‘कुमकुम भाग्य’ में काम कर चुकी इस एक्ट्रेस ने पिता पर लगाए गंभीर आरोप, Video Viral

कोरोनावायरस के कहर के बीच महिलाओं पर होने वाले क्राइम की संख्या बढ़ रही है. वहीं टीवी इंडस्ट्री के सितारे में भी इसका शिकार हो रहे हैं. दरअसल, कुछ समय पहले ही सोशलमीडिया के जरिए सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ में काम कर चुकी एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने भी अपने पिता पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला…

इंस्टाग्राम पर शेयर किया वीडियो

‘कुमकुम भाग्य’ फेम एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता एक्ट्रेस को जान से मारना चाहते हैं. वीडियो में तृप्ति शंखधर कहती नजर आ रही हैं कि, ‘मैं तृप्ति शंखधर बरेली यूपी की रहने वाली हूं. मेरे पिता का नाम रतन शंखधर है. कुछ देर पहले ही उन्होंने मेरा मर्डर करने की कोशिश की है. उन्होंने बाल पकड़कर मुझे बहुत मारा है.’

 

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Suna Toh Tha Papa Ke Liye Pari Hoti hai unki Betiyan 😔 . Even a famous TV actress being forced, think about thousands of girls being forced for marriage 😔 Raise Your Voice🤞 • • • • • • • Turn On Post Notifications • . @spotboye_in @bhaiyanireporter @instabollywood22 @repivedlife @ibollywoodcity @mankrit7610 @the_unseen_content @triptishankhdhar . • #girlpower #girlfreedom #powerofgirl #womenrights #womanpower #womenfreedom #actor #selflove #freedom #freedomforever #girliyapa #beti #laxmi #devi #mata #maa #village #teenagers #dream #dreamcometrue #gunjansaxena #kanganaranaut #kumkumbhagya #sritijha #triptishankhdhar #tvactor . #TheRealPixel #With #TheRealHeart

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अत्याचार के सबूत सोशलमीडिया पर किए शेयर


अपने जख्म दिखाते हुए तृप्ति शंखधर ने कहा कि, ‘उन्होंने मुझे घायल कर दिया है. मैं अपनी मर्जी से घर से भागी हूं. हो सकता है कि मेरे पिता पुलिस थाने में जाकर ये कह दें कि मेरा किडनैप हो गया है. जैसे ही मैं उनको मिलूंगी वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे. वो मुझे एक्ट्रेस बनाना चाहते हैं लेकिन अब तक मेरी केवल एक ही फिल्म रिलीज हुई है.’

 

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she’s safe now!!!! Thank you UP POLICE for supporting her🙏🙏🙏💓💓💓#uppolice @triptishankhdhar

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शादी के लिए कर रहें हैं मजबूर

आगे तृप्ति शंखधर ने कहा कि, ‘करियर में सफल न होने के बाद अब वो मुझे 28 साल के लड़के से शादी करने को मजबूर कर रहे हैं. मैं अभी केवल 19 साल की हूं. मेरी मदद कीजिए. यूपी पुलिस मेरी कोई मदद नहीं करेगी. मैंने पुलिस से बात करने की कोशिश की है लेकिन कुछ नहीं हो सका. अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा है.’

बता दें,  कुमकुम भाग्य के अलावा एक्ट्रेस तृप्ति शंखधर ने ‘परमावतार श्री कृष्ण’, ‘जिंदगी यू टर्न’, ‘कसौटी जिंदगी के 2’ और देव 2 जैसे टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी हैं. वहीं फिल्मी दुनिया की बात करें तो वह फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ में भी एक छोटा से किरदार में नजर आ चुकी हैं.

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 साफ हाथों से करें सेहत की शुरुआत

चाहे घर की गतिविधि हो या फिर बाहर की, हर काम में हाथों का ही इस्तेमाल होता है. ऐसे में भले ही हम सोचें कि हम ने तो किसी गंदी चीज को हाथ नहीं लगाया फिर भी हाथ क्यों धोने?? हैं, तो आप को बता दें कि रोगाणु और बैक्टीरिया ऐसे होते हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते, लेकिन वो हमारे हाथों में हर समय रहते हैं और जब हम अनजाने में ही इन हाथों से अपने चेहरे, नाक, मुंह को टच कर लेते हैं तब संक्रमित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. कोरोना के इस दौर में हाथों को सैनिटाइज कर संक्रमण के खतरे को काफी हद तक रोका जा सकता है.

क्या है ये हैंड सैनिटाइजर्स

हैंड सैनिटाइजर में क्लोरहेक्सिडाइन और इथेनॉल जैसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो वायरस और बैक्टीरिया की बाहरी सतह यानी प्रोटीन लेयर पर हमला करते हैं. हर जगह सोप से हाथ धोना संभव नहीं होता. ऐसे में हैंड सैनिटाइजर आप को संक्रमण फैलाने वाले वायरस से हर जगह सुरक्षा देता है.

बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी

ज्यादातर बच्चे जुकाम खांसी के चलते स्कूल में अनुपस्थिति रहते हैं. बच्चे बैक्टीरिया और वायरस से फैलने वाले संक्रमण से जल्दी प्रभावित होते हैं इसलिए उन्हें हैंड सैनिटाइजर और हाथों को साफ रखने का महत्त्व समझाना बहुत जरूरी है.

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सेंटर्स फौर डिजीज कंट्रोल के अनुसार जब भी आप खाना बनाएं, कूड़ा को हाथ लगाएं, पालतू जानवरों को खाना खिलाएं तब खासतौर पर हाथों को साफ करें, क्योंकि आप की एक छोटी सी लापरवाही से आप के साथसाथ आप के परिवार को भी इंफैक्शन हो सकता है.

बड़े गु्रप में जर्म्स को स्प्रैड होने से रोके

मीटिंग में हो या फिर क्लास रूम में या फिर शौपिंग प्लेस पर, सब जगह भीड़भाड़ ही होती है. ऐसे में हम अपने मूवमैंट को तो नहीं रोक सकते लेकिन बड़ी आसानी से रोगाणु को फैलाव होने से रोक सकते हैं, वह भी हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से. इस से आप भय रहित माहौल में काम भी कर पाएंगे, क्योंकि कहीं पर भी टच होने पर हैंड सैनिटाइजर से हाथों को साफ करने का विकल्प जो है आप के पास.

सैनिटाइजर का इस्तेमाल कैसे करें

भले ही आप कितना भी अच्छा सैनिटाइजर क्यों न इस्तेमाल कर लें, लेकिन अगर उसे लगाने का तरीका ठीक नहीं होगा तो वह उतना असर नहीं दिखा पाएगा, जितना दिखाना चाहिए.

ऐसे में जब आप हैंड सैनिटाइजर को हाथों पर अप्लाई करें तो सब से पहले एक हाथ की हथेली पर अप्लाई कर के उसे अच्छे से दोनों हाथों में लगाते हुए उंगलियों के बीच में भी तब तक अप्लाई करें जब तक वह ड्राई न हो जाए. अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी का कहना है कि हाथों का साफ होना या नहीं होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप के हाथ कितने गंदे हैं. अगर हाथों में चिपचिपाहट है तब सैनीटाइजर नहीं बल्कि साबुन कारगर होता है, क्योंकि सैनिटाइजर से ग्रीसी गंदगी साफ नहीं होती है इसलिए हाथों को सही तरीके से सैनिटाइज करना भी बहुत जरूरी होता है.

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फेमस बौलीवुड सैलिब्रिटी शिल्पा शेट्टी कुंद्रा हैंड सैनिटाइजर का महत्त्व बताते हुए कहती हैं, ‘‘आज के समय में खुद को साफ और सुरक्षित रखना बेहद जरूरी हो गया है. मुझे इस बात की खुशी है कि मैं टूसैनिज जो कि एरिस लाइफ साइसेंज का हिस्सा है, उन के साथ जुड़ कर इस सलाह को लोगों तक पहुंचा रही हूं. मैं आप सब से यह अनुरोध करूंगी कि आप अपने हाथों को लगातार सैनिटाइज करते रहें ताकि आप और आप के प्रियजन बीमारी से दूर रहें और स्वस्थ रहें.’’

ब्लैक सीड औयल बालों व स्किन के लिए बेस्ट

कलोंजी का तेल जिसे ब्लैक सीड आयल भी कहते हैं , काफी असरदार होता है. इसे लोग न सिर्फ खाना बनाने में इस्तेमाल करते हैं बल्कि ये आपकी खूबसूरती को भी बढ़ाने का काम करता है. जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. लेकिन यकीन मानिए अगर आपने इसे एक बार इस्तेमाल करके देख लिया फिर तो आप इसके गुण गए बिना रह नहीं पाएंगे. असल में ब्लैक सीड में एन्टिओक्सीडैंट्स प्रॉपर्टीज होती हैं . रिसर्च में यह साबित हुआ है कि ब्लैक सीड आयल से स्किन और हेयर का टेक्सचर इम्प्रूव होने के साथ साथ ये आपकी इम्युनिटी को भी बूस्ट करने का काम करता है.

ब्लैक सीड आयल को एंटीबैक्टीरियल , कोलेस्ट्रोल फाइटिंग एबिलिटीज , ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और वजन को कम करने के लिए भी जाना जाता है. ये बॉडी को डीटॉक्स करने का भी काम करता है. यहां तक कि ये एक्ने से लड़ने, स्किन टेक्सचर को इम्प्रूव करके स्किन टोन को सुधारने का भी काम करता है. इसलिए वर्षों से इसे कास्मेटिक प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जा रहा है. आइए जानते हैं इस बारे में डर्मेटोलोजिस्ट पूजा नागदेव से कि ब्लैक सीड आयल स्किन और बालों के लिए किस तरह से फायदेमंद साबित होता है.

1. फाइट स्किन इन्फेक्शन

स्किन इंफेक्शन जैसे सोरायसिस और एक्जिमा की प्रॉब्लम आम है. ऐसे में जब भी आपको इसकी समस्या हो तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि आप ब्लैक सीड आयल को अपनी स्किन पर अप्लाई करें. 2 – 3 दिनों में ही आपको रिजल्ट दिखने लगेगा. क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रॉपर्टीज होने के कारण ये स्किन की इर्रिटेशन को दूर कर उसे सोफ्ट और नौरिश करने का काम जो करता है.

