मैं अकसर कंप्यूटर पर बहुत देर तक काम करती हूं जिस कारण आंखों में दर्द होने लगता है. इस से मुझे अच्छी गहरी नींद भी नहीं आती. मैं ऐसी क्या चीज यूज करूं कि कोई साइड इफैक्ट न पड़े?
जवाब-
गुलाबजल का आंखों पर बहुत अच्छा असर पड़ता है और यह अच्छी नींद लेने में भी मदद करता है. गुलाबजल को आंखों के लिए इस्तेमाल करने का सब से अच्छा तरीका है कि गुलाबजल में रुई भिगोएं और उसे बंद आंखों पर 15 मिनट रखा रखें. इस से बहुत राहत मिलेगी. आंखों के आसपास गुलाबजल लगाने से डार्क सर्कल्स भी दूर होते हैं और आंखों की थकान भी चली जाती है.
आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में गुलाबजल का इस्तेमाल आंखों के इन्फैक्शन और ऐलर्जी को दूर करने के लिए किया जाता है.
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जिंदगी की दौड़धूप में दिन भर का थका इंसान जब रात में बिस्तर पर लेटता है, तो उस की ख्वाहिश होती है सुकून भरी मीठी नींद की. गहरी और आरामदायक नींद दिन भर की थकान दूर कर शरीर में नई ताजगी भर देती है.
एक तंदुरुस्त इंसान के लिए 5-6 घंटे की नींद काफी है, जबकि छोटे बच्चों के लिए 10-12 घंटे की नींद जरूरी होती है. बुजुर्गों के लिए 4-5 घंटे की नींद भी काफी है.
रात में अच्छी नींद न आने से कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आंखों के नीचे काले घेरे, खर्राटे, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में दिक्कत, पेट की गड़बड़ी, उदासी, थकान जैसी परेशानियां सिर उठा सकती हैं.
नींद न आने के कारण
नींद न आने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे चिंता, तनाव, निराशा, रोजगार से जुड़ी परेशानियां, मानसिक और भावनात्मक असुरक्षा वगैरह.
इस के अलावा तय समय पर न सोना, चाय या कौफी का ज्यादा सेवन, कोई तकलीफ या बीमारी, देर से खाना या भूखा सो जाना, देर रात तक टीवी, इंटरनैट और मोबाइल फोन से चिपके रहना, दिन भर कोई काम न करना आदि कारण भी अनिद्रा की वजह बन सकते हैं.
कैसे आएगी मीठी नींद
– जिन्हें दिन में बारबार चाय या कौफी पीने की आदत होती है वे रात में जल्दी नहीं सो पाते. चाय या कौफी में मौजूद कैफीन नींद में बाधा पैदा करती है, इसलिए खास कर सोने से तुरंत पहले इन का सेवन कतई नहीं करना चाहिए.
मराठी नाटकों से अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री अनुजा साठे ने मराठी और हिन्दी फिल्मों और धारावाहिकों में काम किया है. संगीत के परिवार से सम्बन्ध रखने वाली अनुजा को कभी लगा नहीं था कि वह एक्ट्रेस बनेगी, लेकिन आज वह अपनी जर्नी से खुश है. काम के दौरान वह अभिनेता सौरभ गोखले से मिली और शादी की. अनुजा इस लॉक डाउन में पुणे में अपने घर पर पति के साथ है और कई फिल्में देखने और नयी- नयी व्यंजन बनाने में व्यस्त है. अनुजा फिल्म इंडस्ट्री की स्पॉट बॉय और लाइट मैन के बारें में बहुत चिंतित है, जिन्हें हर रोज काम के बदले पैसे मिलते है. इसके लिए उसने कुछ राशि डोनेट भी किया है. अनुजा की वेब सीरीज ‘एक थी बेगम’ मराठी और हिंदी में रिलीज हो चुकी है, जिसमें उसकी भूमिका को काफी सराहना मिल रही है. हंसमुख और विनम्र अनुजा से बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.
सवाल-इस वेब सीरिज में आपको खास क्या लगा?
ये एक बदले की भवना से ग्रसित महिला की कहानी है और मैंने ऐसी भूमिका आजतक नहीं की है. ये बहुत चुनौतीपूर्ण मेरे लिए रहा, क्योंकि एक सीधी सादी लड़की अगर ये ठान ले कि मैं अपने पति को मारने वाले से बदला लेकर रहूंगी और किस हद तक जाकर वह ये काम करती है. इसे दिखाया गया है. ये बहुत ही अलग और पावरफुल चरित्र है. कम्फर्ट जोन से निकलकर अभिनय करना किसी भी कलाकार के लिए बहुत अच्छा रहता है और ये मेरे लिए एक्सप्लोरिंग चरित्र रही है.
