Serial Story: रुपहली चमक- भाग 1

उस दिन सुबह से ही आसमान पर बादल छाए हुए थे और सदा की भांति मुझे उदास कर गए थे, न जाने क्यों ये बादल मेरे मन के अंधेरों को और भी अधिक गहन कर देते हैं और तब आरंभ हो जाता है मेरे भीतर का द्वंद्व. इस अंतर्द्वंद्व में मैं कभी विजयी हुआ हूं तो कभी बुरी तरह पराजित भी हुआ हूं.

मैं आत्मविश्लेषण करते हुए कभी तो स्वयं को दोषी पाता हूं तो कभी बिलकुल निर्दोष. सोचता हूं, दुनिया में और भी तो लोग हैं. सब के सब बड़े संतुष्ट प्रतीत होते हैं या फिर यह मेरा भ्रम मात्र है अर्थात सब मेरी ही तरह सुखी होने का ढोंग रचाते होंगे. खैर, जो भी हो, मैं उस दिन उदास था. उस उदासी के दौर में मुझे अपनी ममताभरी मां बहुत याद आईं.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में मेरे घर में सभी सुखसुविधाएं मौजूद थीं. पिता अच्छे पद पर कार्यरत थे. मैं अपने मातापिता की एकमात्र संतान था. न जाने क्यों, कब और कैसे विदेश देखने तथा वहीं बसने की इच्छा मन में उत्पन्न हो गई. मित्रों के मुख से जब कभी अमेरिका, इंगलैंड में बसे हुए उन के संबंधियों के बारे में सुनता तो मेरी यह इच्छा प्रबल हो उठती थी. मां तो कभी भी नहीं चाहती थीं कि मैं विदेश जाऊं क्योंकि लेदे कर उन का एकमात्र चिराग मैं ही तो था.

एक दिन कालेज में मेरे साथ बी.एससी. में पढ़ने वाले मित्र सुरेश ने मुझे बताया कि उस के इंगलैंड में बसे हुए मौसाजी का पत्र आया है. वे अपनी एकमात्र पुत्री सुकेशनी के लिए भारत के किसी पढ़ेलिखे लड़के को इंगलैंड बुलाना चाहते हैं. वहां और मित्र भी बैठे हुए थे. मैं ने बात ही बात में पूछ लिया, ‘‘सुरेश, तुम्हारी बहन सुकेशनी है कैसी?’’

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सुनते ही सुरेश ठहाका लगाते हुए बोला, ‘‘क्यों, तू शादी करेगा उस से?’’

उस का यह कहना था कि सभी मित्र खिलखिला कर हंस पड़े. मैं झेंप कर पुस्तकालय की ओर बढ़ गया. उन सब के ठहाके वहां तक भी मेरा पीछा करते रहे.

उस के कुछ दिन पश्चात मैं किसी आवश्यक काम से सुरेश के घर गया हुआ था. उस के मातापिता भी घर पर थे. हम सभी ने एकसाथ चाय पी. तभी सुरेश के पिता ने पूछा, ‘‘विशेष, तुम बी.एससी. के बाद क्या रोगे?’’

‘‘जी, चाचाजी, मैं एम.एससी. में प्रवेश लूंगा. मेरे मातापिता भी यही चाहते हैं.’’

तभी सुरेश की मां ने मुसकराते हुए पूछ लिया, ‘‘सुरेश कह रहा था कि तुम विदेश जाने के बड़े इच्छुक हो. अपनी बहन की लड़की के लिए हमें अच्छा पढ़ालिखा लड़का चाहिए. तुम्हें व तुम्हारे परिवार को हम लोग भलीभांति जानते हैं, कहो तो तुम्हारे लिए बात चलाएं?’’

मैं ने जल्दी से कहा, ‘‘जी, आप मेरे मातापिता से बात कर लें,’’ मैं उन्हें नमस्ते कह कर बाहर निकल गया.

अगले रविवार को सुरेश के माता- पिता हमारे घर आए. मैं ने मां को पहले ही सब बता दिया था. मां तो वैसे भी मेरी इस इच्छा को मेरा पागलपन ही समझती थीं लेकिन इस रिश्ते की बात सुन कर वे बौखला सी गईं जबकि पिताजी तटस्थ थे. न जाने क्यों? यह मुझे ज्ञात नहीं था. परंतु मां पर तो मानो वज्र ही गिर पड़ा. हम सभी ने एकसाथ नाश्ता किया. उन लोगों ने अपना प्रस्ताव रख दिया था.

सुन कर मां बोलीं, ‘‘बहनजी, एक ही तो बेटा है हमारा, वह भी हम से दूर चला जाएगा तो यह हम कैसे सह पाएंगे?’’

सुरेश की मां बोलीं, ‘‘बहनजी, सहने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. भाई साहब की अवकाशप्राप्ति के पश्चात आप लोग भी वहीं बस जाइएगा.’’

मैं ने पिताजी के चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुसकराहट सहज ही देख ली थी. वे बोले, ‘‘बहनजी, आप हमारी चिंता छोड़ दीजिए. आप बात चलाइए, मैं विशेष की एक फोटो आप को दे रहा हूं.’’

फोटो की बात चलने पर सुरेश की मां ने भी सुकेशनी की एक रंगीन फोटो हमारे सामने रख दी. लड़की बहुत सुंदर तो नहीं थी पर ऐसी अनाकर्षक भी नहीं थी. फिर मैं ने भला कब अपने लिए अद्वितीय सुंदरी की कामना की थी. मेरे लिए तो यह साधारण सी लड़की ही विश्वसुंदरी से कम न थी क्योंकि इसी की बदौलत तो मेरी वर्षों से सहेजी मनोकामना पूर्ण होने जा रही थी.

बात चलाई गई और सुरेश के मौसामौसी अपनी पुत्री सहित एक माह के उपरांत ही भारत आ गए. मुझे तो उन लोगों ने फोटो देख कर ही पसंद कर लिया था.

बड़ी धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ. सुकेशनी फोटो की अपेक्षा कुछ अच्छी थी, पर रिश्तेदार दबी जबान से कहते सुने गए कि राजकुमार जैसा सुंदर लड़का अपने जोड़ की पत्नी न पा सका.

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पिताजी ने मेरा पारपत्र दौड़धूप कर के बनवा लिया था व वीजा के लिए प्रयत्न सुकेशनी के पिता अर्थात मेरे ससुर कर रहे थे. चूंकि सुकेशनी इंगलैंड में ही जन्मी थी, अत: वीजा मिलने में भी अधिक परेशानी नहीं हुई. शादी के 1 माह पश्चात ही मुझे सदा के लिए अपनी पत्नी के घर जाने हेतु विदा हो जाना था. लोग तो बेटी की विदाई पर आंसू बहाए जा रहे थे. मां बराबर रोए जा रही थीं परंतु अपनी जननी के आंसू भी मुझे विचलित न कर सके. निश्चित दिन मैं भारत से इंगलैंड के लिए रवाना हुआ.

हवाई जहाज में मेरे समीप बैठी मेरी पत्नी शरमाईसकुचाई ही रही परंतु जब हम लंदन स्थित अपने घर पहुंचे तो सुकेशनी ने साड़ी ऐसे उतार फेंकी, जैसे लोग केले का छिलका फेंकते हैं. मैं क्षण भर के लिए हतप्रभ रह गया. उस ने चिपकी हुई जींस व बिना बांहों वाला ब्लाउज पहना तो ऐसा लगा कि अब वह अपने वास्तविक रूप में वापस आई है, मानो अभी तक तो वह अभिनय ही कर रही थी. एक क्षण के लिए मेरे मन के अंदर यह विचार कौंध गया कि कहीं इस ने शादी को भी अभिनय ही तो नहीं समझ लिया है. पर बाद में लगा कि 22 वर्षीय युवती शादी को मजाक तो कदापि न समझेगी.

