Holi Special: होली पर बनाएं पोटेटो क्रेकर्स

होली का त्यौहार नजदीक है. भले ही कोरोना की पुनः दस्तक के कारण इस बार मेहमानों का आगमन नहीं होगा पर भारतीय परिवारों में त्यौहार और व्यंजन सदा से ही एक दूसरे के पूरक रहे हैं. जब तक घर में दोचार मीठे नमकीन व्यंजन न बनें तब तक लगता ही नहीं कि त्यौहार है. आप भी कुछ मीठे और नमकीन व्यंजन बनाने की सोच रहीं होंगी. इस बार आप नमकीन में पोटेटो क्रेकर्स ट्राय करके देखिए जो आपको मठरी, पापड़ी और चिप्स तीनो का बेहतरीन स्वाद प्रदान करेगें. तो आइए देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाते हैं-

कितने लोंगों के लिए 10-12
बनने में लगने वाला समय 25 मिनट
मील टाइप वेज

सामग्री

मैदा 1 कप
बेसन 1/4 कप
सूजी 1/2 कप
कसूरी मैथी 1 टेबलस्पून
अजवाइन 1/4 टीस्पून

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नमक स्वादानुसार
मध्यम आकार के उबले आलू 4
तेल 4 टीस्पून
अदरक, लहसुन हरी मिर्च पेस्ट 1/2 टीस्पून
कश्मीरी लाल मिर्च 1 टीस्पून
चाट मसाला 1/2 टीस्पून
तलने के लिए तेल

विधि

एक बाउल में मैदा, बेसन, सूजी, नमक, मोयन का तेल, कसूरी मैथी और अदरक हरी मिर्च का पेस्ट डालें. अजवाइन को भी दोनों हथेलियों में मसलकर डालें. सभी सामग्री को एक साथ मिलाएं. आलू को किसकर इस मिश्रण में धीरे धीरे मिलाते हुए मैदा को गूंथ लें. पूरे आलू को मिलाकर पूरी जैसा कड़ा आटा लगा लें. पानी का प्रयोग नहीं करना है. ऊपर से चिकनाई लगाकर इसे 10 मिनट के लिए ढककर रख दें. 10 मिनट बाद इसे दो भागों में बांट लें. एक लोई को चकले पर लगभग परांठा जैसी मोटाई में बेलें. अब इससे 1 इंच लंबाई में काटकर तिकोने क्रेकर्स काट लें. इसी प्रकार सारे क्रेकर्स काट लें. कटे क्रेकर्स को गरम तेल में मंदी आंच पर हल्का सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकालें. गरम क्रेकर्स में ही चाट मसाला और कश्मीरी लाल मिर्च मिलाएं. एयरटाइट जार में भरकर प्रयोग करें.

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क्या आपकी मां भी पूछती है आपसे ये 5 सवाल

व्यक्ति के जीवन की सबसे पहली गुरु एक मां ही होती है जो उसे चलना, हंसना, बोलना आदि सिखाती है. और बच्चा कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए एक मां के लिए तो वह बच्चा ही रहता हैं. मां का प्यार बच्चों के लिए हमेशा वैसा ही रहता है जैसा बचपन में रहता है.

बड़े हो जाने पर आप मां की बातों को भूल सकते हैं लेकिन एक मां आपकी छोटी से छोटी बात को भी याद रखती है. आज हम आपको मां के पूछे गए उन सवालों को बताने जा रहे हैं जो एक मां की ममता को दर्शाते हैं और ये सवाल सिर्फ एक मां ही पूछती हैं. तो आइये जानते हैं उन सवालों को.

1. खाया या नहीं?

भले ही बच्चा कितनी भी देर से घर क्यों न आए लेकिन आपकी मां आपसे यह जरूर पूछेगी कि खाना खाया या नहीं.

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2. मेरा बच्चा सबसे सुंदर

हर मां के लिए उसका बच्चा दुनिया में सबसे खूबसूरत होता है. आपकी मां के लिए आप हमेशा राजा बेटा या रानी बिटियां ही रहेगें, जोकि उनके प्यार को दर्शाता है.

3. ये क्या पहना है?

जब भी आप कोई नया फैशन या कपड़े ट्राई करते हैं तो हर मां का सवाल होता है कि ये क्या पहना है. हर बच्चे की मां उनसे यह सवाल तो पूछती ही होगी.

4. आज क्या खाओगे?

बच्चे जब स्कूल या औफिस से वापिस आता है तो मां का सबसे पहला सवाल होता है आज क्या खाओगे. सिर्फ अभी ही नहीं अगर आप 50 साल के भी क्यों ना हो जाएं मां का ये सवाल हर बार यही रहेगा.

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5. तबीयत ठीक है?

जितनी केयर मां कर सकती है उतना कोई भी नहीं कर सकता. ऐसे में आपके थोड़ा-सा बीमार पड़ने पर आपकी मां आपसे जरूर पूछेंगी कि तबीयत ठीक है. अगर आप थोड़ा-सा थक कर भी घर पहुंचेगे तो आपकी मां का यही सवाल होगा.

राजवंश और राजनीति

भारत में नेता पति के मरने के बाद उस की पत्नी जगह लेती है तो मोदी की पार्टी डायनैस्टी डायनैस्टी चीखने लगती है कि गांधी परिवार की तरह उन्होंने विरासत का खेल बना डाला है राजनीति को. पर यह तो दुनिया भर में हो रहा है.

अभी अमेरिका में नवंबर में हुए चुनाव में रिपब्लिक पार्टी के जीते ……() लैटलो की जीतने के बाद कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई. डोनैल्ड ट्रंप की मेहरबानी से उस की पूर्व पत्नी जूलिया लैटलो के टिकट मिल गया और वह लुई सियाना की एक सीट से लड़ी उसे 65′ वोट मिलीं और विरोधी डैमोक्रेटिक पार्टी की सांड्रा क्रिसटोफे को सिर्फ 27′.

