हेमा मालिनी की बेटी ईशा देओल तख्तानी करेंगी बौलीवुड में धमाकेदार वापसी, पढ़ें खबर

मशहूर अभिनेत्री व सांसद हेमा मालिनी की बेटी व अभिनेत्री ईशा देओल तख्तानी ने विवाह रचाने के बाद अभिनय से दूरी बना ली थी. राम कमल मुखर्जी द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘काकवॉक’’ उनकी आखिरी फिल्म थी,  जिसने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में उन्हें महत्वपूर्ण प्रशंसा और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिलाया था. अब तो वह दो बेटियों की मां भी बन चुकी हैं. मगर अब एक बार फिर वह अभिनय में वापसी करने के लिए एकदम फिट हो चुकी हैं.

जी हॉ!जानी मानी अदाकारा,  नृत्यांगना और लेखक (मातृत्व पर अत्यधिक प्रशंसित पुस्तक ‘अम्मा मिया’की लेखक)ईशा देओल इन दिनों अपनी आगामी परियोजनाओं की घोषणा करने के लिए उत्सुक हैं. वह कहती हैं-‘‘ईश्वर की अनुकंपा से इन दिनों मुझे बेहतरीन फिल्मों में अच्छे किरदार निभाने के अच्छे प्रस्ताव मिल रहे हैं. मैं पुनः कैमरे का सामना करने के लिए तैयार हूं! इसी के साथ  फिट रहना मेरे लिए हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, इसलिए मैंने अपना सारा वजन कम कर लिया है और अपने टोंड सेल्फ में वापस आ गया हूं. मैं कई स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं. ’’

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ईशा देओल तख्तानी आगे कहती हैं,  ‘‘यूं तो मैं पहले ही एक फिल्म में अभिनय कर चुकी हूं और फिलहाल मैं अपने अगले काम के साथ व्यस्त हूं,  जो इस साल के मध्य तक शुरू हो जाएगा और मैं वास्तव में उत्साहित हू. सच कह रही हूं. मैने हाल ही में एक हिंदी फिल्म में अभिनय किया, जो कि मेरे दिल के बहुत करीब है. पर मैं इस फिल्म् को लकर फिलहाल चुप हूं. मैं चाहती हूं कि इस फिल्म की आधिकारिक घोषणा निर्माता की तरफ से हो जाए, उसके बाद मैं इस पर बात करुं. ’’

इस हिंदी फिल्म के संदर्भ मे ईश कहती हैं-‘‘जब मुझे पटकथा के साथ संपर्क किया गया तो मुझे लगा कि यह एक ऐसी कहानी है,  जिसे लोगों तक पहुॅचाया जाना चाहिए. मुझे पूरा यकीन है कि हर महिला इस फिल्म से खुद को रिलेट कर सकेगी. इसमें एक खूबसूरत संदेश भी है. ’’

ईशा देओल तख्तानी अपनी बेटियों राध्या और मिराया के साथ ज्यादा समय बिताती रहती है. उन्होंने अपनी किताब ‘अम्मा मिया’ को टॉडलर्स के लिए मां की रेसिपी बुक लिखकर और जारी करके लॉकडाउन अवधि का उपयोग किया. इस पुस्तक को पाठकों ने खूब सराहा. तो वहीं अब वह सेल्युलाइड और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए विभिन्न पात्रों की अपने अभिनय से संवारने के लिए तत्पर हैं.

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शादी के रिश्ते को अपना नाम देगा आदित्य तो क्या स्वीकार करेगी इमली

स्टार प्लस का सीरियल इमली इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है, जिसका कारण शो की कहानी में आने वाले ट्विस्ट हैं. दरअसल, आदित्य और इमली की इस कहानी में जल्द ही धमाकेदार लव ट्रायंग्ल देखने को मिलने वाला है, जिसके चलते शो की कहानी में कई नए मोड़ आएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आदित्य को होता है प्यार का एहसास

अब तक आपने देखा कि इमली के पगडंडिया वापस जाने से आदित्य दिन-रात बैचेन था, जिसके कारण वह उसके पीछे-पीछे पगडंडिया जा पहुंचा है. वहीं उसे धीरे-धीरे इमली के लिए अपने प्यार का एहसास भी हो रहा है. लेकिन वह मानने को तैयार नहीं की वह इमली से प्यार करता है. लेकिन आने वाले एपिसोड में आदित्य को इमली के लिए अपने प्यार का एहसास होने वाला है.

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मालिनी को पता चलेगा सच

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां एक तरफ आदित्य को अपने प्यार का एहसास होगा तो वहीं मालिनी को इमली और आदित्य के रिश्ते का पूरा सच पता चल जाएगा. वहीं इसी के कारण वह एक बड़ा कदम उठाएगी. साथ ही मालिनी, इमली से नफरत करने लगेगी.

पगडंडिया जाएगी मालिनी

 

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खबरों की मानें तो आने वाले दिनों में मालिनी पगडंडिया जाएगी. जहां वह आदित्य और इमली को साथ देखकर टूट जाएगी. इसी के साथ ही शो की कहानी में नए लव ट्रायंग्ल का भी आगाज होगा, जिसके बाद शो की कहानी में धमाकेदार ट्विस्ट आते नजर आएंगे.

बता दें, सीरियल ‘इमली’ इन दिनों टीआरपी चार्ट में दूसरे नंबर पर आ गया है. वहीं स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा पहले पायदान पर अपनी पकड़ बनाकर रखा हुआ है. वहीं शो के मेकर्स भी कहानी में नए ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने को तैयार हैं.

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दोस्त की शादी में छाए आलिया भट्ट के एक से बढ़कर एक लुक्स, Photos Viral

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने हाल ही में अपनां 28वां बर्थडे सेलिब्रेट किया है, जिसके चलते हर कोई उन्हें बधाइयां देता नजर आया था. हालांकि वह इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी के चलते सुर्खियों में छाई हुई हैं. इसी बीच आलिया की कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं, जिनमें वह इंडियन लुक जलवे बिखेरती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं आलिया भट्ट की वायरल फोटोज…

दोस्त की शादी में छाईं आलिया

दरअसल, हाल ही में आलिया अपनी दोस्त रिया खुराना की शादी में पहुंची हुई थीं, जिसकी तस्वीरें और वीडियोज सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. वहीं फैंस उनके लुक की तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. सेक्सी साड़ी से लेकर रॉयल शरारा तक आलिया भट्ट का हर लुक इतना खूबसूरत लग रहा है, जिसके काऱण वह सोशलमीडिया पर टौक औफ द टाउन बनीं हुई हैं.

 

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सौड़ी में था रौयल लुक

 

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संगीत सेरेमनी में आलिया भट्ट ने फ्यूशिया पिंक रफल साड़ी पहनी थी, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. जॉर्जेट की लाइटवेट साड़ी के साथ आलिया ने स्ट्रैपी ब्लाउज पहना था, जिस पर किया गया मिरर वर्क उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था. वहीं इस लुक के साथ हैवी मांग टिका उनके लुक को काफी खूबसूरत बना रहा था.