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आप इसे पाउडर की फॉर्म में बना कर भी स्टोर करके रख सकते हैं . फिर हफ्ते में 2 बार इससे स्क्रब करके आप डेड स्किन को रिमूव करके क्लियर व सॉफ्ट स्किन पा सकते हैं साथ ही इससे एक्ने की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

2. स्कैल्प हेल्थ

ब्लैक सीड आयल में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होने के कारण ये स्कैल्प की हैल्थ को मैंटेन रखने का काम करता है. ये डैंड्रफ की समस्या से भी निजात दिलवाकर आपकी स्कैल्प को क्लीन व स्मूद बनाता है. ये स्कैल्प के मोइस्चर और आयल प्रोडक्शन को बैलेंस करने में भी सक्षम माना जाता है.

3. बालों की ग्रोथ के लिए फायदेमंद

इसमें निगेल्लोने और थैमोक्विनोने होता है, दोनों पॉवरफुल एंटीहिस्टामिनेस होते हैं. ये स्कैल्प के ब्लड सर्कुलेशन को इम्प्रूव करने हेयर ग्रोथ को नेचुरल तरीके से बढ़ाने का काम करते हैं. इससे किसी भी तरह से बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.

4. बालों को झड़ने से रोके

ब्लैक सीड आयल में सभी जरूरी न्यूट्रिएंट्स होते हैं , जो हेयर फोलिकल्स को पोषण देने का काम करते हैं. जिससे जब बालों को भोजन मिलने लगता है तो बाल झड़ने की समस्या धीरे धीरे कम होने लगती है और साथ ही बालों की खोई शाइन भी वापिस आने लगती है.

5. सफेद बालों की समस्या से छुटकारा दिलवाए

सफेद बाल किसे पसंद होते हैं. लेकिन बढ़ती उम्र, हार्मोनल बदलावों व बालों को पोषण नहीं मिलने की वजह से किसी न किसी उम्र में सबको इसका सामना करना ही पड़ता है. ऐसे में ब्लैक सीड आयल में लिनोलेइक एसिड होने के कारण ये हेयर फोलिकल्स में पिग्मेंट सेल्स की कमी को रोकने का काम करता है. इसलिए अगर आप सफेद बालों की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो रोजाना ब्लैक सीड आयल से बालों की मसाज करें.

6. बालों की चिपचिपाहट को रोकें

कई बार बालों में बिना आयल लगाए भी वो ऐसे लगते हैं जैसे उनमें तेल लगाया हुआ हो. जिससे न सिर्फ हमें अनकम्फर्टेबले फील होता है बल्कि हमारी सुंदरता में भी कमी आ जाती है. ऐसे में ब्लैक सीड आयल आपके स्कैल्प में अत्यधिक आयल को उत्पन्न होने से रोकता है. इससे आपके बाल हमेशा क्लीन व खूबसूरत नजर आते हैं.

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7. प्रदूषण से बालों को बचाए

रोज़ाना हमारा धूलमिट्टी व प्रदूषण से संपर्क होने के कारण बाल रूखे , डल व बेजान से दिखने लगते हैं. ऐसे में हमें समझ नहीं आता कि कैसे हम अपने खूबसूरत बालों की खोई रंगत को वापिस लाएं. तो आपको बता दें कि ब्लैक सीड आयल में एन्टिओक्सीडैंट्स गुण होने के कारण ये बालों को फ्री रेडिकल्स व पोलुशन के कारण होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं . जिससे स्कैल्प की हैल्थ मेन्टेन रहती है. इसलिए चाहे हेयर प्रॉब्लम हो या फिर स्किन प्रॉब्लम ब्लैक सीड आयल से पाएं इनसे निजात. आप ब्लैक सीड आयल में कोकोनट आयल, शहद, ओलिव आयल मिलाकर भी इसे अप्लाई कर सकते हैं.

कौमार्य: चरित्र का पैमाना क्यों

हमारे शास्त्रों और सामाजिक व्यवस्था ने वर्जिनिटी यानी कौमार्य को विशेष रूप से महिलाओं के चरित्र के साथ जोड़ कर उन के लिए अच्छे चरित्र का मानदंड निर्धारित कर दिया है.

हमारे समाज में वर्जिनिटी की परिभाषा इस के बिलकुल विपरीत है. दरअसल, समाज और शास्त्रों के अनुसार इस का अर्थ है कि आप प्योर हैं. हम किसी चीज या वस्तु की प्युरिटी की बात नहीं कर रहे हैं वरन लड़की की प्युरिटी की बात कर रहे हैं. लड़की की वर्जिनिटी को ही उस की शुद्धता की पहचान बना दी गई है. लड़कों की वर्जिनिटी की कहीं कोई बात नहीं करता. बात केवल लड़कियों की वर्जिनिटी की करी जाती है.

आज भी कई जगह वर्जिनिटी टैस्ट के लिए सुहाग रात को सफेद चादर बिछाई जाती है. 2016 में महाराष्ट्र के अहमद नगर में खाप पंचायत के द्वारा लड़के द्वारा लड़की को जबरन वर्जिनिटी टैस्ट के लिए विवश किया गया और जब लड़की इस में फेल हुई तो दोनों को अलग करने के लिए सामदामदंडभेद सबकुछ अजमाया गया, परंतु लड़के ने हार नहीं मानी और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे न्याय मिला.

वर्जिन नहीं तो जिंदगी नर्क

समाज में न जाने इस तरह के कितने मामले हैं, जिन में लड़कियों का जीवन इसलिए नर्क बन जाता है, क्योंकि वे लड़की वर्जिन नहीं होतीं शादी से पहले उन्होंने किसी के साथ संबंध इच्छा या अनिच्छा से बनाया हो, इसी वजह से उन्हें कैरेक्टरलैस और बदचलन मान लिया जाता है.

डा. ईशा कश्यप कहती हैं कि वर्जिनिटी को ले कर हमारा समाज बहुत छोटी सोच रखता है. जिस के कारण आज भी लड़कियों की स्थिति काफी दयनीय है. यहां तक कि कई बार तलाक तक हो जाता है और लड़की की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है.

कल्याणपुर की नलिनी सिंह का कहना है कि आज भी अगर लड़की वर्जिन नहीं है तो शादी के बाद उसे उस के पति और समाज की घटिया सोच का शिकार होना पड़ता है.

इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा अखिला पुरवार ने कहा कि जब लड़कों की वर्जिनिटी कोई माने नहीं रखती तो फिर लड़कियों की वर्जिनिटी को ले कर इतना बवाल क्यों?

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हम सब अपने को चाहे कितना मौडर्न कह लें, लेकिन अपनी सोच में बदलाव नहीं ला पा रहे हैं. यदि वर्जिनिटी पर सवाल उठाना ही है तो पहले लड़के की वर्जिनिटी पर सवाल उठाना होगा क्योंकि वह किसी भी समय किसी भी लड़की को शिकार बना कर उस की वर्जिनिटी को जबरदस्ती भंग कर देता है. लेकिन जब शादी का सवाल आता है तो वह किसी लड़की को अपना जीवनसाथी बनाने के पहले उस के चरित्र पर बदचलन का दाग लगाने में एक पल भी नहीं लगता है.

धार्मिक बातों में विरोधाभास

हिंदू धर्म में परस्पर विरोधी बातें कही गई हैं. एक ओर तो कुंआरी कन्या को देवी मानते हुए कंजिका पूजन की प्रथा का आज भी चलन है. सामान्यतया सभी परिवारों में नवरात्रि में छोटी कन्या को भोजन और भेंट देने का रिवाज है. दूसरी ओर शास्त्र, पुराण, रामायण, महाभारत सभी समवेत स्वर में कहते हैं कि स्त्री आजादी के योग्य नहीं है या वह स्वतंत्रता के लिए अपात्र है.

मनु स्मृति में तो स्पष्ट कहा है-

‘पिता रक्षंति कौमारे, भर्ता रक्षित यौवने

रक्षंति स्थविरे पुत्रा न स्त्री स्वातंत्र महेति’ (मनुस्मृति 9-3)

स्त्री जब कुमारी होती है तो पिता उस की रक्षा करते हैं, युवावस्था में पति, वृद्धावस्था में पति नहीं रहा तो पुत्र उस की रक्षा करता है. तात्पर्य यह है कि जीवन के किसी भी पड़ाव पर स्त्री को स्वतंत्रता का अधिकार नहीं है. बात केवल मनुस्मृति तक सीमित नहीं है, महाकवि तुलसीदास ने रामचरितमानस में इस की पुष्टि करते हुए कहा है कि स्वतंत्र होते ही स्त्री बिगड़ जाती है.

‘महावृष्टि चलि फूटि कियारी जिमि भये बिगरहिं नारी’

महाभारत में भी कहा गया है कि पति चाहे बूढ़ा, बदसूरत, अमीर या गरीब हो, परंतु स्त्री के लिए वह उत्तम आभूषण होता है. गरीब, कुरूप, निहायत बेवकूफ या कोढ़ी हो, पति की सेवा करने वाली स्त्री को अक्षय लोक की प्राप्ति होती है.

मनुस्मृति में स्पष्ट है कि पति चरित्रहीन, लंपट, अवगुणी क्यों न हो साध्वी स्त्री देवता की तरह उस की सेवा करे वाल्मीकि रामायण में भी इसी तरह का उल्लेख है.

हिंदुओं का सब से लोकप्रिय महाकाव्य ऐसी स्त्री को सच्ची पतिव्रता मानता है, जो स्वप्न में भी किसी परपुरुष के बारे में न सोचे. तुलसी दासजी यहां भी नहीं रुके. उन्होंने उसी युग को कलियुग कह दिया, जब स्त्री अपने सुख की कामना करने लगती है.

इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के प्रभाव से आज हमारे समाज में विवाह से पूर्व कौमार्य का भंग होना बेहद शर्मनाक माना जाता है.

इसी यौनशुचिता की रक्षा में हमारा न सिर्फ पूरा बचपन और कैशोर्य कैद कर दिया जाता है वरन हमारी बुनियादी आजादी भी हम सब से छीन ली जाती है.

क्यों बुना गया यह जाल

वर्जिनिटी को बचाने का सारा टंटा सिर्फ इसलिए है कि महिलाएं अपने पति को यह मानसिक सुख दे सकें कि वही उन के जीवन का पहला पुरुष है. यह वही है, जिस के लिए आप ने स्वयं को सालों तक दूसरे लड़कों और पुरुषों से बचा कर रखा है.

शादी से पहले लड़कियों को हजारों तरह के निर्देश दिए जाते हैं कि यहां नहीं जाओ, उस से मत मिलो, लड़कों से दूरी बना कर रखो, उन से दोस्ती मत करो, रिश्तेदारों के यहां अकेले मत जाओ, शाम से पहले घर लौट आना आदिआदि. ये सारे प्रतिबंध सिर्फ कौमार्य की रक्षा को दिमाग में रख कर ही लगाए जाते हैं.

