पीरियड्स की मुश्किलों से कैसे निबटें

कुछ लड़कियां पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग्स का सामना करती हैं तो कुछ लड़कियों को कोई खास बदलाव महसूस नहीं होता है. ऐसे ही कुछ लड़कियां डिप्रैशन और इमोशनल आउटबर्स्ट का शिकार होती हैं. इसे कहते हैं प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम और 90 प्रतिशत लड़कियां वर्तमान में इसे महसूस कर रही हैं.

पीरियड के दौरान अनेक परेशानियां भी आती हैं. महीने में 2 बार पीरियड्स क्यों हो रहे हैं? मसलन, फ्लो इतना ज्यादा या इतना कम क्यों है ? पीरियड्स और लड़कियों के समान क्यों नहीं हैं? अनियमित पीरियड्स क्यों हैं? ये सब प्रश्न अकसर हमारे दिमाग में घर कर लेते हैं.

हमें यह समझने की जरूरत है कि ये सब परेशानियां असामान्य नहीं हैं. हर महिला का मासिकधर्म और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है.

असामान्य माहवारी

पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य होना, पीरियड्स देर से आना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहना आदि असामान्य पीरियड माने जाते हैं. यह कोई बीमारी नहीं है. इसे अलगअलग हर लड़की में देखा जाता है. इस में अचानक मरोड़ उठने लगती है और बदनदर्द होने लगता है. अनियमित और असामान्य पीरियड को एनोबुलेशन से भी जोड़ा जा सकता है. आमतौर पर इस कारण हार्मोंस में असंतुलन हो सकता है.

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प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम हर साल भारत की एक करोड़ से भी ज्यादा लड़कियों में देखा जाता है. यह एक ऐसी समस्या है जो लड़कियों को हर महीने पीरियड से कुछ दिनों पहले प्रभावित करती है. इस दौरान लड़कियां शारीरिक और भावनात्मक रूप से खुद को कमजोर महसूस करती हैं.

मुंहासे, सूजन, थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स इस के कुछ सामान्य लक्षण हैं. सटीक लक्षण और उन की तीव्रता लड़की से लड़की और चक्र से चक्र पर निर्भर करती है.

हार्मोंस में परिवर्तन इस सिंड्रोम का एक महत्त्वपूर्ण कारण है. विटामिन की कमी, शरीर में उच्च सोडियम का स्तर, कैफीन और शराब का अधिक सेवन पीएमएस का कारण बन सकते हैं. पीएमएस 20 से 40 वर्ष की महिलाओं में देखा जा सकता है.

इलाज है जरूरी

माहवारी में आने वाले अनियमित पीरियड्स या पीएमएस जैसी परेशानियों का इलाज बहुत ही सरल है. ऐक्सरसाइज हमेशा से ही पीरियड्स की परेशानी का हल रही है. एक स्त्रोत के अनुसार हफ्ते में 5 दिन 35 से 40 मिनट ऐक्सरसाइज करने से उन हार्मोंस की मात्रा कम हो जाती है जिन के कारण अनियमित माहवारी हो सकती है.

यदि किसी लड़की को पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द हो, भारी रक्तस्राव हो, 7 दिनों? से ज्यादा पीरियड के बीच उल्टियां हों तो अच्छा यही होगा कि तुरंत उसे डाक्टर के पास ले कर जाएं.

क्या खाएं क्या नहीं

–  दोपहर के भोजन में मिक्स दाल, सलाद, पनीर और उबले अंडे शामिल करें. इन के सेवन से शरीर में प्रोटीन की जरूरत पूरी होगी.

–  काले चने, राजमा और फलियां न खाएं तो बेहतर होगा. इन के सेवन से पेट दर्द या मरोड़ की शिकायत हो सकती है जो माहवारी के दर्द को और मुश्किल बना सकती है.

–  इस दौरान खून में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित रख जरूरी है, इसलिए मीठी चीजों का सेवन कम करें.

–  विटामिन बी6 और आयरन की कमी को पूरा करने के लिए ब्रोकली, टमाटर, मक्का इत्यादि खा सकती हैं. साथ ही विटामिन सी ने भरपूर चीजें जैसे नीबू, संतरा इत्यादि भी लें.

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–  माहवारी के दर्द से मैगनिशियम और पोटैशियम युक्त चीजें नजात दिलाने में सहायक हैं. इस के लिए केला, सोया पनीर यानी टोफू और सेम इत्यादि का सेवन कर सकती हैं.

किचन से लेकर बेडरूम तक, नई दुल्हन के लिए ऐसे सजाएं घर

शादी एक ऐसा पल है जब जिंदगी का हर पहलू बदलाव की सुनहरी चादर में लिपट जाता है. यह बदलाव भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक होने के साथ भौतिक भी होता है. खासतौर पर लड़की के लिए क्योंकि उसे अपने बचपन के घरआंगन को छोड़ कर पति के आशियाने को बसाना होता है. ऐसे में पति के घर को ले कर हर लड़की के कुछ ख्वाब भी होते हैं. वह सोचती है कि भले ही पति का घर उस के ड्रीम हाउस के खाके से मेल खाता हुआ न हो, लेकिन घर में उस का कमरा और रसोई कुछ हद तक उस के हिसाब से ही होगी. ऐसे में हर लड़के की जिम्मेदारी है कि अपनी पत्नी को घर लाने से पहले अपने बैडरूम और रसोई को बैचलर लुक से न्यूली वैड लुक में बदल लें. यदि आप को कमरे का इंटीरियर तय करने में समस्या आ रही है, तो नीचे दिए टिप्स आप के लिए मददगार साबित हो सकते हैं:

बैडरूम का रंग हो ऐसा

बैडरूम के इंटीरियर का सब से महत्त्वपूर्ण हिस्सा दीवारों पर चढ़ा पेंट होता है. आइए जानते हैं कि कैसा होना चाहिए न्यूली वैड कपल के कमरे का रंग. शादी के माहौल में अकसर वाइब्रैंट कलर्स देखने को मिलते हैं. लगातार हफ्ते भर वाइब्रैंट रंगों को देखतेदेखते दुलहन का मन उन्हीं में खो जाता है और वह उन रंगों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है. खासतौर पर लाल, बैगनी, रौयल ब्लू, गोल्डन और मैरून रंग से उसे लगाव सा हो जाता है. इसलिए दुलहन के कमरे को तैयार करते वक्त कमरे की दीवारों के रंग का चुनाव इन्हीं रंगों में से करें.

नईनई शादी में रोमांस और ऐलिगैंस को बहुत महत्त्व दिया जाता है और गहरे रंग इन दोनों के ही प्रतीक हैं. इन रंगों के साथ डीप ज्वैल कलर्स जैसे गोल्डन, ब्रौजन एवं मेटैलिक का कौंबिनेशन दुलहन को और भी अधिक सूदिंग फीलिंग देता है. अपने घर से ज्यादा किसी को और कहां कोजी फीलिंग हो सकती है? जरा सोचिए, आप की दुलहन आप के लिए अपना घर छोड़ कर आ रही है ऐसे में उसे कोजी फील देने में भी ये डार्क कलर काफी मददगार हैं.

यदि कमरा बड़ा है तो पूरे कमरे में गहरा रंग कराया जा सकता है, लेकिन यदि कमरा छोटा है तो कमरे की एक दीवार पर ही गहरा रंग करवाएं. अन्य दीवारों पर गहरे रंग से मेल खाता हलका रंग करवा सकते हैं. यह कमरे को आकार में बड़ा भी दर्शाता है.

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कमरे में फर्नीचर की मौजूदगी उस के खालीपन को भरती है बिलकुल वैसे ही जिस तरह आप की पत्नी आप के जीवन के खालीपन को दूर करती है. लेकिन फर्नीचर का चुनाव करते वक्त कुछ बातों का जरूर ध्यान दें.

– अब आप बैचलर नहीं रहे इसलिए आप जो भी फर्नीचर लें इस बात को ध्यान में ले कर लें कि आप 1 नहीं 2 हैं. खासतौर पर बैठने का सोफा, बैड और अलमारी का चुनाव करते वक्त पत्नी की चौइस का भी ध्यान रखें.

– रूम के साइज के हिसाब से बैड का साइज तय करें. जरूरी नहीं कि किंगसाइज बैड ही लिया जाए. यदि आप का काम क्वीन साइज बैड में चल सकता है तो वही लें.

– नए घर में दुलहन का सब से अच्छा दोस्त आईना होता है. ड्रैसिंग टेबल का चयन करते वक्त लंबाई में बड़े शीशे वाले ड्रैसिंग टेबल को चुनें क्योंकि तैयार होते वक्त कई बार दुलहन को ऊपर से नीचे तक खुद को देखना पड़ता है. ऐसे में लंबे शीशे की वश्यकता पड़ती है.

– केनोपी बैड भी न्यूली वैड्स के लिए एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह बैड ऐरिया को कवर कर लेता है और बहुत रोमांटिक अपीयरैंस देता है.

– नईनवेली दुलहन अपने साथ बहुत से महंगे तोहफे और कपड़े लाती है. इस के लिए उसे ऐसे स्टोरेज की जरूरत होती है जहां उस का सामान सेफ रहे. इसलिए वार्डरोब के साइज में कंजूसी मत करें. वार्डरोब ऐसी होनी चाहिए जिस में दूल्हा और दुलहन दोनों  कपड़े रखने के अलावा ऐक्स्ट्रा स्टोरेज की भी जगह हो.

