घर बैठे बुक करें अपनी पसंदीदा कार हुंडई क्रेटा

हुंडई क्रेटा को आप घर बैठे ऑनलाइन खरीद सकते हैं. यह ऐसा कार है जिसे खरीदने के लिए सारे प्रोसेस ऑनलाइन दिए गए है. क्लिक करने के साथ ही आपको ऑप्शन मिल जाएंगे कि आपको क्रेटा की कौन सी कार लेनी है. क्या कलर या क्या फीचर चाहिए ये सभी ऑप्शऩ आपको ऑनलाइन मिल जाएंगे.

इसके साथ ही आपको बेस्ट ऑनलाइन कोटेशन मिलते हैं. जिसकी मदद से आप क्रेटा के बारे में ज्यादा जान पाते हैं. साथ ही आपको बेस्ट फाइनेंस ऑफर भी दिया गए है जिससे आपको किसी तरह कि कोई परेशानी नहीं होगी. आपको कार फाइनेंस कराने के लिए एसिस्टेंट भी दिया जाएगा. जो आपके हर एक कंफ्यूजन को दूर करेगा.

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आप कार के 360 डिग्री के बारे में भी घर बैठे जानकारी ले सकते हैं. सभी पार्टस की जानकारी लेने के बाद आप घर बैठे कार को बुक कर सकते हैं. जिसके बाद कार आपके घर पहुंच जाएगी. हुंडई क्रेटा बताता है कार खरीदने का आसान तरीका इसलिए इसे कहा गया है #RechargeWithCreta.

‘साथ निभाना साथिया 2’: नौकरानी से बहूरानी बनेगी गहना, देखें वीडियो

स्टार प्लस के सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ के दूसरे सीजन का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं सीरियल के प्रोमो से फैंस का इंतजार और बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर शो से जुड़ा क्रेज देखने को मिल रहा है. इसी बीच सीरियल का नया प्रोमो रिलीज कर दिया गया है, जो सोशलमीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या होगी शो की कहानी

अंनत और गहना का रिश्ता होगा खास

गोपी और अहम की तरह अनंत और गहना का रिश्ता भी फैंस को एंटरटेन करने वाला है, जिसके चलते अनंत बिना कहे ही गहना के मन की बात समझ जाएगा. सीरियल में गहना को घर में प्यार और सम्मान दिलाने के लिए अनंत घरवालों के भी खिलाफ जाने से नहीं हिचकिचाएगा. हालांकि देखना दिलचस्प होगा आखिर अनंत की बातों का घरवालों पर कितना असर पड़ेगा.

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फैमिली का होगा अहम रोल

लीड रोल में नजर आने वाले स्नेहा जैन और हर्ष नागर स्टारर सास-बहू ड्रामा ‘साथ निभाना साथिया 2’ फैंस के बीच 19 अक्टूबर से दस्तक देने वाला है, जिसके चलते पिछले प्रोमो में अंनत के परिवार की भी झलक दिखाई गई थी, जिसमें अनंत की भाभी उसे ताना मारते हुए कहती है कि अगर उसकी इतनी ही चिंता है तो उससे शादी क्यों नहीं कर लेते? हालांकि दूसरे प्रोमो में अनंत और गहना की शादी का ट्रैक साफ नजर आ रहा है.

बता दें, बीते दिनों खबरें थीं कि मोहम्मद नाजिम भी शो का हिस्सा बनने वाले हैं. वहीं शो में किरदार की बात करें तो पिछले सीजन में अहम के रोल में नजर आने वाले मोहम्मद नाजिम इस बार डबल रोल में फैंस को एंटरटेन करते नजर आएंगे. वहीं सीरियल में सूत्रधार की भूमिका में नजर आने वाली देवोलिना भी इस शो में दस्तक देती हुई नजर आने वाली हैं.

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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ से हुई इन 2 बच्चों की विदाई, कोरोना बनी वजह

कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच सीरियल्स की दुनिया में बड़ी उथल- पुथल देखने को मिल रही है. जहां गाइडलाइन्स के चलते सीरियल्स के सेट पर कई बदलाव करने पड़े तो वहीं कुछ सीरियल्स को बंद करना पड़ गया था. वहीं अब खबर है कि स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में भी दो कलाकारों को रातों रात बाहर का रास्त दिखा दिया गया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

कोरोना के चलते इन कलाकारों को कहा अलविदा

कोरोना वायरस गाइडलाइन के मुताबिक सेट पर 10 साल से कम उम्र के बच्चे काम नहीं करने के कारण मेकर्स ने मैज और तन्मय ऋषि को सीरियल से बाहर का रास्ता दिखाया है. सीरियल में दोनों की रोल की बात करें तो तन्मय ऋषि जहां नायरा और कार्तिक के बेटे का रोल निभाते नजर आते थे तो वहीं मैज, वंश के रोल में फैंस को एंटरटेन करते थे. वहीं अब खबरों की मानें तो मेकर्स इन किरदारों के लिए 10 साल से ज्यादा के उम्र के बच्चों को कास्ट करने का मन बना रहे हैं.

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नए ट्रैक में आएगा नया ट्विस्ट

सीरियल के करेंट ट्रैक की बात करें तो हाल ही में नायरा और कार्तिक दोबारा माता पिता बने हैं, जिसके चलते परिवार में खुशिंयां ही खुशियां हैं. लेकिन अब मेकर्स ने नया ट्विस्ट लाने के लिए करंट ट्रैक में बदलने का फैसला किया है. दरअसल, पिछले एपिसोड में जहां दिखाया गया था कि मनीष की याददाश्त लौट आई है. वहीं याददाश्त लौटने के बाद मनीष और दादी मिलकर कृष्णा को गोयनका हाउस निकालने का फैसला करेंगे.

