रागरागिनी: भाग 1- क्या रागिनी अधेड़ उम्र के अनुराग से अपना प्रेम राग छेड़ पाई?

आज सुबह से ही बारिश ने शहर को आ घेरा है. उमड़घुमड़ कर आते बादलों ने आकाश की नीली स्वच्छंदता को अपनी तरह श्यामल बना लिया है. लेकिन अगर ये बूंदें जिद्दी हैं तो रागिनी भी कम नहीं. रहरह कर बरसती इन बूंदों के कारण रागिनी का प्रण नहीं हारने वाला.

ग्रीन टी पीने के पश्चात रागिनी ट्रैक सूट और स्पोर्ट शूज में तैयार खड़ी है कि बारिश थमे और वह निकल पड़े अपनी मौर्निंग जौग के लिए.

कमर तक लहराते अपने केशों को उस ने हाई पोनी टेल में बांध लिया. एक बार जब वह कुछ ठान लेती है, तो फिर उसे डिगाना लगभग असंभव ही समझो.

पिछले कुछ समय से अपने काल सैंटर के बिजनेस को जमाने में रातदिन एक करने के कारण न तो उसे सोने का होश रहा और न ही खाने का. इसी कारण उस का वजन भी थोड़ा बढ़ गया. उसे जितना लगाव अपने बिजनेस से है, उतना ही अपनी परफेक्ट फिगर से भी. इसलिए उस ने मौर्निंग जौग शुरू कर दी, और कुछ ही समय में असर भी दिखने लगा.

लंबी छरहरी काया और श्वेतवर्ण बेंगनी ट्रैक सूट में उस का चेहरा और भी निखर रहा था. उस ने अपनी कार निकाली और चल पड़ी पास के जौगर्स पार्क की ओर.

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यों तो रागिनी के परिवार की गिनती उस के शहर के संभ्रांत परिवारों में होती है. मगर उस का अपने पैरों पर खड़े होने का सपना इतना उग्र रहा कि उस ने केवल अपने दम पर एक बिजनेस खड़ा करने का बीड़ा उठाया. तभी तो एमबीए करते ही कोई नौकरी जौइन करने की जगह उस ने अपने आंत्रिप्रिन्यौर प्रोग्राम का लाभ उठाते हुए बिजनेस शुरू किया. बैंक से लोन लिया और एक काल सैंटर डालने का मन बनाया. उस का शहर इस के लिए उतना उचित नहीं था, जितना ये महानगर.

जब उस ने यहां अकेले रह कर काल सैंटर का बिजनेस करने का निर्णय अपने परिवार से साझा किया, तो मां ने भी साथ आने की जिद की.

“आप साथ रहोगी तो हर समय खाना खाया, आराम कर ले, आज संडे है, आज क्यों काम कर रही है, कितने बजे घर लौटेगी, और न जाने क्याक्या रटती रहोगी. इसलिए अच्छा यही रहेगा कि शुरू में मैं अकेले ही अपना काम सेट करूं,” उस ने भी हठ कर लिया. घर वालों को आखिर झुकना ही पड़ा.

इस महानगर में रहने के लिए उस ने एक वन बेडरूम का स्टूडियो अपार्टमेंट किराए पर ले लिया. हर दो हफ्तों में एकलौता बड़ा भाई आ कर उस का हालचाल देख जाता है और हर महीने वो भी घर हो आती है. इस व्यवस्था से घर वाले भी खुश हैं और वह भी.

पार्क के बाहर कार खड़ी कर के रागिनी ने आउटर बाउंडरी का एक चक्कर लगा कर वार्मअप किया, और फिर धीरेधीरे दौड़ना आरंभ कर दिया.

आज पार्क के जौगिंग ट्रैक पर भी कीचड़ हो रहा था. बारिश के कारण रागिनी संभल कर दौड़ने लगी. मगर इन बूंदों ने भी मानो आज उसे टक्कर देने का मन बना रखा था, फिर उतरने लगीं नभ से.

भीगने से बचने के लिए रागिनी ने अपनी स्पीड बढ़ाई और कुछ दूर स्थित एक शेल्टर के नीचे पहुंचने के लिए जैसे ही मुड़ी, उस का पैर भी मुड़ गया. शायद मोच आ गई.

“उई…” दर्द के मारे वह चीख पड़ी. अपने पांव के टखने को दबाते हुए उसे वहीं बैठना पड़ा. असहनीय पीड़ा ने उसे आ दबोचा. आसपास नजर दौड़ाई, किंतु आज के मौसम के कारण शायद कोई भी पार्क में नहीं आया था. अब वह कैसे उठेगी, कैसे पहुंचेगी अपने घर. वह सोच ही रही थी कि अचानक उसे एक मर्दाना स्वर सुनाई पड़ा, “कहां रहती हैं आप?”

आंसुओं से धुंधली उस की दृष्टि के कारण वह उस शख्स की शक्ल साफ नहीं देख पाई. वह कुछ कहने का प्रयास कर रही थी कि उस शख्स ने उसे अपनी बलिष्ठ बाजुओं में भर कर उठा लिया.

“मेरी कार पार्क के गेट पर खड़ी है. मैं पास ही में रहती हूं,” रागिनी इतना ही कह पाई.

रिमझिम होती बरसात, हर ओर हरियाली, सुहावना मौसम, शीतल ठंडी बयार और किसी की बांहों के घेरे में वह खुद – उसे लगने लगा जैसे मिल्स एंड बूंस के एक रोमांटिक उपन्यास का पन्ना फड़फड़ाता हुआ यहां आ गया हो. इतने दर्द में भी उस के अधरों पर स्मित की लकीर खिंच गई.

उस ने रागिनी को कार की साइड सीट पर बैठा दिया और स्वयं ड्राइव कर के चल दिया.

“आप को पहले नहीं देखा इस पार्क में,” उस शख्स ने बातचीत की शुरुआत की.

रागिनी ने देखा कि ये परिपक्व उम्र का आदमी है – साल्टपेपर बाल, कसा हुआ क्लीन शेव चेहरा, सुतवा नाक, अनुपम देहयष्टि, लुभावनी रंगत पर गंभीर मुख मुद्रा. बैठे हुए भी उस के लंबे कद का अंदाजा हो रहा था.

“अभी कुछ ही दिनों से मैं ने यहां आना आरंभ किया है. आप भी आसपास रहते हैं क्या?” रागिनी बोली. वह उस की भारी मर्दानी आवाज की कायल हुई जा रही थी.

“जी, मैं यहीं पास में सेल्फ फाइनेंस फ्लैट में रहता हूं. अभीअभी रिटायर हुआ हूं. अब तक काफी बचत की. उसी के सहारे अब जिंदगी की सेकंड इनिंग खेलने की तैयारी है,” उस के हंसते ही मोती सी दंतपंक्ति झलकी.

“उफ्फ, कौन कह सकता है कि ये रिटायर्ड हैं. इन का इतना टोंड बौडी, आकर्षक व्यक्तित्व, मनमोहक हंसी, और ये कातिलाना आवाज,” रागिनी सोचने पर विवश होने लगी.