ऐसी हों लाइट्स

रोशनी पौजिटिविटी का प्रतीक होती है. दुलहन के कमरे में खूबसूरत लैंप्स, झूमर और सीलिंग लाइट्स होनी चाहिए. लेकिन इन की सैटिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

– जिस तरफ बैड हो उस की सीध में लाइट नहीं होनी चाहिए. लाइट की चकाचौंध से आंखों में इरिटेशन होने लगता है, इसलिए लाइट की सैटिंग हमेशा बैड के दाईं और बाईं तरफ ही होनी चाहिए.

– आजकल कलरफुल लाइट्स का ट्रैंड है. अगर आप के कमरे के कलर और इंटीरियर की खूबसूरती में कलरफुल लाइट्स से इजाफा हो रहा हो तो इस का प्रयोग भी कर सकते हैं.

– यदि आप का कमरा झूमर लगवाने के लिए उपयुक्त नहीं है तो आप कमरे की सीलिंग पर डिम लाइट्स लगवा सकते हैं. डिम लाइट्स माहौल को रोमांटिक बनाने में बहुत मददगार होती हैं.

फ्लोरिंग का भी रखें ख्याल

नई-नवेली दुलहन के लिए कमरे की फ्लोरिंग पर भी विशेष ध्यान दें. आइए हम आप को बताते हैं कुछ टिप्स.

– कमरे की दीवारें और छत जितनी अहम है उतनी ही अहम है कमरे की फर्श. इसलिए यदि आप दीवारों पर डिजाइनर पेंट करवा रहे हैं तो फर्श पर डिजाइनर कार्पेट जरूर डलवाएं.

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– फर्श के इंटीरियर के लिए मार्केट में आजकल कई डिजाइनर विकल्प उपलब्ध हैं. जैसे कमरे की फर्श का रंग तकनीक द्वारा बदलवाया जा सकता है, डिजाइनर टाइल्स लगवाए जा सकते हैं, तो वुडेन फ्लोरिंग भी काफी ट्रैंड में हैं.

परदे काभी रखें ध्यान

बैडरूम इंटीरियर में परदों का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. खासतौर पर बात जब न्यूली वैड कपल के बैडरूम की हो तो इन का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. लेकिन परदों के चुनाव में भी सावधानी बरतनी चाहिए.

– दुलहन के कमरे में परदे हमेशा गहरे रंग के होने चाहिए. साथ ही वे पारदर्शी न हों. दुलहन को प्राइवेसी की जरूरत होती है,  इसलिए परदों में थोड़ा भारीपन और मोटापन होना चाहिए.

– परदों का फैब्रिक सिल्क या साटन होना चाहिए. ये परदे शाइनी और भारी होते हैं. बहुत रंगबिरंगे परदे बैडरूम के इंटीरियर को खराब करते हैं. यदि फिर भी चाहें तो 2 रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

रसोई भी हो खास

नई दुलहन के लिए ससुराल में बैडरूम के बाद रसोई घर दूसरा सब से महत्त्वपर्ण स्थान होता है. जहां स्वादिष्ठ पकवान बना वह अपने पति और ससुराल वालों का दिल जीत लेती है. लेकिन रसोई को दुलहन के हाथों सौंपने से पहले उस के इंटीरियर पर थोड़ा ध्यान जरूर देना चाहिए. आइए जानते हैं कि नई दुलहन की रसोई कैसी होनी चाहिए.

– आजकल बहुत बड़ी रसोई का चलन नहीं है, इसलिए रसोई छोटी भी हो तो इसे मैनेज कर के अच्छा बनाया जा सकता है. मसलन, रसोई साफसुथरी लगे इस के लिए फर्श और दीवारों पर टाइल्स जरूर लगवाएं.

– रसोई को मौड्युलर भी बनवाया जा सकता है. इस से सामान फैला हुआ नहीं दिखता और दुलहन को नई रसोई में सामान खोजने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती.

– रसोई में रखे मसालों और अनाज के डिजाइनर डब्बे बाजार में उपलब्ध हैं. इन्हें भी रसोई के डैकोरेशन का हिस्सा बनाया जा सकता है. साथ ही जिस डब्बे में जो सामान रखा है उस डब्बे पर उस का लेबल जरूर लगाएं.

– आजकल रसोई में भी अधिकतर चीजें इलैक्ट्रौनिक ही होती हैं. इस से खाना स्वादिष्ठ पकने के साथ जल्दी भी पकता है. दुलहन को रसोई में बहुत वक्त न गुजारना पड़े इस के लिए किचन गैजेट्स की मौजूदगी अनिवार्य है. मसलन, सैंडविच मेकर, स्टर, मिक्सर ग्राइंडर, माइक्रोवेव, राइस मेकर आदि कुछ ऐसे आवश्यक आइटम हैं जो आज के समय में हर रसोई में होने ही चाहिए.

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– बाजार में डिजाइनर कुकवेयर भी उपलब्ध हैं, जो भोजन की पौष्टिकता और स्वाद को बरकरार रख जल्दी भोजन तैयार करने में मददगार और किचन इंटीरियर का महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं. रसोई में इन की मौजूदगी दुलहन को स्वादिष्ठ भोजन पकाने का आत्मविश्वास दिलाती है.

मेरे बालों में काफी खुजली होती है, इसका क्या कारण है?

सवाल-

इन दिनों मेरे बालों में काफी खुजली होती है, जबकि मैं हमेशा तेल लगा कर ही बाल शैंपू करती हूं. बालों में जुएं भी नहीं हैं, कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप अपना शैंपू बदल कर देखिए क्योंकि कई बार किसी शैंपू से ऐलर्जिक होने के कारण भी ऐसा होता है. इस के अलावा एक बार अपना स्कैल्प चैक करें कि कहीं बालों में डैंड्रफ तो नहीं, अगर ऐसा है तो रूसी और खुजली वाले बालों की त्वचा के लिए जैतून के तेल की मालिश करें फिर गरम तौलिए से बालों को भाप दे कर 4-5 घंटे बाद बाल धो लें. इस के अलावा रूसी फैले नहीं, इस के लिए आप अपनी कंघी, तौलिया व तकिए को अलग रखें और इन की सफाई का भी खासतौर पर खयाल रखें. जब भी बाल धोएं, तो ये तीनों चीजें किसी अच्छे ऐंटीसैप्टिक के घोल में आधा घंटा डुबो कर रखें और धूप में सुखा कर ही दोबारा इस्तेमाल करें.

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मानसून में बारिश की बूंदे जहां गर्मी की चिलचिलाती धूप से राहत दिलाती हैं वही स्किन और बालों के लिए काफी नुक्सान दायक हो सकती हैं, बारिश के समय में होने वाली चिपचिपाहट और नमी बालों और स्काल्प के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है , इस मौसम में नमी और तेल के कारण पसीने का स्राव होता है जो की बालों और खोपड़ी से चिपक जाता है और मिट्टी और प्रदूषकों को आकर्षित करता है, इस स्थिति से जहां बालों का गिरना शुरू हो जाता है वही स्काल्प भी एलर्जिक हो जाती है. बालों में रूसी, एलर्जी, संक्रमण, बदबू, कमजोर रोम जैसी समस्याएँ भी सामने आती हैं. इसके साथ ही असंतुलित और खराब आहार, हार्मोनल असंतुलन जैसे अन्य कारक, हेयर डाई और केमिकल युक्त उत्पादों के उपयोग से भी समस्या बढ़ जाती है और आपके बालों को सुस्त और कमज़ोर दिखाती है.

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सिल्वर सैपरेशन का बढ़ता ट्रैंड

जब से नेहा की शादी हुई उसी समय से नेहा पति रौकी को किसी और के साथ कहीं नहीं जाने देती. रौकी के किसी से बात करने पर नाराज हो जाती. जब रौकी उस से पूछता कि वह उस पर शक क्यों करती है तो कहती कि वह उस से बहुत प्यार करती है.

कुछ समय बाद तो हालात ऐसे हो गए कि नेहा रोज रौकी के औफिस हर 10 मिनट बाद फोन कर पूछती कि वह क्या कर रहा है. कभी कहती कि जब घर आओ तो उस के लिए कुछ खरीद लाना, फिर जब वह कुछ खरीद कर लाता तो उस पर शक करती. कहती कि कौन गई थी यह खरीदने उस के साथ. अब तो वह अपना कामधाम छोड़ कर रौकी की जासूसी करने लगी थी. इस वजह से रौकी क्या पूरा परिवार परेशान रहने लगा.

इसी कारण रौकी अपना काम ठीक से नहीं देख पा रहा था. उस का जमाजमाया बिजनैस डूबने लगा. वह अपने परिवार और दोस्तों से दूर होता गया. नेहा की वजह से घर से बाहर अपने परिवार वालों से भी नहीं मिलता.

नेहा की अपने प्यार को सहेजने की इस सनक ने 2 परिवारों का जीवन नर्क बना दिया. अंत में एक दिन रौकी ने नेहा को छोड़ दिया. रौकी को इस से बेहतर और कुछ समझ नहीं आया. यह कैसा प्यार है, जो नेहा की सनक की भेंट चढ़ गया?

नए रिश्तों की उलझन

शोध बताते हैं कि जब 2 लोग नया रिश्ता शुरू करते हैं तब पहलेपहल सामंजस्य बैठाने में उन्हें दिक्कत आती है. अगर इस दौरान रिश्ता न संभले तो तलाक की गुंजाइश बन जाती है. मगर इतने साल बिताने के बाद बढ़ती उम्र में तलाक अपनेआप में अटपटा लगता है.

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राघव एक मल्टीनैशनल कंपनी में ऊंचे पद पर कार्यरत और मिलनसार व्यक्ति था. जब घर में उस की शादी की बात शुरू हुई तो मंजरी उसे खास पसंद नहीं आई, पर परिवार की खुशी के लिए उस ने हां कर दी. परिवार वालों ने सुंदर लड़की का चुनाव किया था जो घरेलू थी ताकि वह हर कदम पर उस का साथ दे.

