#coronavirus: बहुत कुछ सिखा रहा है कोरोना कर्फ्यू

पिछले कुछ दिनों से हम सब घर में कैद से हो कर रह गए हैं. स्कूल ,कॉलेज ,ऑफिस, बाजार, मॉल ,मेट्रो ,ऑटो रिक्शा, टैक्सी सब कुछ बंद है. पर याद रखें, कर्फ्यू हमारे ऊपर है हमारे दिमाग, हमारी सोच और काम करने के जज्बे पर नहीं है. वैसे भी कोरोना कर्फ्यू हमें बहुत कुछ सिखा रहा है .बस जरूरत है इन सीखों को समझने की,

1. सफाई की अहमियत

कोरोना वायरस के खौफ ने लोगों को सफाई की अहमियत सिखा दी है. आज हर शख्स बाहर से आते ही कपड़े बदलता है, हाथ मुंह धोता है, घर की साफसफाई रखता है ,कोई भी सामान बिना धोए यूज नहीं कर रहा. सफाई से जुड़ी ये छोटीछोटी बातें एक्चुअली हमें हमेशा ही ध्यान में रखनी चाहिए. क्यों कि हर तरह की बीमारियों से बचे रहने की पहली शर्त साफसफाई ही होती है.

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2. जिंदगी बचाने के लिए मंदिर नहीं विज्ञान पर विश्वास करो

इस बीमारी ने लोगों को अच्छी तरह अहसास दिला दिया है कि जिंदगी बचाने के लिए पंडितों और मौलवियों के चरणों में लोटने, चढ़ावे चढ़ाने या मंदिर और मस्जिदों के चक्कर लगाने का कोई फायदा नहीं है . धर्मगुरुओं को तो खुद अपनी जिंदगी बचाने के लाले पड़ रहे हैं. कोरोना की इस लड़ाई में क्या किसी पंडित या मौलवी ने सामने आ कर यह कहा कि बच्चों मेरे दर पर भीड़ लगाओ.  मेरे भस्म से सब ठीक हो जाएगा.

3. रिश्तों की अहमियत

काम और पढ़ाई की भागदौड़ में हम अपनों के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते. उन की भावनाओं को महसूस नहीं कर पाते. मगर अभी वक्त है अपने रिश्तो में प्रगाढ़ता लाएं . उन्हें नए नजरिए से देखें. दिलों को जोड़े. कोरोना खौफ के बीच शायद आप समझ गए होंगे कि जिंदगी में अपने कितने महत्वपूर्ण होते हैं.

4. खुद को तलाशें

फिलहाल भले ही हमारे आगे केवल हमारा घर, परिवार और तन्हाई है . पर याद रखें हमारे पास वक्त भी है. हमें खुद को समझने का अच्छा मौका मिल रहा है. अपनी उन दबी इच्छाओं को पूरा करने का मौका मिल रहा है जिन्हें हम जिंदगी की भागदौड़ के बीच चाहकर भी पूरा नहीं कर पाते हैं . तो फिर आइए कोरोना कर्फ्यू के इस समय को बर्बाद करने और बोर होने के बजाय कुछ नया सीखे, कुछ नया करें.  हो सकता है आप को अपनों से ही बहुत कुछ सीखने को मिल जाए या फिर आप अपने दबे हुए टैलेंट और हौबीज को नए आयाम दे सके.

5. जिंदगी ना मिलेगी दोबारा

कोरोना वायरस के चंगुल में फंसे बीमार, छटपटाते लोगों को देख कर कहीं न कहीं आप को अपने स्वस्थ शरीर की अहमियत का अहसास जरूर हुआ होगा. जो लोग जराजरा सी बात पर खुद को और दूसरों को मारने पर उतारू हो जाते हैं जरा उन्हें बिना मास्क और सैनिटाइजर के किसी कोरोना मरीज के करीब रहने या हाथ मिलाने को कहें. वे डर कर पीछे हट जाएंगे. क्यों कि कोई भी ऐसा नहीं जिसे अपनी जिंदगी से प्यार नहीं . मौत को इतने करीब देख कर सब के छक्के छूट जाते हैं. बेहतर होगा कि फिर से एक बार अपनी जिंदगी की खूबसूरती को महसूस करें.

6. काम से प्यार

हम में से ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें रोज ऑफिस जाना और काम करना बहुत बोझ लगता है. मगर आज उन्हीं लोगों से पूछ कर देखें तो उन का जवाब होगा कि बिना काम जिंदगी में कुछ रखा ही नहीं.  इतनी बोरियत और इतना खालीपन है. दरअसल जब इंसान अपना काम करता है तभी वह जिंदगी को वास्तविक रूप से महसूस कर पाता है. इसलिए आज के बाद हमेशा अपने काम से प्यार कीजिए.

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7. कुदरत से जंग उचित नहीं

कुदरत ने दुनिया बनाते हुए तमाम चीजें बनाई, पेड़पौधे, पशुपक्षी, इंसान, हवापानी, मिट्टी जल, फलफूल ,रातदिन .  क्या कुछ नहीं दिया कुदरत ने हमें. मगर इंसानों ने अपनी शक्ति और बुद्धि के घमंड में प्रकृति को ही चुनौती दे डाली. नतीजा हमारे सामने है . कोरोना वायरस ने हमें सिखाया है कि प्रकृति के संतुलन को बिगाड़े नहीं तभी हमारी जिंदगी सुरक्षित रहेगी.

#coronavirus: कोरोना की नज़रबंदी कही बन ना जाये पारिवारिक तनाव

पुणे के गुप्ता परिवार को कोरोना के घर नजरबंद हुए एक हफ्ते से भी अधिक हो गया था.शुरू शुरू में तो ललिता और विरल को बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि विवाह के दो वर्ष  बाद ये पहला मौका था जब उन्हें एकसाथ इतना समय मिल रहा था. परन्तु चार दिनों  के बाद ही दोनो में नोंकझोंक होने लगी.विरल को जहाँ ललिता की हर बात पर रोकटोक करना अखरने लगा था वहीं ललिता को विरल का सारा दिन बस बिस्तर पर पसरे रहना पसंद नही आता था.

बात दोनो से शुरू होती थी और फिर परिवार तक चली जाती थी.

छोटी छोटी बातों के मुद्दे बनने लगे थे.पहले अगर कुछ ऐसी बहस होती थी तो दोनो इधर उधर चले जाते थे .अब दोनो के पास कोई विकल्प नही था.रही सही कसर तब पूरी हो गई जब विरल ने ललिता को फोन पर अपनी मम्मी से घर की एक एक बात को शेयर करते हुये सुना.

ललिता के अनुसार घर मे बैठे बैठे वो इतनी घुट चुकी है तो अगर अपना तनाव अपनी मम्मी के साथ बाँट रही है तो क्या बुरा हैं?

ललिता के शब्दों में”विरल का तो वर्क फ्रॉम होम चल रहा हैं पर मेरा तो काम दुगना हो गया हैं”

“विरल तो ऑफिस के काम के बहाने से घर पर बिल्कुल भी मदद नही करता हैं.जब देखो या तो लैपटॉप या मोबाइल से चिपका रहता हैं और मुझे देखते ही फौरन चौकन्ना सा हो जाता हैं”

ललिता को अब ऐसा लगने लगा हैं कि विरल का कहीं और चक्कर भी चल रहा हैं.

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दोनो उस छोटे से फ़्लैट के अलग अलग कोनो में बैठे हुये हैं और अपनी रिहाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं.डर बस इस बात का हैं कि कही कोरोना की नज़रबंदी उनकी शादी में हमेशा के लिए खटास ना ला दे.

वही दूसरी ओर अजय भी शायद जीवन मे पहली बार अपने परिवार के साथ इतना वक़्त बिता रहा था.अजय की मोटर के स्पेयर पार्ट्स की एक छोटी सी फैक्ट्री नोएडा के बाहरी इलाके में स्थित थी.बच्चो का बचपन अजय कभी नही देख पाया था, इसलिये उसे लगा कि वो बच्चो के साथ क्वालिटी स्पेंड करेगा.परन्तु अजय ने महसूस किया कि ना केवल बच्चे बल्कि बीवी का एक अलग टापू हैं जिसमे वो चाह कर भी  जा  नही पा रहा हैं.

अजय के ही शब्दों में”तीनों आपस मे खुसरफुसुर करते रहते हैं या किसी भी बात पर हँसते रहते हैं पर जैसे ही मैं जाता  हूँ तो एक सन्नाटा खींच जाता हैं”

अकेलेपन से ज़्यादा खलता हैं अपनों के बीच रहते हुये अकेलनपन और इसको भरने के लिये अजय ने फेसबुक पर अपनी भूलीबिसरी गर्लफ्रैंड को खोजना आरम्भ कर दिया था.

अगर लॉक डाउन की अवधि ऐसे ही बढ़ती रही तो कोरोना वायरस ना केवल देश की इकॉनमी के लिये बल्कि रिश्तों के लिये भी बेहद घातक सिद्ध हो सकता हैं.

परन्तु इस ख़तरनाक वायरस से बचने का घर पर रहने के अलावा और कोई उपाय भी नही हैं .परन्तु ऐसी स्थिति में आप तनावग्रस्त ना हो, इसको सकारात्मक रूप से ले.

कुछ छोटे छोटे टिप्स अपनाकर आप घर में नजरबंद रहकर भी आजाद  रह सकते हैं.

1.मेडिटेशन करे

ये जरूर करे, चाहे बस रोज़ पांच मिनट ही करे.धीरे धीरे आप अवधि को बढ़ा सकते हैं.अगर आप दिन की शुरुआत मेडिटेशन से करेंगे तो पूरे दिन चिड़चिड़ाहट नही होगी और दिन भी अच्छा गुजरेगा.