कान्वेंट स्कूल में आरंभ से ही पढ़े होने के कारण भाषा की समस्या तो मेरे लिए बिलकुल ही न थी. भारत में अटकअटक कर हिंदी बोलने वाली सुकेशनी, जिसे मैं प्यार से सुकू कहने लगा था, केवल अंगरेजी ही बोलती थी. यहां पर आधुनिक सुखसुविधाओं से संपन्न घर मुझे कुछ दिनों तक तो असीम सुख का एहसास दिलाता रहा. सुकु जब फर्राटेदार अंगरेजी बोलती हुई मेरे कंधों पर हाथ मारते हुए बेशरमी से हंसती तो मेरे सासससुर मानो निहाल हो जाते. परंतु मैं आखिरकार था तो भारतीय सभ्यता व संस्कृति की मिट्टी में ही उपजा पौधा, इसलिए मुझे यह सब बड़ा अजीब सा लगता था, पर विदेश में बसने की इच्छा के समक्ष मैं ने इन बातों को अधिक महत्त्व देना उचित न समझा.

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वायरल वीडियो पर ट्रोलर्स ने रुबीना दिलैक को कहा ‘घमंडी’ तो एक्ट्रेस ने दिया ये जवाब

बिग बौस 14 की ट्रौफी जीतने के बाद से एक्ट्रेस रुबीना दिलैक सुर्खियों में छाई हुई हैं. जहां फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे तो वहीं कुछ ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल करने का मौका नही छोड़ रहे. दरअसल, बीते हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह मुंबई एयरपोर्ट पर फोटोग्राफर्स के सवालों को नजरअंदाज करती हुई नजर आईं थीं. इस वीडियो के कारण रुबीना दिलैक को ट्रोलिंग का काफी सामना करना पडा था. वहीं कुछ लोगों ने उन्हें घमंडी भी कह दिया था. लेकिन अब रुबीना ने एक इंटरव्यू में इस वीडियो पर अपना रिएक्शन दिया है.

ये था वायरल वीडियो

फोटोग्राफर्स के कई बार सवाल करने के बाद भी वीडियो में रुबीना बिना कुछ बोले चुपचाप वहां से जाने की वीडियो को देखकर रुबीना को खूब ट्रोलर्स ने ‘घमंडी’, ‘अकड़ वाली मैम’ जैसी कई बातें कहीं थीं. हालांकि अब रुबीना ने इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए एक इंटरव्यू में कहा कि ‘अब जब सभी लोग यह जान गए हैं कि मैं चंडीगढ़ में शूट कर रही हूं. मेरे परिवार के कई लोग चंडीगढ़ में भी रहते हैं. मेरे पिता के भाई और बहन वहां रहते हैं. जब मैं बिग बॉस के घर में थी तभी मेरी बुआ का हार्ट अटैक से जनवरी में निधन हो गया. मेरे परिवार ने मुझे इस बारे में जानकारी नहीं दी थी.’

 

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रुबीना से छिपी थी ये बात

शो का हिस्सा होने के कारण रुबीना के परिवार ने यह बात उनसे छुपाई थी, क्‍योंकि दादी मां नहीं चाहती थीं कि वह दुखी हों. इसी के चलते आगे रुबीना ने कहा, ‘बुआ के निधन से परिवार का गहरा सदमा लगा. लेकिन बिग बॉस-14 में मेरी जीत के जश्‍न के बीच वह इस दुख को भी झेल रहे थे. ऐसे में जब मैंने अपने पैरेंट्स को बताया कि मैं चंडीगढ़ जा रही हूं, तब उन्‍होंने मुझे बुआ के निधन की जानकारी दी थी. इसलिए मैं उस वक्‍त सदमे में थी.’

बता दें, रुबीना दिलैक के दो म्‍यूजिक वीडियोज में नजर आने वाली हैं, जिसमें से एक में वह अपने पति अभिनव शुक्ला संग दिखेंगे. वहीं इस गानें को गाने वाली बौलीवुड की पौपुलर सिंगर नेहा कक्कड़ होंगी.

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‘मन की आवाज प्रतिज्ञा 2‘  एक्ट्रेस पूजा गौर को आखिर क्यों लेनी पड़ी अपनी मां से मदद

जब सात दिसंबर 2009 से 27 अक्टूबर 2012 तक ‘‘स्टार प्लस’’पर सीरियल ‘‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’’के पहले सीजन का प्रसारण हुआ था, तब इसे काफी पसंद किया गया था. कोरोना महामारी के चलते लगे लॉक डाउन के दिनों में इसका पुनः प्रसारण हुआ, तब भी दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया और दर्शकों की मांग हुई कि इसका दूसरा सीजन लाया जाना चाहिए. दर्शकों की मांग के मद्दे नजर अब 15 मार्च से सोमवार से शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे सीरियल‘‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’’ के दूसरे सीजन का प्रसारण ‘‘स्टार भारत ’’ पर शुरू होने जा रहा है. इसमें अरहान बहल के साथ पूजा गौर की अहम भूमिकाएं हैं. मगर इस सीजन में पूजा गौर के किरदार में काफी बदलाव आ गया है. आठ साल के अंतराल के चलते इस बार पूजा गौर मॉं के किरदार में इस सीरियल में नजर आएंगी.

 

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इस सीरियल से वापसी को लेकर अति उत्साहित पूजा गौर ने अपने किरदार के साथ न्याय करने के लिए अपनी तरफ से काफी तैयारियां की. जिसके बारे में वह बताती हैं-‘‘ इतने वर्षों के बाद एक बार फिर प्रतिज्ञा के किरदार और सभी के बीच इस दूसरे सीजन की वापसी को लेकर उत्साहित होने के साथ ही शुरू में मैं थोड़ी नर्वस हुई थी.  पर्दे पर मां का किरदार निभाना मेरे लिए मुश्किल भरा और एक अतिरिक्त चुनौती थी. हम वास्तव में कभी भी मां की भावनाओं की गहराई तक नहीं समझते हैं,  लेकिन मैंने इस किरदार के लिए अपनी मां की मदद ली. जिससे बिना किसी झिझक के मैं आसानी से इसे निभा सकूं. मेरी मां को मेरे आस-पास होने को लेकर आश्चर्य होता था, क्योंकि मैं उनके बारे में हर उन चीजों को लेकर सवाल पूछती थी, जो उनके अंदर स्वाभाविक रूप से आती थीं. इस किरदार को निभाने के लिए मां की भावनाओं को समझना सबसे ज्यादा जरुरी था और  मैं भाग्यशाली हूं कि मेरी मां ने इस पूरी तैयारी में मेरा मार्गदर्शन किया. इसके अलावा मैंने उन बच्चों की भावनात्मक स्थिति को समझने के लिए वास्तविक मांओं के साथ भी बातचीत की, जो औन-स्क्रीन मेरे बच्चों की भूमिका निभाने वाले हैं. इतना ही नही मैं अपने औन-स्क्रीन बच्चों के साथ सेट पर खूब हंसती खेलती हूं और बहुत सारी बातें करती हूं ताकि मैं उनके साथ गहरा संबंध और मजबूत रिश्ता बना सकूं. मेरे आसपास के सभी लोगों से व्यावहारिक मदद लेकर मैंने इस किरदार की तैयारी की है. मुझे उम्मीद है कि मैंने एक मां की सभी खूबियों को अपने अंदर पिरोया है, जिससे मैं अपने प्रशंसकों और दर्शकों का दिल जीत पाउंगी. ”

 

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‘मन की आवाज प्रतिज्ञा 2‘ में पूजा गौर सच का साथ देने वाली पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की भूमिका में नजर आएंगी, जो अपनी पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच जूझती हुई दिखाई देंगी.

 

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पूजा गौर के अलावा इस ‘‘मन की आवाज प्रतिज्ञा’’ के इस नए सीजन में अरहान बहल, अनुपम श्याम, अस्मिता शर्मा, चेतन हंसराज जैसे कलाकारों की भी अहम भूमिकाएं हैं.