मंजरी को अपना लोगों से मिलनामिलाना बहुत पसंद था, पर राघव का किसी से मिलना या हंसना नहीं. धीरेधीरे वह राघव को हर बात पर टोकने लगी. राघव हंसता तो कहती कि इतना शोर क्यों मचा रहे हो? किसी महिला की तरफ देखता तो कहती कि उसे देख कर लार टपका रहे हो.

राघव अपने मित्रों के साथ कहीं जाता. तो हर थोड़ी देर में मंजरी फोन कर कहती कि गप्पें हांकने और चाय की चुसकियों से मन नहीं भरा है क्या जो अभी तक घर नहीं आए?

राघव के घर आने पर उस से झगड़ने लगती. लड़ाई से बचने के लिए अंतत: राघव ने लोगों से मिलनाजुलना ही छोड़ दिया. औफिस जाता और लौट कर अपने कमरे में कैद हो जाता. मंजरी टीवी देखने में व्यस्त रहती. धीरेधीरे राघव शराब पीने लगा. लेकिन अब भी मंजरी उस का साथ देने की जगह कहती कि नाटक करते हो. दोस्तों से मिलने के बहाने बनाते हो.

एक दिन तो हद ही हो गई. घर के सब सदस्य बैठे हुए थे. तभी मंजरी हिट का छिड़काव करने लगी. राघव ने जैसे ही यह देखा तो चीखा कि बेवकूफ औरत क्या सब की जान लेगी. इस बात का कोई असर नहीं हुआ.

अभी इस घटना को कुछ ही दिन बीते थे कि एक दिन राघव ने पैरों की सिंकाई के लिए गरम पानी मांगा तो पहले तो मंजरी ने मुंह बनाया और फिर खौलता पानी ले आई.

राघव ने मंजरी को बदलने की बहुत कोशिश की, पर जब कोई हल नहीं निकला तो उस ने मंजरी से बात करना बंद कर दिया. वह अब उस के साथ जिंदगी नहीं व्यतीत करना चाहता था, पर हर बार मातापिता के समझाने पर कि राघव ऐसा नहीं करते, समाज क्या कहेगा, एक बार बच्चा हो जाए सब सही हो जाएगा.

जिंदगी यों ही चलती रही. देखतेदेखते शादी हुए कितने साल बीत गए और इन सालों में हालात बद से बदतर होते गए. मंजरी ने बदलने या परिवार का दिल जीतने की कोई कोशिश नहीं की. कभी सास को कोसती तो कभी ससुर को गाली देती. बच्चों को भी मारतीपीटती. अगर कोई महिला रिश्तेदार कुछ समझानेबुझाने की कोशिश करती तो उसी के चरित्र पर उंगली उठाती कि राघव और उस के बीच संबंध हैं.

घर की स्थिति इतनी विकट हो गई कि कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा था. मंजरी के परिवार वाले भी उसे समझाने की जगह ससुराल वालों में ही दोष निकालते. हार कर बच्चों और बहनों की सलाह से राघव मंजरी को घर छोड़ आया. अब दोनों अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं, एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगा रहे हैं.

बच्चों से फैमिली कोर्ट में जब काउंसलर ने पूछा कि वे क्या चाहते हैं, दोनों बेटियों (जिन में से एक शादीशुदा है) ने कहा कि वे नहीं चाहतीं कि मम्मी कभी वापस आए. उन्होंने पापा को कभी समझा ही नहीं. उन के न आने से घर में शांति है.

अब सवाल यह है कि ऐसी स्थिति का कारण क्या है? एक सर्वे की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें सामने आईं. 2 लोगों के बीच तलाक की एक वजह सनक भी है. चाहे वह जरूरत से ज्यादा प्यार की सनक हो या जरूरत से ज्यादा गुस्से की. असल में जब एक पार्टनर दूसरे से प्यार करता है तो अपने पार्टनर से भी बदले में वही ख्वाहिश रखता है. अगर दूसरा पार्टनर इस बात की तरफ ध्यान नहीं देता तो रिश्ता मुश्किल में पड़ जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति दोनों के लिए ही खतरनाक होती है. क्योंकि एक तो यह सोचता है कि उस में कोई कमी नहीं दूसरा ही अडजस्ट नहीं कर पा रहा, जबकि दूसरा सोचता है कि वह कहां फंस गया, ऐसे में दोनों ही कुछ नए की तलाश में लग जाते हैं.

पक्की उम्र में तलाक क्यों

मशहूर लेखक कोएलो का कहना है कि अगर अलविदा कहने का हौसला नहीं है तो जिंदगी अवसरों से हमारी झोली भर कर हमें खुशामदीद भी नहीं कहेगी. यह बात तलाकशुदा लोगों पर फिट बैठती है.

भारत जैसे देश में पिछले 12 सालों में तलाक दर दोगुनी हो गई है. आखिर परिपक्व या पक्की उम्र में तलाक का कारण क्या है?

लेखक जेनिफर का कहना है, ‘‘तलाक का मतलब जिंदगी खत्म होना नहीं. अगर शादीशुदा जिंदगी निभाने में परेशानी आ रही हो तो असफल शादीशुदा जिंदगी जीने से क्या फायदा, तलाक के बाद कोई मरता नहीं. सेहत तो तब खराब होती है जब हम असफल शादीशुदा जिंदगी जी रहे होते है.’’

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25वीं सालगिरह पर तलाक की ओर

सिल्वर जुबली या सिल्वर सैपरेशन यानी तलाक के बाद उन्हें जिम्मेदारियों का दंश नहीं सताता. उन के बच्चे शादी कर घर बसा चुके  होते हैं. अब अपने हिसाब से जिंदगी जीने का वक्त उन का होता है. पार्टनर की कोई टोकाटाकी नहीं. हर पल सुकून भरा. बस इसी सुकून को तरसते लोग ढलती उम्र में भी तलाक लेने में संकोच नहीं कर रहे हैं.

फैमिली कोर्ट काउंसलर सिन्हा का कहना है कि रिश्ते में कड़वाहट पड़ जाए और उस में सड़न पैदा होने लगे तो अच्छा है रिश्ता तोड़ लिया जाए? उन के मुताबिक उन का दोस्त तलाकशुदा है और उस के 2 बच्चे हैं. ऐसे में पतिपत्नी अलग रहते हुए भी बच्चों की परवरिश अच्छी तरीके से बिना किसी मनमुटाव और झगड़े के कर रहे हैं. बच्चे भी खुश है.

परिवार और समाज

सब से पहले जरूरी है कि बच्चों के साथ संबंधों को मधुर बनाया जाए, क्योंकि वही आप की असली धरोहर हैं. उन के साथ प्यार से पेश आएं.

अगर आप संयुक्त परिवार में रहती हैं तो पति और बच्चों के साथसाथ बुजुर्गों का भी खयाल रखें. उन की भावनाओं का सम्मान करेें.

अगर किसी रिश्तेदार से अनबन हो या वह नापसंद हो, तो रिश्ते की इस कटुता को न बढ़ाएं, बल्कि नफरत और नाराजगी को खत्म करने की कोशिश करें.

अकसर समय के साथ आप बदल जाते हैं, लेकिन पार्टनर की वही ऐक्सपैक्टेशंस रह जाती हैं जोकि रिश्ता शुरू होने के समय थीं. लेकिन सोचिए कि यह रिश्ता जा कहां रहा है? क्या रिश्ते के साथ आप आगे बढ़ रहे हैं या फिर वहीं ठहर गए हैं जहां उस वक्त थे, जब रिश्ता शुरू हुआ था? अगर ऐसा है तो इस रिश्ते को संभालने के लिए दोबारा से सोचिए. इन सारी बातों से जितना आप प्रभावित हैं उतने ही घर के सारे सदस्य भी. हो सकता है इन सारी बातों से एक दिन परेशानियां इतनी बढ़ जाएं कि आप को अलग होना पड़ जाए. अत: अच्छा है वक्त रहते संभल जाएं.

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हिना खान से लेकर देवोलिना तक Oxidized Jewellery की फैन हैं ये एक्ट्रेसेस, देखें फोटोज

आजकल फैशन हो या ज्वैलरी हर किसी का ट्रैंड बदलता रहता हैं. आए दिन नया-नया फैशन हमारे वौर्डरोब को चेंज करता रहता है, लेकिन कुछ फैशन ऐसा है जो सदाबहार रहता है. औक्साइड ज्वैलरी का फैशन काफी पहले से है, लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि इन्हें किस कपड़े के साथ पहना जाए इसे समझना जरूरी हो गया है. आजकल टीवी एक्ट्रेसेस को औक्साइड ज्वैलरी काफी पसंद है. आज हम आपको टीवी एक्ट्रेसेस के औक्साइड ज्वैलरी कलेक्शन के बारे में बताएंगे, जिसे आप उनकी तरह अपने लुक के साथ कैरी कर सकती हैं..

1. आमना शरीफ का ये लुक

लखनवी कुर्ती के साथ-साथ ‘कसौटी जिंदगी के 2’ की कोमोलिका यानी आमना शरीफ के पास भी ऑक्साइड ज्वेलरी का भी ढेर सारा कलेक्शन हैं. आमना इन दिनों रमजान के मौके पर अक्सर लखनवी कुर्ते के साथ ऑक्साइड इयररिंग्स को कैरी करते हुए नजर आती हैं.

