रागविराग: भाग 2- कैसे स्वामी उमाशंकर के जाल में फंस गई शालिनी

उस की आंखों में हलकी सी चमक आई.

‘‘उन के आशीर्वाद से ही तुम्हारा विवाह हो गया तथा जनार्दन का भी व्यवसाय संभल गया. मैं तो सब जगह से ही हार गया था,’’ पिता ने कहा.

एक दिन वह मां के साथ सत्संग आश्रम गई थी. वहां उमाशंकर भी आए हुए थे इसलिए बहुत भीड़ थी. सब को बाहर ही रोक दिया गया था. जब उन का नंबर आया तो वे अंदर गईं. भीतर का कक्ष बेहद ही सुव्यवस्थित था. सफेद मार्बल की टाइल्स पर सफेद गद्दे व चादरें थीं. मसनद भी सफेद खोलियों में थे. परदे भी सफेद सिल्क के थे. उमाशंकर मसनद के सहारे लेटे हुए थे. कुछ भक्त महिलाएं उन के पांव दबा रही थीं.

‘‘आप का स्वास्थ्य तो ठीक है?’’ मां ने पूछा.

‘‘अभी तो ठीक है, लेकिन क्या करूं भक्त मानते ही नहीं, इसलिए एक पांव विदेश में रहता है तो दूसरा यहां. विश्राम मिलता ही नहीं है.’’

शालिनी ने देखा कि उमाशंकरजी का सुंदर प्रभावशाली व्यक्तित्व कुछ अनकहा भी कह रहा था.

तभी सारंगदेव उधर आ गया.

‘‘तुम यहां कैसे? वहां ध्यान शिविर में सब ठीक तो चल रहा है न?’’

‘‘हां, गुरुजी.’’

‘‘ध्यान में लोग अधोवस्त्र ज्यादा कसे हुए न पहनें. इस से शिव क्रिया में बाधा पड़ती है. मैं तो कहता हूं, एक कुरता ही बहुत है. उस से शरीर ढका रहता है.’’

‘‘हां, गुरुजी मैं इधर कुरते ही लेने आया था. भक्त लोग बहुत प्रसन्न हैं. तांडव क्रिया में बहुत देर तक नृत्य रहा. मैं तो आप को सूचना ही देने आया था.’’

‘‘वाह,’’ गुरुजी बोले.

गुरुजी अचानक गहरे ध्यान में चले गए. उन के नेत्र मुंद से गए थे. होंठों पर थराथराहट थी. उन की गरदन टेढ़ी होती हुई लटक भी गई थी. हाथ अचानक ऊपर उठा. उंगलियां विशेष मुद्रा में स्थिर हो गईं.

‘‘यह तो शांभवी मुद्रा है,’’ सारंगदेव बोला. उस ने भावुकता में डूब कर उन के पैर छू लिए.

अचानक गुरुजी खिलखिला कर हंसे.

उन के पास बैठी महिलाओं ने उन से कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने उन्हें संकेत से रोकते हुए कहा, ‘‘रहने दो, आराम आ गया है. मैं तो किसी प्रकार की सेवा इस शरीर के लिए नहीं चाहता. इस को मिट्टी में मिलना है, पर भक्त नहीं मानते.’’

‘‘पर हुआ क्या है?’’ मां को चैन नहीं था.

‘‘दाएं पांव की पिंडली खिसक गई है, इसलिए दर्द रहता है. कई बार तो चला भी नहीं जाता. शरीर है, ठीक हो जाएगा. सब प्रकृति की इच्छा है, हमारा क्या?’’

‘‘क्यों?’’ उन की निगाहें शालिनी के चेहरे पर ठहर गई थीं, ‘‘आजकल क्या करती हो?’’

‘‘जी घर पर ही हूं.’’

‘‘श्रीमानजी कहां हैं?’’

‘‘जी वे बौर्डर डिस्ट्रिक्ट में हैं, कोई अभियान चल रहा है.’’

‘‘तो कभीकभी यहां आ जाया करो.’’

‘‘क्यों नहीं, क्यों नहीं,’’ मां ने प्रसन्नता से कहा था. और फिर उस का सत्संग भवन में आना शुरू हो गया था.

उस दिन दोपहर में वह भोजन के बाद इधर ही चली आई थी. उसे गुरुजी ने अपने टीवी सैट पर लगे कैमरे से देखा तो मोबाइल उठाया और बाहर सहायिका को फोन किया, ‘‘तुम्हारे सामने शालिनी आई है, उसे भीतर भेज देना.’’

सहायिका ने अपनी कुरसी से उठते हुए सामने बरामदे में आती हुई शालिनी को देखा.

‘‘आप शालिनी हैं?’’

‘‘हां,’’ वह चौंक गई.