बता दें, बीते दिनों सचिन त्यागी, स्वाति चिटनिस और समीर ओंकार समेत कई लोगों की ये रिश्ता क्या कहलाता है के सेट पर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद मेकर्स ने इस जोखिम ना उठाते हुए शो में बदलाव करने का फैसला किया है.

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अनेक तरह की होती हैं मम्मियां

लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह

आज के युग में एक ओर जहां मातृत्व की जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर मम्मियों में भी अनेक प्रकार देखने को मिलने लगे हैं. हर मम्मी अपने काम, स्वभाव, अगलबगल के वातावरण, बच्चों के व्यक्तित्व और अपनी क्षमता तथा रुचि के अनुसार अपने बच्चे को पालती है. हर मम्मी की अलग स्टाइल होती है, अलग विशेषता और अलग पर्सनैलिटी होती है.

मम्मियों के व्यक्तित्व के आधार पर बनीं मम्मियों की कैटेगरियों को आप भी जानिए.

हैलिकौप्टर मौम

हमेशा बच्चों के अगलबगल घूमने वाली मम्मी यानी हैलिकौप्टर मौम. बच्चे खेल रहे हों, होमवर्क कर रहे हों, सो रहे हों या टीवी देख रहे हों, इस तरह की मम्मियां उन के अगलबगल हैलिकौप्टर की तरह मंडराती रहती हैं. इस तरह की मम्मियों को न बच्चों पर भरोसा होता है और न अगलबगल के लोगों पर. ये अधिक से अधिक चिंता और निगरानी का बोझ लिए बच्चों को अपनी नजरों दूर नहीं होने देना चाहतीं. किचन से ये बच्चों के कमरे में चार बार चक्कर मारेंगी.

खास उम्र तक बच्चों के आगेपीछे रहने से बच्चा कुछ गलत करने या असुरक्षा से बच सकता है, पर बड़े होने पर हैलिकौप्टर मौम के बच्चे डरपोक हो सकते हैं. उन की निर्णय लेने की क्षमता विकसित नहीं हो सकती. उन्हें हमेशा मम्मी के अटेंशन की आदत पड़ जाती है. लंबे समय तक मम्मी का व्यक्तित्व भी तनावग्रस्त बन सकता है. ऐसी मम्मियों के बैलेंस्ड व्यवहार के लिए बच्चों को रास्ता खोजना चाहिए.

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फ्रीस्टाइल मौम

कुछ मम्मियां स्वतंत्र और आधुनिक विचारों वाली होती हैं. ऐसी मम्मियों को ही फ्रीस्टाइल मौम कहते हैं. ये अपने बच्चे को भूल करने, सीखने और मनपसंद काम करने आदि सब तरह की स्वतंत्रता देती हैं. बच्चों को अधिक रोकटोक करने में ये विश्वास नहीं करतीं. बेशक, इस तरह की मम्मियां सभी को पसंद आएंगी. फ्रीस्टाइल मौम के बच्चे कौन्फिडैंट और डिसीजन पावर की क्षमता रखते हैं, परंतु अगर इन में सहीगलत का विवेक न हो तो ये गलत रास्ते पर जा भी सकते हैं. जब तक बच्चे में समझ न आ जाए, तब तक मम्मी का मार्गदर्शन आवश्यक है. कभीकभी बच्चे मिलने वाली छूट का दुरुपयोग करते हैं. इसलिए, बच्चे की मैच्योरिटी, मिजाज और समझ के आधार पर कितनी छूट देनी है, यह तय करना चाहिए.

कौम्पिटेटिव मौम

ऐसी मम्मियों को हर मामले में प्रतियोगिता दिखाई देती है. दुख की बात यह है कि ये बच्चों को प्रतियोगिता का घोड़ा बना देती हैं. अगर किसी मौम ने कह दिया कि ‘मेरा बेटा तो 4 घंटे पढ़ता है’ तो कौम्पिटेटिव मौम अपने बच्चे को 6 घंटे पढ़ने के लिए कहेंगी. फ्रैंड का बच्चा म्यूजिक में जाता है तो अगर उन के बच्चे को खेल में रुचि होगी, तब भी वे उसे म्यूजिक क्लास में ही भेजेंगी. यही नहीं, ये बच्चे के फ्रैंड की मम्मी के साथ भी कौम्पिटीशन में उतर आती हैं. इन्हें दूसरों की अपेक्षा अधिक चाहिए. ऐसी मम्मियां 80 प्रतिशत मामलों में बच्चे का नुकसान करती हैं और खुद दुखी होती हैं.

टायर्ड मौम

ऐसी मम्मियां चौबीसों घंटे थकी दिखाई देती हैं. इन्हें बोलनेचालने और बच्चों को खेलाने में भी थकान लगती है. इन्हें कभी पूरी नींद नहीं मिलती, पूरा समय नहीं मिलता, सिर या पेट दर्द की हमेशा शिकायत रहती है. ऐसी मम्मियों के बच्चे भी हमेशा निस्तेज दिखाई देते हैं, क्योंकि हमेशा थकानऊब की शिकायत से वातावरण की ताजगी गायब हो जाती है. आज की महिलाओं के एकसाथ अनेक मोरचों पर लड़ने की वजह से कभीकभी यह शिकायत सच हो सकती है, पर इस का हल निकालने के बजाय रोते रहने से कोई फायदा नहीं है. टायर्ड मौम बच्चों को भी मानसिक रूप से थका देती हैं.

हौट मेस मौम

हौट मेस मौम यानी बच्चों के पास आने वाला मानवरूपी तूफान. ये हमेशा लेट होती हैं. कहीं जाना होगा तो बच्चों और खुद की ड्रैसिंग के बारे में तय नहीं कर पातीं. जहां जाना होगा वहां के पूरे पते की जानकारी नहीं होगी. इन के बच्चे खुद ही बड़े हो जाते हैं. दुनिया भले ऊंचीनीची हो जाए पर इन के पेट का पानी नहीं हिलता. ऐसी मम्मियों के बच्चे समय के महत्त्व, शिष्टता और जिम्मेदारी सीखने में असफल साबित होते हैं.

