मैं लोगों की सोच बदलना चाहती हूं – नीलू वाघेला

धारावाहिक ‘दिया और बाती हम’ में भाबो की भूमिका निभाकरचर्चित हो चुकी अभिनेत्री नीलू वाघेला राजस्थान की है. बचपन से अभिनय की शौक़ रखने वाली नीलू एक थिएटर आर्टिस्ट भी है. 11 वर्ष की उम्र से उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा है. उनकी फिल्म ‘बाई चाली सासरिया’काफी सफल फिल्म रही, जिसे हिंदी में रीमेक फिल्म ‘साजन का घर’ बनी.

आजतक करीब 50 राजस्थानी फिल्में और 5 गुजराती फिल्में कर चुकी नीलूअत्यंत शांत और मृदु भाषी है. उनके इस कदम को उनके परिवार वालों ने बहुतसहयोगदिया है.अपनी सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता और अपने पति अरविन्द कुमार को देती है. इन दिनों वह दंगल टीवी पर प्रसारित धारावाहिक ‘ऐ मेरे हमसफ़र’ में माँ, प्रतिभा देवी की भूमिका निभा रही है, जिसमें उन्हें अभिनय करना बेहद अच्छा लग रहा है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस शो की खास बात क्या है, जिससे आप करने के लिए राजी हुई?

इस शो में मैं प्रतिभा देवी की भूमिका निभा रही हूं, जो घरेलू महिलाओं के लिए एक प्रोत्साहन है. राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में महिलाएं पति के गुजर जाने के बाद, पढ़ी-लिखी होने पर भी घर में रह जाती है. बच्चों के भविष्य के लिए कुछ इसलिए कर नहीं पाती, क्योंकि वे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर नहीं होती, ऐसे में उनकी व्यक्तित्व ही ख़त्म हो जाती है. सास-ससुर और किसी बड़े से खुलकर कह नहीं सकती कि उन्हें काम करना है. गांव घर में ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं को भी बड़े रूप में देखा जाता है. मेरी इस भूमिका में मैं घर के काम करके भी मसालों का व्यवसाय करती हूं, जो धीरे-धीरे देश-विदेश में पोपुलर हो जाता है और मैं उन महिलाओं को भी जोड़ रही हूं, जो खुद ऐसी काम कर घर खर्च चलारही है और उनकी आत्मनिर्भरता भी बढ़ रही है. यही इस भूमिका में ख़ास है, जो महिलाओं के अंदर एक जागरूकता पैदा कर सकती है. लॉकडाउन में मुझे ये भूमिका मिली और मेरे लिए यह एक चुनौती रही है. मैंने हमेशा अपनी भूमिका को अच्छा करने की कोशिश की है, ताकि मैं दर्शकों की उम्मीद पर खड़ी उतरूँ.

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सवाल-पहले की माएं बच्चों की परवरिश अलग तरीके से करती थी, जबकि आज की माओं को बच्चों की परवरिश करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इस बात से आप कितनी सहमत है और बच्चे की परवरिश में माँ की भूमिका कितनी अहम् होती है?

मेरी माँ ने जब मेरी परवरिश की थी तो हर चीज बहुत स्ट्रिक्ट था, किसी से फ़ोन पर बात करना या सामने बात करना संभव नहीं था, इसके लिए पहले माँ बात करती थी, इसके बाद मुझे दिया जाता था. रोक-टोक बहुत था. अभी भी रोक-टोक है, लेकिन तरीका अलग है. मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए उन्हें ये समझ नहीं थी कि बच्चों पर कुछ भरोसा करना जरुरी है. हर बच्चा गलत रास्ते पर नहीं जाता और बार-बार टोकने पर वह सही हो, ये भी जरुरी नहीं. बच्चों को काउंसलिंग और गाइड करना जरुरी है. उस पर थोपना नहीं चाहिए. मेरे बच्चों को मैंने एक दोस्त की तरह पाला है और उनके साथ मैं हम उम्र बन जाती हूं. उनकी सारी बाते समझने की कोशिश करती हूं और उन्हें दुनिया से परिचय करवाती हूं. वे मेरे गुस्से और ख़ुशी से परिचित है. इसके अलावा बच्चे पर विश्वास रखना आवश्यक है, क्योंकि आज के बच्चे पुराने समय से काफी आगे है.

सवाल-क्या आपके बच्चे आपकी क्षेत्र में आना चाहते है?

मेरे बेटे को फुटबाल का शौक है जबकि बेटी को गायन और डांस करना बहुत पसंद है. इसलिए मैंने उनके चॉइस को उनपर ही छोड़ा है. उनकी जो मर्जी होगी, उनके साथ मैं हमेशा सहयोग  करुँगी.

सवाल-आज की कई धारावाहिकें सांप,बिच्छू, मकड़ी पर अधिक केन्द्रित होने के साथ-साथ वही पुराने घिसे पिटे सास बहूं की कहानी लेकर आती है, जबकि आज का माहौल अलग है, आप इस बारें में किस तरह की राय रखती है?

आज के बच्चे बहुत आगे बढ़ चुके है. उनका इन चीजों से कोई सरोकार नहीं होता, लेकिन मैं उन्हें समझाती हूं कि ये एक कल्पना या फिर कहीं हुआ होगा. इसमें बच्चों को उस कहानी के बारें में पेरेंट्स द्वारा बताया जाना ही काफी महत्वपूर्ण होताहै. इससे ही उनकी राय उस विषय पर बनती है.

सवाल-बीच में ऐसा कहा गया था कि आप ये शो छोड़ने वाली है, इसकी वजह क्या थी?

उन दिनों मेरी तबियत काफी ख़राब हो गयी थी.रोज 12 से 14 घंटे काम करने पड़ रहे थे.ऐसे में मुझे आराम नहीं मिल रहा था.इसलिए मैंने थोड़ी छुट्टी लेकर रेस्ट किया था, कोई दूसरी बात नहीं थी.

सवाल-आप थिएटर आर्टिस्ट है, उसे कितना ‘मिस’ करती है?

मैं थिएटर आर्टिस्ट हूं और थिएटर को बहुत मिस करती हूं, क्योंकि पूरा दिन सीरियल में काम करने के बाद 4 दिन की छुट्टियों में रिहर्सल करना मुश्किल होता है, लेकिन मैं थिएटर की शुक्रगुजार हूं, क्योंकि इसी ने मुझे एक कलाकार बनाया है. आज अगर 3 हजार लोग भी मेरे सामने खड़ी हो जाएँ, तो भी मैं अपना परफोर्मेंस दे सकती हूं.

सवाल-आपकी फिटनेस और हंसमुख चेहरे का राज क्या है?