 

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Being modest is ‘the’ finest asset you can ever possess …. @inshacreationsnx

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2. अनीता का लुक भी है खूबसूरत

 

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😐🤔 #BORED

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अपनी साड़ियों और डिजाइनर ब्लाउज के लिए मशहूर ‘नागिन 3’ फेम अनीता हसनंदानी (Anita Hassanandani) के पास ऑक्साइड ज्वेलरी का अच्छा खासा कलेक्शन है. अनीता को अक्सर इन ज्वेलरीज में फोटोशूट कराते हुए देखा जा चुका है, जिनमें उनके लुक बेहद खूबसूरत है.

3. गोपी वहू भी नहीं है कम

 

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🌸 . Earrings by @shopping_tweets . . . . #devoleenabhattacharjee #devoleena #attitudeofgratitude

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‘बहू बनी बेब’ का टैग लेकर ‘बिग बॉस 13’ के घर में एंट्री मारने वाली देवोलीना भट्टाचार्जी (Devoleena Bhattacharjee) कपड़े हो या ज्वेलरी देवोलीना हर एक चीज को बड़े ही शानदार तरीके से कैरी करती हैं. देवोलीना भट्टाचार्जी के पास नेकपीस और हुप्स का अच्छा खासा कलेक्शन है, जिसे वह अपने लुक के साथ चार चांद लगाती हैं.

4. प्रेरणा भी नहीं है पीछे

इंडियन आउटफिट्स के साथ ‘कसौटी जिंदगी के 2’ की लीड एक्ट्रेस एरिका फर्नांडिस को ऑक्साइड ज्वैलरी पहनना काफी पसंद है. वहीं वह साड़ी के साथ इस ज्वैलरी का कौम्बिनेशन करके अपने लुक को खूबसूरत बनाती हैं.

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5. हिना खान भी औक्साइड ज्वैलरी की हैं शौकीन

 

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🕊🕊🕊

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‘बिग बॉस 13’ में हिना खान (Hina Khan) ‘फैशन दीवा’ के नाम से जानी जाने लगी हैं. वहीं वह भी कोई मौका नहीं छोड़ती अपना फैशन दिखाने का.  हिना खान के वार्डरोब में एथनिक से लेकर वेस्टर्न सभी तरह के कपड़ों हैं. वहीं अक्सर हिना खान को ऑक्साइड ज्वैलरी के साथ अपने लुक को खूबसूरत बनाते हुए भी देखा गया है.

Latest Hindi Stories : दीवार – क्या आनंद अंकल सच में जया और राहुल के अपने थे?

Latest Hindi Stories : आस्ट्रेलिया में 6 सप्ताह बिताने के बाद जया और राहुल जब वापस आए तो घर खोलते ही उन्हें हलकी सी गंध महसूस हुई. यह गंध इतने दिनों तक घर बंद होने के कारण थी.  सफर की थकान के कारण राहुल और जया का मन चाय पीने को कर रहा था, जया बोली, ‘‘जानकी कल शाम पूजा के फ्रिज में दूध रख गई होगी, तुम खिड़कियां व दरवाजे खोलो राहुल, मैं तब तक दूध ले कर आती हूं.’’

‘‘दूध ले कर या चाय का और्डर कर के?’’ राहुल हंसा.

‘‘आस तो नाश्ते की भी है,’’ कह कर जया बाहर निकल गई.  बराबर के फ्लैट में रहने वाले कपिल और पूजा से उन की अच्छी दोस्ती थी.  कुछ देर बाद जया सकपकाई सी वापस आई और बोली, ‘‘कपिल और पूजा ने यह फ्लैट किसी और को बेच दिया है. मैं ने घंटी बजाई तो दरवाजा एक नेपाली लड़के ने खोला और पूजा के बारे में पूछा तो बोला कि वे तो अब यहां नहीं रहतीं, यह फ्लैट हमारे साहब ने खरीद लिया है.’’

जया अभी राहुल को नए पड़ोसी के बारे में बता ही रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी. जया ने जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि जानकी दूध के पैकेट लिए खड़ी थी.

‘‘माफ करना मैडम, आने में थोड़ी देर हो गई, पूजा मैडम का नया फ्लैट…’’

‘‘कोई बात नहीं,’’ जया ने बात काटी, ‘‘यह बता, पूजा मैडम कहां गईं?’’

‘‘7वें माले पर, मगर क्यों, यह नहीं मालूम,’’ जानकी ने रसोई में जाते हुए कहा.

‘‘चलो, है तो सोसायटी में ही, मिलने पर पूछेंगे कि तीसरे माले से 7वें माले पर क्यों चढ़ गई? चाय तो जानकी पिला देगी मगर नाश्ता तो खुद ही बनाना पड़ेगा,’’ जया ने राहुल से कहा.

‘‘नाश्ते के लिए इडलीसांभर और फल ला दूंगा.’’

राहुल के बाजार जाने के बाद दरवाजा बंद कर के जया मुड़ी ही थी कि फिर घंटी बजी. जया ने दरवाजा खोला. बराबर वाले फ्लैट का वही नेपाली लड़का एक ढकी हुई टे्र लिए खड़ा था.  ‘‘साहब ने नाश्ता भिजवाया है,’’ कह कर उस ने बराबर वाले फ्लैट की ओर इशारा किया जहां एक संभ्रांत प्रौढ़ सज्जन दरवाजे पर ताला लगा रहे थे. ताला लगा कर वे जया की ओर मुड़े और मुसकरा कर बोले, ‘‘मैं आप का नया पड़ोसी आनंद हूं. मुझे पूजा और कपिल से आप के बारे में सब मालूम हो चुका है. आस्टे्रलिया की लंबी यात्रा के बाद आप थकी हुई होंगी इसलिए पूजा की जगह मैं ने आप के लिए नाश्ता बनवा दिया है.’’

‘‘आप ने तकलीफ क्यों की? राहुल गए हैं न नाश्ता लाने…’’

‘‘तो यह आप लंच में खा लेना,’’ आनंद नौकर की ओर मुड़े. ‘‘मुरली, टे्र अंदर टेबल पर रख दो.’’

मुरली ने लपक कर टे्र अंदर टेबल पर रख दी और फिर आनंद का ब्रीफकेस उठा कर लिफ्ट की ओर चला गया.  ‘‘इतना संकोच करने की जरूरत नहीं है, बेटी,’’ आनंद ने प्यारभरे स्वर में कहा, ‘‘अब हम पड़ोसी हैं, एकदूसरे का सुखदुख बांटने वाले.’’

जया भावविह्वल हो गई, ‘‘थैंक यू, अंकल…’’

‘‘साहब, लिफ्ट आ गई,’’ मुरली ने पुकारा.

‘‘शाम को मिलते हैं, टेक केयर,’’ आनंद ने लिफ्ट की ओर जाते हुए कहा.

तभी राहुल आ गया और खुशबू सूंघते हुए बोला, ‘‘मैं गया तो था न नाश्ता लाने फिर तुम ने क्यों बना लिया?’’  ‘‘मैं ने नहीं बनाया, हमारे नए पड़ोस से आया है,’’ जया ने राहुल के मुंह में परांठे का टुकड़ा रखते हुए कहा, ‘‘खा कर देखो, क्या लाजवाब स्वाद है.’’

‘‘सच में मजा आ गया,’’ राहुल बैठते हुए बोला, ‘‘अब तो यही खाएंगे. परांठे तो बढि़या हैं, आनंद साहब कैसे हैं?’’

‘‘तुम्हें उन का नाम कैसे मालूम?’’ जया ने चौंक कर पूछा.

‘‘नीचे सोसायटी का सेके्रटरी श्रीनिवास मिल गया था. उसी ने बताया कि अमेरिकन बैंक के उच्चाधिकारी आनंद विधुर हैं, बच्चे भी कहीं और हैं. बस एक नौकर है जो उन की गाड़ी भी चलाता है इसलिए अकेलापन काटने के लिए ऐसा फ्लैट चाहते थे जिस की बालकनी से वे मेन रोड की रौनक देख सकें. अपनी बिल्ंिडग में जो फ्लैट बिकाऊ हैं उन से मेन रोड नजर नहीं आती. श्रीनिवास के कहने पर उन्होंने 7वें माले का फ्लैट ले तो लिया पर उस में रहने नहीं आए. बाद में श्रीनिवास को बगैर बताए उन्होंने कपिल से अपना फ्लैट बदल लिया. इस अदलाबदली का कमीशन न मिलने से श्रीनिवास बहुत चिढ़ा हुआ है.’’

जया हंसने लगी, ‘‘कपिल से या आनंद अंकल से?’’

‘‘अरे वाह, तुम ने उन्हें अंकल भी बना लिया?’’

‘‘जब उन्होंने मुझे बेटी कहा तो मुझे भी उन्हें अंकल कहना पड़ा. वैसे भी उन की उम्र के व्यक्ति को तो अंकल ही कहना चाहिए.’’  पेट भर नाश्ता करने के बाद दोनों आराम करने लगे. अगले रोज से काम पर जाना था इसलिए दोनों कुछ देर बाद उठे और घर का सामान लाने बाजार चले गए. लौटते समय लिफ्ट में आनंद मिल गए. अपने फ्लैट का ताला खोलने से पहले राहुल ने कहा, ‘‘अंकल, आज हमारे साथ चाय पीजिए.’’

‘‘जरूर पीऊंगा बेटा, मगर फिर कभी.’’

‘‘वह फिर कभी न जाने कब आए, अंकल,’’ जया बोली, ‘‘कल से काम पर जाने के बाद घर लौटने का कोई सही वक्त नहीं रहेगा.’’  आनंद अपने फ्लैट की चाबी मुरली को पकड़ा कर राहुल और जया के साथ अंदर आ गए. उन के चेहरे से लगा कि वे घर की सजावट से बहुत प्रभावित लग रहे हैं.