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राजनीति असल में पतिपत्नी दोनों मिल कर करते हैं. जहां औरतें ज्यादा मुखर होती हैं वहां पति बैक ग्रांउड में रहते हुए भी बहुत कुछ करते हैं. घर का माहौल ही राजनीतिमय हो जाता है और नेता पति की पत्नी न चाहे तो भी राजनीति भंवर में फंस ही जाती है.

भारत में जो हल्ला मोदी शाह की पार्टी मचाती है वह असल में डर के कारण मचाती है. उन की पार्टी को मालूम है कि उन के यहां मोतीलाल के पुत्र जवाहर, जवाहरलाल की पुत्री इंदिरा, इंदिरा के पुत्र राजीव, राजीव की पत्नी सोनिया, सोनिया का पुत्र राहुल हैं ही नहीं. मोदी ने शादी करी पर पत्नी छोड़ दी और बच्चे नहीं हुए. शाह ने बेटे का कामधाम तो करा दिया पर वारिस नहीं बनाया क्योंकि असल में दोनों आरएसएस की देन हैं और उस के लीडर बहुत से गैर शादीशुदा ही रहे हैं. वे परिवारवाद को सहते हैं पर बढ़ावा नहीं देते.

दुनिया के बहुत से देशों में जहां राजवंश नहीं है लोकतंत्र के बावजूद राजनीति धरोहर घरों में बंटती रहती है. वैसे भी बचपन से सीखे हुए तने पर भरोसा करने में नुकसान क्या है? क्यों इस पर आपत्ति की जाए. जूलिया ल्यूक की जगह जीती है तो राबड़ी लालू की जगह बनी थी. यह न गलत है और न चूंचूं करने की बात.

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मेरे चेहरे पर मस्से हो गए हैं, कृपया उन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं?

सवाल-

मेरे चेहरे पर मस्से हो गए हैं. कृपया उन्हें हटाने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

यों तो मस्से किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन लुक को जरूर प्रभावित कर सकते हैं. केले के छिलके में मस्से को सुखाने की क्षमता होती है. इस के लिए रात को मस्सों वाली जगह केले का छिलका रख कर उस पर कपड़ा बांध दें. ऐसा तब तक करें जब तक मस्से साफ न हो जाएं.

इस के अलावा मस्से हटाने के लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडे में कुछ बूंदें कैस्टर औयल डाल कर इस पेस्ट को मस्सों पर लगा कर हलके हाथों से मसाज करें. फिर चेहरे को 1 घंटे बाद धो लें. 1 महीने में मस्सों की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा. यदि मस्से हटाने के लिए किए जा रहे इन उपायों के समय किसी तरह की जलन या परेशानी महसूस हो तो तुरंत उस जगह को साफ कर लें और फिर डाक्टर से सलाह लें.

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चेहरे पर कहीं मस्सा हो जाए तो हम परेशान हो जाते हैं. कई बार तो ये खूबसूरती में चार-चांद लगाने का काम करता है तो कई बार खूबसूरती पर धब्बे की तरह नजर आता है.

आमतौर पर स्किन के बाहरी परत पर एक छोटे से मस्से जैसा दिखता है, जो ज्यादातर गर्दन, चेहरा, नाक आर्मपिट और इनर थाईज पर होते हैं. अगर आप भी इस परेशानी से जूझ रही हैं तो आपको जरूरत है बस कुछ घरेलू नुस्खे अपनाने की. फिर देखिए कैसे ये स्किन टैग हमेशा के लिए आपकी जिंदगी से दूर हो जाएगा.

अगर आपके चेहरे पर भी मस्सा है और आपकी सुंदरता में धब्बा बन कर आपको परेशान कर रहे हैं और आप उसे हटान चाहते हैं तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे.

लहसुन के इस्तेमाल से

लहसुन में एक ऐसा नेचुरल एंजाइम पाया जाता है जो पिग्मेंट्स को नष्ट करके मस्सा उभरने से रोक देता है. मस्से से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए लहसुन का एक टुकड़ा या फिर उसके पेस्ट को मस्से के ऊपर लगाकर छोड़ दीजिए. ऐसा करने के 3 से 5 दिन के भीतर मस्सा घटना शुरू हो जाएगा.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- मस्सा हटाने के घरेलू नुस्खे

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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Holi Special: रंगों से ना आए आपकी खूबसूरती पर आंच, अपनाएं ये खास ब्यूटी टिप्स

होली आने में कम समय रह गया हैं और हर कोई इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है. हर कोई होली के रंग में डूबना चाहता है. इससे पहले कि आप भी रंगों के इस त्योहार में खो जाएं, हम आपको बता दें कुछ ऐसे शानदार ब्यूटी टिप्स जो आपकी खूबसूरती पर किसी तरह का कोई ग्रहण नहीं लगने देंगे.

आइए जानते हैं क्या है वो खास टिप्स-

बाल

बालों को रंगों के हानिकारक केमिकल से बचाने के लिए होली खेलने से पहले उनमें अच्छी तरह तेल लगा लें. इसके लिए दो बड़े चम्मच बादाम तेल में दो बूंद लैवेंडर का तेल, एक बूंद गुलाब का तेल और दो या तीन बूंद नींबू का रस मिलाकर बालों में लगा लें. ऐसा करने से आपके बालों को पोषण मिलने के साथ सुरक्षा भी मिलेगी. इससे आपके बालों को जरा भी नुकसान नहीं होगा.