सूरत की असिस्टैंट प्रोफैसर कहती हैं कि हम यह भी कह सकते हैं कि वर्जिनिटी हमारी है, लेकिन हमारी हो कर भी हमारे लिए नहीं है. इसलिए आजकल लड़कियों का कहना है कि जब यहां हमारे लिए है ही नहीं तो इसे बचाने का क्या फायदा?

हालांकि आज 21वीं सदी में वर्जिनिटी को बचाए रखने का चलन अब फुजूल की बात होती जा रही है, परंतु आज भी ऐसी लड़कियों की कमी नहीं है, जो इसे कुछ भी न मानते अपनी वर्जिनिटी तोड़ने की हिम्मत नहीं कर पातीं हैं. इन में से कुछ के आड़े अपने संस्कार की हैवी डोज या फिर अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? या कई बार सही मौका नहीं मिल पाना भी इस की वजह बन जाता है.

वैसे अच्छी बात यह हो गई है कि अब लड़कियां उन्हें बुरा नहीं मानती, जिन्होंने अपनी मरजी से वर्जिनिटी खोने को चुना है.

मार्केटिंग प्रोफैशनल इला शर्मा बीते कई सालों से मुंबई में रहती हैं. वे कहती हैं कि यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है, जिस पर इतना बवाल मचाया जाए. यदि लड़के वर्जिन लड़की चाहते हैं तो उन्हें भी पहले अपनी वर्जिनिटी को संभाल कर रखना चाहिए. लड़कियों की वर्जिनिटी के लिए पूरा समाज सजग है और सब यही चाहते हैं कि लड़कियां वर्जिन ही रहें, लेकिन लड़कों के बारे में ऐसा नहीं सोचा जाता. मु झे समाज के इस दोहरे पैमाने से बहुत तकलीफ होती है.

मगर वर्जिनिटी को ले कर मुखर निशा सिंह एक चौंकाने वाली बात कहती हैं कि आप यह कैसे मान सकते हैं कि 1-2 सैंटीमीटर की कोई नाजुक सी  िझल्ली, 5 फुट की लड़कियों के पूरे अस्तित्व पर भारी पड़ सकती है? यह सुनने में अजीब सा लगता है, परंतु अफसोस कि सच यही है. एक पतली सी  िझल्ली जिसे विज्ञान की भाषा में ‘हाइमन’ कहा जाता है, हम लड़कियों के पूरे अस्तित्व को किसी भी पल कठघरे में खड़ा कर सकती है.

निशा कहती हैं कि उन की उम्र 40 साल होने जा रही है, लेकिन वे आज भी वर्जिन हैं. कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि इतने सालों से घर से बाहर रहने के बावजूद दिमाग की कंडीशनिंग काफी हद तक वैसी ही है. सच तो यह है कि कई बार अपने को आजाद छोड़ने के बाद भी अपने को सहज या नौर्मल नहीं पाती हूं. मु झे लगता है कि मेरे संस्कार और मांपापा का भरोसा तोड़ने से जुड़े अपराधबोध के डर से ही मैं आज तक चाहेअनचाहे वर्जिन हूं.

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नोएडा की एक विज्ञापन कंपनी में काम करने वाली नीलिमा घोष वर्जिनिटी पर महिलाओं की सोच की थोड़ी स्पष्ट तसवीर दिखाती हैं कि मु झे लगता है कि लड़के चाहते तो हमेशा यही हैं कि उन की पत्नी वर्जिन हो, अगर नहीं हो तो भी चल जाता है. यह चला लेना ही बताता है कि अंदर ही अंदर लड़कों को इस बात से फर्क पड़ता है, इसलिए उन्हें सच बताना आफत मोल लेना है. इसलिए पति हो या बौयफ्रैंड से  झूठ बोलना ही ज्यादा सही है वरना इस बात को ले कर किसी भी समय कोई भी सीन क्रिएट कर सकते हैं. इसलिए अपने सुखी भविष्य के लिए  झूठ बोलना ही अकलमंदी है.

मौडर्न को भी वर्जिन की चाह

वैसे तो आज के समय में सम झदार लोगों के लिए वर्जिनिटी का कोई मतलब नहीं रह गया है, परंतु यह भी स्वीकार करना होगा कि आज भी यदि किसी वजह से कोई लड़की अपनी वर्जिनिटी खो चुकी है तो लोगों के लिए ‘खेली खाई’ है और वह सर्वसुलभ है. उस के लिए लोगों का सोचना होता है कि जब एक बार किसी के साथ मजे ले चुकी है तो फिर दूसरों के साथ भला क्या दिक्कत है.

तलाकशुदा महिलाएं अकसर इस की शिकार होती हैं. मेरठ के एक प्राइवेट स्कूल की अध्यापिका बुलबुल आर्य कहती हैं कि मु झे लगता है कि कई लोग यह सोचते हैं कि मैं उन के लिए आसानी से उपलब्ध हूं. उन की तरफ से ऐसा कोई भी इशारा पाए बिना ही सब यह मान कर चलते हैं कि शादी के बाद मैं सैक्स की हैबिचुअल हो चुकी हूं और अब पति मेरे साथ नहीं हैं, इसलिए वे इस कमी को पूरी करने के लिए आतुर रहते हैं.’ ऐसी सोच मेरे लिए बहुत डिस्गस्टिंग है कि सिर्फ मेरी वर्जिनिटी खत्म होने से मैं उन सब के लिए उपलब्ध लगती हूं.

बुलबुल जैसी लड़कियों के लिए व्यक्तिगत रूप से वर्जिनिटी कोई बड़ा मुद्दा न होते हुए भी बड़ा हो जाता है.

यौनशुचिता को ले कर चली आ रही सोच का पोषण करते हुए विज्ञान ने हाइमन की सर्जरी जैसे उपायों को भी चलन में ला दिया है. यद्यपि अपने देश में यह अभी शुरुआती दौर में है और काफी महंगी भी है, परंतु यह इशारा करता है कि हम विवाहपूर्व भी अपनी सैक्सुअल लाइफ को जीना और ऐंजौय करना चाहती हैं. लेकिन अपनी ‘अच्छी लड़की’ वाली इमेज कभी नहीं टूटने नहीं देना चाहती हैं ताकि पति की तरफ से वर्जिन पत्नी को मिलने वाली इज्जत और प्यार मिल सके.

समाज की गंदी सोच

वास्तविकता यह है कि वर्जिनिटी के सवाल पर हम सुविधा में हैं. वर्जिनिटी पर हम एक ही समय पर 2 तरह से सोचते हैं. एक ओर तो ऐसे सभी कैरेक्टर सर्टिफिकेट्स को चिंदीचिंदी कर के फाड़ कर फेंक देना चाहते हैं, जिन्हें वर्जिनिटी जारी करती है और दूसरी तरफ हम खुद ही चाहेअनचाहे उसे बचा कर रखना चाहते हैं. हमारा समाज और हम सभी अभी भी इस सोच से ग्रस्त हैं कि वर्जिनिटी खो चुकी लड़कियां गंदी होती हैं.

मांबाप अपनी बेटियों को विवाहपूर्व यौन संबंधों से बचाने के लिए अकसर ‘हम तुम पर बहुत भरोसा करते हैं.’ जैसे भावनात्मक हथियार का प्रयोग करते हैं. ऐसे में यदि कोई लड़की अपनी वर्जिनिटी खत्म करती भी है तो वह अपने मांबाप का भरोसा तोड़ने के अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती है.

वैसे अब लड़कियों में यह चाह तो जगने लगी है कि जैसे लड़कों के लिए वर्जिनिटी खोना कोई मसला नहीं है वैसे ही लड़कियों के लिए भी न हो, परंतु अभी तो बहुत कोशिशों के बाद भी हमारा समाज इस मसले पर सहज नहीं है. बस अब इस पर होने वाले बवाल से बचने के लिए लड़कियां  झूठ बोलने में अवश्य सहज हो गई हैं.

इस संदर्भ में ‘पिंक’ मूवी का उल्लेख करना चाहूंगी जो स्त्री की यौनस्वतंत्रता के प्रति समाज की मानसिकता को जगाने का प्रयास करती है.

देह उपयोग को ले कर स्त्री की अपनी इच्छाअनिच्छा को भी उसी अंदाज में स्वीकार करना होगा जैसेकि पुरुष की इच्छाअनिच्छा को समाज सदियों से स्वीकार करता आ रहा है. इस विचार से ‘पिंक’ एक फिल्म नहीं वरन एक मूवमैंट?? है. यदि स्त्री को अपने अधिकार के लिए लड़ना है तो आवश्यक है कि समाज में माइंड सैट बदलना होगा.

समाज की धारणा को बदलने के लिए पहले स्त्री को स्वयं अपनी सोच को बदलने की आवश्यकता है.  -पद्मा अग्रवाल द्य

‘‘हम सब अपने को चाहे कितना मौडर्न कह लें, लेकिन अपनी सोच में बदलाव नहीं ला पा रहे हैं. यदि वर्जिनिटी पर सवाल उठाना ही है तो पहले लड़के की वर्जिनिटी पर सवाल उठाना होगा क्योंकि वह किसी भी समय किसी भी लड़की को शिकार बना कर उस की वर्जिनिटी को जबरदस्ती भंग कर देता है…’’

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‘‘वैसे तो आज के समय में सम झदार लोगों के लिए वर्जिनिटी का कोई मतलब नहीं रह गया है, परंतु यह भी स्वीकार करना होगा कि आज भी यदि किसी वजह से कोई लड़की अपनी वर्जिनिटी खो चुकी है तो लोगों के लिए ‘खेली खाई’ है और वह सर्वसुलभ है…’’

Serial Story: कल पति आज पत्नी (भाग-2)

पूर्व कथा

वैद्यराज दीनानाथ शास्त्री की इकलौती संतान कमलदीप अपनी लड़कियों जैसी हरकतों के कारण उन की चिंता का विषय बना हुआ था. पढ़ाई में तो उस की दिलचस्पी रहती नहीं थी, अलबत्ता नाटकनौटंकियों में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था. जलसों में वह कृष्ण की रासलीला में राधा बनता तो अपने साथियों के बीच सिनेमा की नायिकाओं सा अभिनय करता. बेटे के रंगढंग वैद्यजी और उन की पत्नी सुशीला देवी को अजीब लगते. उसे सुधारने के लिए बड़े जतन कर उन्होंने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कराने अमेरिका भेज दिया. कोर्स पूरा करने के बाद कमलदीप वहीं नौकरी करने लगा और कुछ समय पहले उस ने फोन पर बताया कि उस ने वहां शादी कर ली है. अब वह एक कौन्फ्रैंस में भाग लेने एक हफ्ते के लिए भारत आ रहा था. वैद्यजी पत्नी सहित उसे लेने एअरपोर्ट पहुंच गए, परंतु जब बेटा आया तो पहला वज्रपात तो उस की किन्नरों जैसी चाल, रंगढंग व हुलिया देख कर हुआ और दूसरा यह सुन कर कि बेटा बहू नहीं लाया बल्कि स्वयं किसी की पत्नी बन गया है यानी उस ने समलैंगिक विवाह किया है. कैलिफोर्निया के कानून के अनुसार 6 महीने वह अपने पार्टनर का पति होता है और 6 महीने पत्नी. यह सुन वैद्यजी और सुशीला देवी बुरी तरह बौखला गए.