2.हॉबी टाइम

ये ही सही समय हैं,जब आप अपनी किसी भी पुरानी हॉबी को दूबारा से जीवित कर सकते हैं.आपको कुछ नया भी सीखने को मिलेगा साथ ही साथ मज़ा भी आएगा.

3.जिये और जीने दे

थोड़ा सा ख़ुद भी सांस ले और परिवार को भी लेने दे.ऐसा हो सकता हैं और हो भी रहा होगा कि आपको अपने परिवार के हर सदस्य का नया चेहरा देखने को मिल रहा होगा.सदस्यों की हर बात  पर रिएक्शन ना दे.इस समय अपने ऊपर काम करे.

4.करे नए कौशल का विकास

ये सही समय हैं कि इस लॉक डाउन के समय  आप यू ट्यूब की मदद से  किसी भी नए कौशल का विकास कर सकते हैं जो आपके लिये समय काटने का अच्छा जरिया बन सकता हैं.

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5.करे खुद को पैम्पर

दिन भर काम मे ही ना जुटी रहे, आपने आप को पैम्पर अवश्य करे.सोमवार को अगर बालो में हेयर पैक लगाए तो मंगलवार को फेस पैक का उपयोग कीजिये, बुधवार को मैनीक्योर कीजिये तो गुरुवार को पेडीक्योर.ये सारे कार्य अपनी रसोई में उपलब्ध सामग्री से कर सकती हैं.

इस समय या तो  आप  खुद से खुद की पहचान करा सकते हैं या फिर एक दूसरे में मीन मेख निकाल कर घुटन महसूस करते रहे.

#lockdown: टेस्टी और हेल्दी इंडियन स्वीट है शकरपारा

पारंपरिक मिठाइयों में शकरपारा पहले लंबे तिकौने आकार का बनता था, पर अब छोटे-छोटे चौकोर आकार में भी बनने लगा है. शकरपारे को मीठा करने के लिए पहले चीनी की चाशनी तैयार की जाती है. चीनी को ही देहाती बोली में शक्कर कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह मिठाई जल्दी खराब नहीं होती है. इस वजह से गांव के बाजारों में यह मिठाई खूब बिकती है. साथ ही, यह दूसरी मिठाइयों से सस्ती होती है. शक्कर और मैदा से बनने के चलते इस में मिलावट का खतरा नहीं होता है. इस को बनाना आसान होता है. ऐसे में इस को बना कर बेचना और भी आसान है.

हमें चाहिए…

200 ग्राम मैदा

एक कटोरी चीनी

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50 ग्राम घी

4-5 इलायची का पाउडर

तलने के लिए डेढ़ कप तेल

बनाने का तरीका

-सबसे पहले एक बड़े बाउल या परात में मैदा डालें और इसमें घी का मोयन डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें. हथेलियों के बीच में आटे को अच्छी तरह रगड़ कर मिलाएं.

– फिर इसमें थोड़ा-थोड़ा करके पानी डालते जाएं आटा सानते जाएं. आटा न तो ज्यादा सख्त होना चाहिए नहीं ज्यादा मुलायम. शक्करपारे के लिए पूरी बनाने जैसा आटा गूंदना/सानना चाहिए.

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– आटा गूंदने के बाद इसे ढककर 10-15 मिनट के रख दें. तय समय बाद आटे को फिर से अच्छे से गूंद लें और दो लोइयों में बांट लें. कड़ाही में तेल डालकर मीडियम आंच में गरम होने के लिए रख दें.

– फिर एक लोई को बेलन से मोटी रोटी के आकार में बेल लीजिए. इस रोटी को चाकू के सहारे मनचाहे शेप के टुकड़े काट लीजिए. इसी तरह दूसरी लोई से छोटे-छोटे टुकड़े काट लें.

– अब एक टुकड़ा कड़ाही में डालकर चेक कर लें कि यह गरम हुआ है या नहीं. अगर टुकड़ा तेल में तुरंत ऊपर की ओर आ जाता है तो इसका मतलब तेल गरम हो चुका है.

– इसके बाद कड़ाही के तेल में थोड़ा-थोड़ा करे मैदे के टुकड़े डालकर चलाते हुए तलें. ध्यान रखें इस दौरान आंच धीमी कर दें. अगर तेज आंच में शक्करपारे तलेंगे तो यह ऊपर से जल जाएंगे लेकिन अंदर से कच्चे रहेंगे.

– अब पैन में चीनी और आधा कप पानी डालकर मीडियम आंच पर चाशनी बनाने के लिए रखें.

– जब तक चाशनी बन रही है बाकि के शक्करपारे भी तल लें. चाशनी को बीच-बीच में चलाते रहें. इसमें इलायची पाउडर डालें.

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– 8-10मिनट बाद चाशनी की एक बूंद एक चम्मच में लेकर उंगली अंगूठे के बीच रखकर देखें. अगर यह इसमें मोटी तार बन रही है तो समझिए चाशनी तैयार है.

– अब चाशनी में शक्करपारे डालकर अच्छे से मिलाते जाइए. 1-2 मिनट बाद आंच बंद कर दें और शक्करपारे और चाशनी को चलाते रहें.

– पैन को स्टोव से हटा लें और इसे अच्छी तरह से चलाते हुए ठंडा कर लें. आप पाएंगे कि एक समय के बाद चाशनी ठंडी हो जाएगी शक्करपारों पर इसकी कोटिंग चढ़ जाएगी.

– शक्करपारे रेडी हैं. ठंडा होने के बाद खाएं और खिलाएं.

लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-8)

पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-7)

‘‘दादू, अब रुक जाओ. यह दोनों विदेशी आर्डर चले जाएं तब दोनों चलेंगे. कुछ नए पेड़पौधे और लगवाने हैं. मैं ‘ब्रह्मकमल लगवाना चाहती हूं.’ ’’

‘‘दोनों साथ आफिस छोड़ कैसे जा सकते हैं बेबी.’’

‘‘8-10 दिन में कुछ नहीं होगा. सभी तो पुराने स्टाफ है.’’

‘‘ठीक है हाथ का काम समाप्त हो तब चलेंगे. हां एक कहावत है ‘‘दुश्मन को कभी दुरबल मान कर मत चलना’’ इसे हमेशा याद रखना.

‘‘दादू, मैं सतर्क हूं.’’

‘‘बेटा एक प्रश्न मुझे बेचैन कर रहा है. जवाब दोगी?’’

‘‘पूछो दादू.’’

‘‘उस दिन तू ने कहा था कि सुकुमार को अपने जीवन से निकाल फेंकने का एक कारण है जो तू बता नहीं सकती. मैं समझता हूं कि वो कारण गंभीर ही होगा. प्रश्न यह है कि क्या सुकुमार को पता है कि वो कारण क्या है?’’

‘‘नहीं दादू. उसे कुछ नहीं पता तभी तो मेरे इस व्यवहार से वो इतना दुखी और आहत हुआ था.’’

‘‘सत्यानाश, अब तो बात बनने की कोई आशा नहीं.’’

‘‘भूल जाइए दादू जैसे ईश्वर मेरे हाथ में विवाह रेखा डालना भूल गए.’’

‘‘मेरी बच्ची.’’

एक हफ्ते बाद काम कर रही थी शिखा. उस का अपना मोबाइल बजा. आजकल यह बहुत कम बजता है. सहेलियों की शादी हो गई तो कुछ देश में कुछ विदेशों में घरपरिवार में व्यस्त हैं, दोस्त कुछ दिल्ली में ही हैं पर नौकरी या बिजनैस में पिल रहे हैं कुछ दिल्ली या देश के बाहर भी चले गए हैं. दादू से तो बैठ कर ही बात होती है. उस दिन के बाद से दुर्गा मौसी का भी फोन नहीं आता. फिर कौन? वो भी औफिस टाइम में इतना फालतू समय है किस के पास. मोबाइल उठा कर देखते ही मिजाज खराब हो गया ‘बंटी’. सोचा काट दे पर उत्सुकता हुई अब क्या मतलब है सुन ही लिया जाए. उस की आवाज सुन हैरान हुई. इतना भी निर्लज्ज हो सकता है कोई यह पता नहीं था उसे अपने को संयत कर शांत स्वर में कहा,

‘‘जो कहना है जल्दी से कहो. मुझे काम है.’’

‘‘मैं भी खाली नहीं हूं. मुझे दो करोड़ चाहिए.’’

‘‘तो.’’

‘‘मुझे तुम से दो करोड़ चाहिए अभी के अभी.’’

‘‘अच्छा. कोई बड़ी बात नहीं. दो करोड़ है ही कितना?’’

‘‘तो मैं कब आ जाऊं लेने?’’

‘‘पहले जरा यह बताओ कि यह दो करोड़ तुम ने कब जमा किए थे मेरी कंपनी में? क्योंकि मुझे याद नहीं इसलिए जमा करने के कागज भी लेते आना.’’

‘‘बंटी ने उद्दंडता से कहा,’’

‘‘मैं ने कोई पैसा जमा नहीं किया. मुझे चाहिए बस.’’

‘‘तो क्या मैं ने तुम से उधार लिया था? मुझे वो भी याद नहीं तो उधार का कागज लेते आना.’’

वो चीखा,

‘‘मैं मजाक नहीं कर रहा?’’

‘‘मैं भी नहीं, और सुनो औफिस आने की कोशिश मत करना. गार्ड इज्जत करना नहीं जानता.’’

‘‘देखो नया काम डालना है. पैसों का जुगाड़ नहीं हुआ.’’

‘‘उधार का बाजार खुला है ब्याज पर दो क्यों दस ले लो.’’

‘‘मतलब तुम नहीं दोगी.’’

‘‘समझने में इतनी देर लगी?’’

