पीएम मोदी ने की सीएम योगी की तारीफ

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की सरकार में प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है.

सबको मुफ्त वैक्सीन अभियान का आयोजन हो रहा है. ये बातें प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अलीगढ़ के संबोधन में कहीं. उन्‍होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 8 करोड़ से अधिक वैक्सीन के साथ एक दिन में सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड भी उत्तर प्रदेश के ही नाम है.

यूपी ने टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए रोजाना नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश, वेस्‍ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्‍यों से आगे निकल आठ करोड़ 94 लाख से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं. यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है. यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है. ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं. प्रदेश में वैक्‍सीन की पहली खुराक 7 करोड़ 42 लाख से अधिक और  वैक्‍सीन की दूसरी डोज 1 करोड़ 51 लाख से अधिक को दी जा चुकी है.

वनराज के बाद बा हुई Anupama के खिलाफ, अनुज के साथ डील करने के लिए कहेगी ना

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा (Anupama) में वनराज (Sudhanshu Panday) की अनुज कपाड़िया (Gaurav Khanna) की तरफ बढ़ती नफरत नया मोड़ लेने वाली हैं. जहां एक तरफ वह और काव्या (Madalsa Sharma) डील ना मिलने से नाखुश हैं तो वहीं अनुज का घर आना तोषू को खल रहा है. इसी बीच अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा (Rupali Ganguly) अपने हक और सपने के लिए खड़ी होने वाली है. हालांकि इसमें उसके खिलाफ बा और वनराज होते नजर आएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज ने उठाए अनुपमा पर सवाल

अब तक आपने देखा कि अनुज, अनुपमा के घर पर आकर उसे डील मिलने और अपना पार्टनर बनाने की बात कहता है, जिसे सुनकर वनराज, काव्या और पूरी फैमिली हैरान हो जाती है. हालांकि अनुपमा इस बारे में सोचने के लिए वक्त मांगती है, जिसके बाद अनुज शाह निवास से चला जाता है. वहीं इसके बाद वनराज अनुपमा की अनुज की दोस्ती पर सवाल उठाते हुए कहता है कि यह डील सिर्फ उसे इसलिए मिली है, क्योंकि वह उसके कौलेज का प्यार है.

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अनुपमा ने दिया करारा जवाब

 

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वनराज के इल्जामों से तंग आकर अनुपमा के सब्र का बांध टूट जाएगा और वह वनराज पर चिल्लाएगी और उसे कहेगी कि अब उसकी जिंदगी के फैसलों पर कोई हक नही है क्योंकि उनका तलाक हो चुका है. इसी बीच बा, वनराज के साथ आकर खड़ी होगी और उससे डील को नामंजूर करने के लिए कहेगी. इसी के साथ गुस्से में अनुपमा फैसला लेगी कि वह अब अपना करियर बनाना चाहती है और वह बा के खिलाफ जाकर अनुज कपाड़िया की डील को मंजूर कर लेगी. हालांकि इस फैसले में बापूजी, समर, किंजल और नंदिनी उसका साथ देंगे, जिसके चलते घर में ड्रामा देखने को मिलेगा. दूसर तरफ अनुज अनुपमा के फैसले का इंतजार करता नजर आएगा.

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उलझन: भाग 1- टूटती बिखरती आस्थाओं और आशाओं की कहानी

लेखक-  रानी दर

आश्चर्य में डूबी रश्मि मुझे ढूंढ़ती हुई रसोईघर में पहुंची तो उस की नाक ने उसे एक और आश्चर्य में डुबो दिया, ‘‘अरे वाह, कचौरियां, बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है. किस के लिए बना रही हो, मां?’’

‘‘तेरे पिताजी के दोस्त आ रहे हैं आज,’’ उड़ती हुई दृष्टि उस के थके, कुम्हलाए चेहरे पर डाल मैं फिर चकले पर झुक गई.

‘‘कौन से दोस्त?’’ हाथ की किताबें बरतनों की अलमारी पर रखते हुए उस ने पूछा.

‘‘कोई पुराने साथी हैं कालिज के. मुंबई में रहते हैं आजकल.’’

जितनी उत्सुकता से उस के प्रश्न आ रहे थे, मैं उतनी ही सहजता से और संक्षेप में उत्तर दिए जा रही थी. डर रही थी, झूठ बोलते कहीं पकड़ी न जाऊं.

गरमागरम कचौरी का टुकड़ा तोड़ कर मुंह में ठूंसते हुए उस ने एक और तीर छोड़ा, ‘‘इतनी बढि़या कचौरियां आप ने हमारे लिए तो कभी नहीं बनाईं.’’

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उस का फूला हुआ मुंह और उस के साथ उलाहना. मैं हंस दी, ‘‘लगता है, तेरे कालिज की कैंटीन में आज तेरे लिए कुछ नहीं बचा. तभी कचौरियों में ज्यादा स्वाद आ रहा है. वरना वही हाथ हैं और वही कचौरियां.’’

‘‘अच्छा, तो पिताजी के यह दोस्त कितने दिन ठहरेंगे हमारे यहां?’’ उस ने दूसरी कचौरी तोड़ कर मुंह में ठूंस ली थी.

‘‘ठहरे तो वह रमाशंकरजी के यहां हैं. उन से रिश्तेदारी है कुछ. तुम्हारे पिताजी ने तो उन्हें आज चाय पर बुलाया है. तू हाथ तो धो ले, फिर आराम से प्लेट में ले कर खाना. जरा सब्जी में भी नमक चख ले.’’

उस ने हाथ धो कर झरना मेरे हाथ से ले लिया, ‘‘वह सब चखनावखना बाद में होगा. पहले आप बेलबेल कर देती जाइए, मैं तलती जाती हूं. आशु नहीं आया अभी तक स्कूल से?’’

‘‘अभी से कैसे आ जाएगा? कोई तेरा कालिज है क्या, जो जब मन किया कक्षा छोड़ कर भाग आए? छुट्टी होगी, बस चलेगी, तभी तो आएगा.’’

‘‘तो हम क्या करें? अर्थशास्त्र के अध्यापक पढ़ाते ही नहीं कुछ. जब खुद ही पढ़ना है तो घर में बैठ कर क्यों न पढ़ें. कक्षा में क्यों मक्खियां मारें?’’ उस ने अकसर कक्षा छोड़ कर आने की सफाई पेश कर दी.

4 हाथ लगते ही मिनटों में फूलीफूली कचौरियों से परात भर गई थी. दहीबड़े पहले ही बन चुके थे. मिठाई इन से दफ्तर से आते वक्त लाने को कह दिया था.

‘‘अच्छा, ऐसा कर रश्मि, 2-4 और बची हैं न, मैं उतार देती हूं. तू हाथमुंह धो कर जरा आराम कर ले. फिर तैयार हो कर जरा बैठक ठीक कर ले. मुझे वे फूलवूल सजाने नहीं आते तेरी तरह. समझी? तब तक तेरे पिताजी और आशु भी आ जाएंगे.’’