परफैक्ट मौम

मम्मी का यह रूप आदर्शवादी माना जाता है. जबकि, ऐसी मम्मियों की मात्रा मात्र 10 प्रतिशत है. ये मम्मियां सौ प्रतिशत अपने मातृत्व के प्रति समर्पित होती हैं. इतना ही नहीं, ये अपनी पत्नी या कैरियर वुमन के रूप में भी अपनी भूमिका बखूबी निभाती हैं. ये अपने और अपने बच्चे के शारीरिक तथा मानसिक विकास के लिए हर जरूरी बात का ध्यान रखती हैं. ऐसी मम्मियों से ज्यादातर बच्चे खुश रहते हैं. ये कभीकभी अधिक सख्त हो कर बच्चों को परिणाम तक ले जाती हैं. परंतु हर समय सख्ती जरूरी है, यह कहना जरा मुश्किल है.

सुपीरियर मौम

ऐसी मम्मियों का सोचना होता है कि वे अपने बच्चे के लिए सबकुछ अच्छा करें. बच्चे का रत्तीभर नुकसान न हो, इस के लिए बच्चे की अधिक से अधिक देखभाल कर के खुद सुपीरियर होना चाहती हैं. जैसे, बच्चों को उबला पानी ही पिलाना, और्गेनिक फूड की व्यवस्था करना, बाहर का बिलकुल न खाने देना, दिन में कई बार हाथ धुलवाना, स्कूलबैग अपनी जगह पर रखवाना और कपड़े में एक भी दाग न लगने देना आदि. ये सभी बातें वैसे तो बच्चे के लिए अच्छी हैं, परंतु ये बच्चे को अन्य बच्चों से दूर ले जाती हैं. बच्चा हर जगह एडजस्ट नहीं हो सकता. अगर कभी उसे बंधन तोड़ने का मन हुआ तो वह झूठ बोल कर चिप्स खाएगा. कपड़े पर दाग न लग जाए, इसलिए डरडर कर खाएगा. बच्चों में अच्छी आदतें दूसरों को देख कर और समझ से आती हैं, लादने से नहीं. ऐसे में बच्चे को बच्चा बन कर जीने देने में ही मजा है.

किडी मौम

इस तरह की मम्मियां एकदम बच्चों जैसा व्यवहार करती हैं. बच्चों के साथ बच्चा बन कर रहती हैं. वे मां हैं, यह बात वे भूल जाती हैं. अगर किडी मौम और बच्चा, दोनों पार्क में झूला झूल रहे हैं तो ये बच्चे से अधिक तेज झूलेंगी. बच्चों की तरह शोर भी करेंगी. बच्चों के साथ उसी की भाषा में बात करेंगी और बच्चों के दोस्त की तरह उस की बातें भी शेयर करेंगी. देखा जाए तो इस में कुछ गलत भी नहीं है. पर मां और बच्चे के बीच जो मानसम्मान या छोटीबड़ी मर्यादा होती है, वह नहीं रह जाती. बच्चे को सिखाने जैसा लाइफ का लेसन नहीं सिखाया जा सकता.

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टैक्नो मौम

ये मम्मियां अनुभव या परिवार में लोगों की सलाह के बदले बच्चे की देखभाल के लिए इंटरनैट को गुरु मानती हैं. बच्चे को सर्दी होगी, तो ये नैट से सर्दी का इतिहासभूगोल दोनों जान लेंगी. बच्चे के रोजरोज के फोटो ये सोशल मीडिया पर अपडेट करती रहेंगी. खिलौनेकपड़े आदि की पसंद भी नैट द्वारा ही करेंगी. बाहर जाएंगी, तब भी बच्चे से कनैक्ट रहेंगी. यूट्यूब से स्टोरी और पोएम सुनाएंगी. ठीक है, टैक्नोलौजी का उपयोग गलत नहीं है, परंतु ऐसा न हो कि बच्चे के साथ बिताने वाला समय मोबाइल और इंटरनैट सर्फिंग में चला जाए. मां की इस आदत से बच्चे भी टैक्नोलौजी पर डिपैंड हो जाएंगे. वास्तव में बचपन में मां कहानी कहे, लोरी गाए और शाम को घुमाने ले जाए, यह ज्यादा अच्छा लगता है.

करियर ओरिऐंटेड मौम

ऐसी मम्मियों को बच्चों से ज्यादा अपने कैरियर की चिंता रहती है. ये बच्चों को आया या किसी अन्य केयरटेकर के भरोसे छोड़ कर आराम से अपना समय, नौकरी या बिजनैस में बिता सकती हैं. ये बच्चों को अच्छा स्कूल, सुखसुविधा या व्यवस्था दे सकती हैं, मात्र समय नहीं दे सकतीं. ये बच्चे की खुशी के साथ समझौता कर सकती हैं, पर अपने काम के साथ नहीं.

बौसी मौम

ऐसी मम्मियों को पूरा दिन हुक्म चलाना अच्छा लगता है. वे कहें नहीं कि बच्चे उन की बात सुन कर उस पर अमल करें, इस तरह की इन की मानसिकता होती है. ये कोई दलील या न सुनना पसंद नहीं करतीं. ऐसी मम्मियों से बच्चे दूर भागते हैं और इन की बौन्डिंग कच्ची रहती है. बच्चों को हमेशा डर रहता है कि मम्मी अभी कुछ कहेंगी, खेलने के लिए या पढ़ने के लिए उठाएंगी वगैरहवगैरह.