‘‘पर समझ गया. मुझे तुम ने नहीं पहचाना अभी तक.’’

‘‘गलत. पहचान गई तभी तो…’’

‘‘ना. एक दम नहीं पहचाना मैं तुम्हारे सोच से बहुत आगे हूं.’’

‘‘ईश्वर तुम को और आगे बढ़ाए मेरी शुभकामनाएं. उस ने फोन काट दिया. ओफ: मरतेमरते भी बेटी से बदला लेने मां उस के पीछे शनिचर लगा गई. कमाल की मां है. रात को पूरी बात सुन दादू की चिंता और बढ़ी. कहा उन्होंने कुछ नहीं पर देर रात तक कमरे की बत्ती जलती रही. मोबाइल पर बारबार किसी से संपर्क करते रहे.’’

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बंटी की आरे से एक प्रयास और आया इस बार वो नहीं उस के पिता मेहताजी स्वयं आए. औफिस में रोक बंटी पर थी उस के पिता पर नहीं वो औपचारिकता निभा कर ही आए. पर शिखा ने उन के आदरसत्कार में कोई कमी नहीं होने दी. कौफी पिलाया, सम्मान से पेश आई. कौफी पीतेपीते मेहताजी बाले,

‘‘बेटा, तुम ने बंटी से रिश्ता तोड़ा इस बात को ले मांबेटे गुस्सा हैं तुम से, पर मैं उन के सामने तो बोल नहीं पाता. तुम से बोल रहा हूं तुम ने एकदम ठीक निर्णय लिया. वो नालायक तुम्हारे लायक है ही नहीं. मेरा इतना बड़ा कारोबार तफरीह और लापरवाही में बरबाद कर के रख दिया.’’

‘‘मन ही मन हंस दी शिखा,’’ यह नया जाल है पर अभी समझ नहीं पा रही कि तीर किस दिशा में चलेगा. कारोबार बरबाद करने में वो बेटे के बराबर के हिस्सेदार हैं, बोली,

‘‘पर अंकल, आप तो अनुभवी बिजनैसमैन हैं. आप के रहते…’’

‘‘मैं ने तो बहुत कोशिश की बचाने की घर तक गिरवी रख दिया, पर जड़ तो मां के सिर चढ़ाए नवाबजादे ने पहले ही खोखली कर दी थी.’’

शिखा चुप रही. वो कौफी समाप्त कर बोले,

‘‘रिश्ता टूटा तो कोई बात नहीं तुम मेरी गोद खिलाई बच्ची हो तुम्हारे पिता मेरे नजदीकी दोस्त थे.’’

एक और सफेद झूठ. पापा ऐसे लोगों को एकदम पसंद नहीं करते थे. हाईहैलो तक ही सीमित होती थी उन की वार्तालाप.

‘‘वो रिश्ता तो नहीं टूटा ना टूटेगा.’’

‘‘मेहताजी के गले में स्नेह का झरना.’’

‘‘सारे रास्ते बंद हो गए तब आया हूं तुम्हारे पास?’’

सावधान हो गई शिखा.

‘‘जी अंकल, पर इस समय, मैं एक लाख भी निकालने की स्थिति में नहीं हूं.’’

‘‘नहीं नहीं तुम गलत समझ रही हो. पैसा नहीं चाहिए मुझे. मैं जानता हूं व्यापार में फैले पैसों से थोड़ा भी निकालना कितना मुश्किल होता है. पैसा नहीं चाहिए.’’

अवाक हुई शिखा. पैसा नहीं, विवाह नहीं तो फिर क्या चाहिए? यह कौन सा नया जाल है रे बाबा. मन ही मन शंकित हो उठी वो.

‘‘तो अंकलजी फिर आप…’’

‘‘अरे घबराओ नहीं मामूली बात है तुम्हें लाभ है मुझे भी थोड़ी राहत मिलेगी. असल में मेरी एक योजना है. हां मेरी योजना से बंटी को मैं ने कोसों दूर रखा है. इस में उस की परछाई तक पड़ने नहीं दूंगा यह वादा है तुम से मेरा. एक नंबर का नालायक है वो.’’ गला सूखने लगा शिखा का.

‘‘आप की योजना क्या है?’’

‘‘बताता हूं. आजकल बड़ेबड़े पैसे वाले लोग धार्मिक स्थलों के आसपास एकांत स्थानों में रिसोर्ट या काटेज बनाना पसंद करने लगे हैं. दो एक लोगों ने बनाया तो चौगुना दामों में बिक गए. तो बेटी मैं कह रहा था तुम्हारे पास तो जोशीमठ के पास चार एकड़ की जमीन पड़ी है वहां हाऊसिंग प्रोजेक्ट क्यों नहीं चालू करतीं.’’

शिखा उन का मकसद समझ गई. मुख कठोर हो गया उस का पर दादू ने सिखाया कि बिजनैस का मूलमंत्र है धैर्य, मिजाज पर नियंत्रण रखना. मधुरता से हंसी वो, ‘‘अंकलजी, वो पापा की बड़ी मनपसंद जगह थी, मेरी भी. वहां हम ने काटेज भी बना रखा है. जाते भी हैं कभीकभी.’’

‘‘कोई बात नहीं जगह तो बहुत बड़ी है.’’

‘‘उस में फूलों की खेती हो रही है. पापा ब्रह्मकमल भी लगाना चाहते थे. फिर अंकल यही काम नहीं संभाल पा रही नए काम में अभी हाथ डालना…’’

वो व्यस्त हो उठे,

‘‘अरे नहीं बेटी, मुझे पता नहीं है क्या कि तुम्हारे ऊपर कितना बोझ है. ना बेटी तुम को उंगली भी नहीं हिलानी पड़ेगी. जमीन पैसा तुम्हारा, मालकिन भी तुम ही रहोगी बस दौड़धूप, झंझटझमेला सब मैं संभाल लूंगा मुनाफा बराबर बांट लेंगे.’’

शिखा को जोर का झटका लगा उस ने समझने के लिए थोड़ा समय लिया मेहताजी ने कुछ और समझा बोले,

‘‘मुझे पता है मेरे बच्चे कि तुम क्या सोच रही हो. जानता हूं कि मेरा बेटा कितना नालायक है. तुम चिंता मत करो मेरा वादा है तुम से कि हमारे प्रोजैक्ट में उस की परछाई तक नहीं पड़ने दूंगा. पूरा काम मैं अकेला संभालूंगा.’’

मधुर स्वर में शिखा ने कहा.

‘‘आप पर मुझे उतना ही भरोसा है जितना पापा पर था. जोशीमठ की जमीन पापा का सपना था, पापा के लिए शांतिस्थल था. वहां वो ऐसेऐसे फूल लगाना चाहते थे जो आमतौर पर नहीं पाए जाते. मैं चाहती हूं उसे ठीक वैसा ही बना दूं जैसा पापा का सपना था.’’

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एकदम बुझ गए मेहताजी.

‘‘बेटा, मैं ने सोचा था.’’

तरस आया शिखा को. कुछ भी हो पापा के हमउम्र हैं. उस ने सांत्वना दी.

‘‘कोई बात नहीं. जमीन और भी मिल जाएंगे. मैं जरा हाथ के काम निबटा लू फिर सोचती हूं. थोड़ी देर में वो उठ गए शिखा काम में लग गई.’’

#coronavirus: बुजुर्गों को कोरोना से अत्यधिक खतरा

विश्वभर में कोरोना का कहर बरपा हुआ है. मौतों का वैश्विक आंकड़ा 20,000 के पार पहुंच चुका है और भारत में कोरोना वायरस से अब तक 10 मौतें हो चुकी हैं. इस वाइरस से खतरा यों तो हर उम्र के व्यक्ति को है लेकिन बुजुर्गों को लगातार अत्यधिक सावधानी बरतने की हिदायतें दी जा रही हैं और कहा जा रहा है कि 60 से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को कोविड-19 होने का खतरा अधिक है.

वर्ल्ड हैल्थ और्गनाइजेशन के अनुसार, बुजुर्ग व वे लोग जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी जैसे डाइबिटीज, दिल की बीमारी, अस्थमा आदि हो, उन के इस वाइरस की चपेट में आने की संभावना अधिक है.

कोरोना वायरस के सामान्य लक्षण हैं श्वसन संबंधी परेशानी जैसे सांस लेने में दिक्कत, खांसी, थकान आदि. वायरस की चपेट में आए व्यक्ति को निमोनिया, सिवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, किडनी फेल हो जाना या मृत्यु तक हो सकती है.

हिमेटोलॉजिस्ट व बोनमेरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डा. राहुल भार्गव के अनुसार, “वृद्धावस्था में व्यक्ति पहले से ही किसी न किसी बीमारी से घिरा रहता है खासकर दिल की बीमारी या हाइपरटेंशन से अतः उस के बीमारी के चपेट में आने की संभावना भी अत्यधिक होती है, यही कारण है कि बुजुर्गों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक है. वृद्धावस्था में व्यक्ति की इम्यूनिटी कम होती है व इस वायरस से लड़ने के लिए उन का शरीर तैयार नहीं होता. वाइरस उन के शरीर में जाते ही अपना असर दिखाने लगता है और उन का शरीर उस से लड़ नहीं पाता जिस से उन के फेफड़ों पर अत्यधिक असर पड़ता है और आखिर में मल्टिपल और्गन फेलियर के चलते उन की मृत्यु हो जाती है.”

अब तक भारत में कोरोना वायरस से 3 फीसदी लोगों की मौत हुई है. इन 3 फीसदी लोगों में 80 फीसदी लोगों की उम्र 75 वर्ष या उस से ज्यादा थी. ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि बुजुर्ग इस वायरस से सतर्क रहें व सभी जरूरी एहतियात बरतें.