‘‘अरे, सब ठीक है मां. मैं पहले ही देख आई हूं. एकदम ठीक है आप की सजावट. और फिर पिताजी के दोस्त ही तो आ रहे हैं, कोई समधी थोड़े ही हैं जो इतनी परेशान हो रही हो,’’ लापरवाही से मुझे आश्वस्त कर वह अपनी किताबें उठा कर रसोई से निकल गई. दूर से गुनगुनाने की आवाज आ रही थी, ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे, महके यों ही जीवन में…’

मैं अवाक् रह गई. अनजाने में वह कितना बड़ा सत्य कह गई थी, वह नहीं जानती थी. सचमुच इन के कोई दोस्त नहीं वरन दफ्तर के साथी रमाशंकर की बहन और बहनोई आ रहे थे रश्मि को देखने.

लेकिन बेटे वालों के जितने नाजनखरे होते हैं, उस के हिसाब से कितनी बार यह नाटक दोहराना पड़ेगा, कौन जानता है. और लाड़दुलार में पली, पढ़ीलिखी लड़कियों का मन हर इनकार के साथ विद्रोह की जिस आग से भड़क उठता है, मैं नहीं चाहती थी, मेरी सीधीसादी सांवली सी बिटिया उस आग में झुलस कर अभी से किसी हीनभावना से ग्रस्त हो जाए.

इसी वजह से वह जितनी सहज थी, मैं उतनी ही घबरा रही थी. कहीं उसे संदेह हो गया तो…

भारतीय परंपरा के अनुरूप हमारे माननीय अतिथि पूरे डेढ़ घंटे देर से आए. प्रतीक्षा से ऊबे रश्मि और आशु अपने पिता पर अपनी खीज निकाल रहे थे, ‘‘रमाशंकर चाचाजी ने जरूर आप का अप्रैल फूल बनाया है. आप हैं भी तो भोले बाबा, कोई भी आप को आसानी से बुद्धू बना लेता है.’’

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‘‘नहीं, बेटा, रमाशंकरजी अकेले होते तो ऐसा संभव था, क्योंकि वह अकसर ऐसी हरकतें किया करते हैं. पर उन के साथ जो मेहमान आ रहे हैं न, वे ऐसा नहीं करेंगे. नए शहर में पहली बार आए हैं इसलिए घूमनेघामने में देर हो गई होगी. पर वे आएंगे जरूर…’’

‘‘मान लीजिए, पिताजी, वे लोग न आए तो इतनी सारी खानेपीने की चीजों का क्या होगा?’’ रश्मि को मिठाई और मेहनत से बनाई कचौरियों की चिंता सता रही थी.

‘‘अरे बेटा, होना क्या है. इसी बहाने हमतुम बैठ कर खाएंगे और रमाशंकरजी और अपने दोस्त को दुआ देंगे.’’

बच्चों को आश्वस्त कर इन्होंने खिड़की का परदा सरका कर बाहर झांका तो एकदम हड़बड़ा गए.

‘‘अरे, रमाशंकरजी की गाड़ी तो खड़ी है बाहर. लगता है, आ गए हैं वे लोग.’’

‘‘माफ कीजिए, राजकिशोरजी, आप लोगों को इतनी देर प्रतीक्षा करनी पड़ी, जिस के लिए हम बेहद शर्मिंदा हैं,’’ क्षमायाचना के साथसाथ रमाशंकरजी ने घर में प्रवेश किया, ‘‘पर यह औरतों का मामला जहां होता है, आप तो जानते ही हैं, हमें इंडियन स्टैंडर्ड टाइम पर उतरना पड़ता है.’’

वह अपनी बहन की ओर कनखियों से देख मुसकरा रहे थे, ‘‘हां, तो मिलिए मेरी बहन नलिनीजी और इन के पति नरेशजी से, और यह इन के सुपुत्र अनुपम तथा अनुराग. और नलिनी बहन, यह हैं राजकिशोरजी और इन का हम 2, हमारे 2 वाला छोटा सा परिवार, रश्मि बिटिया और इन के युवराज आशीष.’’

‘‘रमाशंकरजी, हमारे बच्चों को यह गलतफहमी होने लगी थी कि कहीं आप भूल तो नहीं गए आज का कार्यक्रम,’’ सब को बिठा कर यह बैठते हुए बोले.

रमाशंकरजी ने गोलगोल आंख मटकाते हुए आशु की तरफ देखा, ‘‘वाह, मेरे प्यारे बच्चो, ऐसी शानदार पार्टी भी कोई भूलने की चीज होती है भला? अरे, आशु बेटा, दरवाजा बंद कर लो. कहीं ऐसा न हो कि इतनी अच्छी महक से बहक कर कोई राह चलता अपना घर भूल इधर ही घुस आए,’’ अपने चिरपरिचित हास्यमिश्रित अभिनय के साथ जिस नाटकीय अदा से रमाशंकरजी ने ये शब्द कहे उस से पूरा कमरा ठहाकों से गूंज गया.

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कहीं बड़ी न बन जाएं छोटी बीमारियां

39 साल की देविका की त्वचा संवेदनशील है. एक दिन उस ने अपनी जांघ पर छोटेछोटे लाल रंग के चकत्ते देखे जिन में दर्द हो रहा था. उस ने इन चकत्तों को अनदेखा कर दिया. वैसे भी 2 बच्चों की मां की व्यस्त दिनचर्या में खुद के लिए वक्त कहां मिलता है. मगर धीरेधीरे देविका ने महसूस किया कि वह अकसर थकीथकी सी रहने लगी है. कुछ हफ्तों बाद एक दिन जब वह सोफे पर आराम कर रही थी तो उस ने अपने कूल्हे के पास एक गांठ देखी. वह घबरा गई और यह सोच कर रोने लगी कि उसे कैंसर हो गया है.

पति के कहने पर वह अस्पताल गई और वहां जांच कराई. तब डाक्टर ने बताया कि उसे शिंगल्ज नाम का चर्मरोग है और गांठ बनना इस बीमारी का एक लक्षण है जो लिंफ नोड की सूजन के कारण था. तुंरत डाक्टर के पास जाने से देविका जल्दी ठीक हो गई. ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है. जब भी त्वचा से जुड़ी कोई परेशानी दिखे तो डाक्टर से सलाह लें. ध्यान रखें कि ऐसी बहुत सी छोटीछोटी बीमारियां हैं जो घातक नहीं, मगर कभीकभी कैंसर जैसे घातक रोग का कारण भी हो सकती हैं. सो, इन बीमारियों के बारे में जानना जरूरी है.

सोरायसिस

यह एक त्वचा रोग है जिस में त्वचा पर लाल, परतदार चकत्ते दिखाई देते हैं. इन में खुजली व दर्द का एहसास भी होता है. हालांकि यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है किंतु ज्यादातर यह सिर, हाथपैर, हथेलियों, पांव के तलवों, कुहनी तथा घुटनों पर होता है. अकसर यह 10 से 30 वर्ष की आयु में शुरू होता है. यह बीमारी बारबार हो सकती है. कभीकभी यह पूरी जिंदगी भी रहती है.