मैं हमेशा सकारात्मक सोच रखती हूं, ताकि मैं खुश रह सकूँ. जब आप किसी के लिए अच्छा सोचते है, तो आप भी स्वस्थ रहते है. इसके अलावा मैं हमेशा घर का खाना खाती हूं और खुद की केयर करती हूं.

सवाल-अभी वैक्सीनेशन का दौर चल रहा है, क्या आप इसे लेना चाहती है या नहीं?

वैक्सीन सबके लिए जरुरी माना गया है, जब मैंने शूट करना शुरू किया था, तो कोरोना संक्रमण बहुत अधिक था, लेकिन मेरे प्रोडक्शन हाउस ने बहुत अधिक सभी का ख्याल रखा है. सेट पर सावधानियां बहुत रखी जाती है. डॉक्टर्स आज भी सेट पर है. वैक्सीन जरुरी होने पर अवश्य लूंगी, लेकिन जब तक वैक्सीन नहीं लगायी है, सावधानियां पूरी तरह से रखनी है.

सवाल-आगर आपको सुपर पॉवर मिले तो क्या बदलना चाहती है?

मुझे सुपर पॉवर मिलने पर लोगों की सोच बदलना चाहूंगी. इस पेंड़ेमिक ने लोगों को परिवार , पैसा,अन्न और अपने काम का सम्मान करने की सीख दी है. इसलिए जो काम आपको दिया जाता है उसको ईमानदारी से करें.किसी और के बारें में आलोचना कर अपना समय नष्ट न करें.

सवाल-किस बात से आपको गुस्सा आता है?

जब कोई झूठ बोलता है तो मुझे गुस्सा आता है.

सवाल-क्या टीवी इंडस्ट्री में योग्यता के अनुसार पैसे नहीं मिलते,जिस वजह से कई कलाकार टीवी छोड़कर फिल्मों या वेब में चले जाते है?

मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ है,ये सभी बातें आपके स्वभाव और तरीके पर निर्भर करती है. समस्या है, तो उसे मिल बैठकर सुलझाया जा सकता है.

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सवाल-क्या मेसेज देना चाहती है?

मेरा महिलाओं से कहना है कि वे कभी भी अपने आपको कम न समझे. मैं भी एक महिला हूं और अभिनय के साथ-साथ बच्चों का ध्यान रखती हूं. अभिनय को भी मेहनत के साथ करती हूं.जीवन में कोई काम छोटा नहीं होता हर काम बड़ा होता है और काम करने से पहचान बनती है. इससे आप बड़ा काम कर पाते है.

वनराज को माफ करेगी ‘अनुपमा’! क्या करेगी काव्या?

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में आए दिन नए ट्विस्ट एंड टर्न्स आ रहे हैं, जिसे देखकर दर्शक काफी खुश हैं. शो के ट्रैक की बात करें तो इन दिनों शाह निवास में मकर सक्रांति का सेलिब्रेशन देखने को मिल रहा है. हालांकि सेलिब्रेशन के बीच शो में कई और नए ट्विस्ट आने वाले हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा को देखकर जलती है काव्या

लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो अनुपमा और उसका पूरा परिवार मकरसक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने के लिए छत पर जाते हैं. जहां खूशी के माहौल में भंग डालने काव्या पहुंच जाती है. दरअसल, काव्या, वनराज को अनुपमा के साथ देखकर गुस्सा हो जाती है और जानबूझकर पतंग के मांझे से अपना हाथ काट लेती है. वहीं काव्या सोचती है कि वनराज जो अनुपमा के पास खड़ा है, उसके पास आ जाएगा. लेकिन  वनराज, काव्या के पास नहीं जाता.

 

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वनराज करेगा प्यार का इजहार

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या को भूलकर वनराज, अनुपमा के पास जाकर कहेगा कि उसे एक बात कहनी है. इसी बीच अनुपमा छत पर आसमान को देख रही होगी और वनराज उसके पास जाकर कहेगा कि आसमान को चांद की कद्र नहीं होती, क्योंकि चांद उसके पास होता है. मैं आसमान से जब जमीन पर आया, तब मुझे समझ आया कि चांद क्या होता है. साथ ही वनराज, अनुपमा से आई लव यू कहता नजर आएगा. वहीं अनुपमा से पूछता है कि क्या दिल में अभी भी थोड़ी उसके लिए जगह है. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा क्या जवाब देती है. वहीं वनराज के इस इजहार के बाद काव्या का अगला कदम क्या होने वाला है.

 

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बता दें, हाल ही में एक फोटो सोशलमीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें अनुपमा और वनराज एक दूसरे के गले लगते नजर आ रहे हैं, जिसके कारण अंदाजा लगाया जा रहा है कि अनुपमा, वनराज को माफ कर देगी. हालांकि ये एक सपना भी हो सकता है. क्योंकि इससे पहले ही किंजल, अनुपमा से वनराज को तलाक देने की बात कह चुकी है और अनुपमा इस फैसले में साथ देती नजर आई थी.

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आनलाइन स्कूलिंग का तनाव

ऑनलाइन लर्निंग के कई फायदे हैं, लेकिन रेग्युलर स्कूलिंग पैटर्न में बदलाव से छात्रों के सीखने या ज्ञान हासिल करने के तौर-तरीकों पर प्रभाव पड़ा है. ऑनलाइन स्कूलिंग कम सक्रियता से संबद्ध है जो छात्रों को कम उत्साहित बनाती है. स्कूल के अंदर मुहैया कराया जाने वाला उचित और ढांचागत लर्निंग परिवेष अपने घर की चारदीवारी के अंदर हासिल नहीं होता है. लर्निंग स्ट्रक्चर में इस तरह के बड़े बदलाव ने कुछ छात्रों को भ्रमित और चिंताग्रस्त बना दिया है.

अध्ययनों के अनुसार, यह साबित हुआ है कि छात्र जब किसी सीमित ढांचे में नहीं होते हैं या साथी छात्रों से घिरे नहीं रहते हैं तो वे कम प्रोत्साहित महसूस करते हैं. यह कई मामलों में सही है, क्योंकि छात्र वर्चुअल लर्निंग के बजाय आमने-सामने वाला पारस्परिक संवाद पसंद करते हैं. इस महामारी के दौरान जो अन्य कारक सामने आया, वह यह है कि किस तरह से छात्रों को मौजूदा लाॅकडाउन के बीच उत्साहित बनाए रखा जाए. घर पर सांत्वना और आराम करने की प्रवृत्ति शिक्षा की उत्पादकता में कमी लाती है और कई छात्र अपना अध्ययन करने में विलंब करते हैं. यह शिक्षकों के लिए भी समान रूप से चिंताजनक है, क्योंकि हरेक छात्र के लिए अलग से फीडबैक मुहैया कराना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, खासकर डिजिटल प्लेटफाॅर्म के जरिये. इन समस्याओं का मुकाबला करने के लिए हमें ऑनलाइन स्कूलिंग की सही स्थिति जानने की जरूरत होगी. इस बारे में कुछ खास बातें बता रहीं है.
मनोचिकित्सक अनुजा कपूर, जिससे इस समस्या से आसानी से निकला जा सके.