“बस, पास ही है मेरा घर,” वह बोली. पार्क के इतना समीप घर लेने पर उसे कोफ्त होने लगी.

किंतु घर ले जाने की जगह पहले वे रागिनी को निकटतम अस्पताल ले चले, “पहले आप को अस्पताल में डाक्टर को दिखा लेते हैं.”

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उन्होंने रागिनी को फिर अपनी भुजाओं में उठाया और बिना हांफे उसे अंदर तक ले गए. वहां कागजी कार्यवाही कर के उन्होंने डाक्टर से बात की और रागिनी का चेकअप करवाया. उस की जांच कर के बताया गया कि पैर की हड्डी चटक गई है. 4 हफ्ते के लिए प्लास्टर लगवाना होगा. सुन कर रागिनी कुछ उदास हो उठी.

“आप के परिवार वाले कहां रहते हैं? बताइए, मैं बुलवा लेता हूं,” उसे चिंताग्रस्त देख वे बोले.

“वे सब दूसरे शहर में रहते हैं. यहां मैं अकेली हूं.”

“मैं हूं आप के साथ, आप बिलकुल चिंता मत कीजिए,” कहते हुए वे रागिनी को ले कर उस के घर छोड़ने चल पड़े.

घर में प्रवेश करते ही एक थ्री सीटर सोफा और एक सैंटर टेबल रखी थी. टेबल पर कुछ बिजनेस मैगजीन और सोफे पर कुछ कपड़े बेतरतीब पड़े थे.

घर की हालत देख रागिनी झेंप गई, “माफ कीजिएगा, घर थोड़ा अस्तव्यस्त है. वो मैं सुबहसुबह जल्दी में निकली तो…”

सोफे पर रागिनी को बिठा कर वे चलने को हुए कि रागिनी ने रोक लिया, “ऐसे नहीं… चाय तो चलेगी. मौसम की भी यही डिमांड है आज.”

“पर, आप की हालत तो अभी उठने लायक नहीं है,” उन्होंने कहा.

“डोंट वरी, मैं पूरा रेस्ट करूंगी. रही चाय की बात… तो वह तो आप भी बना सकते हैं. बना सकते हैं न?” रागिनी की इस बात पर उस के साथसाथ वे भी हंस पड़े.

रागिनी ने किचन का रास्ता दिखा दिया और उन्होंने चाय बनाना शुरू किया. दोनों ने चाय पी और एकदूसरे का नाम जाना. चाय पी कर वे लौटने लगे.

“फिर आएंगे न आप?” रागिनी के स्वर में थोड़ी व्याकुलता घुल गई.

“बिलकुल, जल्दी आऊंगा आप का हालचाल पूछने.”

“मुझे सुबह 7 बजे चाय पीने की आदत है,” जीभ काटते हुए रागिनी बोल पड़ी.

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“हाहाहा…” अनुराग की उन्मुक्त हंसी से रागिनी का घर गुंजायमान हो उठा. “जैसी आप की मरजी. कल सुबह पौने 7 बजे हाजिर हो जाऊंगा.”

आगे पढ़ें- अगली सुबह जब तक अनुराग आए, रागिनी नहाधो कर…

रागरागिनी: भाग 3- क्या रागिनी अधेड़ उम्र के अनुराग से अपना प्रेम राग छेड़ पाई?

एक दिन रागिनी ने अनुराग को अपने घर लंच पर न्योता दिया, “हर बार आप के हाथ का इंडियन खाना खाते हैं. आज मेरा हाथ का लेबनीज क्विजीन ट्राई कीजिए. वीडियो देख कर सीखा है मैं ने.”

“तुम खाना पकाओगी?” अनुराग ने रागिनी की खिंचाई की.

“मैं तो पका लूंगी, पर तुम को पच जाएगा कि नहीं, ये नहीं कह सकती,” आज रागिनी अनुराग को ‘आप’ संबोधन से ‘तुम’ पर ले आई. समीप आने के पायदान पर एक और सीढ़ी चढ़ते हुए.

“क्यों नहीं पचेगा? मुझे बुड्ढा समझा है?” अनुराग ने ठिठोली में आंखें तरेरीं. “अर्ज किया है – उम्र का बढ़ना तो दस्तूरेजहां है, महसूस न करें तो बढ़ती कहां है.”

“वाह… वाह… तो शायरी का भी शौक रखते हैं जनाब. आई मीन, माई ओल्ड मैन,” हंसते हुए रागिनी कम शब्दों में काफी कुछ कह गई.

“चलो, तुम कहती हो तो मान लेता हूं. हो सकता है कि मैं सच में बूढ़ा हो गया हूं. तुम्हारे बड़े भैया तो मुझे अंकलजी पुकारते हैं.”

“ऊंह… उन का तो दिमाग खराब है. तुम्हें पता है उन की एक गर्लफ्रेंड है – फिरंगी. फेसबुक पर मुलाकात हुई. फिर भैया उस से मिलने उस के देश हंगरी भी गए. पता चला, उसे भैया पर तभी विश्वास हुआ जब भैया ने प्रत्यक्ष रूप से उसे विश्वास दिलाया कि वे उस से प्यार करते हैं. इस का कारण – वह प्यार में 2 बार धोखा खा चुकी है. एक फिरंगी लड़की प्यार में धोखा खाए, इस का मतलब समझते हो न? उन के यहां शादी बाद में होती है, बच्चे पहले. तो फिर हुई न वो 2 बार शादीशुदा… लेकिन, मेरी फैमिली को कोई एतराज नहीं है. मुझे भी नहीं है. पर यही आजादी मुझे अपनी जिंदगी में भी चाहिए. मैं समाज का दोगलापन नहीं सह सकती. मैं हिपोक्रेट नहीं हूं. जो मुझे पसंद आएगा, उसे मेरे परिवार को भी पसंद करना पड़ेगा. उस समय कोई अगरमगर नहीं चलने दूंगी,” रागिनी बेसाख्ता कहती चली गई. अपने विचार प्रकट करने में वह निडर और बेबाक थी. अनुराग इशारा समझ चुके थे.

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“वो क्या कहती है तुम्हारी जेनेरेशन… इस बात पर तुम्हें हग करने को जी चाह रहा है,” अनुराग ने माहौल को हलका बनाते हुए कहा.

“ऐज यू प्लीज,” कहते हुए रागिनी ने अनुराग को गले लगा लिया. स्पर्श में अजीब शक्ति होती है, उसे शब्दों की आवश्यकता नहीं रहती. आलिंगनबद्ध होते ही दोनों एकदूसरे की धड़कन सुनने के साथसाथ, एकदूसरे का भोवोद्वेलन भी समझ गए. बात आगे बढ़ती, इस से पहले अनुराग ने रागिनी को स्वयं से दूर कर दिया.

“दिन में सपने देख रही हो?” अनुराग ने पूछ लिया.