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त्वचा से रंग छुड़ाने के लिए

हम बेहिचक होकर होली के रंगो में शामिल तो हो जाते हैं पर होली खेलने के बाद रंगों को छुड़ाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. अगर आप चाहती हैं कि इस बार आपको इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े तो दो चम्मच बेसन में एक चुटकी हल्दी का पाउडर, एक छोटा चम्मच शहद और थोड़ा सा दूध या दही मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को रंग लगी त्वचा पर 15-20 मिनट तक लगाकर हल्के गुनगुने पानी से धो लें. इससे त्वचा से रंग आसानी से छूट जाएगा.

त्वचा की नमी

रंगों के संपर्क में आने के कारण त्वचा काफी संवेदनशील हो जाती है. ऐसे में होली के दिन कोशिश करें कि दो बार से ज्यादा न नहाएं. ऐसा करने से त्वचा की नमी खो सकती है इसके अलावा त्वचा के पीएच बैलेंस में भी काफी बदलाव हो सकता है. नहाने के बाद त्वचा पर मऔइश्चराइजर लगाना बिल्कुल न भूलें.

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नाखून

रंग खेलने के दौरान आपके नाखून अत्यधिक मात्रा में रंग अवशोषित कर लेते हैं. जो बाद में देखने में काफी भद्दें लगते हैं. कोशिश करें कि होली खेलने से पहले नाखूनों पर किसा गहरे रंग की नेल पौलिश लगा लें और होली के बाद में उसे थिनर से हटा लें. ऐसा करने से आपके नाखून होली के कृत्रिम रंगों से सुरक्षित रहेंगे.

Holi Special: खट्टे फलों से करें अपना घर साफ

हर महिला चाहती है कि उसका घर सुंदर रहे और चमके जिसके लिए वो रोजाना सफाई करती हैं. स्ट्रिस फ्रूट जो कि खट्टे होते हैं, उसमें प्रोटीन, न्यूट्रियंट्स और विटामिन होता है. खट्टे फल जैसे, नींबू, संतरा, मुसम्मी और अंगूर आदि फल वजन घटाने में भी लाभदायक होते हैं. यही नहीं अगर त्वचा को साफ करना हो या फिर घर के किसी समान को साफ करना हो, तो यह स्ट्रिस फ्रूट बड़े ही काम के हैं. तो अगर होली के दिनों में आपके घर भी रंगो के कारण गंदे दिखने लगे हैं तो अपनाएं यह उपाय.

1. मौसंबी

हम सब जानते हैं कि मौसंबी त्वचा को ग्लो करने के काम आती है. लेकिन क्या आप जानती है कि इससे घर की सफाई भी की जा सकती है. घर की सफाई करने के लिये इसके छिलके को सुखा कर नमक के साथ मिलाएं. फिर इस पेस्ट को मेटल, लोहा, स्टील, ब्रास, मार्बल आदि को साफ करने में प्रयोग करें. इससे बाथरूम की फर्श, बाथ टब और वॉश बेसिन आदि भी साफ किये जा सकते हैं.

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2. संतरा

इस फल का प्रयोग सफाई करने के लिये किया जा सकता है. संतरे का सूखा छिलका लीजिये और उसे मिक्सर में पीस लीजिये और उसमें सिरका मिला दीजिये और फिर इससे टेबल, शीशा और धातु साफ कीजिये. इसके प्रयोग से हल्के कपडों पर पडे हुए दाग भी आराम से छुटाए जा सकते हैं. कपडो की अलमारी में कीडे ना लगे इसके लिये उसमें संतरे का छिलका रख दें.

3. नींबू

कॉपर या ब्रास का शोपीस साफ करने के लिये आप नींबू के छिलके का प्रयोग कर सकती हैं. यही नहीं बल्कि कठोर प्लास्टिक का समान, शीशे के दरवाजे, टपरवेयर, खिड़की और लोहे के दाग आदि, साफ करने के काम आ सकता है. कपडे पर दाग लग गया हो तो नींबू का रस रगड दीजिये और फिर देखिये कमाल. कूड़े के डिब्बे में नींबू का टुकडा डालने से उसमें बदबू नहीं आएगी.

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Serial Story: क्या आप का बिल चुका सकती हूं- भाग 2

मैं हथेलियों पर अपना चेहरा ले कर कुहनियों के बल मेज पर झुकी रही.

‘‘कुछ लोग बाहर से भी और भीतर से भी इतने सुंदर क्यों होते हैं…और साथ में इतने अद्भुत कि हर पल उन का ही ध्यान रहता है? और इतने अपवाद क्यों?…कि या तो किताबों में मिलें या ख्वाबों में…या मिल ही जाएं तो बिछड़ जाने को ही मिलें?’’ वह बोला.

मैं उस की आंखों में उभरती तरलता को देखती रही. वह कहता रहा…

‘‘हम जब किसी से मिलते हैं तो उस मिलन की उमंग को धीरेधीरे फीका क्यों कर देते हैं? जिंदा रहते भी उसे मार क्यों देते हैं?’’

‘‘अधिक निकटता और अधिक दूरी हमें एकदूसरे को समझने नहीं देती…’’ मैं उस से एक गहरा संवाद करने के मूड में आ गई, ‘‘हमें एक ऐसा रास्ता बने रहने देना होता है, जो खत्म नहीं होता, वरना उस के खत्म होते ही हम भी खत्म हो जाते हैं और हमारा वहम टूट जाता है.’’

उस ने मेरी आंखों में देखा और कहना शुरू किया, ‘‘जिन्हें जीना आता है वे किसी रास्ते के खत्म होने से नहीं डरते, बल्कि उस के सीमांत के पार के लिए रोमांचित रहते हैं. भ्रम तब तक बना रहता है जब तक हम आगे के दृश्यों से बचना चाहते हैं…सच तो यह है कि रास्ते कभी खत्म नहीं होते…न ही भ्रम…अनदेखे सच तक जाने के लिए भ्रम ही तो बनते हैं. किश्तियों के डूबने से पता नहीं हम डरते क्यों हैं?’’