ज्यादातर अभिभावक इसे लेकर कम चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे को किस तरह से समझदार बनाया जाए, जिससे कि वे अपने बच्चों पर ध्यान केंद्रित करें अध्ययन सामग्री के लिए उन्हें प्रभावित कर सकें जिससे वे अच्छे नंबर ला सकें. लर्निंग, ज्ञान, कौशल, मूल्यों (चाहे वे कितने भी सरल और आसान हों) को सीखने की प्रक्रिया छात्र और शिक्षक दोनों के लिए संदेह के बगैर सबसे कठिन कार्य है.

आनलाइन स्कूलिंग के तनाव के कारण, अभिभावक अपने बच्चों में कई तरह के व्यावहारिक बदलाव देखते हैं, जिनमें अनुचित विवाद, इनकार करने, टकराव, अवहेलना आदि मुख्य रूप से शामिल हैं, और कुछ बच्चों में इस तरह के व्यवहार नई बात नहीं हैं. इस दौर के दौरान, माता-पिता से समर्थन और उचित मार्गदर्शन बेहद जरूरी है.

नीचे ऐसे कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं जो तनाव की स्थिति से निपटने, चिंता और सोशल डिस्टेंसिंग और घरों में सीमित रहने के दबाव को दूर करने में मददगार होंगेः

प्रोत्साहित बने रहेंः जब आपके घर का कोई छोटा सा कमरा आपके लिए क्लासरूम बन जाता है तो छात्रों को अपनी स्कूल लाइफ को संतुलित बनाए रखना या प्रेरित बने रहना मुश्किल हो जाता है. अभिभावकों को छात्रों को इस तरह के तनाव की स्थिति से मुकाबले के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

रुटीन बनाएंः दैनिक कार्यों और गतिविधियों को पूरा करने के लिए, उसी तरह से साप्ताहक प्लानर बनाए जैसे कि स्कूल में छात्र इस पर अमल करते हैं. अपने लक्षयों को प्राथमिकता दें और सुनिष्चित करें कि बच्चा लगन के साथ इस प्लानर पर अमल करे.

अच्छी नींद लेंः तनाव से निपटने का सबसे आसान तरीका है अच्छी और पर्याप्त नींद लेना. अच्छी नींद न सिर्फ आनलाइन लर्निंग से पैदा होने वाले तनाव से निपटने के लिए जरूरी है बल्कि इससे सामान्य तौर पर भी आपके तनाव को दूर करने में मदद मिलती है.

सोशल नेटवर्कों के जरिये दोस्तों से बात करेंः स्कूल मे छात्र नियमित तौर पर सहपाठियों के संपर्क में बने रहते थे, लेकिन इस महामारी और आनलाइन स्कूलिंग ने इसका विकल्प छीन लिया है और उसके बजाय उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर देने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. अभिभावकों को बच्चों को उनके दोस्तों से वीडियो चैट के जरिये बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे कि उनके तनाव के स्तर में कमी लाई जा सके.

अच्छी नींद, स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि, सभी मजबूत मानसिक स्वास्थ्य और तनावमुक्त जिंदगी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. चूंकि बच्चे इस महामारी से ज्यादा प्रभावित हुए हैं और आनलाइन स्कूलिंग ने उन्हें उनकी नियमित जंदगी से अलग रहने का अनुभव महसूस कराया है. अपने बच्चे के रुटीन को उनके कौशल और दिलचस्पी के आधार पर व्यक्तिगत बनाएं, जिससे कि वे साथियों से अलग-थलग या दूर रहने की भावना महसूस न करें.

फाइनेंशियल मुद्दों पर भी बात कर लें शादी से पहले

डिवोर्स या तलाक के कई महत्वपूर्ण कारण हैं- जैसे एक दूसरे के चरित्र पर शक होना, एक दूसरे का स्वभाव बर्दास्त न होना, संवादहीनता तथा और भी कई कारण. लेकिन हाल में जो एक कारण बहुत तेजी से उभरा है, वह है पति पत्नी के बीच फाइनेंशियल मुद्दों पर अस्पष्टता और एक दूसरे से असहमति. मशहूर पत्रिका ‘इकोनाॅमिक्स एंड पाॅलीटिकल वीकली’ के एक शोध के मुताबिक भारत में जैसे जैसे कृषि अर्थव्यवस्था खत्म हो रही है और सर्विस इकोनाॅमी बढ़ रही है, वैसे वैसे कमाने वाले पति, पत्नियों की संख्या भी बढ़ रही है और इसी के साथ ऐसे युगलों के बीच झगड़े, मनमुटाव और तलाक का सबसे बड़ा कारण वित्तीय मुद्दे होते जा रहे हैं.

साल 2016 में भारत में एक करोड़ 36 लाख लोग तलाकशुदा थे, जो कि तब तक की विवाहित आबादी का करीब 0.24 प्रतिशत था और कुल आबादी का 0.11 प्रतिशत थे. लेकिन याद रखिये ये ऐसे तलाकशुदा लोग थे, जिनका बकायदा अदालत से तलाक हुआ था. इन आंकड़ों में बड़ी संख्या में वे लोग शामिल नहीं हैं, जो बिना किसी तलाक के अलग अलग रह रहे थे और न ही ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने मुंहजबानी यानी तलाक, तलाक, तलाक कहकर तलाक हासिल किया था और बिना किसी लिखत-पढ़त के तलाकशुदा हो चुके थे. मतलब यह कि वास्तविक रूप से तलाकशुदा लोगों की संख्या और भी ज्यादा है.

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अगर यह देखना हो कि देश में सबसे ज्यादा तलाक कहां होते हैं तो मिजोरम देश में नंबर एक तलाक लेने वाला राज्य है और दूसरे नंबर पर उच्चतम तलाक दर वाला राज्य नागालैंड है. मिजोरम में कुल विवाहित लोगांे में से 4.08 प्रतिशत लोग तलाकशुदा हैं, तो नागालैंड में 0.88 प्रतिशत तलाकशुदा लोगों की आबादी हैं. एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले राज्यांे में सबसे ज्यादा तलाक गुजरात में होते हैं, उसके बाद क्रमशः असम, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल आते हैं. लेकिन नोट करने वाली बात यह है कि मिजोरम और गुजरात दोनो ही राज्यों मंे हर चैथे व्यक्ति के तलाकशुदा होने के पीछे किसी न किसी रूप में वित्तीय मुद्दा कारण है.