वनराज के खिलाफ जाकर नंदिनी से शादी करेगा समर! क्या करेगी अनुपमा

स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल Anupamaa में जल्द ही नए ट्विस्ट आने वाले हैं. जहां शाह हाउस में काव्या की एंट्री हो गई है तो वहीं वनराज और समर के बीच झगड़ा देखने को मिल रहा है. लेकिन अब अपकमिंग एपिसोड में वनराज के खिलाफ जाकर समर अपने प्यार नंदिनी को चुनता नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

नंदिनी से शादी करेगा वनराज

समर पूरी कोशिश कर रहा है कि पूरे परिवार को नंदिनी के लिए मना सके. लेकिन बा और वनराज इस रिश्ते के खिलाफ खड़े हैं. पर खबरों की मानें तो आने वाले एपिसोड्स में समर सभी के सामने नंदिनी से शादी करने का ऐलान करता नजर आएगा, जिसके कारण वनराज और पूरा परिवार हैरान हो जाएगा.

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नंदिनी का सच छिपा रहा है समर

 

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अब तक आपने देखा कि समर, नंदिनी के प्यार को हारना नही चाहता, जिसके लिए वह अपने परिवार और अनुपमा से नंदिनी के मां ना बन पाने का सच छिपा कर बैठा है. हालांकि अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा को ये सच पता लगने वाला है. इसी बीच समर, वनराज को मनाने के लिए शिवरात्रि के मौके पर तांडव करता नजर आएगा, जिसमें उसका साथ नंदिना और अनुपमा देते नजर आएंगे.

सौतन की शादी कराएगी अनुपमा

दूसरी ओर बा को घर में काव्या की मौजूदगी खटकने लगी है. वह काव्या को वनराज के करीब जाता देख परेशान है. हालांकि वह पूरी कोशिश कर रही है कि वनराज और अनुपमा को एक साथ ला सके. लेकिन अनुपमा ऐसा नही चाहती, इसी कारण वह वनराज और काव्या की शादी कराने का फैसला लेगी.  अब देखना ये है कि क्या काव्या और वनराज की शादी हो पाएगी. वहीं क्या समर को उसका प्यार मिल पाएगा.

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Women’s Day Special: जरूरी हैं दूरियां, पास आने के लिए

लेखिका- डा. मंजरी चतुर्वेदी

फ्लाइट बैंगलुरु पहुंचने ही वाली थी, विहान पूरे रास्ते किसी कठिन फैसले को लेने में उलझा हुआ था, इसी बीच मोबाइल पर आते उस नंबर को भी वह लगातार इग्नोर करता रहा.

अब नहीं सींच सकता था वो प्यार के उस पौधे को, उस का मुरझा जाना ही बेहतर है. इसलिए जितना मुमकिन हो सका, उस ने मिशिका को अपनी फोन मैमोरी से रिमूव कर दिया. मुमकिन नहीं था यादों को मिटाना, नहीं तो आज वो उसे दिल की मैमोरी से भी डिलीट कर देता सदा के लिए.

‘‘सदा के लिए… नहींनहीं… हमेशा के लिए नहीं, मैं मिशी को एक मौका और दूंगा,‘‘ विहान मिशी के दूर होने के खयाल से ही डर गया.

‘‘शायद, ये दूरियां ही हमें पास ले आएं,‘‘ बस यही सोच कर उस ने मिशी की लास्ट फोटो भी डिलीट कर दी.

इधर मिशिका परेशान हो गई थी, 5 दिन से विहान से कोई कौंटेक्ट नहीं हुआ था.

‘‘हैलो दी, विहान से बात हुई क्या? उस का ना मोबाइल फोन लग रहा है और ना ही कोई मैसेज पहुंच रहा है. औफिस में एक दिक्कत आ गई है. जरूरी बात करनी है,‘‘ मिशी बिना रुके बोलती गई.

‘‘नहीं, मेरी कोई बात नहीं हुई, और दिक्कत को खुद ही सुलटाना सीखो,‘‘ पूजा ने इतना कह कर फोन काट दिया.

मिशी को दी का ये रवैया अच्छा नहीं लगा, पर वह बेपरवाह सी तो हमेशा से ही थीं तो उस ने दी की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

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मिशिका (मिशी) मुंबई में एक कंपनी में जौब करती है. उस की बड़ी बहन है पूजा, जो अपने मौमडैड के साथ रहते हुए कालेज में पढ़ाती है. विहान ने अभी बैंगलुरु में नई मल्टीनेशनल कंपनी ज्वाइन की है, उस की बहन संजना अभी स्टडी कर रही है. मिशी और विहान के परिवारों में बड़ा प्रेम है. वे पड़ोसी थे. विहान का घर मिशी के घर से कुछ ही दूरी पर था. दो परिवार होते हुए भी वे एक परिवार जैसे ही थे. चारों बच्चे साथसाथ बड़े हुए.

गुजरते दिनों के साथ मिशी की बेपरवाही कम होने लगी थी. विहान से बात न हुए आज पूरे 3 महीने बीत गए थे. मिशी को खालीपन लगने लगा था. बचपन से अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था. जब पास थे तो वे दिन में कितनी ही बार मिलते थे, और जब जौब के कारण दूर हुए तो फोन और चैट का हिसाब लगाना भी आसान काम न था.

2-3 महीने गुजरने के बाद मिशी को विहान की बहुत याद सताने लगी थी. वह जब भी घर पर फोन करती, तो मम्मीपापा, दीदी सभी से विहान के बारे में पूछती, आंटीअंकल से बात होती, तब भी… जवाब एक ही मिलता…वह तो ठीक है, पर तुम दोनों की बात नहीं हुई, ये कैसे मुमकिन है. अकसर जब मिशी कहती कि महीनों से बात नहीं हुई, तो सब झूठ ही समझते थे.

दशहरा आ रहा था, मिशी जितनी खुश घर जाने को थी, उस से कहीं ज्यादा खुश यह सोच कर थी कि अब विहान से मुलाकात होगी. इन छुट्टियों में वह भी तो आएगा.

‘‘बहुत झगड़ा करूंगी, पूछूंगी उस से, ये क्या बचपना है, अच्छी खबर लूंगी, क्या समझता है अपनेआप को… ऐसे कोई करता है क्या?‘‘ ऐसे ही अनगिनत बातों को दिल में समेटे वह घर पहुंची. त्योहार की रौनक मिशी की उदासी कम ना कर सकी. छुट्टियां खत्म हो गईं. वापसी का समय आ गया, पर नहीं आया तो वह, जिस का मिशी बेसब्री से इंतजार कर रही थी. दोनों घरों की दूरियां नापते मिशी को दिल की दूरियों का अहसास होने लगा था. अब इंतजार के अलावा उस के पास कोई रास्ता नहीं था.

मिशी दीवाली की शाम ही घर पहुंच पाई थी. लक्ष्मी पूजन के बाद डिनर की तैयारियां चल रही थीं. त्योहारों पर दोनों फैमिली साथ ही समय बिताती गपशप, मस्ती, खाना, सब खूब ऐंजौय करते थे.

आज विहान की फैमिली आने वाली थी. मिशी खुशी से झूम उठी थी. आज तो विहान से बात हो ही जाएगी. पर उस रात जो हुआ उस का मिशी को अंदाजा भी नहीं था. दोनों परिवारों ने सहमति से पूजा और विहान का रिश्ता तय कर दिया. मिशी को छोड़ सभी बहुत खुश थे.

‘‘पर, मैं खुश क्यों नहीं हूं, क्या मैं विहान से प्यार… नहींनहीं, हम तो बस बचपन के साथी हैं. इस से ज््यादा तो कुछ नहीं है, फिर मैं आजकल विहान को ले कर इतना क्यों परेशान रहती हूं. उस से बात न होने से मुझे ये क्या हो रहा है? क्या मैं अपनी ही फीलिंग्स समझ नहीं पा रही हूं…?‘‘

इसी उधेड़बुन में रात आंखों में ही बीत गई थी. किसी से कुछ शेयर किए बिना ही वह वापस मुंबई लौट गई.