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मैं उसे ध्यान से सुनने लगी.

‘‘सुखी, संतुष्ट बने रहने के लिए हम औसत व्यक्ति बन जाते हैं, जबकि चाहतें अनंत हैं…दूरदूर तक.’’

‘‘कभीकभी हम सहमत हो कर भी अलग तलों पर नजर आते हैं…मैं तुम्हारी इस बात को शह दूं तो कहूंगी कि मैं वहां खत्म नहीं होना चाहती जहां मैं ‘मुझ’ से ही मिल कर रह जाऊं…मुझे अपनी हर हद से आगे जाना है. अपने कदमों को नया जोखिम देने के लिए अपनी हर पिछली पगडंडी तोड़नी है…’’

वह हंसा. कहने लगा, ‘‘पर इस लड़खड़ाती खानाबदोशी में हम जल्दबाज हो कर अपने को ही चूक जाते हैं. इसी में हमारी बेचैनियां आगे दौड़ने की लत पाल लेती हैं. क्या ऐसा नहीं?’’

मैं सोचने लगी कि अब हम एकदूसरे के साथ भी हैं और नहीं भी.

मुझे चुप देख कर उस ने पूछा, ‘‘विवाह को आप कैसे देखती हैं?’’

‘‘अनचाही चीज का पल्ले पड़ जाने वाली एक वाहियात रस्म.’’

वह फिर हंस कर बोला, ‘‘विवाहित या अविवाहित होना मुझे बाहर की नहीं, भीतर की घटना लगती है. जीना नहीं आता हो तो सारी इच्छाएं पूरी हो जाने पर भी बेमतलब के साथ से हम नहीं बच पाते. ज्यादातर लोग विवाहित हो कर ही इस से बच सकते हैं…या दूसरे को बचा सकते हैं, ऐसे ही किसी संबंध में आ कर. हालांकि मैं नहीं मानता कि मनुष्य नामक स्थिति की अभी रचना हो भी सकी है…मनुष्य जिसे कहा जाता है वह शायद भविष्य के गर्भ में है, वरना विवाह की या किसी भी स्थापित संबंध की जरूरत कहां है? हम अकसर अपने से ही संबंधित हो कर आकाश खोजते रह जाते हैं…’’

फिर हम झील में बदलते नजारों में डूबने का अभिनय सा करते रहे.

चुप्पी लंबी हो गई तो मैं ने कहा, ‘‘उस रोज तुम ने मेरी पुकार नहीं सुनी और चले गए…मुझ से बचना चाहा तुम ने…मगर आज क्यों तुम ने मुझे पुकारा?’’

वह मेरे चेहरे को देखता रहा, फिर बोला, ‘‘आप अकेली बैठी थीं. कितनी ही देर से आप के चेहरे पर अकेलेपन की मायूसी देखता रहा, कैसे न पुकारता? पुकारने से बचना और किसी मायूस से बच कर भागना एक ही बात है. कैसी विडंबना है…अब सोच रहा हूं, आप से यह भी नहीं पूछा कि आप करती क्या हैं?’’

मैं यह सोच कर हंसी कि फंस गए बच्चू, इस दुनिया में बहुत कुछ तय नहीं किया जा सकता. अगर किया भी जा सके तो अगले ही पल वह होता है जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

वह चुप रहा. काफी देर के बाद उस ने पूछा, ‘‘घर से निकलते वक्त आप के मन में क्या होता है?’’

‘‘अज्ञात ऐडवैंचर. मैं लगातार घूमती हूं. अपना खुद का तकिया और चादर भी साथ रखती हूं, ताकि देह जहां तक हो, बनी रहे लेकिन जानती हूं कि मेरे हाथ में कल नहीं है.’’

वह मुसकराया, ‘‘इस क्षण मेरे लिए क्या सोचती हैं आप?’’

मैं हंसी, ‘‘इतना तो तय हो ही सकता है कि मैं अपने खाएपिए के अपने हिस्से का हिसाब चुकता करूं…तुम्हें ‘आप’ कह कर तुम से मिला हुआ परिचय तुम्हें लौटाऊं और हम अपनाअपना रास्ता लें.’’

‘‘ऐसा रास्ता है क्या, जिस पर सामने ठिठक जाने वाले लोग मिलते ही नहीं? ऐसा परिचय होता है क्या जिसे समूचा पोंछा जा सके? और अनाम रिश्तों में ‘तुम’ से ‘आप’ हो जाने से क्या होता है?’’

‘‘बातें तो बहुत बड़ीबड़ी कर रहे हो…तुम्हारी उम्र क्या है?’’

‘‘दुनिया से दफा हो जाने तक की तो नहीं जानता, पर अगली 1 जून को 30 का हो रहा हूं.’’

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मैं चौंकी, ‘‘तुम तो मुझ से बड़े निकले… लगते तो छोटे हो.’’

‘‘हां, अकसर इसी धोखे में बच्चा ही बना रह जाता हूं बड़ों में…’’

‘‘जैसा दिखते हो वैसा स्वभाव भी है तुम्हारा…इसे चलनेफलने दो.’’

‘‘ऐसा मैं भी सोचता रहा, पर…’’

‘‘पर क्या?’’ मैं बीच में बोल पड़ी, ‘‘यही न कि अगर मेरे जैसी कोई तुम्हें पसंद आए तो तुम ज्यादा बचाव न कर उस पर हक जमा सको.’’