मनुष्य के स्वभाव के अनुसार मम्मियों का वर्गीक्रण किया गया है. सोचिए, इन में आप किस तरह की हैं.

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हे राष्ट्रद्रोही!

अक्सर मेरी निगाह इन दिनों राष्ट्रद्रोह शब्द पर पड़ जाती है. यह राष्ट्र द्रोही है!यह राष्ट्रद्रोही है!! वह राष्ट्रद्रोही है!!!अज्ञात चेहरे को “राष्ट्रदोही” कह कर हमारे नामचीन और अनाम चेहरे तलवार भांज रहे हैं.कुछ वर्ष पूर्व एक जनरल ने, एक पत्र  प्रधानमंत्री को लिखा था वह  लीक हो गया.उसमें  जनरल महाशय  ने बेहद गंभीर बातें लिखी थी, वह सारी बातें मीडिया में आ गई और हाय-तौबा मच गई . विपक्ष को मौका मिल गया. संसद का सत्र चल  रहा था . सरकार की किरकिरी हो गई तो उद्घोष हो गया -” जिसने पत्र लीक किया “राष्ट्रद्रोही” है !”

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा,- पत्र लीक करने वाला देशद्रोही ही हो सकता है.”  मै मंत्री जी के स्टेटमेंट से गंभीर हो गया.हमारे रक्षा मंत्री अगर कह रहे हैं तो मानना पड़ेगा, पत्र को लीक करने वाला, भारत माता का सपूत हो ही नहीं सकता. जरूर उसकी माता “पाक की धरती” होगी या चीन की, इसलिए उसने ऐसा धतकरम किया होगा.

इधर जनरल  ने भी रक्षा मंत्री के स्वर में स्वर मिलाकर बयान दे डाला .जिसका लब्बोलुबाब यही था कि उसके द्वारा लिखित पत्र को लीक करने वाला देशद्रोही है. उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
अब इतना गंभीर विषय है. देश की सर्वोच्च विभूतियां अगर उसे देशद्रोही निरूपित कर रही हैं तो सवाल है वह विदेश से प्रेम करने वाला शख्स हमारे देश में कौन है ? वह कहां है ? क्या वह कोई विदेशी है या भारतीय ?
मुझे पूर्ण यकीन है यह काम किसी विदेशी बंदे का कतई नहीं है. जरूर यह कार्य हमारे देश के ही किसी सपूत ने किया है . अब सवाल है, जब पत्र लीक करने वाला इस देश का ही बाशिंदा है तो क्या वह देशद्रोह की सजा पाएगा ? क्या हमारे देश की पुलिस, सीबीआई, इंटेलिजेंस उसे गिरफ्तार करने और सजा देने में कामयाब हो पाएगी ?

मेरे  मन में एक प्रश्न और है- क्या गिरफ्तारी हो भी गई, तो कोर्ट में मामला ठहरेगा ? और ठहरेगा भी तो क्या इस देश के कानून के तहत उस शख्स को देशद्रोही ठहराया जा सकता है ?

मै जानता हूँ, यह संभव ही नहीं. जब  मेरे  जैसा अदना सा आदमी यह निष्कर्ष निकाल सकता है तो इत्ते पढ़े-लिखे देश को चलाने वाले नेता क्या यह बात नहीं जानते हैं… !
और अगरचे जानते हैं तो फिर ऐसी बातें क्यों कहते हैं, जिनका न हाथ है न ही पैर . यह तो कुछ ऐसी बात हुई-
मोहल्ले की दो महिलाएं लड़ पड़ी, एक दूसरे पर आक्षेप लगाने लगी ।
एक- तू छिनाल है!
दूसरी-  जा तू भी छिनाल है!!
एक- तू तो एक मर्द के पीछे मरी जा रही है. तूझे तो दूसरा घास ही नहीं डालता .
दूसरी – और तू एक से संतुष्ट नहीं है छिनाल.
एक- मेरे तो छत्तीस-छत्तीस आगे पीछे डोलते हैं .
या फिर गली के बदमाश बच्चे झगड़ते चिल्लाते मिल जाते हैं-
एक बच्चा- श्यामू!राजू से खिड्ड़ी हो जा ।
दूसरा बच्चा- क्यों ?
एक बच्चा- यह मेरा कहना नहीं मान रहा…
दूसरा बच्चा- जा, मैं भी तेरा कहना नहीं मानता.
गोकि मुझेको महसूस होता है जो पराया है वह आज भी राजनीति में देशद्रोही है. चाहे उसका अपराध क्षुद्र  सा ही क्यों न हो. और अगर अपना है तो देश को बेच भी रहा है, तो वह क्षम्य  है और आंख बंद कर ली जाती है . बड़े मजे की बात कहते हैं- “इस मुद्दे पर कहने से देश को हानि होगी. यह देश हित में नहीं होगा.”

वाह ! क्या तर्क है. अब काले धन की बात ही करें . जब जब कोई विदेश में बंदा कालेधन को लाने की बात करता है तो देश के कर्णधार अनसुनी कर देते हैं या फिर रटारटाया जवाब होता- यह राष्ट्रहित में नहीं है, उन नामों की घोषणा सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकती .
अब यह समझने वाली बात है, समझने वाले समझ गए की सूची में किनके नाम है.दरअसल, इन नामों में कुछ देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले भी होंगे . अब अगर इन नामों को उजागर कर दिया जाएगा तो देश भक्त और देशद्रोही की परिभाषा पुन: तय करने की स्थिति निर्मित होगी की नहीं .
तो हमे प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी लीक मामले में इंतजार है देशद्रोही की गिरफ्तारी का. पत्र में इतनी इतनी गंभीर बातें लिखी गई हैं कि देश के हालात आईने की तरह दुनिया के सामने है . विदेशी शक्तियों के समक्ष हम नंगे हो गए हैं . अब जब हम नग्न हैं और नंगे हो गए हैं, तो उस आदमी को कैसे छोड़ सकते हैं, जिसने हमें नग्न, सरे बाजार कर दिया है . सवाल यह नहीं है कि हम नंगे क्यों है, सवाल है, तुमने हमें दुनिया के समक्ष नंगा क्यों किया ? वाह रे भारतीय नेताओं के राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र द्रोह की परिभाषा…