“दिन में सपने देखने को प्लानिंग कहते हैं… और, मैं अपनी लाइफ की हीरो हूं, इसलिए इस के सपने भी मैं ही डिसाइड करूंगी,” रागिनी का अपने दिल पर काबू नहीं था. उस की चाहतों की टोह लेते हुए अनुराग को वहां से चले जाने में ही समझदारी लगने लगी.

अगले दिन जब अनुराग आए तो रागिनी के घर का नक्शा बदला हुआ था. लिविंग रूम के बीचोंबीच रखी सैंटर टेबल पर लाल गुलाबों का बड़ा सा गुलदस्ता सजा था. आसपास लाल रिबन से बने हुए ‘बो’ रखे थे. सोफे के ऊपर वाली दीवार पर एक कोने से दूसरे कोने तक एक डोरी में रागिनी की तसवीरें टंगी हुई थीं, जिन में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी.

अनुराग की नजर कभी किसी फोटो पर अटक जाती तो कभी दूसरी पर. हर तसवीर में एक से एक पोज में रागिनी की मनमोहक छटा सारे कक्ष को दीप्तिमान कर रही थी. आज कमरे के परदे खींच कर हलका अंधियारा किया हुआ था, जिन में दीवारों पर सजी फेयरी लाइट्स जगमगा रही थीं. पार्श्व में संगीत की धुन बज रही थी. शायद कोई रोमांटिक गीत का इंसट्रूमेंटल म्यूजिक चलाया हुआ था.

अनुराग अचकचा गए. आज ये घर कल से बिलकुल भिन्न था. “रागिनी,” उन्होंने पुकारा.

पिंडली तक की गुलाबी नाइटी में रागिनी अंदर से आई. उस के रक्ताभ कपोल, अधरों पर फैली मुसकान, आंखों में छाई मदहोशी, और खुले हुए गेसू – एक पल को अनुराग का दिल धक्क से रह गया. लगा जैसे वो उम्र के तीस वर्ष पीछे खिंचते चले गए हों. उन की नजर में भी एक शरारत उभर आई. नेह बंधन की कच्ची डोर ने दोनों को पहले से ही कस कर पकड़ना शुरू कर दिया था. आज के माहौल से आंदोलित हुई भावनाएं तभी थमीं, जब शरमोहया के सारे परदे खुल गए. आज जो गुजरा, उस के बारे में अनुराग ने सोचा न था. परंतु जो भी हुआ, दोनों को आनंदित कर गया.

अंगड़ाई लेते हुए रागिनी के मुंह से अस्फुट शब्द निकले, “आज सारे जोड़ खुले गए… कहीं कोई अड़चन नहीं बची.”

उसे प्रसन्न देख अनुराग भी प्रफुल्लित हो गए, “जानती हो रागिनी,” उस के बालों में उंगली फिराते हुए उन्होंने कहा, “मेरी शादी बहुत कड़वी रही. बहुत घुटन थी उस में. ऐसा तो नहीं हो सकता न कि हम सांस भी न लें और जिंदा भी रहें. खैर, मैं भी पता नहीं क्या बात ले बैठा… इस समय, तुम से… न जाने क्यों?”

“मुझे अच्छा लगा यह जान कर कि तुम ने मेरे समक्ष अपने दिल की परत खोली. प्रेम केवल अच्छी बातें, सुख और कामना नहीं. प्रेम में मन का कसेलापन भी शामिल होता है. प्रेम में हम दुखतकलीफें न बांट सकें तो फिर ये तकल्लुफ हुआ, प्यार नहीं,” रागिनी अनुराग के और निकट आ कर संतुष्ट हुई.

बाहर टिपटिप गिरती बूंदें एक राग सुनाने लगीं. कमरे के अंदर आती पवन चंपई गंध लिए थी. आज की खामोशी में एक संगीत लहरा रहा था. प्यार उम्र नहीं देखता, समर्पण चाहता है.

इस प्रकरण के बाद रागिनी और अनुराग के बीच एक अटूट रिश्ता बन गया. अब उन्हें बातों की आवश्यकता नहीं पड़ती. आंखों से संपर्क साधना सीख लिया था उन के रिश्ते ने. दोनों के बीच एक लहर प्रवाहित होती जो मौन में भी सबकुछ कह जाती. मन के सभी संशय मीठे अनुनाद में बदल चुके थे. यही तो सच्चा और अकूत प्रेम है.

जब रागिनी का प्लास्टर उतरा, तब वह पहली बार अनुराग के घर गई.

“तो यहां रहते हैं आप?” बिना किसी तसवीर या चित्रकारी के नीरस दीवारें, बेसिक सा सामान, पुराने बरतन, पुराना फर्नीचर. घर में कुछ भी आकर्षक नहीं था. लेकिन रागिनी चुप रही. हर किसी का जीने का अपना एक ढंग होता है. उस पर आक्रमण किसी को नहीं भाता. जो कुछ बदलाव लाएगी, वो धीरेधीरे.

“अपने फोटो एलबम दिखाइए,” रागिनी की डिमांड पर अनुराग कुछ एलबम ले आए. उन में अनुराग के बचपन की, जवानी की तसवीरें देख रागिनी हंसती रही.

“पहले मेरे बाल काफी काले थे,” अपने खिचड़ी बालों की वजह से सकुचाते हुए अनुराग बोले, “क्या फिर कलर कर लूं इन्हें?”

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“नहीं, आप साल्ट एंड पेपर बालों में ही जंचते हैं. ये तो आजकल का फैशन है. मैच्यौर्ड लुक, यू सी,” रागिनी ने कहा. फिर मौके का फायदा उठाते हुए वह कहने लगी, “अगर कुछ चेंज करना ही है तो इस घर में थोड़े बदलाव कर दूं? यदि आप कहें?”

“मेरा सबकुछ तुम्हारा ही तो है. जो चाहो करो,” अनुराग से अनुमति पा कर रागिनी हर्षित हो उठी.

“ठीक है, तो कल से ही काम चालू,” कह कर रागिनी खिलखिला पड़ी.

अब रागिनी अकसर अनुराग के घर आती, और वो उस के. दोनों एकदूसरे के हो चुके थे – तन से भी, मन से भी और काम से भी. एक खुशहाल साथ बसर करते दोनों को कुछ हफ्ते बीत चुके थे कि एक दिन अनुराग कहने लगे, “ऐसे कब तक चलेगा, रागिनी? मेरा मतलब है कि बिना शादी किए हम यों ही…”

“क्यों, आप को कोई परेशानी है इस अरेंजमेंट से?”

“नहीं, मुझे गलत मत समझो रागिनी, तुम्हारे आने से मेरे मुरदा जीवन में जैसे प्राण आने लगे हैं. इस बेजान मकान को एक घर की सूरत मिलने लगी है. तुम ने इस की शक्ल बदल कर मुझ पर बड़ा एहसान किया है. पर तुम एक जवान लड़की हो, क्या तुम्हारे परिवार वाले मुझे स्वीकारेंगे?” अनुराग ने अपने मन में उठती शंकाओं के पट खोल दिए.

