#coronavirus: लौकआउट की ओर नौरमल नहीं, कहिए न्यूनौरमल लाइफ

दुनिया ने मान लिया है कि कोरोना फिलहाल तो रहेगा. इस के ख़त्म होने का इंतजार अब कोई नहीं कर रहा. सो, तक़रीबन हर देश लौकडाउन से लौकआउट की ओर बढ़ चला है. भारत ने भी कदम बढ़ा दिया है. लौकडाउन में रहते हुए ढील पर ढील दी जा रही है.

लेकिन, हर भारतवासी के दिमाग में सवाल यह है कि क्या वह अपनी पुरानी ज़िंदगी फिर से जी पाएगा? इस का कड़वा जवाब यह है कि फिलहाल तो कोरोना के साथ जीने की आदत डाल लीजिए. न सिर्फ आदत डाल लीजिए बल्कि रोजमर्रा की ज़िंदगी में बहुत सी जरूरी चीजें जो पूरे लौकआउट के बाद बदलने जा रही हैं, उन्हें अपनाना भी अभी से सीख लीजिए क्योंकि कोरोना हम सब के साथसाथ चलेफिरेगा. कोरोना से पहले की ज़िंदगी जीने का तरीका बदलना होगा. हाथ मिलाना और गले लगना अब शायद तसवीरों में ही देखने को मिले. अभी तक कोरोना ने पैनडेमिक बन कर तबाही मचाई. अब कहा जा रहा है कि यही कोरोना एनडेमिक भी बन सकता है.

पैनडेमिक के बाद यह एनडेमिक क्या बला है, आप यह सोच रहे होंगे. दरअसल, पैनडेमिक महामारी को कहते हैं, जबकि एनडेमिक उस हालत को कहते हैं जिस में एक वायरस इंसानों के साथ घूमता रहता है. इस दौरान वह उन पर असर डालता है जिन के शरीर ने या तो उस से लड़ने की क्षमता पैदा नहीं की है या फिर उन्हें इसकी वैक्सीन नहीं लगी है. ज़ाहिर है कोरोना वायरस की वैक्सीन तो फिलहाल बनी नहीं है. ऐसे में यह इंसानों के साथ ही घूमता रहेगा.

वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइज़ेशन यानी डब्लूएचओ के इमरजेंसी एक्सपर्ट माइक रायन के मुताबिक, एक तो कोरोना जल्दी खत्म नहीं होगा और दूसरा यह कि वह एनडेमिक वायरस बन कर हमेशा हमारे साथ ही रहने वाला है. हो यह भी सकता है कि यह कोरोना वायरस हमारे बीच से कभी जाए ही नहीं ठीक वैसे ही जैसे एचआईवी और डेंगू जैसे वायरस आज भी हमारे बीच मौजूद हैं, जिन की वैक्सीन अभी तक नहीं बन पाई है और जिन के साथ अब हम ने जीना सीख लिया है. इसी तरह हमें कोरोना वायरस के साथ भी रहना सीखना होगा.

लौकडाउन से लौकआउट में आने पर पुरानी नौरमल लाइफ नहीं बल्कि न्यूनौरमल लाइफ होगी. पुरानी नौरमल लाइफ को तो भूल ही जाइए. यहां एक नज़र डालते हैं न्यूनौरमल लाइफ पर :

सामाजिक दूरी

तालाबंदी हटाए जाने के बाद भी 2 गज यानी 6 फुट की सामाजिक दूरी बनाए रखने का पालन करते रहना होगा. देश में लगने वाली लंबीलंबी कतारें, भीड़भरे बाज़ारों, दुकानों, मार्केट, रेस्तरां, सिनेमाहौल, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, शादीघर और यहां तक कि श्मशान और क़ब्रिस्तान तक में इंसान को इंसानों से दूर ही रहना पड़ेगा.

नाकमुंह ढकना और सैनिटाइज़र

मोबाइल की तरह मास्क और सैनिटाइज़र रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा होंगे. पूर्वी एशियाई देशों यानी चीन, जापान और हौंगकौंग में तो सर्दी के मौसम में इंफैक्शन फैलते ही लोग पहले से मास्क और ग्लव्ज़ का इस्तेमाल करते रहे हैं. मास्क और सैनिटाइज़र भारत में, आमतौर पर, इस्तेमाल करना आसान नहीं है. इतना ही नहीं, यह आदत अपनाना भारतीयों के लिए महंगा सौदा भी है.

डिजिटल भुगतान

वायरस के साथ रहने की वजह से ज़्यादातर खरीदफरोख्त डिजिटल ट्रांज़ैक्शन के ज़रिए ही होंगी. लोग बैंक जाने से और नकदी इस्तेमाल करने से बचेंगे क्योंकि इससे बारबार संक्रमित होने का खतरा कायम रहेगा.

घर से काम यानी वर्क फ्रौम होम

कार्यालय, कंपनियां, संस्थानों के प्रबंधन जितना मुमकिन हो सकेगा अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करवाएंगे. आईटी कंपनियों के ज़्यादातर काम तो कर्मचारी अपनेअपने घरों से ही करेंगे. वहीं, स्टैंडफोर्ड की स्टडी बताती है कि घर से काम करने वाले कर्मचारी दफ्तर में काम करने वालों से ज़्यादा प्रोडक्टिव और क्रिएटिव होते हैं. ज़ाहिर है कंपनियों को इस नए चलन को अपनाने में ज़रा भी तकलीफ नहीं होगी.

औफिस में चेंज

हर औफिस के सभी कर्मचारी घर से काम यानी वर्क फ्रौम होम नहीं करेंगे. कुछ कर्मचारी औफिस में जा कर काम करेंगे. ऐसे कर्मचारियों की औफिस के गेट परकी थर्मल स्क्रीनिंग होगी. औफिस में हाथ धोने और आनेजाने वाले द्वार पर हैंड सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी. कार्यस्थलों में नियमित तौर पर सैनिटाइजेशन किया जाता रहेगा. शिफ्ट बदलने के दौरान भी रखें सफाई का खास ध्यान रखना होगा.

शिक्षा संस्थानों में बदलाव

स्कूल में पढ़ाई का तरीका काफी हद तक बदला जाएगा. बच्चे एकदूसरे को छूने या हाथ मिलाने से बचेंगे. एकदूसरे के साथ खेल नहीं सकेंगे. साथ ही, बच्चों के बैठने की व्यवस्था भी सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से की जाएगी और बहुत ज़्यादा मुमकिन है कि डिजिटल एजूकेशन यानी कंप्यूटर के ज़रिए पढ़ाई इतनी सामान्य और चलन में आ जाए कि बच्चे स्कूल जाना ही बंद कर दें.

आवाजाही में परिवर्तन

यातायात के तरीकों में तो बहुत सारे बदलाव अभी से देखने को मिलने लगे हैं. हाल ही में भारत सरकार ने एयर ट्रांसपोर्ट के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. मसलन, आरोग्य सेतु ऐप मोबाइल पर इंस्टौल करना ज़रूरी है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा, मास्क पहनना होगा और थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. इस तरह के कई और नियम कानून बनाए गए हैं जो रोडवेज़, मैट्रो और रेलवे के लिए भी अपनाए जाएंगे. निजी वाहनों के लिए भी नए नियम होंगे, मसलन टूव्हीलर पर एक और फोरव्हीलर पर दो ही लोगों के बैठने की अनुमति आदि.