सामाजिक बहिष्कार आत्महत्या का एक कारण

एक व्यक्ति सामाजिक जाल से बच कर नहीं जी सकता. हमारे अस्तित्व के लिए समाज के प्रति अपनेपन की भावना का होना आवश्यक है. जब किसी व्यक्ति का किसी एक सामाजिक समूह द्वारा जान बूझ कर बहिष्कार किया जाता है तो यह उसके दिमाग में स्ट्रेस का कारण बन सकता है. जिसके कारण न केवल डिप्रेशन बल्कि आत्महत्या की भी नौबत आ सकती है. इसलिए उसकी भागीदारी भी उसके मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य व सफलता के लिए आवश्यक होती है. इस कारण कोई भी इंसान नकारत्मक हो सकता है जिसकी वजह से उस के इम्यून सिस्टम पर भी प्रभाव पड़ सकता है. अतः अपनेपन की भावना को हम आत्मविश्वास से जोड़ सकते हैं.

किसी एक समूह से तालुकात रखना हमारी सामाजिक छवि को दर्शाता है जोकि हमारी व्यक्तिगत छवि के लिए बहुत आवश्यक है. आप की सामाजिक छवि आप की एक पहचान है जो आप को समाज में किसी गुणी समूहों का हिस्सा बनने पर मिलती है. अतः सामाजिक बहिष्कार एक बहुत ही दर्दनाक स्थिति होती है. किसी एक समूह द्वारा किसी व्यक्ति विशेष को बिल्कुल इग्नोर करना उसके जीवन पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डाल सकता है. यदि कोई थोड़े समय के लिए बहिष्कृत किया जाता है तो उसे इससे संभलने में भी ज्यादा समय नहीं लगता है. परंतु यदि यह बहिष्कार काफी लंबे समय तक किया जाता है तो इसका उस व्यक्ति पर असर भी लंबा ही होता है. इसके दिमाग में बहुत नकारत्मकता भर जाती है.

सामाजिक बहिष्कार अनुत्पादकता, हाशिए ( जो लोग नीची जाति के होने के कारण समाज द्वारा एक किनारे पर धकेल दिए जाते हैं ) व गरीबी से जुड़ा हुआ है. बहिष्करण से संबंधित सामाजिक समस्याएं समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं.  इस तरह के अनुभव आम हैं और जो लोग सबसे असुरक्षित हैं, उनमें एकल महिलाएं, बेरोजगार लोग, विकलांग और बेघर शामिल हैं.  सच में, जब हम एक समूह से बाहर किए जाते हैं, तो हम सभी को बहुत दर्द होता है.

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किसी के जीवन में ऐसे समय भी आते हैं जब कोई ऐसे अनुभवों से वह सबसे अधिक कमजोर हो जाते है, विशेषकर किशोरावस्था में.  यह हमारे सहकर्मी समूह के साथ सामाजिक संबंधों को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय में से एक समय है.  जीवन के इस पड़ाव पर सामाजिक पहचान की आवश्यकता सबसे महत्वपूर्ण है.  स्वीकृति और लोकप्रियता इस स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.  साथियों द्वारा बहिष्करण किसी को अस्वीकार्य महसूस करा सकता है और तीव्र नकारात्मक भावनाओं को पैदा कर सकता है, जो अक्सर बुलीइंग द्वारा बढ़ाए जाते हैं. जो लोग दूसरों को हीन महसूस करवाते हैं उन्हें बुली कहा जाता है और यह लोग एक ही इंसान को बार बार अपना शिकार बनाते हैं. यह तब बहुत ही मुश्किल हो जाता है जब एक समूह मिलकर हमें रणनीतियों के साथ बहिष्कृत करे. यह देखने में बहुत ही आम होता है इसलिए इसे कोई नोटिस नहीं करता है.

अब समय के साथ साथ सामाजिक बहिष्कार के लिए भी नई नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिसमें साइबर बुलीइंग व सेक्सटिंग एक है. इन केस में किशोरों को बेइज्जत किया जाता है, उनका मजाक उड़ाया जाता है और इसलिए उन बच्चों को स्कूल बदलने की भी नौबत आन पड़ती है.

हम इसे कैसे संबोधित कर सकते हैं?

ऐसी घटनाओं से आत्महत्या के लिए जोखिम कारक में वृद्धि हुई है.  यह एक ऐसी समस्या है जो दुनिया भर के देशों में एक गंभीर समस्या है.  यही समय  है जब हम इसे एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या मानना होगा और आत्महत्या के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए उचित हस्तक्षेप को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए कदम उठाना होगा.  आत्महत्या करना विशेष रूप से मुश्किल है क्योंकि यह कई धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है.  यद्यपि शोधकर्ताओं और मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि स्कूल स्तर पर आत्महत्या स्क्रीनिंग कार्यक्रम और आत्महत्या रोकथाम प्रोग्रामिंग आत्महत्या की दर को कम करने में मदद करती है, हमारे पास अभी तक व्यापक-आधारित कार्यक्रम नहीं हैं.  इस मोर्चे पर प्रगति करने के लिए, हमें उन सांस्कृतिक बाधाओं को दूर करना होगा जो इन मुद्दों पर संवाद और टकराव को रोकती हैं जो न केवल नाजुक हैं बल्कि सांस्कृतिक सामान की अलग-अलग डिग्री के साथ आती हैं.