“शादी किसी रिश्ते को शक्ति व सामर्थ्य देने का ढंग है, बस. जब हम दोनों एकदूसरे के हो चुके हैं, तो फिर हमें किसी बाहरी ठप्पे की जरूरत नहीं है. हम जैसे हैं, खुश हैं.

“रही बात समाज की, तो समाज हम से ही बनता है. हमारी नीयत में जब खोट नहीं तो हम किसी से क्यों डरें?”

रागिनी के विचार सच में आज की पीढ़ी की बेबाक सोच प्रस्तुत कर रहे थे. जबकि अनुराग के विचार अपनी पीढ़ी के ‘लोग क्या कहेंगे’ की परिपाटी दर्शा रहे थे. यही तो फर्क है दोनों में. मगर जब सोच लिया कि साथ निभाना है तो फिर घबराना कैसा? मुश्किलों का आना तो पार्ट औफ लाइफ है. उन में से हंस कर बाहर आना, यही आर्ट औफ लाइफ है.

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रागरागिनी: भाग 2- क्या रागिनी अधेड़ उम्र के अनुराग से अपना प्रेम राग छेड़ पाई?

अनुराग से मिल कर रागिनी जैसे खिल उठी. आज उस का मन शारीरिक पीड़ा होने के बाद भी प्रफुल्लित हो रहा था. ऐसा क्या था आज की मुलाकात में जिस ने उस के अंदर एक उजास भर दिया. उस का चेहरा गुलाबी आभा से दमकने लगा. पैर के दर्द को भुला कर वह गुनगुनाने लगी, “मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी, मुझ से खुद में घोल दे तो मेरे यार बात बन जानी…”

अगली सुबह जब तक अनुराग आए, रागिनी नहाधो कर अपने गीले केश लहराती किचन के पास आरामकुरसी डाल कर बैठ चुकी थी. उस का एक मन अनुराग के आकर्षण में बंधा प्रतीक्षारत अवश्य था, परंतु दूसरा मन उन के निजी जीवन में उपस्थित लोगों के प्रति चिंताग्रस्त था. उन का अपना परिवार भी तो होगा, यही विचार रागिनी के उफनते उत्साह पर ठंडे पानी के छींटे का काम कर रहा था.

“तो आप अर्ली राइजर हैं,” उसे एकदम फ्रेश देख कर अनुराग बोले.

“बस, आप का इंतजार कर रही थी, इसलिए आज जल्दी नींद खुल गई,” रागिनी की आंखों में अलग सा आकर्षण उतर आया. उस की भावोद्वेलित दृष्टि देख अनुराग कुछ विचलित हो गए. आगे बात न करते हुए वे चाय बनाने लगे.

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“तो तय रहा कि अगले एक महीने तक आप यों ही रोज मेरे लिए चाय बनाएंगे,” रागिनी कह तो गई, पर सामने से कोई प्रतिक्रिया न आने पर संशय से घिर गई, “आप के घर वाले… आई मीन… आप की वाइफ और बच्चे… कहीं उन्हें बुरा तो नहीं लगा आप का मेरे घर इतनी सुबह आना.”

कुछ क्षण मौन रहने के पश्चात अनुराग कहने लगे, “मेरे कोई बच्चा नहीं है. एक अदद बीवी थी, पर उस से तलाक हुए एक अरसा बीत चुका है. मैं यहां अकेला रहता हूं.”

“तो फिर कोई दिक्कत नहीं. आज से मौर्निंग टी हम दोनों साथ में पिएंगे. यही पक्का रहा…?” कहते हुए उस ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. अनुराग ने भी खुश हो कर उस से हाथ मिला लिया.

“आप की जेनेरेशन की यही बात मुझे बेहद पसंद है – नई चीजें, नए आयाम करने में आप लोग घबराते नहीं हैं. एक हम थे – बस लकीर के फकीर बने रहे ताउम्र,” रागिनी के बिजनेस के बारे में जान कर अनुराग बोले.

“चलिए, आप की जेनेरेशन का एक गाना सुनाती हूं,” कहते हुए रागिनी ने यूट्यूब पर एक गाना लगा दिया, “मैं तेरी, तू मेरा, दुनिया से क्या लेना…” उस का विचार था कि संगीत वातावरण को और भी रूमानी और खुशनुमा बनाता है.

“ये भी मेरे जमाने का गाना नहीं है,” कह कर अनुराग हंस पड़े, “अपने जमाने का गाना मैं सुनाता हूं,” और वे गाने लगे, “जीवन से भरी तेरी आंखें, मजबूर करें जीने के लिए…”

उन की मदहोश करने वाली आवाज में किशोर कुमार का ये अमर गीत जादू करने लगा. सभवतः रागिनी की नजरों में उठतेगिरते भावों को पढ़ने में अनुराग सक्षम थे. उन्होंने अपनी बात गीत के जरीए रागिनी तक पहुंचा दी. गीत के बोलों ने पूरे समां को रंगीन कर दिया. आज की सुबह का नशा रागिनी पर शाम तक बना रहा.

अगले दिन सवेरे जब अनुराग आए तो देखा, रागिनी का बड़ा भाई आया हुआ है. उस के प्लास्टर की बात सुन कर वह उस की खैरखबर लेने आ पहुंचा.

“ये हैं मेरे भैया… और ये हैं अनुरागजी, मेरे दोस्त,” रागिनी ने दोनों का परिचय करवाया.

“अंकलजी, अच्छा हुआ कि आप पास में रहते हैं. आप जैसे बुजुर्ग की छत्रछाया में रागू को छोड़ने में हमें भी इस की चिंता नहीं रहेगी,” भाई ने बोला, तो रागिनी का मुंह बन गया.

“अनुरागजी, बैठिए न. आज चाय बनाने की जिम्मेदारी मेरे भैया की. आप बस मेरे साथ चाय का लुत्फ उठाइए,” उस ने फौरन बीच में बोला.

अनुराग रागिनी की बात का मर्म समझ गए शायद, तभी तो मंदमंद मुसकराहट के साथ उस के पास ही बैठ गए.

चाय पीने के बाद इधरउधर की बातें कर रागिनी के भैया ने कहा, “अंकलजी, कल मैं लौट जाऊंगा. प्लीज, रागू का ध्यान रखिएगा.”

“क्या बारबार अनुरागजी को अंकलजी बोल रहे हो, भैया,” इस बार रागिनी से चुप नहीं रहा गया. उस के दिल का हाल भैया की समझ से परे था, सो बड़े शहरों के चोंचले समझ कर चुप रह गए.

प्लास्टर बंधे 2 हफ्ते बीत चुके थे. अनुराग हर सुबह रागिनी के घर आते, चाय बनाते, कभीकभी नाश्ता भी, और दोनों एक अच्छा समय साथ बिताते.