बदल जाएगी इंडस्ट्री

कोरोना के काल के बाद इंडस्ट्री और उस के काम करने का तरीका भी पूरी तरह से बदल जाएगा. लेबर कम हो जाएंगे. और जो होंगे भी उन्हें सोशल डिस्टेंसिग का पालन करना होगा. हर सैक्टर में कंपनियों को अपने कर्मचारियों का हेल्थ इंश्योरैंस कराना होगा. और कंपनियों में औटोमेशन बढ़ जाएगा यानी, काम इंसानों से कम कराया जाएगा जबकि मशीनों से ज़्यादा किया जाएगा.

अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक महामारी कोविड-19 की वैक्सीन विकसित करने और फिर बाजार में लाए जाने के बाद भी कोरोना वायरस सालों तक यहीं रहने वाला है. यह महामारी एचआइवी, चेचक जैसे ही हमेशा रहने वाली है. वैश्विक महामारी के विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के लंबे समय तक रहने के आसार हैं.

सो, कोरोनामय हालात में लौकडाउन के सरकारी तौर पर पूरी तरह से खत्म कर दिए जाने यानी लौकआउट होने के बाद सभी देशवासियों को छुआछूती वायरस से बचे रहने के लिए खुद को खुद के लौकडाउन में रहना होगा, ताकि सभी सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें.

जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद, अमेरिका में काले लोगों ने किया हिंसक प्रदर्शन

लेखक- शम्भू शरण सत्यार्थी

अमेरिका के मिनीपोलिस शहर मे एक गोरे पुलिस अधिकारी द्वारा कस्टडी में काले रंग के जॉर्ज फ्लॉयड की गला दबाकर हत्या कर दी गई. जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ अमेरिकी स्थानीय लोगों ने जॉर्ज को इंसाफ दिलाने के लिए प्रदर्शन किया और धीरे ही धीरे यह प्रदर्शन हिंसा के रूप में बदल गया.

यूं तो कहने को आज रंगवादी भेदभाव और जातीय भेदभाव के मामलों का पूर्ण रूप से खात्मा हो गया है. किंतु सच तो यह है कि आज भी इस आधुनिक विश्व में जाती एवं चमड़ी के रंगो के आधार पर सामाजिक भेदभाव जिंदा है. वर्तमान में इसका जीता जागता उदाहरण अमेरिका मे तब सामने आया जब एक गोरे ऑफिसर द्वारा काली चमड़ी के जॉर्ज फ्लॉयड का गला दबाकर हत्या कर दिया गया. इस हत्या के बाद अमेरिका के मिनीपोलिस शहर के स्थानीय लोगों द्वारा घटना के विरोध में प्रदर्शन किया गया. देखते ही देखते यह प्रदर्शन पूरे अमेरिका में फैल गया.

क्या है रंग वादी भेदभाव और जातीय भेदभाव?

जैसे भारत में लोगों की ऊंची-नीची जातियों के आधार पर भेदभाव किया जाता है, दलितों को समाज के कई अधिकारों से वर्जित किया जाता है, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर समझा जाता है और हर जगह स्वतंत्र रूप से आने-जाने की आजादी पर समाज के 10 से 12% सवर्णों द्वारा रोक लगाया जाता है,जातिय भेदभाव कहलाता हैं. ठीक उसी प्रकार अमेरिका की जनसंख्या का 50 से 55% हिस्सा गोरी चमड़ी वाले लोगो का है तो वही 15% काली चमड़ी वाले लोगो का. इन गोरी चमड़ी वाले लोगों द्वारा इतिहास काल से ही काली चमड़ी वाले लोगो पर दबदबा बना रहा है. आज भी कई जगह अमेरिका में लोगों के गोरे- काले के आधार पर उनके साथ अच्छा या बुरा सुलूक किया जाता है. गोरे नागरिकों द्वारा काली चमड़ी वालों को हीन भाव से देखा जाता है एवं उनके साथ गुलामो के तरह व्यवहार किया जाता है. हालांकि पहले से इसकी संख्या मे काफी कमी हुई है. किंतु अमेरिका में आज भी कुछ लोगों पर यह मामले खरे साबित होते हैं.ऐसा ही एक उदाहरण तब सामने आया जब काली चमड़ी वाले जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या एक गोरे पुलिस ऑफिसर द्वारा कर दी गई. और इस घटना ने आज अमेरिका में एक हिंसक प्रदर्शन को जन्म दिया.

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#Jcole protesting in #Fayetteville. ✔️ #georgefloyd #swipe

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कौन था जॉर्ज फ्लॉयड और क्या है अमेरिका में प्रोटेस्ट का कारण?

46 वर्ष का जॉर्ज फ्लॉयड एक अश्वेत(काला) अमेरिकी नागरिक था. जॉर्ज पिछले 5 वर्षों से अमेरिका के मिनेसोटा प्रांत के मिनीपोलिस शहर मे रह रहा था. एक व्यक्ति द्वारा स्थानीय पुलिस विभाग को जॉर्ज की जालसाजी की शिकायत मिली. 25 मई को जॉर्ज फ्लायद को पुलिस द्वारा कस्टडी में लिया गया. गोरे रंग के 44 वर्षीय डेरेक चाउवीन नामक पुलिस अधिकारी ने अपने घुटने से जॉर्ज का गला दबाकर हत्या कर दी. मर्डर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. इस वीडियो में काले रंग का जॉर्ज एक गाड़ी के पिछले चक्के के पास मुंह के बल पड़ा मिला और वह गोरा अफसर अपने घुटने के बल से जॉर्ज के गर्दन को दबाता दिखाई दे रहा था. इस 8 मिनट में जॉर्ज गोरे अधिकारी से घुटना हटाने की गुहार करता रहा. काले रंग के जॉर्ज ने कहा, “मैं मरने वाला हूं, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं”, “मुझे पानी दे दो”, “आई कांट ब्रेथ, आई कांट ब्रेथ” और इसी वाक्य के साथ जॉर्ज ने अपनी सांसे तोड़ दी. जॉर्ज की मृत्यु के बाद स्थानीय लोगों ने अश्वेतों पर हो रहे अपराध को अपना आधार बनाकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे इस गोरे-काले के प्रदर्शन ने पूरी अमेरिका को हिला दिया.