‘‘आप को गुरुजी ने याद किया है,’’ वह मुसकराते हुए बोली.

वह अंदर पहुंची तो देखा गुरुजी अकेले ही थे. उन की धोती घुटने तक चढ़ी हुई थी.

‘‘लो,’’ उन्होंने पास में रखी मेवा की तश्तरी से कुछ बड़े काजू, बादाम जितने मुट्ठी में आए, बुदबुदाते हुए उस की हथेली पर रख दिए.

‘‘और लो,’’ उन्होंने एक मुट्ठी और उस की हथेली पर रख दिए.

वह यंत्रवत सी उन के पास खिसकती चली आई. उसे लगा उस के भीतर कुछ उफन रहा है. एक तेज प्रवाह, मानो वह नदी में तैरती चली जाएगी. उन्होंने हाथ बढ़ाया तो वह खिंची हुई उन के पास चली आई. और उन के पांव दबाने लग गई. उन की आंखें एकटक उस के चेहरे पर स्थिर थीं और उसे लग रहा था कि उस का रक्त उफन रहा है.

तभी गुरुजी ने पास रखी घंटी को दबा दिया. इस से बाहर का लाल बल्ब जल उठा. उन की बड़ीबड़ी आंखें उस के चेहरे पर कुछ तलाश कर रही थीं.

‘‘शालू, वह माला तुम्हारी गोद में गिरी थी, जो मैं ने तुम्हें दी थी. वह तुम्हारा ही अधिकार है, जो प्रकृति ने तुम्हें सौंपा है,’’ वे बोले तो शालू खुलती चली गई. फिर उमाशंकरजी को उस ने खींचा या उन्होंने उसे, कुछ पता नहीं. पर उसे लगा उस दोपहर में वह पूरी तरह रस वर्षा से भीग गई है. उसे अपने भीतर मीठी सी पुलक महसूस हुई. वह चुपचाप उठी, बाथरूम जा कर व्यवस्थित हुई फिर पुस्तक ले कर कोने में पढ़ने बैठ गई.

सेवक भीतर आया. उस ने देखा गुरुजी विश्राम में हैं. उस ने बाहर जा कर बताया तो कुछ भक्त भीतर आए. तब शालिनी बाहर चली गई. सही या गलत प्रश्न का उत्तर उस के पास नहीं था, क्योंकि वह जानती थी कि गलती उस की ही थी. उसे अकेले वहां नहीं जाना चाहिए था. पर अब वह क्या कर सकती थी? चुप रहना ही नियति थी, क्योंकि वह उस की अपनी ही जलाई आग थी, जिस में वह जली थी. किस से कहती, क्या कहती? वही तो वहां खुद गई थी. विरोध करती पर क्यों नहीं कर पाई? उस प्रसाद में ऐसा क्या था? वह इस सवाल का उत्तर बरसों तलाश करती रही. पर उस दिन सुलभा ने ही बताया था कि मां, मुंबई की पार्टियों में कोल्डड्रिंक्स में ऐसा कुछ मिला देते हैं कि लड़कियां अपना होश खो देती हैं. वे बरबाद हो जाती हैं. मेरी कुछ सहेलियों के साथ भी ऐसा हुआ है. ये ‘वेव पार्टियां’ कहलाती हैं, तब वह चौंक गई थी. क्या उस के साथ भी ऐसा ही हुआ था? वह सोचने लगी कि कभीकभी वर्षा ऋतु न हो तो भी अचानक बादल कहीं से आ जाते हैं. वे गरजते और बरसते हैं, तो क्यारी में बोया बीज उगने लगता है.

फिर सब कुछ यथावत रहा. सुभाष भी जल्दी ही लौट आया. उसे आने के बाद सूचना मिली कि वह पिता बनने वाला है तो वह बहुत खुश हुआ और शालिनी को अस्पताल ले गया.

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हर्बल टी से रोकें हेयर फौल, जानें यहां

हर्बल टी केवल आपको रीफ्रेश ही नहीं करती है बल्कि ये आपकी बॉडी को हेल्दी भी रखती है. कहने को तो यह एक कप चाय होती है लेकिन इसके फायदे अनेक होते है. जो आपकी कई बीमारियों को चुटकी में दूर कर देती है. मसलन जैसे आपको सिरदर्द होता है तो आप ग्रीन टी का सेवन करें अगर आप अपनी पाचन शक्ति दुरूस्त करना चाहते हैं तो आज से ही हर्बल टी को पीना शुरू कर दें. यही नहीं हर्बल टी से बालों की समस्या जैसे बालों का झड़ना भी रूकता है.  तो आईये आज हम आपको चार तरह की हर्बल टी के बारे में बताते हैं जो आपको उपरोक्त बीमारियों से निजात दिलायेंगे.