अब इस कहानी को समझिये. रश्मि और सुनील ने दो वर्ष की डेटिंग के बाद शादी की थी. लेकिन विवाह को अभी छह माह भी नहीं हुए थे कि दोनो का मनमुटाव तलाक की दहलीज तक पहुंच गया. वजह थी दोनो का एक दूसरे पर अपना पैसा खर्च न करने का या अपना पैसा दबाकर रखने का आरोप. हम देखते हैं कि शादी के पहले आजकल के जोड़े महीनों और कई बार तो सालों डेटिंग करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान शादी के बंधन में जल्द बंधने वाले जोड़े एक दूसरे में स्वभावगत समानताएं तलाशते हैं और ऐसे मुद्दों पर खुलकर बाते करते हैं, जिन पर बाद में मनमुटाव होने की आशंका रहती है. अगर रश्मि और सुनील ने डेटिंग के दौरान एक दूसरे से फाइनेंशियल मुद्दों पर भी पूरी स्पष्टता के साथ बातचीत की होती तो शायद यह स्थिति नहीं आती.

दरअसल यह रश्मि और सुनील की ही बात नहीं है, ज्यादातर जोड़े शादी के पहले की तमाम मुलाकातों और साथ-साथ रहने के दौरान सारी बातें तो करते हैं, लेकिन संकोचवश एक दूसरे से फाइनेंशियल ग्राउंड पर बातें नहीं करते. जबकि इस पर बात करना आज की तारीख में बहुत जरूरी है. अगर डेटिंग के दौरान रश्मि व सुनील भी इस मुद्दे को बुनियादी मुद्दा समझकर इस संबंध में एक दूसरे से बातचीत की होती तो शायद वे आज अदालत के दरवाजे पर न होते. पैसा जीवन का बुनियादी आधार है, इसलिए उस पर कोई बात न करना, बाद में कई किस्म की समस्याएं खड़ी करता है. कम से कम महिलाओं को तो शादी के पहले की डेटिंग के दौरान अपने पार्टनर में फाइनेंशियल बिहेवियर को पहचानने की कोशिश करनी ही चाहिए. यह काम मुश्किल नहीं है. लड़कों के व्यवहार में उनका फाइनेंशियल बरताव बहुत स्पष्ट होता है. लड़कियों को इस बरताव में छिपे तौर तरीकों को समझने की भूल नहीं करनी चाहिए.

सुनील के स्वभाव में भी उसके फाइनेंशियल व्यवहार का पैटर्न बहुत स्पष्ट था. लेकिन रश्मि ने कभी उनको गंभीरता से नहीं लिया. डेटिंग के दिनों मंे सुनील हमेशा अपने परिवार की दौलत का बखान करता था. इसके प्रमुखता से दो अर्थ निकलते हैं- एक, कमजोर कॅरियर विकास और दूसरा यह कि परिवार पर आर्थिक निर्भरता. इसलिए अगर आपका पार्टनर आपके सामने अपने परिवार की दौलत पर घमंड करता है तो इसका सीधा सा यह मतलब है कि उसे अपने कौशल पर कम विश्वास है. इस कारण से उसका कॅरियर विकास प्रभावित हो सकता है. इसका सीधा अधिक प्रभाव यह होगा कि वह आर्थिक दृष्टि से अपने पैरेंट्स पर निर्भर रहे, जिससे बाद में महिला को काफी पाबंदियों व सीमाओं का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक रूप से अपने परिवार पर निर्भर होने के कारण सुनील हर समय यही उम्मीद करता कि रश्मि उसका खर्च उठाये व तोहफों आदि से उसकी जरूरतें पूरी करती रहे.

इस आदत से तंग बजट, कम बचत व ऋण में फंसने के संकेत मिलते हैं. अगर आपकी आय नियमित व महंगे गिफ्ट्स देने की अनुमति नहीं देती है तो न दें. अगर आप चादर से बाहर पैर फैलायेंगी तो आपका बजट गड़बड़ा जायेगा और आप बचत नहीं कर पायेंगी. उधार लेने से आप कर्ज के जाल में फंस जायेंगी या अपने लक्ष्य की पूर्ति नहीं कर पायेंगी. अगर आपका पार्टनर यह नहीं समझता है तो उसे समझाने का प्रयास करें. अगर तब भी उसकी समझ में न आये और इसका अर्थ ब्रेकअप करना हो तो ब्रेकअप कर लें.

अकसर यह भी होता कि रश्मि का क्रेडिट कार्ड प्रयोग करने से पहले सुनील उससे मालूम ही नहीं करता था, जो इस बात का संकेत था कि वह आर्थिक दृष्टि से लापरवाह व अपने पार्टनर पर निर्भर था. बिना अनुमति के अपने पार्टनर का क्रेडिट कार्ड प्रयोग करना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि भविष्य के लिए यह संकेत भी देता है कि आपका पार्टनर लापरवाही से खर्च करता है या घर की आय में योगदान करने के लिए आर्थिक निर्भरता को प्राथमिकता देता है. रश्मि जिन चीजों पर खर्च करना पसंद करती वह सुनील को हमेशा बेकार लगतीं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत था कि वह आर्थिक मामलों में केवल अपनी हुक्मरानी चाहता था.

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उस पार्टनर से सावधान रहें जो आपकी खरीदारी या आर्थिक निर्णयों की आलोचना करता है; क्योंकि वह या तो संबंध में तानाशाह बनना चाहता है या अपने पैसे व निर्णयों को लेकर असुरक्षित है. ध्यान रहे कि पैसे की समस्या अकसर व्यक्ति में गहरे मनोवैज्ञानिक मुद्दों का संकेत देती है. सुनील रश्मि की आधिकारिक पोजीशन का भी लाभ उठाता था, जिसका अर्थ यह होता है कि आर्थिक घोटाला किया जायेगा, कॅरियर संभावनाएं अच्छी नहीं हैं या भरोसा कम है. अगर पार्टनर आपकी पोजीशन का शोषण अपने लाभ के लिए कर रहा है, तो बेहतर यह है कि उसे छोड़ दिया जाये. वह आपको सिर्फ सोने का अंडा देने वाली मुर्गी के रूप में देख रहा है. उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि संकट के समय में वह आपको अधर में छोड़ देगा. यह भी हो सकता है कि उसका अपना कॅरियर अच्छा नहीं है और वह तरक्की नहीं कर सकता.