कैसे होता है :

शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोगप्रतिरोधक प्रणाली की गड़गड़ी से यह बीमारी होती है. जिस से त्वचा की बाहरी परत यानी एपिडर्मिस कोशिकाएं बहुत तेजी से बनने लगती हैं. बाद में चकत्ते दिखने लगते हैं. हालांकि, यह छूत की बीमारी नहीं है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस रोग के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं. सोरायसिस होने का एक कारण तनाव, धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन भी है. शरीर में विटामिन ‘डी’ की कमी व उच्च रक्तचाप की दवाइयां खाने से भी यह हो सकता है. इस के अलावा यदि घर में कोई इस बीमारी से पीडि़त है तो यह आप को भी हो सकती है.

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सोरायसिस के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलगअलग दिखाई देते हैं. ये लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि व्यक्ति को किस तरह का सोरायसिस है. इलाज : सोरायसिस पर काबू पाने के लिए पहले स्टैप के तौर पर टौपिकल स्टीरौयड एक से 2 सप्ताह तक लगाया जा सकता है. जिस से चकत्ते घटने लगते हैं. हलकी धूप लेने से भी आराम मिलता है. विटामिन ‘डी’ सिंथेटिक फौर्म में, मैडिकेटेड शैंपू आदि भी तकलीफ घटाते हैं.

ध्यान रखें : सोरायसिस के लगभग 10 से 30 प्रतिशत मरीजों में गठिया होने की आशंका रहती है. इस के अलावा टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियो वैस्कुलर डिजीज भी सोरायसिस की वजह से हो सकती हैं. शिंगल्ज

शिंगल्ज

एक त्वचा संक्रमण है. यह आमतौर पर जोड़ों में होता है. इस के अलावा यह पेट, चेहरे अथवा त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है. आम बोलचाल की भाषा में इसे दाद भी कहा जाता है. शिंगल्ज के कारण : यह रोग तब होता है जब चिकनपौक्स फैलाने वाला वायरस शरीर में दोबारा सक्रिय हो जाता है. जब आप चिकनपौक्स से उबर जाते हैं तो यह वायरस आप के शरीर की तंत्रिका प्रणाली में सुप्तावस्था में चला जाता है. कुछ लोगों में यह आजीवन इसी अवस्था में रहता है. वहीं कुछ व्यक्तियों में अधिक उम्र के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली में होने वाली कमजोरी के चलते यह फिर सक्रिय हो जाता है. कुछ मामलों में दवाएं भी इस वायरस को जागृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं और व्यक्ति को शिन्गाल्ज की शिकायत हो जाती है.

शिंगल्ज का इलाज :

अगर शिंगल्ज के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए. इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है. इन दवाओं में एंटीवायरल मैडिसिन और दर्दनिवारक दवाएं शामिल होती हैं. लगभग 72 घंटे के अंदर एंटीवायरल दवाएं लेने से रेशेज जल्दी ठीक हो जाते हैं और दर्द भी कम हो जाता है. इसे अनदेखा करने पर रिकवरी में 3 माह से 1 साल तक का समय लग सकता है.

एक्जिमा

यह ऐसा चर्मरोग है जिस में त्वचा लाल, शुष्क व पपड़ीदार हो जाती है. त्वचा की ऊपरी सतह पर नमी की कमी हो जाने के कारण रोगी को, खासतौर पर रात में, बहुत खुजली महसूस होती है. एक्जिमा के रैशेज आमतौर पर कुहनी, टखने के पास और घुटने के पीछे, जोड़ों के पास होते हैं. अगर इन का इलाज न किया जाए तो त्वचा खुरदरी होने लगती है. त्वचा के रंग में भी परिवर्तन आ जाता है.

एक्जिमा के कारण : यदि मातापिता इस बीमारी से पीडि़त हों तो संतान में भी एक्जिमा होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा किसी चीज की एलर्जी से भी एक्जिमा हो सकता है. आप के आहार में भी कुछ तत्त्व एक्जिमा को ट्रिगर कर सकते हैं. यदि आप के मातापिता को अस्थमा, फीवर जैसी कोई बीमारी है तब भी आप को एक्जिमा होना संभव है.

उपाय : हर दिन स्नान करने के बाद तथा सोने से पहले अपनी त्वचा को मौइश्चराइज करना न भूलें. गंभीर स्थिति में टौपिकल कोर्टिको स्टेराइड क्रीम का उपयोग करें. जिद्दी एक्जिमा के उपचार हेतु फोटोथेरैपी जैसी तकनीक अपनाई जाती है, जिस में यूवीबी लाइट से गंभीर सूजन का इलाज होता है.

याद रखें : एक्जिमा भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. त्वचा पर यदि 4 सप्ताह से अधिक समय तक धब्बे हों तो ये त्वचा के कैंसर का संकेत हो सकते हैं.

पित्ती

पित्ती (आर्टिकारिया) त्वचा रोग है जिस में शरीर पर खुजली वाले लाल चकत्ते निकल आते हैं. ये चकत्ते शरीर पर कुछ घंटों से ले कर कुछ हफ्ते तक रह सकते हैं. हलके पड़ने पर ये किसी नई जगह पर निकल आते हैं. पित्ती को आमतौर पर 2 भागों में बांटा जाता है. पहला, एक्यूट या अल्पकालिक जो कुछ समय के लिए रहती है और शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है. दूसरा, क्रोनिक या दीर्घकालिक पित्ती 6 हफ्ते से अधिक रहती है.

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पित्ती के कारण :

पित्ती निकलने के बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन ये अधिकतर शरीर से निकलने वाले हिस्टामिन्स से प्रतिक्रिया होने के कारण होते हैं जो आप को किसी खाद्य पदार्थ, दवा या अन्य किसी चीज की एलर्जी के कारण रिलीज होते हैं. हालांकि पित्ती होने के ज्यादातर मामलों में वजह का पता नहीं चलता. इस के कारणों में वायरल संक्रमण तथा अंदरूनी बीमारियां भी मानी जाती हैं.

पित्ती का इलाज : पित्ती के लक्षणों को कम करने और उस की रोकथाम के लिए ओवर द काउंटर एंटीहिस्टमीन का सेवन करना चाहिए. यदि आप को दीर्घकालिक पित्ती की समस्या है तो डाक्टर आप को एंटीहिस्टमीन की स्ट्रौंग डोज तथा एंटीइनफ्लैमेटरी दवाओं की सलाह देते हैं.

रौसेसिया

यह एक त्वचा संबंधी रोग है जो चेहरे की त्वचा पर दिखाई देता है. चेहरे की रक्त नलिकाएं जब लंबे समय तक बड़ी हो कर उसी अवस्था में रहती हैं तो यह स्थिति रौसेसिया कहलाती है. इस की वजह से चेहरे की त्वचा पर लालिमा के साथ दर्द भी रहता है जो पिंपल की तरह दिखाई देते हैं. कई बार यह छोटे लाल दानों की तरह भी निकल आता है. रौसेसिया से पीडि़त व्यक्ति की नाक के पास की त्वचा मोटी हो जाती है जिस की वजह से नाक उभरी हुई दिखाई देने लगती है.