ग्रीन टी:

इस टी को आप रामबाण कह सकते हैं, यह आपको सिरदर्द से निजात दिलाती है. जो लोग माइग्रेन की समस्या से ग्रसित रहते हैं उन्हें तो इसका सेवन रोज करना चाहिए. ग्रीन टी वजन कम करने में भी मददगार होती है. यह आपकी पाचन शक्ति को मजबूत भी बनाती है. बस एक प्याली ग्रीन टी आपको तरोताजा औऱ सेहतमंद रखने के लिए काफी है. सबसे बड़ी बात ग्रीन टी से बालों का झड़ना कम होता है. यह बालों की लंबाई भी बढ़ाती है. यकीन नहीं होता तो आप आजमा कर देख सकते है.

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सिनमन या दालचीनी की चाय:

यह आपके मुंह के जायके को फ्रेश तो करता ही है साथ ही यह माइग्रेन के रोगियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. अगर आपके घर कोई जुकाम से पीड़ित है तो उसे बस एक कप सिनमन यानी दालचीनी की चाय बनाकर दीजिये देखिये उसका जुकाम कितनी जल्दी ठीक हो जाता है. दालचीनी में फाइबर, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है जो आपके शरीर को मजबूत बनाते हैं. इसलिए अगर आप स्वस्थ, घने और सुंदर बाल चाहती हैं तो दालचीनी का प्रयोग शुरू कर दें.

अदरक वाली चाय:

अदरक का प्रयोग तो घर-घर में होता है अगर आप चाय में अदरक डाल कर रोजाना पीयें तो आपको जुकाम, सर्दी छू भी नहीं पायेगी. अदरक आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है. अदरक की चाय पीने से सरदर्द से आराम मिलता है. साथ ही बालों में रूसी की समस्या को भी रोकता है जिससे बाल मजबूत बनते हैं.

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कैमोमाइल टी:

कैमोमाइल टी माइग्रेन के रोगियों के लिए काफी अच्छी होती है. इसके अंदर ऐसे एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं जो तत्काल सिरदर्द को रोकने में कामयाब होते है. इस टी का प्रयोग करने से बालों का झड़ना रूकता है. यह सिर की बेजान त्वचा की जगह नई खाल पैदा करता है, जिससे कि कमजोर बालों की जगह नये और मजबूत बाल उगने में मदद मिलती है.

ब्राइडल ट्रैंड्स 2021 से लगाएं अपने लुक में चार चांद

शादियों के सीजन में अक्सर हम गलत कलर, डिजाइन और पैटर्न पसंद कर लेते हैं जो हमारे लुक को बिगाड़ देता है. हमें अपने फैशन को ट्रैंड के अनुसार बदलना चाहिए, लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि ट्रैंड है क्या? तो टेनशन मत लीजिए आज हम आपको शादियों में किस तरह के कपड़े पहने और आजकल ट्रैंड क्या चल रहा है, इसके बारे में बताएंगे. डब्ल्यू एन डब्ल्यू के डाइरैक्टर हर्ष भौतिका के अनुसार इस सीजन के लिए ब्राइडल आउटफिट्स ट्रैंड कुछ इस तरह रहेगा-

ब्लाउज स्टाइल ट्रैंड

आजकल ब्राइडल ब्लाउज में ऐल्बो लैंथ ट्रैंड में है. नैकलाइन के अंदर स्वीटहार्ट पैटर्न चोली कट में प्रचलित है. इस से ब्राइड मौडर्न और यंग लगती है. ब्लाउज के स्लीव्स, दुपट्टे के बौर्डर आदि पर भी ब्राइडल और ग्रूम का नाम लिखवा दिया जाता है. इस से एक सुनहरा लुक उभरता है.

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थीम के अनुसार चुनें कलर पैटर्न

दुपट्टा, ब्लाउज, लहंगा अलग-अलग रंगों में नहीं, बल्कि हलके रंगों में पसंद किए जा रहे हैं. शेड्स भले ही अलग-अलग हों, मगर सारी ड्रैस सिंगल कलर में ही होती है. आजकल कलर स्पैक्ट्रम काफी बढ़ गया है. ओरिजिनल ट्रैडिशनल कलर जैसे लाल, मैरून, गुलाबी के बजाय अब फ्यूशिया पिंक, लाइलैक, लैवेंडर, रौयल ब्लू, चारकोल ब्राउन, चारकोल ग्रे, आइवरी, औफव्हाइट जैसे कलर्स भी चलन में खूब हैं. वैडिंग डैकोर या वैडिंग थीम के आधार पर भी आउटफिट के कलर चुने जाते हैं, जो बहुत खूबसूरत लगते हैं.