‘‘आस्ट्रेलिया का ट्रिप कैसा रहा?’’ आनंद ने बातचीत के दौरान पूछा.

‘‘बहुत बढि़या. मेरे छोटे भाई साहिल ने हमें खूब घुमाया. बहुत मजा आया. वैसे भी आस्टे्रलिया बहुत सुंदर है,’’ राहुल ने कहा.

‘‘वहां जा कर बसने का इरादा तो नहीं है?’’

‘‘अरे नहीं अंकल, रहने के लिए अपना देश ही सब से बढि़या है.’’

‘‘यह बात छोटे भाई को नहीं समझाई?’’

‘‘ऐसी बातें किसी के समझाने से नहीं, अपनेआप ही समझ आती हैं, अंकल.’’

‘‘यह बात तो है. मुझे भी औरों की बात समझ नहीं आई थी और जब आई तो बहुत देर हो चुकी थी,’’ आनंद ने लंबी सांस ले कर कहा.

‘‘कौन सी बात, अंकल?’’ जया ने पूछा.

‘‘यही कि अपना देश विदेशों से अच्छा है,’’ आनंद ने सफाई से बात बदली, ‘‘लंबे औफिस आवर्स हैं आप दोनों के?’’

‘‘मेरे तो फिर भी ठीक हैं लेकिन जया रायजादा गु्रप के चेयरमैन की पर्सनल सेके्रटरी है इसलिए यह अकसर देर से आती है,’’ राहुल ने बताया.

‘‘खानेवाने का कैसे चलता है फिर?’’

‘‘जानकी रात का खाना बना कर रख जाती है, सवेरे मैं देर से जाती हूं इसलिए आसानी से कुछ बना लेती हूं.’’

‘‘फिर भी कभी कुछ काम हो तो मुरली से कह देना, कर देगा.’’

‘‘थैंक्यू, अंकल. आप को भी जब फुरसत हो यहां आ जाइएगा. मैं तो 7 बजे तक आ जाता हूं,’’ राहुल ने कहा.  आनंद के जाने के कुछ देर बाद कपिल आया. बोला, ‘‘माफ करना भाई, फ्लैट बदलने के चक्कर में तुम्हारे आने की तारीख याद…’’

‘‘लेकिन बैठेबिठाए अच्छाभला फ्लैट बदलने की क्या जरूरत थी यार?’’ राहुल ने बात काटी.

‘‘जब उस बालकनी की वजह से जिसे इस्तेमाल करने की हमें फुरसत ही नहीं थी, आनंद साहब मुझे उस फ्लैट की मार्केट वैल्यू से कहीं ज्यादा दे रहे थे तो मैं फ्लैट क्यों न बदलता?’’  राहुल ने खुद को कहने से रोका कि हमें तो अभी तुम्हारी कमी महसूस नहीं हुई और शायद होगी भी नहीं. उसे न जाने क्यों आनंद अंकल अच्छे या यह कहो अपने से लगे थे. सब से अच्छी बात यह थी कि उन का व्यवहार बड़ा आत्मीय था.

अगली सुबह जया ने कहा, ‘‘आनंद अंकल के नाश्ते के बरतन मैं जानकी से भिजवाना भूल गई. तुम शाम को जानकी से कहना, दे आएगी.’’

लेकिन शाम को राहुल खुद ही बरतन लौटाने के बहाने आनंद के घर चला गया. आनंद बालकनी में बैठे थे, उन्होंने राहुल को भी वहीं बुला लिया.  ‘‘स्वच्छ तो खैर नहीं कह सकते लेकिन खुली हवा यहीं बैठ कर मिलती है और चलतीफिरती दुनिया भी नजर आ जाती है वरना तो वही औफिस के वातानुकूलित कमरे या घर के बैडरूम, ड्राइंगरूम और टैलीविजन की दुनिया, कुछ अलग सा महसूस होता है यहां बैठ कर,’’ आनंद ने कहा, ‘‘सुबह का तो खैर कोई मुकाबला ही नहीं है. यहां की ताजी हवा में कुछ देर बैठ जाओ तो दिनभर स्फूर्ति और चुस्ती बनी रहती है.’’  ‘‘तभी आप ने बहुत ऊंचे दामों में कपिल से यह फ्लैट बदला है,’’ राहुल बोला.  आनंद ने उसे गहरी नजरों से देखा और बोले, ‘‘कह सकते हो वैसे बालकनी के सुख देखते हुए यह कीमत कोई ज्यादा नहीं है. चाहो तो आजमा कर देख लो. सुबह अखबार तो पढ़ते ही होगे?’’

‘‘जी हां, चाय भी पीता हूं.’’

‘‘तो कल यह सब बालकनी में बैठ कर करो, सारा दिन ताजगी महसूस करोगे.’’

अगले दिन जया और राहुल सवेरे ही आनंद अंकल की बालकनी में आ कर बैठ गए. आनंद की बात ठीक थी, राहुल और जया अन्य दिनों की अपेक्षा दिन भर खुश रहे इसलिए रोज सुबह बालकनी में बैठने और आनंद के साथ खबरों पर टिप्पणियां करने का सिलसिला शुरू हो गया.  एक रविवार की सुबह आनंद ने जया  को आराम से अखबार पढ़ते देख कर पूछा, ‘‘आज संडे स्पैशल बे्रकफास्ट बनाने का मूड नहीं है क्या?’’

जया ने इनकार में सिर हिलाया, ‘‘संडे को हम ब्रेकफास्ट करते ही नहीं अंकल, चलतेफिरते फल, नट्स आदि खाते रहते हैं.’’

‘‘मैं तो भई संडे को हैवी ब्रेकफास्ट करता हूं, भरवां परांठे या पूरीभाजी का और फिर उसे पचाने के लिए जी भर कर गोल्फ खेलता हूं. तुम्हें गोल्फ का शौक नहीं है, राहुल?’’  राहुल ने उन की ओर हसरत से देखा और कहा, ‘‘है तो अंकल, लेकिन कभी खेलने का या यह कहिए देखने का मौका भी नहीं मिला.’’

‘‘समझो मौका मिल गया. चलो मेरे साथ.’’ और आनंद ने मुरली को आवाज दे कर राहुल और जया के लिए भी नाश्ता बनाने को कहा. नाश्ता कर आनंद और राहुल गोल्फ क्लब पहुंचे.  राहुल और आनंद के जाने के बाद मुरली गाड़ी में जया को ब्यूटी पार्लर ले गया. आज उस ने रिलैक्स हो कर पार्लर में आने का मजा लिया.  राहुल की तो बरसों पुरानी गोल्फ क्लब जाने की तमन्ना पूरी हो गई. खेलने के बाद अंकल के दोस्तों के साथ बैठ कर बीयर पीना और लंच लेना, फिर घर आ कर कुछ देर इतमीनान से सोना.  यह प्रत्येक रविवार का सिलसिला बन गया. जया भी इस सब से बहुत खुश थी, मुरली बगैर कहे सफाई के अलावा भी कई और काम कर देता था. मुरली के साथ जा कर वह अपने उन रिश्तेदारों या परिचितों से भी मिल लेती थी जिन से मिलने में राहुल को दिलचस्पी नहीं थी. शाम वह और राहुल इकट्ठे गुजारते थे. संक्षेप में आनंद अंकल के पड़ोस में आने से उन की जिंदगी में बहार आ गई थी. जया अकसर उन की पसंद का गाजर का हलवा या नाश्ता बना कर उन्हें भिजवाती रहती थी, कभी पिक्चर या सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने के लिए बगैर पूछे अंकल का टिकट भी ले आती थी.

कुछ अरसे तक तो सब ठीक चला फिर राहुल को लगने लगा कि जया का झुकाव अंकल की तरफ बढ़ता ही जा रहा है. औफिस से जल्दी लौटने पर वह अंकल को जबरदस्ती घर पर बुला लेती थी, कभी उन्हें अपनी शादी का वीडियो दिखाती थी, कभी साहिल की शादी का या राहुल के बचपन की तसवीरें.  अंकल भी उसे खुश करने के लिए दिलचस्पी से सब देखते रहते थे. तभी राहुल को प्रमोशन मिल गया. जाहिर है, जया ने सब से पहले यह खबर आनंद अंकल को सुनाई और उन्होंने उसी रात इस खुशी में क्लब में पार्टी दी जिस में कपिल, पूजा और अपार्टमैंट में रहने वाले कुछ और लोगों को भी बुलाया. जब राहुल के औफिस वालों ने दावत मांगी तो राहुल ने किसी रेस्तरां में दावत देने की सोची लेकिन खर्च बहुत आ रहा था. जया ने कहा कि दावत घर पर ही करेंगे. मुरली भी साथ रहेगा.  ‘‘लेकिन अंकल शाम को गाड़ी नहीं चलाते. अगर मुरली यहां रहेगा तो वे क्लब कैसे जाएंगे, शनिवार की शाम उन्हें घर में गुजारनी पड़ेगी,’’ राहुल ने कहा.

‘‘कमाल करते हो, राहुल. हमारी पार्टी छोड़ कर अंकल क्लब जाएंगे या अपने घर में शाम गुजारेंगे, यह तुम ने सोच भी कैसे लिया?’’

‘‘यानी अंकल पार्टी में आएंगे?’’ राहुल ने हैरानी से पूछा, ‘‘तुम ने यह भी सोचा है जया कि यह जवान लोगों की पार्टी है. उस में अंकल को बुलाने से हमारा मजा किरकिरा हो जाएगा.’’