दिन यों ही बीत रहे थे, पूजा की शादी के बारे में न घर वालों ने आगे कुछ बताया और न ही मिशी ने पूछा.
एक दिन दोपहर को मिशी को काल आया, ‘‘घर की लोकेशन भेजो, डिनर साथ ही करेंगे.‘‘

मिशी ‘करती हूं’ के अलावा कुछ ना बोल सकी. उस के चेहरे पर मुसकान बिखर गई थी, उस रोज वह औफिस से जल्दी घर पहुंची, खाना बना कर, घर संवारा और खुद को संवारने में जुट गई, ‘‘मैं विहान के लिए ऐसे क्यों संवर रही हूं, इस से पहले तो कभी मैं ने इस तरह नहीं सोचा… ‘‘ उस को खुद पर हंसी आ गई, अपने ही सिर पर धीरे से चपत लगा कर वह विहान के इंतजार में भीतरबाहर होने लगी. उसे लग रहा था, जैसे वक्त थम गया हो, वक्त काटना मुश्किल हो रहा था.

शाम के लगभग 8 बजे बेल बजी. मिशी की सांसें ऊपरनीचे हो गईं. शरीर ठंडा सा लगने लगा. होंठों पर मुसकराहट तैर गई. दरवाजा खोला, पूरे 10 महीने बाद विहान उस के सामने था. एक पल को वह उसे देखती ही रही, दिल की बेचैनी आंखों से निकलने को उतावली हो उठी.

विहान भी लंबे समय बाद अपनी मिशी से मिल उसे देखता ही रह गया.फिर मिशी ने ही किसी तरह संभलते हुए विहान को अंदर आने के लिए कहा. मिशी की आवाज सुन विहान अपनी सुध में वापस आया. दोनों देर तक चुप बैठे, छुपछुप कर एकदूसरे को देख लेते, नजरें मिल जाने पर यहांवहां देखने लगते. दोनों ही कोशिश में थे कि उन की चोरी पकड़ी न जाए.

डिनर करने के बाद जल्दी ही फिर मिलने की कह कर विहान वापस चला गया.

उस रात वह विहान से कोई सवाल नहीं कर सकी थी, जितना विहान पूछता रहा, वह उतना ही जवाब देती गई. वह खोई रही, विहान को इतने दिनों बाद अपने करीब पा कर, जैसे जी उठी थी वह उस रात…

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विहान एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में मुंबई आया था… 15 दिन बीत चुके थे, इन 15 दिनों में विहान और मिशी दो ही बार मिले.

विहान का काम पूरा हो चुका था, 1 दिन बाद उस को निकलना था. मिशी विहान को ले कर बहुत परेशान थी. आखिर उस ने निर्णय लिया कि विहान के जाने के पहले वह उस से बात करेंगी… पूछेगी उस की बेरुखी की वजह… मिशी अभी उधेड़बुन में थी, तभी मोबाइल बज उठा… विहान का था…
‘‘हेलो, मिशी औफिस के बाद तैयार रहना… बाहर चलना है, तुम्हें किसी से मिलवाना है.‘‘

‘‘किस से मिलवाना है, विहान.‘‘

‘‘शाम होने तो दो, पता चल जाएगा.‘‘

‘‘बताओ तो…‘‘

‘‘समझ लो, मेरी गर्लफ्रैंड है.‘‘

इतना सुनते ही मिशी चुप हो गई. 6 बजे विहान ने उसे पिक किया. मिशी बहुत उदास थी. दिल में हजारों सवाल उमड़घुमड़ रहे थे. वह कहना चाहती थी, विहान तुम्हारी शादी पूजा दी से होने वाली है, ये क्या तमाशा है. पर नहीं कह सकी, चुपचाप बैठी रही.

‘‘पूछोगी नहीं, कौन है?’’ विहान ने कहा.

‘‘पूछ कर क्या करना है? मिल ही लूंगी कुछ देर में,‘‘ मिशी ने धीरे से कहा.
थोड़ी देर बाद वे समुद्र किनारे पहंुचे. विहान ने मिशी को एक जगह इंतजार करने को कहा, ‘‘ तुम यहां रुको, मैं उस को ले कर आता हूं.‘‘

आसमान झिलमिलाते तारों की सुंदर बूटियों से सजा था. समुद्र की लहरें प्रकृति का मनभावन संगीत फिजाओं में घोल रही थीं. हवा मंथर गति से बह रही थी, फिर भी मिशिका का मन उदासी के भंवर में फंसा जा रहा था.

‘‘विहान मुझ से दूर हो जाएगा, मेरा विहान,‘‘ सोचतेसोचते उस की उंगलियां खुद बा खुद रेत पर विहान का नाम उकेरने लगीं.

‘‘विहान… मेरा नाम इस से पहले इतना अच्छा कभी नहीं लगा,‘‘ विहान पीछे से खड़ेखड़े ही बोला.

मिशी ने हड़बड़ाहट में नाम पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘कहां…. है, कब आए तुम… कहां है वह?‘‘

मिशी की आंखें उस लड़की को ढूंढ़ रही थीं, जिसे मिलवाने के लिए विहान उसे यहां ले कर आया था.

‘‘नाराज हो कर चली गई वह,‘‘ मिशी के पास बैठते हुए विहान ने कहा.

‘‘नाराज हो गई, पर क्यों?‘‘ मिशी ने पूछा.

‘‘अरे वाह, मैं जिसे प्रपोज करने वाला हूं, वह लड़की अगर देखे कि मेरे बचपन की दोस्त रेत पर इस कदर प्यार से उस के बौयफ्रैंड का नाम लिख रही है, तो गुस्सा नहीं आएगा उसे,‘‘ विहान ने पूरे नाटकीय अंदाज में कहा.

‘‘मैं ने… मैं ने कब लिखा तुम्हारा नाम,‘‘ मिशी सकपका कर बोली.

‘‘जो अभी अपनेआप रेत पर उभर आया था, उस नाम की बात कर रहा हूं.‘‘

यह सुन कर उस ने अपनी नजरें झुका लीं, उस की चोरी जो पकड़ी गई थी, फिर भी मिशी बोली, ‘‘मैं ने… मैं ने तो कोई नाम नहीं लिखा.‘‘

‘‘अच्छा बाबा… नहीं लिखा,‘‘ विहान ने मुसकरा कर कहा.

मिशी समझ ही नहीं पा रही थी कि ये हो क्या रहा है…

‘‘और… और वह लड़की, जिस से मिलवाने के लिए तुम मुझे यहां ले कर आए थे. सच बताओ ना विहान…‘‘

‘‘कोई लड़कीवड़की नहीं है, मैं अभी जिस के करीब बैठा हूं, बस वही है,’’ उस ने मिशी की आंखों में देखते हुए कहा. नजरें मिलते ही मिशी भी नजरें चुराने लगी.

‘‘मिशी, मत छुपाओ, आज कह दो जो भी दिल में हो.’’

मिशी की जबान खामोश थी, पर आंखों में विहान के लिए प्यार साफ नजर आ रहा था, जिसे विहान ने पहले ही महसूस कर लिया था, पर वह ये सब मिशी से जानना चाहता था.

मिशी कुछ देर चुप रही. दूर समंदर में उठती लहरों के ज्वार को देखती रही, ऐसा ही भावनाओं का ज्वार अभी उस के दिल में मचल रहा था. फिर उस ने हिम्मत बटोर कर बोलने की कोशिश की, पर उस की आंखों में जज्बातों का समंदर तैर गया. कुछ रुक कर वह बोली, ‘‘कहां चले गए थे विहान, मैं… मैं… तुम को कितना मिस कर रही थी.’’
इतना कह कर वह फिर शून्य में देखने लगी…
‘‘मिशी… आज भी चुप रहोगी… बह जाने दो अपने जज्बातों को… जो भी दिल में है कहो… तुम नहीं जानती कि मैं ने इस दिन का कितना इंतजार किया है…

‘‘मिशी बताओ… प्यार करती हो मुझ से…’’

मिशी विहान की तरफ मुड़ी. उस के इमोशंस उस की आंखों में साफ नजर आ रहे थे… होंठ कंपकंपा रहे थे…
‘‘विहान, तुम जब नहीं थे, तब जाना कि मेरे जीवन में तुम क्या हो, तुम्हारे बिना जीना, सिर्फ सांस लेना भर है. तुम्हें अंदाजा भी नहीं है कि मैं किस दौर से गुजरी हूं. मेरी उदासी का थोड़ा भी खयाल नहीं आया तुम को,‘‘ कहतेकहते मिशी रो पड़ी.