‘‘नहीं…ऐसा तो नहीं, क्योंकि मैं स्वयं नहीं चाहता अपने पर किसी का ऐसा अधिकार…फिर जो भीतरबाहर से सुंदर और बहुत हट कर होते हैं, उन का मेरे जैसे घुमक्कड़ व्यक्ति के लिए सुलभ रहना संभव नहीं है.’’

‘‘अगर तुम्हें पता चले कि राशा कुछ महीने की मेहमान है तो?’’

‘‘मुझे ऐसा मजाक पसंद नहीं.’’

‘‘लेकिन मौत ऐसे मजाक पसंद करती है.’’

‘‘क्या राशा को कुछ हुआ है?’’

‘‘किस को कब क्या नहीं हो सकता? मैं इतना जानती हूं कि अगर अभी राशा को यह पता चल जाए कि तुम मेरे साथ हो तो वह हमें अपने पास बुला लेगी या खुद यहां चली आएगी.’’

‘‘मिलन को बुनती ज्यादातर बातें सच तो होती हैं पर झूठ हो जाने के लिए ही. सच तभी बनता है जब किसी आकस्मिक घटना पर सहसा हम कुछ करने को बेचैन हो उठते हैं. जैसे कि हमारा उस रोज का मिलना और अचानक आज मिलना…आप जिंदगी को वाक्यसूत्रों में नहीं पिरो सकतीं.’’

‘‘ओह…मैं भूल ही गई थी…मुझे जल्दी होटल पहुंचना है…’’ कह कर मैं काउंटर पर बिल देने के लिए जाने लगी तो वह मुझे रोक कर बोला, ‘‘आज का दिन मेरा है. प्लीज, यह बिल भी मुझे चुकाने दीजिए न.’’

‘‘किसी पर अधिकार जताने के मौके हमारे हाथ कितनी खूबसूरती से लग जाते हैं,’’ मेरे मुंह से निकला और हम दोनों हंस पड़े.

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Serial Story: क्या आप का बिल चुका सकती हूं- भाग 1

नीलगिरी की गोद में बसे ऊटी में राशा के साथ मैं झील के एक छोर पर एकांत में बैठी थी. ‘‘तुम्हारा चेहरा आज ज्यादा लाल हो रहा है,’’ राशा ने मेरी नाक को पकड़ कर हिलाया और बोली, ‘‘कुछ लाली मुझे दे दो और घूरने वालों को कुछ मुझ पर भी नजरें इनायत करने दो.’’

इतना कह कर राशा मेरी जांघ पर सिर रख कर लेट गई और मैं ने उस के गाल पर चिकोटी काट ली तो वह जोर से चिल्लाई थी.

‘‘मेरी आंखों में अपना चौखटा देख. एक चिकोटी में तेरे गाल लाल हो गए, दोचार में लालमलाल हो जाएंगे और तब बंदरिया का तमाशा देखने के लिए भीड़ लग जाएगी,’’ मैं ने मजाक करते हुए कहा.

उस ने मेरी जांघ पर जरा सा काट लिया तो मैं उस से भी ज्यादा जोर से चीखी. सहसा बगल के पौधों की ओट से एक चेहरा गरदन आगे कर के हमें देखने को बढ़ा. मेरी नजर उस पर पड़ी तो राशा ने भी उस ओर देखा.

‘‘मैं सोच रही थी कि ऊटी में पता नहीं ऊंट होते भी हैं कि नहीं,’’ राशा के मुंह से निकला.

‘‘चुप,’’ मैं ने उसे रोका.

मेरी नजरों का सामना होते ही वह चेहरा संकोच में पड़ता दिखाई दिया. उस ने आंखों पर चश्मा चढ़ाते हुए कहा, ‘‘आई एम सौरी…मुझे मालूम नहीं था कि आप लोग यहां हैं…दरअसल, मैं सो रहा था.’’

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फिर मैं ने उसे खड़ा हो कर अपने कपड़ों को सलीके से झाड़ते हुए देखा. एक युवा, साधारण पैंटशर्ट. गेहुंए चेहरे पर मासूमियत, शिष्टता और कुछ असमंजस. हाथ में कोई मोटी किताब. शायद यहां के कालेज का कोई पढ़ाकू लड़का होगा.

‘‘सौरी…हम ने आप के एकांत और नींद में खलल डाला…और आप को…’’

‘‘और मैं ने आप को ऊंट कहा,’’ राशा ने दो कदम उस की ओर बढ़ कर कहा, ‘‘रियली, आई एम वैरी सौरी.’’

वह सहज ढंग से हंसा और बोला, ‘‘मैं ने तो सुना नहीं…वैसे लंबा तो हूं ही…फिर ऊटी में ऊंट होने में क्या बुराई है? थैंक्स…आप दोनों बहुत अच्छी हैं…मैं ने बुरा नहीं माना…इस तरह की बातें हमारे जीवन का सामान्य हिस्सा होती हैं. अच्छा…गुड बाय…’’

मैं हक्कीबक्की जब तक कुछ कहती वह जा चुका था.

‘‘अब तुम बिना चिकोटी के लाल हो रही हो,’’ मैं ने राशा के गाल थपथपाए.

‘‘अच्छा नहीं हुआ, यार…’’ वह बोली.

‘‘प्यारा लड़का है, कोई शाप नहीं देगा,’’ मैं ने मजाक में कहा.

अगले दिन जब राशा अपने मांबाप के साथ बस में बैठी थी और बस चलने लगी तो स्टैंड की ढलान वाले मोड़ पर बस के मुड़ते ही हम ने राशा की एक लंबी चीख सुनी, ‘‘जोया…इधर आओ…’’

ड्राइवर ने डर कर सहसा बे्रक लगाए. मैं भाग कर राशा वाली खिड़की पर पहुंची. वह मुझे देखते ही बेसाख्ता बोली, ‘‘जोया, वह देखो…’’

मैं ने सामने की ढलान की ऊपरी पगडंडी पर नजर दौड़ाई. वही लड़का पेड़ों के पीछे ओझल होतेहोते मुझे दिख गया.