अब आगे…

भारतीय संस्कृति और अपनी मर्यादा के लिए जब वैद्यजी से नहीं रहा गया तो उन्होंने आव देखा न ताव और बेटे के गाल पर जोर का तमाचा जड़ दिया. ‘व्हाई डिड यू हिट मी’ के साथ कमलदीप जोर से चीखा. चीख सुन कर जैक भी आवेश में बोला कि ‘‘हे मैन, हाऊ डेयर यू टच माई वाइफ एंड व्हाई दिस लेडी इज शाउटिंग एट हिम? यू हैव नो राइट टु स्कोल्ड हिम ऐंड बीट हिम, ही इज माय वाइफ.’’ इसी के साथ वह जोरजोर से चिल्लाने लगा.

शोरगुल में वहां भीड़ इकट्ठा हो गई. भीड़ देख कर एअरपोर्ट सिक्योरिटी प्रोटैक्शन फोर्स की पुलिस भी आ गई. इंस्पैक्टर ने झटपट कार्यवाही शुरू कर दी. भीड़ को तितरबितर किया तो बस 4 ही लोग बचे थे जिन के बीच झगड़ा था.

पूछताछ करने पर पता चला कि एक पक्ष मातापिता हैं जो अपने लड़के को डांट रहे हैं और अपने साथ ले जाना चाहते हैं. दूसरा पक्ष है 2 लड़के, जो विदेश से आए हैं. एक लड़का भारतीय, जिस के माता- पिता मौजूद हैं और दूसरा लड़का विदेशी, जो पहले लड़के को अपनी पत्नी बता रहा है और मातापिता पर जबरदस्ती उस को अपने साथ ले जाने का यानी अपहरण का आरोप लगा रहा है जबकि मातापिता का कहना है कि विदेशी लड़का बहलाफुसला कर उन के बेटे को अपनी पत्नी होने का दावा कर के उसे अपने साथ चलने को मजबूर कर रहा है और उन के बेटे का अपहरण करना चाहता है. बेटा है कि चुप खड़ा, कुछ बोलता ही नहीं.  पुलिस का मानना था कि किसी की पत्नी को जबरदस्ती पति से अलग करना और ले जाना अपहरण (किडनैपिंग) के अंतर्गत संगीन अपराध है. अत: सभी को गिरफ्तार कर लिया गया और दोनों पक्षों को अलगअलग कोठरी में बंद कर दिया गया. वैद्यजी और पंडिताइन को एक कोठरी में और दोनों लड़कों को अलगअलग दूसरी तथा तीसरी कोठरी में. रात ढल रही थी, बोल दिया गया कि सुबह 10 बजे डीसीपी साहब के सामने सभी को पेश किया जाएगा.

पूछताछ के दौरान बताया गया कि भारतीय कानून की धारा 377 के अधीन एक ही सैक्स के 2 वयस्क चाहे वे 2 लड़के या 2 लड़कियां हों, आपस में संभोग नहीं कर सकते हैं. जैक ने अपना पासपोर्ट और मैरिज सर्टिफिकेट दिखाया और कहा कि हम लोगों ने कैलिफोर्निया में शादी की है और वहां का कानून इस शादी को पूर्णत: मान्यता देता है और वे लोग भारतीय कानून के अंतर्गत नहीं आते.

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जैक का पलड़ा भारी था. डीसीपी ने कमलदीप का अलग से इंटरव्यू लिया, डांटा भी, समझाया भी कि क्यों भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ा रहे हो? लेकिन उस ने एक न मानी. डीसीपी साहब मजबूर थे. मातापिता को बुला कर साफसाफ बता दिया कि इन दोनों लड़कों पर भारतीय कानून लागू नहीं होता और भारतीय पुलिस को विदेशी नागरिकों को उन के देश के कानून के तहत सुरक्षा देना जरूरी है. अत: वे या तो राजीनामा लिख कर और माफी मांगते हुए अपने घर वापस जाएं अन्यथा सभी को अदालत में  पेश कर के मुकदमा चलाया जाएगा.

मातापिता ने आपस में सलाह की कि जब अपना ही सिक्का खोटा है तो दूसरे का क्या दोष और माफीनामा लिख बेटे को उस के हाल पर छोड़ दिया. लौट आए वापस अपने घर, अपना सा मुंह ले कर, मातम सा माहौल बन गया घर में. शाम के वक्त अपने समाज के कुछ खास मिलने वालों को बेटेबहू से मिलाने के लिए न्योता भी दे चुके थे पर सभी को यह कह कर टाला कि उन का कार्यक्रम रद्द हो गया है. किसी जरूरी काम से उन्हें रुकना पड़ा और वे लोग नहीं आ पाए.

पहली बार वैद्यजी को लगा कि उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए सचमुच झूठ बोला, झूठ का सहारा लिया. कितना व्याकुल हो रहा था उन का अंतर्मन कि एक सच को छिपाने के लिए झूठ का सहारा लेना पड़ा.

वैसे तो कई मामलों में कई बार झूठ बोलना पड़ता है लेकिन आज का झूठ उन से सहन नहीं हो पा रहा था. बेटे के प्यार और लगाव के कारण अंतर्मन में एक द्वंद्व सा चल रहा था. मातापिता का प्यार रोष में परिवर्तित हो रहा था. एक तरफ था मां का ममत्व और दूसरी तरफ था पिता का प्यार, जो अपने बेटे को अपने से ज्यादा उन्नत तथा प्रगतिशील इंसान के रूप में देखना चाहते थे जिस में खुद की योग्यता के सहारे, अपनेआप से दुनिया में हर तरह की विपदाओं को पार करते हुए समाज में अपना एक अस्तित्व बनाने की क्षमता हो. इसी परेशानी से जूझते हुए मातापिता रात भर सो नहीं पाए.

दोनों सोचते रहे, किसी के मरने पर सिर्फ मौत का ही गम होता है, मगर इज्जत तो नहीं जाती. यहां तो इज्जत का, अपनी संस्कृति का, अपनी मानमर्यादा का बखेड़ा खड़ा हुआ है. अगर शहर में किसी को भी पता चले तो समाज में वे क्या मुंह दिखाएंगे? क्या बहाना करें, कैसे टालें इस बात को, कैसे बचाएं अपनी इज्जत को? बस, यही सोचतेसोचते सवेरा हो गया.

सुबह की दिनचर्या शुरू हुई और दोनों के लिए सुबह की चाय तथा आज के ताजा अखबारों का पुलिंदा बरामदे में चटाई पर रखा था. पंडितजी आ कर बैठ गए. चश्मा लगाया और चाय का प्याला उठाया. अखबारों का पुलिंदा खोलते हुए मुख्य पेज की हैडलाइन पर नजर पड़ी कि धारा 377 के खिलाफ देश के सभी महानगरों में खुद को एल.जी.बी.टी. मानने वाले लोग एकजुट हो कर विशाल प्रदर्शन के साथ रैली निकाल रहे हैं और कल 28 जून, रविवार को भारत की राजधानी दिल्ली में एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है जिस में एल.जी.बी.टी. के सभी सदस्य देश के विभिन्न शहरों तथा विदेशों से भारी संख्या में एकत्रित हो कर विशाल रैली का आयोजन कर रहे हैं. यह रैली इंडिया गेट से चल कर राजपथ, जनपथ होते हुए संसद मार्ग स्थित जंतरमंतर पर आएगी और यहां से संसद भवन के सामने प्रदर्शन होगा और मांगें रखी जाएंगी.  इस ऐतिहासिक रैली का नेतृत्व कैलिफोर्निया से आई युवा जोड़ी करेगी. के.डी. जोकि कैलिफोर्निया में भारतीय प्रवासी हैं और उन के पति जैक जो स्वीडन से हैं. दोनों ने कैलिफोर्निया में शादी की है और पतिपत्नी के रूप में रह रहे हैं.

काफी देर तक पंडितजी अखबारों को उलटपलट कर देखते रहे. तभी पंडिताइन भी आ पहुंचीं और बोलीं कि आज के अखबार में ऐसा क्या ढूंढ़ रहे हैं कि आप को इतनी आवाजें दीं पर आप ने कोई जवाब नहीं दिया.

थोड़ा उत्तेजित हो कर वैद्यजी बोले, ‘‘देखो, तुम्हारा बेटा क्या गुल खिला रहा है. पत्नी बन कर लौटा है विदेश से अपने पति के साथ. बस, इसी का ढिंढोरा पीटने आया है यहां. कल दिल्ली में इन दोनों के नेतृत्व में एक विशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है. इन की मांग है कि 2 वयस्कों के बीच चाहे दोनों लड़के हों या लड़कियां, आपस में यौन संबंधों को तथा शादी करने के अधिकारों को मान्यता देनी होगी और धारा 377 को कानून की किताब से हटाना होगा. इन का मानना है कि 2 वयस्कों के बीच किसी भी प्रकार की सैक्स क्रियाएं तथा यौन संबंधों के खिलाफ किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए.

‘‘2 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय में इसी मामले में इन की याचिका पर सुनवाई होगी, जिस के लिए देश के मान्यताप्राप्त वकीलों को इन के हक में पैरवी करने के लिए बुलाया जा रहा है. इन का मानना है कि भारत को अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए दुनिया के अग्रसर देशों की पंक्ति में खड़े हो कर, दुनिया में अपनी एक नई पहचान बनाते हुए 100 साल से ज्यादा पुरानी कानूनी धारा 377 को मिटाना होगा.

‘‘आधुनिक युग में देश की युवा पीढ़ी पर सैक्स क्रियाएं तथा आपसी यौन संबंधों को ले कर किसी प्रकार के भय के दायरे में रहना बहुत भारी मानसिक दबाव है और यह मानव अधिकार के विरुद्ध भी है तथा देश की उन्नति के लिए बहुत बड़ी रुकावट है. आज की युवा पीढ़ी को चाहिए पूर्ण स्वतंत्रता अपने विचारों की, सोच की, काम करने की, जीने की और आगे बढ़ने की.’’