विहान ने उस के आंसू पोंछे और मुसकराने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘मिशी, तुम ने तो सिर्फ 10 महीने इंतजार किया… मैं ने वर्षों किया है… जिस तड़प से तुम कुछ दिन गुजरी हो… वह मैं ने आज तक सही है…

‘‘मिशी, तुम मेरे लिए तब से खास हो, जब मैं प्यार का मतलब भी नहीं समझता था. बचपन में खेलने के बाद जब तुम्हारे घर जाने का समय आता था, तब अकसर तुम्हारी चप्पल कहीं खो जाती थी, तुम देर तक ढूंढ़ने के बाद मुझ से ही शिकायत करतीं और हम दोनों मिल कर अपने साथियों पर ही बरस पड़ते.
‘‘पर मिशी, वह मैं ही होता था… हर बार जो तुम्हें रोकने के लिए ये सब करता था… तुम कभी जान ही नहीं पाई,‘‘ कहतेकहते विहान यादों में खो गया.

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‘‘जानती हो… जब हम साथ पढ़ाई करते थे, तब भी मैं टौपिक समझ ना आने के बहाने से देर तक बैठा रहता, तुम मुझे बारबार समझाती, पर मैं नादान बना बैठा रहता सिर्फ तुम्हारा साथ पाने की चाह में…

‘‘जब छुट्टियों में बच्चे बाहर अलगअलग ऐक्टिविटी करते, तब भी मैं तुम्हारी पसंद के हिसाब से काम करता था, ताकि तुम्हारा साथ रहे.’’

‘‘विहान… तुम,’’ मिशी ने अचरज से कहा.

‘‘अभी तुम बस सुनो… मुझे और मेरे दिल की आवाज को… याद है मिशी, जब हम 12जी में थे, तुम मुझे कहती.. क्यों विहान गर्लफ्रैंड नहीं बनाई.. मेरी तो सब सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं.. मंर पूछता तो तुम्हारा भी है… तुम हंस देती… हट पागल, मुझे तो पढ़ाई करनी है… फिर मस्त जौब… पर, विहान तुम्हारी गर्लफ्रैंड होनी चाहिए…’’ इतना कह कर तुम मुझे अपनी कुछ सहेलियों की खूबियां गिनवाने लगतीं. मेरा मन करता कि तुम्हें झकझोर कर कहूं कि तुम हो तो… पर नहीं कह सका.

‘‘और तुम्हें जो अपने हर बर्थडे पर जिस सरप्राइज का सब से ज्यादा इंतजार होता है … वो देने वाला मैं ही था… बचपन में जब तुम्हारी फेवरेट टौफी तुम्हारे पंेसिल बौक्स में मिलती, तो तुम बेहद खुश हुई थीं…

‘‘अगली बार भी जब मैं ने तुम को सरप्राइज किया, तब तुम ने कहा था, ‘‘विहान, पता नहीं कौन है… मौमडैड, दी या मेरी कोई फ्रैंड, पर मेरी इच्छा है कि मुझे हमेशा ये सरप्राइज गिफ्ट मिले. तुम ने सब के नाम लिए, पर मेरा नहीं,‘‘ कहतेकहते विहान की आवाज लड़खड़ा सी गई, फिर भर आए गले को साफ कर वह आगे बोला, ‘‘तब से हर बार मैं ये करता गया… पहले पेंसिल बौक्स था, फिर बैग… फिर तुम्हारा पर्स… और अब कुरियर.‘‘

सच जान कर मिशी जैसे सुन्न हो गई… वह हर बात विहान से शेयर करती थी. पर, कभी ये नहीं सोचा था कि विहान भी तो वह शख्स हो सकता है. उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था.

रात गहरा चुकी थी, चांद… स्याह रात के माथे पर बिंदी बन कर चमक रहा था. तेज हवा और लहरों के शोर में मिशी के जोर से धड़कते दिल की आवाज भी मिल रही थी. विहान आज वर्षों से छुपे प्रेम की परतें खोल रहा था.

वह आगे बोला, ‘‘मिशी, उस दिन तो जैसे मैं हार गया था, जब मैं ने तुम से कहा कि मुझे एक लड़की पसंद है… मैं ने बहुत हिम्मत कर के अपने प्यार का इजहार करने के लिए यह प्लान बनाया था… मैं ने धड़कते दिल से कहा… दिखाऊं फोटो… तो तुम ने झट से मेरा मोबाइल छीना… और जैसे ही फोटो देखा, तुम्हार रिएक्शन देख कर मैं ठगा सा रह गया… लगा, यहां मेरा कुछ नहीं होने वाला… पगली से प्यार कर बैठा.’’

इतना कह कर उस ने मिशी से पूछा, ‘‘क्या तुम्हें याद है, उस दिन तुम ने क्या किया था?‘‘

‘‘हां… हां, तुम्हारे मोबाइल में मुझे अपना फोटो दिखा, तो मैं ने कहा… कब लिया ये फोटो… बहुत प्यारा है…‘‘ और मैं उस पिक में खो गई, सोशल मीडिया पर शेयर करने लगी. तुम्हारी गर्लफ्रैंड वाली बात तो मेरे दिमाग से गायब ही हो गई थी.
‘‘जी मैडम… जी… मैं तुम्हारी लाइफ में इस हद तक जुड़ा रहा कि तुम मुझे कभी अलग से फील कर ही नहीं पाई.’’
‘‘ऐसा कितनी बार हुआ, पर तुम अपनेआप में थी, अपने सपनों में, किसी और बात के लिए शायद तुम्हारे पास टाइम ही नहीं था, यहां तक कि अपने जज्बातों को समझने के लिए भी नही…‘‘ विहान कहता जा रहा था.
मिशी जोर से अपनी मुट्ठियाँ भींचती हुई अपनी बेवकूफियों का हिसाब लगा रही थी.

इस तरह विहान ना जाने कितनी छोटीबड़ी बातें बताता रहा और मिशी सिर झुकाए सुनती रही..

मिशी का गला रुंध गया… विहान इतना प्यार कोई किसी से कैसे कर सकता है…. और तब तो बिलकुल नहीं… जब उसे कोई समझने वाला ही ना हो… कितना कुछ दबा रखा है तुम ने…. मेरे साथ की छोटी से छोटी बातें कितनी सिद्दत से सहेज कर रखी हैं तुम ने ‘‘

‘‘अरे… पागल.. रोते नहीं… और ये किस ने कहा कि तुम मुझे समझती नहीं थी… मैं तो हमेशा तुम्हारा सब से करीबी रहा… इसलिए प्यार का अहसास कहीं गुम हो गया था.‘‘

‘‘और इस हकीकत को सामने लाने के लिए…. मैं ने खुद को तुम से दूर करने का फैसला किया… कई बार दूरियां नजदीकियों के लिए बहुत जरूरी हो जाती हैं. मुझे लगा कि मेरा प्यार सच्चा होगा, तो तुम तक मेरी ‘सदा‘ जरूर पहुंचेगी, नहीं तो मुझे आगे बढ़ना होगा… तुम को छोड़ कर.‘‘
‘‘मैं कितनी मतलबी थी…’’
‘‘ना बाबा… ना, तुम बहुत प्यारी हो, तब भी थीं और अब भी हो.’’

मिशी के रोते चेहरे पर हलकी सी मुसकान आ गई… वह धीरे से विहान के कंधे पर अपना सिर टिकाने को बढ़ ही रही थी कि अचानक उसे कुछ याद आया… वह एकदम उठ खड़ी हुई…

‘‘क्या हुआ… मिशी?’’