प्रदर्शन ने लिया हिंसक रूप, वाइट हाउस को भी करना पड़ा बंद

जैसे ही जॉर्ज की हत्या का वह क्रूर वीडियो सोशल मीडिया पर पर वायरल हुआ. मिनियापोलिस के स्थानीय लोगों ने रंगभेद को अपना आधार बनाकर गोरे ऑफिसर और घटिया सिस्टम के विरुद्ध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते यह प्रदर्शन अमेरिका के अन्य शहरो जैसेफिनिक्स, डेनवर, लास वेगास, लॉस एंजिलिस और कई अन्य शहरों में फैल गया. हजारों की संख्या में लोगों ने इसका समर्थन किया और “आई कांट ब्रेथ, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं” के पोस्टर लगाएं. कुछ ही घंटों बाद इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया. लोगों ने पुलिस की गाड़ियां जला दी, कई संस्थानों को भी जलाया, रास्ते को जाम कर दिया, दो रेस्टोरेंट में घुसकर लोगों ने काफी तोड़फोड़ की, सरकारी संस्थाओं पर भी आघात किया गया.बृहस्पतिवार, 28 मई को, हिंसक प्रदर्शनकारियों ने मिनीपोयलिस की उस पुलिस चौकी को भी फूंक दिया जहां जॉर्ज फ्लॉयड को गिरफ्तार किया गया था. यह प्रदर्शन सड़क से अब व्हाइट हाउस के सामने जा पहुंचा. जहां लोगों ने हजारों की संख्या में नारेबाजी और तोड़फोड़ की. जिसके कारण व्हाइट हाउस को भी बंद कर दिया गया. इस हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस द्वारा आंसू गैस और रबर की गोलियों का भी प्रयोग किया गया. किंतु यह प्रयास विफल रहा.मेयर जैकब फ्रे ने शुक्रवार 29 मई को रात 7 बजे से शहर भर में कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया. तब तक यह प्रदर्शन पूरे देशभर में फैल गया और वॉशिंगटन डीसी, अटलांटा, फिनिक्स, डेनवर और लॉस एंजिलिस समेत कुछ शहरों में इसने हिंसक रूप ले लिया. लोगों ने कर्फ्यू के बाद भी अपना प्रदर्शन जारी रखा. और कर्फ्यू लगाने का भी कोई फायदा सामने नहीं आया. लोग इस घटना को लेकर काफी उग्र हो गए थे और ट्रंप के हिंसक ट्वीट के बाद प्रदर्शन में और तेजी देखी गई.

गोरे डेरेक चांउविन को मिली सजा और पत्नी ने भी दे दी तलाक की अर्जी

प्रदर्शन के बाद जॉर्ज फ्लॉयड के हत्यारे डेरेक चांउविन पर थर्ड-डिग्री मर्डर का केस दर्ज किया गया. साथ ही अन्य गोरे पुलिस ऑफिसर जो डेरेक चांउविन के साथ थे, उनको नौकरी से सस्पेंड किया गया. असल में 1994 में अपराधी को कस्टडी के दौरान चॅक होल्ड(गला दबाना जिससे उसकी सांस रुक जाए) करने पर रोक लगा दिया गया था. किंतु इसके बावजूद भी अमेरिका के गोरे पुलिस ऑफिसर अश्वेतों पर इस पैंतरे को आज भी इस्तेमाल करते हैं. अभी इस मामले को एफबीआई को जांच करने के लिए सौंप दिया गया है.
डेरेक चांउविन की पत्नी कैली भी इस घटना से काफी चिंतित है और उन्होंने प्रदर्शन का साथ देते हुए अपने पति से तलाक की अर्जी दर्ज करवा दी. कैली की शादी के बाद अभी तक इनका कोई बच्चा नहीं है.

प्रदर्शन को रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया हिंसा फैलाने वाला ट्वीट, ट्विटर ने ट्वीट को हिंसा करार देते हुए हटाया

जब इस पूरी घटना की खबर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मिली तो उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान सख्त कदम उठाने की बात कही. हालांकि प्रेस मीटिंग के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप का मन नहीं भरा और उन्होंने ट्विटर पर मिनेसोटा के गवर्नर को ट्वीट किया कि वे जल्द ही इस प्रदर्शन को रोकने की कोशिश करेंगे. जरूरत पड़ने पर शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती भी की जाएगी. हालांकि उन्होंने अपनी ट्वीट में प्रदर्शनकारियों को संदेश देते हुए लिखा कि जब भी लूटिंग शुरू होती है तो वहां शूटिंग होती है. जहां डोनाल्ड ट्रंप को समझते हैं को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए था. वही उनकी उस ट्वीट ने आग में घी डालने का काम किया. इस ट्वीट कि लोगों ने काफी निंदा की और इस ट्वीट के बाद लोगों का प्रदर्शन और तेजी से बढ़ा साथ ही साथ लोगों के बीच हिंसा भी देखने को मिली.
ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के इस ट्वीट को हिंसा करार देते हुए उनकी टाइमलाइन से हटा दिया. यह एक शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति के लिए काफी ही निंदा की बात है.

अमेरिका में पहले भी ऐसी ही एक घटना ने ‘आई कांट ब्रेथ’ नमक आंदोलन को जन्म दिया था

43 वर्ष के एरिक गार्डनर अमेरिका के निवासी थे. एरिक को अस्थमा की बीमारी थी. जिसके कारण उन्हें बागवानी विभाग की स्थाई नौकरी छोड़नी पड़ी. हालांकि एरिक का अक्षर पुलिस से पाला पढ़ते रहता था. एरिक को 30 बार स्थानीय पुलिस द्वारा अरेस्ट किया गया था. पुलिस वालों का कहना था कि एरिक इनकम टैक्स बचाने के लिए फुटपाथ पर फुटकर सिगरेट बेचता है. हालांकि एरिक ने वर्ष 2007 में पुलिस विभाग की कंप्लेन कोर्ट में भी की. जिसमें एरिक का कहना था कि पुलिस वाले बेवजह उन्हें परेशान करते हैं. सड़क पर तलाशी के बहाने उनके गुप्तांगो में उंगली डालते हैं. 17 जुलाई 2014 को पुलिस ने एरिक को रोड पर झगड़ते देखा. जैसे ही पुलिस वाले एरिक के पास पहुंचे तो एरिक डर गया. एरिक ने पुलिस वालों से पूछा कि वह बेवजह उसे तंग करने क्यो आ जाते हैं? इस पर नाराज हो डेनियल पैंटालियो नामक अफसर ने एरिक की गर्दन अपनी बाहों में पकड़ ली, जिसे चाॅक होल्ड कहते हैं. एरिक को पहले से ही अस्थमा की बीमारी थी इसलिए एरिक करने अपनी सांसे तोड़ दी और उनकी भी हत्या हो गई.2014 कि उस घटना को आज फिर 2020 में दोहराया गया. दोनों ही घटनाओं में कुछ समानताएं थी. जो अमेरिका में छुपे रंग- भेद की भावना को पूरे देश के सामने उजागर करने के लिए पर्याप्त है.
वर्ष 2014 में एरिक एक काले चमड़ी वाले अमेरिकी नागरिक थे और आज जॉर्ज फ्लॉयड भी एक अश्वेत ही थे.
वर्ष 2014 में डेनियल पैंटालियो भी एक गोरा पुलिस अधिकारी था और आज डेरेक चांउविन भी एक गोरा पुलिस अधिकारी है. जो इस बात को दिखाता है कि गोरे रंग के अधिकारी काले रंग के नागरिकों को देखना नहीं चाहते.
हालांकि इस घटना में भी ‘आई कांट ब्रेथ’ वाक्य के साथ ही काले चमड़ी वाले जॉर्ज फ्लॉयड ने अपनी सांस रोक ली. उस समय यह वाक्य एक आंदोलन बन गया था और आज इस वाक्य ने एक हिंसक आंदोलन को अमेरिका में जन्म दे दिया. जिसमें भविष्य में रंगो के आधार पर भेदभाव को रोकने की मांग की जा रही है ताकि जॉर्ज फ्लॉयड को इंसाफ मिल सके.