रौसेसिया के कारण :

एक्जिमा की ही तरह यदि मातापिता रौसेसिया से पीडि़त हों तो संतान में भी इस के होने की आशंका बढ़ जाती है. इस के अलावा सूरज की तेज किरणों के संपर्क में आने से भी यह रोग हो सकता है. कुछ दवाओं के गलत प्रभाव से भी रक्त नलियां आकार में बड़ी हो जाती हैं. आमतौर पर ये गुलाबी मुंहासे हलकी त्वचा के रंग वालों में 35 वर्ष की आयु में आरंभ होने लगते हैं और उम्र बढ़ने के साथ गंभीर रूप धारण कर लेते हैं. रौसेसिया का इलाज : इस के इलाज के लिए कुछ ओरल एंटीबायोक्टिस व कुछ स्किन क्रीम वगैरह दी जाती हैं. छोटी रक्त वाहिकाओं से हुई त्वचा की लाली का सब से अच्छा उपचार लेजर द्वारा किया जा सकता है.

त्वचाशोथ या कौंटेक्ट डर्मेटाइटिस

त्वचाशोथ या त्वचा की सूजन और एक्जिमा दोनों को त्वचा की एक ही तरह की समस्या माना जाता है, क्योंकि दोनों ही बीमारियों में जलन, सूजन, खुजली तथा त्वचा लाल होने जैसे लक्षण देखे जाते हैं. वास्तव में डर्मेटाइटिस एक्जिमा की तरह कोई गंभीर समस्या नहीं है. यह रोग दाने के रूप में केवल उन हिस्सों में होता है जो हिस्से वैसी चीजों के संपर्क में आते हैं जिन से त्वचा को एलर्जी होती है.

कारण :

पौयजनस आईवी के पौधे, गहने, इत्र, फेसक्रीम या अन्य सौंदर्य उत्पादों से एलर्जी आदि त्वचाशोथ के मुख्य कारण हैं.

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इलाज :

यदि रोगी को सूजन है और साथ में अन्य कोई सक्रमण है तो उस के लिए एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता होती है. एक्जिमा की भांति त्वचाशोथ भी त्वचा के कैंसर का लक्षण हो सकता है. इसलिए सही उपचार हेतु विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क करें.

बाईं ऐड़ी और तलवे में दर्द से परेशान हूं, बताए मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 1 महीने से बाईं ऐड़ी और तलवे में चुभन भरे दर्द से परेशान हूं. यह दर्द चलते वक्त होता है. पैर में कभी कोई चोट नहीं लगी, लेकिन जैसे ही चलने के लिए पांव नीचे रखती हूं, दर्द शुरू हो जाता है. बताए मैं क्या करूं?

जवाब

आप के लक्षण प्लांटर फेशियाइटिस के हैं. यह विकार पांव के तले में ऐड़ी से पैर की उंगलियों तक फैली मोटी ऊतकीय तह में सूजन आने से उपजता है. ऐसे जूतेचप्पल जिन के तले में ठीक से कुशनिंग नहीं होती, उन्हें पहनने, देर तक खड़े रह कर काम करने, शरीर का वजन अधिक होने और धावक होने पर प्लांटर फेशियाइटिस होने का रिस्क बढ़ जाता है.

पांव की नैचुरल आर्च को मजबूत बनाने वाले व्यायाम करने, दिन में 3-4 बार 15-20 मिनट के लिए ठंडा सेंक करने, ठीक कुशनिंग वाले जूतेचप्पल पहनने और वजन घटाने से इस तकलीफ से राहत पाई जा सकती है. यदि रोग इस से काबू में न आए, तो किसी और्थोपैडिक सर्जन से मिलना वाजिब है. कुछ मामलों में ऐड़ी में स्टेराइड का टीका लगाने से भी आराम मिलता है. पर यह टीका किसी अनुभवी सर्जन से ही लगवाना चाहिए वरना कौंप्लिकेशंस का डर रहता है.

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हाई हील सताए तो अपनाएं ये उपाय

फैशन और ग्लैमर वर्ल्ड की ओर आकर्षित महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना ही किसी भी प्रकार की हाई हील पहनने लगती हैं. एक सर्वेक्षण के मुताबिक हाई हील पहनने वाली 90% महिलाएं घुटनों, कमर, कूल्हों, कंधों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहती हैं.

और्थोपैडिक सर्जन हमेशा हाई हील पहनने से होने वाली इन परेशानियों से महिलाओं को अवगत कराते हैं. पर महिलाएं इस पर ध्यान न दे कर हाई हील पहनती हैं. फलस्वरूप वे जोड़ों में दर्द, नसों में खिंचाव, कमर के आसपास चरबी बढ़ना आदि समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं. कई बार तो कम उम्र में ही नी कैप बदलने तक की नौबत आ जाती है.

इस बारे में मुंबई के और्थोफिट के मोबिलिटी कंसलटैंट और पीडियाट्रीशियन, जो 15 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि 10 में से 1 महिला सप्ताह में कम से कम 3 बार हाई हील पहनती है. इस से एडि़यां ऊंची हो जाती हैं, जिस से शरीर का झुकाव आगे की ओर हो जाता है. फलस्वरूप शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है. पंजों एवं एडि़यों में दर्द के अलावा पीठ दर्द, नसों में खिंचाव, घुटनों में दर्द जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

हाई हील सोचसमझ कर खरीदें

अब महिलाएं हील न पहनें ऐसा तो मुमकिन ही नहीं, लेकिन वे परेशानियों से बचने के लिए इन बातों पर ध्यान दें:

– हाई हील कम से कम पहनें.

– 1 से डेढ़ इंच की हाई हील पहनने में कोई हरज नहीं पर 4-5 इंच की पहने पर परेशानी होती है. अत: 4-5 इंच की हाई हील कभीकभार ही पहनें.

– कम समय के लिए शौपिंग पर जाती हैं, तो हील पहन सकती हैं. शौपिंग मौल में जाते समय हील पहनने से बचें.

– घूमनेफिरने जाते समय हाई हील कभी न पहनें.

– पैंसिल हील से आप के पैरों पर शरीर का वजन बढ़ता है, जिस से कमर और हिप्स में दर्द होता है. अत: इन्हें कम पहनें.

– औफिस में पूरा दिन हाई हील न पहनें. बीचबीच में उन्हें उतार दें.

– हमेशा हील शाम को ही खरीदें, क्योंकि पूरा दिन काम करने के बाद शाम तक पैरों का आकार थोड़ा बढ़ जाता है.

– हील खरीदते समय ध्यान दें कि वे कंफर्टेबल हैं या नहीं. फैंसी फुटवियर पर न जाएं. कोई भी ब्रैंड यह दावा नहीं कर सकता कि उस की हाई हील पहनने पर पैरों में दर्द न होगा.

– कभी औनलाइन हील की खरीदारी न करें.

– पैरों के दर्द को कभी सहन न करें. उसे व्यायाम या चिकित्सा से दूर करें. 