‘‘ये सब गलत है…’’

‘‘क्यों गलत है?’’

‘‘तुम और पूजा दी…?’’

‘‘मैं और पूजा…’’ कह कर विहान हंस पड़ा.

‘‘तुम हंस क्यों रहे हो?’’

‘‘मिशी, मेरी प्यारी मिशी….. मुझे जैसे ही पूजा और मेरी शादी की बात पता चली, तो मैं पूजा से मिला और तुम्हारे बारे में बताया…’’ सुन कर पूजा भी खुश हुई. उस का कहना था कि विहान हो या कोई और उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता…. मम्मीपापा जहां चाहेंगे, वह खुशीखुशी वहां शादी कर लेगी… फिर हम दोनों ने सारी बात घर पर बता दी… किसी को कोई दिक्कत नहीं है… अब इंतजार है तो तुम्हारे जवाब का…

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इतना सुनते ही मिशी को तो जैसे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. उस के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई… अब ना कोई शिकायत बची थी… ना सवाल…

‘‘बोलो मिशी… मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार कर रहा हूं,‘‘ विहान ने बेचैनी से कहा.

‘‘मेरे चेहरे पर बिखरी खुशी देखने के बाद भी तुम को जवाब चाहिए,‘‘ मिशी ने नजरें झुका कर बड़े ही भोलेपन से कहा.

‘‘नहीं मिशी, जवाब तो मुझे उसी दिन मिल गया था.. जब मैं तुम्हारे घर आया था. पहले वाली मिशी होती तो बोलबोल कर, सवाल पूछपूछ कर… झगड़ा कर के मुझे भूखा ही भगा देती…’’ कह कर विहान जोर से हंस पड़ा.

‘‘अच्छा… मैं इतनी बकबक करती हूं,‘‘मिशी ने मुंह बनाते हुए कहा.

‘‘हां… पर, न तुम झगड़ीं और न ही कुछ बोलीं… बस, देखती रही मुझे… ख्वाब बुनती रहीं… मेरे वजूद को महसूस करती रही… उसी दिन मैं समझ गया था कि जिस मिशी को पाने के लिए मैं ने उसे खोने का गम सहा, ये वही है… मेरी मिशी… सिर्फ मेरी मिशी,‘‘ विहान ने मिशी का हाथ पकड़ते हुए कहा.

मिशी ने भी विहान का हाथ जोर से थाम लिया, हमेशा के लिए. वे हाथों में हाथ लिए चल दिए… जिंदगी के नए सफर पर साथसाथ… कभी जुदा ना होने के लिए… आसमां, चांदतारे और चांदनी के प्रेम में सराबोर लहलहाता समुद्र उन के प्रेम के साक्षी बन गए थे…

कहीं दूर से हवा में संगीत की धुन उन के प्रेम की दास्तां बयां कर रही थी,
‘‘हमसफर… मेरे हमसफर,
हमें साथ चलना है उम्रभर…’’

सिस्टम की गुलाम होती महिलाएं

घर का सपना हर गृहिणी का होता है पर अफसोस है कि न पिछले 6 सालों में और न उस से पहले 6 दशकों में हर घरवाली के सुखद सा घर दिया जा सके ऐसा काम सरकारें कर पाईं. दिल्ली जैसे समृद्ध राज्य में 60′ आबादी एक कमरे के मकान में रहने को मजबूर है. उस में पतिपत्नी भी रहें, वृद्ध मातापिता भी रहें और बच्चे भी अपना भविष्य बनाएं.

एक तिहाई आबादी तो दिल्ली की कच्ची बस्तियों में बने आधे कच्चे आधे पक्के मकानों में रह रही है जहां न गलियां सही हैं न सीवर है. पानी भी हर घर में आज भी नहीं पहुंचा है और टैंकर माफिया का राज आज भी चलता है.

दिल्ली जैसे बड़े शहर को आज 5 करोड़ मकानों की जरूरत है और पक्का है अगर ये बने भी तो भी जब तक बनेंगे जनसंख्या दोगुनी हो चुकी होगी.

अपना घर न होना एक गृहिणी पर एक अत्याचार है. उस का ज्यादा समय तो छोटे से घर में सामान को किसी तरह संभालना होता है. वह किसी को न बुला सकती है न किसी के जा सकती है. उस का सोशल दायरा मिसट जाता है. यह औरतें सिस्टम की गुलाम हो जाती हैं और कोसने भर से तो काम नहीं चलता कि पति को या सासससुर को कह डाला कि कैसे घर में आ गई. पति बेचारा कौन सा सुखी है?

इस दुर्गति का कारण सीधेसीधे सरकारी और सामाजिक नीतियां हैं. हमारी सरकार और समाज उन मुट्ठी भर लोगों के लिए सोच रही है जिन्होंने किसी तरह तिकड़म लगा कर पैसा कमा लिया इस में नेता भी हैं, अफसर भी, व्यापारी भी और धर्म के दुकानदार भी. इन के घर बड़े हैं. शानदार हैं और दिल्ली की ज्यादातर जगह ये ही घेरे हुए हैं.

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आप औरतों को भी घर का सुख मिल सके इस के लिए जरूरी है कि घरों को बनाने के नियम ढीले हों. यह तो मानना पड़ेगा कि लोग नौकरियों की तलाश में दिल्ली आएंगे ही और अब आ ही गए हैं तो 1-2 मंजिले मकानों की सरकारी जिद का क्या लाभ है. क्यों नहीं सरकार जमीन का पूरा उपयोग होने दे और 20-30 मंजिले मकान बनने दे.

ठीक है उस से सडक़ें ठसाठस भर जाएंगी, पानी, बिजली सीवर की समस्या खड़ी हो जाएगी पर कम से कम छत तो मिलेगी. सरकार आज भी जिद करती है कि मकान एक ऊंचाई से ज्यादा के न हों, उन का फ्लोर एरिया….नियत हो. लोग इन नियमों को तोड़ कर खिलापिला कर मकान बनाते हैं. आखिर इस का लाभ क्या है? जब लोगों को दिल्ली में काम की जगह के आसपास ही रहना है तो क्यों उन पर रोकटोक लगाई जाए?

मकानों को बनाने का खर्च भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि लोहे, सीमेंट पर भारी टैक्स है. यह हर घरवाली पर टैक्स है. उस के मौलिक हक पर टैक्स है. उस को बेघर रखने की साजिश का टैक्स है. सीमेंट लोहा सस्ता होगा तो ढेरों मकान बनेंगे. जब मकान सस्ते होंगे तभी लोगों को छत मिलेगी. सरकार ने बहुत हाथ पैर मार लिए पिछले 7 साल में भी और उस से पहले 7 दशक में भी. मकान तो सरकार दे ही नहीं पाई उलटे जमीनों के नियम बना कर जो बनाना चाह रहे थे उन के काम में अड़ंगा डालती रही.

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हर घरवाली को मकान मिले यह सरकार का कर्तव्य है. घर के अंदर का सामान चाहे जैसा हो पर बेघर औरत सरकार पर धब्बा, समाज की ढींग हांकने की आदत ही पोल खोलता है.

हम असल में आज भी गुफाओं में रहने को अच्छा मानते हैं. यह बात दूसरी कि 2 रात गुफा में रहने वाले 8000 करोड़ के विमान में चलते हैं.

मेरी आंखें काफी छोटी हैं, इसके लिए कोई मेकअप टैक्नीक बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है. मेरी आंखें काफी छोटी हैं. आप मुझे कोई ऐसी मेकअप टैक्नीक बताएं जिस से मेरी आंखें बड़ी और अट्रैक्टिव नजर आएं?

जवाब-

अपनी आंखों को अट्रैक्टिव व बड़ी दिखाने के लिए आप को ब्लैक के बजाय व्हाइट कलर की आई पैंसिल अप्लाई करनी है.  ध्यान रहे कि आई लाइनर बहुत थिन यानी पतला लगाएं. बाद में मसकारा लगा लें.