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अनुराग की मदद से रागिनी अपने कई काम निबटा लेती. दोनों का सामीप्य काफी बढ़ गया था. दोनों एकदूसरे के गुणोंअवगुणों से वाकिफ होने लगे थे. एक रिश्ते को सुदृढ़ बनाने के लिए ये आवश्यक हो जाता है कि एकदूसरे की खूबियां और कमियां पहचानी जाएं और पूरक बन कर एकदूजे की दुर्बलताओं की पूर्ति की जाए. जिन कामों में रागिनी अक्षम थी जैसे अच्छा खाना पकाना, उसे अनुराग सिखाते. और जिन कामों में अनुराग पीछे थे जैसे आर्थिक संबलता के काम उन में वे रागिनी से सलाह लेने लगे थे. दोनों को एकदूसरे पर विश्वास होने लगा था.

प्लास्टर लगा होने के कारण रागिनी अपने काल सैंटर नहीं जा पा रही थी. बिजनेस पर इस का प्रभाव पड़ने लगा.

रागिनी की परेशानी अनुराग के अनुभव भरे जीवन के तजरबों ने दूर कर दी. बिना किसी नियुक्तिपत्र या वेतन के अनुराग ने रागिनी के काल सैंटर जाना आरंभ कर दिया. अब वे प्रतिदिन तकरीबन 5-6 घंटों के लिए उस के औफिस जाने लगे. मालिक के आने से मातहतों की उत्पादकता में फर्क आना वाजिब है. काल सैंटर का बिजनेस पहले से भी बेहतर चलने लगा.

“आप के अनुभव मेरे बहुत काम आ रहे हैं. इस के लिए आप को ट्रीट दूंगी,” रागिनी अपनी बैलेंस शीट देख कर उत्साहित थी.

“क्या ट्रीट दोगी? मुझे कोई भजन की सीडी दे देना.”

“व्हाट? भजन… मेरे पापा भी भजन नहीं सुनते हैं. खैर, वो आप से उम्र में छोटे भी तो हैं,” कह कर रागिनी ने कुटिलता से मुसकरा कर अनुराग की ओर देखा. फिर पेट पकड़ कर वह हंसते हुए कहने लगी, “आप की लेग पुलिंग करने में बड़ा मजा आता है. पर अगर आप सीरियस हैं तो मैं आप को बिग बैंग थ्योरी पर एक वीडियो शेयर करूंगी, ताकि आप की सारी गलतफहमी दूर हो जाए कि ये दुनिया कैसे बनी.”

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“मैं मजाक कर रहा हूं. जानता हूं कि दुनिया कैसे बनी. मैं तो बस तुम्हें अपनी उम्र याद दिलाना चाह रहा था,” अनुराग अब भी गंभीर थे. शायद मन में उठती भावनाओं को स्वीकारना उन के लिए कठिन हो रहा था. परंतु रागिनी की इस रिश्ते को ले कर सहजता, सुलभता और स्पष्टता उन्हें अकसर चकित कर देती.

आगे पढ़ें- एक दिन रागिनी ने अनुराग को…

15 साल में इतनी बदल गई हैं ‘गोपी बहू’, ट्रांसफॉर्मेशन देख फैंस रह जाएंगे दंग

बिग बौस 14 में नजर आ चुकीं एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) आए दिन सुर्खिय़ों में रहती हैं. जहां उनका गोपी बहू अंदाज घर घर में फेमस है तो वहीं सोशलमीडिया पर उनका हौट अवतार इन दिनों तहलका मचा रहा है. इसी बीच की कॉलेज की कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसमें उनका ट्रांसफोर्मेशन देखकर फैंस हैरान हैं. आइए आपको दिखाते हैं देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) का शौकिंग ट्रांसफौर्मेशन…

कालेज की फोटोज वायरल

एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी भरतनाट्यम ने हाल ही में अपने डांस की कुछ फोटोज शेयर की हैं, जिसमें वह कलाक्षेत्र फाउंडेशन में डांस सीखते हुए नजर आ रही हैं. वहीं कुछ फोटोज में वह कौम्पिटीशन में भी हिस्सा लेते हुए नजर आ रही हैं, जिसकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर छा गई हैं.

 

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20 साल की उम्र में था ऐसा लुक

15 साल बाद देवोलीना का ये ट्रांसफोर्मेशन देख कर जहां उन्हें पहचान पाना भी मुश्किल है तो वहीं फैंस उनकी तारीफें करते नहीं थक रहे हैं. दूसरी तरफ, कुछ ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल भी कर रहे हैं. हालांकि देवोलीना के इस ट्रांसफोर्मेशन में वह आज भी पहले की तरह सुंदर लग रही हैं.

डांस की शौकीन हैं देवोलीना

 

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असम की रहने वाली देवोलीना भट्टाचार्जी डांस की शौकीन हैं. इसी के चलते वह  भरतनाट्यम और डांस की अन्य बारीकियां सीख चुकी हैं. वहीं देवोलीना भट्टाचार्जी ‘डांस इंडिया डांस के दूसरे सीजन’ में भी नजर आ चुकी हैं. हांलांकि वह केवल टॉप-100 में सिलेक्ट हो पाईं थीं.

गोपी बहू के रुप में जानते हैं लोग

 

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डांस के बाद देवोलीना ने 2011 में टीवी शो ‘संवारे सबके सपने प्रीतो’ से डेब्यू किया. हालांकि उन्हें ‘साथ निभाना साथिया’ की ‘गोपी बहू’ के जरिए फैंस के बीच सराहना मिला. वहीं इसके बाद अपनी संस्कारी बहूं की इमेज से अलग पहचान बनाने के लिए गोपी बहू से परे बिग बौस 13 में हौटनेस का तड़का लगाती नजर आईं.

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अनुपमा जानेगी अपनी बीमारी का सच तो वनराज लेगा तलाक का फैसला, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां हाल ही में सीरियल में एक्टर अपूर्वा अग्निहोत्री की एंट्री हुई है तो वहीं अनुपमा को ओवेरी कैंसर होने की बात शाह परिवार के सामने आ गई है. लेकिन आने वाले एपिसोड में मेकर्स और नए धमाके लाने को तैयार हैं आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा के लिए शाह परिवार ने लिया ये फैसला

अब तक आपने देखा कि डौक्टर अद्वैत ने वनराज और उसके परिवार के सामने अनुपमा की बीमारी का खुलासा कर दिया है. वहीं यह जानने के बाद पूरा शाह परिवार टूट गया है. हालांकि वह अनुपमा के लिए खुश रहने का फैसला करते हैं ताकि उसे बीमारी के बारे में ना पता चल सके.

 

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वनराज लेगा तलाक का फैसला

 

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अनुपमा की बीमारी जानने के बाद जहां वनराज टूट गया है तो वहीं वह तलाक ना लेने का फैसला करता है. लेकिन आने वाले एपिसोड में वनराज ये फैसला बदलने वाला है. दरअसल, समर वनराज से कहता है कि अगर आप उसकी मां को खुश देखना चाहते है तो उन्हें तलाक दे दीजिए, जिसके कारण अपकमिंग एपिसोड में वह अनुपमा को तलाक दे देगा.

