाल का किरदार निभा रही बाल कलाकार हार्दिक शर्मा को  दर्शक फिल्म‘‘हंगामा 2’’में भी देख सकेंगे. छह वर्षीय हार्दिक शर्मा सुबह चार बजे उठकर योगा और सूर्य नमस्कार करती है. जबकि शिवराज का किरदार निभा रहे बाल कलाकार अजिंक्य मिश्रा को दर्शक ‘बाहुबली 2’में प्रभास के  बचपन के किरदार मेे देख चुके हैं. वह कई विज्ञापन फिल्मों में भी नजर आते हैं.

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काव्या-पाखी की क्लास लगाएगी अनुपमा, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में मेकर्स नए-नए ट्विस्ट एंड टर्न्स ला रहे हैं, जिसके चलते दर्शको को सीरियल की कहानी काफी पसंद आ रही है. दरअसल, अनुपमा से नाराज पाखी, काव्या के साथ मिलकर वनराज को परेशान करते नजर आते हैं, जिसके चलते अनुपमा का गुस्सा देखने को मिलने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

पाखी को लेकर परेशान है अनुपमा

अब तक आपने देखा कि वनराज के नए कैफे में ग्राहकों के ना आने से वह काफी परेशान है. वहीं काव्या बात बात पर उसे ताने मारते नजर आ रही हैं, जिसके कारण वनराज काफी परेशान है. इसी बीच पाखी की काव्या की ओर बढ़ती नजदिकियां बढ़ती जा रही है, जिसके कारण अनुपमा परेशान है.

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काव्या पर भड़की बा

पाखी के दोस्तों के संग काव्या को मस्ती करता देख बा गुस्सा हो जाती है. बा काव्या को कहती है कि बच्चों के साथ ही मस्ती करती रहोगी या बच्चों को खाना भी खिलाओगी. बा काव्या को किचन में जाकर खाना बनाने को कहती है. वहीं बा पाखी को भी सुनाती है कि वह क्यों अनुपमा की बुराई कर रही है.

पाखी-काव्या की क्लास लगाएगी अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि पाखी अपने दोस्तों के साथ कैफे में आती हैं. जहां वह काव्या के साथ मिलकर खाना बर्बाद कर देती है, जिसके कारण अनुपमा गुस्से में नजर आएगी. दरअसल, अनुपमा पाखी की हरकतों पर काफी नाराज़ हो जाती है और पाखी से पूछती है कि इसमें से ऐसा कुछ है कि जिसे खाया ना गया हो, पाखी बताती है कि उसके दोस्तों ने हर खाने को बस थोड़ा-थोड़ा ही खाया है. अनुपमा फिर कहती है कि तो बचे हुए खाने का क्या करें. तो पाखी कहती है कि आप लोग खा लीजिए. पाखी के जबाव को सुनकर अनुपमा गुस्सा हो जाती है और डांटते हुए कहती है कि बा और बाबू जी जूठा खाना खाएंगे. वहीं इस बात पर अनुपमा, पाखी को खूब डांट लगाती नजर आएगी. वहीं पाखी के सपोर्ट में काव्या कहेगी कि वो खाने के पैसे और टिप दोनों दे देगी. तभी अनुपमा उसे याद दिलाते हुए कहेगी कि जो खाना उसने बर्बाद किया वह उसके पति का है तो पैसे और टिप भी उसे ही दे.

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