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बुजुर्ग यह सावधानियां बरतें

–     कोरोना वायरस से बचने की सामान्य चेतावनियों को बुजुर्ग बिलकुल नजरंदाज न करें. हाथों को साबुन अथवा अल्कोहल बेस्ड सेनीटाइजर से साफ करते रहें, बाहर न निकलें और न ही किसी बाहरी व्यक्ति से मिलें. खांसते या छींकते समय अपने मुंह को ढकें. इस के अलावा किसी भी तरह के सामाजिक मेलमिलाप से दूर रहें.

–     अपनी दवाइयां समय पर लें और एकसरसाइज करते रहें. चाहे आप घर से बाहर नहीं भी जा रहे तब भी अपने पर्सनल स्पेस को मैंटेन रखें. किसी से भी अत्यधिक करीब बैठ कर बातें न करें. 3 फुट या उस से ज्यादा की दूरी बना कर रखें.

–     बुजुर्गों की त्वचा बढ़ती उम्र के साथ सेंसिटिव होती चली जाती है जिस से बारबार हाथ धोने पर त्वचा रूखी हो कटफट सकती है और इस से वाइरस जल्दी शरीर में प्रवेश कर सकता है. ध्यान रहे कि आप अपने हाथ धोने के बाद उन्हें मोइश्चराइज भी करते रहें.

–     ताजा खाना खाएं, प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें. विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं और फाइबर को अपने खाने में शामिल करें. ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें. आराम करते रहें जिस से आप के शरीर में साइटोकिन्स बन सकें. यह शरीर को सूजन से बचाने में मदद करते हैं.

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याद रखें कि आप की सेहत आप के हाथ है और साथ ही आप के परिवार और समाज की भी. आप के कुछ साधारण कदम आप को और आप के आसपास लोगों को इस खतरनाक वायरस से बचा सकते हैं.

#lockdown: अरोमाथेरपी से करें Anxiety और Tension को दूर

कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से आज हम सब अपने-अपने घरों में लॉक्ड डाउन हैं. इस कारण आज कई लोग डिप्रेशन, तनाव और चिंता से जूझ रहे हैं , लेकिन यह समय शांत और मानसिक रूप से मज़बूत बनाये रखने का है. आप घर पर बिताया जाने वाला समय खुशी मन से व्यतीत करे और विश्वास रखे की हम सेफ रहते हुए जल्दी ही कोरोना वायरस को मात दे सकते हैं.  घर पर रहते हुए नेचुरल तरीकों से तनाव दूर कर सकते हैं  लेकिन कैसे  इस बारे में बता रहीं हैं ब्यूटी एक्सपर्ट ऋचा अग्रवाल. अरोमाथेरपी के द्वारा एंग्जायटी और और तनाव दूर करने के तरीके क्या हैं आइए जानें.

अरोमा थेरेपी एक प्राकृतिक उपचार है जो तनाव बस्टर के रूप में काम करता है और आपके घर के माहौल में सकारात्मकता का माहौल क्रिएट करता है. आप घर के माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए लैवेंडर आयल की कुछ बूंदे पानी में डालकर घर पर छिड़काव कर सकते हैं , यह एंटीबैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लैमटरे और अच्छा एंटी डेप्रेस्सेंट है.

1. लैवेंडर आयल

आप अपने स्नान के पानी में भी कुछ बूँदें लैवेंडर आयल की डाल सकते हैं. यह आपके रक्त संचार की प्रणाली को  बढ़ाता   है  , इसके अतिरिक्त आप इसकी कुछ बूंदे अपने mosturiser में भी डाल सकते हैं.  इसके एंटीसेप्टिक गुण आपकी त्वचा के दाग धब्बों को भी ठीक करते हैं साथ ही आप दमकती त्वचा पाने के लिए और मुंहासों को नियंत्रित करने के लिए अपने रोज़ मॉइस्चराइज़र में इसकी कुछ बूंदे मिला सकते हैं. यह आपके चित को शांत कर सर दर्द , उच्च उच्च रक्तचाप की समस्या में भी मदद करता है. यह एक और एक प्राकृतिक एयर फ्रेशनर भी है. आप अपने तकिए के कवर पर भी इसकी कुछ स्प्रे बूंदे स्प्रे कर सकते हैं , यह अच्छी नींद में आपकी सहायता करेगा. इससे पैरों के तलवों में मालिश करने से असंख्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं और नारियल के तेल के साथ मिश्रित होने से, यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी विकसित करता है, यह चिंता को कम करने के लिए जाना जाता है और तनाव को कम करने के लिए आप इसे अपने कानों के पीछे और कलाई पर भी इसकी कुछ बूंदें डाल सकते हैं . आप अपने मूड को अच्छा करने के लिए स्प्रे के रूप में इसे अपने कमरे में फैला सकते हैं.

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2. इलायची

इलायची में भी तनाव रोधी गुण होते हैं और इलायची अरोमाथेरेपी में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख तेलों में से एक एसेंशियल आयल है. इसका उपयोग न केवल चिंता और तनाव के लिए किया जा सकता है, बल्कि पेट की बीमारियों के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. नरवस रिलैक्सेशन के लिए अरोमाथेरपी एक अच्छा सोल्युशन है इसके अतिरिक्त अरोमाथेरेपी तंत्रिका विकारों को भी नियंत्रित करने में बहुत योगदान देता है.

3. नेरोली तेल

अरोमाथेरपी में नेरोली तेल भी उदास और थके मन को शांत करने के लिए अच्छा तरीका है. यह आपकी नींद में सुधार करके आपको सुस्ती और मानसिक तनाव से मुक्त कराता है. नेरोली तेल का उपयोग आप बिस्तर पर लेटने से पहले कर सकते हैं, करने का सबसे अच्छा समय वह क्षण होता है जब आप अपने बिस्तर पर लेटते हैं. अपने तकिए पर तेल की एक बूंद डालें और इसे आपको सुखदायक नींद देने के लिए काम करने दें. यह आपके मन की स्थिति को शांत करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है.

4. जेरेनियम तेल

जेरेनियम तेल का उपयोग भी आप तनाव और चिंता दूर कर मन को शांत और खुश रखने के लिए कर सकते हैं. आप इसे गुनगुने पानी से भरे टब में डालें और बिस्तर पर जाने से पहले 20-30 मिनट के लिए इसमें पैर भिगोएँ.

5. तुलसी का तेल

आप तुलसी के तेल का इस्तेमाल नकारात्मकता दूर करने के लिए कर सकते हैं और एकाग्रता बढ़ाने , विचारों में क्लैरिटी और उत्साह भी बढ़ाता है. इसका उपयोग करने के लिए आप पानी की एक कटोरी में तुलसी के तेल की कुछ बूंदे डालें अब, इसमें आप एक तौलिया भिगोएँ और फिर इसे अपने चेहरे और शरीर को पोंछने के लिए उपयोग करें, विशेष रूप से सोने से पहले आप इसका इस्तेमाल करें.

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#coronavirus: कार्तिक आर्यन का नया video हुआ वायरल, रैप करते आए नजर

पूरी दुनिया भर में कोरोना वायरस  की दहशत का असर देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी पूरे देश से घर से बाहर ना निकलने की अपील की है. वहीं बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी कोरोना वायरस को दूर करने की सलाह अपने -अपने तरीके से दे रहें हैं.ऐसे में सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहने वाले और  लाखों की  फॉलोअर्स वाले हैंडसम एक्टर कार्तिक आर्यन अपने फैंस को अपने दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में अपडेट करना पसंद करते हैं.  कार्तिक सोशल मीडिया पर जो कुछ भी करते है वह तुरंत वायरल हो जाता है.

 

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Kahaani Ghar Ghar Ki…. #Repost @dr.kiki_ Dont mistake this for Quarantine This is the usual scene at home @kartikaaryan ?

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हाल ही में कार्तिक आर्यन ने फैंस के साथ कोरोनावायरस’ पर अपना नया रैप Video अपने सोशल हैंडल पर शेयर किया है अपने इस वीडियो में कार्तिक रैप करते नजर आ रहे हैं. इसमें उन्होंने कोरोनावायरस घातक महामारी के दौरान किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए,  उस बारे में  बहुत खास ढंग से बताया है. इस वीडियो के कैप्शन में कार्तिक ने लिखा है, “जब तक घर नहीं बैठोगे, मैं याद दिलाता रहूंगा! हैशटैग कोरोना स्टॉप कोरोना हैशटैग कोरोना रैप करोना, इन शब्दों को फैलाते रहें.”


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कोरोनावायरस को दूर करने  लिए बॉलीवुड के कई स्टार हमे जागरूक कर चुके हैं. कार्तिक ने कोविड-19 को लेकर  एक हफ्ते पहले कोरोना से संबंधित एक मोनोलॉग भी शेयर किया था, जिसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया था.

 

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My Appeal in my Style Social Distancing is the only solution, yet ??

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कार्तिक के वर्क फ्रंट की बात करें तो वह लास्ट फिल्म ‘लव आज कल’ में सारा अली खान के साथ नजर आए थे. अब कार्तिक अपनी अपकमिंग फिल्म ‘भूल भुलैया 2’  में  कियारा आडवाणी और तब्बू के साथ लीड रोल में नजर आएंगे. इसके बाद कार्तिक करण जौहर के डायरेक्शन में बन रही फिल्म ‘दोस्ताना-2’ जान्हवी कपूर उनके अपोजिट रोल में  दिखेंगे.