लहंगे में दिखा स्टाइलिश अंदाज

संगीत सेरेमनी से बिल्कुल अलग शादी के लिए आलिया भट्ट ने ब्रिक ब्राउन लहंगा चुना था, जिस पर बटरफ्लाई पैटर्न वाले ब्लाउज उनके लुक को चार चांद लगा रहा था. नेट फैब्रिक में बने इस सुंदर कढ़ाई की गई थी. वहीं इसके साथ कैरी किया गया ब्लाउज भी आलिया के लुक को कम्पलीट कर रहा था.

आलिया ने दिखाया शरारा लव

 

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आलिया के शरारा कलेक्शन की बात करें तो उनके पास एक से बढ़कर एक शरारा हैं, जिसकी झलक वह फैंस को अक्सर दिखाती रहती हैं. हाल ही में दोस्त के वेडिंग फंक्शन में आलिया ने अपना शरारा भी दिखाया. दरअसल, फंक्शन में आलिया ने वाइट शरारा सेट पहना था, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. आलिया ने अपने इस लुक के साथ सिंपल झुमकी कैरी की थी, जो उनके लुक को और भी खूबसूरत बना रही थी.

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Serial Story: न उम्र की सीमा हो- भाग 4

नलिनी वहां से चल दी. उसे बेहद शांति मिली थी. उसे क्या करना है, यह निश्चय पक्का हो गया था. उसे लगा कि वह तो आत्महत्या की भावना में डूबी रहती है, जबकि उस की प्रिय सहेली ने आगे बढ़ कर जिंदा रहना सीख लिया. अपने कमरे में आ कर वह लेट गई, वह जान गई अब मुसकराना कितना आसान है. वह विकास के खयाल में डूब गई. उस ने उसे अपना शरीर, मन सब समर्पित किया था. उसे फिर मधु की दुनिया को ठेंगा दिखाती हंसी याद आ गई तो वह भी मुसकरा पड़ी.

उस ने अपना फोन उठाया और पहली बार विकास का नंबर मिला दिया. विकास ने फोन उठाया तो नलिनी के मुंह से उत्साहित स्वर में निकला ‘विकास’ और विकास ने आगे सुने बिना ही प्रसन्नता भरी आवाज में कहा, ‘‘नलिनी, मैं आ रहा हूं.’’

नलिनी को लगा वह खुद रोशनी की किरण ले जाने के बजाय काली अमावस रात का अंधेरा बटोर कर अकारण ही अपने जीवन में भरती चली गई. काश, उम्र के फर्क को नजरअंदाज कर वह हिम्मत कर पहले ही उस घुटनभरे अंधेरे को काटते हुए उस चेहरे तक पहुंच जाती जो उस का इंतजार कर रहा था. फिर मुसकराते हुए वह यह गीत गुनगुना उठी, ‘न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन…’

अगले दिन ही विकास फ्लाइट से पहुंच गया. नलिनी औफिस में अपने काम में व्यस्त थी, जब विकास उसके सामने आ कर खड़ा हो गया, नलिनी वहीं उस के गले लग गई. हमेशा, लोग क्या कहेंगे, इस बात की परवाह करने वाली नलिनी औफिस में उस के गले लग कर खड़ी है, यह देख कर विकास हंस पड़ा. दोनों सीधे नलिनी के फ्लैट पर पहुंचे. कुसुम सपरिवार उपस्थित थी. नलिनी ने विकास का परिचय अपने होने वाले पति के रूप में दिया तो कुसुम और मोहन की नाराजगी उन के चेहरे से ही प्रकट हो गई जिसे दोनों ने नजरअंदाज कर दिया.

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अगले दिन कुसुम चली गई. विकास और नलिनी के औफिस के दोस्तों ने जल्दी से जल्दी विवाह का कार्यक्रम तय करवाया, दोनों ने मिल कर खूब शौपिंग की, उन का सादा सा विवाह संपन्न हुआ. कुसुम और मोहन मेहमान की तरह आए और चले गए. नलिनी को अब किसी से कोई शिकायत नहीं थी, वह खुश थी, विकास उस के साथ था.

नलिनी चाहती थी अब वह नौकरी छोड़ कर बस सिर्फ अपनी घरगृहस्थी संभाले. विकास ने भी इस में सहमति दिखाई. नलिनी रिजाइन कर के फ्लैट बंद कर विकास के साथ दिल्ली चली गई.

विकास के मातापिता तो विवाह में नहीं आ पाए थे, लेकिन उन्हें नलिनी को देख कर उस से मिलने के बाद इस में कोई आपत्ति भी नहीं थी. वे कभीकभी दोनों से मिलने मेरठ से दिल्ली आते रहते थे. नलिनी का मधुर व्यवहार उन्हें बहुत अच्छा लगा था.

नलिनी सुंदर थी, लेकिन अपनी उम्र को ले कर उस के मन में हमेशा एक चुभन सी रहती. वह अपनी मनोदशा किसी से बांट न पाती. यहां तक कि विकास से भी नहीं. विवाह के 6 महीने बीत गए थे. दोनों अपने वैवाहिक जीवन से बहुत खुश थे.

विकास के कई दोस्त थे, वे अपनीअपनी पत्नी के साथ मिलने आते रहते थे. कभीकभी एकाध बार कोई दोस्त उन की उम्र के फर्क पर हंसता तो नलिनी का दिल बैठ जाता.

विकास के औफिस का गु्रप भी जब इकट्ठा होता, जिन में लड़कियां भी थीं, सब विकास से बहुत खुली हुई थीं, सब एकदूसरे का नाम ले कर बुलाते थे. लेकिन जब वे उसे नलिनीजी कहते तो उसे महसूस होता कि सब उसे बड़ी मान कर एक फासला रखते हैं. वह सब की बहुत आवभगत करती. उन में अपनेआप को मिलाने की बहुत कोशिश करती, लेकिन अपने चारों तरफ वह एक अनावश्यक औपचारिक गंभीर सा दायरा खिंचा महसूस करती जिसे चाह कर भी तोड़ नहीं पाती.

एक दिन विकास के औफिस में गीता सिंह नाम की एक नई

नियुक्ति हुई. उसे ट्रेनिंग देने का काम विकास को ही मिला. बेहद आधुनिक, चंचल गीता को विकास दिनभर

काम सिखाता.

एक बार विकास ने अपने सहकर्मियों को डिनर के लिए घर पर बुलाया तो गीता भी आई. गीता नलिनी से पहली बार मिल रही थी. उस ने जिस तरह नलिनी को देख कर चौंकने का अभिनय किया, नलिनी को अच्छा नहीं लगा. विकास नलिनी को गीता के बारे में बताता रहा. नलिनी सुनती रही. बीच में हांहूं करती रही. नलिनी ने देखा विकास गीता के साथ काफी खुला हुआ है. गीता की बातों पर वह जोर के ठहाके लगाता खूब गप्पें मार रहा था. नलिनी ने खुद को उपेक्षित महसूस किया. उसे लगा वह कहीं मिसफिट हो रही है. हालांकि विकास के व्यवहार में कुछ आपत्तिजनक नहीं था, लेकिन नलिनी को गीता का विकास का हाथ बारबार पकड़ कर बात करना बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था. वह सोचने लगी विकास उसे इतनी लिफ्ट क्यों दे रहा है. औफिस से और लड़कियां भी आई थीं, लेकिन गीता जैसा उच्शृंखल स्वभाव किसी का नहीं था. वह खुद भी इतने सालों से औफिस में काम करती रही थी, औफिस के माहौल की वह आदी थी, लेकिन गीता का खुलापन असहनीय लग रहा था.