‘‘तुम उस से मिलना और मेरा पता देना,’’ राशा बोली.

उस के मांबाप दूसरी सवारियों के साथसाथ हैरान थे.

‘‘अब चलो भी…’’ बस में कोई चिल्लाया तो बस चली.

मैं ने इस घटना के बारे में जब अपनी टोली के लड़कों को बताया तो वे मुझ से उस लड़के के बारे में पूछने लगे. तभी रोहित बोला, ‘‘बस, इतनी सी बात? राशा इतनी भावुक तो है नहीं…मुझे लगता है, कोई खास ही बात नजर आई है उसे उस लड़के में…’’

मेरे मुंह से निकला, ‘‘खास नहीं, मुझे तो वह अलग तरह का लड़का लगा…सिर्फ उस का व्यवहार ही नहीं, चेहरे की मासूम सजगता भी… कुछ अलग ही थी.’’

‘‘तुम्हें भी?’’ नीलेश हंसी, ‘‘खुदा खैर करे, हम सब उस की तलाश में तुम्हारी मदद करेंगे.’’

मैं ने सब की हंसी में हंसना ही ठीक समझा.

‘‘ऐ प्यार, तेरी पहली नजर को सलाम,’’ सब एक नाजुक भावना का तमाशा बनाते हुए गाने लगे. राशा का जाना मेरे लिए अकेलेपन में भटकने का सबब बन गया.

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एक रोज ऊपर से झील को देखतेदेखते नीचे उस के किनारे पहुंची. खुले आंगन वाले उस रेस्तरां में कोने के पेड़ के नीचे जा बैठी. आसपास की मेजें भरने लगी थीं. मैं ने वेटर से खाने का बिल लाने को कहा. वह सामने दूसरी मेज पर बिल देने जा रहा था.

सहसा वहां से एक सहमती आवाज आई, ‘‘क्या आप का बिल चुका सकता हूं?’’

मैं चौंकी. फिर पहचाना… ‘‘ओ…यू…’’ मैं चहक उठी और उस की ओर लपकी. वह उठा तो मैं ने उस की ओर हाथ बढ़ाया, ‘‘आई एम जोया…द डिस्टर्बिंग गर्ल…’’

‘‘मी…शेषांत…द ऊंट.’’

सहसा हम दोनों ने उस नौजवान वेटर को मुसकरा कर देखा जो हमारी उमंग को दबी मुसकान में अदब से देख रहा था. मन हुआ उसे भी साथ बिठा लूं.

शेषांत ने अच्छी टिप के साथ बिल चुकाया. मैं उसे देखती रही. उस ने उठते हुए सौंफ की तश्तरी मेरी ओर बढ़ाई और पूछा, ‘‘वाई आर यू सो ऐलोन?’’

‘‘दिस इज माई च्वाइस. अकेलेपन की उदासी अकसर बहुत करीबी दोस्त होती है हमारी. हां, राशा तो वहां से अगले दिन घर लौट गई थी. हमारी एक सैलानी टोली है, पर मैं उन के शोर में ज्यादा देर नहीं टिक पाती.’’

हम दोनों कोने में लगी बेंच पर जा बैठे. झील में परछाइयां फैल रही थीं.

मैं ने उस दिन राशा की विदाई वाला किस्सा उसे सुनाया तो वह संजीदा हो उठा, ‘‘आप लोग बड़ी हैं तो भी इतना सम्मान देती हैं…वरना मैं तो बहुत मामूली व्यक्ति हूं.’’

‘‘क्या मैं पूछ सकती हूं कि आप करते क्या हैं?’’ ‘‘इस तरह की जगहों के बारे में लिखता हूं और उस से कुछ कमा कर अपने घूमने का शौक पूरा करता हूं. कभीकभी आप जैसे अद्भुत लोग मिल जाते हैं तो सैलानी सी कहानी भी कागज पर रवानी पा लेती है.’’

‘‘वंडरफुल.’’

मैंने उसे राशा का पता नोट करने को कहा तो वह बोला, ‘‘उस से क्या होगा? लेट द थिंग्स गो फ्री…’’ मैं चुप रह गई.

‘‘पता छिपाने में मेरी रुचि नहीं है…’’ वह बोला, ‘‘फिर मैं तो एक लेखक हूं जिस का पता चल ही जाता है.’’

‘‘फिर…पता देने में क्या हर्ज है?’’

‘‘बंधन और रिश्ते के फैलाव से डरता हूं… निकट आ कर सब दूर हो जाते हैं…अकसर तड़पा देने वाली दूरी को जन्म दे कर…’’

‘‘उस रोज भी शायद तुम डरे थे और जल्दी से भाग निकले थे.’’

‘‘हां, आप के कारण.’’

मैं बुरी तरह चौंकी.

‘‘उस रोज आप को देखा तो किसी की याद आ गई.’’

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‘‘किस की?’’

‘‘थी कोई…मेरे दिल व दिमाग के बहुत करीब…दूरदूर से ही उसे देखता रहा और उस के प्रभामंडल को…’’ कहतेकहते वह कहीं खो गया.

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Serial Story: क्या आप का बिल चुका सकती हूं- भाग 3

वह काउंटर पर जा कर लौटा तो मैं ने उस की तरफ हाथ बढ़ा कर कहा, ‘‘चलती हूं…कभी सहसा संयोग बना तो फिर मिलेंगे…बहुत अच्छे हो तुम…अच्छे यानी जैसे भी हो…’’

उस ने मेरे बढ़े हुए हाथ को देखा… मुसकरा कर हाथ जोड़े और बोला, ‘‘हाथ नहीं मिलाऊंगा.’’