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अमेरिका के इस घटना के बाद भारत को भी सीखने की जरूरत है

अमेरिका में जहां 50 से 55% गोरी चमड़ी वाले लोगों द्वारा 15% काली चमड़ी वालों पर दबाव बनाया जाता है उसके ठीक विपरीत हमारे भारत में मात्र 10 से 12% सवर्णों द्वारा शेष दलित और अन्य जाति पर हुकूमत चलाया जाता है. अमेरिका में अच्छी बात यह है की गोरी चमड़ी वाले लोग भी काले लोगों के इस आंदोलन का बढ़-चढ़कर समर्थन कर रहे हैं. इससे ना केवल भारत अपितु अन्य देशों को भी यह समझने की आवश्यकता है कि हमारा आज का समाज ऐसे भेदभाव को कोई जगह नहीं देता. हालांकि अभी भी हमारे समाज में ऐसी नीच सोच वाले कुछ लोग हैं. उन्हें जरूरत है इस आंदोलन से कुछ सीखने की. आज चाहे भारतीय सवर्णों के पास अपार पूंजी क्यों ना हो? किंतु उस पूंजी को बनाने वाले भारतीय दलित ही है. उनके तपती धूप में मेहनत के बाद ही एक सवर्ण घर की सुख सुविधाओं का लाभ उठा पाता है. इसलिए समाज में दोनों ही जाति और रंग के लोगों की आवश्यकता है.

42 साल की कम उम्र में पौपुलर सिंगर वाजिद खान का निधन, जानें क्या है मौत की वजह

क्या यही प्यार है’, ‘गुनाह’, ‘चोरी चोरी’, ‘द किलर’, ‘शादी करके फंस गया यार’, ‘जाने होगा क्या’ और ‘कल किसने देखा है’ जैसी फिल्मों में संगीत  देने वाले साजिद खान और वाजिद खान की जोड़ी वाले, बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार वाजिद खान का 42 की उम्र में निधन हो गया है. वाजिद ने अपने भाई साजिद के साथ मिलकर कई फिल्मों में संगीत दिया है.

आपको बता दें बॉलीवुड में इन दोनों भाईयों की मशहूर जोड़ी को साजिद-वाजिद के नाम से जाना जाता था. ऐसा बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से उनकी की मौत हुई है. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मौत की वजह किडनी की समस्या भी बताया जा रहा है. लेकिन अभी  इस बात की अभी पुष्टि नहीं हुई है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किडनी की परेशानी के बाद उनका कोरोनावायरस का टेस्ट किया गया था.

एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने वाजिद खान के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया है, उन्होंने लिखा, “बहुत बुरी खबर. वाजिद खान भाई के बारे में एक बात जो मुझे हमेशा याद रहेगी वो है वाजिद भाई की हंसी. हमेशा मुस्कुरात. बहुत जल्दी चले गए. उनके परिवार और शोक व्यक्त करने वाले लोगों के प्रति मेरी संवेदना. तुम्हारी आत्मा को शांति मिले मेरे दोस्त.तुम मेरी एवं सोच एवं प्रार्थना में हो.”

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वही एक्टर वरुण धवन वाजिद खान की मौत की खबर सुनकर सदमे में आ गया हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘वाजिद खान भाई मेरे और मेरे परिवार के बेहद करीब थे. वो आसपास रहने वाले सबसे सकारात्मक लोगों में से एक थे. हम आपको याद करेंगे वाजिद भाई. संगीत के लिए धन्यवाद.’ साजिद-वाजिद ने सबसे पहले 1998 में सलमान खान की फिल्म ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के लिए संगीत दिया था.

इनमें ‘तुमको ना भूल पाएंगे’, ‘तेरे नाम’, ‘गर्व’, ‘मुझसे शादी करोगी’,’पार्टनर’, ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’, ‘वांटेड’, ‘मैं और मिसेज खन्ना’, ‘वीर’, ‘दबंग’, ‘नो प्रॉब्लम’ और ‘एक था टाइगर’ जैसी फिल्में शामिल हैं.

वाजिद ने 1999 में,  सोनू निगम की एल्बम ‘दीवाना’ के लिए संगीत दिया, जिसमें “दीवाना तेरा”, “अब मुझसे रात दिन” और “इस कदर प्यार है” जैसे गाने शामिल थे. उसी साल उन्होंने फिल्म हैलो ब्रदर के लिए संगीत निर्देशकों के रूप में काम किया और ‘हटा सावन की घाटा’, ‘चुपके से कोई और’ और ‘हैलो ब्रदर’ जैसे गाने लिखे थे.

इसके अलावा साजिद-वाजिद ने रियलिटी शो ‘सा रे गा मा पा सिंगिंग सुपरस्टार’, ‘सा रे गा मा पा 2012’, ‘बिग बॉस सीजन 4’ और ‘बिग बॉस 6’ के लिए टाइटल ट्रैक तैयार किया था. उन्होंने आईपीएल के चौथे सीजन के थीम म्यूजिक ‘धूम धूम धूम धड़ाका’ को भी तैयार किया था, इसके टाइटल ट्रैक को वाजिद खान ने गाया था.

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वाजिद पिछले कई सालों से हार्ट और किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे, इलाज के दौरान वह कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए. उन्हें मुंबई के चेम्बूर स्थित अस्पताल में किडनी की गंभीर समस्या के चलते एडमिट किया गया था. 31 मई की दोपहर वाजिद की तबीयत बेहद सीरियस हो गई थी, जिसकी वजह से वाजिद वेंटिलेटर पर थे. किडनी के इलाज के लिए वह पहले भी कई बार अस्पताल में एडमिड हो चुके थे.

5 टिप्स: गरमी में एलोवेरा से रखें स्किन का ख्याल

आजकल गर्ल्स अपने हेयर और स्किन प्रौब्लम को लेकर परेशान रहती है. धूल, बढ़ते प्रदूषण और जहरीले धुएं, सूर्य की अल्ट्रावौयलेट किरणों की वजह से हमारी स्किन ड्राई हो जाती है, साथ ही चेहरे की चमक भी खत्म हो जाती है. वहीं ज्यादातर लोगों को बालों में डैंड्रफ की प्रौब्लम भी हो जाती है. ऐसे में एलोवेरा इन सभी प्रौब्लम्स के लिए बेस्ट औप्शन है. आइये, जानते हैं एलोवेरा का इस्तेमाल करके हम कैसे अपनी स्किन को सुंदर बना सकते हैं.

  1. ड्राई स्किन

औयली स्किन से ज्यादा नाजुक ड्राई स्किन होती है. अगर आप समय पर स्किन की देखभाल नहीं करेंगी तो चेहरे पर झुर्रियां, झाइयां बारीक लाइन्स और रैशेज होने लगते हैं. ऐसे में आप एलोवेरा का इस्तेमाल करके अपनी ड्राई स्किन से छुटकारा पा सकती है.

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ऐसे करें इस्तेमाल

एलोवेरा का जैल निकाल कर एक कटोरी में रख लें. अब उसमे एक चम्मच शहद मिला दें. अपने चेहरे को ठंडे पानी से धोलें और फिर इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर लगा लें. 10 मिनट बाद चेहरा ठंडे पानी से धोलें.