मेरे चरित्र के ट्रेंड के अलावा ये मुझसे कोई मेल नहीं खाती. इसलिए ये मेरे लिए अधिक मुश्किल था, क्योंकि 80 के दशक को 2020 में जीना ही एक अलग बात है. ट्रेंड और पॉवर दो बाते इस फिल्म में मेरे चरित्र में है और रियल में भी अगर मैंने कुछ ठान लिया है, तो उसे पूरा अवश्य करती हूं. यही एक कॉमन है.
सवाल-अभिनय में आना इतफाक थी या बचपन से सोचा था?
मैंने कभी नहीं अभिनय के बारें में सोचा नहीं था, क्योंकि बचपन से मैंने अपनी म्यूजिकल परिवार देखी है. मैं भी शास्त्रीय संगीत सीख रही थी. मेरे दादाजी, बुआ, अंकल, पिता सबकी रूचि संगीत में ही रही है. मैं भी वही करने की सोची थी. कॉलेज के दौरान मुझे लगा कि मैं कुछ और भी चीजो को एक्स्प्लोर करूँ और मैंने कॉलेज की नाटकों में भाग लेना शुरू कर दिया. वो मुझे अधिक अच्छा लगने लगा और संगीत पीछे रह गया. फिर मैंने एक्सपेरिमेंटल थिएटर करना शुरू कर दिया, तब भी मुझे ये हॉबी जैसा ही लगने लगा था. कॉलेज ख़त्म होने पर मेरे दोस्तों ने मुझे अभिनय करने की सलाह भी दी, पर मैंने नहीं मानी. तभी एक मराठी शो अग्निहोत्र में अभिनय का मौका मुझे मिला, जिसकी शूटिंग पुणे में होती थी.
इसके बाद से मेरी अभिनय जर्नी शुरू हो गयी और साल 2010 में मैं मुंबई आ गयी. उसके बाद मुझे एक के बाद शो और फिल्में मिलने लगी. तमन्ना मेरी पहली हिंदी धारावाहिक थी. इसके अलावा कई हिंदी फिल्मों में भी काम मिला. काम मिलने के बाद लगा कि ये मेरी लाइन है और मैं अलग-अलग भूमिका निभाती गयी और दर्शकों का प्यार मुझे मिलता गया.
सवाल-पुणे से मुंबई आने पर कितना संघर्ष रहा?
मैंने शुरू से ही सोचा था कि हाथ में काम न होने पर मैं मुंबई नहीं जाउंगी और वैसा ही हुआ मेरे हाथ में मराठी शो थी और उसकी शूटिंग मुंबई में थी. इसके अलावा एक शो ख़त्म होने के बाद दूसरी तुरंत मिले, ये भी इस फील्ड में जरुरी नहीं होता. ये बड़े-बड़े स्टार्स के साथ भी कई बार होता ही है,ऐसे में जब काम नहीं होता, तो दिमाग को शांत रखकर काम ढूँढना पड़ता है. अपने काम और अपने आप पर भरोषा रखना पड़ता है, जिससे काम मिलना आसान हो जाता है. मुझे भी ऐसी हालात से गुजरना पड़ा. एक साल तक काम नहीं मिला, पर खुद पर विश्वास रहा और काम मिला.
सवाल-आपके काम में परिवार और पति का सहयोग कितना रहा?
इसकी शुरुआत मेरे माता-पिता से होती है, जिन्होंने मुझे किसी काम से कभी नहीं रोका. मेरी ख़ुशी को उन्होंने अधिक महत्व दिया है. उनकी चाहत को मुझपर उन्होंने थोपा नहीं. बचपन से यही माहौल मिला है. शादी के बाद पति भी फिल्म इंडस्ट्री से है और एक एक्टर है, इसलिए मेरे काम के ट्रेंड को अच्छी तरह से जानते है. साथ ही मेरे सास ससुर दोनों डॉक्टर है,वे भी मेरे काम को सराहते है. मुझे सबका सहयोग हमेशा मिला है. सहयोग न होने पर समस्या आती है.
सवाल-आप मराठी और हिंदी दोनों इंडस्ट्री में काम कर रही है, क्या अंतर पाती है?
मराठी इंडस्ट्री बहुत छोटी है. यहाँ पर सब एक दूसरे को जानते है. यहाँ प्यार और विश्वास पर बहुत सारा काम हो जाता है. हिंदी बहुत अधिक प्रोफेशनल है और हर काम को प्रोफेशनली किया जाता है, जो अच्छी बात है.
सवाल-अभी इस लॉक डाउन में आप क्या कर रही है?
मैं अभी पुणे में हूं, इस दौरान मैं और मेरे पति दोनों ही कुछ अलग-अलग काम कर रहे है मसलन खाना बनाना, घर की सफाई, वर्कआउट आदि कर रही हूं. कई फिल्में और वेब सीरीज जो हम दोनों ने मिस किया था, उसे साथ बैठकर देख रहे है.