उस ने मेरे लौटते हुए हाथ को अपने हाथ में सहेज लिया और मेरे साथ चल पड़ा. हम आगे तक निकल गए.

‘‘क्या करती हैं आप?’’ बहुत देर बाद मेरा हाथ छोड़ कर उस ने पूछा.

‘‘गलती से साइकिएट्रिस्ट हूं. मनोविद या मनोचिकित्सक कहलाना बहुत आसान है. इस दुनिया में जीने के लिए फलसफे और मन के विज्ञान नहीं, अनाम प्रेम चाहिए…या मजबूरी में कोई मौलिक जुगाड़.’’

वह मेरे होटल तक आया और चुपचाप खड़ा हो गया. मैं सहसा हंस पड़ी. वह भी हंसा.

‘‘अब क्या करें?’’ मेरे मुंह से निकला.

‘‘अलविदा और क्या?’’ उस ने हाथ बढ़ाया.

‘‘मैं मन में उस लड़की की तसवीर बनाने की कोशिश करूंगी, जिसे उस रोज मुझे देख कर तुम ने याद किया था…’’ मैं ने उस का हाथ बहुत आहिस्ता से छोड़ते हुए कहा.

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‘‘कोई जरूरत नहीं…तिल भर का भी फर्क नहीं है. आप के पास आईना नहीं है क्या?’’ कह कर वह चला गया.

मैं देर तक ठगी सी खड़ी रह गई.

5 साल बीते होंगे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर अपने दफ्तर में बैठी थी. दूसरे एक विभाग की इंचार्ज डा. सविता मेरे साथ थी. तभी उस की एक सहयोगी आ कर बोली, ‘‘डाक्टर…आप की वह 14 नंबर की मरीज…उसे आज डिस्चार्ज करना है, मगर उस के बिल अभी तक जमा नहीं हुए…आपरेशन के बाद से अब तक 25 हजार की पेमेंट बकाया है.’’

‘‘ओह, इतनी नहीं होनी चाहिए. 30 हजार रुपए तो जमा कर चुके हैं बेचारे. बड़ा नाम सुन कर आए थे इस अस्पताल का…और ये लोग मजबूर मरीजों को लूट रहे हैं. उस का पति क्या कहता है?’’

‘‘कह रहा है कि उस ने अपनी जानपहचान वालों को फोन किए हैं…शायद कुछ उपाय हो जाएगा.’’

‘‘अभी कहां है?’’

‘‘बीवी के लिए फल लेने बाजार गया है…कुछ देर पहले उस से गजल सुन रहा था…’’

‘‘गजल?’’ मैं ने हैरत से पूछा.

‘‘हां…’’ डा. सविता बोली, ‘‘वह लड़की बंद आंखों में लेटेलेटे बहुत प्यारी गजलें गुनगुनाती रहती है. शायद अपने पति की लाचारी को व्यक्त करती है… और क्या तो गजब की किताबें पढ़ती है. चलो, देखते हैं…उस की फाइनल रिपोर्ट भी डा. प्रिया से साइन करानी है…’’

उन दोनों के साथ मैं भी नीचे आ गई. फिर हम सामने की बड़ी इमारत की ओर बढ़ीं और वहां एक अधबने कमरे में पहुंचीं.

देखा, एक युवती बेहद कमजोर हालत में बेड पर पड़ी छत की ओर देख रही है. कमजोरी में भी वह सुंदर लग रही थी. हमें देख कर वह किसी तरह उठ कर बैठने की कोशिश करने लगी.

‘‘लेटी रहो,’’ मैं ने उस के सिरहाने बैठते हुए कहा और पास रखी ‘बुक औफ द हिडन लाइफ’ को हाथ में ले कर पलटने लगी. जीवन और मौत के रिश्ते को अटूट बताने वाली अनोखी किताब.

मैं उस से बतियाने लगी. थकी हुई सांसों के बीच उस ने बताया कि साल भर पहले एक हादसे में उस के घर के सब लोग मारे गए थे और उस के बचपन के एक साथी ने उस से शादी कर ली… ‘‘तभी पता चला कि मेरे अंदर तो भयंकर रोग पल रहा है…अगर मुझे पता होता तो मैं कभी उस से शादी न करती…बेचारा तब से जाने कहांकहां दौड़भाग कर के मेरा इलाज करा रहा है…साल होने को आया…’’

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‘‘अब तुम रोग मुक्त हो,’’ मैं ने उस के सिर पर हाथ रखा, ‘‘सब ठीक हो जाएगा.’’

उस ने कातरता से मुझे देखा और आंखें बंद कर लीं. इसी में उस की आंखों में से कुछ बूंदें बाहर निकल आईं और कुछ शब्द भी… ‘‘हां, होता तो सब ठीक ही होगा…पर मुझे अपना जिंदा रहना ठीक नहीं लगता…हालांकि दिमागी तौर पर बिलकुल तंदुरुस्त हूं…जीना भी चाहती हूं…’’

डा. सविता उस की जांच कर के जा चुकी थीं. उसे स्पर्श की एक और तसल्ली दे कर मैं भी उठी. अभी कुछ ही कदम आगे निकली थी कि मेरे कानों में एक गुनगुनाहट पहुंची. देखा, वह आंखें बंद कर के गा रही है :

‘धुआं बना के फिजा में उड़ा दिया मुझ को,

मैं जल रहा था, किसी ने बुझा दिया मुझ को…

खड़ा हूं आज भी रोटी के चार हर्फ लिए,

सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझ को…’

मैं खड़ी रही. उस की गुनगुनाहट धीमी होती चली गई और फिर उसे नींद आ गई. मुझे वे दिन याद आए जब मां के न रहने पर मैं बहुत अकेली पड़ गई थी और नींद में उतरने के लिए इसी तरह अपने दर्द को लोरी बना लेती थी.