जया चौंक गई. उस ने आहत स्वर में पूछा, ‘‘हर रविवार को अंकल के साथ गोल्फ क्लब जाने या कभी शाम को जिमखाना क्लब जाने में तुम्हारा मजा किरकिरा नहीं होता?’’  खैर, पार्टी बढि़या रही, अंकल ने पार्टी के मजे में खलल डालने के बजाय जान ही डाली और औफिस के लोग राहुल के उच्चकुलीन वर्ग के लोगों से संपर्क देख कर प्रभावित भी हुए. लेकिन राहुल को जया का अंकल से इतना लगाव चिढ़ की हद तक कचोटने लगा था.

एक शाम वह औफिस से लौटा तो जया को देख कर हैरान रह गया.

‘‘तुम आज औफिस से जल्दी कैसे आ गईं, जया?’’

‘‘मैं आज औफिस गई ही नहीं,’’ जया ने बताया, ‘‘जा ही रही थी कि मुरली हड़बड़ाया हुआ आया कि अंकल अपने औफिस की लिफ्ट में फंस गए हैं. केबल टूटने की वजह से 9वीं मंजिल से लिफ्ट नीचे गड्ढे में जा कर गिरी है…’’

‘‘ओह नो, अब अंकल कैसे हैं, जया?’’ राहुल ने घबरा कर पूछा.

‘‘खतरे से बाहर हैं, आईसीयू से निजी कमरे में शिफ्ट कर दिए गए हैं लेकिन  1-2 रोज अभी औब्जरवेशन में रखेंगे.’’

‘‘और मुरली भी रहेगा ही…’’

‘‘मुरली नहीं, रात को अंकल के पास तुम रहोगे राहुल. अंकल को नौकर की नहीं किसी अपने की जरूरत है.’’

‘‘मुझे दूसरी जगह सोना अच्छा नहीं लगता इसलिए मैं तो जाने से रहा,’’ राहुल ने सपाट स्वर में कहा.

‘‘तो फिर मैं चली जाती हूं. अंकल को किराए के लोगों के भरोसे तो छोड़ने से रही. वैसे भी औफिस से तो मैं ने छुट्टी ले ही ली है इसलिए जब तक अंकल अस्पताल में हैं मैं वहीं रहूंगी,’’ जया ने अंदर जाते हुए कहा, ‘‘मुरली आए तो उसे रुकने को कहना है, मैं अपने कपड़े ले कर आती हूं.’’

राहुल ने लपक कर उस का रास्ता रोक लिया.  ‘‘मगर क्यों? क्यों जया, उन के लिए इतना दर्द क्यों?’’ राहुल ने व्यंग्य से पूछा, ‘‘क्या लगते हैं वह तुम्हारे?’’

‘‘मेरे ससुर लगते हैं क्योंकि वह तुम्हारे बाप हैं,’’ जया के स्वर में भी व्यंग्य था, ‘‘आनंद उन की जाति नहीं नाम है और डीए आनंद का पूरा नाम असीम आनंद धूत है.’’  राहुल हतप्रभ रह गया. हलके से दिया गया झटका भी जोर से लगा था.

‘‘तुम्हें कैसे पता चला?’’

‘‘अचानक ही पता चल गया. 7-8 सप्ताह पहले अहमदाबाद से लौटते हुए प्लेन में मेरी बराबर की सीट पर एक प्रौढ़ दंपती बैठे थे, वार्तालाप तो होना ही था. यह सुन कर मैं स्टार टावर्स में रहती हूं, महिला ने अपने पति से कहा, ‘तुम्हारे धूर्तानंद भी तो अब वहीं रहते हैं.’

‘‘पति रूठे अंदाज में बोला, ‘तुम सब की इस धूर्तानंद कहने की आदत से चिढ़ कर असीम डीए आनंद बन गया मगर तुम ने अपनी आदत नहीं बदली.’  ‘‘‘वह तो उन्होंने विदेश जा कर उपनाम पहले लिखने का चलन अपनाया था और यहां लौट कर गुस्साए ससुराल वालों और बीवीबच्चों से छिपने के लिए वही अपनाए रखा लेकिन एक बात समझ नहीं आई, मेफेयर गार्डन में बैंक से मिली बढि़या कोठी छोड़ कर वे स्टार टावर्स के फ्लैट में रहने क्यों चले गए?’ पत्नी ने पूछा.

‘‘‘जिन बीवीबच्चों से बचने को नाम बदला था अब जीवन की सांध्य बेला में उन की कमी महसूस हो रही है इसलिए यह पता चलते ही कि एक बेटा स्टार टावर्स में रहता है, ये भी वहीं रहने चला गया, कहता है कि अपनी असलियत उसे नहीं बताएगा, दूर से ही उसे आतेजाते देख कर खुश हो लिया करेगा.’

‘‘‘खुशी मिल रही है कि नहीं?’

‘‘‘क्या पता, मेफेयर गार्डन में रहता था तो गाहेबगाहे मुलाकात हो जाती थी. स्टार टावर्स से न उसे आने की और न हमें जाने की फुरसत है.’

‘‘मेरे लिए इतना जानना ही काफी था और तब से मैं उन का यथोचित खयाल रखने लगी हूं.’’

‘‘लेकिन तुम ने मुझ से यह क्यों छिपाया?’’

‘‘क्योंकि सुनते ही तुम अंकल की खुशी को नष्ट कर देते. अभी भी मजबूरी में बताया है. एकदम असहाय और असमर्थ से लग रहे अंकल के चेहरे पर मुझे देख कर जो राहत और खुशी आई थी, वह मैं उन से कदापि नहीं छीनूंगी और न ही अपने और तुम्हारे बीच में शक या नफरत की दीवार को आने दूंगी,’’ जया ने दृढ़ स्वर में कहा.  ‘‘अब तुम्हारेमेरे बीच शक की कोई दीवार नहीं रहेगी जया और न ही बापबेटे के बीच नफरत की…’’

‘‘और न इन दोनों फ्लैट को अलग करने वाली यह दीवार,’’ जया ने बात काटी.  ‘‘हां, यह भी नहीं रहेगी, बिलकुल, पर अभी तो मैं पापा के साथ अस्पताल में रहूंगा और वहां से आने के बाद पापा हमारे साथ ही रहेंगे,’’ राहुल का स्वर भी दृढ़ था.

इन 5 हेयर मास्क से झड़ते बालों से पाएं छुटकारा

सुंदर और मजबूत बाल भला किसे अच्छे नहीं लगते. लेकिन बदलते मौसम और भाग दौड़ भरी जिंदगी के चलते बालों के झड़ने और डैंड्रफ की समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में प्राकृतिक उपचारों को आजमाना बहुत आवश्‍यक है क्‍योंकि इसका ना तो कोई साइड इफेक्‍ट होता है और ना ही यह बहुत खर्चीला होता है.

आइये जानते हैं कुछ ऐसे प्राकृतिक हेयर मास्‍क जिन्‍हें नियमित लगाने से बालों का झड़ना रूक जाता है.

1. अंडे का मास्‍क

एक कटोरे में 1 अंडा फोड़ कर उसमें थोड़ा सा दूध, 2 चम्‍मच नींबू का रस और जैतून का तेल मिक्‍स करें. फिर इस मिश्रण को सिर पर लगा कर थोड़ा मसाज करें. उसके बाद एक शावर कैप से अपने सिर को ढंक लें और 20 मिनट के बाद बालों को ठंडे पानी से धोएं.

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2. केले का मास्‍क

2 पके हुए केले लें, उसके साथ 1 चम्‍मच जैतून का तेल, नारियल का तेल और शहद मिक्‍स करें. इन्‍हें अच्‍छी प्रकार से एक चम्‍मच की सहायता से मसल लें. फिर इसे अपने हाथों से सिर की त्‍वचा पर लगाएं. अब इसे 5 मिनट तक के लिये सिर पर स्‍थिर हो जाने दें. उसके बाद हल्‍के गुनगुने पानी से सिर धो लें.

3. दही का मास्‍क

इस मास्‍क को बनाने के लिये 1 कप दही के साथ 1 चम्‍मच सेब का सिरका और 1 चम्‍मच शहद ले कर मिक्‍स करें. फिर इसे अच्‍छी तरह से बालों की जड़ों तक लगाएं. 15 मिनट के बाद सिर को ठंडे पानी से धो लें.

4. ग्रीन टी मास्‍क

इस मास्‍क को बनाने के लिये एक अंडे की जर्दी लें, उसमें 2 टी स्‍पून ग्रीन टी की डालें. ग्रीन टी पकी हुई होनी चाहिये. इसे तब तक मिक्‍स करें जब तक कि वह क्रीमी न दिखाई देने लगे. इसे मास्‍क को एक ब्रश की सहायता से बालों की जड़ों में लगाएं. 20 मिनट के बाद बालों को ठंडे पानी और शैंपू से धो लें.

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5. कडी पत्‍ता और नारियल मास्‍क

थोड़ी सी ताजी कड़ी पत्‍तियां लें, उसके साथ कुछ बूंद नारियल तेल का मिलाएं. अब इसे अच्‍छी तरह से उबालें और जो अर्क बच जाए उससे सिर के बालों की मसाज करें. फिर 20 मिनट के बाद बाल धो लें. इस मास्‍क को हफ्ते में दो बार प्रयोग करें.

मृत्यु के बाद सामान का क्या करें

अनुराधा के पति की मृत्यु हुए डेढ़ साल हो चुका है. मृत्यु भी अचानक हो गई थी. कोई बीमारी न थी. बस हार्ट अटैक हुआ और अस्पताल पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो गई. अब उन के जाने के बाद भी उन का सामान यानी चश्मा, मोबाइल, परफ्यूम, घड़ी, शेविंग का सामान, जूते ज्यों के त्यों रखे हैं.