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प्रयास: भाग-4

मेरी खामोशी भांप कर पार्थ ने कहना शुरू किया, ‘‘हमारे बच्चे का गिरना कोई हादसा नहीं था श्रेया. वह मांजी की अंधी आस्था का नतीजा था. मैं भी अपनी मां के मोह में अंधा हो कर वही करता रहा जो वे कहती थीं. उस दिन जब हम स्वामी के आश्रम गए थे तो तुम्हें बेहोश करने के लिए तुम्हारे प्रसाद में कुछ मिलाया गया था ताकि जब तुम्हारे पेट में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच हो तो तुम्हें पता न चले.

‘‘मां और मैं स्वामी के पास बैठे थे. वहां क्या हो रहा था, उस की मुझे भनक तक नहीं थी. थोड़ी देर बाद स्वामी ने मां से कुछ सामान मंगाने को कहा. मैं सामान लेने बाहर चला गया, जब तक वापस आया, तुम होश में आ चुकी थीं. उस के बाद क्या हुआ, तुम जानती हो,’’ पार्थ का चेहरा आंसुओं से भीग गया था.

‘‘लेकिन पार्थ इस में मांजी कहां दोषी हैं? तुम केवल अंदाज के आधार पर उन पर आरोप कैसे लगा सकते हो?’’ मैंने उन का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए पूछा. मेरा दिल अब भी मांजी को दोषी मानने को तैयार नहीं था.

पार्थ खुद को संयमित कर के फिर बोलने लगे, ‘‘यह मेरा अंदाजा नहीं है श्रेया. जिस शाम तुम अस्पताल में दाखिल हुईं, मैं ने मां को स्वामी को धन्यवाद देते हुए सुना. उन का कहना था कि स्वामी की कृपा से हमारे परिवार के सिर से काला साया हट गया.

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‘‘मैं ने मां से इस बारे में खूब बहस की. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मां हमारे बच्चे के साथ ऐसा कर सकती हैं.’’

अब पार्थ मुझ से नजरें नहीं मिला पा रहे थे. मेरी आंखें जल रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अंदर सब कुछ टूट गया हो. लड़खड़ाती हुई आवाज में मैं ने पूछा, ‘‘लेकिन क्यों पार्थ? सब कुछ तो उन की मरजी से हो रहा था? क्या स्वामी के मुताबिक मेरे पेट में लड़की नहीं थी?’’

पार्थ मुझे नि:शब्द ताकते रहे. फिर अपनी आंखें बंद कर के बोलने लगे, ‘‘वह लड़की ही थी श्रेया. वह हमारी श्रुति थी. हम ने उसे गंवा दिया. एक बेवकूफी की वजह से वह हम से बहुत दूर चली गई,’’ पार्थ अब फूटफूट कर रो रहे थे. इतने दिनों में जो दर्द उन्होंने अपने सीने में दबा रखा था वह अब आंसुओं के जरीए निकल रहा था.

‘‘पर मांजी तो लड़की ही चाहती थीं न और स्वामी ने भी यही कहा था?’’ मैं अब भी असमंजस में थी.

‘‘मां कभी लड़की नहीं चाहती थीं श्रेया. तुम सही थीं, उन्होंने हमेशा एक लड़का ही चाहा था. जब से स्वामी ने हमारे लिए लड़की होने की बात कही थी, तब से वे परेशान रहती थीं. वे अकसर स्वामी के पास अपनी परेशानी ले कर जाने लगीं. स्वामी मां की इस कमजोरी को भांप गया था. उस ने पैसे ऐंठने के लिए मां से कह दिया कि अचानक ग्रहों की स्थिति बदल गई है. इस खतरे को सिर्फ और सिर्फ एक लड़के का जन्म ही दूर कर सकता है.

‘‘उस ने मां से एक अनुष्ठान कराने को कहा ताकि हमारे परिवार में लड़के का जन्म सुनिश्चित हो सके. मां को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई. उन्होंने मुझे इस बात की कानोंकान खबर न होने दी.

‘‘पूजा वाले दिन जब मैं आश्रम से बाहर गया तो स्वामी और उस के शिष्यों ने तुम्हारे भ्रूण की जांच की तो पता चला कि वह लड़की थी. अब स्वामी को अपने ढोंग के साम्राज्य पर खतरा मंडराता प्रतीत हुआ. तब उस ने मां से कहा कि ग्रहों ने अपनी चाल बदल ली है. अब अगर बच्चा नहीं गिराया गया तो परिवार को बरबाद होने से कोई नहीं रोक सकता. मां ने अनहोनी के डर से हामी भर दी. एक ही पल में हम ने अपना सब कुछ गंवा दिया,’’ पार्थ ने अपना चेहरा अपने हाथों में छिपा लिया.

मैं तो जैसे जड़ हो गई. वे एक मां हो कर ऐसा कैसे कर सकती थीं? उस बच्चे में उन का भी खून था. वे उस का कत्ल कैसे कर सकती थीं और वह ढोंगी बाबा सिर्फ पैसों के लिए किसी मासूम की जान ले लेगा?

‘‘मां तुम्हें अब भी उस ढोंगी बाबा के पास चलने को कह रही थीं?’’ मैं ने अविश्वास से पूछा.

‘‘नहीं, अब उन्होंने कोई और चमत्कारी बाबा ढूंढ़ लिया है, जिस के प्रसाद मात्र के सेवन से सारी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है.’’

‘‘तो क्या मांजी की आंखों से स्वामी की अंधी भक्ति का परदा हट गया?’’ मैं ने पूछा.

पार्थ गंभीर हो गए, ‘‘नहीं, उन्हें मजबूरन उस ढोंगी की भक्ति त्यागनी पड़ी. वह ढोंगी स्वामी अब जेल में है. जिस रात मुझे उस की असलियत पता चली, मैं धड़धड़ाता हुआ पुलिस के पास जा पहुंचा. अपने बच्चे के को मैं इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला था. अगली सुबह पुलिस ने आश्रम पर छापा मारा तो लाखों रुपयों के साथसाथ सोनोग्राफी मशीन भी मिली. उसे और उस के साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उस ढोंगी को उस के अपराध की सजा दिलाने में व्यस्त होने के कारण ही कुछ दिन मैं तुम से मिलने अस्पताल नहीं आ पाया था.’’

‘‘उफ, पार्थ,’’ कह कर मैं उन से लिपट गई. अब तक रोकी हुई आंसुओं की धारा अविरल बह निकली. पार्थ का स्पर्श मेरे अंदर भरे दुख को बाहर निकाल रहा था.

‘‘आप इतने वक्त से मुझ से नजरें क्यों चुराते फिर रहे थे?’’ मैं ने थोड़ी देर बाद सामान्य हो कर पूछा.

‘‘मुझे तुम से नजरें मिलाने में शर्म महसूस हो रही थी. जो कुछ भी हुआ उस में मेरी भी गलती थी. पढ़ालिखा होने के बावजूद मैं मां के बेतुके आदेशों का आंख मूंद पालन करता रहा. मुझे अपनेआप को सजा देनी ही थी.’’

उन के स्वर में बेबसी साफ झलक रही थी. मैं ने और कुछ नहीं कहा, बस अपना सिर पार्थ के सीने पर टिका दिया.

शाम के वक्त हम अस्पताल से रिपोर्ट ले कर लौट रहे थे. मुझे टीबी थी. डाक्टर ने समय पर दवा और अच्छे खानपान की पूरी हिदायत दी थी. कार में एक बार फिर चुप्पी थी. पार्थ और मैं दोनों ही अपनी उलझन छिपाने की कोशिश कर रहे थे.

तभी पार्थ के फोन की घंटी बजी. मां का फोन था. पार्थ ने कार रोक कर फोन स्पीकर पर कर दिया.

मांजी बिना किसी भूमिका के बोलने लगीं, ‘‘मैं यह क्या सुन रही हूं पार्थ? श्रेया को टीबी है?’’

अस्पताल में रितिका का फोन आने पर पार्थ ने उसे अपनी परेशानी बताई थी. शायद उसी से मां को मेरी बीमारी के बारे में पता चला था.

‘‘पहले अपशकुनी बच्चा और अब टीबी… मैं ने तुम से कहा था न कि यह लड़की हमारे परिवार के लिए परेशानियां खड़ी कर देगी.’’

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पार्थ का चेहरा सख्त हो गया. बोला, ‘‘मां, श्रेया को मेरे लिए आप ने ही ढूंढ़ा था. तब तो आप को उस में कोई ऐब नजर नहीं आया था. इस दुनिया का कोई भी बच्चा अपने मांबाप के लिए अपशकुनी नहीं हो सकता.’’

मांजी का स्वर थोड़ा नर्म पड़ गया, ‘‘पर बेटा, श्रेया की बीमारी… मैं तो कहती हूं कि उसे एक बार बाबाजी का प्रसाद खिला लाते हैं. सब ठीक हो जाएगा.’’

पार्थ गुस्से में कुछ कहने ही वाले थे, लेकिन मैं ने हलके से उन का हाथ दबा दिया. अत: थोड़े शांत स्वर में बोले, ‘‘अब मैं अपनी श्रेया को किसी ढोंगी बाबा के पास नहीं ले जाने वाला और बेहतर यही होगा कि आप भी इन सब चक्करों से दूर रहो. श्रेया को यह बीमारी उस की शारीरिक कमजोरी के कारण हुई है. इतने वक्त तक वह मेरी उपेक्षा का शिकार रही है. वह आज तक एक बेहतर पत्नी साबित होती आई है, लेकिन मैं ही हर पल उसे नकारता रहा. अब मुझे अपना पति फर्ज निभाना है. उस का अच्छी तरह खयाल रख कर उसे जल्द से जल्द ठीक करना है.’’

मांजी फोन काट चुकी थीं. पार्थ और मैं न जाने कितनी देर तक एकदूसरे को निहारते रहे.