  1. ग्लोइंग स्किन के लिए

सुंदर-ग्लोइंग स्किन हर लड़की की चाहत होती है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारी स्किन ग्लो करने के बजाय डल और बेजान बना देती है. ऐसे में अगर आप चाहें तो घर से बाहर निकलने वक्त अपने चेहरे पर कपड़ा बांध कर निकलें. अपने चेहरे का ग्लो बरकरार रखने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकती हैं.

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ऐसे करें इस्तेमाल

एक कटोरी में 2 चम्मच चावल का आटा लें अब एलोवेरा को बीच से 2 भाग में बांट दें. अब एलोवेरा को जैल वाले पार्ट से आटे में रखें. जब आटा एलोवेरा में पूरा चिपक जाए फिर इसको चेहरे पर स्क्रब की तरह इस्तेमाल करें.

  1. डैंड्रफ

बालों का सही देखभाल न करने पर उन में कई प्रकार की प्रौब्लम हो सकती हैं. डैंड्रफ या रूसी उनमें से एक है. बालों में डैंड्रफ होने से बाल कमजोर व बेजान हो जाते हैं. इस कारण बाल टूटने लगते हैं. सिर में इचिंग जैसी प्रौब्लम भी बढ़ जाती हैं. ऐसे में आप एलोवेरा हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकती है. यह बालों को पोषण देकर उसे साफ और चमकदार बनाएगा.

ऐसे करें इस्तेमाल

एलोवेरा मास्क के लिए एक कटोरी में एलोवेरा जैल लें उसमें कंडीशनर, औलिव औयल और नारियल के तेल को अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. अब इस मिश्रण को जड़ों में लगा लें. करीब 45 मिनट बाद बालों को धो लें.

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  1. पिंपल्स (मुहांसे)

pimple

पिंपल्स चेहरे की सबसे बड़ी दिक्कत होती है. पिंपल्स होने की कई वजह हो सकती हैं जैसे फास्ट फूड, औयली फूड. पिंपल्स होने का कारण प्रदूषण भी हो सकता है. प्रदूषण से चेहरे पर धूल मिट्टी जम जाती है, जिसकी वजह से कील-मुहांसे हो जाते हैं. आप घर पर एलोवेरा का इस्तेमाल कर के पिंपल्स जैसी समस्या से छुटकारा पा सकती हैं.

ऐसे करें इस्तेमाल

एलोवेरा जैल निकाल लें अब उसमें टूथपेस्ट मिला दें. अब इस पेस्ट को पिंपल्स पर लगा लें और 10 मिनट बाद क्लीन कर लें. याद रहे, टूथपेस्ट बिना जैल वाला होना चाहिए.

  1. स्किन बर्न

गर्मियों में अक्सर स्किन बर्न जैसी समस्या हो जाती है. स्किन बर्न में वह जगह फूल कर लाल हो जाती है और दिखने में भी अजीब लगता है. ऐसे में सही समय पर इसका उपचार करना बहुत जरूरी हो जाता हैं. एलोवेरा आइस क्यूब से इस प्रौब्लम से राहत मिल सकती है.

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ऐसे करें इस्तेमाल

एलोवेरा जैल को आइस क्यूब ट्रे में डालकर फ्रीजर में रख दें. जब जैल आइस क्यूब बन जाए तो बर्न स्किन पर इस आइस क्यूब को लगाएं. इससे सूजन तो कम होगा ही साथ ही स्किन पर लाल धब्बे में भी सुधार होगा.

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Medela Flex Breast Pump: अब और आसान होगी ब्रेस्ट फीडिंग

25 साल की नेहा 5 महीने पहले ही मां बनी थीं. नन्हें मेहमान के आने से सभी बेहद खुश है और नेहा भी, लेकिन इस खुशी के साथ साथ वो बेहद परेशान भी हैं क्योंकि उसे रात रात भर जागकर बच्चे को फीड कराना पड़ता है, जिसकी वजह से न तो उसकी नींद पूरी होती है और उसे काफी दर्द भी सहना पड़ता है. इसी के साथ वह अपनी फैमिली पर भी ध्यान नहीं रख पाती है.

नेहा एक हाउसवाइफ है. वह अपने बेबी को संभालने और ब्रेस्टफीड करवाने में इतना परेशान हो गई है कि वह ना घर के कामों में ध्यान दे पा रही है और ना ही अपनी फैमिली का ख्याल रख पा रही है. यही कारण है कि वह परेशान रहने लगी है. इन सब बातों से परेशान नेहा से मिलने उसकी ननद श्रुति आई, जो खुद दो बच्चों की मां हैं और नेहा की करीबी दोस्त भी. परेशान नेहा ने अपनी समस्याओं के बारे में श्रुति से बात शेयर की.

नेहा की बातें सुनकर श्रुति ने उसे कहा कि इसमें चिंता करने वाली कोई बात नहीं है. क्योंकि मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है और उस वक्त मेरी मदद की ब्रेस्ट पंप ने. नेहा ने इससे पहले ब्रेस्ट पंप का नाम तो सुना था लेकिन उसने अपने आस पास किसी महिला को अब तक इसका यूज करते नहीं देखा था. इसलिए ये उसके लिए एक नई चीज थी.

श्रुति ने नेहा को डीटेल में ब्रेस्ट पंप के बारे में बताया और साथ ही ये भी बताया कि वो मेडेला फ्लेक्स ब्रेस्ट पंप यूज करती थी. जो काफी हाईजीनिक और सुविधाजनक है. इसके जरिए वो कम समय में ही काफी दूध निकाल कर स्टोर कर लेती थी. जिससे बार बार फीडिंग में लगने वाला वक्त तो बचता ही है, साथ ही बार बार के दर्द से भी छुटकारा मिल गया.

अगर आप भी एक नई मां है और नेहा की तरह ही आपको भी इन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो मेडेला फ्लेक्स ब्रेस्ट पंप आपके लिए एक आसान और सुविधाजनक विकल्प हो सकता है. 

यूं तो कई बड़ी बड़ी कंपनियां ब्रेस्‍ट पंप बना रही हैं लेकिन एक नाम जो काफी चलन में है वो है Medela Flex Breast Pump का जो ब्रेस्टफीड के लिए एक बेहतरीन तरीका है. क्योंकि इसे मां और बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.

आइए जानते हैं Medela Flex Breast Pump के बारे में कुछ अहम बाते…

मेडेला फ्लेक्स ब्रेस्ट पंप और कनेक्टर स्विट्जरलैंड में बनाए जाते हैं. ये पूरी तरह से सुरक्षित और हाईजीनिक होते हैं.

मेडेला फ्लेक्स ब्रेस्ट पंप खाद्य ग्रेड पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) और थर्माप्लास्टिक इलास्टोमर्स (टीपीई) से बने होते हैं.

-मेडेला फ्लेक्स ब्रेस्ट पंप का यूज करके आप काफी समय बचा सकती हैं. इसमें 15-20 मिनट का समय लगता है और आप अपना कीमती समय अपने बच्चे, परिवार और खुद को दे सकती हैं.