 

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अनुपमा जानेगी सच

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा को खुश रखने के लिए जहां पूरा शाह परिवार खुश होने का नाटक कर रहा है तो वहीं काव्या ने वनराज को छोड़ने का फैसला कर लिया है. लेकिन अब आगे अनुपमा को उसकी बीमारी का सच पता लग जाएगा. वहीं वह अपने परिवार से कहेगी कि वह कब तक उसकी मौत का सच छिपाने वाले हैं. दूसरी तरफ डौक्टर अद्वैत को अनुपमा की बीमारी को लेकर कुछ अंदेशा होगा. इसके लिए वह शाह परिवार में कदम रखेगा.

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर में प्रेग्नेंट महिलाएं रहें सावधान, पढ़ें खबर

कोविड महामारी की दूसरी लहर में प्रेग्नेंट महिलाओं के बारें में सोचना आवश्यक है, क्योंकि प्रेग्नेंट महिलाएं वैसे भी किसी प्रकार के इन्फेक्शन के चपेट में आसानी से आ जाती है. इस महामारी में वे खुद को बचाने की कोशिश करने के बावजूद संक्रमित हो जा रही है. इस बार  कोरोना संक्रमण का पता लगाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इस बार बिना लक्षण के अधिकतर लोग संक्रमित हो रहे है, क्योंकि ये संक्रमण हवा में फ़ैल रहा है, ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है.

कोविड टेस्ट है जरुरी  

इस बारें में खारघर, नवी मुंबई की मदरहुड हॉस्पिटल की ऑब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. प्रतिमा थमके कहती है कि इस महामारी में हर प्रेग्नेंट महिला को अपने डॉक्टर के कांटेक्ट में रहना चाहिए, क्योंकि इस बार कोरोना बहुत जल्दी फ़ैल रहा है और बहुत जल्दी सबको अपनी चपेट में ले रहा है, जैसा पहली वेब में नहीं था. बड़े अस्पताल डिलीवरी टाइम के नजदीक आते ही कोविड टेस्ट करा लेते है. अगर रिपोर्ट पोजिटिव आता है, तो उसे कोविड हॉस्पिटल में भेजा जाता है. ऐसा करना बहुत जरुरी है, क्योंकि प्रेग्नेंट कोविड पॉजिटिव को अलग रखना जरुरी है. किसी को भी डरने की आवशयकता नहीं है, लेकिन जो भी सावधानी कोविड के लिए है, उसका पालन करें, मसलन डिस्टेंस रखना, मास्क पहनना और बार-बार हाथ धोना. इससे कोविड वायरस के संक्रमित होने का चांस कम रहते है, पर इस बार सब फोलो करके भी कोविड हो रहा है.  कोविड पॉजिटिव व्यक्ति को तुरंत आइसोलेट करना जरुरी है. कोविड निगेटिव होने के बाद ही उसे बाहर निकलने की अनुमति होनी चाहिए. खुद को प्रोटेक्ट करना चाहिए. कोविड पॉजिटिव बहुत कम प्रेग्नेंट लेडी को होता है, लेकिन कोविड पॉजिटिव होने पर प्रेग्नेंट महिला को बाकी लोगों के जैसे ही चिकित्सा दी जाती है.

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बचे अफवाहों से    

इसके आगे डॉ. प्रतिमा कहती है कि आजकल अफवाहें ये भी फ़ैल रही है कि पीरियड्स में वैक्सीन न लें, जो गलत है. पीरियड से पहले, पीरियड के दौरान और बाद में उतनी ही इम्युनिटी आती है, जितना बाकी समय पर वैक्सीन लेने से होता है. वैक्सीन और पीरियड्स का कोई सम्बन्ध नहीं है, ये अफवाह है, इसे विश्वास न करें. प्रेग्नेंट महिलाये वैक्सीन ले सकती है या नहीं. इस पर अभी कोई गाइडलाइन्स सरकार की तरफ से जारी नहीं किया गया है. जबकि कई दूसरे वैक्सीन आज भी प्रेग्नेंट महिला को दिए भी जाते है. जब भी प्रेग्नेंट महिला के लिए भी वैक्सीन लेना जरुरी होगा, उम्मीद है उन्हें भी इसका फायदा दिखेगा. इसके लिए अभी थोडा इंतज़ार करने की जरुरत है. मैं जहाँ काम करती हूँ, वह नॉन कोविड अस्पताल है, इसलिए कोविड टेस्ट के बाद ही उसे यहाँ जगह दी जाती है. एक बार ऐसा भी हुआ है कि महिला इमरजेंसी में मेरे पास आई और उसकी डिलीवरी करनी पड़ी, बाद में वह कोविड पॉजिटिव निकली. डिलीवरी के बाद उसे कोविड अस्पताल में शिफ्ट करना पड़ा. असल में एक डिलीवरी में डॉक्टर से लेकर कई नर्सेस होती है, जिसे कोविड हो सकता है. जिन लोगों ने वैक्सीन लिया है, उन्हें भी कोविड होता है, लेकिन सीवियरिटी कम होती है. मेरा सभी महिलाओं से कहना है कि वे कोरोना के गाइडलाइन्स मानकर घर में रहे.

वायरस लोड होता है कम 

इस बार कोविड में गर्भवती महिलाओं के इन्फेक्शन अधिक हो रहे है, जिसका ध्यान डॉक्टर्स को भी रखना पड़ रहा है. नवी मुंबई की रिलायंस हॉस्पिटल की हेड ऑब्स्टेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. बंदिता सिन्हा कहती है कि इस कोविड पीरियड में कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना संक्रमण पहले से अधिक देखा जा रहा है, लेकिन वे अधिकतर एसिमटेमेटिक है. जांच करने पर ही कोविड पॉजिटिव आ रहा है. पिछले साल से अबतक कोविड पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं में ‘माइल्ड टू मॉडरेट’ ही रहा है और इसके लिए होम क्वारेंटीन कर ऑनलाइन कंसल्टेशन के द्वारा उन्हें दवाईयां दी जाती है. केवल 1 प्रतिशत महिला मॉडरेट टू सीवियर होने पर अस्पताल भेजना पड़ता है, जिसमें बहुत कम को इंटेंसिव केयर यूनिट में रखना पड़ता है. कोविड का प्रभाव प्रेग्नेंसी में अधिक नहीं होता. पिछले साल से लेकर इस साल तक 30 से 40 महिलाएं ही कोविड पॉजिटिव पाई गयी. कोविड पॉजिटिव  से ठीक होने पर किसी प्रकार की मिसकैरिज या साइड इफ़ेक्ट गर्भवती महिलाओं में नहीं दिखा, लेकिन किसी गर्भवती महिला का कोविड पॉजिटिव 34 या 36 सप्ताह में अधिक सीवियर होने पर प्री टर्म डिलीवरी की संभावना रहती है, लेकिन वह भी कम ही होता है.