घर लौटते वक्त पार्थ का बारबार प्यार भरी नजरों से मुझे देखना मुझ में नई ऊर्जा का संचार कर रहा था. हमारी जिंदगी में न तो श्रुति आ सकी और न ही प्रयास, लेकिन हमारे रिश्ते में मिठास भरने के प्रयासों की श्रुति शीघ्र ही होगी, इस का आभास मुझे हो रहा था.

#coronavirus: थाली का थप्पड़

ओफ़ ! कैसी विकट परिस्थति सामने आ गयी थी. लग रहा था जैसे प्रकृति स्वयं से छीने गये समय का जवाब मांगने आ गयी थी. स्कूल-कॉलेज सब बंद, सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ था. सब अपने-अपने घरों में दुबके हुये थें. आदमी को हमेशा से ही आदमी से खतरा रहा है. स्वार्थ, लालच, घृणा, वासना, महत्वकांक्षा और क्रोध, यह आदमी के वो मित्र है जो उन्हें अपनी ही प्रजाति को नष्ट करने के लिये कारण देते हैं. अधिक पाने की मृगतृष्णा में प्रकृति का दोहन करते हुये, वे यह भूल जाते हैं कि वे खुद अपने लिये मौत तैयार कर रहे हैं. जब मौत सामने नजर आती है, तब भागने और दफ़न होने के लिये जमीन कम पड़ जाती है.

आजकल डॉ आरती के दिमाग में यह सब ही चलता रहता था. वे दिल्ली के एक बड़े सरकारी अस्पताल में कार्यरत थी. वे पिछली कई रातों से घर भी नहीं जा पायी थीं. घर वालों की चिंता तो थी ही, अस्पताल का माहौल भी मन को विचलित कर दे रहा था. उनकी नियुक्ति कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मध्य थी. हर घंटे कोरोना के संदेह में लोगों को लाया जा रहा था. उनकी जांच करना, फिर क्वारंटाइन में भेजना. यदि रिपोर्ट पाज़िटिव आती तो फिर आगे की कार्यवाही करना.

मनुष्य सदा यह सोचता है कि, बुरा उसके साथ नहीं होगा. किसी और घर में, किसी और के साथ होगा. वह तो हर दुःख, हर पीड़ा से प्रतिरक्षित है, यदि उसके पास धन है. जब उसके साथ अनहोनी हो जाती है, वह रोता है, कष्ट झेलता है. लेकिन फिर देश के किसी और कोने में एक दूसरा मनुष्य उसकी खबर पढ़ रहा होता है और वही सब सोच रहा होता है कि, यह सब मेरे साथ थोड़े ही ना होगा ! हम स्थिति की गंभीरता को तब तक नहीं समझते जब तक पीड़ा हमारे घर का दरवाजा नहीं खटखटाती. धर्म, जाति, धन और रंग के झूठे घमंड में दूसरे लोगों के जीवन को पददलित करने से भी नहीं हिचकतें. किंतु जब मौत महामारी की चादर ओढ़कर आती है तो, वह कोई भेद नहीं करती. उसे कोई सीमा रोक नहीं पाती. वह न आदमी की जाति पूछती है और ना उसका धर्म, न उसका देश पूछती है और ना उसका लिंग. मौत निष्पक्ष होती है. जीवन एक कोने में खड़ा मात्र रोता रहता है. जब आदमी विषाणु बोने में व्यस्त था, वह जीवन के महत्व को भूलकर धन जोड़ता रहा. आज धन बैंकों में बंद उसकी मौत पर हंस रहा था.

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जिन कोरोना पाज़िटिव लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया था, उनके कमरों से भिन्न-भिन्न प्रकार की आवाजें आतीं. कोई रो रहा होता, कोई अचानक ही हंसने लगता. वहाँ के अन्य डॉक्टर, नर्स और सफाई कर्मचारी भी अवसाद का शिकार हो रहे थें. आरंभ में डॉ आरती ने वहाँ आ रहे लोगों की आँखों में देखना छोड़ दिया था. उनके पास रोगियों के आँखों में तैरते भय और प्रश्नों के लिये कोई उत्तर नहीं था. परंतु धीरे-धीरे आरती के भीतर कुछ पनपने लगा. अस्पताल को जो दीवार पीड़ा, कष्ट, भय और अनिश्चय के रंगों से रंग गयी थी, उसे उन्होंने कल्पना और आशा के रंगों से रंगना आरंभ कर दिया. यह सब आसान नहीं था. उन सभी को पता था कि वे एकजंग लड़ रहे हैं. आरती ने बस उनके भीतर जंग को जितने का हौसला भर दिया. आपस में मजाक करना, रोगियों को ठीक हो गये मरीजों को कहानियाँ सुनाना, कभी-कभी कुछ गा लेना और रोगियों के साथ एक दूसरे के हौसलें को भी बढ़ाते रहना.

पिछली दसदिनों में कोरोना के संदेह में लाये गये मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी थी. इस कारण उसका घर बात कर पाना भी कम हो गया था. घर पर पति अमोल और उनकी दस साल की बेटी सारा थी. अमोल कमर्शियल पायलट थें. वैसे तो बेटी का ध्यान रखने के लिये हाउस-हेल्प आती थी.किंतु दिल्ली में लॉक डाउन की स्थिति होने के बाद, उसे भी उन्होंने आने से मना कर दिया था. इस वजह से अमोल को छुट्टी लेनी पड़ी थी. वे दिल्ली के एक रिहायशी इलाके में बने एक अपार्टमेंट में किराये पर रहते थें. उनका टू बी एच के बिल्डिंग के चौथे फ्लोर पर था. अथक परिश्रम से पैसे जोड़कर और लोन लेकर पिछले वर्ष ही उन्होंने एक डूप्लेक्स खरीद लिया था. इसका पज़ेशन उन्हें इसी वर्ष मार्च में मिलना था, लेकिन इस वैश्विक महामारी ने सभी के साथ उनकी योजनाओं को भी बेकार कर दिया था.

पिछली रात वीडियो कॉल में भी उनके बीच यह ही बात हो रही थी.

“थक गयी होगी ना !?” अमोल के स्वर में प्रेम भी था और चिंता भी.

“हाँ ! पर थकान से ज्यादा बेचैनी है. आस-पास जैसे दुःख ने डेरा डाल रखा है.”

अमोल की आँखों ने मास्क से छुपे आरती के चेहरे पर चिंता और पीड़ा की लकीरों को देख लिया था. आरती एक भावुक और संवेदनशील स्त्री थी. पहले भी अपने पेसेंटस के दर्द को घर लेकर आ जाया करती थी, और अब तो स्थिति भयावह थी. अपनी पत्नी की पीली पड़ गयी आँखों को देखकर अमोल का हृदय कट के रह गया.

“कल घर आने की कोशिश करो !” उसने झिझकते हुये कहा तो आरती हंस पड़ी.

“सब समझती हूँ, आजकल सभी काम अकेले करने पड़ रहे हैं तो बीवी याद आ रही है. मैं नहीं आने वाली.”

“और नहीं तो क्या ! अरे भाई, इकुवालटी का मतलब काम बांटना होता है. हम तो यहाँ अकेले ही लगे हुये हैं.” अमोल ने भी हँसते हुये जवाब दिया और बड़े लाड से अपनी पत्नी को देखने लगा था. परेशानी में भी मुस्कुराते रहना, कष्ट में रोकर फिर हंस देना और अपने आस-पास सकरात्मकता को जीवित रखना, ऐसी ही थी आरती. उसके इन्ही गुणों पर रीझकर तो अमोल उससे प्यार कर बैठा था.

“क्या देख रहे हो ?” अमोल को अपनी ओर अपलक देखते रहने पर आरती ने पूछा था.

“तुम्हें !”

“और क्या देखा !”

“एक निःस्वार्थ, निडर और जीवंत स्त्री !”

“अमोल, तुम भी ना !”

“तुम भी तो घर बैठ सकती थी, पर तुमने बाहर जाना चुना. तुम बाहर निकली ताकि, लोगों के अपने घर लौट सकें. तुम बाहर निकली ताकि, अन्य लोग घरों में सुरक्षित रह सकें. प्राउड ओफ़ यू !”

आरती ने अमोल को प्रेम से देखा और बोली, “तुम्हें याद है जब तुमने मुझे बताया था कि इटली से भारतीयों को लाने वाली फ्लाइट तुम उड़ाने वाले हो तो मैंने क्या कहा था !”

“हाँ, तुम डर गयी थी !”

“उस समय तुमने कहा था कि अगर सब डरकर घर बैठ गये तो जिंदगी मौत से हार जायेगी ! डरना स्वभाविक है, लेकिन उससे लड़ना ही जीत है ! मैं हर दिन डरती हूँ, पर फिर उसे हराकर जीत लेती हूँ !”

“आरती !”

“अमोल, मुझे भी तुम पर गर्व है. इस संकट के समय जो भी अपना-अपना कर्म पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं उन सभी पर गर्व है.”

अमोल और आरती की आँखें एक दूसरे में डूब गयी. हृदय में चिंता भी थी, प्रेम भी और गर्व भी.

“मम्मा !” पता नहीं कब सारा अपने पापा के कंधे से लगकर खड़ी हो गयी थी.

“मेरा बच्चा !” आरती की पीली आँखें थोड़ी पनीली हो गयी थीं.

“आप कब आओगी !” उस प्रश्न की मासूमियत ने आरती के आँखों पर लगे बांध को तोड़ दिया और वो बहने लगीं.

“बेटा, मैंने आपको कहा था ना कि मम्मा हेल्थ सोल्जर हैं और वो …”

“गंदे वायरस को हराने गयी हैं ! आई नो पापा ! पर आई मिस यू मम्मा !” सारा की आँखें भी बहने लगी थीं.

अमोल कभी सारा के आँसू पोंछता, कभी आरती को समझाता.