सब के जाने के बाद नलिनी ने नोट किया विकास की बातों में गीता का काफी जिक्र था. गीता अविवाहित थी. मातापिता के साथ रहती थी. अब छुट्टी वाले दिन भी गीता कभी भी आ धमकती. विकास को हंसतेबोलते देख नलिनी सोचने लगती क्या विकास को मेरे से ऊब होने लगी है. गीता की देह दिखाती आधुनिक पोशाकें देख कर नलिनी का दम घुटने लगता. विकास भी गीता से दूर रहने की कोई कोशिश करता नहीं दिखा तो नलिनी धीरेधीरे डिप्रैशन का शिकार होने लगी और इसी डिप्रैशन के चलते बीमार हो गई. रात को नलिनी और विकास सोने लेटे. विकास तो सो गया, लेकिन नलिनी को अचानक लगा जैसे कमरे के अंदर फैले हुए अंधेरे में अलगअलग किस्म की शक्लें उभर कर सामने आ रही हैं, जो उस पर हंस रही हैं और वह उस अंधेरे में डूबती चली गई. वह आंखें बंद किए जोरजोर से चीख रही थी. विकास चौंक कर उठ बैठा. नलिनी बेदम सी हो कर विकास की बांहों में झूल गई.  उस ने तुरंत फोन कर के डाक्टर को बुलाया.

डाक्टर ने चैकअप करने के बाद बताया, ‘‘ये दिमागी तौर पर बहुत तनाव में हैं, दबाव में होने की वजह से ब्लडप्रैशर भी हाई है. और हां, बधाई हो आप पिता बनने वाले हैं.’’

विकास की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. डाक्टर दवा दे कर चला गया. विकास नलिनी का हाथ पकड़ कर बैठा था. वह बीते दिनों के घटनाक्रम को ध्यानपूर्वक सोचने लगा…

उसे नलिनी की मनोदशा का अंदाजा हो गया तो उसे अपराधबोध हुआ. उसे गीता से इतना खुला व्यवहार नहीं करना चाहिए. उस के स्वयं के मन में कुछ गलत नहीं था, लेकिन नलिनी के मानसिक संताप को अनुभव कर विकास की पलकों से आंसू नलिनी के हाथ को भिगोते रहे, न जाने यह नाजुक दिलों के तारों का संगम था या कुछ और था. उस के गरमगरम आंसुओं की गरमी जैसे नलिनी के दिल की गहराई तक जा पहुंची और उस की बंद पलकों में हरकत हुई. वह गहरे अंधेरे से धीरेधीरे बाहर आ रही थी. धुंध के गहरे बादल छंटते जा रहे थे.

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विकास उस के हाथ को अपने हाथ में ले कर कहने लगा, ‘‘नलिनी, कैसी हो अब? अगर मेरी किसी भी बात से तुम्हारा दिल दुखा हो तो मुझे माफ कर दो.’’

नलिनी ने जैसे ही कुछ कहने की कोशिश की, विकास बोल उठा, ‘‘नलिनी, जल्दी से ठीक हो जाओ, तुम्हारे साथ जीवन की सब से बड़ी खुशी बांटनी है और तुम आज के बाद अपने दिमाग से उम्र की बात बिलकुल निकाल दोगी. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. हम सच्चे दिल व पूरी निष्ठा से जीवन को बड़ी खूबसूरती से जीएंगे. अभी तो बहुत रास्ते तय करने हैं, बहुत दूर जाना है, साथसाथ एकदूसरे का हाथ थामे. तुम बस मेरे प्यार पर विश्वास करो.’’

नलिनी चुपचाप विकास की तरफ देख रही थी. उस ने विकास का हाथ कस कर पकड़ लिया और सुकून से आंखें बंद कर लीं. फिर उस ने खिड़की की तरफ देखा जहां उस के जीवन की एक नई सुबह का सूर्य निकल रहा था जिस की चमकती किरणों ने उस के दिल के हर कोने को चमका दिया था.

Holi Special: बच्चों के लिए बनाएं मारियो सैंडविच

अगर आप बच्चों के लिए हेल्दी और टेस्टी डिश घर पर ट्राय करना चाहती हैं तो मारियो सैंडविच आपके लिए परफेक्ट रेसिपी है. ये आसानी से बनने वाली मारियो सैंडविच की रेसिपी आपके बच्चों को बेहद पसद आएगी.

हमें चाहिए

–  1/2 कप दूध

–  1 कप नारियल बुरादा

–  1/2 कप मिल्क पाउडर

–  एकचौथाई चम्मच हरी इलायची पाउडर

–  1 बड़ा चम्मच मिलाजुला मेवा

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–  1/2 कप स्ट्राबेरी सौस

–  1 कप ब्रैडक्रंब्स या कौर्नफ्लैक्स का चूरा

–  10 बिस्कुट

–  चीनी स्वादानुसार.

बनाने का तरीका

दूध को उबालने रखें. फिर उस में नारियल का बुरादा, मिल्क पाउडर, इलायची पाउडर, चीनी और मेवा मिला कर तब तक पकाएं जब तक यह मिश्रण सूखा न हो जाए. इसे ठंडा होने दें. इस मिश्रण के 5 भाग कर के बिस्कुट सैंडविच पर चारों ओर से स्ट्राबेरी सौस लगाएं और इन बिस्कुटों को ब्रैड या कौर्नफ्लैक्स के चूरे में लपेट कर रख दें. सैंडविच बना लें. ऊपर से चीनी के दाने और नारियल का बुरादा बुरक ठंडा होने पर परोसें.

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हार का जश्न मनाना भी है जरूरी, जानें क्यों

बचपन से ले कर बुढ़ापे तक हर इंसान को जिंदगी में कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है. वजह कुछ भी हो सकता है. कभी अच्छे स्कूल-कौलेज में दाखिला न मिलना, कभी परीक्षा में मनमाफिक नंबर न मिलना, कभी नौकरी में असफलता या फिर प्यार में दिल का टूटना. ये तरहतरह के रिजेक्शन है जो उम्र के विभिन्न पड़ावों पर इंसान को सहने पड़ सकते हैं.

जरा इन घटनाओं पर गौर करें;

प्रेमी के व्हाट्सअप स्टेटस पर अपनी फ्रैंड का फोटो देख कर छात्रा ने की आत्महत्या

नोएडा, 28 जनवरी 2019

डीयू में लौ की पढ़ाई करने वाली छात्रा ने सेक्टर 27 स्थित अपने पीजी में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली.