कुछ अन्य प्रश्न भी हैं, जिनका संबंध रश्मि व सुनील से नहीं है, लेकिन डेटिंग के दौरान उन पर गौर करना चाहिए और उनके आधार पर ही तय करना चाहिए कि ब्रेकअप किया जाये या नहीं. आपका पार्टनर आर्थिक संकट में है. अगर यह स्थिति अस्थाई नहीं है और वह एक आर्थिक संकट के बाद दूसरे आर्थिक संकट में घिरता रहता है और उम्मीद करता है कि हर बार आप उसे बाहर निकालें तो आपको उससे ब्रेकअप कर लेना चाहिए क्योंकि डेटिंग के दौरान ब्रेकअप तलाक से कहीं अधिक आसान होता है. ज्यादा दौलत भी कभी-कभार समस्या बन जाती है; क्योंकि वह अपने साथ बहुत सी बुराइयां व आर्थिक गैर-जिम्मेदारियां भी लाती है. अगर पार्टनर के नैतिक मूल्य मजबूत हैं तो उसकी रईसी कोई समस्या नहीं है, डेटिंग जारी रखें. अगर नहीं, तो छोड़ दें.

अगर पार्टनर के पास पैसे का अभाव है तो निर्णय लेने से पहले उसके कॅरियर के स्टेज को समझें. अगर वह करियर आरंभ कर रहा है तो उसके पास पैसे की कमी हो सकती है और अगर वह कॅरियर के बीच में है और विकास के चिन्ह नजर नहीं आ रहे तो यह समस्या है. वह पैसा बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता या आपके पैसे पर निर्भर है तो ब्रेकअप के बारे में सोचें. अगर वह पैसे को लेकर लापरवाह है, उधार लेकर लौटना भूल जाता है. क्रेडिट कार्ड या फोन खोता रहता है. महंगी चीज खरीदने से पहले अपने अकाउंट बैलेंस को चेक नहीं करता. बेकार की चीजों पर खर्च करता है व बिल अदा करना भूल जाता है. इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेता, ऋण या कर्ज पर जीवन गुजारता है. निवेश के मामले में फिक्स्ड डिपाजिट से आगे नहीं सोचता …संक्षेप में उसके आर्थिक मूल्य आप जैसे नहीं हैं, तो उसे क्यों डेट कर रही हैं? छोड़ दो.

मेरे जुनून ने मुझे फुटबौल का खिलाड़ी बनाया-सोना चौधरी

फुटबौल प्लेयर व लेखिका-सोना चौधरी

अपनी जिद और जनून के दम पर सोना चौधरी ने न केवल फुटबौल को अपनाया, बल्कि अपने शानदार खेल की बदौलत वे भारतीय महिला फुटबौल टीम की कप्तान भी बनीं. लेकिन हरियाणा के एक छोटे से गांव के एक किसान परिवार की इस लाडली के लिए फुटबौल अपनाना किसी जादुई चिराग को ढूंढ़ने से कम मुश्किल नहीं था. 80 के उस दौर में इन के इलाके में महिलाओं के खेलने के लिए कोई अलग से मैदान ही नहीं होता था. मगर सांसों में तो फुटबौल बसी थी, इसलिए सोना चौधरी ने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन के दम पर पहले वे हरियाणा (1992-96) और बाद में भारत (1996-98) महिला फुटबौल टीम की कप्तान बनीं. उन की कप्तानी में भारतीय महिला फुटबौल टीम ने नेपाल और बंगलादेश में भी जा कर मैच खेले थे.

मुश्किल राह और उपलब्धियां

एक महिला खिलाड़ी को खेल और समाज से जुड़ी किनकिन मुश्किलों का समाना करना पड़ता है? इस सवाल पर सोना चौधरी ने बताया, ‘‘मैं ने इस खेल को इसलिए अपनाया था, क्योंकि मुझे इस का पैशन था. मेरी जिद और मेरे जनून ने मुझे फुटबौल का खिलाड़ी बनाया. किसी ने कहा था कि तुम लड़की हो, इसलिए फुटबौल नहीं खेल सकती. यह बात जैसे मुझे चुभ गई और मैं यह लंबा कदम उठा गई. इस के बाद मैं वहां तक चली गई जहां तक मैं ने सोचा भी नहीं था. उस समय तो इंडिया से खेलना ही ओलिंपिक खेलने जैसा था.

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‘‘इस खेल से मुझे लोगों का जो स्नेह मिला वही मेरी सब से बड़ी उपलब्धि है. हम जहां भी खेलते थे लोग हमें ढेर सारा सम्मान देते थे. उन पलों को मैं आज भी जीती हूं और रोमांच से भर जाती हूं.’’

वे आगे बताती हैं, ‘‘महिला होना और साथ में स्पोर्ट्स में होना, यह अब भले ही आम बात हो गई हो पर जब हम खेलते थे तब बहुत खास थी. तब तो ज्यादातर मामलों में परिवार ही सहयोग नहीं करते थे. घर या आसपास कोई एकाध ऐसा मिल जाता था जो आप को नहीं खेलने देना चाहता था. मेरे भाईयों के दोस्तों को ही लगता था कि मैं लड़कों के साथ फुटबौल क्यों खेलती हूं. यह लड़कियों का खेल नहीं है. यह एक कड़वा सच है कि लोगों की सुनो भी और उस से जूझो भी. ठोकरें बहुत लगी हैं, पर मैं संभलती गई और उठ कर आगे बढ़ी.’’

गेम इन गेम

अपने उपन्यास ‘गेम इन गेम’ में आप ने महिला खिलाडि़यों के साथ होने वाले भेदभाव पर तफसील से लिखा है. क्या महिलाओं को खेल में आगे बढ़ाने के लिए समझौता करने के औफर मिलते हैं? इस सवाल पर सोना चौधरी ने बताया, ‘‘बहुत बार ऐसे लोग टकरा जाते हैं, जो बातोंबातों में आप को फुसला लेते हैं. आप सब समझ रहे होते हैं और उन की बातों से असहज भी हो रहे होते हैं, लेकिन वे इतने शातिर होते हैं कि एक जाल सा बुन देते हैं.

‘‘मैं अपने लंबे कद की वजह से हजारों लड़कियों में अलग दिख जाती थी. न चाहते हुए भी मैं अलग दिखती थी. लोग कोशिश करते थे, लेकिन वे कामयाब न हों, ये सब मेरे हाथ में था. सच तो यह है कि खेल जीवन में लड़कियां तमाम तरह के संघर्षों से जूझती हैं और उन में से ज्यादातर बोल नहीं पाती हैं, क्योंकि एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई है. पहले तो वे घर वालों से लड़ कर खेलों में आती हैं, फिर अगर उन्हें कुछ ऐसावैसा बताती हैं तो उन पर ही ताने कस दिए जाते हैं कि हम ने पहले ही कहा था, इसलिए अब घर बैठो, इसीलिए लड़कियां चुप्पी साध लेती हैं.

‘‘लेकिन मुझे गलत बात बरदाश्त नहीं थी. उस का नतीजा यह हुआ कि मुझे अपना राज्य ही छोड़ना पड़ा. मुझे उत्तर प्रदेश से खेलना पड़ा. जब मैं इंडिया टीम में आई, तब मैं उत्तर प्रदेश की कप्तान थी.’’