आर्टिफिशियल आईलैशेज भी लाग सकती हैं लेकिन ध्यान रहे कि मीडियम थिन आइलैशेज लगाएं. ऐसा आई मेकअप करने से आप की आंखें बड़ी और खूबसूरत नजर आएंगी.

आंखें काफी छोटी हों तो आई मेकअप के लिए आईशैडो भी लाइट कलर का ही अप्लाई करें. सब से अच्छा रहेगा कि आप आईलैशेज ऐक्सटैंशन करवा लें. आप को रोज आईलैशेज नहीं लगानी पड़ेंगी. ये 1-2 महीने आराम से चल जाएंगी. बीचबीच में आप फिलिंग करवा सकती हैं.

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भारत में ज़्यादातर महिलाओं के लिए श्रृंगार करते समय आंखो में काजल लगाना कोई नई बात तो नहीं हैं. आंखों की सुंदरता को निखारने में काजल एक अहम भूमिका निभाता है. अक्सर मायें भी अपने बच्चों की आंखों में काजल लगा देती हैं. रूप संवारने के साथ साथ काजल आंखों से जुड़ी कई समस्याओं से राहत भी दिलाता है. जहां आंखों में काजल लगाने के अनेक फायदे हैं वहीं इसके नुकसान भी हैं. हम देखते हैं कि मार्केट में कई तरह के काजल पाए जाते हैं.

आज कल बाज़ार में बहुत सी छोटी – बड़ी कंपनियों के काजल बिक रहे हैं. लेकिन बाज़ार में मिलने वाले काजल को बनाने के लिए कई प्रकार के कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण वह हमारी आंखों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. इसमें मौजूद लेड हमारे शरीर में लेड की मात्रा को बढ़ाने के साथ साथ आंखों को गहरा नुकसान भी पहुंचा सकता है. अगर आप अपनी आंखों में रोज़ाना काजल लगाती हैं तो जान लीजिए आंखों में काजल लगाने से होने वाले नुकसान/साइड इफेक्ट्स के बारे में –

पूरी खबर पढ़ने के लिए- होममेड काजल से बनाएं आंखों को खूबसूरत

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

47 साल की उम्र में भी फैशन के मामले में एक्ट्रेसेस को मात देती हैं मलाइका अरोड़ा

बौलीवुड एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा अक्सर अपने रिलेशनशिप को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. वहीं उनके दूसरी सुर्खियों में रहने की वजह फैशन और फिटनेस है. 47 साल की मलाइका अक्सर नए-नए फैशन ट्राय करती हैं, जिनकी तारीफें उनके फैंस से लेकर पूरा बौलीवुड करता रहता है. आज हम मलाइका के कुछ ऐसे ही फैशन के बारे में बात करेंगे, जिसे आप भी ट्राय कर सकते हैं.

1. पार्टी के लिए परफेक्ट है मलाइका का ये लुक

अगर आप किसी वेडिंग के लिए आउटफिट के बारे में सोच रही हैं तो मलाइका का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन होगा. सिंपल फुल स्लीव वाले ब्लैक ब्लाउज के साथ लाइट शाइनी ब्राउन लौंग स्कर्ट के साथ सिंपल ग्रीन नेकलेस आपके लुक को पार्टी वियर बनाने में मदद करेगा. इसके साथ आप न्यूड मेकअप रखकर अपने लुक को एलीगेंट बना सकती हैं.

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2. मिरर ड्रेस करें ट्राय

 

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अगर आप भी किसी पार्टी या क्लब में जाने की सोच रही हैं तो मलाइका अरोड़ा की मिरर ड्रेस परफेक्ट रहेगी. अगर आपका स्किन का कलर भी डस्की है तो ये आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. इस ड्रेस के साथ अगर आप हिल्स नही ट्राय करना चाहती तो शूज आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा.

3. ट्रेडिशनल लुक के लिए परफेक्ट है मलाइका का ये लुक

 

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#Amritsar #goldentemple? #waheguru? #blessingstoalld

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अगर आप ट्रैडिशनल लुक के लिए औपशन ढूंढ रही हैं तो मलाइका का ये शरारा लुक परफेक्ट है. लाइट पर्पल कलर के शरारा के साथ सिंपल कुर्ता और हल्का गोल्डन कौम्बिनेशन वाला दुपट्टा आपके लुक को ट्रेडिशनल लुक देने में मदद करेगा आप इसके साथ हैवी गोल्ड के इयरिंग्स ट्राय कर सकते हैं.

4. वेडिंग के लिए परफेक्ट है मलाइका का गाउन

अगर आप वेडिंग के लिए कुछ अच्छा ट्राय करना चाहते हैं तो मलाइका का गाउन आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. डार्क ब्लू कलर के सिंपल गाउन के साथ हैवी सिल्वर कौम्बिनेशन वाला श्रग आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ अगर आप ज्वैलरी नही पहनेंगी तो भी ये आपके लुक को खूबसूरत दिखाएगा.

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5. फ्रिल ड्रेस करें ट्राय

 

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अगर आप पार्टी के लिए कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो मलाइका की ये फ्रिल ड्रेस ट्राय करना न भूलें. अगर आपकी अभी शादी हुई है और आप पार्टी के लिए वेस्टर्न आउटफिट ढूंढ रही हैं तो ये लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है.

जब हो सनम बेवफा

दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में 25 साल के एक युवक ने अपनी गर्लफ्रेंड  की हत्या कर खुद को भी खत्म कर लिया.  वजह महज इतनी थी कि कुछ दिनों से गर्लफ्रेंड उस की अनदेखी कर रही थी और युवक को शक था कि वह किसी और के साथ इनवौल्व हो गई है.

घटना गत 26 नवंबर की है. अभिषेक नाम का यह 25 वर्षीय युवक नोएडा में एक कंपनी में काम करता था. उस की गर्लफ्रेंड आयुष्मा नेहरू प्लेस में ग्राफिक डिजाइनर थी.  दोनों करीब 6 साल पहले कोलकाता से दिल्ली आए थे और एक साथ ही रहते थे. अनबन होने के बाद दोनों अलगअलग रहने लगे थे.

अभिषेक को शक था कि आयुष्मा की दोस्ती किसी और लड़के के साथ हो गई है. दोनों में इस बात को ले कर झगड़े होते थे. अभिषेक वापस कोलकाता चलने की जिद कर रहा था पर आयुष्मा जाना नहीं चाहती थी. आजिज आ कर आयुष्मा ने उस के मैसेजेज  के जवाब देने बंद कर दिए और उसे इग्नोर करने लगी. इसी से क्षुब्ध हो कर प्यार में पागल बने अभिषेक ने आयुष्मान का गला काट डाला और फिर खुद भी फांसी लगा ली.  मरने से पहले उस ने शीशे और दीवार पर मार्कर से सुसाइड नोट लिखा.

बेवकूफी भरा कदम

सवाल यह उठता है कि सारे प्रकरण में फायदा किस का हुआ ? कोई शख्स आप के साथ रिश्ता रखना चाहता है या नहीं यह उस की मर्जी पर निर्भर होता है. व्यक्ति किसी को भी अपने साथ रहने या रिश्ता रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. अभिषेक ने ऐसा किया और आयुष्मा के इंकार करने पर वह पागल हो उठा. उस ने आयुष्मा को खत्म कर उस के घर वालों की जिंदगी में अंधेरा कर दिया तो वही अपनी जिंदगी भी तबाह कर डाली और अपने घर वालों को भी जीवन भर का दुख दे दिया.

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प्रेम में डूबे आशिक अक्सर अपनी जिंदगी के दुश्मन बन जाते हैं. पर सोचने वाली बात है कि क्या आप की जिंदगी में कोई एक शख्स इतना महत्वपूर्ण हो सकता है कि आप उस के लिए अपनी पूरी जिंदगी नष्ट कर डाले? सालोंसाल आप को पालपोस कर बड़ा करने वाले अभिभावक और परिवार वालों के बारे में भी न सोचें? अपनी जिंदगी  का मकसद केवल एक लड़की या लड़के पर केंद्रित कर दें?