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ईवनिंग Snacks में बनाएं लौकी चीज बॉल्स

शाम होते होते भूख लग ही आती है. आज के दौर को देखते हुए आवश्यक है कि जो भी भोजन हम खाएं वह पौष्टिकता से भरपूर हो. बाजार से मंगाए गए नाश्ते में खराब कुकिंग ऑइल और खराबसामग्री का प्रयोग किया जाता है जिससे उसकी पौष्टिकता ना के बराबर होती है. कभी कभार तो फिर भी रेडीमेड फ़ूड खाया जा सकता है परन्तु अक्सर इसे खाना सेहतमंद नहीं होता. लौकी एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम सुनते ही अक्सर लोग नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं. जब कि लौकी में  विटामिन्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर और जिंक जैसे पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके नियमित सेवन से कब्ज, मधुमेह, बी पी जैसी बीमारियों में लाभ होता है. इसका कच्चा प्रयोग करने के स्थान पर पकाकर ही प्रयोग करना उचित रहता है क्योंकि आजकल इसकी फ़सल में अनेकों कीटाणुनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता है जो कच्चा प्रयोग करने पर हानिकारक हो सकते हैं. आज हम आपको लौकी से एक ऐसा स्नैक्स बनाना बता रहे हैं जिसे बड़े ही नहीं बच्चे भी बहुत स्वाद लेकर   खाएंगे. तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं-

कितने लोगों के लिए              8

बनने में लगने वाला समय       30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

किसी लौकी                      2 कप

ब्रेड क्रम्ब्स                        डेढ़ कप

उबले मैश किये आलू          2

कटी हरी मिर्च                     4

कटा प्याज                          1

कटा हरा धनिया                   1 टीस्पून

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किसा अदरक                       1 इंच

नमक                                   स्वादानुसार

लाल मिर्च पाउडर।                1/2 टीस्पून

अमचूर पाउडर                    1/2 टीस्पून

गरम मसाला पाउडर             1/2 टीस्पून

जीरा                                   1/4 टीस्पून

चीज क्यूब्स।                         2

कॉर्नफ्लोर                           1 टीस्पून

तलने के लिए तेल

विधि

एक बाउल में लौकी, आलू और एक कप ब्रेड क्रम्ब्स के साथ तेल, कॉर्नफ्लोर और चीज क्यूब्स को छोड़कर सभी सामग्री को भली भांति मिला लें. कॉर्नफ्लोर को 2 टीस्पून पानी के साथ एक कटोरी में घोल लें. अब एक चीज क्यूब को 4 बराबर भागों में चाकू से काट लें. इस प्रकार 2 चीज क्यूब से 8 भाग तैयार हो जाएंगे. तैयार लौकी के मिश्रण में से 1 टेबलस्पून मिश्रण लेकर हथेली पर फैलाएं, बीच में चीज क्यूब का टुकड़ा रखकर अच्छी तरह पैक कर दें. इसी प्रकार सारे बॉल्स तैयार करें. आधे कप ब्रेड क्रम्ब्स को एक प्लेट पर फैला लें. तैयार बॉल्स को कॉर्नफ्लोर में डिप करके ब्रेड क्रम्ब्स में लपेट लें. इस प्रक्रिया को दो बार करें ताकि ब्रेड क्रम्ब्स बॉल्स में अच्छी तरह चिपक जाएं. तैयार बॉल्स को गर्म तेल में मीडियम फ्लैम पर सुनहरा होने तक तलकर टिश्यू पेपर पर निकालें. टोमेटो सॉस या हरी चटनी के साथ परोसें.

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आगामी अतीत: आशीश को मिली माफी

बालों को लहराने दें, कुछ ऐसे

मेरे हेयर को इतना खीचों मत….अच्छी और बड़ी कंघी से मेरे बाल को सवारों….. क्या आपके पास बड़ी दांतों वाली कंघी नहीं है?….मेरा ले लीजिये… नहीं-नहीं है न, मेरे पास….आप इतनी व्याकुल क्यों हो रही है?…. असल में मेरे बाल झड़ते जा रहे है…..पहले ऐसा नहीं था…मेरे बाल काफी घने और लम्बे हुआ करते थे…कॉलेज जाने के बाद से ऐसा होने लगा है….इसलिए मैं अपने हेयर को शार्ट करवाने आई हूँ, ताकि बाल झड़े नहीं…मैं तो सम्हाल कर धीरे-धीरे कंघी करती हूँ और आप मेरे केशों को खीँच-खीँच कर सेट कर रही है… एक-एक बाल गिरने पर मुझे तनाव होने लगता है….अंत में मुझे विग लगाने या फिर हेयर ट्रांसप्लांट के सिवा कुछ दूसरा आप्शन नहीं होगा…ठीक है, मैं आपकी इच्छा के अनुसार ही हेयर कट करुँगी. कुछ इस तरह की बातें 25 वर्षीय मायरा एक ब्यूटी सैलून में हेयर कट करती हुई महिला से कह रही थी और महिला उसे आश्वासन दे रही थी.

लेती है झाड़-फूंक का सहारा

ये सही है कि बालों के झड़ने से किसी भी लड़की या महिला चिंतित हो जाती है और झाड़-फूंक, काला धागा से लेकर हर तरह की सलाह हेयर एक्सपर्ट से लेती रहती है. झाड़-फूंक की वजह उनकी बाल को किसी की नज़र लग जाना, जिसे झाड़-फूंक से ठीक हो जाना मानती है. जबकि हेयर एक्सपर्ट नयी तकनीक बताकर कभी कुछ दवा या केशों के लिए लोशन देती रहती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि एक महिला मुंबई की बांद्रा पश्चिम में एक हर्बल ब्यूटी सैलून में आई और अपने बाल दिखाकर रोने लगी, क्योंकि वह पिछले एक साल से बालों के झड़ने को लेकर इलाज करवा रही है, लेकिन उसे कोई फायदा नहीं मिला, उसके बाल फिजी होने के साथ-साथ स्कल के कई जगह से पूरी तरह से गायब हो चुकी थी. घबराई महिला को हेयर एक्सपर्ट ने शांत किया और वजह बताने लगी.

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जाने वजह

असल में केशों का झड़ना रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है और पूरी तरह से सामान्य है. अधिक तनाव और किसी प्रकार की बीमारी होने की वजह से बाल झड़ने लगते है, जो तनाव के कम हो जाने या बीमारी के ठीक हो जाने पर, केशों का झड़ना भी कम हो जाता है और नए बाल निकलने के बाद स्थिति सामान्य हो जाती है. इस बारें में एनरिच हेयर एक्सपर्ट सरीना आचार्य कहती है कि हेयर फॉल से किसी को भी घबराने की जरुरत नहीं होती, क्योंकि ये एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कितने बालों का झड़ना नॉर्मल है और कब हेयर एक्सपर्ट की सलाह लेना उचित है, ये समझना भी जरुरी है. एवरेज हर दिन 50 से 60 हेयर गिरते है, जो सामान्य है, पर इस दौरान अगर आपके हेयर की चमक और पतलेपन को नोटिस करती है तो आपको सोचने की जरुरत है और इसके पीछे की वजह जानने की आवश्यकता है, जो आसान नहीं होती. कुछ सुझाव निम्न है, जिससे आप हेयर फॉल की वजह जान उसका इलाज कर सकती है,