मूलरुप से उत्तराखंड हरिद्वार निवासी 22 वर्षीय युवती दिल्ली यूनिवर्सिटी से लौ की पढ़ाई कर रही थी. वह फिलहाल एक पीजी में रहती थी. करीब 2 साल पहले उस की दोस्ती फेसबुक के माध्यम से गलगोटिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र से हुई थी जिस से वह प्यार करने लगी. 2 दिन पहले प्रेमी की एक महिला सहपाठी का जन्मदिन था जिस के साथ खिंचवाई गई फोटो उस ने व्हाट्सअप स्टेटस पर लगा दी. इसे देखने के बाद लड़की आगबबूला हो गई. उस ने प्रेमी पर धोखा देने का आरोप लगाया. मामला बढ़ने के बाद प्रेमी ने उस से बात करना बंद कर दिया. इसी बात से आहत छात्रा ने कमरे में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

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प्यार में धोखा मिला तो युवती ने कर ली आत्महत्या

13 नवंबर, 2018

प्रेमी से धोखा मिलने पर सेक्टर-19 में रहने वाली एक युवती ने फांसी से लटक कर आत्महत्या कर ली. शव के पास से मिले स्यूसाइड नोट से मामले का खुलासा हुआ.

मूलरूप से पटना की रहने वाली पीड़ित युवती सेक्टर-19 के बी-ब्लॉक में रहती थी. वह पास के एक इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करने के साथ ही एक कॉल सेंटर में जॉब भी कर रही थी. युवती पटना के ही एक युवक से प्रेम करती थी. उस से धोखा मिलने पर युवती ने खुद को ही ख़त्म कर दिया.

बीएड छात्र ने नौकरी न मिलने की वजह से आत्महत्या की.

7 अक्टूबर, 2019

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में किराए पर रह एक बीएड छात्र नागेंद्र सिंह (25) ने नौकरी न मिलने की वजह से फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उस का शव कमरे की छत में लगे हुक से रस्सी के फंदे में लटका हुआ बरामद किया गया. कमरे की तलाशी लेने पर एक सुसाइड नोट बरामद हुआ जिस में मृतक ने नौकरी पाने में विफलता को आत्महत्या का कारण बताया.

प्यार में नाकामी से आहत प्रेमी ने प्रेमिका को दिखाया अपनी खुदकुशी का सीधा प्रसारण

जून 20, 2017

ठाणे के उल्हास नगर में एक 26 वर्षीय (हनी ) प्रेमी ने अपनी पूर्व प्रेमिका के साथ तकरार के बाद फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उस ने प्रेमिका को वीडियो कॉल कर के अपने अंतिम क्षणों का सीधा प्रसारण भी दिखाया.

यह लड़का अपने कॉलेज की एक लड़की से प्यार करता था और पिछले 6 साल से उन का रिश्ता चल रहा था. हाल ही में दोनों के बीच चीजें बिगड़ने लगीं और उन्होंने अलग होने का फैसला किया . इस के बाद दोनों ने अलगअलग सगाई कर ली. 21 मई को दोनों प्रेमीप्रेमिका एक बार फिर मिले और दोनों में फिर से झगड़ा हुआ. इस के बाद पीड़ित ने घर पहुंच कर आत्महत्या कर ली. उस ने खुदकुशी से पहले अपनी प्रेमिका को वीडियो कॉल की और उसे बताया कि वह अपनी जिंदगी खत्म करने जा रहा है. इस के बाद उस ने अपनी मौत का सीधा प्रसारण उस लड़की को दिखाया.

एकतरफा प्रेम में पागल युवक का युवती पर हमला, फिर की खुदकुशी

जुलाई 04, 2019

पानीपत में एक युवक ने एकतरफा प्रेम में नाकाम रहने पर एक युवती को चाकू मार कर घायल कर दिया. बाद में आत्महत्या कर ली. युवक (राहुल) व युवती के बीच प्रेम संबंध थे और युवती ने अपने परिजनों की सलाह पर राहुल से अपने संबंध खत्म कर लिए थे. इस से नाराज हो कर राहुल ने युवती के साथ मारपीट की थी. 25 मई को युवती ने राहुल की शिकायत थाना महिला पुलिस से की थी. बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया था लेकिन राहुल अंदर ही अंदर रंजिश पाले हुए था.

4 जुलाई की सुबह युवती अपनी दो सहेलियों के साथ पार्क में घूमने गई हुई थी. राहुल भी वहां आ गया और उस ने सर्जिकल ब्लेड से युवती की गर्दन पर हमला किया. युवती सडक पर गिर गई. पार्क में आए लोगों ने जब लड़के को पकड़ने का प्रयास किया तो उस ने ब्लेड से अपनी गर्दन पर प्रहार कर आत्महत्या कर ली.

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जेईई मेन की परीक्षा में फेल होने पर छात्र ने आत्महत्या की

अप्रैल 30, 2019 ,नई दिल्ली

जेईई मेन 2019 की परीक्षा में असफलता पाने के बाद तेलंगाना के एक 17 वर्षीय लड़के ने आत्महत्या कर ली है. उस ने खुद को गोली मार ली. इस परीक्षा में करीब 12 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक मृतक लड़के का नाम सोहेल था. वह जेईई मेन की परीक्षा के साथ ही तेलंगाना स्टेट इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी फेल हो गया था. सोहेल ने अपने पिता की पिस्तौल का इस्तेमाल किया और खुद को अपने घर पर गोली मारी. सोहेल के पिता सेना के सेनानिवृत्त जवान हैं. सोहेल ने इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए आकाश कोचिंग इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की थी लेकिन परीक्षा में सफल नहीं हो पाया. इस के बाद उस के पिता ने असफलता के लिए उसे डांटा भी था. हताशा और डांट के कारण सोहेल ने खुद को गोली मार ली.

गौरतलब है कि तेलंगाना में पिछले एक सप्ताह में कई छात्रों के आत्महत्या के मामले दर्ज किए जा चुके हैं. जिस में तेलंगाना इंटरमीडिएट परीक्षा में असफल होने के बाद 19 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी.

कई दफा रिजेक्शन की वजह से व्यक्ति इतने अधिक मानसिक तनाव और अवसाद की स्थिति में पहुंच जाता है कि वह खुदकुशी तक का रास्ता चुन लेता है.

सच तो यह है कि हम सब कही न कही किसी न किसी मोड़ पर रिजेक्शन का शिकार हुए है या हो भी रहे हैं. आज जिन्हे हम ऊंचे मुकाम पर देखते हैं उन्होंने भी किसी समय में रिजेक्शन का सामना किया है. कौन ऐसा सफल व्यक्ति है जिस ने कभी भी असफलता और तिरस्कार नहीं झेला? मशहूर अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी को ही लीजिये. अभिनय जगत में आने के लिए उन्हें बहुत परिश्रम करना पड़ा था. अच्छी सूरत न होने की बात पर उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था. सदी के महान नायक, अमिताभ बच्चन की आवाज रेडियो के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई थी. उन्हें रेडियो स्टेशन में रिजेक्ट कर दिया गया था. ऐसे ही प्रतिभावान गायक कैलाश खेर की आवाज शुरुआत के दिनों में फिल्मों में गाने के लायक नहीं समझी गई थी. मोहमद रफ़ी को भी स्टेशन पर रातें गुज़ारनी पड़ी थीं. अब्राहम लिंकन से ले कर डौ. अम्बेडकर, लोहिया जी तक ने रिजेक्शन का सामना किया है और संघर्ष जारी रखा.