अनुराधा की हिम्मत ही नहीं होती कि वह इन चीजों को हटा या किसी को दे दे. हर चीज के साथ एक याद जुड़ी है और उसे अलग करने की बात सोच कर ही वह कांप जाती है. अपनी मृत्यु से 1 दिन पहले एक परिचित की शादी में वे जिस सूट को पहन कर गए थे, उसे छू कर देखती है.

यहां तक कि उस के बेटे का भी कहना है कि पापा की चीजें जैसे रखी हैं, वैसे ही रखी

रहने दें. उन्हें हटाना नहीं. उन का कमरा भी वैसा ही है आज तक, जिस में वे बैठ कर काम करते थे. यहां तक कि मेज पर रखा लैपटौप तक नहीं हटा पाई है. उसे लगता है कि पति अभी काम करने बैठ जाएंगे.

एक पीड़ा से गुजरना पड़ता है

अगर अचानक किसी की मृत्यु हो जाती है तो पहले से ही किसी तरह की तैयारी कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता है. कोई लंबे समय से बीमार हो या वृद्ध तो पहले से बहुत सारी बातों के बारे में सोचा जा सकता है, पर अचानक चले जाने से शोकाकुल परिजनों को न पहले सोचने का मौका मिलता है न बाद में. मृतक से जुड़ी हर चीज जहां उस के होने का एहसास दिलाती है, वहीं उस के न होने का दर्द भी हर पल ताजा किए रहती है. इस पीड़ा को केवल वही समझ सकता है, जिस ने इसे सहा हो. महीनों, कई बार वर्षों लग जाते हैं इस वास्तविकता को स्वीकारने में और तभी निर्णय ले पाते हैं कि उस की चीजों का क्या किया जाना चाहिए.

जाने वाले की चीजों का क्या करना है, यह तय करना बहुत सारी बातों पर निर्भर करता है, जिस में मृतक के साथ क्या रिश्ता था, यह बात भी शामिल होती है. जैसा रिश्ता होता है, उसी के हिसाब से पीड़ा भी होती है. एक पोते को अपने दादा की चीजें हटाने में उतनी तकलीफ न हो, जितनी उन के बेटे या पत्नी को हो सकती है.

शालिनी को लगता है जब भी वह अपनी मां की चीजें किसी को दान में देती है तो उसे महसूस होता है जैसे उस का कोई हिस्सा उस के हाथ से छूट रहा है. यह जानते हुए भी कि अब मां कभी लौट कर नहीं आएंगी. उस ने उन का चश्मा, उन का तकिया तक संभाल कर रखा है.

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जब कोई चला जाता है तो घर पर उस के टूथब्रश से ले कर धुलने के लिए मशीन में रखे कपड़े, उस की किताबें, उस के सिरहाने रखा पानी का गिलास या लैंप, अधबुना स्वैटर या कौफी का मग तक बारबार उस के चले जाने की याद दिलाता है, मन को कचोटता है. तब यह खयाल आ सकता है कि इन चीजों को बारबार देख कर दुखी होने से तो अच्छा है कि इन्हें फेंक या किसी को दे दिया जाए. खुद के लिए ऐसा करना बेहद मुश्किल हो तो किसी परिजन, मित्र या रिश्तेदार से ऐसा करने को कहा जा सकता है.

समय लें जल्दबाजी न करें

सामान का क्या करना है, इस पर निर्णय लेने में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं होती है. समय लें, क्योंकि इस प्रक्रिया से गुजरना कोई आसान काम नहीं होता है. लेकिन वास्तविकता को स्वीकारने का कभी कोई सही समय नहीं होता. इसलिए पीड़ा का सामना करने के लिए स्वयं को तैयार करें. जितना ज्यादा उन चीजों से जुड़े रहेंगे, उतना ही उन्हें अपने से अलग करना कठिन होगा. कुछ समय गुजर जाने के बाद उन यादों से बाहर आने की कोशिश करें, जो मृतक की वस्तुओं से जुड़ी हुई हों.

सामान हटाने का मतलब यह नहीं है कि जाने वाले की यादों से आप छुटकारा पाना चाहती हैं या अब उस से नाता टूट गया. लोग ऐसी बातें बना सकते हैं, उन पर ध्यान न दें क्योंकि यह दुख आप का है और इस से कैसे बाहर निकलना है, यह भी आप को ही तय करना है.

क्या है सही तरीका

मृतक की वस्तुएं घर में अन्य किसी के काम आ सकती हैं जैसे कपड़े, इत्यादि. मगर जरूरी नहीं कि कोई उन का उपयोग करना चाहे. माधवी ने कितनी बार अपने बेटे से कहा कि वह पापा के कपडे़ पहन लिया करे, पर उस ने साफ इनकार कर दिया कि इस तरह तो उसे पापा की और ज्यादा याद आएगी. किसी रिश्तेदार को कपड़े आदि देने की उस की हिम्मत नहीं हुई कि पता नहीं कोई बुरा न मान जाए कि जो चला गया है उस का सामान बांट रही है. कई लोग इसे अपशगुन या अशुभ भी मानते हैं कि जो दुनिया में नहीं है, उस का सामान कोई और इस्तेमाल करेगा तो उस का भी अनिष्ट हो सकता है.

अकसर लोग सुझव देते हैं कि किसी जरूरतमंद यानी गरीब को दे दें. उसे देंगे तो वह दुआ देगा. लेकिन क्या ऐसा होता है? आप जिसे जरूरतमंद समझ कर दे रहे हो, उस के किसी उपयोग का वह सामान न हो और वह उसे किसी को बेच दे या कूड़े में फेंक दे तो क्या यह ठीक होगा? जितनी सैंटीमैंटल वैल्यू आप के लिए उस सामान की है उतनी किसी और को कैसे हो सकती है? किसी गरीब ने कपड़ा पहन भी लिया और वह उस का रखरखाव ठीक से न कर पाया तो क्या गंदे और यहांवहां से फटे कपड़ों को देख पाना आप को सहन हो पाएगा?

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ऐसे में बेहतर विकल्प है कि उस सामान को बेच दिया जाए. बेचने का उद्देश्य यहां पैसा कमाना नहीं है, बल्कि उस से प्राप्त पैसों को उपयुक्त जगह पर लगाया जा सकता है. उन पैसों से किसी की मदद की जा सकती है या यदि मृतक किन्हीं सामाजिक कार्यों से जुड़ा था तो उन में इसे लगाया जा सकता है.

मिलिट्री डाइट क्या है और जानें इसके फायदे

मिलिट्री डाइट का सेना से कोई संबंध नही. इस आहार से लाभ लेने के लिए हमे सहनशक्ति और अनुशासन की जरूरत है इसलिए इसे मिलिट्री डाइट कहा जाता है. यह आहार समय के साथ विकसित हुआ है इसलिए यह मिलिट्री डाइट के रूप में भी जाना जाता है.

मिलिट्री डाइट हमारे लिए वजन घटाने के लिए बहुत मददगार है. हम बिना किसी कठिन व्यायाम किए वजन को आसानी से कम कर सकते हैं. इस आहार का इस्तेमाल करके हम एक सप्ताह में 10 पौंड तक वजन घटा सकते हैं. इसमें क्या खा सकते हैं क्या नही कैसे वजन कम कर सकते हैं , जानते हैं.

 व्यायाम

सप्ताह में पांच दिन आपको कम से कम 30 मिनट तक रोजाना चलना है और संतुलित आहार लेना है. अगर आपको व्यायाम करने के बाद  कमजोरी महसूस होती है तो आपको व्यायाम थोड़ा कम कर देना चाहिए.

 मिलिट्री डाइट के फायदे

मिलिट्री डाइट हमारी कैलोरी को नियंत्रित करती है.  हमारा वजन कम कर हमे फिट रखने में भी हमारी मदद करती है. जिस से हम कोई भी ड्रेस पहनते है तो वो अच्छी लगती है.लम्बे समय तक यह हमारा वजन घटाने में हमारी मदद करती है. इस से मिलने वाली कैलोरी की गुणवत्ता अच्छी होती है .कैलोरी की गुणवत्ता हमारे वजन कम करने में ही नही बल्कि मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को भी बढ़ाती है और बीमारियों से लड़ने में भी हमारी मदद करती है.

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 तीन दिनों का मिलिट्री डाइट प्लान

पहला दिन

सिर्फ 1400 कैलोरी लेनी है

नाश्ता

1 टोस्ट, 2 चम्मच पीनट बटर, आधा ग्रेपफ्रूट और एक कप चाय या कॉफी लें.

लंच

एक स्लाइस टोस्ट, एक कप स्प्राउट्स, एक कप चाय या कॉफी.

डिनर

80 ग्राम पनीर या मीट, एक कप ग्रीन बीन्स, एक  सेब, एक केला, एक कप कस्टर्ड या वनीला आइसक्रीम.

 दूसरा दिन

दूसरे दिन सिर्फ 1200 कैलोरी इनटेक.

नाश्ता- एक टोस्ट, आधा केला, एक उबला हुआ अंडा और एक कप चाय या कॉफी.

लंच- एक उबला हुआ अंडा, एक कप कॉटेज चीज, 5 नमक वाले क्रैकर, चाय या कॉफी.

डिनर- बिना घी की दो रोटी, आधा कप गाजर और ब्रोकली,  केला और आधा कप कस्टर्ड ,या आइसक्रीम

 तीसरा दिन

तीसरे दिन 110 कैलोरी का सेवन करें.

नाश्ता- 28 ग्राम  चीज, 5 नमकीन क्रैकर, एक छोटा सेब, एक कप चाय या कॉफी.