प्रकृति पोद्दार,  वेलनेस लिमिटेड की डायरेक्टर व मेंटल हैल्थ एक्सपर्ट से बातचीत पर आधारित

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Festive Special: शादी की खबरों के बीच पंजाबी कुड़ी बनीं नेहा कक्कड़, Photos Viral

बौलीवुड की पौपुलर सिंगर नेहा कक्कड़ इन दिनों अपनी शादी की खबरों के कारण सुर्खियों में हैं. हाल ही में नेहा ने सोशलमीडिया के जरिए अपने होने वाले पति रोहनप्रीत सिंह के साथ अपने रिश्ते को कबूल किया है. हालांकि औफिशियली तौर पर नेहा की तरफ से कोई अनाउंसमेंट की गई हैं. लेकिन उनके सोशलमीडिया से शेयर की गए पोस्ट में शादी की खुशी देखते ही बन रही है. दरअसल, सिंगर नेहा कक्कड़ ने अपनी कुछ फोटोज इंस्टाग्राम पर पोस्ट की हैं, जिनमें चेहरे की खुशी और गुलाबी रंग का सूट में खेतों के बीचोंबीच मस्ती करती नजर आ रही हैं. लेकिन आज हम नेहा की शादी या किसी सौंग की नही बल्कि उनके लुक की बात करेंगे, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं आप नेहा कक्कड़ के इन लुक्स को फेस्टिव या वेडिंग सीजन में आसानी से ट्राय कर सकती हैं.

फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट है रानी कलर सूट

रानी कलर का सूट पहने नेहा का लुक शादी और फेस्टिवल्स के लिए परफेक्ट औप्शन है. गोल्डन प्रिंट से माइक्रो साइज की बूटियां और अन्य डिजाइन से बने नेहा के सूट के डिजाइन को शिफॉन के दुपट्टे पर भी रिपीट किया गया था. इस आउटफिट पर गोटा-पट्टी वर्क भी किया गया था, जो उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहा था. ज्वैलरी की बात करें तो नेहा सिल्वर झुमकों और नोज रिंग के साथ मैच करती नजर आ रही हैं, जिसे वैडिंग या फेस्टिव सीजन में कैरी कर सकते हैं.

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प्लेन सूट के साथ लहरिया दुपट्टा है परफेक्ट

नेहा ने अपने गाने में लाइट ऑलिव ग्रीन कलर के सूट और मैचिंग प्लेन सलवार के साथ बॉर्डर पर गोल्डन फ्रिंजेज़ वाला लुक तैयार किया था, जिसके साथ खास पिंक लहरिया दुपट्टा नेहा के लुक को कम्पलीट कर रहा था. नेहा कक्कड़ के इस सूट लुक को फेस्टिव सीजन में आसानी से कैरी किया जा सकता है.

ब्लैक कुर्ता और पटियाला सलवार है फेस्टिव परफेक्ट

 

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गाने में नेहा पंजाबी लुक कैरी करते हुए ब्लैक कुर्ते और पटियाला सलवार में भी नजर आईं. कुर्ते पर ओवरऑल गोल्डन प्रिंट किया गया था, जो माइक्रो साइज का था. वहीं फुल स्लीव्स पर इसी कलर का बड़ा प्रिंट स्टाइलिश लग रहा है. कुर्ते के साथ गोल्डन पटियाला सलवार को मैच किया गया था, जिसे  सिंपल रखा गया था.

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ब्राइट कलर है स्टाइलिश

आपको अगर ब्राइट कलर्स के शौकीन हैं, तो नेहा का ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. Diamond Da Challa  गाने के एक सीन में नेहा ब्राइट येलो कलर का सूट पहने नजर आईं थीं, जिसमें स्पैगटी स्लीव्स वाले  एंकल लेंथ कुर्ते के साथ उन्होंने मैचिंग सलवार पहनी थी और इस पर उन्होंने कलरफुल टाई एंड डाई दुपट्टा लिया था, जो बेहद स्टाइलिश लग रहा था. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो नेहा के सिल्वर ईयररिंग्स उनके इस ब्राइट कलर लुक को कम्पलीट कर रहा है.

औनलाइन स्टडी के दौरान बच्चों की आंखों का रखें ख्याल

इन दिनों पॉवर वाले चश्मे पहने बच्चों की बढ़ती संख्या को  देखकर बहुत चिंता होती है. टेक्नोलॉजी हमारी मदद करने और हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए होती है, लेकिन बहुत से आविष्कारों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है और उन्हें आलसी बना दिया है. कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास के लिए गैजेट्स के सामने ज्यादातर बच्चे अपना समय बिता रहे हैं. इसकी वजह से बच्चे बाहर खेलने बहुत कम जा पा रहे हैं. लेकिन यह चीज उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है खासकरके उनकी आंख के लिए यह बहुत खतरनाक है. इसलिए यह जरूरी है कि हम उनके स्क्रीन के सामने बैठने के समय को कम करें और उन्हें ऐसी डाइट दें, जो स्वाभाविक रूप से उनकी आंखों की रोशनी में सुधार करें. उन्हें बैलेंस्ड डाइट देने के अलावा मीडियम एक्सरसाइज और नियमित आंखों की जाँच खराब दृष्टि से निपटने के लिए सरल उपाय होती हैं.

अगर आपका बच्चा खाने के लिए बहुत उधम मचाता है और उसे भोजन के माध्यम से उचित पोषण नहीं मिल रहा हो, तो आपको विटामिन सप्लीमेंट वाली डाइट देनी चाहिए. मल्टी-विटामिन सिरप और अन्य खाद्य सप्लीमेंट जैसे रस और शेक बच्चों के शरीर की पोषण संबंधी जरूरतें और दृष्टि संबंधी समस्यायों को कम करेंगे.