वैद्यजी घूरती निगाहों से पंडिताइन को देखते हुए आगे बोले, ‘‘देख लो, अपने लाड़ले को. हम ने तो उसे अमेरिका पढ़ने के लिए भेजा था कि यहां आ कर अपना कुछ बड़ा काम करेगा. बड़ा आदमी बनेगा, कुछ नाम रोशन करेगा और हमारा नाम भी रोशन होगा. हां, बड़ा आदमी तो नहीं बन सका, वहां जा कर पत्नी बन कर जरूर आ गया और नाम तो रोशन कर ही रहा है, सारे अखबारों में उस की चर्चा छपी है.’’

सुबहशाम खाली समय में यही चर्चा   का एक मुद्दा था. तरहतरह के  सवाल भी उठते रहे और सारा इतिहास भी चर्चित होता रहा. धीरेधीरे दिमाग से रूढि़वादिता के परदे उठने शुरू हुए जब चर्चा चली कि महाराज दशरथ की 3 रानियां थीं, द्रौपदी के 5 पति, कृष्ण की अनेक प्रेमिकाएं. शादी तो की रुक्मिणी से और अपने साथ रखा राधा को. सारी दुनिया के सामने खुलेआम आज भी चर्चा राधा और कृष्ण की होती है. रुक्मिणी और उन के बच्चों के बारे में किस को कितना मालूम?

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वात्स्यायन का कामसूत्र, अजंताएलोरा की गुफाओं में विभिन्न मुद्राओं में सामूहिक संभोग की विभिन्न क्रियाओं का खुलेआम जनता के लिए सचित्र प्रदर्शन. वेश्यावृत्ति का प्रचलन तो सदियों से चला आ रहा है. वैशाली की नगरवधू, आम्रपाली, चित्रलेखा, वसंतसेना…आदि न जाने कितने ही नाम लीजिए, जिन्हें राजनर्तकियों का सम्मान प्राप्त था.

समाज तो जनता का समूह है. समाज के कर्ताधर्ता समाज के माननीय कर्णधार जब अपनी हवस मिटाने के लिए किसी भी तरह का कोई असामाजिक काम कर बैठते हैं तो उन के विरुद्ध कौन आवाज उठाने की हिम्मत करे? बल्कि समाज के लिए वही एक नया प्रचलन शुरू हो जाता है और बस, धीरेधीरे समाज के लोग भी उन्हीं पदचिह्नों पर चलते हुए इसे सामाजिक पद्धति का हिस्सा मानने लगते हैं.

यहां तक कि पुराने जमींदार तो किसी मनचाही स्त्री को उठवा लेते थे और बाद में सलामती के साथ उसे घर भेज देते थे. घर वालों को थोड़ा सा मेहनताना दे देते थे और यदि कहीं किसी ने धौंस दिखाई तो तबाही का रास्ता अपना लेते थे. पहले जमाने में क्याक्या जुल्म नहीं होते थे. मजाल थी किसी की कि परदे से बाहर निकले और बोल दे किसी के सामने. भेड़बकरियों की तरह औरतों से भरे होते थे राजामहाराजाओं तथा रईसों के हरम. कानून भी तो जनता के लिए कम, हुकूमत के लिए ज्यादा काम करता है.

गंभीर हो गए दोनों कि बातें कहां से चलीं और क्या मोड़ ले बैठीं. ऐसी ही होती हैं बातें. ज्यादा बातें बस, बाल की खाल. कहीं से शुरू और पता नहीं किसकिस को लपेट लें. खैर, सोचविचार और सभी बातों का निष्कर्ष यही निकला कि आज जो भी कुछ हो रहा है, कोई नया तो है नहीं. ये सब क्रियाएं तो सदियों से चली आ रही हैं. बस, समय और जरूरत के अनुसार तरीके बदल रहे हैं. इसी तरह सामाजिक प्रचलन भी बदलता रहता है.

रोजाना अखबारों में तरहतरह के लेख छपने लगे. जैसे किसी सामाजिक बदलाव के लिए एक अभियान चालू हो गया हो. अलगअलग अखबारों में विज्ञापन तथा समीक्षाएं आती रहीं. वीमन लिबरेशन, फ्री सैक्स, लिव इन रिलेशन- शिप, यूनिसैक्स सैलून तथा ड्रैसेज, गे टूरिज्म, गे-कल्चर आदि. 2 जुलाई को सभी अखबारों में रेडियो और टैलीविजन के लगभग सभी चैनलों पर दिल्ली उच्च न्यायालय के एल.जी.बी.टी. के हक में फैसले की समीक्षा के अलावा इस पर पक्षविपक्ष के वादविवाद भी चलते रहे.

दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार अब किसी भी प्रकार की सैक्स क्रियाएं कानून के दायरे से बाहर हैं. अगले दिन 3 जुलाई के अखबारों में एक ही चर्चा थी. देश के सभी महानगरों में एल.जी.बी.टी. के सदस्य और उन के समर्थक उल्लास प्रदर्शित करते रहे. जगहजगह जुलूस निकाले गए.

एल.जी.बी.टी. की अलगअलग शाखाओं में रात भर उन के सदस्य अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाते रहे. सब से ज्यादा चर्चा का विषय था कमलदीप और उस का पति जैक. सभी अखबारों में इन दोनों के दांपत्य जीवन के बारे में लेख प्रकाशित हुए. इस युवा जोड़ी को सब की सहमति से समाज के इस ऐतिहासिक बदलाव का हीरो मान लिया गया. हर चैनल पर उन दोनों का इंटरव्यू दिखाया जा रहा था. इन का कहना है कि दुनियाभर के ज्यादातर विकसित देशों ने 2 वयस्कों को चाहे वे दोनों लड़के हों या लड़कियां, आपस में मरजी से साथ रहने की और शादी करने की मान्यता दी हुई है. अत: हमारा अभियान अभी पूरा नहीं हुआ. इस के लिए देश के ब्याहशादी के कानून में बदलाव जरूरी है. अत: इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए एल.जी.बी.टी. के कार्यकर्ता एक घोषणापत्र जारी करेंगे जिस की ड्राफ्ंिटग की जा रही है और शीघ्र ही इस के अनुसार कार्यवाही चालू की जाएगी. सामने बैठे एक चैनल के प्रतिनिधि ने आगे के कार्यक्रम तथा कार्ययोजना पर उन से संक्षिप्त में प्रकाश डालने का आग्रह किया.  कमलदीप और जैक ने एकदूसरे के साथ भाषा तथा विचारों का तालमेल जोड़ते हुए अपनी संस्था की कार्यप्रणाली की समीक्षा कुछ इस प्रकार की :

एल.जी.बी.टी. का पहला कार्यक्रम है, जन जागरूकता अभियान. सभी एल.जी.बी.टी. के सदस्य अपनेअपने क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देते हुए जनता के हृदय से रूढि़वादिता का सामाजिक भय समाप्त करेंगे.

दूसरा प्रोग्राम है, दहेज प्रथा की समाप्ति. सभी महानगरों में एल.जी.बी.टी. हौस्टल बनाए जाएंगे जहां शादी से पहले लिव इन रिलेशन के तहत बाहर से आए लड़के और लड़कियों को अपने मनचाहे साथी के साथ रहने की सुविधा होगी. इस तरह सामाजिक जानकारी तथा आपस में विचारों का आदानप्रदान करते हुए अपने जीवनसाथी का वे स्वयं ही चुनाव कर सकेंगे, बिना किसी रोकटोक अथवा दानदहेज के. संस्था के द्वारा कौंट्रैक्चुअल शादी का प्रयोजन तथा सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी.

तीसरा उद्देश्य है, तलाक के मामलों में कटौती. युवाओं के साथसाथ रहने के बाद भी शादी के गठबंधन को स्वीकार या अस्वीकार करने की छूट. कौंट्रैक्चुअल शादी के प्रचलन से अदालतों के फैसले का जीवन भर इंतजार नहीं करना होगा जिस से वकीलों की भारी फीस तथा जीवन का एक अमूल्य भाग नष्ट होने से रोका जा सकेगा. साथ ही संस्था की काउंसलिंग शाखा द्वारा आपस में मेलजोल व समन्वय का माहौल बना रहेगा. युवा पीढ़ी अपने साथ कामकाज तथा कैरियर की ओर ज्यादा ध्यान देगी. उस पर मानसिक दबाव कम होने से देश की कार्यप्रणाली का विकास होगा.

चौथा उद्देश्य है, हर बड़े शहर में एल.जी.बी.टी. क्लबों की स्थाप. यहां पर आधुनिक सैक्स शिक्षा का प्रावधान होगा. सुरक्षित सैक्स तथा अलगअलग सैक्स क्रियाओं के बारे में वीडियो कौन्फ्रैंस के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी.

एड्स या एचआईवी जैसी घातक बीमारियों की रोकथाम तथा एम.एम. सैक्स, डब्ल्यू.एम. सैक्स, डब्ल्यूडब्ल्यू सैक्स, बाई सैक्स और ट्रांस सैक्स के अलावा पी.वी. सैक्स, ऐनल सैक्स, ओरल सैक्स तथा रौबोटिक एवं आर्टीफिशियली असिस्टेड सैक्स आदि के बारे में भी ज्ञानार्जन की सुविधा होगी. इस के साथसाथ हमारे हैड औफिस में एक विंग की स्थापना करते हुए कामसूत्र जैसे ग्रंथों को अपग्रेड किया जाएगा. इस अपग्रेडेशन से आधुनिक सैक्स क्रियाओं का सचित्र विवरण सामने आएगा.

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हमारा पांचवां उद्देश्य, डी.आई.एन.के. यानी ‘डबल इनकम एंड नो किड’ को बढ़ावा देते हुए देश की बढ़ती जनसंख्या की रोकथाम तथा भुखमरी की समाप्ति. ‘फ्री सैक्स’, ‘लिव इन रिलेशनशिप’, ‘गे’ तथा ‘लेस्बियन’ विवाह आदि के प्रचलन से प्राकृतिक प्रजनन में कमी आ जाएगी. ऐसी युवा जोडि़यों की आमदनी दोगुनी होगी और बच्चों का भार भी उन के ऊपर नहीं होगा.

फिर भी ऐसी युवा जोड़ी अगर शादी के बाद या बिना शादी के भी अपना घर बसाने के लिए बच्चे चाहेंगी तो वे अनाथ आश्रमों से अथवा भिखारियों के बच्चों को गोद ले सकेंगे, जिस से गरीब परिवारों का आर्थिक संकट दूर होगा और बिना मांबाप के बच्चों का सही ढंग से लालनपालन तथा उन की पढ़ाईलिखाई ठीक से हो सकेगी. ऐसे बच्चे समाज के साथ देश के सुदृढ़ नागरिक बन सकेंगे. इस तरह देश के भावी कर्णधारों को उच्चस्तर के परिवार में रहनसहन के अवसर प्राप्त होंगे. इस से देश का आध्यात्मिक, आर्थिक, वैज्ञानिक तथा व्यापारिक क्षेत्र में विकास होगा.