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गरमियों में पहनें कटरीना कैफ की ये 4 स्टाइलिश साड़ियां

बौलीवुड एक्ट्रेस कटरीना कैफ अपनी फिल्म भारत के प्रमोशन में बिजी थीं. इस दौरान वो अलग-अलग खूबसूरत साड़ियों में नजर आई. कटरीना का ये लुक उनके फैंस को काफी लुभा रहा था. लेकिन सिर्फ कटरीना ही क्यों आप भी ऐसी साड़िया पहनकर खुद को एक नया लुक दे सकती हैं. जी हां, आज हम आपको कटरीना की इन 4 ट्रैंडी और कम्फरटेबल साड़ियों के बारे में बताएंगें. जिन्हें आप गरमी में किसी इवेंट में या औफिस में आसानी से पहन सकती हैं.

  1. कटरीना की ब्लैक फ्लावर प्रिंट सेक्सी साड़ी करें ट्राई

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ब्लैक कलर की फ्लावर प्रिंट साड़ी में कटरीना एलीगेंट के साथ-साथ सेक्सी नजर आ रही थीं. इस साड़ी फैशन को आप चाहें तो किसी सिंपल फैमिली गैदरिंग में ट्राई कर सकती हैं.

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  1. वेडिंग सीजन में ट्राई करें कटरीना की पिंक साड़ी कौम्बिनेशन

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अगर आप वेडिंग सीजन में स्टाइलिश के साथ-साथ सेक्सी दिखना चाहती हैं तो यह साड़ी आपके लिए परफेक्ट होगी. पिंक कलर के साथ फ्लावर प्रिंट कौम्बिनेशन आपके लुक को चार चांद लगा देगा.

  1. गरमी में सिंपल औरेज कलर की साड़ी को बनाएं ट्रैंडी

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अगर आप सिंपल लेकिन ट्रैंडी दिखना चाहती हैं तो यह साड़ी आपके लिए परफेक्ट है. साथ ही गोल्डन लौंग इयरिंग्स के साथ यह आपको ट्रैंडी के साथ-साथ स्टाइलिश भी दिखाएगा.

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  1. येलो कलर है वेडिंग सीजन के लिए परफेक्ट

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अगर आप किसी हल्दी की रस्म में कुछ सिंपल लेकिन ट्रैंडी ट्राई करना चाहती हैं तो यह साड़ी आपके लिए परफेक्ट होगी. साथ ही आप सिंपल और सेक्सी नजर आएंगी.

Summer special: डेजर्ट में बनाएं केसर फिरनी

फिरनी जितना मजेदार स्वाद देता है उतना ही आसान इसे बनाना होता है. फिरनी यानी पिसे हुये चावलों की खीर जिसमें आप अपने मनपसन्द सूखे मेवे डाल सकते है. और फिर उसमें केसर मिला दिया जाए तो क्या कहने. तो चलिए आज केसर फिरनी बनाना सीखते हैं.

हमें चाहिए

500 ग्राम दूध

50 ग्राम चीनी

75 ग्राम चावल का आटा

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थोड़ा सा केसर

8 छोटी इलायची

25 ग्राम पिस्ता

25 ग्राम बादाम

बनाने का तरीका

दूध को तब तक उबालें जब तक कि वह आधा न रह जाए. इसमें चावल का आटा मिला कर अच्छी तरह चलाएं, ताकि गांठ न पड़ने पाए. अब चीनी मिला कर थोड़ी देर पकाएं ताकि चीनी ठीक से घुल जाए.

थोड़े से गर्म दूध में केसर घोल लें और मिश्रण में मिला दें. फिरनी को मिट्टी के सकोरों में निकाल लें. पिस्ते और बादाम से सजा कर ठंडा होने के लिए रेफ्रिजरेटर में रख दें. ठंडा-ठंडा सर्व करें.

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सेहत वाले अचार

चावल, दाल, रोटी या परांठा, पूरीकचौरी हो या खिचड़ी, अचार हमारे खाने को और भी स्वादिष्ठ बना देता है. आमतौर पर जो पारंपरिक अचार हम खाते हैं उन में मिर्चमसाले और तेल बहुत होता है जो स्वाद  तो बढ़ा देता हे मगर सेहत को नुकसान भी पहुंचाता है. पर कुछ अचार सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाते हैं, बल्कि इन के अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं.

सब्जियों के अचार

अचार का मतलब सिर्फ आम, मिर्च, अमला या कुछ अन्य फलों या सब्जियों के मसालेदार तेल में डूबा अचार नहीं होता है. जैसा कि आमतौर पर पारंपरिक अचार में होता है. सब्जियों के अचार जैसे बंदगोभी, गाजर, खीरा, बीट्स, मूली, शलगम, फूलगोभी, स्वीट ओनियन, बींस, शिमला मिर्च आदि के फर्मेटेड अचार बहुत अच्छे होते हैं. हालांकि इन्हें गरम करने पर इन का विटामिन सी कुछ हद तक नष्ट हो जाता है, मगर विटामिन बी का फायदा हमें फिर भी मिलता है. इस के साथसाथ सब्जियों में मौजूद विटामिन ए, के और फाइबर सुरक्षित रहते हैं. फर्मेटेशन से अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है और खराब बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है. इस प्रक्रिया में प्रोबायोटिक बनता है जिस में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं.

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ऐसे फर्मेटेड सब्जियों के अचार सिर्फ ब्राइन (नमकीन पानी) या विनेगर से बनते हैं जिन में सब्जी के अतिरिक्त उपरोक्त विटामिंस और प्रोबायोटिक्स भी मिलते हैं. स्वाद के लिए कुछ अन्य मसाले, सोया के बीज, सरसों, लहसुन, काली मिर्च, तेजपत्ता आदि इस में मिलाए जाते हैं.

इन के लाभ

खाने में सब्जी का होना:

ये सिर्फ अचार न हो कर खाने में सब्जी की मात्रा बढ़ाते हैं. इस अचार की थोड़ी मात्रा 1/4 कप सब्जी खाने के बराबर है.

क्रैंप में लाभ:

फर्मेन्टेड अचार का जूस डिहाईड्रेशन और मांसपेशियों के क्रैंप में बहुत लाभ देता है.

एंटिऔक्साइड:

2014 में जापान में चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि अचार के प्रोबायोटिक्स स्पाइनल कैंसर के इलाज में मददगार हैं. वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि निकट भविष्य में यह मनुष्य को भी लाभ दे सकेगा.

रोग में लाभ

देखा गया है कि फर्मेटेड फूड या अचार खून में शुगर स्पाइक को रोकने में सहायक होता है जिस से शुगर लैवल मैंटेन करने में मदद मिलती है. इस के अतिरिक्त अचार के बैक्टीरिया और प्रोबायोटिक्स पाचन, त्वचा, हड्डी, आंखों, स्ट्रोक और हृदय के रोग में भी लाभदायक हैं.

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थके पैरों को आराम:

फर्मेटेड पिकल्स जूस थके पैरों या रैस्टलैस पैरों को आराम देता है.

सब्जियों के गैरपारंपरिक उपरोक्त अचार से आमतौर पर आप को पौष्टिक तत्व मिलते हैं:

– रोजाना जरूरत का करीब 23% विटामिन के मिलता है जो ब्लड क्लौटिंग और हड्डी के लिए अच्छा है.

– रोजाना जरूरत का करीब 24% विटामिन ए मिलता है जो आंख, इम्यून सिस्टम और प्रैगनैंसी में लाभदायक है.