यहां उन चीजों को बताया गया है, जिन्हें आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए:

हरे पत्ते वाली सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियों में कैरोटिनॉयड प्रचुर मात्रा में होती हैए जो विटामिन ए से भरपूर होते हैं अन्य विटामिन और मिनिरल जैसे कैल्शियम, विटामिन सी और विटामिन बी 12 भी इसमें पाए जाते हैं. इसलिए ब्रोकोली, केल, और कोलार्ड ग्रीन्स अपने बच्चे को खाने के लिए दें. पालक आंख की रोशनी के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें  एंटीऑक्सिडेंट जैसे ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. हालांकि इन पत्तेदार सब्जियों को ज्यादा नहीं पकाया जाना चाहिए. इसे कच्चा खाने पर यह ज्यादा फायदा करती है.

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नट्स और सीड्स

पिस्ता काजू बादाम अखरोट और मूंगफली विटामिन ई से भरपूर होते हैं और प्राकृतिक रूप से  बच्चों में मायोपिया की संभावना को कम कर सकते हैं. इन नट्स में कुछ मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होते हैं. साथ में, ये फैटी एसिड और विटामिन ई इन दिनों ड्राई आईज को रोकते हैं, जो इन दिनों बच्चों में होने वाली आम समस्या है. फ्लैक्स सीड और चिया के बीज भी आंखों से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर सकते हैं.

मछली का तेल

मछली का तेल सामन, मैकेरल, और टूना जैसी मछली की किस्मों से प्राप्त किया जा सकता है. हमारे रेटिना में डीएचए होता है जो एक फैटी एसिड होता है यह मछली के तेल में पाया जाता है. रेटिना में डीएचए की कमी से सूखापन हो सकता है और इससे आंखों में समस्या हो सकती है. अपने बच्चे को मछली का तेल देने से आंखों में सूखेपन को रोका जा सकता है और आंखों की समस्याओं की संभावनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है.

फलियां

ज़िंक (जस्ता) फलियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है इससे रेटिना को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. बच्चों को स्वस्थ आंखों की दृष्टि के लिए काली आंखों वाले मटर, दाल और किडनी बीन्स जैसे फलियां जरूर खाना चाहिए. हम जानते हैं कि बच्चे फलियां खाना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन अपने बच्चे की शिकायतें न सुनें. फलियां आंखों की सेहत के लिए अच्छी होती हैं और आपको जरूर सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका बच्चा उन्हें खाएं.

अंडे

अंडे विटामिन ए और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. अंडे में ल्यूटिन और एंटीऑक्सिडेंट भी भरपूर मात्रा में होता है. जो अंधापन को रोकता है और मैकुलर डीजेनेरेशन (धब्बेदार अध: पतन) से लड़ता है. अंडे भी नेत्र संरचनात्मक संरचना (ऑक्युलर स्ट्रकचरल इंटीग्रिटी) को बनाए रखते हैं और सुनिश्चित करते हैं आँखें अपना काम उचित रूप से करें. इसलिए, अपने बच्चे को अंडे खाने दें और उनमे आंखों की समस्या दूर रखें.

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फल

आंखों के स्वास्थ्य लिए विटामिन सी बहुत जरूरी होता है. विटामिन सी को संतरे, अमरूद, नींबू, टमाटर आदि जैसे खट्टे फलों से प्राप्त किया जा सकता है. अपने बच्चे को स्ट्रॉबेरी देकर आंखों के संक्रमण और बीमारियों से बचा सकते हैं. नारंगी या आम, पपीता और खुबानी जैसे पीले फल विटामिन ए से भरपूर होते हैं, जो रतौंधी रोकने के लिए महत्वपूर्ण होते है. खुबानी एक सुपर-फल है जो कैरोटिनॉइड, बीटा-कैरोटीन और लाइकोपीन से भरपूर होता है इसे बच्चो को नियमित रूप से देना  चाहिए. ब्लूबेरी और अंगूर एंथोसायनिन से भरे होते हैं जो रात में देखने की क्षमता में सुधार करते हैंए और इस तरह, आंखों को आसानी से अंधेरे में देखने के अनुकूल बनाते है. ब्लूबेरी में रोशनी बढ़ाने वाले फ्लेवोनोइड्स भी होते हैं जैसे रेस्वेराट्रोल, क्वेरसेटिन और रुटिन आदि. इसलिए, अपने बच्चे को रोजाना फल खाने के लिए दें.

मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा, बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ रमानी रंजन से बातचीत पर आधारित

कैसे चुनें बैस्ट ब्यूटी प्रोडक्ट्स

 लेखिका-अनामिका अनूप तिवारी

खूबसूरत दिखने के लिए आप तरहतरह के सौंदर्यप्रसाधनों का प्रयोग तो करती हैं, मगर क्या आप ने कभी यह जानने की कोशिश की कि वे आप के चेहरे और त्वचा के लिए कितने सही हैं? अगर नहीं तो अब इस का ध्यान रखें, क्योंकि घटिया सौंदर्यप्रसाधन त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बालों और त्वचा के लिए कौन से ब्रैंड के कौस्मैटिक्स सब से अच्छे हैं इस के बारे में ओरिफ्लेम कौस्मैटिक्स, फरीदाबाद की डाइरैक्टर सीमा शर्मा कहती हैं, ‘‘हमेशा अपनी त्वचा के अनुरूप ही कौस्मैटिक्स का इस्तेमाल करना चाहिए. लुभावने विज्ञापन देख कर कौस्मैटिक्स खरीदना सही नहीं. इन का सही चुनाव बहुत जरूरी है, क्योंकि हर उम्र की त्वचा की अपनी अलग जरूरत होती है.

अत: इस के लिए जरूरी है कि अपनी उम्र और त्वचा के अनुरूप कौस्मैटिक्स का प्रयोग किया जाए.’’