सवाल-फिल्म इंडस्ट्री इस लॉक डाउन और कोरोना वायरस के चलते काफी समस्या ग्रस्त हो चुकी है, ऐसे में क्या-क्या कदम उठाने की जरुरत आगे आने वाले समय में पड़ेगी?
इंडस्ट्री के निर्माताओं ने एक फंड रेज किया है, जिससे डेली वेजेस पर काम करने वालों को कुछ सहायता राशि दिए जाय, मैंने भी कुछ सहायता की है. निर्माता, निर्देशक और कलाकार से अधिक वे लोग ही सफ़र करेंगे. इसलिए ऐसे सभी डेली वेजेस पर काम करने वालों को सहायता देने की जरुरत है. लॉक डाउन के बाद सबको मेहनत से काम करने की जरुरत है.
सवाल-गृहशोभा के ज़रिये महिलाओं को क्या मेसेज देना चाहती है?
किसी भी महिला की अगर कोई ड्रीम है, तो उसे पूरा करें. सपने को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती. अपने आसपास की सभी महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करे और खुद भी वैसा करें, इससे आपको आपनी जिंदगी बहुत खूबसूरत लगेगी.
देशभर में कोरोनावायरस का खतरा लगभग बढ़ता जा रहा है. हमारे देश में कोरोना से संक्रमित मरीजो की संख्या थमने का नाम ही नहीं ले रही है.अब तक भारत में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 13 ,000 के पार जा चुकी है. जहाँ एक ओर महाराष्ट्र में इस महामारी से पीड़ित लोगों की संख्या 3500 से ऊपर पहुँच चुकी है.वही दूसरी तरफ दिल्ली,तमिलनाडु,राजस्थान,मध्य प्रदेश,गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी कोरोना पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए lockdown का दूसरा चरण भारत में लागू कर दिया गया है.40 दिनों के lockdown की अवधि 3 मई को खत्म होगी .
इस बीच मौसम ने करवट ली है और देश के कई इलाकों में पारा 40 डिग्री के आसपास पहुंच गया है. तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ लोगों को गर्मी का अहसास होने लगा है. दिन व रात का तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है.आगे भी अब गर्मी बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन गर्मी से राहत पाने के लिए लोग कूलर व एयर कंडीशनर (एसी) का इस्तेमाल करने से कतरा रहे हैं. क्योंकि कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि अगर हम ac या कूलर चलाते हैं तो क्या कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा?
दरअसल, सोशल मीडिया में एक मैसेज वायरल हो रहा है कि एसी व कूलर चलाने से वायरस फैल सकता है. इन मैसेज से लोगों के मन में एसी और कूलर को लेकर आशंका आ गई है. लेकिन क्या सच में ऐसा है?
डॉ गुलेरिया के मुताबिक –
1-क्रॉस वेंटिलेशन से है खतरा विंडो ac से नहीं
अगर आपके घर में विंडो एसी लगा है, तो आपके कमरे की हवा आपके ही कमरे में रहेगी, बाहर या दूसरे कमरों में नहीं जाएगी. इसलिए घर में लगा विंडो ac हो या गाड़ी में लगा ac, चलाने में कोई दिक्कत नहीं है.
एक चीज़ का ध्यान रखें एसी को चलाने से पहले फिल्टर को डिटरर्जेंट से साफ कर लें.इससे फिल्टर में फंसे फंगस और बैक्टीरिया भी निकल जाएंगे. फिल्टर को साफ करते वक्त मुंह में मास्क व हाथों में दस्ताने पहनना भी जरूरी है.
2- सेंट्रल ac से संक्रमण का खतरा
डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक ऑफिस या घर जहाँ भी सेंट्रल ac लगा है वहां सेंट्रल ac के चलने से संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ सकता है. दरअसल सेंट्रल ac से हवा सारे कमरों में सर्कुलेट होती है और अगर किसी दूसरे कमरे में या ऑफिस के किसी और हिस्से में कोई व्यक्ति खास रहा है और उसको इंफेक्शन है तो ac से droplets के ज़रिये एक कमरे से दूसरे कमरे में भी संक्रमण फ़ैल सकता है. और खतरा बढ़ सकता है.
वाइट टॉप के लिए आपको यह ध्यान रखने की ज़रूरत है कि आप वाइट टॉप को अपने अवसर के हिसाब से स्टाइल करें, वाइट टॉप आपके पूरे लुक को काफी ब्राइट और वाइब्रेंट बनाने में आपकी मदद करता है. आज हम आपको बतायंगे की आप एक सिंपल वाइट टॉप को कैसे स्टाइल कर सकते है.