– रोजाना जरूरत का करीब 7% कैल्सियम मिलता है जो दांत और हड्डी के लिए अच्छा है.

– रोजाना जरूरत का करीब 4% विटामिन सी मिलता है जो ऐंटीऔक्सीडैंट है.

– रोजाना जरूरत का करीब 3% पोटैशियम मिलता है जो ब्लड प्रैशर, स्ट्रैस और किडनी के लिए अच्छा है. अचार में सोडियम की मात्रा अधिक होने से ब्लड प्रैशर बढ़ता है इसलिए हृदय,डायबिटीज और किडनी रोगियों के लिए यह हानिकारक है. प्रोसैस्ड पिकल्स के सेवन से गैस बनती है.

1 जून से बदले पुराने नियम, राशन कार्ड और एलपीजी समेत इन 6 चीजों में होगा बदलाव

कोरोनावायरस के चलते भारत में लॉकडाउन का चौथा चरण भी 31 मई को खत्म हो गया है, जिसके बाद एक जून से रेलवे, रसोई गैस, राशन कार्ड समेत कई सेवाएं से जुडे नियम बदलने जा रहे हैं. जहां धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कईं छूट दी हैं तो वहीं इसके लिए कुछ सेवाओं में बदलाव का फैसला भी लिया है. आइए आपको बताते हैं कि 1 जून से किन नियमों में बदलाव होने जा रहा है…

1. वन राशन कार्ड की स्कीम होगी शुरू

भारत में एक जून से यानी आज से वन नेशन वन राशन कार्ड की सरकारी स्कीम की शुरुआत हो जाएगी. इस योजना के चलते देशभर में एक राशन कार्ड लागू होगा, जिसमें किसी भी प्रदेश में सरकारी अनाज और राशन ले सकते हैं. वहीं इसका लाभ गरीब वर्ग और प्रवासी मजदूरों को होगा. यह योजना देशभर के 20 राज्यों में लागू होगी.

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2. रसोई घर सिलेंडर के दामों में होगा बदलाव

हर महीने की एक तारीख को गैस सिलेंडर के दाम में बदलाव होता है. इसी के साथ एक जून से एलपीजी सिलेंडर के दाम में बदलाव करते हुए एक बार फिर से एलपीजी सिलेंडर के दामों में बदलाव किया जाएगा.

3. पेट्रोल-डीजल के दामों में होगी बढ़ोत्तरी

एक जून से कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी होगी. कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल के दाम पर वैट बढ़ाने का फैसला लिया है, जिसके चलते वैट बढ़ने से तेल के दाम बढ़ जाएंगे.

4. भारतीय रेलवे का नया फैसला

देश के विभिन्न इलाकों में मजदूर और प्रवासी फंसे लोगों को अपने घर पहुंचाने के लिए एक जून से रेलवे  200 नई यात्री मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत कर रही है, जिसके बाद अब देश में कुल 230 ट्रेनें चलेंगी. वहीं ट्रेनों के चालन के लिए टाइम टेबल भी जारी की गई है. किस स्टेशन से कितनी ट्रेनें और कौन-कौन सी ट्रेनें कितने बजे चलेंगी. साथ ही तत्काल टिकट और एडवांस रिजर्वेशन को लेकर भी नए नियम जारी कर दिए गए हैं.

5. यूपी रोडवेज की बसें चलेंगी

एक जून से यूपी रोडवेज की बसें चलने लगेंगी. इस दौरान चलने वाली बसों में यात्रियों की संख्या सीमित होगी. साथ ही बस चालकों को निर्धारित गाइडलाइंस का पालन भी करना होगा.

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6. गो एयर शुरू करेगी हवाई उड़ान

एयरलाइंस कंपनी गो एयर एक जून से अपनी सेवा दोबारा शुरू कर रही है. जहां सरकार 25 मई से देशभर में उड़ान सेवाएं शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद गो एयर को छोड़कर करीब सभी एसरलाइंस ने अपनी सेवाएं शुरू कर दी है.

बता दें, देश में दिन पर दिन कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था पर भी इस लॉकडाउन का असर हुआ है, जिसके चलते कईं लोगों की नौकरियां चली गई है.

 

कहानी में समस्या ही खलनायिकी है – गुलशन ग्रोवर

हिंदी सिनेमा जगत में बैडमैन के नाम से चर्चित एक्टर गुलशन ग्रोवर किसी परिचय के मोहताज नहीं. उन्होंने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड में भी अच्छा नाम कमाया है. इतना ही नहीं उन्होंने इरानियन, मलयेशियन और कनेडियन फिल्मों में भी काम किया है.

बचपन से अभिनय का शौक रखने वाले गुलशन ग्रोवर ने पढाई ख़त्म करने के बाद कैरियर की शुरुआत थिएटर और स्टेज शो से किया. इसके बाद वे मुंबई आकर एक्टिंग क्लासेस ज्वाइन किये और अभिनय की तरफ मुड़े. उन्होंने हमेशा विलेन की भूमिका निभाई और अच्छा नाम कमाया. उनका फ़िल्मी सफ़र जितना सफल था उतना उनका पारिवारिक जीवन नहीं. काम के दौरान उन्होंने शादी की और एक बेटे संजय ग्रोवर के पिता बने.  उनका रिश्ता पत्नी के साथ अधिक दिनों तक नहीं चल पाया और तलाक हो गया. उन्होंने सिंगल फादर बन अपने बेटे की परवरिश की है. 400 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम कर गुलशन ग्रोवर इन दिनों लॉकडाउन में अपने दोस्तों के साथ बातें कर समय बिता रहे है. उन्होंने गृहशोभा मैगजीन के लिए खास बात की आइये जानते है, कैसा रहा उनका फ़िल्मी सफ़र,

सवाल-लॉक डाउन में आप क्या कर समय बिता रहे है?

लॉक डाउन के इस समय को बहुत पॉजिटिवली इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा हूं. बहुत सारी किताबें जो नहीं पढ़ी, बहुत सारी फिल्में जो नहीं देखी, बहुत सारे काम जो समय की कमी की वजह से नहीं कर पाए जैसे व्यायाम करना, परिवार के लोगों के साथ समय बिताना, ज्ञानी लोगों के साथ बातचीत करना, किसी विषय पर चर्चा करना आदि है. इसमें महेश भट्ट, अक्षय कुमार, मनीषा कोईराला, मेरा क्लास मेट जस्टिस अर्जुन सीकरी, गौतम सिंहानिया, नवाज सिंहानिया, अनिल कपूर, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ आदि सभी से उनके सम्बंधित विषयों पर बातचीत कर इस लॉक डाउन के प्रभाव और उसके बाद की स्थिति को जानने की कोशिश करता हूं.

 

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#BADMAN will be back soon on silver screen in #Sooryavanshi

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सवाल-लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री कैसे रन करेगी इस बारें में आपकी सोच क्या है?