रिसेप्शन पर पहुंची. वहां से अस्पताल के प्रबंध निदेशक को फोन कर के बिल के पेमेंट का जिम्मा लिया और लौट आई.

देखा, उस के सिरहाने बैठा एक युवक सेब काट कर प्लेट में रख रहा है. पुरानी पैंटशर्ट के भीतर एक दुबली काया. सिर पर उलझे हुए बाल. युवती शायद सो रही थी.मैं धीमे कदमों से उस के निकट पहुंची.

वह युवक कह रहा था, ‘‘अब दोबारा मत कहना कि तुम से शादी कर के मैं बरबाद हो गया. नाउ यू आर ओ.के. …मेरे लिए तुम्हारा ठीक होना ही महत्त्वपूर्ण है…पैसों का इंतजाम नहीं हुआ…बट आई एम ट्राइंग माई बेस्ट…’’ उस की आवाज में पस्ती भी थी और उम्मीद भी.

मैं ने देखा, आंखें बंद किए पड़ी वह युवती उस की बात पर धीरेधीरे सिर हिला रही थी. अचानक मेरा हाथ उस युवक की ओर बढ़ा और उस के कंधे पर चला गया. इसी के साथ मेरे मुंह से निकला :

‘‘कैन आइ पे फौर यू?…आप का बिल चुका सकती हूं मैं?’’

वह चौंक कर पलटा और खड़ा हो गया, ‘‘आप?’’

अब मैं ने उस का चेहरा देखा… ‘‘ओह…शेषांत…तुम?’’

एक तूफान उमड़ा और उस ने हमें अपने में ले लिया.

मेरे कंधे से लगा वह सिसकता रहा और मेरे हाथ उस के सिर और पीठ पर कांपते रहे. मेरी आंखें सामने उस लड़की की आंखों से झरते आनंद को देखती रहीं. पता नहीं, कब से चट्टान हो चुकी मेरी आंखों में से कुछ बाहर आने को मचलने लगा.

‘‘राशा…ये हैं…जोया…’’ शेषांत ने मेरे कंधे से हट कर चश्मा उतारते हुए उस से कहा तो मैं चौंकी, ‘‘राशा?’’

वह लड़की अपनी खुशी को समेटती हुई बोली, ‘‘मेरा नाम राशि है…इन्होंने आप लोगों के बारे में बताया था तो मैं ने जिद की थी कि मुझे राशा ही कहा करें.’’

मैं चुप रही…सोचती रही…‘राशा तो अब नहीं है…पर तुम दोनों ने उसे सहेज लिया…बहुत अच्छे हो तुम दोनों.’

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हम तीनों अपनीअपनी आंखें पोंछ रहे थे कि सामने से एक नर्स आई. उस ने हंस कर मेरे हाथ में बिलों के भुगतान की रसीद और राशि के डिस्चार्ज की मंजूरी थमाई और चली गई.

मेरी राशा तो खो गई थी पर उस बिल की रसीद के साथ एक और राशा मिल गई. लगा कि जिंदगी अब इतनी वीरान, अकेली न रहेगी. राशा, शेषांत और मैं…एक पूरा परिवार…

होली पार्टी को लेकर ट्रोल हुईं Neha Kakkar, लोगों ने कोरोना Rules तोड़ने पर कही ये बात

कोरोना वायरस का असर धीरे-धीरे भारत के कई हिस्सों में दोबारा देखने को मिल रहा है, जिसके चलते कई जगहों पर लौकडाउन लगाने की भी नौबत आ गई हैं. वहीं सेलेब्स पर भी इसका असर बढ़ता जा रहा है. जहां बीते दिनों कई सेलेब्स कोरोना का शिकार हो चुके हैं तो वहीं आए दिन कोई न कोई सेलेब इसका शिकार होता जा रहा है. इसी बीच सेलेब्स होली फेस्टिवल मनाने की तैयारी कर रही हैं. दरअसल,  हाल ही में बौलीवुड नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके कारण फैंस  उन्हें ट्रोल करते नजर आ  रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

पार्टी को लेकर ट्रोल हुईं नेहा

दरअसल, हाल ही में बौलीवुड की पौपुलर सिंगर नेहा कक्कड़, पति रोहनप्रीत सिंह, भाई टोनी कक्कड़ और दोस्तों के साथ होली की पूल पार्टी करती नजर आईं थीं. वहीं जहां कुछ लोग उनकी पार्टी की तारीफें कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नेहा कक्कड़ कोरोना वायरस के नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं. दरअसल, वीडियो में नेहा कक्कड़ और उनकी पार्टी में शामिल सभी लोग बिना मास्क के नजर आ रहे हैं, जिसके कारण लोग उन्हें ट्रोल कर रहे हैं.

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गाने को लेकर छाई नेहा कक्कड़

ट्रोलिंग के बीच नेहा कक्कड़ का बिग बौस 14 विनर रुबीना दिलैक और उनके पति अभिनव शुक्ला संग नए गाने मरजानिया को लेकर सुर्खियों में हैं. जहां हर कोई उनके गाने की तारीफें कर रहा है तो वहीं अभिनव और रुबीना की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते नजर आ रहे हैं.

बता दें, नेहा कक्कड़ शादी के बाद से सुर्खियों में छाई रहती हैं. जहां इसका कारण कभी उनकी पर्सनल लाइफ बनती है तो कभी प्रौफेशनल लाइफ. हालांकि वह इन बातों को सिरियसली नही लेती हैं.

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