1. वाइट टॉप और मिड लॉन्ग स्कर्ट
वाइट टॉप को आप एक स्लिवर प्लेटेड मिड लॉन्ग स्कर्ट के साथ स्टाइल कर सकते है. अपने इस लुक को ओर क्लासी बनाने के लिए आप इसके साथ सिल्वर या फिर गोल्डन वर्क चोकर पहन सकते है, और अपने बालों को आप एक मेस्सी बन में टाई करें. यदि आपका चोकर हैवी है तो आप कान और हाथों में कुछ भी न पहनें बस एक हॉट रेड लिपस्टिक के साथ अपने इस लुक को पूरा करे. इस तरह के लुक में आप मीडियम हाई-हील सैंडल को पहनें.
शिम्मरी गोल्डन पैन्ट्स के साथ भी आप अपने वाइट टॉप को स्टाइल कर सकते है, यदि आप किसी ऑफिस पार्टी में जा रहीं है तो आपके लिए यह लुक परफेक्ट है. शिम्मरी गोल्डन पैन्ट्स में आप बेल बॉटम पैंट को चूज़ कर सकती है. अगर हेयर स्टाइल की बात की जाए तो आप अपने बालों को लूज़ कर्ल्स में भी स्टाइल कर सकती हैं. ज्वेलरी में आप एक सिंपल सी रिंग और लाइट डबल लेयर चेन पहनकर अपने लुक को कम्पलीट कर सकती है.
3. वाइट टॉप और एथनिक स्कर्ट
आप वाइट टॉप / वाइट शर्ट को एथनिक स्कर्ट या फिर लहंगे के साथ पेयर कर सकती है . यदि आप किसी फॅमिली फंक्शन में जा रही हैं तो यह इंडो-वेस्टर्न लुक आपके लिए बेहरतीन ओप्शंस में से एक है. इसके साथ आप जूती और साथ में एथनिक एयरिंग पहनकर अपने लुक को इंडो-वेस्टर्न बना सकती है. अपने बालों को आप एक फ्लैट साइड बन में स्टाइल कर सकती हैं. अपने लुक को सेक्सी बनाने के लिए आप माथे पर एक छोटी बिंदी लगाकर अपने लुक को कम्पलीट कर सकती हैं.
4. वाइट शर्ट और हाई-वैस्ट ड्रेस
ऑफिस में भी आप अपनी मनपसंदीदा वाइट शर्ट को स्टाइल कर सकती हैं. वाइट शर्ट को आप हाई-वैस्ट, बेल्ल-बॉटम डेनिम जीन्स के साथ स्टाइल कर सकती हैं. इसमें आप हाई पोनी बना सकती हैं, ज्वेलरी की बात की जाए तो आप इसमें राउंड शेप की मीडियम साइज इयरिंग पहन सकती हैं और एक या दो रिंग के साथ अपना लुक पूरा करें. यह लुक आपको एक बूसी फील ज़रूर देगा .यदि आपको हील्स पहनना पसंद है तो आप हाई हील सैंडल भी पहन सकती हैं.
5. वाइट टॉप विद डेनिम जैकेट
वाइट टॉप के साथ डेनिम जैकेट कैरी कर के देंखें. साथ में डेनिम जींस भी वियर करें. स्टाइलिश दिखने के लिए अपने लुक में थोड़ा सा मैटेलिक टच दें और कोई नए तरह की लॉन्ग या शॉट हेयर असेसरीज कैरी करें.
1950 से जब से भारतीय संविधान बना है और बराबरी का हक मौलिक अधिकार घोषित किया गया है, समाज के अनेक वर्ग, जिन में सब से बड़ा और महत्त्वपूर्ण औरतें हैं, इस हक की छिटपुट लड़ाइयां लड़ती रही हैं और कभी जीतती रही हैं तो कभी हारती. अब फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेना में औरतों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है और उन्हें पुरुषों के समकक्ष नियमों के अनुसार ही सुविधाएं देनी होंगी.
यह लड़ाई सेना में स्थान पाई औरतें अफसर काफी समय से लड़ रही थीं पर अदालतों की कछुआ चाल के कारण यह मामला दायर होने के वर्षों बाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने यह दलील ठुकरा दी कि औरतों और आदमियों में मूलभूत शारीरिक अंतर है और सरकार और सेना दोनों उन के लिए 2 अलग तरह के कानून व नियम बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह तर्क कि पुरुष सैनिक औरत अफसरों का मजाक उड़ाएंगे या उन के अधीन काम नहीं करेंगे गलत है और संविधान इस तर्क की पुष्टि नहीं करता.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि लिंग के आधार पर स्त्रीपुरुष का भेद कर के कुछ अलग नियम नहीं बनाए जा सकते. दोनों को बराबरी का अवसर देना आवश्यक है.