फैंसी फैब्रिक डिजाइन का है ट्रैंड

आजकल संगीत, सगाई, मेहंदी आदि के लिए लहंगे में ड्रैप्स या अच्छे फैंसी फैब्रिक पसंद किए जाते हैं. शादी से पहले के इन समारोहों के लिए ब्लाउज पर ज्यादा वर्क पसंद किया जाता है और लहंगों पर ड्रैप और लेयरिंग का रुझान अधिक पाया जाता है. ब्लाउज स्मार्टकट वाले होते हैं. कट्स और लेयर्स पर फोकस नहीं होता. जबकि शादी के दिन वाले आउटफिट में हैवी वर्क प्रैफर किया जाता है. जरदोजी वर्क से सजे लहंगे पर दूल्हादुलहन के नाम लिखे होते हैं.

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वर्क में मौडर्न लुक

आजकल गोटे के साथ रेशम और जरदोजी मिला कर काम किया जाता है. ट्रैडिशनल मोटिफ को नए तरीके से तैयार किया जाता है जैसे हाथी, राजारानी आदि. इन्हें ऐसे स्टाइल में सिला जाता है ताकि देखने में मौडर्न लगें जैसे सीग्रीन लहंगे पर ग्रे कलर से हाथ या पूरी बरात बनाई जाती है. आजकल थीम औरिऐंटेड डिजाइनें भी बनने लगी हैं. पहले की डिजाइनों में कैरी (पेजली) की शेप, मोर आदि का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था. मगर अब इस में भी ऐक्सपैरिमैंट्स किए जा रहे हैं. पाम ट्री, तरहतरह के फ्लौवर्स, ऊंट, हाथी आदि का प्रयोग खूबसूरती से होने लगा है.

ब्राइडल लहंगे

ब्राइडल लहंगे रौ सिल्क पर बनते हैं, क्योंकि यह फैब्रिक हैवी वर्क के लिए परफैक्ट है. इस की सिलवटें भी शानदार लगती हैं. नैचुरल और बनारसी फैब्रिक प्रीवैडिंग के लहंगों पर ज्यादा इस्तेमाल किया जाता हैं. विंटर वैडिंग्स में वैलवेट फैब्रिक ज्यादा अच्छा लगता है. समर के प्रीवैडिंग इवेंट्स जैसे संगीत, मेहंदी आदि में आरगेंजा, कोरा, मूंगा जैसा फैब्रिक इस्तेमाल किया जाता है. पहले लहंगे के बौर्डर पर काफी काम होता था. अब बौर्डर नहीं चाहिए होता. लहंगे सिंगल पीस औफ फैब्रिक में ही बनते हैं. वेस्ट से ले कर नीचे तक काम होता है. खाके में भी काफी ऐक्सपैरिमैंट्स हो गए हैं.

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स्टिचिंग

स्टिचिंग पैटर्न अब फ्रीस्टाइल हो गया है. पहले लहंगे हाफ अंब्रेला कट के होते थे. फिर हिपफिटेड लहंगे चलन में आए. मगर अब ए लाइन कलीदार लहंगों का जोर है. इन का केवल कमर का हिस्सा नाप के हिसाब से बनता है. आजकल लहंगों में वेस्टबैंड यानी कमरबंद भी पसंद किए जाते हैं.

सिंपल स्मार्ट लुक अपनाएं

आजकल की ब्राइड्स सिंपल मेकअप और मिनिमल ज्वैलरी प्रैफर करती हैं ताकि पूरे कंफर्ट के साथ सारे इवेंट्स ऐंजौय कर सकें, जम कर डांस कर सकें. उदाहरण के लिए ब्राइड्स अकसर अधिक घेर पर कम वर्क वाला लहंगा, डीपनैक ब्लाउज के साथ हीरों का हलका हार और हैवी इयररिंग्स के साथ प्रीवैडिंग इवेंट्स में कंफर्टेबल लुक अपनाती हैं. आजकल की ब्राइड्स अपने लुक और वेट को ले कर काफी कौंशस रहती हैं. अपने लिए आउटफिट्स सिलैक्ट करते समय वेट उन का फोकस एरिया होता है. वे ऐसे वर्क वाले कपड़े पसंद करती हैं जो उन का वेट अधिक न दिखाएं.