स्ट्रेस कम करना

स्ट्रेस की वजह से बालों का झड़ना स्थायी नहीं होता, जितनी जल्दी इससे खुद को निकालेंगे, केशों का गिरना कम होता जायेगा. स्ट्रेस मैनेजमेंट को अपनाकर हेयर फॉल को कम किया जा सकता है,

  • योगा या मेडिटेशन
  • डीप ब्रीथिंग
  • बाहर पसंदीदा दोस्तों के साथ समय बिताना
  • काउंसलिंग या थेरपी

वंशानुगत बालों का झड़ना

जेनेटिक्स भी हेयर फॉल में प्रमुख भूमिका निभाती है, क्योंकि उम्र बढ़ने के अनुसार बालों का झड़ना शुरू हो जाता है और ये समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में दिखाई पड़ता है. इसका अर्थ यह है कि विरासत में वे जिन्स मिले है, जो बालों के झड़ने का कारण बनते है और हेयर ग्रोथ भी कम होने लग जाता है. महिलाओं में, इसका संकेत आमतौर पर केशों का पतला होना या विशेष रूप से मिडल से पार्टिंग का चौड़ा होना है. जब किसी पुरुष को वंशानुगत बालों का झड़ना होता है, तो पहला संकेत अक्सर उनके सिर के मध्य भाग पर घटती हेयरलाइन या बॉल्ड स्पॉट होना है. इसे धीमा करने के लिए कुछ बातें खास ध्यान देने योग्य है,

  • स्वस्थ जीवन शैली का होना,
  • पर्याप्त नींद लेना,
  • स्ट्रेस कम करना,
  • नियमित रूप से वर्कआउट करना,

पर्याप्त प्रोटीन की कमी

दैनिक आहार में प्रोटीन की कमी से केशोंका झड़ना शुरू हो सकता है. दैनिक भोजन योजना में अंडे, चिकन, बीन्स, सोया, दाल और दही को शामिल करके आसानी से अपने आहार में अधिक प्रोटीन शामिल कर सकते है.

हार्मोनल परिवर्तन

महिलाओं में खासकर गर्भवती होना, मेनोपॉज़ का होना, पीसीओएस या थायराइड से पीड़ित होने पर केशों के झड़ने की संभावना होती है, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और बालों के ग्रोथ के लिए पर्याप्त पौष्टिक आहार लेकर इसका इलाज किया जा सकता है.

किसी खास बीमारीका होना

कोविड 19 जैसी बीमारी भी हेयर फॉल का कारण बन सकती है. विशिष्ट दवाओं के साइड इफेक्ट्स होते है, जो बालों के झड़ने का कारण बन सकते है,ऐसे में दवा को कम करने या वैकल्पिक दवा के लिए डॉक्टर से परामर्श करना सबसे उचित होता है.

उम्र का बढ़ना

40 साल की उम्र होने पर शरीर की नई कोशिकाओं का फिर से उत्पन्न करने की क्षमता कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप केशों का पतलापन, बाल झड़ना और बाल सफेद होने लगते है. स्काल्प नएकेशों के गुच्छे को निकलने से रोकता है. यह सामान्यत: उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है. इस समस्या को रोकने के लिए प्रोटीन युक्त संतुलित आहार का सेवन बढ़ाना और बालों के पतलेपन को कम करने के लिए हेज़लनट ऑयल या टी ट्री ऑयल का प्रयोग करने से कुछ फायदे दिखाई पड़ते है.

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खतरनाक है ओवर स्टाइलिंग

केशों के झड़ने की वजह ओवर स्टाइलिंग और हेअर ट्रीटमेंट करना है. बालों को ओवर स्टाइलिंग के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए जैतून के तेल, अरंडी के तेल दोनों से स्कैल्प की मालिश करने पर बालों का ग्रोथ अच्छा होता है.

वजन घटाना है एक वजह

कई बार वजन कम होने पर शरीर को पूरा पोषण नहीं मिल पाता, क्योंकि इस समय व्यक्ति सही तरीके भोजन न लेने की वजह से विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो जाती है. वजन कम करते समय केशों के झड़ने को रोकने के लिए अपने आहार में मीट, साबूत अनाज, फल और सब्जियां शामिल करना जरुरी है, क्योंकि वे प्रोटीन, आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी और ज़िंक से भरपूर होते है,ये सभी हेयर ग्रोथ के लिए आवश्यक होता है.

बचना है स्टेरॉयड सेवन से

मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कई बार स्टेरॉयड के सेवन से भी बाल झड़ सकते है,इसके अलावा कुछ बीमारी के लिए स्टेरॉयड का सेवन दवा के रूप में करना पड़ता है, ऐसे में दवा की कमी के साथ हेयर फॉल कम हो जाएगा.

कमी आयरन की

आयरन बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जब आयरन का लेवल कम हो जाता है, तो केशों की क्वालिटी में भी कमी आ जाती है. जब व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त आयरन नहीं होता, तो शरीररक्त में हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं कर पाता. रक्त को शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि और रिपेयर के लिए ऑक्सीजन ले जाने में सक्षम बनाता है, जिसमें हेअर ग्रोथ को प्रोत्साहित करने वाली कोशिकाएं भी शामिल होती है.

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जानें क्या हैं सफल Married Life के 6 सूत्र

‘‘समीर, कितनी देर कर दी लौटने में? तुम्हारा इंतजार मुझे बेचैन कर देता है.’’

‘‘ओह सीमा, क्या सचमुच मुझ से इतना प्यार करती हो?’’ समीर भावुक हो उठे.

‘‘देखो, कितने मैसेज भेजे हैं तुम्हें?’’

‘‘क्या करूं, डार्लिंग. दफ्तर में काम बहुत ज्यादा है,’’ समीर ने सीमा को कस कर अपनी बांहों में भींच लिया. फिर जेब से फिल्म के 2 टिकट निकाल कर बोले, ‘‘आज की शाम तुम्हारे नाम. पहले एक कप गरम कौफी हो जाए, फिर फिल्म. डिनर किसी अच्छे रेस्तरां में करेंगे.’’ समीर ने प्यार से पत्नी की आंखों में झांका तो उस ने अपना सिर समीर की चौड़ी छाती पर टिका दिया. करीब 4 साल बाद.

‘‘समीर, आज एटीएम से कुछ पैसे निकाल लेना.’’

‘‘हद करती हो. पिछले हफ्ते ही तो 2 हजार रुपए निकाल कर दिए थे.’’

‘‘2 हजार में कोई इलास्टिक तो लगी नहीं थी कि पूरा महीना चल जाते.’’