अब तक यदि महिला अफसरों की नियुक्ति हो भी जाती तो उन्हें 14 साल की सेवा के बाद रिटायर नहीं किया जा सकेगा. उन के लिए रिटायरमैंट की शर्तें वही होंगी जो उस यूनिट में पुरुष अफसरों के लिए हैं.
सैनिकों की बहादुरी को मर्दानगी का नाम देना ही असल में भेदभाव की पहली सीढ़ी है, क्योंकि जब असल में लड़ाई की नौबत आती है तो बल से ज्यादा बुद्धि की आवश्यकता होती है. यदि पिछली कुछ सदियों में औरतें कोमल हुई हैं तो यह सामाजिक साजिश के तहत हुआ है, जिस में कोमल औरतों को अच्छे कपड़े, अच्छे जेवर दे कर ललचाया गया. पशुओं में आज भी फीमेल अपने मेल साथियों के साथ बराबरी का मुकाबला कर सकती हैं.
बहस के दौरान एक तर्क सरकार और सेना की तरफ से दिया गया था कि यदि औरतें मोरचों पर मर्दों के साथ हुईं और लड़ाई के दौरान दुश्मनों द्वारा कैद कर ली गईं तो उन के साथ बलात्कार हो सकते हैं. पर यह तर्क बेबुनियाद है, क्योंकि बलात्कार तो पुरुष अफसरों के साथ भी कैद होने पर किया जाता है. हर जेल में जहां सभी पुरुष अलग रहते हैं, लगभग सभी पुरुष कैदी बलात्कार के शिकार होते हैं. यहां तक कि महिला जेलों में भी महिलाओं द्वारा ही नई कैदियों को बलात्कार की सजा दी जाती है, जिस में मर्दों से ज्यादा वहशीपन औरतों के साथ किया जाता है. यह बात गुप्त रहती है, क्योंकि इस की चर्चा करते हुए अश्लीलता का सवाल खड़ा हो जाता है पर जिन देशों में अश्लीलता के कानून ढीले हैं, वहां स्पष्ट है कि कैदी औरतों का औरतों द्वारा ही जम कर यौन शोषण होता है. यह वजह उन के मौलिक अधिकारों को छीन नहीं सकती.
औरतों को अभी कई छोटीबड़ी लड़ाइयां लड़नी हैं पर पहली अपनी धार्मिकता की जंजीरों से लड़नी होगी. धर्म ही उन्हें सिखाता है कि पुरुष का वर्चस्व चुपचाप मान लो. जब तक वे पूजापाठ, व्रत, उपवास, तीर्थों, आरतियों, पंडों की पूजाओं में लगी रहेंगी, उन्हें उन के दिए विधिविधान मानने होंगे.
अपने संवैधानिक हक लेने हैं तो पहले धार्मिक जंजीरों से मुक्त होना होगा ताकि अदालती, राजनीतिक लड़ाई लड़ सकें. शाहीन बाग की कट्टर समाज की मुसलिम औरतों ने एक रास्ता दिखाया है. उम्मीद करें कि वह रास्ता और सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी हिंदू औरतों को भी आजादी और बराबरी के लिए तैयार करेगी.
महिलाओं के जज्बे को सलाम. आज जहां हर कोई घरों में कैद रहने को मजबूर है वहीं देश की सच्ची सेवक डॉक्टर्स, नर्स अपनी जान की परवा किये बिना निस्वार्थ भाव से कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगी हुई हैं. उनके जेहन में तो हर समय यही रहता है कि हम सब की कोशिशें रंग लाए और हम कोरोना के खिलाफ जंग को जीत पाए. जिन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में लिया है उन्हें हम हर संभव प्रयास करके ठीक कर सकें. ताकि उन्हें नया जीवन मिल जाए, उनके अपनों के चेहरे फिर से खिल उठें . तभी हम अपना मानवता का सच्चा धर्म निभा पाएंगे. जानते हैं इस संबंद में नोएडा के मदरहुड हॉस्पिटल की डॉ ज्योति खत्री से, जो इन दिनों कोरोना के मरीज़ों की सेवा में प्रयासरत हैं.
सवाल- 1 – पूरा देश लौक डाउन है. हर कोई घरों में कैद है. ऐसे में आप एक महिला, एक डॉक्टर होते हुए चीज़ो को कैसे मैनेज कर रही हैं?