पनीर की दीवानी

मौडलिंग में भी हाथ आजमा चुकीं सोना चौधरी गाना सुनती ही नहीं हैं, बल्कि गुनगुनाती भी हैं. लता मंगेशकर उन की पसंदीदा गायिका हैं और ‘तुम मुझे यूं भुला न पाओगे…’ गीत उन के दिल के बेहद करीब है.

वैसे दिल के करीब तो उन के पनीर भी है. वे पनीर की कोई भी डिश देख कर उस पर टूट पड़ती हैं. उन्होंने एक किस्सा बताया, ‘‘हम होस्टल में रहते थे. हफ्ते में हमें एक बार पनीर मिलता था. रसोईघर में जो काका थे वे पनीर में मिर्च ज्यादा डाल देते थे ताकि सब कम खाएं. पर चूंकि मैं खुराफाती थी तो मैं ने तरकीब निकाली कि मिर्ची वाले बहुत सारे पनीर को नल के पानी से धो कर उस में नमक मिला कर खा जाती थी.’’

नमक से याद आया कि सोना चौधरी की जिंदगी सागर का खारापन लिए हुए भी दूसरों में मिठास बांटती नजर आती है. उन की बोलती जबान पर खामोश निगाहें हावी दिखती हैं. मानो उन का ही लिखा कह रही हों, ‘मेरी आवाज तो परदा है मेरे चेहरे का, मैं हूं खामोश जहां, मुझ को वहां से सुनिए.’

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-सुनील

Winter Special: घर पर बनाएं शाही पनीर खीर 

अगर आप फेस्टिवल में कुछ टेस्टी और हेल्दी ट्राय करना चाहती हैं तो आज हम आपको शाही पनीर खीर की टेस्टी रेसिपी बताएंगे. शाही पनीर खीर की इस रेसिपी को आप अपनी फैमिली के लिए बनाकर तारीफें पाएंगी. आइए आपको बताते हैं शाही पनीर खीर की खास रेसिपी

सामग्री:

– फुल क्रीम दूध (1/2 लीटर)

– पनीर (150ग्राम)

– इलाइची पाउडर(1/2 चम्मच)

– चीनी (100 ग्राम)

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– केशर (2 चुटकी)

– बादाम (10-15)

– पिस्ता (10-15)

– किशमिश(10-15)

खीर बनाने की विधि:

– सबसे पहले दूध को गरम होने के लिए रख दें.

– फिर उसमे कटी हुई पनीर को डाल दें और उसे मिलाये हुए 2 मिनट तक पकायें.

–  फिर उसमे चीनी और केशर डाल दें.

– अब उसमे इलाइची पाउडर डाल दे और 2 मिनट और पका लें.

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– अब गैस को बंद कर दें और उसमे कटी हुई बादाम, पिस्ता और किशमिश को डाल दें और उसे थोड़ी देर ठंढा होने के लिए छोड़ दें.

– फिर उसे किसी कटोरे में निकाल लें और हमारी शाही पनीर खीर बनकर तैयार है.

5 टिप्स: एग्जाम टाइम में घबराएं नही और रहें टेंशन फ्री

बोर्ड ने कुछ दिन पहले ही सीबीएसई के दसवीं, 12वीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम की परीक्षा के लिए की तारीखों की घोषणा की. शिक्षा मंत्री ने बताया कि बोर्ड परीक्षा 4 मई से शुरू होकर 10 जून तक चलेगी. इस घोषणा के बाद से ही देश के लाखों छात्र बोर्ड परीक्षा के तारीखों इंतज़ार कर रहे हैं. साथ है परीक्षा के तैयारी को ले कर तनाव में है.

लाखो परीक्षार्थी इस परीक्षा में बैठने वाले है , जिनमे कई हजारो विधार्थी घबराए है तो हजारो परीक्षार्थी तनाव से घिरे हुए है. तो आईये जानते है , इम्तिहान के इस दौर में आप अपने आपको कैसे तनावमुक्त और मस्त रखा सकते है.

घबराने से काम नही चलेगा

इम्तिहान का दौर शुरू हाने वाला है उससे पहले बनायें एक रूटीन जो आपको सफलता अवश्य ही दिलाएगा सभी कहते है कि इम्तिहान का सामना मस्ती से करें. इम्तिहान को अपने उपर हावी न होने दें. छोटी छोटी बातो को ध्यान में रखकर तैयारी करे.

दसवी और बारहंवी के र्बोड के इम्तिहान शुरू होने वाले है ऐसे मे आपकी तैयारी पूरी नही है ,तो घबराने से काम नही चलेगा. आज से ही कुछ बातो को ध्यान में रखकर पढाई शुरू कर दें.

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सारी उम्र हम मर मर के जी लिए यह गाना तो सभी ने सुना होगा हम साल भर पढाई कें लगे रहते है लेकिन एग्जाम के पास आते ही सब की सिटटी पिटटी गुल हो जाती है लेकिन हमें एग्जाम से घबराना नही चाहिए क्योकि इम्तिहान केवल स्कूल में ही अगली क्लास में जाने के लिए ही नही होते बल्कि हर किसी को किसी न किसी रूप में इम्तिहान देना ही पडता है और उसी का नाम जिंदगी हैं.

इम्तिहान को हंसते – हंसते दें पूरे आत्मविश्वास के साथ साथ एग्जाम दें.

1. टाईम टेबल से पढे

इम्तिहान ही नही किसी भी काम को करने से पहले टाईम मेनेजमेट बहुत जरूरी है तभी मजिल तक पहुचने मे आसानी होगी.अपनी दिनचार्य का एक टाईम टेबल बनाए 24 घटो में से सोने खाने खेलने के घटें बाट लें और बाकी का समय पढाई को दें आप जिस विषय में कमजोर है या वीक हैं पहले उसकी तैयारी कर लें अपने बनाये टाईम टेबल से रोजाना पढें ऐसा नही की किसी विषय का समय कम करके मस्ती में लग जायें हर विषय को समय से पढें.

2. खान पान का रखे ध्यान

इम्तिहान के दिनो में खाने का ध्यान अवश्य रखें कोइ भी गरिष्ठ भोजन न करें यानि तले या अधिक घी वाले भोजन से परहेज करें क्योकि ऐसा भोजन आलस्य लाता है.अच्छा होगा कि आप दूधए मेवाए सूप आदि हल्का भोजन ही खाने में लें क्योकि एग्जाम के दिनो मे हमे ताकत की जरूरत होती है चाट पकौडी जैसी चीजो का सेवन ना करें चाकलेट फायदेमद होती है एक साथ खाना खाने से अच्छा है कि थोडे थोडे अतंराल पर खाना खाये अधिक खाने से सुस्ती आती है जो कि नींद का कारण बनती है नींद आये तो अपनी स्टेडी टेबल से उठकर थोडा इधर उधर घुमें और ताजा कटे सलाद का सेवन करें.