जोहान्स हौसोफोर, प्रिंसटोन यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान और पब्लिक अफेयर्स के प्रोफेसर हैं. उन्होंने अपनी कुछ असफलताओं का जिक्र अपनी उपलब्धियों के साथ किया. उन का ‘सी वी ऑफ़ फेलियर’ काफी चर्चा में आया. उन्होंने अपने सीवी में एक क्रम से असफलताओं और रिजेक्शन को दर्ज़ किया ताकि लोग समझ सकें कि उन को भी आसानी से कोई सफलता नहीं मिली है.

जिया जियांग एक मोटिवेशनल स्पीकर है और रिजेक्शन थेरेपी वेबसाइट के मालिक भी है. उन्होंने अपने रिजेक्शन में बिताये गए 100 दिन और दुसरे अनुभवों के आधार पर एक किताब लिखी. किताब का नाम है ‘ हाउ टू बीट फियर एंड बिकम इन्विंसिबल’ .

जियांग कहते हैं कि हर इंसान को किसी महत्वपूर्ण चीज के लिए रिजेक्शन का अभ्यास करना चाहिए. यह ऐसा तरीका है जो रिजेक्शन से खुद को संभालने में सक्षम बनाता है और नहीं को हां में बदलने में मदद करता है. उन के मुताबिक जब रिजेक्शन बहुत गंभीर होता है तो यह आप को सफलता के लिए प्रेरित करता है. अगर आप सफल होना चाहते हैं और दुनिया पर अपना प्रभाव डालना चाहते हैं तो आप को रिजेक्शन का सामना करना होगा. अगर आप रिजेक्शन के डर से भागते हैं तो आप जीवन में कभी सफल नहीं हो पाएंगे.

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पीरियड्स में तनाव से निबटें ऐसे

मासिकधर्म लड़कियों व महिलाओं में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है. इस दौरान शरीर में अनेक हारमोनल बदलाव होते हैं, जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रभाव डालने के कारण तनाव का कारण बन सकते हैं. कई कारण इस के जिम्मेदार हो सकते हैं.

कई महिलाएं मासिकधर्म शुरू होने से पहले या इस दौरान तनाव की ऐसी स्थिति से गुजरती हैं, जिस में उन्हें चिकित्सकीय इलाज की भी जरूरत होती है. यह सामान्य बात है कि तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन जिंदगी और रिश्तों को प्रभावित कर सकता है.

पीरियड्स के दौरान अगर थोड़ाबहुत तनाव महसूस हो, तो यह एक सामान्य स्थिति मानी जाती है. प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों का मुख्य कारण ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोंस के लैवल में बदलाव आना होता है.

सामान्य तौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तनाव से ग्रस्त होने की आशंका ज्यादा होती है, जो मासिकधर्म के दौरान और बढ़ सकती है, क्योंकि ये हारमोनल ‘रोलर कोस्टर’ आप के ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स, जिन में सैरोटोनिन और डोपामाइन हैं, पर प्रभाव डाल सकते हैं, जो मूड को ठीक रखने का काम करते हैं. इस के अलावा जिन लड़कियों या महिलाओं को पहले पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ऐंठन या ब्लीडिंग होती है, वे पीरियड्स शुरू होने से पहले दर्द व असुविधा को ले कर चिंतित हो सकती हैं, जो तनाव का कारण बनता है.

ये लक्षण आप के दैनिक जीवन को प्रभावित करने के लिए काफी गंभीर होते हैं, जिन में चिड़चिड़ापन या क्रोध की भावना, उदासी या निराशा, तनाव या चिंता की भावना,मूड स्विंग या बारबार रोने को मन करना, सोचने या ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, थकान या कम ऊर्जा, फूड क्रेविंग या ज्यादा खाने की इच्छा, सोने में दिक्कत, भावनाओं को कंट्रोल करने में परेशानी और शारीरिक लक्षण, जिन में ऐंठन, पेट फूलना, स्तनों का मुलायम पड़ना, सिरदर्द और जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द शामिल है.

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टीनऐजर्स को भी अत्यधिक तनाव महसूस हो सकता है. उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव व ऐंठन, पेट दर्द, जोड़ों व कमर में दर्द व थकान हो सकती है. ये परिवर्तन उन के यौवन काल में हो रहे परिवर्तनों से जुड़ी होते हैं.

हारमोंस जैसे ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन जो पीरियड्स को दुरुस्त करने का काम करते हैं, में उतारचढ़ाव की वजह से आप की भूख, पाचन शक्ति और ऊर्जा का स्तर प्रभावित हो सकता है और ये सब आप के मूड को भी प्रभावित करने का काम करेंगे. इस से मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ सकता है. पीरियड्स के दौरान तनाव एक मूड डिसऔर्डर है, जिस से पीरियड्स के दौरान 5% महिलाएं प्रभावित होती हैं. निम्न उपाय पीरियड्स के दौरान तनाव को कम करने में मददगार साबित होंगे:

रीलैक्सेशन टैक्नीक

इस तकनीक का उपयोग करने से स्ट्रैस कम होता है. इस के लिए आप योगा, मैडिटेशन और मसाज जैसी थेरैपी ले सकती हैं.

पर्याप्त नींद लें

पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है. लेकिन सिर्फ यही जरूरी नहीं है, बल्कि आप कोशिश करें कि आप का रोजाना सोने व उठने का एक समय हो. छात्राएं सोने के शैड्यूल को न बिगाड़ें, क्योंकि इस से हारमोंस पर असर पड़ता है.

डाइट का खास ध्यान रखें

आप कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लें. अपनी डाइट में साबूत अनाज व स्टार्ची वैजिटेबल्स ऐड करें, जो पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग व तनाव को कम करने का काम करेंगी. कैल्सियम रिच फूड जैसे दूध व दही लें. खाने में ज्यादा से ज्यादा फलों व सब्जियों को शामिल करें. थोड़ाथोड़ा खाएं ताकि पेट फूलने की समस्या न हो. अलकोहल व कैफीन से दूरी बनाएं.

विटामिंस हों ज्यादा

अनेक अध्ययनों से पता चला है कि कैल्सियम और विटामिन बी-6 दोनों तनाव के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने का काम करते हैं.

व्यायाम जरूरी

दौड़ने या साइक्लिंग करने से मूड ठीक होता है.

कोंगिनेटिव बिहेवियरल थेरैपी

इस थेरैपी की तकनीक से आप तनाव पर अलग तरह से काबू पा सकती हैं. समय के साथ आप के मस्तिष्क में तंत्रिकों के मार्ग बदल जाएंगे, जो बेचैन करने वाली प्रतिक्रियाओं को कम करने में मदद करेंगे.

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कई महिलाओं में तनाव प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम का सामान्य लक्षण होता है. लेकिन ऐंठन और पेट फूलने की समस्या की तरह तनाव को भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसलिए डरें नहीं, बल्कि डाक्टर से इस बारे में खुल कर बात करें. दवा से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

-जैसमिन वासुदेवा

मार्केटिंग मैनेजर, सैनिटरी नैपकिन नाइन.   

बातूनी बच्चों से कैसे निबटें

कानपुर के मालरोड पर बने एक पब्लिक स्कूल की बात है. कक्षा 4 में पढ़ने वाला छात्र प्रदीप हमेशा किसी न किसी से बात करता रहता था. ऐसे में स्कूल के बच्चे परेशान रहते थे. कई बार तो वह टीचर से भी ऐसे सवाल करता था कि टीचर को समझ में नहीं आता था कि वह उसे कैसे समझाए.