इन सब गतिविधियों को देखते हुए तथा समाज के बदलते हुए चलन को समझते हुए मातापिता यानी पंडिताइन और वैद्यजी का मानसिक दबाव कुछ कम होना शुरू हुआ. शाम तक समाज के लोग उन के घर आने शुरू हो गए और मातापिता को उन के होनहार बेटे के लिए बधाई देते रहे. मातापिता चुपचाप तमाशा देख रहे थे, समझ में नहीं आया कि ये सब उन का मजाक उड़ा रहे हैं या वास्तव में उन का बेटा हीरो बन चुका है.

वेडिंग से लेकर औफिस तक के लिए परफेक्ट हैं ये दुपट्टे

फेस्टिवल हो या पार्टी हर मौके के लिए इंडियन आउटफिट को मैच करता हुआ दुपट्टा होना बहुत जरूरी है. आजकल मार्केट में सूट से ज्यादा महंगे दुपट्टे होते है. वहीं अगर औफिस के लिए अगर आप सिंपल सूट के साथ दुपट्टा कैरी करती हैं तो ये आपके लुक पर चार चांद लगा देता है. आज हम आपको मार्केट में पौपुलर दुपट्टों के बारे में बताएंगे, जिसे आप वेडिंग से लेकर औफिस तक कहीं भी ट्राय कर सकते हैं. साथ ही ये आपके लुक पर चार चांद लगा देंगे…

1. फ्लावर प्रिंटेड दुपट्टा है परफेक्ट

अगर आप औफिस के लिए सिंपल सूट या फिर किसी पार्टी के लिए सिंपल सूट ट्राय कर रहे हैं तो ये sea ग्रीन कलर का प्रिंटेड दुपट्टा आपके लिए अच्छा औप्शन है. ये आपके लुक को सिंपल के साथ-साथ ट्रेंडी बनाने में मदद करेगा.

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2. ब्राइडल लहंगे के साथ बेस्ट है ये दुपट्टा

आजकल मार्केट में कईं तरह के पैटर्न वाले दुपट्टे मिलते हैं, जिसमें नेट के दुपट्टे भी काफी पौपुलर हैं. अगर आप अपनी वेडिंग लहंगे के साथ हैवी दुपट्टा तलाश रही हैं तो ये दुपट्टा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. सिंपल हल्की कढ़ाई वाला ये लहंगा आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

3. कौंट्रास्ट दुपट्टा करें ट्राय

आजकल कौंट्रास्ट लुक काफी पौपुलर है. सूट किसी और कलर का और दुपट्टा किसी और का फैशन ट्रैंड में हैं अगर आप भी कुछ नया ट्राय करना चाहते हैं तो इस लहंगे की तरह सिंपल पिंक लहंगे के साथ ग्रीन या ग्रे का कौम्बिनेशन बनाकर लहंगा ट्राय कर सकते हैं.

4.  मिरर पैटर्न वाला दुपट्टा 

आजकल मार्केट में मिरर वाले दुपट्टे काफी पौपुलर है. मिरर वर्क वाले ये दुपट्टे आपके किसी भी सिंपल सूट को पार्टी वियर बना सकते हैं. सिंपल सूट के साथ मिरर पैटर्न वाला दुपट्टा आपके लुक पर चार चांद लगा देगा.

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5. राजस्थानी दुपट्टे करें ट्राय

मार्केट में आपको कईं तरह के दुपट्टे मिलेंगे, जिसमें राजस्थानी दुपट्टों की काफी वैरायटी मिलेगी, जिसे लोग काफी पसंद करते हैं. आप ऐसे दुपट्टों को औफिस से लेकर वेडिंग पार्टी तक कहीं भी ट्राय कर सकते हैं.

करियर और प्यार के बीच इस तरह बनाएं संतुलन

हम में से बहुत लोग नौकरी करते हैं और अपने करियर को लेकर संवेदनशील हैं. हम सभी जानते हैं कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत और सुखी रिश्ता बनाना साथ ही अपने करियर को भी महत्व देना काफी मुश्किल होता है. खासतौर पर जब आप दोनों ही कामकाजी हैं.

व्यस्त दिनचर्या, बड़े लक्ष्य, अनगिनत प्रोजेक्ट्स और बहुत कुछ इन सभी के कारण आपका सम्बंध प्रभावित होने लगता है जिसके कारण आपके रिश्ते में तनाव बन सकता है. जब आप अपने करियर को काफी अहमियत देते हैं तो एक स्वस्थ रिश्ते को बनाएं रखने के लिए आपको अलग से प्रयास करने होते हैं.

पूरे दिन काम करने के बाद अपने साथी के साथ आराम करने और बात करने के लिए समय निकालना भी जरुरी है. अगर आप भी अपने कैरियर और प्यार के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं तो ये टिप्स काम आ सकते हैं.

छोटी-छोटी चीजें एक साथ करें

ऐसा जरुरी नहीं है कि आप अपने साथी के साथ समय बिताने के लिए लंच प्लान करें या फिल्म देखने ही जाएं. आप अपने साथी के साथ अपना सारा समय व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप जिस समय में उनके साथ है वो बिल्कुल परियों की कहानी जैसा हो. छोटी चीजें भी आपको खुशी दे सकती है.

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जब आपके पास ऑफिस के ढ़ेर सारे काम होंगे तो आप कुछ विशेष योजना बना पाएं ये थोड़ा मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि जब भी आप साथ में हैं तो हर मिनट को महसूस करें. एक साथ भोजन करें, घर की सफाई करते वक्त या खाना बनाते वक्त आप एक-दूसरे को समय दें. ये छोटी चीजें आपको बेफिजूल लग सकती हैं लेकिन जब आपके पास समय कम हो तो है तो यह अपने साथी से जुड़ने का यह अच्छा तरीका है.

बिना शर्त के सपोर्ट करें

अपने ऑफिस में पूरे दिन काम करने के बाद अपने पति या पत्नी के करियर में रुचि दिखाना मुश्किल हो सकता है लेकिन यह जरुरी है कि आप अपने साथी के करियर से संबंधित बातचीत करें. इस बातचीत के जरिए आप उन्हें बता पाएंगे कि आप उनके काम और करियर को सपोर्ट करते हैं. उन्हें बताएं कि आप उनके लिए हमेशा मौजूद हैं और बिना शर्त उनके काम को अपना समर्थन देते हैं.

अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके साथी के मन में असंतोष की स्थिति पैदा हो सकती है. जिससे आपके रिश्ते और करियर के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाएगा.

हद से ज्यादा उम्मीदें ना करें

जब आप दोनों कामकाजी है तो आप समझ सकते हैं कि ऑफिस के बाद सम्बंध को संभालना कितना मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि आप अपने साथी से अधिक उम्मीदें ना बांधे क्योंकि समय के अभाव में अगर वो पूरा नहीं कर पाएंगे तो आपको बुरा लगेगा और आपका दिल टूट जाएगा.

आपके लिए बेहतर होगा ऐसा सोचना बंद करें कि आपका साथी आपके लिए कोई डेट, हॉलीडे या पार्टी प्लान करें. अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो आपको दुख और निराशा होगी. ये सब मैनेज करने के लिए आपके साथी को समय की जरुरत होगी और वो उनके पास नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप उम्मीदें ही ना करें. सोचने की बजाय उनसे बात कर लें कि आप क्या चाहते हैं.

कोई भी फैसला लेने से पहले साथी को बताएं

अगर आप कोई भी फैसला लेते हैं तो इसके लिए दो स्टेप जरुरी है. पहला आप इसके बारे में सोचे और फिर अपने साथी से बात करें. अब आप जीवन में स्वतंत्र रूप फैसले नहीं ले सकते हैं चाहे फिर आप कितने भी बुद्धिमान क्यों ना हों. आपका हर एक व्यक्तिगत फैसला आपके साथी पर भी असर डालेगा.

आपको जानने की जरुरत है कि आपका कोई भी फैसले के बारे में आपका पार्टनर क्या सोचता है. जैसे आप जॉब छोड़ने या बदलने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में अपने साथी से बात कर लें. हो सकता ऐसे में आपको शहर बदलना पड़े या नई जगह जाना पड़े तो इसका प्रभाव आपके साथी पर भी होगा.

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खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं

ऑफिस में पूरी तरह थक जाने के बाद अपने साथी के साथ प्यार से बात करना और उन्हें अच्छा महसूस कराने के बारे में सोचना मुश्किल होता है. लेकिन ऑफिस से आने के बाद अपने साथी के साथ आराम करना आपके रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है.

ऑफिस और वर्कप्लेस पर तनाव हो सकता है और आप अपने काम को लेकर परेशान हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद भी अपने साथी को वही प्यार और भाव देना ही रिश्ते को मजबूत बनाता. बेहतर है कि आप अपने वर्क स्ट्रेस को ऑफिस में ही छोड़कर आए. खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं. ताकि आप अपने रिश्ते और काम दोनों को संभाल पाएं. आप एक समय में एक व्यक्ति ही बन सकते हैं. जब आप प्रेमी है तो खुद को ऑफिस वर्कर ना बनने दे.

जिम्मेदारियां बांट लें

एक रिश्ते में सामंजस्य बिठाना बहुत जरुरी है. अगर आपके रिश्ते में समझौते करने पड़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि मिलकर समझौते करें. काम के साथ अपने रिश्ते की जिम्मेदारियों को समझें. खासकर तब जब आप शादीशुदा है, एक साथ रहते हैं, आपके बच्चे हैं.

ऑफिस जाने के साथ खाना पकाना, बच्चों को स्कूल ले जाना लेकर आना, घर के कामकाज आदि जिम्मेदारियां एक ही व्यक्ति पर ना डालें. आपके रिश्ते में कोई भी एक व्यक्ति सभी समझौते करने के लिए तैयार नहीं होगा. इसलिए सही ढंग से फैसला लें. अधिक कुशलता से काम करें और सबसे महत्वपूर्ण हैं कि हमेशा एक साथ काम करें.