जब से मैं इस प्रोफेशन में आई हूं तभी से मैंने ठान लिया था चाहे इस मार्ग में मेरे सामने कितनी ही दिक्कतें क्यों न आए लेकिन मैं कभी हार नहीं मानूंगी. समाज में महिलाओं को हमेशा से ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसे भी एक चुनौती समझ कर हमें पार करना होगा. एक महिला और साथ ही एक डॉक्टर होते हुए मेरे लिए चीज़ें तब मैनेज करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है जब मैं घर पहुंच कर परिवार के साथ थोड़ा समय बिताने बैठती ही हूं कि इमरजेंसी की वजह से मुझे तुरंत ही हॉस्पिटल जाना पड़ जाता है. ऐसे में मुझे थोड़ी मुश्किल आती है लेकिन कहते है न कि भरोसे पर हर चीज़ टिकी है. यही भरोसा मैं अपने परिवार को देती हूं कि जल्दी ही सब पहले जैसा होगा. इससे मेरा परिवार भी मेरी मजबूरी को समझ पाता है और मुझे चीज़ों को मैनेज करने में भी आसानी होती है. शुरूवात में दिक्कतें थोड़ी ज्यादा थी लेकिन अब मैंने उसके हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लिया है.
सवाल- 2 – अब तो कोरोना पीड़ित मरीजों का इलाज करते करते बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स उनकी सेवा में लगे लोग भी पीड़ित हो रहे हैं. ऐसे में आपको डर नहीं लगता. ऐसी सिचुएशन आपके मन में कैसे सवाल खड़े करती है?
डर बिलकुल नहीं लगता, क्योंकि हम हर समय सभी जरूरी सुरक्षा उपकरणों से लैस जो रहते हैं. बस मन में यही चलता रहता है कि हम किसी भी तरह कोरोना पीड़ित मरीज़ों की जान बचा सकें. क्योंकि उनका चेहरा बिना बोले भी हमसे यही पूछना चाहता है, ‘हम ठीक तो हो जाएंगे न’ . ऐसे में अगर हम डर कर अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लेंगे तो कौन इस मुसीबत से देश को बाहर निकालेगा.
सवाल- 3 – परिवार के लोग सपोर्ट करते हैं या नहीं?
परिवार से मुझे पूरा सपोर्ट है.मेरे हस्बैंड भी डॉक्टर हैं. और सास ससुर काफी हेल्पिंग नेचर के हैं. वे ही हमारे बच्चे का ध्यान रखते हैं. उसे हमारी कमी महसूस नहीं होने देते. हमारा बच्चा भी यह समझने लगा है कि इस समय मुझसे ज्यादा देश को मेरे मम्मी पापा की जरूरत है. उसकी यही बात मुझे अपनी फर्ज को पूरी ईमानदारी से निभाने देती है.
सवाल- 4 – खुद को स्ट्रेस फ्री कैसे करती हैं?
अगर हम खुद को हर समय यह सोच सोचकर स्ट्रेस में रखेंगे कि दुनिया भर में इसके मामले बढ़ते ही जा रहे हैं , टीवी में न्यूज़ देख देखकर यही सोचें कि रोज़ कोरोना के मामलो में बढ़ोतरी ही हो रही है तो हममें मरीज़ों को ठीक करने का वो कोन्फिडेन्स नहीं आ पाएगा जो होना चाहिए. इसलिए मैं हर चीज़ से अवेयर रहती हूं लेकिन उन्हें खुद पर हावी नहीं होने देती. खुद को स्ट्रेस फ्री करने के लिए अच्छी चीज़ें पढ़ती हूं , अपनी फैमिली के साथ बिताए हैप्पी मूवमेंट्स को याद करती हूं व यह सोच कर खुद में पाजिटिविटी लाती हूं कि हमारे टीम वर्क के कारण कोरोना के मरीज़ ठीक भी तो हो रहे हैं. यही सब चीज़ों के कारण मै स्ट्रेस फ्री रह पाती हूं.
सवाल- 5 खुद की सुरक्षा के लिए क्या क्या करती हैं ?
हर मरीज़ के उपचार के बाद sanitizer का इस्तेमाल करती हूं और यहाँ वहां छूने से बचती हूं। मरीज़ की जाँच के दौरान मै हर बार नए जोड़े दस्ताने का उपयोग करती हूं। घर लौटने के बाद सबसे पहले हैंड वाश करती हूं फिर शावर लेती हूं और दूसरे कपड़े चेंज करती हूं। क्योंकि हमें पता नहीं होता कि वायरस हम पर कब व कैसे अटैक कर देगा. इसलिए सावधानी बरतने में ही समझदारी है.
सवाल- 6 – सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में आपका क्या कहना है?
कहते हैं न कि किसी भी नई चीज़ की शुरूआत में मुश्किलें सबके समक्ष आती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि प्रयास ही नहीं हुए. सरकार इस दिशा में शुरू से ही सतर्क है और अब तो कोविद 19 को पूरी तरह से हराने के लिए सुविधाएँ काफी अधिक बड़ा दी गई हैं, जो हमारे काम को आसान बनाने के लिए काफी है.
सवाल- 7 बहुत सारे मिथ्स हैं उन पर आप क्या कहना चाहती हैं?