बैस्ट हेयर केयर प्रोडक्ट्स

इस संबंध में नोएडा की हेयर स्टाइलिस्ट ऐंड मेकअप आर्टिस्ट मीनू मेहरोत्रा तलवार का कहना है, ‘‘बालों के लिए हमेशा बैस्ट कौस्मैटिक्स खरीदें. ये थोड़े महंगे तो होते हैं पर इन के प्रयोग से आप इस बात से बेफिक्र रहेंगी कि इन से आप के बालों पर कोई साइड इफैक्ट नहीं होगा. हेयर हाईलाइटिंग, कलरिंग, शैंपू, कंडीशनर के लिए आप श्वार्जकोफ, लोरियल, मैट्रिक्स, वेल्ला और रेवलौन ब्रैंड के प्रोडक्ट्स का चुनाव कर सकती हैं.

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‘‘इन सभी ब्रैंड्स के हेयर कलर्स में अमोनिया की मात्रा कम होती है, जिस से बाल रूखे और बेजान नहीं होंगे. हां, कलर और हाईलाटिंग से बालों पर थोड़ाबहुत असर तो पड़ता है, पर इस के लिए महीने में 2-3 बार बालों में औयलिंग जरूर करें.’’

बैस्ट फेस प्रोडक्ट्स

फाउंडेशन: इस का चुनाव हमेशा अपनी त्वचा के रंग को ध्यान में रख कर करें. तैलीय, शुष्क, मिश्रित, संवेदनशील इन में से आप की त्वचा किस प्रकार की है, कौस्मैटिक्स खरीदने से पहले यह जरूर ध्यान रखें. ओरिफ्लेम जिओर्दनी का लौंग लास्टिंग मिनरल फाउंडेशन आसानी से चेहरे पर एकसार हो जाता है. यह चेहरे पर ग्लो तो लाता ही है, त्वचा को धूप से होने वाले दुष्प्रभाव से भी बचाता है. इस में ‘प्रिसियस इटैलियन वोल्कैनिक मिनरल’ होता है, जो त्वचा का खयाल रखने के साथसाथ ऐंटीएजिंग का भी काम करता है.

मैक प्रो लौंग वियर भी एक बेहतरीन फाउंडेशन है, जो त्वचा को अनोखी चमक प्रदान करता है.

ओरिफ्लेम, मैक, फेशेज, बेअरमिनरल्स मैट फाउंडेशन ब्रौड स्पैक्ट्रम एसपीएफ 15, ला प्रेरी स्किन कैवियर कंसीलर फाउंडेशन, ये सभी उच्चकोटि के उत्पाद हैं.

आई मेकअप कौस्मैटिक्स: काजल ओरिफ्लेम, लैक्मे, मेबलिन, मैक का चुनें. आईशैडो का चुनाव जुवियास प्लेस, मेकअप रैवोल्यूशन से करें.

बैस्ट मेकअप प्रोडक्ट्स

सैटिंग पाउडर: लौरो मर्सिअर, मैक.

कंसीलर: मेकअप रैवोल्यूशन, फेशेज, बौबी ब्राउन.

कंटूर: कटवोन डी शेड एंड लाइट, मैक.

हाईलाइटर: द ब्लेम मैरी लौ मैनाइजर.

लिपस्टिक: मैक, ओरिफ्लेम जिओर्दनी, एनवाईएक्स, मेबलिन.

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ऐंटीएजिंग क्रीम: ओरिफ्लेम कौस्मैटिक्स की डाइरैक्टर सीमा शर्मा बताती हैं, ‘‘ओरिफ्लेम ने ऐंटीएजिंग पर भारतीय वातावरण को ध्यान में रखते हुए नोवऐज को 3 शृंखला में निकाला है. 30 से

50 की उम्र तक आप अपने चेहरे पर बढ़ती लकीरों को कम कर खूबसूरत बन सकती हैं. ओले ऐंटीएजिंग क्रीम के भी बेहतरीन परिणाम मिले हैं.’’

प्रो कोलेजन मरीन क्रीम को प्रयोग करने वाली महिलाओं का कहना है कि बिना कोई शक किए इस क्रीम का इस्तेमाल कर मात्र 15 दिनों में ही अपने चेहरे पर फर्क देख सकती हैं. बौबी ब्राउन ऐक्स्ट्रा आई रिपेयर क्रीम भी बेहतरीन साबित हुई है.

मुझे छोटी-छोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है?

सवाल-

मेरी उम्र 41 साल है. मुझे छोटीछोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है. शौपिंग में ज्यादा समय लगना, भीड़भाड़ वाली जगह, गरमी आदि में मुझे बेचैनी होने लगती है, साथ ही पसीना भी आता है. इस का क्या कारण हो सकता है और इस से राहत कैसे मिलेगी?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए लक्षणों से उच्च रक्तचाप का पता चलता है. इसे हाइपरटैंशन या हाई बीपी के नाम से भी जाना जाता है. हाई बीपी के दौरान धमनियों में खून का दबाव तेज हो जाता है. इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में आप की धड़कन भी तेज हो सकती है. यही नहीं उच्च रक्तचाप हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. यह समस्या धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी, शराब का अत्यािक सेवन, तनाव आदि के कारण होती है. हालांकि, हाई ब्लड प्रैशर के उपचार के लिए बाजार में कई दवाइयां मिल जाएंगी. इस समस्या को कुछ हद तक घर बैठे ही नियंत्रित किया जा सकता है. रोज सुबहशाम 1 चम्मच शहद के साथ लहसुन की 1 कली खाएं. 1 गिलास पानी में 2 चम्मच आंवले का रस मिलाएं. इसे हर सुबह खाली पेट पीएं. बेचैनी होने पर ठंडा पानी पीएं. इस से राहत मिलेगी.

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ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

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