3. दोस्तो के साथ करें पढाई

अपने ऐसे दोस्त के साथ पढाई करे जो बाते कम करता हो और पढता ज्यादा हो दोस्त के साथ पढने से जल्दी प्रश्न हल होते है और समय भी कम लगता है दोस्त से कम्पटीशन के चक्कर मे पढाई भी अधिक होती है एक दुसरे को सुनाने से याद भी ज्यादा होता है.

4. नोटस करें तैयार

पढाई करते समय जो भी आप याद कर रहे है उसके छोटे छोटे नोटस बना लें जिससे एग्जाम के दोरान आप अपने नोटस को दोहराए तो सब आसानी से याद आ जाए. पढाई रटटा मार कर न करें क्योकि रटा हुआ हम एकाकए भुल जाते है.

टी वी देखे और खेले भी जरूर एग्जाम के दिनो में टी वी देखना बंद न करे अधिकतर अभिभावक एग्जामस मे केबल कटा देते है लेकिन हमे अपने को खुश और तरोताजा रखने के लिए थोडा एन्टरटेन जरूरी है एगजाम को होवा न बनाए और अपने श्डयुल में खेलने का समय अवश्य ही रखें.

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5. अलार्म घडी करेगी अलर्ट

जब भी आप भुल जाते है की आपके एग्जाम चल रहें है और आप बातो में व्यस्त हो तो अर्लाम घडी आपको चेतायगी की पढाई का वक्त हो गया है हर काम के लिए आप अर्लाम का प्रयोग करें जिससे आपका टाईम टेबल मैनेज रहेगा.अगर विद्यार्थि इन सभी बातो को ध्यान में रखकर एग्जाम की तैयारी करा है तो वह कभी भी मात नहीं खा सकता.

Bigg Boss 14 में अपने फैशन से फैंस का दिल जीत चुकीं हैं जैस्मीन भसीन, देखें फोटोज

कलर्स के रियलिटी शो ‘बिग बॉस 14’ (Bigg Boss 14) के घर से बीते दिनों बेघर होने वाली एक्ट्रेस जैस्मिन भसीन इन दिनों दोस्तों संग मस्ती करती नजर आ रही हैं. हालांकि खबरें थीं कि वह दोबारा शो में एंट्री करेंगी. लेकिन उनकी हाल ही में कौमेडियन भारती संग फोटोज ने इन खबरों को खारिज कर दिया है. लेकिन वह अभी भी शो की पूरी जानकारी रखती हैं. पर आज हम जैस्मिन की किसी कौंट्रवर्सी या फोटोज की नही बल्कि बिग बौस 14 के सफर में उनके फैशन की बात करेंगे. बिग बौस 14 में ड्रैसेस हो या साड़ी, जैस्मिन का हर लुक गर्ल्स के लिए परफेक्ट है, जिसे वेडिंग सीजन हो या पार्टी कहीं भी ट्राय किया जा सकता है.

1. गाउन है परफेक्ट

हैवी कारीगरी वाला जैस्मीन भसीन का बेबी पिंक कलर का गाउन काफी खूबसूरत था, जिसके साथ बिना ज्वैलरी के ही जैस्मिन बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं जूड़े वाला सिंपल हेयर स्टाइल जैस्मिन के लुक पर चार चांद लगा रहा था.

 

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2. वाइट साड़ी में बिखेरे थे जलवे

 

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हर वीकेंड के वार पर जैस्मिन का नया लुक फैंस को काफी पसंद आता था. वहीं वाइट साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज जैस्मिन के लुक पर चार चांद लगाता दिखा था.

3. क्रौप टौप में छाय जलवा

 

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वेस्टर्न लुक की बात करें तो जैस्मिन भसीन का पोलका डौट पैटर्न वाला क्रौप टौप के साथ स्लिम फिट स्कर्ट जैस्मिन के लुक को खास बना रहा था. वहीं अगर पार्टी के लिए अगर आपको कोई ड्रैस ट्राय करनी है तो जैस्मिन की ये शिमरी पैटर्न वाली औफ शोल्डर ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

 

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4. गाउन है खास

 

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गोल्डन कारीगरी वाले वाइट गाउन को आप पार्टी या फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं. वहीं गोल्डन कारीगरी वाले इस गाउन में आप सुर्खियां बटोर सकती हैं.

 

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5. फ्लावर प्रिंटेड साड़ी थी खास

 

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ब्लैक कलर के सिंपल ब्लाउज के साथ फ्लावर प्रिंट साड़ी में जैस्मिन बेहद खूबसूरत लग रही थीं.

 

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6. शरारा करें ट्राय

 

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प्रिंटेड शरारा आप किसी शादी या फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं.

कर्तव्य: क्या दीपक और अवनि इस इम्तिहान में खरे उतरे

Serial Story: कर्तव्य (भाग-5)

अवनि ने नर्स से कहा, ‘‘अब तो आप घर जा सकती हो, अब तो इन्हें होश भी आ गया.’’ अवनि ने ‘इन्हें’ शब्द पर जोर दे कर कहा तो नर्स भी मुसकरा कर बोली, ‘‘हां, बस, आप एक घंटे बाद इन्हें ये 2 गोलियां और फिर एक घंटे बाद यह सीरप दे दीजिएगा और प्लीज, इन से ज्यादा बात नहीं करना. इन्हें तकलीफ होगी. गोली और सीरप लेने के बाद इन्हें नींद आ जाएगी. तब तक मैं भी जाऊंगी,’’ कहती हुई नर्स चली गई. अवनि दीपक को देखने लगी. दीपक कुछ कहना चाह रहा था, उस के होंठ हिले तो अवनि ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा. समय पर अवनि ने उसे दवा दी और फिर वह सो गया. शाम होने से पहले नर्स भी आ गई. उस ने आते ही दीपक को चैक किया, फिर रिपोर्ट लिखी. डाक्टर ने भी चैक किया. करीब 2 हफ्ते तक अवनि ने दीपक की खूब सेवा की और समय पर उसे दवाइयां व खाना देती रही. जल्दी ही दीपक थोड़ा ठीक हुआ और कुछकुछ बोलने की स्थिति में भी आ गया. अवनि और नीरज को उस ने अपनी इस स्थिति के बारे में अभी भी कुछ नहीं बताया और न ही अवनि ने कुछ पूछा. बस, साधारण बातें ही कीं.