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कोविड के दौरान मरीजों की सेवा करने वाली एक्ट्रेस शिखा मल्होत्रा वागधारा नव रत्न से हुईं सम्मानित

जब कोरोना महामारी चरम पर थी, उस वक्त कई डाक्टर व नर्से कोविड अस्पताल से दूरी बनाकर रखना चाहते थे. ऐसे कठिन समय में ‘रनिंग शादी’’ और ‘फैन’ जैसी फिल्मों में छोटे किरदार तथा फिल्म ‘कांचली’ में बतौर हीरोईन अभिनय कर चुकी शिखा मल्होत्रा ने आगे बढ़कर नर्स के तौर पर मुंबई के ठाकरे अस्पताल में मुफ्त में काम करते हुए कोरोना मरीजों का इलाज कर एक नई मिसाल पेश की. मार्च से अक्टूबर माह तक सैकड़ों कोरोना मरीजों को अपनी नर्सिंग से ठीक करने के बाद वह स्वयं कोरोना की शिकार हुई. कोरोना से ठीक होने के एक माह बाद उनके शरीर के दाहिने हिस्से में लकवा मार गया. पर वह ठीक हो गयीं. बचपन से फाइटर रही शिखा मल्होत्रा के योगदान को उस वक्त सम्मान मिला जब राजभवन में महाराष्ट् के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों उन्हें ‘वागधारा नव रत्न सम्मान 2021’के तहत ‘कोरोना सम्मान’ से सम्मानित किया गया.  इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे और पूर्व राज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह और वागधारा राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष वागीश  सारस्वत उपस्थित थे.

यूं तो शिखा मल्होत्रा अभिनेत्री होने के साथ साथ एक प्रशिक्षत नर्सिंग अधिकारी हैं. कोरोना महामारी के दौरान सात महीने तक  फ्रंटलाइन योद्धा के रूप में शिखा मल्होत्रा ने सात माह के बच्चे से लेकर 98 साल की उम्र के सैकड़ों कोरोनोवायरस रोगियों की देखभाल की और उन्हें स्वस्थ कर घर वापस जाने योग्य बनाया.

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‘‘वागधारा नव रत्न सम्मान’’से सम्मानित होने पर शिखा मल्होत्रा ने कहा-“मैं वागधारा न्यायिक चयन समिति का बहुत आभारी हूं,  जिसने मुझे इस सम्मान से गौरवान्वित किया. एक अभिनेत्री होने के साथ- साथ,  मैंने नर्सिंग में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रखी है. वैश्विक महामारी के समय देश के लिए कुछ करना मेरा सौभाग्य था. मैं हमेशा मानव कल्याण के लिए तत्पर रहूंगी. मैं अपने माता-पिता और प्रशंसकों को धन्यवाद देना चाहती हूं. ”

महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल माननीय भगत सिंह कोशियारी जी ने ट्वीट किया,  ‘‘जाने-माने हिंदी लेखक डॉ. रामजी तिवारी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया, जबकि फिल्म स्टार शिखा मल्होत्रा को कोविड 19 महामारी के दौरान उनके काम के लिए सम्मानित किया गया. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश जोशी,  आईपीएस अधिकारी क्वैसर खालिद और अन्य को सम्मानित किया गया. इसके साथ ही  साहित्य व सिनेमा की कई अन्य हस्तियों को भी सम्मानित किया गया. ’’

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वीडियो शेयर करते हुए Ankita Lokhande ने सिखाया ट्रोलर्स को सबक, कही ये बात

सीरियल ‘पवित्र रिश्ता’ (Pavitra Rishta) से फैंस के बीच जगह बनाने वाली एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) अक्सर सोशलमीडिया पर छाई रहती हैं. जहां सीरियल्स के कारण फैंस उनकी तारीफें करते नजर आते हैं तो वहीं कुछ लोग बिना वजह के अंकिता को ट्रोल करते रहते हैं. लेकिन अब एक वीडियो के जरिए अंकिता लोखंडे ने बिना वजह उन्हें ट्रोल करने वालों को करारा जवाब दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सुशांत के कारण होती हैं ट्रोल

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन के बाद से आए दिन लोग सोशल मीडिया पर अंकिता को गालियां देते नजर आते हैं. कई बार लोग उन्हें डांस या अपनी फोटोज शेयर करने पर भी सोशलमीडिया पर उन्हें ट्रोल करते नजर आते हैं, जिसके कारण अंकिता काफी परेशान रहती हैं. हालांकि वह अक्सर कहती हैं कि उन्हें फर्क नही पड़ता.

 

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शेयर किया वीडियो

 

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अंकिता लोखंडे को सबक सिखाने के लिए सोशलमीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह ट्रोलर्स को अपने ही अंदाज में जवाब देती नजर आ रही हैं. दरअसल, अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लगभग 15 मिनट का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो लोगों से कहती हुई नजर आ रही हैं कि जब लोगों को उनके रिश्ते की हर सच्चाई नहीं पता है तो उन्हें कुछ भी बोलने का हक नहीं है. अंकिता का कहना है कि जब सुशांत उन्हें अकेला छोड़कर गए थे, तब ऐसे लोग कहां थे. अंकिता लोखंडे ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा है कि जिन-जिन लोगों को मैं पसंद नहीं हूं, वो लोग मुझे अनफॉलो कर सकते हैं.