‘‘फिर भी, थोड़ा कायदे से खर्चा किया करो. बैंक में नोटों का पेड़ तो लगा नहीं है कि जब चाहा तोड़ लिए.’’ रोजमर्रा की जिंदगी में अपने इर्दगिर्द हम ऐसे कई उदाहरण देखते हैं. अपनी निजी जिंदगी में भी ऐसा ही कुछ महसूस करते हैं. दरअसल, विवाह के शुरुआती दिनों में, पतिपत्नी एकदूसरे के गुणों और आकर्षण से इस कदर प्रभावित होते हैं कि अवगुणों की तरफ उन का ध्यान जाता ही नहीं. जाता भी है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं. धीरेधीरे जब घर बसाने और घर चलाने की जिम्मेदारी आ पड़ती है तो तकरार, बहस और समझौते की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और दोनों एकदूसरे पर दोष मढ़ना शुरू कर देते हैं, जबकि सचाई यह है कि शादी के शुरू के बरसों में सैक्स का आकर्षण तीव्र होने के कारण ये नजदीकियां बनी रहती हैं और धीरेधीरे जब सैक्स में संतुष्टि होने लगती है तो उत्तेजना कम होने लगती है और पहले वाला आकर्षण नहीं रह पाता. फलत: उन के संबंध उबाऊ होने लगते हैं.

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रौबर्ट स्टर्नबर्ग ने ‘टैं्रगुलर थ्योरी औफ लव’ के अंतर्गत कहा है कि आदर्श विवाह वह है, जिस में 3 गुणों का समावेश हो- इंटीमेसी (घनिष्ठता), कमिटमैंट (समर्पण) और पैशन (एकदूसरे के नजदीक रहने की गहरी इच्छा). तीनों गुणों का संतुलन ही वैवाहिक जीवन को सफल बनाता है. विवाह के कुछ सालों बाद यदि पति शेव कर रहा हो और बगल से गुजरती पत्नी की उस से टक्कर हो जाए तो उसे बाहुपाश में लेने के बजाय, ‘‘अरे यार, जरा देख कर चलो,’’ यही वाक्य उस के मुंह से निकलेगा. ऐसा नहीं है कि एक अंतराल के बाद उभरती दूरी को मिटाया नहीं जा सकता. आदर्श स्थिति तो यह होगी कि ऐसी दूरी ही न आए. कैसे, आइए, देखें:

1. स्वयं को आकर्षक बनाए रखें

यदि आप अपनेआप को घर में आकर्षक बना कर नहीं रखतीं तो आप के पति यह समझ सकते हैं कि आप उन की पसंद की चिंता नहीं करतीं. ‘विवाह के 10 साल बाद भी आप अपने पति को आकर्षित कर सकती हैं’ यह फीलिंग ही आप को गुदगुदा देती है. पति के मुंह से ‘लुकिंग ब्यूटीफुल’ सुन कर आप स्वयं को मिस यूनीवर्स से कम नहीं समझेंगी.

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2. प्यार के समय को बदलिए

अगर आप प्यार के समय को, रात के लिए और अंतिम कार्य के रूप में छोड़ती हैं तो इसे सुबह अपनाइए. प्यार को शयनकक्ष तक सीमित रखने के बजाय प्यार के क्षणों को पहचानिए और उन का उपयोग कीजिए. ड्राइंगरूम, रसोई, बगीचा या जहां कहीं भी आप को मौका मिले, आप इन क्षणों का उपयोग कीजिए.

3. एकांत का सदुपयोग करें

यदि परिवार संयुक्त हो या बच्चे दिन भर आप के पास रहते हों तो आप को एकांत नहीं मिलता. कुछ समय के लिए बच्चों को घर से बाहर भेज दें या खुद घर से बाहर निकल कर कुछ समय एकसाथ एकांत में बिताएं, नजदीकियां बढ़ेंगी.

4. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाएं

प्यार को नीरस या उबाऊ नित्यक्रिया बनाने के बजाय, अच्छा होगा कि सप्ताह 2 सप्ताह के लिए इसे बंद कर दें और जब आप की वास्तविक इच्छा हो तभी प्यार के क्षणों का आनंद लें. प्यार के अलगअलग तरीकों को अपनाइए, इस से भी संबंधों में नवीनता आएगी.

5. दूर करें भ्रांतियां

दरअसल, संस्कार और परंपरागत मूल्यों के नाम पर हमेशा से ही सैक्स के प्रति हमारे मनमस्तिष्क में अनावश्यक भ्रांतियां भर दी जाती हैं. इस के कारण हम में से कुछ लोग सैक्स को अनैतिक समझने लगते हैं और एक मजबूरी के तौर पर निभाते हैं. यह ठीक है कि सैक्स के प्रति संयम और शालीनता का व्यवहार आवश्यक है, लेकिन जब यही भाव दांपत्य जीवन में मानसिक ग्रंथि का रूप धारण कर लेता है, तब पतिपत्नी दोनों का जीवन भी पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाता है.

6. एकदूसरे की भावनाओं को समझें

दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि दंपती एकदूसरे की शारीरिक जरूरतों को ही नहीं, भावनात्मक जरूरतों को भी समझें. यदि आप के मन में किसी विषय को ले कर किसी प्रकार का संशय या सवाल है तो इस बारे में अपने जीवनसाथी से खुल कर बात करें. अपनी इच्छाओं का खुल कर इजहार करें. लेकिन हर बार केवल अपनी बात मनवाने की जिद से आप के साथी के मन में झुंझलाहट पैदा हो सकती है. इसलिए अपनी इच्छाओं की संतुष्टि के साथसाथ अपने साथी की संतुष्टि का भी ध्यान रखें.

इन बातों का भी ध्यान रखें:

एकदूसरे के प्रति अपने प्यार को प्रदर्शित करें.

रोजमर्रा की समस्याएं बेडरूम तक न ले जाएं.

अनावश्यक थकाने वाले कामों से बचें.

अगर प्यार को आप वास्तव में महत्त्व देती हैं तो अनावश्यक व्यस्तताओं से बचें.

मीठीमीठी, प्यारीप्यारी बातें कर के, स्पर्श या चुंबन द्वारा आप अपने साथी को सैक्स के लिए धीरेधीरे प्रेरित करें.

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यदि किसी कारणवश आप की इच्छा न हो तो आप के इनकार में भी प्यार और वह अदा होनी चाहिए कि आप का जीवनसाथी बिना किसी नाराजगी के आप की बात मान ले.

समय के साथसाथ आप के जीवनसाथी में परिपक्वता और परिस्थितियों का विश्लेषण और आकलन करने की क्षमता बढ़ती जाती है. जिस बात के लिए ब्याह के शुरुआती दिनों में वह तुरंत हामी भर देता था, अब सोचविचार कर हां या न कहेगा. इसलिए किसी भी मसले को धैर्यपूर्वक सुलझाएं. यकीन मानिए, इस तरह आप दोनों का रिश्ता न सिर्फ प्रगाढ़ होता जाएगा, बल्कि इस के साथ ही आप का दांपत्य जीवन भी नीरस नहीं होगा. उस में बेशुमार खुशियां भी शामिल हो पाएंगी.