मेरा सब से यही कहना है कि सुनी सुनाई बातों पर विश्वास न करें और समय समय पर सरकार द्वारा जो एडवाइजरी जारी हो रही है उसे ध्यान से पढ़ें और उस पर अमल करें. जितना हो सके एंटी ऑक्सीडेंट्स रिच फ़ूड खाएं , जो आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं .
कोरोनावायरस के आउटब्रेक के चलते लौकडाउन ने सभी को घर पर रहने को मजबूर कर दिया है, जिनमें बौलीवुड और टीवी सेलेब्स भी शामिल है. वहीं बौलीवुड अलग-अलग तरीकों से वक्त बिता रहे हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी (Sunny Leone) ने हाल ही में अपने फैंस के लिए मास्क पहनने का नया तरीका बताया है, जिसे फैंस को काफी पसंद आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं क्या है सनी लियोनी (Sunny Leone) का तरीका…
सनी लियोनी ने बौक्सिंग ग्लब्स का इमरजेंसी में इस्तेमाल करने का तरीका बताया. इसी के साथ बच्चों के साथ मस्ती करते हुए सनी लियोनी ने बताया कि इमरजेंसी के समय कुछ भी ना हो तो बच्चों के डायपर को मास्क के तौर पर कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है.
मुश्किल भरे समय में सनी लियोनी ने लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का काम करते हुए कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. वहीं क्वारंटाइन के लिए खुद को लोगों से कैसे अलग रखें इसके लिए फोटोज शेयर की है. वहीं अगर घर में रहकर बोर हो चुके है तो आप सनी लियोनी की तरह छोटी-छोटी चीजों में खुशियों को ढूढने की कोशिश कर सकते हैं. इन दिनों सनी लियोनी अपने फनी वीडियोज के जरिए फैंस को इंगेज रख रही है, जो फैंस को काफी पसंद आ रहा है.
बता दें, लौक डाउन के चलते सनी लियोन इन दिनों अपने पति और बच्चों के साथ अपने घर पर समय बिता रही हैं. लेकिन इन सबके बीच वह अपने हौट तस्वीरों के कलेक्शन में से चुनिन्दा तस्वीरों को अपने इन्स्टाग्राम और ट्विटर एकाउंट के जरिये अपने फैन्स के सामने ला रहीं हैं.
भारतीय समाज में मौजूदा समय को कलियुग या यों समझें नकारात्मकता का दौर कहा जाता है. इस बीच, कोरोना के कोहराम ने और भी तबाही मचा दी. दुनियाभर में चिंता व अफरातफरी का माहौल है. सभी को नुक्सान उठाना पड़ रहा है.
भारत में पहले से ही आर्थिक मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर की तो अब मानो कमर ही टूट गई है. सरकार ने, हालांकि, अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए महीनों पहले कुछ इंसेंटिव का एलान किया था लेकिन अब दुनियाभर में उभरे नोवल कोरोनावायरस के संकट से रियल एस्टेट सेक्टर की हालत और भी खराब हो गई है.
रियल एस्टेट सेक्टर को हमेशा से बेहतरीन कमाई का व्यवसाय माना जाता है. सच भी है. लेकिन, ताजा संकट के चलते इस सेक्टर में अब फिलहाल बेहतरीन कमाई नहीं होगी.
देश की जीडीपी गिरती जा रही हो, देशवासियों के पास पैसे न हों, तो वे घर या फ्लैट या जमीन कैसे खरीदेंगे. और जब डिमांड कम होगी तो डेवलपर्स, बिल्डर्स को कीमतें कम करनी पड़ेंगी ही.
देश की बड़ी मोर्गेज कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन या एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा है कि कोरोना वायरस नाम की महामारी और इसकी वजह से देशभर में किए गए लॉकडाउन की वजह से रियल एस्टेट की कीमतें 20 फीसद तक गिर सकती हैं.
नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के एक वेबिनार में पारेख ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को संबोधित करते हुए कहा, “रियल स्टेट की कीमतें गिरेंगी और आगे इसमें और कमी आ सकती है.”
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के जॉब सुरक्षित हैं या जिनके पास नकदी की आवक ठीक-ठाक है, उनके लिए आने वाला समय घर खरीदने के लिए बेहतरीन समय हो सकता है.
देश में रियल स्टेट मार्केट पहले ही कई वजहों से दबाव से गुजर रहा है, इसकी वजह बहुत सारी हैं. इनमें नकदी की उपलब्धता नहीं होना, एनपीए का बढ़ना और कुछ सगमेंट में वित्तीय दबाव का बढ़ना जैसे मामले शामिल हैं.