स्वस्थ माँ और शिशु  

डॉक्टर बंदिता का कहना है कि डिलीवरी समय नजदीक आते ही आरटी पीसीआर टेस्ट करवा लिया जाता है, क्योंकि ये दूसरे मरीज, डॉक्टर्स और नर्सेज की सुरक्षा से सम्बंधित होता है. अगर डिलीवरी के समय कोविड पॉजिटिव हुआ, तो उस महिला को कोविड वार्ड में ले जाकर प्लानिंग कर डिलीवरी कराई जाती है. अभी तक एक साल में मैंने 60 से 70 महिला की डिलीवरी कराई है. सभी माँ और बच्चे स्वस्थ है. यूनाइटेड किंगडम के छपी एक डेटा में भी यह बात सामने आई है कि प्रेग्नेंट महिलाओं में कोविड पॉजिटिव बाकी महिलाओं की तुलना में कम पायी गयी है. इसके अलावा डिलीवरी के बाद भी किसी प्रकार की समस्या बच्चे और माँ में नहीं देखी गई. माँ के कोविड पॉजिटिव होने के बावजूद न्यू बोर्न बेबी निगेटिव दिखा.

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इसके आगे डॉ.बंदिता कहती है कि अगर कोई महिला अस्थमा, डायबिटीज, या हाईपरटेंशन के साथ प्रेग्नेंट होती है, तो उनमें कोविड ही नहीं,किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है. हेल्दी लेडी के लिए प्रेगनेंसी में कोविड ना के बराबर है. कोविड की दूसरी लहर में केवल एक प्रेग्नेंट महिला जो 33 या 34 सप्ताह की है, उसे कोविड पॉजिटिव होने की वजह से वेंटिलेटर पर जाना पड़ा, पर अभी वह ठीक है, थोड़े दिनों में उसकी डिलीवरी होगी. इस समय कुछ सावधानियां गर्भवती महिलाओं के लिए निम्न है,

  • अधिक से अधिक घर में रहने की कोशिश करें, बाहर निकलने पर सर्जिकल मास्क के ऊपर नरम कपडे की मास्क पहने, केवल एक कपडे की मास्क वायरस को रोकने के लिए सही नहीं होती,
  • फेस शील्ड पहनना भी अच्छा है, जिससे नाक और मुंह अच्छी तरह ढकी रहे,
  • कामवाली बाई या कुरियर सर्विस आने पर उनका बाहर न निकलना,
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, हाथ बार-बार धोना, सेहतमंद भोजन करना,
  • जरुरत के बिना अस्पताल न जाना, ऑनलाइन कंसल्टिंग करना और खुश रहना,
  • डॉक्टर की गाइडलाइन्स को फोलो करते रहना आदि.
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कोरोना और अस्पतालों की हालत

सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों से चल रही है कि हम ने तो वोट मंदिर वालों को दिए थे तो अस्पताल कैसे मिलेंगे. यह गनीमत है कि लोगों को सदियों बाद ख्याल आया है कि मंदिरों से इलाज नहीं होता. हमारे देश में चप्पेचप्पे पर मंदिर बिखरे हुए. 10 साल पुराने मंदिर के सामने भी बोर्ड लगा है कि यह प्राचीन मंदिर है. पक्की इमारतें जिन पर हम गर्व करते हैं ज्यादातर मंदिर हैं.

मुसलमानों ने शहर बसाए थे या फिर ……हड़प्पा सभ्यता में शहर बसे थे. पौराणिक गाथाओं में आश्रमों का जिक्र ज्यादा है, महलों का कम है. अस्पतालों का तो नामोनिशान तब भी नहीं था और आज की सरकार की भी यह प्राथमिकता नहीं है. लोग अब पछता रहे हैं पर अब शायद देर हो चुकी है.

धाॢमक पाठ पढ़ाना आसान है क्योंकि धर्म की एजेंट घरघर आता है. अस्पताल वाले घरघर जा कर चंदा नहीं मांगेगे. डाक्टर कभी भी बेबात में घर पर विजिट कर के नहीं कहेगा कि आप को स्वस्थ रखने के लिए आप डाक्टर को कंसल्ट उन के व्यवसाय में स्वप्रचार ही प्रतिबंधित है. धर्म का व्यापार तो प्रचार भी निभर है और उन के घरघर में एजेंट हैं क्योंकि बहुत सी घरेलू हस्तियों को भी धर्म के सहारे मौत करने का मौका मिलता है.

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आधुनिक चिकित्सा आसानी से सुलर्म होने से पहले इस देश में हैजा, प्लेग, मलेरिया जैसी महामारियां थीं. टीबी, पोलियो जैसे रोग थे पर सब का उपाय था कोई यज्ञ कराना, कोई हवन कराना, आज भी इस मानसिकता के अवशेष मौजूद है. कोरोना से पहले तो कैंसर तक के लिए पूजापाठ का सहारा लिया जाता रहा है. आयुर्वेद का नाम ले कर दावे किए जाते हैं कि उस में कैसर रोग का अचूक उपाय है. दावे करने वाले पहुंचते अस्पतालों में ही है यह इस बात का सुबूत है कि न न करते हुए भी देश में मंदिरों से बड़े अस्पताल ही बन कर खड़े हो गए हैं जो आज लाखों कोविड मरीजों को शरण दिए हुए हैं.
भाजपा के अंध समर्थक आज भी यह समझने को तैयार नहीं है कि जब साधन सीमित हो तो पूंजी का उपयोग वहां हो जहां उस की जरूरत है.

कोविड से पहले भी अस्पतालों की दिक्कत आ रही थी. एम्स में लंबी लाइनें लगी रहती थीं. प्राथमिक चिकित्सा सेवा नीम हकीमों के हाथ जा चुकी थी. देश गांवगांव में अच्छी चिकित्सा सुविधा होने में असफल था. हां गांवगांव में अच्छा मंदिर जरूर बन गया जिस का शिखर दूर से दिख जाता है.

बात सिर्फ वोट की नहीं. बात सिर्फ अयोध्या, काशी के मंदिरों की नहीं. बात पूरी मानसिकता है कि पूजापाठ, देवीदेवताओं के बल पर स्वस्थ रह सकते हो, सुख पा सकते हो, संपन्न हो सकते हो. जो लोग देश के राज या अपने भविष्य के लिए अपना दांव मंदिर मूॢत पर लगाएंगे, उन्हें करोना का डंक ज्यादा जोर से लगेगा, यह पक्का है, अमेरिका भी धर्मभीरू बन गया है और ब्राजील हमेशा से है. दोनों खासे उदाहरण हैं.