घर की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं ये 4 लाइट्स

अब जब कि बारिश लगभग समाप्ति की ओर है और त्यौहारी मौसम प्रारम्भ हो चुका है. बारिश के बाद सितंबर अक्टूबर में खिली धूप निकलती है और साथ ही शुरू हो जाता है घरों में साफ सफाई और रिनोवेशन का कार्य. चूंकि अक्टूबर नवम्बर में दीवाली भी होती है इसलिए दीवाली की तैयारियां भी प्रारम्भ हो जाती है. इन दिनों कुछ लोग अपने नए अथवा पुराने घर का इंटीरियर भी कराते हैं. घर के इंटीरियर में लाइट का बहुत बड़ा योगदान तो होता ही है. साथ ही घर में लगी लाइट्स हमारी सेहत को भी प्रभावित करतीं हैं. एक रिसर्च के अनुसार सही लाइटिंग से शरीर रिलैक्स होता है, मूड सुधरता है, और दिमाग की प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है. हमारे स्लीप साइकल और मस्तिष्क की शक्ति पर भी लाइट का गहरा असर पड़ता है. इसके साथ साथ घर की सुंदरता में भी लाइटिंग चार चांद लगा देती है. इसीलिए आजकल बाजार में भांति भांति की रेंज और प्रकार की लाइट्स मौजूद हैं जिनमें से आप अपने बजट  के अनुसार अपने घर के लिए चुन सकते हैं. घर के हर कमरे में उसकी उपयोगिता के अनुसार लाइट लगवाना सही रहता है आइए जानते हैं विभिन्न लाइट्स के बारे में-

1. -इनकैंडिसेन्ट लाइट्स

वार्म अथवा पीली रंग की रोशनी वाले ये बल्ब दशकों से हमारे घरों में प्रयोग में लाये जा रहे हैं पर आज के दौर में नई नई लाइट्स आ जाने से  इनका उपयोग कुछ कम हो गया है.

2. -कॉम्पेक्ट फ्लोरोसेंट बल्ब(सी एफ एल)

साधारण बल्ब से 75 प्रतिशत कम बिजली की खपत वाले ये बल्ब कूल रोशनी और अलग ब्राइटनेस लेवल वाले होते हैं.

3. -एल ई डी(लाइट एमिटिंग डायोड)

सामान्य बल्बों के मुकाबले तीन गुना अधिक चलने वाले ये बल्ब सीधी और तेज रोशनी देने के साथ साथ गर्म भी कम होते हैं. साधारण इनकैंडिसेन्ट बल्बों के मुकाबले इनकी कीमत और लाइफ अधिक होती है.

4. -हैलोजन

ट्रेडिशनल बल्ब से कम बिजली की खपत वाले इन बल्वों की रोशनी दिन के उजाले के समान तेज ब्राइट और व्हाइट रोशनी वाले होते हैं. इनका उपयोग टास्क लाइटिंग के लिए होता है.

कैसी हो घर की लाइट सेटिंग्स

आजकल चूंकि लाइट्स के बिना घर की सजावट अधूरी है इसलिए यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि किस कमरे में कैसी लाइट लगाई जाए जिससे कमरे के सौंदर्य तो निखरे ही साथ ही वह आपके लिए उपयोगी भी साबित हो सके.

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5. -एम्बिएंट

कमरे की पूरी लाइट एंबिएंस बनाती है. ये पूरे कमरे के स्पेस को रोशन करतीं है और कमरे की नेचुरल लाइट कहलातीं हैं. आजकल तो घरों में सजावट के लिए फाल्स सीलिंग का प्रयोग किया जाता है. फाल्स सीलिंग में ही लाइट की व्यवस्था होती है आप अपनी रुचि के अनुसार वार्म या व्हाइट लाइट का प्रयोग कर सकते हैं. इस प्रकार की लाइटिंग के लिए शेडलियर, पेंडेंट लाइट, वाल स्कॉन्स और ट्रेक लाइट का प्रयोग किया जा सकता है.

6. -टास्क

वर्क और रीडिंग एरिया के लिए परफेक्ट होतीं हैं क्योंकि इनकी रोशनी का फोकस एक ही जगह पर होता है. डेस्क लैंप, अंडर कैबिनेट किचन या फिर किसी विशेष वस्तु को फोकस करने के लिए भी इस लाइट का प्रयोग किया जा सकता है. आजकल किचन कैबिनेट्स के नीचे कोप लाइट्स लगाने का भी चलन है जिसमें आप वार्म और व्हाइट कोई भी लाइट लगवा सकते हैं.

7. -एक्सेंट

केवल एक ही एरिया को हाइलाइट करती है जैसे पेंटिंग, स्कल्पचर या बुक केस. ये आसपास शैडो बनाती है जिससे कमरे को ड्रामेटिक इफेक्ट मिलता है. सभी प्रकार की वाल लाइट्स इसमें शामिल होती हैं.

कैसी हो कमरों की लाइट

8. -लिविंग रूम

एम्बिएंट लाइट्स के अलावा कमरे के कॉर्नर में एक्सेंट लाइट लगाई जा सकती है जिसे पेंटिंग चेयर या शो पीस पर फोकस किया जा सकता है.

-बैडरूम

नाइट लैम्प पर आमतौर से टास्क लाइटिंग लगाई जाती है यहां पर पूरे रूम में एक छोटी कोप लाइट भी लगाई जा सकती है. ड्रेसिंग टेबल पर टास्क लाइट ही सही रहती है. ड्रेसिंग टेबल पर लाइट्स की भरपूर व्यवस्था करवाएं ताकि आपको मेकअप करने में कोई परेशानी न हो.

-किचन

किचन में सिर के ठीक ऊपर एम्बिएंट, काउंटर स्पेस में लोअर टास्क लाइट और सिंक के ऊपर टास्क लाइट लगाई जा सकती है. आजकल किचन में हैंगिग लाइट्स लगाने का भी चलन जोरों पर है आप अपनी रुचि के अनुसार इसमें वार्म या व्हाइट लाइट का प्रयोग कर सकते हैं.

-बाथरूम

बाथरूम में मिरर के ऊपर टास्क लाइट लगाना तो सही रहता है परन्तु ओवरहेड टास्क लाइट परछाईं क्रिएट करती है इसलिए मिरर के दोनों तरफ लाइट होनी चाहिए. बाथरूम को पूरा रोशन करने के लिए ओवरहेड एम्बिएंट लाइट लगाई जानी ठीक रहती है.

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ध्यान रखने योग्य बातें

-किचन में वार्म लाइट्स के साथ साथ  व्हाइट लाइट को प्राथमिकता दें ताकि भोजन के रंग आपको अच्छी तरह दिख सकें.

-साधारण बल्बों की अपेक्षा एल ई डी बल्ब लगवाना सही रहता है भले ही इनकी कीमत कुछ अधिक होती है परन्तु ये चलती बहुत हैं और इनकी रोशनी आंखों को चुभती भी नहीं है.

-यदि आपका बजट है तो घर के हाल या सीढ़ियों पर शैंडलियर या झूमर अवश्य लगवाएं इससे आपके घर का सौंदर्य दोगुना हो जाएगा.

-आजकल रंग बिरंगी लाइट्स का भी बहुत चलन है आप इनका भी प्रयोग कर सकते हैं परन्तु इनका प्रयोग सीमित मात्रा में करना ही उचित होता है.

-लाइट्स के एक स्विच से सारी लाइट्स अटैच न करवाकर 2 या 3 लाइट्स ही करवाएं ताकि एक स्विच ऑन करने पर सारी ही लाइट्स न जल जाएं.

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