एक दिन स्कूल में प्रार्थना के दौरान प्रदीप ने अध्यापकों से प्रार्थना को ले कर कई सवाल कर डाले. इस से उस के दोस्त और टीचर के साथ प्रिसिंपल भी परेशान हो गए. जब प्रदीप के सवाल खत्म नहीं हुए तो प्रिसिंपल ने टीचर से कहा कि प्रदीप के मुंह पर टेप चिपका दो. टीचर ने प्रदीप के मुंह पर भूरे रंग की टेप चिपका दी. इस के बाद वह क्लास में गया तो वहां सभी बच्चे उस का मजाक उड़ाने लगे. परेशान हो कर प्रदीप वहां से बाहर चला आया.

इसी स्कूल में उस की मां क्षमा टीचर थी. दूसरे पीरियड की घंटी बजी तो प्रदीप मां के पास गया. मां ने पहले उस के मुंह पर से टेप हटाई और उस से इस के बारे में पूछा तो उस ने घटना की जानकारी दी. क्षमा ने प्रिसिंपल से बात की. प्रिंसिपल ने कहा कि प्रदीप बहुत बातूनी बच्चा है,

ऐसे में उस की वजह से पूरी क्लास और स्कूल डिस्टर्ब होता है. काफी समझानेबुझाने पर मामला सुलझा. प्रिंसिपल उसे क्लास में लेने को तैयार नहीं थे तो क्षमा ने पिं्रसिपल और टीचर के खिलाफ बच्चे के साथ मारपीट का मुकदमा दायर करने की धमकी दे दी.

हंगामा भी करते हैं बातूनी बच्चे

प्रदीप जैसे बातूनी बच्चे होना कोई नई बात नहीं है. बहुत से बच्चे ऐसे सवाल करते हैं कि उन के जवाब देने मुश्किल हो जाते हैं. ऐसे बातूनी बच्चे केवल बातें ही नहीं बनाते बल्कि कई बार ये अजबगजब शरारतें भी करते हैं, जिस की वजह से बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है.

नेहा को शिकायत है कि वह अपने बच्चे को जब भी किसी होटल में ले जाती है, वह वहां खाने की चीजों को ले कर बहुत सवाल करता है. इस के बाद कई खाने वाली चीजें मंगा लेता है और थोड़ाथोड़ा खा कर छोड़ देता है.

नेहा कहती है कि वह हद से ज्यादा बातें तो बनाता ही है, कई बार होटल में प्लेट और गिलास भी तोड़ देता है, जिस वजह से कई बार न चाहते हुए भी नेहा को बच्चे पर हाथ उठाना पड़ता है. बातूनी बच्चे केवल छोटी उम्र में ही परेशान नहीं करते, बड़े हो कर भी वे अपनी बातों से लोगों को परेशान करते हैं.

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अनीता के जुड़वां बच्चे हैं. मजेदार बात यह है कि दोनों ही बहुत बातूनी हैं. स्कूल से ले कर घर तक दोनों की बातें चलती रहती हैं. बातों के चक्कर में वे स्कूल का होमवर्क भी नहीं करते. इस की वजह से स्कूल में रोज उन को सजा मिलती है. अनीता को समझ में नहीं आता कि वह कैसे अपने बच्चों को समझाए.

कई बार बच्चों का तनाव पति और घर के दूसरे सदस्यों पर निकल जाता है, उन से झगड़ा हो जाता है. बच्चों का तनाव घरपरिवार के संबंधों से ले कर दोस्तों तक पर भारी पड़ता है. अनीता कहती है कि उस ने अपने बच्चों की देखभाल के लिए नौकरानी रखी थी. बच्चों ने उसे इतना परेशान किया कि वह नौकरी छोड़ कर चली गई. वह बोली, ‘दीदी, आप के बच्चों को संभालना बहुत ही मुश्किल काम है.’

प्यार से संभालिए ऐसे बच्चे

बातूनी बच्चों को तनाव या गुस्से से मत संभालिए. उन्हें प्यार से संभालें. कई बार ऐसे बच्चों की हरकतों पर लोग गुस्सा हो जाते हैं और बच्चों के साथ मारपीट या सजा देने लगते हैं.

फिजियोथेरैपिस्ट और पेरैंट्स कोच नेहा आनंद कहती हैं, ‘‘बच्चों का ज्यादा बात करना, उन के द्वारा तरहतरह के सवाल किए जाना स्वाभाविक प्रक्रिया है. कई बार पेरैंट्स, बड़े भाईबहन, रिश्तेदार या टीचर इन सवालों को ठीक से जवाब नहीं देना चाहते. वे बच्चे को बिना ठीक से समझाए उस का मुंह बंद कराने के लिए चुप करा देते हैं. कई बार डांटडपट देते हैं. जब इस से भी बात नहीं बनती तो वे मारपीट या सजा देने तक पहुंच जाते हैं.’’

नेहा आनंद आगे बताती हैं, ‘‘जब बच्चा सवाल करे तो उसे धैर्यपूर्वक सुनें. सवाल गलत हो तो भी उस को प्यार से समझाएं. बच्चे की जिज्ञासा जब पूरी हो जाएगी तो वह संतुष्ट हो जाएगा. अगर सही से बच्चे को समझाया नहीं गया तो उस के मन में गलत बात घर कर जाएगी. ऐसे में कई बार बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है. यही वजह है कि आज बच्चों की शिक्षा में ऐसे तमाम सब्जैक्ट जोड़े गए हैं, जहां उन को सवाल करने की पूरी आजादी दी जाती है. सही जवाब न मिलने से बच्चा कुंठित हो जाता है, वह अपने सवालों के जवाब के लिए दूसरे लोगों के पास जा सकता है, जो हो सकता है कि सवाल के जवाब तो गलत दें ही, उस को गुमराह भी कर बैठें. पेरैंट्स को बच्चों के ये सवाल बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं लगते. सही मानो में देखें तो बच्चों के लिए ये सवाल बड़े उपयोगी होते हैं.’’

सवाल दर सवाल

बातूनी बच्चे असल में एनर्जी से भरपूर और ऐक्टिव होते हैं. जब ऐसे बच्चों के साथ सही व्यवहार नहीं होता तो वे चिड़चिड़े और जिद्दी हो जाते हैं. अगर इन बच्चों को सही तरह से संभाल लिया जाए तो ये बहुत इंटैलिजैंट और जीनियस हो जाते हैं. सवाल करने के समय यदि इन बच्चों को रोका जाता है या इन्हें सही जवाब नहीं दिया जाता तो ये दब्बू बन जाते हैं. इन की सवाल करने की आदत खत्म हो जाती है. इस से उन का स्वाभाविक विकास प्रभावित होता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों की बातों को ठीक से सुना जाए और सही तरीके से उस का जवाब दिया जाए. यह बच्चों के स्वाभाविक विकास में सहायक होता है. बच्चे जिज्ञासू स्वभाव के होते हैं. वे अपने आसपास की चीजों को समझना चाहते हैं. जो बच्चे बातूनी होते हैं उन को एक्सट्रोवर्ट कहा जाता है. उन से किसी भी विषय पर बात करना अच्छा लगता है.