लॉक डाउन कोरोना संक्रमण के समस्या का समाधान नहीं, रोग फैले नहीं इसपर लगाम लगाने की एक कोशिश है, नहीं तो पूरे विश्व का इंफ्रास्ट्रक्चर फेल हो जायेगा और त्राहि-त्राहि मच जाएगी. इसके बाद इंडस्ट्री में काम शुरू होना संभव नहीं होगा, मुझे इस बात का डर है, क्योंकि दो अलग विचारधारायें इस विषय पर चल रही है, जिसमें अर्थव्यवस्था संकट सबसे बड़ी होगी. लॉक डाउन हटने के बाद बिमारी बढ़ने के चांसेस अधिक होगी, ऐसे में लोगों को समझना पड़ेगा कि लॉक डाउन में ढील के बाद वे घर से बाहर न निकले, क्योंकि इससे वे परिवार और खुद को खतरे में डाल सकते है. फिल्म इंडस्ट्री काफी समय तक शुरू नहीं हो पायेगी, क्योंकि हमारा कोई भी काम 100-150 लोगों के बिना नहीं हो सकता. शूटिंग नहीं हो पायेगी, क्योंकि ड्रेस मैन, हेयर ड्रेसर, मेकअप मैन आदि सब कलाकारों के काफी नजदीक होते है, ऐसे में काम पर आने वाले लोग स्वस्थ है कि नहीं ये जांचना बहुत मुश्किल होगा. डर-डर के शुरू होगा, पर पहले की तरह काम होने में देर होगी. मैंने सुना है कि कुछ कलाकार अभी से वैक्सीन लगाये बगैर काम पर नहीं आने की बात सोच रहे है, जिसमें सलमान खान, ऋतिक रोशन आदि है. ये अच्छी बात है, क्योंकि खुद की और दूसरों की सेहत का ख्याल रखने की आज सबको जरुरत है. समस्या सभी को होने वाली है. चरित्र एक्टर से लेकर, लाइट मैन, स्पॉट बॉय सभी के काम बंद हो चुके है. एक निर्माता को भी समस्या है, जिसने पैसे लेकर फिल्म बनायीं और उसे रिलीज नहीं कर पा रहा है. इसका उत्तर किसी के पास नहीं है. हम सब भी इसमें शामिल है, जिन्हें जमा की हुई राशि से पैसे निकालकर खर्च करने पड़ रहे है.

सवाल-आपकी 40 साल की जर्नी से आप कितने संतुष्ट है, कोई रिग्रेट रह गया है क्या?

मेरे लिए था शब्द का प्रयोग मैं नहीं कर सकता, क्योंकि अभी भी मैं जबरदस्त काम कर रहा हूं. इस समय मैं 4 बड़ी फिल्म में खलनायक की भूमिका कर रहा हूं. फिल्म सूर्यवंशी, सड़क 2, मुंबई सागा, इंडियन 2 इन सबमें मैं काम कर रहा हूं. मैं पहले की तरह उत्साहित, खुश और व्यस्त हूं. ये दुःख की घड़ी जल्दी निकल जाए, इसकी कामना करता हूं, कोई रिग्रेट नहीं है.

सवाल-आपकी इमेज बैडमैन की है, जिसकी वजह से रियल लाइफ में भी लोग आपसे डरते है, क्या किसी भी देश या शहर में आपने इसे फेस किया?

(हँसते हुए) कैरियर के शुरुआत में हर घड़ी लगातार मैंने इसे फेस किया है, क्योंकि तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं थी.फिल्म देखने के बाद लोग फ़िल्मी मैगजीन से ही कलाकारों के बारें में पढ़ते थे. जब से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों के घर तक पहुंचा और उन्होंने हमारे दिनचर्या को देखा, हमारे पार्टी में जाने और सबसे मिलने की तस्वीरें देखी तो लोग हमारी असल जिंदगी से परिचित हुए. हमारे व्यक्तित्व के बारें में उनकी धारणा बदली है, लेकिन वह भी बहुत अधिक नहीं बदला है. ब्रांड का डर हमेशा बना ही रहता है. मुझे याद आता है कि मैं अमेरिका और कनाडा में शाहरुख़ खान के साथ एक शो करने गया था. कनाडा में लड़कियां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कलाकारों से बहुत प्रेरित होती है. शाहरुख़ खान के कमरे में लड़कियां अकेले लगातार जाती आती रही और सामने की तरफ मेरा कमरा था, जैसे ही उन्हें पता चला कि गुलशन ग्रोवर का कमरा है तो लड़कियां ऑटोग्राफ या पिक्चर लेने के लिए अपने भाई, कजिन, पेरेंट्स, होटल की सिक्यूरिटी, बॉयफ्रेंड आदि के साथ आती थी, जबकि शाहरुख़ खान के साथ अकेले खूब गपशप करती थी. इसके अलावा शुरू-शुरू में जब मैं डिनर होस्ट करता था तो कई हीरोइनों की सहेलियां उन्हें अपने माँ को साथ ले जाने की सलाह देती थी. कुछ एक्ट्रेसेस के रिश्तेदार भी मेरे यहाँ पार्टी में आने से मना करते थे.

सवाल-आपका व्यक्तित्व उम्दा होने के बावजूद क्या आपने कभी हीरो बनने की कोशिश नहीं की?

मुझे पहले ही समझ में आ गया था कि हीरो की सेल्फ लाइफ थोड़ी छोटी होती है. खलनायक की भूमिका में उम्र की कोई समस्या नहीं है. किस तरह के आप दिख रहे है, उसकी समस्या नहीं है. केवल काम अच्छा होना चाहिए. जब आप पर्दे पर आये तो उस भूमिका में जंच जाए. लम्बी सेल्फ लाइफ होने के साथ साथ भूमिका भी चुनौतीपूर्ण होती है. अधिक काम करना पड़ता है और मज़ा भी आता है.

सवाल-पहले की फिल्मों मेंलार्जर देन लाइफवाली कहानी होती थी, जिसमें हीरो, हेरोइन और विलेन हुआ करता था, अब ये कम हो चुका इसकी वजह क्या मानते है?

जो समाज में हो रहा होता है कहानी वैसी ही लिखी जाती है, समाज में उस तरह के स्मगलर, डॉन, सोने के स्मगलर के दौर चले गए. अब खलनायक कोई व्यवसायी, नेता, या भला आदमी हो गया है. जिसे बाद में कहानी में पता चलता है. खलनायक का शारीरिक रूप बदल गया है, अब खलनायक कभी ऊँची नीची जाति, कभी अमीर गरीब, दो लड़की से प्यार, किससे शादी करें या न करें आदि कई विषयों पर केन्द्रित हो गया है. कहानी में समस्या ही खलनायिकी है. अभी फिर से खलनायिकी का दौर शुरू हो चुका है.

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सवाल-क्या मेसेज देना चाहते है?

इस कठिन घड़ी में जब पूरे देश में लॉक डाउन है और इस समय डॉक्टर, नर्सेज, पुलिस और सफाईकर्मी कर्मी दिनरात मेहनत कर हमारी सुरक्षा में लगे है. वे अपने जिंदगी की परवाह किये बिना काम कर रहे है. जब वे अपने घर जाते है तो डरते है कि उनकी वजह से उनके परिवार संक्रमित न हो जाय. फिर भी वे काम कर रहे है. मेरे दिल में उनके लिए बहुत सम्मान है. मैं गृहशोभा के माध्यम से ये कहना चाहता हूं कि ऐसे सभी लोग जो एस्सेंसियल सर्विस में है. सरकार उनके वेतन डबल कर देने के बारें में सोचें,  जैसा कनाडा के प्राइम मिनिस्टर ने अपने देश के लिए किया है.

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