लंच- टोस्ट एक स्लाइस, एक स्क्रैम्बल्ड अंडा (उबला या ऑमलेट आप जैसे भी खाना चाहें), एक कप चाय या कॉफी इच्छा हो तो.

डिनर- एक कप मिक्स दाल,1 केला, लस्सी या वनीला शेक

 शेष 4 दिन

इन चार दिनों में आपकी डाइट यही रहती है. स्नैक्स का सेवन अभी भी करने से बचें. आप कैलोरी की मात्रा बढ़ाकर 1500 कैलोरी कर सकते हैं.

मिलिट्री डाइट में क्या ना खाएं

फलों में आम और कटहल ना खाएं.

डेयरी प्रोडक्ट्स में फुल फैट मिल्क, फुल फैट योगर्ट और फुल फैट क्रीम.

फैट्स और ऑयल में वेजीटेबल ऑयल, बटर, मायोनीज.

सॉफ्ट ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ्रूट जूस, पैकेज्ड कोकोनट वाटर और एल्कोहल.

सॉस में टोमैटो सॉस, बार्बेक्यू सॉस, स्वीट चिली सॉस, चिली सॉस और मायोनीज.

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 मिलिट्री डाइट के नुकसान क्या हैं ?

जल्दी वजन घटाना हो तो ये डाइट पैटर्न ठीक है .लेकिन इसको ज्यादा दिनों के लिए फॉलो करना सेहत से खिलवाड़ करना है. असल में जब आप वेट कम करने के लिए मिलिट्री डाइट प्लान फॉलो करते हैं, तो इस से वेट जितनी तेजी से कम होता है, उतनी ही तेजी से छोड़ने पर वजन फिर से बढ़ सकता है. ऐसे में आपको खुद से वजन कम करने के सही तरीके जैसे हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज, वर्काउट आदि करने होंगे.

मिलिट्री डाइट प्लान फॉलो करने से पहले डॉक्टर से बात जरूर कर ले.

Interview: इंटिमेट सीन्स में न्यूडिटी पर बोलीं Laxmi Bomb की ये एक्ट्रेस

संगीत से अभिनय कैरियर की तरफ रुख करने वाली अभिनेत्री और सिंगर अमिका शैल कोलकाता की है. उसने 5 साल की उम्र से संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था और 9 साल की उम्र में संगीत की रियलिटी शो लिटिल चैंप्स में भाग लिया है. बचपन से ही उसे कला से जुड़े काम करने की इच्छा रही है. उसने संगीत की कई रियलिटी शो में भाग लेकर अवार्ड भी जीता है. जिसमें सा रे गा मा पा नेशनल टेलेंट हंट, स्टार वौइस ऑफ़ इंडिया, इंडियन आइडल आदि है, मृदु भाषी और विनम्र अमिका सब टीवी पर बालवीर रिटर्न में वायु परी की भूमिका निभाने के अलावा फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ में एक भूमिका निभाई है ,जिसे लेकर वह बहुत खुश है, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- लक्ष्मी बॉम्ब में आपकी भूमिका क्या है?

इसमें अक्षय कुमार के भाई की गर्लफ्रेंड की भूमिका निभा रही हूं. नार्मल लड़की की भूमिका निभा रही हूं. जो बिलकुल मुझ जैसी ही है. अक्षय कुमार के साथ कुछ सीन्स थे. मुझे बहुत अच्छा लगा. बड़े कलाकार के साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

सवाल-संगीत से अभिनय की तरफ मुड़ना कैसे संभव हुआ?

मैं मुंबई संगीत की कई रियलिटी शो में परफॉर्म करने आई थी. ग्रेजुएशन के बाद मैं मुंबई शिफ्ट हो गयी और कई फिल्मों में प्ले बैक सिंगर के रूप में गाने गायें. म्यूजिक वीडियो बनायी. विदेशों में बहुत सारें परफोर्मेंस दिए. एक्टिंग की तरफ नहीं सोचा था. 5 साल के बाद मुझे सिंगर एक्टर का ऑफर आया. मैने ऑडिशन दिया और चुनी नहीं गयी. फिर मैंने अपने आपको ग्रूमिंग की और सीरियल्स के लिए ऑडिशन दिया. ‘उडान’ धारावाहिक मिली, फिर ‘दिव्य दृष्टि’ इसके बाद बाल वीर रिटर्न में वायु परी की भूमिका कर रही हूं, इसके अलावा कई सारे विज्ञापनों में भी अभिनय किया है, ऐसे मुझे काम मिलता गया. वेब सीरीज भी मैंने की है.

सवाल-कोलकाता से मुंबई आने की बात पर माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया रही ? आपने मुंबई में कैसे सरवाईव किया?

बचपन से ही माता-पिता का सहयोग संगीत की तरफ रहा है. मैंने क्लासिकल संगीत की पूरी ट्रेनिंग ले रखी है. पहले मेरे पिता राजी नहीं थे, क्योंकि वे खुद डॉक्टर है और मुझे भी वे डॉक्टर बनने के लिए कहा करते थे. माँ बहुत सपोर्टिव थी, उनकी वजह से मैं यहाँ तक पहुँच पायी हूं, लेकिन पिता ने जब मेरी कामयाबी और पैसा सबकुछ देखा तो वे खुश हुए और आज बहुत गर्व महसूस करते है. मुंबई आने पर सबसे पहले मैंने जॉब ढूढना शुरू किया और कई स्कूलों में जाकर संगीत की टीचर के लिए इंटरव्यू दिए और मुझे जॉब मिला. 6 महीने तक मैंने काम किया. इससे मुझे पैसे मिले और मेरा मुंबई रहना आसान हुआ. बाद में मैंने काम छोड़ दिया. एक संगीत का बड़ा कॉन्सर्ट मिला और एक महीने विदेश में रही. मेरी वित्तीय अवस्था अच्छी हो गयी.

 

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सवाल-क्या अभिनय की वजह से संगीत पीछे नहीं छूट रहा?

संगीत छूटा नहीं है, जब भी समय मिलता है, मैं संगीत की रियाज करती हूं. संगीत की दुनिया में नेपोटिज्म सालों से है और न्यू कमर को अच्छा चांस मिलना बहुत मुश्किल होता है. एक्टिंग में जाने की वजह भी यही है, क्योंकि मुझे संगीत में उतनी सफलता नहीं मिल रही थी. जितनी आज अभिनय में है. यहाँ काम ,पैसा, शोहरत सब मुझे मिला है.

सवाल-तनाव होने पर रिलीज कैसे करती है?

तनाव इस इंडस्ट्री में हर किसी को होता है. आउटसाइडर को थोडा अधिक होता है. इसलिए मैं जिम,मैडिटेशन, साइकिलिंग आदि से इसे कम करने की कोशिश करती हूं.

सवाल-कोरोना के बाद एक्टिंग में सावधानी कितनी है?

अभी सेट पर काफी सावधानी बरती जा रही है. साफ़ सफाई और सेनीटाईजेशन पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. सबके हाथ में ग्लव्स, मुंह पर मास्क और हाथ में सेनिटाईजर होता है. सेट पर कोविड इंस्पेक्टर होते है, जो सेट पर नियमों का पालन सही से हो रहा है या नहीं इसकी देखभाल करते है. केवल शॉट के समय मास्क उतारा जाता है. एम्बुलेंस हमेशा सेट पर मौजूद है. केवल 30 प्रतिशत लोग ही काम कर रहे है. आर्टिस्ट के लिए रूम शेयरिंग अब नहीं होता. सबको सिंगल रूम दिया गया है.

सवाल-इसके आगे कौन सी प्रोजेक्ट है?

वेब सीरीज मिर्ज़ापुर 2 में काम कर रही हूं. इसके अलावा एक हिंदी फिल्म में काम करने वाली हूं.

सवाल-आउटसाइडर को अच्छा काम मिलना क्या अधिक मुश्किल होता है?

मैंने देखा है कि टीवी इंडस्ट्री में आउटसाइडर को अच्छा काम मिलता है. यहां अधिक नेपोटिज्म फिल्मों की तरह अधिक नहीं है, क्योंकि यहां फ्रेश चेहरे को अधिक महत्व दिया जाता है. वेब सीरीज में भी अधिक अवसर नए लोगों को मिलता है. फिल्मों मैं आउटसाइडर को मौका बहुत कम मिलता है. ऑडिशन भी बहुत कम होता है.

सवाल-क्या कोई ड्रीम है?

उम्मीद अधिक नहीं रखती और आगे मिलेगा तो अच्छी परफोर्मेंस वाली फिल्म करना चाहती हूं. निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ काम करना चाहती हूं.

सवाल-इंटिमेट सीन्स को करने में कितनी सहज होती है?

पहले मैं इंटिमेट सीन्स के लिए ना कहती थी, लेकिन अब कई वेब सीरीज इंटिमेट सीन्स के साथ अच्छे बने है और ये कहानी को सूट भी करती है. इंटिमेट सीन्स में अगर न्यूडिटी न हो, तो करने में कोई एतराज नहीं.

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सवाल-आप कितनी फैशनेबल है?

फैशन का सेन्स मुझे अधिक नहीं था. सिंगर के रूप में मैं बहुत कैजुअल थी. एक्टिंग में आने के बाद मैंने अडॉप्ट किया और अच्छा सेन्स रखने लगी हूं.

सवाल-अभिनय के इच्छुक यूथ के लिए क्या मेसेज देना चाहती है?

अभिनय में पैशन, मेहनत, धीरज और आत्मविश्वास होने की बहुत जरुरत होती है, ताकि आप अपने मकसद में कामयाब हो सकें.

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