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Serial Story: कल पति आज पत्नी (भाग-1)

25 जून की मध्य रात्रि. समय लगभग साढ़े 3 बजे का था. वैद्यराज दीनानाथ शास्त्री अपनी पत्नी सुशीला देवी के साथ इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एअरपोर्ट पर बैठे कैलिफोर्निया से आने वाली उड़ान का इंतजार कर रहे हैं. जहाज के आने का समय 4 बजे का है. अनाउंसमैंट हो चुका है कि फ्लाइट ठीक समय पर आ रही है.

पतिपत्नी अपने इकलौते बेटे कमलदीप और उस की पत्नी के आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. बेटा कमलदीप 4 साल पहले कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट औफ फैशन डिजाइनिंग में पढ़ने गया था. पहली बार तो बेटा 6 महीने बाद ही आ गया था. दूसरी बार 1 साल बाद आया तो उस के रंगढंग काफी बदले हुए थे. वह बातें करता तो हिंदी कम और अमेरिकन अंगरेजी का मिश्रण ज्यादा होता. उस पर आधेआधे शब्दों का उच्चारण, जो कम ही समझ में आता. रंगीले भड़कदार अजीबोगरीब सी बनावट के कपड़े, बिना बांहों की शर्ट और कमर के नीचे की जीन्स, घुटनों से नीची और टखनों से ऊपर. सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल, आंखों में काजल तथा कानों में छोटीछोटी बालियां. बात करते हुए हाथों का इशारा, गरदन का हिलाना और आंखों का मटकाना, इसी के साथ चाल में अजीब सी मस्ती.

बेटे का हुलिया और चालढाल देख कर वैद्यजी को कुछ अच्छा नहीं लगा, लेकिन यही सोच कर चुप रह गए कि चलो, एक और साल की ही तो बात है, कोर्स पूरा होने पर जब लौट कर घर आएगा तो धीरेधीरे यहां के रीतिरिवाजों में ढल कर ठीक हो जाएगा.

वैसे भी कमलदीप को मजबूरी में ही बाहर पढ़ने के लिए भेजना पड़ा था. 19 साल की उम्र तक विभिन्न कक्षाओं में 3 बार फेल होने के बाद वह सैकंड डिवीजन से इंटर की परीक्षा पास कर पाया था. मथुरा के आसपास ही नहीं, बल्कि दूरदराज के भी किसी कालेज में उसे दाखिला न मिलने की वजह से वैद्यजी को बेटे के भविष्य की चिंता थी. पढ़ाई में उस की कोई खास दिलचस्पी तो थी नहीं, बस लोकल ड्रामा कंपनियों के साथ रह कर तरहतरह के नाटकों में ज्यादातर लड़कियों की भूमिकाएं करने में उसे मजा आता था.

मथुरावृंदावन के सालाना जलसों में कृष्ण की रासलीला में राधा की भूमिका पर पिछले 3 साल से उस का एकाधिकार था. शहर के लोग वैद्यजी को बधाई देते हुए कमलदीप के अभिनय की तारीफ करते थे. मगर वैद्यजी को बेटे के रंगढंग देखते हुए उस के भविष्य की चिंता बनी रहती थी.

स्कूल में भी कमलदीप खाली समय में अपने साथियों के बीच लड़कियों की सी हरकतें तथा सिनेमा की नायिकाओं की नकल करता. अब तो उस का ज्यादातर समय किसी न किसी नाटक में अभिनय के बहाने रासलीला की रिहर्सल में बीतने लगा था. वैद्यजी का माथा तो तब ठनका जब उन्होंने बेटे को घर के पिछवाड़े  प्रेमिका के रूप में दूसरे लड़के के साथ रासक्रीड़ा की विभिन्न मुद्राओं में मग्न देखा.

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उस घटना के बाद से वैद्यजी का मन व्याकुल था. तभी उन्होंने अगले दिन अखबारों में बड़ेबड़े विज्ञापन देखे कि दिल्ली के होटल अशोका में विश्वस्तर के कालेजों तथा विश्वविद्यालयों का मेला लग रहा है जिस में कौन्फ्रैंस, सेमिनार तथा काउंसलिंग के जरिए बच्चों के इंटरव्यू होंगे और उन को विदेशों में उच्च शिक्षा में ऐडमिशन मिलेगा.

वैद्यजी ने सोचा कि बेटा विदेश जा कर कुछ पढ़ाईलिखाई करेगा तो एक तो उस का कैरियर बन जाएगा और वहां उस का यह छिछोरापन भी धीरेधीरे समाप्त हो जाएगा. यही सोच कर वैद्यजी ने तुरंत कमलदीप को साथ ले कर दिल्ली चलने का फैसला किया.

काफी भागदौड़ के बाद कैलिफोर्निया के इंस्टिट्यूट औफ फैशन डिजाइनिंग में एक स्थानीय एजेंट ने उस के ऐडमिशन के लिए हां कर दी. ऐडमिशन की फीस, वीजा, जाने का खर्च और 1 साल की फीस तथा रहनेखाने का खर्च आदि मिला कर लगभग 12 लाख रुपए जमा कराने थे. वैद्यजी को रकम भारी तो लगी, मगर बेटे के भविष्य और उस के कैरियर की खातिर ऐडमिशन की तैयारी शुरू हो गई. डेढ़ महीने बाद बेटा फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने अमेरिका चला गया.

जहाज आ चुका था, अत: दोनों पतिपत्नी बाहर जा कर रेलिंग के सहारे खड़े हो गए. यात्रियों का आना शुरू हो गया था.

वैद्यजी पत्नी के साथ भीड़ में बहूबेटे को टटोल रहे थे कि पंडिताइन कुछ बेचैन सी घबराहट के साथ बोलीं कि आप ही ध्यान रखिए, मैं तो शायद उसे पहचान भी नहीं पाऊंगी. पिछले ढाई साल में अपना कमलदीप कितना बदल गया होगा. पंडितजी थोड़ा कटाक्ष से बोले, ‘‘तुम मां हो. अपने बेटे को नहीं पहचान पाओगी तो और कौन पहचानेगा? फिर भी कोई हिंदुस्तानी लड़का किसी गोरी अंगरेजन के साथ आता दिखाई दे तो समझ लेना कि तुम्हारा कमल ही होगा.’’

6 महीने पहले ही कमलदीप ने मां को बताया था कि वह 1 साल से किसी संस्था के साथ काम कर रहा है और एक घनिष्ठ मित्र के साथ ही एक कमरे के फ्लैट में रहता है. उसी के साथ उस ने पिछले महीने शादी भी कर ली है. उस का नाम जैक है और वह स्वीडन से है. दोनों का पिछले 1 साल में विदेशों में भी काफी आनाजाना रहा है. अभी तक कनाडा, आस्ट्रेलिया, स्वीडन, स्पेन तथा यूरोप आदि के दौरे कर चुके हैं.

मातापिता भी यह सोच कर संतुष्ट थे कि शायद किसी अच्छे ओहदे पर बेटा काम कर रहा होगा क्योंकि एकडेढ़ साल में उस ने कोई रुपया नहीं मंगाया. अपना खर्च स्वयं चला रहा है और विदेशों में भी उस का काफी घूमनाफिरना रहता है. अत: बेटा अपने पैरों पर खड़ा है और शायद कामकाज की व्यस्तता के कारण ज्यादा बात नहीं कर पाता.

बस, 3 दिन पहले ही उस का टैलीफोन आया था कि एक हफ्ते के लिए वे दोनोें दिल्ली आ रहे हैं. दिल्ली में औल इंडिया कौन्फ्रैंस है तथा जरूरी मीटिंग्स अटैंड करनी हैं. अत: 1 दिन से ज्यादा वह उन के साथ नहीं रह पाएगा. आगे का कार्यक्रम वहीं पर डिसाइड होगा कि उन्हें कहांकहां जाना है और क्याक्या करना है.

आने वाले यात्रियों की जैसेजैसे भीड़ छंट रही थी, मातापिता की बेचैनी भी उसी तरह बढ़ रही थी. पंडिताइन रोंआसी सी आवाज में बोलीं, ‘‘बस जी, बहुत हो चुका, अब नहीं भेजना है उसे वापस. बहुत रह चुका विदेश में, दुनिया घूम चुका है. अब तो शादी भी कर ली है. बस, यहीं रहेगा, बहू के साथ, हमारे पास. आगे बच्चे होंगे, परिवार बढ़ेगा. कैसे संभालेंगे बच्चों को अकेले रह कर विदेश में, यहां किसी चीज की कमी नहीं है हमारे पास. बस, यहीं रहेगा और जो कुछ भी करना है करे, मगर करेगा यहीं रह कर.’’

वैद्यजी भी खामोशी में ऐसा ही कुछ सोच रहे थे कि पंडिताइन की हालत देख कर उन का भी दिल पसीज गया. अपनेआप को संभाला और पंडिताइन को सहारा दिया कि एकाएक 2 लड़के सामने से आते हुए वैद्यजी को दिखाई दिए जो थोड़ी दूर पर हंसते- खिलखिलाते से मस्ती के साथ अजीब से रंगरंगीले पहनावे में थे.

वैद्यजी बड़े उल्लास भरे स्वर में पंडिताइन से बोले, ‘‘लो, देखो, लगता है कि तुम्हारा लाल कमलदीप आ गया,’’ वैद्यजी थोड़ा और रुक कर बोले, ‘‘लेकिन इस के साथ तो कोई अंगरेज लड़का है. बहूरानी जैसी तो कोई उस के साथ दिखाई नहीं दे रही.’’

अपना चश्मा ठीक करती पंडिताइन बोलीं, ‘‘वह क्या कोई साड़ीलहंगा पहन कर आएगी यहां. आजकल तो सारे एक जैसे ही कपड़े पहनते हैं. लड़का हो या लड़की, सब एक जैसे लगते हैं. पहननेओढ़ने में, चालढाल में, बातचीत करने में और फिर उस की बहू तो अंगरेज है. आजकल तो कई बार लड़के और लड़की में कोई फर्क पता ही नहीं लगता.’’

देखते ही देखते दोनों थोड़ा और पास आ गए. कमलदीप ने अपने मातापिता को इंतजार करते हुए देख लिया और भागते हुए उन के पास आ गया. अपने साथी को वहीं छोड़ कर ऊंचे स्वर में कमलदीप दूर से ही चिल्लाया, ‘‘हाय डैड, हाय मौम. व्हाट हैपैंड टू यू, लुक टु बी वैरी सीरियस. आर यू औल राइट मौम. कम औन, आई एम हियर,’’ और कहतेकहते कमलदीप रेलिंग से बाहर आ गया.