ऐसे बच्चों के सवालों के जवाब देने चाहिए. उन को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए. ऐसे बच्चों को संभालना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है पर संयम से बात कर के संभाला जा सकता है.

ऐसे बच्चों से स्नेहपूर्वक बात करनी चाहिए. इस से ये अपनी बात को सरलता से कह लेते हैं. ऐसे बच्चों को जब संभाल लेंगे तो उन को सजा देने की जरूरत नहीं होगी. बच्चे भी अपने सवाल कर के आगे बढ़ सकेंगे. पेरैंट्स के साथसाथ ऐसे बच्चों को टीचर को भी सही तरीके से संभालना चाहिए, तभी इन का पूर्ण विकास हो सकेगा.

थोड़ा प्यार, थोड़ी समझ से संभालें अपने लाड़लों को

बातूनी यानी एक्सट्रोवर्ट बच्चों को संभालने के लिए सावधानीपूर्वक प्रयास करने चाहिए. कुछ टिप्स के सहारे यह काम सरल हो सकता है. इन टिप्स को धीरेधीरे बच्चों के साथ व्यवहार में ढाल लेंगे तो बातूनी बच्चों को सुधारा जा सकेगा :

–       बच्चों को बात करने पर कभी हतोत्साहित न करें. बच्चे बातों के जरिए ही अपनी फीलिंग्स और इमोशंस को जाहिर करते हैं.

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–       कई बार वे आप का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ऐसे समय सवाल करते हैं जब आप व्यस्त होते हैं. इस दौरान भी बच्चों को झिड़कने के बजाय सही तरह से जवाब दें.

–       ऐसे बच्चों को संभालने के लिए घर में 10 से 15 मिनट का खेल खेलें, उस में उन्हें शामिल करें और उन्हें भी अपने साथ उतनी देर चुप रहने को कहें.

–       बच्चों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनना शुरू करेंगे तो वे भी आप की बातें सुनेंगे. बच्चों के साथ बात करने से आपस में सामंजस्य बैठाना सरल होगा.

–       बच्चे एनर्जी का पावरहाउस होते हैं. उन की एनर्जी को सही दिशा में लगाना जरूरी होता है. आर्ट, क्राफ्ट, पेंटिंग और डांस जैसी गतिविधियों में उन को लगा कर उन की एनर्जी को सही दिशा में ले जा सकते हैं.

–       बच्चों को किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. आप उन को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें. इस से वे अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकेंगे, हर वक्त आप से सवाल नहीं करेंगे.

5 टिप्स: जूतों की बदबू को ऐसे कहें बाय

अक्सर हम अपने पसीने की बदबू या कपड़ों की बदबू को भगाने का इलाज ढूंढ लेते हैं, लेकिन जब बात जूतों की बदबू की आती है तो हम अक्सर आसान रास्ता ढूंढने की कोशिश करते हैं या फिर उस बदबू का कोई इलाज नही करते. इसीलिए आज हम आपको कैसे अपने जूतों की बदबू को बिना कोई खर्चा किए कैसे भगाएं इसके लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे आप अपना सकते हैं.

1. जूते में बदबू के कारण को पहचानें

जूतों से आ रही बदबू को दूर करने से पहले अपने जूतों की जांच करें. अगर आपके जूतों के इन्सोल नम या टूटे हुए हैं तो या तो इन्हें बाहर निकाल कर सुखा दें या नए इन्सोल खरीद लें जो खासतौर पर बैक्टीरियल ग्रोथ को रोकने के लिए बना होता है.

2. अपने जूतों को हीटर के पास या धूप में सुखाएं

जूते की लेस को निकाल दें और इनकी टंग को बाहर निकालकर (अन्दर की ओर मौजूद सोल या कपड़ा) ऊपर कर दें ताकि जूते जल्दी सूख सकें. इन्हें सूखा रखने पर इनमें बदबू पैदा करने वाली बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है.

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3. देवदार की लकड़ी के इन्सोल खरीदना है बेस्ट

देवदार की लकड़ी से बने इन्सोल एंटीफंगल होते हैं और बदबू दूर करने में मदद करते हैं. इसके अलावा देवदार की महक फ्रैश होती है और ये हल्के भी होते हैं, जिससे ये बदबू दूर करने और बैक्टीरिया की वृद्धि रोकने में सहायक होते हैं.

4. फेब्रिक सौफ्नर या कंडीशनर शीट का करें इस्तेमाल 

एक या दो फेब्रिक सौफ्नर या कंडीशनर शीट (जिन्हें आप ड्रायर में उपयोग करते हैं) को अपने हाथों में दबाकर बौल बना लें और जूतों को इस्तेमाल करने के बाद इस बौल को उनमें रख दें. इससे जूतों से अच्छी खुशबु आएगी और यह जूतों के भीतर की नमी भी सोख लेगा.

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5. खट्टे फलों के छिलकों को रखें

जूतों के अंदर ताजे संतरे, नींबू, या मोसंबी के छिलके रखें ताजे साइट्रस छिलकों को रखें, इसमें मौजूद एसेंशियल औयल होने के कारण अच्छी खूशबू आती है. ताजे साइट्रस छिलकों को रातभर अपने जूतों में रखें और जूतों के उपयोग से पहले इन्हें निकाल दें. इससे जूतों से पहले से बेहतर गंध आएगी. आप चाहें तो जूतों में लैवेंडर औयल की दो-दो बूंदें डाल सकती हैं. इससे जूतों में अच्छी खुशबू आएगी.

Serial Story: न उम्र की सीमा हो- भाग 3

फिर विकास ने एक दिन उस से कहा, ‘‘मैं यहां रह कर तुम्हारी बेरुखी सहन नहीं कर सकता. मैं ने दिल्ली शाखा में अपना ट्रांसफर करवा लिया है. तुम से बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारा इंतजार करूंगा. जब भी इस बात पर यकीन आ जाए, एक फोन कर देना, मैं चला आऊंगा.’’

नलिनी का चेहरा आंसुओं से भीग गया पर वह कुछ कह न पाई. थोड़े दिन बाद विकास दिल्ली चला गया. जातेजाते भी उस ने नलिनी से अपने सारे वहम निकालने के लिए कहा. लेकिन नलिनी को उस की कोई बात समझ नहीं आई. उस के जाते ही नलिनी फिर खालीपन और अकेलेपन से घिर गई. उसे लगता जैसे उस का शरीर निष्प्राण हो गया है. बाहर से सबकुछ कितना शांत पर भीतर ही भीतर बहुत कुछ टूट कर बिखर गया. सोचती रहती उसे छोड़ कर क्या उस ने गलती की या वैसा करना ही सही था?

विकास ने जब उस के जन्मदिन पर उसे सुबहसुबह फोन किया तो उस की इच्छा हुई कि दौड़ कर विकास के पास पहुंच जाए, लेकिन उस ने फिर खुद पर नियंत्रण रख कर औपचारिक बात की. अब उस के जीवन का एक ढर्रा बन गया था और वह किसी भी तरह इसे तोड़ना नहीं चाहती थी. वह सोचती, उन के बीच जो फासला पसरा हुआ था उसे अभी भी नहीं पाटा जा सकता था शायद यह और लंबा हो गया था.