बता दें, अंकिता अक्सर अपनी डांस और बॉयफ्रेंड विक्की जैन संग फोटोज शेयर करती रहती हैं, जिस पर लोग उन्हें इस बात पर ताना मारते हुए ट्रोल करते हैं कि सुशांत के निधन के बाद उन्हें भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गई हैं.

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Bigg Boss 14: रुबीना संग पार्टी करती दिखीं निक्की तम्बोली, अर्शी खान ने समेत नजर आए ये सितारे

‘बिग बॉस’ का 14वां सीजन खत्म हो चुका है, जिसके बाद शो के कंटेस्टेंट पार्टी और वेकेशन का लुत्फ उठाने में बिजी हैं. जहां अली गोनी और जैस्मिन भसीन फैमिली संग कश्मीर की वादियों में अपना वेकेशन मना रहे हैं तो वहीं रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला पार्टी करने में बिजी हैं. दरअसल, हाल ही में रुबीना दिलैक ने एक पार्टी रखी थी, जिसमें रुबीना दिलैक को बड़ी बहन कहने वालीं और को कंटेस्टेंट निक्की तम्बोली नजर आईं थीं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल फोटोज…

रुबीना ने होस्ट की पार्टी

हाल ही में BB14 की विजेता रुबीना दिलैक ने अपने इंस्टाग्राम पर शो में अपनी को कंटेस्टेंट रह चुकीं निक्की तम्बोली, राहुल महाजन और अर्शी खान को अपने घर पार्टी में बुलाया था, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं.

 

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निक्की तम्बोली ने लिखी खास बात

 

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निक्की तम्बोली ने भी अपनी कुछ फोटोज रुबीना के साथ शेयर करते हुए लिखा बहन के साथ शेयर की गई खुशी. वहीं इन फोटोज को शेयर करने के बाद फैंस दोनों की बौंडिंग की तारीफें करते नही थक रहे हैं.

पार्टी में पहुंचे ये सितारे

रुबीना दिलैक और अभिनव शुक्ला की इस पार्टी में राहुल महाजन और उनकी वाइफ, अर्शी खान, जान सानू, निक्की तम्बोली, नैना सिंह, ज्योतिका दिलैक नजर आए थे, जहां सभी ने जमकर मस्ती और डांस किया.

वेकेशन का मन बना रही हैं रुबीना

 

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जहां शो के कई फाइनलिस्ट वेकेशन पर हैं तो वहीं अब रुबीना दिलैक भी वेकेशन पर जाने का मन बना रही हैं, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी एक फोटो शेयर करते हुए बताया है. दरअसल, रुबीना ने अपनी बिकिनी में एक फोटो शेयर की है, जिसके साथ उन्होंने लिखा, Craving for a #vacation.

 

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बता दें, बीते दिन रुबीना के घर में किन्नर समाज की गुरुमां आईं थीं, जहां उन्होंने रुबीना और उनके पति अभिनव को अपना आर्शीवाद दिया था. वहीं रुबीना ने गुरुमां के साथ अपनी कुछ फोटोज भी शेयर की थी.

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मुझे बेकर्स सिस्ट की समस्या है, इसके इलाज का तरीका क्या है?

सवाल-

मेरी उम्र 45 साल है. कुछ समय से मेरे बाएं घुटने में दर्द हो रहा है, जिस की जांच कराने पर पता चला कि मुझे बेकर्स सिस्ट की समस्या है. उन्होंने कहा कि समस्या गंभीर नहीं है और जल्दी ठीक हो जाएगी. यदि ऐसा नहीं होता है तो उस के बाद हम इलाज की प्रक्रिया शुरू करेंगे. मैं जानना चाहती हूं कि इस के इलाज की प्रक्रिया क्या है?

जवाब- 

आमतौर पर इस गांठ का इलाज करने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि कुछ समय में यह खुद ही ठीक हो जाती है. लेकिन कई बार यह लगातार बढ़ती जाती है और मरीज को बहुत ज्यादा परेशान करने लगती है. ऐसे में इलाज कराना जरूरी हो जाता है. आप की गांठ और लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए डाक्टर इलाज के निम्नलिखित विकल्पों की सलाद दे सकता है:

द्रव निकालना: डाक्टर आप की गांठ में इंजैक्शन डाल कर द्रव को बाहर निकालेगा. इस प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी न हो और इंजैक्शन सही जगह पर लगाया गया है, यह सुनिश्चित करने के लिए वह अल्ट्रासाउंड की मदद ले सकता है. द्रव को बाहर निकालने पर गांठ सूख कर ठीक हो जाती है.