सच तो ये है कि मोहब्बत जबरन नहीं की जा सकती. न ही मोहब्बत मांगी जा सकती है और न ही मोहब्बत में हमेशा किसी से वफ़ा की उम्मीद ही की जा सकती है. यदि कोई शख्स आप की मोहब्बत का प्रतिदान मोहब्बत से नहीं दे रहा, किसी और के लिए आप को धोखा दे रहा है, आप की मोहब्बत को समझ नहीं रहा, महसूस नहीं कर पा रहा या आप की उपेक्षा कर रहा है तो इस का मतलब यह नहीं कि आप जबरन इस रिश्ते को ढोते रहें या उस से मोहब्बत की भीख मांगते रहे और अपनी जिंदगी का सुकून खोते रहे. फिर  इनकार मिलने पर खुद को खत्म कर डालें.

क्या करें

बेहतर यह होगा कि आप ऐसे शख्स को एक झटके से अपनी जिंदगी से निकाल दे और

दोबारा उस के बारे में सोच कर अपना वक्त जाया न करे. रातदिन उस की बेवफाई याद करकर के अपनी  जिंदगी बर्बाद करने से बहुत अच्छा है कि उस के बारे में सोचना बिलकुल भी बंद कर दें.

मोहब्बत में कोई किसी की मिलकियत नहीं होता. जिंदगी में मोहब्बत के सिवा भी बहुत काम है. यदि आप लक्ष्य के प्रति समर्पित हो कर अपनी जिंदगी संभाल लेंगे तो फिर आप के जीवन में न तो मोहब्बत की कमी रहेगी और न ही सुकून भरे लम्हों की.

मोहब्बत में पागल हो कर कोई कदम उठाने की बेवकूफी करने से बेहतर है मोहब्बत में खुद को बदलने, संवारने और लक्ष्य को पाने का जज्बा रखने की.

कैसे संभाले खुद को जब सनम हो बेवफा

1. सब से पहले तो खुद से वादा करें कि आप उसे याद नहीं करेंगे. उस के पीछे अपना समय बर्बाद कर अपने दिल का सुकून नहीं खोएंगे.

2. रोज सुबह जल्दी उठे और एक्सरसाइज करने जाएं. डांस या योगा क्लासेस ज्वॉइन करें. अपने पैशन को जीने का प्रयास करें. कुछ क्रिएटिव करते हुए जीवन को नई दिशा दे.

3. उसे बारबार फोन या मैसेज करने से बचें ,क्यों कि यदि वह मैसेज का जवाब नहीं देगा तो आप और भी दुखी और परेशान हो उठेंगे. जितना हो सके उस तरफ जाने से बचे वहां जहां वह रहता हो या उस के आने की संभावना हो. उस से रूबरू होने से बचें क्यों कि नजरें मिलते ही पुराने जख्म रिसने लगते हैं.

4. अपने फोन में से उस की तस्वीरें डिलीट कर दे. उस के भेजे वीडियोज या मैसेजेज दोबारा न देखें. दिए गए गिफ्ट्स ,ग्रीटिंग कार्डस आदि अपनी नजरों से दूर कर दे. किसी भी वैसी चीज के करीब न रहे जो आप को उस की याद दिलाते हो.

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5. जब भी उस का ख्याल आए तो किसी दूसरे काम में व्यस्त हो जाए. खाली दिमाग में ज्यादा उपद्रव मचते हैं.

6. दोस्तों की संख्या बढ़ाए. किसी एक के पीछे पूरा जीवन बर्बाद करने से बेहतर है अपने दोस्तों की संख्या बढ़ाए. सोशल बने. जीवन में कुछ बड़ा हासिल करें या ऊंचे मुकाम तक पहुंचने का लक्ष्य तय करें. फिर उस दिशा में आगे बढ़े. आप देखेंगे कि आप उसे पूरी तरह भूलने लगे हैं और जीवन का नया उजाला आप की जिंदगी जगमगा  रहा है.

ऐसे करें इलैक्ट्रौनिक चिमनी की केयर

अकसर जब आप खाना बनाती हैं तो छौंक की वजह से परिवार के सदस्य खांसने लगते हैं, क्योंकि मसाले के छौंक की खुशबू नाक में चढ़ जाती है या फिर कभी सब्जी जल जाए अथवा परांठे बनाते समय किचन में जो धुआं होता है वह पूरे घर में सफोकेशन कर देता है. ऐसे में आप किचन में वैंटिलेशन के लिए चिमनी लगवाना जरूरी हैं. वहीं घर के लुक को बदलने के लिए भी चिमनी बहुत जरूरी है, लेकिन चिमनी सालों साल चले इसके लिए चिमनी सही और और उसका इस्तेमाल अच्छे तरीके से होना जरूरी है. इसीलिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताएगें, जिसे आप इस्तेमाल कर सकते हैं.

1. इलैक्ट्रौनिक चिमनी आप की रसोई में किसी भी तरह के धुएं या गंध को बाहर फेंक देती है और धुएं आदि को दीवारों पर चिपकने से भी रोकती है, जिस से दीवारें या टाइल्स गंदी नहीं होती हैं.

2. किचन में चिमनी लगाना जितना जरूरी है उस से भी जरूरी है यह देखना कि आप की किचन में किस तरह की चिमनी की जरूरत है. जैसे किचन कितनी बड़ी है या उस में लगा चूल्हा कितना बड़ा है.

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3. कोई भी चिमनी तभी सही होती है जब वह आप के गैस चूल्हे के ऊपर पूरी तरह फिट हो जाए. इस की गैस चूल्हे से ऊंचाई 2 फुट होनी चाहिए. तभी यह धुएं आदि को अपनी तरफ खींच सकेगी.

4. किसी भी चिमनी में उस की एअर सक्शन पावर बेहद माने रखती है. यह जितनी ज्यादा होगी उतना ही ज्यादा धुआं किचन से बाहर फेंकेगी.

5. बाजार में मौजूद कई तरह की चिमनियां मैनुअल तरीके से काम करती हैं. इन में 2 से ले कर 4 ऐग्जौस्ट फैन तक लगे होते हैं. ये आप की रसोई में फैले धुएं को बाहर फेंकते हैं. लेकिन इन चिमनियों की साफसफाई करना भी जरूरी है, क्योंकि अगर आप चिमनी का रैग्युलर इस्तेमाल करती हैं और उस की साफसफाई नहीं करती हैं तो इस से आप का भोजन प्रभावित होता है. चिमनी गैस चूल्हे के ठीक ऊपर लगी होती है. अगर आप उसे साफ नहीं करेंगी तो उस पर लगी डस्ट चूल्हे की गरमी से पिघल कर आप के चूल्हे पर रखी सब्जी या किसी भी चीज पर गिरेगी.

6. इलैक्ट्रौनिक चिमनी के साथ दी गई बुकलैट के निर्देशानासुर चिमनी की सफाई करें. स्पंज में साबुन लगा कर व गरम पानी का इस्तेमाल कर चिमनी की जाली पर जमी चिकनाई साफ करें.

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7.  चिमनी के मुंह पर स्टील की जाली होती है, जिसे निकालना आसान होता है. महीने में 1 बार उसे निकाल कर साफ करें. इसे कुनकुने पानी में डिटर्जैंट डाल कर नायलौन के ब्रश से साफ करें.

8. चिमनी का बाहरी कवर स्टील का होता है. साबुन के पानी से इसे भी साफ किया जा सकता है.

9. चिमनी में फिल्टर्स लगे होते हैं. यही चिकनाई वाला धुआं सोखते हैं. अत: इन्हें बदलती रहें.

10. यह काम हर महीने करना चाहिए. वैसे सफाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप किचन में कितना तलनेभुनने का काम कर रही हैं.

11. कुछ ऐसी चिमनियां भी मौजूद हैं जिन्हें एक नोजल के जरीए थोड़ा सा मिट्टी का तेल डाल कर साफ किया जा सकता है. इन्हें खोल कर साफ करने की जरूरत नहीं होती. ये अपनी सफाई खुद कर लेती हैं.

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