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दुल्हन बनीं सुगंधा मिश्रा का हर फंक्शन में था अलग अंदाज, फोटोज वायरल

टीवी की पौपुलर कॉमेडियन और सिंगर सुगंधा मिश्रा (Sugandha Mishra) ने हाल ही में शादी की हैं. वहीं सोशलमीडिया पर उनकी शादी की फोटोज सुर्खियों में है. 26 अप्रैल को डौक्टर संकेत भोसले के साथ सुगंधा मिश्रा ने सात फेरे लिए हैं. इस दौरान उनका लुक किसी राजकुमारी से कम नही लग रहा था. वहीं हल्दी से लेकर शादी तक सुगंधा मिश्रा के एक से बढ़कर लुक फैंस को काफी पसंद आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं सुगंधा मिश्रा के वेडिंग फंक्शन के लुक्स…

हल्दी में था कुछ ऐसा लुक

दरअसल, हाल ही में सुगंधा मिश्रा ने अपने हल्दी सेलिब्रेशन की एक वीडियो शेयर की हैं, जिसमें ये कपल डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं हल्दी सेरेमनी में सुगंधा पीले रंग की साड़ी के साथ फ्लावर वाली ज्वैलरी पहने नजर आ रही हैं, जिसमें उनका लुक काफी खूबसूरत लग रहा है.

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मेहंदी में परी लग रही थीं सुगंधा

ग्रीन कलर के लहंगे में जहां सुगंधा मिश्रा परी लग रही थीं. तो वहीं अपनी मेहंदी लगने के बाद सुगंधा खुशी के मारे झूमती हुई भी नजर आ रही थी.

सगाई में था खास लुक

औफशोल्डर यैलो कलर् के ब्लाउज के साथ पिंक कलर की हैवी लहंगे में सुगंधा का लुक बेहद स्टाइलिश लग रहा था. वहीं दूल्हे संकेत ने भी मैचिंग कलर का आउटफिट पहना हुआ था.

शादी का लहंगा था खास

सुगंधा मिश्रा ने अपनी शादी के खास दिन के लिए गुलाबी और क्रीम कलर के लहंगे का चुनाव किया था. जिसके गुलाबी रंग की मैचिंग चुन्नी और क्रीम कलर की ज्वैलरी उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था. इस लुक में सुगंधा के पति संकेत भोसले नजरे नहीं हटा पा रहे थे.

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Aashirvaad के साथ अब खुद बनाएं अपना ‘चक्की आटा’

‘आशीर्वाद चक्की आटा’ आपके लिए लाया है एक खास पेशकश. जहां आप घर बैठे ही अपनी पसंद के हिसाब से आटा पिसवा सकते हैं और मंगवा सकते हैं. वो भी कम समय और किफायती दाम में. जी हां, कई बार बाजार में मिलने वाले आटे में हमे मनचाहा स्वाद नहीं मिल पाता लेकिन ‘आशीर्वाद’ की इस नई सुविधा के साथ न सिर्फ मनचाहा आटा पा सकते हैं बल्कि अपनी सेहत के हिसाब से जरूरी पोषक तत्त्व भी शामिल करवा सकते हैं.

इसके लिए आपको फॉलो करने होगे कुछ सिंपल स्टेप्स… आइए जानते हैं…

सबसे पहले https://itcstore.in/ को ओपन करें और अपना पिन कोड डाले.

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Meri Chakki atta tab पर क्लिक करें.

अब अपनी जरूरत के अनुसार आवश्यक पोषक तत्त्व शामिल करें और नेक्सट बटन पर क्लिक करें.

अपनी पसंद का गेंहू चुनें.

बारीक, मीडियम या मोटा, आपको जैसा आटा चाहिए वैसा आटा चुनें.

अपनी जरूरत के हिसाब से आटे की मात्रा सेलेक्ट करें.

आपका ऑर्डर तैयार है.

एक बार चेक करें और फिर ऑर्डर करें.

हमें उम्मीद है कि ‘आशीर्वाद चक्की आटा’ की ये नई पहल आपको जरूर पसंद आएगी तो फिर देर किस बात की, अभी क्लिक करिए और शुरू कीजिए सेहतमंद खाने की शुरुआत…

Balika Vadhu एक्ट्रेस Avika Gor ने बताया परिवार को कोरोना होने दर्द, कही ये बात

कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच दवाई और औक्सीजन की किल्लत ने लोगों को मुसीबत में डाल दिया है. वहीं इसका असर स्टार्स की लाइफ में भी देखने को मिल रहा है. जहां कई स्टार कोरोना की चपेट में आ रहे हैं तो वहीं इससे उनका परिवार भी नही बच पाया है. इसी बीच कोरोना का दर्द झेल चुकीं बालिका वधू एक्ट्रेस अविका गौर ने अपनी फैमिली के कोरोना होने के बाद का दर्द बयां किया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं अविका गौर….

कोरोना को बताया डरावना

सीरियल बालिका वधू में नजर आ चुकी एक्ट्रेस अविका गौर ने भी कोरोना से जुड़े अपने डरावने एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए एक पोस्ट शेयर किया है. अविका ने लिखा, अपनी इस फोटोज के जरिए मैं आप सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहती हूं. मैं आपसे उस मुद्दे के बारे में बात करना चाहती हूं जो कि सबके लिए मायने रखता है. कोरोना वायरस काफी डरावना है. आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो लगभग 2 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. हालांकि यह हर कोई जानता है कि रियल में ये आंकड़े इन नंबर से कहीं ज्यादा है. हमारे देश में 17 मिलियन से अधिक लोग इस वायरस का दर्द झेल चुके हैं. वहीं हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बेकार हो चुकी है.’

 

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फैंस से मांगी मदद

 

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फैंस को कोरोना के लिए आगाह करते हुए अविका गौर ने कहा, ‘फिलहाल हम हेल्थ सिस्टम का कुछ भी नहीं कर सकते. लेकिन ऐसे में हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. मेरा परिवार भी कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है. मेरे लिए ये ऐहसास बहुत बुरा है. मैं डरी हुई हूं लेकिन मुझे इस बात की संतुष्टि है कि मेरा परिवार बच गया. मैं किसी को भी खोना नहीं चाहती. जो लोग भी कोरोना से लड़ाई कर चुके हैं वो सभी लोग प्लाज्मा डोनेट कीजिए. अस्पताल वाले प्लाज्मा लेने में बहुत सावधानी बरत रहे हैं.’

वैक्सीन लगवाने की दी सलाह

 

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अविका गौर ने कहा, ‘मौका मिलते ही वैक्सीन लगवाएं. भले ही वैक्सीन आपको कोरोना से नहीं बचा सकता लेकिन ये आपको लड़ने की शक्ति देगा. मैं किसी को ज्ञान नहीं दे रही हूं. मैं बस लोगों से अनुरोध कर रही हूं कि कोरोना काल में घर से बाहर न निकले. हालांकि जरुरत के समय निकलना लाजिमी है. हम सबको मिलकर इस बीमारी से लड़ना होगा. मैं आप सभी से वादा करती हूं जितना हो सकेगा मैं भी लोगों की मदद करूंगी.’

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बता दें, बीते साल एक्ट्रेस अविका गौर ने अपने रिलेशनशिप को लेकर खुलासा किया था. वहीं इसके कारण वह सुर्खियों में भी थीं. वहीं अविका गौर का ट्रांसफौर्मेशन भी फैंस को काफी पसंद आया था.

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