“मम्मा, सब कहते हैं कि पापा गंदे वायरस को लाये हैं और सब ये भी कहते हैं कि गंदे वायरस से लड़कर आप भी गंदी हो गयी हो ! ईशान कह रहा था कि गंदे मम्मा-पापा की बेटी भी गंदी !” इतना कहकर वो फिर रोने लगी थी.

आरती के दिल पर जैसे किसी ने तेज मुक्का मारा हो, दर्द का एक सागर उमड़ आया था. मनुष्य अन्य जीवों से श्रेष्ठ माना जाता है, जिसका कारण है, बुद्धि. जानवर हेय हैं, क्योंकि उनके पास सोचने के लिये बुद्धि नहीं होती, मात्र एक भावुक हृदय होता है. लेकिन यह बात क्या सत्य है ! क्या सभी मनुष्यों के पास बुद्धि है ! संवेदना की तो अपेक्षा मूर्खता ही है ! इंसान जब इंसानियत छोड़ दे तो उसे क्या कहना चाहिये ! दानव ! जब वो घर से दूर कोरोना जैसे दानव के संक्रमण को रोकने के प्रयास में लगी हुयी थी. घर के बाहर लोगों के दिमाग पर नफरत का संक्रमण फैल रहा था, जिसने उनसे उनकी मनुष्यता को छीन लिया था. वह यह सोचकर सिहर उठी कि उसका परिवार दानवों से घिर गया था.

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अमोल आरती के मन की उथल-पुथल को समझ रहा था. वह उसे यह सब बताकर परेशान नहीं करना चाहता था. अपार्टमेंट के लोगों की छींटाकशी कुछ अधिक ही बढ़ गयी थी. कल जब अमोल और सारा सब्जियां लेकर आ रहे थें, लिफ्ट में ईशान अपने पापा के साथ मिल गया था. उन्हें देखकर वे दोनों लिफ्ट से निकाल गये. उस समय तो अमोल कुछ समझ नहीं पाया था. उसे लगा, शायद उन्हें कुछ काम याद आ गया होगा. फिर जब रात में ईशान की बॉल उनकी बालकोनी में आ गयी, तो सारा ने आदतन बॉल को उसकी तरफ उछाल दिया था. लेकिन ईशान ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. जब सारा ने इसका कारण पूछा तो वो रुखाई से बोला, “गंदे मम्मी पापा की बेटी गंदी !” इतना सुनते ही सारा की आँखें बरसने लगी थीं. अमोल के लिये उसे चुप कराना मुश्किल हो गया था. अब तो किराने वाला समान देने में भी आनाकानी करने लगा था. डॉक्टर होना जैसे स्वयं एक संक्रमण हो गया था. लेकिन अभी वो आरती को इन परेशानियों से दूर रखना चाहता था. वैसे भी वो अत्यधिक तनाव में काम कर रही थी.

“सारा ! छोड़ो यह सब ! तुमने मम्मा को बताया कि पी एम ने क्या कहा है ?” अमोल ने सफाई से बात बदल दी थी.

यह सारा तो नहीं समझ पायी लेकिन आरती समझ गयी थी. वह गुस्से में थी और कुछ कहने ही वाली थी कि अमोल ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा. सारा सब कुछ भूल कर अपनी मम्मा को प्रधानमंत्री के देश के नाम किये सम्बोधन के बारे में बताने लगी थी. उस समय आरती का मन उचाट हो गया था, लेकिन सारा की खुशी देखकर उसने अपना गुस्सा दबा लिया था.

वह बोल रही थी, “मम्मा, कल शाम पाँच बजे सभी लोग अपने घरों की बालकोनी में या खिड़की में आकर आपको थैंकस बोलने के लिये थाली, ड्रम या शंख बजायेंगे ! सब लोग बाहर नहीं आ सकतें ना इसलिये अपने-अपने घरों में रहकर ही करेंगे ! कितना कूल है ना !”

आरती और अमोल ने एक दूसरे को देखा. उन्होंने कहा कुछ नहीं, पर उनकी नजरों के मध्य संवाद हो गया था. जिन्हें थाली बजाने को कहा गया था, उनमें से कितने वास्तव में मानव रह गये थें और कितने मात्र

आरती अभी पिछली रात के बारे में सोच ही रही थी कि सिस्टर सुनंदा की आवाज उसे वर्तमान में ले आयी थी.

“मैम, मास्क खत्म हो गये हैं !”

“अरे ! कल ही तो फोन किया था !” आरती की आवाज में गुस्सा था.

“जी मैम, पर अभी तक कोई जवाब नहीं आया !”

“सो रहे हैं क्या वे लोग ! उन्हें पता नहीं कि इन्फेक्शन फैलने में समय नहीं लगता !” आरती का गुस्सा अब बढ़ गया था.

“जी मैम !” सुनंदा ने सर झुका लिया था. वह कर भी क्या सकती थी. आरती ने भी सोचा उस पर गुस्सा करके क्या होगा. वह उठी और मास्क भिजवाने के लिये फोन करने लगी. तभी उसकी नजर सामने लगे टी वी के स्क्रीन पर गयी. लोग अपने=अपने घरों में थालियाँ और शंख बजा रहे थें.

“ये सब क्या हो रहा है !” आरती के होंठों से फिसल गया.

“मैम, सब हमारा धन्यवाद कर रहे हैं ! आज इतना गर्व हो रहा है ! जंग में खड़े सिपाही जैसा लग रहा है !” उसका चेहरा हर्ष और गर्व से दमक रहा था. उसके चेहरे को देखकर आरती ने सोचा “यदि इस सब से  इन सभी का मनोबल बढ़ रहा है तो यह प्रयास भी बुरा नहीं है. इस कठिन समय में हम सभी को मानसिक ताकत की बहुत आवश्यकता है.”

“हैं ना मैम !” आरती को चुप देखकर सुनंदा ने पूछ लिया था.

“हम सब सैनिक ही हैं, जो एक अनदेखे अनजान दुश्मन से लड़ रहे हैं; वो भी बिना किसी हथियार के ! तुम्हें गर्व होना ही चाहिये !” आरती ने प्रत्यक्ष में कहा था. तभी आरती जिसे फोन कर रही थी, उसने फोन उठा लिया था. उसने सुनंदा को चुप रहने का इशारा किया और बात करने लगी थी.

“क्या सर सो रहे थें क्या !?”

“अरे नहीं ! नींद कहाँ !” उधर से उस आदमी ने कहा था.

“मैं तो सोच रही थी कि इस बार अगर आपने फोन नहीं उठाया तो थाली लेकर पहुँच जाऊँगी आपके पास.” इतना कहकर आरती ने सुनंदा की तरफ देखकर आँख मार दी. सुनंदा भी मुस्कुरा दी थी.

“अरे क्या डॉक्टर मैडम आप भी !” वह खिसियानी हंसी हँसते हुये बोल था.

“अब आप हमें मारने पर तुले हैं तो, थाली ही बजानी पड़ेगी !”

“क्या गलती हो गयी डॉक्टर साहब ?”

“हमने मास्क के लिये कल ही फोन कर दिया था और अभी तक कुछ नहीं पता” आरती का स्वर गंभीर हो गया था.

“एक घंटे पहले ही भेज दिया है, पहुँचने वाला ही होगा !”

“आभार आपका !” आरती के स्वर में व्यंग्य था.

“अरे-अरे कैसी बात कर रही हैं ! आप तो बस हुक्म करो !”

“बस आप स्थिति की गंभीरता को समझो और समय पर सब कुछ भेजते रहो. बस इतना करो !” इतना कहकर आरती ने फोन पटक दिया था. सामने खड़ी सुनंदा उसके जवाब का इंतजार कर रही थी.

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“आने वाला है !” आरती की बात सुनकर सुनंदा चली गयी थी.

आरती ने सोचा कि थोड़ी देर में वो व्यस्त हो जायेगी, इसलिये सारा को विडिओ कॉल कर लेना चाहिये. वो कल ड्रम बजाने को लेकर कितनी उत्साहित थी. घर से अपने कुछ कपड़े भी मंगाने थें. आरती ने कॉल लगा लिया. कुछ देर तक फोन बजता रहा. किसी ने फोन नहीं उठाया. दो-तीन बार फोन करने पर भी जब अमोल ने फोन नहीं उठाया, वह परेशान हो गयी. थोड़ी देर बाद अमोल का फोन आ गया था.

“अमोल ! कहाँ थें तुम ! फोन क्यों नहीं उठा रहे थें !” आरती लगातार बोलती जा रही थी.

“आरती, आरती, आरती शांत हो जाओ !” अमोल ने उसे शांत कराया.

“यहाँ एक समस्या हो गयी थी.” अमोल को आवाज के कंपन को आरती ने सुन लिया था.

“कैसी समस्या? क्या हुआ अमोल !” आरती काँप रही थी.

“अपार्टमेंट के कुछ लोग ..” अमोल की आवाज की झिझक ने आरती को और परेशान कर दिया.

“कुछ लोगों ने क्या ?” वो लगभग चीख उठी थी.

“वे हमें घर खाली करने को कह रहे थें !”

“व्हाट ! क्यों ! हाउ डेयर दें !” आरती का क्रोध बढ़ गया था.

“इडियट्स का कहना था कि तुम कोरोना के रोगियों का इलाज कर रही हो तो पूरी बिल्डिंग को संक्रमण का खतरा है. मैं और सारा भी कोरोना को अपने कपड़ों में लिये घूम रहें हैं.”

“मैं आ रही हूँ ! मैं अभी आ रही हूँ ! देखती हूँ कैसे ..”