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पिताजी का आशीर्वाद और मां का प्यार बांधे रहा उसे थोड़ी देर. धीरेधीरे लग रहा था कि कमलदीप कितना बदल गया है. एक सभ्य घराने का लड़का और बोलचाल में, पहनावे में और चालढाल में लड़कियों जैसी हरकत करता है तथा कूल्हे मटकाते हुए हिजड़ों जैसी चाल चलता है. उस का जिप्सियों जैसा पहनावा, अजीबअजीब से रंगीन छोटेबड़े, ऊंचेनीचे कपड़े, कानों में बालियां, हाथों में मोटे कड़े, रंगीन चूडि़यों के साथ और गले में रंगीन रस्सियों की माला जिस में तरहतरह के रंगबिरंगे पत्थर गुथे हुए थे.

पंडिताइन से रहा नहीं गया तो बोलीं कि यह क्या हुलिया बनाया हुआ है तू ने? यह लड़कियों वाला भेष बना कर आया है तू यहां. कमलदीप बोला, ‘‘अरे, क्या मौम आप का वही पुराना घिसापिटा सा कल्चर, यू नो दिस इज द यूनीसैक्स ड्रैस-लेटैस्ट इन फैशन. यानी लड़के हों या लड़कियां अब सभी एक सी ही ड्रैस से काम चला लेते हैं.’’

वैद्यजी कुछ झिझकते हुए से बोले, ‘‘बेटा…लेकिन लेटैस्ट में लड़का लड़की तो नहीं बन जाता या वह भी है?’’

‘‘ओ, डैड यू आर ग्रेट. यू सीम टू अंडरस्टैंड एवरीथिंग वैरी क्विकली.’’

माताजी से रुका नहीं जा रहा था अत: बात बीच में ही काटते हुए कुछ संकुचित सी हो कर बोलीं, ‘‘तू ने तो शादी कर ली है न. कहां है बहू, तू लाने वाला था न अपने साथ.’’

‘‘ओ यैस, आई विल गिव यू ए बिग सरप्राइज. आई एम ट्र ू टू माई वर्ड्स,’’ और कहतेकहते उस ने अपने साथी जैक को आवाज दी, ‘‘कम हियर एंड मीट दैम, शी इज माई मौम एंड मीट माई डैड.’’

पंडिताइन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि बहू के नाम पर यह किस से मिला रहा है उन का बेटा.

सामने जैक खड़ा था. और वह भारतीय सभ्यता की नकल करता हुआ हाथ जोड़ते हुए बोला, ‘‘हाय, डैड एंड मौम. आई एम जैक, योअर सन इन ला.’’ लेकिन जब उस ने आगे कहा, ‘‘होप यू लाइक मी टु बी द हसबैंड औफ योर सन के.डी.’’ उस की बात को आगे बढ़ाते हुए डिटेल में समझाते हुए कमलदीप ने कहा कि हम ने 6 महीने पहले ही कैलिफोर्निया कोर्ट में शादी की है. इट इज ए कौंट्रैक्चुअल मैरिज और कौंट्रैक्ट के अनुसार, हर 6 महीने बाद हमारे रिश्ते यानी कि हसबैंड और वाइफ के रिश्ते बदल जाते हैं. यानी शादी के समय जैक मेरी पत्नी थी और मैं उस का पति लेकिन पिछले 2 हफ्ते से जैक मेरा पति है और मैं इस की पत्नी.

यह सब कमलदीप एक ही सांस में कह गया, अमेरिकन अंगरेजी के साथ हिंदी में भी. मातापिता को दोनों की बातें सुन कर बड़ा अटपटा सा लगा. क्या बोल रहा है यह, कहीं कोई मजाक तो नहीं कर रहा है? वैद्यजी बड़े असमंजस में थे कि पंडिताइन बोलीं, ‘‘देखा आप ने, कैसा मजाक कर रहा है यह मांबाप के साथ. अमेरिका में क्या रहा कि सारी शर्म, मानमर्यादा, बड़ों का सम्मान सभी कुछ खो दिया इस ने, पता नहीं इस को कि बड़ों से ऐसा मजाक नहीं करते. समझाइए इसे आप ही, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है.’’

वैद्यजी संभलते हुए बोले कि चलो, बहुत हो चुका मजाक, अब बताओ कि यह तुम्हारे साथ जैक कौन है, कहां से आया है और बहूरानी कहां है?

‘‘आई एम सीरियस डैड…आप क्या समझते हैं कि मैं आप से कोई मजाक करूंगा. दिस इज ट्रू, ही इज माई हसबैंड एंड आई एम हिज वाइफ सिंस लास्ट टू वीक्स. बिफोर दैट आई वाज हसबैंड एंड ही यूज्ड टु बी माई वाइफ,’’ कमलदीप यह सब कहता जा रहा था और वैद्यजी का पारा चढ़ता जा रहा था. चेहरा तमतमाने लगा, जिसे देख कर पंडिताइन ने भांप लिया कि कुछ गड़बड़ है जिसे वैद्यजी सहन नहीं कर पा रहे हैं. अत: पंडिताइन अपने पति का साथ देते हुए काफी उत्तेजित स्वर में बोलीं, ‘‘के.डी., ठीठीक क्यों नहीं बताता कि आखिर बात क्या है. पहेलियां बुझाना बंद कर और साफसाफ बता कि माजरा क्या है?’’

के.डी. हक्काबक्का सा सोच रहा था कि किन शब्दों में बताए इन को? पंडितजी के.डी. की बांह पकड़ कर पूरी ताकत से उसे झकझोरते हुए बोले, ‘‘यह नालायक क्या बताएगा तुम्हें, लड़की बन कर आया है तुम्हारे पास. यह कह रहा है कि जैक से उस ने शादी की है, वह इस का पति है और यह तुम्हारा लाड़ला इस की पत्नी.’’

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पति के मुंह से यह सुनते ही पंडिताइन भी बौखला गईं और अपनी भरीभरी आवाज में चिल्लाईं, ‘‘बोलता क्यों नहीं कि यह सब झूठ है, क्या तू लड़का हो कर इस गधे की पत्नी बन कर रहेगा.’’

– क्रमश:

मेरी स्किन बहुत जल्दी ड्राय हो जाती है और सौफ्ट भी नहीं रह पाती?

सवाल-

मेरी स्किन बहुत जल्दी ड्राई हो जाती है और सौफ्ट भी नहीं रह पाती. क्या मु झे ज्यादा क्रीम अप्लाई करने की जरूरत है?

जवाब-

क्रीम के कम या ज्यादा इस्तेमाल से स्किन रूखी हो जाती है, यह बिलकुल गलत है. क्रीम की वजह से नहीं, बल्कि मौसम के अनुसार स्किन के भीतर खून का संचरण धीरे होने लगता है, जिस से शरीर का तापमान कम हो जाता है. शरीर का तापमान कम होने की वजह से शरीर से सीवम कम उत्पन्न होता है. यह सीवम तेलग्रंथियों से निकलता है, जो स्किन को मुलायम और चमकदार बनाने में सहायक होता है.

सर्दियों में सब से अधिक स्किन खराब होने लगती है. सर्दियों में हमारी स्किन की पहली परत पर असर पड़ता है. इस से हमारी स्किन की ऐपिडर्मिस में सिकुड़न आने लगती है, जिस के कारण स्किन में मौजूद कोशिकाएं टूटने लगती हैं. साथ ही सर्दियों में शरीर का तापमान कम होने लगता है, जिस के कारण सीवम गाढ़ा हो जाता है और वह स्किन की बाहरी परत पर नहीं आ पाता और स्किन सख्त हो जाती है. इसलिए आप को जरूरत है स्किन के अंदर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने की जो नियमित फेशियल और मालिश से बढ़ाया जा सकता है.

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क्या आपने कभी सोचा है कि महंगी महंगी क्रीम्स और लोशन लगाने के बावजूद भी आपकी स्किन रूखी रूखी , डल व बेजान सी क्यों लगती है?

आपको बता दें कि जाने अनजाने हम में से अधिकांश लड़कियां व महिलाएं ऐसी गलतियां कर बैठती हैं , जिससे चेहरा बहुत अधिक ड्राई हो जाता है. ऐसे में मेकअप भी चेहरे के ड्राई डब्बों को छिपा नहीं पाता , जिससे सबके सामने जाने में काफी शर्मिंदगी महसूस होने लगती है. और खुद का आत्मविश्वास कम होता है वो अलग. लेकिन कहते हैं न कि निराश होने से कुछ नहीं होता. अगर आप अपने स्किन केयर रूटीन को ठीक कर लें तो आप कुछ ही दिनों में फिर से सोफ्ट व शाइनी स्किन पा सकती हैं . वे कौन सी गलतियां हैं , जो अकसर आप करती हैं , जिससे आपकी स्किन ड्राई नजर आने लगती है. इस बारे में बता रही हैं ब्यूटी एंड मेकअप एक्सपर्ट अंशुल रावल.

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विराट-अनु्ष्का बनने वाले हैं मम्मी-पापा, Photo शेयर कर दी खुशखबरी

कोरोनावायरस के कहर के कई सेलेब्स ने नए मेहमान का स्वागत किया है. इसी बीच अपनी कैमेस्ट्री और पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाले टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने अपनी जिंदगी में आने वाली नई खुशी का ऐलान कर दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

फैंस को दी खुशखबरी

कप्तान विराट कोहली ने ट्विटर के जरिए फैंस को खुशखबरी देते हुए बताया है कि जनवरी 2021 में उनके घर नन्हा मेहमान आने वाला है. विराट ने वाइफ अनुष्का शर्मा संग फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘और फिर, हम तीन थे! जनवरी 2021 में आ रहा है.’

बेबी बंप में नजर आई अनुष्का

विराट के सोशलमीडिया पर शेयर की गई फोटोज में अनुष्का का बेबी बंप साफ नजर आ रहा है, जिसमें अनुष्का बेहद खूबसूरत लग रही हैं. वहीं उनकी पेरेंट्स बनने की खबर वायरल होने के बाद सेलेब्स और फैंस उन्हें बधाइयां दे रहे हैं.

फिल्मी दुनिया से दूर हैं अनुष्का

 

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♥️ Bruno ♥️ RIP ♥️

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अनुष्का शर्मा के फिल्मी करियर की बात करें तो वह अभी कोई फिल्म नहीं कर रही हैं. जबकि हाल ही में वह अपने प्रौडक्शन हाउस के जरिए इंडस्ट्री में बनी हुई हैं. हालांकि बीते साल उनकी प्रैग्नेंसी की खबरों ने सोशलमीडिया पर काफी धमाल मचाया था, जोकि बाद में अफवाह साबित हुई थी. वहीं विराट कोहली के वर्क फ्रंट की बात करें तो वह इस समय इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में हिस्सा लेने  युनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) पहुंचे हैं, जबकि अनुष्का शर्मा मुंबई में ही मौजूद हैं.

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