रात को नीरज ने अवनि से कहा, ‘‘अब दीपक ठीक हो रहा है. कुछ दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाएगा. अब हमें वापस घर चलना चाहिए. सुहानी के स्कूल से भी फोन आया था. उस के एग्जाम शुरू होने वाले हैं. एग्जाम के बाद हम फिर आ जाएंगे. बीचबीच में उस से फोन पर बात करते रहना.’’ अवनि का जाने का मन तो नहीं था पर बच्ची के एग्जाम के कारण उस ने हां कह दी. फिर अब दीपक भी अच्छा हो ही रहा था. अगले दिन नीरज डाक्टर के पास गए. उन्हें अपने जाने के बारे में बता कर फिर कुछ रुपयों का चैक दिया और दीपक के रूम में गए. अवनि और नीरज ने दीपक से कहा, ‘‘अपना ध्यान रखना, बच्ची की परीक्षा नहीं होती तो हम नहीं जाते.’’ दीपक ने बच्ची को देखने की इच्छा जाहिर की तो बोले, ‘‘बाहर खेल रही है, उसे अंदर नहीं लाते और वैसे भी यहां छोटे बच्चों का आना मना है.’’ फिर दोनों ने दीपक से ‘अपना ध्यान रखना’ कहते हुए विदा ली और अवनि ने नर्स की ओर देख कर कहा, ‘‘इन का अच्छे से ध्यान रखोगी, यह हमें पूरा विश्वास है. इन्हें अकेला मत छोड़ना कभी.’’ नर्स ने शरमाते हुए हां में सिर हिला दिया.

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करीब 20 दिन तक सुहानी के एग्जाम चले, फिर रिजल्ट के कुछ दिनों बाद उस की धमाचौकड़ी, फिर स्कूल रीओपन, उस की ड्रैस, किताबें आदि की खरीदारी, पढ़ाई, इस सब के कारण होने वाली थकान के बावजूद भी अवनि 2-3 दिन में दीपक से बात कर लेती थी. इस सब में वक्त कैसे गुजर गया, पता ही नहीं चला.

‘‘मम्मी, मम्मी उठो, कोई अंकलआंटी आए हैं, बाहर आप का इंतजार कर रहे हैं. उठो, उठो,’’ अवनि का हाथ जोरजोर से हिलाते हुए सुहानी ने उसे उठा दिया. ‘‘कौन आया है, क्यों चिल्ला रही हो… अच्छा जाओ, तुम खेलो. मैं देखती हूं,’’ कहती हुई वह बाहर आई तो उस के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. सामने खड़े हुए व्यक्ति को देखते ही हंसते हुए जोर से चिल्लाई, ‘‘दीपक, तुम यहां? कैसे हो? कब आए? बताया भी नहीं? फोन तो करते?’’ अपने वही पुराने अंदाज में सवालों की बौछार करते हुए उस की आंखों से आंसू निकल आए. फिर थोड़ा संभल कर बोली, ‘‘ये कौन है? अच्छा, ये तो…’’ ‘‘दीपक की ज्योति है,’’ यह आवाज सुन कर वह चौंकी और दरवाजे की तरफ देखा तो वहां नीरज खड़े थे. उन्होंने कहा, ‘‘जी हां, यह है दीपक की ज्योति, वही… हौस्पिटल वाली नर्स. इन का चक्कर कई महीनों से चल रहा था, पर हमें कुछ बताया नहीं. इस शहर में आ गए, फिर भी खबर नहीं दी. वह तो मुझे बसस्टैंड पर टैक्सी में बैठते हुए दिख गए.’’

‘‘फिर आप ने मुझे फोन क्यों नहीं किया,’’ अवनि ने पूछा. ‘‘इन्होंने मना कर दिया, पूछो इन से,’’ नीरज बोले, ‘‘अरे भाई, कुछ बोलते क्यों नहीं, चुप क्यों खड़े हो, बोलो.’’

‘‘क्या बोलूं, कैसे बोलूं, मुझे बोलने का मौका तो दो, तुम दोनों ही बोले जा रहे हो,’’ दीपक ने कहा तो दोनों ने हंसते हुए कहा, ‘‘सौरी, बैठो और बताओ.’’ ‘‘मैं तुम दोनों को सरप्राइज देना चाहता था,’’ फिर अवनि की तरफ देख कर बोला, ‘‘मुझे अचानक सामने देख कर तुम्हारी खुशी और अपने प्रति प्यार को देखना चाहता था… और मैं ने देख भी लिया कि तुम मुझे कितना प्यार करती हो. मैं बहुत खुश हूं कि तुम मेरी दोस्त हो और नीरज भी,’’ दीपक ने कहा, ‘‘मुझे ज्योति और डाक्टर ने सब बता दिया. तुम लोगों ने मेरे लिए क्याक्या किया और कितनी परेशानी उठाई. मैं तुम लोगों का हमेशा एहसानमंद रहूंगा.’’

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‘‘दोस्ती में एहसान शब्द नहीं होता. यह मेरा फर्ज था. तुम ने भी तो मेरे लिए क्याकुछ नहीं किया. यहां तक कि अपनी सेहत खराब होने के बाद भी मेरे साथ रहे. मेरी मदद की और खुद तकलीफ उठाई,’’ अवनि ने कहा. इस तरह गिलेशिकवे, शिकायतगुस्सा, हंसीमजाक में रात हो गई. ‘‘क्या तुम दोनों ने शादी कर ली?’’ अवनि ने पूछा.

‘‘नहीं, तुम को बिना बताए और बिना बुलाए तो शादी होती ही नहीं,’’ दीपक ने कहा. अवनि ने ज्योति को छेड़ते हुए कहा, ‘‘क्यों ज्योति, ‘इन्हें’ बहुत प्यार करती हो न. इन से शादी करने का इरादा है?’’ ज्योति ने ‘हां’ में सिर हिलाया. अवनि ने फिर कहा,’’ इन्होंने तुम्हारे घर वालों की रजामंदी भी ली होगी.’’ इस बार ज्योति शरमाते हुए ‘हां’ बोल कर वहां से थोड़ा आगे चली गई. ‘‘ज्योति ने भी तुम्हारा खूब ध्यान रखा. बहुत सेवा की है उस ने तुम्हारी. कितने दिनों तक वहीं रही. घर भी नहीं जाती थी. बहुत अच्छी लड़की है. अब तो तुम दोनों की शादी बहुत धूमधाम से करेंगे,’’ अवनि ने कहा तो नीरज ने भी अवनि की बात से सहमति जताई.

2 महीने बाद दीपकज्योति की शादी धूमधाम से हुई. दीपक ने अपना औफिस फिर से जौइन कर लिया और ज्योति ने भी शादी के कुछ दिनों बाद एक अस्पताल में नर्स की नौकरी कर ली. सब का मिलनाजुलना बदस्तूर जारी था और सब जिंदगी आराम से जी रहे थे.

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