फिजिकल थेरैपी: डाक्टर आप को कुछ व्यायामों और थेरैपी की सलाह देगा. व्यायाम की मदद से गांठ में राहत के साथसाथ जकड़न और दर्द में भी राहत मिलती है. व्यायाम घुटने को लचीला बनाते हैं, जिस से आप को मूवमैंट में आसानी होगी.

सवाल-

मेरी उम्र 37 साल है. मुझे गठिया की समस्या है, जिस की वजह से मुझे अकसर दर्द होता रहता है, लेकिन कुछ दिनों से घुटनों में ज्यादा दर्द और सूजन हो गई है. छूने पर गांठ जैसा महसूस होता है. ऐसा क्यों?

जवाब- 

जब किसी को गठिया की समस्या होती है तो घुटने में बहुत अधिक तरल पदार्थ पैदा होता है, जो बेकर्स सिस्ट का निर्माण कर देता है. इलाज के बाद यह समस्या ठीक हो सकती है. इस से कोई बीमारी लंबे समय तक नहीं होती है. चूंकि आप की उम्र भी ज्यादा है, इसलिए इस उम्र में ऐसा होना आम बात है. घबराएं नहीं, लेकिन समय पर जांच कराना आवश्यक है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ससुराल के लिए मायके से दूरी कैसे बनाऊं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

इन 4 विदेशी तकनीक से अपने घर को करें Decalter

फरवरी माह में बसन्त की ठंडी बयार के चलने के साथ साथ मौसम की फिजा में होली के रंग और गर्मी की गर्माहट अपना रंग घोलना प्रारम्भ कर देती है. ये समय सर्दियों की विदाई और गर्मी के आगमन का समय होता है. ऊनी कपड़े और रजाइयों का स्थान एसी, कूलर और पंखे लेने को तैयार हो जाते हैं. घरों में भी एक बार फिर साफ सफाई अर्थात डिक्लटरिंग का दौर प्रारम्भ हो जाता है ताकि गर्मियों में प्रयोग आने वाली चीजों को जगह दी जा सके. यदि आप भी अपने घर को डिक्लटर करने का प्लान बना रहीं हैं तो डिक्लटरिंग की ये चार विदेशी तकनीकें आपके लिए मददगार साबित हो सकतीं हैं.

-उसूजी

जापानी तकनीक उसूजी का तात्पर्य है ‘बिग क्लीनिंग’ अर्थात बड़ी सफाई. ऐसा माना जाता है कि साल में दो बार इस तकनीक से सफाई अवश्य करना चाहिए ताकि आपका घर व्यवस्थित रहे. चूंकि इस पद्धति में घर की छत से लेकर मुख्य द्वार के दरवाजे तक की आमूल चूल सफाई की जाती है. घर की दीवारों, फ़र्नीचर, दरवाजों, अलमारियों आदि को बहुत अच्छी तरह साफ करने से उनकी टूटन फूटन की मरम्मत हो जाने से उनकी आयु बढ़ जाती है और उनका लुक नया सा हो जाता है. इस पद्धति से सफाई करने से घर में पिछले एक वर्ष से प्रयोग में न आने वाली समस्त वस्तुओं को पृथक कर के घर से बाहर करके घर को एक नवीन रूप दिया जाता है.

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-फ्लाय लेडी

सफाई की इस अमेरिकन तकनीक का फुल फॉर्म है “फाइनली लविंग योरसेल्फ”. इस तकनीक में घर को साफ सुथरा और व्यवस्थित रखने के लिए अपनी आदतों को सुधारने का कार्य किया जाता है. इससे घर की साफ सफाई करना बहुत आसान हो जाता है. इस पद्धति से सफाई करने के लिए आप अपने घर को विभिन्न जोन में विभाजित करें. प्रतिदिन 15 मिनट फैले सामान और घर को व्यवस्थित करने के उपरांत घर की एक जोन को पूरी तरह साफ अर्थात डीप क्लीनिंग करें. इससे आपका घर कुछ सप्ताह में ही एकदम व्यवस्थित हो जाएगा. ध्यान रखें आपको समस्त काम बिना तनाव लिए करना है यदि आपके लिए एक दिन में एक जोन को साफ करना सम्भव नहीं हो पा रहा है तो जोन का आकार अपने समय और क्षमता के अनुसार निर्धारित करें.

-कानमारी

इस जापानी तकनीक से सफाई करने का तात्पर्य है कि आपको घर में केवल वही चीजें रखनी हैं जो आपको खुशी देतीं हैं. घर में निहित किताबों, पेपर, कपड़े बर्तन आदि की लिस्ट बनाएं और देखें कि इनमें से कौन सी चीज आप प्रयोग करतीं हैं और कौन सी नहीं. लंबे समय से काम में न आने वाली वस्तुओं को जरूरतमंदों को दे दें अथवा फेंक दें. ऐसा करने से अनुपयोगी वस्तुएं घर से बाहर हो जातीं हैं और घर को नए तरीके से सजाने के लिए आपको जगह प्राप्त हो जाती है.