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विकास को गए 4 महीने हो चुके थे. नलिनी की मां की अचानक हृदयघात से मृत्यु हो गई. वह अब बिलकुल अकेली हो गई. कुसुम अपने पति मोहन और दोनों बच्चों के साथ अकसर आ जाती. अभी तक नलिनी मां के साथ अपने वन बैडरूम फ्लैट में आराम से रह रही थी, कुसुम सपरिवार आती तो घर में जैसे तूफान आ जाता. जिस शांति की नलिनी को आदत थी, वह भंग हो जाती और मोहन की भेदती नजरें उस से सहन न होतीं. जितनी तनख्वाह नलिनी की थी उस में उस का और मां का गुजारा आराम से चलता आया था. सोसायटी की मैंटेनैंस, बिजली का बिल, फोन का बिल, जरूरी खर्चों के बाद भी नलिनी आराम से अपने और मां के खर्चों की पूरी जिम्मेदारी निभाती रही थी.

अब कुसुम के परिवार के अकसर रहने पर उस का हिसाब गड़बड़ा जाता. ऊपर से वह कहती रहती, ‘‘आप के अकेलेपन का सोच कर हम यहां भागे चले आते हैं और आप न तो बच्चों की शरारत पर हंसती न मोहन से ठीक से बात करती हैं.’’

एक दिन वह औफिस से अपने लिए कुछ क्रीम वगैरह खरीद कर लौटी तो कुसुम ताने देने लगी, ‘‘भई वाह, मैं तो आप की उम्र में शालीनता से अधेड़ होना पसंद करूंगी. औरत के चेहरे पर छाए संतोष की आभा की कोई बराबरी नहीं है.’’

इन बातों से नलिनी के दिल में टीस सी उठती. ऐसा नहीं था कि उसे बहन के जीवन में भरी खुशियों से कोई जलन होती थी, उसे अब परेशानी थी तो यह कि उस का अपना जीवन अपनी उसी सोई, नीरस, बिनब्याही, ठहरी हुई स्थिति में पड़ा था, न खुशी न गम, बस रोजरोज औफिस आनेजाने का एक रूटीन. उसे विकास की बहुत याद आती. काशिद बीच पर बीता समय याद कर के कई बार रो पड़ती. काश, वह इतनी दब्बू और कायर न होती.

एक दिन वह घर का सामान खरीद रही थी कि बीते समय की एक आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘‘नलिनी.’’

उस ने मुड़ कर देखा. सामने वह रिश्ता खड़ा था जो बचपन छूटने के साथ खत्म हो गया था. उस के बचपन की सब से प्रिय सहेली मधु पूछ रही थी, ‘‘मुझे भूल गई क्या? पहचाना नहीं?’’

नलिनी खुश हो गई, ‘‘यह तुम ही हो,

मधु? सच?’’

नलिनी को महसूस हुआ जैसे मधु की नजरों ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा. उसे क्या दिखा होगा? पिछले रूप का एक धुंधला साया, मनप्राणहीन शांत प्राणी, रंगहीन तुच्छ सी औरत जिस के करने के लिए कुछ नहीं था सिवा दुकानों में अनावश्यक सामान खरीदने का बहाना करती अकारण भटकने के.

मधु ने उसे टोका, ‘‘चलो कहीं बैठते हैं.’’

नलिनी ने देखा संतुष्टि की आभा से मधु दमक रही थी. उस की आंखों में चमक थी, बालों में कहींकहीं सफेदी झलक आई थी. हर ओर परिपक्वता थी, बढि़या साड़ी, खूबसूरत ज्वैलरी. कौफी पीते हुए मधु बोली, ‘‘अपने पिता की मृत्यु के बाद तुम ने जिस तरह घर संभाला था, मुझे याद है उस की सब तारीफ करते थे… और बताओ, क्या किया तुम ने अब तक?’’

‘‘कुछ खास नहीं, वही रूटीन, औफिस, घर, औफिस. भाई विदेश में हैं और कुसुम सपरिवार अकसर रहने आ जाती है, मां नहीं रहीं.’’

‘‘मैं तो सोचती थी अब तुम अपना जीवन जी रही होगी पर लग रहा है ऐसा नहीं है. तुम्हारे स्वार्थी घर वालों ने यह नहीं सोचा कि तुम्हें भी खुशी पाने का हक है.’’

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‘‘वे भी क्या करते… इन सब के लिए मेरी उम्र निकल गई है.’’

‘‘कैसी उम्र निकल गई है. मुझे बताओ क्या तुम खुश हो?’’

नलिनी की आंखें भर आईं, किसी ने कभी उस से नहीं पूछा था कि क्या वह खुश है. धीरेधीरे नलिनी ने मधु को अपने और विकास के बारे में भी बता दिया. उस की मानसिक स्थिति समझ कर मधु ने उस के हाथ पर अपना हाथ रखा और फिर बोली, ‘‘तुम नौकरी करती हो, अपना जीवन जीओ, डरती किस से हो? दुनिया क्या कहेगी, इस की चिंता में तुम ने काफी समय खराब कर लिया है. सब की बहुत जिम्मेदारी उठा ली है, पहला काम करो दुनिया की चिंता हमेशा के लिए दिमाग से निकाल दो. मुझे देखो, मैं अपनी मरजी से जी सकती हूं तो तुम क्यों नहीं?’’

नलिनी को हैरानी हुई कि मधु अपनी तुलना उस के साथ कैसे कर सकती है?

मधु ने ही कहा, ‘‘मेरी शादी हुई थी, लेकिन कुछ साल पहले पति का निधन हो गया, जानती हूं तुम क्या सोच रही हो, मैं तो अच्छे चमकते कपड़े और बढि़या ज्वैलरी पहन कर तैयार हो घूम रही हूं. मैं क्यों सफेद कपड़े पहने लाश की तरह घूमूं? मेरे हिसाब से स्त्री के लिए स्त्रीत्तव की इच्छा करना स्वाभाविक है और फिर ये नियम बनाए किस ने हैं. मैं इन नियमों को नहीं मानती. मुझे घर वालों या लोगों की परवाह नहीं, मैं जो हूं सो हूं और मुझे जीने का उतना ही हक है जितना बाकी लोगों को. 13 साल की मेरी बेटी है, हम में अपनी मरजी से अकेले रह कर जीने की हिम्मत है, हम चाहें तो हिम्मत आ जाती है.’’

‘‘तो तुम क्या कहती हो, मैं क्या करूं?’’

‘‘जो तुम चाहती हो, अपना जीवन तलाशो जहां तुम्हारी जरूरतें पहले आएं.’’

‘‘मधु, सच में तुम मुझे राह दिखा कर इस सब से निकालने के लिए मिली हो.’’

कितने समय से नलिनी दुनिया के अंधेरे और नीरस रंग से जूझ रही थी. मधु

हंसी तो उस की दुनियाको ठेंगा दिखाती यह हंसी नलिनी को समझा गई कि वह जीवन में क्या चाहती थी. दोनों में फोन नंबर और घर के पते का आदानप्रदान हुआ.

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