“अरे यार ! तुम चिंता मत करो. अभी सभी ठीक है. मैंने पुलिस को फोन कर दिया था. उन्होंने इन सभी की खबर ली है. डॉक्टर कह देने भर से, पुलिस वाले काफी मान दे रहे हैं. बिल्डिंग के सभी लोग ऐसे नहीं हैं. तुम चिंता मत करो. बहुत बड़ा काम कर रही हो. इन कीड़ों की वजह से अपने काम पर से ध्यान मत हटाओ.”

“अमोल ! मेरा मन नहीं लगेगा !” आरती की आवाज में डर सुनकर अमोल ने उसे विडिओ कॉल किया.

अमोल के पास बिल्डिंग के कुछ लोग बैठे थें. सारा विमला आंटी की गोद में बैठी दूध पी रही थी. आरती को देखते ही सब एक साथ चिल्लाकर बोलें, “थैंक यू”.

सारा और अमोल से कुछ देर बात करने के बाद, निश्चिंत होकर आरती ने फोन रख दिया था. किसी ने सही कहा था कि इस दुनिया का अंत अनपढ़ लोगों के कारण नहीं बल्कि पढ़े-लिखे मूर्ख अनपढ़ों के कारण होगा.

सामने लगे टी वी स्क्रीन पर सभी चैनलों में लोगों का धन्यवाद करना दिखाया जा रहा था. आरती सोच रही थी कि इन थाली पीटने में लगें लोगों में से कई तो वो भी होंगे जो अपने आस-पास रह रहें डॉक्टरों और अन्य जो इस महामारी से बचाव के काम में लगें हैं, उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते होंगे. आरती का मन वितृष्णा से भर गया.

यह थाली की आवाज थप्पड़ बन कर कान पर लग रही थी. आरती ने आगे बढ़ कर टीवी ऑफ कर दिया.

मजाक: कोरोना ने उतारी, रोमांस की खुमारी

मैंने बर्तन धोते धोते टाइम देखा , एक घंटा हो गया था , मुझे बर्तन धोते हुए. मुझे अचानक  नीतू की पायल की आवाज सुनाई दी, मैं डर गया, आजकल उसकी पायल की आवाज से मैं पहले की  तरह रोमांस से नहीं भर उठता  , डर लगता है कि कोई काम बताने ही आयी होगी , हुआ भी वही , मुझे उन्ही प्यार भरी नजरों से देखा जिनसे मुझे आजकल डर लगता है , बोली ,” सुनो , जरा.”

ये वही दो शब्द हैं जिनसे आजकल मैं वैसे ही घबरा जाता हूँ , जैसे एक आदमी  ,”मित्रों ” सुनकर डर जाता है.

” बर्तन धोकर जरा थोड़ी सी भिंडी काट दोगे?”

मेरे जवाब देने से पहले नीतू  ने मेरे गाल पर किस कर दिया , मझे यह किस आज कांटे की तरह चुभा , बोली ,” काट दोगे न ?”

मैंने हाँ में सर हिला दिया. बर्तन धोकर भिंडी देखी , ये थोड़ी सी भिंडी है ? एक किलो होगी यह !फिर आयी , चार प्याज और लहसुन भी रख गयी , ‘जरा ये भी’, ये इसका ‘जरा’ है न , ‘मित्रों’ जितना खतरनाक है. कौन सी मनहूस घडी थी जब कोरोना के चलते घर में बंद होना पड़ा , घर के कामों और , दोनों बच्चों की धमाचौकड़ी को हैंडल करती नीतू को मैंने प्यार से तसल्ली  दी थी , डरो मत , नीतू , मैं हूँ न ,घर पर ही तो रहूँगा अब , मिलकर काम कर लेंगें , बच्चे तो छोटे हैं , वे तो तुम्हारी हेल्प कर नहीं पायेंगें , तुम्हे जो भी हेल्प चाहिए हो , मुझे बताना ,”कहकर मैंने मौके का फ़ायदा उठाकर उसे बाहों में भर लिया था , पर मुझे उस टाइम यह नहीं पता था कि मैंने अपने पैरों पर कितनी बड़ी कुल्हाड़ी मार ली है.कोरोना के चलते मेरी आँखों के  सामने हर समय छाया रोमांस का पर्दा  हट गया है , मुझे समझ आ गया है कि सेल्स का आदमी होने के बाद भी जैसी बातें करके काम निकलवाना नीतू को आता है , मैं तो कहीं भी नहीं ठहरता उसके आगे.  बंदी घर में रहती है , पर सारे गुण हैं इसमें.और यह जो इसकी भोली शकल देखकर मैं दस सालों से इस पर कुर्बान होता रहा हूँ , यह बिलकुल भी नहीं इतनी सीधी.

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पिंकी , बबलू , हमारे दो बच्चे , जिन्हे इस बात से जरा मतलब नहीं कि क्या बोलना है , क्या नहीं , जो पापा को भारी न पड़े. कल सब्जी काटते हुए मैं फ़ोन देखने लगा , जोर से बोले , ”पापा ,फ़ोन बाद में देख लेना , कहीं आपका हाथ न कट जाए.” पोंछा लगाती नीतू ने झट से हाथ धोकर मेरा फ़ोन उठा कर दूर रख दिया , ” डिअर , बच्चे ठीक कह रहे हैं , तुम्हारा ध्यान इधर उधर होगा तो मुश्किल हो जाएगी ,”कहकर उसने बच्चों से छुपा कर मुझे आँख भी मार दी , मैं घुट कर रह गया , मुझे उसकी ये आँख मारने की अदा कल पहली बार जरा नहीं भाई , चिंता मेरे हाथ की इतनी नहीं है , जितनी इस बात की है कि काम कौन करेगा.

और मैं इसे समझा नहीं पा रहा हूँ कि वर्क फ्रॉम होम का मतलब , घर का काम नहीं होता.मेरी माँ अब तो इस दुनिया  में नहीं है, होती , और देखती कि उनका राज दुलारा प्यार में क्या से क्या बन गया है , रो पड़तीं. नीतू के भोलेपन के कई राज मेरे सामने उजागर हो रहे हैं , वह अक्सर जब यह समझ जाती है कि मैं कोई काम मना कर सकता हूँ , तो वह कुछ इस तरह बच्चों के सामने  थोड़ा दुखी सी होकर बोलती है ,सीमा का फ़ोन आया था ,बता रही थी कि आजकल उसके पति ही बाथरूम धो रहे हैं , उसकी कमर में भी मेरी तरह दर्द रहता है न. ”

बस , दोनों बच्चे मेरे गले लटक जाते हैं कि पापा , आप भी धोओ न बाथरूम .”

फिर मुझे कहाँ मौका मिलता है , खुद ही कहती है ,”बच्चों , पापा को परेशान नहीं करना है , चलो , हटो , पापा अपने आप ही मम्मी की हेल्थ का ध्यान रखते हैं.”

लो , हो गया सब अपने आप तय. मेरे बोलने की गुंजाइश है क्या ?

रात को जब सोने लेटे, हालत ऐसी हो गयी है ,नीतू ने जब मुझे प्यार से देखा , मैंने डर कर करवट बदल ली , और दिन होते तो मैंने उसके ऐसे देखने पर उसे बाहों में भर लिया होता , पर आजकल बहुत सहमा सहमा रहता हूँ कि कहीं कोई काम न बोल दे , मुझे सचमुच डर लगा कि कहीं यह न कह दे कि रात के बर्तन भी अभी कर लोगे , जरा. उसने कहा , सुनो.”

मेरे मुँह से आवाज ही नहीं निकली , वह मेरे पास खिसक आयी तो भी मैंने उसकी तरफ करवट ही किये रखी, बोली , अरे , डिअर , सुनो न.”

मैंने कहा ,”बोलो.”

”नींद आ रही है ?”

मुझे समझ नहीं आया कि क्या बोलूं , कहीं मैं गलत समझ रहा होऊं , और नीतू मेरे पास कहीं रोमांस के मूड से तो नहीं आयी है ,मैंने मन ही मन हिसाब लगाया , नहीं , इस टाइम कोई काम न होगा , बच्चे सो चुके हैं , खाना , बर्तन सब हो तो चुके हैं , अब क्या काम बोल सकती है ! हो सकता है मेरी पत्नी का इरादा नेक हो.

मन में थोड़ी सी आशा लिए मैं उसकी तरफ मुड़ ही गया ,”बोलो.”

उसने मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी ,” सुनो , आज सारा दिन काम करते करते इस समय पैरों में बहुत दर्द हो रहा है , थोड़ा सा दबा दोगे क्या ? नींद आ रही हो तो रहने दो.”

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मेरी हालत अजीब थी , ऐसे में कौन अच्छा पति मना कर सकता है ,मैं उठ कर बैठ गया , नाइटी से झांकते उसके पैर खिड़की से आती मंद मंद रौशनी में  सैक्सी से लगे , मन कितनी ही भावनाओं में डोल डोल गया , पर उसके पैरों में दर्द था , मुझे तो उसके पैर दबाने थे , मन हुआ कल से रोज शाम को पांच बजे बालकनी में थाली , ताली नहीं , चीन और कोरोना को गाली दूंगा. कोरोना , तुम्हे मुझ जैसे शरीफ पतियों की हाय लगेगी , तुमने हमारी रोमांस  की सारी खुमारी उतार दी , तुम नहीं बचोगे. मैंने देखा , नीतू सो चुकी थी , उसके चेहरे की सुंदरता और सरलता मुझे इस समय  अच्छी  लग रही थी , पर नहीं , मैंने खुद को अलर्ट किया , नहीं , इसके चेहरे पर मत जाओ ,आनंद , यह कल सुबह फिर , सुनो जरा , कहकर तुम्हे दिन भर नचाने वाली है.मैं भी उससे कुछ दूरी रख कर लेट गया , रोमांस की कोई खुमारी दूर दूर तक नहीं थी.

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