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-खाने टेकनी

इस ईरानी शब्द का तात्पर्य है” घर को हिला देना” इस तकनीक में घर की हर उस वस्तु को बाहर कर दिया जाता है जो प्रयोग में नहीं आ रही है. इसमें घर के जूते चप्पल, फर्नीचर, कपड़े, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी होते हैं. इस तकनीक का प्रयोग करने के बाद घर एकदम खुला खुला और व्यवस्थित लगने लगता है और सुव्यवस्थित घर देखकर मन प्रसन्न हो उठता है.

जानें, चेहरे पर क्यों होते हैं पिंपल?

चेहरे पर पिंपल होना आम बात है, लेकिन चेहरे पर हमेशा पिंपल और उसके दाग धब्बे का बने रहना कोई आम बात नहीं है. इसके लिए आप खुद जिम्मेदार हो सकती हैं. पिंपल या एक्ने होने पर हम अक्सर अपनी त्वचा या फिर अपनी डाइट को कोसती हैं. लेकिन एक्ने होने के पीछे केवल यही दो समस्याएं नहीं हैं बल्कि इसके पीछे कई अजीबो गरीब चीजें जिम्मेदार हैं, जिनके बारे में हम आज आपको बताएंगे. यहां जानिए क्‍या है वो 6 कारण जिनकी वजह से आपके चेहरे पर पिंपल होते हैं.

मोबाइल फोन

क्या आप घंटो तक अपने दोस्तों से फोन पर चिपके रहते हैं? और क्या आपको जरा सा भी एहसास है कि लंबे समय तक फोन को अपनी त्वचा से चिपकाए रखने से तेल निकलता है, जो फोन में पनप रहे बैक्टीरिया के संपर्क में आ के त्वचा पर जम जाते हैं और इन्हीं से पैदा होते हैं एक्ने. इसलिये फोन को प्रयोग करने के बाद टिशू पेपर से अपना फेस पोछना कभी ना भूलें.

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हेयर स्टाइलिंग

ज्यादातर हेयर प्रोडक्ट गाढे और तैलिय होते हैं. इसलिये जब हम सो रहे होते हैं, तब यह हमारी त्वचा के सम्पर्क में आ जाते हैं और स्किन के पोर्स को ब्लौक कर देते हैं. यह इसी तरह होता है जैसे किसी ने त्वचा पर तेल लगा दिया हो. इसलिये हमेशा औयल फ्री हेयर प्रोडक्ट का ही प्रयोग करना चाहिये. साथ ही एक्ने पैदा करने में हेयर स्टाइल का भी काफी रोल होता है. लंबे बाल जो मुंह को छूते हों, वह स्किन के पोर्स को ब्लौक कर देते हैं.

हाथों से चेहरा रगड़ना

यह एक आम चीज है जो लगभग हर दूसरा इंसान करता है. हमारे हाथ गंदगी और कीटाणुओं से भरे हुए होते हैं. जब भी हम अपनी हथेलियों को चेहरे पर रखते हैं तो कीटाणु का हमला सीधे हमारी स्किन पोर्स पर होता है. जिससे पिंपल जैसी समस्या पैदा हो जाती है.

हार्ड वाटर

जी हां, आपको यह जानकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन पानी भी पिंपल पैदा करने के लिये बहुत हद तक जिम्मेदार होता है. अगर आप हार्ड वाटर का प्रयोग कर रहे हैं, तो वह चेहरे पर कैमिकल रेसीड़यू छोड़ देता है जिससे पिंपल बनने लगता है.

टूथपेस्ट

कई लोगों को ध्यान ही नहीं होता है कि उनके मुंह से टूथब्रश करते वक्‍त झाग निकलता रहता है. कई टूथपेस्ट में फलोराइड होता है, जो एक्ने पैदा करता है. इसके अलावा सोडियम लौरियल सल्फेट भी स्किन में जलन पैदा करता है.

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यात्रा

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि हमेश यात्रा करने के ही बाद हमारे चेहरे पर एक्ने क्यों आते हैं. दरअसल यह मौसम, पानी और खाने के बदलाव की वजह से होता है. अगर आप फ्लाइट द्वारा यात्रा कर रहीं हैं तो आप की त्वचा बहुत ही कम आर्द्र वातावरण के संपर्क में आती है. जिससे आयल ग्रंथी से ज्यादा तेल निकलता है और यह समस्या पैदा हो जाती है.

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