एचडीएफसी का कहना है, “हाल में ही सरकार ने सस्ते घरों को बढ़ावा देने के लिए बहुत से प्रावधान किए हैं, लेकिन उसके बाद भी रियल एस्टेट सेक्टर लगातार मुसीबतों के दौर में फंसता जा रहा है.”
रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म लायसेस फोरास के सीईओ पंकज कपूर कहते हैं, ”देशभर में प्रॉपटी की कीमतें 10-20 फीसदी तक घट सकती हैं. वहीं, जमीन के दाम 30 फीसदी तक नीचे आ सकते हैं.” उन्होंने कहा कि प्रॉपर्टी में इस तरह की कमी वैश्विक आर्थिक संकट के समय भी नहीं देखने को मिली थी.
रहेजा रियलिटी कंपनी के राम रहेजा कहते हैं, ”बाजार अब पूरी तरह से खरीदने वालों के लिए बन गया है. अगर किसी को वाकई प्रॉपटी या जमीन की बिक्री करनी है तो उसे कीमतों को घटाना होगा.”
स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि देशभर में चार से पांच साल की इंवेंट्री बन गई हैं. यह ऑल टाइम हाई है. देश के नौ प्रमुख शहरों में 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य के मकान अब तक नहीं बिके हैं. ऑनलाइन रियल एस्टेट पोर्टल प्रॉपटाइगर की जनवरी की रिपोर्ट से इस का पता चलता है.
ऐसे में यह साफ है कि कोरोनावायरस के कहर के चलते जमीन-फ्लैट-मकान के भावी खरीदारों को मौका मिला है कि वे लौकडाउन खत्म होने के बाद घटती कीमतों का फायदा उठाएं. प्रौपर्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रौपर्टी की कीमतें कई महीनों तक बढ़ेंगी नहीं.
अक्सर सुनती विदेशों में वर्क फ्रॉम होम होता है कैसे करते होंगे काम? क्या घर के सदस्य डिस्टर्ब नहीं करते होंगे? पर मजा भी कितना आता होगा सुबह उठने की जल्दी नहीं होती होगी मन में इच्छा जागती थी कभी मैं भी घर से काम करूं. करोना देव ने अवतार लेकर मेरी यह इच्छा पूरी कर दी करोना के चलते पूरे शहर में लॉक डाउन हो गया. ऑफिस बंद कर दिए और सब के लिए घर से काम करने के आर्डर हो गए मुझे तो मालूम मुराद मिल गई कहीं जाने की जल्दी नहीं होती. 8:30 बजे उठो और नहा धो कर टेबल पर बैठ जाओ. सुबह की चाय भी मम्मी टेबल पर ही देती और उसके बाद नाश्ता भी दोपहर का लंच मैं अपने परिवार के साथ करती. 2-4 दिन तो सब ठीक-ठाक चला उसके बाद कुछ हास्यास्पद परिस्थितियां होने लगी.
एक दिन मेरी अपने बॉस के साथ मीटिंग चल रही थी और मम्मी गैस पर कुक्कर चढ़ाकर नहाने चली गई साथ ही मुझे हिदायत दे गई कि 4 सिटी आने के बाद गैस बंद कर देना. मम्मी नहा कर आई मैं तब भी मीटिंग में थी आते ही मम्मी ने पूछा कितनी सीटें आई?
मैंने जवाब दिया – 4
नहीं 5सिटी आ गई है उधर से मेरे बॉस बोले बताइए उस समय मेरी क्या हालत हुई होगी.
मैं 1 दिन फोन को स्पीकर पर लगा अपने एक कलीग से बात कर रही थी और उससे किसी का फोन नंबर लेना था जब मैं नोट कर रही थी 98 96 हां उसके बाद
अरे उसने 156 भी बोला है मेरी मम्मी बोली तुम्हारा ध्यान किधर रहता है ?
लो और लो घर से काम करने का स्वाद.
सच में घर में सब सुख सुविधा होते हुए भी मैं ऑफिस को बहुत मिस करती हूं ऑफिस मैं लंच के समय एक दूसरे से टिफन शेयर करना जब मिल बैठकर के गप्पे मारना साथ मिल बैठकर शाम की चाय पीना सच में क्या दिन होते थे.
शाम को जब घर वापस लौटती तो आते ही मम्मी दो कप चाय के तैयार रखती दोनों बैठ कर आराम से चाय पीते और दिन भर में क्या हुआ एक दूसरे को बताते थे पर आप तो मम्मी आराम से बैठकर टीवी देख रही होती हैं और 6 बजते हैं जब मैं अपने ऑफिस से बाहर आती हूं तो कहती हैं – बेटा ऑफिस से छुट्टी हो गई जल्दी से दो कप चाय बनाला मिल कर पिएंगे पिएंगे.
यह घर में काम करने वालों का शोषण नहीं तो और क्या है ? आई मिस माय ऑफिस—